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नई दिल्ली, 22 नवंबर। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में आजीवन कारावास काट रहे दोषी एजी पेरारिवलन की रिहाई पर फ़ैसला तमिलनाडु के राज्यपाल को करना है.
द हिंदू अख़बार के मुताबिक पेरारिवलन की माँ ने राज्यपाल से उनकी रिहाई की अपील की है. पेरारिवलन को 19 साल की उम्र में गिरफ़्तार किया गया था. इसी महीने के पहले हफ़्ते में सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की सज़ा माफ़ी की अर्जी तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो वर्षों से लंबित रहने पर अपनी नाराज़गी जताई थी.जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि शीर्ष अदालत इस बात से खुश नहीं हैं कि सज़ा माफ़ी की सिफारिश दो वर्ष से लंबित है. कोर्ट ने कहा था कि अदालत चाहती है कि राज्यपाल आदेश पारित करें. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर राज्यपाल को इस मामले में फ़ैसला लेने का आग्रह कर सकता है. उन्होंने तब पेरारिवलन के वकील से इस मामले में क़ानून के प्रावधानों के बारे में पूछा था.
पीठ ने तमिलनाडु के एडिशनल एडवोकेट जनरल बालाजी श्रीनिवास से पूछा था कि फ़ैसला लेने में आखिर राज्यपाल इतनी देर क्यों लगा रहे हैं. इस पर श्रीनिवासन ने कहा था कि यह मामला व्यापक साजिश का है और राज्यपाल सीबीआई की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं.
इस मामले में शनिवार को सीबीआई ने 24 पेज़ का एक हलफ़नामा कोर्ट में दायर किया. इसमें उसने बताया कि पेरारिवलन की रिहाई का विषय राज्यपाल और याचिकाकर्ता के बीच एक मुद्दा था और इसमें सीबीआई की कोई भूमिका नहीं है.
इस दौरान एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के पीछे बड़ी साजिश की जांच जारी है.
पेरारिवलन उन सात दोषियों में से एक हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली थी. उनके साथ ही इस मामले में संथन, मुरुगन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन जेल में सज़ा काट रहे हैं.
2018 में राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर इस मामले के सातों दोषियों को उनकी सज़ा पूरी होने से पहले रिहा करने की राज्यपाल से सिफारिश की थी. (bbc.com)