सामान्य ज्ञान

साविनिया
05-Oct-2020 11:46 AM
साविनिया

साविनिया एक प्रकार का  पौधा है, जो इस समय   चर्चा में है। यह एक प्रकार की जलकुंभी है। दरअसल  बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हवा की परत वाली एक कृत्रिम सतह बनाने में सफल हुए हैं। इसकी प्रेरणा उन्हें जलकुंभी जैसे एक दक्षिण अमेरिकी पौधे से मिली है। वैज्ञानिक चाहते हैं कि इसकी मदद से वो जहाजों को तेज और किफायती बनाएं। इनका मानना है कि  पानी पर तैरते साविनिया का पौधा जहाजों के तल की तकनीक बदल सकता है। लाखों टन माल ढोने वाले जहाज अगर पानी पर बहुत ही कम घर्षण के साथ चलें तो इससे अथाह तेल बचेगा। सल्फर और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा।
 पानी में डूबने या भीगने के बावजूद साविनिया  का पौधा खुद पर पानी बिल्कुल नहीं टिकने देता। पत्ते के रोमों की जटिल रचना ऐसा करती है।   उसके ऊपर व्हिप जैसे बाल हैं। पत्ते के ऊपरी सतह की तरह उनका ऊपरी सतह भी मोम जैसा होता है, जिस पर पानी नहीं टिकता।   अंडा फेंटने वाले व्हिप जैसे तरलरोधी बाल पानी को दूर रखते हैं। उनके बीच हवा की एक परत बन जाती है। व्हिप का पानी को आकर्षित करने वाला उपरी हिस्सा इस सिस्टम को स्थिर रखता है और पानी को बांधकर रखता है। उसके नीचे की हवा की परत तूफान आने पर भी महीनों तक बनी रहती है। बॉन के रिसर्चर जानना चाहते हैं कि पानी पर तैरने वाले पौधों के पत्तों पर बाल की प्राकृतिक संरचना को तकनीकी सतह पर कैसे बनाया जा सकता है। इसके लिए उनके असली पत्तों को समझना होगा।
शोधकर्ताओं का प्रयास है कि  बड़े कंटेनर ढुलाई करने वाले जहाज के तल पर ऐसी बायोमैट्रिक या कहें सल्वीनिया प्रभाव वाली परत डाली जाए। इसका मतलब होगा कि कंटेनर जहाजों की यात्रा के दौरान भी हवा की परतें स्थिर रहेंगी। कृत्रिम बाल ठीक असली बालों जैसे नहीं दिखते, लेकिन वे भी हवा को रोक सकते हैं। भले ही फिलहाल उतनी देर नहीं।  एक कृत्रिम बाहरी सतह जो टैंकर या कंटेनर जहाजों को हवा के उपर फिसलने दे, इससे न केवल आर्थिक फायदा होगा बल्कि पर्यावरण को उससे लाभ पहुंचेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि  कंटेनर वाले जहाजों को इस तकनीक से लैस किया जाता है,  तो घर्षण में कम से कम 10 फीसदी से 30 फीसदी तक कमी संभव है। दुनिया भर में इस तरह से नौवहन में सालाना 60 अरब लीटर भारी तेल की बचत हो सकती है, और उससे जुड़े जहरीले गैसों के निकास में भी।
 


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