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-मेधावी अरोड़ा और मार्को सिल्वा
भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में विनाशकारी बाढ़ के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे दावे किए गए जिनमें स्थानीय मुसलमान आबादी को इस आपदा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया. लेकिन क्या इन आरोपों में कोई सच था? इन आरोपों का सामना करने वाले एक व्यक्ति ने बीबीसी को अपनी कहानी सुनाई.
3 जुलाई की सुबह जब नाज़िर हुसैन लसकर के घर पर पुलिस ने दस्तक दी तो वो हैरान रह गए. कई सालों से वो राज्य में एक निर्माण मज़दूर के रूप में काम करते रहे थे. वो बाढ़ से बचाव के लिए पुश्ते बनाने का काम करते थे.
लेकिन उस सुबह उन्हें गिरफ़्तार करने आई पुलिस ने उन पर सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने का आरोप लगाया. उन पर बाढ़ रोकने के लिए बनाए गए पुश्तों को तोड़ने के आरोप लगाए गए.
लसकर सवाल करते हैं, "मैंने 16 साल सरकार के लिए काम किया और पुश्ते बनाए. मैं क्यों इन्हें नुकसान पहुंचाऊंगा?"
ज़मानत पर छूटने से पहले लसकर को बीस दिन जेल में बिताने पड़े. उनके लिप्त होने का कोई सबूत नहीं मिला है. लेकिन उनके इर्द-गिर्द सोशल मीडिया पर उठा तूफ़ान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है.
"मुझे डर था कि कहीं मुझ पर हमला न कर दिया जाए"
इस साल मई और जून में असम में दो बार विनाशकारी बाढ़ आई जिसमें कम से कम 192 लोग मारे गए. असम में यूं तो हर साल ही बाढ़ आती है लेकिन इस बार बारिश समय से पहले और सामान्य से ज़्यादा हुई.
लेकिन सोशल मीडिया के कुछ यूज़र के लिए यहां कुछ और ही खेल चल रहा था.
उन्होंने बिना किसी सबूत के ये दावा किया कि ये बाढ़ लाई गई है और मुसलमानों के एक समूह ने हिंदू बहुल आबादी स्थानीय शहर सिल्चर को डुबोने के लिए बाढ़ को रोकने के लिए बनाए गए पुश्ते तोड़ दिए हैं.
लसकर और तीन अन्य मुसलमानों की गिरफ़्तारी के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट की बाढ़ सी आ गई जिसमें इन पर कथित तौर पर 'बाढ़ जेहाद' के आरोप लगाए गए.
इन पोस्ट को हज़ारों बार शेयर किया गया. इनमें कई ऐसे अकाउंट भी थे जो जो वेरीफ़ाइड हैं और जिनकी पहुंच काफ़ी ज़्यादा है. बाद में स्थानीय मीडिया ने भी इन दावों को अपनी रिपोर्टों में दोहराया.
लसकर को स्थिति की गंभीरता का तब पता जला जब जेल में उन्होंने टीवी पर एक रिपोर्ट में अपना नाम देखा. उन पर 'बाढ़ जेहाद' करने के आरोप लगाए गए थे.
"मैं उस रात बहुत डर गया था और सो भी नहीं पाया था. दूसरे क़ैदी इस बारे में बात कर रहे थे. मुझे लग रहा था कि कहीं मुझ पर हमला न कर दिया जाए."
'बाढ़ जेहाद' के दावों की सच्चाई
1950 के दशक से ही असम में बाढ़ की रोकथाम के लिए पुश्ते बनाए जाते रहे हैं. राज्य में चार हज़ार किलोमीटर से लंबे पुश्ते हैं. इनमें से कई के बारे में कहा जाता है कि वो कमज़ोर हैं और उनके टूटने की संभावना है.
23 मई को बराक नदी के किनारे एक पुश्ता टूट गया था. ये नदी पूर्वी बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत में बहती है.
असम में बाढ़
ये पुश्ता मुसलमान बहुल आबादी वाले इलाक़े बेथूकांडी में टूटा था. सिल्चर में आई भीषण बाढ़ के कई कारणों में से एक ये भी था. सिल्चर हिंदु बहुल शहर है.
सिल्चर की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर कहती हैं, "बंध का टूटना एक कारण था लेकिन सिल्चर में पानी घुसने का वो एकमात्र रास्ता नहीं था."
बीबीसी को पता चला है कि इस ख़ास घटना की वजह से ही लसकर और तीन अन्य मुसलमान पुरुषों को गिरफ़्तार किया गया. एक पांचवे व्यक्ति को भी गिरफ़्तार किया गया था. हालांकि इन पांचों के बांध से टूटने के संबंध का कोई सबूत नहीं मिल सका है.
मुंबई के जमशेदजी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ास्टर स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर निर्मल्या चौधरी कहती हैं, "तटबंधों की मरम्मत और देखभाल की कमी की वजह बंध टूटते रहते हैं."
"इनमें से कुछ के पीछे लोग भी हो सकते हैं. ऐसी मौके भी आए हैं जब लोगों ने इसिलए बंध तोड़ दिए कि पानी निकल जाए और उनके इलाक़े में बाढ़ ना आए."
सिल्चर पुलिस इससे सहमत नज़र आती है.
सिल्चर की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर कहती हैं, "बाढ़ जेहाद जैसी कोई चीज़ नहीं है. पहले प्रशासन भी पानी को बाहर निकालने के लिए बंध तोड़ता रहा है. इस साल ऐसा नहीं किया गया और कुछ लोगों ने ख़ुद ही ये काम कर दिया."
प्रोफ़ेसर चौधरी कहती हैं, "इस तरह के दावे करना (बाढ़ जेहाद) आसान रास्ता चुनना है. ये प्रबंधन की समस्या है और मुझे लगता है कि इसके समाधान के लिए और अधिक परिपवक्व समाधान की ज़रूरत है."
'मुसलमान होने की वजह से आरोप लगाए गए'
गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक बीते पांच साल में गूगल पर 'फ्लड जेहाद' इस साल जुलाई में सबसे ज़्यादा खोजा गया. इस दावे के इर्द-गिर्द सोशल मीडिया पर फैलाई गई सनसनी इसका कारण है.
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब मुख्यधारा की मीडिया में मुसलमान विरोधी कांस्पिरेसी थ्यौरी आई हों.
कोरोना महामारी के समय भारतीय मीडिया में मुसलमानों को कोरने के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए 'कोरोना जेहाद' शीर्षक से रिपोर्टें प्रसारित हुईं थीं.
आलोचकों का कहना है कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदूवादी भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से मुसलमानों को अधिक निशाना बनाया जा रहा है. हालांकि बीजेपी ने आरोपों को ख़ारिज करती है.
इसी बीच असल में जेल से रिहा होने के बाद भी लसकर ख़ौफ के साये में रहने को मजबूर हैं.
वो कहते हैं, "मैं और मेरे परिवार के लोग अब भी घर से बाहर निकलने में डरते हैं. मेरे बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. मैं हेलमेट पहनकर घर से बाहर निकलता हूं ताकि अपना चेहरा छुपा सकूं. मुझे डर है कि कहीं हिंसक भीड़ मुझ पर हमला ना कर दे." (bbc.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 अगस्त। कोविड महामारी और उसके बाद कोयला परिवहन के नाम पर बंद की गई यात्री ट्रेनों को धीरे-धीरे फिर शुरू किया रहा है। इसी कड़ी में 13 अगस्त से दुर्ग से विशाखापट्टनम के बीच प्रारंभ हो रही है। विशाखापट्टनम से यह 13 अगस्त से और दुर्ग से 14 अगस्त से ट्रेन प्रतिदिन रवाना होगी।
गाड़ी संख्या 18530 विशाखापट्टनम-दुर्ग एक्सप्रेस विशाखापट्टनम से शाम 16:55 बजे रवाना होकर दूसरे दिन सुबह 05:40 बजे दुर्ग पहुंचेगी। इसी विपरीत दिशा गाड़ी संख्या 18529 दुर्ग- विशाखापट्टनम एक्सप्रेस दुर्ग से शाम 18.30 बजे रवाना होकर दूसरे दिन सुबह 10.50 बजे विशाखापट्टनम पहुंचेगी । इस गाड़ी में 02 एसएलआर, 02 सामान्य, 05 स्लीपर, 02 एसी थ्री श्रेणी के कोच सहित कुल 11 कोच रहेंगे।
ट्रेन का ठहराव सीमाचलम, विजयनगरम्, बोबिली, पार्वतीपुरम्, पार्वतीपुरम् डाउन, रायगड़ा, मुनिगुड़ा, केसिंगा, टिटलागढ़, कांटाभांजी, हरिशंकर रोड, खरियार रोड, बागबाहरा, महासमुंद, रायपुर, सरोना, कुमारी, देव बलौदा, चरौदा, भिलाई, भिलाई पावर हाउस तथा भिलाई नगर में दोनों ओर होगा।
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 3 अगस्त। पांच लाख कर्मचारी अधिकारियों की पांच दिनों के सामूहिक अवकाश, बेमुद्दत हड़ताल की तैयारी और मंत्रालय संघ की नोटिस से सचेत होकर सरकार से बंपर डीए देने के संकेत मिले हैं। ऐसे में एच आर ए को थोड़ा और टाला जा सकता है।
फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा द्वारा सचिव अमिताभ जैन को बेमुद्दत हड़ताल की नोटिस देने के बाद जीएडी के सचिव डीडी सिंह ने मंगलवार को कर्मचारी नेताओं को बुलाकर चर्चा की थी। इसमें उन्होंने सभी बातें सुनने के बाद आज सीएम बघेल को अवगत करा दिया है। फेडरेशन के नेता, चर्चा के लिए सीएम बघेल के बुलावे का गुरुवार को दिनभर इंतजार करते रहे। बुलावा तो नहीं आया लेकिन मंत्रालय से एक पाज़िटिव खबर निकल कर आई है। सूत्रों ने बताया कि सीएम बघेल इस बार बंपर डीए देने की तैयारी में है। इसकी घोषणा वे 9 अगस्त या 15 अगस्त को कर सकते हैं। सीएम बघेल से मिले संकेतों के हवाले से वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों को करीब नौ फीसदी डीए देने की घोषणा हो सकती है। इसमें से कितना नगद और कितना जीपीएफ में जमा की जाएगी,इसका ही फैसला शेष है। फेडरेशन के एक शीर्ष नेता ने भी ऐसी जानकारी मिलने की पुष्टि की है। त्योहारी सीजन में इसका लाभ देकर सीएम बघेल, अपनी सरकार की हो रही उलाहनाओं को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। तीन साल से बकाया डीए देने के बजाय विधायक, मंत्रियों के वेतन, भत्ते बढ़ा दिए जाने से सरकार की किरकिरी हो रही है।
रायपुर, 3 अगस्त। सबसे विश्वसनीय सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ की खबर सौ फीसदी सच निकली। रेलवे प्रशासन द्वारा यात्रियों की मांग व उन्हें बेहतर यात्रा सुविधा देने ट्रेनें पुनः चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में विशाखापट्टनम-दुर्ग-विशाखापट्टनम के मध्य एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन (प्रतिदिन) पुनः प्रारम्भ किया जा रहा है। गाड़ी संख्या 18530 विशाखापट्टनम-दुर्ग एक्सप्रेस 13 अगस्त से तथा गाड़ी संख्या 18529 दुर्ग-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस 14 अगस्त से चलेगी। अब तक यह ट्रेन पुराने नंबर से पैसेंजर के रूप में चलती रही है। अब इस बदले स्वरूप में इस ट्रेन में 2के बजाय पांच स्लीपर और दो ऐसी थ्री के कोच होंगे।इस ट्रेन का भाड़ा एक्सप्रेस का होगा और स्टापेज पैसेंजर की तरह ही होंगे। जारी टाइम टेबल के अनुसार 18530 विशाखापट्टनम-दुर्ग एक्सप्रेस विशाखापट्टनम से शाम 16:55 बजे रवाना होकर दूसरे दिन सुबह 05:40 बजे दुर्ग पहुंचेगी। इसी विपरीत दिशा गाड़ी 18529 दुर्ग- विशाखापट्टनम एक्सप्रेस दुर्ग से संध्या 18.30 बजे रवाना होकर दूसरे दिन 10.50 बजे विशाखापट्टनम पहुंचेगी । इस गाड़ी में 02 एसएलआर, 02 सामान्य, 05 स्लीपर, 02 एसी थ्री श्रेणी के कोच सहित कुल 11 कोच रहेंगे।
इस गाड़ी की विस्तृत समय सारणी निम्नानुसार है:-????
रायपुर, 3 अगस्त। राजस्व विभाग ने चार राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार पदोन्नत कर स्थानांतरित भी किया है। इनमें जशपुर में पदस्थ रामसेवक पैकरा को पदोन्नति के बाद सरजुगा, रामनारायण श्रीवास को भू-अभिलेख शाखा से रायपुर कलेक्टोरेट, रविंद्र कुमार काले को भू-अभिलेख, रायपुर से महासमुंद कलेक्टोरेट, और अजय कुमार गुप्ता को भू-अभिलेख जशपुर से कलेक्टोरेट, सरगुजा में पदस्थ किया गया है।
रायपुर, 3 अगस्त। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की नाशपाती का स्वाद देश की राजधानी दिल्ली को पसंद आ रहा है। दिल्ली के अलावा उत्तरप्रदेश, रांची समेत देश के विभिन्न राज्यों में जशपुर की नाशपाती खरीदी जा रही है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध जशपुर के दूरस्थ अंचलों के किसान अपने खेतों में साग-सब्जी के अलावा नवीन पद्धति से चाय, काजू, टमाटर, मिर्च, आलू की भी अच्छी खेती कर रहे हैं। यहां के बगीचा विकासखंड के पठारी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नाशपाती की खेती की जा रही है। इस खेती से अंचल के किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। जशपुर जिले में लगभग रकबा 750.00 हेक्टेयर में 660 मीट्रिक टन नाशपाती का उत्पादन हो रहा है, जिससे 17 सौ से भी अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। उनके जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहा है।
जशपुर जिले के बालाछापर में हो रही चाय की खेती और बस्तर के दरभा में हो रहे पपीते की खेती आज पूरे देश में सुर्खियाँ बंटोर रही है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में आए अभूतपूर्व बदलाव इस बात के सूचक हैं कि प्रदेश में कृषि अब सामान्य से बढ़कर व्यापक और नवाचारी परिवर्तन ला रहा है, जो लोगों को रोजगार, स्व-रोजगार से जोड़ रहा है।
कई किसानों ने उद्यान विभाग की नाशपाती क्षेत्र विस्तार योजना का लाभ लेते हुए अपने यहां नाशपाती का उत्पादन शुरू किया है, इन्हीं में से एक हैं बगीचा विकासखंड के किसान श्री विरेन्द्र कुजूर जिन्होंने अपने उद्यान में नाशपाती के 250 पेड़ लगाए हैं। अब प्रतिवर्ष उन्हें फल संग्रहण कर विक्रय से लाखों रूपए की आय हो रही है, साथ ही उनके इस काम से स्थानीय लघु किसानों एवं कृषि मजदूरों को भी रोजगार भी मिला है।
श्री विरेन्द्र बताते हैं कि वर्ष 2021-2022 में नाशपाती उत्पादन कार्य से वह उन्हें लगभग 3 लाख रूपए की आय हुई। उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ उन्हें मिला है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है, विशेषज्ञ अधिकारियों के मार्गदर्शन में वे लगातार काम कर रहे हैं, अब वह इस काम को और विस्तार देना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की संकल्पना के आधार पर प्रदेश में खेती, बागवानी एवं वानिकी से जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन की आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने की दिशा में लगातार कार्य हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत गांवों में साग-सब्जियों एवं स्थानीय जलवायु के आधार पर फल के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। गांव, ग्रामीणों और किसानों की आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर में बदलाव लाने के उद्देश्य से ऐसी योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिनसे लोगों की जेबें भर रही हैं।
सरकार प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने एवं किसानों को आर्थिक सशक्त बनाते हुए प्रोत्साहित करने के लिए कई अहम् योजनाओं का संचालन कर रही है। दूरस्थ अंचलों में किसान धान के अलावा भी कई प्रकार की खेती कर रहे हैं, इनमें फल के उत्पादन भी शामिल हैं, इससे न केवल प्रदेश में उत्पादन क्षमता स्थानीय रोजगार के लिए भी रास्ते खुले हैं। प्रदेश के किसानों एवं दूरस्थ अंचलों में ग्रामीणों को भौगोलिक परिवेश के अनुकूल आधुनिक पद्धति से कृषि के लिए विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर/जांजगीर-चांपा, 3 अगस्त। जांजगीर जिले के पामगढ़ के नजदीक बारगांव में आकाशीय बिजली गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई। बिलासपुर के होमगार्ड कैंपस में बिजली गिरने से एक विशाल पेड़ झुलस गया और प्रैक्टिस करते नगर सैनिक चपेट में आने से बाल-बाल बचे।
जानकारी के मुताबिक तीन महिलाएं बुधवार की सुबह खेत में काम करने के लिए गई थी। करीब 11 बजे उन पर तेज गरज के साथ बिजली गिरी। बिजली की चपेट में आने से 35 साल की बबीता तुर्कानी और 40 साल की धनबाई कश्यप की मौके पर ही मौत हो गई। तीसरी महिला 50 वर्षीय हीराबाई की हालत गंभीर है। उसे इलाज के लिए पामगढ़ के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के मुताबिक जिस दौरान बिजली गिरी, बारिश तेज नहीं थी। इसलिए महिलाएं बादल गरजने के दौरान भी खेत में काम कर रही थीं और सुरक्षित स्थान पर नहीं गईं।
इधर बिलासपुर के होमगार्ड परिसर में तेज गरज के साथ बिजली गिरी। उस समय नगर सैनिकों की प्रैक्टिस चल रही थी। बिजली परिसर में स्थित सिरसा के पेड़ पर गिरा। पेड़ झुलस गया है। होमगार्ड परिसर में तड़ित चालक नहीं लगा है। बिजली गिरने के बाद अब इस ओर ध्यान देने की बात अधिकारियों ने कही है।
जीएम तैयार नहीं हुए मिलने के लिए, धक्का देकर आरपीएफ ने आंदोलनकारियों को बाहर निकाला
अब पटरी पर बैठकर आंदोलन करने की चेतावनी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 अगस्त। रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती में हो रही गड़बड़ी को लेकर आम आदमी पार्टी ने बेरोजगार युवाओं के साथ मिलकर दूसरी बार रेलवे जोन मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया लेकिन इस बार भी उनसे महाप्रबंधक मिलने के लिए तैयार नहीं हुए।
बीते 25 जुलाई को आप कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर 2 अगस्त तक ठोस निर्णय लेने का अल्टीमेटम दिया था। आज तय कार्यक्रम के अनुसार पुराना हाई कोर्ट भवन के सामने से आप कार्यकर्ता और बेरोजगार युवक बारिश के बीच पैदल रेलवे जोन मुख्यालय की ओर बढ़े। रेलवे इलाके में आरपीएफ के जवानों ने पहले से बेरीकेडिंग कर रास्ता रोक रखा था। आंदोलनकारी बैरिकेडिंग से आगे मेन गेट तक पहुंच भी गए पर वहां मेन गेट का भी ताला लगा हुआ था। यहां आरपीएफ ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिया। इस पर आंदोलनकारी वहीं पर बैठकर प्रदर्शन और नारेबाजी करने लगे। कुछ लोग मेन गेट के ऊपर चढ़कर भीतर घुसने की कोशिश भी करने लगे। तब आरपीएफ ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और लाठियां भी लहराई। आप कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका शुक्ला और प्रदेश कोषाध्यक्ष जसबीर चावला ने जवानों से कहा कि वे सिर्फ महाप्रबंधक से बात कर यह जानने के लिए पहुंचे हैं कि 25 जुलाई को हमने जो ज्ञापन दिया था, उस पर क्या कार्रवाई की गई है। लगातार प्रदर्शन जारी रहने पर जोन हेड क्वार्टर से एक अधिकारी पुलिस सुरक्षा में आंदोलनकारियों के पास पहुंचे और उन्होंने ज्ञापन लेने की बात की। इस दौरान जब कुछ प्रदर्शनकारी गेट के खुलने पर भीतर जाने की कोशिश करने लगे तो उन्हें पुलिस ने धक्का देकर और खींचकर बाहर निकाल दिया। वहां पर आए अधिकारी ने कहा कि आप लोगों की बात से मैं सहमत हूं लेकिन हमारे हाथ में कुछ नहीं है। हमने आपके ज्ञापन को ऊपर भेजा है। जब आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि आप ने जो पत्र भेजा है, उसकी कॉपी हमें दिखा दीजिए तब वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। आखिरकार जीएम से मिले बगैर आंदोलनकारियों को मुख्यालय के मेन गेट से वापस लौटना पड़ा।
प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका शुक्ला ने कहा कि स्थानीय युवाओं में काफी गुस्सा है। केंद्र सरकार और रेलवे युवाओं को उकसा रही है। आरपीएफ के जवानों ने आंदोलन कर रहे युवाओं को आज चेतावनी दी कि वे उनका भविष्य खराब कर देंगे। पर जरूरत पड़ी तो हम रेलवे की पटरी पर भी बैठ कर आंदोलन करेंगे। जेल जाना पड़े तो भी जाएंगे लेकिन बिलासपुर जोन के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
उल्लेखनीय है रेलवे जोन में सहायक लोको पायलट पद पर 2509 पदों पर भर्ती होनी है। इन रिक्त पदों पर वन कैंडीडेट्स वन आरआरबी के नियम का पालन करते हुए बिलासपुर के रेलवे भर्ती बोर्ड में शामिल हुए अभ्यर्थियों को ही मौका मिलना चाहिए लेकिन नियम विरुद्ध जाकर रेलवे की ओर से यूपी, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और अन्य राज्यों के आरआरबी में परीक्षा दिलाने वाले युवाओं को लिया जा रहा है। इसके विरुद्ध आम आदमी पार्टी प्रभावित बेरोजगार युवकों के साथ आवाज उठा रही है।
नई दिल्ली, 3 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड का दफ़्तर सील कर दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ ईडी ने ये भी निर्देश दिया है कि उसकी बिना पूर्व अनुमति के परिसर को नहीं खोला जाएगा.
साथ ही दिल्ली स्थित कांग्रेस दफ़्तर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने भी वीडियो ट्वीट कर लिखा है कि कांग्रेस मुख्यालय की ओर जाने वाले रास्तों को ब्लॉक किया जा रहा है.
एक दिन पहले ही ईडी ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली और अन्य जगहों पर छापे मारे थे. कुछ दिनों पहले ही ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ की थी
साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी ईडी कई दौर की पूछताछ कर चुका है. ईडी के मुताबिक़ प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के संबंधित प्रावधानों के तहत सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ हुई है.
नेशनल हेराल्ड अख़बार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) करती है जिस पर यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड की मिल्कियत है. माना जा रहा है कि ईडी ने एजेएल से संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की है.
ईडी ने इसी मामले में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से भी पूछताछ की थी.
नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
ये मामला नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था.
अख़बार का मालिकाना हक़ 'एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड' यानी 'एजेएल' के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी. हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.
आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया. वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया.
फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.
इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे. कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे दिया.
इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 3 अगस्त। संविलियन के पूर्व कार्यरत जिन शिक्षाकर्मियों की मृत्यु हो गई थी, उनके परिजनों को भी अनुकंपा नियुक्ति की आस जगी है।ये लोग आज भी अनुकंपा के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कई दफा आंदोलन भी कर चुके हैं। शिक्षक संघ भी उनके मुद्दों पर कई बार विभाग के अधिकारियों से इस बात की गुहार लगा चुके हैं कि ऐसे मामलों में सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उन्हें यथासंभव नौकरी प्रदान करें।अब एक बार फिर लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और संयुक्त संचालकों को पत्र लिखकर उन शिक्षाकर्मियों के प्रकरण के विषय में जानकारी मांगी है जिनका संविलियन पूर्व निधन हो गया था । प्रदेश में लगभग 900 के आसपास ऐसे प्रकरण हैं जिस में अनुकंपा नियुक्ति दी जानी है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है.
बीजेपी के पूर्व सांसद और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो को ममता बनर्जी ने कैबिनेट मंत्री बनाया है.
बाबुल सुप्रियो के अलावा स्नेहाशीष चक्रवर्ती, पार्थ भौमिक, उदयन गुहा, प्रदीप मज़ूमदार, तजमुल हुसैन और सत्यजीत बर्मन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.
इनके अलावा बीरबहा हंसडा और बिप्लव रॉय चौधरी को स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ये बता दिया था कि बुधवार को वे अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगी.
उस समय ममता बनर्जी ने कहा था कि कई मंत्रालय ख़ाली हैं और वे अकेले ज़िम्मेदारी नहीं संभाल सकतीं. ये भी माना जा रहा है कि ममता बनर्जी जल्द ही विभागों में भी फेरबदल कर सकती हैं. (bbc.com)
प्रवर्तन निदेशालय ने यस बैंक-डीएचफ़एल घोटाले में अभियुक्त संजय छाबरिया और अविनाश भोसले की संपत्तियां अस्थायी तौर पर ज़ब्त की हैं. ये घोटाला क़रीब 3 हज़ार 700 करोड़ रुपए का है.
इस केस में अब तक कुल 1827 करोड़ रुपए की संपत्ति ज़ब्त की जा चुकी हैं. ईडी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार संजय छाबरिया की 251 करोड़ रुपए और अविनाश भोसले की 164 करोड़ रुपए की संपत्ति को पीएमएलए क़ानून के तहत ज़ब्त किया गया है.
पीएमएलए क़ानून के तहत ईडी हवाला लेन-देन से जुड़े मामलों की जाँच करती है. इस मामले में सीबीआई भी जाँच कर रही है.
सीबीआई ने इस घोटाले को लेकर वर्ष 2020 में केस फ़ाइल किया था. पुणे के कारोबारी अविनाश भोसले पर आरोप हैं कि उन्होंने यस बैंक से डीएचएफ़ल को कर्ज़ दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाई और इसके बदले करोड़ो रुपए कमिशन के तौर पर हासिल किए थे.
वहीं, डीएचएफ़एल के बाद सबसे ज़्यादा रेडियस ग्रुप ने यस बैंक से कर्ज़ लिया था. रेडियस ग्रुप संजय छाबरिया का था.
सीबीआई के अनुसार राणा कपूर की अगुवाई में कुछ साल पहले यस बैंक से डीएचएफ़एल ने जो 3700 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया वो वास्तव में रेडियस ग्रुप को मिले थे. बाद में डीएचएफ़एल ने ये लोन नहीं चुकाया, जिससे यस बैंक पर बोझ बढ़ा.
दोनों अभियुक्तों को इसी साल गिरफ़्तार किया जा चुका है. बीते महीने ही सीबीआई ने अविनाश भोसले के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है. (bbc.com)
-सौतिक बिस्वास
भारत की सर्वोच्च अदालत ने साल 1967 में दिए अपने फ़ैसले में तय किया था कि पासपोर्ट रखना और विदेश जाना प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है. साठ के दशक वाले भारत में ये एक ऐतिहासिक फ़ैसला था क्योंकि उस दौर में पासपोर्ट को एक ख़ास दस्तावेज़ माना जाता था.
पासपोर्ट सिर्फ़ उन लोगों को दिया जाता था जिन्हें विदेश में भारत की इज़्ज़त बनाए रखने और प्रतिनिधित्व करने लायक समझा जाता था.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से जुड़ी इतिहासकार राधिका सिंघा बताती हैं कि लंबे समय तक पासपोर्ट किसी नागरिक की प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था जो कि सिर्फ़ प्रतिष्ठित, समृद्ध और शिक्षित भारतीय नागरिकों को दिया जाता था.
इसी वजह से मलाया, सीलोन (श्रीलंका), बर्मा (म्यांमार) में रहने वाले वाले मज़दूरों और तथाकथित गिरमिटिया मज़दूर वर्ग को पासपोर्ट नहीं दिया जाता था.
इन वर्गों से आने वाले लोगों की संख्या दस लाख से ज़्यादा थी जो ब्रिटिश राज के दौरान मज़दूरी करने के लिए ब्रितानी साम्राज्य के अलग-अलग कोनों में गए थे.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सटर से जुड़ीं इतिहासकार कालथमिक नटराजन कहती हैं, "इस तरह भारतीय पासपोर्ट रखने वालों को सरकार द्वारा मान्यता-प्राप्त, भारत का वांछित प्रतिनिधि माना जाता था. इस मान्यता की वजह मज़दूरी और कुली के रूप में काम करने वाले भारतीय लोगों को 'अवांछनीय' समझा जाना था. और ये परंपरा 1947 के बाद भी भारतीय पासपोर्ट नीति पर हावी रही."
आज़ादी के बाद भी नहीं बदली नीतियां
डॉ नटराजन ने पासपोर्ट वितरण में भेदभाव करने की भारतीय नीति के बारे में ज़्यादा जानने के लिए आर्काइव तलाशे हैं.
वह कहती हैं कि "ब्रितानी हुकूमत से आज़ादी के बाद भी हालात में बदलाव नहीं आया. नयी सरकार भी अपने 'अवांछनीय नागरिकों' के एक 'निश्चित वर्ग' के साथ औपनिवेशक राज्य (ब्रितानी शासन) की तरह ही ऊंच-नीच और भेदभाव भरा व्यवहार करती रही."
डॉ नटराजन कहती हैं कि ये भेदभाव इस मान्यता के साथ किया जाता था कि विदेश यात्रा से आत्म सम्मान और भारत की इज़्ज़त जुड़ी हुई है, ऐसे में विदेश यात्रा सिर्फ़ उन लोगों द्वारा की जा सकती थी जिनमें 'भारत की सही झलक' हो.
ऐसे में भारत सरकार ने अपने अधिकारियों को ऐसे नागरिकों की पहचान करने का आदेश दिया था जो विदेश में भारत को शर्मसार नहीं करेंगे.
इसमें साल 1954 तक राज्य सरकारों द्वारा पासपोर्ट जारी किए जाने की नीति ने फायदा पहुंचाया. भारत ने ज़्यादातर लोगों को पासपोर्ट न देकर एक "वांछित" भारतीय प्रवासी समुदाय बनाने की कोशिश की.
डॉ नटराजन समेत अन्य शोधार्थियों ने पाया है कि इस नीति को ब्रितानी अधिकारियों की मिलीभगत के साथ अमल में लाया गया ताकि निम्न जाति और वर्ग के लोगों को 1947 के बाद ब्रिटेन जाने से रोका जा सके.
(साल 1948 के ब्रिटिश नेशनलिटी एक्ट ने भारतीय प्रवासियों को आज़ादी के बाद ब्रिटेन आने की इजाज़त दी थी. इस कानून के तहत भारत में और भारत के बाहर रहने वाले भारतीय लोग ब्रितानी नागरिक थे).
नटराजन कहती हैं कि दोनों देशों में अधिकारियों ने भारतीय लोगों की एक श्रेणी बनाई जिसे दोनों पक्षों ने ब्रिटेन जाने के लिए लायक नहीं समझा. इससे दोनों देशों का फायदा होना था. भारत के लिए इसका मतलब 'अवांछित' ग़रीब, निचली जाति एवं गिरमिटिया मजदूरों के वंशजों को आगे बढ़ने से रोकना था, जिनसे संभवत 'पश्चिम में भारत शर्मसार हो' सकता था.
वह बताती हैं कि ब्रिटेन के लिए इसका मतलब कलर्ड (जो गोरे नहीं थे) एवं भारतीय आप्रवासियों, विशेषकर घूम-घूमकर सामान बेचने वाले वर्ग की बाढ़ को संभालना था.
ब्रिटेन में साल 1958 में कलर्ड (जो गोरे नहीं थे) आप्रवासियों की भारी संख्या आने से उपजी समस्या पर एक आंतरिक रिपोर्ट लायी गयी.
इस रिपोर्ट में वेस्ट इंडियन आप्रवासी "जो ज़्यादातर अच्छे होते हैं और ब्रितानी समाज में आसानी से घुलमिल जाते हैं" और भारतीय एवं पाकिस्तानी आप्रवासियों "जो अंग्रेजी बोलने में असक्षम होते हैं और हर तरह से अकुशल" होते हैं, के बीच अंतर स्पष्ट किया गया था.
नटराजन कहती हैं कि ब्रितानियों को लगा कि उपमहाद्वीप से आते आप्रवासियों, जिनमें से ज़्यादातर अकुशल और अंग्रेज़ी बोलने में सक्षम नहीं है, की वर्ग पृष्ठभूमि ठीक नहीं है.
पचास के दशक में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ऑफिस में तैनात एक ब्रितानी अधिकारी ने एक पत्र में लिखा कि भारतीय अधिकारी ने इस बात पर "स्पष्ट रूप से प्रसन्नता" ज़ाहिर की कि होम ऑफिस "कुछ निश्चित भावी आप्रवासियों को वापस करने में सफल रहा."
दलितों को नहीं दिया जाता था पासपोर्ट
शोधार्थियों ने पाया है कि इस नीति के तहत भारत के सबसे वंचित तबके अनुसूचित जाति या दलित समाज को पासपोर्ट नहीं दिया जाता था. भारत की मौजूदा आबादी 1.4 अरब में से दलितों की हिस्सेदारी 23 करोड़ है. इसके साथ ही राजनीतिक अवांछितों जैसे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के सदस्यों को पासपोर्ट नहीं दिया जाता था.
साठ के दशक में सांसदों, विधायकों और पार्षदों को बिना वित्तीय गारंटी और सुरक्षा जांच के पासपोर्ट दिए जाने के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए डीएमके जैसे पूर्व अलगाववादी क्षेत्रीय दलों के सदस्यों को पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया था.
पासपोर्ट ना देने के अन्य तरीके भी थे. आवेदकों को लिटरेसी और अंग्रेज़ी भाषा का टेस्ट देना होता था, उनके पास पर्याप्त पैसा होना भी एक शर्त हुआ करती थी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के नियम मानने होते थे.
ब्रितानी भारतीय लेखक दिलीप हीरो याद करते हैं कि साल 1957 में उन्हें पासपोर्ट हासिल करने के लिए छह महीने का इंतज़ार करना पड़ा जबकि उनकी अकादमिक शिक्षा एवं आर्थिक हालत बहुत अच्छी थी.
इस तरह के दमनकारी नियंत्रण से ऐसे परिणाम आए जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. कई भारतीय नागरिकों ने जाली पासपोर्ट हासिल किया.
इस तरह के स्कैंडल के बाद अनपढ़ और अर्ध-साक्षर भारतीय जिन्हें अंग्रेज़ी नहीं आती थी, उन्हें 1959 से 1960 के बीच कुछ समय के लिए पासपोर्ट के लिए अयोग्य करार दिया गया.
ऐसे में, करीब दो दशकों तक, पश्चिम की यात्रा करने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों के लिए भारत की पासपोर्ट प्रणाली एकसमान रूप से उपलब्ध नहीं थी.
इस नीति की एक झलक 2018 में भी दिखाई दी जब पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने अकुशल और सीमित शिक्षा वाले भारतीयों के लिए ऑरेंज पासपोर्ट लाने की योजना का एलान किया जिसका उद्देश्य प्राथमिकता के आधार पर इनकी मदद और सहायता करना था. जबकि सामान्य रूप से भारतीय पासपोर्ट का रंग नीला होता है.
इस योजना का भरसक विरोध किया गया जिसके बाद सरकार को ये प्रस्ताव वापस लेना पड़ा.
नटराजन कहती हैं कि इस तरह की नीति सिर्फ़ यह बताती है कि भारत एक लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय दुनिया को एक ऐसी जगह के रूप में देखता है जो ऊंची जाति और वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त थी. (bbc.com)
रायपुर/ दिल्ली, 3 अगस्त। सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने आज राज्यसभा में कोरबा स्थित बालको कंपनी द्वारा की जा रही अनियमितताओं और स्थानीय युवाओँ के साथ की जा रही उपेक्षा का महत्त्वपूर्ण विषय संसद पटल पर उठाया। संसद में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित भारत अलुमिनियम कंपनी ,बालको, को सन 2000 में भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत स्टरलाइट कंपनी को इसका 51% हिस्सा बेच दिया गया था। उस वक़्त इस कंपनी का सालाना उत्पादन लगभग एक लाख टन था जो वर्तमान में लगभग 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो चुका है। यह उपक्रम देश के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े अलुमिनियम उत्पादकों में से एक है। लेकिन आज मैं सदन का ध्यान इस कंपनी में जारी अनियमितताओं की आकृष्ट करना चाहूंगी ।
शुरआती उत्पादन प्रतिवर्ष 1 लाख टन से बढ़ाकर वर्तमान में 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो गया है लेकिन अभी भी कंपनी ऑडिट रिपोर्ट में लगातार नुकसान होना दिखाया जा रहा है जिससे टैक्स देने से बच जा सके तथा अन्य सामाजिक दायित्व के कार्य न किये जा सकें। साथ ही ,कंपनी रूल का पालन न करके अपने सभी वित्तीय दस्तावेजों को भी पब्लिक डोमेन में नही रखा जा रहा है। कंपनी द्वारा क्षमता विस्तार की अनुमति में भी अनेक अनियमितताएं हैं। जिस जमीन पर नए प्लांट बने हैं उस जमीन का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसे स्थानीय प्रशासन से छुपाया गया तथा अवैध रूप से अनुमति प्राप्त की गई। यह एक गंभीर विषय है और इसकी तुरंत जांच की जानी चाहिए I किसी भी उपक्रम की स्थापना इसीलिए की जाती है कि उस क्षेत्र का विकास हो जहां यह स्थापित किया गया है और वहां के स्थानीय निवासियों को रोज़गार मिल सके। लेकिन कंपनी द्वारा इन दोनों मूल नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है। ना कंपनी ने स्थानीय मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई कर किया न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान किया। ITI के छात्रों को प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें एक समय बाद हटा दिया जाता है और उनके जगह नए लोगों को लेकर उनके साथ भी वही व्यवहार किया जाता है। उपक्रम के दैनिक कार्यों को निजी ठेकेदारों को ठेके पर दे दिया जाता है जो बाहर के कार्मिकों से कार्य करवाते हैं और स्थानीय युवक बेरोज़गार रह जाते हैं।
उपरोक्त सभी अनियमितताएं कंपनी द्वारा विगत कई वर्षों से किये जा रहे हैं। अपने उद्बोधन में सुश्री सरोज पांडेय ने माननीय मंत्री जी से अनुरोध किया कि बालको के विगत के कार्यों को जांच कराएं तथा अनियमितताओं को दूर करें।
सुश्री पाण्डेय ने इस विषय पर और जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी बड़े उपक्रम का पहला दायित्व होता है कि जिस जगह पर यह स्थापित किया जाता है, वहां के मूल निवासियों और विशेषकर युवाओं को उसका लाभ मिले। कोई भी संसाधन केवल किसी कंपनी का नहीं बल्कि पूरे देश ,प्रदेश और जनता का होता है जिनकी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी का ताइवान दौरा ख़त्म हो गया है.
ताइवान में लैंड करने के 24 घंटे से भी कम समय में शोंगशैंन एयरपोर्ट से उनका जहाज़ टेक ऑफ़ कर गया.
पेलोसी और उनके प्रतिनिधिमंडल की बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन से भी मुलाक़ात की. इस प्रतिनिधिमंडल में पेलोसी के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के पाँच और सदस्य थे. इसके अलावा वो समाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिलीं.
चीन लगातार धमकी दे रहा था और ऐसा लग रहा था कि नैंसी पेलोसी एशिया दौरे में शायद ताइवान नहीं जाएंगी. नैंसी पेलोसी के आने की अटकलों के बीच चीन ने सैन्य टकराव की भी धमकी दी थी लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
डेमोक्रेटिक कांग्रेसनल प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुँचीं पेलोसी ताइवान के मामले में चीन के ख़िलाफ़ काफ़ी मुखर रही हैं. उनकी छवि ताइवान समर्थक की है.
पेलोसी का ताइपेई दौरा अघोषित था. अमेरिका से रवाना होने से पहले उन्होंने अपने प्रतिनिधिमंडल के मलेशिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और जापान जाने की घोषणा की थी लेकिन ताइवान का ज़िक्र नहीं था. (bbc.com)
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड का दफ़्तर सील कर दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ ईडी ने ये भी निर्देश दिया है कि उसकी बिना पूर्व अनुमति के परिसर को नहीं खोला जाएगा.
साथ ही दिल्ली स्थित कांग्रेस दफ़्तर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. एक दिन पहले ही ईडी ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली और अन्य जगहों पर छापे मारे थे. कुछ दिनों पहले ही ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ की थी
साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी ईडी कई दौर की पूछताछ कर चुका है. ईडी के मुताबिक़ प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के संबंधित प्रावधानों के तहत सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ हुई है.
नेशनल हेराल्ड अख़बार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) करती है जिस पर यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड की मिल्कियत है. माना जा रहा है कि ईडी ने एजेएल से संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की है.
ईडी ने इसी मामले में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से भी पूछताछ की थी.
नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
ये मामला नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था.
अख़बार का मालिकाना हक़ 'एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड' यानी 'एजेएल' के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी. हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.
आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया. वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया.
फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.
इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे. कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे दिया.
इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई. (bbc.com)
जवाब-कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 अगस्त। प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने बुधवार को पूछ लिया कि विधानसभा चुनाव में हार का सामना क्यों करना पड़ा? इसके जवाब मिला कि 15 साल सरकार के रहने के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था। लिहाजा, हार का सामना करना पड़ा।
जामवाल प्रदेश के पदाधिकारियों की बैठक में सबसे परिचय लिया, और उनके कार्यों पर विस्तार से जानकारी ली। चर्चा के दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में बुरी हार को लेकर जानकारी चाही। इस पर पदाधिकारियों ने उन्हें साफ शब्दों में बताया कि लगातार सरकार में रहने के कारण कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था। सरकार को लेकर नाराजगी थी। यही वजह है कि बूरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
जामवाल ने बैठक में पदाधिकारियों से सुझाव भी लिए। उन्होंने कहा कि चुनाव में अब 14 महीने का वक्त रह गया है। भाजपा सरकार के 15 साल के अच्छे कार्यों, और केंद्र की एनडीए सरकार की उपलब्धियों की तुलना राज्य सरकार के कामकाज से कर सरकार की वापसी के लिए भिड़ गए। उन्होंने बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर उन्हें चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए कहा जाए।
बैठक के दूसरे दिन संभाग प्रभारी, सहप्रभारी, जिला संगठन प्रभारियों से संगठनात्मक गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई। उसके उपरांत बैठक के दूसरे सत्र में मीडिया व आईटीसेल के पदाधिकारियों की बैठक लेंगे। बैठक के पहले सत्र में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल ने किया। बैठक में प्रदेश पदाधिकारी व कोर ग्रुप के सदस्य, संभाग व जिला प्रभारी, सहप्रभारी मौजूद थे।
बर्मिघम, 3 अगस्त । कॉमनवेल्थ खेल में भारत को एक और ब्रॉन्ज़ मिल गया है. लवप्रीत सिंह ने वेटलिफ़्टिंग में 109 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज़ मेडल दिलाया है. उन्होंने कुल 355 किलोग्राम का वज़न उठाया. (bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 अगस्त। बिलासपुर-कोटा मार्ग पर आज दोपहर कार और बाइक की टक्कर में दो लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए।
पता चला है कि कार को एक युवती तेज रफ्तार से चलाते हुए बिलासपुर से कोटा की ओर जा रही थी। उसके साथ एक युवक भी सवार था।
कोटा की तरफ से ग्राम खरगहनी का 32 वर्षीय तुलसीराम यादव ग्राम पथर्रा के 53 वर्षीय जेताराम यादव और 60 वर्षीय सुकुमारा बाई को लेकर बाइक पर बिलासपुर की ओर जा रहा था। ग्राम नेवरा के पास सामने से आ रही कार ने उनको जबरदस्त टक्कर मार दी। तीनों बाइक सवार उछल कर काफी दूर जा गिरे और कार भी अनियंत्रित होकर एक खेत में जा घुसी। डायल 112 को फोन करने पर पुलिस वहां पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। हादसे में जैत राम और सुकुमारा बाई की मौत हो गई थी जबकि बाइक चालक तुलसीराम की हालत गंभीर बनी हुई है। युवक युवती भी घायल हो गए हैं जिन्हें इलाज के लिए सिम्स मेडिकल अस्पताल ले जाया गया है।
लोकसभा में मामला उठाया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 अगस्त । सांसद सुनील कुमार सोनी ने बुधवार को लोकसभा में रा’य सरकार पर आबंटन जारी होने के बावजूद अतिरिक्त चावल नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पीडीएस के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अंत्योदय, और अन्य प्राथमिकता समूह के राशनकार्डधारियों को 5 किलो प्रति सदस्य चावल दिया जाना था, लेकिन इसका वितरण नहीं किया गया। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग की।
रायपुर सांसद सोनी ने छत्तीसगढ़ में गरीब कल्याण योजना को लेकर सवाल किए थे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को सभी जिलों के लिए गरीबी कल्याण योजना के तहत अनाज दिया गया था, जिसे रा’य सरकार द्वारा वितरित नहीं किया गया है। यह एक गंभीर विषय है। उन्होंने केंद्र सरकार से जांच के आदेश दिए जाने की मांग की है।
श्री सोनी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जारी अंत्योदय, और प्राथमिकता समूह के राशनकार्डों पर मई एवं जून 2021 हेतु प्रति सदस्य प्रति माह 5 किलो नि:शुल्क अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन जारी किया गया था जिसे आगे भी जारी रखा गया है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के खाद्य विभाग ने भारत सरकार के आदेश के परिपे्रक्ष्य में प्रति माह 5 किलो अतिरिक्त चावल के वितरण के संबंध में आदेश जारी किए, और प्रति सदस्य प्रति माह 5 किलो अतिरिक्त चावल का वितरण किया गया।
उन्होंने बताया कि जिन राशनकार्डधारियों के यहां 5 से कम सदस्य हैं, उन्हें अतिरिक्त चावल नहीं दिया गया। इस तरह रा’य सरकार ने भारत सरकार के आदेश , और अंत्योदय एवं प्राथमिकता समूह के लिए जारी अतिरिक्त आबंटन के चावल के वितरण में पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया, और हितग्राहियों को अतिरिक्त चावल से वंचित रखा गया। सांसद सुनील सोनी ने पूरे मामले की जांच की मांग की है।
बीजेपी नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ताइवान और तिब्बत को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी पर सवाल उठाए हैं.
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ा हुआ है. चीन कहता रहा है कि ताइवन उसका हिस्सा है, लेकिन ताइवान अपने को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा है- हम भारतीयों ने नेहरू और एबीवी (अटल बिहारी वाजपेयी) की मूर्खता के कारण तिब्बत और ताइवान को चीन का हिस्सा मान लिया था.
स्वामी ने मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी पर भी चुटकी लेते हुए लिखा है कि चीन ने एलएसी पर आपसी सहमति के बावजूद लद्दाख़ के कुछ हिस्सों पर क़ब्ज़ा कर लेता है और मोदी ये कहते हैं कि कोई आया नहीं. (bbc.com)
आज़ादी को 75 साल हो रहे हैं और इस मौके को ख़ास बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार अलग-अलग आयोजन कर रही है. इसी कड़ी में बीजेपी नेता अपनी सोशल मीडिया की डिस्प्ले पिक्चर यानी डीपी में तिरंगा लगा रहे हैं.
अब इस अभियान में कांग्रेस भी शामिल हो गई है लेकिन थोड़े 'ट्विस्ट' साथ.
दरअसल, कांग्रेस नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डीपी में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगाई है जिसमें उन्होंने तिरंगा पकड़ा हुआ है.
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने ये तस्वीर शेयर की और साथ में लिखा, "देश की शान है, हमारा तिरंगा. हर हिंदुस्तानी के दिल में है, हमारा तिरंगा."
कांग्रेस पार्टी ने भी अपनी डीपी में यही तस्वीर लगाते हुए लिखा, "तिरंगा हमारे दिल में है, लहू बनकर हमारी रगों में है. 31 दिसंबर, 1929 को पंडित नेहरू ने रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराते हुए कहा था, ‘अब तिरंगा फहरा दिया है, ये झुकना नहीं चाहिए', आइए हम सब देश की अखंड एकता का संदेश देने वाले इस तिरंगे को अपनी पहचान बनाएँ. जय हिंद."
पीएम मोदी ने बीते रविवार अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में लोगों से अपनी सोशल मीडिया डीपी बदलने का आग्रह किया था.
उन्होंने ख़ुद मंगलवार को डीपी में तिरंगा लगाया और लिखा, "दो अगस्त का आज का दिन खास है. जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा देश तिरंगे का सम्मान करने की सामूहिक मुहिम के तहत ‘हर घर तिरंगा’ के लिए तैयार है. मैंने मेरे सोशल मीडिया पेज पर डीपी बदल दी है और मैं आप से भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं."
पीएम ने कहा कि तिरंगे के लिए दो अगस्त के दिन का ऐतिहासिक महत्व भी है. इसी दिन राष्ट्रीय ध्वज का डिज़ाइन करने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म हुआ था.
भारत की आज़ादी को 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र की मोदी सरकार ने हर-घर तिरंगा अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत जनता से अपने घरों पर 15 अगस्त तक तिरंगा फ़हराने का आग्रह भी किया गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट करके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा है.
उन्होंने लिखा है- हम हाथ में तिरंगा लिए अपने नेता नेहरू की DP लगा रहे हैं. लेकिन लगता है प्रधानमंत्री का संदेश उनके परिवार तक ही नहीं पहुंचा. जिन्होंने 52 सालों तक नागपुर में अपने हेड क्वार्टर में झंडा नहीं फहराया, वे क्या प्रधानमंत्री की बात मानेंगे?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरएसएस और संघ प्रमुख मोहन भागवत के ट्विटर अकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है कि संघियों को आज भी तिरंगे से परहेज़ है. (bbc.com)
पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाले में पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और उनकी करीबी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के घर से 50 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद होने की घटना से लगे जोरदार झटके के कारण शुरुआती कुछ दिनों तक किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में होने के बाद उबरते हुए तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अब इस मामले से पार्टी और सरकार को हुए नुकसान की भरपाई की कवायद शुरू कर दी है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चार अगस्त को नीति आयोग की बैठक के सिलसिले में दिल्ली जाने का कार्यक्रम हैं. वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बैठक की भी संभावना है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसी वजह से दिल्ली जाने से पहले वे अपने तरकश के तमाम तीरों को सीधा कर लेने के प्रयास में हैं.
यही वजह है कि पहले ममता ने पार्थ को मंत्रिमंडल से हटाया और फिर उनको पार्टी के तमाम पदों से हटाते हुए प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया.
उसके बाद सांसद अभिषेक बनर्जी ने शिक्षा मंत्री के साथ एसएससी के पहली मेरिट लिस्ट में चुने गए उम्मीदवार जो लंबे अरसे से कोलकाता में धरने पर हैं, से मुलाकात की और उनको शीघ्र नियुक्ति का भरोसा दिया. अब उन आंदोलनकारी उम्मीदवारों की शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के साथ इसी मुद्दे पर आठ अगस्त को बैठक होनी है. (bbc.com)
चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों की ओर से किए जाने वाले लोकलुभावन वादों यानी फ़्री बी पर रोक लगाने को लेकर सख़्ती दिखाई है. शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि ये एक गंभीर मुद्दा है और चुनाव आयोग और सरकार ये नहीं कह सकते कि वो इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनावी अभियानों के समय राजनीतिक पार्टियों की ओर से किए जाने वाले इन लोकलुभावन वादों के कल्चर को रोकने के लिए एक शीर्ष निकाय बनना चाहिए.
इसमें नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी, आरबीआई और अन्य संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जाना चाहिए.
अदालत ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और याचिकाकर्ता से कहा है कि वो सात दिनों में बताएँ कि इस विशेषज्ञ निकाय का गठन कैसे होगा.
चुनावों में मुफ्त की घोषणा वाले वादे के ख़िलाफ़ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है. मामले में अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते महीने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे उद्घाटन के दौरान ये कहा था कि देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है जो कि देश के लिए बहुत ही घातक है. उन्होंने कहा कि इस रेवड़ी कल्चर से लोगों को बहुत सावधान रहना है. (bbc.com)
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करने की घोषणा की है. पार्टी की ओर से जारी बयान में जेएमएम ने कहा है कि विचार विमर्श के बाद पार्टी ने मार्गरेट अल्वा का समर्थन करने का फ़ैसला किया है.
पार्टी ने अपने सभी सांसदों से अपील की है कि वो 6 अगस्त को होने वाले चुनाव में मार्गरेट अल्वा के समर्थन में मतदान करें. मार्गरेट अल्वा के सामने एनडीए ने पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर जगदीप धनखड़ को मैदान में उतारा है.
हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में जेएमएम ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था. जो बाद में देश की राष्ट्रपति भी बनीं.
उस समय पार्टी ने कहा था कि आज़ादी के बाद पहली बार किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होने वाला है. इसलिए पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फ़ैसला किया है. वैसे राज्य में जेएमएम कांग्रेस के सहयोग से सरकार का नेतृत्व कर रही है. आज ही बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन करने का ऐलान किया है.