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नई दिल्ली, 18 दिसंबर | किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित हुए किसान सम्मेलन को सीधे संबोधित करते हुए तीनों कानूनों को लेकर उठते सभी सवालों का जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए किसानों को सावधान किया। भोपाल के रायसेन में शुक्रवार को आयोजित इस किसान सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक-एक कानून से होने वाले फायदे और इससे जुडे भ्रम पर सफाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 45 मिनट चले भाषण के दौरान तीनों कानूनों की पृष्ठिभूमि, इसके लाभ और इसको लेकर उठते सवालों का जवाब देकर किसानों को कई बड़े संदेश दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर को अटल जयंती पर भी इस तरह किसानों के मसले पर चर्चा करने की जानकारी दी। माना जा रहा है कि तीनों कानूनों को लेकर किसानों के बीच गलतफहमी दूर करने के लिए आगामी समय पीएम मोदी इसी तरह के और किसान सम्मेलनों को संबोधित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कृषि सुधारों से जुड़ा एक और झूठ फैलाया जा रहा है एपीएमसी यानी मंडियों को लेकर। हमने कानून में क्या किया है? हमने कानून में किसानों को आजादी दी है, नया विकल्प दिया है। नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी। अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए कानून के बाद 6 महीने हो गए हैं, देश में एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? हमारी सरकार एपीएमसी को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये मंडी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई?
प्रधानमंत्री मोदी ने फार्मिग एग्रीमेंट को लेकर फैले भ्रम पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों को लेकर तीसरा बहुत बड़ा झूठ चल रहा है फार्मिग एग्रीमेंट को लेकर। देश में फार्मिग एग्रीमेंट क्या कोई नई चीज नहीं है। हमारे देश में बरसों से फार्मिग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "8 मार्च 2019 की एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार-इसमें पंजाब की कांग्रेस सरकार, किसानों और एक मल्टीनेशनल कंपनी के बीच 800 करोड़ रुपए के फार्मिग एग्रीमेंट का जश्न मना रही है। पंजाब के किसान की खेती में ज्यादा निवेश हो, ये हमारी सरकार के लिए खुशी की ही बात है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फार्मिग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों या उपज का समझौता होता है। जमीन किसान के ही पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना-देना ही नहीं है। प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो भी किसान को पूरे पैसे मिलते हैं।
उन्होंने कहा, "नए कानूनों के अनुसार, अगर अचानक मुनाफा बढ़ जाता है, तो उस बढ़े हुए मुनाफे में भी किसान की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है। मुझे खुशी है कि देशभर में किसानों ने नए कृषि सुधारों को न सिर्फ गले लगाया है बल्कि भ्रम फैलाने वालों को भी सिरे से नकार रहे हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर को अटल जयंती पर फिर से किसानों के मसले पर विस्तार से बात करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा, "मेरी बातों के बाद भी, सरकार के इन प्रयासों के बाद भी, अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ, देश के किसान के हित में, उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए, हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं। अभी 25 दिसंबर को, अटल जी की जन्मजयंती पर एक बार फिर मैं इस विषय पर और विस्तार से बात करूंगा।"
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली सरकारों के दौरान किसानों की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा, "राजनीति के लिए किसानों का उपयोग करने वाले लोगों ने किसान के साथ क्या बर्ताव किया, इसका एक और उदाहरण है, दलहन की खेती। 2014 के समय को याद कीजिए, किस प्रकार देश में दालों का संकट था। देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेशों से मंगाई जाती थी।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज दाल के किसान को भी ज्यादा पैसा मिल रहा है, दाल की कीमतें भी कम हुई हैं, जिससे गरीब को सीधा फायदा हुआ है। जो लोग किसानों को न एमएसपी दे सके, न एमएसपी पर ढंग से खरीद सके, वो एमएसपी पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 18 दिसम्बर | केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को उन सभी महान योद्धाओं को सैन्य साहित्य महोत्सव (एमएलएफ) 2020 समर्पित किया, जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है। महोत्सव का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री ने पंजाब को वीर योद्धाओं की भूमि बताया।
राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के आयोजकों की सराहना भी की। उन्होंने करियर बनाने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं को सेना की संस्कृति की झलक पेश करने के लिए एक व्यवहार्य मंच तैयार करने पर आयोजकों को सराहा।
विस्तारित संसद सत्र के कारण पिछले साल गाला कार्यक्रम में भाग लेने में असमर्थता के चलते सिंह ने खेद भी जताया। रक्षा मंत्री ने आयोजकों को बधाई दी और मंच को जनता के बीच सैन्य मामलों के बारे में अधिक समझ बढ़ाने के लिए एक स्थिर और सार्थक साधन के रूप में विकसित होते देख काफी संतोष भी व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, "मैं पिछले साल एमएलएफ में हमारे सैनिकों द्वारा की जा रही पुस्तक चर्चा, पैनल चर्चा और साहसी कारनामों सहित सभी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था।"
राजनाथ सिंह ने कहा, "आज मोबाइल मिसाइल की तरह ही एक हथियार है और हमारे युवाओं को साइबर, जैविक और सूचना क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान द्वारा हमारी सेनाओं का लाभ उठाना चाहिए और उन्हें पूरक बनाना चाहिए।"
रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि मंच अधिक से अधिक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्व के लिए महत्वपूर्ण वार्ता का माहौल प्रदान करता रहेगा।
उन्होंने युवाओं से वीरता, बलिदान और दृढ़ संकल्प के गुणों को अपनाने की भी अपील की।
सैनिकों के साथ अपनी व्यक्तिगत आत्मीयता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि एमएलएफ का वर्तमान संस्करण अतिरिक्त रूप से विशेष है, क्योंकि राष्ट्र पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध की स्वर्ण जयंती मना रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मिल्रिटी साहित्य को आम लोगों से जोड़ने को लेकर उनकी खुद की भी रुचि रही है। उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारे देश के इतिहास को, खास तौर पर सीमा क्षेत्र के इतिहास को अच्छी तरह से जानें। इसके लिए रक्षा मंत्री बनने के बाद ही मैंने एक कमेटी का गठन किया। यह हमारे सीमाई इतिहास और इससे जुड़े युद्धों को आसान शब्दों में लोगों तक पहुंचने के लिए काम कर रही है।"
उन्होंने कहा कि यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बदलते समय में युद्ध के खतरे और इसका चरित्र भी बदला है। भविष्य में सुरक्षा से जुड़े और भी मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं। धीरे-धीरे संघर्ष का दायरा इतना बढ़ गया है, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी। (आईएएनएस)
मॉस्को, 18 दिसंबर | रसियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत में 2021 में रूसी कोरोनावायरस वैक्सीन स्पुतनिक 5 की लगभग 30 करोड़ खुराक का उत्पादन होगा। टीएएसएस समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रोसिया 24 टीवी चैनल से उन्होंने गुरुवार को कहा, "भारत में हमारे चार बड़े निर्माताओं के साथ समझौते हुए हैं। भारत अगले साल हमारे लिए लगभग 30 करोड़ खुराक या वैक्सीन का उत्पादन करेगा।"
आरडीआईएफ रूस का संप्रभु धन कोष है।
दिमित्रिएव ने बताया कि स्पुतनिक 5 के उत्पादन पर बातचीत करने के लिए 110 मैन्यूफैक्च र्स सामने आए थे, लेकिन आरडीआईएफ ने उनमें से 10 को चुना, जो इसकी आवश्यकताओं पर खरा उतर रहे हैं।
दिमित्रिएव ने कहा, "रूसी स्पुतनिक 5 दुनिया में सक्रिय रूप से उत्पादित किया जाएगा और हम इस पर निगरानी रखेंगे कि यह मानव एडिनोवायरस पर आधारित एक सुरक्षित मंच पर बनाया गया हो।"
इससे पहले दिमित्रिएव ने कहा था कि स्पुतनिक 5 का उत्पादन अन्य देशों में विशेष रूप से भारत, कोरिया, ब्राजील और चीन में शुरू हो गया है।
रूस द्वारा 11 अगस्त को पंजीकृत होने के बाद स्पुतनिक 5 दुनिया का पहला कोरोनावायरस वैक्सीन बन गया।
इस वैक्सीन को गामलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित किया गया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 दिसंबर | चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपना समर्थन दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए बहुगुणा ने कहा कि वह 'अन्नदाता' की मांगों का समर्थन करते हैं।
सुंदरलाल बहुगुणा प्रख्यात गढ़वाली पर्यावरणवादी और चिपको आंदोलन के नेता हैं।
कई सालों से वह हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए लड़ रहे हैं। वह पहले 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के प्रमुख सदस्य में से एक थे। बाद में 1980 के दशक से शुरू होकर 2004 के शुरू में एंटी टिहरी डैम आंदोलन की अगुवाई भी की।
नए बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 दिसम्बर| उत्तर प्रदेश में धान खरीद को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार हुई योजना असरदार साबित हुई है। इस योजना के चलते ही राज्य में अब तक 6,95,819 किसानों से 3729751.124 मीट्रिक टन धान खरीदा गया। जबकि बीते साल 16 दिसंबर तक 3,15,866 किसानों से धान की खरीदा गया था। इस प्रकार बीते साल के मुकाबले अब तक दोगुने से अधिक किसानों से सरकार ने धान खरीद कर अपना ही रिकार्ड तोड़ा है। खरीद की प्रक्रिया अब भी जारी है। यही नहीं योगी सरकार ने प्रदेश के धान किसानों को सबसे अधिक भुगतान का रिकार्ड बनाया है। राज्य सरकार ने पिछले चार साल में प्रदेश के धान किसानों को 31904.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। प्रदेश में धान किसानों को सबसे अधिक भुगतान का यह एक रिकार्ड है। राज्य में अबतक हुई धान खरीद के आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं। राज्य में धान खरीद से जुड़े अफसरों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में किसानों को उनकी फसल की लागत से दो गुना दाम दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत ही प्रदेश सरकार ने सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,868 रुपए प्रति क्विंटल जबकि ग्रेड ए धान का 1,888 रुपए प्रति क्विंटल रखते हुए इस वर्ष धान खरीद का कुल लक्ष्य 55 लाख मीट्रिक टन रखा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीद के लिए प्रदेश में कुल 4,150 क्रय केंद्र खोले गए हैं। कुल 12 एजेंसियां धान की खरीद कर रही हैं। अब तक 3729751.124 मीट्रिक टन धान किसानों से खरीदा जा चुका है। धान खरीद का प्रति किसान औसत 53.60 क्विंटल है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य के कई जिलों में बीते वर्ष के मुकाबले आठ से नौ गुना अधिक धान की खरीद हुई है। ऐसे जिलों में वाराणसी का भी नाम शामिल है। वाराणसी में 2490 किसानों से 15551.609 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है, बीते वर्ष के मुकाबले यह खरीद 9.25 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार मुजफ्फरनगर में 11622 किसानों से 131507.2863 मीट्रिक टन धान खरीदा गया। इसके अलावा शामली, सहारनपुर और रामपुर में भी धान की रिकॉर्ड खरीद हुई है। कहा जा रहा है कि राज्य में धान खरीद में इजाफा सरकार की सख्ती के चलते ही हुआ है। सरकार ने किसानों से धान खरीद में किसी तरह की गड़बड़ी ना होने पाए, इसके स्पष्ट निर्देश दिए थे। और किसानों से धान खरीद में शिकायतें मिलने पर अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जिसके चलते मंडियों में किसानों से धान खरीद में इजाफा हुआ। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसम्बर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में शुक्रवार को आयोजित किसान महासम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अचानक भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन हासिल करने के खेल खेले जा रहे हैं। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने किसान महासम्ममेलन में कहा, "मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं कि आप अपना क्रेडिट अपने पास रखिए। मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए। मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए। कृपा करके किसानों को बरगलाना, उन्हें भ्रमित करना छोड़ दीजिए।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे लगता है कि उनको पीड़ा इस बात से नहीं है कि कृषि कानूनों में सुधार क्यों हुआ? उनको तकलीफ इस बात से है कि जो काम हम कहते थे, लेकिन कर नहीं पाते थे, वो मोदी ने कैसे किया, मोदी ने क्यों किया?
किसान आंदोलन के बीच आयोजित इस महासम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे भी गिनाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "किसानों को सिर्फ मंडियों से बांधकर बीते दशकों में जो पाप किया गया है, ये कृषि सुधार कानून उसका प्रायश्चित कर रहे हैं। मैं विश्वास से कहता हूं कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास का कारण ही नहीं है, झूठ के लिए कोई जगह ही नहीं है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा, "आज यूरिया की किल्लत की खबरें नही आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़ती। हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया। देश के किसानों को याद दिलाऊंगा यूरिया की। याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़ा रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं?"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का बहुत ही बड़ा उदाहरण है, कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई कर्जमाफी। जब दो साल पहले मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले थे तो 10 दिन के भीतर कर्जमाफी का वादा किया गया था। कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ? (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य सरकार को यह पता लगाने में सहायता करने के लिए कहा गया था कि क्या आंध्र प्रदेश में संवैधानिक संकट है? राज्य सरकार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक ढांचे के तहत, यह हाईकोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है कि वह पता करे कि क्या किसी राज्य में संवैधानिक ब्रेकडाउन है या नहीं? प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने टिप्पणी की और कहा कि ये परेशान करने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक राज्य की जगनमोहन रेड्डी सरकार की याचिका के आधार पर लगाई है। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
आंध्र प्रदेश सरकार ने वकील महफूज अहसन नाजी के माध्यम से याचिका दायर की है।
दरअसल हाईकोर्ट ने रेड्डी सरकार को यह पता लगाने में सहायता करने के लिए कहा था कि क्या आंध्र प्रदेश में संवैधानिक संकट है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। बता दें कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति ही राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकते हैं। राज्य सरकार का तर्क है कि यह विशेष रूप से कार्यपालिका में निहित शक्ति है और न्यायपालिका द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। (आईएएनएस)
अमरावती, 18 दिसंबर | आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार सज्जल रामकृष्ण रेड्डी ने पूछा है कि क्या अमरावती के बारे में अपनी सोच के साथ विपक्षी नेता एन. चंद्रबाबू नायडू अपने सभी विधायकों से इस्तीफा दिलवाकर चुनाव के लिए तैयार हैं? नायडू को मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी और उनके तेलंगाना के समकक्ष के. चंद्रशेखर राव ने सत्ता में आने से पहले जो किया था, उसकी याद दिलाते हुए सरकार के सलाहकार ने उनसे पूछा कि क्या वह ऐसा कर सकते हैं।
रेड्डी ने कहा, "हमने देखा है कि जगन मोहन रेड्डी और राव जैसे नेताओं ने एकजुट राज्य में क्या किया था। उन्होंने अपने विधायकों से इस्तीफा दिला दिया था और लोगों के बीच चले गए थे।"
उन्होंने अमरावती के विरोध को लेकर उनकी हालिया टिप्पणी के संदर्भ में पूछा कि क्या नायडू ऐसा कर सकते हैं जो जनमत संग्रह कराने की चुनौती दे रहे हैं।
इससे पहले, नागरिक आपूर्ति मंत्री कोदली श्री वेंकटेश्वर राव ने नायडू पर तंज कसा था कि उनकी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने हाल ही में हैदराबाद निकाय चुनावों में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर वोट मांगा था।
वेंकटेश्वर राव ने कहा कि नायडू की पार्टी केवल 1 फीसदी से अधिक मत ही प्राप्त कर सकी।
नायडू, मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के तीन राजधानी फार्मूले का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने गुरुवार को तीन राजधानियों की योजना के लिए जगन मोहन रेड्डी और राज्य सरकार पर निशाना साधा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर| कुछ सप्ताह पहले तक बेकाबू प्याज की महंगाई ने देश के उपभोक्ताओं के खूब आंसू निकाले, मगर अब दुनिया के बाजारों के मुकाबले भारत में प्याज काफी सस्ता हो गया है। इसलिए फिलहाल आयात की गुंजाइश नहीं दिखती है। जबकि भारत सरकार ने प्याज आयात के नियमों में दी गई ढील को अगले साल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया है। कारोबारियों की मानें तो आयात की अब कोई जरूरत नहीं है क्योंकि विदेशों में प्याज भारतीय बाजार के मुकाबले काफी महंगा है जिससे आयात की कोई गुंजाइश नहीं बची है।
हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह ने आईएएनएस को बताया कि विदेशों से इस समय प्याज का आयात रूक गया है क्योंकि आयातित प्याज का लैंडिंग कॉस्ट 45 रुपये प्रति किलो पड़ेगा जबकि देश के बाजारों में इस समय प्याज का थोक भाव 15 रुपये से 25 रुपये के बीच है। उन्होंने कहा कि ऐसे में प्याज आयात की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही, भाव काफी घट गया है और घरेलू आवक लगातार बढ़ रही है इसलिए आयात की जरूरत भी नहीं है।
एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी दिल्ली की आजादपुर मंडी में बीते तीन दिनों से प्याज का थोक भाव 7.50 रुपये से 27.50 रुपये प्रति किलो है जबकि औसत भाव 18.50 रुपये प्रति किलो है।
आजादपुर मंडी के एक कारोबारी ने बताया कि आयातित प्याज अब मंडी में नहीं आ रहा है क्योंकि घेरलू आवक ही काफी बढ़ गई है।
ग्रेटर नोएडा के खुदरा सब्जी विक्रेता पप्पू कुमार ने बताया कि विदेशी प्याज जब आया था तो भी लोग देसी प्याज की ही मांग कर रहे थे क्योंकि देसी प्याज में जो जायका है वह विदेशी प्याज में नहीं मिलता।
अजित शाह ने भी बताया कि जायका भी एक कारण है जिसके कारण भारत में विदेशी प्याज लोग कम पसंद करते हैं। हालांकि कारोबारी बताते हैं कि अक्टूबर-नवंबर में जब प्याज का दाम आसमान चढ़ गया था तब प्याज का आयात होने से ही दाम पर लगाम लगी।
बता दें कि प्याज के दाम को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर रोक लगाने के साथ-साथ प्याज के आयात के लिए 31 अक्तूबर को वनस्पति संगरोध आदेश (पीक्यू) 2003 के तहत फाइटोसैनिटरी प्रमाणन के संबंध में अतिरिक्त घोषणा से 15 दिसंबर तक के लिए छूट दे दी थी जिसे अब बढ़ाकर 31 जनवरी तक कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों को देखते हुए प्याज आयात नियमों में दी गई ढील को 31 जनवरी, 2021 तक बढ़ा दिया गया है। (आईएएनएस)
देहरादून, 18 दिसम्बर | उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शुक्रवार को कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी कोरोना से संक्रमित हो गए थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | भाजपा के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह और कैलाश विजयवर्गीय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर मामलों के सिलसिले में दोनों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। वहीं शीर्ष अदालत ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार से भाजपा नेताओं की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में भाजपा नेताओं पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है।
बीजेपी के याचिकाकर्ता नेताओं अर्जुन सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, मुकुल रॉय, सौरभ सिंह, पवन कुमार सिंह और कबीर शंकर बोस ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार ने उनपर फर्जी मामले लगाए हैं, और राज्य में एक आतंकी राज कायम किया है।
नेताओं ने जोर देकर कहा कि अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगले साल की शुरूआत में राज्य में होने वाले विधान सभा चुनावों की पृष्ठभूमि में इन मामलों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देने के भाजपा नेताओं के आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ के सामने कहा कि 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके मुवक्किल पर 64 मामले दर्ज किए गए हैं।
रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इन मामलों को उनके मुवक्किल पर इसलिए लगाया गया कि वे अगले साल फरवरी या मार्च में होने वाले चुनावों में राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सके।
विजयवर्गीय के वकील ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल पश्चिम बंगाल में नहीं रहते हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल में आने से रोकने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, "नोटिस जारी.. सुनवाई की अगली तारीख तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं।"
शीर्ष अदालत ने मामले को जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | दिल्ली पुलिस ने 23 वर्षीय छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में एक कथक शिक्षक को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, लड़की अपनी मां के साथ चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन आई और कहा कि वह कथक केंद्र-2, सैन मार्टिन मार्ग में कथक में डिप्लोमा ऑनर्स की तीसरे वर्ष की छात्रा है।
अपनी शिकायत में उसने आरोप लगाया कि उसके पखावज शिक्षक पं रविशंकर उपाध्याय प्रशिक्षण के दौरान उन्हें गंदी तरह से छूता था और व्हाट्सऐप पर अश्लील संदेश भेजता था। 14 दिसंबर को शिक्षक ने कथित रूप से छात्रा के कमर पर हाथ रख कर माथे को चूमा। उसने उसके चेहरे को भी चूमने की कोशिश की।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ईश सिंघल ने कहा, "छात्रा के बयान के आधार पर, पीएस चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में धारा 354/354/509 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अभियुक्त पं. नई दिल्ली के दिलशाद गार्डन निवासी रवि शंकर उपाध्याय उम्र 52 साल को मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है और वह न्यायिक हिरासत में है।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 दिसंबर उत्तर प्रदेश भाजपा के दो वरिष्ठ नेता अब पश्चिम बंगाल की ओर रुख कर रहे हैं, जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी महासचिव (संगठन) सुनील बंसल इस सप्ताह के अंत में पश्चिम बंगाल में होंगे, जहां वे पार्टी के कार्यकतार्ओं के साथ संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जल्द ही पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे, हालांकि अभी तारीख तय नहीं हुई है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "देशभर के भाजपा नेताओं को 'मिशन बंगाल' के साथ काम सौंपा जाएगा। वहीं यूपी में भाजपा ने सफलतापूर्वक दो प्रभावशाली जाति समूहों- दलितों और ओबीसी को 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव और साथ ही 2017 यूपी चुनाव से पहले अपने पाले में किया है।
उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में भी, भाजपा मछुआरों और 'मातुआ' के साथ जुड़ने का प्रयास कर रही है, जो बांग्लादेश में मूल रूप से एक दलित शरणार्थी समूह है और जिसका प्रभाव राज्य की 50 विधानसभा सीटों पर फैला हुआ है।"
ओबीसी नेता केशव प्रसाद मौर्य पश्चिम बंगाल में कम से कम 30 विधानसभा क्षेत्रों में जा सकते हैं, जिसमें हावड़ा, सेरामपुर, आरामबाग और उलुबेरिया जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
इसके अलावा, यूपी के भाजपा नेता और कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषी मतदाताओं से जुड़ेंगे, जिनमें से कई बंगाली मूल के नहीं हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 200 सीटें जीतने लक्ष्य पार्टी के लिए सेट किया है।
उत्तर प्रदेश से आने वाले केंद्रीय मंत्री भी आने वाले हफ्तों में पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री सुवेंदु अधिकारी को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई। सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। एमएचए के एक अधिकारी ने कहा कि सुवेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल के अंदर सुरक्षा की उच्च श्रेणी प्रदान की गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) उन्हें बुलेट प्रूफ वाहनों के साथ ले जाएंगे।
अधिकारी ने कहा, "हालांकि, जब वह पश्चिम बंगाल से बाहर होंगे, तो उन्हें सीआरपीएफ द्वारा वाई-प्लस सुरक्षा कवर प्रदान किया जाएगा।"
अधिकारी ने तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को एक आधिकारिक पत्र देकर पार्टी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
अधिकारी ने बुधवार शाम राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले, अधिकारी ने पिछले महीने 27 नवंबर को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इससे दो दिन पहले हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर (एचआरबीसी)के अध्यक्ष पद को भी छोड़ दिया था। (आईएएनएस)
मुंबई, 18 दिसंबर | मुंबई में एक चार वर्षीय बच्ची को उसकी 70 वर्षीय परनानी ने किडनी दान किया, जिसके बाद गंभीर बीमारी से जूझ रही बच्ची को नया जीवनदान मिला है। अधिकारियों ने यहां शुक्रवार को यह जानकारी दी। केडीएएच में नेफ्रोलॉजी के प्रमुख और सलाहकार डॉ. शरद शेठ के अनुसार, 25 नवंबर को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में एक यूनिक डबल-ऑपरेशन किया गया।
उन्होंने बताया कि छोटी बच्ची आइजाह तनवीर कुरैशी 'फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस' नाम की जटिलता की वजह से एंड-स्टेज रीनल बीमारी से जूझ रही थी, जिसमें तत्काल जीवन रक्षक किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत थी।
डॉ. सेठ ने बताया, "आइजाह अपने माता-पिता की एकमात्र संतान है और पिछले छह महीनों में चेहरे की सूजन के साथ गंभीर स्थिति में यहां पहुंची थी। यहां पहुंचने के बाद उसे तुरंत हेमोडायलिसिस पर डाल दिया गया था। हम तत्काल एक गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे थे।"
हालांकि, बच्ची के परिवार में केवल उसकी वृद्ध नानी, राबिया बानू एम.एच. अंसारी को स्वस्थ और एक उसके रक्त समूह के साथ पाया गया था। चिकित्सा मूल्यांकन के बाद उसकी बढ़ी उम्र को देखते हुए किडनी दान करने के लिए उसे फिट पाया गया।
बच्ची के माता-पिता ने कहा "लगभग हर वैकल्पिक दिन के हमारे छोटी आइजाह को हेमोडायलिसिस कराते देखना बहुत दर्दनाक था। हम उसे अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जीने का अवसर देने के लिए केडीएएच के आभारी हैं। "
ऑपरेशन करने वाली मेडिकल टीमों में केडीएच के शेठ, मेडिकोज संजय पांडे, अतहर मोहम्मद इस्माइल और अन्य शामिल थे।
डॉ. शेठ ने कहा, "मेरी 40 साल की प्रैक्टिस में, यह शायद सबसे अनूठा और असाधारण प्रत्यारोपण है, जिसमें दाता और प्राप्तकर्ता दोनों की उम्र और रिश्ते को देखते हुए लंबे पीढ़ी के अंतर को पाटा गया।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अदालत की अवमानना मामले में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को नोटिस जारी किया। दोनों ने शीर्ष अदालत के खिलाफ तंज भरे ट्वीट और कार्टून पोस्ट किए थे।
इससे पहले, अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने पहले ही कामरा और तनेजा के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए सहमति दे दी थी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ जिसमें जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और एम. आर. शाह भी शामिल रहे, ने कामरा और तनेजा दोनों को नोटिस जारी किया।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी है।
याचिका को कानून के छात्र श्रीरंग कटनेश्वरकर, नितिका दुहन और अधिवक्ता अमय अभय सिरसीकर, अभिषेक शरण रसकर और सत्येंद्र विनायक मुले ने दायर किया है।
याचिका में कहा गया है कि कामरा के 17 लाख फॉलोअर्स हैं। उनके निंदनीय ट्वीट को उनके फॉलोअर्स ने देखा और उनमें से कई ने इसे रीट्वीट किया।"
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कामरा द्वारा किया ट्वीट स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उन्होंने कथित रूप से शीर्ष अदालत की घोर अवमानना की है।
याचिका में जोर दिया गया कि ट्विटर पर कामरा के प्रत्येक फॉलोअर्स ने ट्वीट को पढ़ा होगा और एक हजार से अधिक लोगों ने निंदनीय ट्वीट्स को रीट्वीट किया है। (आईएएनएस)
पटना, 18 दिसंबर | बिहार में विपक्ष द्वारा विधि व्यवस्था को लेकर उठाए गए सवालों के बीच बिहार सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की घटनाओं में वृद्धि की बात स्वीकार की है। हालांकि उन्होंने इसके लिए राजद और सहयोगी दलों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष अपने कार्यकर्ताओं को समझा दे तो बिहार में 80 प्रतिशत तक आपराधिक घटनाएं अपने आप समाप्त हो जाएगी।
'हम' के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, बिहार के अपराध को लेकर चिंता का दिखावा करने वाले राजद और उनके सहयोगी दलों के नेताओं से आग्रह है कि आप अपने कार्यकतार्ओं और जेल में बंद नेताओं को समझा दें, तो सूबे में 80 फीसदी से ज्यादा अपराधिक घटनाएं यूं ही खत्म हो जाएंगीं।
विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार में आपराधिक घटनाओं में हो रही वृद्धि को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। (आईएएनएस)
भोपाल, 18 दिसंबर | मध्य प्रदेश में युवक कांग्रेस के चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। विक्रांत भूरिया को प्रदेशाध्यक्ष चुना गया है। चुनाव में ऑनलाइन मतदान हुआ था और शुक्रवार को नतीजे घोषित किए गए। विक्रांत पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। नतीजों की आधिकारिक तौर पर की गई घोषणा के मुताबिक विक्रांत भूरिया को सबसे ज्यादा 40 हजार 850 वोट मिले, वहीं दूसरे स्थान पर रहे संजय सिंह यादव को वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अजीत बोरासी, प्रतिमा मुदगल और विपिन वानखेड़े को उपाध्यक्ष तथा विवेक त्रिपाठी सहित अध्यक्ष पद के छह उम्मीदवारों को सचिव बनाया गया है।
राज्य में युवक कांग्रेस को पांच साल बाद नया अध्यक्ष मिला है क्योकि वर्ष 2013 में हुए चुनाव में विधायक कुणाल चैधरी को अध्यक्ष चुना गया था। तब कार्यकाल दो साल का था मगर उसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया था। इस तरह कुणाल का कार्यकाल वर्ष 2016 को खत्म हो गया था, उसके बाद चुनाव अब हुए।
युवक कांगेस के चुनाव के लिए 10, 11 व 12 दिसंबर को मतदान हुआ था। इस चुनाव में तीन लाख 50 हजार सदस्यों में से एक लाख 10 हजार 821 ने ऑनलाइन मतदान में हिस्सा लिया। प्रदेश अध्यक्ष के लिए नौ उम्मीदवार मैदान में थे।
युवक कांग्रेस के नव निर्वाचित प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। इसलिए सियासी गलियारों मे इस बात की चर्चा है कि विक्रांत का पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का समर्थन हासिल था। यही कारण था कि प्रदेशाध्यक्ष के मजबूत दावेदार और विधायक विपिन वानखेड़े ने अपना नाम मतदान से एक दिन पहले वापस ले लिया था।
विक्रांत के निर्वाचित होने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बधाई देते हुए कहा कि युवा कांग्रेस के चुनावों में मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने पर डॉ विक्रांत भूरिया को हार्दिक शुभकामनाएं। अन्य पदाधिकरियो को भी बहुत-बहुत बधाई। उम्मीद करता हूं कि आप युवाओं की आवाज बनकर पार्टी की रीति-नीति के अनुरूप जनहित के लिये संघर्ष करेंगे। (आईएएनएस)
भारत में बाल-पोषण की कमी के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं जिससे बच्चों के ग्रोथ पर असर पड़ा है. एनएफएचएस के आंकड़ों से ये पता चला है. उम्र के सापेक्ष कद में गिरावट वाले सबसे अधिक बच्चे भारत में हैं.
डॉयचे वैले पर शिवप्रसाद जोशी की रिपोर्ट-
भारत के नये सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अल्पपोषण और स्टन्टिंग के मामले उन सभी राज्यों में बढ़े हैं जो पिछले सर्वे में सकारात्मक ग्राफ दिखा रहे थे. इस सर्वे के अगले चरण के नतीजों में भी यही हाल रहता है तो 20 साल में पहली बार भारत में बाल स्टंटिंग की पहली बढ़ोतरी देखी जाएगी. अधिकांश राज्यो में स्टेंटेड, वैस्टेड और अंडरवेट बच्चों की संख्या बढ़ी है. यहां तक कि केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और हिमाचल प्रदेश जैसे अपेक्षाकृत संपन्न राज्यों से ये स्टंटिंगग के आंकड़े सामने आए हैं जबकि पिछले दशक में इन राज्यों ने अपने यहां स्टंटिंग की दर को कम कर लिया था. कई राज्यों में बाल-विवाह प्रथा कायम है. सबसे अधिक मामले पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में मिले हैं.
वैश्विक स्तर पर बच्चों में अल्पपोषण को मापने के लिए तीन मुख्य सूचक हैं- स्टंटिंग (उम्र के सापेक्ष कद में कमी), वैस्टिंग (कद के सापेक्ष कम वजन) और अंडरवेट (उम्र के सापेक्ष कम वजन). दुनिया में स्टेंटेड यानी अविकसित बच्चों की सबसे अधिक संख्या भारत में है. 22 में से 18 राज्यों में पांच साल के कम उम्र के एक चौथाई से अधिक बच्चे स्टेंटेड है. मेघालय में साढ़े 46 प्रतिशत, बिहार में 42.9, गुजरात में 39 कर्नाटक में साढ़े 35, गोवा में करीब 26 तो केरल में 23 प्रतिशत बच्चे उम्र के सापेक्ष कद में छोटे हैं. पांच साल तक के बच्चों में वैस्टिंग की सबसे अधिक 25 प्रतिशत की दर असम में पायी गयी. गुजरात में 25 और बिहार में 23 प्रतिशत है. पांच साल से कम उम्र के अंडरवेट बच्चों में बिहार का आंकड़ा सबसे दयनीय है. 41 प्रतिशत बच्चे वहां अंडरवेट मिले. गुजरात में करीब 40 और महाराष्ट्र में 36 प्रतिशत गोवा में 24 और केरल में करीब 20 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट हैं.
सरकार के समर्थक ये दलील भी देते हैं कि स्टंटिंग के मामलों में बढ़ोतरी का मतलब सरकार की स्वास्थ्य या पोषण नीतियों में किसी कमी से नहीं हैं. इंडियास्पेंड डाटा वेबसाइट में प्रकाशित इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इन्स्टीट्यूट की सीनियर रिसर्च फैलो पूर्णिमा मेनन के बयान के मुताबिक ये कोई अच्छा समाचार नहीं है. 2015 और 2019 के बीच पैदा हुए बच्चों में स्टंटिंग के मामले कुछ हद तक पिछले कुछ वर्षों की आर्थिक मंदी को भी रिफलेक्ट करते हैं. इसका मतलब ये है कि इस अवधि में कमजोर बच्चे पैदा करनेवाली मांओं की खाने की स्थिति कैसी थी, और क्यों उनके पास पर्याप्त पोषणयुक्त आहार नहीं था, ये देखा जाना चाहिए और आखिरकार ये भी देखना चाहिए कि इस अवधि में उन पर क्या गुजर रही थी. तो ये कुल मिलाकार आर्थिक सामाजिक स्थिति का हाल भी बताते हैं. और इस हाल के लिए सरकार की नीतियां भी किसी न किसी रूप में जिम्मेदारी कही जा सकती हैं- उनका कितना क्रियान्वयन हुआ, कितनी योजनाएं लागू हो पाईं, लाभार्थियों तक वास्तविकता में कितना लाभ पहुंचा- ये सब अंतिम आकलन में आना ही चाहिए.
केंद्र हो या राज्य सभी सरकारों को इस बारे में सचेत रहना चाहिए. नीतियों और फैसलों और कार्रवाइयों की आलोचना का अर्थ देशद्रोह नहीं होता- हर मामले में यही रोना लेकर बैठ जाने वाली सरकारों को थोड़ा आत्मचिंतन करना चाहिए और आलोचना को आगे के लिए सबक की तरह देखना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि ये आंकड़ा भले ही 2019 का है और इसमें इस साल की स्थिति नहीं दर्ज नहीं हुई है लेकिन सरकार को चाहिए कि आपात आधार पर हर तीन महीने के आंकड़े जारी करे. और इसके लिए युद्धस्तर पर अपनी टीमें उन इलाकों में रवाना करें जहां हालात ज्यादा खराब होने की आशंका है.
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना तो नहीं होगा. अगर रात दिन ‘जनता-जनार्दन' का नारा चलाया जाता है तो नागरिकों को भी लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहना पड़ेगा. सामूहिक रूप से लोगों को सरकारों को झिंझोड़ने का साहस करना चाहिए. मोबिलाईजेशन में जनसंगठनों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है. एनजीओ यानी स्वयंसेवी संस्थाओं को भी फिल द गैप व्यवस्था से बाहर निकलकर अधिकारों के प्रति नागरिकों को सूचना संपन्न बनाना चाहिए. आर्थिक समृद्धि और कथित विकास के बीच स्वास्थ्य कल्याण के कई वैश्विक सूचकांकों में भारत पीछे है. अगर क्यूबा जैसे देशों से सबक लें तो ये हालात सुधारे जा सकते हैं. कोविड 19 ने स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की होड़ को और तेज कर दिया है. सरकारों को ही नहीं जनता को भी सोचना चाहिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इतनी ना बिगड़े कि कॉरपोरेट चालित निजी अस्पतालों में महंगे और भारीभरकम इलाज के अलावा कोई चारा ही ना रहे.
नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के मुताबिक राहत ये है कि 22 राज्यों में से 18 राज्यों में दो साल से कम उम्र के 70 प्रतिशत बच्चों का पूरी तरह प्रतिरक्षाकरण कर दिया गया है. यानी उन्हें सभी जरूरी टीके लगाए जा चुके हैं. उन्हें टीबी से बचाने वाले बीसीजी का एक टीका, डिप्थेरिया, काली खांसी और टिटनेस से बचाने वाले डीपीटी के तीन टीके, पोलियो के तीन टीक, खसरा-चेचक का एक टीका लग चुका है. एक खास बात ताजा सर्वे से ये निकली है कि भारत की आबादी दर स्थिर हो रही है. क्योंकि टोटल फर्टिलिटी रेट, टीएफआर अधिकांश राज्यों में गिरा है. बिहार, मणिपुर और मेघालय को छोड़कर पहले चरण के सभी राज्यों में टीएफआर 2.1 या उससे कम है. परिवार नियोजन में आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग बढ़ा है लेकिन इसमें पुरुषों की भागीदारी कम बनी हुई है, महिला वंध्यीकरण ही अधिक है.
एनएफएचएस भारत में स्वास्थ्य डाटा का प्रमुख स्रोत है जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति और बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार का आकलन करने में किया जाता है. वर्तमान सर्वे (2019-2020) पांचवा है और बताया जाता है कि देश के छह लाख घरों तक पहुंचा है. इसके पहले चरण के तहत 17 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों से मिले नतीजे सार्वजनिक किए गए हैं. प्रमुख राज्यों में केरल, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गोवा, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पूर्वोत्तर राज्य शामिल थे. दूसरे चरण में 12 राज्य और 2 केंद्रशासित प्रदेश हैं जिनमें यूपी, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली जैसे राज्य हैं. कोविड-19 की वजह से कार्य अवरुद्ध होने के बाद इन राज्यों का सर्वे अगले साल मई तक खत्म होने की संभावना जतायी गयी है.
कोलकाता, 18 दिसंबर | तृणमूल कांग्रेस को लगातार एक के बाद एक झटका लग रहा है। दिग्गज नेता सुवेन्दु अधिकारी और जितेंद्र तिवारी के इस्तीफा देने के एक दिन बाद अब एक और विधायक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। त्रिणमूल विधायक शीलभद्र दत्ता ने पार्टी छोड़ दी है। बैरकपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक दत्ता ने भी शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, दत्ता ने अपने कार्यालय में लगी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर को भी हटा दिया और दीवार पर स्वामी विवेकानंद की तस्वीर लगा दी। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा दी गई कार को सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो वह अपना सुरक्षा कवर भी वापस ले सकती है।
दत्ता ने तृणमूल सुप्रीमो बनर्जी को अपना त्याग पत्र भेजा। उन्होंने पत्र में लिखा है, "मैं ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) के सदस्य के रूप में, साथ ही साथ पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों में मुझे जो पद मिले हैं उनसे तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।"
पिछले 24 घंटों में पार्टी से इस्तीफा देने वाले दत्ता तीसरे विधायक हैं।
दत्ता ने कहा कि वह उन सभी अवसरों के लिए आभारी हैं, जो उन्हें मिले हैं।
इससे पहले राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को दो बार झटका तब लगा, जब नंदीग्राम के पूर्व विधायक सुवेंदु अधिकारी और पंडाबेश्वर के विधायक जितेंद्र तिवारी ने गुरुवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
तिवारी ने आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने उसी दिन पश्चिम बर्धमान में तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्शी को अपना इस्तीफा भेज दिया था।(आईएएनएस)
भोपाल, 18 दिसंबर | मध्य प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में संचार सेवाओं की बेहतरी के लिए राज्य सरकार ने नई टावर पॉलिसी जारी की है। यह नीति डिजिटल इंडिया अभियान के तहत बनाई गई है। राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने दूरसंचार के कार्य में लगी कंपनियों का आह्वान किया कि वे समाज के प्रति अपनी जवाबदारी का निर्वहन करते हुए उन दूरस्थ इलाकों तक भी कनेक्टिविटी पहुंचाएं जहां अपेक्षाकृत कम मुनाफा हो।
मंत्री सखलेचा ने कहा कि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया अभियान के तहत मध्य प्रदेश इस तरह की पॉलिसी जारी करने वाला देश का अग्रणी राज्य है और अब निजी भूमि या भवन में टावर लगाने की अनुमति आदि मात्र तीन दिन में तथा शासकीय भूमि पर 45 दिवस में मिल जाएगी। अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाईन तथा सिंगल विंडो सिस्टम है। प्रदेश में कम्युनिकेशन की स्पीड और कनेक्टिविटी को केन्द्र में रखने पर यह पॉलिसी कारगर साबित होगी।
उन्होंने आगे कहा कि इंटरनेट का फायदा कृषि क्षेत्र को भी मिले। किसानों की नई पीढ़ी को इसका लाभ मिलने से वे खाद्य-आधारित रोजगार इकाईयों से जुड़ सकेंगे। कोविड के दौरान इंटरनेट ने हर क्षेत्र में अपनी उपयोगिता सिद्ध की है।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 18 दिसंबर| जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में शुक्रवार को शीत लहर जारी रही। इस दौरान जम्मू में 2.8 डिग्री सेल्सियस के साथ मौसम की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई और द्रास शहर में तापमान शून्य से 28.5 डिग्री कम रहा। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में 21-22 दिसंबर को हल्की बारिश/हिमपात होने की संभावना है, लेकिन मौजूदा शीत लहर की स्थिति अगले दो से तीन दिनों तक जारी रहने की उम्मीद है।"
उन्होंने आगे कहा, "जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 31 दिसंबर तक कोई बड़ी बर्फबारी होने की उम्मीद नहीं है।"
नए साल की पूर्व संध्या पर बर्फबारी का न होना पर्यटकों और एडवेंचर प्रेमियों को निराश कर सकता है, खास कर उन्हें जिन्होंने गुलमर्ग और पहलगाम में नए साल की पूर्व संध्या के लिए बुकिंग की है।
गुलमर्ग में जमीन पर चार फुट मोटी बर्फ है और पर्यटकों का स्वागत करने के लिए पूरा घास का मैदान सफेद बर्फ से ढका हुआ है।
श्रीनगर में रात के दौरान न्यूनतम तापमान शून्य से 6.0 और पहलगाम में शून्य से 9.2 डिग्री नीचे दर्ज किया गया।
लद्दाख के लेह शहर में न्यूनतम तापमान माइनस 18.4, कारगिल में माइनस 17.0 और द्रास माइनस 28.5 डिग्री सेल्सियस रहा।
जम्मू शहर में न्यूनतम तापमान 2.8, कटरा में 3.6, बटोटे में 0.3, बनिहाल में माइनस 0.6 और भद्रवाह में माइनस 3.5 रहा।
गौरतलब है कि 21 दिसंबर से शुरू होने वाले स्थानीय भाषा में कहे जाने वाले 'चिल्लाई कलां' नामक कड़ाके की ठंड के 40 दिनों की लंबी अवधि से पहले कश्मीर डिविजन और लद्दाख में रात के दौरान तापमान हिमांक से नीचे जाना शुरू हो गया है। (आईएएनएस)
असम समेत पूरे पूर्वोत्तर इलाके में बीते साल नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. अब उस कानून के एक साल पूरे होने के मौके पर इलाके में दोबारा नए सिरे से आंदोलन और प्रदर्शन शुरू हुआ है.
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इसमें असम के उन पांच परिवारों के लोग भी शामिल हैं जो बीते साल हुई हिंसा में मारे गए थे. असम में भी अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. असम में तो बीते साल यह आंदोलन काफी हिंसक हो उठा था और पुलिस की फायरिंग में पांच युवकों की मौत हो गई थी. कई दिनों तक हिंसा, कर्फ्यू और धारा 144 की वजह से राज्य में सामान्य जनजीवन ठप हो गया था. बाद में कोरोना और इसकी वजह से शुरू लॉकडाउन के कारण आंदोलन थम गया था, लेकिन अब इसकी बरसी के मौके पर दोबारा नए सिरे से इसे शुरू किया गया है. इस आंदोलन की शुरुआत काला दिवस के पालन के साथ हो चुकी है. नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन (नेसो) की अपील पर 18 संगठनों ने पूर्वोत्तर में काला दिवस मनाया. अब इस आंदोलन को और तेज करने की योजना है.
फिर शुरू हुआ आंदोलन
सीएए के एक साल पूरा होने के मौके पर नेसो के बैनर तले इलाके के तमाम संगठनों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को चेतावनी दी है कि इस कानून के खिलाफ पूरा पूर्वोत्तर एकजुट है और इलाके में इस विवादास्पद कानून को लागू करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध किया जाएगा. दोबारा शुरू हुए आंदोलन के दौरान काला दिवस मनाने के साथ ही तमाम राज्यों में रैलियां निकाली गईं और प्रदर्शन किए गए. प्रदर्शनकारियों ने सीएए के खिलाफ काले झंडे दिखाए और नारेबाजी करते हुए इसे रद्द करने की मांग की और इसे असंवैधानिक, सांप्रदायिक और पूर्वोत्तर-विरोधी करार दिया. नए सिरे से शुरू होने वाले इस आंदोलन से खासकर असम में सत्तारुढ़ बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राज्य में मई तक विधानसभा चुनाव होने हैं.
पूर्वोत्तर के विभिन्न संगठनों के भारी विरोध के बीच केंद्र ने बीते साल नौ दिसंबर को उक्त कानून को लोकसभा में पेश किया था जहां अगले दिन इसे पारित कर दिया गया. उसके एक दिन बाद यानी 11 दिसंबर को राज्यसभा ने भी इस पर मुहर लगा दी. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के जरिए इसे कानून जामा पहनाया गया. लेकिन नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने उससे पहले 10 दिसंबर को ही इसके खिलाफ पूर्वोत्तर बंद की अपील की थी. विधेयक पारित होने के बाद तो असम समेत इलाके के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गया था. उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असम दौरे पर उनका जबरदस्त विरोध हुआ था और काले झंडे दिखाए गए थे. उसके बाद राज्य में हिंसा व आगजनी का लंबा दौर चला था.
पूर्वोत्तर में क्यों सीएए का विरोध
नेसो के अध्यक्ष सैमुएल जेवरा कहते हैं, "कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से हमने सीएए के खिलाफ अपना आंदोलन रोक दिया था. लेकिन हम अब पहले से भी बड़े पैमाने पर इसे जारी रखेंगे. बांग्लादेशियों के वोट के लालच में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के लोगों पर जबरन इस कानून को थोपा है. इसे रद्द नहीं करने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. इलाके के लोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे.” नेसो के सलाहकार समुज्जवल कुमार भट्टाचार्य कहते हैं, "हम पूर्वोत्तर को बांग्लादेशियों के लिए कचरे का डब्बा नहीं बनने देंगे. पूर्वोत्तर के लोगों पर सीएए थोपने का फैसला बेहद अन्यायपूर्ण है. हम इस कानून के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे.” उनका कहना है कि इलाके के लोग धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले ऐसे किसी कानून को स्वीकार नहीं करेंगे.
अस्सी के दशक में असम आंदोलन का नेतृत्व करने वाले ताकतवर छात्र संगठन अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने भी किसी भी कीमत पर सीएए को लागू नहीं करने देने की बात कही है. आसू के अध्यक्ष दीपंकर नाथ व महासचिव शंकर ज्योति बरुआ ने राजधानी गुवाहाटी में जारी एक बयान में कहा है कि केंद्र को इस विवादास्पद कानून को रद्द करना होगा. इसके विरोध में हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी. उनके परिजनों को भी अब तक न्याय का इंतजार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा तमाम केंद्रीय नेता बार-बार सफाई देते रहे हैं कि सीएए किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं बनाया गया है. इसका मकसद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से अत्याचार का शिकार होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना है. लेकिन असम के लोग इसे अपनी पहचान और संस्कृति पर खतरा बताते हुए बाहर से आने वाले लोगों को नागरिकता दिए जाने का विरोध कर रहे हैं.
असम के लोगों की आशंका
दरअसल, राज्य के लोगों को डर है कि बीजेपी इस कानून की आड़ में बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर आने वाले घुसपैठियों को नागरिकता देने की योजना बना रही है. बांग्लादेश से घुसपैठ का मुद्दा असम के लिए बेहद संवेदनशील है. इसी मुद्दे पर छह साल तक असम आंदोलन भी चला था. कई संगठनों ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर कर रखी हैं. राज्य सरकार में बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद भी इस कानून को लागू किए जाने के खिलाफ है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि सीएए खासकर असम के विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा होगा. कैलाश विजयवर्गीय समेत बीजेपी के कई नेता जनवरी से इस कानून को लागू करने की बात कह चुके हैं. इससे आम लोगों में आशंकाएं बढ़ रही हैं. हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्वा सरमा का दावा है कि सीएए यहां कोई चुनावी मुद्दा नहीं होगा. लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक सुनील कुमार डेका कहते हैं, "कोरोना की वजह से सीएए का मुद्दा दब गया था. लेकिन अब नए सिरे से इसका विरोध शुरू होने से बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. खासकर तमाम छात्र और युवा संगठन किसी भी हालत में इसे लागू नहीं होने के लिए कृतसंकल्प हैं.”
प्रयागराज, 18 दिसंबर| विश्व हिंदू परिषद (विहिप) अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और हिंदू समुदाय की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निधि संग्रह अभियान के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए दो 'संत सम्मेलन' का आयोजन करेगी। सम्मलेन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और वाराणसी में क्रमश: शनिवार और सोमवार को आयोजित किए जाएंगे।
पहला सम्मलेन 19 दिसंबर को प्रयागराज के केसर भवन में आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा सम्मलेन 21 दिसंबर को वाराणसी के बाबा बालक दास आश्रम में होगा।
विहिप अगले साल मकर संक्रांति पर 15 जनवरी से धन संग्रह करना शुरू करेगी।
विहिप के मीडिया प्रभारी अश्विनी मिश्रा ने कहा, "हिंदू समुदाय के अधिकतम लोगों तक पहुंचने के लिए साधु-संत एक रणनीति तैयार कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ताओं और अन्य हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विहिप के स्वयंसेवक शहर, ट्रांस गंगा, ट्रांस यमुना और पड़ोसी क्षेत्रों में धन संग्रह के लिए हिंदू समुदाय के हर सदस्य तक पहुंचने का प्रयास करेंगे।
प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, सुल्तानपुर, और अमेठी से बड़ी संख्या मे साधु संत केसर भवन में आयोजित समारोह में भाग लेंगे।
मिजार्पुर, भदोही, काशी, जौनपुर, गाजीपुर और सोनभद्र जैसे अन्य जिलों के साधु-संत सोमवार को वाराणसी में संत सम्मेलन में शामिल होंगे।
विहिप समूहों को गठित करेगा जो धन एकत्र करने के लिए हिंदू समुदाय की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जिलों के अधिकांश इलाकों को कवर करेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 दिसंबर | किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 23वें दिन जारी है और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों की तरफ से रोज आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाई जा रही है। इस बीच किसानों के आंदोलन का मसला देश के सर्वोच्च न्यायालय में है, इसलिए किसान नेताओं की निगाहें अदालती कार्यवाही पर भी बनी हुई हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने मामले में किसानों को सड़कों से धरना-प्रदर्शन हटाने को लेकर कोई आदेश अब तक नहीं दिया है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि अगर अदालत की तरफ से उनको कोई नोटिस मिलेगा तो वे उस पर वकीलों की राय लेंगे।
पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल ने आईएएनएस से कहा, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसानों को जब इस संबंध में कोई नोटिस मिलेगा तो हम उस पर वकीलों की राय लेंगे। पुनावाल ने कहा कि किसानों का यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है और यह तक तक चलता रहेगा जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को 20 दिसंबर को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। वे केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में लागू तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।
पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि पंजाब से हर घर से कम से कम एक आदमी रोज आ रहे हैं और देश के अन्य प्रांतों के लोग भी उनके आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, इसलिए कुछ दिनों पहले दिल्ली की सीमाओं पर जहां हजारों की तादाद में लोग प्रदर्शन में शामिल थे वहां अब लाखों की तादाद हो गई है।
लाखोवाल ने कहा कि रोजाना की भांति आज (शुक्रवार) को भी किसान संगठनों के नेताओं के बीच सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की आगे की रूपरेखा व रणनीति को लेकर विचार-विमर्श होगा और शाम में प्रेसवार्ता का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर हो रही सुनवाई पर भी उनकी नजर है और इस पर भी किसानों नेताओं के बीच मंत्रणा होती है।
प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने गुरुवार को मामले में सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से पूछा कि क्या आप यह आश्वासन दे सकते हैं कि जब तक मामले में सुनवाई चल रही है तब तक आप कानून को लागू नहीं करेंगे। हालांकि शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह कानून पर रोक लगाने की राय नहीं है बल्कि केंद्र सरकार और किसान यूनियन के बीच वार्ता की संभावनाओं को तलाशने की कवायद है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसान नेता जिद पर अड़े हैं और वे तब तक कोई बात नहीं करना चाहते हैं जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लेती है।
लाखोवाल ने कहा, हम तो चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट तीनों कानूनों पर तब तक के लिए रोक लगा दे जब तक सरकार और किसान के बीच वार्ता के माध्यम से मसले का समाधान नहीं हो जाए।
पंजाब के एक अन्य संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) के प्रेसीडेंट जोगिंदर सिंह ने कहा कि नये कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान करीब दो दर्जन किसानों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा, किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को 20 दिसंबर को हम श्रद्धांजलि देंगे। देशभर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।
जोगिंदर सिंह ने भी बताया कि शुक्रवार शाम किसान नेताओं की एक प्रेसवार्ता होगी जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति के संबंध में बताया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अभी तक किसानों को इस संबंध में अदालत का कोई नोटिस नहीं मिला है। अगर कोई नोटिस मिलेगा तो हम उस पर विचार-विमर्श करेंगे। (आईएएनएस)