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नई दिल्ली, 27 जुलाई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जब तक जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य नहीं बनाया जाता तब तक वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का विरोध किया। साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का ये फैसला उनके लिए अपमानजनक है। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा लिया गया था। इसके बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। साथ ही उमर अब्दुल्ला को भी 8 महीने तक नंजरबंद रखा गया था।
कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के अब एक साल पूरे होने वाले हैं। इसी मौके पर उमर अब्दुल्ला ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिखा है। उन्होंने लिखा है, मैं इस राज्य की विधानसभा में नेता के तौर पर 6 साल के लिए रहा। अब मैं उस सदन का सदस्य नहीं बनूंगा जिसने हमें बेघर कर दिया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला के मुताबिक उन्हें और उनकी पार्टी को इस बात का अहसास था कि बीजेपी आर्टिकल 370 और 35 हटाना चाहती थी। लेकिन राज्य को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी। अब्दुल्ला के मुताबिक सरकार के इस फैसले ने उन्हें हैरान कर दिया। उन्होंने लिखा है कि सरकार का ये कदम लोगों को अपमानित करने जैसा है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि सरकार का इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ लोगों को सजा देना था न कि कुछ और।
अब्दुल्ला ने आगे लिखा है, अगर बौद्ध आबादी लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रही थी तो जम्मू के लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग बहुत पुरानी थी। अगर ये धर्म पर आधारित था तो ये ध्यान देना चाहिए कि लेह और कारगिल मुस्लिम बहुल हैं और कारगिल के लोग जम्मू-कश्मीर से अलग होने के विचार का विरोध कर रहे हैं।
अब्दुल्ला के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद कुछ समय के लिए इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा और ये पूर्ण राज्य का दर्जा किसी समय बहाल हो जाएगा। हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई टाइमलाइन नहीं दी गई है।