ताजा खबर
(अदिति खन्ना)
लंदन, 5 अक्टूबर। यूक्रेन में रूसी हमले के बाद अपने पालतू जगुआर और तेंदुए को वहां छोड़कर देश से बाहर निकलने पर मजबूर हुए एक भारतीय चिकित्सक ने भारत सरकार से उसके पालतू जानवरों को बचाने का आग्रह किया है।
जगुआर कुमार के नाम से जाने जाने वाले डॉ. गिडीकुमार पाटिल ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अपने जगुआर यश और मादा तेंदुए सबरीना को बचाना है।
मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले पाटिल (42) को आय के वैकल्पिक स्रोत की तलाश में देश से बाहर जाना पड़ा था। उन्होंने अपने पालतू जानवरों को पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क में एक स्थानीय किसान के पास छोड़ा है।
कीव में भारतीय दूतावास पाटिल की मदद नहीं कर पाया, जिसके बाद उन्होंने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
पोलैंड के वारसा में रह रहे पाटिल ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘मेरा विनम्र संदेश है कि इन जानवरों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए और उन्हें तत्काल सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सर्वश्रेष्ठ समाधान खोजने पर विचार किया जाए और इस दिशा में तेजी से काम किया जाए।’’
पाटिल ने कहा कि वह अपने पालतू जानवरों के बिछड़ जाने से बहुत दुखी हैं, उन्हें उनकी याद सताती है और उनके कुशल-क्षेम की चिंता होती है, जिसके कारण वह स्वयं को कभी-कभी अवसादग्रस्त महसूस करते हैं।
पाटिल ने इन दोनों जानवरों को करीब दो साल पहले कीव स्थित एक चिड़ियाघर से खरीदा था और वह तभी से उनकी देखभाल कर रहे थे।
पाटिल के यूट्यूब चैनल पर 62,000 सब्सक्राइबर हैं। पाटिल अपने चैनल पर अपने जानवरों से जुड़ी जानकारी देते रहते थे। उनका कहना है कि वह विलुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा में मदद करने के लिए एक प्रजनन परियोजना की खातिर पर्याप्त निधि एकत्र करना चाहते हैं।
बीबीसी के अनुसार, पाटिल को कपड़ों के एक बैग, 100 डॉलर और कुछ हजार रूबल के साथ यूक्रेन छोड़कर जाना पड़ा।
उसने बताया कि पाटिल के पालतू जानवर रोजाना पांच किलोग्राम मांस खाते हैं और युद्ध आरंभ होने के बाद पाटिल को उनके भोजन की व्यवस्था के लिए रोजाना 300 डॉलर खर्च करने पड़ते थे। हालात बिगड़ने पर पाटिल ने उन्हें एक संरक्षक को सौंपकर सीमा पार जाकर धन कमाने और बाद में लौटने का फैसला किया। उन्होंने जानवरों के तीन महीने के भोजन का प्रबंध कर दिया है और उनके संरक्षक को तीन महीने के वेतन के रूप में 2,400 डॉलर दिए हैं। (भाषा)
नोबेल शांति पुरस्कार इस साल किसे मिलेगा इसकी घोषणा शुक्रवार को नॉर्वे के ओस्लो में 11 बजे की जाएगी.
टाइम पत्रिका की वेबसाइट के मुताबिक़, इस बार इस रेस में भारत से फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर का नाम शामिल है.
तीन महीने पहले मोहम्मद ज़ुबैर को भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 295 के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन पर हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगा था.
डायनामाइट के आविष्कारक और स्वीडिश केमिस्ट अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1895 में नोबेल शांंति पुरस्कार को स्थापित किया था. ये पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने मानव जाति को सबसे अधिक फायदा पहुंचाया है.
विजेता का चयन नॉर्वेइयन नोबेल कमेटी करती है जिसमें पांच सदस्य हैं. इस कमेटी को नॉर्वे की संसद नियुक्त करती है.
रॉयटर्स के एक सर्वे के मुताबिक नॉर्वेइयन सांसदों ने इस बार प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर के अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की, बेलारूस की विपक्षी नेता स्वियातलाना सिखानौस्काया, ब्रिटिश नेचर ब्रॉडकास्टर डेविड एटनबरो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, पोप फ्रांसिस, तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे और म्यांमार की नेशनल यूनिटी सरकार को नामित किया है.
2021 के नोबेल शांति पुरस्कार मारिया रेस्सा और दिमित्री मुरातोव को दिया गया था. इन दोनों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के प्रयास करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया था.
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व फलस्तीनी नेता यासिर अराफात, म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची को भी मिल चुका है. (bbc.com/hindi)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अपने संबोधन में सामाजिक समरसता की अपील की है. नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय में अपने वार्षिक संबोधन के दौरान उन्होंने महिलाओं के सशक्तीकरण, जनसंख्या नीति, रोज़गार बढ़ाने और दलितों के साथ भेदभाव बंद करने के साथ ही अल्पसंख्यकों को लेकर विचार ज़ाहिर किए.
भागवत ने कहा कि देश में एक समग्र जनसंख्या नीति बननी चाहिए. ये सब पर समान रूप से लागू होना चाहिए.
भागवत ने बीआर आंबेडकर और महर्षि अरविंदो के विचारों का हवाला दिया और कहा, ''कथित अल्पसंख्यकों में यह डर पैदा किया जा रहा है कि उन्हें हमसे या संगठित हिंदुओं से ख़तरा है.''
उदयपुर और अमरावती में हुई हत्याओं का ज़िक्र करते हुए भागवत बोले, ''यह ख़तरनाक प्रवृति है. इसका अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने भी विरोध किया. लेकिन ये सिर्फ़ अपवाद बन कर ना रह जाए, बल्कि अधिकांश मुस्लिम समाज का ये स्वभाव बनना चाहिए. ''
उन्होंने कहा, ''आरएसएस की ओर से अल्पसंख्यकों से बातचीत कोई पहली बार नहीं है. संघ ने पहले भी ऐसा किया है. डॉ. हेडगेवार के समय से ऐसा चला आ रहा है और गुरुजी ने जिलानी से मुलाक़ात की थी. तब से ही हमारा सभी वर्गों के साथ संवाद चलता रहा है.''
सामाजिक समरसता
उन्होंने कहा- संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, लेकिन सामाजिक समता को लाए बगैर वास्तविक और टिकाऊ बदलाव नहीं आएगा. डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि हमें राजनीतिक स्वतंत्रा तो मिल गई, लेकिन सामाजिक आज़ादी नहीं मिली है.
भागवत ने कहा, ''मंदिर, पानी, श्मशान सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी. ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें ख़त्म करनी होंगी. सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा. हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ़ स्वयं का नहीं.
जनसंख्या नीति
भागवत ने कहा कि देश में एक समग्र जनसंख्या नीति बननी चाहिए. ये सब पर समान रूप से लागू होना चाहिए. उन्होंने देश के डेमोग्राफिक डिविडेंड का ज़िक्र करते हुए कहा, ''70 करोड़ से ज़्यादा युवा हैं हमारे देश में. चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी. हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा. नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोज़गार बढ़ा सकती है?"
रोज़गार
भागवत ने रोज़गार का सवाल उठाते हुए कहा, ''रोज़गार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सरकारी. अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है. बाक़ी सबको अपना काम करना पड़ता है. इसलिए उद्यमिता की प्रवृति बढ़नी चाहिए. देश में स्टार्ट-अप बढ़ रहा है और इसे सरकार भी मदद दे रही है.''
महिलाओं का सशक्तीकरण
भागवत ने अपने भाषण के शुरुआत समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अपील की.
उन्होंने कहा, ''हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने और उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है. जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तीकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है."
भारत की तारीफ़
भागवत ने कहा, ''दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. हमने श्रीलंका को उसके आर्थिक संकट में मदद की. यूक्रेन में अमेरिका और रूस की लड़ाई में हमने अपने हित को सबसे आगे रखा. राष्ट्रीय सुरक्षा में हम लगातार सफल होते जा रहे हैं और स्वावलंबी होते जा रहे हैं. इस नवोत्थान की आहट हम सुन रहे हैं.''
सनातन संस्कृति
संघ प्रमुख ने कहा-सनातन संस्कृति-मेरे भारत की पवित्र भूमि पर जन्मी है, हिमालय से लेकर सागर तक. इसलिए हम सब भारतीयों की ज़िम्मेदारी है कि सनातन संस्कृति उद्घोष, इसका प्रचार पूरे विश्व में, पूरी जागृत अवस्था के साथ स्वयं अपनाएं और मानवकल्याण के लिए इसके प्रचार-प्रसार में जुटना चाहिए.
मोहन भागवत की इमाम से मुलाक़ात पर भड़के ओवैसी, तो कांग्रेस ने दिया न्योता
मोहन भागवत
मातृभाषा में शिक्षा
उन्होंने शिक्षा का ज़िक्र करते हुए कहा, ''मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बननी चाहिए यह अत्यंत उचित विचार है, और नई शिक्षा नीति के तहत उस ओर शासन/ प्रशासन पर्याप्त ध्यान भी दे रहा है. नई शिक्षा नीति के कारण छात्र एक अच्छा मनुष्य बने, उसमें देशभक्ति की भावना जगे, वह सुसंस्कृत नागरिक बने यह सभी चाहते हैं.''
संघ ने इस बार अपने वार्षिक दशहरा कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि बनाया था. दो महीने पहले 'कृषि और समृद्धि' पर संघ के एक कार्यक्रम में इसके सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इसकी बैठकों में महिलाओं की कम भागीदारी पर निराशा ज़ाहिर की थी.
माना जा रहा है कि संघ ने महिलाओं को ख़ुद से जोड़ने के लिए यह क़दम उठाया है.
संतोष यादव को इस कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाने के सवाल पर भागवत ने कहा ''आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है. अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली. वैसे भी हमें आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी.''
संतोष यादव ने क्या कहा?
संतोष यादव ने कहा कि पहले संघ के काम के बारे में जानें फिर उसके बारे में राय बनाएं. '' पूरे विश्व के समाज से मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि वह आए और आरएसएस की कार्यप्रणाली को उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को समझे. कल से जब से मैं नागपुर में आई हूं आरएसएस के एक-एक कार्य को देख रही हूं. वह इतना शोभनीय है और इतना प्रभावित करने वाला है कि सनातन संस्कृति को लेकर विश्वास और पुख्ता हो जाता है. ''
उन्होंने कहा,'' कई बार हम किसी चीज़ के बारे में बिना जाने उसके विरोध में बातें करते हैं. मुझे याद है एक बार मैं जेएनयू में पर्यावरण के उद्बोधन में बच्चों से बात कर रही थी. तब एक बच्चे ने सवाल किया कि हमें रामचरित मानस या भगवत गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है? तब मैंने कहा कि - किसने कहा? मैंने तो चर्चा नहीं की. फिर मेरे मन में एक सवाल उठा. मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने इसे पढ़ा है उसने कहा - नहीं. तब मैंने कहा कि जब आपने पढ़ा ही नहीं है तो इसके प्रति द्वेष क्यों. सनातन संस्कृति ये नहीं सिखाती बिना किसी चीज़ को जाने उसके विरोध में राय बनाई जाए.''
उन्होंने कहा, ''जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है. लेकिन जो काम महिलाएँ कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी.''
हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले की रहने वाली संतोष यादव दो बार एवरेस्ट फ़तह करने वाली पहली महिला हैं. संतोष यादव की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़ उनकी इस उपलब्धि को 1994 के गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शमिल किया गया था. 54 साल की यादव को साल 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 5 अक्टूबर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज विजयादशमी के अवसर पर राजभवन में आयोजित शस्त्र पूजा और हवन में शामिल हुई और देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने राजभवन परिसर में विधिवत् शस्त्र पूजा की। तत्पश्चात् उन्होंने मां भगवती की आरती कर हवन में आहूति भी दी। उन्होंने उपस्थित राजभवन सचिवालय के अधिकारी एवं कर्मचारियों को विजयादशमी और दशहरा पर्व की शुभकामनाएं दी। इस दौरान राज्यपाल ने विजयादशमी की आरती और हवन के लिए विशेष रूप से आमंत्रित गायत्री परिवार के सदस्यों को उपहार भेंट किया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने इस अवसर पर कहा कि असत्य पर सत्य की जीत का यह त्योहार हमें अहंकार और अधर्म का नाश करने की सीख देता है। हमें दशहरे के इस पावन पर्व पर सत्य की राह में चलने का संकल्प लेना चाहिए।
जियो खुलकर नशा मुक्ति अभियान में मोहन नगर पुलिस को बड़ी सफलता
भिलाई नगर, 5 अक्टूबर। दुर्ग जिला पुलिस जियो खुलकर नशा मुक्ति अभियान के तहत नशे के खिलाफ लगातार कार्यवाही कर रही है। आज थाना मोहन नगर पुलिस ने प्रतिबंधित नशीला सीरप बिक्री करते आरोपी आशीष सिंह को गिरफ्तार किया है।उसे 6 कार्टून में नशीली सिरप रखकर बिक्री करते पकड़ा गया है। आरोपी से 1 लाख 12 हजार 654 रूपये का सिरप तथा बिक्री राशि 700 रूपये बरामद हुई है।
थाना प्रभारी मोहन नगर के के बाजपेयी ने बताया कि मंगलवार को मुखबिर से सूचना मिली कि पुराना आमापारा शीतला मंदिर के पास दुर्ग निवासी आशीष सिंह घटनास्थल शीतला मंदिर के पास आमापारा दुर्ग में प्रतिबंधित नशीला सिरप बिक्री कर रहा है। सूचना पर तत्काल जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना से अवगत कराया गया और उनके निर्देशन में टीम गठन बाद घेराबंदी कर संदेही को पकड़ा गया। उससे पूछताछ करने अपना नाम आशीष सिंह पिता शैलेन्द्र सिंह उम्र 27 साल निवासी पुराना आमापारा वार्ड-13 का रहने वाला बताया गया। उसके अधिपत्य में रखी दो सफेद प्लास्टिक बोरी से कार्टून में रखा सिरप जब्त कर लिया गया है। कार्टून के अंदर कोडेन फेनिरामीन मेलिएट सिरप 100 एमएल की कुल 713 नग छोटी प्लास्टक शीशी बरामद की गयी है जिसकी कीमती 1 लाख 12 हजार 654 रूपये है। मौके पर कार्यपालिक दण्डाधिकारी एवं औषधि निरीक्षक बृजराज सिंह को तलब कर संपूर्ण कार्यवाही संपन्न करते हुए आरोपी से बरामद नशीली मादक द्रव्य एवं नगदी रकम को जब्ती पत्रक में दर्शाते हुए जब्त कर कब्जा में लिया गया है। आरोपी के खिलाफ धारा 8, 22 (ग), 27 (क) नारकोटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई कर आज न्यायिक रिमाण्ड पर भेजा गया है। कार्यवाही में उप निरीक्षक दुलेश्वर चन्द्रवंशी, सउनि किरेन्द्र सिंह, आरक्षक ओम प्रकाश देशमुख, ओंकार चन्द्राकर, देवेन्द्र राजपूत की विशेष भूमिका रही।
रायपुर, 5 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने आनलाइन सट्टा और बैटिंग के विज्ञापनों पर रोक लगाने से पहले आडियो विजुअल प्लेटफार्म पर न दिखाए जाने को तैयार सभी राज्यों और चैनलों को एडवाइजरी जारी किया है।
देखें पत्र----------
नवापारा-राजिम, 5 अक्टूबर। सोमवार को अष्टमी हवन पूजन अंचल सहित नगर के सभी दुर्गा पंडालों एवं माता देवालयों में संपन्न हुआ जिसमें प्रमुख रुप से नगर के प्रसिद्ध मां काली मंदिर,शीतला मंदिर, मौली माता,मंदिर लट्ररा पारा दुर्गा उत्सव, सोमवारी बाजार दुर्गा उत्सव समिति, श्री राम जानकी दुर्गा उत्सव समिति,स्टेशन पारा दुर्गा उत्सव समिति, श्री राम जानकी दुर्गा उत्सव समिति,सहित सभी माता दुर्गा पंडालों में अष्टमी हवन संपन्न हुआ पश्चात मंगलवार को ज्योति-जंवारा एवं माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन के लिए माता के भक्तों की भीड़ रही है। भक्तों ने नवमी के मौके पर नम आंखों के साथ मां आदि शक्ति को विदा किया। शारदीय नवरात्र के आठ दिनों के अनुष्ठान के बाद मंगलवार को जब माता के विदाई की बेला आई, तो मां से दूर होने का गम कमोबेश हर भक्तों के अश्रुपूरित आंखें स्पष्ट बता रही थी। इस दौरान श्रद्धालुओं ने काफी मायूसी के साथ माता को विदा कर सुख-समृद्धि और निरोग रहने की कामना की। नगर के शीतला तालाब जाने वाले मार्ग में देवी भक्त एवं नगरवासी मार्ग के दोनों किनारे खड़े होकर जंवारा एवं प्रतिमाओं को देखकर जयकारा लगाते रहे। इस दौरान विभिन्न चौक-चौराहों के पंडालों में विराजित मां दुर्गा की प्रतिमाओं और जंवारा लेकर समिति वाले कतार बद्ध विसर्जन करते रहे। माता के सेवा एवं जसगीत गाते, ढोल-मजीरों के साथ एक तरफ जहां सेऊक झूप रहे थे, तो दूसरी ओर सिर पर जंवारा लिए युवतियों-महिलाओं की टोली कतारबद्ध होकर चल रही थी। बीच-बीच में कई ऐसे देवी मां के भक्तिन युवतियां एवं महिलाएं थी, जो इस दौरान जमीन पर लेटकर अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे थे। जंवारा और कलश लिए महिलाओं की टोली इनके ऊपर से पार होकर जा रही थी। देवी मां के भक्त और गालों में बाना लिए व्रती झूमते हुए चल रहे थे। तालाब के जिस घाट में विसर्जित करने की परंपरा रही है, उसी के अनुरूप एक-एक कर प्रतिमाओं तथा जंवारा को विसर्जन किया जा रहा था। शीतला तालाब मार्ग पर कई जगह ठंडा पेय और शुद्ध पानी का इंतजाम माता के भक्तों ने कर रखा था। काली माता मंदिर के पास अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू अपने समर्थकों के साथ सभी देवी प्रतिमाओं और जवारा का फूलों की बरसा कर स्वागत किया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एवं सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के जवानों की विशेष ड्यूटी तालाब मार्ग पर लगाई गई थी।
रायपुर, 5 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विजयादशमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया। आरएसएस प्रांत संगठन ने रायपुर में शस्त्र पूजन किया। इसके अलावा शहर के 14 अलग-अलग जगहों में स्वयं सेवकों ने पथ संचालन भी किया।
खम्हारडीह के शासकीय शाला में आयोजित कार्यक्रम में निर्धारित गणवेश में वाद्य यंत्रों की धुन पर पथ संचालन हुआ। बता दें कि आरएसएस के लिए विजयदशमी खास होती हैं क्योंकि संघ की स्थापना ही इस दिन हुई थी।
राजिम, 5 अक्टूबर। गायत्री शक्तिपीठ राजिम में नवरात्रि के पावन अवसर पर सबके सद्बुद्धि एवं उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए गायत्री महामंत्र एवं महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दी गई।
पांच कुंडीय गायत्री यज्ञ में आहुति देने के लिए गायत्री शक्तिपीठ में राजिम नगर के सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित हुए। कार्यक्रम में पधारे पूर्व सांसद एवं गायत्री शक्तिपीठ राजिम के संरक्षक चंदूलाल साहू भी उपस्थित रहे।मुख्य प्रबंध ट्रस्टी श्रीमती चंद्रलेखा गुप्ता ने गायत्री शक्तिपीठ में चल रहे हैं विभिन्न संस्कारों एवं रचनात्मक कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सबको बधाई दी साथ ही प्रतिदिन होने वाले सुबह के यज्ञ में आने एवं विभिन्न संस्कार निशुल्क कराने जानकारी दी। नवरात्रि के प्रथम दिवस से ही 10 से 15 जोड़ा दांपत्य प्रतिदिन यज्ञ में शामिल हो रहे थे साथ ही साथ लगभग 8 भाई - बहनों का जन्मदिवस एवं पुंसवन संस्कार भी किया गया।कार्यक्रम के अंत में इकाई प्रमुख राम कुमार साहू ने आभार व्यक्त किया।
आज के कार्यक्रम में विशेष रुप से गायत्री शक्तिपीठ राजिम के संरक्षक विक्रम मेघवानी, ट्रस्टी श्रीमती दीपा साहू ,संतराम ध्रुव, राम नारायण यदु, पवन गुप्ता ,अशोक शर्मा,मोती राम साहू कमल नारायण साहू ,विकास शर्मा ,सुभाष शर्मा ,राजेंद्र पांडे,अनुशासन साहू,शेख लाल साहू जागृति शैलेंद्र साहू, श्रीमती सीताराम कुमार साहू श्रीमती गीतांजली खिलेश्वर साहू, मां भगवती महिला मंडल की बहने, यज्ञ कर्ता - परिवाजक हरिशंकर सिन्हा, हीरा हिरवानी ,तुला राम साहू उपस्थित रहे। कार्यक्रम में लगभग 140 भाई- बहनों की उपस्थिति रही।
रायपुर, 5 अक्टूबर। मंगलवार शाम को राजधानी में एक बार फिर बारिश हुई। इससे तापमान में थोड़ी तरावट रही। वहीं दशहरे के मौके पर भी पानी फिर सकता है।वेदर बुलेटिन के मुताबिक प्रदेश में बुधवार को अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वज्रपात तथा भारी वर्षा होने की संभावना है।
बुधवार बारह बजते ही बदली छाने लगी और गर्जना भी। शाम तक बरसने की भविष्यवाणी भी है।
दूसरी तरफ एक निम्न दाब का क्षेत्र पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी-तटीय आंध्र प्रदेश के ऊपर स्थित है तथा इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका निम्न दाब के केंद्र से उत्तर प्रदेश तक छत्तीसगढ़ होते हुए 3.1 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है।
ग्रामीणों ने देखा सुबह, पुलिस को दिया सूचना, पीएम के बाद होगा खुलासा
जगदलपुर, 5 अक्टूबर। परपा थाना क्षेत्र के लामनी व सरगीपाल के पास एक पुल के नीचे एक युवक का शव देखा गया, सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर आ पहुँची। प्रथम दृष्टया मामले को हत्या से जोड़ा जा रहा है, वही पुलिस का कहना है कि पीएम के बाद ही खुलासा होगा कि हत्या है कि नही।
मामले के बारें में बताया गया कि सरगीपाल व लामनी के बीच पड़ने वाले एक पुल के नीचे 30 वर्षीय युवक का शव ग्रामीणों ने देखा, ग्रामीणों का कहना है कि वे जब शौच के लिए जा रहे थे तब उन्होंने शव को देखने के बाद गाँव मे सूचना दिया। जहाँ शव मिलने की जानकारी लगते ही गाँव के लोगों ने परपा पुलिस को मामले के बारे में बताया वही घटनास्थल आ पहुँचे। शव की शिनाख्त शांतिनगर निवासी मोनो बारात के रूप में की गया है, पुलिस घटनास्थल की जांच कर रही है। वही मृतक के परिजनों से पूछताछ भी कर रही है। वही आसपास के लोगों से यह भी जानने का प्रयास कर रहे है कि आखरी बार इस युवक को यहां किसी के साथ देखा गया था क्या, पुलिस शव को मेकाज भिजवा रही है। जहां पीएम के बाद ही मामले की और जानकारी मिलने की बात सामने आएगी।
इस मामले में नगर पुलिस अधीक्षक हेमसागर सिदार का कहना है कि शव मिला है, लेकिन उसकी हत्या हुईं है यह अभी नही कहा जा सकता है, शव के पीएम के बाद ही मामले का खुलासा हो पायेगा, तबतक पुलिस जांच में लगी हुई है।
- ग्राहकी में उलझे ज्वेलर्स की नजरें बचा उड़ा दिया पूरा पत्ता
- सोने का झुमका लेने पहुंची थीं 45 हजार की चपत दे गईं
- नहीं जानती थीं कि सीसीटीवी कैमरा उन्हें कर लेगा कैद
भिलाई नगर, 5 अक्टूबर। भिलाई के एक ज्वेलरी शाॅप से दो अज्ञात महिलाएं दिनदहाडे़ 25 नग सोने की फुल्ली चोरी कर धीरे से निकल भागी हैं। घटना के समय ज्वेलर्स अन्य ग्राहकों को गहने दिखा रहा था तभी ग्राहक बन शाॅप में पहुंची दोनों महिलाएं हाथ साफ कर निकल जरूर गई हैं लेकिन उनकी यह चोरी की कारस्तानी शाॅप में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार कैलाश नगर कुरूद स्थित काॅकन ज्वेलर्स के संचालक 31 वर्षीय रामकुमार सिंह निवासी सन मैरिज पैलेस के बाजू कैलाश नगर की ज्वेलरी शाॅप कुरूद रोड पर है। शनिवार को दुकान में सुबह करीब पौने 12 बजे दो अज्ञात महिला दुकान में आई। इस दौरान अन्य ग्राहक भी पहले से मौजूद थे। महिलाओं ने इसी दौरान सोने के कान की बाली, झुमका, टाप्स दिखाने कहा। ज्वेलर्स ने उन लोगो को बोला कि थोड़ा बैठिए, ग्राहक को सामान दिखा रहा हूं खाली होते ही आपको दिखा रहा। उसी दौरान शाॅप में रखे कागज के पत्ते में लगे 25 नग वाली सोने की फुल्ली की ट्रे वो दोनों देखने लगी। फ्री होते ही दुकानदार ने उन्हें कान के गहने दिखाए मगर कुछ पसंद न आने और जल्दी की वजह से बाद में आने की बात कहते हुए दोनों शाॅप से निकल गईं।कुछ देर बाद राजकुमार जब ज्वेलरी सेट करने लगे तो उनको गहने कम लगे। तस्दीक के लिए उन्होंने सूची मिलाई तो सोने की 25 नग नाक की फुल्ली का एक पूरा पत्ता नहीं था। राजकुमार ने बताया कि 25 नग सोने की फुल्ली का कुल वजन 7.5 तथा कीमत 45 हजार रुपये है। उन्होंने दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरा को चेक किया तो दोनों अज्ञात महिलाओं का फुटेज सामान को चोरी कर ले जाते हुए दिख रहा है। पतासाजी के बाद ज्वेलर्स ने जामुन थाना पहुंच घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाया है। एएसआई पीसी यादव ने बताया कि इस मामले में धारा 34 और 380 के तहत जुर्म पंजीबद्ध कर जामुल पुलिस फुटेज के आधार पर दोनों महिलाओं की तलाश में जुटी है। जल्द आरोपी महिलाओं की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा।
रायपुर, 5 अक्टूबर। सीएम भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास में विजयादशमी पर्व के पावन अवसर पर शस्त्र पूजा की। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों-कर्मचारियों सहित प्रदेशवासियों को विजयादशमी पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दीं। ये शस्त्र सीएम सुरक्षा बल के जवानों के है।इस मौके पर सीएम सुरक्षा प्रखर पांडे, एएसपी सुशील डेविड समेत सभी जवान मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है। यह पर्व हमें अपने अहंकार तथा बुराई को समाप्त कर अच्छाई तथा सत्य की राह पर चलने की सीख देता है।
रायपुर, 5 अक्टूबर। सीएम भूपेश बघेल ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में रानी दुर्गावती की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया । श्री बघेल ने कहा कि गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती साहस और वीरता की प्रतीक हैं। वह भारतीय नारी की दृढ़ इच्छाशक्ति और शौर्य को रेखांकित करती हैं। उन्होंने पति की मृत्यु के बाद धैर्य और कुशलता के साथ अपने साम्राज्य को सम्हाला और सम्पन्न बनाया। मातृभूमि की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये। उनके शौर्य और बलिदान ने उन्हें अमर और चिरस्मरणीय बना दिया है।
राज्यपाल ने भी नमन किया
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने रानी दुर्गावती के जयंती पर उन्हें नमन किया है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि रानी दुर्गावती एक महान वीरांगना थी, जिन्होंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। उनका पूरा जीवन समाज के लिए प्रेरणादायी है। उनसे हमें धैर्य, शौर्य और साहस की सीख मिलती है।
नगर पंचायत खोंगापानी में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का मामला
बिलासपुर, 5 अक्टूबर। मनेंद्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी जिले के खोंगापानी नगर पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव पर लगाई गई अंतरिम रोक पर स्थगन देने के खिलाफ लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट की अवकाशकालीन स्पेशल डिवीजन बेंच ने खारिज कर दी।
नगर पंचायत अध्यक्ष धीरेंद्र विश्वकर्मा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर कार्रवाई करते हुए एसडीएम ने 26 सितंबर को 7 अक्टूबर को मतदान के लिए पार्षदों को नोटिस जारी की थी। इस आदेश को अध्यक्ष ने सिंगल बेंच में रिट पिटीशन लगाकर चुनौती दी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मतदान पर 10 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी। कोर्ट ने प्रतिवादियों और एसडीएम को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सिंगल बेंच के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील कर अर्जेंट हियरिंग की मांग की गई। दशहरा अवकाश के चलते इसकी सुनवाई जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की स्पेशल डिवीजन बेंच में बुधवार को की गई। बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगाने से इंकार कर दिया कि यह अंतरिम आदेश है कोई निर्णय नहीं आया है, इसलिए अपील स्वीकार नहीं की जाएगी।
मुंबई, 5 अक्टूबर। मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक पर बुधवार तड़के एक कार सड़क पर खड़ी तीन कार और एक एम्बुलेंस से टकरा गई, जिसके कारण पांच लोगों की मौत हो गई और आठ अन्य लोग घायल हो गए।
यह हादसा पश्चिमी उपनगर के बांद्रा को दक्षिण मुंबई के वर्ली से जोड़ने वाले सी लिंक पुल पर खंभा संख्या 76 और 78 के बीच तड़के करीब तीन बजे हुआ।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस हादसे में लोगों की मौत होने पर शोक व्यक्त किया।
पीएमओ ने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा, ‘‘मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक पर हुए हादसे में लोगों की मौत होने से दुखी हूं। शोकसंतप्त परिजन के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हादसे की जांच के दौरान पता चला कि पहले एक कार पुल पर बने डिवाइडर से टकरा गई, जिसके बाद उसकी सहायता के लिए एक एम्बुलेंस को भेजा गया।
उन्होंने बताया कि दो अन्य कार चालकों ने मदद करने के लिए अपने वाहन रोके।
अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान पीछे से आ रही एक अन्य कार ने सड़क पर खड़ी तीनों कार और एम्बुलेंस को टक्कर मार दी।
उन्होंने बताया कि एक महिला और सी-लिंक के एक कर्मचारी समेत 13 घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जिनमें से पांच लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि छह घायलों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज जारी है। उन्होंने बताया कि दो अन्य लोगों को मामूली चोटें आई हैं और उन्हें उपचार के बाद घर जाने की अनुमति दे दी गई। (भाषा)
भाजपा सांसद साव का नाम सबसे ऊपर
नगर निगम के रावण दहन समारोह में फिर सामने आई कांग्रेस गुटों में वर्चस्व की लड़ाई
बिलासपुर, 5 अक्टूबर। नगर निगम के दशहरा उत्सव में विधायक शैलेष पांडेय अतिथि तो होंगे पर एक दर्जन अन्य अतिथियों के साथ। इसके साथ ही विधायक को मुख्य अतिथि बनाने की 26 साल पुरानी परंपरा कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के चलते टूट गई। आमंत्रितों की सूची में सबसे ऊपर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद अरुण साव का नाम रखा गया है।
नगर निगम की ओर से स्थानीय पुलिस ग्राउंड में सन् 1996 से तत्कालीन महापौर राजेश पांडेय के कार्यकाल में रावण दहन की परंपरा शुरू की गई थी। नगर-निगम की मेयर इन कौंसिंल से यह प्रस्ताव तब पारित किया गया था कि समारोह के मुख्य अतिथि शहर विधायक होंगे। इस परम्परा की शुरुआत कराने वाले स्व. बीआर यादव को विधायक रहते हुए तो रावण दहन का अवसर मिला पर उसके बाद जब अमर अग्रवाल विधायक निर्वाचित हुए तो उन्होंने लगातार 20 सालों तक इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए रावण दहन किया।
बिलासपुर में कांग्रेस नेताओं के बीच गुटबाजी चरम पर है। यहां छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव का गुट विधायक शैलेष पांडेय पर भारी पड़ता है। जिले व शहर के प्रमुख पदों पर उनके पसंद के पदाधिकारी ही हैं। यह भी दिलचस्प है कि शहर विधायक होने के बावजूद पांडेय को अब तक एक भी बार गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडारोहण का मौका नहीं मिला है।
कुछ दिन पहले जब नगर निगम सभापति नजीरुद्दीन ने मीडिया को बताया कि वित्तीय संकट के चलते इस बार परेड ग्राउंड में दशहरा उत्सव नहीं रखा जाएगा, तब विवाद खड़ा हो गया। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल व कांग्रेस के कई नेताओं ने इस फैसले को गलत बताया। भाजपा पार्षद दल ने परेड ग्राउंड में रावण दहन की अनुमति भी जिला प्रशासन से मांगी। इधर विधायक शैलेष पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पंडरिया के कार्यक्रम में मुलाकात की और परेड ग्राउंड की परंपरा जारी रखने के लिए कलेक्टर को निर्देश देने की मांग की। इसके बाद नगर निगम का पूरा अमला परेड ग्राउंड में रावण दहन की तैयारियों में जुट गया।
महापौर रामशरण यादव ने सभापति नजीरुद्दीन के बयान से बचते हुए कहा कि रावण दहन स्थगित करने का फैसला किसी ने लिया ही नहीं है, सभापति ने क्या कहा उनको पता ही नहीं, हम तो तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद लोगों में जिज्ञासा थी कि क्या विधायक शैलेष पांडेय मुख्य अतिथि होंगे?
मंगलवार शाम को नगर निगम की ओर से सूचित किया गया कि इस कार्यक्रम में 12 अतिथि होंगे। इसमें सांसद अरुण साव, संसदीय सचिव व तखतपुर विधायक रश्मि सिंह, विधायक शैलेष पांडेय, महापौर रामशरण यादव, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर, पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, नगर निगम के सभापति शेख नजीरुद्दीन, नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी, मछुआ कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र धीवर तथा राज्य युवा आयोग के सदस्य रविंद्र सिंह ठाकुर शामिल किए गए हैं।
इस सूची में अन्य अतिथियों के बीच शहर विधायक शैलेष पांडेय को मुख्य अतिथि न बनाकर अन्य अतिथियों के साथ नाम रखने की न केवल कांग्रेस में बल्कि शहर में चर्चा हो रही है। लोग इसे कांग्रेस की गुटबाजी का नतीजा बता रहे हैं। लंबी सूची बनाकर सबको संतुष्ट रखने का प्रयास जरूर किया गया है लेकिन इसमें नगर निगम क्षेत्र के तीन भाजपा विधायकों को शामिल नहीं करने पर विवाद खड़ा हो गया है। सूची में तखतपुर की कांग्रेस विधायक शामिल हैं, पर बेलतरा, मस्तूरी व बिल्हा के विधायक नहीं हैं। इन तीनों जगहों पर भाजपा के विधायक क्रमशः रजनीश सिंह, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी और धरमलाल कौशिक हैं। बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि बेलतरा के 17 वार्ड नगर निगम बिलासपुर में आते हैं। यहां के विधायक को हर बार दशहरा में आमंत्रित किया जाता था लेकिन इस बार नहीं किया गया। यह कांग्रेस की आपसी लड़ाई का परिणाम है।
मुख्य बातें:
- पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहा है
- अब तक अमेरिका पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर कहता था
- शहबाज़ शरीफ़ के आने के बाद से अमेरिका से संबंध में मधुरता बढ़ती दिख रही है
- अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कश्मीर को लेकर अमेरिका का रुख़ बदला है या राजदूत ने यूँ ही आज़ाद जम्मू-कश्मीर कह दिया
पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डोनल्ड ब्लोम चार अक्तूबर को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद गए थे.
यहाँ वे पाकिस्तान-यूएस अलमनाई के सदस्यों के साथ एक बैठक में शामिल हुए थे. इस बैठक को लेकर पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया है, जिसमें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को आज़ाद जम्मू-कश्मीर लिखा गया है.
कहा जा रहा है कि अब तक अमेरिका पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर कहता था, लेकिन अचानक से उसने आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहा है.
अमेरिकी दूतावास ने अपने ट्वीट में लिखा था, ''राजदूत ब्लोम ने पाकिस्तान यूएस अलमनाई के सदस्यों का मुज़फ़्फ़राबाद की बैठक में स्वागत किया. यह दुनिया का सबसे बड़ा अमेरिकी अलमनाई प्रोग्राम है. आज़ाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान-यूएस अलमनाई नेटवर्क के 950 सदस्य हैं. हमें इस अलमनाई के जुनून पर गर्व हैं. ये अमेरिका-पाकिस्तान के संबंध को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.''
पाकिस्तान के लोग अमेरिका की ओर से पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहने का स्वागत कर रहे हैं, वहीं भारत के लोग नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं.
क्या हैं मायने?
भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने अपने वीडियो ब्लॉग में मंगलवार को कहा, ''यह दिलचस्प है कि डोनल्ड ब्लोम ने आज़ाद जम्मू-कश्मीर को आज़ाद-जम्मू कश्मीर ही कहा है. भारत का मीडिया इससे नाराज़ है कि पहले तो ब्लोम ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया और फिर से उसे आज़ाद जम्मू-कश्मीर भी कह दिया.''
अब्दुल बासित कहते हैं, ''भारत के लोग नाराज़ हैं कि डोनल्ड ब्लोम ने पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर क्यों नहीं कहा. मुझे लगता है कि भारत के विदेश मंत्रालय का भी इस पर बयान आएगा. लेकिन हमारे लिए सोचने की बात है कि अमेरिकी राजदूत ने आज़ाद जम्मू-कश्मीर टर्म क्यों इस्तेमाल किया? आम तौर पर अमेरिका आधिकारिक रूप से पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर कहता रहा है. वह भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर को भी भारत प्रशासित कश्मीर कहता है. मुझे लगता है कि अमेरिका का आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहना, उसकी पॉलिसी में एक तरह की तब्दीली है. मुझे लगता है कि अभी इस इलाक़े में जो हालात बन रहे हैं, उसे लेकर अमेरिका की दिलचस्पी है.''
अब्दुल बासित के अनुसार, ''वैश्विक हालात बदल रहे हैं. अमेरिका की शायद ख़्वाहिश यही है कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते पटरी पर आने चाहिए. या फिर अमेरिका चीन के उभार के काउंटर में पाकिस्तान को भी साथ लेना चाहिए. इस हवाले से देखा जाए तो अमेरिका कश्मीर के मामले में यथास्थिति बनाए रखने वाला समाधान का पक्षधर है. पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने भी लाइन ऑफ कंट्रोल को अस्थायी रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाने का प्रस्ताव रखा था. फिर 10-15 साल बाद समीक्षा की जाए और स्थायी समाधान की ओर बढ़ा जाए. इस प्रस्ताव को लेकर भारत के साथ वार्ता भी हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.''
अब्दुल बासित कहते हैं, ''यह देखना होगा डोनल्ड ब्लोम ने जो आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहा है, इसके पीछे कोई बड़ा खेल है या यूँ ही कह दिया.''
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल ने अमेरिकी राजदूत के ट्वीट में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को आज़ाद जम्मू-कश्मीर कहने पर कड़ी आपत्ति जताई है.
कंवल सिब्बल ने अमेरिकी राजदूत के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ''भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का क्षेत्र है. हमने इसीलिए चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का विरोध किया था क्योंकि यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन करता है. इस बात से अमेरिका वाकिफ रहा है लेकिन वह इसे आज़ाद जम्मू-कश्मीर कह रहा है. क्या अमेरिकी राजदूत को मामले की पूरी जानकारी नहीं है या उन्हें बताया गया है कि अमेरिका अब इसे विवादित इलाक़ा नहीं मानेगा?''
बदल रही है हवा?
इमरान ख़ान के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में सरगर्मी बढ़ती नज़र आ रही है. 31 जुलाई को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन अल-क़ायदा के प्रमुख अल ज़वाहिरी को काबुल में एक सुनियोजित ऑपरेशन में मार दिया था.
इस ऑपरेशन में पाकिस्तान से मदद मिलने की बात कही जा रही है. इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ़-16 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने के लिए 45 करोड़ डॉलर के पैकेज की घोषणा की थी. इन हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए कहा जा रहा है कि एक अंतराल के बाद फिर से अमेरिका और पाकिस्तान की क़रीबी बढ़ रही है.
जब इमरान ख़ान सत्ता में थे, तो उन्होंने पाकिस्तान में अमेरिका विरोधी मुहिम छेड़ रखी थी. इस वजह से दोनों देशों के संबंध पटरी से उतर गए थे. इमरान ख़ान ने अपनी सरकार गिराने का आरोप भी अमेरिका पर ही लगाया था. अब जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और बाढ़ की आपदा से जूझ रहा है तो अमेरिका मदद के लिए सामने आ रहा है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा भी अमेरिका के दौरे पर हैं.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एफ-16 के लिए पैकेज देने पर चिंता ज़ाहिर कहते हुए कहा था कि उन्होंने अमेरिका को इस मामले में अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है.
पाकिस्तान के पास कितना कश्मीर
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित बल्तिस्तान जम्मू और कश्मीर रियासत के ही हिस्से थे.
मौजूदा दौर में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पास 5134 वर्ग मील यानी क़रीब 13 हज़ार 296 वर्ग किलोमीटर इलाक़ा है.
इसकी सरहदें पाकिस्तान, चीन और भारत प्रशासित कश्मीर से लगती हैं. मुज़फ़्फ़राबाद इसकी राजधानी है और इसमें 10 ज़िले हैं.
वहीं गिलगित बल्तिस्तान में 28 हज़ार 174 वर्ग मील यानी करीब 72 हज़ार 970 वर्ग किलोमीटर इलाक़ा है.
गिलगित बल्तिस्तान में भी दस ज़िले हैं. इसकी राजधानी गिलगित है. इन दोनों इलाकों की कुल आबादी 60 लाख के करीब है और लगभग पूरी आबादी मुसलमान है.
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. बीते दशक में इस इलाके में आए भूकंप के बाद ह्यूमन राइट्स वाच ने एक रिपोर्ट तैयार की थी.
रिपोर्ट में दावा किया था, "आज़ाद कश्मीर में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाकिस्तान सरकार की ओर से कड़ा नियंत्रण है. नियंत्रण की ये नीति चुनिंदा तरह से इस्तेमाल की जाती है. पाकिस्तान स्थित ऐसे चरमपंथी संगठन जो जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की हिमायत करते हैं, उन्हें खुली छूट हासिल है. ख़ासकर 1989 से. वहीं, कश्मीर की आज़ादी बात करने वालों को दबाया जाता है."
भारत के विभाजन और पाकिस्तान के अलग देश बनने के पहले जम्मू कश्मीर डोगरा रियासत थी और इसके महाराजा हरि सिंह थे.
अगस्त 1947 में पाकिस्तान बना और क़रीब दो महीने बाद करीब 2.06 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली जम्मू कश्मीर की रियासत भी बँट गई.
इसके बाद के 72 सालों में यानी अब तक दुनिया काफी बदल गई है.
जम्मू कश्मीर की लकीरों में भी बदलाव आया है लेकिन नहीं बदली है तो इसे लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तब से शुरू हुई तनातनी और खींचतान.
दोनों देश जम्मू और कश्मीर पर अपना हक़ जताते हैं और इसके लिए कई बार मैदान-ए-जंग में भी उतर चुके हैं. (bbc.com/hindi)
विजयादशमी के अवसर पर बुधवार को उत्तराखंड के चमौली ज़िले के औली मिलिट्री स्टेशन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा की.
इस मौक़े पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी मौजूद थे.
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि ‘हमें विश्वास है कि हमारा देश हमारे सशस्त्र बलों के सुरक्षित हाथों में है. हमारे शस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों के जवान हमारे देश का गौरव हैं. भारत इकलौता देश है जहां पर शस्त्रों की पूजा की जाती है.’
समाचार एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें राजनाथ सिंह पूजा कर रहे हैं. वहीं दूसरे ट्वीट में एक जवान देशभक्ति गीत गा रहा है. (bbc.com/hindi)
साइना और पीवी सिंधु जैसी खिलाड़ियों के टक्कर में खुद को किया तैयार
भिलाई नगर, 5 अक्टूबर। दुर्ग जिले की आकर्षी कश्यप ने महिलाओं के बैडमिंटन सिंगल्स मुकाबले में सेमीफाइनल में जगह बना ली है। यह मुकाबला गांधीनगर गुजरात में चल रहा है।मुकाबले में स्टार शटलर कामनवेल्थ मेडलिस्ट आकर्षी कश्यप ने क्वॉर्टर फाइनल में नेहा पंडित को हराया है। आकर्षी ने प्री क्वॉर्टर में तंसीम मीर को 21-17, 21-14 और क्वॉर्टर फाइनल में नेहा पंडित को 21-14, 16-21, 21-18 से हराया है। दो महीने पहले अगस्त महीने में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन की नई सनसनी बनी आकर्षी ने सिल्वर मेडल जीतकर पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया था। इस मुकाबले के बाद दुर्ग जिले में उनका जोरदार स्वागत हुआ था। उनका लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड जीतना है। उसके लिए वो पूरी मेहनत कर रही हैं।महिलाओं के बैडमिंटन सिंगल्स में सेमीफाइनल में जगह बनाना ओलंपिक की आगाज है। आकर्षी अपने लक्ष्य को पाने के लिए रोजाना 6-7 घंटे प्रैक्टिस करती हैं। सिल्वर मेडल जीतकर देश के साथ प्रदेश का नाम रोशन करने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षी कश्यप भारत में नंबर एक और दुनिया में 57 वें स्थान पर हैं। 21 वर्षीय आकर्षी कश्यप ने ब्रिटेन के बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में शानदार प्रदर्शन कर उन्होंने अपने आपको साइना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसी खिलाड़ियों के टक्कर में ला खड़ा किया है। आकर्षी ने 9 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया और आज इस पायदान पर पहुंची हैं। आकर्षी की उपलब्धियों की बात करें तो अंडर 15 सिंगल्स नेशनल चैंपियन, अंडर 17 और 19 सिंगल्स में दो बार नेशनल चैंपियन जैसे खिताब उनके खाते में हैं। साथ ही उन्होंने खेलो इंडिया में गोल्ड मेडल, एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल और बहरीन इंटरनेशनल चैलेंज में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। आकर्षी अब तक कुल 50 गोल्ड मेडल, 23 सिल्वर मेडल, 15 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।
निगम के प्रेस विभाग और फिल्टर प्लांट में हुई दशहरे पर पूजा
रायपुर, 5 अक्टूबर। रायपुर नगर निगम के प्रेस विभाग और फिल्टर में आज दशहरे के अवसर पर औजारों की पूजा की गई। जिसमें महापौर एजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे तथा एमआईसी सदस्य रितेश त्रिपाठी ने भी मशीनों की पूजा कर दशहरे की सभी को बधाई दी।
निगम के प्रेस विभाग तथा फिल्टर प्लांट में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दशहरे पर मशीनों और औजारों की पूजा की गई। महापौर श्री ढेबर, सभापति श्री दुबे तथा एमआईसी सदस्य श्री त्रिपाठी सुबह 11 बजे सबसे पहले प्रेस विभाग पहुंचे और पूजा अर्चना कर शहर वासियों को दशहरे की बधाई दी। इसके बाद वे फिल्टर प्लांट में आयोजित पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए।
रायपुर, 5 अक्टूबर। देर से मिली जानकारी अनुसार खारुन नदी पर उरला के बेंद्री एनीकट में एक नाबालिग लड़का पानी के तेज बहाव में बह गया है। वह अपने चार दोस्तों के साथ एनीकेट में नहाने गया था। घटना की सूचना मिलने पर एसडीआरएफ की टीम स्थानीय गोताखोरों के साथ उसकी तलाश कर रही है।
मंगलवार दोपहर को 2 बजे रंजीत अपने चार दोस्तों के साथ नहाने गया था। इसी दौरान नदी में नहाते समय पानी के बहाव में बह गया। उसके दोस्तों ने गहरे पानी में फिसलते हुए देखा। नहाने गए तीनो लड़कों का कहना है कि पानी का बहाव तेज था इसलिए मदद नहीं कर पाए। नाबालिग के पानी में जाने के बाद बाकी तीनो लड़के चुपचाप घर आ गए।
तभी मोहल्ले वालों ने रंजीत के पिता को बताया कि उनका लड़का नहाने गया था बाकी लोगों के साथ मगर अभी नहीं दिख रहा है, और वह शायद नदी में डूब गया है। लड़के के पिता को लगभग 5:00 बजे उसके लापता होने की सूचना मिली। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई लेकिन सूरज डूबते तक एसडीआरएफ की टीम मौके पर नहीं पहुंची।
-सलमान रावी
गरबा नवरात्र के दौरान होने वाला आयोजन है जिसका नाम सुनते ही आपके दिमाग़ में गुजरात का खयाल आता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में रात में होने वाले नाच-गान के इस आयोजन की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ी है.
अब यह केवल गुजरात तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि ग़ैर-गुजराती भी इसे काफ़ी धूम-धाम से मनाने लगे हैं, ये आयोजन महाराष्ट्र में तो लंबे समय से होते रहे हैं लेकिन गुजरात के पूर्वी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में भी गरबा की धूम रहती है.
गुजरात में पिछले कई वर्षों से गरबा के दौरान सांप्रदायिक तनाव की घटनाएँ अक्सर सामने आती हैं, कई जगहों पर ऐसी ख़बरें आती हैं कि मुसलमान युवाओं को शामिल होने से रोका गया.
इसी तरह मध्य प्रदेश की सरकार ने नवरात्र के शुरू होने से पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि इन नौ दिनों के दौरान जिन स्थानों पर गरबा का आयोजन होगा, वहाँ प्रवेश बिना पहचान-पत्र के नहीं हो सकेगा.
ये सरकारी निर्देश था और इसका पालन गरबा के आयोजकों ने किया. बावजूद इसके राज्य में उज्जैन और इंदौर दो ऐसे प्रमुख स्थान रहे, जहाँ गरबा स्थल पर प्रवेश करने वाले या उसका प्रयास करने वालों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया.
इस बारे में राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश भर के ज़िला प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए थे, जिसके बाद भोपाल, इंदौर, उज्जैन और लगभग सभी जिलों में बिना पहचान-पत्र के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई थी.
कई मुस्लिम युवकों को पकड़ा गया
इंदौर और उज्जैन में लगभग 14 मुस्लिम युवकों को गरबा के आयोजन स्थलों में प्रवेश करते हुए पकड़ा गया और प्रवेश द्वार पर मौजूद कार्यकर्ताओं के साथ उनकी हलकी झड़प भी हुई. लेकिन इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया और सभी को बाद में छोड़ दिया गया.
राज्य के गृह मंत्री ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि नवरात्र के दौरान स्थापित किए गए पंडालों के पास सामान बेचने वालों पर कोई निर्देश नहीं दिए गए थे क्योंकि बाहर कोई भी अपने सामान बेच सकते हैं. सरकार का निर्देश सिर्फ़ गरबा आयोजन में प्रवेश को लेकर ही था.
समाज के कई खेमों से सरकार के इस निर्देश की आलोचना के स्वर भी उठे. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना था कि त्यौहार सब के लिए मिलजुल कर मनाने का अवसर होता है जिसकी ख़ुशियों में सबको शामिल होना चाहिए.
लेकिन गृह मंत्री ने इन सवालों के जवाब में कहा कि "जिसको आस्था है वो अपने अपने समाज में अलग से गरबा का आयोजन कर लें जिससे एक अच्छा संदेश भी जाएगा. लोग गरबा के आयोजन स्थलों में जा सकते हैं लेकिन उन्हें पहचान पत्र दिखाना होगा."
हालांकि सरकार ने अपने ज़िला अधिकारियों को अपने निर्देश में कहीं भी ये नहीं कहा था कि आयोजन में मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रवेश न करने दें लेकिन इस आदेश को जिस तरह लागू किया गया उस पर एतराज़ जताया जा रहा है.
हुआ ये कि जो लोग पहचान-पत्र लेकर गए उनमें से जो मुसलमान थे उन्हें प्रवेश करने से रोका गया, पकड़कर रखा गया और बाद में पुलिस ने उन्हें जाने को कहा.
कुछ आयोजन स्थलों पर पोस्टर भी लगाए गए- 'ग़ैर-हिन्दुओं का प्रवेश मना है.'
ये घटना इंदौर के खजराना इलाक़े की है और शनिवार की है. 'अभिव्यक्ति' नाम की संस्था ने शहर में बड़े पैमाने पर आयोजन किया था. उसी रात पास के शहर उज्जैन में भी कुछ ऐसा ही हुआ.
इंदौर की घटना के बारे में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का आरोप था, "तीन मुसलमान युवक गरबा आयोजन स्थल के गेट के पास खड़े होकर कमेंट कर रहे थे और सेल्फी ले रहे थे."
युवकों की पिटाई का आरोप
पुलिस का कहना है कि वहाँ मौजूद कार्यकर्ताओं ने उन युवकों के पहचान पत्र देखे और उनकी पिटाई भी की. पुलिस का कहना है कि उन्होंने हस्तक्षेप किया और उन युवकों को वहाँ से बचाकर थाने ले आई. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
ऐसा ही कुछ उज्जैन के माधवनगर थाना क्षेत्र के एक गरबा स्थल में भी हुआ, जहाँ का वीडयो सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ. इस वीडियो में कुछ युवकों को लोग पीटते हुए दिख रहे हैं, पीटने वाले लोगों को बजरंग दल का कार्यकर्ता बताया जा रहा है. यहाँ भी पुलिस ने पहुँच कर युवकों के भीड़ से बचाया और अपने साथ थाने ले गई.
लेकिन राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र के निर्देश से पहले ही प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने ग्वालियर में पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया था कि "गरबा के आयोजन स्थल लव-जिहाद का बड़ा केंद्र बन चुके हैं."
उन्होंने गरबा के आयोजकों से कहा कि वो "सतर्क रहें कि कोई अपनी पहचान छुपाकर गरबा में शामिल न हो."
इंदौर में बजरंग दल के संयोजक तनु शर्मा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकर्ता आयोजन स्थल के प्रवेश द्वारों पर तैनात किए थे.
बातचीत के दौरान वो कहते हैं, "चाहे इंदौर की घटना हो या उजैन की, हमारे पिछले अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं इसलिए इस बार हमें ज़्यादा सतर्कता बरतनी पड़ी. सबसे ज़्यादा बड़ी चुनौती उन लोगों को चिन्हित करने की है जो हिन्दुओं जैसी वेश-भूषा में प्रवेश कर जाते हैं. जैसे हाथ में कलावा और माथे पर तिलक लगाकर जबकि वो हिंदू नहीं हैं. कई घटनाएं हुईं हैं जब हिंदू लड़कियाँ इन आयोजनों के दौरान इनके झांसे में आ जाती हैं या ब्लैकमेल और लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. ये वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर डाल देते हैं. ऐसे बहुत सारे मामलों में हमें बीच में आना पड़ा."
गरबा में सभी वर्गों के लोगों के शामिल होने या नहीं होने की बात को लेकर विचार भी अलग अलग हैं. इसी दौरान 'ऑप इंडिया' पोर्टल की मुख्य संपादक नूपुर शर्मा का ट्वीट भी ख़ूब वायरल हुआ. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, "मुसलामानों को गरबा से दूर रहना चाहिए." बाद में उन्होंने एक लेख के माध्यम से बताने की कोशिश की कि उन्होंने ऐसा क्यों लिखा.
उनका कहना था, "गरबा कोई नृत्य उत्सव नहीं, बल्कि एक धार्मिक आयोजन है जिसमे माँ दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक उपासना की जाती है. नृत्य के माध्यम से ही उपासना की जाती है और जो लोग देवी की पूजा नहीं करते या जिनके धर्म में मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं है उनका ऐसे आयोजनों में भाग लेने का कोई धार्मिक कारण नहीं हो सकता."
उनके इस ट्वीट और लेख पर बहस भी चल रही है, मध्य प्रदेश के इतिहास और संस्कृति को लेकर शोध कर रहे भोपाल के सिकंदर मलिक उनकी बातों से सहमत भी हैं. बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने गरबा जैसे धार्मिक आयोजनों में मुस्लिम युवाओं की मौजूदगी को अनुचित क़रार दिया.
गरबा बना बहस का मुद्दा
सिकंदर कहते हैं, "ऐसे प्रतिबंध इसलिए ही हो सकते हैं क्योंकि कुछ घटनाएँ हो चुकी हैं जहां हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के ने इस आयोजन के दौरान दोस्ती की और शादी भी कर ली. कॉलेज के दिनों में अपने यहाँ गरबा होता था लेकिन बड़े पैमाने पर नहीं. उसमें सब भाग लेते थे. लेकिन अब जब चीज़ें बदल रहीं हैं तो मुसलामानों को भी सोचना चाहिए कि बिना मतलब के किसी के धार्मिक आयोजन में ज़बरदस्ती क्यों जाना है."
सिकंदर बताते हैं कि कभी नवरात्रि ऐसे समय पर आई, जब रमज़ान का महीना चल रहा था. वो कहते हैं, "अब आप बताइए कि रमज़ान में शाम को तरावी पढ़ने और इबादत करने की बजाय गरबा में इन युवकों का नाचना कितना सही है."
जाहिद अनवर शहर के पुराने बाशिंदे हैं और वो 10 वर्ष पहले तक के दौर को याद करते हुए कहते हैं कि वो अपने मित्रों और परिवार के साथ गरबा और दुर्गा पूजा के आयोजनों में हिस्सा लेते रहे थे.
वो कहते हैं, "अब चीज़ें बदल गईं, तो हमने भी जाना छोड़ दिया. जब किसी को बुरा लगता है तो फिर ज़बरदस्ती बेइज्ज़त होने के लिए क्यों जाते हैं."
मध्य प्रदेश के कुछ और मुसलमान हैं जो मानते हैं कि इस्लाम में निराकार भगवान की कल्पना है, जहाँ देवी की उपासना या पूजा बेहद संजीदगी के साथ और धार्मिक भावनाओं के साथ हो रही हो, वहाँ किसी को अपनी नाक फँसाना ठीक नहीं. वो कहते हैं कि आप बधाई दीजिए घरों पर जाकर.
मध्य प्रदेश की संस्कृति पर लंबे समय से काम कर रहे ध्रुव शुक्ल ने 10 से ज़्यादा किताबें लिखीं हैं. वो प्रदेश की संस्कृति और धार्मिक परम्पराओं पर लिखते आ रहे हैं.
कम से शुरू हुई ये बहस?
बीबीसी से बातचीत के दौरान वो कहते हैं, "समस्या तब से शुरू हुई जब से गरबा का व्यावसायीकरण हो गया. गरबा मध्य प्रदेश की धार्मिक संस्कृति का हिस्सा नहीं था. ये पिछले 20 सालों में यहाँ शुरू हुआ, लेकिन जब से प्रदेश के सबसे बड़े व्यावसायिक समूह ने इसका आयोजन भोपाल और इंदौर में बड़े पैमाने पर शुरू किया, तब से अब इसका चलन हर जगह हो गया."
शुक्ल कहते हैं कि गरबा के आयोजन में बाज़ार को जोड़ दिया गया और आयोजनों पर भारी भरकम टिकट लगाकर अच्छी-खासी कमाई होने लगी.
उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में मुख्य तौर पर तीन धार्मिक पंथ ही रहे हैं. जैसे शैव, जो भगवान शिव की उपासना करते हैं और देश में फैले ज्योतिर्लिंगों में से दो मध्य प्रदेश में मौजूद हैं जो सबसे बड़े आस्था के केंद्र रहे हैं. एक उजैन में महाकाल का ज्योतिर्लिंग और दूसरा ओंकारेश्वर का ज्योतिर्लिंग.
वो बताते हैं कि दूसरा पंथ 'शाक्त' पंथ है, जिसमें शक्ति की देवी की पूजा और उपासना होती है. जबकि तीसरा पंथ वैष्णव है जिसके मानने वाले भगवान राम और श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं.
भोपाल स्थित भारत भवन से भी लंबे अरसे तक जुड़े रहे ध्रुव शुक्ल ये भी कहते हैं कि प्रदेश की चार प्रमुख बोलियाँ हैं-- मालवी, निमाड़ी, बघेलखंडी और बुदेलखंडी. इन सभी भाषाओं की लोक गाथाओं में भक्ति गीत गाए जाते हैं.
वो बताते हैं कि ओरछा रियासत में 17वीं शताब्दी में 'राम राजा' का मंदिर बना है, जिस पर लोगों की आस्था है. इन इलाक़ों में आज भी भगवान राम को 'भगवान नहीं बल्कि अपना राजा माना जाता है.' उनके अनुसार मध्य प्रदेश में ज़्यादातर हिंदू धर्म के अनुयायी सतना मैय्या, शीतला माता और शारदा माता की ही पूजा करते आए हैं.
मध्य प्रदेश की संस्कृति पर काम करने वाले राजेंद्र कोठारी कहते हैं कि जिस तरह पंजाब में भांगड़ा का व्यवसायीकरण हुआ, उसी तरह राजस्थान के घूमर और गरबा का भी व्यावसायीकरण हो गया है.
वो बताते हैं, "मेरा जन्म इंदौर में हुआ है. हमारे यहाँ उस समय तीन प्रमुख त्यौहार थे-एक राखी, दूसरा गणेश चतुर्थी और तीसरी होली. दशहरा भी मनाया जाता था. लोग नवरात्रों में उपवास रखते थे. ये सब कुछ बाद में शुरू हुआ. जब मैं भोपाल नौकरी करने 1965 में आया, तो ये सब कुछ नहीं था."
बजरंग दल के संयोजक तनु शर्मा भी गरबा के व्यावसायीकरण की बात स्वीकार करते हैं.
वे कहते हैं, "जब से इन आयोजनों पर टिकट लगने लगे और लोग इससे कमाने लगे, तब से धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं को किनारे हटाकर एक-एक हज़ार की टिकटें बेचीं जा रहीं है. ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसे कमाने के लिए किसी को भी प्रवेश दिया जाता है. प्रशासन के आदेश की अवहेलना खुलेआम होते रही, इसीलिए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ख़ुद ही गरबा के आयोजन स्थलों के बाहर अपने कार्यकर्ताओं को तैनात किया."
भोपाल शहर में जहाँ मोहल्लों में गरबा का आयोजन होता है, वहाँ इस तरह के कोई इंतज़ाम नहीं हैं. शाहपुरा थाने के रोहित नगर में हो रहे गरबा की आयोजकों में से एक ज्योति कहती हैं कि मोहल्लों में सब एक-दूसरे को पहचानते हैं और ज़्यादातर लोग परिवारों के साथ आते हैं, इसलिए ज़्यादा परेशानी नहीं होती.
उसी तरह कुछ एक शैक्षणिक संस्थाओं में जो गरबा होता है, वो छात्रों तक सीमित रहता है, चाहे वो किसी भी धर्म के हों. बाहर से किसी को इसमें भाग लेने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा जाता है. बावड़िया कलां के एक स्कूल ने भी गरबा का आयोजन किया. लेकिन उन्होंने पास दिए, जो छात्र और उनके अभिभावकों के लिए ही थे.
वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित मौजूदा राजनीतिक हालात को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि जब से धार्मिक आयोजनों में राजनीति की घुसपैठ हुई है, तब से सामाजिक समरसता बिगड़ने लगी है जो पहले कभी नहीं थी.
भोपाल में किसी तरह की कोई घटना रिपोर्ट न भी हुई हो, लेकिन शहर के पुराने लोग, जो आपस में मिलकर सभी त्यौहार मनाया करते थे, उनको लगता है कि अब माहौल वैसा नहीं रह गया है,
वे कहते हैं कि समाज में अशांति न फैले इसलिए सभी को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग वो सब न करें, जिससे किसी को आपत्ति हो. (bbc.com/hindi)
मंगलवार को किए गए फेरबदल में विपक्षी दलों को छह मुख्य संसदीय पैनल में से किसी की भी अध्यक्षता नहीं दी गई है.
यहाँ तक की गृह मामलों और सूचना प्रौद्योगिकी कमिटी, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस के पास थी, वह भी अब बदल दिया गया है.
इसके साथ ही छह मुख्य संसदीय कमिटी- गृह, आईटी, रक्षा, विदेश मामले, वित्त और स्वास्थ्य इन सभी की अध्यक्षता अब बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास है.
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की जगह बीजेपी सांसद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बृज लाल को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ रहे हैं, उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी की संसदीय पैनल के प्रमुख पद से हटा कर शिव सेना के शिंदे गुट के सांसद प्रतापराव जाधव को ये पद दे दिया गया है.
तृणमूल कांग्रेस, जिसके पास खाद्य और उपभोक्ता मामलों के संसदीय पैनल की अध्यक्षता थी, उसे इन नए फेरबदल के बाद किसी भी संसदीय समिति की अध्यक्षता नहीं दी गई है.
राज्यसभा में टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा है, "टीएमसी संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, देश में दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हैं. इस पार्टी को एक भी अध्यक्ष पद नहीं मिला. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को दो महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. यह है न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई है."
इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है. (bbc.com/hindi)
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में मंगलवार को बारातियों को लेकर जा रही एक बस एक खाई में जा गिरी. इस हादसे में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई है.
बताया जा रहा है कि बस में करीब 45 से 50 लोगों सवार बताए जा रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने कहा- “ बीती रात पौड़ी गढ़वाल के बिरोखाल इलाके में हुए बस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई. पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने रातों-रात राहत बचाव अभियान के तहत 21 लोगों को बचाया. घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, "पौड़ी ज़िले के सिमड़ी गांव के निकट हुई दु:खद बस दुर्घटना में कई लोगों के हताहत होने का हृदय विदारक समाचार प्राप्त हुआ है. रात भर चले राहत एवं बचाव अभियान में एसडीआरएफ़ व स्थानीय प्रशासन द्वारा 21 यात्रियों को सुरक्षित निकाल कर उपचार हेतु अस्पताल भेज दिया गया है."
" ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने एवं घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं. दुःख की इस घड़ी में हमारी सरकार शोकाकुल परिजनों के साथ खड़ी है."
वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय ने मंगलवार देर शाम को बताया है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घटना की सूचना मिलते ही आपदा कंट्रोल रूम पहुंच गए थे.
कार्यालय ने बताया, “पौड़ी जिले में बस दुर्घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय स्थित आपदा कंट्रोल रूम पहुँच कर अधिकारियों से दुर्घटना के बारे में विस्तार से जानकारी ली. उन्होंने आपदा कंट्रोल रूम के अधिकारियों से लगातार जिला अधिकारियों से संपर्क में रहने के निर्देश दिए.”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस दुर्घटना पर शोक जताते हुए लिखा. " उत्तराखंड के पौड़ी जिले में हुई बस दुर्घटना मन को व्यथित करने वाली है. इस घटना में जिन लोगों ने अपनों को खोया है उनके प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ. ईश्वर उन्हें यह भारी दुःख सहने की शक्ति दें. जो इस दुर्घटना में घायल हैं, मैं उनके स्वस्थ होने की कामना करता हूँ. " (bbc.com/hindi)