राष्ट्रीय
-सत सिंह
हरियाणा में कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया (केआईए) के ख़िलाफ़ प्रवासी मज़दूरों के लंबित वेतन के लिए आवाज़ उठा रहीं 24 साल की नवदीप कौर पिछले 11 दिनों से जेल में हैं. केआईए सिंघु बॉर्डर से सटा सोनीपत का इलाका है.
हरियाणा पुलिस ने उन पर 12 जनवरी को कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं.
एफआईआर के मुताबिक, नवदीप कौर मूल रूप से पंजाब की रहने वाली हैं, लेकिन वे केआईए में काम करती थीं. इसमें कहा गया है कि वे कथित रूप से अवैध धन वसूली का काम कर रही थीं और जब पुलिस अधिकारियों की एक टीम उनके पास पहुंची तो पुलिसवालों पर लाठियों से हमला किया गया.
पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस हमले में कई पुलिसवाले घायल हो गए थे. 12 फरवरी को पुलिस ने कौर को अरेस्ट कर लिया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को है.
COURTESY - SAT SINGH
नवदीप की बड़ी बहन राजवीर कौर का कहना है कि पुलिस ने नवदीप के साथ मारपीट की थी. राजवीर कौर का कहना है कि नवदीप दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी किए हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी बहन केआईए में मौजूद एक यूनिट में काम कर चुकी हैं, लेकिन वे प्रवासी मजदूरों की आवाज़ भी उठा रही थीं.
राजवीर कौर ने कहा कि प्रवासी मज़दूर लॉकडाउन के दौरान संकट में फंस गए थे और इंडस्ट्रियल यूनिट्स ने उन्हें बकाया पैसों का भुगतान नहीं किया था. नवदीप मज़दूर अधिकार संघर्ष (एमएएस) का हिस्सा रह चुकी हैं और वे मजदूरों के बकाया वेतन के मसले पर यूनिट्स के गेट्स पर प्रदर्शनों में शामिल रही हैं.
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरना देने के बाद केआईए के मजदूरों ने भी इस विरोध को अपना समर्थन दे दिया. वे कहती हैं, "किसान आंदोलन को सपोर्ट करने की वजह से मेरी बहन की नौकरी चली गई."
राजवीर कौर कहती हैं कि बकाया भुगतान की मांग को लेकर मजदूरों के प्रदर्शन रोकने के लिए केआईए ने एक त्वरित कार्रवाई दस्ता (क्यूआरटी) बना लिया था.
बीते साल 28 दिसंबर को जब मज़दूर प्रदर्शन कर रहे थे, तब एक क्यूआरटी ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया.
इस बाबत क्यूआरटी के सदस्यों के ख़िलाफ़ एक शिकायत सोनीपत के एसएसपी से की गई थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
COURTESY - SAT SINGH
वो कहती हैं कि 12 जनवरी को नवदीप को पुलिस ने पकड़ लिया. पुलिस ने उन्हें जानबूझकर पकड़ा है क्योंकि वे मजदूरों की एक मुखर आवाज़ बनकर उभरी हैं.
उनका कहना है कि पुरुष पुलिसवालों ने उन्हें अरेस्ट किया और कस्टडी में पुरुष पुलिसवालों ने उनके साथ मारपीट की. नवदीप 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं.
दूसरी ओर सोनीपत के डिप्टी एसपी राव वीरेंदर ने बीबीसी को बताया कि अभियुक्त लड़की और 50 अन्य पुरुषों ने पुलिस पर हमला किया था.
डीएसपी वीरेंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अरेस्ट किए जाने के बाद महिला थाने ले जाया गया था और उसी शाम उन्हें जज के सामने पेश किया गया था.
पुलिस ने कहा है, "अगर उनके साथ मारपीट की गई थी तो उन्हें जज के सामने इस बात को बताना चाहिए था. सभी आरोप झूठे हैं."
'धमकियों के बावजूद पीछे नहीं हटी थीं नवदीप'
मज़दूर अधिकार संगठन की कार्यकर्ता रजीत ने बताया कि जिस दिन नवदीप कौर की गिरफ़्तारी हुई थी, उस दिन वो लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन पुलिस का एक दल आया और बेरहमी से पीटने लगा.
वो बताती हैं, "पुलिस वाले आए और तनख्वाह के लिए प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों को पीटने लगे. पुलिस वालों ने क्यूआरटी सदस्यों की मदद से प्रदर्शनकारियों का पीछा कर नवदीप कौर को पकड़ लिया."
COURTESY - SAT SINGH
नवदीप कौर के साथ काम करने वाली रजीत बताती हैं कि नवदीप प्रवासी मज़दूरों के हक के लिए होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में काफी सक्रिय थीं. करीब छह सौ ऐसी शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि उन्हें तनख्वाह नहीं दी जा रही हैं.
वो कहती हैं, "नवदीप को मजदूरों की आवाज़ उठाने के लिए लगातार धमकियाँ मिल रही थीं लेकिन वो मजदूरों को न्याय दिलाने को लेकर संकल्पित थीं. इसकी क़ीमत उसे चुकानी पड़ी है."
कुंडली इंडस्ट्री में काम करने वाले एक मज़दूर राज कुमार ने बताया कि नवदीप मज़दूरों के पैसे दिलवाने के लिए दबाव डालने में अहम भूमिका निभा रही थीं.
वो बताते हैं कि, "सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के पहुँचने के बाद वो काफी सक्रिय हो गई थीं. किसान भी मजदूरों की मांग का समर्थन कर रहे थे. "
राज कुमार का कहना है कि कंपनी के मालिकों ने पुलिस को अपने साथ मिला रखा है ताकि मज़दूर उनके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठा सके. (bbc.com)
गाजीपुर बॉर्डर, 24 जनवरी | कृषि कानून पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का 2 महीने से प्रदर्शन जारी है। इसी सिलसिले में किसानों ने हर जगह कृषि संबंधी अपने बैनर व पोस्टर लगाए हुए हैं। यहां तक कि नेशनल हाइवे पर लगे साइन बोर्ड जिनकी मदद से लोगों को अपने गंतव्य स्थान तक जाने में मदद मिलती है, उन्हें भी बैनर-पोस्टर से पाट दिया गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान डेरा डाले हए हैं। वहीं बॉर्डर पर हर जगह किसान अपने संगठन के बारे में और सरकार के विरोध में बैनर-पोस्टर लगाए हुए हैं।
बॉर्डर से गुजर रहे नेशनल हाइवे 24 और इसी हाईवे से सटे नेशनल हाइवे 9 पर लगे साइन बोर्ड पर किसानों ने सरकार के विरोध में एक पोस्टर टांगा है, जिस पर लिखा है- "कॉरपोरेट भगाओ, देश बचाओ और काले कानून वापस लो।"
दरअसल, दिल्ली से गाजियाबाद, मेरठ एक्सप्रेस-वे से गुजरने वाले लोगों के लिए इन साइन बोर्ड पर स्थानों के नाम लिखे रहते हैं, जिनकी मदद से यात्रियों को सही मार्ग पर चलने का पता चलता है।
हालांकि अब गुजरने वाले लोगों के लिए ये तीन संदेश मिलते हैं, जो किसानों की तरफ से लगाए गए हैं।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर, 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के उपनिदेशक (प्रशासन) सुभाषीश पांडा ने कहा है कि प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अध्ययन के बाद कोविड की पहली स्वदेशी कोवैक्सीन के प्रभावों के बारे में जो विवाद उत्पन्न हुआ है, उन भ्रांतियों का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि टीकाकरण अभियान को लेकर उपजी आशंकाओं पर भी विराम लगना चाहिए। पांडा एम्स में विगत तीन वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। फिलहाल वह प्रतिनियुक्ति पर हैं। रविवार को एम्स में कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के पहले अधिकारी हैं। वह हिमाचल प्रदेश कैडर के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह नागरिक खाद्य आपूर्ति विभाग में संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं।
खबरों के मुताबिक, लैंसेट ने शुक्रवार को अपने एक अध्ययन में कहा था कि टीकाकरण के पहले चरण में कोवैक्सीन के परिणामस्वरूप सहनशीन सुरक्षा परिणाम सामने आए और इसने प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को भी बढ़ाया।
लैंसेट की इस स्टडी पर पांडा ने आईएएनएस को बताया कि भारत ने एक सुरक्षित वैक्सीन तैयार किया है। कोवैक्सीन पर लैंसेट की स्टडी के परिप्रेक्ष्य में डेटा, आंकड़े और सत्यापन प्रक्रिया को भी मंजूरी प्रदान की गई है।
उन्होंने लोगों से टीका लगवाने की अपील करते हुए कहा कि अब उन्हें टीकाकरण अभियान से जुड़ी आशंकाओं पर विराम लगाना चाहिए।
गौरतलब है कि टीकाकरण के पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई गई थी। हालांकि 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण अभियान के समय से अब तक 10 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, लेकिन कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर चिंताएं अभी भी पूरी तरह से दूर नहीं हुई हैं।
सरकार को वैक्सीन को लेकर कई भ्रामक खबरों जैसी चुनौतियों से भी मुकाबला करना पड़ रहा है। इन भ्रामक खबरों के कारण लोगों के मन में वैक्सीन लगवाने को लेकर भ्रांतियां भी पैदा हो रही हैं। सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने के बाद भी लोगों को पूरी तरह आश्वस्त करना दुष्कर हो रहा है।
पांडा ने कहा कि टीका लगवाने को लेकर लोगों के मन में झिझक होना कोई नई बात नहीं है। जब हमने पोलियों के लिए खुराक पिलाने का अभियान चलाया था तो उस समय भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन धीरे-धीरे यह समाप्त हो गया। मैंने भी आज कोविड का टीका लगवाया और मैं पूरी तरह से फिट हूं। उन्होंने कोविड वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए कहा कि वैक्सीन लगवाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को स्वेच्छा से आगे आना चाहिए। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 24 जनवरी | मध्यप्रदेश में एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सक्रियता बढ़ गई है और उन्होंने इसके लिए जनता से जुड़े शराबबंदी के मुद्दे को बड़ा हथियार बनाया है। उमा भारती की इस सक्रियता के सियासी मायने भी खोजे जाने लगे हैं और कयास लगाया जा रहा है कि वह एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने की तैयारी में तो नहीं है।
राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर उमा भारती की पहचान तेज-तर्रार नेता के तौर पर रही है और मध्य प्रदेश में भाजपा की जड़ों को जमाने में उनकी अहम भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। उन्होंने वर्ष 2003 में भाजपा को सत्ता में लाया था, मगर हुबली तिरंगा कांड के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुई और अपनी सियासी जमीन उत्तर प्रदेश में तैयार की। वर्तमान में वे तो ना तो भाजपा की सक्रिय राजनीति का हिस्सा है और न ही निर्वाचित जन प्रतिनिधि।
उमा भारती ने पिछले दिनों शराबबंदी का नारा बुलंद किया है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी की मांग कर डाली। इतना ही नहीं वह शराबबंदी का नारा बुलंद करने के लिए मध्यप्रदेश पहुंची और यहां बेबाकी से अपनी बात रखी। उमा भारती कहती हैं कि उनके पास शराबबंदी से होने वाले राजस्व की भरपाई का विकल्प भी है इस संदर्भ में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात भी करेंगी।
उमा भारती की मध्य प्रदेश में बढ़ती सक्रियता के सियासी मायने भी खोजे जाने लगे हैं। राज्य में उनके समर्थक बड़ी संख्या में हैं। उमा भारती के प्रभाव को वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के उपचुनाव में देखा जा सकता है, जब उनके चार करीबियों को भाजपा ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो चारों ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की थी। उनमें से दो बड़ा मलहरा से प्रद्युम्न सिंह लोधी और दमोह से राहुल लोधी कांग्रेस को छोड़कर फिर भाजपा में आ गए हैं। प्रद्युम्न लोधी तो मलहरा से निर्वाचित हो चुके हैं और अब दमोह से राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाए जाने की कवायद जारी है। राहुल का विरोध भी हो रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया भी उमा भारती के शराबबंदी वाले बयान को सियासी तौर पर महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि उमा भारती ने शराबबंदी के बयान के जरिए आधी आबादी की आवाज उठाई है, वे हमेशा ही व्यवस्था के खिलाफ (एंटी स्टेबलिशमेंट) आवाज उठाने वाली नेता के तौर पर पहचानी जाती रही हैं। आदर्श स्थिति में शराबबंदी होनी भी चाहिए। यह बात अलग है कि ये हो नहीं पाती। उन्होंने इस बयान के जरिए यह बता दिया है कि उनकी सक्रियता बनी हुई है और वे महिला की बड़ी पैरोकार बनकर सामने आई हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार को दो कदम आगे बढ़ाकर पीछे करना पड़ा है। वहीं वे असहमति के स्वर का भी नेतृत्व कर रही हैं। इतना ही नहीं अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुआ हाथरस प्रकरण हो या किसान आंदोलन, दोनों ही मामलों में उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | भारत का चुनाव आयोग 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने के लिए तैयार है। इस बार कार्यक्रम का थीम 'मेकिंग आवर वोटर्स एम्पावर्ड, विजिलेंट, सेफ एंड इंफॉर्मेड' है। सोमवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करेंगे और ईसीआई के वेब रेडियो: 'हैलो वोटर्स' को लॉन्च करेंगे। यह कार्यक्रम अशोक होटल में आयोजित किया जाएगा और राष्ट्रपति इस अवसर पर वर्चुअली राष्ट्रपति भवन से जुड़ेंगे।
केंद्रीय कानून और न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी समारोह में अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
इस साल मतदाता दिवस का विषय, 'मेकिंग आवर वोटर्स एम्पावर्ड, विजिलेंट, सेफ एंड इंफॉर्मेड' है, जो चुनाव के दौरान सक्रिय और सहभागी मतदाताओं की परिकल्पना उजागर करता है। यह कोविड-19 महामारी के दौरान सुरक्षित रूप से चुनाव कराने की ईसीआई की प्रतिबद्धता पर भी केंद्रित है।
साल 1950 में 25 जनवरी को भारत के चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को चिह्न्ति करने के लिए 2011 से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। एनवीडी उत्सव का मुख्य उद्देश्य नए मतदाताओं को प्रोत्साहित करना, सुविधा प्रदान करना, अधिकतम नामांकन करना है। देश के मतदाताओं को समर्पित, दिन का उपयोग मतदाताओं में जागरूकता फैलाने और चुनावी प्रक्रिया में सूचित भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। नए मतदाताओं को एनवीडी कार्यों में उनके निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) सौंपे जाते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कारों में वे राज्य और जिला स्तर के अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे आईटी पहल, सुरक्षा प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन के दौरान कोविड-19, सुलभ चुनाव और मतदाता जागरूकता और आउटरीच के क्षेत्र में योगदान दिया। मतदाताओं की जागरूकता के लिए उनके बहुमूल्य योगदान के लिए राष्ट्रीय चिह्न्, सीएसओ और मीडिया समूहों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
ईसीआई का वेब रेडियो: 'हैलो वोटर्स' एक ऑनलाइन डिजिटल रेडियो सेवा है जो मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों को संचालित करेगी। यह भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर एक लिंक के माध्यम से उपलब्ध होगा। रेडियो हैलो वोटर्स की प्रोग्रामिंग शैली लोकप्रिय एफएम रेडियो सेवाओं की तरह होगा। यह देशभर से हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में गीत, नाटक, चर्चा, स्पॉट, चुनाव की कहानियों आदि के माध्यम से चुनावी प्रक्रियाओं की जानकारी और शिक्षा प्रदान करेगा।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ई-ईपीआईसी कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे और पांच नए मतदाताओं को ई-ईपीआईसी और निर्वाचक फोटो पहचान पत्र वितरित करेंगे। ई-ईपीआईसी निर्वाचक फोटो पहचान पत्र का एक डिजिटल संस्करण है और इसे वोटर हेल्पलाइन ऐप के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
आयोजन के दौरान प्रसाद चुनाव आयोग के तीन प्रकाशन भी जारी करेंगे। इन दस्तावेजों की प्रतियां राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाएंगी। (आईएएनएस)
-राहुल सिंह
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं और मोदी सरकार कर इकट्ठा करने में व्यस्त है. एक सप्ताह में चौथी बार कीमतों में वृद्धि के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के अब तक की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंचने के एक दिन बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह टिप्पणी की है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी जीडीपी- गैस, डीजल और पेट्रोल में बेतहाशा वृद्धि लाए हैं.''
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘लोग महंगाई से परेशान हैं और मोदी सरकार कर इकट्ठा करने में व्यस्त है. मोदी जी ने ‘GDP' यानी गैस-डीज़ल-पेट्रोल के दामों में ज़बरदस्त विकास कर दिखाया है. जनता महँगाई से त्रस्त, मोदी सरकार टैक्स वसूली में मस्त.''
गौरतलब है कि कीमतों में वृद्धि के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 85.70 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 92.28 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं. इसी प्रकार से दिल्ली में डीजल के दाम 75.88 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 82.66 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं.
नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 'राष्ट्र की बेटियों' को सलाम किया और बालिका सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों की प्रशंसा की। मोदी ने ट्वीट कर कहा, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर, हम विभिन्न क्षेत्रों में हमारी हैशटैगदेशकीबेटी और उनकी उपलब्धियों को सलाम करते हैं। केंद्र सरकार ने कई पहल की है, जो बालिकाओं को सशक्त बनाने पर जोर देती है, जिनमें शिक्षा तक बेहतर पहुंच, स्वास्थ्य सेवा और लिंग संवेदनशीलता में सुधार शामिल है।
आज का दिन विशेष रूप से बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों की सराहना करने और यह सुनिश्चित करने का दिन है कि वो लड़कियों का सम्मान करें और उन्हें अवसर दें।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरूआत की थी, ताकि भारतीय समाज में व्याप्त विषमताओं पर लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके।
नई दिल्ली, 24 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे किसान आंदोलन को दो महीने पूरे हो गए हैं और इस समय सबकी नजर गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों द्वारा पूर्व घोषित दिल्ली में ट्रैक्टरों के साथ किसान परेड निकालने पर है। नए कृषि कानून के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन का रविवार को 60वां दिन है और आंदोलनकारी इस समय ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी में जुटे हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) के अध्यक्ष योगिंदर सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान समेत देश के अन्य प्रांतों से भी किसान रैली में शामिल होने के लिए ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसान परेड के लिए वोलेंटियर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि एक लाख से अधिक ट्रैक्टर परेड में उतारने की तैयारी है और महिलाएं खुली ट्रॉलियों में जाएंगी।
किसान नेताओं ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर आउटर रिंग रोड पर किसान गणतंत्र परेड निकालने की तैयारी है। पंजाब के ही किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी परमिंदर सिंह पाल माजरा ने बताया कि किसान गणतंत्र परेड में लाखों किसान शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 100 किलोमीटर के दायरे में यह रैली निकलेगी।
किसान यूनियनों ने शांतिपूर्ण ढंग से किसान गणतंत्र परेड निकालने की बात कही है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस के साथ शनिवार को हुई वार्ता में यूनियन के नेताओं ने ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति मिलने का दावा किया जबकि पुलिस ने कहा कि बातचीत अंतिम चरण में है।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल किसान नेताओं ने बताया कि किसान गणतंत्र परेड आउटर रिंग रोड पर तय रूट पर निकालने की तैयारी चल रही है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ किसान यूनियनों की 11 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। किसान यूनियनों के साथ 11वें दौर की वार्ता में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नये कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर किसानों को पुनर्विचार करने को कहा।
इस संबंध में पूछे गए सवाल पर योगिंदर सिंह ने कहा, सरकार जब नये कृषि कानूनों में संशोधन करने और इनके अमल पर रोक लगाने को तैयार है, तो फिर निरस्त करने के बारे में भी सोचना चाहिए। (आईएएनएस)
काईद नजमी
मुंबई, 24 जनवरी | भारत 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या की 73वीं वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है, उनके वंशजों ने एक पुरानी परंपरा को बहाल करने की अपील की है, जिसके तहत राष्ट्रपिता की गोली मारकर हत्या करने के समय सायरन बजा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती थी।
महात्मा गांधी के परपोते, तुषार ए. गांधी और अन्य लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया है कि वे अपने कार्यालय का उपयोग करें और 30 जनवरी को हर साल 'बापू' को श्रद्धांजलि के रूप में 'सायरन बजाने' की परंपरा को फिर से बहाल करें।
तुषार गांधी ने आईएएनएस से कहा, "इसे उस ठंड में (शाम 5.17 बजे) हत्या किए जाने के तुरंत बाद शुरू किया गया था। एक नाराज राष्ट्र के 'बापू' को मौन श्रद्धांजलि पेश की थी। उद्देश्य सरल था - सभी को स्वेच्छा से उन्हें शांति से याद करना था।"
हालांकि, स्कूल और सरकारी या निजी कार्यालय शाम 5 बजे तक बंद हो जाते थे, इसलिए लोगों के लिए नियम का पालन करना संभव नहीं था।
कुछ समय बाद, हर साल 30 जनवरी को सुबह 11 बजे श्रद्धांजलि अर्पित करने का निर्णय लिया गया, ताकि सभी संस्थान इसका अनुपालन कर सकें क्योंकि इसे 'शहीद दिवस' घोषित किया गया था।
यह कई दशकों तक जारी रहा, लेकिन 1980 के दशक के अंत या कहें तो 1990 के दशक की शुरूआत में, इस परंपरा को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया।
तुषार गांधी ने कहा, "इस नए दशक की नई शुरूआत करने के लिए, मैं राष्ट्रपति कोविंद जी से विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि वे सोमवार को अपने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या भाषण में राष्ट्र और देशवासियों से इसके संबोधन के बारे में विचार करें।"
82 वर्षीय श्रीकांत मातोंडकर ने कहा, "एक छात्र के रुप में मुझे अच्छी तरह से याद है कि, सायरन बजता था और हम इसके बंद होने से पहले दो मिनट का मौन रखते थे।"
अभिनेत्री और शिवसेना नेता उर्मिला मातोंडकर के पिता श्रीकांत मातोंडकर ने कहा कि फिर यह परंपरा चुपचाप समाप्त हो गई, लेकिन उम्मीद है कि इसे जनता के लिए फिर से बहाल किया जाएगा।
मुंबई के एक प्रमुख व्यवसायी, प्रताप एस. बोहरा (66) ने कहा, "केवल सायरन ही क्यों? आधुनिक तकनीक के साथ, सरकार मोबाइल फोन पर, टीवी, रेडियो चैनलों और सोशल मीडिया पर भी सभी लोगों को एक रिमाइंडर दे सकती है। यह एक अच्छा राष्ट्रवादी अभ्यास होगा, और नई पीढ़ियों को इससे निश्चित ही अवगत कराना चाहिए।"
तुषार गांधी ने कहा, "हर साल शाम 5.17 बजे लोग स्वेच्छा से खड़े हो सकते हैं और मन ही मन यह संकल्प ले सकते हैं कि शांति की इस धरती पर इस तरह के जघन्य अपराध दोबारा नहीं होने चाहिए।"
जब एक शीर्ष महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि शहीद दिवस पर 'यह रिवाज अभी भी जिंदा है', लेकिन अब बड़े पैमाने पर सरकारी कार्यालयों में इसका अभ्यास किया जाता है।
अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "समय-समय पर, गृह मंत्रालय (एमएचए) सरकारी, निजी कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों, वाणिज्य और उद्योग के मंडलों और अन्य सभी संगठनों के लिए विस्तृत निर्देश जारी करता है।" (आईएएनएस)
-मुकेश सिंह सेंगर
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद मार्ग पर स्थित आकाशवाणी भवन की पहली मंजिल पर रविवार सुबह आग लग गई. आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं. समय रहते आग पर काबू पा लिया गया है. फिलहाल, इस हादसे में किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है.
दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह करीब पांच बजकर 57 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली. इसके बाद घटनास्थल पर दमकल के आठ वाहनों को भेजा गया. आग पर काबू पा लिया गया है. आग से किसी के झुलसने या घायल होने की खबर नहीं है.
डीएफएस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि आग कमरा संख्या 101 से शुरू हुई थी. यहां बिजली के कुछ उपकरणों की वजह से आग लगी थी.
(भाषा के इनपुट के साथ)
-सुनील कुमार सिंह
मुंबई: मुंबई के ड्रग्स फैक्टरी केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने पांचवी गिरफ्तारी की है. पांचवे गिरफ्तार आरोपी का नाम विक्रांत जैन उर्फ विक्की जैन है. विक्की को भिवंडी से गिरफ्तार किया गया है. NCB के मुताबिक विक्की राहुल वर्मा और चिंकू पठान का फायनांसर है. इससे पहले NCB ने सलमान नासिर उर्फ सलमान पठान को पकड़ा था.
चार दिन पहले (बुधवार को) नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी क्षेत्र में एक लैब पर छापा मार कर 12 किलो से अधिक मादक पदार्थ , 2.18 करोड़ रुपये की नकदी और एक रिवॉल्वर की बरामदगी की थी. इस कार्रवाई में ब्यूरो ने भगोड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के गुर्गे परवेज खान उर्फ चिंकू पठान समेत तीन लोगों को ड्रग्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
NCB के एक अधिकारी ने बताया कि अंडरवर्ल्ड द्वारा संचालित मादक पदार्थ के कारोबार की जांच एनसीबी कर रही है और उसने पहले चिंकू पठान उर्फ परवेज खान को भगोड़े माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम की कथित तौर पर मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि दो अन्य की भी मामले में गिरफ्तारी की गई है.
-----
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 24 जनवरी | देश में इस साल पहली बार बर्ड फ्लू के प्रकोप से प्रभावित राज्यों की संख्या दोहरे अंकों में चली गयी है, हालांकि इस बीमारी की जद में जंगली परिंदे ही ज्यादा हैं। पोल्ट्री बर्ड में नौ राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि जरूर हुई है, लेकिन इसके एपिसेंटर कम हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि एवियन इन्फ्लुएंजा का नया वायरस मानव के लिए खतरनाक नहीं है। मगर, बर्ड फ्लू की मार से पोल्ट्री कारोबार अब तक नहीं उबर पाया है। हालांकि, होटल, रेस्तरा में चिकन की मांग में पिछले सप्ताह के मुकाबले सुधार देखा जा रहा है।
कोराना के कहर से देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री अभी ठीक ढंग से उबर भी नहीं पाई थी कि नये साल की शुरूआत में बर्ड फ्लू के प्रकोप से पोल्ट्री कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया। बर्ड फ्लू के प्रकोप की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों की तरफ से चाक चौबंद प्रबंध किए जाने और चिकन व अंडे पकाकर खाना सुरक्षित बताए जाने के बावजूद कुक्कुटपालक किसानों की परेशाानी कम नहीं हुई है क्योंकि उन्हें 100 रुपये का मुर्गा 50 रुपये में बेचना पड़ रहा है।
केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय में पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक ने आईएएनएस को बताया कि भारत में 2006 में पहली बार बर्ड फ्लू के मामले पाए गए लेकिन अब तक एक साथ इसकी रिपोर्ट कम ही राज्यों में होती थी, लेकिन इस बार इसकी रिपोटिर्ंग अच्छी हुई है जिससे राज्यों की संख्या बढ़कर सबसे ज्यादा हो गई है, लेकिन एपिसेंटर ज्यादा नहीं है, साथ ही रिपोर्ट करने और नियंत्रण अभियान चलाने में राज्यों ने मुस्तैदी दिखाई है। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी पोल्ट्री बर्ड में एवियन इन्फ्लूंएजा की पुष्टि हुई है वहां केंद्र सरकार की टीम के सहयोग से राज्यों ने पक्षियों को नष्ट करने समेत तमाम एहतियाती उपाय फौरी तौर पर किए हैं।
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) की जांच रिपोर्ट के अनुसार, देश के 13 राज्यों में शनिवार तक बर्डफ्लू की पुष्टि हो चुकी थी, जिनमें नौ राज्यों में पोल्ट्री बर्ड में हुई है। इनमें से केरल में बत्तख जबकि हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब में कुक्कुट में बर्ड फ्लू पाए गए हैं। वहीं, 12 राज्यों में जंगली पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। डॉ. मलिक ने बताया कि एवियन इन्फ्लुएंजा का जो नया वायरस सामने आया है वह खतरनाक नहीं है क्योंकि इसके मानव पर प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं है।
बर्ड फ्लू आमतौर पर जिस वायरस के संक्रमण से फैलता है वह एच-5एन-1 है जबकि इस बार एच-5एन-8 संक्रमण के मामले भी मिले हंै।
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रमेश खत्री ने बताया कि बर्ड फ्लू के खौफ से उत्तर भारत में पोल्ट्री इंडस्ट्री का कारोबार करीब 50 फीसदी प्रभावित हुआ है जबकि देश के अन्य हिस्सों में कुक्कुटपालकों के कारोबार पर तकरीबन 30 से 40 फीसदी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पोल्ट्री कारोबारियों को 100 रुपये का मुर्गा इस समय 50 रुपये में बेचना पड़ रहा है।
वहीं, चिकन के रिटेल कारोबारियों की बिक्री जरूर कम है लेकिन चिकन का भाव कम नहीं है। दिल्ली-एनसीआर में 230-250 रुपये किलो बिक रहा है।
होटल व रेस्तरा में चिकन की मांग एक सप्ताह पहले कम जरूर थी, लेकिन अब मांग बढ़ गई है। दिल्ली में 20 रेस्तरां की चेन के संचालक इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उनकी रेस्तरां में चिकन की मांग अब पहले जैसी होने लगी है और लजीज नॉन-वेज खाने के शौकीन चिकन की खूब मांग कर रहे हैं, उनमें बर्ड फ्लू को लेकर कोई घबराहट नहीं है।
गुरुग्राम की रेस्तरां पांडा किचेन में भी चिकन की मांग बढ़ गई है। फूड पांडा के संचालक राजन गुप्ता ने बताया कि चिकन की कीमत भी अब बढ़ गई है, एक सप्ताह पहले चिकन 120 से 150 रुपये किलो मिलने लगा था जोकि अब 200 रुपये से उंचे भाव पर मिलने लगा है।
जानकार बताते हैं कि कोरोना महामारी का संकट पिछले साल आने से पहले भारत में पोल्ट्री इंडस्ट्री का सालाना कारोबार करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का था जोकि कोरोना काल में फैली अफवाह के चलते घटकर करीब आधा रह गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | भारत को शिक्षा का ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाने के लिए विभिन्न देशों के साथ नई भारतीय शिक्षा नीति साझा की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, मारिशस और कुवैत समेत कई देशों को भारतीय शिक्षा नीति से अवगत कराया जा रहा है। नई भारतीय शिक्षा नीति को खाड़ी देशों तक पहुंचाने की पहल भी की जा चुकी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी को द्विपक्षीय वर्चुअल वार्ता के जरिये शिक्षा नीति के विषय में बताया है। शिक्षा मंत्रालय के इन प्रयासों के बाद हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी ने भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना की है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विषय में जानकारी देते हुए कहा, इंडियन स्कूल मस्कट इसी कड़ी में एक सशक्त कदम है। मस्कट में 1975 में केवल 135 छात्रों के साथ शुरू हुआ ये संस्थान, 9200 छात्रों के साथ आज खाड़ी देशों में सबसे बड़ा सह-शैक्षणिक संस्थान है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय नई शिक्षा नीति के अंर्तगत अब भारतीय शिक्षा का ऐसा ही विस्तार खाड़ी समेत अन्य देशों में करने की योजना बना रहा है।
कुवैत में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत का 'विजन डॉक्यूमेंट' है और 21वीं सदी में पूरे विश्व को भारत से बहुत उम्मीदें हैं और हम टैलेंट और टेक्नोलॉजी के माध्यम से दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। यह नीति भारत को ज्ञान महाशक्ति एवं एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगी क्योंकि यह अतीत के साथ साथ भविष्य को भी जोड़ती है और यह समग्र एवं बहु-विषयक शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करती है।
नई शिक्षा नीति पर भी विस्तृत विचार विमर्श के लिए निशंक ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू से भी मुलाकात की है।
निशंक के मुताबिक भारतीय राजदूत से अमेरिका के अन्य भारतीय वाणिज्य दूतावासों से परामर्श करने को कहा गया। विभिन्न हितधारकों से यह पता करने का आग्रह किया गया कि भारत में अपने परिसरों को खोलने के लिए अमेरिका के विश्वविद्यालयों की क्या अपेक्षाएं हैं। इससे 'स्टडी इन इंडिया' योजना के तहत अमेरिकी छात्रों को भारत में आकर्षित करने के तरीकों का पता लगाया जा सकेगा।
वहीं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए लंदन में भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। भारतीय शिक्षा नीति को लेकर इसी सप्ताह लंदन में खास कार्यक्रम आयोजित किया गया। 'निशंक' भी इसमें आनलाईन शामिल हुए। इंग्लैंड के पूर्व मंत्री जो जॉनसन भी इसका हिस्सा बने। यहां नई भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आउटरीच पर विस्तार से चर्चा की गई।
भारतीय शिक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर ले जाने के विषय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, इस महामारी के दौरान चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए हम यह नीति लाए हैं। इस नीति को प्रधानमंत्री से लेकर ग्राम प्रधान तक के सुझावों के बाद लाया गया है। सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है। इससे उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र पुनर्गठन को नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सकेगा।
शिक्षा नीति एवं भारतीय भाषाओं के वैश्वीकरण के विषय पर निशंक ने कहा, यह हिंदी के वैश्विक भाषा बनने का प्रतीक भी है। हिंदी लेखन के विश्व पटल पर मॉरिशस, फीजी, ब्रिटेन और अमेरिका के लेखक तो सक्रिय हैं ही, जिस तरह से इस संग्रह में कनाडा में हिंदी राईटर्स गिल्ड के प्रयासों से वहां रहने वाले हिंदी रचनाकारों ने भारतीय डायसपोरा लेखन को समृद्ध किया है, वह प्रशंसनीय है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | भारत में 24 जनवरी यानी आज का दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया जाता है और विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस मौके पर यूएन वीमेन के लिए भारत में उप प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रही निष्ठा सत्यम ने राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी को शुभकामनाएं दी। निष्ठा सत्यम ने आईएएनएस से कहा कि आज का दिन एक ऐसा दिन है जो हमारे जीवन, साहित्य और इकोनॉमी में बहुत महत्वपूर्ण है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि देश की महिलाओं के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।
उन्होंने बताया, बालिकाओं की शिक्षा के लिए हम कई तरह से काम कर रहे हैं। हमारा सबसे बड़ा अभियान 'सेकंड चांस' है, इसका मतलब एक दूसरा अवसर देना है। हम नेशनल ओपन डे स्कूल के साथ काम करते हैं, जिसमें महिलाओं को 10वीं और 12वीं कक्षा का सर्टिफिकेट मिलता है। हम मिनिस्ट्री ऑफ डेवलपमेंट के साथ ट्रेनिंग पर भी काम करते हैं।
देशभर में महिलाओं और बालिकाओं के साथ हो रही हिंसा पर निष्ठा ने आईएएनएस से कहा, महिलाओं के साथ हिंसा होना न शहर का मुद्दा है और न ही गांव का, वो हर गली और घर का मुद्दा है।
हम इन हिंसाओं को रोकने के लिए महिला के कई पहलुओं पर काम करते हैं। केंद्र, राज्य सरकारों और पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर काम करते हैं, जिसका असर देखने को भी मिलता है।
दरअसल, महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत हुई थी। सरकार का 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान लड़कियों के लिए चलाया गया एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
इस अभियान के तहत लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जाता है। इस मसले पर निष्ठा ने कहा, हमने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ और सरकार के अन्य अभियानों पर एक मूल्यांकन मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार के साथ किया था। जिसके हमारे पास बहुत अच्छे नतीजे हैं।
इन अभियानों के तहत पुरुषों ओर उनकी सोच में भी बदलाव देखने को मिला है।
हाल ही के दिनों में कुछ राज्यों में लव जिहाद कानून पर भी निष्ठा ने अपने विचार रखे, उन्होंने कहा कि, कोई भी कानून, सरकार और हम कुछ भी करें, जिसमे महिला की आवाज, पसंद का सम्मान न हो वो कानून महिलाओं के हित मे नहीं होता।
महिलाओं की बात को सुनना चाहिए यदि हम उनकी आवाज न पहचानें तो वो गलत होगा और लोकतंत्र में आवाज को उठाना और दबाना, इनकी कोई जगह नहीं है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर देशभर के कई राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं वहीं जिलों में बालिकाओं की सांकेतिक अधिकारी के रूप में नियुक्ति भी की जाती है।
इस मसले पर निष्ठा ने बताया कि, यदि महिलाओं को एक दिन का रोल मिलता है तो महिलाओं को लगता है कि मैं ये रोल कर सकती हूं और मैं इस कुर्सी पर बैठ सकती हूं।
ये सब कर हम जो देश में उदारहण देते हैं वो न जाने कब किसी की जिंदगी बदल दे।
निष्ठा ने इस अवसर पर देश की महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि, निडर हो कर ख्वाब देखिए क्योंकि बदलाव की शुरूआत यहीं से है। आपके ़ख्वाब ऐसे हों कि सामने वाला शख्श कहे कि पागल हो? उनको इतना मजबूर कर दो अपने ख्वाब से कि वो तुम्हें चुनौती दे।
उन्होंने आगे कहा, बुलंद और निडर हो कर ख्वाब देखिए, निडरता और बुलंदी दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी से यही सीखा है।
भारत में 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की शुरूआत 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने की थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरुक करना है।
इस अवसर पर देश पर में बालिका बचाओ अभियान चलाए जाने लगे, इसके अलावा चाइल्ड सेक्स रेशियो और लड़कियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण देने के लिए हर संभव कोशिश की जाती है। (आईएएनएस)
अजित गढ़वी
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने जब ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' करने के प्रस्ताव की घोषणा की तो कई लोग अचरज में पड़ गए. सोशल मीडिया पर इस घोषणा का मज़ाक़ बनाते हुए कई तरह के संदेश प्रसारित होने लगे.
वहीं दूसरी ओर कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात के इलाक़े में ड्रैगन फ्रूट उगाने वाले किसानों का कहना है कि ऐसी घोषणाओं से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है. इन किसानों की मानें तो प्रतिरोधी क्षमता को बेहतर करने वाले इस फल की जब तक माँग बनी हुई है तब तक यह किसानों के लिए इसकी खेती फ़ायदेमंद है.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि ड्रैगन फ्रूट कमल जैसा होता है इसलिए इसका नाम 'कमलम' होना चाहिए. कमल भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न भी है और गाँधीनगर में स्थित गुजरात बीजेपी मुख्यालय को भी 'कमलम' कहा जाता है. हालाँकि विजय रुपाणी ने ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलने के प्रस्ताव के पीछे किसी तरह की राजनीति से इनकार किया है.
किसान क्या सोचते हैं?
सौराष्ट्र के विस्वादर शहर के जंबुदा गाँव के जीवराजभाई वाघेसिया ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं. उन्होंने कहा, "मेरे बेटे के दोस्त राजकोट में ड्रैगन फ्रूट की खेती करते थे. उनके खेतों को देखने के बाद मेरी दिलचस्पी भी इसकी खेती में हुई. पिछले चार साल से हम लोग भी ड्रैगन फ्रूट उगा रहे हैं." उन्होंने बताया, "इस बार मैंने ड्रैगन फ्रूट के 560 पौधे लगाए. उनमें फूल आ गए हैं. आम तौर पर इन्हें मई-जून में लगाया जाता है. लेकिन इस बार मैंने प्रयोग करते हुए शीत ऋतु में इसे उगाया है." 68 साल के जीवराजभाई ने अभी ड्रैगन फ्रूट के लिए साढ़े पाँच लाख रुपये का निवेश किया है, उन्हें उम्मीद है कि तीन साल में उनके पैसों की वापसी हो जाएगी. उनके मुताबिक़, पौधे लगाने के दूसरे साल से फसल आने लगती है.
ड्रैगन फ्रूट के पौधों में तीन साल बाद इतने फल आने लगते हैं जिन्हें व्यवसायिक तौर पर बेचा जा सकता है. हर पौधे से क़रीब 15-16 किलोग्राम के फल मिलते हैं. बाज़ार में इसे 250 रुपये से 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाता है. ड्रैगन फ्रूट के सीज़न में बाज़ार में यह 150 रुपये से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर उपलब्ध होता है.
जीवराज भाई के मुताबिक़, ड्रैगन फ्रूट में अच्छा फ़ायदा होता है. उनके मुताबिक़ अगर ड्रैगन फ्रूट के दाम कम भी हुए तो भी किसान आसानी से हर साल ढाई लाख रुपये की आमदनी कर लेता है.
ख़ास बात यह है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में ज़्यादा श्रम की ज़रूरत नहीं होती है और कीटनाशक के लिए भी ज़्यादा ख़र्च नहीं करना होता है. उनके मुताबिक़ अगर निवेश करने के लिए पैसा हो और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो ड्रैगन फ्रूट की खेती काफ़ी फ़ायदेमंद है.
नए नाम से क्या होगा
ड्रैगन फ्रूट के नाम बदले जाने पर जीवराज भाई ने कहा कि सरकार नाम बदलने के साथ अनुदान मुहैया कराती तो किसानों के लिए उत्पादन लागत कम हो जाती और इसकी खेती ज़्यादा फ़ायदेमंद होती.
गुजरात के नवसारी ज़िले के पानाज गाँव के धर्मेश लाड बीते 12 सालों से ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं. बीबीसी गुजराती से लाड ने बताया कि बाग़वानी में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने खेती में प्रयोग करने पर ध्यान दिया. उन्होंने बताया, "मेरे पिताजी ड्रैगन फ्रूट का पौधा थाईलैंड से लेकर आए थे. हम लोगों ने उसे प्रयोग के तौर पर लगाया था. इसके बाद हमने पश्चिम बंगाल और पुणे से पौधे मँगाकर इसकी खेती शुरू की. अभी हम लोग एक एकड़ ज़मीन पर लाल वैरायटी वाले ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं."
उनके मुताबिक़ ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को 250 रुपये प्रति किलोग्राम की दर मिल जाती है. धर्मेश लाड के मुताबिक़, इसकी खेती में ज़्यादा निवेश की ज़रूरत होती है, लेकिन तीन साल तक खेती करने पर निवेश जितनी आमदनी हो जाती है. ड्रैगन फ्रूट पथरीली ज़मीन पर भी उगाया जा सकता है.
उन्होंने यह भी बताया कि अब ड्रैगन फ्रूट से जैम और जैली बनाए जाने लगी हैं और इसके चलते इसकी माँग बढ़ेगी. धर्मेश के मुताबिक़, महँगा होने के चलते ग्रामीण इलाकों में इसकी कम माँग है लेकिन सूरत, वडोदरा जैसे शहरों में सारे फल बिक जाते हैं.
यह भी माना जाता है कि डेंगू के मरीज़ों में जब प्लेटलेट्स गिर जाते हैं तो ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल काफ़ी लाभकारी होता है. इस विश्वास के चलते भी डेंगू के प्रकोप के समय में इसकी क़ीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच जाती है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ड्रैगन फ्रूट के इस्तेमाल से शरीर में हीमोग्लोबिन और विटामिन सी की मात्रा बढ़ती है जिससे प्रतिरोधी क्षमता बेहतर होती है.
धर्मेश लाड के मुताबिक़, बेहतर क़ीमत मिलने के चलते ही यह किसानों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है.
उनका मानना है कि सरकार की ओर से इसका नाम कमलम रखने से किसानों को फ़ायदा मिल सकता है. उनके मुताबिक़, अगर इस ब्रैंड को स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताया जाए तो ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्रोत्साहन मिल सकता है.
ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन में गुजरात का कच्छ इलाक़ा अग्रणी है. कच्छ के केरा बाल्दिया इलाक़े में भरत भाई रागवानी ने दो एकड़ ज़मीन में ड्रैगन फ्रूट के 900 पौधे लगाए हैं. 42 साल के भरत भाई अहमदाबाद में कई सालों तक कंप्यूटर की दुकान चलाते थे लेकिन वे 2014 में कच्छ के इलाक़े में लौट आए. खेती में उनकी दिलचस्पी थी और वे ड्रैगन फ्रूट उगाने लगे.
उनका कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती वैसी किसी भी ज़मीन पर हो सकती है जहां बाढ़ की स्थिति नहीं बनती हो. यहाँ तक कि पथरीली ज़मीन पर भी इसकी खेती हो सकती है. ड्रैगन फ्रूट की खेती में सबसे ख़ास बात यह है कि फलों की एडवांस बुकिंग होती है जिससे किसानों को दाम की चिंता नहीं करनी होती है.
राज्य सरकार की ओर से इस फल के नाम बदलने के प्रस्ताव से भरत भाई प्रभावित नहीं हैं. उनके विचार से यह एक राजनीतिक फ़ैसला है. उनके मुताबिक सरकार, कृषि विश्वविद्यालय और नौकरशाही, किसी ने भी इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ भी नहीं किया है. उनके मुताबिक खेती को केवल उद्यमिता और प्रयोगों के ज़रिए बढ़ावा मिल सकता है.
ड्रैगन फ्रूट क्या है, कहाँ है इसकी सबसे ज़्यादा पैदावार?
ड्रैगन फ्रूट दक्षिण अमेरिका और मध्य अमेरिका में पाए जाने वाले जंगली कैक्टस की एक प्रजाति है.
लैटिन अमेरिकी देशों वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती लंबे समय से थाईलैंड और वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में हो रही है. पिछले कुछ सालों से और ख़ासकर गुजरात के कच्छ इलाक़े के किसानों ने इसकी खेती में दिलचस्पी ली है.
गुजरात के सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात के किसानों ने परंपरागत फसलों की जगह बाग़वानी को अपनाया और उसमें ड्रैगन फ्रूट सबसे पसंदीदा बनकर उभरा है.
लैटिन अमेरिकी देशों में ड्रैगन फ्रूट को फादर भी कहते हैं. इसमें कीवी फल की तरह ही बीज होते हैं.
दुनिया भर में वियतनाम में ड्रैगन फ्रूट का सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है और वही सबसे बड़ा निर्यातक देश है. वियतनाम में यह फल 19वीं शताब्दी में फ्रेंच आप्रवासियों की मदद से पहुँचा था. वियतनाम में इसे 'थान लाँग यानी ड्रैगन की आँख' भी कहते हैं.
गुजरात के अलावा कहाँ होती है ड्रैगन फ्रूट की खेती?
माना जाता है कि भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत 1990 के दशक में हुई.
गुजरात के अलावा केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी इसकी खेती होने लगी है.
गुजरात के कई किसान, ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानने के लिए पुणे जाकर अध्ययन करते हैं. इसके अलावा लोग इंटरनेट के ज़रिए जानकारी जुटाकर प्रयोग करते हैं.
गुजरात के किसान, इसे उगाना इसलिए पसंद करने लगे हैं क्योंकि यह किसी भी तरह की ज़मीन में उगाया जा सकता है. यह विपरीत मौसम में हो सकता है, बहुत पानी की भी ज़रूरत नहीं होती है और फल के आने से पहले बिक्री हो जाती है.
ड्रैगन फ्रूट दो रंग में होते हैं- लाल और सफेद. लाल रंग वाली वैरायटी की माँग ज़्यादा होती है. फल को बीच से काटकर उसे निकाला जाता है. यह काफ़ी मुलायम भी होता है और इससे शेक भी बनाया जाता है.
ड्रैगन फ्रूट गहरे रंग का होता है लेकिन स्वाद में फीका होता है. इसका इस्तेमाल कई डिशेज़ में भी किया जाता है. इसका उत्पादन चीन, ऑस्ट्रेलिया, इसराइल और श्रीलंका में भी होता है.
ड्रैगन फ्रूट को लंबे समय से भारतीय ही माना जाता रहा था. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में कच्छ के ड्रैगन फ्रूट उपजाने वाले किसानों की प्रशंसा की थी. कच्छ का इलाक़ा एक समय रेगिस्तानी इलाके के तौर पर जाना था लेकिन यहाँ के किसानों ने प्रयोग करके कई तरह के फलों का उत्पादन शुरू किया है.
इसी वजह से ड्रैगन फ्रूट की खेती को आत्मनिर्भरता के अभियान से भी जोड़कर देखा जा रहा है. मौजूदा समय में कच्छ के 57 हज़ार हेक्टयर ज़मीन में खजूर, आम, अनार, ड्रैगन फ्रूट, चीकू, नारियल और अमरूद जैसे फलों की खेती हो रही है.
क्या सरकार नाम बदल पाएगी?
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी
कई लोग ड्रैगन फ्रूट को चीन का फल मानते हैं. माना जा रहा है कि इसी वजह से गुजरात सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को इसका नाम 'कमलम' करने का प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव को अभी केंद्रीय कृषि मंत्रालय भेजा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, आईसीएआर इस मामले में केवल अनुशंसा कर सकती थी. किसी भी फल या फसल की प्रजाति के नाम का निर्धारण कृषि विभाग और दूसरे विभागों के आपसी सहयोग से हो सकता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एक अधिकारी के मुताबिक़, इस प्रस्ताव को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्थाएं भारतीय बोटैनिकल सर्वे (बीएसआई) और नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) से भी सहमति लेनी होगी. इसकी वजह ड्रैगन फ्रूट का भारतीय मूल का नहीं होना है.
ड्रैगन फ्रूट का आधिकारिक तौर पर नाम बदलने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क़ानूनी आपत्तियां उठ सकती हैं. इसलिए इस मामले में भारतीय बोटैनिकल सर्वे (बीएसआई) और नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) का विचार जानना ज़रूरी है. (bbc.com/hindi)
भोपाल, 24 जनवरी | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अवैध शराब के कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। छह लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। जिला दंडाधिकारी अविनाश लवानिया ने भोपाल जिले में आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 (1), 34 (2) के तहत बनाये गये प्रकरणों में छह लोगों पर रासुका की कार्रवाई की है। इन लोगांे से अवैध शराब बरामद की गई थी।
ज्ञात हो कि मुरैना में जहारीली शराब पीने के बाद 24 लोगों की हुई मौत के बाद पूरे प्रदेश में अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में भोपाल के जिलाधिकारी लवानिया ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि जिले में कहीं भी अवैध शराब नहीं बिकनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आबकारी और पुलिस द्वारा लगातार दबिश की कार्रवाई की जा रही है। अब तक आबकारी अधिनियम के 127 प्रकरण दर्ज किए गए एवं आबकारी तथा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 1,308 लीटर शराब तथा 52 हजार किलोग्राम महुआ लाहन एवं दो वाहन जब्त किए गए हैं।
(आईएएनएस)
शामली (उप्र), 24 जनवरी| सेल्फी के लिए पोज देते हुए एक युवक ने अपनी मां के सिर पर पिस्तौल तान दी। शामली पुलिस ने इस युवक को गिरफ्तार कर लिया है। 20 वर्षीय दीपक कुमार के रूप में पहचाने गए युवक के पास से हथियार भी जब्त कर लिया गया है।
पुलिस की साइबर सेल ने उत्तर प्रदेश के कैराना थाना अंतर्गत सुनहेती गांव से युवक को ढूंढ निकाला। दीपक कुमार ने तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी।
शामली पुलिस अधीक्षक सुकीर्ति माधव ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
(आईएएनएस)
हरिद्वार ज़िले के दौलतपुर गांव की सृष्टि गोस्वामी सुर्ख़ियों में हैं, क्योंकि 24 जनवरी (रविवार) को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौक़े पर उन्हें उत्तराखंड का एक दिन का मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है.
वो उत्तराखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी. हालाँकि यह प्रतीकात्मक होगा और वो बाल विधानसभा सत्र में बतौर मुख्यमंत्री, सरकार के अलग-अलग विभागों के कार्यों का जायज़ा लेंगी.
इस दौरान विभागीय अधिकारी अपने कामों की प्रस्तुति देंगे और सृष्टि उन्हें अपने सुझाव देंगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. उत्तराखंड विधानसभा भवन के एक सभागार में रविवार को यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक आयोजित होना है.
सीएम बनाने का क्या है उद्देश्य
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी के मुताबिक़ उत्तराखंड सरकार की ओर से सृष्टि को एक दिन का मुख्यमंत्री बनाने की इस पहल का मक़सद 'लड़कियों के सशक्तिकरण को लेकर जागरूकता फ़ैलाना है.'
सोशल मीडिया में जारी एक बयान में सृष्टि ने कहा है, "मैं बहुत खुश हूं कि मुझे एक दिन का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल रहा है. उत्तराखंड सरकार के अलग-अलग विभागों की प्रस्तुति के बाद मैं उन्हें अपने सुझाव दूंगी. मैं ख़ासकर बालिकाओं की सुरक्षा से जुड़े हुए सुझाव उन्हें दूंगी."
रुड़की के बीएसएम पीजी कॉलेज में बीएससी एग्रीकल्चर की छात्रा सृष्टि के पिता गाँव में एक दुकान चलाते हैं और उनकी माँ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. इन दोनों ने अपनी बेटी को मिले इस अवसर के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का आभार जताया है.
सृष्टि की माँ सुधा गोस्वामी ने कहा, "मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है. बेटियाँ सब कुछ कर सकती हैं, बस उनका खुलकर साथ दीजिए, उन्हें सपोर्ट कीजिए. वे किसी से कम नहीं हैं. वे कोई भी मुक़ाम हासिल कर सकती हैं."
पहल का स्वागत लेकिन सवाल भी बरक़रार
इधर, उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों और एक्टिविस्ट्स ने सृष्टि को प्रतीकात्मक तौर पर एक दिन का मुख्यमंत्री बनाने के क़दम का स्वागत तो किया है लेकिन उनके पास कुछ सवाल भी हैं.
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी कैंपस में छात्रसंघ की पहली महिला महासचिव रहीं भारती जोशी कहती हैं, "प्रतीकात्मक तौर पर तो महिलाओं के सशक्तिकरण के ऐसे प्रयास अपनी जगह ज़रूरी हैं लेकिन वास्तविक जगहों पर महिलाओं का सशक्तिकरण ज़्यादा बड़ी चुनौती है. उत्तराखंड निर्माण के बाद पिछले 20 सालों में यहाँ 9 मुख्यमंत्री सत्ता पर क़ाबिज़ हो चुके हैं. कभी भी किसी महिला के नाम का मुख्यमंत्री पद के लिए ज़िक्र तक नहीं होता. जबकि असल में उत्तराखंड के पहाड़ों का असली भार महिलाओं के कंधों पर है."
भारती कहती हैं, "आरक्षण के चलते, ग्राम पंचायतों से लेकर विधानसभाओं में जो कुछ महिलाएं राजनीति में आ पाई हैं, कई अध्ययन बताते हैं कि वे सिर्फ़ मुखौटा हैं. व्यवहार में असली ताक़त उन महिलाओं के पीछे उनके पति, पिता या पुरुष रिश्तेदारों के हाथों में ही रहती है. इसलिए प्रतीकों के बजाय असल ज़रूरत महिलाओं के वास्तविक सशक्तिकरण की है."
उत्तराखंड में महिलाओं के स्वास्थय और अधिकारों पर काम कर रहे कई ग़ैर सरकारी संगठनों के साथ वरिष्ठ पदों पर काम कर चुकीं मालती हलदार कहती हैं, "इस तरह प्रतीकात्मक सशक्तिकरण का दिखावा करने के बजाय असल सवाल बहुत बुनियादी स्तर पर है जिन पर काम करने की ज़रूरत है. किसी परिवार में बेटे और बेटी को मिलने वाले दूध के गिलास के साइज़ का फ़र्क असल सवाल है. बेटे को अच्छे प्राइवेट स्कूल और बेटी को ख़स्ताहाल सरकारी स्कूल में भेजने की लोगों की आदत असल सवाल है. इन पर काम किए बग़ैर महिलाओं का सशक्तिकरण संभव नहीं."
2001 में आई बॉलीवुड फ़िल्म 'नायक' की तर्ज़ पर असल ज़िंदगी में एक दिन की मुख्यमंत्री बनने जा रही 19 साल की सृष्टि गोस्वामी इसे लेकर उत्साहित हैं.
इससे पहले सृष्टि को मई 2018 में उत्तराखंड बाल विधान सभा का मुख्यमंत्री चुना गया था. उत्तराखंड में बाल विधानसभा गठन का कार्यक्रम बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से आयोजित किया जाता है जिसमें प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से कई छात्र भागीदारी करते हैं और अपनी विधानसभा का संचालन करते हैं. (bbc)
नई दिल्ली, 24 जनवरी | पहले से ही गुर्दारोग से पीड़ित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को निमोनिया होने के बाद शनिवार देर शाम रांची के रिम्स से दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लाया गया। अधिकारियों ने आईएएनएस को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश यादव के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम की देखरेख में राजद प्रमुख को अस्पताल की कार्डियक इंटेंसिव केयर यूनिट (सीआईसीयू) में रखा गया है।
रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद यादव को एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाया गया।
उनके साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव भी हैं।
इससे पहले रिम्स के आठ डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी। इस टीम ने लालू को नई दिल्ली के एम्स ले जाने की सलाह दी।
रिम्स के निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद को सूचना मिली थी कि लालू को पिछले दो दिनों से निमोनिया है और सांस लेने में परेशानी हो रही है।
जेल प्रशासन के निर्देश पर लालू प्रसाद के स्वास्थ्य की जांच के लिए रिम्स ने आठ सदस्यीय टीम का गठन किया था। रिम्स के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि हालत की समीक्षा करने के बाद टीम ने उसे बेहतर इलाज के लिए नई दिल्ली के एम्स में शिफ्ट करने का फैसला किया।
झारखंड जेल प्रशासन ने भी उसे एम्स में शिफ्ट करने की मंजूरी दे दी है।
दिग्गज नेता की तबीयत बिगड़ने की जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार को राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव विशेष विमान से रांची पहुंचे। रात में परिजनों ने उससे मुलाकात की।
तेजस्वी ने अपने पिता को दिल्ली ले जाने की व्यवस्था करने में राज्य सरकार से सहयोग लेने के लिए दिन में अपने आवास पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की थी।
72 वर्षीय यादव चारा घोटाले के लिए दोषी करार दिए जाने के बाद दिसंबर 2017 से जेल में हैं। उन्होंने झारखंड में अपनी जेल की सजा का अधिकांश समय रिम्स अस्पताल में परोसा है।
--आईएएनएस
मुंबई, 24 जनवरी | देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब केशव ठाकरे के निधन के लगभग नौ साल बाद उनकी पहली कांस्य प्रतिमा का अनावरण यहां शनिवार को किया गया। ठाकरे की स्मृति में स्थापित प्रतिमा का अनावरण फूलों की बौछार, तालियों की गड़गड़ाहट और ढोल की थाप के साथ उनके बेटे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किया।
दक्षिण मुंबई में कोलाबा के निकट एक प्रमुख स्थान प्रतिमा का अनावरण हुआ। महाराष्ट्र के लोगों के बीच लोकप्रिय नेता रहे बालासाहेब ठाकरे की प्रतिमा को राज्य को समर्पित करने के ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
नौ फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा, 11 फीट ऊंचे आधार पर स्थापित की गई। इस प्रतिमा को मूर्तिकार शशिकांत वाडके ने बनाया है, जिन्होंने कहा कि उन्होंने दिवंगत दिग्गज नेता के चेहरे के सही भाव का अंदाजा लगाने के लिए बालासाहेब ठाकरे के सैकड़ों फोटो और वीडियो देखे थे।
इस दौरान उद्धव ठाकरे और उनकी पत्नी रश्मि के साथ ही पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे, राज ठाकरे और उनके बेटे अमित ने मौजूदगी दर्ज कराई।
इसके साथ ही अनावरण समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार, राज्य के राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और भाजपा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस (विधानसभा) और प्रवीण दरेकर (विधान परिषद) शामिल हुए।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 24 जनवरी | भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने परामर्श जारी किया है कि अच्छी तरह पकाए हुए चिकेन, मांस और अंडों के अंदर मौजूद बर्डफ्लू के वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं। इसलिए इसे खाने से इंसान को कोई खतरा नहीं रहता। देश में बर्ड फ्लू के डर को देखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) और उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करने के लिए बर्ड फ्लू महामारी के दौरान पोल्ट्री मांस और अंडों की सुरक्षित हैंडलिंग, प्रसंस्करण और खपत पर एक मार्गदर्शन दस्तावेज जारी किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि पोल्ट्री मांस और अंडों का सेवन करना सुरक्षित है।
सुझाव दिया गया है-आधा उबला हुआ अंडे मत खाएं, अधपका चिकन न खाएं, संक्रमित क्षेत्रों में पक्षियों के साथ सीधे संपर्क से बचें, नंगे हाथों से मृत पक्षियों को छूने से बचें, कच्चा मांस न रखें, कच्चे मांस से सीधा संपर्क न करें, कच्चे चिकन को छूते समय मास्क और दस्ताने का इस्तेमाल करें, हाथ बार-बार धोएं, आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें।
--आईएएनएस
रांची, 23 जनवरी| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री 73 वर्षीय लालू प्रसाद यादव को शनिवार शाम इलाज के लिए नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रसाद को चार्टर्ड उड़ान के माध्यम से एयर एम्बुलेंस में राजधानी स्थित एम्स में स्थानांतरित (शिफ्ट) किया गया है। उनके साथ उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव भी हैं।
इससे पहले रांची स्थित रिम्स की आठ सदस्यीय टीम ने उन्हें इलाज के लिए एम्स, नई दिल्ली रेफर किया था।
रिम्स के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, लालू प्रसाद को एम्स में स्थानांतरित किए जाने की संभावना है। जेल प्रशासन के निर्देश पर, राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) द्वारा लालू प्रसाद की स्वास्थ्य स्थिति को देखने के लिए एक आठ सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। हालत की समीक्षा करने के बाद, टीम ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए एम्स, नई दिल्ली में स्थानांतरित करने का फैसला किया है।"
चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद को एम्स में स्थानांतरित (शिफ्ट) करने के लिए झारखंड जेल प्रशासन ने भी अपनी मंजूरी दे दी है।
लालू प्रसाद के शुक्रवार को कई टेस्ट किए गए थे, जिसमें ईको (ईसीओ), ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, केयूबीपी और एचआरसीटी शामिल हैं। सूत्र ने कहा कि निमोनिया को छोड़कर उनकी अन्य परीक्षण रिपोर्ट सामान्य हैं। उन्हें निमोनिया किस हद तक है और फेफड़ों के संक्रमण की सीमा का पता दो अन्य परीक्षण रिपोटरें के बाद लगेगा।
लालू की पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव शुक्रवार शाम को रांची स्थित रिम्स पहुंचे थे और उन्होंने लालू यादव से छह घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की।
तेजस्वी ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, लालू यादव के चेहरे पर सूजन है। मैं सभी परीक्षण रिपोर्ट आने तक रांची में रहूंगा। वह कमजोर हो गए हैं।
यादव को चार चारा घोटाला मामलों में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। वह पिछले 29 महीनों से रिम्स के पेइंग वार्ड में रह रहे हैं। पांच अगस्त को कोविड-19 संक्रमण की आशंका के कारण उन्हें रिम्स निदेशक के बंगले में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इसके बाद, उन्हें एक ऑडियो वायरल होने के बाद वापस वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसमें वह कथित तौर पर एक भाजपा विधायक को लुभाते हुए सुने जा सकते हैं। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 23 जनवरी| 21वीं सदी में रहने के बावजूद, केरल के पलक्कड़ जिले में छुआछुत की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सार्वजनिक श्मशान ने परिवार को एक दलित महिला का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। मृत महिला वसंथा की भाभी ने बुधवार को राज्य एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई। उसके बाद इस घटना का पता चला। पलक्कड़ जिला कलेक्टर को इस मामले को देखने और एक दंपति पर रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
पुथुर में बीमारी के बाद वसंथा का निधन हो गया। परिजन शव को अंतिम संस्कार करने के लिए अपने घर से सटे वन क्षेत्र में ले गए। हालांकि, वन विभाग ने वन भूमि में अंतिम संस्कार पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसलिए परिवार के पास सार्वजनिक श्मशान में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
पुथुर पंचायत द्वारा नियुक्त श्मशान के रक्षक वेलुचामी ने परिवार को वसंथा के अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया, क्योंकि उसे डर था कि ऊंची जाति के लोग नाराज हो जाएंगे।
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, "मैं इस स्थान पर एक दलित महिला के अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि अन्य जाति के लोग नाराज हो जाएंगे।"
पुथुर पंचायत प्रगतिशील वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के अधीन है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) नेता पंचायत अध्यक्ष हैं।
पंचायत अध्यक्ष ज्योति अनिलकुमार ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, "यह पंचायत की श्मशान नहीं है। इसके बजाय हमने साइड वॉल का निर्माण किया है और श्मशान के रखरखाव के लिए धन प्रदान किया है, लेकिन भूमि गौंडर समुदाय के स्वामित्व में है और वे यहां दलितों का अंतिम संस्कार अनुमति नहीं देंगे।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 जनवरी| केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी कि देश भर में अब तक 15,37,190 लोगों को कोरोनावायरस के खिलाफ टीके लगाए गए हैं। 16 जनवरी को देश भर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसके से 27,776 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं।
इस बीच, आंध्रप्रदेश के गुंटूर में पिछले 24 घंटों में एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मंत्रालय ने बताया कि इस व्यक्ति को 20 जनवरी को वैक्सीन की खुराक मिली थी। इसके साथ, इस तरह के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है, जो अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं, जो कि टीकाकरण के कुल आंकड़ों का 0.0007 प्रतिशत है।
इस बीच, मंत्रालय ने यह भी कहा कि पिछले 24 घंटों में टीके से नई मौत की सूचना मिली, जहां गुरुग्राम में रहने वाली 56 वर्षीय महिला की मृत्यु हो गई। हालांकि, पोस्टमार्टम से कार्डियो-पल्मोनरी रोग की पुष्टि हुई, जो टीकाकरण से जुड़ा नहीं है।
वैक्सीन से अब तक कुल 6 लोगों के मौत की सूचना मिली है। हालांकि, मंत्रालय ने दावा किया कि इनमें से कोई भी मामला टीकाकरण से जुड़ा नहीं है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 23 जनवरी | समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अमरूद को लेकर भाजपा पर तंज कसा और कहा अभी भी सबसे प्रसिद्ध अमरूद 'इलाहाबादी अमरूद' कहलाता है या उसका भी नाम बदलकर 'प्रयागराजी अमरूद' हो गया है? रामपुर दौरे पर पहुंचे समाजवादी पार्टी के नेता ने रास्ते में एक अमरूद के ठेले पर रुक कर अमरूद खरीदा। अमरूद के ठेले वाले से उन्होंने खरीद करने के दौरान यह पूछा कि अमरूद अभी इलाहाबादी अमरूद के नाम से बेचा जा रहा है या इसका भी नाम बदलकर प्रयागराजी अमरूद हो गया है। उन्होंने अपनी फोटो सोशल मीडिया पर साझा की है और ठेले वाले से की गई बातचीत को भी फोटो के साथ लिखा है। भाई अभी भी सबसे प्रसिद्ध अमरूद 'इलाहाबादी अमरूद' कहलाता है या उसका भी नाम बदलकर 'प्रयागराजी अमरूद' हो गया है।
इन दिनों सपा मुखिया जिलों के दौरे पर हैं। दरअसल, यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनने लगा है। शुक्रवार को उन्होंने रामपुर और बरेली का दौरा किया।
रामपुर में उन्होंने आजम खां की पत्नी व सपा विधायक डॉ. तंजीन फात्मा से मुलाकात की। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद आजम खां और उनके परिवार के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए थे। कुर्की का आदेश जारी होने के बाद आजम खां ने अपनी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा और पुत्र अब्दुल्ला आजम के साथ 26 फरवरी 2020 को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। (आईएएनएस)