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नई दिल्ली, 15 सितंबर। अभिनेत्री नोरा फ़तेही से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्लू) ने पूछताछ की है.
नोरा आज क़रीब 11 बजे इओडब्लू के दफ़्तर पहुंचीं.
नोरा से सुकेश चंद्रशेखर मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ चल रही है. इस मामले में नोरा से पहले भी पूछताछ हो चुकी है.
बुधवार को इसी मामले में अभिनेत्री जैकलिन फर्नांडिस के पूछताछ की गई थी. मामला 200 करोड़ी की रंगदारी और धोखाधड़ी का है. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 15 सितंबर। दिल्ली में शराब के ठेकों के आंवटन से जुड़े कथित स्टिंग पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर स्टिंग झूठा निकला तो पीएम मांफ़ी मांगे.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सिसोदिया ने कहा, “पहले सीबीआई ने घर में रेड की, उन्हें कुछ नहीं मिला, ईडी ने जांच कर ली, कुछ नहीं मिला. अब बीजेपी स्टिंग लेकर आई है. “
उन्होंने कहा कि बीजेपी को स्टिंग सीबीआई को सौंप देना चाहिए और इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “चार दिन के अंदर सीबीआई इसकी जांच कर मुझे गिरफ़्तार कर ले . इस स्टिंग में सच्चाई है को सीबीआई सोमवार तक मुझे गिरफ़्तार कर ले. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप मान लेना ये पीएम के ऑफ़िस से रची गई एक और साजिश है.”
उन्होंने कहा कि अगर ये स्टिंग सही साबित नहीं हुआ तो पीएम को माफ़ी मांगनी चाहिए.
इससे पहले, दिल्ली में शराब के ठेकों के आवंटन में धांधली के आरोप लगाते हुए आज बीजेपी ने एक स्टिंग जारी करते हुए केजरीवाल सरकार पर हमला बोला था.
बीजेपी ने दावा किया कि शराब के ठेकों के ज़रिए केजरीवाल ने पसंदीदा लोगों को फ़ायदा पहुँचाया.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली में प्रेसवार्ता कर एक स्टिंग रिलीज़ किया.
सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया, “आम आदमी पार्टी का जो घोटाले का स्टिंग सामने आया है, उसमें घोटाले के आरोपी नंबर-9 अमित अरोड़ा ने पूरी पोल खोल दी है. किस-किस से कितना पैसा लिया गया. किस प्रकार से घोटाले हुए, सारी चीजें उजागर हो गई हैं. पूरी की पूरी पॉलिसी घोटाले के लिए ही तैयार की गई.”
बीजेपी ने आरोप लगाया कि शराब का ठेका देने के लिए 5-5 करोड़ रुपये तक की मिनिमम फीस निर्धारित की गई. पाँच करोड़ इसलिए रखा गया कि छोटा-मोटा प्लेयर आने न पाये.
बीजेपी पहले भी एक स्टिंग ऑपरेशन जारी कर आम आदमी पार्टी पर रिश्वत लेने का आरोप लगा चुकी है. उस समय भी आप ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 15 सितंबर। सभी जानते हैं रावण ब्राम्हण था, लेकिन वह उसे मिले वरदान की वजह से माता सीता का हरण कर विलेन बना। इसी रूप की वजह से रावण के पुतले का वध किया जाता है। आकार देने वाली यह महिला बीते 20 वर्षों से रावण के इस रूप को आकार दे रही हंै। वह बताती है कि मांग के अनुसार वह 2 सौ से 20 हजार रुपये की कीमत पर रावण के पुतले को ऊंचाई देती है। राठौर चौक पर सडक़ किनारे उसकी गुमटी है। जहां उसके दो बच्चे भी मदद करते हैं।
तस्वीर / ‘छत्तीसगढ़’
मेहसाणा, 15 सितंबर गुजरात के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी को राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दूधसागर डेयरी में करीब 500 करोड़ रुपये की कथित अनियमितता के मामले में हिरासत में लिया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
चौधरी ‘गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन’ (जीसीएमएमएफ) के पूर्व अध्यक्ष हैं। जीसीएमएमएफ के पास अमूल ब्रांड का स्वामित्व है। चौधरी मेहसाणा के दूधसागर डेयरी के भी प्रमुख रहे हैं।
एसीबी के संयुक्त निदेशक मकरंद चौहान ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट शैलेश पारिख को भी मेहसाणा से बुधवार रात को हिरासत में लिया।
उन्होंने कहा कि दोनों को कोरोना वायरस की जांच कराने के बाद आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
एसीबी की मेहसाणा इकाई ने दूधसागर डेयरी के प्रमुख रहने के दौरान 500 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता में शामिल होने के आरोप में बुधवार रात को चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
चौहान ने बताया कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाज़ी, आपराधिक साज़िश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इससे पहले चौधरी को गुजरात अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने उन 14.8 करोड़ रुपये का गबन करने के आरोप में 2020 में गिरफ्तार किया था जिसका इस्तेमाल दूधसागर डेयरी के कर्मियों को बोनस देने के लिए किया जाना था।
चौधरी को पशु चारा खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जीसीएमएमएफ और दूधसागर डेयरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
चौधरी गुजरात में सहकारिता क्षेत्र के एक जाने माने चेहरे हैं। वह 1996 में शंकर सिंह वाघेला सरकार में गृह मंत्री थे। (भाषा)
मुंबई, 15 सितंबर महाराष्ट्र के पालघर जिले में इस महीने की शुरुआत में एक कार दुर्घटना में घायल हुईं डॉ. अनाहिता पंडोले की बृहस्पतिवार को यहां एक निजी अस्पताल में श्रोणि (पेल्विस) संबंधी सर्जरी हुई। इस हादसे में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का निधन हो गया था।
पड़ोसी पालघर जिले में चार सितंबर को हुई दुर्घटना के बाद अनाहिता और उनके पति डेरियस पंडोले का शहर में सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. तरंग ज्ञानचंदानी ने एक बयान में कहा, ‘‘डॉ. अनाहिता पंडोले का सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में डॉक्टरों के एक विशेषज्ञ दल ने आज श्रोणि संबंधी ऑपरेशन किया। श्रोणि में गंभीर फ्रैक्चर को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप समेत दुनियाभर के विभिन्न विशेषज्ञों से राय ली गयी।’’
बयान में कहा गया है कि लीड्स विश्वविद्यालय में ‘एकेडमिक डिपार्टमेंट ऑफ ट्रॉमा एंड ऑर्थोपीडिक सर्जरी’ के अध्यक्ष डॉ. पीटर वी जियानोडिस विशेषज्ञ सलाह देने के लिए विमान से मुंबई आए थे।
गौरतलब है कि पालघर में सूर्या नदी पर बने एक पुल के डिवाइडर से कार टकराने के बाद मिस्त्री (54) और उनके मित्र जहांगीर पंडोले की मौत हो गयी थी। कार चला रहीं अनाहिता पंडोले (55) और उनके पति डेरियस (60) घायल हो गए। (भाषा)
नयी दिल्ली, 15 सितंबर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर क्रमश: 65 और 67 वर्ष करने के लिए संविधान में संशोधन की सर्वसम्मति से वकालत की है।
अभी निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश क्रमश: 60, 62 और 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। खासतौर पर बार के नेता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
बीसीआई ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘सभी राज्यों की बार काउंसिल, उच्च न्यायालय बार संघ और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने बीते सप्ताह उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के संबंध में इस मुद्दे पर चर्चा की थी।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘इस पर व्यापक विचार करने के बाद बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि संविधान में तत्काल संशोधन होना चाहिए और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष तथा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष की जानी चाहिए।’’
बयान में कहा गया है कि संयुक्त बैठक में संसद से विभिन्न प्रक्रियाओं में संशोधन पर विचार करने की सिफारिश करने का भी निर्णय लिया गया है, ताकि अनुभवी वकीलों को विभिन्न आयोगों तथा अन्य मंचों का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सके।
बीसीआई सचिव श्रीमंतो सेन ने बुधवार को जारी बयान में कहा, ‘‘यह फैसला किया गया है कि इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री और केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय को भेजी जाए, ताकि प्रस्ताव पर तत्काल कार्रवाई की जा सके।’’ (भाषा)
इंफाल, 15 सितंबर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के सामने दो प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े 13 उग्रवादियों ने बृहस्पतिवार को अपने हथियार डाल दिए।
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों में से 12 कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी-पीपुल्स वॉर ग्रुप (केसीपी-पीडब्ल्यूजी) से थे और एक कंगलेई यवोल कनबा लुपी (केवाईकेएल) से था।
मुख्यमंत्री ने यहां प्रथम मणिपुर राइफल्स परिसर में 'घर वापसी समारोह' के बाद सभी उग्रवादी संगठनों से बातचीत की मेज पर आने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मणिपुर में शांति कायम है और विभिन्न संगठनों के उग्रवादी मुख्यधारा में लौट रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “ मैं सभी विद्रोही संगठनों से शांति वार्ता के लिए आने की अपील करता हूं। जैसा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है, आत्मसमर्पण करने पर 'एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी और कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।”
उग्रवादियों ने जो हथियार सौंपे उनमें दो एम79 ग्रेनेड लॉन्चर, 9एमएम की तीन पिस्तौल, दो डेटोनेटर और दो रेडियो सेट समेत अन्य चीज़ें शामिल थीं। (भाषा)
हैदराबाद, 15 सितंबर हैदराबाद में दो परिचित युवकों द्वारा एक नाबालिग लड़की से बलात्कार का मामला सामने आया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने लड़की के माता-पिता द्वारा की गई शिकायत के हवाले से बताया कि दोनों आरोपी 14 वर्षीय लड़की को दो दिन पहले एक लॉज में ले गए और उसका यौन उत्पीड़न किया।
बुधवार को आरोपियों द्वारा लड़की को छोड़ने के बाद उसका पता चला।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 13 सितंबर को शिकायत के आधार पर अपहरण का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में आरोप को बदलकर बलात्कार किया गया।
उन्होंने बताया कि पीड़िता को चिकित्सकीय जांच के लिए भेजा गया। उसे महिलाओं और बच्चों के लिए 'भरोसा' सहायता केंद्र (शहर पुलिस की एक पहल) भी भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया है और मामले के संबंध में आगे की जांच जारी है। (भाषा)
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे. दोनों नेता उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मलेन में हिस्सा लेंगे, जहां शी जिनपिंग भी मौजूद रहेंगे.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मलेन का आयोजन उज्बेकिस्तान के प्राचीन शहर समरकंद में हो रहा है. इसमें मोदी, पुतिन और जिनपिंग के अलावा पाकिस्तान और ईरान समेत यूरोप और एशिया के कई देशों के नेता हिस्सा लेंगे.
मुख्य सम्मलेन तो शुक्रवार 16 सितंबर को होगा लेकिन सम्मेलन पर ज्यादा ध्यान यूक्रेन युद्ध के बीच वहां पुतिन की मौजूदगी की वजह से बना रहेगा. सामरिक समीक्षकों में विशेष रूप से पुतिन की जिनपिंग और मोदी से मुलाकात को लेकर दिलचस्पी है. साथ ही लोगों में मोदी और जिनपिंग के बीच बातचीत की संभावना को लेकर भी उत्सुकता है.
मोदी और पुतिन के बीच आपसी मुलाकात की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन मोदी और जिनपिंग एक दूसरे से सीधा मिलेंगे या नहीं इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है. भारत के लिए ये दोनों बैठकें महत्वपूर्ण होंगी.
मोदी की मुलाकातों पर नजर
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत रूस के हमले की निंदा नहीं करने और रूस से व्यापारिक रिश्ते और गहरे करने के लिए पश्चिमी देशों की आलोचना का सामना कर रहा है. ऐसे में युद्ध के बाद मोदी और पुतिन की पहली मुलाकात में दोनों नेता क्या बातें करेंगे, यह देखने लायक होगा.
पुतिन के लिए यह सम्मलेन यह दिखाने का मौका है कि रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से अलग थलग नहीं किया जा सकता है. रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की वजह से अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं और इस दिशा में उन्हें भारत का भी साथ मिलने की अपेक्षा रही है.
भारत ने लगातार युद्ध की निंदा तो की है, लेकिन रूस की नहीं. उल्टा पश्चिमी देशों के बहिष्कार के बीच रूस ने भारत को सस्ते दामों पर कच्चा तेल और अन्य उत्पाद बेचने की पेशकश की तो भारत ने इसे स्वीकार कर लिया. बीते छह महीनों में भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल के कुल भंडार में रूसी तेल की मात्रा में बहुत बढ़ोतरी हुई है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस के दाम के आसमान पर होने का असर बताया था. जयशंकर ने कहा था कि इन हालात में "हर देश स्वाभाविक रूप से कोशिश करेगा कि वो अपने नागरिकों को सबसे अच्छा सौदा दिलवा पाए और ऊर्जा के बढ़े हुए दामों के असर को थोड़ा कम कर पाए. भारत भी यही कर रहा है."
त्रिपक्षीय समीकरण
मनोहर परिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में एसोसिएट फेलो स्वस्ति राव कहती हैं कि बीते एक हफ्ते में यूक्रेन ने युद्ध में बढ़त प्राप्त की है और विशेष रूप से इस वजह से पुतिन एक गैर पश्चिमी सम्मलेन के रूप में इस आयोजन का अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश करेंगे.
राव ने डीडब्ल्यू से यह भी कहा कि पुतिन इस बात को भी जोर-शोर से दिखाने की कोशिश करेंगे कि कैसे रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय समीकरण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नई परिभाषा देगा.
पुतिन के अलावा मोदी अगर जिनपिंग से भी द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करते हैं तो यह कोविड-19 के बाद उनकी पहली मुलाकात होगी. जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे.
सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने तन गई थीं. चीन द्वारा कई इलाकों में भारत की जमीन कब्जाने के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए बातचीत के कई दौर हुए.
दो दिन पहले ही इस बातचीत से एक बड़ी समस्या का समाधान हुआ और लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाके में दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने से हट गईं. इस वजह से भी उम्मीद लगाई जा रही है कि यह मोदी और जिनपिंग के बीच सीधी बातचीत के लिए सही समय है. जिनपिंग इस समय उज्बेकिस्तान समेत मध्य एशिया के कई देशों के दौरे पर हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार संजय कपूर मानते हैं कि एससीओ एक तरह से जी-7 समूह का विकल्प है और इस लिहाज से इस सम्मलेन से बड़ी उम्मीदें की जा सकती हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि बैठक से ठीक पहले गोगरा से अपने सैनिकों को हटा कर चीन ने दिखाया है कि वो भारत को पूरी तरह से अमेरिका के पक्ष में जाने से रोकने और अपने खेमे में करने के लिए एक और कदम आगे बढ़ा सकता है.
(एएफपी, एपी से जानकारी के साथ)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 सितंबर। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया 17 सितंबर शनिवार को आ रहे हैं। इस बार उनका दौरा राजीव भवन में बैठकों तक सीमित नहीं रहेगा। वे प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। पुनिया 21 तक वे हारी हुई विधानसभा सीटों का दौरा करेंगे। 2018 के चुनाव और बाद के उपचुनावों में 71 सीटें जीती थी। और संयुक्त विपक्ष भाजपा, जोगी कांग्रेस, बसपा के पास 19 सीटें हैं। कांग्रेस ने इन सीटों पर प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ पुनिया का संयुक्त दौरा होगा। वे गिरोधपुरी और शिवरीनारायण धाम के भी दर्शन करेंगे।
नयी दिल्ली , 15 सितंबर कांग्रेस ने थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति के अगस्त में लगातार तीसरे महीने घटने और 11 महीने के निचले स्तर पर चले जाने को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि महंगाई पर नरेंद्र मोदी सरकार की चुप्पी तोड़ने के लिए 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाली गई है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "मोदी सरकार कमर तोड़ महंगाई पर चुप क्यों है? इनकी इसी चुप्पी को तुड़वाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा शुरू की गई है।"
विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में नरमी से थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार तीसरे महीने घटी और 11 महीने के निचले स्तर 12.41 प्रतिशत पर आ गई। खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी के बावजूद मुद्रास्फीति घटी है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है। हालांकि, यह पिछले साल अप्रैल से लगातार 17वें महीने में दहाई अंकों में रही। (भाषा)
ललित के झा
वाशिंगटन, 15 सितंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में भारत की वृद्धि के सफर में अमेरिका एक अहम साझेदार होगा। साथ ही उन्होंने उम्मीद जतायी कि अमेरिकी संसद परिसर में भारत की आजादी के 75वें वर्षगांठ का जश्न दोनों देशों के बीच मित्रता में ‘‘मील का एक अहम पत्थर’’ बनेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए यहां एकत्रित हुए भारतीय-अमेरिकी समुदाय को दिए एक संदेश में कहा ‘‘भारत शब्द कई चीजें प्रदर्शित करता है- एक आधुनिक लोकतांत्रिक गणराज्य, एक विविधतापूर्ण देश, एक प्राचीन सभ्यता और एक सांस्कृतिक चेतना, जो भूगोल या समय द्वारा सीमित नहीं है। ’’
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में अग्रणी योगदान दे रहे भारतीय समुदाय के लोग इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण हैं कि कैसे कोई एक ही समय में कई आयामों से गुजरकर भारत से जुड़ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि, भारत आगामी 25 वर्षों के लिए ऊंचे लक्ष्य निर्धारित कर रहा है, इसलिए अमेरिका इस यात्रा में एक अहम साझेदार होगा। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि यह जश्न हमारे दोनों देशों के बीच शानदार मित्रता में मील का एक अहम पत्थर बनेगा।’’
मोदी ने अपने संदेश में कहा, ‘‘भारत अपनी आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है। यह आजादी एक विशिष्ट तरीके से हासिल की गई थी। लिहाजा भारत हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है, जो शांति एवं आजादी के आदर्शों से प्रेम करता है।’’
उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस समुदाय ने भारतीय मूल्यों को आत्मसात करके उनकी सुगंध फैलायी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे प्रवासी समुदाय के सदस्य, देश के लिए प्रशंसनीय राजदूत रहे हैं। उन्होंने सभी संस्कृतियों का सम्मान करने, मेल-जोल बढ़ाने और अपने विशिष्ट योगदानों से समाज को समृद्ध करने के भारतीय मूल्यों को आत्मसात करके उनकी सुगंध फैलाई है।’’
गौरतलब है कि 75 भारतीय-अमेरिकी संगठन 1947 के बाद की भारत की यात्रा की ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए एक साथ आए। इनमें ‘यूएस इंडिया रिलेशनशिप काउंसिल’, सेवा इंटरनेशनल, एकल विद्यालय फाउंडेशन, हिंदू स्वयंसेवक संघ, जीओपीआईओ सिलिकॉन वैली, ‘यूएस इंडिया फ्रेंडशिप काउंसिल’ और सरदार पटेल फंड फॉर सनातन संस्कृति शामिल हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘हमारे दोनों महान देशों को जोड़ने वाले मूल्यों में आजादी के लिए प्यार और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर प्रतिबद्धता सबसे महत्वपूर्ण है। दुनिया के सबसे बड़े और पुरानी लोकतंत्रों द्वारा आजादी का जश्न मनाना एक खूबसूरत भावना है।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख लक्ष्मणभाई मांडविया ने यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद परिसर) में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए भारतीय-अमेरिकियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकियों ने भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में द्विपक्षीय संबंधों ने नई ऊचांइयों को छुआ है।
वहीं, अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत-अमेरिका के संबंध उतने ही पुराने हैं, जितनी की भारत की आजादी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह ऐसा वक्त है, जब हम अमेरिका और स्वतंत्रत भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्षों का जश्न मना रहे हैं।’’
संधू ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर कैपिटल परिसर में इसका जश्न मनाया जाना मेरे लिए खास अवसर है। कांग्रेस ने इस शानदार रिश्ते को प्रगाढ़ करने में विशेष भूमिका निभाई है। मैं पिछले 25 वर्षों से दोनों देशों के शानदार रिश्ते देख रहा हूं।’’ (भाषा)
सीतापुर, 15 सितंबर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सिधौली थाना क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर दो ट्रकों ने एक ट्रैक्टर ट्रॉली में टक्कर मार दी, जिससे उस पर सवार चार लोगों की मौत हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर ट्रॉली पर एक ही परिवार के 35 सदस्य सवार थे और एक तेज रफ्तार ट्रक ने आगे, जबकि दूसरे ने पीछे से उसमें जोरदार टक्कर मार दी।
अधिकारी के मुताबिक, हादसे में चार लोगों के मरने और 30 अन्य के घायल होने की खबर है। उन्होंने बताया कि चार घायलों की हालत गंभीर है, जिन्हें उपचार के लिए लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया है।
अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिण) एन पी सिंह ने बताया कि घटना बुधवार रात की है, जब शाहजहांपुर के रोजा क्षेत्र के 35 लोग एक ट्रैक्टर ट्रॉली पर सवार होकर बाराबंकी के देवा शरीफ तीर्थस्थल पर मुंडन संस्कार के लिए जा रहे थे।
सिंह के अनुसार, जब ये लोग सिधौली शहर पहुंचे तो तेज बारिश हो रही थी और तभी एक ट्रक ने उन्हें आगे से, जबकि दूसरे ने पीछे से टक्कर मार दी।
उन्होंने बताया कि हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य सवारियों को गंभीर चोटें आई हैं। गंभीर रूप से घायल चार लोगों को लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया है।
सिंह के अनुसार, मृतकों की पहचान 40 वर्षीय इजराइल, 18 वर्षीय सब्बुल, 12 वर्षीय हसन और 70 वर्षीय नूर मोहम्मद के रूप में हुई है।
उन्होंने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और घटना की जांच जारी है। (भाषा)
कनाडा, 15 सितंबर। कनाडा के टोरंटो में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवार पर भारत विरोधी नारे लिखने की एक घटना सामने आई है.
भारत ने इसकी निंदा करते हुए कनाडा के अधिकारियों से इस मामले की जांच की मांग की है.
टोरंटो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस बारे में एक ट्वीट में कहा, ‘ हम टोरंटो के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवार पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने की कड़ी निंदा करते हैं. हमने कनाडा के अधिकारियों से इस मामले की जांच करने और अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.’’
वहीं, कनाडाई सांसद चंद्र आर्या ने एक ट्वीट में कहा कि कनाडा के ख़ालिस्तानी चरमपंथियों के टोरंटो मंदिर पर नारे लिखने की घटना की सभी को निंदा करनी चाहिए. यह अकेली घटना नहीं है. हाल में कुछ समय से हिंदू मंदिरों को घृणा अपराध के जरिए निशाना बनाया गया है. इन घटनाओं को लेकर कनाडा के हिंदुओं की चिंता जायज है.
कनाडाई सांसद टिम एस उप्पल ने एक ट्वीट में कहा कि वह इस घटना से दुखी हैं. ऐसा माहौल हो कि लोग बिना किसी डर के अपने धर्म का पालन करें.
उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अपने दोस्तों से मिलने मंदिर जाएंगे (bbc.com/hindi)
पणजी, 15 सितंबर गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रमेश तावड़कर ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने कांग्रेस विधायक दल के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में विलय को स्वीकार कर लिया है।
तावड़कर ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने कांग्रेस विधायकों द्वारा दिए गए पत्र पर गौर किया और पाया कि उनके पास आवश्यक संख्या बल है।
गोवा में कांग्रेस के 11 में से आठ विधायकों ने बुधवार को विधायक दल का भाजपा में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया था। (भाषा)
बलिया, 15 सितंबर । उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बैरिया थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय दलित किशोरी के साथ उसके गांव के ही रहने वाले एक युवक द्वारा कथित रूप से बलात्कार करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
पुलिस उपाधीक्षक मोहम्मद उस्मान ने बताया कि 11 सितंबर की शाम बैरिया थाना क्षेत्र के एक गांव में 13 वर्षीय दलित किशोरी के साथ उसके गांव के ही रहने वाले तूफानी यादव (22) ने कथित तौर पर बलात्कार किया।
उस्मान के मुताबिक, किशोरी के भाई की तहरीर पर बुधवार को तूफानी यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
उस्मान ने बताया कि पुलिस ने किशोरी की चिकित्सकीय जांच करवाई है और आरोपी तूफानी को बुधवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। (भाषा)
कोलकाता, 15 सितंबर पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जितेंद्र तिवारी को कोयला तस्करी मामले की जांच के संबंध में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के समक्ष पेश होने के लिए सम्मन दिया गया है।
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि सीआईडी ने कोयला तस्करी मामले में पूछताछ के लिए तिवारी को शुक्रवार को शहर में उसके अधिकारियों के समक्ष पेश होने को कहा है।
आसनसोल से तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महापौर तिवारी ने नोटिस मिलने की पुष्टि की है। वह 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे।
पान्डवेश्वर से टीएमसी के पूर्व विधायक तिवारी ने कहा, ‘‘जांच प्राधिकारी पूछताछ के लिए किसी को भी बुला सकते हैं।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय भी पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों से कोयले के कथित खनन और बिक्री की जांच कर रहा है। (भाषा)
कोकराझार (असम), 15 सितंबर असम सीमा पर स्थित भारत-भूटान सीमा द्वार ‘समद्रुप जोंगखर’ और ‘गेलेफू’ कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से पहली बार 23 सितंबर को पर्यटकों के लिए खोल दिए जाएंगे।
भूटान के गृह एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय के निदेशक (कानून-व्यवस्था) ताशी पेनजोर के नेतृत्व में एक भूटानी प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कोकराझार में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) के अधिकारियों के साथ बैठक की और ढाई साल के अंतराल के बाद द्वार को फिर से खोलने की घोषणा की।
पेनजोर ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति में सुधार के मद्देनजर भूटान सरकार ने 23 सितंबर से व्यापार, वाणिज्य और आधिकारिक पारगमन के लिए देश की सीमाएं फिर से खोलने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा, “पिछले ढाई वर्षों में दोनों तरफ के कई अधिकारी बदल गए हैं और हम दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आवश्यक मित्रता और व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने के लिए बैठकें नहीं कर पाए। हम ऐसी और बैठकें करने को लेकर उत्सुक हैं।”
पेनजोर ने भारतीय पर्यटकों से आग्रह किया कि वे गेलेफू और समद्रुप जोंगखर द्वारों के माध्यम से भूटान में प्रवेश करने के बाद देश में विभिन्न स्थानों की यात्रा करें। (भाषा)
आइजोल, 15 सितंबर मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि भारत को उथल-पुथल का सामना कर रहे पड़ोसी देश म्यांमा में शांति बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बुधवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर म्यांमा राजनीतिक संकट समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
बैठक के दौरान जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि भारत को म्यांमा में शांति बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पड़ोसी देश में शांति बहाल करने के लिए प्रयास करेगी।
म्यांमा की सेना ने पिछले साल फरवरी में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित आंग सान सू ची की सरकार का तख्तापलट करके सत्ता पर नियंत्रण कर लिया था, जिसके बाद से म्यांमा के 30 हजार से अधिक लोग मिजोरम में शरण ले चुके हैं। (भाषा)
नई दिल्ली, 15 सितंबर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि लोगों को आने वाले समय में कोरोना वायरस की खतरनाक लहर का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए दुनिया भर की सरकारों को सतर्क रहने और किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेब्येयियस ने बुधवार को जिनेवा में एक प्रेस वार्ता में कहा, हम महामारी को समाप्त करने के लिए बेहतर स्थिति में कभी नहीं रहे।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 5-11 सितंबर के सप्ताह के दौरान, दुनिया भर में नए साप्ताहिक मामलों की संख्या पिछले सप्ताह की तुलना में 28 प्रतिशत घटकर 3.1 मिलियन से अधिक हो गई। नई साप्ताहिक मौतों की संख्या 22 प्रतिशत घटकर मात्र 11,000 रह गई।
ट्रेडोस ने महामारी की प्रतिक्रिया की तुलना मैराथन दौड़ से की।
उन्होंने कहा, अब कड़ी मेहनत करने और यह सुनिश्चित करने का समय है कि हम कोरोना वायरस जैसी महामारी पर जीत हासिल करेंं और अपनी सारी मेहनत का प्रतिफल प्राप्त करें।
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपात कार्यक्रम की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा, वर्तमान समय में दुनिया भर में वायरस बेहद तेजी से फैल रहा है। वास्तव में, डब्ल्यूएचओ को बताए जा रहे मामलों की संख्या कम है।
उन्होंने कहा, हमें लगता है कि वास्तव में हमारे द्वारा बताए जा रहे मामलों की तुलना में कहीं अधिक मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक माइक रयान ने कहा कि महामारी के कम होने पर भी लोगों को उच्च स्तर की सावधानी बरतनी होगी।
रयान ने कहा, दुनिया एक अत्यधिक परिवर्तनशील विकसित होने वाले वायरस से लड़ रही है, जिसने हमें ढाई साल में बार-बार दिखाया है कि यह कैसे अनुकूलित हो सकता है और कैसे बदल सकता है।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु में ढांचा चरमरा चुका है. एक तेज बारिश ने दिखा दिया कि शहर ने बीते दो दशक में हुई तरक्की की कितनी भारी कीमत चुकाई है. क्या यह शहर अब मरने लगा है?
हरीश पुल्लानूर याद करते हैं कि 1980 के दशक में उनका बचपन बेंगलुरू के पूर्वी सिरे पर येमालुर में तालाबों और छोटी झीलों के बीच गुजरा है. वहां इतवार को वह अपने चचेरे भाई-बहनों के साथ मछलियां पकड़ा करते थे.
बागों, झीलों और ठंडे मौसम वाला शहर बेंगलुरू 1990 के दशक में भारत का सबसे तेजी से उभरता शहर बना. उसने अमेरिका की सिलीकन वैली को चुनौती दी और भारत के लिए आर्थिक केंद्र बनाकर लाखों लोगों को रोजगार दिया. तभी दुनिया की कुछ सबसे बड़ी आईटी कंपनियों ने यहां डेरा डाला और अपना अरबों का कारोबार खड़ा किया.
इस तरक्की की कीमत कम नहीं थी. कंक्रीट ने हरियाली की जगह ले ली है. जंगलों और झीलों को इमारतों ने हड़प लिया है और नहरों के पानी में शहर की बढ़ती आबादी की प्यास बुझाने की क्षमता नहीं रही.
पिछले हफ्ते बेंगलुरू में बारिश हुईजिसने दशकों के रिकॉर्ड तो तोड़े ही साथ ही शहर की क्षमताएं भी तोड़ डालीं. येलामूर का इलाका कमर तक के पानी में डूबा हुआ था. भारत की सिलीकन वैली के नाम से मशहूर शहर के कई इलाकों की हालत ऐसी थी कि दुनियाभर के लोग तस्वीरें देखकर हैरान थे.
गर्मियों में पानी की कमी से परेशान रहने वाले बेंगलुरू के लोगों को अब हर मौसम में मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं. ऊपर से शहर का ट्रैफिक इतना बढ़ गया है कि सारी व्यवस्थाएं धराशायी हो रही हैं. ऐसे में मॉनसून की बारिश ने इस बात को उघाड़ कर रख दिया है कि बेंगलुरू का ढांचा चरमरा चुका हैऔर पिछले दो दशकों के बेसिरपैर के विकास ने इस इलाके की कुदरती क्षमताओं का दोहन कर उन्हें नष्ट करने का ही काम किया.
बेंगलुरू में जन्मे और अब मुंबई में रहने वाले पुल्लानूर कहते हैं, "यह बहुत, बहुत ज्यादा दुखी करने वाली बात है. पेड़ खत्म हो गए हैं. पार्क लगभग गायब हो चुके हैं. ट्रैफिक तो ऐसा है कि जैसे गर्दन दबोच ली गई हो.”
चिंतित हैं कंपनियां
जिन बड़ी-बड़ी कंपनियों ने कभी बेंगलुरू को अपना ठिकाना बनाया था अब वे शिकायत करने लगी हैं कि ढांचे के कारण उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है और हालत लगातार बदतर हो रही है. इन कंपनियों का कहना है कि खराब व्यवस्था के चलते उन्हें रोजाना दसियों करोड़ डॉलर का नुकसान होता है.
बेंगलुरु में 79 टेक-पार्क हैं जिनमें लगभग 3,500 आईटी कंपनियां काम करती हैं. भारत के सबसे होनहार आईटी एक्सपर्ट और इंजीनियर यहां काम करते हैं. यहीं उनके शानदार दफ्तर हैं और मनोरंजन करने के लिए रेस्तरां, कैफे, बाजार आदि भी.
लेकिन पिछले हफ्ते जब पानी बरसा तो इन शानदार दफ्तरों तक पहुंचना दूभर हो गया. येमालुर में जेपी मॉर्गन और डेलॉयट जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर हैं जिनके इर्द-गिर्द पानी के विशाल तालाब बन गए थे. लोगों के घरों, बेडरूम तक में पानी भर गया था. करोड़पतियों को अपने विशाल और शानदार लिविंग रूम छोड़-छोड़ कर भागना पड़ा.
इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि इस बारिश के कारण नुकसान का शुरुआती जायजा ही दसियों करोड़ रुपये का है और आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ती जाएगी.
असर अंतरराष्ट्रीय हुआ
इन कुछ दिनों की बारिश का असर सिर्फ बेंगलुरू पर नहीं हुआ. लोगों को चिंता है कि 194 अरब डॉलर की भारतीय आईटी इंडस्ट्री पूरी दुनिया से जुड़ी है लिहाजा असर पूरी दुनिया पर होगा. नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) के उपाध्यक्ष केएस विश्वनाथन कहते हैं, "भारत दुनियाभर की कंपनियों के लिए आईटी केंद्र है और बेंगलुरु उस केंद्र का भी केंद्र है.”
विश्वनाथन बताते हैं कि नैसकॉम 15 ऐसे नए शहरों की पहचान में जुटा है जो देश के नए आईटी हब बन सकते हैं. वह बताते हैं, "यह कोई शहरों के बीच मुकाबले की बात नहीं है. एक देश के तौर पर हम इसलिए कमाई खोना नहीं चाहते कि शहर का मूलभूत ढांचा कमजोर है.”
बारिश ने बेंगलुरू की जिस कमजोरी को उभारा है, उसकी चेतावनियां पहले से ही दी जाती रही हैं. इंटेल, गोल्डमन सैक्स, माइक्रोसॉफ्ट और विप्रो जैसी कंपनियों के संगठन आउटर रिंग रोड कंपनीज एसोसिएशन (ओरका) ने पहले भी कहा था कि शहर का मूलभूत ढांचा एक समस्या बन चुका है जिस कारण कंपनियां कहीं और भी जा सकती हैं.
ओरका के जनरल मैनेजर कृष्ण कुमार कहते हैं, "हम इसके बारे में सालों से बात कर रहे हैं. अब बात गंभीर हो चुकी है और सारी कंपनियां इससे सहमत हैं.”
1970 के दशक में बेंगलुरू का 68 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा हरियाली में ढका था. बेंगलुरू के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के टीवी रामचंद्र बताते हैं कि 1990 के दशक में यह हरियाली 45 फीसदी रह गई और 2021 में शहर के 741 वर्गकिलोमीटर में से मात्र तीन प्रतिशत हरियाला है. रामचंद्र कहते हैं, "अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2025 तक 98.5 प्रतिशत शहर सिर्फ कंक्रीट होगा.”
वीके/सीके (रॉयटर्स)
भारत में महिलाएं पुरुषों से और मुसलमान गैर-मुस्लिमों से हजारों रुपये कम कमा रहे हैं और इसकी वजह उनकी पहचान है. एक ताजा रिपोर्ट में इस भेदभाव पर विस्तार से बात की गई है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
भारत में महिलाएं इसलिए श्रम क्षेत्र का हिस्सा नहीं बन पा रही हैं क्योंकि एक तो उन्हें पैसा बहुत कम मिलता है और उन्हें लैंगिक भेदभाव भी झेलना पड़ता है. मानवाधिकार संगठन ऑक्सफैम ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि भारत अगर महिलाओं को श्रम क्षेत्र में शामिल करना चाहता है तो सरकार को बेहतर वेतन, प्रशिक्षण और नौकरियों में आरक्षण जैसी सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी. ‘इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022' शीर्षक से जारी की गई यह रिपोर्ट सुझाव देती है कि नियोक्ताओं को भी महिलाओं को काम पर रखने के लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है.
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में भारतीय श्रम शक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 25 प्रतिशत थी. दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका में यह सबसे कम है. 2020-21 के भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 25.1 प्रतिशत महिलाएं श्रम शक्ति का हिस्सा हैं. यह 2004-05 से भी कम हो गया है जबकि 42.7 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही थीं.
रिपोर्ट कहती है कि इन वर्षों में महिलाओं का काम छोड़ जाना एक चिंता का विषय है जबकि इस दौरान भारत में तेज आर्थिक वृद्धि हुई है. बीते दो साल में कोरोना वायरस महामारी ने भी महिलाओं को बड़े पैमाने पर श्रम बाजार से बाहर कर दिया है क्योंकि नौकरियां कम हो गईं और जिन लोगों की नौकरियां इस दौरान गईं, उनमें महिलाएं ज्यादा थीं.
महिलाओं के साथ भेदभाव जारी
ऑक्सफैम इंडिया के प्रमुख अमिताभ बेहर कहते हैं कि महिलाओं का भेदभाव एक बड़ी समस्या है. एक बयान में बेहर ने कहा, "यह रिपोर्ट दिखाती है कि अगर पुरुष और महिलाएं समान स्तर पर शुरुआत करते हैं तो महिलाओं को आर्थिक क्षेत्र में भेदभाव झेलना होगा. वह वेतन में पीछे छूट जाएंगी और अस्थायी काम या फिर स्वरोजगार में भी आर्थिक रूप से पीछे छूट जाएंगी.”
रिपोर्ट के मुताबिक 98 प्रतिशत गैरबराबरी की वजह लैंगिक भेदभाव होता है. बाकी दो प्रतिशत शिक्षा और अनुभव आदि के कारण हो सकता है. रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि समाज के अन्य तबकों को भी भेदभाव झेलना पड़ता है.
पिछले महीने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिलाओं को काम करने के लिए बढ़ावा देने की जरूरत का जिक्र किया था. एक भाषण में उन्होंने राज्यों से आग्रह किया था कि काम के घंटों को लचीला रखा जाए ताकि महिलाओं को श्रम शक्ति का हिस्सा बनाया जा सके. उन्होंने कहा था कि अपनी नारी शक्ति का इस्तेमाल किया जाए तो "भारत अपने आर्थिक लक्ष्यों तक” जल्दी पहुंच सकता है.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि बड़ी संख्या में महिलाएं रोजगार इसलिए नहीं कर पाती हैं क्योंकि उनके ऊपर ‘पारिवारिक जिम्मेदारियां' होती हैं और उन्हें सामाजिक नियम-कायदों को मानना पड़ता है.
भारत में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को उजागर करती ऐसी रपटें पहले भी आती रही हैं. यह एक जाना-माना तथ्य है कि भारत में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कम काम करती हैं और अधिकतर महिलाओं को कार्यस्थल पर शोषण अथवा भेदभाव से गुजरना पड़ता है. इसके अलावा एक समस्या उनकी घरेलू और सामाजिक जिम्मेदारियां भी हैं जो उन्हें काम करने से हतोत्साहित करती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, "पितृसत्ता के कारण ही पुरुषों के समान और यहां तक कि उनसे बेहतर क्षमता और कौशल के बावजूद महिलाएं श्रम बाजार से बाहर रहती हैं और समय के साथ इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है.”
हजारों रुपये का फर्क है
ऑक्सफैम के शोधकर्ताओं ने इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 2004 से 2020 के बीच के सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण किया है. उन्होंने अलग-अलग तबकों को नौकरियां, वेतनमान, स्वास्थ्य, कृषि कर्ज आदि का अध्ययन किया. इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि हर महीने पुरुष महिलाओं से 4,000 रुपये ज्यादा कमाते हैं. एक गैर मुस्लिम और मुस्लिम के बीच यह अंतर 7,000 रुपये का है जबकि दलित और आदिवासी बाकी लोगों से महीनावार 5,000 रुपये कम कमाते हैं.
यह रिपोर्ट कहती है, "महिलाओं के अलावा ऐतिहासिक रूप से दमित समुदाय जैसे दलित और आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक जैसे कि मुसलमान भी नौकरी खोजने, रोजी-रोटी कमाने और कृषि आदि क्षेत्र में कर्जा पाने के लिए भेदभाव का सामना करते हैं.” रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बेरोजगारी में सबसे ज्यादा वृद्धि (17 प्रतिशत) मुसलमानों के बीच हुई.
बेहर स्पष्ट करते हैं कि श्रम बाजार में भेदभाव का अर्थ क्या है. वह कहते हैं, "भेदभाव का अर्थ है कि समान क्षमता वाले लोगों के साथ अलग-अलग तरह का व्यवहार किया जाए और इसकी वजह उनकी पहचान या सामाजिक पृष्ठभूमि हो. महिलाओं और अन्य सामाजिक तबकों में गैरबराबरी सिर्फ गरीबी, अनुभव की कमी और शिक्षा तक उनकी कम पहुंच ही नहीं है बल्कि भेदभाव भी है.” (dw.com)
जिस तरह से रिंग में दो बॉक्सर फाइट करते हैं, बिल्कुल उसी तरह से भारत में खूंखार कुत्तों को लड़ाया जा रहा है. इस गैरकानूनी खेल को लोगों ने पैसे और शोहरत की लालसा में पेशेवर बना दिया है. लड़ाई में कुत्ते मर भी रहे हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
छोटे से गांव, गली और मोहल्लों, बड़े शहरों के फ्लाईओवर के नीचे और रात के अंधेरे में एक ऐसा खूनी खेल हो रहा है जिसके बारे में भारत के अधिकतर लोगों को बहुत जानकारी नहीं है. ये बहुत ही खतरनाक और जानलेवा खेल है. यहां इंसान आपस में नहीं भिड़ते बल्कि कुत्तों को लड़ाया जाता है. वह भी कुछ मिनटों के लिए नहीं बल्कि तीन-तीन घंटों के लिए, कुत्ते लड़ते रहते हैं. वे तब तक लड़ते हैं जब तक वे हार नहीं मान जाए या फिर सामने वाले कुत्तों उसे चीर कर मार ना डाले. कई बार कुत्ते इतने जख्मी हो जाते हैं कि उनकी मौत कुछ दिनों बाद हो जाती है.
कुत्तों की लड़ाई या डॉगफाइटिंग को देखने के लिए कई बार पूरा का पूरा गांव ही शामिल हो जाता है और कई बार छोटे स्तर पर आयोजन होता है. हैरानी की बात यह है कि इस तरह की लड़ाई अवैध है और अक्सर लोग बेजुबानों का लड़ता देख मजा लेते हैं. क्या पढ़े लिखे, क्या अनपढ़ और क्या बुजुर्ग यहां तक कि 11वीं और 12वीं तक के छात्र इस तरह के खेल को देखने के लिए पहुंचते हैं.
पीपल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) और दिल्ली के गैर लाभकारी संगठन फौना पुलिस ने एक साल के भीतर ऐसे खेलों की पड़ताल की और कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. कुत्तों के इन लड़ाइयों में कुत्तों को सट्टे के लिए लड़ाया जाता है. लड़ने वाले कुत्तों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह अधिक से अधिक खूंखार हो सके और अपने प्रतिद्वंद्वी जानवर को हमलाकर जमीन पर गिरा दे या फिर उसे मौत के घाट उतार दे.
पेटा इंडिया ने अपनी पड़ताल में पाया कि इन लड़ाइयों में कुत्तों को गंभीर चोटें लगती हैं. पेटा का कहना है कि यह एक तरह का खूनी खेल है, जिसे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित राज्यों में अवैध रूप से आयोजित किया जाता है. पेटा ने कुछ वीडियो अपने सोशल मीडिया साइट पर भी पोस्ट किए हैं, जिनमें कुत्तों को लहूलुहान होता दिखाया गया है. कुत्ते एक दूसरे को मरने मारने पर आमादा नजर आ रहे हैं.
इस तरह की डॉगफाइटिंग का आयोजन छोटी से लेकर बड़ी चैंपियनशिप तक के रूप में हो रहा है. और विजेता कुत्ते के मालिक को इनाम के तौर नकद तो मिलता ही है, साथ ही वह जीत के बाद आगे और लड़वाने की चुनौती पेश करता है. जब एक बार कुत्ता जीत जाता है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है और उसको हाथोहाथ कोई खरीददार मिल जाता है.
पंजाबी गानों का संबंध
दिल्ली के गैर लाभकारी संगठन फौना पुलिस के अभिनव श्रीहरन ने डीडब्ल्यू को बताया कि इस तरह की डॉगफाइट का चलन पंजाबी गायकों के गाने के बाद से तेजी से फैला जिसमें आक्रामक कुत्तों को दिखाया जाता और हिंसक दिखने वाले कुत्तों को ग्लैमरस अंदाज में पेश किया जाता.
उन्होंने कहा, "हम एक साल के भीतर 1,100 से लेकर 1,200 तक डॉगफाइट के वीडियो और 1,200 से लेकर 1,300 तक वीडियो जंगली जानवरों के शिकार के लेकर सामने आए हैं."
श्रीहरन कहते हैं कि कई बार कुत्ते लड़ाने वाले शौक के लिए वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं या फिर अपने ग्रुप में उसे साझा करते हैं. उनका कहना है कि लोग ऐसा अपना रुतबा बढ़ाने के लिए करते हैं.
पेटा का कहना है कि कुत्तों को लड़ाने के साथ-साथ लोग जानवरों पर दांव भी लगाते हैं और कुछ लोग तो सिर्फ इस क्रूरता को देखने के लिए जमा होते हैं. कई बार कुत्ते आपस में लड़ते हुए मारे जाते हैं. कुत्तों को लड़ाने के करीब 2,500 वीडियो पेटा इंडिया और फौना पुलिस को मिले हैं.
श्रीहरन का दावा है कि उनके पास ऐसे भी वीडियो हैं जो इन कुत्तों द्वारा शिकार कराने के हैं. उन्होंने बताया कि रेसिंग कुत्तों और बुली कुत्तों का इस्तेमाल पैंगोलिन, एशियाई सिवेट, लोमड़ी, तेंदुए और जंगली सूअर और अन्य जीवों के शिकार के लिए किया जा रहा है जो कि वन्य जीवन (संरक्षण),अधिनियम 1972 का गंभीर उल्लंघन है.
पेटा इंडिया के वेटनरी पॉलिसी एडवाइजर डॉ. नितिन कृष्णगौड़ा के मुताबिक, "इन डॉगफाइटर्स द्वारा गुप्त ठिकानों का चयन किया जाता है. वे वहां कुत्तों की लड़ाई करवाने व आपस में खूनी लड़ाई के लिए उकसाते हैं."
भारत में कैसे हुई शुरुआत
वैसे तो भारत में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत जानवरों को एक दूसरे से लड़ाने के लिए उकसाना अवैध है, लेकिन फिर भी देश भर में इस तरह के आयोजन होते रहते हैं. पिटबुल को इस तरह की लड़ाइयों में इस्तेमाल के लिए पाला जाता है या भारी जंजीरों में बांधकर हमला करने वाले कुत्तों के रूप में रखा जाता है. जिस कारण उन्हें पूरे जीवन शोषण का सामना करना पड़ता है.
श्रीहरन डीडब्ल्यू से कहते हैं कि चीन और कोरिया जैसे देशों में इस तरह की डॉगफाइट हो रही है और वहां की चैंपियन ब्लड लाइन (चैंपियन कुत्तों के बच्चे) को अवैध तरीके से भारत लाया जा रहा है. ऐसे कुत्तों को प्रजनन कर के बेचा जा रहा है. वे कहते हैं कि ऐसे कुत्तों को हमलावर प्रवृत्ति के साथ ही बड़ा किया जा रहा है और डर इस बात का है कि कहीं ये कुत्ते किसी के घर में पालतू जानवर के रूप में आ जाएं तो एक गंभीर खतरा खड़ा हो सकता है.
पेटा ने अपनी पड़ताल में पाया कि कुत्तों की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले पाकिस्तानी "बुली" कुत्तों और अन्य मिश्रित नस्ल के कुत्तों को एशियाई पाम सिवेट, लोमड़ियों, तेंदुओं और जंगली सूअरों को मारने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. इस गैरकानूनी काम के लिए कुत्तों के बच्चों को छोटे से ही एक दूसरे से लड़ने के लिए उकसाया जाता है.
पिटबुल पालने का चलन बढ़ा
भारत में पिटबुल कुत्तों को पालने का चलन हाल के सालों में बढ़ा है. खासकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोग अपनी शान बढ़ाने के लिए इसे पालते हैं लेकिन कई बार इन कुत्तों के हमले जानलेवा भी साबित हुए हैं. एक साल के भीतर पिटबुल कुत्ते के हमले के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसी साल लखनऊ में एक बुजुर्ग महिला की मौत पालतू पिटबुल के हमले के बाद हो गई थी, इससे पहले मेरठ में भी पिटबुल ने एक लड़की पर हमला कर दिया था जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी. पंजाब में 13 साल के लड़के के कान को इस प्रजाति के कुत्ते ने काट लिया था और उसके बाद हरियाणा के गुरुग्राम में एक महिला पर इस खतरनाक कुत्ते ने हमला कर दिया था.
लखनऊ की घटना के बाद कई लोग अब पिटबुल को घर पर रखना नहीं चाहते हैं और वे कुत्तों की देखभाल करने वाले एनजीओ के पास अपने पालतू जानवर को छोड़ रहे हैं. नोएडा के एक एनजीओ हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स के पास पिछले दो महीनों में पांच से छह मालिक अपने पिटबुल कुत्ते छोड़ गए हैं.
पेटा इंडिया द्वारा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (कुत्ता प्रजनन और विपणन) नियम, 2017 में बदलाव कर इस प्रकार की लड़ाइयों के लिए इस्तेमाल होने वाले पिटबुल और अन्य "बुली" नस्लों के कुत्तों के पालन और प्रजनन पर रोक लगाने की मांग की गई है.
श्रीहरन कहते हैं कि कुछ साल पहले तक डॉगफाइट सिर्फ छोटे मोहल्लों में होती थी लेकिन इसका विस्तार हुआ है और यह महाराष्ट्र और चेन्नई जैसे राज्यों तक जा पहुंचा है. जीतने वाले कुत्ते के मालिक को हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक इनाम में मिल रहा है और आरोप लग रहे हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी पुलिस और प्रशासन इस गैर कानूनी खेलों पर लगाम नहीं कस पा रही है.
श्रीहरन का कहना है कि उन्हें कई बार डॉगफाइट कराने वालों से धमकी मिल चुकी है लेकिन वह देश में बढ़ते इस खतरनाक खेल के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. (dw.com)
मौसमी आपदाएं दुनिया भर में बीमा कंपनियों की हालत खस्ता कर रही हैं. ताजा मामला भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरू का है, जहां करोड़ों रुपये के इंश्योरेंस क्लेम लाइन में हैं.
तीन दिन की भारी बारिश ने भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरू को बाढ़ में डुबो दिया. पांच सितंबर को शुरू हुई बारिश ने बेंगलुरू की बेकार अर्बन प्लानिंग को उजागर कर दिया. पॉश इलाके और दिग्गज आईटी कंपनियों के कॉरिडोर भी बाढ़ से नहीं बच सके. बाढ़ ने आम लोगों के साथ साथ लग्जरी गाड़ियों और घरों को भी नुकसान पहुंचाया. बाढ़ का पानी उतरने के हफ्ते भर बाद अब नुकसान की कीमत आंकी जा रही है.
38 साल की प्रभा देव कहती हैं, "जब भारी बारिश शुरू हुई तो मेरी कार बेसमेंट में खड़ी थी. बीमा कंपनी के स्टाफ ने चार दिन तक कार का सर्वे किया, इंश्योरेंस क्लेम को प्रोसेस करने से पहले वे नुकसान का आंकलन करने के लिए गाड़ी को टो कर गराज ले गए." तब से इंतजार कर रही प्रभा कहती हैं, "चेक करने के बाद मुझे बताया गया कि कार मरम्मत के लायक भी नहीं रह गई है."
ऐसे में बीमा अगर सिर्फ रोड एक्सीडेंट से जुड़ा हो तो एक पाई भी नहीं मिलेगी, क्योंकि बाढ़ के कारण आई मैकेनिकल खराबी किसी हादसे का हिस्सा नहीं हैं. प्रभा अब यही उम्मीद कर रही हैं कि कोई उनकी गाड़ी को किसी तरह ठीक कर दे.
प्रीमियम गाड़ियों का कबाड़
इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि फाइनल एस्टीमेट का पता क्लेम फाइल करने के कुछ हफ्तों बाद ही चलेगा. कई बीमा कंपनियों का कहना है कि उनके पास क्लेम की सैकड़ों रिक्वेस्ट आ चुकी हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ने का अनुमान है.
आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के संजय दत्ता कहते हैं, "प्रीमियम सेगमेंट व्हीकल्स जैसे, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और आउडी जैसी गाड़ियों के हाई वैल्यू क्लेम भी आए हैं. 13 सितंबर तक आए क्लेम के आधार पर अनुमान लगाए तो बेंगलुरू की बाढ़ की प्रीमियम गाड़ियों को ही 100 करोड़ का नुकसान हुआ है." दत्ता कहते हैं कि आने वाले दिनों में महंगी गाड़ियों से जुड़े 100 क्लेम और आने का अनुमान है.
आको जनरल इंश्योरेंस के मुताबिक उसके पास बाढ़ से जुड़े 200 से ज्यादा क्लेम आ चुके हैं. इनमें से 20 फीसदी मामले ऐसे हैं जहां गाड़ियां पूरी तरह बेकार हो चुकी हैं. नाम नहीं बताने की शर्त पर रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि बाढ़ के बाद एक हफ्ते के भीतर उनके पास पांच करोड़ रुपये के क्लेम फाइल किए जा चुके हैं.
बजाज आलियांस के मुताबिक बेंगलुरू में मानसून के चलते प्रापर्टी क्लेमों में 100 फीसदी इजाफा हुआ है. साथ ही मोटर क्लेम भी दोगुने हो गए हैं. ये सारी, भारत की बड़ी बीमा कंपनियां हैं.
जलवायु परिवर्तन और आर्थिक नुकसान
स्विट्जरलैंड की दिग्गज बीमा कंपनी स्विस रे के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से होने वाला नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है. सिर्फ बाढ़ को ही देखें तो 1991 से 2000 के बीच पूरी दुनिया को 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. लेकिन बीते दशक में 2011 से 2020 के बीच अकेले बाढ़ ने 80 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया है.
2021 में जर्मनी के कुछ इलाकों में भीषण बाढ़ आई. जर्मनी की सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में गिनी जाने वाली म्यूनिख रे के मुताबिक, 2021 में दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं के चलते 280 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. वैज्ञानिकों और बीमा कंपनियों का दावा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हर साल नुकसान बढ़ता चला जाएगा. यूरोप, अमेरिका व चीन के सूखे और पाकिस्तान की बाढ़ के कारण 2022 के नौ महीनों में ही नुकसान 280 अरब डॉलर के पार जा चुका है.
महंगा और कई शर्तों वाला बीमा
जर्मनी की आर घाटी में 2021 की बाढ़ ने कुछ बीमा कंपनियों को पांच से सात अरब यूरो का नुकसान पहुंचाया. बाढ़ के बाद देश में नया प्रॉपर्टी इंश्योरेंस महंगा हो गया. बीमा पॉलिसी में कई तरह की शर्तें जुड़ गईं. मसलन, घर की आग, जंगल की आग, बाढ़, ओलावृष्टि, बिजली गिरना आदि आदि. एक दशक पहले तक जो बीमा पॉलिसी काफी कुछ कवर कर लेती थी अब वह विशेष बिंदुओं पर आधारित हो गई है.
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले बरसों में जलवायु संबंधी नुकसान से जुड़ा बीमा महंगा हो जाएगा, फिर भले ही यह प्रॉपर्टी का हो या किसी और चीज का.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एपी)
अजरबाइजान और अर्मेनिया के बीच हुए ताजा संघर्ष में कई दर्जन अर्मेनियाई सैनिक और बड़ी संख्या में अजेरी सैनिकों की मौत हुई है. 2020 में दोनों देशों ने जंग लड़ी थी जिसके बाद इसे अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई कहा जा रहा है.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक दोनों तरफ के कम से कम 100 लोगों की मौत हो चुकी है. दोनों देशों के बीच दक्षिणी काकेशस में मौजूद पूर्व सोवियत देश अर्मेनिया और अजरबाइजान कई दशकों से नागोर्नो काराबाख को लेकर लड़ रहे हैं. नागोर्नो काराबाख एक पहाड़ी इलाका है जो अजरबाइजान का हिस्सा था लेकिन 2020 तक यह जगह अर्मेनियाई लोगों से आबाद और पूरी तरह से उन्हीं के नियंत्रण में थी.
2020 में करीब छह हफ्ते तक चली लड़ाई के बाद अजरबाइजान ने नागोर्नो कारबाख और उसके आसपास के इलाकों पर अधिकार जमा लिया. यह लड़ाई रूस की मध्यस्थता में युद्ध विराम के बाद रुकी हालांकि उसके बाद भी वहां अकसर छोटे छोटे संघर्ष होते रहते हैं. यह हालत तब है जबकि रूसी शांति सैनिकों की वहां तैनाती है.
फिलहाल जो संघर्ष छिड़ा है उसमें अर्मेनिया का कहना है कि कई अर्मेनियाई शहरों पर रात में हमले किये गये हैं. दूसरी तरफ अजरबाइजान का कहना है कि वह अर्मेनिया के उकसावे का जवाब दे रहा है.
अजरबाइजान का कहना है कि वह उकसावे का जवाब दे रहा हैअजरबाइजान का कहना है कि वह उकसावे का जवाब दे रहा है
अभी लड़ाई क्यों हो रही है?
यह समय काफी अहम है क्योंकि इसके पहले अर्मेनिया और अजरबाइजान के बीच समझौता कराने में रूस सबसे ज्यादा असरदार रहा है. रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति पुतिन दक्षिणी काकेशस में हिंसा को रोकने के लिये हर संभव कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि यूक्रेन की लड़ाई ने इलाके में शांति स्थापित करने वाले के रूप में रूस की स्थिति को थोड़ा कमजोर किया है. इस वजह से अजबाइजान को और ज्यादा इलाकों पर अपना दावा करने का मनोबल मिला होगा.
चाथम हाउस थिंक टैंक में रूस और यूरेशिया प्रोग्राम के एसोसियेट फेलो लॉरेंस बोएर्स का कहना है, "मेरे ख्याल से अजरबाइजान में ऐसी भावना उमड़ रही है कि यही समय है जब वह ताकत और अपनी सैन्य बढ़त का इस्तेमाल कर ज्यादा से ज्यादा हासिल कर सकता है."
अजरबाइजान और अर्मेनिया में शांति समझौता कैसा हो इसे लेकर काफी असहमति है. एक तरफ अजरबाइजान नागोर्नो काराबाख के राजनीतिक ओहदे को खत्म कर अर्मेनिया को वहां किसी तरह की भूमिका निभाने से रोकना चाहता है. दूसरी तरफ अर्मेनियाई अधिकारी स्थानीय अर्मेनियाई लोगों के अधिकार सुनिश्चित करना चाहते हैं.
जोखिम क्या है?
अर्मेनिया और अजरबाइजान के बीच एक और युद्ध होने से रूस और तुर्की जैसे बड़ी ताकतों के इसमें उतरने की आशंका है. इसका नतीजा पूरे दक्षिणी काकेशस में अस्थिरता के रूप में सामने आ सकता है. यह इलाका पाइपलाइनों के लिये एक प्रमुख गलियारा है जहां से तेल और गैस की सप्लाई होती है. ऐसे समय में जब यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा की सप्लाई में पहले से ही बाधा आ रही है, एक और सप्लाई लाइन खतरे में घिर सकती है.
रूस का अर्मेनिया के साथ रक्षा गठजोड़ है और वह वहां एक सैन्य अड्डा भी चलाता है. इधर तुर्की अजरबाइजान में तुर्क मूल के लोगों को राजनीतिक और सैन्य समर्थन देता है. अर्मेनिया और अजरबाइजान के बीच जंग और ज्यादा शांति सैनिकों की तैनाती की जरूरत पैदा करेगी. वो भी ऐसे समय में जब रूस उसे मुहैया कराने की स्थिति में नहीं है.
रूस खुद ही एक बड़ी लड़ाई लड़ रहा है और आने वाले दिनों में और उसके लिये उसे आने वाले दिनों में और ज्यादा सैनिकों की जरूरत पड़ सकती है.
यूरोपीय संघ की भूमिका
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस अलग थलग पड़ गया है और इसका असर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिख रहा है. यूरोपीय संघ ने अर्मेनिया और अजरबाइजान के बीच सुलह कराने की कुछ कोशिशें की हैं इनमें शांतिवार्ता, सीमा का परिसीमन और परिवहन मार्गों का खुलना शामिल है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि नये संघर्ष ने दोनों देशों को शांति समझौते के करीब लाने की कोशिशों को ध्वस्त कर दिया है. जॉर्जियन स्ट्रैटजिक एनलासिस सेंटर के विश्लेषक गेला वासाद्जे का कहना है कि ताजा संघर्ष ने, "ब्रसेल्स एग्रीमेंट्स को व्यावहारिक रूप से बेकार कर दिया है. दोनों देशों के लोगों के विचार और कट्टर हो गये हैं."
यूरोपीय संघ की मध्यस्थता में मई और अप्रैल में दोनों देशों की बीच बातचीत हुई थी और दोनों देश भविष्य के लिये शांति समझौते पर आगे की बातचीत करने के लिये रजामंद हुए थे.
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)