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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 जुलाई। बस्तर संभाग के छह जिलों से शनिवार को कुल 51 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिसमें सीमा सुरक्षा बल के एक डॉक्टर सहित 38 जवान शामिल हैं।
कांकेर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जगजीवन राम उईके ने बताया कि आज कांकेर जिले में 27 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। जिसमें सीमा सुरक्षा बल का 1 चिकित्सक तथा सीमा सुरक्षा बल का कैम्प दंडवन में 19 जवान एवं केन्द्रीय सुरक्षा बल के मुल्ला कैम्प में तीन जवान तथा चार प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उन्होंने बताया कि ये सभी जवान छुट्टी से लौटे हैं।
बीजापुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीआर पुजारी ने बताया कि आज 11 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। जिनमें से 10 केन्द्रीय सुरक्षा बल के तथा 1 छत्तीसगढ़ आर्म फोर्स का जवान शामिल है।
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. केएल आजाद ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बस्तर संभाग में आज 51 कोरोना पॉजिटिव पाये गए। जिनमें 27 कांकेर , नारायणपुर में 1, बीजापुर में 11, कोण्डागांव 3, बस्तर में 5, सुकमा 4 कोरोना पॉजिटिव पाये गये। इन सभी को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जगदलपुर लाया जा रहा है। सभी जवान छुट्टी से लौटे थे।
रांगिया/गुवाहाटी, 18 जुलाई। असम के कामरूप जिले में एक कोविड देखभाल केंद्र से करीब सौ मरीज बाहर निकल आए और राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह घटना चांगसारी में गुरुवार को हुई, जब कुछ असिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज सेंटर से निकलकर पास के गुवाहाटी के बाहरी इलाके वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर पहुंच गए और कथित तौर पर इसे अवरुद्ध कर दिया।
उनका आरोप था कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर कामरूप के उपायुक्त कैलाश कार्तिक पुलिस के साथ गुरुवार को कोविड सेंटर पहुंचे।
उन्होंने मरीजों से राजमार्ग से हटने तथा सेंटर लौटने के लिए कहा ताकि बातचीत के जरिए मामले का हल निकाला जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि इलाके में तनाव बना हुआ है. हालांकि आश्वासन के बाद मरीज केंद्र में वापस लौट गए.
मरीजों ने आरोप लगाया कि उन्हें भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा और बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीजों को एक ही कमरे में रखा गया है.
अधिकारी ने बताया कि उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके आरोपों पर विचार किया जाएगा और उन्हें दूर करने के प्रयास किए गए.
वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि अगर मरीज कोविड केयर सेंटर से खुश नहीं है, तो वे अपने घर में क्वारंटीन हो सकते हैं.
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम उन्हें देखभाल सेंटर लेकर आए ताकि उनका इलाज हो सके और वे दूसरे लोगों को संक्रमित न करें. अगर वे वहां खुश नहीं हैं तो वे शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और घर पर क्वारंटीन में रह सकते हैं.’
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मी दिन- रात ड्यूटी पर हैं और काम का अत्यधिक बोझ होने के कारण कुछ विलंब हो सकता है.
शर्मा ने कहा, ‘दूसरे राज्यों में तो जांच के लिए भी पैसे लिए जा रहे हैं लेकिन असम में जांच से लेकर रहने और खाने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.’(thewire)
लखनऊ, 18 जुलाई। अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला रखने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संभावित तिथियां भेजी गई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सहमति के बाद भूमि पूजन और आधारशिला रखने की तिथि तय होगी। बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मित्र के साथ ट्रस्ट के 12 सदस्य मौजूद थे। तीन सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुडे । राम जन्म भूमि सुरक्षा सलाहकार केके शर्मा भी बैठक में मौजूद थे।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पीएम मोदी को शिलान्यास में आने का निवेदन किया गया है, लेकिन इस समय देश में कई मामले चल रहें हैं, अंतिम फैसला PMO लेगा। उन्होंने बताया कि सोमपुरा ही मंदिर का निर्माण करेगा। सोमनाथ मंदिर को भी इन लोगों ने बनाया है।मंदिर बनाने में पैसे कि कमी नहीं होगी। मंदिर के लिये 10 करोड़ परिवार दान देंगे।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रही सोनू पंजाबन के नाम से मशहूर गीता अरोड़ा को दवाओं का ओवरडोज लेने के बाद तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल में उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। उसे जल्दी छुट्टी मिल सकती है।
तिहाड़ जेल के जनसंपर्क अधिकारी राजकुमार ने बताया कि सोनू पंजाबन तिहाड़ की जेल नंबर 6 में बंद है। गुरुवार को उसने सिरदर्द के लिए अधिक मात्रा में गोलियों का सेवन कर लिया। ऐसा लगता है कि वह कुछ समय से इन दवाओं को इकट्ठा कर रही थी। दवा का सेवन करने के बाद उसने बेचैनी की शिकायत की, जिसके बाद उसे जेल परिसर के अंदर दवाखाने में भर्ती कराया गया। बाद में उसे दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जाती है।
सोनू पंजाबन के नाम से दिल्ली में देह व्यापार के काले कारोबार में चर्चित गीता अरोड़ा और उसके सहयोगी संदीप बेदवाल को अदालत ने अपहरण, मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के एक मामले में दोषी ठहराया था। जिसके बाद से वह तिहाड़ जेल में सजा काट रही है। यह मामला 12 वर्षीय एक लड़की से जुड़ा है, जिसका 11 सितंबर 2009 को बेदवाल ने अपहरण किया था।
बाद में इस लड़की को वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से सोनू पंजाबन सहित विभिन्न लोगों को कई बार बेचा गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सोनू पंजाबन ने पीड़ित लड़की के शरीर में ऐसी दवाइयां इंजेक्ट कराई जो उसे 'वेश्यावृत्ति के लिए अधिक उपयुक्त' बनाएं। इस लड़की से वेश्यावृत्ति कराकर वह हर ग्राहक से 1,500 रुपये वसूलती थी। (navjivan)
‘द हीरो - लव स्टोरी ऑफ अ स्पाय’ का शुरुआती आधा घंटा गुजरने के बाद जब क्रेडिट लाइन आना शुरू होती है तो सनी देओल, प्रिटी जिंटा के बाद बमुश्किल चार सेकंड के लिए स्क्रीन पर ‘इंट्रोड्यूसिंग - प्रियंका चोपड़ा’ लिखा नजर आता है. लेकिन इसके डेढ़ घंटे बाद तक प्रियंका चोपड़ा की कोई खैर-खबर नहीं मिलती.
करीब पौने दो घंटे की फिल्म गुजरने के बाद वह मौका आता है जब प्रियंका चोपड़ा पहली बार स्क्रीन पर नजर आती हैं, बिजनेस सूट और ब्लंट हेयरकट के साथ चश्मा लगाए डॉक्टर शाहीन के रूप में. डॉ शाहीन को देखते ही आपको एक पढ़ी-लिखी, समझदार औरत की झलक मिलती है और यह झलक प्रियंका चोपड़ा के व्यक्तित्व से मेल खाती है. शायद यह भूमिका उन्हें मिलने की वजह यही रही हो और फिर कुल मिलाकर शुरुआती दो-तीन दृश्यों से यह समझा सकता है कि वे इस किरदार के लिए एकदम सही चयन थीं. लेकिन यह फिल्म उनके लिए कितनी सही थी, इसकी बात कभी और करेंगे!
अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी अति का हीरोइज्म दिखाने वाली यह तीन घंटे लंबी फिल्म देखना अपने आप में कोई बहुत अच्छा अनुभव नहीं कहा जा सकता. लेकिन यहां पर प्रियंका चोपड़ा अपनी छोटी सी भूमिका में जो करती हैं वह जरूर फिल्म को कुछ अच्छा दे देता है. शाहीन की यह भूमिका कोई और अभिनेत्री भी निभा सकती थी, लेकिन उस ग्रेसफुल अंदाज में नहीं जिस तरह प्रियंका चोपड़ा ने निभाई है. द हीरो की रिलीज से दो-ढाई साल पहले ही मिस वर्ल्ड-2000 बनने वाली प्रियंका चोपड़ा फिल्म में बेहद सेक्सी नजर आने के साथ-साथ अच्छे से जरा ही कम कहा जा सकने वाला अभिनय करती हैं. हालांकि उनका यह अभिनय इस बात का भरोसा नहीं दिला पाता कि आने वाले वक्त में वे ‘कमीने’ में मस्त-मराठी मुलगी या ‘बाजीराव’ में काशीबाई बनकर लोगों का दिल जीत लेने वाली हैं. फिर भी उनका स्टाइल इस बात का अंदाजा तो दे ही देता है कि भविष्य में वे ‘फैशन’ जैसी फिल्म के लिए भी सही चयन साबित होंगी.
अगर आप डॉ शाहीन में ‘बरफी’ की झिलमिल को ढूंढ़ना चाहें तो आपको मुश्किल हो सकती है लेकिन इस किरदार में ‘क्वांटिको’ की एलेक्स पेरिश बड़ी आसानी से मिल सकती है. विदेश में रहने वाली पाकिस्तानी लड़की बनकर प्रियंका चोपड़ा यहां गैर-भारतीय उच्चारण वाली अंग्रेजी बोलती हैं और हद-कॉन्फिडेंट नजर आती हैं. लेकिन इतने भर से तब यह कह पाना कि वे कल हॉलीवुड में भी नायिका की भूमिका कर सकती हैं, नामुमकिन था. हां, अब जब वे बॉलीवुड की हॉलीवुड पहुंचने वाली हसरतों को चेहरा बन चुकी हैं तो इस बात का एहसास होता है कि एक घोर-मसाला बॉलीवुड फिल्म में अति-क्लीशे किरदार से अपने करियर की शुरुआत करने वाली यह अभिनेत्री क्या थी.
द हीरो में अगर प्रियंका चोपड़ा की कमियों की बात करें तो सबसे बड़ी कमी उनकी संवाद अदायगी में दिखती है. अंग्रेजी में भी वे उच्चारण तो एकदम सही पकड़ती हैं लेकिन भाव और सहजता, अंग्रेजी-हिंदी दोनों तरह के संवादों में सध नहीं पातीं. इस कमी के बावजूद उनमें आत्मविश्वास कहीं से कम नहीं लगता और इस वजह से वे फिल्म में देखने लायक बनी रहती हैं. हालांकि यहां पर इसे पहली फिल्म में होने वाली आम गलती कहकर उनके प्रशंसकों को खुश किया जा सकता है और वैसे बाद की फिल्मों में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो. इसके अलावा, द हीरो में उनका डॉन्स आपको बहुत बुरा लग सकता है. ‘इन मस्त निगाहों से’ में उन्हें नाचते हुए देखकर लगता है जैसे कोई सेक्सी ठूंठ थिरकने की कोशिश कर रहा है. हो सकता है कि इसमें उनकी कॉस्ट्यूम का दोष हो, लेकिन किसी बॉलीवुड अभिनेत्री के लिए बेहद जरूरी इस योग्यता में वे अपनी इस परफॉर्मेंस से जरा भी खरी नहीं उतरतीं. बाद में वे ‘पिंगा’ जैसी परफार्मेंस तक कैसे पहुंची, यह उनकी मेहनत और लगन का एक और नमूना माना जाना चाहिए.(satyagrah)
जयपुर, 18 जुलाई। कांग्रेस में बग़ावत का झंडा बुलद करने वाले राजस्थान सरकार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मुख्यमंत्री के पद की जिद को लेकर अड़ गए हैं। पायलट चाहते हैं कि उन्हें एक साल के अंदर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए और जब तक उनकी यह मांग नहीं मानी जाती, तब तक वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी नहीं मिलना चाहते।
एनडीटीवी के मुताबिक़, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के एक क़रीबी सूत्र ने यह बात कही है। सूत्र के मुताबिक़, पायलट चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर खुलकर घोषणा भी की जानी चाहिए।
यह ख़बर पायलट कैंप के उस दावे को ग़लत बताती है जिसमें उसकी ओर से कहा गया था कि पायलट को प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा से फ़ोन पर हुई बातचीत के तीन घंटे बाद उनके पदों से हटा दिया गया था। इसका सीधा मतलब यह है कि पायलट ने बग़ावत सोच-समझकर की है और उनका लक्ष्य राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी को हासिल करना है।
बग़ावत के बाद पायलट को मनाने का एक लंबा दौर चला था, जिसमें राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल और कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे बात की थी। ख़बरों के मुताबिक़, पायलट के साथ बातचीत के बाद प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह इस बारे में राहुल व सोनिया गांधी से बातचीत करेंगी।
एनडीटीवी के मुताबिक़, पायलट ने कहा, ‘एक तरफ़ कांग्रेस कहती है कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं और दूसरी तरफ मुझे हटा दिया गया है और अयोग्य होने का नोटिस भेजा गया है। मुझ पर अशोक गहलोत ने हमला किया है।’
ऑडियो टेप से मुश्किलें बढ़ेंगी
राजस्थान की सियासत में आए कथित ऑडियो टेप में जिस तरह पायलट कैंप के विधायक भंवर लाल शर्मा का नाम सामने आया है, उससे कांग्रेस आलाकमान का भी यह शक पुख़्ता हो गया है कि बीजेपी द्वारा गहलोत सरकार को गिराने के लिए रची जा रही साज़िश में पायलट भी शामिल थे। इस बात को अशोक गहलोत ने भी कहा कि उनके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं।
कांग्रेस ने कहा है कि इन कथित ऑडियो टेप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा और बीजेपी नेता संजय जैन के बीच बातचीत हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि ऑडियो टेप में बातचीत के दौरान पैसे के लेन-देन को लेकर और गहलोत सरकार को गिराने की साज़िश रची जा रही है।
सरकार गिरा पाएंगे पायलट?
पायलट ने जिस तरह की मांग रखी है, उसे मानना कांग्रेस आलाकमान के लिए बेहद मुश्किल होगा। दूसरी ओर, दोनों पदों से हटाए जाने के बाद पायलट के लिए कांग्रेस में बने रहना बेहद मुश्किल होगा। राजस्थान हाई कोर्ट से अगर कोई राहत नहीं मिलती है तो फिर पायलट गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएंगे।
102 या 109 विधायक?
200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। गहलोत समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है लेकिन कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों के समर्थन (छोटे दलों और निर्दलीयों को मिलाकर) में से अगर 19 विधायक पायलट का साथ देते हैं तो गहलोत खेमे के पास 102 विधायक बचते हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या पायलट बीजेपी के साथ मिलकर गहलोत सरकार को गिरा पाते हैं या नहीं। क्योंकि गहलोत सरकार के पास 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है, अगर बीजेपी ने इसमें से दो विधायकों को भी तोड़ लिया तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
निर्दलीय विधायकों पर नज़र
बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। यह संख्या 77 बैठती है। अगर पायलट कैंप के 19 विधायक उसका समर्थन करते हैं तो यह संख्या 96 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को 5 विधायकों की ज़रूरत होगी और उसकी नज़र स्वाभाविक रूप से निर्दलीय विधायकों पर लगी हुई है।
सदस्यता खत्म करने की कोशिश
लेकिन इस सबसे पहले अशोक गहलोत की कोशिश है कि पायलट समर्थक विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए। जिससे विधानसभा की सदस्य संख्या घट जाए और वे आसानी से बहुमत साबित कर सकें। क्योंकि अगर पायलट व उनके समर्थक 18 विधायकों की सदस्यता जाती है तो विधानसभा की सदस्य संख्या 181 रह जाएगी, जिसमें बहुमत साबित करने के लिए 92 विधायकों की ज़रूरत होगी, इतने विधायक गहलोत आसानी से इकट्ठा कर लेंगे। (satyahindi)
रायपुर 18 जुलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज शाम मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति, रोकथाम और बचाव के कार्यों की गहन समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने और कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने तथा टेक्निशियन, एएनएम आदि रिक्त पदों को शीघ्र भरने के निर्देश दिए है।
मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए आवश्यक होने पर जिला कलेक्टरों को अपने जिले में कम से कम तीन दिन की पूर्व सूचना देकर लॉक डाउन लगाने के लिए अधिकृत किया है। यह लॉकडाउन कम से कम सात दिनों का होगा। इस दौरान दैनिक जरूरत की वस्तुएं की सुचारू आपूर्ति और आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। रायपुर के बीरगांव क्षेत्र में शतप्रतिशत टेस्टिंग के निर्देश भी स्वास्थ्य विभाग को दिए गए है।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, कृषिमंत्री श्री रविन्द्र चैबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्र कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। आंध्र प्रदेश स्थित देश के प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर के पुजारियों सहित 150 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन मंदिर बोर्ड का कहना है कि श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करना जारी रख सकते हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि मंदिर को बंद करने की कोई योजना नहीं है और श्रद्धालु दर्शन करना जारी रख सकते हैं.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड के अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी का कहना है, ‘मंदिर में सार्वजनिक दर्शन को रोकने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के कोरोना संक्रमित होने के कोई सबूत नहीं हैं.’
प्रशासन का कहना है कि मंदिर के 14 पुजारियों सहित 140 कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.
रेड्डी ने कहा, ‘कोरोना संक्रमितों में से 70 लोग पूरी तरह से ठीक हो गए हैं. कोरोना वायरस से संक्रमित अधिकतर लोग आंध्र प्रदेश पुलिस से हैं, जो मंदिर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इनमें से सिर्फ एक में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाई दिए हैं.’
रेड्डी ने कहा, ‘तिरुमाला मंदिर को बंद करने की हमारी कोई योजना नहीं है. वरिष्ठ पुजारियों को ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा. पुजारियों और कर्मचारियों से अलग-अलग आवास का अनुरोध किया जाएगा.’
मंदिर के मानद मुख्य पुजारी रमना दीक्षितुलु ने कोरोना संक्रमित पुजारियों और कर्मचारियों को लेकर चिंता जताते हुए ट्वीट कर कहा, ‘मंदिर के कोरोना संक्रमित 50 पुजारियों में से 15 को क्वारंटीन किया गया है. अभी भी 25 कर्मचारियों की कोरोना रिपोर्ट का इंतजार है. टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी और सहायक कार्यकारी अधिकारी ने दर्शन को रोकने से इनकार कर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘तेलुगू देशम पार्टी और चंद्रबाबू नायडू की ब्राह्मण विरोधी और पुजारी वंशानुक्रम विरोधी नीतियों का पालन किया जा रहा है. अगर यह जारी रहता है तो आपदा संभव है. कृपया कार्रवाई करें.’
रेड्डी ने कहा कि मंदिर के मानद मुख्य पुजारी को सोशल मीडिया पर अपने विचार रखने के बजाय उन्हें टीटीडी बोर्ड को देने चाहिए थे.
बता दें कि रमना दीक्षितुलु को रिटायरमेंट की उम्र पार करने के बाद 2018 में मंदिर के मुख्य पुजारी के पद से हटा दिया था. उन्होंने टीटीडी पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया था.
रेड्डी को मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद मंदिर के सलाहकार के तौर पर सेवाएं देने के लिए उन्हें मानद मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था.
इससे पहले दुनिया के सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट में से एक तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कहा था कि लॉकडाउन में उसे 400 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है, जिसके कारण उसे कर्मचारियों का वेतन देने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार की अनलॉक योजना के अनुरूप मंदिर बोर्ड ने इसे 11 जून से दोबारा खोलने का फैसला किया था.(thewire)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र से लगे हुए बीरगांव नगर पालिका में सात दिन का संपूर्ण लॉकडाऊन लगाना तय किया गया है। आज मंत्रियों की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई। बीरगांव में यह लॉकडाऊन 21 जुलाई मंगलवार से लागू होगा। लेकिन बाकी जिलों में इसके सारे अधिकार कलेक्टरों पर छोड़े गए हैं।
राजधानी रायपुर से सटे हुए बीरगांव में घनी मजदूर आबादी है, और वहां लगातार कोरोना पॉजिटिव निकल रहे थे। राज्य सरकार ने बीरगांव बस्ती में 100 फीसदी लोगों के कोरोना टेस्ट करवाने का फैसला भी लिया है।
ऐसा पता लगा है कि मंत्रिमंडल में कई मंत्री लॉकडाऊन के खिलाफ भी थे लेकिन मुख्यमंत्री ने कोरोना पॉजिटिव मामलों में आई छलांग को देखते हुए लॉकडाऊन पर जोर दिया। अब राज्य में हर चौबीस घंटे में 200 कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं, और इसलिए हालात बहुत गंभीर माने जा रहे हैं। राजधानी रायपुर का हाल यह है कि शायद ही कोई इलाका बिना पॉजिटिव मरीजों वाला है, और शहर के एकदम बीच के मंगल बाजार बस्ती में तो 50 से अधिक कोरोना पॉजिटिव पिछले दो-तीन दिनों में हो चुके हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने हरेली के बाद लॉकडाउन का फैसला लिया है। यह साफ किया गया है कि जिन जिलों में कोरोना संक्रमण अधिक है सिर्फ वहां लॉकडाउन होगा। यह तय करने का अधिकार कलेक्टर पर छोड़ दिया गया है। बैठक में बीरगांव नगर निगम क्षेत्र के शतप्रतिशत लोगों के कोरोना टेस्ट का भी फैसला लिया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को कोरोना पर विचार के लिए अपने निवास पर मंत्रिमंडल की बैठक ली। बैठक में कोरोना संक्रमण पर चर्चा हुई। संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि लॉकडाउन तय करने का अधिकार कलेक्टरों पर छोड़ दिया गया है। रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव, बिलासपुर जैसे कई शहर हैं जहां कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। अगर जरूरत हो तो कलेक्टर यहां लॉकडाउन कर सकते हैं। इसकी पूर्व सूचना आम लोगों को दी जाएगी।
श्री चौबे ने यह भी बताया कि लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं को छूट रहेगी और कम से कम एक हफ्ते का लॉकडाउन रहेगा। उन्होंने कहा कि 21 तारीख को गोधन योजना की शुरूआत होने जा रही है। इसके बाद कलेक्टर समीक्षा कर लॉकडाउन को लेकर निर्णय लेंगे।
संसदीय कार्यमंत्री ने बीरगांव का जिक्र करते हुए कहा कि बीरगांव में कोरोना पॉजिटिव के मामले बढ़े हैं। यहां पूरे नगर निगम क्षेत्र में सभी लोगों का कोरोना टेस्ट कराने का फैसला लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि बीरगांव में ज्यादातर औद्योगिक श्रमिक रहते हैं और वे ही कोरोना की चपेट में आए हैं। इसको रोकने के लिए रायपुर कलेक्टर उद्योग पतियों से चर्चा करेंगे और यथासंभव मजदूरों के रहने के लिए अलग से व्यवस्था करने के लिए कहा जाएगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,18 जुलाई। देर रात तेज रफ्तार चारपहिया वाहन एक घर की दीवार व मकान से टकराते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिससे एक युवक की मौत हो गई। पुलिस ने वाहन जब्त कर चालक के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सरहरी निवासी अजीत कुमार टोप्पो (35) अपने दोस्त 25 वर्षीय बृज कुमार कोड़ाकू को सूमो वाहन में शुक्रवार की देर रात बैठाकर घूम रहा था। रात लगभग 1 बजे वह तेज रफ्तार में प्रतापपुर की ओर आ रहा था। इसी दौरान ग्राम खोरमा स्थित अटल चौक के पास उसने अचानक ब्रेक मार दी जिसके कारण वाहन अनियंत्रित हो गया और घिसटते हुए पहले सडक़ किनारे स्थित ग्रामीण अनवर अंसारी की दीवार में टक्कर मारी, फिर उसी स्पीड में वाहन का पिछला हिस्सा घर से जा टकराया। हादसे में अजीत व बृजकुमार को गंभीर चोटें आई। वाहन टकराने की आवाज सुनकर ग्रामीण नींद से उठकर घटनास्थल पहुंचे। यहां वाहन में दोनों युवक कराह रहे थे। घटना की सूचना उन्होंने पुलिस को दी और 108 की मदद से दोनों को प्रतापपुर अस्पताल ले जाया जा रहा था, इसी बीच बृजकुमार की मौत हो गई, जबकि अजीत का इलाज जारी है।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। बसपा प्रमुख मायावती ने राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा और कहा कि राज्यपाल को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत ने पहले बसपा के विधायकों के साथ ‘दगाबाजी करके’ कांग्रेस में शामिल कराया और अब फोन टैपिंग कराकर असंवैधानिक काम किया है
मायावती ने ट्विटर पर लिखा है- जैसाकि विदित है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन व बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है। इस प्रकार, राजस्थान में लगातार जारी राजनीतिक गतिरोध, आपसी उठा-पठक व सरकारी अस्थिरता के हालात का वहाँ के राज्यपाल को प्रभावी संज्ञान लेकर वहाँ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो।
मणिपुर, 18 जुलाई। मणिपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और सत्ताधारी भाजपा के एक शीर्ष नेता पर गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ने के लिए उन पर 'दबाव' डालने का आरोप लगाया है.
ये आरोप इसलिए गंभीर हैं क्योंकि मणिपुर पुलिस सेवा की अधिकारी थौनाओजम बृंदा (41 साल) ने ये सारी बातें 13 जुलाई को मणिपुर हाई कोर्ट में दाख़िल किए गए अपने हलफ़नामे में कही हैं.
दरअसल राज्य के नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो में तैनाती के दौरान बृंदा ने 19 जून 2018 को लुहखोसेई जोउ नामक एक हाई प्रोफ़ाइल ड्रग माफ़िया को भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ गिरफ़्तार किया था.
पुलिस ने ड्रग्स माफ़िया जोउ समेत कुल सात लोगों को करीब 28 करोड़ रुपये से अधिक क़ीमत के अवैध नशीले पदार्थों और नकदी के साथ पकड़ा था.
पुलिस अधिकारी बृंदा ने अपने हलफ़नामे में बताया है कि जिस समय वो अपनी टीम के साथ ड्रग माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ छापेमारी की कार्रवाई कर रही थीं उसी दौरान बीजेपी के एक नेता ने उन्हें वॉट्सऐप कॉल करके मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से बात करवाई थी.
इस मामले को लेकर मणिपुर की सियासत काफ़ी गरमा गई है क्योंकि मुख्य आरोपी और इलाके में ड्रग्स का कथित सरगना जोउ चंदेल ज़िले में एक प्रभावशाली बीजेपी नेता थे. जिस समय उन्हें गिरफ़्तार किया गया था उस दौरान वो चांदेल ज़िला स्वायत्तशासी परिषद् के अध्यक्ष थे.
पुलिस अधिकारी पर अवमानना का मामला
यह मामला अब फिर इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि 21 मई को अदालत ने आरोपी जोउ को अंतरिम ज़मानत दे दी थी. जिसके बाद पुलिस अधिकारी बृंदा ने नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की अदालत के फ़ैसले की फेसबुक पोस्ट के ज़रिए कथित तौर पर आलोचना की थी.
न्यायपालिका की इस आलोचना के लिए उन पर अवमानना का मामला चलाया जा रहा है. इस अवमानना के मामले के ख़िलाफ़ बृंदा ने मणिपुर हाईकोर्ट में एक काउंटर एफ़िडेविट दाख़िल की है, जिसमें उन्होंने ये गंभीर आरोप लगाए हैं.
बीबीसी के पास मौजूद 18 पन्ने के इस हलफ़नामे में महिला पुलिस अधिकारी ने वॉट्सऐप कॉल करने वाले प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मोइरंगथम अशनीकुमार का नाम लिया है.
उन्होंने कोर्ट में दाख़िल शपथपत्र में कहा है, "फ़ोन पर बातचीत के दौरान मैंने मुख्यमंत्री को ड्रग्स की तलाशी से जुड़ी छापेमारी के बारे में जानकारी दी और उन्हें बताया कि हम अब स्वायत्तशासी ज़िला परिषद के सदस्य के घर पर छिपा कर रखी गई ड्रग्स की तलाशी लेने जा रहे हैं. उस समय मुख्यमंत्री ने फ़ोन पर तारीफ़ करते हुए कहा था कि अगर स्वायत्तशासी ज़िला परिषद् के सदस्य के घर पर ड्रग्स मिलती है तो उन्हें गिरफ़्तार करो."
बृंदा ने अपने हलफ़नामे में लिखा है,"इस कार्रवाई के दूसरे दिन यानी 20 जून को भाजपा नेता अशनीकुमार सुबह सात बजे हमारे घर पहुंच गए और इस मामले का ज़िक्र करते हुए कहा कि परिषद् के जिस सदस्य को गिरफ़्तार किया गया है वो मुख्यमंत्री की पत्नी ओलिस का राइट हैंड है. इस गिरफ़्तारी को लेकर मुख्यमंत्री की पत्नी बेहद नाराज़ हैं."
"इसके बाद भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को रिहा कर उसके बदले उनकी पत्नी या फिर बेटे को गिरफ़्तार किया जाए. मैंने उनसे कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि हमने ड्रग्स उनके बेटे या के पास से बरामद नहीं बल्कि उस व्यक्ति के पास से बरामद की है."
"इसलिए हम उन्हें नहीं छोड़ सकते. इसके बाद अशनीकुमार दूसरी बार भी मुझसे मिलने आए और कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी इस मामले को लेकर बेहद गुस्से में है. मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ दिया जाए. मैंने उनसे साफ़ कह दिया था कि जांच हो जाने दीजिए. इस बारे में कोर्ट निर्णय लेगा."
'मुख्यमंत्री ने मुझे डांटा और कहा...'
महिला पुलिस अधिकारी ने शपथपत्र में है कहा कि 150 पुलिस जवानों को साथ लेकर इस ड्रग माफ़िया के ख़िलाफ़ यह ऑपरेशन चलाया गया था.
उन्होंने कहा है, "हमें उनके ख़िलाफ़ सारे सबूत मिले थे. हमारी टीम ने छापेमारी के दौरान लुहखोसेई जोउ के पास से 4.595 किलो हेरोइन पाउडर, 2,80,200 'वर्ल्ड इज़ योर्स' नाम की नशीली टैबलेट और 57 लाख 18 हजार नगदी बरामद किए थे. इसके अलावा हमने 95 हज़ार के पुराने नोट समेत कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद किए थे. छापेमारी के दौरान आरोपी के घर से जब ड्रग्स बरामद हुई तो पहले वो हमसे समझौता करने का अनुरोध करने लगा और बाद में उसने डीजीपी और मुख्यमंत्री को फ़ोन करने की अनुमति मांगी."
हाई कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में प्रदेश के डीजीपी पर भी मामले में दबाव बनाने के आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस अधिकार ने लिखा है, "14 दिसंबर को नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने फ़ोन करके कहा कि पुलिस महानिदेशक ने सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई है. मैं जब बैठक के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंची तो डीजीपी ने मुझसे इस मामले से जुड़े आरोपपत्र मांगे जो कि हम अदालत में दाख़िल कर चुके थे. जब मैंने उन्हें यह बात बताई तो डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते है कि इस मामले के आरोपपत्र कोर्ट से वापस लिए जाएं."
"मैंने जब पुलिस प्रमुख से कहा कि अब कोर्ट से आरोपपत्र वापस नहीं लिया जा सकता तो उन्होंने इस मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट भेजकर आरोप-पत्र हटाने के आदेश दिए लेकिन कोर्ट ने जांच अधिकारी को आरोपपत्र वापस करने से इनकार कर दिया. पुलिस पर दबाव डालने और आरोपपत्र वापस लेने का मामला जब मीडिया में आया तो डीजीपी ने एसपी को विभाग की तरफ से एक स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि पुलिस पर इस मामले को लेकर कोई दबाव नहीं है. मैंने अपनी तरफ़ से किसी भी तरह का स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया था लेकिन विभाग की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें लिखा गया कि इस मामले को लेकर पुलिस पर किसी तरह का दबाव नहीं है."
बृंदा के मुताबिक़, "ठीक उसी दिन सुबह मुख्यमंत्री ने मुझे और हमारे विभाग कुछ पुलिस अधिकारी को अपने बंगले पर बुलाया था. उस दौरान मुख्यमंत्री मुझे यह कहते हुए डांटने लगे कि क्या इसलिए मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है. उन्होंने विशेष रूप से मुझे और एसपीपी को निर्देश देते हुए कहा आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम नाम की कुछ बातें होती है. मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि हमें अपने विधिपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए क्यों डांटा गया था."
मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग
कांग्रेस ने इस मामले में नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री बीरने सिंह से इस्तीफ़ा देने की मांग की है. मणिपुर प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर शुक्रवार को राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस के नेता ज़िला स्वायत्तशासी परिषद के पूर्व चेयरमैन लुहखोसेई जोउ से जुड़े ड्रग और नकद जब्ती के मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग कर रहे हैं.
हालांकि बीरेन सिंह ने मीडिया में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह मामला फ़िलहाल न्यायलय में विचाराधीन है इसलिए इस पर टिप्पणी करना क़ानूनी रूप से उचित नहीं होगा. यह सभी को पता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी न्यायिक कार्यवाही या अदालती मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है."
उन्होंने कहा,"ड्रग्स के ख़िलाफ़ हमारी सरकार सख़्ती से निपट रही है और यह अभियान लगातार जारी रहेगा. इस तरह के ग़ैर-क़ानूनी काम में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख़्शा नहीं जाएगा. फिर चाहे कोई दोस्त हो या रिश्तेदार."
मुख्यमंत्री के इस तरह के आश्वासन के बाद भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है. कई संगठनों ने राज्यपाल के ज़रिए इस मामले को देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया है.
'बृंदा ने बेहतरीन काम किया है'
मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फनजौबम ड्रग्स के इस पूरे मामले को मणिपुर के लिए बेहद गंभीर मानते हैं.
वो कहते हैं, "मणिपुर में ड्रग्स का धंधा व्यापक स्तर पर फैलता जा रहा है. ऐसे समय में महिला पुलिस अधिकारी ने जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि एक पुलिस अधिकारी ने ड्रग्स माफ़िया और उससे जुड़ी तमाम सांठगांठ के आरोप अदालत के समक्ष लिखित में लगाए हैं. पुलिस पर दबाव की बात सच हो सकती है लेकिन अब इस पूरे मामले में एक उच्च स्तरीय जांच की ज़रूरत है."
प्रदीप फनजौबम के अनुसार इस महिला पुलिस अधिकारी ने मणिपुर में ड्रग्स के धंधे के ख़िलाफ़ काफ़ी काम किया है. इससे पहले बृंदा ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान चलाकर कई लोगों को गिरफ़्तार किया था.
फ़िलहाल मणिपुर सरकार ने उनका नार्कोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो विभाग से तबादला कर दिया है लेकिन उन्हें अब तक अन्य विभाग में चार्ज़ नहीं दिया गया है.(bbc)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को यहां कहा कि प्रदेश में अभी कोरोना के प्रसार की दर नियंत्रित है, जो लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं उनमें 80 से 87 फीसदी तक अंतरराज्यीय यात्रा करने वाले तथा 3 प्रतिशत तक अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले शामिल हैं। स्वास्थ मंत्री टी एस सिंहदेव ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार निरंतर टेस्ट और कोरोना नियंत्रण की दिशा में कार्य कर रही है।
सिंहदेव ने बताया कि प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग का दायरा बढ़ाया जा रहा है, जिससे मरीजों की संख्या का सामने आना स्वाभाविक है। इस संक्रमण में लगभग 80 फीसदी लोग स्वत: ही किसी विशेष उपचार के स्वस्थ हो जाते हैं लेकिन उनकी संख्या सामने आने से इस वायरस के प्रसार को रोकने में आसानी होती है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में अब भी 0.5 प्रतिशत के साथ ही मृत्यु दर अन्य राज्यों से कम है।
विपक्ष के ट्वीट से जुड़े सवालों पर सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश सरकार सजगता और जिम्मेदारी से कार्य कर रही है, केवल कोविड नियंत्रण के लिए शासन ने 93 करोड़ रुपये बजट में प्रदान किए हैं। सभी कोरोना वारियर्स पूरी निष्ठा के साथ जुटे हुए हैं एवं इस आपदा से निपटने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। प्रदेश में शाम 5 बजे तक 110 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा कांकेर में 26 पॉजिटिव आए हैं। रायपुर में अभी तक 2 कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि की गई है।
बताया गया कि प्रदेश में आज सबसे ज्यादा कांकेर में 26 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा जगदलपुर में 6, बीजापुर में 11, नारायणपुर में 1, बस्तर में 5, सुकमा में 4, कोंडागांव में 6 और दंतेवाड़ा में 2 पॉजिटिव पाए गए हैं। बिलासपुर में 22 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा जांजगीर-चांपा में 10, रायगढ़-कोरबा में 6-6, कोरिया में 3 मरीज मिलने की पुष्टि हुई है।
जयपुर, 18 जुलाई । राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बागी विधायकों या सचिन पायलट को हाईकोर्ट से शुक्रवार को भले ही अंतरिम राहत मिली हो लेकिन प्रदेश के अशोक गहलोत सरकार ने उन्हें चौतरफा घेरना शुरू कर दिया है। सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने शुक्रवार को एसओजी में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी एफआईआर दर्ज करा दी है। इस बारे में एसओजी के डीजी आलोक त्रिपाठी की ओर कहा गया है कि ब्यूरों में जो एफआईआर दर्ज की गई है वो भ्रष्टाचार को लेकर हुई है।
हॉर्स ट्रेडिंग मामले दोनों जांच एजेंसियों में पहले से ही जांच कर रही है और अब सरकार ऑडियो क्लिप्स मामले में भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी में है। उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी इस सियासी दंगल में कूद पड़ी हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन और बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया है। अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है।
राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल यानी एसओजी ने शुक्रवार को राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने के लिये विधायकों की खरीद फरोख्त वाले ओडियो टेप में कथित रूप से नाम आने पर संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस एवं एसओजी) अशोक राठौड के अनुसार जैन को सोशल मीडिया पर वायरल हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार जैन को बृहस्पतिवार और शुक्रवार को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है। गहलोत सरकार को गिराने के कथित षडयंत्र वाले सोशल मीडिया पर वायरल हुए तीन ओडियो टेप में से एक टेप में कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा, गजेन्द्र सिंह और संजय जैन के बीच कथित बातचीत के खिलाफ जांच की मांग को लेकर कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से देशद्रोह का मामला दर्ज करवाया गया था। एसओजी ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त और कथित ओडियो टेप रिकार्डिंग मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (षडय़ंत्र)के तहत शुक्रवार को दो प्राथमिकी दर्ज की। (navbharattimes.indiatimes.com)
नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)। माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ का कहना है कि कोविड -19 महामारी ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को इतना मुश्किल कर दिया है कि इस साल 25 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है। हाल ही में स्मिथ ने कहा है, दुनिया को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को नौकरी पाने के लिए नए कौशल को सीखने की जरूरत है।
माइक्रोसॉफ्ट गणना के अनुसार, 2020 में वैश्विक स्तर पर बेरोजगारों की संख्या एक बिलियन के चौथाई हिस्से तक पहुंच सकती है।
स्मिथ ने कहा, यह एक चौंका देने वाली संख्या है। महामारी सीमा का सम्मान नहीं करती है। केवल अमेरिका में, कांग्रेसशनल बजट कार्यालय का अनुमान है कि देश में बेरोजगारी दर में 12.3 अंक की वृद्धि (3.5 प्रतिशत से 15.8 प्रतिशत) हो सकती है। 21 मिलियन यानि कि 2.1 करोड़ लोग बिना नौकरी के होंगे। कई अन्य देशों और महाद्वीपों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले महीने दुनिया के 25 मिलियन यानी कि ढाई करोड़ लोगों को साल के अंत तक नया डिजिटल कौशल हासिल करने में मदद करने के लिए एक नई वैश्विक पहल करने की घोषणा की थी।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी को लेकर भारत और चीन में तनाव के बीच कांग्रेस ने फिर सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान को खोखली बयानबाजी बताया है। कल अपने जम्मू-कश्मीर दौरे पर रक्षा मंत्री ने कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत भारत की एक इंच जमीन भी नहीं छीन सकती। पी चिदंबरम ने आरोप लगाया कि अब भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय क्षेत्र में 1.5 किलोमीटर अंदर तक चीनी सैनिक मौजूद हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आकलन किया है कि चीनी सैनिक अभी भी 1.5 किमी तक एलएसी के भारतीय क्षेत्र में (भारत की धारणा के अनुसार) हैं।
पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की थी और कोई भी भारतीय क्षेत्र के अंदर नहीं है जैसी बातें खाली बयानबाजी थीं। उनका कहना था कि जब तक सरकार वास्तविकता को स्वीकार नहीं करती तब तक यथास्थिति में वापसी बहुत मुश्किल है।
भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हुआ हालिया तनाव 15 जून को तब चरम पर पहुंच गया था जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हो गई थी। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए तो चीन के भी कई सैनिकों के हताहत होने की खबरें आईं। इसके बाद चीन ने गलवान घाटी सहित कई इलाकों पर दावा किया जिसे भारत ने खारिज कर दिया। दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच कई वार्ताओं के बाद सहमति बनी है कि दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी जगहों से पीछे हटेंगी और बीच में एक नो मैंस लेंड यानी बफर जोन होगा। (satyagrah.scroll.in)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 18 जुलाई। थाना पलारी क्षेत्र में रात्रि गश्त में लगे पुलिस आरक्षकों द्वारा एक नाबालिग बालिका को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाकर उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया। वहीं एक अपचारी बालक समेत सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस के अनुसार आज रात 3.15 बजे थाना पलारी रात्रि गश्त में लगे पुलिस आरक्षक खिलेश्वर वर्मा एवं अरूण रत्नाकर द्वारा एक 13 वर्ष की नाबालिग लडक़ी को दो बाइक में 05 लोगों द्वारा तेज गति से बलौदाबाजार की ओर ले जाते हुए देखा गया। इसमें पुलिस जवानों द्वारा इसकी सूचना आगे ग्राम अमेरा गश्त पाईंट में लगे आरक्षकों पप्पू पनागर, सुमित स्वरूप मिश्रा एवं पीसीआर वाहन क्र. 2 के आरक्षक राकेश कुर्रे को दी गई। जिनके द्वारा बाइक में बैठे लोगों को रोककर पूछताछ की गई। बाइक में बैठे 04 लडक़े एवं 01 अपचारी बालक द्वारा 13 वर्षीय बालिका का अपहरण कर ले जाना स्वीकार किया गया। पुलिस कर्मचारियों द्वारा तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देकर बालिका के परिजनों को सूचित किया गया।
पुलिस ने गोपीकिशन आडिल (20), शैलेन्द्र डहरिया (25), नीलम मारकडेय (29), तरूण गर्ग (24) और एक अपचारी बालक सभी निवासी ग्राम सोनपुरी को गिरफ्तार किया है।
एसपी ने सभी पुलिस आरक्षकों को नगद इनाम एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तथा आरक्षकों को पृथक से इनाम देने की घोषणा भी की गई।
पुरस्कृत आरक्षकों में खिलेश्वर वर्मा, पप्पू पनागर, राकेश कुर्रे, अरूण रत्नाकर और सुमित स्वरूप मिश्रा शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई, 18 जुलाई। महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव से सार्वजनिक रूप से बेइज्जत और थप्पड़ खाने के बाद दबाव में आई आदर्श नगर चरोदा निवासी महिला द्वारा घर पर बीती रात्रि फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई। मृतिका के पति द्वारा डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव एवं उनकी सहेली पर आरोप लगाया है कि एवं उनकी महिला मित्र से प्रताडि़त होने के कारण उसकी पत्नी ने आत्महत्या की है। इसलिए तत्काल महिला डीएसपी को निलंबित किया जाए एवं उनकी सहेली और डीएसपी के पति कमल श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया जाए। जबकि मोहल्ले वासियों के द्वारा डीएसपी के खिलाफ अपराध कायम करने की मांग की है। मांग पूरी ना होने की स्थिति में चक्का जाम करने की चेतावनी दी गई है। मामले में पुलिस ने मर्ग कायम कर विवेचना में लिय्या है।
भिलाई तीन पुलिस ने बताया कि वार्ड 23 आदर्श नगर चरोदा निवासी के सुखविंदर 40 वर्ष अपने मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका का पति रायपुर स्थिति कंपनी में कार्यरत है।
महिला के पति केवी अरुण कुमार ने आरोप लगाया कि शुक्रवार की रात को डीएसपी अनामिका जैन अपनी महिला मित्र के साथ घर पर आई हुई थी। डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव ने उसके पति कमल श्रीवास्तव के साथ के सुखविंदर का अवैध संबंध होने का आरोप लगाया गया। साथ ही डीएसपी और उसकी महिला मित्र दोनों ही के द्वारा मेरी पत्नी सुखविंदर के साथ दुव्र्यवहार करते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया। जिसके कारण पूरे मोहल्ले के लोग एकत्रित हो गए साथ ही मेरे बड़े भाई और भाभी भी पहुंच गए।
सुखविंदर को महिला डीएसपी के द्वारा उसके जेठ जेठानी एवं मोहल्ले वासियों के समक्ष सार्वजनिक रूप से लगातार अपने पति के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए बेइज्जत किया गया। मेरे द्वारा हस्तक्षेप करते हुए पुराने मामले को समाप्त करने की समझाईश दी गई । परंतु महिला डीएसपी किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं थी। आवेश में आकर उसके द्वारा मेरी पत्नी को थप्पड़ मारा गया। इसके बाद भी विवाद को शांत करने के लिए मेरे द्वारा महिला डीएसपी से बात को समाप्त करने का आग्रह किया गया। परंतु वह मेरी 17 वर्षीय पुत्री को सामने बुलाने के लिए दबाव बनाती रही और धमकाया कि जब तक सुखविंदर की बेटी मेरे सामने नहीं आएगी तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी।
बेटी के ट्यूशन में होने का हवाला देने के बाद भी महिला डीएसपी घर के सामने डटी रही और उसका गाली गलौज करना और मेरी पत्नी को अपमानित करने का कार्य जारी था। मेरे द्वारा इस पूरे मामले में बेटी को दूर ही रखने की गुजारिश की जाती रही लेकिन वह महिला डीएसपी अपनी बात पर अड़ी रही जिस पर मुझे मजबूर होकर अपनी बेटी को ट्यूशन से बुलाना पड़ा ट्यूशन से घर पर आई बेटी के समक्ष उसकी मां पर कमल श्रीवास्तव के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए थप्पड़ मारा और और बेइज्जती की इसके बाद महिला डीएसपी अपने साथी के साथ चली गई।
मेरी पत्नी सुखविंदर अपनी पुत्री जेठ जेठानी और मोहल्ले वासियों के समक्ष महिला डीएसपी द्वारा किए गए दुव्र्यवहार के कारण दबाव में आ चुकी थी। किसी तरह महिला डीएसपी किए जाने के बाद परिवार सहित हम घर में चले गए जिसके कारण मैं ड्यूटी में भी नहीं जा सका सुबह 5.30 बजे के लगभग कंपनी से फोन आने पर मेरी नींद खुली और किचन में देखा की पत्नी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई है। जिसकी सूचना भिलाई 3 पुलिस को दी सूचना पर भिलाई 3 पुलिस द्वारा तत्काल मौके में पहुंचकर मर्ग कायम कर विवेचना में लिया है। थाना प्रभारी संजीव मिश्रा ने बताया कि महिला द्वारा छोड़े गए सुसाइडल नोट में अपनी मर्जी से आत्महत्या करने का उल्लेख किया गया है। जबकि पति द्वारा महिला डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव द्वारा कल किए गए दुर्व्यवहार की शिकायत की गई है।
मामले में मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। दूसरी ओर छाया पार्षद व्यंकटराव ने आरोप लगाया है कि महिला सुखविंदर के आत्महत्या मामले में डीएसपी अनामिका जैन श्रीवास्तव के कारण ही घातक कदम उठाया है। जिस तरह से महिला डीएसपी डराने धमकाने मृतका के घर पहुची थी। इसी वजह से महिला ने आत्महत्या किया है। इस डीएसपी के खिलाफ निलंबित कार्रवाई होना चाहिए। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश समन्वयक सुप्रीय टेम्बुलकर ने भी आरोप लगाया कि महिला डीएसपी की प्रताडऩा के कारण ही महिला सुखविंदर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुई थी जिस प्रकार से महिला डीएसपी के द्वारा पूरे मोहल्ले के समक्ष महिला को आरोपित किया गया था उसके कारण वह पूरी तरह दबाव में आ गई थी इसके बाद ही महिला के द्वारा उक्त कदम उठाया गया महिला डीएसपी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही की जानी चाहिए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। बस्तर संभाग में आज दोपहर तक कोरोना के 52 मरीज मिले हैं। सबसे ज्यादा कांकेर में 26 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
बताया गया कि बीजापुर में 11, नारायणपुर में 1, बस्तर में 5, सुकमा में 4, कोंडागांव में 3 और दंतेवाड़ा में 2 पॉजिटिव पाए गए हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। कोरोना संक्रमण पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज दोपहर बाद सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में संक्रमण रोकने के उपायों पर चर्चा होगी। चर्चा है कि कुछ जगहों पर लॉकडाउन भी किया जा सकता है। सांसद सुनील सोनी ने सुझाव दिया है कि कम से कम एक हफ्ते का लॉकडाउन किया जाए, ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन उसी अनुपात में मरीज भी ठीक हो रहे हैं। इसलिए अभी बहुत ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं है। इन सबके बावजूद संक्रमण को रोकने के लिए हरसंभव उपाए किए जा रहे हैं।
दूसरी तरफ, सीएम श्री बघेल ने अपने निवास पर बैठक रखी है। यह बैठक शाम 4 बजे होगी। इसमें कोरोना को लेकर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि लॉकडाउन भी किया जा सकता है। हरेली पर्व के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इससे परे सांसद सुनील सोनी ने सुझाव दिया है कि पूरे प्रदेश में एक हफ्ते का लॉकडाउन किया जाए। इसके अलावा कनेंटमेंट जोन में अभियान चलाकर टेस्टिंग की जाए। ताकि मरीजों की पहचान कर इलाज किया जा सके।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर किसान व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने इस पर नोटिस जारी करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
ज्ञात हो कि कोविड-19 के दौरान राहत पैकेज की घोषणा करते हुए केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिये इस अध्यादेश को जारी किया था। इसमें कहा गया था कि किसान इसके बाद अब अपनी उपज को देश के किसी भी हिस्से में बेच सकेंगे जिससे उन्हें अपने उत्पादन की अच्छी कीमत मिले।
छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा अधिवक्ता अमन सक्सेना की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 246, 23 तथा 14 का उल्लंघन है। यह अध्यादेश कृषि उत्पादों को विनियमित करने के राज्य सरकार के अधिनियम को निरस्त करता है। इस अध्यादेश से राज्य की कृषि उपज मंडियों के लिये बनाये गये नियमों विशेषकर कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के कानून को दबाने का प्रयास है। संविधान के अनुच्छेद 246 (3) के अनुसार कृषि पर कानून बनाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है। दूसरी तरफ यह अध्यादेश कृषि सुधारों की आड़ में एक केन्द्रीयकृत बाजार बनाने के लिये है जो संघवाद की तरफ ले जा रहा है। इस कानून को राष्ट्रपति के माध्यम से किसी भी सदन में चर्चा किये लागू कर दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश गरीब, असंगठित, सीमान्त और छोटे किसानों की रक्षा करने में विफल साबित होगा जो संविधान के अनुच्छेद 23 में उन्हें दिये गये अधिकार का उल्लंघन है। राज्य के कानूनों में इन्हें जो ठोस सुरक्षा पहले से दी गई है इस अध्यादेश से वह समाप्त हो जायेगी। यह अध्यादेश मंडियों के अधिकार को खत्म करने का प्रयास है, जो देश भर में एपीएमसी कानून (कृषि उपज मंडी कानून) के अंतर्गत हजारों की संख्या में छोटे किसानों के हित संरक्षण के लिये स्थापित किये गये हैं। नया अध्यादेश व्यापारियों को अनेक तरीकों से किसानों के शोषण का अवसर देगा। व्यापारियों को बाहर व्यापार करने की अनुमति देने से सौदेबाजी की हैसियत नहीं रखने वाले कम उपज वाले सीमांत और छोटे किसानों का अहित होगा। अध्यादेश में बेईमान व्यापारियों से इन किसानों को बचाने का कोई उपाय नहीं किया गया है।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पी.आर.रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच ने की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। भिलाई के कुम्हारी के सबसे बड़े शीतला तालाब को पाटने के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए राज्य शासन और कुम्हारी नगरपालिका से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
कुम्हारी तालाब को पाटकर नगरपालिका ने यहां चौपाटी तैयार करने की योजना बनाई है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। सैकड़ों वर्ष पुराना यह तालाब निस्तारी के काम आता है और श्रद्धालु यहां पूजा-पाठ करने आते हैं। इस तालाब के चलते कुम्हारी का भू-जल स्तर बना रहता है। गहरीकरण का नाम लेकर तालाब को पाटना छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विरुद्ध भी है। याचिका में कहा गया है कि तालाब को पाटने के विरुद्ध जिला प्रशासन और नगरपालिका से कई बार जापन दिया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता निश्चय बाजपेयी की ओर से अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने पैरवी की और शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा उपस्थित हुए।
‘अमित पर एफआईआर दर्ज हो, मरवाही चुनाव लडऩे से रोका जाए’
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके बेटे अमित जोगी की जाति को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे संतकुमार नेताम ने कहा है कि सन् 2013 की रिपोर्ट को लेकर हाईकोर्ट के आदेश से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि जोगी के आदिवासी होने को मान्यता दी गई है। सन् 2019 की दूसरी संशोधित रिपोर्ट में उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जा चुका है। स्व. जोगी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त होने के बाद अमित जोगी का भी प्रमाण पत्र निरस्त किया जाना चाहिये और उन्हें मरवाही चुनाव लडऩे का मौका नहीं दिया जाना चाहिये।
हाईकोर्ट ने पिछले दिनों याचिकाकर्ता संतकुमार नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने सन् 2013 में जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट को वापस लेने के तत्कालीन सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी। इसके खारिज होने के बाद अमित जोगी ने ट्वीट कर कहा था कि सत्य की जीत होती है, मरवाही के गौरव व जोगी के आदिवासी होने के हक को कोई नहीं छीन सकता।
अमित जोगी के इस बयान पर नेताम ने कहा है कि सन् 2013 की रिपोर्ट को तब की सरकार ने प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने के कारण वापस लिया था पर जाति छानबीन समिति ने सन् 2019 में दूसरी संशोधित व स्पष्ट रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट को किसी अदालत ने खारिज नहीं किया गया है, जिसमें जोगी के कंवर जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का आदेश है। पिता के आधार पर ही बेटे की जाति तय होती है इसलिये स्व. अजीत जोगी की तरह ही उनके पुत्र अमित जोगी का प्रमाण पत्र निरस्त किया जाना चाहिये, साथ ही उनके ऊपर भी एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिये। जाति प्रमाण पत्र के लिये अमित जोगी ने गलत जन्मस्थान और जन्मतिथि दर्ज कराई और इसी प्रमाण-पत्र के आधार पर मरवाही अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा। पिता का प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद अब उन्हें इस प्रमाण पत्र के आधार पर मरवाही से नामांकन दाखिले का अवसर नहीं मिलना चाहिये। सन् 2013 की रिपोर्ट वापस लेने को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद उनकी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है।