राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 14 सितम्बर | देश में बेतहाशा बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी और उनकी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि लोग अनपी जान खुद बचाएं क्योंकि पीएम मोदी कहीं और व्यस्त हैं।
राहुल गांधी ने ट्वटी कर कहा, “कोरोना संक्रमण के आंकड़े इस हफ्ते 50 लाख और ऐक्टिव केस 10 लाख पार हो जाएगे। अनियोजित लॉकडाउन एक व्यक्ति के अहंकार की देन है जिससे कोरोना देशभर में फैल गया। मोदी सरकार ने कहा आत्मनिर्भर बनिए यानि अपनी जान खुद ही बचा लीजिए क्योंकि पीएम मोर के साथ व्यस्त हैं।”
देश में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। देश में हर दिन कोरोना के 90 हजार से ज्यादा संक्रमित सामने आ रहे हैं। साथ ही एक हजार से ज्यादा लोगों की हर दिन जान जा रही है। भारत कोरोना प्रभावित देशों में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत में अब तक कोरोना के 48,45,003 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें 9,88,205 मामले सक्रिय हैं। भारत में कोरोना की चपेट में आकर अब तक 79,754 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में क्या हाल है। (navjivan)
पटना, 14 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होना जारी है, लेकिन राहत की बात यह कि संक्रमण से मुक्त होने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार बढ़ रही है। बिहार में रिकवरी रेट 90 फीसदी से ज्यादा हो गया है जो राष्ट्रीय स्तर से 13 फीसदी ज्यादा बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो रविवार तक बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,58,389 तक पहुंच गई है, जबकि इसमें से 1,43,053 लोग संक्रमण-मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में सक्रिय मरीजों की संख्या 14,513 बताई जा रही है।
बिहार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को लेकर सरकार द्वारा लगातार सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कोरोना संक्रमण के पॉजिटिविटी रेट में लगातार कमी हो रही है और रिकवरी रेट में उतरोत्तर सुधार हो रहा है। रविवार को बिहार का रिकवटी रेट लगभग 90़32 प्रतिशत रहा, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग 13 प्रतिशत अधिक है।"
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 31 अगस्त को बिहार में राज्य का रिकवरी रेट जहां 87़ 70 प्रतिशत था, वहीं 1 सितंबर को यह अनुपात बढ़कर 87़95 प्रतिशत तक पहुंच गया।
इसी तरह 5 सितंबर को 1,50,483 नमूनों की जांच हुई थी, जिसमें से 1,727 नए मरीज मिले थे, जबकि उसी दिन 1,965 लोग संक्रमण-मुक्त हुए थे। उस दिन रिकवरी रेट 88़ 01 प्रतिशत था। इसी तरह 10 सितंबर को रिकवरी रेट 89़ 29 फीसदी तक पहुंच गया था और 12 सितंबर को यह आंकड़ा 88़ 99 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)| लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले ने सोमवार को मानसून सत्र के शुरुआती दिन विपक्षी दलों के बीच व्यापक नाराजगी पैदा कर दी, जिसमें सांसदों ने कहा कि यह कदम 'लोकतंत्र का गला घोंटने का' प्रयास है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचने के लिए कोविड-19 महामारी का उपयोग कर रही है।
लोकसभा में प्रश्नकाल का मुद्दा उठाते हुए, सदन के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "प्रश्नकाल को रद्द करना सांसदों को राष्ट्रीय महत्व के मामले उठाने से रोकने के बराबर है।"
उन्होंने कहा, "प्रश्नकाल को संसदीय लोकतंत्र के सार के रूप में मान्यता प्राप्त है। इतना ही नहीं, प्रश्नकाल घंटे की व्याख्या सदन की आत्मा के रूप में की जा सकती है। यह हमें (सांसदों) को आम लोगों की समस्या का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देता है। यह हमारे लिए स्वर्णकाल (गोल्डन आवर्स) होता है। यह लोकतंत्र का गला घोंटने का एक प्रयास है।"
सरकार के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देखी गई। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल और निजी सदस्य का कार्य हमारे लोकतंत्र की 'बुनियाद' है और ये बेहद जरूरी है।
औवेसी ने कहा, "इस तरह के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से मंत्री (प्रहलाद जोशी) शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को कमजोर कर रहे हैं, जो हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। मैं आपसे (अध्यक्ष) से आग्रह करता हूं कि कार्यपालिका को कानून के क्षेत्र में अतिक्रमण न करने दें।"
प्रश्नकाल स्थगित करने पर ओवैसी ने इसे एक शर्मनाक दिन करार दिया, क्योंकि प्रश्नकाल और निजी सदस्य व्यवसाय को नहीं लिया जाता है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पहले पूरे सदन को प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले से सहमत होना चाहिए। वहीं तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय प्रक्रिया की मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है और हम उस हिस्से को नष्ट नहीं कर सकते।
प्रश्नकाल नहीं होने का प्रस्ताव सोमवार की सुबह पारित हुआ। इसके बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया, जिसमें कहा गया कि लोकसभा का वर्तमान सत्र कोविड-19 महामारी के कारण एक असाधारण स्थिति में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सामाजिक दूरी को बनाए रखने भी आवश्यक है।
प्रश्नकाल खत्म किए जाने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है।
संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने कहा, "यह एक असाधारण स्थिति है। जब विधानसभाएं एक दिन के लिए भी बैठक करने को तैयार नहीं हैं, हम करीब 800-850 सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार से सवाल करने के कई तरीके हैं, सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया है कि शून्यकाल में सरकार से सवाल किया जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि लोकसभा में उपनेता और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उन्होंने खुद और उनके सहयोगियों अर्जुन मेघवाल और वी. मुरलीधरन ने प्रश्नकाल को समाप्त करने से पहले लगभग हर पार्टी के सभी नेताओं से बात की है।
उन्होंने कहा कि महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब जैसे कई राज्यों ने भी प्रश्नकाल स्थगित कर दिया और बुनियादी ढांचे का पालन किए बिना दो-तीन दिनों में 20-25 विधेयक (बिल) पारित किए।
तिरुवनंतपुरम, 14 सितंबर (आईएएनएस)| केरल में कांग्रेस पार्टी इस बात की जांच कर रही है कि कैसे राहुल गांधी ने भाजपा के एक नेता के बेटे के नाम की सिफारिश केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए कर दी। कांग्रेस पार्टी के नेता ने सोमवार को यह बात कही। कांग्रेस विधायक आई.सी. बालकृष्णन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता गुस्से में हैं और उन्होंने पार्टी में इसकी शिकायत की है।
उन्होंने कहा, "जैसे ही शिकायत सामने आई, हमने उचित कदम उठाते हुए जांच बैठा दी। जांच हो रही है कि आखिर हुआ क्या। जांच खत्म होने पर हम ये मामला पार्टी नेतृत्व के सामने उठाएंगे।"
केंद्रीय विद्यालय के नियमों के मुताबिक, लोक सभा सांसद केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए हर साल एक तय संख्या में नामों की सिफारिश कर सकते हैं। बता दें कि राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद हैं।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| ऑनलाइन शिक्षा वर्तमान में कितनी उपयोगी और सार्थक है इसके लिए दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने छात्रों से फीडबैक लेने की बात कही है। छात्रों के माध्यम से एक महीने का डेटा तैयार किया जाएगा, जिससे यह पता लगेगा कि कितने प्रतिशत छात्र ऑनलाइन कक्षा ले पा रहे हैं। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने सोमवार को कहा, कई छात्र ऑनलाइन क्लास में नहीं आ पा रहे हैं। इसका कारण स्मार्टफोन, इंटरनेट, वाईफाई, लेपटॉप, डाटा कनेक्शन, कम्प्यूटर आदि की सुविधाएं न होना है। विक्लांग छात्र इस व्यवस्था से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय का नया शैक्षिक सत्र 2020-21 कोविड-19 के चलते इस वर्ष तीन सप्ताह विलंब से शुरू हुआ है। फिलहाल अभी तीसरे और पांचवें सेमेस्टर की ऑनलाइन कक्षाएं लग रही हैं। इसके अंतर्गत द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों की कक्षाएं शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से ली जा रही हैं।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी हंसराज सुमन ने कहा, इन कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति 40 से 50 फीसदी है। जो छात्र ऑनलाइन कक्षा ले रहे हैं उनके पास भी अध्ययन सामग्री का अभाव है। छात्रों के पास सिलेबस और पुस्तकें भी नहीं है। एक घंटे की कक्षा में शिक्षक पढ़ा रहे हैं और छात्र मात्र सुन पा रहे हैं। पुस्तकों व अध्ययन सामग्री के अभाव में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम है।
प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, कॉलेजों में ऑनलाइन एजुकेशन की कक्षाएं पिछले एक महीने से शुरू हो चुकी हैं, लेकिन कक्षाओं में आ रहे छात्रों के फीडबैक से पता चला है कि कई छात्र कक्षा नहीं ले रहे हैं। दिल्ली के कॉलेजों में पढ़ने वाले कई छात्र दिल्ली से बाहर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, असम, गोवा आदि प्रदेशों से हैं। कई छात्रों के यहां इंटरनेट की सुविधाएं नहीं है या वे ऐसे क्षेत्रों से आते हैं जहां इंटरनेट की सुविधा, बिजली कम होती है। वहीं लॉकडाउन के चलते पुस्तकालयों और पुस्तकों की दुकानों तक छात्रों की पहुंच नहीं बन पा रही है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अनुसार एक घंटे तक एक क्लास में किस तरह पढ़ाया जाए इसकी भी ठीक तरह से ओरिएंटेशन उनके पास नहीं है। शिक्षक स्वाभाविक रूप से अच्छा पढ़ा रहे हैं लेकिन छात्रों के फीडबैक से पता चलता है कि इस एक घन्टे के दौरान छात्रों से ठीक तरह से वातार्लाप न होने के चलते शिक्षक सिर्फ बोलता है और छात्र सुनते हैं।
भुवनेश्वर, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| ओडिशा में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 4,198 नए मामले सामने आने के बाद कुल सख्या 1,55,005 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस से 11 मौतें दर्ज की गई हैं, जिसके बाद राज्य में कुल मौतों का आंकड़ा 637 हो गया है। कटक में चार मौतें दर्ज की गई हैं जबकि खोरधा और बलांगीर जिले में दो-दो मौतें दर्ज की गई हैं।
नए मामलों में 2,476 मामले क्वारंटीन सेंटर से मिले जबकि 1,722 मामले स्थानीय संक्रमण से सामने आए हैं।
इस बीच, ओडिशा भाजपा के अध्यक्ष समीर मोहंती कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने उन सभी से टेस्ट कराने की अपील की है जो पिछले दिनों उनके संपर्क में आए थे।
उन्होंने ट्विटर पर जानकारी दी कि, कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद मैंने अपना टेस्ट करवाया तो मैं संक्रमित पाया गया। मेरी स्थिति ठीक है। मैं इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल हूं।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' से एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) कानून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। कृषि मंत्री ने 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' और 'मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020' को विधेयक के स्वरूप में सदन के पटल पर रखा।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक पर विपक्षी दलों के सांसदों के विरोध का जवाब देते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "किसानों को अपने उत्पादन का मूल्य तय करने और बेचने का स्थान तय करने और कैसे बेचेंगे यह तय करने का अधिकार आज तक नहीं था। मैं समझता हूं इस अध्यादेश के माध्यम से यह आजादी पूरे देश (के किसानों) को मिलने वाली है।"
तोमर ने कहा कि इस अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य अगर चाहेगा तो मंडियां चलेंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंडी की परिधि के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर नया कानून लागू होगा।
अनुसूचित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मसले पर तोमर ने सदन में कहा, " मैं सरकार की ओर से यह कहना चाहता हूं कि एमएसपी है और एमएसपी रहेगी और इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की 201 सिफारिशों में से 200 सिफारिशों पर अमल किया है। उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ फसलों के लिए लागत पर 50 फीसदी मुनाफा के साथ एमएसपी दिया जा रहा है।
कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून के संबंध में उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनकी फसल बेचने की आजादी मिलेगी और व्यापारियों को लाइसेंस राज से मुक्ति मिलेगी, इस प्रकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि "सप्लाई चेन मजबूत होगी और कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा, साथ ही यह निजी निवेश, जब गांव तक और किसानों के खेतों तक पहुंचेगा तो उससे किसानों की उन्नति होगी।
बता दें कि कृषि के क्षेत्र में सुधार और किसानों के हितों की रक्षा के मकसद से कोरोना काल में केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020
मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 लाए, जिनकी अधिसूचना पांच जून को जारी हुई थी। अब इन्हें विधेयक के रूप में पेश किया गया है।
संसद का मानसून सत्र सोमवार को आरंभ हुआ। सत्र के पहले दिन कई अहम विधेयक संसद में पेश किए गए।
मांड्या (कर्नाटक), 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मांड्या जिले में डकैती के दौरान गांव के एक मंदिर के तीन पुजारियों की हत्या से जुड़े मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मांड्या के निरीक्षक बीएस शिवाना ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और तीन आरोपियों को घायल कर दिया। तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन तीनों ने जिले के मद्दुर तालुक में पुलिस बल पर हमला किया था। ये बस स्टाप से भागने के प्रयास कर रहे थे।"
इस घटना में एक उप निरीक्षक और दो हवलदार घायल हुए हैं। इन तीनों का इलाज चल रहा है।
रविवार को पुलिस ने इनके दो साथियों अभिजीत और रघु को गिरफ्तार किया था। इनकी निशानदेही पर ही तीनों आरोपियों तक पुलिस पहुंची।
गांव के मंदिर से दान पात्र से पैसे चुराने के दौरान इन आरोपियों ने 10-11 सितम्बर की रात को तीन पुजारियों की हत्या कर दी थी।
राज्य सरकार ने मारे गए पुजारियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दे दी है।
भोपाल, 14 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सड़क पर घूमने वाले कुत्ते को तालाब में फेंकने के आरोपी सलमान खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सलमान खान द्वारा सड़क पर घूमते कुत्ते को तालाब में फेंकने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। श्यामला हिल्स थाने की पुलिस के अनुसार, पिछले दिनों तालाब में एक व्यक्ति द्वारा सड़क पर घूमते हुए कुत्ते केा फेंकने का वीडियो वायरल हुआ था। कुत्ते को लगभग 20 से 30 फुट नीचे रेलिंग के ऊपर से तालाब में फेंका गया था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश की तो उसकी पहचान काजी कैंप में रहने वाले सलमान खान के रूप में हुई।
वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई लोगों ने पुलिस में शिकायत की थी। इस वीडियो में सलमान कुत्ते को फेंकता नजर आ रहा था और ठहाके भी लगा रहा था।
मध्यप्रदेश के भोपाल में इस युवक ने बेरहमी से कुत्ता तालाब में फेंकते हुए बनवाया वीडियो...
— News24 (@news24tvchannel) September 14, 2020
पुलिस ने मामला दर्ज कर सलमान नाम के युवक की तलाश शुरू कर दी है...#MadhyaPradesh #viralvideo pic.twitter.com/QN4DGxmWU1
कोतवाली क्षेत्र की नगर पुलिस अधीक्षक बिट्टू शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि सलमान काजी कैंप क्षेत्र में रहता है, फोटोग्राफी का काम करता है, उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 429 और पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है।
सलमान गिरफ्तारी के बाद कह रहा है कि उसने मजाक में फेंक दिया था, बाद में कुत्ते को तालाब से सुरक्षित निकाल लिया था। उसे अपने कृत्य पर पछतावा है। वह पूरे देश से माफी मांगता है।
पटना, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार के वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के पैतृक गांव पानापुर शाहपुर में सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है, वहीं उनके निधन के दो दिन पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र को लेकर अब बिहार में सियासत गर्म हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने रघुवंश के अस्पताल से लिखे पत्र पर ही सवाल उठा दिए हैं, जिसको लेकर भाजपा और जदयू के नेताओं ने राजद पर निशाना साधा है।
राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा लिखे पत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) से कैसे पत्र लिख सकता है। उन्होंने इसे एक साजिश बताया।
इधर, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने रघुवंश को साधु संत प्रवृत्ति का व्यक्ति बताते हुए कहा कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही रघुवंश प्रसाद सिंह से भेंट की थी। उस समय वे नीतीश सरकार और मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे जबकि लालू प्रसाद की प्रशंसा की थी।
उन्होंने कहा, मैं तो पहले ही कहा है कि यह पत्र एक साजिश है।
इधर, जदयू के नेता और बिहार के मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि राजद अब समाजवादी नेता के निधन के बाद अमर्यादित टिप्पणी कर रही है। जिंदा रहने पर तो राजद के नेता ने उनकी सुध नहीं ली। उन्होंने जब अपनी भावना एक पत्र के माध्यम से व्यक्त की, तो अब राजद नेता उसी पर सवाल उठा रहे हैं।
भाजपा ने राजद के नेताओं के बयान पर राजद को अनपढ़ और गवारों की जमात तक करार दे दिया। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि रघुवंश सिंह जब जिंदा थे तब तेजप्रताप यादव उन्हें लोटा भर पानी बताया और आज उनके जैसे विद्वान व्यक्ति की लेखनी पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि रविवार को रघुवंश प्रसाद सिंह का दिल्ली एम्स में निधन हो गया था। इससे पहले उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा था जिसमें वैशाली गढ़ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी को तिरंगा फहराने की मांग सहित कई अन्य मांगें रखी थी।
बेंगलुरू, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कर्नाट के कोप्पल जिले की 105 साल की कमलाम्मा लिंगानागौदा हिरेगोद्रा ने आयुर्वेद पद्दति से कोरोनावायरस से हरा दिया है। कोप्पल राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में से एक और काफी समय से यह कोरोना का हॉटस्पॉट रहा है।
कमलाम्मा के पौत्र श्रीनिवास हयाती एक आयुर्वेद डॉक्टर हैं। कमलाम्मा को बुखार था और इसके बाद उनका कोरोना टेस्ट किया गया, जो पॉजिटिव आया लेकिन वह इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना चाहती थीं।
हयाती ने कहा, "घर पर उनका इलाज करना एक चुनौती थी। हालांकि उन्हें कोई और बीमारी नहीं थी और यही उनके लिए वरदान साबित हुआ। वह वायरस को लेकर चिंतित नहीं थी और होम आइसोलेशन में रहते हुए इलाज के दौरान पूरा सहयोग किया।"
कमलाम्मा के परिजनों का कहना है कि उन्होंने यह कहते हुए कि अब उनका अंत समय नजदीक है, खाना-पीना छोड़ दिया था लेकिन हमने उन्हें खाने पर विवश किया। पानी के साथ उन्हें औषधि दी गई और इसी से वह कोरोना को हरा सकीं।
इलाज के बाद कमलाम्मा का फिर से टेस्ट किया गया और इस बार रिपोर्ट नेगेटिव आया।
बेंगलुरु, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री व जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को जोर देकर कहा कि वह देश में गैर-हिंदी भाषी समुदायों पर हिंदी थोपने का सख्त विरोध करेंगे। कुमारस्वामी ने कन्नड़ भाषा में 10 ट्वीट करते हुए कहा कि हिंदी कभी भी राष्ट्रीय भाषा नहीं थी और कभी होगी भी नहीं। "हमारे संविधान ने सभी भाषाओं को समान दर्जा दिया है। इसलिए, जो लोग दिल्ली में बैठे हैं, उन्हें अन्यथा नहीं सोचना चाहिए। इसलिए, हिंदी दिवस मनाने का विचार कुछ और नहीं बल्कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को लागू करने का एक नरम तरीका है, जिसका मैं पुरजोर विरोध करता हूं।"
उन्होंने कहा कि भारत में बोली जाने वाली सभी भाषाओं और बोलियों का अपना इतिहास, संस्कृति है, और हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में लागू करने के लिए कुछ लोगों के प्रयासों को आगे बढ़ाने की होड़ में इसे कुर्बान नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "जो लोग सोचते हैं कि हिंदी दिवस का आयोजन करके या स्कूल के पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में पेश करके हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में लागू किया जा सकता है, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिंदी दिवस को 'भाषा दिवस' के रूप में मनाने के लिए कदम उठा सकती है, जिससे सभी लोग देश में सभी भाषाओं के लिए दिवस मना सकेंगे। हम निश्चित रूप से केंद्र का समर्थन करेंगे अगर यह हिंदी दिवस के बजाय भाषा दिवस मनाने का फैसला करता है।
कुमारस्वामी ने कहा कि अगर राज्य में या केंद्र में भाजपा सोचती है कि त्रि-भाषी फॉर्मूले को लाकर कर्नाटक में हिंदी को आसानी से लागू किया जा सकता है, तो इसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा।
सोनीपत, 14 सितंबर। हरियाणा के सोनीपत जिले में 2 पुलिसवालों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार 2 युवतियों में एक साथ दुष्कर्म के मामले में नया मोड़ आ गया है। मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, सोनीपत के एक थाने में युवती से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में हरियाणा पुलिस के 12 सिपाहियों पर रिपोर्ट दर्ज हो गई है। शुक्रवार को एफआइआर की कॉपी सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद पूरा मामला सामने आया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिसकर्मी संजय, राधे और संदीप के नाम नामजद स्नढ्ढक्र दर्ज हुई है, जबकि बाकी 9 अज्ञात सिपाहियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। 12 पुलिसवालों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद महकमे में हडक़ंप मचा हुआ है और इस संबंध में कोई भी पुलिस अधिकारी बातचीत करने को तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि सोनीपत की चौकी में तैनात दो पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोप में सोनीपत के एक गांव की ही 2 युवतियां जेल में बंद हैं। दोनों में से एक युवती की मां ने महिला आयोग और न्यायालय में प्रार्थनापत्र देकर बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। बताया जा रहा है कि शिकायत मिलने पर पुलिस ने 30 जुलाई को ही रिपोर्ट दर्ज कर ली थी। वहीं, अधिवक्ता ने एफआइआर की कॉपी दबाने के आरोप लगाए हैं।
दरअसल, जून महीने में 29 तारीख की आधी रात को सोनीपत जिले के गोहाना कस्बे में एसपीओ कप्तान (42) और कांस्टेबल रविंद्र (30) बुटाणा चौकी पर तैनात थे उनकी ड्यूटी बाइक राइडर पर लगी हुई थी। रात करीब 12 से 1 बजे के बीच गश्त पर निकले थे, जिस दौरान दोनों की हत्या कर दी गई।
जानाकारी के मुताबिक, दोनों पुलिसवालों और बदमाशों का शराब पीने को लेकर विवाद हुआ था। बदमाश रास्ते में शराब पी रहे थे। पुलिसवालों ने लॉकडाउन के चलते शराब पीने और बेमकसद घर से बाहर निकलने पर टोका। इस पर बदमाशों ने धारदार हथियारों से उन दोनों पर हमला बोल दिया। इसके बाद सिपाहियों को बीच रास्ते में खून सना छोडक़र भाग गए। इस दौरान उनके साथ 2 युवतियां भी थीं। 2 सिपाहियों की हत्या के इस मामले बाद में पुलिस ने दोनों युवतियों को भी गिरफ्तार कर लिया था। (jagran.com)
अयोध्या, 14 सितंबर (आईएएनएस)| बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार से चल रही तकरार में भले ही अखाड़ा परिषद के साथ तमाम संत कंगना के पक्ष में हों, लेकिन अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव तथा विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय खुलकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पक्ष में आ गए हैं। राय ने अयोध्या के संतों द्वारा उद्घव के विरोध किए जाने को गलत बताया। उन्होंने यहां तक कह डाला कि किसमें है इतना दम जो उद्धव को अयोध्या आने से रोक सके। अयोध्या में तमाम साधु-संतों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे को अयोध्या में न घुसने देने का एलान किया था। इसके विपरीत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साफ कह दिया है कि उद्घव ठाकरे को अयोध्या आने से कोई नहीं रोक सकता। अभी किसी में इतना दम नहीं है कि वह उद्घव ठाकरे को अयोध्या आने से रोक सके।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय इतने पर ही नहीं रुके। चंपत राय ने अयोध्या के संतों का उद्घव के विरोध को बेहद गलत बताया है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि, अगर किसी में जरा भी दम है तो उद्धव को अयोध्या आने से रोक ले। जिसकी मां ने दूध पिलाया वो उद्धव का सामना करे। बेवजह विवाद को बढ़ाया जा रहा है।
कारसेवकपुरम में चंपत राय ने कहा कि राजस्थान में एक गीत है, जिसमें कहा जाता है कि किसकी मां ने जीरा खाया जो गंगा का पानी रोक सके। ठीक उसी तरह से अयोध्या में किसकी मां ने इतना जीरा खाया है कि ऐसी ताकतवर संतान पैदा की है जो कि उद्घव ठाकरे को अयोध्या आने से रोक सके। किसी की मां ने दूध पीया है और पिलाया है अपने बच्चे को, जो उद्घव ठाकरे का सामना करेगा अयोध्या में। उन्होंने कहा कि सब बेकार की बातें हैं सिर्फ एक विवाद खड़ा किया जा रहा है।
बता दें कि अयोध्या के संतों ने उद्धव के अयोध्या आने पर विरोध की चेतावनी दी थी।
ज्ञात हो कि शिवसेना और कंगना रनौत के बीच तनातनी काफी बढ़ गई है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से विवाद के बाद कंगना ने कहा था कि वह मुंबई आ रही हैं और जिसमें हिम्मत है उन्हें रोक ले। इन सबके बीच बीएमसी ने उनके दफ्तर को ध्वस्त कर दिया था। इस मामले में अयोध्या में साधु-संतों ने भी उद्धव ठाकरे का विरोध किया था।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्र ने सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को वापस ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को वापस लेने के लिए लोकसभा में यह कहते हुए एक प्रस्ताव रखा कि वह इस साल 3 मार्च को विधेयक लेकर आई थीं और बाद में एक अध्यादेश पारित किया गया था।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को संकटग्रस्त सहकारी बैंकों को पुनर्गठन का मौका देने वाली कुछ चीजों को जोड़ने के लिए विधेयक को वापस लिया जा रहा है, जो कि बहुत जरूरी है।
बाद में सदन ने विधेयक को वापस लेने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
इससे पहले, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेता एन.के. प्रेमचंद्रन ने सीतारमण द्वारा विधेयक को वापस लेने के लिए यह कहते हुए विरोध किया कि अध्यादेश केवल असाधारण स्थितियों में लाया जाता है, जब सरकार कानून चाहती है लेकिन अब वित्त मंत्री विधेयक को वापस लेने के लिए आई हैं।
उन्होंने कहा, "जब आप एक विधायी प्रस्ताव लाते हैं, तो समाज के दीर्घकालिक हित को ध्यान में रखना पड़ता है। सरकार की तरफ से गंभीरता की कमी विधायी प्रक्रिया में दिखाई देती है। यह अनुच्छेद 123 की संवैधानिक शक्ति के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। मैं विधेयक का विरोध करता हूं।"
विवेक त्रिपाठी
वाराणसी, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोना से मुक्ति दिलाने में गंगाजल का अहम योगदान हो सकता है। गंगाजल के बैक्टियोफॉज से कोरोना के नाश होने का दावा बनारस हिंदु विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मेडिकल साइंस की ओर से किया जा रहा है।
बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ़ विजय नाथ (वीएन) मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि 1896 में जब कालरा महामारी आयी थी तब डा़ॅ. हैकिंन ने एक रिसर्च किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि जो गंगाजल का सेवन करते हैं, उन्हें कालरा नहीं हो रहा है। वह रिसर्च काफी दिनों तक पड़ा रहा। फिर करीब 1940 में एक खोज हुई तो पता चला कि गंगाजल में एक ऐसा बैक्टीरिया पाया जाता है जो वायरस को नष्ट कर देता है। उसका नाम बैक्टीरियोफेज (फाज) भी कहते हैं।
उन्होंने बताया कि गंगा में वायरस से लड़ने के लिए बैक्टीरिया मिल रहे हैं। 1980 में यह पता चला कि बैक्टीरियोफेज सभी नदियों में मिलते हैं लेकिन गंगा में 1300 प्रकार के मिलते हैं। यमुना में 130 प्रकार के मिलते हैं। नर्मदा में 120 प्रकार के मिलते हैं। यह फेज गंगा जी के पानी में ज्यादा पाए जाते हैं। इसके निहितार्थ दो देशों ने जार्जिया और रूस ने समझा है। जार्जिया में कोई एंटीबायोटिक नहीं खाता है। वहां पर फेज पिलाकर इलाज किया जाता है। वहां प्रयोगशालाएं भी हैं। जहां पर एंटीबायोटिक का असर करना बंद हो जाता है वहां फेज या फाज से इलाज किया जाता है।
बीएचयू में 1980-90 के बीच जले हुए मरीजों को फाज के माध्यम प्रो़ गोपालनाथ ने इलाज किया। काफी मरीजों को ठीक किया। जब कोरोना आया तो डॉ़ बोर्सिकि ने बताया कि इनके विरूद्घ कोई लिविंग वायरस प्रयोग कर सकते हैं। जिस प्रकार टीबी के लिए बीसीजी का कर रहे हैं। बीसीजी में कोई दवा नहीं होती है। इसमें लाइव बैक्टीरिया होता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता है। इससे टीबी खत्म होता है।
इसके लिए गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता ने अप्रैल में राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। उसमें कहा था कि गंगाजल के औषधीय गुणों और बैक्टीरियोफाज का पता लगाया जाना चाहिए। लेकिन 10 मई को आईसीएमआर ने इसे यह कह कर रिजेक्ट कर दिया कि इसकी कोई क्लीनिकल स्टडी नहीं कि हम गंगा के पानी से कोई इलाज किया जा सके। फिर हम लोगों ने एक ग्रुप बनाया फिर रिसर्च शुरू किया। 112 जर्नल निकाले। हम लोगों ने एक रिसर्च की सोच दी। बैक्टीरियाफा की स्टडी की। इसका वायरोफाज नाम दिया।
गुप्ता ने कहा कि हमने इंटरनेशनल माइक्रोबायलॉजी के आगामी अंक में जगह मिलेगी। हम लोग फाजबैक्टीरिया के माध्यम से कोरोना संक्रमण को दो विधियों से इलाज किया जा सकते हैं। यह वायरस नाक में अटैक करते हैं। गंगोत्री से 20 किलोमीटर नीचे गंगाजल लिया। टेस्ट किया वहां फेज की गुणवत्ता अच्छी है। इसका नोजस्प्रे बना दिया है। इसका क्लीनिकल ट्रायल होना है। बीएचयू की एथिकल कमेटी से पास होंने पर इसका ट्रायल होना है। अभी केमिकल स्टडी की परिमिशन नहीं मिली। लेकिन प्रति ने इसका ट्रायल किया है। इसके लिए हमने एक सर्वे भी किया है। गंगा किनारे 50 मीटर रहने वाले 490 लोगों को शामिल किया है। जिसमें 274 ऐसे लोग है जो रोज गंगा नहाते पीते है। उनमें किसी को कोरोना नहीं है। इसमें 90 वर्ष के लोग शामिल हैं। 217 लोग भी इसी दायरे में रहते हैं। वह गंगाजल का इस्तेमाल नहीं करते। उनमें 20 लोगों को कोरोना हो गया है। जिसमें 2 की मौत हो गयी है। यह एक संकेत है। एथिकल कमेटी हमको परिमिशन देगी तो ट्रायल शुरू हो जाएगा। बैक्टीरियोफाज स्प्रे बन गया है। जिससे कोरोना का मुकबला किया जा सकता है।
गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता ने बताया कि गंगाजल में हजारों प्रकार के बैक्टीरियोफाज पाए जाते हैं। फाज का एक गुण होता है। यह शरीर में प्रवेश करने पर यह सभी प्रकार के वायरस को मार देता है। लॉकडाउन के बाद इसके रिसर्च में लग गया। तो पता चला कि फाज वायरस के अलावा श्वसन तंत्र वायरस को नष्ट कर सकता है। इस स्टडी को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा। इसे राष्ट्रपति ने आईसीएमआर को भेज दिया। लेकिन इस पर आईसीएमआर ने रिसर्च करने से मना कर दिया। बीएचयू की टीम से संपर्क किया। करीब 5 डाक्टरों की टीम बनाकर क्लीकल ट्रायल शुरू किया है। पाया गया है यह फाज कोरोना को नष्ट कर सकता है।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| लोकसभा के इतिहास में पहली बार, मानसून सत्र के साथ सोमवार को शुरू हुई लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने वाले सांसदों को अपनी सीटों पर बैठकर बोलने की अनुमति दी गई। कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए इस पहल को अमल में लाया गया। मॉनसून सत्र 1 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
सांसदों को अपनी सीट पर बैठकर बोलने की अनुमति देते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, "इस मानसून सत्र में सभी सासंद पहले अपनी सीटों पर बिना खड़े हुए बोलेंगे। ऐसा कोविड -19 महामारी को देखते हुए किया जा रहा है।"
इससे पहले, सभी सांसद संसद में बोलने से पहले खड़े होते थे। यह आसन के प्रति सम्मान दर्शाने का प्रतीक है।
इस बीच, स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि यह इतिहास में पहली बार है जब निचले सदन की कार्यवाही के दौरान कई लोकसभा सदस्य राज्य सभा में बैठेंगे और उच्च सदन की कार्यवाही के दौरान राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा में बैठने का मौका मिलेगा। कोविड-19 संकट के बीच असाधारण स्थितियों के कारण यह कदम उठाया गया है।
विशेष मानसून सत्र का स्वागत करते हुए, बिड़ला ने सत्र के पहले दिन सांसदों की अधिकतम उपस्थिति पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित किए गए हैं और अधिकतम डिजिटलाइजेशन किया गया है।
उन्होंने सांसदों से अपनी बात संक्षिप्त रूप से रखने का आग्रह करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही हर दिन केवल चार घंटे के लिए होगी।
अध्यक्ष ने कोरोनवायरस या कोविड-19 महामारी द्वारा बनाई गई असाधारण स्थिति के दौरान देश को संदेश देने के लिए सभी सांसदों का समर्थन मांगा।
चित्रकूट, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के चिलिमल गांव में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर तीन बच्चों की मौत हो गई। यह घटना रविवार शाम को हुई जब बच्चे अपनी बकरियों को चराने के लिए ले गए थे और घर लौट रहे थे।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंकित मित्तल ने कहा कि बच्चों की पहचान नानबाबू निषाद (12), गुड्डा निषाद (13) और राधा देवी ( 8) के रूप में की गई है।
आकाशीय बिजली गिरने से धर्मेद्र नाम का एक शख्स भी घायल हो गया और सात बकरियों की भी मौत हो गई।
एसपी ने कहा कि मृत बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 निरस्त होने के एक साल से अधिक समय के अंतराल के बाद पहली बार संसद के मानसून सत्र में भाग लिया। अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के उन नेताओं में से एक थे जिन्हें पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र द्वारा आर्टिकल 370 को रद्द कर दिए जाने के बाद हिरासत में रखा गया था।
अब्दुल्ला इस सत्र में उन आरोपों पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि जम्मू -कश्मीर में कुछ नेताओं को जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने के बाद अवैध हिरासत में रखा गया है। लोकसभा कक्ष में कांग्रेस के शशि थरूर और मनीष तिवारी, राकांपा की सुप्रिया सुले, डीएमके के ए. राजा और मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी और अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित वरिष्ठ नेताओं ने उनका स्वागत किया। वह विपक्षी बेंच की दूसरी पंक्ति में अपनी निर्धारित सीट पर बैठे।
पिछले साल के शीतकालीन सत्र में आर्टिकल 370 निरस्त करने के दौरान, कई विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि अब्दुल्ला को संसद में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। अब्दुल्ला ने तब श्रीनगर में एक भावनात्मक साक्षात्कार में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्हें हिरासत से बाहर आने के लिए अपने घर का दरवाजा तोड़ना पड़ा था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को खारिज कर दिया था कि वह (अब्दुल्ला) कही भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
फारूक अब्दुल्ला 2002 में जम्मू -कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए और 2009 में फिर से निर्वाचित हुए। उन्होंने मई 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और श्रीनगर से लोकसभा सीट जीती।
अब्दुल्ला की उपस्थिति से पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। जबकि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को रिहा कर दिया गया है, जिनमें फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं, वहीं मुफ्ती को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में ही रखा गया है।
मुरादाबाद, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| एक निजी स्कूल के 10वीं कक्षा के एक छात्र के खिलाफ ऑनलाइन कक्षा के दौरान कथित तौर पर अपनी शिक्षिका को 'अश्लील संदेश' भेजने के मामले में मामला दर्ज किया गया है। छात्र के पिता के खिलाफ भी फोन पर 'शिक्षिका को धमकाने' के लिए केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह कार्रवाई की।
अपनी पुलिस शिकायत में, मुरादाबाद में सीबीएसई-संबद्ध स्कूल की सामाजिक विज्ञान विषय की 30 वर्षीय शिक्षिका ने आरोप लगाया कि जब वह गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं ले रही थीं तब उन्हें दो अनुचित संदेश भेजे गए थे। उन्होंने कहा कि संदेश कई अन्य छात्रों द्वारा भी पढ़े गए थे।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, "मैंने छात्र के परिवार से संपर्क किया। हालांकि, उसके पिता ने अपने बच्चे को डांटने के बजाय, सुनने से इनकार कर दिया। उन्होंने मुझसे दुर्व्यवहार भी किया और धमकी दी।"
बाद में पुलिस ने पिता-पुत्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
सर्कल अधिकारी कुलदीप सिंह ने कहा कि दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और एक विस्तृत जांच के लिए साइबर सेल को रिपोर्ट भेजी गई है।
नवल मारवाह (सिविल लाइंस एसएचओ) ने संवाददाताओं से कहा, "छात्र के खिलाफ आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 67 ए (यौन शोषण से संबंधित सामग्री के प्रकाशन या ट्रांसमिटिंग के लिए सजा आदि) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। जबकि उसके पिता पर आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।"
मारवाह ने कहा कि छात्र के परिवार के अन्य विवरण अभी भी एकत्र किए जा रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि स्कूल मामले से अवगत है, लेकिन अभी तक छात्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्कूल के अधिकारी किसी भी आधिकारिक टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध रहे।
कोरोना महामारी को देखते हुए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
नयी दिल्ली, 14 सितम्बर (वार्ता) लोकसभा ने मानसून सत्र के पहले दिन आज पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, सदन के सदस्य एच वसंतकुमार, शास्त्रीय गायक पंडित जसराज तथा सदन के अन्य पूर्व सदस्यों के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही शुरु करते ही सदन को सभा के पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना दी और उनके योगदान का उल्लेख किया। सदन ने देश की सुरक्षा के लिए शहीद हुए जवानों तथा कोरोना से लड़ते हुए अपनी जान देने वाले कोरोना योद्धाओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को संसदीय मामलों का महान ज्ञाता, लोकप्रिय नेता तथा सभी दलों में उनके व्यक्तित्व के लिए सम्मान के भाव का जिक्र किया और कहा कि वह देश के महानतम नेताओं में से एक थे। श्री मुखर्जी एक प्रखर वक्ता, संसदीय मामलों के अद्वितीय जानकार थे और उन्होंने पांच दशक से अधिक के राजनीतिक जीवन में देश को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है।
श्री मुखर्जी को सच्चे अर्थाें में लोकतंत्र की मूल भावना का उपासक बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि वह प्रणब दा के नाम से लोकप्रिय थे और उनका मानना था कि संविधान मात्र दस्तावेज नहीं है बल्कि यह देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने का एक मंत्र है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं है जो देश के लोकतंत्र को आगे बढाने में आने वाली पीढियों का भी मार्ग दर्शन करेंगी।
जांच समिति पर उठाए सवाल
नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित प्रतिष्ठित आवासीय संगीत गुरुकुल ‘ध्रुपद संस्थान’ के लोकप्रिय गुरुओं रमाकांत गुंदेचा और अखिलेश गुंदेचा पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद संस्थान के छह छात्र गुरुकुल छोड़ चुके हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुकुल के 24 में से छह छात्र गुरुकुल छोड़ चुके हैं. छात्रों का कहना है कि छह और छात्र रविवार तक संस्थान छोड़ देंगे.
संस्थान से शिक्षा ले चुके दिल्ली के एक छात्र ने कहा, ‘अगले हफ्ते और छात्र संस्थान छोड़ देंगे.’
छात्रों का आरोप है कि आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक शिकायत समिति में या तो परिवार से जुड़े लोग हैं या फिर ध्रुपद संस्थान के.
शिकायत समिति में सामाजिक कार्यकर्ता सुषमा अयंगर हैं, जो गुंदेचा के अधीनस्थ ही ध्रुपद संस्थान में पढ़ाती हैं.
इसके अलावा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की बहू मोना दीक्षित भी हैं, जो संस्थान का दौरा करती रहती हैं. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अंशु वैश्य, मध्य प्रदेश की जिला एवं सत्र अदालत के पूर्व जज मुंशी सिंह चंद्रावत भी शामिल हैं.
समिति की ऑनलाइन बैठक आठ सितंबर को हुई थी, जिसका प्रभावित छात्रों ने बहिष्कार किया था.
साल 2019 में पिता रमाकांत के निधन के बाद से उमाकांत के साथ गाने वाले रमाकांत के बेटे अनंत का कहना है कि वे समिति के पुनर्गठन की प्रक्रिया में है और वे इसमें छात्रों को भी शामिल करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘कुछ ऐसे छात्र हैं, जिन्हें लगता है कि समिति में परिवार से जुड़े लोगों को नहीं होना चाहिए और वे समिति की बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं लेकिन ऐसे भी कई छात्र हैं, जो हिस्सा ले रहे हैं.’
अनंत ने कहा कि सुझावों के लिए परिवार गुरुकुल में रह रहे छात्रों के साथ इसके साथ ही अन्य लोगों के भी संपर्क में है.
उन्होंने कहा, ‘हम जितना संभव हो सके, इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में है. हमारा विश्वास है कि यह संस्थान छात्रों और गुरुओं के संयोजन से बना है. वे सदस्य, जिन्हें हमने चुना है, हमें लगता है कि इस मुद्दे पर उनसे संवेदनशीलता के साथ संपर्क किया जाए. अब हम एक नई समिति का गठन करेंगे, जिसमें पुरानी समिति और साथ ही छात्रों के प्रतिनिधि भी होंगे.’
इस संबंध में हाल ही में छात्रों के एक समूह ने हाल ही में बयान जारी किया है जबकि इससे पहले ध्रुपद संस्थान ने कहा था कि अखिलेश गुंदेचा उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच होने तक स्वेच्छा से संस्थान की सभी गतिविधियों से खुद को दूर रख रहे हैं.
छात्रों के मुताबिक, ‘फेसबुक पर इन आरोपों के सामने आने के बाद दो सितंबर को बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता संस्थान के चेयरमैन उमाकांत गुंदेचा, उनकी बेटी धानी और अनंत ने की थी.’
बयान में कहा गया, ‘अखिलेश को छात्रों की ओर से बने दबाव की वजह से गुरुकुल छोड़ना पड़ा.’
दिल्ली के छात्र का दावा है कि हाल ही में उमाकांत ने अमेरिका के एक पखावज छात्र को अखिलेश द्वारा पढ़ाए जाने की पेशकश की थी.
छात्रों के बयान में कहा गया, ‘बड़े गुरुजी उमाकांत पर कोई आरोप नहीं है लेकिन जिस तरह से वे व्यवहार कर रहे हैं, वह बेहद अफसोसजनक है. इससे लगता है कि वे सिर्फ अपने परिवार का बचाव कर रहे हैं और उन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है. उन्हें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि गुंदेचा परिवार को इस तरह के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों के बारे में पहले से जानकारी थी लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.’
गुरुकुल के छात्रों का कहना है कि संस्थान में उत्पीड़न की अफवाहें सामान्य थीं लेकिन लॉकडाउन के दौरान ये इतनी तेज हो गईं कि इन्हें छिपाया नहीं जा सका. उदाहरण के लिए एक बार अखिलश कथित तौर पर एक छात्रा के कमरे में घुस आए और उससे कहा कि मुझे जो चाहिए, वो मुझे मिल जाएगा.
एक छात्र का कहना है कि पिछले साल रमाकांत की मौत के बाद गुरु अधिक निर्लज्ज हो गए थे. वह (अखिलेश) अधिक मुखर मांग करने वाले थे. कुछ मामलों में उन्होंने ब्लैकमेल भी किया.
100 कमरों वाले गुरुकुल में कई यूरोपीय छात्र थे, जो कोरोना वायरस की वजह से इस साल की शुरुआत में अपने देश लौट गए.
गुरुकुल की परंपरा के अनुसार छात्रों को संस्थान परिसर में ही रहकर संगीत सीखना होता है. वह इस दौरान साफ-सफाई और खाना पकाने जैसे काम भी करते हैं.
एक युवा छात्र ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘संस्थान में बचे छात्रों ने कक्षाओं से दूरी बना ली है.’
छात्रों के लिए कक्षाएं आयोजित कराने में उमाकांत गुंदेचा की मदद करने वाले एक सीनियर छात्र ने बताया कि छात्रों के न आने की वजह से कई कक्षाएं रद्द करनी पड़ी.
अमेरिका से एक सीनियर छात्र ने कहा, ‘मैंने कल एक क्लास अटैंड की थी लेकिन मैंने आज कोई क्लास नहीं ली क्योंकि इन आरोपों के बाद संगीत पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल है.’
मालूम हो कि ‘ध्रुपद फैमिली यूरोप’ नाम से एक फेसबुक ग्रुप की पोस्ट के बाद ये आरोप पहली बार सामने आए थे. जिसमें संस्थान के गुरुओं रमाकांत और अखिलेश गुंदेचा पर कई सालों तक यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए.
एम्सटर्डम की एक योग शिक्षक ने यह फेसबुक पोस्ट लिखी थी, जिनका कहना है कि उन्होंने अपनी एक दोस्त की ओर से इस बात को सार्वजनिक किया है, क्योंकि वह अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहती हैं.
गुंदेचा बंधुओं में से रमाकांत की पिछले साल दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. उनके बड़े भाई उमाकांत गुंदेचा ध्रुपद संस्थान के प्रमुख हैं.
अखिलेश गुंदेचा इनके छोटे भाई हैं और पखावज वादक हैं. गुंदेचा बंधुओं को 2012 में पद्मश्री और 2017 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.
बता दें कि ध्रुपद देश के सबसे पुराने शास्त्रीय संगीत प्रारूपों में से एक है. ध्रुपद संस्थान एक आवासीय शास्त्रीय संगीत गुरुकुल है, जिसे यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है.
फेसबुक पोस्ट में दोनों गुरुओं की धमकियों की वजह से कथित पीड़ितों के चुप्पी साधे रखने की बात कही गई थी.(thewire)
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)| नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) आयोजित होने के एक दिन बाद संप्रग सहयोगियों ने सोमवार को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन कर परीक्षा रद्द करने की मांग की। मानसून सत्र की शुरूआत से कुछ घंटे पहले किए गए इस प्रदर्शन में डीएमके प्रमुख रूप से सक्रिय रहा। डीएमके सांसद गौतम सिगमनी ने आईएएनएस को बताया कि कोविड -19 के कारण कई छात्र नीट की तैयारी अच्छे से नहीं कर सके। इसके अलावा तमिलनाडु में कई छात्र परीक्षा केंद्रों तक नहीं पहुंच सके।
विपक्षी सदस्यों ने नीट परीक्षा को तुरंत रद्द करने की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि देश में जब परिवहन और अन्य सुविधाएं पूरी तरह से बहाल हो जाएं उसके बाद फिर से परीक्षा आयोजित करानी चाहिए।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब तक कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन नहीं आ जाता तब तक हमें सावधान रहने की जरूरत है। मोदी ने कहा संसद के इस सत्र में कई बड़े फैसले लिए जाएंगे और कई अहम मुद्दों पर चर्चा भी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानसून सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब पूरा देश कोरोनावायरस से लड़ रहा है और लोगों को कई तरह की बंदिशों से जूझना पड़ रहा है। देश में अभी तक कोरोनावायरस के 47,54, 357 मामले दर्ज हो चुके हैं।
मीडिया से बात करते हुए मोदी ने इस सत्र में हिस्सा लेने वाले सभी सांसदों का आभार जताया और उनसे कहा कि वो वैक्सीन आने तक पूरी सावधानी बरतें।
चीन को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरा देश आज सीमा पर तैनात जवानों के साथ खड़ा है।
सैन फ्रांसिस्को, 14 सितंबर (आईएएनएस) अमेरिका के ओरेगन राज्य में जंगल में लगी आग के कारण 10 लोगों की जान चली गई है, वहीं कई लोग लापता हैं। इस आग के कारण सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी सीमा से तट और क्लैकमास काउंटी तक फैले ओरेगन में आग ने 10 लाख एकड़ से अधिक जंगल को घेर लिया है। यह आंकड़ा पिछले 10 वर्षों में वार्षिक औसत से लगभग दोगुना है।
आग की वजह से 40,000 से अधिक लोगों को अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जैक्सन काउंटी शेरिफ ऑफिस ने कहा कि, कर्मचारियों ने सभी को ढूंढ निकाला है, लेकिन लापता होने को लेकर पहले सूचित किए गए 50 लोगों में से एक अभी भी लापता है।
वहीं ओरेगन लाईव के रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, ओरेगन के फायर मार्शल जिम वॉकर ने छुट्टी पर भेजे जाने के बाद इस्तीफा दे दिया है।
यूएस इन्वायरॉनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार, राज्य के सबसे बड़े शहर पोर्टलैंड की वायु गुणवत्ता रविवार सुबह अत्यंत खराब स्तर पर रही, शहर के कुछ हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 516 तक पहुंच गई।