सामान्य ज्ञान

जिस तरह पश्चिमी देशों में क्यूपिड और यूनानी देशों में इरोस को प्रेम का प्रतीक माना जाता है, उसी तरह हिन्दू धर्म ग्रंथों में कामदेव को प्रेम और अकार्षण का देवता कहा जाता है। काम का अर्थ होता है कामेच्छा या फिर आकर्षण और देव का अर्थ उस शख्सियत से है, जिसका संबंध स्वर्ग लोक से हो।
अथर्ववेद में भी काम का जिक्र हुआ है लेकिन मात्र इच्छा के रूप में ना कि कामेच्छा के। पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने जाते हैं। उनका विवाह रति, जिन्हें प्रेम और आकर्षण की देवी कहा जाता है, से हुआ है। कामदेव को अर्धदेव या गन्धर्व भी कहा जाता है, जो स्वर्ग के वासियों में कामेच्छा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी हैं। कुछ कथाओं में यह भी उल्लेख है कि कामदेव स्वयं ब्रह्माजी के पुत्र हैं और इनका संबंध भगवान शिव से भी है। इनके स्वरूप की बात होती है तो कामदेव को सुनहरे पंखों से लैस एक सुंदर नवयुवक की तरह प्रदर्शित किया गया है, जिसके हाथ में धनुष और बाण हैं। उनका धनुष मिठास से भरे गन्ने का बना होता है और उस पर शहद की मक्खियों से। खूबसूरत तोते की सवारी करते कामदेव के धनुष के बाण अशोक के पेड़ के महकते फूलों के अलावा सफेद, नीले कमल, चमेली और आम के पेड़ पर लगने वाले फूलों से बने होते हैं। माना जाता है कि कामदेव के बाण ही नहीं उनका क्लीं मंत्र भी विपरीत लिंग के व्यक्ति को आकर्षित करता है।