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खुद के हित साधने किसानों के कंधे का सहारा ले रही कांग्रेस : कैलाश चौधरी
14-Feb-2021 11:52 AM
खुद के हित साधने किसानों के कंधे का सहारा ले रही कांग्रेस : कैलाश चौधरी

प्रमोद कुमार झा

नई दिल्ली, 14 फरवरी | मोदी सरकार के एक मंत्री का आरोप है कि कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दल अपने राजनीतिक हित साधने के लिए किसानों के कंधे का सहारा ले रहे हैं। केंद्रीय एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी कहते हैं कि जो लोग अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन बचाने की कोशिश में किसान के कंधों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो किसान आंदोलन को समाप्त नहीं होने देना चाहते हैं।

किसानों आंदोलन को लेकर आईएएनएस के सवालों का कैलाश चौधरी ने खुलकर जवाब दिया। पेश है कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी से साक्षात्कार के अंश:

सवाल : सरकार ने कोरोना काल में कृषि कानून अध्यादेश के जरिए क्यों लाया?

जवाब: कोरोना काल में जब पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो गई थीं उस समय भी हमारे किसानों ने बंपर पैदावार कर देश की अर्थव्यवस्था को संबल देने में अपनी अहम भूमिका निभाई। सरकार ने इस दौरान किसानों को हर प्रकार से प्रोत्साहन दिया। इसी क्रम में किसानों को राहत पहुंचाने और उनकी आय बढ़ाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कई क्रांतिकारी कदम उठाए। लेकिन इन सबके बावजूद जब तक कानूनों में बदलाव नहीं होता तब तक किसान उन्नति के संबंध में जो हम सोच रहे थे वो संभव नहीं था। इसलिए भारत सरकार ने कोरोना काल में अध्यादेश के जरिए इन काूननों को लागू किया। इन कानूनों के माध्यम से निश्चित रूप से किसानों को एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) की जंजीरों से आजादी मिलेगी।

सवाल : सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तैयार है यहां तक कि इसके अमल पर 18 महीने तक रोक लगाने को भी तैयार है। क्या कानून में कुछ कमियां रह गई थीं या फिर किसान आंदोलन के दबाव में सरकार ऐसा करने को तैयार है?

जवाब: ये तीनों कृषि कानून किसानों के जीवन में 'क्रांतिकारी परिवर्तन' लाने वाले और उनकी आय बढ़ाने वाले हैं। नये कृषि कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए केंद्र सरकार के तैयार होने का यह कतई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि इन कानूनों में कोई खामी है। फिर भी विरोध कर रहे किसानों के सम्मान में और उन्हें उनकी सुरक्षित घर वापसी के लिए सरकार अपनी ओर से थोड़ा झुकने के लिए भी तैयार है। चूंकि हमारा उद्देश्य खेती को लाभकारी बनाना और किसानों का कल्याण करना है, इसीलिए उनकी संभावित शंकाओं के समाधान के लिए सरकार यथासंभव संशोधन के लिए तैयार है ताकि गतिरोध दूर किया जा सके।

सवाल : सरकार की तरफ से एक के बाद एक प्रस्ताव के बावजूद किसान नेता अपनी जिद पर अड़े हैं। क्या किसान आंदोलन अब राजनीतिक हो गया है?

जवाब : प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि सरकार इन कृषि कानूनों को निरस्त करे। किसान आंदोलन को कांग्रेस और आप (आम आदमी पार्टी) समेत कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त है। कुछ राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग जो जमीनी आधार खो चुके हैं, इसलिए समय-समय पर वे कंधों की तलाश करते हैं और आज किसान आंदोलन से किसान के कंधों पर अपनी वैचारिक बंदूक चलाकर अपना हित साधना चाहते हैं। किसानों के हमदर्द बनकर उनको गुमराह करने का पाप करने वालों को जनता जवाब देगी।

सवाल : किसान आंदोलन समाप्त करवाने को लेकर सरकार अब क्या सोच रही है?

जवाब : हमने शुरू से ही प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि आप इन विधेयकों (अब कानून बन चुके हैं, मगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कार्यान्वयन पर फिलहाल रोक लगा दी गई है) को कार्यान्वित होने दीजिए, इनसे निश्चित रूप से आपके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। नया कानून किसान को मंडी के बाहर कहीं भी अपनी मर्जी के भाव पर अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता देता है। इस पर भी किसानों के लगातार अड़ियल रवैये को देखते हुए सरकार ने गतिरोध तोड़ने के लिए कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का भी प्रस्ताव दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि मसले के समाधान के लिए केवल सौहार्दपूर्ण संवाद ही एकमात्र विकल्प है। लिहाजा, सरकार प्रदर्शनकारियों से राष्ट्रहित और देश के किसानों के हित में आंदोलन समाप्त करने का आग्रह करती है।

सवाल : क्या आंदोलनकारी किसानों के साथ जल्द कोई बातचीत शुरू होने वाली है?

जवाब : नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान गलतफहमी में हैं और ये सभी आंदोलनकारी किसान एक ही क्षेत्र से आते हैं। इतने दौर की वार्ता से यह साफ होने लगा है कि किसान संगठनों के पास कोई तर्क और तथ्य नहीं है। इसीलिए वे कानूनों में अपनी शंकाओं से संबंधित संशोधन के बजाय केवल कानून वापसी की जिद पर अड़े हुए हैं। सरकार ने साफ नीयत और खुले मन से हरसंभव संशोधन और समाधान की दिशा में काम करने की बात कही है, इसके लिए सरकार पहले भी तैयार थी, अब भी तैयार है और आगे भी तैयार रहेगी।(आईएएनएस)


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