ताजा खबर
सीएम ने दिया था निमंत्रण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 सितंबर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार को चंदखुरी पहुंचे, और कौशल्या माता मंदिर के दर्शन किए। इस मौके पर आरएसएस के कई पदाधिकारी भी थे।
सीएम भूपेश बघेल ने भागवत को कौशिल्या मंदिर के दर्शन का निमंत्रण दिया था। सरकार आने के बाद मंदिर का जीर्णाेद्धार किया गया। इसी कड़ी में भागवत आज चंदखुरी पहुंचे, और माता कौशल्या के दर्शन किए। उन्होंने मंदिर प्रांगण का भी अवलोकन किया। इस दौरान उनके साथ सह सरसंचालक दत्तात्रेय होसबोले भी थे।
उल्लेखनीय है कि आरएसएस के पदाधिकारी डॉ. मनमोहन वैद्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम के निमंत्रण की जानकारी होने से इंकार किया था। इसके बाद शहर जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे ने संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों को आरएसएस के कार्यक्रम स्थल जैनम भवन में जाकर विधिवत कौशल्या माता मंदिर के दर्शन का न्यौता दिया था।
बताया गया कि श्री भागवत, होसबोले के साथ करीब आधे घंटे चंदखुरी में रहे। वहां रहे। इसके बाद वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के दर्शन के लिए रवाना हुए।
उमर एजाज़ी, विजिटिंग रिसर्चर, यूनिवर्सिटी ऑफ़ विक्टोरिया
मेलबर्न, 13 सितंबर पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा अभी भी विनाशकारी बाढ़ के बाद जलमग्न है। देश के प्रशासन ने संकट के लिए जिम्मेदारी से इनकार किया है और समृद्ध राष्ट्रों को दोषी ठहराया है जो वैश्विक जलवायु आपदाओं के लिए जिम्मेदार वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का बड़ा हिस्सा पैदा करते हैं।
अमीर देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और मानवीय सहायता को जलवायु मुआवजे के रूप में फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन की औपनिवेशिक विरासत को भी मान्यता दी जानी चाहिए। हालाँकि, पाकिस्तानी खुद भी, बाढ़ के मद्देनजर अपने लोगों को बेआसरा छोड़ देने के लिए दोषी है।
कई अन्य देशों की तरह, पाकिस्तान के जनसंख्या केंद्र उसकी नदी प्रणालियों के आसपास स्थित हैं। अभी कुछ हफ्ते पहले, मैंने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में रहने वाले अली से बात की थी। उन्होंने बताया कि कैसे रिकॉर्ड महंगाई के बीच उनका परिवार अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। फिर, बाढ़ ने उनके गांव को तबाह कर दिया और वह इस समय एक विस्थापन शिविर में हैं। बारह साल पहले, अली के परिवार को इसी तरह एक शिविर में ले जाया गया था जहां मैं उनसे पहली बार मिला था।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने इस पैमाने की बाढ़ का अनुभव किया है। 2010 में भी, देश के कई हिस्से जलमग्न हो गए थे। मैंने बाढ़ के बाद आपदा बचाव में काम किया और तब से पूरे देश में प्रभावित समुदायों के साथ शोध किए।
2010 में आई बाढ़ से महत्वपूर्ण सबक सीखे गए। दुर्भाग्य से, अधिकारी राष्ट्रीय नीतियों को आकार देने के लिए उनका उपयोग करने में विफल रहे।
हाशिये पर पड़े इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित
देश के कुछ सबसे गरीब और राजनीतिक रूप से दमित क्षेत्रों में खास तौर से बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही हो रही है, जैसे कि बलूचिस्तान, जहां राज्य के उत्पीड़न के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह चल रहा है।
दक्षिणी पंजाब, एक और भारी प्रभावित क्षेत्र, असमान विकास और असमानता का शिकार है।
2010 में बाढ़ के बाद असुरक्षित भूमि अधिकारों को आपदा बचाव अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में चिह्नित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने काम में, मैंने तर्क दिया है कि सशक्तिकरण जलवायु कार्रवाई के केंद्र में होना चाहिए, जिसमें भूमि की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
तब से भूमि के अधिकार को मजबूत करने के लिए बहुत कम प्रगति हुई है। भूमि का अधिकार लोगों और उस भूमि के बीच के संबंध के बारे में है जहां वे रहते हैं और काम करते हैं। पाकिस्तान में, भूमि स्वामित्व राजनीतिक संरक्षण के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
अत्यधिक प्रभावित प्रांतों में कई किसान ऐसे हैं जो जमींदार अभिजात वर्ग के लिए काम करते हैं। इनमें से कई अभिजात वर्गों ने अंग्रेजों के समय औपनिवेशिक शासन का समर्थन किया और उन्हें बदले में भूमि और राजनीतिक शक्ति पर अपनी पकड़ मजबूत करने की सुविधा मिली।
ये किसान बटाई पर खेती करते हैं और फसल लगाने के अधिकार के बदले में जमींदारों को फसल में से हिस्सा या धन देते हैं। भूस्वामी भूमि में सुधार पर बहुत कम ध्यान देते हैं। किसान को बटाई पर दी जाने वाली भूमि पर किसानों को महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की अनुमति नहीं होती है।
हालांकि, जिनके पास भूमि का अधिकार है, वह देश में बाढ़ और भूकंप के बाद घर बनाने के लिए मिलने वाली पुनर्निर्माण सहायता का जमकर उपयोग करते हैं।
जलवायु कार्रवाई के लिए निवेश और सशक्तिकरण की आवश्यकता है
संघीय और प्रांतीय स्तरों पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण होने के बावजूद, आपदा तैयारी और शमन को प्राथमिकता नहीं दी गई है। देश की राष्ट्रीय जलवायु नीति पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपदा को झेल पाने वाले बुनियादी ढांचे और निकासी योजनाओं की आवश्यकता तो बताती है, लेकिन इन सिफारिशों को अभी लागू किया जाना बाकी है।
बाढ़ के विनाशकारी प्रभावों को वर्षों के खराब शासन ने और बढ़ा दिया है। बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में विकास का अभाव एक पुरानी समस्या है। और ज़ोनिंग या स्थानांतरण नीतियों की अनुपस्थिति के कारण, समुदाय जलवायु परिवर्तन की आपदाओं की आशंका के बावजूद खतरनाक रूप से जलमार्गों के करीब सीमांत क्षेत्रों में निवास करना जारी रखते हैं। जहां कानून मौजूद हैं, वहां प्रवर्तन मुश्किल हो गया है।
बाढ़ से बचाव की कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्रणालियां औपनिवेशिक युग की परियोजनाएं हैं, जिनमें से कई जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं।
क्षतिपूर्ति और जवाबदेही
पाकिस्तान वैश्विक उत्सर्जन में एक प्रतिशत से भी कम का योगदान देता है लेकिन जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष 10 देशों में शामिल है। पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री का कहना है कि धनी देशों को जलवायु आपदा का सामना करने वाले देशों को मुआवजा देना चाहिए।
पिछले साल ग्लासगो में सीओपी26 शिखर सम्मेलन में जलवायु मुआवजा एक विवादास्पद मुद्दा था। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने जलवायु मुआवजे का विरोध किया।
हालांकि वैश्विक स्तर पर जलवायु मुआवजा मिलने से पाकिस्तान को मौजूदा संकट से उबरने में मदद मिल सकती है, लेकिन देश को अगली जलवायु तबाही से निपटने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। इसके लिए जलवायु आपदा को झेल पाने वाले बुनियादी ढांचे और गरीबी में कमी के लिए पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है।
पाकिस्तान विदेशों से लिए भारी कर्ज को उतारने पर अरबों डॉलर खर्च करता है। इसने अकेले इस वर्ष भुगतान पर 15 अरब अमरीकी डालर का भुगतान किया। यह उसके कुल कर राजस्व का 80 फीसदी से अधिक है।
पाकिस्तान में हक-ए-खल्क पार्टी के सदस्य अम्मार अली जान का तर्क है कि ऋणग्रस्तता और जलवायु तबाही के दोहरे संकट का मतलब है कि हमें जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी नीति को बदलने की जरूरत है। जमीनी स्तर पर सामूहिक लक्ष्य देश के नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिकारों के लिए पाकिस्तानी सरकार को जवाबदेह ठहराना है।
जलवायु सुधार के रूप में ऋण रद्द करने की मांग बढ़ रही है। 2010 में आई बाढ़ के बाद भी इसी तरह के आइ्वान किए गए थे।
युद्ध और संघर्ष के बाद जवाबदेही तय करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संक्रमणकालीन नियमों को आपदाओं के संदर्भ में भी लागू किया जाना चाहिए।
औपनिवेशिक शोषण के लंबे इतिहास के कारण जलवायु मुआवजा पाकिस्तान के लिए मायने रखता है।
यह आश्चर्य की बात नहीं होगी कि यदि इस तरह के तंत्र को लागू किया जाता है तो राष्ट्रीय प्राधिकरण, मानवतावादी और उच्च कार्बन उत्सर्जक सभी पाकिस्तान में बाढ़ के लिए जिम्मेदार लोगों की सूची में होंगे।
अपने लोगों को नीचा दिखाने के पाकिस्तान के आंतरिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर ही जलवायु मुआवजे पर बातचीत को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। इन दो पहलुओं को अलग नहीं किया जा सकता है, लेकिन इन्हें न्याय और जवाबदेही के चश्मे से एक साथ देखा जाना चाहिए।
जो जानें चली गईं और जो नुकसान हो गया उसे तो दोबारा कभी वापस नहीं लाया जा सकेगा, लेकिन पुनर्निर्माण प्रयासों में जवाबदेही और सशक्तिकरण पर ध्यान देना सही रास्ते पर पेशकदमी होगी। (द कन्वरसेशन)
भोपाल, 13 सितंबर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नर्सरी में पढ़ने वाली साढ़े तीन साल की एक छात्रा के साथ उसकी स्कूल बस के चालक द्वारा वाहन के अंदर कथित तौर पर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। एक पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मामले में पुलिस ने बस चालक और एक महिला अटेंडेंट को गिरफ्तार किया है, जो बच्ची के माता-पिता के अनुसार पिछले बृहस्पतिवार को हुई इस घटना के समय वाहन के अंदर मौजूद थी। घटना के वक्त शहर के एक प्रमुख निजी स्कूल में पढ़ने वाली यह बच्ची बस से घर लौट रही थी।
इसी बीच, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मामले को कथित रूप से छिपाने के लिए स्कूल प्रबंधन की भूमिका की भी जांच की जाएगी, जबकि कांग्रेस ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का जिक्र करते हुए मिश्रा के इस्तीफे की मांग की है।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, जब बच्ची घर आई तो उसकी मां ने पाया कि किसी ने उसके कपड़े बदलकर उसके बस्ते में रखी दूसरी यूनिफॉर्म पहना दी थी।
उन्होंने कहा कि इसके बाद मां ने अपनी बेटी की क्लास टीचर और स्कूल के प्राचार्य से इस संबंध में बात की, लेकिन दोनों ने बच्ची के कपड़े बदलने से इनकार कर दिया।
अधिकारी के अनुसार, बाद में बच्ची ने अपने गुप्तांग में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उसके माता-पिता ने उसे विश्वास में लिया और उसकी काउंसलिंग की। इस दौरान बच्ची ने उन्हें बताया किया कि बस चालक ने उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया और उसके कपड़े भी बदले।
अधिकारी के मुताबिक, बच्ची के अभिभावक अगले दिन प्रबंधन से शिकायत करने स्कूल गए। इस दौरान बच्ची ने यौन दुर्व्यवहार करने वाले चालक की पहचान की।
सहायक पुलिस आयुक्त निधि सक्सेना ने बताया कि लड़की के माता-पिता ने सोमवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई।
उन्होंने कहा कि बच्ची के माता-पिता की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार घटना के समय बस के अंदर एक महिला अटेंडेंट भी मौजूद थी।
सक्सेना के मुताबिक, आरोपी बस चालक और महिला अटेंडेंट को गिरफ्तार कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376-एबी (12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सक्सेना के अनुसार, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घटना कहां हुई। उन्होंने बताया कि पीड़िता की चिकित्सकीय जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
इस मामले में प्रतिक्रिया जानने के लिए स्कूल के प्राचार्य से संपर्क नहीं हो सका।
नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा, ‘‘भोपाल के बिलाबॉन्ग स्कूल से जुड़ी घटना में दोनों आरोपियों हनुमंत और उर्मिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। जहां तक स्कूल प्रबंधन का मामला है, मैं भी मानता हूं कि उन्होंने मामले में लीपापोती करने की कोशिश की। इसलिए उन्हें भी जांच और पूछताछ में शामिल किया जाएगा।’’
मिश्रा ने कहा, ‘‘पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और दोषी पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन पर भी कार्रवाई की जाएगी।’’
वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी केके मिश्रा ने राज्य के गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है और भाजपा के कुशासन के कारण ऐसी घटनाएं हुई हैं।
केके मिश्रा ने ट्वीट किया, ‘‘शर्म बची हो तो शर्म करो सरकार? राजधानी में स्कूल बस में तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म। अब तो निर्लज्जता भी अपनी हदें पार कर रही है। शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री) जी, आप तो ‘मामा’ हैं! कौन से? गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा जी, इस्तीफा दें। कुशासन, पाप, अपराध चरमोत्कर्ष पर।’’
शिवराज राज्य में ‘मामा’ के नाम से लोकप्रिय हैं। (भाषा)
अमेठी, 13 सितंबर | उत्तर प्रदेश के अमेठी में जिला प्रशासन ने चारागाह की जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए मदरसे को ध्वस्त कर दिया। गौरीगंज क्षेत्र में टांडा-बांदा राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे गुर्जर टोला गांव में मदरसे को पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी की मौजूदगी में ध्वस्त कर दिया गया।
यह मदरसा 2009 से चल रहा था। इसको लेकर एक स्थानीय अदालत में मामला चल रहा है। लेकिन पिछले दो साल से भवन में कोई शैक्षणिक कार्य नहीं हो रहा था।
अमेठी के जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार मिश्रा ने कहा, अदालत के आदेश के बाद, मदरसे को ध्वस्त कर दिया गया। यह एक चरागाह के लिए जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया था।
अमेठी प्रशासन ने मदरसे के मालिक पर 2.24 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम, वहां उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं और किसी भी गैर-सरकारी संगठनों से उनकी संबद्धता के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक सर्वे (अभी चल रहा है) का आदेश दिया है।
वह इन मदरसों के वित्तीय स्रोतों की भी जांच कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 सितंबर | भारत के तीन सबसे बड़े उद्यम- कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी और भारतीय रेलवे स्वच्छ ऊर्जा बाजार में हिस्सेदारी हासिल करते हुए देश को उसके जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आईआईएसडी) की एक नई रिपोर्ट मंगलवार को आई, जिसमें यह बात कही गई है। कहा गया है कि भारत 2050 तक अनुमानित 22-28 प्रतिशत नकदी प्रवाह अंतर को कम करेगा, क्योंकि भारत नेट-शून्य की ओर बढ़ रहा है।
'भारत सरकार के स्वामित्व वाले ऊर्जा उद्यम, 2020-2050 : साक्ष्य आधारित विविधीकरण रणनीतियों की पहचान' विषय पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ऊर्जा व्यवसाय अपनी भविष्य की अनिश्चितताओं की पहचान कैसे कर सकते हैं, साथ ही बदलती ऊर्जा व्यवस्था में अवसरों की पहचान भी कर सकते हैं।
आईआईएसडी के नीति सलाहकार और रिपोर्ट के सह-लेखक बालासुब्रमण्यम विश्वनाथन ने कहा, "सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य का हिस्सा हो सकती हैं।"
"हमारा साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण मार्ग दिखाता है कि यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है।"
अध्ययन में पाया गया है कि 2020 और 2050 के बीच नेट-जीरो-अलाइंड पाथवे के तहत सीआईएल और भारतीय रेलवे को नकदी प्रवाह में क्रमश: 415 अरब रुपये (28 प्रतिशत) और 2,112 अरब रुपये (22 प्रतिशत) की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जबकि एनटीपीसी का नकदी प्रवाह सामान्य कारोबार की तुलना में 404 अरब रुपये (22 प्रतिशत) कम हो सकता है।
रिपोर्ट के लेखकों का तर्क है कि अगले कुछ वर्षो में अपने व्यवसायों में विविधता लाने के लिए कुछ ठोस उपाय किए जाने से इन फर्मो और भारत में इसी तरह के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को भविष्य की अनिश्चितता को कम करने और राजस्व अंतराल से बचने की अनुमति मिल सकती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 सितंबर। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के अहमदाबाद में बीजेपी की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी डर के मारे अपने विरोधियों को झूठे मामलों में फंसा रही है और उन्हें छापेमारी की धमकी देती है.
केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी तो राज्य को भ्रष्टाचार और भयमुक्त सरकार देंगे.
अहमदाबाद में केजरीवाल ने क्या-क्या कहा-
हमारा सीएम, हमारा कोई मंत्री, हमारा या किसी और पार्टी का विधायक सांसद हो, किसी को भ्रष्टाचार नहीं करने देंगे.
अगर कोई भ्रष्टाचार करेगा तो सीधा जेल जाएगा, बख्शेंगे नहीं, सीधे जेल भेजेंगे. चाहे वो हमारी पार्टी से हों या दूसरी पार्टी के.
सरकार का एक-एक पैसा जनता के ऊपर खर्च किया जाएगा. जनता के पैसों की चोरी बंद की होगी. गुजरात का कोई पैसा स्विस बैंकों और अरबपतियों के खातों में नहीं जाएगा.
आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद हर व्यक्ति का हर काम बिना रिश्वत दिए होगा. ऐसी व्यवस्था करेंगे कि आपको दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.
दिल्ली में सरकारी काम कराने के लिए किसी को पैसे नहीं देने पड़ते. डोर स्टेप डिलीवरी सर्विस चलती है. सरकारी ऑफिस से एक आदमी आप के घर आकर आपका काम करके जाता है. जो दिल्ली में किया वही गुजरात में लागू करेंगे.
नेताओं मंत्रियों के जो काले धंधे चल रहे हैं गुजरात में वो सारे काले धंधे बंद किए जाएंगे.
गुजरात में बिक रही जहरीली शराब और ड्रग्स की तस्करी बंद होगी.
पेपर लीक होने का सिलसिला बंद करेंगे. बीते 10 साल में जितने पेपर लीक हुए हैं, उनके जितने मास्टरमाइंड सरकार में और बाहर बैठे हैं उन्हें पकड़कर जेल में डालेंगे, किसी को छोड़ेंगे नहीं.
गुजरात में जितने घोटाले पिछली सरकार में हुए हैं उसका सारा पैसा उनसे वसूला जाएगा. घोटालों की जांच की जाएगी.
अरविंद केजरीवाल ने कहा, ''किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है. दो महीने बाद चुनाव होंगे, जिसमें भाजपा सरकार जा रही और आम आदमी पार्टी सत्ता में आ रही है. (bbc.com/hindi)
-विभुराज
"द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएँ. ओम शांति."
"श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज की अपूरणीय क्षति है. प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान व शोकाकुल हिंदू समाज को यह दुःख सहने की शक्ति दें. ॐ शांति."
इन दोनों शोक संदेशों में पहली श्रद्धांजलि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है और दूसरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की.
द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के लिए लिखे गए इन शोक संदेशों से उनकी क़द और अहमियत का भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले में उनके ही आश्रम में 99 वर्ष की अवस्था में रविवार को उनका निधन हो गया था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को भू-समाधि दी गई.
पिछले एक साल से ज़्यादा समय से उनकी सेहत ठीक नहीं चल रही थी. स्वरूपानंद सरस्वती के अनुयायियों ने हाल ही में उनका 99वाँ जन्मदिन मनाया था.
- कौन थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती?
- द्वारका, शारदा और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे
- मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के दिघोरी गाँव में जन्मे
- 1950 में दंडी संन्यासी बने
- 1981 में शंकराचार्य बने
- स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया, बनारस और मध्य प्रदेश की जेलों में रहे बंद
- मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में 99 वर्ष की आयु में 11 सितंबर, 2022 को देहांत
मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के दिघोरी गाँव में एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती का शुरुआती नाम पोथीराम उपाध्याय था.
कहा जाता है कि उन्होंने ईश्वर की तलाश में नौ साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था. उन्होंने बनारस में संस्कृत पढ़ी और आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा भी लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आज़ादी की लड़ाई के दौरान वे जेल भी गए थे.
ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य रहे स्वरूपानंद सरस्वती ने 50 के दशक में संन्यास ले लिया था. साल 1981 में वे शंकराचार्य बन गए.
वे हिंदू धर्म के दूसरे शंकराचार्यों की तुलना में राजनीतिक रूप से कहीं अधिक जागरूक माने जाते थे.
जाति व्यवस्था पर उन्हें यक़ीन था और किसी को अछूत कहे जाने से उन्हें कोई गुरेज नहीं था. यहाँ तक कि वे विधवा विवाह के भी ख़िलाफ़ थे.
साल 2016 में जब बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान पहली बार दलितों के लिए अलग से समरसता स्नान का कार्यक्रम रखा, तो स्वरूपानंद सरस्वती ने इसे नौटंकी क़रार दिया था.
लेकिन झारखंड के सिंहभूम ज़िले स्थित अपने आश्रम में आदिवासी ईसाइयों को वापस हिंदू धर्म में धर्मांतरण कराने से स्वरूपानंद सरस्वती के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी सामने आता है.
वे राम मंदिर निर्माण से राजनेताओं को दूर रखना चाहते थे लेकिन राजनीति और धर्म के घालमेल के कभी ख़िलाफ़ भी नहीं रहे.
वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन कहते हैं कि वे कांग्रेस के क़रीबी थे और पंडित नेहरू से लेकर कांग्रेस के कई प्रधानमंत्री आशीर्वाद लेने उनके पास आया करते थे.
आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने की वजह से कुछ लोग उन्हें 'क्रांतिकारी साधु' कहते थे, तो उनके विरोधियों में एक तबका 'सरकारी साधु' भी कहता था. और इसकी वजह थी राम मंदिर आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी से उनकी नज़दीकी. उस दौर में वे देश के सबसे प्रभावशाली धार्मिक शख़्सियतों में गिने जाने थे.
अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी ने नरसिंहपुर ज़िले के झोतेश्वर गाँव में उनके द्वारा बनवाए गए शिव मंदिर का उद्घाटन किया था. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में जब इंदिरा गांधी को जाने से रोका गया, तो इंदिरा गांधी ने उनके पास अपने राजनीतिक सचिव को भेजा था.
कहा जाता है कि 1985 में राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने से पहले उनकी सलाह भी ली थी. लेकिन एक दौर वो भी था, जब पचास के दशक में उन्होंने ग़ैर कांग्रेसवाद का झंडा थामा था. गोवध पर प्रतिबंध की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलनों के सिलसिले में उन्हें 1954 से 1970 के बीच तीन बार जेल भेजा गया.
साल 2017 में जब कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने केरल में बीफ़ पार्टी की, तो स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राहुल गांधी को फ़ोन करके इसे लेकर अपनी नाराज़गी जताई थी.
विश्व हिंदू परिषद और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दोनों ही अयोध्या मुद्दे पर राम मंदिर निर्माण के पक्ष में थे, लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच गहरे मतभेद भी थे.
वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन कहते हैं, "स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे थे. इस वजह से विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जो कट्टरपंथी लाइन थी, वे कभी उससे सहमत नहीं रहे. वे राम मंदिर आंदोलन में विहिप और आरएसएस की भूमिका को विशुद्ध रूप से राजनीतिक मानते थे. उनका कहना था कि ये वोट बटोरने का माध्यम नहीं होना चाहिए."
स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा बनाए जाने का विरोध किया था.
वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन कहते हैं, "इसलिए बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने उन्हें कांग्रेसी पिट्ठू कहना शुरू कर दिया था. विहिप और आरएसएस जिस तरह से बाक़ी शंकराचार्यों को सम्मान दिया करता था, वैसा सम्मान इन्हें कभी नहीं दिया."
बीबीसी के पत्रकार सौतिक बिस्वास ने जब इंडिया टुडे मैगज़ीन के लिए उनसे जुलाई, 1993 में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद के दावे को लेकर सवाल पूछा था तो उनका जवाब था, "विहिप के लिए राम मंदिर केवल सत्ता हासिल करने का ज़रिया है, लेकिन हमारे लिए ये लक्ष्य है."
स्वरूपानंद सरस्वती और बीजेपी की किसी बात पर बनी हो, इसकी नज़ीर शायद ही मिलती है.
जब बीजेपी ने वाराणसी में 'हर हर मोदी' का नारा दिया, तो इसका विरोध करने वालों में स्वरूपानंद सरस्वती भी थे.
मई, 2015 में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के पीएम मोदी के दावे के बावजूद देश में रिश्वतखोरी उफान पर है. ऐसा समाज के नैतिक मूल्यों में गिरावट की वजह से हो रहा है.
साल 2018 में बीजेपी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने हाल के सालों में हिंदू धर्म के आदर्शों को सबसे बड़ा नुक़सान पहुँचाया है.
उन्होंने ये भी कहा कि ये आश्चर्यजनक है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत हिंदुत्व के बारे में कुछ नहीं जानते हैं.
कुछ बीजेपी नेताओं के कथित रूप से बीफ कारोबार से जुड़े होने को लेकर भी वे तल्ख रहे थे. उन्होंने कहा था कि बीजेपी नेता बीफ़ के सबसे बड़े निर्यातक हैं और ये वही दोहरे चेहरे वाली बीजेपी है, जो गोहत्या का विरोधी होने का दिखावा करती है.
ज्योतिर्मठ पीठ को लेकर विवाद
1960 के दशक में शुरू हुए बद्रीनाथ के ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य पद पर दावे की लड़ाई स्वामी वासुदेवानंद निचली अदालत में हारने के बाद साल 1989 में इलाहाबाद हाई कोर्ट लेकर गए.
उत्तराखंड राज्य के गठन हो जाने के बाद भी इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही होती रही.
इस मामले में दिलचस्प बात ये थी कि जहाँ एक ओर स्वामी स्वरूपानंद को कांग्रेस का समर्थन हासिल था, तो दूसरी तरफ़ स्वामी वासुदेवानंद को विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी का समर्थन हासिल था.
57 साल तक चली इस अदालती लड़ाई का अंत सितंबर, 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले के साथ हुआ. हालांकि ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य पद पर उनके दावे को लेकर विवाद हमेशा बना रहा.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद पर उनको समाधि देने से पहले ही सोमवार को उत्तराधिकारियों का चयन कर लिया गया.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख बनाया गया है. इनके नामों की घोषणा शंकराचार्य के पार्थिव शरीर के सामने ही की गई. (bbc.com/hindi)
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर हमला करते हुए कहा था कि उन्होंने कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को प्रणाम तक नहीं किया.
राहुल गांधी ने पिछले हफ़्ते तमिलनाडु के कन्याकुमारी से ही भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी. 2024 के अगले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के इस जनसंपर्क अभियान को काफ़ी अहम माना जा रहा है.
यह यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों से होकर गुज़रेगी और कुल 3,700 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. 150 दिनों में यह यात्रा पूरी करने की योजना है.
स्मृति इरानी ने दावा किया कि राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत के दौरान स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को प्रणाम नहीं किया, मगर बाद में पाया गया कि उनका ये दावा ग़लत था.
राहुल गांधी ने स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देने के बाद ही यात्रा की शुरुआत की थी. स्मृति इरानी के दावे का वीडियो फुटेज, और राहुल गांधी की ओर से स्वामी विवेकानंद को कन्याकुमारी में श्रद्धांजलि देने का वीडियो एक साथ सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा.
कांग्रेस ने स्मृति इरानी को आड़े हाथों लिया और कहा कि लोग बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं.
पूरे विवाद पर कोलकाता के प्रकाशित होने वाला अंग्रेज़ी दैनिक टेलिग्राफ़ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट में स्मृति इरान पर कांग्रेस के पलटवार का ज़िक्र है.
स्मृति इरानी ने कहा था, ''मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती हूँ. आप कहते हैं कि भारत को जोड़ने की यात्रा कर रहे हैं. अरे अगर कन्याकुमारी से चले तो कम से कम इतनी निर्लज्जता तो नहीं दिखाते. स्वामी विवेकानंद को प्रणाम करके तो बताते. लेकिन राहुल गांधी को यह भी स्वीकार्य नहीं है क्योंकि स्वामी विवेकानंद जी राष्ट्र संत हैं, नामी खानदान के सदस्य नहीं.''
स्मृति इरानी ने यह बात कर्नाटक में बीजेपी की सरकार के तीन साल पूरे होने के मौक़े पर पार्टी के एक कार्यक्रम में कही थी.
कांग्रेस पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने स्मृति इरानी के आड़े हाथों लेते हुए कहा, ''सात सितंबर शाम में तीन बजे राहुल गांधी जी कहाँ थे? हमने इसे दिखाया है. राहुल गांधी किसके स्मारक में थे? स्मृति इरानी को अगर नया चश्मा चाहिए तो मैं वो देने के लिए तैयार हूँ.''
जयराम रमेश ने कहा, ''बीजेपी झूठ की फैक्ट्री चला रही है. बीजेपी के लोग यात्रा के बारे में झूठ फैला रहे हैं. यात्रा को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से ये लोग डरे हुए हैं. कुछ मंत्रियों से हम झूठ के अलावा उम्मीद भी नहीं कर सकते. हम इतने निचले स्तर पर जाकर टी-शर्ट, जूते, मोजे और अंडरवियर पर बहस नहीं कर सकते.''
जयराम रमेश ने कहा, ''वह घोटाले में बुरी तरह से फँसी हुई हैं. सारे तथ्य सामने आए हैं. हमारे प्रधानमंत्री की तरह किसी को सच बोलने की आदत नहीं है. प्रधानमंत्री की बीमारी कैबिनेट सहयोगियों में भी फैल गई है.''
भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर स्मृति इरानी को निशाने पर लिया. दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है, ''स्मृति इरानी आप इतना झूठ बोलेंगी मुझे उम्मीद नहीं थी. संघियों की संगत में आप भी बदल गईं. माफ़ी माँगो. मैं स्वयं उस समय कन्याकुमारी में था.''
बीजेपी ने स्मृति इरानी के दावे पर अब तक चुप्पी साध रखी है. स्मृति इरानी उत्तर प्रदेश के अमेठी से सांसद हैं. उन्होंने 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी से हराया था. (bbc.com/hindi)
आठ बार अंतरिक्ष में जा चुका ब्लू ऑरिजिन कंपनी का रॉकेट न्यू शेपहर्ड सोमवार को उड़ान भरते ही आग की लपटों में घिर गया. उसमें कोई इंसान सवार नहीं था.
दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति और एमेजॉन के मालिक उद्योगपति जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ऑरिजिन का एक रॉकेट उड़ान भरने के साथ ही आग की लपटों में घिरकर भस्म हो गया. सोमवार को इस रॉकेट ने उड़ान भरी लेकिन उड़ान के कुछ ही देर बाद उसमें आग लग गई.
इस रॉकेट में कोई व्यक्ति नहीं था और सिर्फ सामान भेजा जा रहा था. आग लगते ही रॉकेट ने सामान से भरे कैपस्यूल को अपने से अलग कर दिया और टेक्सस के रेगिस्तान में जाकर गिर गया. इस उड़ान का वीडिया प्रसारण हो रहा था और सोशल मीडिया पर पूरी घटना के वीडियो मौजूद हैं.
23वां मिशन था
रॉकेट ने सोमवार सुबह ब्लू ऑरिजिन की वेस्ट टेक्सस लॉन्च साइट से उड़ान भरी थी. यह कंपनी का 23वां न्यू शेपहर्ड मिशन था जिसमें नासा द्वारा प्रायोजित प्रयोगों के लिए सामान भेजा गया था. ये चीजें कुछ मिनटों के लिए ही माइक्रोग्रैविटी में तैरती रहनी थीं.
लेकिन उड़ान भरने के मुश्किल से एक मिनट बाद, जमीन से लगभग आठ किलोमीटर की ऊंचाई पर न्यू शेपहर्ड के बूस्टर इंजन से लपटें निकलने लगीं. इसके साथ ही सामान से भरा कैपस्युल रॉकेट से अलग हो गया और उसका पैराशूट खुल गया, जिसने उसे सुरक्षित जमीन पर उतार दिया. लेकिन तब तक रॉकेट भस्म हो चुका था. जला हुआ रॉकेट अमेरिकी संघीय एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा तय किए गए इलाके में ही गिरा.
इस अभियान की विफलता के बाद अब ब्लू ऑरिजिन के न्यू शेपहर्ड बेड़े को तब तक उड़ान भरने से रोक दिया गया है जब तक कि एफएए सुरक्षा जांच नहीं करता. इस हादसे के कारणों की जांच के बाद ही अन्य उड़ानों को इजाजत दी जाएगी. सोमवार को जिस रॉकेट में आग लगी वह आठ बार उड़ान भर चुका था.
अंतरिक्ष पर्यटन पर सवाल
ब्लू ऑरिजिन ने एक ट्वीट कर बताया, "आज की उड़ान के दौरान कैपस्युल के एस्केप सिस्टम ने सफलता पूर्वक कैपस्युल को बूस्टर से अलग कर दिया. बूस्टर जमीन पर गिरा. किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं है."
इस अभियान का नाम एनएस-23 था जो पिछले एक साल में पहला मानव रहित अभियान था. 2022 में यह कंपनी का चौथा अभियान था. ब्लू ऑरिजन के पृथ्वी की कक्षा में पर्यटन की योजना के तहत यह रॉकेट 31 लोगों को अंतरिक्ष में ले जा चुका है. इस यात्रा के तहत पर्यटकों को पृथ्वी से लगभग 100 किलोमीटर ऊपरकक्षा में ले जाया जाता है. वहां ये लोग कुछ मिनट तक माइक्रोग्रैविटी में रहते हैं और उसके बाद रॉकेट वापस धरती पर लौट आता है.
अरबपति व्यापारी जेफ बेजोस ने ब्लू ऑरिजिन की स्थापना साल 2000 में की थी. वह 2021 में इस कंपनी द्वारा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले पर्यटक बने थे जब न्यू शेपहर्ड रॉकेट उन्हें और उनके कुछ साथियों को लेकर पृथ्वी की कक्षा में गया था.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)
भारत ने चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगाई हैं जिसका असर पूरी दुनिया में पड़ रहा है. चार दिन में ही दाम पांच फीसदी तक बढ़ गए. एशिया में व्यापार ठप्प पड़ गया है.
भारत ने पिछले हफ्ते चावल के निर्यात पर जो पाबंदियां लगाई थीं, उनके कारण एशिया में व्यापार लगभग ठप्प पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं. नतीजतन खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं. लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने मौके को भुनाने के कारण दाम बढ़ा दिए हैं.
दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था. साथ ही कई अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत कर लगा दिया गया. औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है.
भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. पहले से खाने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि झेल रही दुनिया के लिए यह एक बड़ी समस्या हो सकती है. यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए है.
गेहूं के बाद चावल की बारी
यूक्रेन युद्ध के बाद से ही अनाजों की मांग और आपूर्ति में असंतुलन बना हुआ है. पहले गेहूं और चीनी को लेकर समस्या थी और दोनों चीजों की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी. हाल ही में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोग लगा दी थी और चीनी के निर्यात को भी नियंत्रित कर दिया था.
अब यही स्थिति चावल के साथ हो रही है. भारत के फैसले के बाद से एशिया में चावल के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. जानकारों का कहना है कि अभी कीमतों में और ज्यादा वृद्धि होगी.
भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के निदेशक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं, "पूरे एशिया में चावल का व्यापार ठप्प पड़ गया है. व्यापारी जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करना चाहते. पूरी दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है. इसलिए कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि आने वाले समय में दाम कितने बढ़ेंगे."
चावल दुनिया के तीन अरब लोगों का मुख्य भोजन है. 2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे.
2021 में भारत का चावल निर्यात रिकॉर्ड 2.15 करोड़ टन पर पहुंच गया था जो दुनिया के बाकी चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा है. भारत को सबसे बड़ा फायदा उसकी कीमत से ही होता है क्योंकि वह सबसे सस्ता सप्लायर है.
बंदरगाहों पर लदाई बंद
भारत सरकार के फैसले के बाद देश के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों में चावल की भराई का काम बंद हो गया है और करीब दस लाख टन चावल वहां पड़ा हुआ है क्योंकि खरीददार सरकार द्वारा लगाई गए नए 20 प्रतिशत कर को देने से इनकार कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस चावल के दाम पर समझौते बहुत पहले हो चुके हैं और सरकार ने जो नया कर लगाया है वह पहले से तय नहीं था.
अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है. वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है.
अग्रवाल ने कहा, "खरीददार पहले से तय कीमत पर 20 प्रतिशत ज्यादा नहीं दे सकते और विक्रेता भी 20 प्रतिशत कर वहन नहीं कर सकते. सरकार को पहले से हो चुके समझौतों को राहत देनी चाहिए.”
वैसे, कुछ खरीदार बढ़ा हुआ कर देने को तैयार भी हो गए हैं. चावल निर्यातक ओलाम के उपाध्यक्ष नितिन गुप्ता कहते हैं कि अभी शिपिंग कंपनियां पुराने माल की लदाई में उलझी हैं इसलिए नए समझौतों नहीं हो पा रहे हैं.
दूसरे देशों का फायदा
इसका फायदा भारत के प्रतिद्वन्द्वी देश थाईलैंड, वियतनाम और म्यांमार के व्यापारी उठा रहे हैं क्योंकि चावल की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए खरीददार इन देशों की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने टूटे चावल के दाम पांच फीसदी तक बढ़ा दिए हैं. डीलरों का कहना है कि पिछले चार दिन में, यानी भारत के निर्यात पर रोक के फैसले के बाद से कीमतों में 20 डॉलर यानी लगभग डेढ़ हजार रुपये प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है.
वैसे, एक तथ्य यह भी है कि इन देशों के सप्लायर भी बढ़े दामों के बावजूद अभी समझौते कर लेने को उत्सुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद है. हो ची मिन्ह सिटी के एक व्यापारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले हफ्तों में कीमतें और बढ़ेंगी."
चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और अफ्रीकी देश जैसे कि सेनेगल, बेनिन, नाइजीरिया और घाना सामान्य किस्म के चावल के सबसे बड़े आयातक हैं. ईरान, इराक और सऊदी अरब महंगे बासमती चावल का आयात करते हैं. भारत ने टूटे चावल पर रोक लगाई है जबकि 20 फीसदी कर जिन किस्मों पर लगाया है उनमें बासमती शामिल नहीं है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
परमाणु कचरे को लेकर जर्मनी और स्विट्जरलैंड में विवाद भड़क सकता है. स्विट्जरलैंड, जर्मन बॉर्डर के पास परमाणु कचरे का भूमिगत भंडार बनाना चाहता है. जर्मनी उससे ऐसा न करने की अपील कर रहा है.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने स्विट्जरलैंड से बॉर्डर के पास परमाणु कचरे को नहीं दफनाने की अपील की है. बर्लिन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सीमा के पास परमाणु कचरा दफनाने से जर्मनी के लोगों पर भी भारी बोझ पड़ेगा. राजधानी बर्लिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शॉल्त्स ने कहा, "स्विस सरकार में जिम्मेदार लोगों के साथ सामान्य चैनल के जरिए" बातचीत की जाएगी.
स्विट्जरलैंड ने शनिवार को एलान किया कि देश के उत्तर में रेडियोएक्टिव कचरे को दफन करने के लिए जगह का चुनाव कर लिया गया है. नॉएर्डलिष लेगर्न नाम की यह जगह जर्मन सीमा से बहुत दूर नहीं है. स्विस अधिकारी वहां जमीन में बेहद गहराई में जियोलॉजिकल स्टोरेज बनाना चाहते हैं.
जर्मनी परमाणु कचरे पर संवेदनशील
इस बात की पूरी संभावना है कि इस बारे में अंतिम निर्णय 2029 से पहले नहीं लिया जाएगा. लेकिन शीत युद्ध के कड़वे अनुभवों की वजह से परमाणु कचरा जर्मनी के लिए बेहद संवेदनशील मसला है. शीत युद्ध के दौरान जर्मनी में भारी संख्या में अमेरिकी हथियार और परमाणु बम रखे गए थे. चेरनोबिल और फुकुशिमा हादसे की यादें आज भी लोगों को डराती हैं.
इन चिंताओं को दूर करने के लिए जर्मन सरकार ने स्विस सरकार को मुआवजा देने की पेशकश भी की है. जर्मन सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक न्यूक्लियर वेस्ट फैसिलिटी को कहीं और ले जाने के बदले मुआवजे पर बातचीत हुई है. मुआवजे को स्थानीय इलाके के विकास में खर्च किए जाने की पेशकश की गई.
स्विट्जरलैंड ने करीब 50 साल की रिसर्च के बाद परमाणुधर्मी कचरे को दफनाने के लिए यह जगह खोजी है. जर्मनी की तरह स्विट्जरलैंड भी परमाणु ऊर्जा से किनारा करना चाहता है. फिलहाल स्विट्जरलैंड के पास 4 परमाणु बिजलीघर हैं. देश की करीब 40 फीसदी बिजली इन्हीं रिएक्टरों से आती हैं, लेकिन परमाणु बिजलीघर खतरनाक रेडियोएक्टिव कचरा भी पैदा करते हैं.
स्विस परमाणु भंडार में जर्मनी का कचरा नहीं
स्विस अधिकारियों का कहना है कि नॉएर्डलिष लेगर्न, जमीन की गहराई में परमाणु कचरे को दफन करने की सबसे मुफीद जगह है. फिलहाल स्विट्जरलैंड का परमाणु कचरा वुरेलिंगेन में दफनाया जाता है, यह जगह भी जर्मन सीमा से 15 किलोमीटर ही दूर है.
जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि स्विट्जरलैंड की नई साइट पर अपना परमाणु कचरा दफनाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं हैं. पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "जर्मनी ने अपने परमाणु कचरे के निस्तारण के लिए अपना ठिकाना बनाने का फैसला किया है, इसे यूरोपीय साझेदारों के साथ साझा नहीं किया जाएगा. हम अपने कचरे के लिए खुद जिम्मेदार हैं."
ओएसजे/एमजे (डीपीए, एएफपी)
उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है लेकिन सर्वे को लेकर विरोध के स्वर भी तल्ख हो चले हैं. सर्वेक्षण की क्या है सरकार की योजना और क्यों हो रहा है इसका विरोध?
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश में सरकार ने बिना सरकारी सहायता के चल रहे मदरसों के सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है. सरकार की ओर से इस संबंध में 31 अगस्त को आदेश जारी किया गया था. आदेश के मुताबिक 10 सितंबर तक सर्वेक्षण टीमें गठित कर दी जाएंगी और फिर ये टीमें पांच अक्टूबर तक सर्वेक्षण का काम पूरा कर लेंगी. 25 अक्टूबर तक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सरकार को सौंप देनी होगी. सर्वेक्षण टीम में एसडीएम, बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिले के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे.
सर्वे में मदरसे का नाम, संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराये के भवन में, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम, आय का स्रोत जैसे मुद्दों की जानकारी इकट्ठी की जाएगी.
उत्तर प्रदेश में इस समय कुल 16,461 मदरसे हैं जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. पिछले छह साल से यानी जब से राज्य में बीजेपी की सरकार बनी है तब से एक भी नए मदरसे को अनुदान सूची में नहीं लिया गया है. निजी मदरसों में लखनऊ स्थित नदवतुल उलमा और देवबंद स्थित दारुल उलूम भी शामिल हैं.
सरकार के इस फैसले को लेकर निजी मदरसों के प्रबंधन और संचालकों ने कई तरह की आशंकाएं जाहिर की हैं. इस मुद्दे पर पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक बैठक भी हुई थी, जिसमें कहा गया कि सर्वेक्षण से कोई दिक्कत नहीं लेकिन मदरसों के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए. जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "सर्वेक्षण से हमें कोई दिक्कत नहीं है, सरकार शौक से सर्वे करे. लेकिन बात का खयाल रखा जाए कि मदरसों के आंतरिक मामलों में कोई दखलंदाजी न हो. हमने मदरसों को सलाह दी है कि वे अपने-अपने यहां छात्र-छात्राओं की सुविधाओं को भी दुरुस्त करें.”
मदरसा संचालकों को इस बात की भी आशंका सर्वेक्षण के जरिए कई मदरसों को अवैध घोषित करके उन पर बुलडोजर न चला दिया जाए, जैसा कि असम में कुछ मदरसों के साथ किया गया है. हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कुछ नहीं होगा.
मदरसों पर बुलडोजर चलाने की आशंका से इनकार
राज्य सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश अंसारी कहते हैं, "योगी सरकार के पिछले पांच साल में तो किसी मदरसे पर बुलडोजर नहीं चला और हम भरोसा दिलाते हैं कि आगे भी ऐसा नहीं होगा. राज्य सरकार मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है और सर्वेक्षण का मकसद मदरसों की वास्तविक स्थिति को जानना और उनके स्तर को बेहतर बनाने में उनकी मदद करना है.”
मदरसों के सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रयाएं आई हैं. एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार पहले सरकारी अनुदान से चल रहे मदरसों की दशा सुधारे, तब प्राइवेट मदरसों की चिंता करे. उनका कहना था, "ये मदरसे संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत मिले अधिकारों के मुताबिक संचालित किए जाते हैं और सरकार से इन्हें कोई धन नहीं मिलता इसलिए इनके सर्वेक्षण पर सरकार इतना जोर क्यों दे रही है. यह मिनी एनआरसी और इसके जरिए सरकार निजी मदरसों में हस्तक्षेप करना चाहती है.”
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए संकीर्ण राजनीति करने का आरोप लगाया है. मायावती ने ट्वीट किया है, "मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित और दंगा-पीड़ित होने आदि की शिकायत कांग्रेस के जमाने में आम रही है, फिर भी बीजेपी द्वारा 'तुष्टीकरण' के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन और आतंकित करने का खेल अनवरत जारी है, जो अति-दुखद और निन्दनीय है.”
क्या कहते हैं मदरसा संचालक
शमीम अहमद काजी यूपी के बिजनौर जिले के शेरपुर में पिछले कई साल से एक मदरसे का संचालन कर रहे हैं. शमीम अहमद कहते हैं कि आमतौर पर राज्य के सभी मदरसे प्रदेश सरकार के मदरसा बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुसार ही संचालित किए जाते हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "मदरसे सैकड़ों साल से चल रहे हैं. एक सिस्टम है कि दीनी तालीम के लिए जरूरी है. यहां कुरान के अलावा अरबी, फारसी भी पढ़ाई दी जाती है. हमें सर्वेक्षण से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सरकार की नीयत ठीक नहीं है, दिक्कत उससे है. इनकी नीयत हमें परेशान करने की है. जहां तक फंडिंग की बात है तो जकात इत्यादि के जरिए लोग मदद करते हैं मदरसों की. चंदे से ही चलते हैं मदरसे. रमजान में लोग खासतौर पर जकात निकालते हैं. बकरीद पर लोग जकात निकालते हैं. इन्हीं सबसे खर्च चलता है. मौलवी लोगों को थोड़ी तनख्वाह मिलती है. सरकार से तो कोई मदद लेते नहीं. अब तो हम मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम भी दे रहे हैं. गणित, कंप्यूटर इत्यादि भी पढ़ा रहे हैं.”
शमीम अहमद कहते हैं कि हमें मदरसों को दिखाने में कोई दिक्कत नहीं है और आप खुफिया तौर पर भी मदरसों की जांच कर सकते हैं. यहां सिर्फ इंसानियत का पैगाम दिया जाता है, कोई गलत काम नहीं होता है लेकिन सरकार की मंशा ठीक नहीं है. कुछ मदरसा संचालकों का कहना है कि मौजूदा सरकार को इस बात की आशंका रहती है कि मदरसों में गैर-कानूनी गतिविधियां चलती रहती हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.
मदरसों को लेकर कैसी शंकाएं
लखनऊ में एक मदरसे का संचालन करने वाले जावेद अहमद कहते हैं, "योगी सरकार जब 2017 में नई-नई आई थी तब उसने 15 अगस्त को मदरसों में होने वाले झंडारोहण और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी कराकर उपलब्ध कराने को कहा गया था. उन्हें आशंका थी कि मदरसों में हम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाते. जबकि ऐसा नहीं है. पहले भी मनाते थे, अब भी मनाते हैं. सभी मदरसों ने जब वीडियो उपलब्ध करा दिया तो सरकार का मुंह बंद हो गया.”
जानकारों का कहना है कि ज्यादातर मदरसों को सर्वेक्षण के कुछ बिंदुओं को लेकर आशंकाएं हैं जिनमें पाठ्यक्रम, फंडिंग और किसी एनजीओ से संबद्धता की बात कही गई है. शमीम अहमद और कुछ अन्य मदरसा संचालक भले ही कह रहे हों कि वे मदरसा बोर्ड के ही पाठ्यक्रम के आधार पर पढ़ाई कराते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ज्यादातर मदरसों में पाठ्यक्रम को लेकर कोई एक निर्धारित प्रोफॉर्मा नहीं है. अक्सर ये आरोप भी लगते हैं कि कई मदरसों में बच्चों के बीच कट्टरपंथी सोच विकसित करने की कोशिश की जाती है. कई बार मदरसों से आतंकी गतिविधियों में पकड़े गए लोगों की वजह से इन आशंकाओं को और बल मिलता है.
मदरसा संचालकों का कहना है कि कुछेक मदरसों से कुछ गलत लोगों को पकड़ा गया है लेकिन सभी मदरसों के बारे में ऐसी राय बिल्कुल नहीं बनानी चाहिए. इन लोगों के मुताबिक मदरसों में ईमानदारी, भाईचारा, मोहब्बत और इंसानियत जैसे पाठ ही पढ़ाए जाते हैं. गाजियाबाद में एक मदरसा संचालक नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि बहुत से मदरसे गैर-सरकारी संगठनों की ओर से संचालित किए जाते हैं और कुछ मदरसों को विदेशों से फंड मिलता है, ऐसे में कुछ संचालकों को आशंका है कि इसकी आड़ में सरकार उनके मदरसों को अवैध न घोषित कर दे. (dw.com)
सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उत्तर भारत के राज्यों में सक्रिय गैंगों पर छापेमारी की है. यह छापेमारी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय गैंगों पर की गई है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी में पंजाब में गैंगों की कथित संलिप्तता और बाद में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में पैसा लगाने के मामले की जांच कर रही है. एनआईए ने सोमवार सुबह ही अपनी कार्रवाई शुरू की. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह छापेमारी देशभर के 50 से अधिक ठिकानों पर हो रही है. बताया जा रहा है कि एनआईए ने उत्तर भारत में सक्रिय गैंगस्टरों पर कार्रवाई के लिए एक फाइल तैयार की है. इस फाइल में 10 से 12 गैंगों की सूची है.
सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद चर्चा में आए गैंग
एनआईए ने पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में स्थित ठिकानों पर छापे मारे, जिनमें गोल्डी बराड़ और जग्गू भगवानपुरिया के आवास शामिल थे, जो पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी आरोपी हैं. मूसेवाला की हत्या के मामले की जांच पंजाब पुलिस कर रही है, जिसने इस सिलसिले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है और दो आरोपी मुठभेड़ में मारे गए हैं.
मूसेवाला की 29 मई को मनसा में उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह अपने दोस्त और चचेरे भाई के साथ जवाहर के गांव जा रहे थे. लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्य गोल्डी बराड़ ने हत्या की जिम्मेदारी ली थी. इस हत्या के बाद दिल्ली के एक गैंगस्टर नीरज बवाना ने बिश्नोई गैंग से बदला लेने का ऐलान किया था.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इन गैंगस्टरों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आतंकवादी संगठनों के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद, एनआईए को एक समन्वित राष्ट्रव्यापी छापेमारी करने का आदेश दिया था, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई.
एनआईए के मुताबिक ये भारतीय गैंगस्टर जेल में रहने के अलावा पाकिस्तान, कनाडा और दुबई के अपने मददगारों की मदद से अपनी आपराधिक गतिविधियां जारी रखे हुए हैं. ये गैंगस्टर हथियारों की तस्करी में भी शामिल बताए जा रहे हैं.
मीडिया में एनआईए सूत्रों के हवाले से कहा गया कि छापेमारी इसलिए की जा रही है क्योंकि हाल की जांच में पता चला है कि इनमें से कुछ गैंगस्टर आतंकियों से जुड़े हुए हैं.
यूएपीए के तहत दर्ज किया गया केस
एनआईए ने कहा कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कुछ गैंगस्टरों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था, जिसके बाद जांच शुरू की गई थी.
रविवार को ही पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने कहा था कि सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए गैंगस्टरों और आतंकी गुटों के बीच गहरी साठगांठ है. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन कथित तौर पर इस साठगांठ का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं.
कहा जाता है कि गैंगस्टर नीरज बवाना और उसका गिरोह मशहूर हस्तियों की हत्या और सोशल मीडिया पर आतंक फैलाने में शामिल है. भारतीय जेलों में बंद होने के बावजूद भी इस गिरोह के सदस्य अपने मददगारों के माध्यम से देश-विदेश से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ समेत कई गैंगस्टर्स पर यूएपीए के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. स्पेशल सेल को जानकारी मिली है कि ये गैंगस्टर्स देश की अलग-अलग जेलों के अलावा पाकिस्तान, कनाडा और दुबई से अपना गैंग चला रहे हैं.
लॉरेंस बिश्नोई पर यह भी आरोप है कि उसके संबंध खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंडा से है. रिपोर्टों के मुताबिक रिंडा कथित तौर पर पाकिस्तान में रह रहा है.
गैंगस्टरों पर एनआई की बड़ी कार्रवाई
मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए को पूरे भारत में इन गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. ये गैंगस्टर उत्तर भारत के कई राज्यों में कहर बरपा रहे हैं. बताया जा रहा है कि गृह मंत्री इन गैंगस्टरों की गतिविधियों को रोकने के लिए एनआईए से कहा है. आमतौर पर एनआई आतंक से जुड़े मामलों की जांच करती है लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है उसमें विदेशों से गैंगों के सक्रिय होने की है और ये गैंग टार्गेट किलिंग में शामिल हैं और ऐसे में इन गिरोहों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी एजेंसी को दी गई है.
एनआईए भारत की केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जांच करती है.
इसका गठन मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले के बाद किया गया था. इस हमले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने एनआई की स्थापना का फैसला किया था.
दिसंबर 2008 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक पेश किया. यह 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और साल 2009 में इसने अपना कामकाज शुरू किया. भारत में आतंकी हमले और आतंकी फंडिंग के मामलों की जांच अब इसी एजेंसी से कराई जाती है. (dw.com)
तेलंगाना के सिकंदराबाद के एक इलेक्ट्रिक स्कूटर शोरूम में लगी आग में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है. पीएम मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए मुआवज़े का एलान किया है.
समाचार एजेंसियों के अनुसार आग होटल की ग्राउंड फ़्लोर पर मौजूद इलेक्ट्रिक स्कूटर शोरूम में लगी थी.
हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद से एएनआई को बताया है कि आग के बाद निकलने वाले धुएं से होटल की पहली और दूसरी मंज़िल पर रहने वालों के लिए मुसीबत बनी है.
सीवी आनंद ने कहा, "कुछ लोगों ने बिल्डिंग से छलांग लगा दी. उन्हें स्थानीय लोगों ने बचाया. इन लोगों को अस्पताल पहुँचाया गया."
उन्होंने कहा, ‘‘आग लगने के कारणों का पता नहीं चला है. हमेंलगता है कि शॉर्ट सर्किट या फिर इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी ज़्यादा चार्ज होने की वजह भी आग लगने की आशंका है. घटना के वक़्त होटल में 23 लोग थे. इनमें से अधिकतर कारोबारी हैं. मरने वाले छह लोगों में से एक महिला है. जान बचाने के लिए कुछ लोगों ने होटल से छलांग लगा दी.’’
उन्होंने बताया कि हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं.
इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. एक ट्वीट कर पीएम मोदी ने कहा, "सिकंदराबाद में आग के कारण हुई मौतों से दुखी हूँ. में परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ. घायलों के जल्द रिकवर करने की कामना करता हूँ. मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहतकोष से दो लाख रुपए दिए जाएंगे. घायलों को भी 50 हज़ार दिए जाएंगे." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 13 सितंबर। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की ज़िला अदालत के फ़ैसले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने नाराज़गी जाहिर की है.
उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फ़ैसले से देश में सांप्रदायिक माहौल बनेगा.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘उपासना स्थल क़ानून के बावजूद ज्ञानवापी पर कोर्ट का फ़ैसला न सिर्फ़ लोगों को उकसाएगा बल्कि सांप्रदायिक माहौल भी बनाएगा. विडंबना ये हैं कि ये सब बीजेपी के एजेंडा में फ़िट बैठता है. यह दुखद स्थिति है कि अदालतें खुद अपने फ़ैसलों पर अमल नहीं करतीं.
क्या है विवाद?
ज्ञानवापी मस्जिद के इतिहास को लेकर विवाद है. कइयों का मानना है कि पहले से यहाँ मौजूद विश्वनाथ मंदिर को तोड़वाकर मस्जिद बनाई गई थी. कई इतिहासकारों का कहना है कि ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में मंदिर तोड़ने का ज़िक्र नहीं है. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पांच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
वाराणसी की एक निचली अदालत में दाख़िल अर्ज़ी में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि ये देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं जो विवादित नहीं है. अर्ज़ी में कहा गया कि सर्वे कराके पूरे मामले को सुलझाया जाए.
लगभग आठ माह बाद आठ अप्रैल, 2022 को अदालत ने सर्वेक्षण करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए.
मस्जिद इंतज़ामिया (प्रबंधन समिति) ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने नामंज़ूर कर दिया.
सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के वज़ूख़ाने में एक ऐसी आकृति मिली है, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है, जिसके बाद मस्जिद को सील कर दिया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज़ जारी रखने जाने का आदेश सुनाया, लेकिन वज़ूख़ाना अब भी सील है. (bbc.com/hindi)
-मोहर सिंह मीणा
राजस्थान में अजमेर ज़िले के पुष्कर मेला स्टेडियम में सोमवार को अशोक गहलोत सरकार के मंत्रियों को मोस्ट बैकवर्ड क्लास (एमबीसी) वर्ग के लोगों का ख़ासा विरोध झेलना पड़ा है. खेल मंत्री अशोक चांदना के मंच से भाषण देने के दौरान लोगों ने उनका विरोध किया.
लोगों ने मंच की ओर जूते-चप्पल उछाले और सचिन पायलट के समर्थन में नारेबाजी की. मंत्री चांदना ने लोगों का विरोध देखते हुए मंच से कहा, "मैंने बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे", जिसके बाद लोगों ने विरोध और तेज़ किया.
इस घटना के बाद सोमवार रात खेल मंत्री अशोक चांदना ने सचिन पायलट को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसके बाद से विवाद और बढ़ गया है.
मंत्री चांदना ने ट्वीट किया, 'मुझ पर जूता फिंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनें तो जल्दी से बन जाएं क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है.'
'जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूँ.'
पुष्कर के मेला स्टेडियम में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थियों के विसर्जन कार्यकम से पहले एक सभा हो रही थी. इस सभा में एमबीसी वर्ग में शामिल गुर्जर, रेबारी, बंजारा, गाड़िया लुहार, देवासी, राइका, गड़रिया, गाडरी, गायरी समाज के लोग मौजूद थे.
सभा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, उप नेता प्रतिपक्ष, राज्य सरकार में मंत्री अशोक चांदना, शकुंतला रावत, सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत समेत कई नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस सरकार के मंत्री अशोक चांदना को लोगों का विरोध झेलना पड़ा.
पुलिस-प्रशासन ने खेल मंत्री अशोक चांदना, देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को कड़ी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम स्थल से निकाला. (bbc.com/hindi)
पिछले हफ्ते जो हाल बेंगलुरु का हुआ, उसी तरह के दृश्य अब पुणे में दिखाई दे रहे हैं. भारी बारिश के बाद पुणे की सड़कों पर पानी जमा हो गया है और कई इलाकों में मकान और गाड़ियां डूब गई हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
रविवार 11 सितंबर को भारी बारिश के बाद पुणे में कई जगह बाढ़ जैसे स्थिति पैदा हो गई. सोशल मीडिया पर मौजूद कई तस्वीरों और वीडियो को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कई सड़कें ही नदियों में तब्दील हो गई हों.
कई जगह पानी से लबालब भरी सड़कों पर दुपहिया वाहन तो कहीं गाड़ियां डूब गईं. कई स्थानों पर घरों के अंदर भी पानी घुस जाने की खबर है. यहां तक कि कई इलाकों में तो सरकारी दफ्तरों, पुलिस स्टेशनों और फायर स्टेशनों में भी पानी घुस गया.
कई जगह पेड़ भी गिरे. सड़कों पर पानी लगने और पेड़ गिरने समेत कई कारणों से लंबे लंबे ट्रैफिक जाम भी लग गए. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि मौसम विभाग ने भारी बारिश का कोई पूर्वानुमान भी जारी नहीं किया था लेकिन शहर के कई इलाकों में दो घंटों में 90 मिलीमीटर से भी ज्यादा बारिश हुई.
भारत के डूबते शहर
पिछले सप्ताह बेंगलुरु में भी इसी तरह के दृश्य देखने को मिले थे. शहर के कई इलाकों में स्थिति इससे भी ज्यादा खराब थी. 24 घंटों में 130 मिलीमीटर बारिश हुई और शहर के कई इलाके डूब गए. करोड़ों रुपयों के बंगलों वाली कॉलोनियों में बंगलों के अंदर तक पानी भर गया था. बाढ़ में कम से कम एक व्यक्ति की जान चले जानी की भी खबर आई थी.
तब जानकारों ने बताया था कि यह मुख्य रूप से शहर के तालाबों और जलाशयों के ऊपर इमारतें बना दिए जाने का नतीजा है. ऐसे में भारी बारिश में आए पानी को निकासी का रास्ता नहीं मिलता और वो जम जाता है. कचरे की वजह से जाम नाले भी पानी को निकलने नहीं देते.
विशेषज्ञों का कहना कि यही हाल भारत के कमोबेश हर शहर का हो रहा है. बेंगलुरु की ही तरह पुणे में भी आईटी क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है, लिहाजा इस क्षेत्र से जुड़े लोग देश के कोने कोने से आकर यहां बसने लगे. शहर की बढ़ती आबादी का बोझ सहने के लिए शहर का भी विस्तार किया.
2019 में आई थी भयावह बाढ़
बड़े बड़े अपार्टमेंट बनाए गए. शहर की बाहरी सीमा का भी विस्तार किया गया लेकिन शहर को भविष्य में बाढ़ से कैसे बचाया जाए इस पर पर्याप्त काम नहीं हुआ. पुणे में बाढ़ का बड़ा कारण वो छह नदियां भी हैं जो शहर के इर्द गिर्द बहती हैं.
शहर बढ़ते बढ़ते इन नदियों के और पास पहुंच गया है. इन नदियों पर बांध भी बने हुए हैं लेकिन जब इन बांधों के जलाशयों में पानी भर जाता है तो कुछ पानी छोड़ दिया जाता है. यही पानी कुछ ही घंटों में शहर तक पहुंच जाता है और विशेष रुप से शहर के निम्नस्थ इलाके डूब जाते हैं.
2019 में भी ऐसा ही हुआ था जिसके बाद शहर में भीषण बाढ़ आ गई थी. बाढ़ में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई थी. इस बार बाढ़ ने 2019 जैसा विकराल रूप तो नहीं लिया है लेकिन बाढ़ की जिम्मेदार समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं. (dw.com)
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे मर्डर केस के अभियुक्त शाहीम अहमद फिरोज़ अहमद के बारे में कोई भी जानकारी देने वालों को दो लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है.
22 साल के अभियुक्त अहमद का घर महाराष्ट्र के अमरावती में है और हत्या के मामले में दो महीने पहले केस दर्ज होने के बाद से वो फरार है.
एजेंसी के अधिकारियों ने पीटीआई को बताया, ‘‘एनआईए ने अहमद की गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को दो लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की है.’’
जांच एजेंसी इस मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है.
क्या है पूरा मामला
अमरावती में 21 जून को कोल्हे की हत्या कर दी गई थी. उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने वाली निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था.
उमेश कोल्हे की अमरावती तहसील कार्यालय के पास एक मेडिकल शॉप है.
21 जून की रात वो अपनी दुकान बंद कर के घर चले गए थे. 51 वर्षीय उमेश कोल्हे एक गाड़ी में थे जबकि दूसरी गाड़ी में उनका बेटा संकेत और पत्नी वैष्णवी थी.
रात करीब साढ़े दस बजे चार-पांच हमलावरों ने उन्हें पकड़ लिया, चाकू से उमेश का गला काट दिया और फरार हो गए.
उमेश के बेटे संकेत ने उन्हें पास के एक निजी अस्पताल में पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
हमले के वक्त उमेश कोल्हे की जेब में 35 हजार रुपये नकद थे. लेकिन हमलावरों ने उसे छुआ तक नहीं. इसलिए हत्या पैसे लूटने के लिए नहीं की गई थी, शुरुआती जांच में यह स्पष्ट था.
वॉट्सऐप की वायरल पोस्ट
दवा की दुकान चलाने वाले उमेश कोल्हे 'ब्लैक फ्रीडम' नाम के एक व्हॉट्सऐप ग्रुप के सक्रिय सदस्य थे.
इस ग्रुप में हिन्दू समर्थक पोस्ट शेयर किए जाते थे. कुछ दिन पहले उमेश कोल्हे ने भी नूपुर शर्मा के विवादित बयान के समर्थन में यहां एक पोस्ट किया था.
अमरावती पुलिस को संदेह है कि वही पोस्ट समूह के बाहर वायरल हो गया होगा. उमेश कोल्हे पर इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उन्होंने 'गलती से' इसे एक मुस्लिम समूह को भेज दिया था.
एनआईए ने दो जुलाई को गृह मंत्रालय के निर्देशों पर आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 153-ए (अलग-अलग समुदायों के बीच विद्वेष फैलाना) और यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था. (bbc.com/hindi)
जापान में शराब की बिक्री और पीने वालों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है. लिहाजा, बाजार अब उन लोगों को लुभाने के तरीके खोज रहा है जो पीते नहीं हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
जापान के मनाका ओकामोटो अब बीयर की अगली बोतल खोलने से पहले अगले दिन के बारे में सोचते हैं. जमकर पीने के लिए जाने जाने वाले जापानी छात्रों की अगली पीढ़ी के ओकामोटो कहते हैं, "अगर मुझे अगली सुबह जल्दी उठना है तो मैं सोचता हूं कि मुझे कम पीना चाहिए. फिर अगर मैं अकेला पी रहा हूं तो ऐसा कुछ पीता हूं जिसमें अल्कोहल नहीं है.”
22 साल के ओकामोटो कहते हैं कि जब दोस्तों के साथ टोक्यो के किसी रेस्तरां में ऐसे लोगों के साथ मस्ती हो रही हो जो शराब नहीं पीते, तब भी बिना अल्कोहल की ड्रिंक काम आती है.
कम अल्कोहल या बिना अल्कोहल वाले पेय पदार्थों की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है. खासतौर पर कोविड महामारी के दौरान लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि देखी गई है तो भी लोग शराब छोड़कर बिना अल्कोहल वाली ड्रिंक की ओर बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि 2021 में ऐसी ड्रिंक्स का बाजार 10 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जबकि 2018 में यह 7.8 अरब डॉलर का था.
नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक का यह असर जापान में तो कुछ ज्यादा ही जोर से दिख रहा है, जहां जनसंख्या घट रही है और युवा लोग पहले के मुकाबले बहुत कम शराब पी रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1999 में 20-29 वर्ष आयुवर्ग में नियमित रूप से शराब पीने वालों की संख्या 20.3 फीसदी थी जो 2019 में सिर्फ 7.8 प्रतिशत रह गई.
घट रही है बिक्री
सनट्री के प्रतिद्वन्द्वी किरीन होल्डिंग्स भी अल्कोहल फ्री वाइन, कॉकटेल और बीयर बेच रही है. कंपनी कहती है कि इस साल के तीन महीने में उसकी अल्कोहल फ्री ड्रिंक्स की बिक्री पिछले साल की तिमाही के मुकाबले ढाई गुना बढ़ गई है.
शराब बनाने वाली अन्य कंपनी सापोरो होल्डिंग्स ने कहा है कि इस साल की पहली छमाही में उसकी कम और बिना अल्कोहल वाली ड्रिंक्स की बिक्री में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि बीयर की बिक्री चार फीसदी घट गई है.
लोगों ने शराब पीनी कम की है तो जापान की सरकार भी नए विकल्प खोज रही है क्योंकि शराब से होने वाले रेवन्यू से उसकी कमाई घट रही है. जुलाई में जापान के कर विभाग ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसमें युवाओं से मांग बढ़ाने के लिए आइडिया मांगे गए.
इस बदलते चलन ने शराब बनाने वाली कंपनियों को भी विकल्प खोजने पर मजबूर किया है. जापान की मशहूर बीयर असाही बनाने वाली कंपनी असाही ग्रुप होल्डिंग्स के प्रमुख कहते हैं कि वह अमेरिका को नए बाजार के रूप में देख रहे हैं. इसी तरह सनट्री होल्डिंग्स ग्रुप भी अपना बोतलबंद कॉकटेल व्यापार दूसरे देशों में बढ़ाने की कोशिश में जुटा है.
ना पीने वालों को लुभाने की कोशिश
विदेशों में नए बाजारों की तलाश के साथ-साथ ये कंपनियां घरेलू बाजार में शराब ना पीने वाले ग्राहकों को बोतल में उतारने की कोशिश कर रही हैं. हाल ही में टोक्यो की एक गगनचुंबी इमारत के बगल में रोपोंगी बाजार में शराब ना पीने वाली युवतियों के लिए एक खास आयोजन हुआ. जिस जापान में गर्मियों की शाम ‘बीयर गार्डन' के आयोजन खूब लोकप्रिय होते हैं, वहां इस आयोजन को ‘नो अल्कोहल बीयर गार्डन' के रूप में प्रचारित किया गया.
इस आयोजन में सनट्री और टीवी असाही ने बीयर की जगह मॉकटेल और अल्कोहल-फ्री वाइन परोसीं. सनट्री के जनरल मैनेजर मसाको कूरा कहते हैं, "लोग सिर्फ शराब का मजा नहीं ले रहे हैं. वे उस माहौल का मजा ले रहे हैं, जहां वे पीते हैं.”
शिबूया कस्बे में एक नई बार खुली है जिसका नाम है सुमादोरी. जापानी भाषा में इसका अर्थ है- समझदारी से पीना. यहां ऐसी मीठी ड्रिंक मिलती हैं जिन्हें बहुत कम या बिना अल्कोहल के बनाया जाता है. असाही के मालिकाना हक वाली इस बार कंपनी के प्रमुख मिजुओ काजीउरा कहते हैं कि बार में माहौल ऐसा बनाया जाता है कि हर कोई पीने का मजा ले सके.
यहां काम शुरू करने से पहले काजीउरा ने इंडोनेशिया में दो साल तक काम किया है. वह कहते हैं कि मुस्लिम बहुल देश में काम करने का अनुभव उन्हें बिना पीने वालों के लिए बढ़िया माहौल तैयार करने में काम आ रहा है. वह बताते हैं, "इस बार का मकसद उन ग्राहकों को भाव देना है जो पी नहीं सकते, ताकि वे भी यहां आ कर पीने वालों के साथ आनंद कर सकें. अगर दूसरे बार और रेस्तरां भी हमारा मकसद समझ सकें तो वे भी ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर सकेंगे.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
सीबीआई ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर में 33 जगहों पर छापेमारी कर रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई जम्मू-कश्मीर स्टाफ़ सेलेक्शन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन ख़ालिद जहांगीर और परीक्षा नियंत्रक अशोक कुमार के ठिकानों पर भी जांच कर रही है.
सीबीआई की ये जांच जम्मू, श्रीनगर के अलावा हरियाणा के करनाल, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुजरात के गांधीनगर, दिल्ली, गाज़ियाबाद और बंगलुरु में चल रही है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक, ये छापेमारी जम्मू-कश्मीर में भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए हो रही है.
आरोप है कि जम्मू कश्मीर में सब इंस्पेक्टर पद की भर्ती की लिखित परीक्षा में धांधली हुई थी.
परीक्षा में धांधली की जांच के लिए गठित की गई टीम के उपराज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के बाद तीन दिन बाद भर्ती रद्द करने का आदेश जारी किया गया था. साथ ही सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी.
दूसरे बार हो रही है छापेमारी
इससे पहले 5 अगस्त को भी सीबीआई ने कई जगहों पर छापेमारी की थी और इस दौरान कई दस्तावेज़, ओएमआर शीट, एप्लिकेशन फॉर्म जब्त किए थे.
इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर स्टाफ़ सलेक्शन बोर्ड ने सब-इंस्पेक्टर का एग्ज़ाम कराया. 4 जून को इस एग्ज़ाम के नतीजे आए और 1200 लोगों की भर्ती हुई. लेकिन इसे साथ ही परीक्षा में धांधली की बात सामने आने लगी.
आरोप लगे कि इस परीक्षा में एक ही परिवार के कई लोगों की भर्तियां हो गईं. वहीं जम्मू से लोगों की भर्ती ज़्यादा हुई और मेरिट लिस्ट में कश्मीर के लोग बहुत कम रहे.
अनियमितताओं की बात सामने आने पर जम्मू-कश्मीर उपराज्यपाल प्रशासन ने जांच के आदेश दिए और इस जांच में धांधली की पुष्टि हुई. और परीक्षा रद्द कर दी गई.
ये परीक्षा बंगलुरु की एक कंपनी जेकेएसएसबी के साथ मिल कर थर्ड-पार्टी के तौर पर कंडक्ट करा रही थी. (bbc.com/hindi)
छत्तीसगढ़ की प्रेरणा चितलांगिया अमरीका में बसी हुई हैं, और वहां वे खूबसूरती के, व्यक्तित्व के कई मुकाबले भी जीत चुकी हैं। अभी वहां देश का एक सबसे बड़ा फैशन-सप्ताह चल रहा है, और इस न्यूयॉर्क फैशन वीक में प्रेरणा को भी तरह-तरह की पोशाकों में पेश होने के लिए छांटा गया है। न्यूयॉर्क का टाईम्स स्क्वेयर दुनिया की एक सबसे मशहूर जगह है, और यहां इमारतों पर लगी हुईं बड़ी-बड़ी रौशन-होर्डिंग्स का नजारा हर बड़े मौके पर उसके मुताबिक दिखता है। न्यूयॉर्क फैशन वीक के वक्त इसकी होर्डिंग्स पर प्रेरणा चितलांगिया का फैशन प्रदर्शन दिख रहा है, और उसके सामने खड़े होकर उन्होंने यह तस्वीर खिंचवाई है।
विशेषज्ञों ने जॉर्जिया में 18 लाख साल पुराना एक दांत खोजा है, जो शुरुआती इंसानों का है. पुरातत्वविदों के अनुसार, यह खोज साबित करती है कि अफ्रीका के बाहर का यह क्षेत्र यूरोप की सबसे पुरानी मानव बस्तियों में से एक है.
जॉर्जिया के पुरातत्व और प्रागैतिहासिक काल के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के अनुसार राजधानी तिब्लिसी से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में उरोजमानी गांव के पास एक प्राचीन दांत की खोज की गई थी. उरोजमानी के प्राचीन खंडहरों में पाषाण युग के औजार और जानवरों के अवशेष पहले भी मिले हैं, लेकिन यह पहली बार है जब होमो इरेक्टस के अवशेष वहां मिले हैं.
उरोजमानी गांव दमानीसी शहर के पास स्थित है, जहां 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में 18 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी मिली थी.
मानव इतिहास में जॉर्जिया का स्थान
पुरातत्वविदों का कहना है कि हाल ही में दमानीसी से 20 किलोमीटर दूर एक मानव दांत की खोज इस बात का और सबूत देती है कि दक्षिण काकेशस पर्वत उन पहले स्थानों में से एक हो सकता है जहां शुरुआती इंसान अफ्रीका में बसे थे.
जॉर्जिया के पुरातत्व और प्रागितिहास के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, "उरोजमानी और दमानीसी का क्षेत्र अफ्रीका के बाहर सबसे पहले मानव या प्रारंभिक मानव बस्तियों या केंद्रों को चिह्नित कर सकता है."
उत्खनन दल के प्रमुख गेयोर्गी बेडजिनाशविली ने पत्रकारों से कहा कि उनका मानना है कि दांत जिज्वा और मिज्या के "चचेरे भाई" का था. दमानीसी में मिली दो 18 लाख साल पुरानी खोपड़ियों को ये दो नाम दिए गए थे.
उरोजमानी में दांत की खोज करने वाले ब्रिटिश पुरातत्व के छात्र जैक पर्ट कहते हैं, "इस खोज का न केवल क्षेत्र और जॉर्जिया के लिए, बल्कि प्रारंभिक मनुष्य के इतिहास के लिए भी प्रभाव पड़ेगा." उन्होंने कहा, "यह मानव इतिहास में जॉर्जिया के स्थान को मजबूत करेगा."
दुनिया में कहीं भी सबसे पुराने मानव जीवाश्म लगभग 28 लाख वर्ष पहले के हैं. यह एक आंशिक जबड़ा था, जिसे आधुनिक इथियोपिया में खोजा गया था.
एए/वीके (एपी, रॉयटर्स)
-मानसी दाश
अमेरिका की बाइडन सरकार ने पाकिस्तान को दिए एफ़-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए विशेष सस्टेनमेन्ट प्रोग्राम को मंज़ूरी दे दी है.
डिफेन्स सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (डीएससीए) ने एक बयान जारी कर कहा है कि इसके तहत पाकिस्तान सरकार के पास पहले से मौजूद एफ़-16 विमानों की मरम्मत की जाएगी और उपकरण भी दिए जाएँगे.
हालाँकि इसमें विमानों में नई कार्यक्षमता की कोई योजना नहीं है और इससे जुड़े नए हथियार भी नहीं दिए जाएँगे.
बयान के अनुसार, इससे आतंकवाद के ख़िलाफ़ अभियान में पाकिस्तान को मदद मिलेगी. हालांकि अमेरिका का कहना है कि इससे क्षेत्र के सैन्य संतुलन पर असर नहीं पड़ेगा.
भारत की प्रतिक्रिया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ भारत ने पाकिस्तान के साथ एफ़-16 समझौते को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू के अनुसार पिछले दिनों अमेरिकी अधिकारी डोनाल्ड लू भारत के दौरे थे और इस दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर अपनी आपत्ति बार-बार दर्ज कराई.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अधिकारियों ने डोनाल्ड लू के साथ हुई हर द्विपक्षीय बैठक के दौरान ये मुद्दा उठाया. डोनाल्ड लू क्वॉड के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में शामिल होने दिल्ली आए थे.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय पक्ष ने इस पर चिंता जताई कि एफ़-16 के लिए पाकिस्तान को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. एक ओर जहाँ पाकिस्तान ये दावा कर रहा है कि आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए ये सहायता ज़रूरी है, वहीं भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल उसके ख़िलाफ़ अभियान में करेगा.
इकॉनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत सरकार ये नहीं मानती है कि इस समझौते से रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, भारत इससे नाराज़ है कि अमेरिका ने उसे इस नीतिगत फ़ैसले के बारे में पहले नहीं बताया, जबकि इस फ़ैसले से भारत की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.
सौदे में क्या-क्या शामिल है
ये सौदा पहले से बेचे गए एफ़-16 के रखरखाव पर लागू होगा ताकि विमान उड़ान भरने की स्थिति में रहें.
अमेरिका के अनुसार, इसके लिए पाकिस्तान ने अमेरिका से गुज़ारिश की थी.
सौदे के अनुसार विमान के इंजन में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मॉडिफिकेशन किए जाएंगे.
इंजन की मरम्मत और ज़रूरत पड़ने पर नए पार्ट्स लगाए जाएँगे.
विमानों के लिए सपोर्ट इक्विपमेन्ट दिए जाएँगे.
बयान के अनुसार ये सौदा अनुमानित 45 करोड़ डॉलर का होगा होगा और इस सौदे को पूरा करेगी लॉकहीड मार्टिन नाम की कंपनी.
बीते चार सालों में पाकिस्तान के लिए अमेरिका का ये बेहद अहम रक्षा फ़ैसला माना जा रहा है.
साल 2018 में बाइडन से पहले राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तीन अरब डॉलर की रक्षा मदद को रद्द कर दिया था.
उनका कहना था कि पाकिस्तान अफ़ग़ान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे गुटों पर लगाम लगाने में नाकाम रहा.
अमेरिका ने पाकिस्तान के अलावा बहरीन, बेल्जियम, मिस्र, ताइवान, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, पोलैंड, पुर्तगाल, थाइलैंड जैसे मुल्कों को एफ़-16 दिए हैं.
वहीं उसने भारत के साथ अपाचे हेलिकॉप्टर के लिए सौदा किया है. साथ ही भारत के साथ उसका बड़ा डिफेन्स पार्टनरशिप प्रोग्राम भी है.
हथियारों के आयात को देखा जाए तो भारत अमेरिका के मुक़ाबले रूस से अधिक हथियार खरीदता रहा है. लेकिन हाल के दिनों में अमेरिका से और दूसरे देशों से भारत का हथियार ख़रीदना बढ़ा है.
अमेरिका की विदेश नीति में भारत की जगह अहम है, दोनों अहम मुद्दों पर साझेदरी करते हैं, जी-20, क्वॉड, इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क जैसे फ़ोरम में साथ हैं. लेकिन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं.
ऐसे में अमेरिका के इस क़दम को भारत का कूटनीतिक तौर पर देखना लाज़मी है, क्योंकि भारत नहीं चाहेगा कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ किसी तरह का रक्षा सौदा करे. पर क्या भारत और अमेरिका के रिश्तों पर इसका असर पड़ सकता है?
विदेश मामलों के जानकार मनोज जोशी कहते हैं कि भारत चाहे न चाहे उसे हर हाल में अमेरिका के इस फ़ैसले को मानना पड़ेगा.
वो कहते हैं, "पाकिस्तान ये दिखा चुका है कि उसकी स्थिति के कारण रणनीतिक तौर पर वो महत्वपूर्ण है और उसे कोई छोड़ नहीं सकता है. बीच में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते थोड़े बिगड़े थे, लेकिन अमेरिका का ये फ़ैसला इस बात का संकेत है कि मसला सुधर चुका है और दोनों मुल्क अच्छे रिश्ते बनाने को तैयार हैं."
वो कहते हैं, "अमेरिका ये नहीं चाहता कि वो केवल भारत का पक्ष ले और अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशिया, ईरान के साथ जुड़े पाकिस्तान जैसे अहम देश को नज़रअंदाज़ कर दे. अब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान फिर सत्ता में आ चुका है और अमेरिका को यहाँ से बाहर जाना पड़ा है. वो चाहता है कि एशिया में ऐसी जगह अपने पैर टिकाए, जहाँ से वो अफ़ग़ानिस्तान पर निगरानी रख सके और यहाँ की क्षेत्रीय भू-राजनीति पर भी नज़र रखे."
मनोज जोशी कहते हैं, "रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से अमेरिका भारत के रवैए को लेकर ख़ुश नहीं है. कई बार अमेरिकी नेताओं ने भारत को रूस से तेल ख़रीदना बंद करने को कहा है. भारत अमेरिका के हितों को देखते हुए संभल कर क़दम उठाता रहा है और अमेरिका भी भारत के कुछ फ़ैसले को नज़रअंदाज़ करता रहा है. लेकिन अब उसने ये तय कर लिया है कि पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते स्थिर हो सकते हैं."
कब और कैसे बना एफ़-16
1972 में जब हल्के लड़ाकू विमानों की ज़रूरत महसूस की गई थी, उस वक्त जेनरल डायनमिक्स नाम की कंपनी ने एफ़-16 विमान बनाया था. विमान का नाम था फाइटिंग फैल्कन यानी एफ़-16.
ये सिंगल सीट, सिंगल इंजन वाले जेट विमान थे जो आवाज़ की गति से दोगुने स्पीड से उड़ सकते थे और कई तरह की मिसाइलें, बम ले जाने में सक्षम थे.
इस मामले में रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन कहते हैं, "अमेरिका इस मुद्दे पर कूटनीतिक खेल खेल रहा है. अमेरिका कहता रहा कि वो भारत का बहुत अच्छा मित्र है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वो भारत के स्टैंड से नाराज़ है क्योंकि भारत ने रूस के साथ संबंध रखना जारी रखा है."
वो कहते हैं, "ये क़दम उठा कर वो इशारा कर रहा है कि अगर आप अपने हिसाब से खेलेंगे, तो हम भी पाकिस्तान को अपने खेल में शामिल कर सकते हैं. बस फर्क इतना है कि ये उनका संकीर्ण नज़रिया है, क्योंकि पाकिस्तान चीन के क़रीब जा रहा है और अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में अमेरिका के लिए चीन के एक दोस्त की तरफ हाथ बढ़ाना और भारत को नाराज़ करना मुझे कम ही समझ आता है. इसका असर दोनों के बीच के भरोसे पर पड़ सकता है."
वहीं रक्षा मामलों के जानकार राहुल बेदी कहते हैं, "भारत के लिए थोड़ी अजीब स्थिति होगी क्योंकि ट्रंप ने 2018 में पाकिस्तान के साथ सौदा रद्द कर दिया था, लेकिन बाइडन प्रशासन के इस फ़ैसले से लगता है कि वो पाकिस्तान की तरफ झुक रहा है. 45 करोड़ डॉलर का सौदा इस बात का संकेत है कि तीन-चार साल से पाकिस्तान के साथ उसके जो रिश्ते बिगड़ रहे थे वो अब सुधार की राह पर हैं."
वो कहते हैं, "भारत की कूटनीति के लिहाज़ से वो अमेरिका को अपना दोस्त मानता है. वो भारत का दोस्त तो है लेकिन पाकिस्तान के साथ भी संबंध रखना चाहता है. इससे भारत की कूटनीति को सदमा लगेगा."
पाकिस्तान को एफ़16 विमान कब मिले और कैसे मिले
पाकिस्तान ने सबसे पहले साल 1981 में अमेरिका से एफ़-16 विमान ख़रीदे. ये वो वक़्त था, जब सोवियत संघ ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था.
लेकिन फिर दोनों मुल्कों के रिश्ते बिगड़े और पाकिस्तान से परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताते हुए इनमें से 28 विमानों की ख़रीद पर रोक लगा दी गई. चिंता थी कि पाकिस्तान इन विमानों का इस्तेमाल परमाणु हमले के लिए कर सकता है.
लेकिन इसके लिए पाकिस्तान पहले ही अमेरिका को 65.8 करोड़ डॉलर दे चुका था, जो बाद में अमेरिका ने उसे लौटाए.
लेकिन फिर साल 2001 में हालात बदले. 9/11 की घटना के बाद अमेरिका में ट्विन टावर्स पर आतंकवादी हमला हुआ था. उसके बाद एशिया, ख़ास कर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान अमेरिकी विदेश नीति के लिहाज़ से बेहद अहम हो गए और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अभियान में अमेरिका का साथ देने का वादा किया.
इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को लेकर जो रोक लगाई थी, उसे हटाया और 18 आधुनिक एफ़-16 विमान पाकिस्तान को बेचे. साथ ही पहले से बेचे विमानों के लिए सपोर्ट देना जारी रखा.
2011 में एफ़-16 समेत सी-130, टी-37 और टी-33 विमानों के पुर्ज़ों के लिए 6.2 करोड़ डॉलर के सौदे को मंज़ूरी दी गई थी.
फिर 2016 में अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ करीब 70 करोड़ डॉलर का सौदा किया था जिसके तहत उसे आठ एफ़-16 ब्लॉक 52 विमान बेचे गए थे.
इसके बाद 2019 में पाकिस्तान के अनुरोध पर एफ़-16 प्रोजेक्ट में तकनीकी मदद के लिए टैक्निकल सिक्योरिटी टीम के लिए साढ़े 12 करोड़ डॉलर के सौदे को मंज़ूरी दी गई थी.
रफ़ाल के मुक़ाबले एफ़-16 कितने ताक़तवर
लेकिन एक सवाल ये उठता है कि अब जब अमेरिका पाकिस्तान से इन विमानों को काम करने की स्थिति में बनाए रखने के लिए तैयार हो गया है, तो इसका पूरे क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा.
सवाल ये भी है कि इस सौदे का असर क्या पाकिस्तान की सैन्य ताक़त पर पड़ेगा?
भारत के पास भी जंगी विमानों का एक बड़ा बेड़ा मौजूद है जिसमें आधुनिक रफाल विमान भी हैं, जो भारत ने फ्रांस से ख़रीदे हैं. रफाल के मुक़ाबले एफ़-16 कितने ताक़तवर हैं?
राहुल बेदी कहते हैं "एफ़-16 लगभग 3.5 जेनरेशन एयरक्राफ्ट है वहीं रफ़ाल 4.5 जेनरेशन एयरक्राफ्ट है और काफ़ी बेहतर है. एफ़-16 का मुक़ाबला सुखोई-30 और मिराज 2000 भी कर सकते हैं."
वो कहते हैं, "जैसा अमेरिका ने बयान में कहा है कि इससे इस क्षेत्र के सैन्य संतुलन पर ख़ास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये सपोर्ट पैकेज है, न कि नए हथियारों का सौदा. पाकिस्तान पुराने वक्त से एफ़-16 चला रहा है."
पाकिस्तान के पास कितने एफ़-16 हैं?
फॉरेन पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एरॉन स्टीन और रॉबर्ट हैमिल्टन की साल 2020 की एक अहम रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पास कुल 85 एफ़-16 विमान हैं.
इनमें से 66 पुराने ब्लॉक 15 के हैं और 19 आधुनिक ब्लॉक 52 मॉडल हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार अब तक पाकिस्तान एफ़-16 विमानों के रखरखाव पर 3 अरब डॉलर से ज़्यादा खर्च कर चुका है.
एक सवाल ये भी है कि क्या अमेरिका और चीन के बिगड़ते रिश्तों के मद्देनज़र पाकिस्तान अमेरिका के साथ रिश्ते बेहतर करना जारी रखेगा?
मनोज जोशी कहते हैं, "ये बात सच है कि पाकिस्तान एक तरफ अमेरिका से हथियार लेगा, तो चीन से भी हथियार लेना वो जारी रखेगा क्योंकि अमेरिका उसे हर तरह के हथियार नहीं देगा. लेकिन अमेरिका को इसका पहले ही अंदाज़ा है. पर उसे पाकिस्तान पर भरोसा है कि वो एक हद से ज़्यादा आगे नहीं जाएगा और वो अमेरिका के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करेगा."
हालांकि वो ये भी कहते हैं कि भारत के लिए मामला अभी उतना गंभीर नहीं लगता.
वो कहते हैं, "पाकिस्तान के मामले में अमेरिका बेहद सोच-समझ कर क़दम उठाएगा और भारत के लिए मामला तब गंभीर होगा, जब अमेरिका पाकिस्तान को नए हथियार देगा."
वहीं राहुल बेदी कहते हैं, "अमेरिका के इस फ़ैसले से पाकिस्तान की सेना अधिक मज़बूत होगी, ऐसा नहीं है, लेकिन उसे कॉन्फिडेन्स मिलेगा. पाकिस्तान में बीते कुछ सालों में ये सोच बन गई थी कि अमेरिका ने पाकिस्तान को छोड़ दिया है, लेकिन अमेरिका के इस क़दम ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की उसके साथ बने रहने की कोशिशें कामयाब हो रही हैं."
वो कहते हैं, "मुझे लगता है कि ये शुरुआत है, आने वाले वक्त में भी अमेरिका पाकिस्तान को सपोर्ट करना जारी रखेगा. अमेरिका और एफ़-16 पाकिस्तान को देगा या नहीं ये तो पता नहीं, लेकिन ये तय है कि दोनों के रिश्ते बेहतर होंगे."
जब एफ़-16 को लेकर हुआ था विवाद
2019 में 27 फ़रवरी को पाकिस्तान ने भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एफ़-16 विमान का इस्तेमाल किया था. बाद में भारतीय वायुसेना के एक मिग-21 बाइसन ने पाकिस्तान के एक एफ़-16 को नौशेरा सेक्टर में गिराने का दावा किया था.
इसके ठीक एक दिन पहले 26 फ़रवरी को भारतीय वायु सेना ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा पार करके बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के 'ट्रेनिंग कैंपों' पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने का दावा किया था.
इसके बाद ये ख़बरें आईं कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने पाकिस्तान के एफ़-16 विमानों की गिनती की थी और उनकी संख्या पूरी पाई गई. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने इस तरह की जाँच से इनकार किया था.
हालांकि फिर ये ख़बर भी आई कि एक वरिष्ठ अमेरिकी कूटनीतिज्ञ ने पाकिस्तान एयर फोर्स के प्रमुख से एफ़-16 के ग़लत इस्तेमाल को लेकर सवाल किया था. (bbc.com/hindi)
तेलंगाना, 13 सितंबर। तेलंगाना के सिकंदराबाद के एक इलेक्ट्रिक स्कूटर शोरूम में लगी आग में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है. पीएम मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए मुआवज़े का एलान किया है.
समाचार एजेंसियों के अनुसार आग होटल की ग्राउंड फ़्लोर पर मौजूद इलेक्ट्रिक स्कूटर शोरूम में लगी थी.
हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद से एएनआई को बताया है कि आग के बाद निकलने वाले धुएं से होटल की पहली और दूसरी मंज़िल पर रहने वालों के लिए मुसीबत बनी है.
सीवी आनंद ने कहा, "कुछ लोगों ने बिल्डिंग से छलांग लगा दी. उन्हें स्थानीय लोगों ने बचाया. इन लोगों को अस्पताल पहुँचाया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘आग लगने के कारणों का पता नहीं चला है. हमेंलगता है कि शॉर्ट सर्किट या फिर इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी ज़्यादा चार्ज होने की वजह भी आग लगने की आशंका है. घटना के वक़्त होटल में 23 लोग थे. इनमें से अधिकतर कारोबारी हैं. मरने वाले छह लोगों में से एक महिला है. जान बचाने के लिए कुछ लोगों ने होटल से छलांग लगा दी.’
उन्होंने बताया कि हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं.
इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. एक ट्वीट कर पीएम मोदी ने कहा, सिकंदराबाद में आग के कारण हुई मौतों से दुखी हूँ. में परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ. घायलों के जल्द रिकवर करने की कामना करता हूँ. मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहतकोष से दो लाख रुपए दिए जाएंगे. घायलों को भी 50 हज़ार दिए जाएंगे. (bbc.com/hindi)
नयी दिल्ली, 13 सितंबर। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा शहर में एक सीवर की सफाई के दौरान दो लोगों की मौत के मामले का संज्ञान लेने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके अधीन आने वाला दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार है।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ‘बिना किसी जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’ पार्टी के आरोप पर उपराज्यपाल कार्यालय या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
पुलिस ने कहा था कि बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में नौ सितंबर को सीवर की सफाई करने गए एक सफाईकर्मी और एक सुरक्षा गार्ड की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 11 सितंबर को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था और मामले में दिल्ली नगर निगम, दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस जारी किया छा।
अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को सहायता के लिए न्याय मित्र (अदालत का मित्र) नियुक्त किया था।
डीजेबी के उपाध्यक्ष भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा को मामले का स्वत: संज्ञान लेने और यह पूछने के लिए धन्यवाद देता हूं कि जब दिल्ली में हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है तो यह घटना कैसे हुई।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘डीडीए, जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, इन दो लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है। उपराज्यपाल बिना जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’’
भारद्वाज ने दावा किया कि यह स्पष्ट है कि ‘सवालों के घेरे में आया विभाग’ इस मुद्दे से बच रहा है और अपने ‘गंभीर अपराध’ को स्वीकार नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीवर लाइन से लेकर पंपिंग स्टेशन तक, सब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के नियंत्रण में है।
डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्रों में घटना के बारे में पढ़ने के तुरंत बाद इसका संज्ञान लिया और अपने कार्यालय से रिपोर्ट मांगी।
उन्होंने सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमने उपराज्यपाल कार्यालय के उचित कदम उठाने और उनके जिम्मेदारी स्वीकार करने का इंतजार किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की टालमटोल के बीच उन्होंने जो चुप्पी बनाए रखी है, वह शर्मनाक है।’’
‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय ने उच्च न्यायालय को गुमराह करने की ‘भरपूर कोशिश’ की।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के वकील ने अदालत में यह नहीं बताया कि डीडीए की गलती है? इसके बजाय अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) और दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी किया।’’
भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ‘निश्चित रूप से’ अदालत को ‘एक संपूर्ण रिपोर्ट’ सौंपेंगे, लेकिन उपराज्यपाल को यह समझना चाहिए कि सत्ता हमेशा जवाबदेही के साथ आती है, ‘उपराज्यपाल जवाबदेही से इस तरह भाग नहीं सकते।’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘उपराज्यपाल ने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात क्यों नहीं की? क्या उन्होंने खेद जताया या शोक व्यक्त किया? उपराज्यपाल ने ऐसी घटना को दोबारा नहीं होने देने के लिए डीडीए में किए गए सुधारात्मक उपायों की रूपरेखा क्यों नहीं बनाई?’’
‘आप’ नेता ने कहा, ‘‘यह प्रणाली बिना किसी जवाबदेही के एक ‘भ्रष्ट’ मुखिया के साथ काम नहीं कर सकती है।’’ (भाषा)