राष्ट्रीय
किसान आंदोलन का आज 26वां दिन है. सरकार और किसान संगठन अभी तक किसी समझौते तक नहीं पहुंच पाए हैं. सरकार ने बातचीत का न्योता दिया है लेकिन किसान संगठनो का कहना है कि वे इस पर दो-तीन दिनों में फैसला करेंगे.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों के किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी सरकार से कई बार बातचीत भी हो चुकी है लेकिन अब तक कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है. किसानों ने तीन नए कृषि कानून वापस लिए जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना और तेज कर दिया है. सोमवार से किसान भूख हड़ताल करेंगे और हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल नाके फ्री कर दिए जाएंगे. रविवार को केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को बातचीत का न्योता भेजा और तारीख तय करने को कहा, जिसपर संगठन दो से तीन दिन में फैसला करेंगे.
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान संगठनों को पत्र लिखा है जिसमें उन्हें एक बार फिर बातचीत का न्योता दिया है. 5 पन्नों के पत्र में किसान नेताओं से बातचीत की तारीख सुझाने का भी आग्रह किया गया है. पत्र में ये बात दोहराई गई है कि सरकार खुले दिल से किसानों से बात करना चाहती है.
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से योगेंद्र यादव ने कहा है कि किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. जहां भी धरना चल रहा है वहां सोमवार से 24-24 घंटे की पारी में किसान भूख हड़ताल करेंगे. दिल्ली के धरनास्थलों पर 11-11 लोग शामिल होंगे. किसान संगठनों ने 23 दिसंबर को किसान दिवस के मौके पर देशवासियों से एक समय का भोजन अन्नदाताओं के सम्मान में त्याग करने की अपील की है.
'मन की बात' के दौरान थाली बजाएंगे किसान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात जो कि आगामी 27 दिसंबर को होनी है उस दौरान किसान थाली पीटेंगे. मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को रेडियो पर मन की बात करते हैं. किसानों का कहना है कि वे उनकी मन की बात सुन-सुनकर थक गए हैं और वो हमारी मन की बात कब सुनेंगे. जितनी देर मोदी रेडियो पर मन की बात करेंगे उतनी देर आंदोलन कर रहे किसान थाली पीटते रहेंगे.
दूसरी ओर रविवार को मोदी ने दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में मत्था टेका और गुरु तेग बहादुर साहिब को श्रद्धांजलि अर्पित की. गौरतलब है कि बड़ी संख्या में पंजाब से आए सिख किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और मोदी का गुरुद्वारा जाना उन्हें एक संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि अगले साल की जनवरी से लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन दी जाने की शुरुआत की जा सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार की पहली प्रथमिकता ये सुनिश्चित करना है कि वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि "मुझे लगता है कि जनवरी में वो वक्त आ सकता है जब हम आम लोगों को कोरोना वैक्सीन देने की स्थिति में होंगे."
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल ड्रग नियामक, इमरजेंसी में इस्तेमाल के लिए आवेदन की गई कोरोना वैक्सीन समेत सभी और वैक्सीन के बारे में विश्लेषण कर रहा है.
उन्होंने कहा, "कोविड-19 की वैक्सीन के रिसर्च के मामले में भारत किसी देश से पीछे नहीं है. हमारी पहली प्राथमिकता यही है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हो और ये इस वायरस के ख़िलाफ़ कारगर हो. इस मामले में हम समझौता नहीं चाहते. हमारे नियामक सभी बातों के मद्देनज़र वैक्सीन से जुड़े डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं."
डॉ. हर्ष वर्धन ने शनिवार को कहा कि देश में स्वदेशी वैक्सीन पर भी काम जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले छह से सात महीनों में हम देश के 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज़ दे पाएंगे.
कोविड-19 पर उच्च स्तरीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) की 22वीं बैठक में उन्होंने कहा, "हमारे वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य जानकारों ने इस वायरस को अलग किया और इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग की और इसके बाद वो इसकी स्वदेशी वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं. आने वाले छह से सात महीनों में हमारे पास 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की क्षमता होगी."
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में फिलहाल नौ कोरोना वैक्सीन बन रही हैं जो क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्तर पर हैं.
इनमें से छह के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं जबकि तीन फिलहाल प्री-क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर हैं.
कोविशील्ड - ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई इस वैक्सीन का ऐस्ट्राज़ेनिका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही है. चिंपांज़ी एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म पर बनाए जाने वाली इस वैक्सीन के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट इसका भारतीय पार्टनर है. इसके दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं और इसके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सरकार से इजाज़त मांगी गई है.
कोवैक्सीन - ये मृत वायरस के इस्तेमाल से बनने वाली वैक्सीन है जिसे हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है. आईसीएमआर के सहयोग से इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं और इसके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सरकार से इजाज़त मांगी गई है.
ZyCoV-D - कैडिला हेल्थकेयर की ये वैक्सीन डीएनए प्लेटफॉर्म पर बनाई जा रही है. इसके लिए कैडिला ने बायोटेकनोलॉजी विभाग के साथ सहयोग किया है. इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं.
स्पुतनिक-वी - ये रूस की गेमालाया नेशनल सेंटर की बनाई वैक्सीन है जो ह्यूमन एडेनोवायरस प्लेटफ़ॉर्म पर बनाई जा रही है. बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन हैदराबाद की डॉक्टर रैडीज़ लैब कर रही है. ये वैक्सीन तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल तक पहुंच चुकी है.
NVX-CoV2373 - वायरस के प्रोटीन के टुकड़े को आधार बनाकर बनाई जा रही इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है. इसके लिए इंस्टीट्यूट ने नोवावैक्स के साथ कोलैबोरेट किया है. इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल पर फिलहाल विचार किया जा रहा है.
अमेरिकी की एमआईटी की बनाई प्रोटीन एंटीजेन बेस्ड वैक्सीन का उत्पादन हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड कर रही है. इसके पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुके हैं.
HGCO 19 - अमेरिका की एचडीटी की एमआरएनए आधारित इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे की जिनोवा नाम की कंपनी कर रही है. इस वैक्सीन को लेकर जानवरों पर होने वाले प्रयोग ख़त्म हो चुके हैं और जल्द ही इसके पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने वाले हैं.
अमेरिका के थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक मृत रेबीज़ वेक्टर प्लेटफॉर्म आधारित कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर रही है. ये वैक्सीन एडवांस्ड प्री-क्लीनिकल स्तर तक पहुंच चुकी है.
अमेरिकी के ऑरोवैक्सीन के साथ मिल कर भारत की ऑरोबिन्दो फार्मा एक वैक्सीन बनी रही है जो फिलहाल प्री-डेवेलपमेन्ट स्टेज पर है. (bbc.com)
कृषि क़ानून को लेकर कांग्रेस के वर्तमान रुख़ की भी आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो उनकी सरकार भी इसी तरह के सुधार की वकालत कर रही थी. लेकिन ये क़ानून अब बन गया और किसान संगठन सड़क पर विरोध करने लगे तो कांग्रेस ने भी अपना रुख़ बदल लिया.
मोदी सरकार के कृषि क़ानून का समर्थन करते हुए योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कांग्रेस समर्थित अर्थशास्त्रियों पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि राजनीतिक पार्टियों का रुख़ तो समझ में आता है लेकिन जिन अर्थशास्त्रियों ने यूपीए सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए कृषि में नए बदलावों का समर्थन किया था वो भी अब कृषि क़ानून का विरोध कर रहे हैं.
हालाँकि कांग्रेस नेता इस पर कई बार सफ़ाई दे चुके हैं. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी कह चुके हैं कि उनकी सरकार इस तरह के कृषि क़ानून के पक्ष में कभी नहीं थी.
अरविंद पनगढ़िया ने मनमोहन सिंह सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे कौशिक बासु और रघुराम राजन पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए इन दोनों अर्थशास्त्रियों ने नए कृषि क़ानून की वकालत की थी.
अरविंद पनगढ़िया को अर्थशास्त्री कौशिक बासु ने जवाब दिया है. इन्होंने लिखा है कि भारतीय कृषि में सुधार की ज़रूत है लेकिन छोटे किसानों की आजीविका की क़ीमत पर नहीं. कौशिक बासु ने ट्वीट कर कहा है, ''हमें राजनीति किनारे रख देनी चाहिए और नए सिरे से क़ानून बनाने पर विचार करना चाहिए, जिसमें व्यापक पैमाने पर विमर्श हो.''
अरविंद पनगढ़िया के जवाब में कौशिक बासु ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा है, ''ये सही बात है कि मैंने और रघुराम राजन ने कहा था कि भारत के कृषि क़ानून पुराने पड़ गए हैं और एपीएमसी एक्ट में सुधार की ज़रूरत है. किसानों को विकल्प देने की ज़रूरत है लेकिन उससे पहले हमें ये सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि छोटे किसानों को शोषण से बचाया जा सके. मुक्त बाज़ार में छोटे किसानों की जो मुश्किलें हैं उनको गंभीरता से देखने की ज़रूरत है.''
''सरकार ने इसकी कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है जिससे किसानों के शोषण को रोका जा सकेगा. एपीएमसी एक्ट में वर्तमान संशोधन बहुत प्रभावी नहीं है. इस सुधार में बड़े कॉर्पोरेट घरानों को व्यापक पैमाने पर स्टोर करने की अऩुमति दे दी गई है. इससे बड़े कॉर्पोरेट घराने सामने आएंगे और स्टोर व्यापक पैमाने पर करेंगे. इसके मार्केट पर इनका नियंत्रण बढ़ेगा. अगर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों के साथ किसी भी तरह का कोई विवाद होता है कि उनके मसले को सुलझाने के लिए कोई प्रभावी व्यवस्था है.'' (bbc.com)
राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी कैंपेन का काम करने वाले प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी दोहरे अंक में भी सीट पाने के लिए संघर्ष करेगी.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी को लेकर उनके समर्थक मीडिया में हवा बनाई जा रही है जबकि हक़ीक़त कुछ और है.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, ''मीडिया के कुछ हलकों में पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया जा रहा है. सच यह है कि बीजेपी दोहरे अंक में भी सीट जीतने के लिए संघर्ष करेगी. प्लीज़ मेरे इस ट्वीट को सेव कर लें और अगर बीजेपी ने इससे बेहतर किया तो मैं अपना काम छोड़ दूंगा.''
प्रशांत किशोर के इस ट्वीट पर बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर जवाब दिया. विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में कहा है, ''भाजपा की बंगाल में सुनामी चल रही है, सरकार बनने के बाद इस देश को एक चुनाव रणनीतिकार खोना पड़ेगा.''
प्रशांत किशोर ममता बनर्जी का चुनावी कैंपेन देख रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति का पूरा ज़िम्मा प्रशांत किशोर के हाथों में ही है.
प्रशांत इससे पहले 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए भी काम कर चुके हैं. अब उनकी बीजेपी से नहीं बनती है और अक्सर प्रधानमंत्री की नीतियों को लेकर हमलावर रहते हैं. (bbc.com)
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी और अर्द्ध सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे-मील बनाने वाले रसोइयों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का सामान्य समादेश कर पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मिड-डे-मील रसोइयों को एक हजार रुपये वेतन देना बंधुआ मजदूरी है। इसे संविधान के अनुच्छेद-23 में प्रतिबंधित किया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकार के हनन पर कोर्ट में आने का अधिकार है। वहीं सरकार का भी सांविधानिक दायित्व है कि किसी के मूल अधिकार का हनन न होने पाए। सरकार न्यूनतम वेतन से कम वेतन नहीं दे सकती। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मिड-डे-मील बनाने वाले प्रदेश के सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित करे।
हाई कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियो को इस आदेश पर अमल करते हुए रसोइयों को न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। केंद्र और राज्य सरकार को चार माह के भीतर न्यूनतम वेतन तय करके 2005 से अब तक सभी रसोइयों को वेतन अंतर के बकाये का निर्धारण करने का आदेश दिया है। यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने बेसिक प्राइमरी स्कूल पिनसार बस्ती की मिड-डे-मील रसोइया चंद्रावती देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को एक अगस्त 2019 को हटा दिया गया था। उसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
याची का कहना था कि उसने एक हजार रुपये मासिक वेतन पर पिछले 14 साल सेवा की है। अब नए शासनादेश से स्कूल में जिसके बच्चे पढ़ रहे हो उसे रसोइया नियुक्ति में वरीयता देने का नियम लागू किया गया है। याची का कोई बच्चा प्राइमरी स्कूल में पढ़ने लायक नहीं है। इससे उसे हटाकर दूसरे को रखा जा रहा है। बताया कि अब वेतन भी 1500 रुपये कर दिया गया है। वह खाना बनाने को तैयार है।
कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पावरफुल नियोजक के विरुद्ध कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकता। न ही वह बारगेनिंग की स्थिति में होता है। कहा कि संविधान का अनुच्छेद-23 बंधुआ मजदूरी को प्रतिबंधित करता है। एक हजार वेतन बंधुआ मजदूरी ही है। याची 14 साल से शोषण सहने को मजबूर है। सरकार ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया है। न्यूनतम वेतन से कम वेतन देना मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए प्रति मुख्य सचिव व सभी जिलाधिकारियों को भेजे जाने का निर्देश दिया है। (jagran)
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से बड़ी कंपनियों के शहद मिलावट कारोबार का भंडाफोड़ होने के बाद मधुमक्खी पालक किसानों को बड़ी राहत मिली है। करीब पांच बरस बाद देशभर में सरसों वाली शहद (मस्टर्ड लिक्विड शहद) के दाम में दोगुनी बढ़त हुई है। इससे पहले किसानों को अपने कच्चे शहद की लागत तक निकालने में परेशानी हो रही थी। कोरोनाकाल में जब शहद की मांग चरम पर पहुंची तबभी मधुमक्खीपालकों को कंपनियों को कच्ची शहद 60 रुपये किलो तक बेचनी पड़ी।
राजस्थान के अलवर जिले में करीब 10 हजार किसानों के समूह ऑल इंडियन बी-कीपर्स फेडरेशन के अध्यक्ष नबाब सिंह ने कहा कि वे मधुमक्खी पालकों की तरफ से वे सीएसई-डाउन टू अर्थ की इस मुहीम का शुक्रिया अदा करते हैं क्योंकि मिलावट कारोबार का खुलासा होने के बाद से बीते पांच बरस में पहली बार ऐसा है जब उन्हें कच्चे शहद का प्रति किलो दाम 130 रुपये तक मिल रहा है। जबकि मई, 2020 महीने में प्रति किलो कच्चे शहद का दाम उन्हें महज 60 रुपये ही मिल रहे थे। इस दोगुनी बढोत्तरी की वजह से किसान खुश हैं।
वर्ष 2015 में स्थापित इंडियन बी-कीपर्स एसोसिएशन ने डाउन टू अर्थ को बताया कि वे अब भी मधुमक्खी पालक से लेकर ऊंचे दर्जे तक कड़ी निगरानी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। संगठन के नवाब सिंह ने कहा कि ब्रांडेड कंपनियों को शहद मुहैया कराने वाली पंजाब-हरियाणा और राजस्थान व उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की मदर कंपनियां मधुमक्खी पालकों से रॉ शहद किस दाम में खरीदती हैं, इसका हिसाब और निगरानी रखी जानी चाहिए। क्योंकि किसानों से मदर हनी कंपनियां बेहद कम दाम में कच्चा शहद बीते कई वर्षों से खरीद रही हैं और फिर मिलावटी कारोबार का नेक्सस काम करता है। इसी ने मधुमक्खी पालकों की कमर तोड़ दी है।
ग्लोबल बीटूबी हनी उद्यम और बी-कीपर्स के वेलफेयर से जुड़े दुबई में रहने वाले शहजादा कपूर सिंह ने बताया कि 2013 में उनके पास भारत के अलग-अलग हिस्सों में करीब 50 हजार मधुमक्खी बॉक्स थे और वे इसके जरिए दुनिया भर में शहद सप्लाई करते थे। लेकिन इसके बाद उनकी कंपनी को घाटा हुआ और उसी वर्ष के बाद से शहद में मिलावट के कारोबार ने भी तेजी पकड़ी। अब उनका शहद उद्योग उतना बेहतर नहीं रहा और वे दुबई से व्यापार करते हैं।
शहजादा कपूर ने बताया कि सीएसई के खुलासे के बाद से मधमुक्खी पालकों को बड़ी राहत मिली है। शहद की अगली खेप 15 फरवरी तक आएगी और उम्मीद है कि मधुमक्खी पालकों को 30 से 40 फीसदी अधिक दाम मिलेगा। वहीं, जिन ब्रांड्स के शहद में मिलावट का कारोबार उजागर हुआ है अब शायद वे भी एनएमआर टेस्ट को अपनाने के लिए बाध्य होंगी। और ऐसी सूचना है कि कंपनियां इस बारे में सोच रही हैं। हालांकि, एनएमआर परीक्षणों को भी सरपास करने की तैयारियां भी संभव हैं।
बी-कीपिंग एडवाइजरी समूह के मुताबिक भारत में 70 फीसदी शहद उत्पादन सरसों का शहद होता है। यह शहद क्रीम यानी मक्खन की तरह जम जाता है। इस शहद का ज्यादातर बाहरी देशों में निर्यात किया जाता है। जबकि भारत के भीतर 30 फीसदी शहद विभिन्न स्रोतों से हैं। मसलन इनमें स्वाद के हिसाब से सबसे ज्यादा लोकप्रिय और हिमाचल व जम्मू से मिलने वाली मल्टी फ्लोरा शहद, पांच फीसदी करीब जंगल से मिलने वाली शहद इसके अलावा सौंफ, अजवाइन और आकाशिया, विलायती बबूल जैसे वेराइटी होती हैं। इस 30 फीसदी का अनुमान यह है कि करीब 5,000 टन प्रतिवर्ष शहद उत्पादन होता है। इसमें से करीब 2000 टन ही कंपनियों तक पहुंचता है और बाकी मधुमक्खी पालक खुद बेचते हैं। लेकिन कंपनियां प्रति वर्ष कितना टन शहद बेचती हैं और कहां से लाती हैं, यह मिलावट का भंडाफोड़ होने के बाद एक हद तक उजागर हो चुका है।
जंगलों में से शहद निकालने का सरकारी ठेका हासिल करने वाले उद्यमियों को भी शहद के बेहतर दाम कोरोनाकाल में नहीं मिल पाए। कतर्नियाघांट वन्य अभ्यारण्य और नेपाल के आस-पास जंगलों में शहद का ठेका लेने वाले मुशीर डाउन टू अर्थ से बताते हैं कि 110 रुपये प्रति किलो जंगली शहद उन्होंने बेची थी लेकिन अभी दाम 300 रुपये से ज्यादा का है। जंगल की शहद जो सरकारी ठेकों पर मिलते हैं उनकी कीमतें सरकारी दर पर तय होती हैं। हालांकि जंगल के किनारे आदिवासी समुदायों के जरिए शहद उत्पादन में उन्हें उसी शहद के महज 80 रुपये प्रति किलो तक मिल रहे थे। इस वक्त जरूर सुधार दिख रहा है। (downtoearth)
“एक नदी, उसके किनारे बना देवी का बड़ा सा मंदिर और रेलिंग वाला पुल”...ये गीता के बचपन की वो याद है जिसके सहारे वह बीस साल पहले बिछड़े अपने घरवालों को तलाश रही हैं.
बचपन से ही मूक-बधिर गीता साल 2000 के आसपास ग़लती से समझौता एक्सप्रेस पर चढ़कर पाकिस्तान पहुँच गई थीं.
साल 2015 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उन्हें वापस भारत ले आईं. इसके बाद से अब तक गीता अपने माँ-बाप की तलाश में हैं.
लेकिन अब तक उन्हें ये पता नहीं चल पाया है कि वह भारत के किस गाँव, किस ज़िले या किस राज्य से निकलकर पाकिस्तान पहुँच गई थीं.
आजकल क्या कर रही हैं गीता
बीते पाँच साल से गीता इस इंतज़ार में थीं कि जल्द ही कोई न कोई उनके घरवालों का पता चलने की ख़बर लेकर आएगा.
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत बड़ी बड़ी हस्तियों ने उनके घरवालों को ढूंढ़ने की भरसक कोशिशें कीं.
सुषमा स्वराज ने एक विदेश मंत्री के नाते और व्यक्तिगत स्तर पर भी ट्विटर पर उनके घरवालों को तलाशने की कई कोशिशें की.
लेकिन इसके बाद भी उनके घरवालों का कोई पता नहीं लग सका. इस बीच सुषमा स्वराज की मौत ने गीता को बेहद आहत किया.
कोविड महामारी के चलते अलग-थलग पड़ने से गीता के सब्र का बाँध टूट गया और पिछले कुछ महीनों से गीता ने अपनी भौगोलिक याद्दाश्त के दम पर अपने घर की तलाश शुरू कर दी है.
उनकी इस तलाश में इंदौर में रहने वाले ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित उनकी मदद कर रही हैं.
ज्ञानेंद्र और उनकी टीम गीता की बचपन की यादों के आधार पर महाराष्ट्र से लेकर छत्तीसगढ़, और तेलंगाना में सड़क मार्ग से होते हुए उन स्थानों तक पहुँच रही है जहां गीता का गाँव होने की संभावनाएं बनती हैं.
ज्ञानेंद्र ने बीबीसी को बताया कि जब गीता नदी किनारे पहुँचती हैं तो क्या होता है.
वह कहते हैं, “जब गीता किसी भी नदी के किनारे पहुँचती हैं तो बहुत खुश हो जाती है. उसकी आँखों में एक चमक सी आ जाती है और मन में एक उम्मीद जगती है. क्योंकि उसे लगता है कि उसका घर एक नदी के किनारे ही है.''
गीता बताती हैं कि उसकी माँ उसे भाप के इंजन के बारे में बताती थीं. ऐसे में जब हम औरंगाबाद के पास लातूर रेलवे स्टेशन पहुँचे तो गीता बहुत खुश हो गई. यहां बिजली नहीं है और ट्रेन डीज़ल इंजन से चलती है.
यहाँ आकर भी गीता के मन में उम्मीद इसलिए जागी क्योंकि गीता के बचपन की यादों में इलेक्ट्रिक इंजन नहीं था. गीता बताती हैं कि उनकी माँ उन्हें भाप के इंजन के बारे में बताती थीं.
धुंधली होती यादें और बदलता भारत
ज्ञानेंद्र की संस्था आदर्श सेवा सोसाइटी ने एक लंबे समय तक गीता के हाव भाव, खाने-पीने की शैली और उसकी बचपन की यादों का अध्ययन किया है.
गीता की बताई गई बातों को ध्यान में रखते हुए ज्ञानेंद्र और उनकी टीम इस नतीजे पर पहुँची है कि गीता संभवत: महाराष्ट्र से लगती सीमा वाले इलाकों की होंगी.
लेकिन इस लंबे सफर के बाद गीता के हिस्से जो कुछ यादें बची हैं. वे बेहद धुंधली हो चली हैं. कभी उनके मन में जिस गाँव की तस्वीर स्पष्ट होगी...अब उस याद के कुछ टुकड़े शेष हैं.
साइन लैंग्वेज समझने वाले ज्ञानेंद्र बताते हैं कि नदी देखकर उनके मुँह से निकल पड़ता है, “बिलकुल ऐसी ही नदी मेरे गाँव में है. और नदी के पास ही रेलवे स्टेशन है. एक पुल है जिसके ऊपर रेलिंग बनी हुई है. पास ही में एक दो मंजिला दवाखाना है. मैटरनिटी होम है. बहुत भीड़ लगी रहती है.”
ज्ञानेंद्र बताते हैं ‘गीता कहती हैं कि उनके खेत में गन्ना, चावल, और मूंगफली तीनों होते थे....चलते चलते कहीं पर खेत दिखता है तो तुरंत गाड़ी रुकवाकर खेत में उतर जाती हैं इस उम्मीद में कि काश खेत में काम करते हुए उन्हें उनकी माँ मिल जाएं.”
वे कहती हैं, “गीता को बहुत कुछ याद है. उसे एक रेलवे स्टेशन, अपना गाँव, एक नदी जैसी भौगोलिक चीजें याद हैं. लेकिन आप जानते हैं कि बीते 20 सालों में भारत कितना बदल गया है. आज अगर आप ऐसी जगह जाएं जहाँ आप बचपन में गए हों तो शायद आप उस जगह को न पहचान पाएं. ऐसे में ये संभव है कि वो मंदिर जिसे गीता तलाश रही हैं, वहां मंदिर के अलावा अन्य इमारतों का भी निर्माण हो गया हो. उनका परिवार उस जगह से कहीं चला गया हो....आदि आदि.”
उमर काटते बचपन के सदमे
मोनिका मानती हैं कि घर से बिछड़ने की त्रासदी और उन्हें वापस पाने की अंतहीन तलाश ने गीता को मानसिक रूप से आहत किया है.
वह कहती हैं, “जब हम कहते हैं कि गीता अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़े, शादी करे तो वो तुरंत मना कर देती है. वो कह देती है कि ‘वह अभी काफ़ी छोटी है, उसे अपनी माँ को ढूंढ़ना है. शादी कर लेगी तो उसके घर वाले काफ़ी नाराज़ होंगे.’ क्योंकि गीता को लगता है कि वह अभी सिर्फ 16 – 17 साल की बच्ची है. जबकि उसकी उम्र कम से कम 25 से 28 साल के बीच की होगी. गीता एक बहुत प्यारी बच्ची है लेकिन कभी कभी उसे ढाँढ़स बंधाना मुश्किल हो जाता है. वो बात बात पर रोने लगती है.”
इस ख़बर के लिखे जाने तक गीता ज्ञानेंद्र और उनकी टीम के साथ एक गाड़ी के बाईं ओर वाली पीछे की सीट पर बैठीं शीशे के पार पीछे छूट रहे खेतों को देख रही थीं.
ताकि कहीं किसी खेत से निकलती हुई उन्हें उनकी माँ दिख जाएं, उनके गाँव की नदी, वो मंदिर या उस पुल की रेलिंग दिख जाए जिसे उन्होंने आख़िरी बार अपने बचपन में देखा था. (bbc)
भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिक दो गाड़ियों में बैठ सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि ये घटना लेह से 135 किलोमीटर पूर्व में मौजूद न्योमा एरिया के चानतांग गांव की है. स्थानीय लोगों ने रविवार को इसका वीडियो शेयर किया.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया का कहना है इस मामले पर ज़्यादा जानकारी लेने के लिए उन्होंने आईटीबीपी सुरक्षाबल से संपर्क साधा था लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया.
वेबसाइट का कहना है कि गांव के निवासियों के बनाए वीडियो के अनुसार दो गाड़ियों में भरे चीनी सैनिकों का एक समूह सीमा पर भारतीय क्षेत्र में आ गया था.
अख़बार कहता है कि ये लोग सादे लिबास में थे और स्थानीय चरवाहों को अपने पशु वहां चराने से मना कर रहे थे. लेकिन स्थानीय निवासियों के विरोध के कारण उन्हें वहां से जाना पड़ा.
ख़बर के अनुसार कुछ दिन पहले गांव के लोगों ने सीमा सुरक्षाबलों को इसकी जानकारी दी.
इस ख़बर को आउटलुक की वेबसाइट ने भी जगह दी है. वेबसाइट का कहना है कि गाड़ी में आए लोग चीनी नागरिक थे जिनमें से कुछ सैनिक भी हो सकते हैं.
न्योमा के काउंसिलर के हवाले से वेबसाइट ने कहा है कि ये घटना कथित तौर पर चार-पांच दिन पहले की है. (BBC)
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | कांग्रेस के पंजाब प्रभारी व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसान आंदोलन के मसले पर कहा कि पूरा मामला सरकार और किसानों के बीच में है। सरकार विपक्ष को ये मौका ही क्यों दे रही है कि हमलावर हो। जहां तक दिगभ्रमित किए जाने की बात है, हमारे किसान मानसिक रूप से अपना भला-बुरा समझने में सक्षम है। उन्होंने कहा, किसान सीधी मांग कर रहे हैं कि ये तीनों कानून वापस लिए जाएं, क्योंकि ये उनके हित के खिलाफ हैं और खेती-किसानी को बर्बाद कर देंगे। सरकार इन कानूनों को वापस ले ले, मामला खत्म हो जाएगा। विपक्ष के नाम पर सरकार आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। किसान समझ रहे हैं कि इन तीन कानूनों के रहते एमएसपी प्रणाली, सरकारी खरीद की तैयारी और मंडी तंत्र पूरी तरह से खतरे में पड़ जाएगी। ये सब एक-दूसरे से अंतर संबंधित हैं और अगर एक प्रणाली खत्म होगी तो दूसरी भी स्वत: हो जाएगी। इसलिए, किसान जानता है कि ये कानून उनके हित के खिलाफ है और किसानी और खेती दोनों को खत्म कर देगी।
सवाल : जब स्वयं प्रधानमंत्री और सरकार के सभी आधिकारिक लोग आश्वासन दे रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में हैं, ना मंडियां खत्म होंगी ना एमएसपी, तब विरोध क्यों?
जवाब : आप ऐसा कानून ही क्यों लाए हैं, जिसमें आपको आश्वासन देना पड़ रहा है। एक तरफ कानून होगा और दूसरी तरफ सरकार का आश्वासन होगा। कानून चलेगा या सरकार का आश्वासन। आपने कानून बना दिए और ये कानून किसान के हित पर चोट कर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि चोट नहीं लगेगी। आप लिखित आश्वासन के बजाय कानून को खत्म कर दें, कल किसान आंदोलन खत्म कर देंगे। ये हक की लड़ाई है और इसमें सारा देश किसानों के साथ है।
सवाल : जब कॉर्पोरेट किसानों से अधिक दाम पर खरीद करें तो इसमें विपक्ष को क्यों एतराज है?
जवाब : अगर कॉर्पोरेट हाउस एमएसपी से ऊंचे दामों में खरीदना चाहते हैं, तो उनको कौन रोक रहा है। वे पहले भी तो खरीद सकते थे, इसके लिए उन्हें कौन से कानून की जरूरत है। वे किसी भी दाम पर खरीदें, उसके लिए क्यों आवश्यक है कि मंडियों को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ा जाए। आज भी मंडियों से दूध और अंडा, मांस खरीदा जाता है। फल-फूल सब्जियां खरीदी जाती हैं। एक बार किसान का मंडियों से संबंध और आधार खत्म हो जाएगा तो किसान बड़े व्यापारियों और पूंजीपतियों के हाथों का गुलाम हो जाएगा। फिर भारत की रीढ़ यहां के किसान कमजोर होते चले जाएंगे।
सवाल : पंजाब जहां आपकी सरकार है, और आप वहां के प्रभारी भी हैं, आरोप है कि आप लोग किसानों को भड़का रहे हैं?
जवाब : पहली बात तो मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि उत्तराखंड में उधम सिंह नगर और हरिद्वार के किसान आंदोलन में नहीं हैं क्या? यूपी में भाजपा की सरकार है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन में शामिल हैं क्यों? हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है और किसान आंदोलन में शामिल हैं। बुनियादी बात है कि जहां-जहां एमएसपी और मंडी सिस्टम मजबूत रहा है, वहां का किसान सबसे ज्यादा चिंतित है। ज्यादातर खरीद धान और गेहूं की होती रही है, जिसमें पंजाब मजबूत है। इसलिए वहां का किसान और अधिक चिंतित है। मेरे गृह प्रदेश उत्तराखंड के किसान भी इस खतरे को समझ रहे हैं और उसको खतरा साफ दिख रहा है।
सवाल : अभी कुछ दिन पहले कुछ किसानों ने कृषि मंत्री से मिलकर अपना समर्थन दिया, किसान भी पार्टियों में बंट गया है क्या?
जवाब : ये सरकारी किसान हैं। सरकार अभी किसान बना रही है। बनाए हुए किसान और स्वाभाविक किसान का अंतर साफ दिखाई दे रहा है। आप किसान आंदोलन को भटकाने के लिए कभी पंजाब की बात कर रहे हैं और कभी शहर और गांव की बात कर रहे हैं। कभी आप पंजाब आंदोलन के साथ खालिस्तान को जोड़ दे रहे हैं और कभी टुकड़ा-टुकड़ा गैंग को जोड़ दे रहे हैं।
दरअसल, उनको उम्मीद नहीं थी किसान आंदोलन इतना मजबूत हो जाएगा। भाजपा को लग रहा था कि जिस तरह से अन्य आंदोलनों को तोड़ दिया है, उसी तरह से इस आंदोलन को भी तोड़ देंगे। इसलिए खालिस्तान और टुकड़ा-टुकड़ा गैंग को इससे जोड़ रहे हैं। पर देश समझदार है, वो बार-बार एक ही बहकावे में नहीं आने वाला। हर आंदोलन को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहकर सच्चाई से आप मुंह नहीं मोड़ सकते। किसान और पूरे आंकड़े कह रहे हैं कि किसान की आय लगातार घट रही है। बिहार में तो आपकी सरकार है और मंडी तंत्र भी नहीं है और सरकारी खरीदी नहीं है, फिर किसान की आय क्यों घट रही है? वहां आपका कॉर्पोरेट खरीद के लिए क्यों नहीं जाता?
सवाल : कॉर्पोरेट पर आरोप लगना कितना सही है?
जवाब : हमारी अर्थव्यवस्था के अलग-अलग स्तंभ कॉर्पोरेट हाउसों को दे दिए गए हैं। अदाणी-अंबानी को दे दिया गया है। पेट्रोलियम सेक्टर भी अंबानी के हाथ में आ गया है। कोयला सेक्टर अदाणी के हाथ में दे दिया गया है। साफ तौर पर दिख रहा है कि कुछ कॉर्पोरेट कुछ सेक्टरों को नियंत्रित कर रहे हैं। अब यदि बचा हुआ कृषि क्षेत्र भी हाथ से चला जाएगा तो किसान अपनी जमीन से हाथ धो बैठेगा। तब आप स्थिति समझ सकते हैं। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है, हम देश में रहने वाले सभी वर्गो की बात करते रहे हैं। उसमें आम आदमी से लेकर खास आदमी तक शामिल हैं। ये लड़ाई अकेले किसान की नहीं है। ये लड़ाई गरीब की है। किसान इस खतरे को समझ गया है।
--आईएएनएस
कोलकाता, 21 दिसंबर | पश्चिम बंगाल को एक बार फिर 'सोनार बांग्ला' में बदलने का वादा करते हुए, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि अगर भाजपा 2021 विधानसभा चुनाव जीतेगी तो 'माटी का लाल' ही यहां का मुख्यमंत्री बनेगा। शाह ने बोलपुर में मीडियाकर्मियों से कहा, "मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भाजपा अगर चुनाव जीतेगी तो अगला मुख्यमंत्री माटी का लाला होगा। अगले सीएम उम्मीदवार केवल बंगाली होंगे।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य सरकार के कुशासन के खिलाफ उनके विरोध में आवाज उठाने के लिए कई लोग अब बंगाल में पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हम 200 से अधिक विधानसभा सीटों के साथ बंगाल में अगली सरकार बनाएंगे।"
उन्होंने आज आयोजित रोडशो पर कहा, "मैंने अपने जीवन में इस तरह का रोड शो नहीं देखा। यह रोड शो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बंगाल के लोगों के प्यार और विश्वास को दशार्ता है। बंगाल के लोग एक बदलाव चाहते हैं।"
--आईएएनएस
पणजी, 21 दिसंबर | गोवा के प्रसिद्ध महालसा नारायणी मंदिर में रविवार को जब दर्शन करने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहुंचे तो उस वक्त एक जोड़े की शादी हो रही थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के साथ जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए पहुंच गए। वर-वधू को अपनी शादी में राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री जैसी हस्तियों को एक साथ मेहमान के रूप में पाकर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल, गोवा लिबरेशन डे समारोह में हिस्सा लेने के लिए बीते शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहां पहुंचे। दो दिवसीय दौरे के दूसरे और आखिरी दिन रविवार को उन्होंने यहां राजधानी से करीब 16 किलोमीटर दूर मर्दोल स्थित प्रसिद्ध महालसा नारायणी मंदिर दर्शन करने का निर्णय लिया। जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंदिर परिसर में पहुंचे तो एक जोड़े की शादी हो रही थी। इस पर राष्ट्रपति ने आशीर्वाद देने की पहल की। उनके साथ मौजूद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी जोड़े को आशीर्वाद दिया। देश के तीन शीर्ष संवैधानिक हस्तियों के एक साथ शादी में पहुंचने से जोड़े की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
महालसा नारायणी मंदिर गोवा के मार्दोल कस्बे में स्थित देवी महालसा को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यहां काफी पर्यटक आते हैं। गोवा में दो दिवसीय दौरा समाप्त होने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को दिल्ली रवाना हो गए।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नाम रविवार को फिर एक पत्र भेजकर उनसे वार्ता के जरिए किसानों के मसले का समाधान तलाशने की अपील की। किसान संगठनों को इसे पहले भेजे गए प्रस्तावों और उससे पहले सरकार की ओर बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान करने की दिशा में किए गए प्रयासों का हवाला देते हुए सरकार ने उनसे फिर वार्ता शुरू करने की अपील की है और इस संबंध में उनके विचार और वार्ता की तिथि बताने को भी कहा गया है।
यह पत्र केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के प्रेसीडेंट डॉ. दर्शनपाल को पत्र लिखा है और उसकी प्रतिलिपि विभिन्न किसान संगठनों के 39 प्रतिनिधियों को भेजी गई है।
सरकार की ओर से भेजे गए इस पत्र में नए कृषि कानून को लेकर पंजाब में शुरू हुए किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन से लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बीते तीन सप्ताह से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से समस्याओं के समाधान की दिशा में की गई पहलों और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों का बिंदुवार जिक्र किया गया है।
पत्र में किसान नेता दर्शनपाल से उनके द्वारा 16 दिसंबर को भेजी गई ईमेल के संबंध में सवाल किया गया है कि ईमेल में प्रेषित संदेश संक्षिप्त है और स्पष्ट नहीं है कि यह उनका अपना विचार या सभी संगठनों का भी मत यही है। साथ ही, सरकार की ओर से नौ दिसंबर को भेजे गए प्रस्तावों को अस्वीकार किए जाने के कारण स्पष्ट नहीं होने की बात कही गई है।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बीते सितंबर महीने में लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करवाने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं और इस दौरान सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी। इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे।
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे। इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था।
--आईएएनएस
एजॉल, 20 दिसंबर | मिजोरम के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य में एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने का आग्रह किया है। राज्य एचआईवी/एड्स, कैंसर और मलेरिया सहित कई खतरनाक बीमारियों से जूझ रहा है। एक अधिकारी ने रविवार को ये जानकारी दी। बयान के अनुसार, राज्यपाल ने शनिवार को दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की और मिजोरम में एम्स या कम से कम एम्स जैसी सुपर स्पेशियलिटी सुविधा देने की मांग की।
बयान में कहा गया कि प्रधान मंत्री का मिजोरम में एचआईवी/एड्स, कैंसर, मलेरिया, दिल की बीमारियों और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं पर विशेष ध्यान दिलाया गया।
स्वास्थ्य क्षेत्र में, राज्यपाल ने प्रधान मंत्री को सुझाव दिया कि मिजोरम में स्वास्थ्य क्षेत्र काफी खराब हालत में है, यहां तक कि जिला मुख्यालय के अस्पताल भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
मोदी को यह भी बताया गया कि राज्य की राजधानी में भी, अस्पतालों में कुछ गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं है और गंभीर रोगियों को अधिकांश समय राज्य से बाहर भेजने की जरूरत पड़ती है, जिसमें काफी पैसा लगता है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 20 दिसंबर | तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की सामग्री और व्यवस्थापक घटकों के लिए 1,024 करोड़ रुपये जारी करने का आग्रह किया है। राज्य के पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री इर्राबेली दयाकर राव ने केंद्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लंबित राशि को जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया, ताकि मनरेगा के लिए जरूरी सामग्री और अधूरी काम को पूरा किया जा सके।
राव ने लिखा कि राज्य के 32 जिलों के 540 ग्रामीण मंडलों को कवर करने वाली 12,770 ग्राम पंचायतों में मनरेगा लागू है।
पत्र में लिखा, "इस साल के दौरान 29.87 लाख घरों से संबंधित 51.87 लाख मजदूरी चाहने वालों को मजदूरी रोजगार प्रदान किया गया। आज की तारीख में 13.37 करोड़ व्यक्ति जनरेट किए गए हैं, यानी 13.75 करोड़ व्यक्ति दिनों के कुल वार्षिक स्वीकृत श्रम बजट की 97.3 प्रतिशत।"
राज्य मंत्री ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत, 2019-20 से संबंधित बकाया सामग्री देयता 526 करोड़ रुपये है। इसमें से केंद्र का हिस्सा 394.50 करोड़ रुपये है।
राव ने लिखा, "इस तरह की कुल 1,719.23 करोड़ रुपये की राशि भारत सरकार से इस वर्ष के दौरान सामग्री और व्यवस्थापक घटकों के लिए प्राप्त होनी थी, लेकिन अभी केवल 694.66 करोड़ रुपये मिले हैं। भारत सरकार से 1,024.59 करोड़ रुपये की शेष राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 20 दिसंबर| पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने काफी उत्साह के साथ एक भव्य रोड शो निकाला, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बोलपुर में रोड शो स्टेडियम रोड पर हनुमान मंदिर से शुरू हुआ और बोलपुर सर्कल तक जारी रहा।
शाह ने कहा, "हम बंगाल में 200 से अधिक विधानसभा सीटों के साथ सरकार बनाएंगे। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कुशासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कई लोग बंगाल में भाजपा में शामिल हो रहे हैं।"
तृणमूल के 'बाहरी' बयान का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने पर पश्चिम बंगाल में एक बंगाली मुख्यमंत्री होगा।
भगवा रंग में रंगे बोलपुर जिले में अमित शाह के आगमन के उपलक्ष्य मे उत्सव जैसा माहौल हो गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हजारों समर्थकों ने सड़कों पर पार्टी के झंडे के लहराए और शाह का आज दोपहर शानदार स्वागत किया।
शाह ने नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के विश्व भारती विश्वविद्यालय का दौरा करने के बाद बोलपुर में रैली की। उन्होंने शांति निकेतन में विश्व भारती परिसर में टैगोर को पुष्पांजलि अर्पित की।
शाह ने बीरभूम में श्यामबती का भी दौरा किया, जहां शाह ने भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय महासचिव (पश्चिम बंगाल के प्रभारी) कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के साथ एक बाउल गायक के परिवार के साथ उनके निवास पर भोजन किया। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 20 दिसंबर | सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुजरात में एक पाकिस्तानी मछुआरे को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के दौरान पकड़ लिया। पाकिस्तानी मछुआरे ने यहां प्रतिबंधित दृश्यता का फायदा उठाकर घुसपैठ किया था। केंद्रीय अर्धसैनिक बल ने यहां रविवार को यह जानकारी दी। मछुआरे की पहचान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शाहबंदर के निवासी 35 वर्षीय खालिद हुसैन के रूप में की गई है।
बीएसएफ के 108 बटालियन के जवानों ने मछुआरे को शनिवार शाम 5.50 बजे पकड़ा। जवान भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा के पास सामान्य क्षेत्र सर क्रीक में गश्त कर रहे थे।
एक बयान में, बीएसएफ ने कहा कि उसकी गश्त करने वाली टीम ने पाकिस्तान की एक मछली पकड़ने की नौका को भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए देखा।
बीएसएफ ने कहा, "अलर्ट बीएसएफ पेट्रोलिंग पार्टी ने एक पाकिस्तानी मछुआरे के साथ नाव को जब्त कर लिया।"
गश्त कर रही बीएसएफ टीम ने नौका से 20 लीटर डीजल जेरीकेन, एक मोबाइल फोन, दो मछली पकड़ने के जाल, प्लास्टिक के धागे के आठ बंडल और कुछ क्रेब्स बरामद किए।(आईएएनएस)
नवनीत मिश्र
पणजी (गोवा), 20 दिसंबर| गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने दावा किया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में राज्य में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव के नतीजे को जनता का रेफरेंडम बताते हुए कहा कि मतदाताओं ने बता दिया है कि भाजपा का किसी से कोई मुकाबला नहीं है। 40 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में विपक्ष की ओर से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बनाने की कवायद को लेकर उन्होने कहा कि इससे भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। गोवा के 47 वर्षीय मुख्यमंत्री ने कहा- हम राजनीति नहीं समाजनीति करते हैं।
यहां अपने सरकारी आवास 'महालक्ष्मी' में आईएएनएस के साथ इंटरव्यू में गोवा के मुख्यमंत्री ने कहा, हमने हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव की कुल 48 में 33 सीटें जीतीं। दोनों जिला पंचायतें भाजपा की झोली में हैं। इससे साबित होता है कि राज्य में भाजपा की सरकार के गवर्नेंस और डेवलपमेंट एजेंडा को लोग पसंद कर रहे हैं। गोवा के लोगों को मालूम है कि राज्य की सरकार और भाजपा का संगठन उनके हितों के लिए कार्य कर रहा है। आने वाली सरकार भाजपा की है। पूर्ण बहुमत से सरकार बनकर रहेगी।
गोवा फॉरवर्ड पार्टी मुखिया विजय सरदेसाई और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल की ओर से भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने की कवायद को लेकर प्रमोद सावंत ने कहा, हर चुनाव के पहले ऐसे ही होता है। हर वक्त भाजपा एक तरफ, तो बाकी लोग एक तरफ होते हैं। लेकिन, इससे भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम राजनीति नहीं समाजनीति करते हैं। अंत्योदय के लिए हम काम करते हैं।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि देश को आजादी मिलने से 14 साल बाद गोवा को स्वतंत्रता मिली थी। फिर भी गोवा विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ता रहा। उन्होंने कहा, आने वाले दो वर्षों में गोवा में हर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्च र और मजबूत होगा। मोपा एयरपोर्ट से लेकर हाईवे आदि परियोजनाएं बनकर तैयार हो जाएंगीं। गोवा को इंफ्रास्ट्रक्च र के मामले में देश में नंबर वन बनाने पर फोकस है।
गोवा मे बिजली, हाईवे और रेलवे ट्रैक डबलिंग परियोजनाओं के विरोध के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कुछ एनजीओ और राजनीतिक दलों के लोगों का हाथ बताया। उन्होंने कहा, गोवा में जब-जब विकास परियोजनाएं आती हैं तो कुछ एनजीओ और राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो विरोध करते हैं। अटल सेतु का भी विरोध हो चुका है। मोलेम को लेकर अब कर रहे हैं। जबकि बिजली प्रोजेक्ट का पूरे स्टेट के लोग स्वागत कर चुके हैं। मोलेम में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का हम संरक्षण कर रहे हैं। हमारी सरकार एनवायरमेंट और डेवलपमेंट दोनों का साथ-साथ ध्यान रख रही है।
राज्य में पिछले तीन वर्षों से बंद हुई माइनिंग को लेकर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकार संपर्क में है। केंद्र सरकार से कुछ सुधार करने का अनुरोध किया गया है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट से जिन खानों के खनन की अनुमति है, वहीं पर खनन चल रहा है। माइनिंग का कुछ हिस्सा शुरू हुआ है। उन्होंने केंद्र और सुप्रीम कोर्ट से माइनिंग के मसले पर राहत मिलने की उम्मीद जताई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। दरअसल सीसीआईएम ने भारतीय चिकित्सा पद्धति की विशिष्ट स्ट्रीमों में स्नातकोत्तर चिकित्सकों को सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित करने की अनुमति दे दी है, इसी के विरोध में आईएमए ने कोर्ट का रूख किया है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा, "कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर कर यह आग्रह किया था कि सीसीआईएम के इस बाबत जारी आदेश को खारिज कर दे और यह घोषित कर दे कि परिषद को सिलेबस में मॉर्डन मेडिसिन शामिल करने का अधिकार नहीं है।"
केंद्र सरकार ने नवंबर में जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में संशोधन को अधिसूचित करके आथोर्पेडिक, नेत्र विज्ञान, ईएनटी और डेंटल सहित कई तरह की सामान्य सर्जरी और मेडिकल प्रक्रियाओं में आयुर्वेद के पीजी छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दी थी।
नवीनतम संशोधन आयुर्वेद के स्नाकोत्तर छात्रों को ऐसी प्रक्रियाओं के लिए औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति देता है। सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा।
सीसीआईएम ने इंडियन मेडिसीन सेंट्रल काउंसिल (पोस्टग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेगुलेशन,2016 में संशोधन किया है, ताकि आयुर्वेद के पीजी छात्र सामान्य सर्जरी की प्रैक्टिस कर सकें।
इस कदम की मार्डन मेडिसीन के डॉक्टरों ने आलोचना की है, जिससे इस महीने पूरे देश में आईएमए सदस्यों ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया है।
सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने वालों सहित लाखों डॉक्टरों ने सीसीआईएम की अधिसूचना के खिलाफ छोटे समूहों में प्रदर्शन किया।
केंद्र द्वारा इस तरह की नीतिगत कदमों का आईएमए खुले तौर पर विरोध कर रहा है। आईएमए आने वाले वर्षो में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) की पारंपरिक प्रणालियों के साथ आधुनिक चिकित्सा मिश्रण की योजना से नाराज है। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | कोरोना महामारी के प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए जो वैक्सीन तैयार किए गए हैं उनका स्टोरेज एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इसके लिए माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान की जरूरत होती है। लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थान इसका समाधान दे सकते हैं। आईसीएआर के अंतर्गत आने वाले हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के पास ऐसी सुविधा है जहां माइनस 80 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान पर स्टोरेज की क्षमता है।
एनडीआरआई के निदेशक डॉ. एम.एस. चौहान ने आईएएनएस को बताया कि उनके संस्थान में ऐसे डीप-फ्रीजर हैं जिसमें माइनस 80 डिग्री सेंटीग्रेड पर बायोलॉजिकल मटीरियल रखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास इस समय सिर्फ चार डीप-फ्रीजर हैं जिनकी क्षमता संस्थान की जरूरत तक ही है, लेकिन अगर डीप-फ्रीजर मुहैया करवाया जाए तो उनके संस्थान में कम से कम 10 से 15 और डीप-फ्रीजर रखे जा सकते हैं।
डॉ. चौहान ने कहा कि इस संबंध में कोई भी व्यवस्था आईसीएआर के माध्यम से ही की जा सकती है।
आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरआई ही नहीं आईसीएआर से सबंधित अन्य संस्थानों में भी करीब 400 से 600 लीटर तक के ऐसे डीप-फ्रीजर हैं जिनमें माइनस 86 डिग्री सेंटीग्रेड तक के कम तापमान पर स्टोरेज किया जाता है, लेकिन मौजूदा डीप-फ्रीजर की जितनी क्षमता है वह संस्थानों की जरूरत के मुताबिक ही है। हालांकि, अधिकारी बताते हैं कि अगर ऐसे ऐसे नए डीप-फ्रीजर मुहैया करवाए जाते हैं तो आईसीएआर के हेल्थ से संबंधित संस्थानों के पास 200 से अधिक डीप-फ्रीजर रखने की क्षमता होगी।
एक जानकार सूत्र ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से देशभर के अनुसंधान संस्थानों में मौजूद ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्च र और डीप-फ्रीजर रखने की क्षमता के बारे में जानकारी मांगी गई है। इस सिलसिले में आईसीएआर से भी जानकारी मांगी गई है।
एनडीआरआई के निदेशक डॉ. चौहान ने बताया कि न सिर्फ आईसीएआर के संस्थानों के पास डीप-फ्रीजर में अत्यंत कम तापमान पर बायोलॉजिकल मटीरियल रखने की सुविधा होती है, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी और बायोटेक्टनोलोजी विभाग के संस्थानों के पास भी ऐसी सुविधाएं होती हैं।
बताया जाता है कि दवा विनिमार्ता कंपनी फाइजर द्वारा विकसित कोरोना वायरस के टीके यानी वैक्सीन के स्टोरेज के लिए माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड तक कम तापमान की जरूरत होगी। इसी प्रकार, अन्य कंपनियों द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए भी शून्य से काफी कम तापमान पर स्टोरेज की सुविधा की आवश्यकता बताई जा रही है।(आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र), 20 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। हालांकि इस आंदोलन के दौरान कुछ किसानों की मृत्यु भी हुई। जिनकी याद में रविवार को दिल्ली बॉर्डर पर श्रधांजलि सभा रखी गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहुंचे। हरीश रावत ने इस दौरन आईएएनएस से कहा कि, मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं। किसान जिंदाबाद कहने आया हूं। भगवान और किसान से कोई नहीं जीता है। यदि कोई इन दोनों से जीत जाएगा उस दिन अनर्थ हो जाएगा।
किसान और भगवान एक ही है। जो किसान को परेशान करेगा वो भगवान को परेशान करेगा। मैं सरकार से यही कहना चाहता हूं कि किसानों की मांगों को माना जाए।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा देर बॉर्डर पर नहीं रुके और उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए। दरअसल रविवार को बॉर्डर पर मृतक किसानों के लिए श्रंद्धाजलि सभा आयोजित की गई थी। हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने इन सभी मृत्यु के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों ने अपने साथियों को शहीद का दर्जा दिया और कहा कि बहुत दु:ख है कि हमारे भाई हमारे बीच नहीं रहे, ये सभी शहीद हैं।
दरअसल किसान कानूनों में संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं। बल्कि उनकी मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। (आईएएनएस)
हमीरपुर (उप्र), 20 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में हमीरपुर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में 5 साल की भतीजी के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म करने के आरोप में 16 साल के लड़के को पुलिस ने हिरासत में लिया है। एसपी नरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, "शनिवार की दोपहर 5 साल की लड़की अपने घर के दरवाजे पर खेल रही थी, तभी उसका 16 साल का चाचा उसे बिस्किट देने के बहाने अपने घर ले गया। वहां उसने कथित तौर पर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस घटना के बाद, लड़की आरोपी के घर से रोती हुई बाहर निकली और उसने अपनी मां को पूरी घटना सुनाई।"
लड़की के परिवार की शिकायत पर नाबालिग आरोपी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत मामला दर्ज किया गया है। वहीं बच्ची को मेडिकल परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच चल रही है।(आईएएनएस)
सिंघु बॉर्डर, 20 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 25वें दिन भी जारी है और इस प्रदर्शन को यादगार बनाने के लिए नौजवान कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा से आए युवा किसान इस आंदोलन के समर्थन में ब्लड डोनेट कर रहे हैं तो वहीं अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू भी बनवा रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। किसानों और सरकार के 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। हजारों की संख्या में बुजुर्ग किसान और नौजवान इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
इस आंदोलन को यादगार बनाने के लिए हर कोई अपने तरीके से किसानों का समर्थन कर रहा है। सिंघु बॉर्डर पर
नौजवान अपना ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं। बॉर्डर पर एक निजी एनजीओ द्वारा ब्लड बैंक लगाया गया है। ब्लड बैंक शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक लगा। जिसमें 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के करीब 50 लोगों ने अपना ब्लड डोनेट किया।
लाइंस ब्लड बैंक के इंचार्ज हीरेन्द्र सहरावत ने आईएएनएस को बताया कि, हम लोगों से यहां की खाप (पंचायत ) द्वारा सम्पर्क किया गया था। जिसके बाद हम लोगों ने बॉर्डर पर अपना ब्लड बैंक लगाया है।
कैथल से प्रदर्शन में शामिल होने आए अंग्रेज सिंह ने अपना खून दान दिया। उनके अनुसार, मैं इस प्रदर्शन को देखने आया हूं। मैंने ब्लड बैंक की गाड़ी देखी, जिसके बाद किसानों को समर्थन देने के लिए मैं ब्लड डोनेट कर रहा हूं।
अंग्रेज सिंह जैसे अन्य नौजवान भी ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन दे रहें हैं। कुछ नौजवान सिर्फ ब्लड बैंक की गाड़ी देख कर ही खून दान कर रहे हैं। उनके मुताबिक यादगार के तौर पर ब्लड डोनेट करने का एक मौका मिल गया।
दरअसल बॉर्डर पर बैठे किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। लेकिन सरकार की तरफ से अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है। हालांकि सरकार कानून में कुछ बदलाव करने को तैयार है।
वहीं दूसरी ओर सिंघु बॉर्डर पर हाल ही में आए कुछ नौजवान किसानों को अपना समर्थन देने के लिए अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू बनवा रहे हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि नौजवान अनोखे तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
बॉर्डर पर नौजवान युवा कृषि से जुड़े अलग-अलग नारों वाले टैटू बनवा रहे हैं। दरअसल लुधियाना से आए तीन आर्टिस्टों ने सिंघु बॉर्डर पर अपनी एक स्टॉल लगाई है। जहां वह नौजवानों के शरीर पर टैटू बना रहे हैं और टैटू बनाने का कोई पैसा भी नहीं ले रहे हैं। बॉर्डर पर आए लोगों के लिए ये एकदम फ्री है।
चेतन सुध, रविन्द्र और करण सिंह शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे और अब तक इनसे बॉर्डर पर करीब 80 लोग टैटू बना चुके हैं।
रविन्द्र ने आईएएनएस को बताया, हम लुधियाना निवासी हैं और 8 सालों से टैटू बनाने का का काम कर रहें हैं। यहां हम साथ आए है और लोगों के टैटू बना रहे हैं। शुक्रवार को हमने 30 टैटू बनाए थे।
एक टैटू बनाने में करीब आधा घंटा लगता है और 3 हजार से लेकर 4 हजार रुपए का खच4 आता है। बॉर्डर पर नौजवान युवा टैटू बनवाने को लेकर काफी उत्साहित हैं।
इन सभी टैटू का हम कोई पैसा नहीं ले रहें हैं। हम फ्री में टैटू बनाकर अपना समर्थन दे रहें हैं और ये युवा टैटू बनवाकर अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं।
'हमने युवाओ को चुनने के लिए कुछ टैटू दिए हैं, जिनमें पंजाब का नक्शा, ट्रैक्टर, बब्बर शेर, और गेहूं शामिल है। इनमें कुछ नारे है 'हर मैदान फतेह', 'निर्भयो निरवैर' और 'निश्चय कर अपनी जीत करूं' नारे भी शामिल है।
गुरसेवक सिंह ने अपनी कलाई पर एक नारा 'निर्भयो निरवैर' प्रिंट करवाया है। उन्होंने आईएएनएस को बताया, मैंने अपनी कलाई पर ये नारा लिखवाया जिसका मतलब न किसी से डरने वाले और न किसी से दुश्मनी करने वाला होता है। यहां हर कोई अपने ढंग से समर्थन दे रहा है। इसे बनाकर मैं अपना समर्थन किसानों को दे रहा हूं। और जब तक ये कानून वापस नहीं ले लेती सरकार, तब तक हम यहीं डटे रहेंगे।
हालांकि शनिवार और रविवार को छुट्टी होने के कारण दिल्ली और हरियाणा से किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुछ परिवार अपने बच्चों के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। परिवार इस आंदोलन में शामिल होने और किसानों को अपना समर्थन देने आए हुए हैं। वहीं हाथों में कुछ बिस्किट के पैकेट भी लाए है जो कि यहां के किसानों को देने हैं।
विनोद देसवाल पानीपत से सिंघु बॉर्डर आए हैं और अपने बच्चों को समझा रहे हैं कि किसान खेतों के अलावा अन्य जगहों पर भी मेहनत करता है और एक किसान होना मामूली बात नहीं है। ये कहना गलत नहीं होगा कि बॉर्डर पर हर वर्ग के लोग आ रहे है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| रविवार सुबह बिना किसी पूर्व सूचना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब में मत्था टेकने पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में दान भी किया। इसी दौरान प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर जी के सम्मान में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुद्वारे की ओर से सिरोपा भेंट किया गया। रविवार सुबह करीब 8 बजकर 35 पर गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह को दान भेंट किया। गुरुद्वारा रकाब गंज के मुख्य ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु ग्रंथ साहिब को श्री रुमाला साहिब भेंट किया। हमने प्रधानमंत्री मोदी को माला पहनाई और उन्हें सिरोपा भेंट किया।
प्रधानमंत्री ने पहले से गुरुद्वारे में मौजूद सामान्य संगत के बीच में ही मत्था टेका और श्री गुरु तेग बहादुर की शहीदी को नमन किया।
मुख्य ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुद्वारा पहुंचने की हमको कोई जानकारी नहीं थी। प्रधानमंत्री ने गुरुद्वारे में माथा टेका और करीब 10 मिनट का समय यहां बिताया। इस दौरान हमने प्रधानमंत्री को गुरु साहिब के इतिहास के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा यह सब जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा, यहां आकर बहुत सुकून मिला। गुरुद्वारे में प्रधानमंत्री से किसी और विषय पर कोई बात नहीं हुई।
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महाप्रबंधक बलवीर सिंह बिल्लू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला जैसे ही गुरुद्वारा परिसर में दाखिल हुआ किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि प्रधानमंत्री आए हैं।
गौरतलब है कि बीते कई दिनों से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पंजाब से आए सैकड़ों किसान केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी कैबिनेट सहयोगी या राजनेता को साथ लिए अकेले ही एक सामान्य नागरिक की तरह गुरुद्वारे में माथा टेकने पहुंचे थे।
हालांकि इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की न ही गुरुद्वारे में मौजूद ग्रंथियों और सेवादारों ने कोई राजनीतिक प्रश्न किए। गुरुद्वारा रकाब गंज के मुख्य ग्रंथी भाई हरदयाल सिंह ने कहा, मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री है उनका यहां आना हमें बहुत अच्छा लगा। यह गुरु घर है प्रधानमंत्री जी यहां आए यह अच्छी बात है, लेकिन इस दौरान गुरु साहिब के इतिहास के अलावा किसान आंदोलन या फिर किसी और विषय पर बात नहीं हुई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| दिल्ली सरकार एक ऐसी योजना लागू करने जा रही है जिसके अंतर्गत उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके माता-पिता जेल में बंद हैं। इस योजना के अंतर्गत उन बच्चों की मदद की जाएगी, जिनके माता-पिता सजा काट रहे हैं और उनके पास बच्चों के लिए कोई वित्तीय व्यवस्था नहीं है। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को महिला और बाल विकास विभाग की निदेशक, सचिव गृह विभाग, सचिव समाज कल्याण विभाग के साथ एक बैठक की। बैठक में पात्रता मानदंड और बच्चे को वित्तीय सहायता के सुचारू संवितरण के बारे में गहन चर्चा हुई।
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल ने कहा, यह बैठक एक ऐसी योजना के कार्यान्वयन के बारे में है जिसमें उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके माता-पिता जेल में है। इस योजना के चिन्हित लाभार्थी वे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता सजा काट रहे हैं और उनके पास अपना समर्थन देने के लिए कोई वित्तीय साधन नहीं है। इससे पहले, योजना की पात्रता मानदंड केवल उन्हीं बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करती थी जिनके माता-पिता दोनों जेल में हैं या यदि एक माता-पिता का निधन हो चुका है।
मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने निर्देश दिए की अगर कोई भी एक ब्रेड विनर जेल में होगा तब भी उसके बच्चे वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिनके माता-पिता जेल में हैं और उनके पास आर्थिक रूप से खुद को बनाए रखने का कोई साधन नहीं है। माता या पिता के जेल जाने से अक्सर बच्चों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में सरकार का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह बच्चे को सहायता प्रदान करे।
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने योजना के कार्यान्वयन और प्रक्रिया को शुरू से ही परेशानी मुक्त बनाने के संबंध में मंत्री के सामने रेकमेंडेशन्स प्रस्तुत की है।
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि इस योजना के बारे में गिरफ्तारी के दिन कैदी के परिवारों को सूचित किया जाना चाहिए। परिवार के सदस्यों के सभी विवरणों के साथ एक डैशबोर्ड गृह विभाग द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए। फिर सूचना को समाज कल्याण विभाग को भेजा जाना चाहिए। 15 दिनों के भीतर यह प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए और वित्तीय सहायता लाभार्थी तक पहुंचनी चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर बैठक के दौरान राहुल गांधी के करीबी सहयोगी के.सी. वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला मौजूद नहीं थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। वेणुगोपाल के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह अपनी मां के निधन के बाद कुछ धार्मिक रस्म करने के लिए अपने पैतृक स्थान पर हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राहुल गांधी ने वेणुगोपाल को जानबूझकर बैठक से दूर रखा। वेणुगोपाल का पार्टी में पद बढ़ाए जाने से असंतुष्टि, असहमति बढ़ी है।
शायद इसका कोई जवाब नहीं है और दूसरे खेमे के सूत्रों ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति को एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि राहुल गांधी वरिष्ठों के साथ काम करना चाहते हैं, इसलिए पंचमढ़ी की तर्ज पर विचार मंथन का सुझाव दिया जा रहा है, लेकिन पार्टी की स्थिति पर अंतिम विचार करने से पहले सोनिया गांधी अधिकांश नेताओं से मिलेंगी।
वरिष्ठ पार्टी नेता पवन बंसल ने कहा, "राहुल गांधी के साथ किसी को कोई समस्या नहीं है और यह सिर्फ आज के लिए नहीं है। हर किसी ने कहा कि हमें राहुल गांधी के नेतृत्व की जरूरत है। हमें अन्य लोगों के जाल में नहीं फंसना चाहिए जो पार्टी के एजेंडे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
23 नेताओं के समूह ने इस साल अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व में सुधार की मांग की थी जिसके बाद ये बैठक हुई है।