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काबुल, 30 सितंबर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक शिया बहुल इलाके में शुक्रवार तड़के विस्फोट होने से 19 लोगों की मौत हो गई और 27 अन्य घायल हुए हैं। काबुल पुलिस प्रमुख के लिए तालिबान द्वारा नियुक्त एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।
प्रवक्ता खालिद जदरान ने बताया कि दशती बारची इलाके में शुक्रवार सुबह यह विस्फोट हुआ। इस क्षेत्र में अधिकतर अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लोग रहते हैं।
विस्फोट की तत्काल किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है।
तालिबान के अगस्त 2021 में देश की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद से उसके बड़े प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने दशती बारची इलाके में कई बार हजारा समुदाय को निशाना बनाया है।
गृह मंत्रालय में तालिबान द्वारा नियुक्त प्रवक्ता अब्दुल नफी टकोर ने पहले कहा था, ‘‘हमारे दलों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। ’’ (एपी)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दावा किया कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा को गुजरात में पार्टी के राजनीतिक मामलों का सह-प्रभारी नियुक्त जाने के बाद से ही गिरफ्तार करने की तैयारियां की जा रही है।
बहरहाल, केजरीवाल ने यह नहीं बताया कि कौन-सी एजेंसी चड्ढा को गिरफ्तार करने की कथित योजना पर काम कर रही है और उन पर क्या आरोप हैं।
राज्यसभा सदस्य चड्ढा को इस साल की शुरुआत में पंजाब के विधानसभा चुनावों में आप की जीत में अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें हाल में गुजरात में पार्टी के राजनीतिक मामलों का सह-प्रभारी नियुक्त किया गया। गुजरात में इस साल चुनाव होने हैं।
आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘जब से राघव चड्ढा को गुजरात का सह प्रभारी नियुक्त किया है और उन्होंने गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए जाना शुरू किया है, अब सुन रहे हैं कि राघव चड्ढा को भी ये लोग गिरफ्तार करेंगे। किस मामले में करेंगे और क्या आरोप होंगे, ये लोग अभी इसकी तैयारी कर रहे हैं।’’
केजरीवाल ने यह दावा ऐसे समय में किया है जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले के संबंध में पार्टी के मीडिया संचार प्रभारी विजय नायर को गिरफ्तार किया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि अपने सहयोगी मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन में प्रस्तावक बनेंगे।
सिंह ने कहा कि उन्होंने पूरी जिंदगी कांग्रेस के लिए काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।
सिंह ने कहा, ‘‘ खड़गे जी मेरे नेता व मेरे वरिष्ठ हैं। मैंने कल उनसे पूछा था कि क्या वह चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने इनकार कर दिया था। मैंने आज फिर उनसे मुलाकात की। मैंने उनसे कहा कि अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो मैं उनका पूरा समर्थन करूंगा। मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता। वह नामांकन दाखिल करेंगे और मैं उनका प्रस्तावक बनूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं जिंदगी में कुछ चीजों पर कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग से जुड़े मुद्दों पर कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता और गांधी परिवार के साथ अपनी प्रतिबद्धता से कोई समझौता नहीं करता।’’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद सिंह ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए नामांकन पत्र के 10 ‘सेट’ लिए थे।
कांग्रेस के ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नियम के तहत गहलोत से चुनाव लड़ने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा गया था।
कांग्रेस नेता शशि थरूर भी आज नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के यहां स्थित मुख्यालय के प्रांगण में एक तंबू लगाया गया है, जहां पार्टी के नेता पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर तीन बजे के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान 17 अक्टूबर को होगा और इसके परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। (भाषा)
नई दिल्ली, 30 सितंबर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है.
शशि थरूर ने ट्वविटर के ज़रिए इसकी जानकारी दी.
थरूर ने बताया कि वो एक बजे इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. शुक्रवार सुबह शशि थरूर नामांकन भरने से पहले राजघाट पहुंचे.
थोड़ी देर पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब आप किसी रेस में शामिल होते हैं. तो आपको पता होता है कि नतीजे तय नहीं हैं लेकिन आप इस आत्मविश्वास के साथ जाते हैं कि आप अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे, भले ही नतीजे कुछ भी हों.”
खड़गे होंगे सामने
शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के नामांकन भरने का आखिरी दिन है.
अध्यक्ष पद के लिए अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया है. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने उनके नाम का समर्थन किया है.
वहीं दिग्विजय सिंह अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन नहीं भर रहे. उन्होंने कहा कि खड़गे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वो उनके खिलाफ चुनाव में नहीं उतरेंगे. (bbc.com/hindi)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर एयर इंडिया अगले तीन माह में बर्मिंघम, लंदन और सैन फ्रांसिस्को के लिए 20 अतिरिक्त साप्ताहिक उड़ानें शुरू करेगी।
टाटा के स्वामित्व वाली एयरलाइन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत बनाने की योजना बनाई है, जिसके तहत ये उड़ानें शुरू की जा रही है।
कंपनी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि सप्ताह में बर्मिंघम के लिए पांच अतिरिक्त उड़ानें, लंदन के लिए नौ अतिरिक्त उड़ानें और सैन फ्रांसिस्को के लिए छह अतिरिक्त उड़ानें शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही ग्राहकों को हर सप्ताह 5,000 से अधिक अतिरिक्त सीटों की पेशकश की जाएगी।
एयर इंडिया अभी ब्रिटेन के लिए हर हफ्ते 34 उड़ानों का संचालन करती है, और अब इनकी संख्या बढ़कर 48 हो जाएगी।
बयान में कहा गया कि सात भारतीय शहरों से अब ब्रिटेन की राजधानी के लिए एयर इंडिया की सीधी उड़ानें होंगी।
दूसरी ओर अमेरिका के लिए एयर इंडिया की उड़ानें प्रति सप्ताह 34 से बढ़कर 40 हो जाएंगी। (भाषा)
-सुचित्र मोहंती
नई दिल्ली, 30 सितंबर। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को 2019 के देशद्रोह के एक मामले में ज़मानत दी है.
इस केस में उन पर ‘भड़काऊं भाषण’ देने का आरोप है जिसकी वजह से जामिया नगर में हिंसा हुई.
एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल ने शरजील इमाम को एफ़आईआर संख्या 242/2019 में ज़मानत दी है. हालांकि इमाम इस ज़मानत के बावजूद जेल से बाहर नहीं आएंगे.
वह दिल्ली दंगों से जुड़ी एक केस में जेल में ही रहेंगे. साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी एफ़आईआर संख्या 59/2020 में यूएपीए की धाराएं लगाई गई हैं शरजील उस एफ़आईआर के तहत जेल में हैं उन पर ‘दंगों के पीछे हुई साजिश’ में शामिल होने का आरोप है.
ये हालिया ज़मानत शरजील को दिसंबर 2019 के एक केस में मिली है. दिल्ली के न्यूफ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक़ 13 दिसंबर , 2019 को शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन बिल केखिलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों में एक भाषण दिया जिसके बाद 15 दिसंबर को जामिया नगर में भीड़ ने रास्ते रोके और निजी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया. (bbc.com/hindi)
काबुल, 30 सितंबर। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में एक एजुकेशन सेंटर में हुए आत्मघाती धमाके में कम से कम 19 लोग मारे गए हैं और कई लोग ज़ख्मी हैं.
पुलिस के मुताबिक शहर के पश्चिमी इलाके के दश्त-ए-बार्ची में काज एजुकेशन सेंटर में यह धमाका हुआ है.
सेंटर के कर्मचारियों का कहना है कि धमाका तब हुआ जब छात्र एक परीक्षा दे रहे थे.
इस इलाके में रहने वाले अधिकतर लोग हज़ारा समुदाय के हैं. हज़ारा समुदाय को निशाना बनाकर पहले भी हमले किए गए हैं.
अब तक किसी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है.
तालिबान ने की हमले की निंदा
तालिबान के गृह मंत्रालय ने हमले की निंदा की है और बताया कि सुरक्षाबल मौके पर पहुंच गए हैं.
अब्दुल नफ़ी टाकोर ने कहा कि आम नागरिकों पर हमला करना, ‘दुश्मन की अमानवीय क्रूरता और नैतिक मूल्यों की कमी’ को साबित करता है.
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में बीते साल अगस्त में तालिबान की वापसी हुई है और उनका कहना है कि वो देश में हालात स्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि देश में तालिबान के विरोधी इस्लामिक स्टेट के हमले लगातार हो रहे हैं.
दश्त-ए-बार्ची में पहले भी कई हमले हो चुके हैं. कुछ हमलों में स्कूलों और अस्पतालों को निशाना बनाया गया.
बीते साल अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान की वापसी से पहले दश्त-ए-बार्ची में लड़कियों के एक स्कूल पर हमला हुआ था जिसमें 85 लोग मारे गए थे. मरने वालों में अधिकतर स्टूडेंट थीं और इस हमले में सैकड़ों लोग घायल हुए थे.
नई दिल्ली, 30 सितंबर। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने चुनाव की दावेदारी से अपना नाम वापस ले लिया है.
अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बनेंगे.
दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने जीवन भर कांग्रेस के लिए काम किया है और करता रहूंगा. तीन बातों पर मैं कभी समझौता नहीं करूंगा- दलितों, आदिवासी और गरीबों के अधिकार लिए. सांप्रदायिक ताकतों के साथ और तीसरा मेरी प्रतिबद्धता कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार के साथ हमेशा रहेगी इसलिए कल मैं खड़गे साहब के घर गया और मैंने उनसे पूछा कि आप अगर फॉर्म भरेंगे तो मैं नहीं भरूंगा, तो उन्होंने कहा कि मेरा इरादा नहीं है."
"जब मुझे मीडिया से उनके नाम की चर्चा का पता चला तो मैं आज उनसे मिलने गया और कहा कि अगर आप फॉर्म भर रहे हैं तो आप वरिष्ठ नेता हैं मैं आपके खिलाफ़ चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता. अब उनका इरादा चुनाव लड़ने का है तो मैंने कहा कि मैं आपका प्रस्तावक बनूंगा “
उनके एलान के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने मीडिया से कहा, “ दिग्विजय सिंह ने अपना नाम वापस ले लिया है और बड़े सम्मान के साथ उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बनने की इच्छा जताई है."
"मैं साफ़ करना चाहता हूं कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी किसी ने भी इसमें कोई दखल नहीं दिया है. मैं चाहता था कि गांधी परिवार का ही कोई अध्यक्ष बने लेकिन उनकी ग़ैर-मौजूदगी में खड़गे साहब सबसे उचित हैं. ” (bbc.com/hindi)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूस के आम नागरिकों को सेना में शामिल करने की घोषणा की थी. उनकी घोषणा से पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ गई और एक अंतरराष्ट्रीय पलायन शुरू हो गया.
मंगोलिया की राजधानी उलानबातार में रूस से भाग कर आए हुए एक युवक से जब भागने का कारण पूछा गया तो उसका जवाब था, "मैं लोगों को मारना नहीं चाहता." वो उन हजारों रूसी नागरिकों में से है जो पिछले एक हफ्ते में रूस से भाग कर सीमा पार मंगोलिया आ गए हैं.
पिछले हफ्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूस के आम नागरिकों को सेना में शामिल करने की घोषणा की थी. उनकी घोषणा से पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ गई और एक अंतरराष्ट्रीय पलायन शुरू हो गया. अभी तक हजारों लोग रूस छोड़ चुके हैं.
रूस-जॉर्जिया सीमा
हाल के दिनों में मंगोलिया की ही तरह फिनलैंड, नॉर्वे, तुर्किए और जॉर्जिया में भी रूस से आने वालों की संख्या बढ़ गई है. अपना नाम न बताने की शर्त पर मंगोलिया में इस युवक ने एएफपी को बताया, "घर, मातृभूमि, मेरे रिश्तेदार - सब कुछ पीछे छोड़ कर चले आना बहुत मुश्किल था, लेकिन यह लोगों को मारने से बेहतर है."
सीमाएं बंद कर दिए जाने का डर
उसने बताया कि उसने मंगोलिया आना इसलिए चुना क्योंकि उसे ऐसा लगा कि वहां पहुंचना आसान होगा. उसने कहा, "मैंने अपने कागजात और अपने बैग उठाए और भाग आया." उसने यह भी बताया कि रूसी पुरुषों को सेना में भर्ती से बचने के रास्ते तलाशने वाले लोगों की मदद के लिए ऑनलाइन समूहों का एक बड़ा नेटवर्क है.
इस तरह की मदद की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि यात्रा नियम निरंतर बदल रहे हैं. इस बात का भय भी है कि रूस सीमाओं को बंद न कर दे, जिसकी वजह से लोगों ने भागने की प्रक्रिया और तेज कर दी है. हालांकि क्रेमलिन ने सोमवार 26 सितंबर को कहा था कि अभी सीमाओं को बंद करने का कोई फैसला नहीं लिया गया है.
मंगोलिया के एक सीमावर्ती शहर अल्तानबुलाग में एक नाके के प्रमुख ने एएफपी को रविवार को बताया था कि पुतिन की घोषणा के बाद से 3,000 से भी ज्यादा रूसी लोग वहां से मंगोलिया में प्रवेश कर चुके हैं. उनमें से अधिकांश पुरुष हैं.
एएफपी के एक रिपोर्टर ने भी उस नाके के पास अप्रवासन काउंटर पर हाथ में रूसी पासपोर्ट लिए लोगों की कतारें देखी थीं. मंगोलिया आने वालों में से कई अब उलानबातार चले गए हैं, जो सबसे करीबी सीमा पार करने के स्थान से 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है.
चाह कर भी रूस नहीं छोड़ पाए कई लोग
यूक्रेन युद्ध के बारे में एक और युवा रूसी नागरिक ने कहा, "शुरू में मुझे लगा मुझे मालूम है कि क्या हो रहा है. लेकिन सरकार ने जब अपने कहे के विपरीत कुछ कदम उठाए तब तब मुझे एहसास हुआ कि मैं इनका भरोसा नहीं कर सकता हूं."
उसने बताया कि उसने एक महीना मंगोलिया में रहने की योजना बनाई है. उसने यह भी बताया कि उसके कई दोस्त रूस छोड़ नहीं पाए क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं थे. वो उम्मीद कर रहा है कि पीछे छूट गए उसकेरिश्तेदारों को धमकाया नहीं जाएगा.
रूस में युद्ध का विरोध करने वालों को या तो जेल में डाल दिया गया है या सरकारी मीडिया में उनकी आलोचना की गई है. इस वजह से सार्वजनिक रूप से युद्ध का विरोध करना बेहद खतरनाक हो गया है.
रूस के साथ 3,500 किलोमीटर लंबा मंगोलिया की सरकार ने आक्रमण पर तटस्थता व्यक्त की है. यह देश एक पूर्व सोवियत सैटेलाइट देश है और हाल के दशकों में इसने रूस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में किया है.
लेकिन पिछले सप्ताह पूर्व राष्ट्रपति साखिया एल्बेगदोर्ज ने पुतिन से युद्ध को खत्म करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि रूस में रहने वाले मंगोलियाई मूल के लोगों को "तोपों के लिए चारे" के रूप में इस्तेमाल किया गया है और यूक्रेन में हजारों की संख्या में मारा गया है.
सीके/एए (एएफपी)
भारत में पिछले दिनों ऐसी कई घटनायें दिखीं जो टीचर और छात्रों के बीच घटते भरोसे और बदले हालात की तस्वीर दिखा रही हैं. एक तरफ टीचर की पिटाई से छात्रों की मौत हो रही है तो दूसरी तरफ टीचर को गोली मारने वाले छात्र भी हैं.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
इसी साल सात सितंबर को यूपी के औरैया जिले में दसवीं कक्षा के एक छात्र निखिल की उसके टीचर ने सवाल का जवाब नहीं बता पाने के कारण पिटाई कर दी. कुछ दिन अस्पताल में इलाज के बाद उसकी मौत हो गई.
इसी तरह सीतापुर जिले में बारहवीं कक्षा के एक छात्र ने कॉलेज के प्रिंसिपल पर कॉलेज परिसर में ही गोली चला दी. प्रिंसिपल को कई गोलियां लगीं और वो लखनऊ के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं. छात्रों के दो गुटों के विवाद को सुलझाने के दौरान प्रिंसिपल रामसिंह वर्मा ने इस छात्र को पीट दिया था जिससे वो नाराज था.
कुछ दिन पहले ही रायबरेली के एक निजी स्कूल में सातवीं कक्षा के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. छात्र को स्कूल में परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़ा गया था. उसे सजा दी गई थी. बच्चे ने अपने सुसाईड नोट में लिखा है कि अध्यापकों के अलावा उसके साथी भी इस बात को लेकर ताने दे रहे थे.
ये कुछ घटनाएं केवल उत्तर प्रदेश की हैं लेकिन ऐसी घटनाएं देश के हर कोने में आये दिन हो रही हैं जिनमें पीड़ित और प्रताड़ित दोनों कभी छात्र तो कभी टीचर होते हैं. ऐसी घटनाएं तो खूब हो रही हैं लेकिन लोगों का ध्यान तब इनकी तरफ जाता है जब ये कोई बड़ा रूप ले लें.
स्कूली शिक्षा पर लंबे समय से काम कर रहे शिक्षाविद संजीव राय कहते हैं, "कुछ घटनाएं अपने हिंसक प्रभाव के कारण सामने आ जाती हैं लेकिन अक्सर ऐसी घटनाओं का पता नहीं चलता. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि लोग अध्यापकों से उम्मीद तो बहुत करते हैं लेकिन ना तो छात्र अध्यापकों का सम्मान करते हैं और ना ही छात्रों के अभिभावक. सम्मान तो छोड़िये दिल्ली के ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों के अध्यापक तो खौफ में रहते हैं क्योंकि अनुशासन बनाने पर छात्र मारपीट, गाली-गलौच और यहां तक कि यौन उत्पीड़न के आरोप तक की धमकी देते हैं."
मानसिक दबाव
राय का यह भी कहना है कि अध्यापक भी कई बार आपा खो जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि अब वो पुराने जमाने के शिक्षक नहीं हैं, अब छात्रों को मारने-पीटने और यहां तक कि डांटने के खिलाफ भी कानून बन चुके हैं, "इन कानूनों का दुरुपयोग करने के लिए अक्सर अभिभावक तैयार बैठे रहते हैं.”
इन हिंसक संघर्षों के कारणों के पीछे एक मुद्दा तो मानसिक स्वास्थ्य का ही है. राय के मुताबिक "टीचर बहुत दबाव में रहते हैं. 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को नियंत्रित करना बेहद चुनौतीपूर्ण है. यह आयु ऐसी है कि बच्चों में कई तरह की उच्छृंखलता आ ही जाती है लेकिन यह टीचर के मानसिक स्वास्थ्य और प्रशिक्षण पर निर्भर करता है कि इनके साथ कैसे पेश आना है और इन्हें कैसे अनुशासन में ढालना है."
राय के मुताबिक यह भी देखना चाहिए कि समाज में टीचर की क्या स्थिति है. लोग अपना अधिकार तो समझते हैं लेकिन दायित्व नहीं. टीचर से कोई गलती हो गई तो स्कूल प्रशासन से लेकर अभिभावक तक सभी उसके ऊपर हावी हो जाते हैं. उसके साथ कोई नहीं खड़ा होता, समाज भी नहीं.
आपा खोने वाले टीचर
बदायूं में जिस टीचर की पिटाई से दसवीं के छात्र की मौत हुई वह दलित समुदाय का था. हालांकि बताया जा रहा है कि टीचर ने और छात्रों की भी पिटाई की थी लेकिन उस छात्र को ज्यादा पीट दिया या फिर उसे ज्यादा चोट लग गई. मारते वक्त कोई टीचर यदि इतना आपा खो दे तो इससे उसकी मानसिक स्थिति का आभास हो जाता है.
लखनऊ के एक इंटर कॉलेज के शिक्षक डॉक्टर सुरेंद्र भदौरिया कहते हैं, "नौवीं से बारहवीं के बच्चों को आमतौर पर टीचर अब कभी नहीं मारते हैं. पढ़ाई-लिखाई के लिए तो बिल्कुल भी नहीं." इसकी वजह यह है कि टीचर को भी पता है कि उन्हें कानूनी धाराओं में लपेटा जा सकता है और कानून उन्हें छोड़ेगा नहीं. ऐसी हालत में टीचर बच्चों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं. भदौरिया के मुताबिक, "हिंसक स्थिति तभी आती है जब छात्र भी उग्रता पर उतर आते हैं और अध्यापक भी अपने उग्र स्वभाव को दबा नहीं पाते हैं.”
स्कूलों में भेदभाव
ऐसी घटनाएं सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में हो रही हैं, हालांकि निजी स्कूलों की घटनाएं कम सामने आती हैं. गाजियाबाद के एक निजी स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर नाम नहीं छापने की शर्त पर कहती हैं कि महानगरों के स्कूलों में भेदभाव की स्थिति और पैमाना अलग है. उन्होंने बताया, "आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में प्रवेश पाने वाले छात्रों के साथ अक्सर भेदभाव होता है और उनका उत्पीड़न भी होता है. चूंकि इनके अभिभावक गरीब और कमजोर वर्ग के होते हैं इसलिए ये अक्सर शिकायत भी नहीं कर पाते.”
संजीव राय कहते हैं, "सामाजिक भेदभाव तो एक अलग मुद्दा है ही. वो पहले भी था लेकिन उसमें छात्र या उनके परिजनों की ओर से इस तरह से प्रतिवाद नहीं होता था. आज छात्रों को भी और उनके अभिभावकों को उत्पीड़न के खिलाफ बने कानूनों की जानकारी है. सबसे जरूरी यह है कि ऐसे उग्र स्वभाव के शिक्षकों और छात्रों दोनों की ही काउंसिलिंग होनी चाहिए ताकि ऐसी स्थितियां ना आयें.”
तकनीक बढ़ी, मूल्य नहीं बदले
बीते दशकों में तकनीक का दखल जिस तरह से हमारे जीवन में बढ़ा है उसने भी कई चीजों को सिरे से बदल दिया है. कोरोना काल में तकनीक तो पढ़ाई का मूलभूत जरिया बन गया. इन सब का असर भी टीचर और छात्रों की मनस्थिति पर पड़ा है. दिल्ली के एक कॉलेज में समाजशास्त्र पढ़ाने वाले डॉक्टर देवेश कुमार कहते हैं, "तकनीक में बढ़ोत्तरी के साथ मूल्यों में बदलाव तो आए नहीं हैं. बहस कितनी भी हो लेकिन सामाजिक स्तर और भेदभाव घटा नहीं बल्कि बढ़ा ही है."
सवाल सिर्फ भेदभाव का ही नहीं है बल्कि और भी कई चीजें हैं. कई सरकारी स्कूलों में तो अध्यापकों को बच्चों को गाली तक देते देखा गया है. ऐसे में बच्चे कैसे अपने गुरुओं का सम्मान करें. दूसरी बात यह भी है कि बच्चों पर परीक्षा में अच्छे नंबर लाने का इतना दबाव रहता है कि वो भी बचपन से मानसिक रोगों के शिकार हो रहे हैं.
कुमार ने कहा, "बदलाव शिक्षा पद्धति में भी होनी चाहिए ताकि बच्चों में पढ़ाई की प्रवृत्ति तो विकसित हो लेकिन उन पर दबाव ना रहे. एक बात और है. कोविड के दौरान जिस तरह से बच्चे भी मोबाइल फोन और टीवी के आदी हुए हैं, उसकी वजह से भी उनमें मानसिक बदलाव आ रहे हैं और वो जल्दी आपा खो रहे हैं."
समाजशास्त्री मान रहे हैं कि स्कूल में होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए ना सिर्फ छात्रों के बल्कि अध्यापकों के सुधार की भी जरूरत होगी. दूसरी ओर, छात्रों और अभिभावकों को भी यह समझना चाहिए कि अध्यापक यदि किसी छात्र को दंड दे रहा है तो वह उसके हित में ही दे रहा होगा. हां, यह जरूर है कि अध्यापक को भी दंड की सीमा का एहसास होना चाहिए. (dw.com)
डार्ट की उल्कापिंड डायमॉरफस से हुई टक्कर अनुमान से कहीं ज्यादा बड़ी थी और वैज्ञानिकों को आशंका है कि कहीं उसका एक टुकड़ा टूटकर अलग ही ना हो गया हो.
इसी हफ्ते नासा के अंतरिक्ष यान डार्ट की टक्करअनुमान से कहीं ज्यादा जोर की थी और उसका असर भी वैज्ञानिकोंकी उम्मीद से ज्यादा था. जेम्स वेब और हबल दूरबीनों ने उस टक्कर की पहली तस्वीरें भेजी हैं जिनमें दिखाई देता है कि टक्कर कितनी जोर की थी.
सोमवार को जब नासा का डार्ट अंतरिक्ष यान करीब एक करोड़ किलोमीटर दूर स्थित उल्कापिंड डायमॉरफस से टकराया तो टक्कर से निकली धूल हजारों किलोमीटर तक उड़ी. पृथ्वी को भविष्य में ऐसे किसी खतरे से बचाने के मकसद से किए गए इस प्रयोग की तस्वीरें जेम्स वेब और हबल जैसे सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप से ली गईं
गुरुवार को मिलीं इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि टक्कर के बाद धूल का डायमॉरफस और उसके बड़े भाई डिडायमस से महाकाय बादल निकले. इस अभियान से जुड़े क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफस्ट के खगोलविद ऐलन फिजसिमंस कहते हैं कि जेम्स वेब और हबल ने जो तस्वीरें भेजी हैं वे उल्कापिंड से कुछ किलोमीटर ऊपर से टक्कर का नजारा दिखाती हैं.
फिजसिमंस ने कहा कि इन तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि डार्ट की टक्कर के बाद कैसे चीजें बाहर की ओर उड़ रही थीं.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने एक बयान जारी कर कहा, "यह अद्भुत नजारा है.” वह बताते हैं कि जेम्स वेब से ‘नीयर इन्फ्रारेड कैमरे ने टक्कर के चार घंटे बाद की एक तस्वीर भेजी है जिसमें टक्कर के केंद्र से पदार्थों का एक बहाव देखा जा सकता है. हबल ने टक्कर के 22 मिनट, पांच घंटे और आठ घंटे बाद की तस्वीरें भेजी हैं जिनमें धूल का गुबार बड़ा होता दिखता है.
टक्कर कितनी बड़ी थी?
ईएसए के इयान कारनेली बताते हैं कि एक प्रभावशाली बात यह रही कि जेम्स वेब और हबल की तस्वीरें उस टोस्टर-आकार के उपग्रह लीसियाक्यूब (LICIACube) के समान हैं, जिसे इस टक्कर की रिकॉर्डिंग के लिए डार्ट के पीछे-पीछे भेजा गया था. लीसियाक्यूब और डार्ट साथ-साथ भेजे गए थे लेकिन टक्कर से कुछ हफ्ते पहले दोनों अलग हो गए थे और उसके बाद से यह डार्ट के लगभग 50 किलोमीटर पीछे चल रहा था.
कारनेली के मुताबिक तस्वीरें दिखाती हैं कि टक्कर वैज्ञानिकों से कहीं ज्यादा बड़ी थी. कारनेली ईएसए के उस हेरा मिशन के प्रमुख हैं जो आने वाले चार साल तक इस टक्कर के परिणामों का अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा, "पहले तो मुझे फिक्र हो गई थी कि डायमॉरफस का कुछ बचा ही नहीं है.”
हेरा मिशन का रॉकेट अक्टूबर 2024 में भेजा जाना है जो डायमॉरफस पर 2026 में पहुंचने की संभावना है. यह दस मीटर व्यास वाले उस गड्ढे की जांच करेगा, जो डार्ट की टक्कर से बना है. कारनेली ने कहा कि हो सकता है डायमॉरफस का एक टुकड़ा टूटकर अलग ही हो गया हो लेकिन यदि वहां कोई गड्ढा बना है तो वो अनुमान से कहीं ज्यादा होगा.
कितना सफल रहा अभियान?
डार्ट अभियान कितना सफल रहा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसने डायमॉरफस को उसके रास्ते से कितना भटकाया. चूंकि हजारों की संख्या में छोटे-बड़े उल्कापिंड पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में घूम रहे हैं तो यह खतरा हो सकता है कि उनमें से कोई पृथ्वी की ओर बढ़ने लगे. ऐसा होने पर क्या उसे डार्ट जैसी टक्कर से मोड़ा जा सकता है, यही जानने के लिए यह अभियान चलाया गया है.
डायमॉरफस अपने रास्ते से कितना भटका, इसका अनुमान लगाने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय लग सकता है. कारनेली ने कहा सही जानकारी मिलने में तीन से चार हफ्ते लग जाएंगे. उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से भटकाव उससे ज्यादा होगा जितना हमने अनुमान लगाया था. यह ग्रह-सुरक्षा के लिए अहम बात होगी क्योंकि तब इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा बड़े उल्कापिंडों के लिए भी किया जा सकेगा.”
वीके/सीके (एएफपी)
ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद से ही हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान के लोग सरकारी सख्ती की परवाह किए बिना सड़कों पर उतर रहे हैं. एक मानवाधिकार समूह ने कहा कि विरोध के दौरान 83 लोग मारे गए हैं.
ईरान में महसा अमीनी की मौत पर विरोध प्रदर्शन जारी है, ईरानी अधिकारियों ने कथित तौर पर गुरुवार को विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करने पर पत्रकारों को चेतावनी दी है. ईरान की अर्ध-आधिकारिक न्यूज वेबसाइट, ईरानी स्टुडेंट न्यूज एजेंसी या आईएसएनए एजेंसी ने तेहरान के प्रांतीय गवर्नर के हवाले से कहा कि अधिकारी "मशहूर हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे" जो विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं.
ईरान में ऐसे विरोध प्रदर्शन हाल के वर्षों में देखने को नहीं मिले हैं. इसे ईरानी सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती मानी जा रही है. उदाहरण के लिए ईरानी फुटबॉल टीम ने कुछ दिनों पहले विएना में एक दोस्ताना मैच के दौरान अपनी राष्ट्रीय टीम के लोगो को ढक लिया था.
प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई से बढ़ रही मौतें
अधिकार समूहों ने ईरान के शहरों में प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा बल के अत्यधिक इस्तेमाल की ओर इशारा किया है, जिसमें एक मानवाधिकार समूह ने गुरुवार तक कम से कम 83 लोगों की मौत की सूचना दी है.
पत्रकारों की भी गिरफ्तारी
नॉर्वे में स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स ने कहा कि विरोध के दौरान बच्चों समेत 83 लोगों की मौत हो गई. इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि विरोध प्रदर्शनों को "सुरक्षा बलों द्वारा निर्मम हिंसा" के रूप में चिह्नित किया गया है, जबकि कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट ने गुरुवार को कहा कि देश में अधिक पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया गया है.
कमेटी के मुताबिक गुरुवार तक कम से कम 28 पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
ईरान: महसा अमीनी की मौत पर यूएन ने जांच की मांग की
ईरानी राष्ट्रपति ने अशांति फैलाने के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया
ईरान के सरकारी टीवी ने गुरुवार को कहा कि पुलिस ने बड़ी संख्या में "दंगाइयों" को गिरफ्तार किया है, हालांकि गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या नहीं बताई गई.
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि 1979 की क्रांति के बाद से देश में पश्चिमी शक्तियों द्वारा अशांति फैलाने का ताजा कदम है.
रईसी ने कहा, "दुश्मनों ने 43 वर्षों तक इस्लामी ईरान के खिलाफ अभिकलनात्मक त्रुटियां की हैं, यह कल्पना करते हुए कि ईरान एक कमजोर देश है जिस पर हावी हुआ जा सकता है."
ईरानी सरकारी टीवी ने गुरुवार को यह भी बताया कि 17 सितंबर से शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद से पुलिस कर्मियों समेत 41 लोग मारे गए हैं.
ईरान में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?
कुछ दिनों पहले ईरान के सख्त हिजाब कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में एक युवा कुर्द महिला महसा अमीनी को नैतिकता पुलिस ने गिरफ्तार किया था. महसा अमीनी की बाद में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन अमीनी के परिवार का कहना है कि उसे कभी भी दिल की कोई बीमारी नहीं थी और पुलिस द्वारा कथित दुर्व्यवहार के कारण उसकी मौत हो गई.
एए/सीके (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)
डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी की राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए केंद्रीय राज्य मंत्री
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 30 सितंबर। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय में-स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति के नायकों का योगदान, विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग क सलाहकार एवं सभ्यता अध्ययन केंद्र नई दिल्ली के संस्थापक रविशंकर, क्षेत्रीय उप संचालक वेदराम मरकाम व क्षेत्रीय संयोजक बृजेंद्र शुक्ला ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायक के योगदान पर विस्तार से अपनी बातें रखी।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि देश की आजादी में जनजाति के कई महान लोगों ने अपनी आहुति दी है, लेकिन इतिहास में ऐसे महान पुरुषों को पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाया है। लोगों को उनके बलिदान की जानकारी नहीं है, लेकिन लोग गाथाओं में यह उल्लेखित है।
उन्होंने विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से आह्वान किया कि ऐसे आजादी के नायकों पर शोध किया जाए और उसके आधार पर नया इतिहास लिखा जाए, ताकि भावी पीढ़ी को सच्ची जानकारी मिले। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि आदिवासी वह होते हैं जो परमात्मा के समीप वास करते हैं। विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों में इस बात को भी शामिल करता है, कि किसी भी वर्ग के विद्यार्थी को आर्थिक संघर्ष के कारण शिक्षा से वंचित न होना पड़े। कोई भी विद्यार्थी हमारे पास आकर अपनी जानकारी देकर यहां शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
वक्ता जनजातीय आयोग सलाहकार रविशंकर ने कहा कि जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना संविधान के प्रावधानों के तहत की गई है। इसमें हम विभिन्न प्रकार के अधिकारों की जानकारी देते हैं। साथ ही सरकार को विकास की योजनाओं पर सुझाव देते हैं। जिन विद्यार्थियों को या व्यक्तियों को अपने अधिकारों और सुविधाओं की जानकारी चाहिए तो वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। वक्ता मरकाम ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड सहित पूरे देश के जनजाति नायकों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि अनेक नायक भगवान की तरह मान रखते थे। आज पूरे देश में अभियान चलाकर उनके जीवन के संघर्ष की जानकारी देने की आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के कुल सचिव गौरव शुक्ला ने बताया कि जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में आदिवासी सहित सभी वर्गों के उत्थान के लिए यह विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में उपस्थित ब्रजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि यह आयोजन भावी पीढ़ी के सामने आजादी के नायकों का वास्तविक रूप सामने लाएगा।
अकादमिक अधिष्ठाता डॉ. अरविंद तिवारी ने आभार प्रगट किया। इस अवसर अतिथियों ने आजादी के नायकों पर केंद्रित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंत्री कुलस्ते ने ग्रामीण महिलाओं से मुलाकात की और उनके प्रशिक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की। इसके साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ी संजोही एवं छत्तीसगढ़ी लोक कला संस्कृति केंद्र का भ्रमण किया। प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अनुपम तिवारी ने उन्हें प्रशिक्षण एवं ग्रामीण महिलाओं को रोजगार की संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताया।
रायपुर, 30 सितम्बर। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष आज ठाकरे परिसर में अपना काम संभालेंगे। भाजपा के आज 30 सितंबर के कार्यक्रम
सुबह 11:30 बजे भाजपा मुख्यालय में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण
दोपहर 12 - 01 बजे भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत रायपुर पहुंचेंगे।
दोपहर 2:30 बजे प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की उपस्थिति में टाउन हॉल में बुद्धिजीवी सम्मेलन
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने की घोषणा की जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
इसी के साथ रेपो रेट 5.90 फ़ीसदी हो गया है जो तीन साल में सबसे अधिक है.
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है.
रेपो रेट बढ़ने से होम लोन, पर्सनल लोन समेत दूसरे लोन भी महंगे हो जाएंगे.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है. हालांकि 13.5% की दर दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर थी.
उन्होंने कहा, ‘‘लगातार बढ़ रहे भू-राजनीतिक तनावों और कमज़ोर वैश्विक वित्तीय बाजार की वजह से पैदा हुई अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति आज लगभग 7% पर है और हमें उम्मीद है कि इस वर्ष की दूसरी छमाही में यह लगभग 6% पर बनी रहेगी.’’
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि दूसरी तिमाही को लेकर आंकड़े संकेत करते हैं कि आर्थिक गतिविधियां बेहतर बनी रहेंगी, निजी खपत में तेजी आ रही है और ग्रामीण क्षेत्र में मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, निवेश की मांग बढ़ रही है. कृषि क्षेत्र मज़बूत बना हुआ है. (bbc.com/hindi)
कांग्रेस सांसद शशि थरूर शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में अपना नामांकन भरने से पहले राजघाट पहुंचे.
वह शुक्रवार दोपहर तक अपना नामांकन पर्चा भरेंगे.
अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की चर्चा को लेकर शशि थरूर ने कहा, “मुझे ऐसी (मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं)अफ़वाहें सुनाई दी हैं. वह मेरे एक बेहद सम्मानीय सहकर्मी हैं, हमने लोकसभा में एक साथ काम किया है. ये बेहतर होगा कि कई लोग इस फ्रेम में शामिल हों. जितने ज़्यादा उम्मीदवार होंगे, उतना बेहतर होगा. ”
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब आप किसी रेस में शामिल होते हैं. तो आपको पता होता है कि नतीजे तय नहीं हैं लेकिन आप इस आत्मविश्वास के साथ जाते हैं कि आप अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे, भले ही नतीजे कुछ भी हों.”
शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के नामांकन भरने का आखिरी दिन है. मगर अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि कितने उम्मीदवारों के बीच मुक़ाबला होगा.
गुरुवार को दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि वो शुक्रवार को पर्चा दाख़िल करेंगे.
शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भी मैदान में उतरने की अटकलें लगने लगीं.
अब से थोड़ी देर पहले दिग्विजय सिंह ने मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके आवास पर मुलाकात की.
इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. हालांकि राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर मचे घमासान के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा कि "वे इस माहौल में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे." (bbc.com/hindi)
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उद्योगपति मुकेश अंबानी की सुरक्षा बढ़ाकर ज़ेड प्लस कर दी है. रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के मालिक मुकेश अंबानी के पास साल 2013 से जेड श्रेणी की सुरक्षा थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद मुकेश अंबानी की सुरक्षा बढ़ाई गई है.
अंबानी की सुरक्षा अब 40 से 50 कमांडो अलग-अलग शिफ्ट में करेंगे. सुरक्षा पर होने वाला खर्च अंबानी खुद वहन करेंगे.
बीते साल अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने के बाद गृह मंत्रालय उनकी सुरक्षा बढ़ाने पर विचार कर रहा था.
मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी के पास वाई श्रेणी की सुरक्षा है.
फरवरी 2021 में अंबानी के घर बाहर पार्क एक कार में विस्फोटक बरामद हुआ था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले की जांच शुरू की और मुंबई पुलिस के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े को साजिश रचने के मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
ज़ेड प्लस भारत का दूसरा सबसे बड़ा सुरक्षा कवर है. अगस्त में मुंबई पुलिस ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार को धमकी देने के मामले में एक शख़्स को गिरफ्तार किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2020 में केंद्र सरकार मुकेश अंबानी और उनके परिवार का सुरक्षा कवर जारी रखने की अनुमति दी थी.
बीते महीने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी को भी केंद्र सरकार ने ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई थी. (bbc.com/hindi)
डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी की राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए केंद्रीय राज्य मंत्री
बिलासपुर, 30 सितंबर। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय में- स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति के नायकों का योगदान, विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग क सलाहकार एवं सभ्यता अध्ययन केंद्र नई दिल्ली के संस्थापक रविशंकर, क्षेत्रीय उप संचालक वेदराम मरकाम व क्षेत्रीय संयोजक बृजेंद्र शुक्ला ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायक के योगदान पर विस्तार से अपनी बातें रखी।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि देश की आजादी में जनजाति के कई महान लोगों ने अपनी आहुति दी है, लेकिन इतिहास में ऐसे महान पुरुषों को पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाया है। लोगों को उनके बलिदान की जानकारी नहीं है, लेकिन लोग गाथाओं में यह उल्लेखित है। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से आह्वान किया कि ऐसे आजादी के नायकों पर शोध किया जाए और उसके आधार पर नया इतिहास लिखा जाए, ताकि भावी पीढ़ी को सच्ची जानकारी मिले। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि आदिवासी वह होते हैं जो परमात्मा के समीप वास करते हैं। विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों में इस बात को भी शामिल करता है, कि किसी भी वर्ग के विद्यार्थी को आर्थिक संघर्ष के कारण शिक्षा से वंचित न होना पड़े। कोई भी विद्यार्थी हमारे पास आकर अपनी जानकारी देकर यहां शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
वक्ता जनजातीय आयोग सलाहकार रविशंकर ने कहा कि जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना संविधान के प्रावधानों के तहत की गई है। इसमें हम विभिन्न प्रकार के अधिकारों की जानकारी देते हैं। साथ ही सरकार को विकास की योजनाओं पर सुझाव देते हैं। जिन विद्यार्थियों को या व्यक्तियों को अपने अधिकारों और सुविधाओं की जानकारी चाहिए तो वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। वक्ता मरकाम ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड सहित पूरे देश के जनजाति नायकों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि अनेक नायक भगवान की तरह मान रखते थे। आज पूरे देश में अभियान चलाकर उनके जीवन के संघर्ष की जानकारी देने की आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के कुल सचिव गौरव शुक्ला ने बताया कि जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में आदिवासी सहित सभी वर्गों के उत्थान के लिए यह विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में उपस्थित ब्रजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि यह आयोजन भावी पीढ़ी के सामने आजादी के नायकों का वास्तविक रूप सामने लाएगा।
अकादमिक अधिष्ठाता डॉ. अरविंद तिवारी ने आभार प्रगट किया। इस अवसर अतिथियों ने आजादी के नायकों पर केंद्रित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंत्री कुलस्ते ने ग्रामीण महिलाओं से मुलाकात की और उनके प्रशिक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की। इसके साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ी संजोही एवं छत्तीसगढ़ी लोक कला संस्कृति केंद्र का भ्रमण किया। प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनुपम तिवारी ने उन्हें प्रशिक्षण एवं ग्रामीण महिलाओं को रोजगार की संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताया।
नयी दिल्ली, 30 सितंबर। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने से पहले पार्टी नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को अपने सहयोगी मल्लिकार्जुन खड़गे और के. सी. वेणुगोपाल से मुलाकात की।
मुलाकात से जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
सिंह ने बृहस्पतिवार को पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र लिया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी।
वहीं, राज्यसभा के सदस्य प्रमोद तिवारी ने बताया कि खड़गे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे।
ऐसी अटकलें हैं कि खड़गे के चुनाव जीतने पर सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में खड़गे की जगह ले सकते हैं क्योंकि कांग्रेस ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के नियम का पालन कर रही है।
खड़गे और दिग्विजय सिंह के अलावा शशि थरूर भी पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के यहां स्थित मुख्यालय के प्रांगण में एक तंबू लगाया गया है, जहां पार्टी के नेता पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर तीन बजे के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान 17 अक्टूबर को होगा और इसके परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर। जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को भारत के दूसरे प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) का पदभार ग्रहण किया।
उनके सामने सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों के बीच समन्वय और महत्वाकांक्षी ‘थियेटर’ कमान के निर्माण का लक्ष्य है ताकि देश की सेनाओं को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।
जनरल चौहान सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख रह चुके हैं। तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में, भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के नौ महीने से ज्यादा समय बाद जनरल चौहान ने वरिष्ठतम सैन्य कमांडर का दायित्व ग्रहण किया है।
जनरल चौहान ने कहा, “मैं सेना के तीनों अंगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।” जनरल चौहान को चीन मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है और शीर्ष पद पर उनकी नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सीमा को लेकर विवाद बना हुआ है।
भारतीय सेना के बेहद अनुभवी और अलंकृत अधिकारी, 61 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल चौहान रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर भी काम करेंगे।
वह पूर्वी कमान के प्रमुख के पद से गत वर्ष 31 मई को सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद वह राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के अधीन सैन्य सलाहकार के तौर पर काम कर रहे थे।
सीडीएस का कार्यभार ग्रहण करने से पहले जनरल चौहान ने इंडिया गेट पर राष्ट्रीय समर स्मारक पर बलिदानी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
उन्हें रायसीना हिल्स में साउथ ब्लॉक के लॉन पर तीनों सशस्त्र सेनाओं की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। जनरल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था और 1981 में 11 गोरखा राइफल्स में उन्हें कमीशन मिला था। जनरल चौहान 2019 में बालाकोट हमले के दौरान सेना के सैन्य परिचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) थे।
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के जवाब में भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट पर हवाई हमले किये थे और जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षण केंद्रों को बर्बाद कर दिया था।
जनरल चौहान ने देश के दूसरे सीडीएस का कार्यभार संभालने के बाद ‘फोर-स्टार रैंक’ धारण की है। वह ऐसे पहले सेवानिवृत्त अधिकारी बन गए हैं जिन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद चार सितारा रैंक के साथ सेवा में वापसी की। (भाषा)
बिलासपुर, 30 सितंबर। जिला पुलिस ने कटनी से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो मूलतः बिहार और उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। इन्होंने फर्जी वेबसाइट के जरिये मुद्रा लोन मंजूर कराने का झांसा देकर रेलवे कॉलोनी के एक व्यक्ति से 4 लाख 32 हजार रुपये की ऑनलाइन ठगी कर ली।
रेलवे कॉलोनी में रहने वाले जसविंदर कुमार को अपने पैतृक जमीन पर मकान बनवाना था। उसने लोन के लिए गूगल से ऑनलाइन सर्च किया। एक वेबसाइट में मुद्रा लोन व बजाज फाइनेंस के जरिये लोन दिलाने का ऑफर दिया गया था। उसने लिंक पर जाकर जरूरी दस्तावेज दिए। ऋण की मंजूरी के लिए वेबसाइट के जरिये रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। आरोपियों ने फोन से भी बात की। फरियादी जसविंदर ने उनकी बातों पर भरोसा कर तीन किश्तों में 4 लाख 32 हजार 535 रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद आरोपियों के फोन नंबर और वेबसाइट का लिंक बंद हो गया। ठगी का एहसास होने पर उसने तोरवा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। साइबर सेल ने वेबसाइट और फोन नंबर की तकनीकी जानकारी जुटाकर आरोपियों का लोकेशन पता किया। पहले उनका लोकेशन दिल्ली में मिला। वहां पहुंचने के बाद उनका लोकेशन कटनी बताने लगा। पुलिस ने वहां जाकर एक मकान में दबिश दी, जहां आरोपी किराये से रहते थे और रैकेट चला रहे थे। यहां से मास्टर माइंड सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनसे लैपटॉप, 2.55 लाख नगद, एक टेबलेट, 4 मोबाइल फोन, 6 सिम कार्ड और बड़ी संख्या में चेकबुक और पास बुक जब्त किए गए हैं।
गिरफ्तार आरोपी फूलपुर वाराणसी का रविंद्र कुमार (26 वर्ष) है जो फर्जी वेबसाइट बनाता था। दूसरा आरोपी गोपालगंज बिहार का विजय कुशवाहा (24 वर्ष) कॉल सेंटर का कर्मचारी बताकर लोगों से बात करता था और लोगों से कमीशन का झांसा देकर बैंक खाते जुटाता था। तीसरा आरोपी दरभंगा बिहार का सुजित कुमार (26 वर्ष) बैंक खाते में आने वाली रकम को ट्रांसफर करने का काम देखता था। सभी के विरुद्ध धारा 420, 34 के तहत अपराध दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
बिलासपुर, 30 सितंबर। कोयला परिवहन के दौरान डस्ट को उड़ने से रोकने के लिए प्रावधानों का पालन नहीं करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रायपुर व बिलासपुर के मंडल रेल प्रबंधकों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
याचिका में कहा गया है कि कोयले से लदी गाड़ियों और वैगन को परिवहन के दौरान ढकने का प्रावधान है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से सख्त आदेश जारी किए गए हैं। इसके बावजूद रेलवे की ओर से प्रावधानों का पालन नही किया जा रहा है। कोयला डस्ट से 7 किलोमीटर का क्षेत्र प्रदूषित होता है। बीमारियों के साथ ही इसका असर फसलों की उर्वरक क्षमता पर भी पड़ता है। मामले की सुनवाई करते हुए पर्यावरण संरक्षण मंडल को भी जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
बिलासपुर, 30 सितंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगातार बढ़ रही सर्विस मैटर की पेंडेंसी को देखते हुए जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू ने गुरुवार को एक घंटे अतिरिक्त सुनवाई की और कई प्रकरणों का निराकरण किया।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों, अधिकारियों के मामलों को सुनने के लिए अलग ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है। इसलिए इनसे संबंधित मामले सीधे हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके चलते पेंडेंसी बढ़ रही है। गुरुवार को जस्टिस साहू ने शाम 5.30 बजे तक कोर्ट में सुनवाई जारी रखी, जबकि कोर्ट का समय 4.30 बजे है। इस दौरान कई अर्जेंट मामलों का निपटारा हुआ।
मुंबई, 30 सितंबर। उपनगर अंधेरी के वर्सोवा में पेशे से मॉडल 30 वर्षीय महिला ने एक होटल के कमरे में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है।
एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि मृतका की पहचान आकांक्षा मोहन के रूप में हुई है और शव बुधवार को बरामद किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस को अंदेशा है कि उसने अवसाद में आकर आत्महत्या का कदम उठाया क्योंकि सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि वह ‘‘खुश नहीं है’’ और ‘‘शांति’’ चाहती है।
वर्सोवा पुलिस थाने में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘घटना का पता तब चला जब होटल के प्रबंधक ने पुलिस को सूचित किया कि होटल के कर्मचारी के कमरे का दरवाजा खटखटाने के बावजूद अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। काम के लिए संघर्ष कर रही मॉडल मुंबई के लोखंडवाला इलाके में यमुना नगर सोसाइटी में रहती थी और वह बुधवार दिन में करीब एक बजे होटल आई थी तथा उसने कमरे के अंदर खुद को बंद कर लिया था।’’
सूचना मिलने पर पुलिस की टीम होटल पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी, जहां कमरे के पंखे से उसका शव लटका मिला।
अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें लिखा है ‘‘मुझे माफ करना। कोई भी इस घटना के लिए जिम्मेदार नहीं है। मैं खुश नहीं हूं। मुझे शांति चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि वर्सोवा पुलिस थाने में दुर्घटनावश मृत्यु का मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच की जा रही है। (भाषा)
इंदौर (मध्य प्रदेश), 30 सितंबर। इंदौर में बृहस्पतिवार देर रात खड़े ट्रक से मोटरसाइकिल की भीषण भिड़ंत में 35 वर्षीय पशु चिकित्सक समेत तीन लोगों की मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
लसूड़िया पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि बृहस्पतिवार देर रात महू से देवास की ओर जा रहे तीन मोटरसाइकिल सवार इंदौर के बायपास रोड पर एक पुल के पास खड़े ट्रक से टकरा गए। उन्होंने बताया कि हादसा इतना भीषण था कि तीनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतकों की पहचान रितेश यादव (35), रोहित यादव (32) और राजा यादव (32) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि मृतकों में शामिल रितेश पेशे से पशु चिकित्सक थे। पुलिस सड़क हादसे की जांच कर रही है। (भाषा)