राष्ट्रीय

नई दिल्ली, 16 फरवरी | सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कोविड-19 टीकाकरण अभियान में कानून बिरादरी को प्राथमिकता देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की पीठ ने अधिवक्ता ऋषि सहगल के माध्यम से अधिवक्ता अरविंद सिंह द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
वकील अरविंद सिंह द्वारा दायर याचिका को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता अमित खेमका ने पीठ के समक्ष दलील दी कि न्यायिक सेवाओं से जुड़े व्यक्तियों, जिनमें देशभर के न्यायाधीश, वकील और न्यायिक कर्मचारी शामिल हैं, आवश्यक सेवाओं का प्रतिपादन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "फिर भी, न्यायिक अधिकारी और न्यायाधीश प्राथमिकता सूची में नहीं हैं। न्यायिक प्रणाली में शामिल हर व्यक्ति को टीका (वैक्सीन) मिलना चाहिए।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायिक प्रणाली में शामिल लोगों को देश में चल रहे कोविड टीकाकरण अभियान से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए।
मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने कहा, "ठीक है, हम इस याचिका पर विचार करेंगे।"
पीठ ने मामले को दो सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई निर्धारित की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि 'कानूनी प्रणाली' संविधान के स्तंभों में से एक है, जो आवश्यक सेवाओं के प्रतिपादन में शामिल है।
याचिका में कहा गया है कि टीकाकरण पर मार्गदर्शन के लिए सरकार द्वारा गठित वैक्सीन प्रशासन के राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने अपनी रिपोर्ट में कानूनी समुदाय के लोगों के दावे पर विचार नहीं किया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हालांकि पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों को फ्रंटलाइन कार्यकर्ता के रूप में माना जा रहा है और इन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित सभी मामले अंतत: अदालत में आते हैं, फिर भी कानूनी बिरादरी के लोग, जो फ्रंटलाइन कार्यकर्ता भी हैं, उन्हें इनके समान नहीं माना जा रहा है। (आईएएनएस)