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कई वारदातों में थीं शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 29 सितंबर। दंतेवाड़ा में पुलिस की पहल घर वापस आइए को गुरुवार को बड़ी कामयाबी मिली। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी और पुलिस उपमहानिरीक्षक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल विनय सिंह के समक्ष महिला नक्सली लीडर ने घर वापसी की। वह विभिन्न वारदातों में शामिल थीं।
धरमगढ़ एरिया कमेटी अंतर्गत मारवाड़ा एलओएस की डिप्टी कमांडर करती उर्फ रोशनी ओयाम ने घर वापसी की। रोशनी मिरतुर थाना अंतर्गत चेरली गांव की निवासी हैं।
उक्त महिला नक्सली विभिन्न वारदातों में शामिल थीं। इनमें पुलिस पर हमला करना प्रमुख था, जिसमें 2 जवान शहीद हुए थे। इसके साथ ही वर्ष 2017 में बेचा पाल में ग्रामीण पांडू पदम और वर्ष 2016 में सुकमन कड़ती की हत्या में शामिल थीं। राज्य शासन द्वारा उक्त कैडर के नक्सली की गिरफ्तारी पर 3 लाख का पुरस्कार घोषित किया गया था।
कोच्चि, 29 सितंबर। केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसके पूर्व महासचिव को निर्देश दिया कि वे गत 23 सितंबर को हड़ताल संबंधी हिंसा के कारण संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर गृह विभाग में क्षतिपूर्ति के रूप में 5.2 करोड़ रुपये जमा करायें।
अदालत ने कहा कि हड़ताल के दौरान हुई हिंसा के लिए पीएफआई को निश्चित तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मुआवजे की इस राशि का आकलन केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) और राज्य सरकार की ओर से किया गया है। बसों को हुए नुकसान और सेवाओं में कटौती को लेकर केएसआरटीसी ने क्षतिपूर्ति की इस राशि की मांग की है।
अदालत ने चिंता जताया कि राज्य प्रशासन ने हड़ताल आयोजकों को अनुचित मांग के साथ आगे बढ़ने और सड़क जाम करने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया, जबकि वर्ष 2019 का उच्च न्यायालय का आदेश इसके खिलाफ है।
अदालत ने कहा कि हड़ताल संबंधित हिंसा और संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर दर्ज सभी मामलों में संगठन के पूर्व महासचिव अब्दुल सत्तार को आरोपी बनाया जाए।
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सी पी की पीठ ने निर्देश दिया कि मजिस्ट्रेट या सत्र अदालतों को हड़ताल संबंधी हिंसा के किसी भी आरोपी की जमानत पर विचार करते समय ऐसी शर्त लगानी चाहिए कि उन्हें कोई राहत देने से पहले उनके द्वारा किये गये नुकसान की क्षतिपूर्ति पर जोर दिया जा सके।
अदालत ने कहा कि मीडिया की खबरों से खुलासा होता है कि 23 सितंबर को हालात से निपटने को लेकर पुलिस ने निष्क्रिय भूमिका निभाई।
अदालत ने कहा कि निर्धारित समय के भीतर राशि जमा करने में विफल रहने पर राज्य सरकार पीएफआई और अब्दुल सत्तार समेत इसके अन्य कार्यकर्ताओं की संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजस्व वसूली अधिनियम के तहत तत्काल कदम उठाएगी, ताकि 5.2 करोड़ रुपये की वसूली की जा सके।
अदालत ने कहा क प्रतिवादी आगे भी इस तरह की राशि के लिए उत्तरदायी होंगे जो दावा आयुक्त के समक्ष न्यायिक कार्यवाही के दौरान दावेदारों के पक्ष में देय पाई जाती हैं।
अदालत ने पीडी सारंगधरन को दावा आयुक्त नियुक्त किया और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनका कार्यालय तीन सप्ताह के भीतर पूरी तरह काम करने लगे।
केएसआरटीसी ने अपनी यचिका में यह दलील दी है कि हड़ताल बिना कोई अग्रिम सूचना दिए की गई, जो कि उच्च न्यायालय के उन आदेशों का उल्लंघन है जिसके तहत अचानक की जाने वाली हड़ताल को अवैध करार देते हुए कहा गया था कि इसके लिए सात दिन पूर्व नोटिस देना होगा।
परिवहन निगम की ओर से दावा किया गया कि हड़ताल के हिंसक होने से 58 बसों में खिड़कियों के शीशों और सीटों को नुकसान पहुंचाया गया तथा उसके 10 कर्मचारियों के अलावा एक यात्री भी घायल हुआ। (भाषा)
गुडालूर (तमिलनाडु), 29 सितंबर। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के 18 दिवसीय केरल पड़ाव के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी बृहस्पतिवार को तमिलनाडु के गुडालूर शहर पहुंचे, जहां से यात्रा 30 सितंबर को कर्नाटक में प्रवेश करेगी।
पहाड़ी क्षेत्र नीलगिरि जिले में स्थित गुडालूर शहर पहुंचने पर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता यात्रा में शामिल हुए।
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा, अपने अगले पड़ाव तमिलनाडु के गुडालूर पहुंची। राहुल गांधी यात्रियों के साथ एक स्वतंत्र और समृद्ध भारत की ओर अपनी अथक यात्रा जारी रखेंगे।’’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ सात सितंबर को कन्याकुमारी, तमिलनाडु से शुरू हुई थी। कन्याकुमारी से शुरू होकर यह यात्रा जम्मू-कश्मीर तक जाएगी। 150 दिनों की इस पदयात्रा में 3,570 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। (भाषा)
चंडीगढ़, 29 सितंबर। कांग्रेस की पंजाब इकाई के विधायकों ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार में मंत्री फौजा सिंह सरारी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की।
उन्होंने हाल ही में सामने आई एक ऑडियो क्लिप के मद्देनजर यह मांग की, जिसमें सरारी कथित तौर पर ‘जबरन वसूली’ के लिए कुछ ठेकेदारों को फंसाने के तरीकों पर चर्चा करते सुनाई दे रहे हैं।
कांग्रेस विधायकों ने कथित ऑडियो क्लिप की जांच केंद्र सरकार की फॉरेंसिक प्रयोगशाला से करवाने की भी मांग की।
पंजाब विधानसभा सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार रहा। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने ‘जबरन वसूली’ से जुड़ी कथित ऑडियो क्लिप को लेकर न सिर्फ सरारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, बल्कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भगवंत मान से स्पष्टीकरण देने को भी कहा।
सरारी और उनके पूर्व सहयोगी के बीच एक कथित बातचीत की ऑडियो क्लिप इस महीने सामने आई थी, जिसमें दोनों अनाज की ढुलाई से जुड़े कुछ ठेकेदारों को कुछ अधिकारियों के माध्यम से ‘फंसाने’ के तरीकों पर चर्चा करते सुनाई दे रहे हैं, ताकि उनसे ‘पैसे वसूले जा सकें।’
सदन में सरारी से जुड़ी कथित ऑडियो क्लिप का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता बाजवा ने उनके खिलाफ एक मामला दर्ज करने की भी मांग की।
जब कांग्रेस विधायक मामले में राज्य सरकार द्वारा जवाब दिए जाने की मांग पर अड़े रहे, तब विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि मुख्यमंत्री को आने दीजिए, क्योंकि वह उस समय सदन में मौजूद नहीं थे।
इसके बाद कांग्रेस सदस्य सदन के वेल में पहुंच गए और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
सदन की कार्यवाही में बाधा न डालने की अपील को अनसुना किए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही डेढ़ घंटे के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस सदस्य बृहस्पतिवार को ऐसे ‘एप्रन’ पहनकर सदन पहुंचे, जिन पर सरारी के खिलाफ नारे लिखे हुए थे।
बाजवा ने याद दिलाया कि मान सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद अपने मंत्री विजय सिंगला को एक ऑडियो क्लिप के आधार पर भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, इस ऑडियो क्लिप को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
बाजवा ने आरोप लगाया कि अब एक अन्य मंत्री के सिलसिले में अलग रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि उनके मामले में भी एक ऑडियो क्लिप सामने आई है।
पंजाब सरकार में खाद्य प्रसंस्करण एवं रक्षा सेवा कल्याण मंत्री सरारी ने अपने ऊपर लगाए जा रहे सभी आरोपों को खारिज किया है। हालांकि, विपक्षी दल राज्य मंत्रिमंडल से सरारी की बर्खास्तगी और उनकी गिरफ्तारी की मांग पर कायम है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले एक-दो दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगी।
उन्होंने सोनिया के आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष अगले एक या दो दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगी।"
इससे पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया से मुलाक़ात की थी और जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने की घटना के लिए उनसे माफी मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे।
सोनिया गांधी के आवास ‘10 जनपथ’ पर उनसे मुलाकात के बाद गहलोत ने यह भी कहा कि उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा,‘‘मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं...जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया। मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं। पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘ हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है। दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया। मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं। यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया, इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा। मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने तय किया है कि इस माहौल के अंदर अब चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह मेरा फैसला है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है। गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे।
पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। अनुशंसा के कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छह सौ से ज्यादा लोगों को पोंजी योजना में निवेश कर लाभ कमाने का झांसा देकर छह करोड़ रुपये की ठगी करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि आरोपी की पहचान उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के देवेंद्र कुमार के रूप में की गई है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि बीएलएस रियल्टी इंफ्रा लिमिटेड और बीएलएस कोऑपरेशन क्रेडिट सोसाइटी के निदेशकों/प्रोमोटरों ने कथित तौर पर ऐसी योजनाएं पेश कीं जिन पर निवेश कर कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का प्रलोभन दिया गया। कंपनी ने शुरुआत में लोगों को लाभ दिया लेकिन 2017 में पैसा देना बंद कर दिया।
पुलिस ने कहा कि वर्ष 2019 में निदेशकों ने कार्यालय बंद कर दिए और चपंत हो गए। जांच में पता चला कि बीएलएस रियल्टी इंफ्रा ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में रिजर्व बैंक में पंजीकरण नहीं करवाया था और बीएलएस कोऑपरेशन क्रेडिट सोसाइटी रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के तहत अधिकृत नहीं थी।
अधिकारी ने कहा कि आरोपी धर्मेंद्र, राम जनम भारती और देवेंद्र इन कंपनियों के प्रोमोटर और निदेशक थे। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रविंद्र सिंह यादव ने कहा कि धर्मेंद्र और भारती की पहले गिरफ्तारी हो चुकी है और उनके विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फरार था और उसे बुधवार को मऊ से गिरफ्तार किया गया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तलोजा जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क केस से जुड़े मामले में तलोजा जेल में बंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा को इलाज के लिए तुरंत मुंबई स्थित जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि चिकित्सकीय इलाज एक कैदी का मौलिक अधिकार है।
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने नवलखा की सहयोगी सबा हुसैन और उनकी बहन को भी उनसे अस्पताल में मिलने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा, ‘‘पक्षकारों के वकील को सुनने के बाद हमारा विचार है कि चिकित्सकीय इलाज हासिल करना मौलिक अधिकार है। हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को तुरंत गहन चिकित्सकीय जांच के लिए ले जाया जाये।’’
पीठ ने कहा ‘‘तलोजा जेल के अधीक्षक को हमने निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को जसलोक अस्पताल ले जाया जाये ताकि उनकी जरूरी चिकित्सकीय जांच हो सके और उन्हें इलाज मिल सके।’’
हालांकि, अदालत ने साफ कर दिया कि याचिकाकर्ता पुलिस हिरासत में रहेगा।
नवलखा (70 साल) ने बंबई उच्च न्यायालय के 26 अप्रैल के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी जिसमें उनके, घर पर ही नजरबंद किए जाने के अनुरोध को ठुकरा दिया गया था। नवलखा ने आशंका जताई थी कि शायद मुंबई के समीप स्थित तलोजा जेल में उन पर्याप्त चिकित्सकीय तथा अन्य सुविधाओं का अभाव हो जिनकी उन्हें जरूरत है। नवलखा तलोजा जेल में ही बंद हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) सीरिया में अल-कायदा से संबद्ध जिहादियों को हथियारों की आपूर्ति करने के आरोपी एक चरमपंथी तुर्किश समूह के साथ करीबी संबंध बनाये हुए है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
द फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम्स एंड ह्यूमेनिटेरियन रिलीफ खुद को तुर्की के मानवाधिकार संगठन के रूप में पेश करता है और दावा करता है कि वह समाज की भलाई के कार्यों में लगा है। इसे आईएचएच नाम से भी जाना जाता है।
हालांकि जांचकर्ताओं ने पाया कि यह अल-कायदा से जुड़ा तुर्किश संगठन है जिस पर जनवरी 2014 में सीरिया में अल-कायदा से संबद्ध जिहादियों को हथियारों की तस्करी करने का आरोप है।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के दामाद और देश के पूर्व वित्त मंत्री बेरात अल्बेयराक के लीक हुए ईमेल भी लीबियाई समूहों को हथियार मुहैया कराने में आईएचएच की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।
आईएचएच की पहचान ऐसे संगठन के रूप में की गयी है जो तुर्की की खुफिया सेवा एमआईटी के साथ मिलकर काम करता है।
नॉर्डिक मॉनिटर की एक रिपोर्ट के अनुसार पीएफआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ईएम अब्दुल रहमान और प्रोफेसर पी कोया की इस्तांबुल में आईएचएच ने मेहमाननवाजी की थी।
स्टॉकहोम से संचालित नॉर्डिक मॉनिटर एक खुफिया मंच के रूप में काम करता है जो उग्रवाद, चरमपंथी गतिविधियों, विदेशी संस्कृति के प्रति घृणा पैदा करने, आतंकवाद, अपराध और अन्य ऐसे संबंधित विषयों पर निगरानी रखता है जो समुदायों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसका मुख्य ध्यान तुर्की पर है।
तुर्की के खुफिया तंत्र से जुड़े एक जिहादी संगठन की एक भारतीय कट्टरपंथी संगठन के साथ मुलाकात ऐसे समय में ध्यान देने योग्य है जब एर्दोआन दक्षिण पूर्व एशिया में मुसलमानों के वैश्विक नेता के रूप में समुदाय तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
तुर्की और पीएफआई के बीच तालमेल का आकलन इस तथ्य से किया जा सकता है कि संगठन ने 2016 में तुर्की में तख्ता पलट के एक प्रयास के बाद एर्दोआन के समर्थन में बयान जारी किया था।
दूसरी तरफ तुर्की की सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की अनादोलू समाचार एजेंसी पर पीएफआई का प्रचार एक सामाजिक संगठन के रूप में किया और कहा कि इसके सदस्यों के साथ भारतीय पुलिस बदसलूकी करती है।
अधिकारियों ने कहा कि पीएफआई और आईएचएच एक जैसे नजर आते हैं क्योंकि दोनों जिहादी विचारधारा की वकालत कर रहे हैं।
पीएफआई की समानता एक और वैश्विक चरमपंथी समूह मुस्लिम ब्रदरहुड से भी की जा सकती है जिसकी स्थापना 1928 में हसन अली-बन्ना ने मिस्र में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के वृहद उद्देश्य से मतभेदों को दरकिनार करने और मुस्लिमों को एकजुट करने के इरादे से की थी।
अधिकारियों ने कहा कि भारत में पीएफआई समेत दुनिया के अनेक संगठनों ने इस सिद्धांत को अपनाया है जो अंतिम मकसद पर ध्यान केंद्रित करते हुए आपसी मतभेद भुलाकर मुसलमानों को एकजुट करने पर जोर देते हैं।
यह पीएफआई के विचारकों द्वारा उदारवादी मुसलमानों या सूफी के अनुयायियों के बीच घुसपैठ करके अधिक से अधिक युवाओं को भर्ती करने की एक रणनीति है।
उन्होंने कहा कि पीएफआई अपने खुद के फायदे के लिए काम करता है, ‘उम्मा’ (समुदायों) के लिए नहीं। इनका अंतिम मकसद जनता के बीच अशांति पैदा करके राजनीतिक सत्ता हासिल करना है।
अधिकारियों के अनुसार पीएफआई ने सत्ता हासिल करने के लिए ईसाइयों का समर्थन पाने की एक कुटिल रणनीति भी तैयार की है। उनके मुताबिक पीएफआई के लोग ईसाइयों को लुभाने के लिए किसी अन्य शब्द के बजाय ‘फेथ’ (आस्था) का इस्तेमाल करते हैं। (भाषा)
रायपुर, 29 सितंबर। माना एयरपोर्ट पर नवनिर्मित एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का समानांतर संचालन(पैरलल आपरेशन) गुरुवार से शुरू कर दिया गया है। आज पूर्वाह्न 11 बजे महाप्रबंधक पूर्वी क्षेत्र,आर एस लाहूरिया , महाप्रबंधक तकनीकी पूर्वी क्षेत्र जार्ज तारकन और डायरेक्टर एयरपोर्ट प्रवीण जैन की मौजूदगी में इसे शुरू किया गया। करीब एक सप्ताह तक पैरलल आपरेशन के बाद डीजीसीए दिल्ली से अनुमति लेकर स्वतंत्र रूप से संचालित किया जाएगा। 41 मीटर ऊंचे नये टावर के केबिन से एक साथ आधा दर्जन एविएशन इंजीनियर और टेक्निशियन 360 डिग्री दृश्यता के साथ विमानों की लैंडिंग,टेकआफ करा सकेंगे। यह नया टावर मध्य भारत के आधुनिक टावरों में से एक है।जो अगले 20 वर्षों की जरूरत को पूरी करेगा।
परीक्षा देकर लौट रहे थे घर, आरोपी बस चालक गिरफ्तार
भिलाई नगर, 29 सितंबर। धमधा थाना क्षेत्र अंतर्गत दुर्ग धमधा रोड पर आज शाम को 12वीं की परीक्षा देकर लौट रहे 3 स्कूली छात्रों को यात्री बस ने अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में घटनास्थल पर ही दो छात्रों की मौत हो गई जबकि एक ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया है। धमधा पुलिस ने कार्यवाही करते हुए आरोपी बस चालक को गिरफ्तार कर बस को जब्त कर लिया है। तीनों ही छात्र आज तिमाही परीक्षा देने के लिए धमधा से 8 किलोमीटर दूर ग्राम देवरी से आए हुए थे। परीक्षा देने के बाद शाम को घर लौट रहे थे तभी यह हादसा हुआ।
थाना धमधा प्रभारी विपिन रंगारी ने बताया कि ग्राम देवरी निवासी तीन 12वीं कक्षा के छात्रों में कोमल, चंद्रशेखर एवं दीपक तिमाही परीक्षा देने के लिए गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल धमधा पहुंचे थे। परीक्षा देने के बाद तीनों ही बाइक क्रमांक सीजी 07 एम 8598 से दुर्ग बेमेतरा रोड से वापस घर लौट रहे थे। शाम को करीब 5 बजे बेमेतरा से दुर्ग आ रही नवीन ट्रैवल्स की यात्री बस क्रमांक सीजी 07 ई 9909 के चालक द्वारा तेज एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए नवागांव मॉल के पास सामने से आ रही बाइक को अपनी चपेट में ले लिया। बस की टक्कर इतनी भयानक थी कि घटनास्थल पर ही 2 छात्रों में कोमल एवं चंद्रशेखर की मौत हो गई जबकि तीसरे को इलाज के लिए जिला अस्पताल दुर्ग भेजा गया था। जहां इलाज के दौरान दीपक की अस्पताल में मौत हो गई। धमधा पुलिस के द्वारा तत्काल कार्यवाही करते हुए आरोपी बस चालक को गिरफ्तार कर बस को जब्त कर लिया गया है।
नागपुर, 29 सितंबर। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और एक समृद्ध देश होने के बावजूद इसकी जनसंख्या गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, जातिवाद, अस्पृश्यता और महंगाई का सामना कर रही है।
गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि देश के भीतर अमीर एवं गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, ‘‘हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हैं और पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम एक अमीर देश हैं जिसकी आबादी गरीब है। हमारा देश समृद्ध है लेकिन इसकी जनसंख्या गरीब है जो भुखमरी, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, जातिवाद, अस्पृश्यता और कई अन्य मुद्दों का सामना कर रही है जो समाज की प्रगति के लिए ठीक नहीं हैं।’
उन्होंने कहा, ‘इस समय समाज के भीतर समाजिक एवं आर्थिक समानता की जरूरत है। समाज के इन दो हिस्सों के बीच फासला बढ़ा है। आर्थिक विषमता भी सामाजिक असमानता की तरह बढ़ी है।’’
उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में काम करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अमीर एवं गरीब की खाई को पाटने के लिए ऐसे अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने देश के 124 आकांक्षी जिलों के विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान भी किया। (भाषा)
परीक्षा देकर लौट रहे थे घर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 29 सितंबर। आज शाम धमधा थाना क्षेत्र अंतर्गत दुर्ग-धमधा रोड पर 12वीं की परीक्षा देकर लौट रहे 3 स्कूली छात्रों को यात्री बस ने अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में मौके पर ही दो छात्रों की मौत हो गई, जबकि एक ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया है।
धमधा पुलिस ने आरोपी बस चालक को गिरफ्तार कर बस को जब्त कर लिया है। तीनों ही छात्र आज तिमाही परीक्षा देने के लिए धमधा से 8 किलोमीटर दूर ग्राम देवरी से आए हुए थे। परीक्षा देने के बाद शाम को घर लौट रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।
थाना धमधा प्रभारी विपिन रंगारी ने बताया कि ग्राम देवरी निवासी 12वीं कक्षा के छात्रों में कोमल, चंद्रशेखर एवं दीपक तिमाही परीक्षा देने के लिए गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल धमधा पहुंचे थे। परीक्षा देने के बाद तीनों ही बाइक क्रमांक सीजी 07 एम 8598 से दुर्ग बेमेतरा रोड से वापस घर लौट रहे थे।
शाम को करीब 5 बजे बेमेतरा से दुर्ग आ रही नवीन ट्रैवल्स की यात्री बस क्रमांक सीजी 07 ई 9909 के चालक द्वारा तेज एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए नवागांव मॉल के पास सामने से आ रही बाइक को अपनी चपेट में ले लिया।
बस की टक्कर इतनी भयानक थी कि घटनास्थल पर ही 2 छात्रों में कोमल एवं चंद्रशेखर की मौत हो गई, जबकि तीसरे को जिला अस्पताल दुर्ग भेजा गया था। जहां इलाज के दौरान दीपक की अस्पताल में मौत हो गई। धमधा पुलिस के द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी बस चालक को गिरफ्तार कर बस को जब्त कर लिया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 सितंबर। आरक्षण पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करते हुए अर्जेंट सुनवाई की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य सरकार के फैसले को हाल के आदेश में निरस्त कर दिया है। इस आदेश को राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। इसके लिए तीन वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी का पैनल भी बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में बीके मनीष ने कहा है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की ओर से सफल अभ्यर्थियों की सूची 30 सितंबर को जारी करने की संभावना है, इसे देखते हुए इस पर अर्जेंट सुनवाई की जाए।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने 19 सितंबर को आदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक बताया था। इसके चलते अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है और अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है।
इधर गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट में केविएट दाखिल किया है और मांग की है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई भी राहत देने की स्थिति में उनका पक्ष भी सुना जाए।
रायपुर, 29 सितम्बर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी पूरक परीक्षा वर्ष 2022 के पुनर्गणना एवं पुनर्मूल्यांकन के परीक्षा परिणाम आज शाम घोषित कर दिया गया है। परीक्षा परिणाम मंडल की वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट सीजीबीएसई डॉट एनआईसी डॉट इन पर उपलब्ध है।
रायपुर, 29 सितम्बर। राज्य शासन द्वारा शिक्षा सत्र 2022-23 में शासकीय, अनुदान प्राप्त, गैर-अनुदान प्राप्त शालाओं एवं डीएड, बीएड, एमएड कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया है।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आज मंत्रालय से जारी आदेश के अनुसार दशहरा अवकाश 5 दिन 3 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक, दीपावली अवकाश 6 दिन 21 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक, शीतकालीन अवकाश कुल 6 दिन 23 दिसंबर से 28 दिसंबर 2022 तक और ग्रीष्मकालीन अवकाश 46 दिन एक मई 2023 से 15 जून 2023 तक का घोषित किया गया है।
रायपुर, 29 सितंबर। कवर्धा के कुकदुर गांव में बुधराम बैगा के संदिग्ध आत्महत्या वाले मामले में सरकार की जांच को अपर्याप्त मानते हुए तथ्य की वास्तविक जांच करने के लिए भाजपा ने एक कमेटी का गठन किया है।
प्रदेश कार्यालय मंत्री नरेंश गुप्ता ने बताया कि समिति में वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय, उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, प्रदेश महामंत्री विजय शर्मा, अजजा मोर्चा अध्यक्ष विकास मरकाम, कवर्धा जिला अध्यक्ष अनिल सिंह ठाकुर व विदेशी राम ध्रुव हैं। समिति संबंधित स्थानों पर जांच कर तथ्यों का अन्वेषण कर एक सप्ताह के अंदर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
-रजनीश कुमार
राजस्थान कांग्रेस एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जूझ रही है. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार देर शाम दिल्ली पहुँचे. गुरुवार को उनकी मुलाक़ात पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से हुई. गहलोत के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले सचिन पायलट भी दिल्ली में ही हैं.
कांग्रेस पार्टी के अगले अध्यक्ष बनने की रेस में आगे बताए जा रहे अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलने के बाद एलान किया कि वो कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे.
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अशोक गहलोत ने कहा, "जो दो दिन पहले घटना हुई, उस घटना ने हम सबको हिला कर रख दिया. मुझे दुख है और वो मैं ही जान सकता हूं, क्योंकि पूरे देश में मैसेज चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं, इसलिए सब कुछ हो रहा है. मैंने सोनिया जी से भी माफ़ी मांगी है, क्योंकि एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया. इस बात का दुख मुझे ज़िंदगी भर रहेगा."
अध्यक्ष पद के चुनाव में दावेदारी के सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "मैंने तय किया है कि अब मैं इस माहौल के अंदर चुनाव नहीं लडूंगा. ये मेरा फ़ैसला है."
इसके बाद पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे इसके जवाब में अशोक गहलोत ने कहा, "मुख्यमंत्री बना रहूंगा या नहीं ये फ़ैसला सोनिया गांधी जी करेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी."
कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर में एक व्यक्ति, एक पद का संकल्प-पत्र पास किया था. दूसरी तरफ़ अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते थे या फिर सचिन पायलट को देने पर सहमत नहीं थे.
पिछले हफ़्ते रविवार को अशोक गहलोत के आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में शामिल होने दिल्ली से पर्यवेक्षक के तौर राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस महासचिव अजय माकन जयपुर पहुँचे थे. अजय माकन राजस्थान के प्रभारी भी हैं. इसी बैठक में नए नेतृत्व पर बात होनी थी.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर थी और विधायक गहलोत के विश्वासपात्र मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुँचने लगे. शांति धारीवाल गहलोत सरकार में संसदीय कार्यमंत्री हैं
शांति धारीवाल ने बीबीसी से कहा कि उनके घर पर 90 से ज़्यादा विधायक पहुँच गए थे. शांति धारीवाल के घर पर जुटने के बाद ये विधायक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर पहुँचे थे और यहाँ उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था.
शांति धारीवाल कहते हैं कि अजय माकन सचिन पायलट को थोपना चाहते थे और विधायक इससे सहमत नहीं थे.
उन्होंने कहा, ''विधायक दल की बैठक में नेता चुना जाता है न कि अजय माकन को चुनना था. विधायकों की इच्छा के ख़िलाफ़ आप अपने मन से नेता नहीं चुन सकते. हमलोग सचिन पायलट को स्वीकार नहीं कर सकते हैं.''
अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए बहुत ही असहज स्थिति हो गई. मजबूरी में उन्हें वापस दिल्ली जाना पड़ा. इन दोनों ने पूरे मामले पर सोनिया गांधी को रिपार्ट सौंपी.
इस रिपोर्ट के आधार पर शांति धारीवाल, राजस्थान विधानभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौर के ख़िलाफ़ पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया. इन्हें 10 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है.
इस रिपोर्ट में अशोक गहलोत पर शक़ नहीं किया गया है और उन्हें क्लीन चिट मिल गई है. लेकिन क्या अशोक गहलोत वाक़ई इन घटनाक्रमों से बेख़बर थे जबकि जिन तीनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस दिया गया है, वे सभी गहलोत के ही वफ़ादार हैं.
गहलोत की सहमति के बिना ऐसा नहीं होता, इस बात से शायद ही कोई सहमत ना हो. अगर अशोक गहलोत को सब पता था तो वह इसे होने से रोक भी सकते थे. लेकिन उन्होंने इसे होने दिया. ऐसे में अशोक गहलोत को क्लीन-चिट क्यों मिली?
केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता टकराव
दरअसल, कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अभी अशोक गहलोत से सीधे टकराना नहीं चाहता.
दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर एलपी पंत कहते हैं, ''अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच ऐसी लड़ाई है, जिसे गहलोत के विधायक लड़ रहे हैं. वह सीधे तौर पर सामने नहीं आए लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके विश्वासपात्र विधायक बिना सहमति के आलाकमान को चुनौती दे रहे हैं.''
एलपी पंत कहते हैं, ''अशोक गहलोत नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनें. इसीलिए विधायकों को आगे करने की रणनीति गहलोत जैसे मंझे हुए राजनेता के लिए सबसे स्वाभाविक और आसान था. सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्हें सिरे से ख़ारिज करना गहलोत जैसे बड़े नेता के लिए भी मुमकिन नहीं है.''
गहलोत की सहमति थी तो कांग्रेस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया?
एलपी पंत कहते हैं, ''राजस्थान इकलौता राज्य है, जहाँ कांग्रेस सरकार पिछले चार सालों से पूरी ताक़त से काम कर रही है. यही नहीं गहलोत ही एकमात्र कांग्रेसी नेता भी हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार के सामने अपना एक मॉडल पेश किया है. ऐसे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह भी देखना है कि राजस्थान कांग्रेस में विवाद बढ़ाने के बजाय उसे नियंत्रित किया जा सके क्योंकि अगले साल ही चुनाव है. अगर आलाकमान गहलोत को दोषी ठहराता तो आने वाले दिन कांग्रेस के लिए और मुश्किल भरे हो जाते.''
एलपी पंत कहते हैं, ''हालाँकि उनके तीन क़रीबियों को कारण बताओ नोटिस दिया जाना भी गहलोत के पक्ष में फ़ैसला नहीं है. आलाकमान ने संदेश दे दिया है कि वे भी कार्रवाई के दायरे में हैं. 30 सितंबर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ है. गहलोत अब भी दावेदार हैं. अगर उन्हें नामांकन भरने से रोका गया तो साफ़ हो जाएगा कि गहलोत को आलाकमान को चुनौती देने की क़ीमत चुकानी पड़ी. अशोक गहलोत के लिए ये अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं.''
गहलोत की छवि हुई कमज़ोर
पिछले पाँच दिनों में राजस्थान में जो कुछ भी हुआ है, उसे लेकर यहाँ के विश्लेषकों का कहना है कि अशोक गहलोत की छवि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच कमज़ोर हुई है. अब तक अशोक गहलोत की छवि इंदिरा गांधी के ज़माने से ही गांधी परिवार के प्रति एक समर्पित सिपाही की रही है. कई लोगों का कहना है कि हालिया घटनाक्रम ने उनकी इस छवि को धूमिल किया है.
राजस्थान यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर रहे राजीव गुप्ता कहते हैं, ''अशोक गहलोत अब कोई राइजिंग स्टार नहीं हैं. जितने लोकप्रिय वह अपने पिछले दो कार्यकालों 1998 और 2008 में थे, उतने अब नहीं हैं. बेशक सचिन पायलट उनके सामने अभी कुछ नहीं हैं लेकिन अशोक गहलोत अब इससे ऊपर नहीं जाएंगे. अशोक गहलोत ने अपनी क़ाबिलियत और मेहनत से गांधी परिवार का भरोसा जीता था लेकिन हालिया घटनाक्रम से उनकी स्थिति ज़रूर कमज़ोर हुई है.''
प्रोफ़ेसर राजीव गुप्ता कहते हैं, ''इससे सचिन पायलट को फ़ायदा हुआ है. सचिन पायलट ने इस बार सब्र दिखाया है. पूरे मामले पर चुप रहकर उन्होंने बढ़त हासिल कर ली है. 2020 में जिस तरह से कुछ विधायकों के साथ वह मानेसर चले गए थे, वह उनकी राजनीति के लिए धब्बा था. लेकिन इस बार उन्होंने समझदारी दिखाई है.''
अशोक गहलोत के जिन तीन वफ़ादारों को कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस दिया है, उनकी क्या हैसियत है?
शांति धारीवाल
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के क़रीबियों में शांति धारीवाल को सबसे ख़ास माना जाता है. अशोक गहलोत जब 2008 से 2013 तक मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शांति धारीवाल को प्रदेश का गृह विभाग सौंपा था.
शांति धारीवाल उत्तरी कोटा से विधायक चुने जाते हैं. वह कोटा से लोकसभा सांसद भी रहे हैं.
2018 में जब अशोक गहलोत फिर से मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने शांति धारीवाल को एक साथ कई विभाग सौंप दिए. अभी राजस्थान सरकार में शांति धारीवाल संसदीय कार्यमंत्री, क़ानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री हैं.
1998 में जब गहलोत पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तभी शांति धारीवाल भी पहली बार विधायक का चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे. सचिन पायलट के ख़िलाफ़ गहलोत की तरफ़ से बोलने वालों में शांति धारीवाल सबसे मुखर रहते हैं. शांति धारीवाल स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि सचिन पायलट को वे स्वीकार नहीं करेंगे.
धर्मेंद्र राठौर
धर्मेंद्र राठौर को भी कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस दिया है. इसी साल धर्मेंद्र राठौर को अशोक गहलोत ने राजस्थान पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया था.
हाल के वर्षों में धर्मेंद्र राठौर भी अशोक गहलोत के लिए संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं. गहलोत के दूसरे कार्यकाल में राठौर राजस्थान बीज निगम के अध्यक्ष थे.
कहा जाता है कि अशोक गहलोत के बेटे वैभव को चुनावी राजनीति में लाने का ज़िम्मा राठौर को ही दिया गया था. लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली थी. वैभव को गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर से दो लाख 74 हज़ार 440 वोटों से हराया था.
गजेंद्र सिंह शेखावत अभी मोदी सरकार में जल शक्ति मंत्री हैं. अशोक गहलोत अपने बेटे के कैंपेन में जोधपुर छह बार गए और डोर टू डोर कैंपेन किया था लेकिन फिर भी जीत नहीं मिली थी.
जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं और कांग्रेस के यहाँ से छह विधायक हैं. लेकिन किसी भी विधानसभा क्षेत्र में वैभव गहलोत को बढ़त नहीं मिली थी.
कहा जाता है कि अगर वैभव चुनाव जीत जाते, तो गहलोत खेमे में धर्मेंद्र राठौर का क़द और ऊंचा हो जाता. 2020 में जब सचिन पायलट ने गहलोत के ख़िलाफ़ बग़ावत की तब भी इसे नाकाम करने में धर्मेंद्र राठौर की अहम भूमिका थी.
इस दौरान आयकर विभाग ने धर्मेंद्र राठौर के ठिकानों पर रेड मारी थी. इस रेड को भी राठौर के बढ़ते कद से जोड़ा गया. इस रेड के लिए राठौर सचिन पायलट को ज़िम्मेदार मानते हैं.
धर्मेंद्र राठौर ने बीबीसी से कहा कि सचिन पायलट ने ही केंद्रीय एजेंसियों को ग़लत सूचना दी थी. धर्मेंद्र प्रधान सचिन पायलट को ग़द्दार बता रहे हैं.
वे कहते हैं कि अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे और सचिन पायलट को स्वीकार नहीं किया जाएगा. धर्मेंद्र राठौर राजपूत जाति से हैं और उन्हें राजपूतों को कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद करने की ज़िम्मेदारी गहलोत देते हैं.
महेश जोशी
महेश जोशी राजस्थान में कांग्रेस के चीफ़ व्हीप हैं. वह जयपुर के हवा महल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. 2009 में जोशी जयपुर लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए थे.
जोशी पर आरोप है कि उन्होंने ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले शांति धारीवाल के घर पर गहलोत समर्थक विधायकों को लामबंद किया था.
कांग्रेस से कारण बताओ नोटिस मिलने पर उन्होंने कहा है कि वह परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं.
जोशी आर्थिक रूप से गहलोत की रीढ़ माने जाते हैं. यहाँ के पत्रकारों का कहना है कि नौकरशाहों और अधिकारियों की नियुक्तियों में महेश जोशी की अहम भूमिका होती है.
एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर पोस्टिंग महेश जोशी की अनुमति ज़रूरी होती है.
कहा जाता है कि इन्हें ब्यूरोक्रेसी को हैंडल करने का अनुभव है. महेश जोशी जयपुर में अशोक गहलोत के सबसे ख़ास हैं क्योंकि यह शहर बीजेपी और आरएसएस का गढ़ माना जाता है.
इसके अलावा महेश जोशी राजस्थान कांग्रेस में ब्राह्मण चेहरा के तौर पर भी देखे जाते हैं. (bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 सितंबर। जल संसाधन विभाग में ईई, एई के तबादले किए गए हैं। करीब 50 से अधिक अफसरों का तबादला हुआ है। इस आशय के आदेश जारी कर दिए गए है।
सूची इस प्रकार है-
रिलायंस जियो के चेयरमैन बनने के बाद आकाश अंबानी के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब अकाश को टाइम पत्रिका ने ‘टाइम100 नेक्स्ट’ की सूची में शामिल कर लिया है. वह इस सूची में शामिल एकमात्र भारतीय हैं. हालांकि, सूची में सोशल मीडिया मंच ओनलीफैन्स की भारतीय मूल की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आम्रपाली गन को भी स्थान दिया गया है. आपको बता दें टाइम100 नेक्स्ट सूची विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों को दर्शाने वाली ‘टाइम100’ की सूची से प्रेरित है.
दुनियाभर के उभरते 100 सितारों को मिलती है जगह
टाइम100 नेक्स्ट में ‘उद्योगों और दुनिया भर के ऐसे 100 उभरते सितारों को स्थान दिया जाता है, जो दुनिया को बेहतर करने और भविष्य को परिभाषित करने के असाधारण प्रयास करते है.रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और रिलायंस फाउंडेशन की संस्थापक चेयरपर्सन नीता अंबानी के पुत्र आकाश को ‘लीडर’ श्रेणी के तहत सूची में शामिल किया गया है.
जून में बनाए गए जियो के चेयरमैन
तीस वर्षीय आकाश को इस साल जून में भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी जियो के चेयरमैन के रूप में पदोन्नत किया गया था. कंपनी के 42.6 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं.
और कौन-कौन है लिस्ट में शामिल
इसके अलावा अमेरिका की गायिका एसजेडए, अभिनेत्री सिडनी स्वीनी, बास्केटबॉल खिलाड़ी जा मोरेंट, स्पेन के टेनिस खिलाड़ी कार्लोस अल्कराज, अभिनेता और टेलीविजन हस्ती केके पामर और पर्यावरण कार्यकर्ता फरविजा फरहान भी इस सूची में शामिल हैं. (zeenews.india.com)
राकेश चतुर्वेदी की जगह ले सकते हैं संजय शुक्ला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 सितंबर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, और केंद्र सरकार में सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम के अलावा मंत्रालय में सचिव एके टोप्पो शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं। दोनों के साथ ही पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी भी रिटायर हो रहे हैं। चतुर्वेदी की जगह संजय शुक्ला हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स होंगे।
देशभर के कुल 16 आईएएस अफसर रिटायर हो रहे हैं। उनमें छत्तीसगढ़ कैडर के सुब्रमण्यम और टोप्पो हैं। सुब्रमण्यम को रिटायरमेंट के बाद केंद्र सरकार में आईटीपीओ का चेयरमैन बनाए जा रहे हैं।
इसी तरह टोप्पो रायपुर और दुर्ग कमिश्नर रहे हैं। वो भी कल रिटायर हो रहे हैं। दोनों के अलावा आईएएफएस के 85 बैच के अफसर राकेश चतुर्वेदी भी रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह संजय शुक्ला पीसीसीएफ (प्रशासन), और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स हो सकते हैं।
91 प्रकरणों पर हुआ विचार, केवल दो प्रकरण रिजेक्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 सितंबर। घरों और प्लाटों पर अनाधिकृत तरीके से बनाएं गये भाग के नियमितिकरण की सुविधा लोगों को अब आसानी से मिलने लगी है। सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर नियमों के सरल होने के बाद आज रायपुर शहर के 89 ऐसे अनाधिकृत निर्माण कार्य नियमित हुए है।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे की अध्यक्षता में आज नियमितिकरण प्राधिकार समिति की पहली बैठक में रायपुर नगर-निगम क्षेत्र के 91 प्रकरणों में अनाधिकृत निर्माणों को नियमित करने पर विचार किया गया, केवल दो प्रकरण पार्किंग की कमी के कारण रिजेक्ट कर दिए गए। समिति ने शेष 89 प्रकरणों में गहन विचार-विमर्श के बाद नियमितिकरण को मंजूरी दी। इनमें से 63 प्रकरण आवासीय और 26 प्रकरण गैर आवासीय अनाधिकृत निर्माण के है। इस बैठक में एस.एस.पी. प्रशांत अग्रवाल, नगर-निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी सहित रायपुर नगर-निगम के सभी जोनों के जोन कमिश्नर भी शामिल हुए।
कलेक्ट्रोरेट सभाकक्ष में आज हुई बैठक में रायपुर नगर-निगम क्षेत्र में अनाधिकृत निर्माण कार्यों को नियमित करने पर जोनवार विचार किया गया। बैठक में छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास के नियमितिकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रकरणों पर विचार करते हुए नियमितिकरण की मंजूरी दी गई। आज बैठक में नगर-निगम रायपुर के जोन एक में 4, जोन दो में 3, जोन तीन में 7, जोन चार में 1, जोन पांच में 2, जोन छह में 9, जोन सात में 1, जोन आठ में 11, जोन नौ में 23 तथा जोन दस में 2 आवासीय प्रकरणों में अनाधिकृत निर्माण को नियमित करने का अनुमोदन किया गया। इसी प्रकार जोन एक में 3, जोन दो में 5, जोन तीन में 5, जोन पांच में 4, जोन सात में 4, जोन नौ में 1 तथा जोन दस में 4 गैर आवासीय प्रकरणों में अनाधिकृत निर्माण के नियमितिकरण को मंजूरी मिली।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे ने जिले के सभी नगरीय क्षेत्रों के निवासियों से अपने घरों या दुकानों में अनाधिकृत निर्माण को नियमित कराने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि प्रशासन ने इसके नियमों को बहुत सरल कर दिया है। अब लोग आसानी से आवेदन देकर निर्धारित शुल्क जमाकर अपनी अनाधिकृत निर्माण को नियमित करा सकते है
हसदेव जल ग्रहण क्षेत्र और लेमरू रिजर्व में विधानसभा के संकल्प का पालन होगा, नई खदान नहीं खुलेगी- प्रशासन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 सितंबर। सरगुजा जिला प्रशासन की ओर से कहा गया है कि हसदेव अरण्य के जिस हिस्से में पेड़ों की कटाई हो रही है, उस पर स्वास्थ्य मंत्री व सरगुजा के विधायक टीएस सिंहदेव ने प्रेस वार्ता में ही सहमति दी है। हसदेव नदी के प्रमुख जल संग्रहण क्षेत्र को संरक्षित रखने और लेमरू एलिफेंट रिजर्व के लिए जगह विधानसभा में पारित प्रस्ताव के संरक्षित है, जिस पर इस कटाई से कोई असर नहीं पड़ेगा।
एक बयान में प्रशासन की ओर से कहा गया है कि 26 सितंबर को स्थानीय ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक व मंत्री सिंहदेव को पत्र लिखा था कि घाटबर्रा के पीईकेबी फेस-2 के लिए 43 हेक्टेयर भूमि में उत्खनन को लेकर उनकी कोई आपत्ति नहीं है। मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि स्थानीय विधायक की सहमति के बिना एक भी डाल नहीं काटी जाएगी। बीते 23 सितंबर को ही स्वास्थ्य मंत्री ने प्रेस वार्ता में पीईकेबी फेस-2 के लिए अपनी सहमति दी थी। इसी के बाद वृक्षों को काटने का काम प्रारंभ किया गया है।
इस बयान में कहा गया है कि विधानसभा में पारित संकल्प को ध्यान में रखते हुए पूर्व से ही आवश्यक कदम उठा लिए गए हैं। हसदेव नदी के प्रमुख जल संरक्षण क्षेत्र को संरक्षित रखते हुए तथा हाथियों के विचरण मार्ग को ध्यान में रखते हुए 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लेमरू रिजर्व घोषित कर दिया गया है। इसके अंतर्गत आने वाली सभी परियोजनाओं पर स्वयं ही रोक लग जाएगी। इससे संबंधित अधिसूचना का प्रकाशन भी राजपत्र में किया जा चुका है। राज्य शासन ने जनहित को देखते हुए राजस्व का परित्याग करते हुए नई कोल परियोजनाओं पर रोक लगा दी है।
वर्तमान में पेड़ों की कटाई के हो रहे विरोध को लेकर स्पष्ट किया गया है कि चूंकि परसा कोल खदान एवं परसा ईस्टे केते बासन का चालू खदान क्षेत्र एक दसरे से सटा हुआ है, दोनों की स्वीकृति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने लगभग एक ही समय प्रदान की थी। कुछ बाहरी एनजीओ और प्रायोजित संस्थाएं स्थानीय ग्रामीणों के बीच भ्रम की स्थिति निर्मित कर रहे हैं। ग्रामीणों का विरोध नई स्वीकृत खदानों के लिए है, जिनमें अभी किसी प्रकार की वृक्ष विदोहन का कार्य नहीं किया जा रहा है। मई 2022 में पहले से संचालित खदान में जब पेड़ों की कटाई का प्रयास किया गया तो भी प्रायोजित विरोध किया गया,जिससे कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसके बाद सुरक्षागत कारणों से वन विभाग को कटाई का काम रोकना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अविवाहित महिलाएं भी आपसी सहमति से 20-24 सप्ताह की अवधि में गर्भपात कराने की हकदार हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं. कोर्ट ने कहा विवाहित, अविवाहित महिलाओं के बीच का अंतर असंवैधानिक है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक महिला की वैवाहिक स्थिति उसे गर्भपात के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं हो सकती है. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अविवाहित महिलाएं भी 24 सप्ताह के भीतर अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने की हकदार होंगी. कोर्ट के इस फैसले का अर्थ यह है कि अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार हासिल हो गया है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाते हुए कहा, "मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है."
सबको समान अधिकार
साथ ही कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी नियम 3 बी का भी विस्तार कर दिया है. 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के भ्रूण के गर्भपात का अधिकार अब तक सिर्फ विवाहित महिलाओं को था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे समानता के अधिकार के खिलाफ माना है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि किसी महिला को 20 हफ्ते के ज्यादा के गर्भ को गिराने से मना इस आधार पर करना कि वह अविवाहित है, यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा.
एमटीपी एक्ट के प्रावधानओं की व्याख्या करते हुए कोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया है. एमटीपी एक्ट के मुताबिक सिर्फ बलात्कार पीड़ित, नाबालिग या फिर उन महिलाओं को 24 हफ्ते तक अबॉर्शन की इजाजत है जो मानसिक रूप से बीमार हो. कानून के मुताबिक सहमति से बने संबंध से ठहरे गर्भ को सिर्फ 20 हफ्ते तक गिराया जा सकता है.
वैवाहिक बलात्कार पर कोर्ट की टिप्पणी
बलात्कार पीड़ितों के गर्भपात के अधिकार की ओर उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि विवाहित महिलाएं भी यौन उत्पीड़न और बलात्कार पीड़ितों की श्रेणी में आ सकती हैं. क्योंकि यह काफी संभव है कि पति द्वारा गैर-सहमति वाले कार्य के कारण एक महिला गर्भवती हो सकती है. कोर्ट ने कहा अगर इस तरह से विवाहित महिलाएं जबरन गर्भवती होती हैं तो वह भी बलात्कार माना जाएगा.
कोर्ट ने कहा, "कोई भी महिला यह कहे कि वह जबरन गर्भवती हुई है तो उसे बलात्कार माना जा सकता है."
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रेगनेंसी बनी रहे या फिर गर्भपात कराया जाए यह महिला के अपने शरीर पर अधिकार से जुड़ा मामला है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 25 साल की अविवाहित युवती की याचिका पर आया है. याचिकाकर्ता युवती सहमति से सेक्स से गर्भवती हुई थी और उसने बाद में दिल्ली हाईकोर्ट से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर नहीं किया था. युवती ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर कोर्ट ने दिल्ली एम्स के मेडिकल बोर्ड के अधीन गर्भपात कराने की इजाजत दी थी. बोर्ड ने पाया था कि महिला के जीवन को खतरा हुए बिना गर्भपात किया जा सकता है. (dw.com)