राष्ट्रीय
चंडीगढ़, 15 जनवरी | पंजाब के गुरदासपुर सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को गोली मारकर ढेर कर दिया। यह जानकारी अर्धसैनिक बल ने शुक्रवार को दी। बीएसएफ (पंजाब फ्रंटियर) ने ट्विटर पर कहा, "बीएसएफ के जवानों ने गुरुवार रात 8.30 बजे भारतीय क्षेत्र के अंदर कांटेदार बाड़ के पास पाकिस्तान की ओर से घुसपैठिए की संदिग्ध गतिविधियां देखी। खतरे को देखते हुए सैनिकों ने गोलियां चला दीं और घुसपैठिए को गोली मार कर ढेर कर दिया।"
एक अधिकारी ने कहा कि मृतक की पहचान नहीं की जा सकी है, क्योंकि उसके पास से पहचान उजागर करने के लिए कोई सबूत बरामद नहीं हुआ है। (आईएएनएस)
छोटा सा परिंदा पूरे हिंद महासागर को पार कर अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया पहंच गया. अधिकारी उसे क्वारंटीन के लिए खतरनाक मान कर उसकी हत्या करना चाहते हैं.
मेलबर्न में केविन सेली बर्ड को अपने घर के पिछवाड़े में 26 दिसंबर को यह परिंदा हांफता हुआ पड़ा मिला था. यह परिंदा अमेरिका के ओरेगॉन में 29 अक्टूबर को हुई एक रेस में से गायब हो गया था. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के नाम पर इसका नाम जो रखा गया है. विशेषज्ञ संदेह जता रहे हैं कि प्रशांत महासागर को पार करने के लिए किसी मालवाहक जहाज के सहारे यह ऑस्ट्रेलिया पहुंच गया.
जो के इस कारनामे ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में तो उसको मशहूर किया लेकिन इस शोहरत की वजह से वह देश के क्वारंटीन एंड इंस्पक्शन सर्विस की निगाह में भी आ गया.
सेली बर्ड का कहना है कि क्वारंटीन अधिकारियों ने उन्हें गुरुवार को फोन कर जो को पकड़ने के लिए कहा. सेली बर्ड के मुताबिक, "उन्होंने कहा कि वह अमेरिका से है और वो लोग बर्ड फ्लू की वजह से चिंतित हैं. वे चाहते थे कि मैं उनकी मदद करूं."
सेली बर्ड ने अधिकारियों से कहा कि वह उसे पकड़ नहीं सकते क्योंकि पास जाने पर जो भाग जाता है. उन्होंने बताया कि अधिकारी अब किसी बहेलिये को इस काम पर लगाना चाहते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में जैव सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कृषि विभाग का कहना है कि कबूतर को, "ऑस्ट्रेलिया में रहने की अनुमति नहीं है" क्योंकि वह, "ऑस्ट्रेलिया की खाद्य सुरक्षा और जंगली चिड़ियों की आबादी के लिए खतरा बन सकता है."
2015 में भी देश की सरकार ने दो यॉर्कशायर टेरी पिस्टल और बू को मारने की धमकी दी थी. हॉलीवुड स्टार जॉनी डेप और उनकी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड इन्हें छिपा कर ऑस्ट्रेलिया लाए थे. 50 घंटे की समय सीमा मिलने के बाद दोनों कुत्तों पिस्टल और बू को चार्टर्ड विमान से देश के बाहर भेजा गया.
मेलबर्न में सेली बर्ड के घर के पिछवाड़े में कबूतर नहीं दिखते हैं. यहां तो घरेलू बत्तख ज्यादा हैं. सेली बर्ड के घर के पिछवाड़े में एक फव्वारा लगा है और कबूतर इसी फव्वारे में पानी पी रहा था और नहा रहा था. सेली बर्ड को वह कमजोर लगा तो उन्होंने कुछ सूखे बिस्किट तोड़ कर उसके खाने के लिए उसके सामने रख दिए.
दूसरे दिन भी सेलीबर्ड को वह उनके फव्वारे के पास ही मिला और तब भी कमजोर ही था. सेली बर्ड ने उसके पैरों में लगे नीले टैग को देख कर अंदाजा लगाया कि यह किसी और ने पाला है. अब कबूतर स्वस्थ और तंदुरुस्त हो चुका है और सेलीबर्ड के लिए उसके पकड़ना संभव नहीं है. सेलीबर्ड के मुताबिक ओकलाहोमा के अमेरिकी रेसिंग पिजन यूनियन ने जो की पहचान कर ली है. उसका मालिक मोंटगोमरी, अलाबामा में रहता है.
10. सालमन मछली (3,800 किलोमीटर)
नारंगी मांस वाली सालमन मछली अपने जीवन के शुरुआती 2-3 साल नदी के ठंडे पानी में बिताती है. नदी में अंडे देने के बाद सालमन समंदर के खारे पानी की यात्रा पर निकल पड़ती है. 3-4 साल खारे पानी में बिताने के बाद यह मछली अपने आखिरी दिन बिताने के लिए नदी के ठंडे पानी में लौटती है.
ऑस्ट्रेलिया के नेशनल पिजन एसोसिएशन ने भी जो को मारे जाने का समर्थन किया है. उन्हें आशंका है कि जो के साथ अमेरिकी बीमारियां ऑस्ट्रेलिया पहुंच जाएंगी.
किसी कबूतर के लिए अब तक की सबसे लंबी उड़ान का रिकॉर्ड 1931 में दर्ज किया गया था. तब एक कबूतर ने फ्रांस के आरास से वियतनाम के साइगॉन तक की यात्रा की थी. यह दूरी 11,600 किलोमीटर की है. इसमें कबूतर को 24 दिन लगे थे.
एनआर/आईबी (एएफपी)
व्हाट्सऐप की डाटा और गोपनीयता नीति के खिलाफ गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में एक आवेदन दिया गया है.
आवेदन में कहा गया है कि यह नीति भारत के नागरिकों की निजता के अधिकार का हनन करती है. वकील चैतन्य रोहिल्ला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह नीति किसी भी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधि में 360 डिग्री प्रोफाइल व्यू देती है.
इसके साथ ही याचिका में व्यक्ति की राइट टू प्राइवेसी का हवाला देते हुए कहा गया है कि इससे किसी भी व्यक्ति की निजी और व्यक्तिगत गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है और यह काम बिना किसी सरकारी निरीक्षण के किया जाता.
अन्य अनुरोधों के साथ ही याचिकाकर्ता ने व्हाट्सएप की ओर से नई नीति पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. इसके अलावा, रोहिल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को एक दिशा-निर्देश देने की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्हाट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) के किसी भी डाटा को किसी तीसरे पक्ष या फेसबुक एवं उसकी कंपनियों के साथ किसी भी उद्देश्य के लिए साझा न करे.
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि व्हाट्सऐप द्वारा उपयोगकर्ताओं के डाटा को तीसरे पक्ष और फेसबुक को साझा करना अपने आप में गैरकानूनी है क्योंकि व्हाट्सऐप केवल उन उद्देश्यों के लिए सूचना का उपयोग कर सकता है, जो यथोचित रूप से उस उद्देश्य से जुड़े हो, जिसके लिए सूचना दी गई थी.
व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी आठ फरवरी से लागू होगी, जिसे स्वीकार न करने वाले यूजर्स आगे व्हाट्सऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. व्हाट्सऐप यूजर्स से पूछ रहा है कि या तो फेसबुक के साथ डाटा साझा करने के लिए अपनी सहमति दें या फिर आठ फरवरी के बाद वे ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.
सेवाओं का उपयोग जारी रखने के लिए यूजर्स को नियमों और शर्तों को स्वीकार करना होगा. अगर यूजर्स सेवा की नई शर्तों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो वे ऐप का उपयोग नहीं कर पाएंगे.
(आईएएनएस)
भारत और श्रीलंका के बीच चूना पत्थर के टीलों के समूह राम सेतु की सही उम्र पता लगाने के लिए पुरातत्व विभाग ने एक शोध की अनुमति दे दी है. आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पता करने की कोशिश की जाएगी कि आखिर यह सेतु कब बना था.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा -
राम सेतु को मूल रूप से आदम के सेतु के नाम से जाना जाता है. यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर स्थित मन्नार द्वीप के बीच स्थित है. हिन्दू धर्म को मानने वालों के बीच मान्यता है कि इसे भगवान राम की वानर सेना ने बनाया था. इसीलिए भारत में इसे राम सेतु के नाम से भी जाना जाता है.
लेकिन चूंकि रामायण के पात्र या उस से जुड़े स्थानों की ऐतिहासिकता का आज तक कोई प्रमाण नहीं मिला है, इसलिए इस सेतु के बनने के इतिहास को लेकर हमेशा से विवाद रहा है. मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि पुरातत्व विभाग ने अब इस विवाद को शांत करने के लिए एक व्यापक अध्ययन की अनुमति दे दी है.
खबरों के अनुसार वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का गोवा स्थित समुद्र विज्ञान का राष्ट्रीय संस्थान यह अध्ययन करेगा. इसके लिए समुद्र के नीचे की परिस्थितियों का भी अध्ययन किया जाएगा और यह पुरातत्व महत्व की प्राचीन कालीन वस्तुओं के अध्ययन, रेडियोमेट्रिक और थर्मोल्यूमिनेसेंस (टीएल) डेटिंग पर आधारित होगा. इसके लिए और अतिरिक्त पर्यावरण संबंधी जानकारी को भी परखा जाएगा.
क्या है सेतुसमुद्रम परियोजना
रेडियोमेट्रिक डेटिंग के इस्तेमाल से रेडियोधर्मी अशुद्धियों को देख कर किसी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है. टीएल डेटिंग का इस्तेमाल किसी भी वस्तु के गर्म होने पर उससे निकलने वाली रोशनी के मूल्यांकन के लिए किया जाता है. शोध संस्थान इस अध्ययन के लिए अपनी विशेष नौकाओं का भी इस्तेमाल करेगा जो समुद्र की सतह के नीचे से नमूने ले आने में सक्षम हैं.
कई दशकों से विचाराधीन सेतुसमुद्रम परियोजना की वजह से राम सेतु पर बहस छिड़ी हुई है. इस परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच एक नौपरिवहन मार्ग बनाना है जो भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र से होकर गुजरेगा. अभी वहां पानी छिछला होने और आदम के सेतु के होने की वजह से जहाज उस इलाके से गुजर नहीं पाते हैं. भारत के दोनों तटों के बीच आवाजाही करने वाले जहाज हो या अंतरराष्ट्रीय मार्ग पर निकले लिए हुए जहाज, सभी को श्रीलंका के इर्द-गिर्द घूम कर जाना पड़ता है.
इस मार्ग के बन जाने से जहाजों का काफी समय और ईंधन बचेगा, लेकिन इस परियोजना के लिए छिछले पानी में काफी गहरी खुदाई करनी होगी जिसकी वजह से आदम के सेतु को नुकसान पहुंच सकता है. पर्यावरण प्रेमी इस इलाके की इकोलॉजी के संरक्षण को लेकर इस परियोजना का विरोध करते आए हैं. लेकिन हिंदूवादी संगठन इस परियोजना का इसलिए विरोध करते आए हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे भगवान राम से जुड़ी उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी.
रामायण की ऐतिहासिकता
2007 में पुरातत्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि सेतु एक मानव-निर्मित ढांचा नहीं बल्कि प्राकृतिक उत्पत्ति है, लेकिन राजनीतिक विरोध के बाद उसने ये हलफनामा वापस ले लिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट में एक दशक से भी ज्यादा से लंबित है और इस पर सुनवाई रुकी हुई है. माना जाता है कि सालों तक सेतुसमुद्रम परियोजना पर काम होने और करोड़ों रुपयों के खर्च होने के बाद भारत सरकार ने अब इस परियोजना को बंद करने का फैसला कर लिया है.
कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस परियोजना पर अभी तक कम से कम 800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि ताजा शोध का उद्देश्य रामायण की ऐतिहासिकता को साबित करना भी है. ऐसी एक परियोजना गुजरात के समुद्री तट के करीब पौराणिक द्वारका नगरी को ढूंढने के लिए पिछले दो साल से चल रही है और इस पर अभी तक लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं.
भोपाल, 15 जनवरी | मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों की तरह राजधानी भोपाल में भी ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है। बढ़ती ठंड से पांच साल तक के बच्चों को निमोनिया का संक्रमण बढ़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संदर्भ में दिशा निर्देश जारी किए हैं और लोगों से कहा है कि बच्चों का खास ख्याल रखें क्यांेकि निमोनिया उनके लिए जानलेवा हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ठंड के मददेनजर शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के संक्रमण से बचाव के लिए सावधानियों को अपनाना बेहद आवश्यक है। इस संबंध में भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभाकर तिवारी ने एडवाईजरी जारी कर कहा कि निमोनिया जानलेवा हो सकता है। निमोनिया के उपचार में देरी बच्चे के लिये खतरनाक हो सकती है। बच्चों में बुखार, खांसी, श्वांस तेज चलना, पसली चलना अथवा पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर बच्चों को निमोनिया से उपचार के लिये तुरंत चिकित्सक अथवा निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में ले जायें।
तिवारी के अनुसार सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में शिशुओं को निमोनिया से बचाव में बेहद कारगर वैक्सीन पीसीवी भी नि:शुल्क उपलब्ध है। अपने शिशुओं को डेढ़, साढ़े तीन एवं नौ माह में निमोनिया से बचाव हेतु पीसीवी वैक्सीन की पूर्ण डोज नि:शुल्क अवश्य लगवायें। बच्चों को ठंड से बचाव के लिये अभिभावकों से आग्रह किया है कि बच्चों को दो-तीन परतों में गर्म कपड़े पहनायें। ठंडी हवा से बचाव के लिये शिशु के कान को ढंके, तलुओं को ठंडेपन से बचाव के लिये बच्चों को गर्म मोजे पहनायें। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 जनवरी | भारत में बीते 24 घंटे में कोरोनावायरस महामारी के 15,590 मामले दर्ज किए गए हैं और इसी के साथ देश में संक्रमितों की कुल संख्या 1,05,27,683 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से शुक्रवार को इसकी जानकारी मिली है। मंगलवार को देश में 12,584 नए मामलों की पुष्टि हुई थी और यह बीते सात महीनों में एक दिन में सामने आए मामलों की सबसे कम संख्या है। पिछले आठ दिनों से यहां दैनिक स्तर पर मामलों की संख्या 20,000 से नीचे बनी हुई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि बीते 24 घंटे में 191 मरीजों की जानें गई हैं और इसी के साथ मरने वालों की कुल संख्या अब 1,51,918 हो गई है। बीते 21 दिनों से देश में दैनिक स्तर पर मरने वालों की संख्या भी 300 से कम हो गई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 1,01,62,738 लोग ठीक हो चुके हैं और इस वक्त देश में सक्रिय मामलों की संख्या 2,13,027 है। फिलहाल देश में रिकवरी दर 96.52 प्रतिशत पर बनी हुई है, जबकि मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है। (आईएएनएस)
किसान आंदोलन: 9वें दौर की वार्ता से पहले राकेश टिकैत ने कहा- 'कृषि क़ानून वापस लेने पड़ेंगे'
कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और MSP पर कानून लाना पड़ेगा: 9वें दौर की वार्ता से पहले राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता #FarmersProtest pic.twitter.com/Q1x6Y5yYil
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 15, 2021
केंद्र सरकार के साथ होने वाली 9वें चरण की वार्ता के लिए किसान नेता सिंघु बॉर्डर से विज्ञान भवन पहुँच चुके हैं.
वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "क़ानून संसद लेकर आई है और ये वहीं ख़त्म होंगे. क़ानून वापस लेने पड़ेंगे और एमएसपी पर क़ानून लाना पड़ेगा."
Government welcomes the Supreme Court order regarding the farmers' agitation. The government will put forth its views before the committee (appointed by the court). We are trying to resolve the issue through dialogue: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/63hqsYCJCK
— ANI (@ANI) January 15, 2021
वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि "किसान यूनियन के नेता सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हो रहे हैं. मंत्री जी ने लगातार 8 दौर की वार्ता की, गृहमंत्री जी लगातार उनके संपर्क में हैं, प्रधानमंत्री जी ने भी आश्वासन दिया है, कोर्ट ने क़ानूनों पर रोक लगा दी है. यह उनकी ज़िद है, वो इसे छोड़ें."
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि "भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे. आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है. हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि किसानों के साथ चर्चा के माध्यम से कोई रास्ता निकल आए. आज क़ानूनों पर चर्चा होगी."
अब तक सरकार और किसानों के बीच आठ चरण की वार्ता हुई है जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया. किसान चाहते हैं कि तीनों कृषि क़ानून वापस लिये जायें.
लेकिन केंद्र सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है. सरकार ने कृषि क़ानूनों में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखा था, जिसपर किसान संगठन राज़ी नहीं हुए.
उधर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 51वें दिन भी जारी है.
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गई कमेटी से अपने अलग होने की वजह भी बताई है.
उनका कहना है, “आंदोलन और किसानों के हितों को देखते हुए मैं समझता हूँ कि कमेटी में जाने का कोई तुक नहीं है. जब किसानों ने कह दिया है कि हम कमेटी के सामने नहीं जायेंगे तो कमेटी का कोई तुक नहीं रह जाता, इसलिए मैंने कमेटी को छोड़ा है.”
Since protesting farmers have announced not to appear before the committee, there is no point in being part of it: Bhupinder Singh Mann, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, on his decision to recuse himself from 4-member committee appointed by Supreme Court https://t.co/BHhMbiMffi pic.twitter.com/W2cAMr9pkI
— ANI (@ANI) January 15, 2021
गुरुवार को पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान ने किसान आंदोलन को लेकर बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से ख़ुद को अलग करने की घोषणा की थी.
उन्होंने यह भी कहा, "ख़ुद एक किसान होते हुए और किसान नेता होने के नाते, स्थिति और किसान संगठनों की चिंताओं के मद्देनज़र, मैं किसी भी पद की क़ुर्बानी के लिए तैयार हूँ ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से कोई समझौता न हो. मैं खुद को कमेटी से अलग करता हूँ और मैं हमेशा किसानों और पंजाब के साथ खड़ा हूँ."
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन से टूट कर बने संगठन बीकेयू (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के भी अध्यक्ष हैं.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखी अपनी चिट्ठी में उन्होंने कृषि क़ानूनों का समर्थन किया था, लेकिन साथ ही कहा था कि इन्हें कुछ संशोधनों के बाद लाया जाये. एमएसपी को लेकर भी वे सरकार से लिखित में आश्वासन माँग रहे थे कि इसे ख़त्म नहीं किया जाएगा. (bbc.com)
नई दिल्ली: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन 51वें दिन में प्रवेश कर चुका है. किसान संगठन और सरकार आज फिर वार्ता की मेज पर बैठेंगे. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आज की बैठक में कोई नतीजा निकलेगा या नहीं. मसले के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित की है. किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग करने की शुक्रवार को वजह बताई.
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमैन भूपिंदर सिंह मान ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "आंदोलनकारी किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होने का ऐलान कर चुके हैं, ऐसे में कमेटी में रहने का कोई तुक नहीं बनता है इसलिए मैंने कमेटी को छोड़ा है."
भूपिंदर मान ने खुद किया कमेटी से अलग
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमेटी का गठन किया है, उसमें भूपिंदर सिंह मान भी शामिल थे. भूपिंदर सिंह मान ने चिट्ठी लिखकर खुद को समिति से अलग करने की जानकारी दी थी. पत्र में मान ने लिखा है कि वे हमेशा पंजाब और किसानों के साथ खड़े हैं. एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते वह किसानों की भावना जानते हैं. वह किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हैं. किसानों के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता. वह इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि दे सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई 4 सदस्यों की कमेटी
शीर्ष अदालत की तरफ से बनाई गई चार सदस्यों की समिति में भूपिंदर सिंह मान के अलावा शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं. (एएनआई के इनपुट के साथ)
झांसी (उप्र), 15 जनवरी| भाजपा के एक पूर्व शहर उपाध्यक्ष के खिलाफ सोडोमी के तीन और मामले सामने आए हैं, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अभी दो दिन पहले दो नाबालिग लड़कों के माता-पिता ने आरोपी राम बिहारी राठौर के खिलाफ छेड़छाड़ करने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया। वह जालौन जिले के कोंच इलाके में राजस्व अधिकारी रह चुके हैं।
गुरुवार को जांच के दौरान तीन और मामलों में उनकी संलिप्तता सामने आई। पुलिस को उम्मीद है कि उनके घर में छापेमारी के दौरान बरामद की गई हार्ड डिस्क, लैपटॉप और डीवीआर की छानबीन करने पर और भी मामले सामने आएंगे।
आरोपी के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि उसके घर में जुए और सट्टेबाजी का आयोजन भी किया जाता था। पिछले दिसंबर में अपना पद छोड़ने से पहले वह कोंच के भाजपा शहर उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 328, 377, 506, पोक्सो एक्ट की धारा 3/4 और आईटी एक्ट की धारा 6/7 के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज कर राठौड़ को जेल भेज दिया गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 जनवरी| दिल्ली के गीता कॉलोनी इलाके से एक बेहद ही दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां 13 साल के एक बच्चे का जबरन लिंग परिवर्तन करवाया गया और लंबे समय तक उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दिल्ली महिला आयोग ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। दरअसल मासूम बच्चे की मुलाकात एक अभियुक्त से लगभग तीन साल पहले लक्ष्मीनगर में एक डांस इवेंट में हुई। आरोपी ने दोस्ती की और उसे अपने साथ डांस सीखाने के बहाने मंडावली ले गया। वहीं आरोपी और उसके कुछ साथियों ने कुछ समय बाद पीड़ित बच्चे को रहने के लिए कहा। बच्चे को कुछ दिन बाद नशीला पदार्थ दिया जाने लगा और जबरन लिंग परिवर्तन करवा दिया गया।
हालांकि कुछ समय बाद आरोपियों ने पीड़ित के एक परिचित को भी लाकर उसी के साथ रख लिया। एक दिन मौका देख कर दोनों बच्चे वहां से भाग निकले।
पीड़ित बच्चे के साथ आरोपी और उसके अन्य साथी सामूहिक दुष्कर्म करते और पीड़ित से भीख भी मंगवाई जाती थी। पीड़ित ने बताया कि अभियुक्त स्वयं भी महिलाओं के वस्त्र पहनकर जिस्मफरोशी करते थे और आने वाले कस्टमरों को मार पीटकर उनके पैसे छीन लेते थे।
हालांकि जब इस मामले की जानकरी दिल्ली महिला आयोग को मिली तो आयोग की सदस्य सारिका चौधरी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज हुआ है, साथ ही अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, यह मामला बेहद ही संगीन और दिल दहलाने वाला है। 13 वर्ष की उम्र में ही छोटे से बच्चे का जबरन लिंग परिवर्तन करवाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाने लगा एवं उसे जिस्मफरोशी के व्यापार में धकेल दिया गया। ये एक बहुत बड़ा रैकेट नजर आता है। किस्मत से दोनों पीड़ित वहां से बच निकले और दोनों की जि़न्दगी बच सकी। पुलिस को जल्द से जल्द सभी अभियुक्तों को गिरफतार करना चाहिए और उन्हें ऐसी सजा मिले जो वो कभी भूल ना पाएं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 15 जनवरी | उन्नाव से भाजपा सांसद सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने ओवैसी की पार्टी को भाजपा की बी पार्टी कहने वाले विपक्ष की बात पर मुहर लगाते हुए कहा कि ओवैसी ने बिहार में भाजपा को जिताने का काम किया था। वह बंगाल में भी मदद करेंगे। सांसद साक्षी महाराज गुरुवार को लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे। रास्ते मे भाजपाइयों ने स्वागत किया। इस दौरान साक्षी महाराज ने बातों बातों में ओवैसी को भाजपा का मददगार बताया और कहा कि, "ओवैसी ने बिहार में भाजपा को जिताने का काम किया था। वह बंगाल में भी मदद करेंगे।"
किसान आंदोलन के संबंध में उन्होंने कहा कि, "यह देश का दुर्भाग्य है कि परिवारवादी, जातिवादी लोगों के बहकावे में आकर किसान न तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने को तैयार हैं, न ही सरकार व संविधान को।"
"सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया है। अब ऐसे में आंदोलन का कोई औचित्य नहीं रह जाता। किसानों को आंदोलन समाप्त कर कमेटी के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए।"
सांसद ने अमर्यादित भाषा बोलने वाले राजनेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है। नेताओं को इसमें सुधार लाना चाहिए।
भाजपा के मुस्लिम प्रेम पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सांसद ने कहा कि, "भाजपा सबका साथ, सबका विकास के रास्ते पर चलने वाली पार्टी है। इसके चलते भाजपा मुसलमानों का विश्वास जीतने के लिए उनके विकास के लिए प्रयासरत है। अब मुसलमान भी इस बात को समझने लगे हैं कि 65 सालों से उन्हें तुष्टीकरण के नाम पर डराया जा रहा था।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 15 जनवरी | इंदौर के एक एक्टिविस्ट ने हाल ही में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष चुने गए राजीव शुक्ला पर हितों के टकराव में शामिल रहने का आरोप लगाया है। इस मामलें में शिकायत मिलने के बाद बीसीसीआई के एथिक्स ऑफिसर रिटायर्ड जस्टिस डीके जैन ने बीसीसीआई के साथ-साथ शुक्ला से भी इन आरोपों को लेकर जवाब मांगा है।
शुक्ला के खिलाफ यह आरोप मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के आजीवन सदस्य इंदौर निवासी संजीव गुप्ता ने लगाए हैं।
एथिक्स ऑफिसर के दफ्तर से जारी एक ऑर्डर के मुताबिक गुप्ता ने रूल 39(2)(बी) के तहत शुक्ला पर आरोप लगाए हैं। इस मामले में कोई भी कार्रवाई करने से पहले बीसीसीआई और शुक्ला से जवाब मांगा गया है।
जवाब के लिए बीसीसीआई और शुक्ला को दो सप्ताह का समय दिया गया है।
--आईएएनएस
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) ने सीएनबीसी आवाज़ के एंकर हेमंत घई को चैनल के लिए किसी भी शो की होस्टिंग करने पर रोक लगा दी है.
सीएनबीसी आवाज़ नेटवर्क-18 समूह का एक चैनल है. नेटवर्क-18 ने बयान जारी कर कहा कि हेमंत घई को 'तत्काल प्रभाव' से हटा दिया गया है.
अपनी जाँच में सेबी ने पाया है कि हेमंत घई ने 'स्टॉक 20-20' शो के दौरान शेयरों को लेकर जो जानकारी दी थी, उनके बारे में उन्हें पहले से पता था और इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने फ़ायदे के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किया.
घई सीएनबीसी आवाज़ के लिए 'स्टॉक 20-20', 'मुनाफ़े की तैयारी', 'पहला सौदा' और 'कमाई का अड्डा' जैसे शो करते हैं.
इन कार्यक्रमों में खुदरा क्षेत्र के निवेशकों को स्टॉक की जानकारी दी जाती है कि दिन में कौन सा शेयर ख़रीदा जाए या बेचा जाए.
सेबी ने किसी भी तरह की निवेश संबंधित सलाह देने को लेकर हेमंत घई पर अगले आदेश तक पूरी तरह से बैन लगा दिया है. वो स्टॉक मार्केट से संबंधित किसी भी तरह का रिसर्च पेपर भी नहीं जारी कर सकते हैं.
सेबी ने उन्हें वो 2.95 करोड़ रुपये सरेंडर करने को भी कहा जो उन्होंने इस धांधली से कमाए हैं.
शो के दौरान क्या कर रहे थे हेमंत?
सेबी ने 13 जनवरी को जारी अपने आदेश में कहा, "ऐसा पता चला है कि जया हेमंत घई और श्याम मोहिनी घई ने एक ख़ास समय में शो में बताई गई सिफ़ारिशों के अनुरूप बड़ी संख्या में बाय-टुडे-सेल-टुमॉरो (बीटीएसटी) के अधीन ट्रेड किया. जिस दिन 'स्टॉक 20-20' शो में शेयर को लेकर सलाह दी गई थी, उससे एक दिन पहले ये शेयर ख़रीदे गए थे और शो वाले दिन तुरंत उन्हें बेच दिया गया था."
हेमंत घई दो खातों के माध्यम से ये ट्रेड कर रहे थे. ये खाते उनकी माँ और पत्नी के नाम पर हैं.
वह शो के दौरान जिन शेयरों को ख़रीदने और बेचने की बात करते थे, उन्हें वो खुद ख़रीद और बेच रहे थे. वो इससे खूब पैसा बना रहे थे. आम तौर पर इसे 'पंप और डंप स्कीम' कहते हैं.
इसमें होता यह है कि किसी के पास अगर किसी स्टॉक के बारे में जानकारी है तो वो उसकी ग़लत जानकारी देकर उसके भाव बढ़ा देता है और फिर जब भाव बढ़ जाता है तो स्टॉक बेच देता है.
इस तरह से दूसरे निवेशकों को गुमराह करके अच्छा मुनाफा कमाया जाता है.
सेबी को यह पता चला कि शो के दौरान जिस स्टॉक के बारे में बताया जा रहा था, उसे एक दिन पहले ही ख़रीदा जाता था और शो वाले दिन मार्केट खुलते ही उसे बेच दिया जाता था.
इससे यह पूरी तरह से साफ़ हो चुका है कि घई अपनी स्थिति का लाभ उठाते हुए पैसा बना रहे थे. इसे 'इनसाइडर ट्रेडिंग' कहते हैं.
दोनों ही ख़ातों में 1 जनवरी 2019 और 31 मई 2020 के बीच हुए सभी लेनदेन की जाँच की गई है.
ऐसी गतिविधियों पर सेबी के 'धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के निषेध नियमों' के अंतर्गत रोक है.
सेबी के आदेश की कॉपी सीएनबीसी-टीवी 18 और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी को ज़रूरी क़दम उठाने के लिए भेज दी गई है.
सेबी के पूर्व ईडी जेएन गुप्ता ने बीबीसी से कहा, "इस तरह की गतिविधि को लेकर स्पष्ट नीति है. अगर आपके पास कोई भी शेयर हैं तो उसके बारे में आपको अपने नियोक्ता और नियामक को बताना होगा. आप रिपोर्टर, निर्माता या एंकर की हैसियत से मिली जानकारी का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर सकते."
"आप उन स्टॉक्स में ट्रेड नहीं कर सकते जिसके बारे में आपने अपने शो के दौरान बताया है."
उन्होंने कहा, "सेबी ने उन्हें ट्रेड से बनाए पैसे सरेंडर करने को कहा है. उन्हें अपनी स्थिति साफ़ करने के लिए कुछ समय भी दिया जाएगा. उन्हें जेल की सज़ा नहीं हो सकती है लेकिन उन्हें ज़िंदगी भर के लिए स्टॉक मार्केट से दूर किया जा सकता है. वो और उनके परिवार का कोई भी सदस्य मार्केट से जुड़ी किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकता है."
सिर्फ़ हेमंत घई की जाँच क्यों?
एक बिज़नेस चैनल के लिए काम कर चुके संपादक ने नाम न ज़ाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा कि, "यह दिलचस्प है कि सेबी ने सिर्फ़ हेमंत घई की जाँच क्यों की. उन्हें यह साफ़ करना चाहिए कि इसके पीछे क्या वजह है. क्या उन्होंने दूसरे चैनल और एंकर्स की जाँच की है. क्या वो इस बात को लेकर निश्चित हैं कि कोई दूसरा इसमें शामिल नहीं है."
वे कहते हैं, "जब नौकरी के अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाया जाता है तो उसमें साफ़ लिखा होता है कि वे नौकरी के दौरान प्राप्त जानकारी का उपयोग नहीं कर सकते हैं."
सेबी ने नेटवर्क-18 को इस आदेश के बारे में शो के दर्शकों को बताने के लिए भी कहा है. (bbc)
अमर उजाला अख़बार के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के मुद्दे पर ख़त लिखकर दिल्ली में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है.
अन्ना हज़ार ने लिखा है कि उन्होंने अब तक पाँच बार प्रधानमंत्री को ख़त लिखा है लेकिन एक बार भी जवाब नहीं आया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने ना तो उनके ख़तों का जवाब दिया और ना ही किसानों से संबंधित उनकी माँग को पूरी की है, इसलिए इस बार उन्होंने जनवरी के आख़िर में दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल करने का फ़ैसला किया है.
अन्ना हज़ार ने अपने ख़त में लिखा है कि सरकार ने लिखित में दिया था कि केंद्र सरकार ने फ़सल की लागत से 50 प्रतिशत अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है और इसे बजट भाषण में भी शामिल किया गया था लेकिन अभी तक इनका पालन नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यह शायद उनकी आख़िरी भूख हड़ताल हो. इससे पहले वो 2018 और 2011 में दिल्ली में लोकपाल की माँग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे. हालांकि आज तक केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है. (बीबीसी)
नई दिल्ली, 15 जनवरी | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से हाल ही में भारत का नक्शा गलत तरीके से दिखाने पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। नक्शे में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाए जाने पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के प्रतिनिधि ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख के समक्ष इस मसले को उठाया है।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस मुद्दे को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत इंद्रमणि पांडे ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम घेब्येयियस के सामने उठाया है।
भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे द्वारा भेजे गए पत्र में संस्था के प्रमुख को कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ के कई वेबपोर्टल पर भारत के नक्शे को गलत तरीके से दिखाया गया है। ऐसे में सभी नक्शों को तुरंत हटाया जाए और गलती का सुधार किया जाए।
डब्ल्यूएचओ के कदम पर पांडे ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए मानचित्रों को हटाने के लिए उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
एक महीने में यह तीसरी बार है जब भारत ने डब्ल्यूएचओ के साथ इस मुद्दे को उठाया है।
दरअसल वैश्विक स्वास्थ्य निकाय की वेबसाइट पर जारी एक नक्शे में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था।
डब्ल्यूएचओ इन दिनों काफी विवादों पर रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान चीन का पक्ष लेने पर अमेरिका और अन्य देशों की ओर से इसे भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को चीन की कठपुतली करार दिया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 15 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली में पोल्ट्री में बर्ड फ्लू के सैंपल निगेटिव आने के बाद प्रदेश सरकार ने मुर्गा मंडी खोलने का आदेश दिया है। उधर, पड़ोसी प्रांत हरियाणा में पोल्ट्री में बर्ड के मामले बढ़ गए हैं। केंद्र सरकार की गुरुवार की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में चार पोल्ट्री फॉर्म के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की गाजीपुर मंडी से कमर्शियल पोल्ट्री के सैंपल जांच में निगेटिव पाए गए। इस रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पोल्ट्री मार्केट को खोलने और चिकन स्टॉक के कारोबार व आयात पर प्रतिबंध वापस लेने का आदेश दिया। यह जानकारी उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से दी।
इससे पहले, केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और एमसीडी के महापौरों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में पोल्ट्री व पोल्ट्री उत्पादों की बिक्री पर रोक हटाने पर बल दिया।
केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के पोल्ट्री फार्म से लिए गए सैंपल एवियन इन्फ्लूएंजा (एच-5 एन-8) पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं, गुजरात में कौवों में बर्ड फ्लू के और मामले आए हैं, जबकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में पक्षियों को नष्ट करने का ऑपरेशन चलाने के बाद सैनिटाइजेश का काम पूरा हो गया है। पशुपालन व डेयरी विभाग ने एवियन इन्फ्लूएंजा की जांच के लिए सैंपल निर्धारित प्रयोगशालाओं में भेजने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इसके निर्बाध परिवहन की अनुमति मांगी है।
--आईएएनएस
भोपाल/पन्ना | देश और दुनिया में हीरा के कारण विशेष पहचान रखने वाले मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थिति एनएमडीसी की खदान इन दिनों बंद चल रही है, क्यांेकि राज्य के वन्य प्राणी बोर्ड की अनुमति नहीं मिली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में खदान को चालू रखने पर सहमति बनी। ज्ञात हो कि पन्ना मंे संचालित एनएमडीसी की हीरा खदान की वन्य प्राणी बोर्ड की अनुमति 31 दिसंबर को समाप्त हो गई थी, जिसके चलते खदान को बंद कर दिया गया था। इस मामले को लेकर क्षेत्रीय सांसद विष्णु दत्त षर्मा की खनिज मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह और मुख्यमंत्री चौहान से चर्चा हुई थी। इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा था कि खदान बंद नहीं होगी।
वन्य प्राणी बोर्ड की गुरुवार को हुई बैठक में पन्ना जिले में गंगऊ अभयारण्य में एनएमडीसी की 275 हेक्टेयर जमीन में हीरा खनन कार्य शुरू किए जाने के संबंध में बोर्ड के सदस्यों ने विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि हीरा खनन का कार्य बंद न हो, साथ ही विकास भी हो और वन्य प्राणी संरक्षण भी हो। दोनों में संतुलन आवश्यक है।
सूत्रों का कहना है कि एनएमडीसी प्रबंधन और स्थानीय कर्मचारी लगातार वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक बुलाकर खदान को अनुमति देने की मांग लंबे अरसे से करते आ रहे थे, मगर बोर्ड की बैठक नहीं होने के कारण खदान को चालू रखने की अनुमति ही नहीं मिल पाई। नतीजतन, खदान को चालू रखने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर भी गुजर गई और उसे बंद करना पड़ा। अब बोर्ड ने सहमति जताई है, यह सहमति केंद्र सरकार को जाएगी और उसकी अनुमति मिलने के बाद ही खदान को फिर चालू किया जा सकेगा।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 15 जनवरी | केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के मसले पर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ नौवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार यूनियन के नेताओं के साथ खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है। नये कृषि कानून के मसले पर गतिरोध दूर करने और किसानों का आंदोलन समाप्त करने को लेकर सरकार शुक्रवार को आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ नौवें दौर की वार्ता करेगी। किसानों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में यह वार्ता दिन के 12 बजे आरंभ होगी।
तोमर ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि किसानों के साथ अगले दौर की वार्ता सकारात्मक रहेगी।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने भी आईएएनएस को बताया कि शुक्रवार को 12 बजे किसान संगठनों के प्रतिनिधि सरकार के साथ वार्ता के लिए जाएंगे, जिसमें वह भी शामिल होंगे।
नौवें दौर की वार्ता का मुख्य विषय क्या होगा? इस सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों की सिर्फ दो मांगें बची हैं जो प्रमुख हैं और इनमें से पहली मांग तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की है। इस मांग के पूरे होने पर ही किसान नेता दूसरी मांग पर चर्चा करेंगे।
किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
सरकार के साथ किसान नेताओं के बीच इस मसले को लेकर आठ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और शीर्ष अदालत ने मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, जिसमें चार सदस्यों को नामित किया गया है। हालांकि कमेटी में शामिल एक सदस्य भाकियू नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग करने की घोषणा की है।
आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने जाने से मना कर दिया है।
नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का गुरुवार को 50वां दिन है और देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का कहना है कि जब तक नये कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा। दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।
--आईएएनएस
जनसत्ता अख़बार के अनुसार कर्नाटक में मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद पार्टी के भीतर विरोध की आवाज़ें उठने लगी हैं और मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ बीजेपी के कुछ नेताओं के बग़ावती सुर देखने को मिल रहे हैं.
लेकिन येदियुरप्पा ने असंतुष्ट नेताओं से कहा कि अगर भाजपा विधायकों को कोई समस्या है तो वे दिल्ली जा सकते हैं और राष्ट्रीय नेताओं से मिलकर उन्हें पूरी सूचनाएं दे सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने 17 महीने पुराने अपने मंत्रिमंडल का बुधवार को विस्तार किया था. सात नए मंत्रियों को शामिल किया गया था और आबकारी मंत्री एच. नागेश को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था.
जिन लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली वो भी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं.
एक विधायक बी. पाटिल ने कहा, "मुख्यमंत्री ब्लैकमेल करने वालों को मंत्री बना रहे हैं. तीन लोग एक राजनीतिक सचिव और दो मंत्री पिछले तीन महीने से येदियुरप्पा को सीडी के माध्यम से ब्लैकमेल कर रहे हैं."
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीसे अनुरोध किया कि वह राज्य को येदियुरप्पा परिवार के वंशवाद की राजनीति से मुक्त कराएं. (बीबीसी)
इस बार गणतंत्र दिवस के मौक़े पर कोई भी विदेशी मेहमान मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि इस बार किसी भी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को मुख्य अतिथि के तौर आमंत्रित नहीं किया गया है.
साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड महामारी के कारण यह फ़ैसला लिया गया है. विदेश मंत्रालय ने यह घोषणा ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भारत दौर रद्द करने के बाद की है.
इससे पहले बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस की परेड पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने वाले थे लेकिन उन्होंने अचानक से कोविड महामारी का हवाला देकर दौरा रद्द करने का फ़ैसला किया था.
यह दशकों में पहली बार होगा जब भारत बिना कोई राष्ट्र प्रमुख को मुख्य अतिथि बनाए गणतंत्र दिवस की परेड संपन्न करेगा. इससे पहले 1966 में ऐसा हुआ था जब गणतंत्र दिवस की परेड में कोई मुख्य अतिथि नहीं था. तब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन हो गया था और भारत के परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा की प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी.
अगर 1952, 1953 और 1966 के गणतंत्र दिवस की परेड को छोड़ दें तो हर परेड में विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं. 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस की परेड में इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो पहले मुख्य अतिथि बने थे. पिछले साल के गणतंत्र दिवस की परेड में ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायल बोरल्सोनारो मुख्य अतिथि थे. (बीबीसी)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने ओलंपियनों और पैरालंपियनों को अपने विभिन्न नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओईएस) में कोच और सहायक कोच के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया है। साई ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि भर्ती प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो चुकी है और इसके तहत 23 सहायक कोच और चार कोचों की नियुक्ति की जाएगी। ओलंपिक और पैरालिम्पियन सहायक कोच के रूप में आवेदन करने के लिए पात्र हैं और पदक विजेता सीधे कोच के लिए आवेदन कर सकते हैं जो कि ग्रुप ए की श्रेणी का है।
चयनित प्रशिक्षकों को नेशनल स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट- पटियाला द्वारा आयोजित खेल कोचिंग में डिप्लोमा हासिल करने की आवश्यकता होगी, अगर उन्होंने पहले से ही पाठ्यक्रम में कोर्स नहीं लिया है।
केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिरिजू ने कहा, " खेल मंत्रालय और एसएआई अपने खेल नायकों की उपलब्धियों को पहचानने के लिए लगातार प्रयासरत है, साथ ही हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे सम्मान और आराम के जीवनयाप करें।"
उन्होंने कहा, " ओलंपियन और पैरालिंपियन को रोजगार देने का यह निर्णय सरकार की राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा की सराहना करने का तरीका है, साथ ही खेल की दुनिया से कोचिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। कोच खेल पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं।"
इन पदों से संबंधित सभी जानकारियां साई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों के साथ वार्ता करने के लिए नियुक्त समिति से हटने का फैसला किया है। कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलनों की समस्या को सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया गया था। हालांकि, उन्होंने अब समिति छोड़ने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन ने मान के एक पत्र को ट्वीट करते हुए कहा, "भूतपूर्व सांसद और भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित चार सदस्यीय समिति से खुद का नाम वापस ले लिया है।"
इस मुद्दे पर फिलहाल मान की टिप्पणी प्राप्त नहीं हो सकी है।
मान ने पत्र में कहा है कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए समिति के सदस्यों में से एक के रूप में नामांकित करने के लिए शीर्ष अदालत के शुक्रगुजार हैं।
उन्होंने कहा, "एक किसान और एक यूनियन नेता के तौर पर, किसान यूनियनों और जनता के बीच फैली शंकाओं को ध्यान में रखते हुए, मैं किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हूं, ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों के साथ समझौता न हो सके। मैं समिति से खुद को अलग कर रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा।"
12 जनवरी को गठित समिति के अन्य सदस्यों में कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और अनिल धनवत शामिल हैं। (आईएएनएस)
गुवाहटी, 14 जनवरी | अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे उत्तरी असम के बिश्वनाथ जिले में जंगली भैसे ने एक व्यक्ति को मार डाला, जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने गुरुवार को वन विभाग कार्यालय में आग लगा दी। पुलिस के अनुसार, बिश्वनाथ जिले के मुट्टाकगांव में एक जंगली भैंस ने एक ग्रामीण जयंत दास को मार डाला, जिसके बाद महिलाओं सहित सैकड़ों स्थानीय लोग हिंसक हो गए।
भीड़ ने वन अधिकारियों पर आस-पास के जंगलों से वन्यजीवों को मानव बस्तियों और गांवों में प्रवेश करने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया और गुस्साए ग्रामीणों ने बिश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग के केंद्रीय रेंज के कार्यालय में आग लगा दी।
एक प्रत्यक्षदर्शी प्रशांत शर्मा ने कहा, "जंगली भैंस गुरुवार की सुबह बिश्वनाथ घाट पर आई और ग्रामीणों पर हमला करने की कोशिश की। हमने तुरंत वन अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन वे भैंस द्वारा दास पर हमला करने और उसे मारने के बाद मौके पर पहुंचे।"
ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है। गुस्साई भीड़ को शांत करने में पुलिस और वन अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/मदुरै, 14 जनवरी | कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर हमला जारी रखते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को दावा किया कि सरकार को कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मदुरै में जल्लीकट्टू (बुल-टैमिंग) देखने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "मेरे शब्दों को चिह्न्ति (मार्क) कर लीजिए। सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुझे बहुत गर्व है कि किसान क्या कर रहे हैं और मैं पूरी तरह से उनका समर्थन करता हूं और हमेशा उनके साथ खड़ा रहूंगा।"
उन्होंने दावा किया कि सरकार किसानों का न केवल दमन नहीं कर रही है, बल्कि वह उन्हें नष्ट करने की साजिश कर रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "सरकार सिर्फ उनकी (किसानों को) उपेक्षा नहीं कर रही है, बल्कि वह उन्हें नष्ट करने की साजिश कर रही है। एक अंतर है। उपेक्षा एक अनदेखी है। वे उन्हें नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे अपने दो या तीन दोस्तों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे तौर पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने पूछा, "क्या आप पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं या फिर दो या तीन व्यापारियों के प्रधानमंत्री हैं?"
राहुल ने कहा, "जब कोरोना आया, तब उन्होंने आम आदमी की मदद नहीं की। जब चीनी हमारी जमीन पर बैठे हैं तो प्रधानमंत्री अब क्या कर रहे हैं?"
कांग्रेस ने 15 जनवरी को किसानों के समर्थन में विरोध करने की योजना बनाई है और विभिन्न राज्यों में राजभवन तक मार्च करने का फैसला किया है।
इस बीच दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का जारी विरोध भीषण ठंड और घने कोहरे के बीच जारी रहा। उन्होंने दावा किया है कि आने वाले दिनों में नए कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी हलचल और तेज हो जाएगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा। सत्र के दौरान एक फरवरी को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। सत्र दो भागों में आयोजित किया जाएगा। सत्र का पहला भाग 29 जनवरी से 15 फरवरी और दूसरा भाग आठ मार्च से आठ अप्रैल तक आयोजित होगा।
17वीं लोकसभा के पांचवें सत्र में 35 सिटिंग्स होंगी, जो कि पहले भाग में 11 और दूसरे भाग में 24 निर्धारित की गई हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 जनवरी को सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा को संबोधित करेंगे।
सीतारमण एक फरवरी को सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
संसद की स्थायी समिति को विभिन्न मंत्रालयों/विभागोंकी अनुदान की मांगों पर विचार करना सुगम बनाने के लिए 15 फरवरी को सत्र का पहला चरण स्थगित कर दिया जाएगा और आठ मार्च से दूसरे चरण की बैठक शुरू होगी। (आईएएनएस)