राष्ट्रीय

-चंदन कुमार जाजवड़े
बिहार, 2 मार्च । तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मज़दूरों के साथ कथित हिंसा की घटना को तमिलनाडु पुलिस ने गलत करार दिया है.
इससे पहले नीतीश कुमार ने इस संबंध में बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया था कि वो तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों से बात कर बिहारी मज़दूरी की सुरक्षा सुनिश्चित करें.
इससे पहले यह मुद्दा बिहार विधानसभा में भी उठाया गया था. बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्षी दल बीजेपी ने यह मुद्दा उठाया है.
ख़बरों के मुताबिक़ तमिलनाडु के कई इलाक़े में बिहार के मज़दूरों के साथ हिंसा हो रही है.
पिछले कुछ समय में इस हिंसा में दो बिहारी मज़दूरों की मौत की ख़बर भी बिहार में चर्चा में रही है.
उस घटना के बाद बिहारी मज़दूरों में डर का माहौल और बड़ी संख्या में बिहारी मज़दूरों के वहां से पलायन की ख़बरें
भी आ रही हैं.
बीबीसी ने इस मुद्दे पर त्रिपुर के एसपी जी शशांक साई से बात की तो उनका कहना है कि बिहारी मज़दूरों के साथ कोई हिंसा नहीं हुई है और जो भी ख़बरें दी जा रही हैं वो सब झूठी और भ्रामक हैं.
उन्होंने प्रवासी मज़दूरों के पलायन की ख़बरों को भी अफ़वाह बताया है. इस मुद्दे पर तमिलनाडु पुलिस के महानिदेशक ने भी ट्विटर पर एक वीडियो संदेश जारी किया है.
डीजीपी सी शैलेंद्र बाबू ने भी दावा किया है कि बिहार में किसी ने सोशल मीडिया पर एक झूठा और भ्रामक वीडियो पोस्ट किया है.
उनका कहना है, "तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों के साथ कोई हिंसा नहीं हुई है. ये दोनों ही वीडियो पुराने हैं. एक वीडियो त्रिपुर का है जिसमें बिहारी मज़दूरों के दो गुटों के बीच आपस में लड़ाई हो रही है. जबकि दूसरा वीडियो कोयंबटूर का है और इसमें स्थानीय लोगों के बीच झगड़ा हो रहा है, इसका बिहारी मज़दूरों से कोई संबंध नहीं हैं."
त्रिपुर पुलिस के मुताबिक़ पुलिस कोशिश कर रही है कि प्रवासी मज़दूरों को किसी बात का डर न हो और मज़दूरों के गुट में आपस में भी झगड़ा न हो.
तिरुपुर के एसपी जी शशांक साई का कहना है, "मज़दूरों की सुरक्षा के लिए हम हम आज ही सारे उन ठेकेदारों के साथ मीटिंग कर रहे हैं, जिनके पास प्रवासी मज़दूर काम करते हैं. हमें सभी को प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है. हमने इसके लिए कदम भी उठाए हैं और ऐसे मज़दूरों को सुरक्षा दे रहे हैं."
दरअसल इसी साल 14 जनवरी को त्रिपुर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा में था. दावा किया गया था कि इसमें तमलनाडु के स्थानीय लोग बिहार के प्रवासी मज़दूरों के साथ मारपीट कर रहे हैं.
तमिलनाडु के डीजीपी ने इसे बिहारी मज़दूरों के दो गुटों की लड़ाई बताया है.
वहीं कुछ ख़बरों में दावा किया जा रहा है कि हिंसा के डर से बिहार के लोग तमिलनाडु के अलग अलग जगहों से बिहार वापस आने की कोशिश कर रहे हैं. ख़बरों में ट्रेनों और स्टेशनों पर भारी भीड़ा होने का दावा भी किया जा रहा है.
दक्षिण रेलवे के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर बीबीसी को बताया है कि तमिलनाडु के रेलवे स्टेशनों पर कोई असामान्य भीड़ नहीं है और ऐसी कोई ख़बर नहीं है कि स्टेशनों पर अफरा तफरी मची हो.
इन दिनों होली का त्योहार भी काफ़ी क़रीब है और इस समय ट्रेनों में थोड़ी ज़्यादा भीड़ होना सामान्य सी बात है.
एर्नाकुलम-पटना या बाक़ी जिन ट्रेनों में भीड़ की बात की जा रही है वो ट्रेनें पीछे से ही भरी हुई आ रही हैं.
दक्षिण रेलवे के प्रवक्ता के मुताबिक़ ट्रेनें त्रिपुर से पहले केरल के इलाक़े से ही भरकर आ रही हैं. यानी इस समय सामान्य से ज़्यादा भीड़ हर जगह है.
उनका कहना है कि हाल ही में ऐसा एक वीडियो मीडिया में भी आया है, जिसमें बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेन में लोग रिज़र्वेशन क्लास के डब्बे में बिना रिज़र्वेशन के सफर कर रहे थे.
लंबी दूरी की ट्रेनों में ज़्यादातर रिज़र्व क्लास के डब्बे होते हैं और कई बार भीड़ होने पर कुछ लोग सामान्य टिकट लेकर भी आरक्षित डब्बों में घुस जाते हैं. (bbc.com/hindi)