राष्ट्रीय
Beeper (बीपर) एक नई ऐप है, जो 15 चैट प्लेटफॉर्म को एक प्लेटफॉर्म पर पेश कर रही है। यह एक सेंट्रल हब के तौर पर काम करती है और इसमें आपको फेसबुक मैसेंजर, सिग्नल, ट्विटर , टेलीग्राम, व्हाट्सएप जैसी कई चैट ऐप्स मिल रही हैं। इसमें दिलचस्प बात यह है कि Beeper एप्पल के iMessage को एंड्रॉयड (Android), लिनक्स (Linux) और विंडो (Windows) पर लाता है। मैसेजिंग के अलावा आप बीपर पर आप अपनी चैट को आर्काइव और स्नूज भी कर सकते हैं।
लेकिन आपको बता दें कि ये एक सब्सक्रिप्शन सर्विस है और इसके लिए आपको $10 की मंथली कीमत देनी होगी। भारतीय रुपये में यह कीमत 730 रुपये होती है। इन सब ऐप्स के सिर्प एक प्लेटफॉर्म पर आने से यूजर्स को काफी सहूलियत होगी, उसे बाकी ऐप्स को अपने मोबाइल पर बार-बार डाउनलोड नहीं करना होगा।
Beeper पर जिन 15 चैट सर्विस का सपोर्ट मिल रहा है उनमें एंड्रॉयड मैसेज एसएमएस (Android Messages SMS), the Beeper network, Discord, Hangouts, iMessage, Instagram, IRC, Matrix, Facebook Messenger, Signal, Skype, Slack, Telegram, Twitter और Whatsapp जैसी एप्स के नाम शामिल हैं। बीपर के मुताबिक वह हर कुछ हफ्तों में एक नई चैट नेटवर्क को अपने प्लेटफॉर्म में जोड़ेगी।
Beeper को पहले NovaChat के नाम से जाना जाता था। इसे ओपन सोर्स मैट्रिक्स मैसेजिंग प्रोटोकॉल के तहत बनाया गया है।इसे पेबल स्मार्टवॉच (Pebble smartwatches) के फाउंडर Eric Migicovsky ने बनाया है। आप बीपर पर इस लिंक के जरिए साइन अप कर सकते हैं। इसके बाद आपको जॉइन के लिए इन्विटेशन मिल जाएगा। बीपर की तरफ से यूजर्स को अपडेट किया गया है कि वह जल्द ही नए अपडेट में यूजर्स को डार्क मोड का ऑप्शन देगी। (gadgets360.com)
नई दिल्ली, 23 जनवरी | हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने प्रदेश के किसानों से 26 जनवरी पर किसी भी राजनेता के कार्यक्रम का विरोध नहीं करने की अपील की है। गुरुनाम सिंह ने शनिवार को एक वीडियो संदेश के जरिए प्रदेश के किसानों से गुजारिश की है कि 26 जनवरी राष्ट्रीय त्योहार है और इस अवसर पर कोई राजनेता या मंत्री के कार्यक्रम का वे विरोध न करें। भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों से कहा, "मैं विनती करना चाहूंगा कि 26 जनवरी पर हरियाणा में किसी राजनेता या मंत्री का विरोध नहीं करना है, क्योंकि यह राष्ट्रीय त्योहार है और इस अवसर पर विरोध करने से कोई गलत संदेश जा सकता है।"
उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा, "हरियाणा में अगर कोई मंत्री या राजनेता कहीं भी झंडा फहराने आता है तो उसका हमें विरोध नहीं करना है। अगर वैसे कोई किसी गांव में कोई रैली करता है तो उसका विरोध करना है।"
किसान नेता की यह अपील इसलिए मायने रखती है क्योंकि इसी महीने हरियाणा के करनाल स्थित कैमला गांव में मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर का किसान महापंचायत कार्यक्रम था। मगर कार्यक्रम से पहले ही कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की गई, जिसके चलते महापंचायत संपन्न नहीं हो पाई। इस घटना की जिम्मदारी भाकियू नेता ने ली थी।
गुरनाम सिंह ने उस समय कहा था कि भारतीय जनता पार्टी के नेता किसान आंदोलन को लेकर जहां कहीं भी कोई कार्यक्रम करेंगे, वहां उनका विरोध किया जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 जनवरी | पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के उद्देश्य से भारत और चीन की सेनाएं जल्द ही नौंवें दौर की वार्ता करेंगी। इस क्षेत्र में नवंबर, 2020 से पिछले दौर की वार्ता के समय से ही दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है। सूत्रों ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि कॉर्प्स कमांडर स्तर की यह वार्ता संभवत: अगले एक-दो दिन में हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि वार्ता के प्रारूप तैयार किए जा रहे हैं और इनमें आवश्यकतानुसार कुछ तब्दीली भी हो सकती है।
इस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शरीक हो सकते हैं। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच आठवें दौर की सैन्य वार्ता पिछले वर्ष 6 नवंबर को हुई थी। हालांकि इस वार्ता में भी कुछ सकारात्मक परिणाम नहीं मिले, लेकिन दोनों देशों ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संवाद व विचार-विमर्श जारी रखने पर सहमति जताई। साथ ही दोनों पक्षों ने वार्ता को आगे बढ़ाने और अन्य मुद्दों को सुलझाने पर भी सहमति जताई ताकि सीमाई क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति कायम रखी जा सके।
इससे पूर्व, आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबे संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि उन्होंने इस बात की उम्मीद भी जताई थी कि विगत नौ महीने से जारी गतिरोध का एक मैत्रीपूर्ण समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा था कि जहां तक हमारे राष्ट्रीय हितों एवं लक्ष्यों की बात है, तो हम अपनी सरजमीं के एक-एक इंच की रक्षा करने को पूरी तरह से तैयार हैं।
गौरतलब है कि 30 अगस्त, 2020 को भारत ने पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर स्थित रेचिन ला, मुकपारी और टेबलटॉप जैसी महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था। चीन की तरफ से उकसाने वाली सैन्य कोशिश को देखते हुए भारत ने ब्लैकटॉप के पास अपने कुछ जवानों को तैनात भी कर दिया है। अब यहां की 13 चोटियों पर आधिपत्य के मद्देनजर यहां भारत की स्थिति काफी मजबूत हो गई है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 23 जनवरी | बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को भले ही आशातीत सफलता नहीं मिली हो, लेकिन कांग्रेस बिहार प्रभारी को बदलकर पार्टी को मजबूत करने में जुटी है। नव-नियुक्त प्रभारी भक्त चरण दास भी पार्टी को नई धार देने में जुटे हुए हैं।
बिहार कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। दास के बिहार प्रभारी बनाए जाने के बाद पहले दौरे में भी कांग्रेस में गुटबाजी उभर कर सामने आ चुकी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री दास एकबार फिर बिहार पहुंचने वाले हैं। वह 13 दिन बिहार में रहकर 14 जिलों का दौरा करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि वह इस यात्रा के दौरान संगठन की समस्याओं को जानने की कोशिश करेंगे तथा कार्यकर्ताओं के गिरे मनोबल को उठाने की कोशिश करेंगे। माना जा रहा है कि दास बिहार में कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते हैं, जिसके तहत वे संगठन में बदलाव को लेकर जिला के नेताओं से मिलकर रूपरेखा तय करेंगे।
कहा जा रहा है कि दास खुद कार्यकर्ताओं के पास पहुंचकर कार्यशील नेताओं की जानकारी लेना चाहते हैं, जिससे ऐसे नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सके। वह भी कहते हैं कि जिलों का दौरा कर वह कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलेंगे तथा उनकी समस्याओं को जानकर आगे की रणनीति बनाएंगे।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष एच़ क़े वर्मा ने बताया कि दास 25 जनवरी को पटना पहुंचेंगे और 26 जनवरी को पार्टी के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले झंडोत्तोलन समारोह में शामिल होंगे। इसी दिन वे सदाकत आश्रम से 'किसान तिरंगा यात्रा' को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
भक्त चरण दास 27 जनवरी को वैशाली जाएंगे। उसके बाद वे मुजफ्फरपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद कर मोतिहारी पहुंचेंगे एवं वहीं रात्रि विश्राम करेंगे। 28 जनवरी को मोतिहारी में पार्टी के नेताओं से मुलाकात के बाद बेतिया के लिये रवाना होंगे। 29 जनवरी को दास बृन्दावन स्थित गांधी स्मृति स्थल जाएंगे एवं स्वतंत्रता सेनानियों से मिलेंगे। 30 जनवरी को दास भितीहरवा आश्रम जाकर गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे। शाम को वे गोपालगंज जाएंगे जहां रात्रि विश्राम करेंगे।
वह 31 जनवरी को गोपालगंज एवं सीवान जिला के पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करेंगे। एक फरवरी को वे सारण एवं भोजपुर जिला तथा दो फरवरी को बक्सर एवं कैमूर जिला में संवाद करेंगे। 3 फरवरी को दास रोहतास एवं औरंगाबाद जिलों का दौरा करेंगे। 4 फरवरी जहानाबाद एवं अरवल तथा 5 फरवरी को गया में पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलकर पटना पहुंचेंगे। 6 फरवरी को वे दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 जनवरी | तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों की निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन शनिवार को 59वें दिन जारी है। इन दोनों मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद अब किसान यूनियन अपने आंदोलन को तेज करने को लेकर पूर्वघोषित कार्यक्रम के अनुसार, किसान परेड की तैयारी में जुटे हैं। आंदोलनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को गंणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर के साथ किसान परेड निकालने की योजना को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ किसान यूनियनों की बीते दिनों कई दौर की बातचीत हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि पुलिस अधिकारियों के साथ वार्ता में पुलिस ने एक रोडमैप किसान नेताओ के सामने रखा है, जिसपर किसानों के बीच विचार-विमर्श चल रहा है।
इस बीच किसान नेता ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में भी जुटे हैं। पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह शनिवार को टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि 26 जनवरी को किसान परेड में एक लाख से अधिक ट्रैक्टरों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम रिंग रोड पर किसान परेड निकालना चाहते हैं, जबकि पुलिस हमें केएमपी पर ट्रैक्टर मार्च निकालने को कह रही है।"
पंजाब के ही भाकियू नेता परमिंदर सिंह पाल माजरा ने कहा कि सरकार के साथ शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता विफल होने पर अब किसान आंदोलन और जोर पकड़ेगा।
उधर, हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने प्रदेश के किसानों से 26 जनवरी पर किसी भी राजनेता के कार्यक्रम का विरोध नहीं करने की अपील की है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान का आंदोलन चल रहा है।
आंदोलन समाप्त करने को लेकर केंद्र सरकार ने नये काूनन में संशोधन के प्रस्ताव के बाद अब इन तीनों कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगा देने की पेशकश की है। मगर, आंदोलनकारियों द्वारा इस प्रस्ताव को भी नामंजूर करने और कानून को निरस्त करने की मांग पर अड़े रहने के कारण 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही। (आईएएनएस)
-ललित मौर्य
वहीं यदि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने की दिशा में उचित कदम न उठाए गए तो सदी के अंत तक 572 हवाई अड्डे पानी में डूब जाएंगे
जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया भर के करीब 269 हवाई अड्डों पर डूब जाने का खतरा मंडरा रहा है| वहीं यदि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम पर ध्यान न दिया गया तो सदी के अंत तक यह खतरा बढ़कर 572 हवाई अड्डों को अपनी गिरफ्त में ले लेगा| यह जानकारी न्यूकैसल विश्वविद्यालय द्वारा किए एक शोध में सामने आई है| इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के जलस्तर में होने वाली वृद्धि और उसके जहाजों के उड़ान मार्गों पर पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया है|
इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 14,000 से ज्यादा हवाई अड्डों सम्बन्धी आंकड़ों, जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते जल स्तर के प्रभाव का विश्लेषण किया है| यह शोध जर्नल क्लाइमेट रिस्क मैनेजमेंट में प्रकाशित हुआ है| पता चला है कि यदि तापमान में हो रही वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाएगी तो 100 से भी ज्यादा हवाई अड्डे औसत समुद्र तल से नीचे होंगे|
तापमान में इतनी वृद्धि से 364 हवाई अड्डे पानी में डूब जाएंगे| यदि इसके बाद भी तापमान में वृद्धि जारी रहती है तो सदी के अंत तक 572 हवाई अड्डे बाढ़ का शिकार बन जाएंगे|
शोधकर्ताओं ने बढ़ते समुद्री जल स्तर और उसके हवाई अड्डों पर पड़ने वाले असर के आधार पर एक वैश्विक रैंकिंग भी तैयार की है जिसमें बताया गया है कि किन हवाई अड्डों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है| इस रैंकिंग के अनुसार यदि तापमान में वृद्धि वर्तमान दर पर जारी रहती है तो बैंकाक का सुवर्णभूमि हवाई अड्डे पर सबसे ज्यादा खतरा है जबकि यदि आरसीपी 8.5+ की बात करने तो शंघाई पुडोंग हवाई अड्डा सबसे ज्यादा खतरे में है|
खतरे में हैं यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया के सबसे ज्यादा हवाई अड्डे
शोध के अनुसार यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया के सबसे ज्यादा हवाई अड्डों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा है| वहीं यदी खतरे में पड़े 20 प्रमुख हवाई अड्डों की बात करें तो उनमें पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया के हवाई अड्डों पर खतरा कहीं ज्यादा है| इनमें चीन प्रमुख है|
इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता रिचर्ड डॉसन की मानें तो तटीय क्षेत्रों के यह हवाई अड्डे एयरलाइन नेटवर्क के लिए बहुत मायने रखते हैं| जिनके पानी में डूबने से सदी के अंत तक 10 से 20 फीसदी हवाई मार्गों पर इसका असर पड़ेगा| ऐसे में दुनिया भर में यात्रियों और सामान की आवाजाही पर असर होगा| उनके अनुसार इन हवाई अड्डों के महत्त्व और इसके निर्माण की लागत को देखें तो जलवायु परिवर्तन से निपटने पर किया खर्च काफी कम है| ऐसे में जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में सकारात्मक कदम जरुरी हैं| इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्र का जलस्तर 3.6 मिमी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है| सदी के अंत तक इसके 1.1 मीटर तक बढ़ने का अनुमान है|
हाल ही में नासा ने 2020 को भी दुनिया के सबसे गर्म वर्ष के रूप में मान्यता दी है, जो 2016 के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर पहुंच गया है। यह स्पष्ट तौर पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है| इससे भी चिंता की बात यह है कि सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाएगी। ऐसे में क्या है इसका समाधान। आज पैरिस समझौते पर अमल करने की जरुरत है जिससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को सीमित किया जा सके और तापमान में हो रही वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सके। (downtoearth.org.in)
-मनीष कुमार
रांची: चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तबीयत बिगड़ने के बाद उनके परिवार के लोग रांची पहुंचे. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेज प्रताप और बेटी मीसा भारती लालू यादव को देखने के लिए शुक्रवार को रांची स्थित रिम्स अस्पताल पहुंचे, जहां लालू यादव का इलाज चल रहा है. लालू की हालत गंभीर बताई जा रही है.
लालू यादव को देखने पहुंचे तेजस्वी यादव ने रिम्स से निकलने के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "हमारा परिवार उनके (लालू प्रसाद यादव) लिए बेहतर इलाज चाहता है. सभी रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टरों को यह विश्लेषण करना है कि उन्हें यहां इलाज दिया जा सकता है. उनकी हालत गंभीर है. मैं मुख्यमंत्री से कल (शनिवार) मुलाकात करूंगा."
वहीं, रिम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि लालू यादव के फेफड़ों में संक्रमण है और हम उनका इलाज कर रहे हैं. हमने एम्स में फेफड़ों के एचओडी के साथ उनकी हालत पर बातचीत की है.” (एएनआई के इनपुट के साथ)
कोलकाता, 23 जनवरी | 'देशनायक' सुभाष चंद्र बोस को उनकी 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्रद्धांजलि देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि नेताजी एक सच्चे नायक थे और सभी लोगों की एकता में विश्वास रखते थे। मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा, "हम देश नायक दिवस दिबस के तौर पर इस दिन को मना रहे हैं। वह लोगों की अखंडता पर यकीन रखते थे।"
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य भर में एक कमेटी का गठन किया है ताकि 23 जनवरी, 2022 तक इस दिन का जश्न मनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, "राजारहाट में आजाद हिंद फौज के नाम से एक स्मारक का निर्माण किया जाएगा। नेताजी के नाम से एक विश्वविद्यालय की भी स्थापना की जाएगी, जो पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्तपोषित होगा और विदेशी विश्वविद्यालयों संग इसका करार भी होगा।"
ममना बनर्जी ने बताया कि आज के दिन एक भव्य पदयात्रा का आयोजन किया गया है। कोलकाता में इस साल गणतंत्र दिवस की परेड भी नेताजी को समर्पित की जाएगी।
केंद्र से 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने की मांग करते हुए ममता बनर्जी ने आगे कहा, "12.15 बजे एक साइरन बजेगी। लोगों से निवेदन है कि वे अपने-अपने घरों में इस वक्त शंख बजाए।" (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 23 जनवरी | किसान 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हुए हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने एक संदिग्ध युवक को पकड़ा है, जिसने कबूल किया कि वह 26 जनवरी के दिन एक बड़ी घटना को अंजाम देने के उद्देश्य से आया है। इस मसले पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा, 'प्रशासन और सरकार ही इस तरह की हरकत करवातें हैं।' दरअसल सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा है। किसानों का दावा है कि उसने(संदिग्ध व्यक्ति ने) आंदोलन को बाधित करने की साजिश रची है।
हालांकि किसानों ने देर रात उस युवक को सबके सामने पेश किया। फिलहाल युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
संदिग्ध ने मीडिया के सामने इस बात को कबूल किया है कि 'स्टेज पर जो भी किसान नेता होंगे, उनमें से चार लोगों पर गोली चलाएंगे।'
इस मसले पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया, "ये जो लड़का पकड़ा गया है ये एक गैंग का हिस्सा है। प्रशासन और सरकार के लोग ही इस तरह की हरकत करवातें हैं।"
"सरकार कह रही है ये मार्च हिंसक होगा, कैसे पता सरकार को की हिंसक होगा ? बीते 2 महीने से हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा है। तो सरकार को कैसे पता कि 26 जनवरी हो मार्च हिंसक ही होगा?"
"ये जो व्यक्ति पकड़ा गया है ये 10 आदमी के समूह का हिस्सा है, जिसे हमने पुलिस को सौंप दिया है। कौन एजेंसी उससे पूछताछ करेगी ? ये सब जांच का विषय है।"
उन्होंने आगे कहा, "हरियाणा में मुख्यमंत्री खट्टर के कार्यक्रम में भी यही लोग थे, सब खुलासा हो गया कि सरकार ही इस तरह की हरकत कराती है। पकड़े गए संदिग्ध ने अधिकारियों के नाम लिए, लोगों के नाम भी बताए।"
"जहां भीड़ है, वहां हिंसा करानी होती है तो इस तरह की हरकत प्रशासन करता है। इन गैंग्स को ट्रेनिंग दी जाती है, फिर वही लोग भीड़ में रहकर भीड़ की तरफ से हिंसक घटनाएं करते हैं।"
"हमारे करीब 200 वोलेंटियर्स बॉर्डर्स पर तैनात है जो इस तरह के लोगों पर निगरानी रखते है। हम शांतिपूर्ण तरह से प्रदर्शन करना चाहते है।"
संदिग्ध युवक ने इन बात को भी कबूला है कि जैसे ही किसान 26 तारीख को आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे, और यदि किसान नहीं रूकते तो इन पर गोली चलाएंगे। जिससे दिल्ली पुलिस को ये लगता कि किसानों ने किया है।
दरअसल किसानों ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है जिसके लिए लाखों किसान देशभर के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली पहुंच रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी की सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उन्हें याद किया, जिसे देश भर में पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। पीएम ने सुबह-सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, "महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। कृतज्ञ राष्ट्र देश की आजादी के लिए उनके त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा।"
वह आज कोलकाता में आयोजित दो कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जिनमें से एक नेशनल लाइब्रेरी में होगा और दूसरा विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुवाहाटी में नेताजी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
उन्होंने ट्वीट किया, "सुभाष बाबू के अन्दर असीम साहस और अनूठी संकल्प शक्ति कका अनंत प्रवाह विद्यमान था। उनके अद्भुत व्यक्तित्व और ओजस्वी वाणी ने लोगों के हृदय में स्वतंत्रता का ज्वार उत्पन्न किया। उनका जीवन देश के युवाओं के लिए एक आदर्श है।"
कांग्रेस ने भी एक पोस्टर को ट्वीट किया, जिसके साथ कैप्शन में लिखा, "यहां तक कि कैद ने भी हमारे देशभक्तों को भारत की आजादी के लिए लड़ने से नहीं रोक पाया। नेताजी की दृढ़ इच्छा शक्ति कुछ कदर थी।"
इस तस्वीर में लिखा गया है कि सन 1921 से 1941 के बीच ब्रिटिश सरकार द्वारा नेताजी को 11 बार जेल में डाला गया। (आईएएनएस)
प्रभाकर मणि तिवारी
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.
शुक्रवार को वन मंत्री राजीव बनर्जी ने मंत्रिमण्डल से इस्तीफ़ा दे दिया था. उसके बाद टीएमसी ने अनुशासनहीनता के आरोप में हावड़ा ज़िले की बाली सीट से विधायक और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की बेटी वैशाली डालमिया को पार्टी से निकाल दिया है.
वैशाली ने हाल ही में पार्टी नेतृत्व और ख़ासकर हावड़ा ज़िले के मंत्री अरूप राय के कामकाज पर सवाल उठाते हुए सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना की थी.
बताया गया है कि पार्टी की अनुशासन समिति की बैठक में वैशाली डालमिया को पार्टी से निकालने का निर्णय लिया गया.
वैशाली ने हाल ही में खेल और युवा कल्याण मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ल के इस्तीफ़े के बाद भी पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाये थे.
उन्होंने कहा था कि पार्टी के कुछ नेता दूसरों को काम नहीं करने दे रहे हैं.
इसी तरह राजीव बनर्जी के इस्तीफ़े के बाद उनका कहना था कि अब राजीव को मीर जाफ़र की उपाधि दे दी जाएगी.
टीएमसी के हावड़ा ज़िला अध्यक्ष और मंत्री अरूप राय कहते हैं, "पार्टी में रहकर उसके ख़िलाफ़ लगातार बयान देने वाले संगठन को नुक़सान पहुँचा रहे हैं. वैशाली को निकालने का फ़ैसला सही है. अगर किसी को शिक़ायत थी तो सार्वजनिक तौर पर कहने की बजाय पार्टी के भीतर अपनी बात रखनी चाहिए थी."
दूसरी ओर, पार्टी से निकाले जाने के बाद वैशाली ने एक बार फिर टीएमसी नेतृत्व और उसके ज़िला स्तर के नेताओं पर करारा हमला किया है.
उन्होंने कहा, "आम लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा. विधायकों के पास राहत का पैसा नहीं पहुँच रहा. अंफान तूफ़ान से हुए नुक़सान के मद में भी कोई राहत नहीं मिली. कोविड-19 के दौरान लोगों को जितना चावल दिया जाना था, उसमें भी कटौती की जा रही है. अगर लोगों के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहना पार्टी-विरोधी काम है, तो मैंने ऐसा किया है. कुछ लोग दीमक की तरह पार्टी को खोखला करने में जुटे हैं."
क्या वैशाली बीजेपी में शामिल होंगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "देखते हैं." (bbc.com)
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था अब रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है? सीधे तौर पर आसान जवाब है, हाँ, क्योंकि महामारी की भयंकर मार से नकारात्मक विकास दर के पाताल से गुज़रकर देश की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में सकारात्मक विकास दर तक पहुँची और फिलहाल आख़िरी तिमाही में सकारात्मक विकास जारी है.
दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में -23.9 प्रतिशत की दर की गिरावट दर्ज की गई थी.
अब अनुमान है कि इस साल जनवरी-मार्च की तिमाही में 0.7 प्रतिशत के हिसाब से सकारात्मक विकास दर्ज हो सकती है जबकि पिछली तिमाही में विकास दर 0.1 प्रतिशत थी.
किन क्षेत्रों में विकास के आसार?
अप्रैल 2020 के महीने से अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का बुरा असर काफ़ी गहराई से महसूस होने लगा. लेकिन सितम्बर माह से इसमें कुछ बेहतरी शुरू हो गयी. ज़रा वित्त मंत्रालय के इन आंकड़ों पर ग़ौर करें:
ऊपर के आंकड़े अर्थव्यवस्था की रिकवरी की तरफ़ इशारा करते हैं और सरकार इन्हीं आंकड़ों को साझा करके कह रही है कि अर्थव्यवस्था की रिकवरी हुई और अब वह आगे बढ़ रही है. लेकिन शायद ये केवल अर्धसत्य है.
अगर 2020-21 के पूरे वित्तीय साल की विकास दर को देखें तो क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ के अनुसार ये -11.5% होगी. एजेंसी ने 2021-22 वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक 10.6% का अनुमान लगाया है.
लॉकडाउन के बाद वाले दो-तीन महीनों में 12 करोड़ से अधिक लोग बेरोज़गार हो गए थे. बेरोज़गारी अब भी अधिक नहीं हुई है जो सरकार की बड़ी नाकामियों में से एक बतायी जाती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर कड़ी निगाह रखने वाली प्रसिद्ध संस्था 'सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी' ने बीबीसी के साथ अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट साझा की है जिसके अनुसार इस वित्तीय वर्ष में विकास नकारात्मक रहेगा.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के एक अनुमान के मुताबिक़, भारतीय अर्थव्यवस्था को इस साल आज़ादी के बाद के सबसे ख़राब प्रदर्शन का सामना करना पड़ सकता है.
इस बार ये 7.7 प्रतिशत के हिसाब से सिकुड़ेगी. ये रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुमान से अधिक है जिसने 7.5 प्रतिशत के हिसाब से सिकुड़ने का अनुमान लगाया है.
इसने निर्यात में 8.3 प्रतिशत की गिरावट और आयात में 20.5 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया है. इसके अलावा डिमांड में बहुत अधिक इज़ाफ़ा नहीं देखने को मिला है. बैंकों से क़र्ज़ों की मांग में काफ़ी सुस्ती देखी गयी है क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में अधिकतर कॉर्पोरेट्स ने अपनी योजनाओं को रोक दिया है.
लेकिन नवंबर 2020 से क्रेडिट डिमांड में तेज़ी आयी है. सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़, 15 जनवरी तक बैंकों ने क्रेडिट डिमांड में 6.1 की बढ़ोतरी बतायी है.
सरकार के V शेप रिकवरी के दावे का सच
वित्त मंत्रालय से लेकर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया तक सभी सरकारी संस्थाओं ने ये दावा किया है कि रिकवरी V शेप में हो रही है. इसका मतलब ये हुआ कि लॉकडाउन के दौरान सभी क्षेत्र में विकास की दर नीचे गई और रिकवरी के दौरान उछाल सभी क्षेत्र में हो रहा है.
लेकिन कुछ विशेषज्ञ ये तर्क देते हैं कि रिकवरी K शेप में हो रही है, जिसका मतलब ये हुआ कि कुछ क्षेत्र में विकास हो रहा है लेकिन कुछ दूसरे क्षेत्रों में या तो विकास की रफ़्तार बहुत सुस्त है या विकास नहीं हो रहा है. ये विकास की एक असमान रेखा की तरह है.
मुंबई में वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व इन्वेस्टमेंट बैंकर प्रणव सोलंकी के विचार में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के लिए समान तरीक़े से विकास नहीं हो रहा है.
वे कहते हैं, "हमें मालूम है कि जीडीपी गणना में असंगठित क्षेत्र पूरी तरह से शामिल नहीं किया जाता है. कुल मिलाकर, जबकि संगठित क्षेत्र में अपेक्षाकृत तेज़ी से गिरावट आई है, असंगठित क्षेत्र महामारी से बहुत अधिक प्रभावित हुआ है. रिकवरी में भी यही रुझान है."
वे कहते हैं कि संगठित क्षेत्र में शुरू हुआ विकास भी समान नहीं है.
"आप देखें कि फ़ार्मास्यूटिकल्स, प्रौद्योगिकी, ई-रीटेल और सॉफ्टवेयर सेवाओं जैसे क्षेत्रों में महामारी के दौरान भी विकास हो रहा था और अब भी हो रहा है लेकिन पर्यटन, परिवहन, रेस्टॉरेंट और होटल और मनोरंजन जैसे क्षेत्र अब भी बुरे दौर से गुज़र रहे हैं."
महामारी की मार
भारत में कोरोना वायरस का पहला केस 30 जनवरी को केरल में रिपोर्ट किया गया था जिसके अब एक साल पूरे होने वाले हैं. इसके बाद 22 मार्च को दिनभर के जनता कर्फ्यू के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की शाम को उसी रात 12 बजे रात से 21 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की.
रेल, रोड और हवाई सफ़र ठप, मॉल और बाज़ार बंद, मशीने बंद, पैदावार पर पूर्ण रूप से रोक.
लगभग 135 करोड़ की आबादी वाले देश की विशाल अर्थव्यवस्था एकदम से थम गयी. करोड़ों रोज़ाना दिहाड़ी कमाने वाले मज़दूर सैकड़ों मील दूर अपने घरों के लिए पैदल चल पड़े.
दूसरी तरफ़ कोरोना का क़हर बढ़ता रहा. धीरे-धीरे भारत और दुनियाभर में ये एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया मगर इसके साथ इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया जिसकी लपेट में भारत भी आया.
मई के आख़िर से धीरे-धीरे लॉकडाउन में ढील दी जाने लगी जिसका सिलसिला आज भी जारी है. अभी भी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नहीं खुली है, उदाहरण के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ान अब भी (फिलहाल 31 जनवरी तक) बंद हैं और सिनेमा घरों में 50 प्रतिशत क्षमता से अधिक दर्शक के प्रवेश पर अभी भी कई राज्यों में प्रतिबन्ध जारी है.
प्रणव सोलंकी कहते हैं कि 1 फ़रवरी को पेश होने वाला बजट इस मायने में बहुत अहम होगा कि रिकवरी को तेज़ करने और इसे आगे बढ़ाने में सरकार क्या क़दम उठाती है.
वे कहते हैं, "अर्थव्यवस्था को महामारी से जितना बड़ा नुक़सान हुआ है वो एक साल के बजट से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन रिकवरी सरकार के नेतृत्व में हो ये ज़रूरी है जिसके लिए ये देखना होगा कि सरकार कितना ख़र्च करती है और डिमांड पैदा करने के लिए लोगों को कितनी राहत देती है." (bbc)
बेंगलुरू, 23 जनवरी | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने शुक्रवार को छह मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया है। इससे एक दिन पहले ही चार मंत्रियों ने उन्हें आवंटित किए गए विभागों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। एम. टी. बी. नागराज ने उन्हें आबकारी विभाग आवंटित किए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। नागराज ने कहा था कि वह 2019 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे, ताकि लोगों को शराब मुक्त किया जा सके। नागराज ने आबकारी जैसे 'जनविरोधी पोर्टफोलियो' के बजाय एक जन-समर्थक पोर्टफोलियो की मांग की है।
छह असंतुष्ट नेताओं में से नागराज और आर. शंकर ने एक सरकारी कार लेने से साफतौर पर इनकार कर दिया था। असंतुष्ट नेता मुख्यमंत्री द्वारा गुरुवार शाम बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे।
मंत्रिमंडल की बैठक को छोड़ने वालों में नागराज के अलावा जे. सी. मधुस्वामी, के. सुधाकर और के. सी. नारायण गौड़ा जैसे मंत्री शामिल थे। इन नेताओं ने मनपसंद विभाग आवंटित नहीं होने के विरोध में इस तरह की रणनीति अपनाई थी।
येदियुरप्पा ने अब नागराज को नगरपालिका प्रशासन और चीनी विभाग आवंटित किए हैं, जबकि के. गोपालैया, जो भोजन और नागरिक आपूर्ति विभाग मिलने के बाद नाराज थे, उन्हें अब आबकारी मंत्रालय सौंपा गया है।
वहीं मधुस्वामी, जो कानून और संसदीय मामलों की जिम्मेदारी मिलने के बाद नाराज थे, उन्हें अब कन्नड़ और संस्कृति के बदले हज और वक्फ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है और इसके साथ ही वह चिकित्सा शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभालेंगे।
इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा विधायक अरविंद लिंबावल, जो कि वन मंत्रालय के आवंटन से बहुत परेशान थे, उन्हें अब कन्नड़ और संस्कृति मामलों का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
नगरपालिका प्रशासन और सेरीकल्चर पोर्टफोलियो के आवंटन से परेशान आर. शंकर को बागवानी और सेरीकल्चर मंत्री बनाया गया है।
वहीं के. सी. नारायण गौड़ा, जो नगरपालिका प्रशासन, बागवानी और सेरीकल्चर पोर्टफोलियो आवंटित किए जाने से नाराज थे, उन्हें अब युवा सशक्तीकरण और खेल, योजना और सांख्यिकी विभागों को आवंटित किया गया है।
येदियुरप्पा ने सभी बड़े पोर्टफोलियो जैसे कि वित्त, बेंगलुरू विकास, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा विकास जैसे विभागों को अपने पास रखा है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 23 जनवरी | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को तीन अलग-अलग भ्रष्टाचार के मामलों में चार सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए सरिता विहार पुलिस स्टेशन में तैनात दिल्ली पुलिस की एक हेड कांस्टेबल सुमन को गिरफ्तार किया है।
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने सुमन के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ता को आरोपी द्वारा धमकी दी जा रही थी कि अगर उसने रिश्वत नहीं दी तो उसे एक मामले में सरिता विहार थाने में पुलिस की ओर से कड़ी जांच का सामना करना पड़ेगा।
उसे एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अधिकारी ने कहा कि दूसरे मामले में एजेंसी ने एलडीसी/लाइसेंस इंस्पेक्टर ए. के. रॉय और एओ राकेश रावत को रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया है। यह दोनों पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में तैनात हैं, जिन्हें 40,000 रुपये की कथित रिश्वत मामले में गिरफ्त में लिया गया है।
अधिकारी ने कहा, 40,000 रुपये की रिश्वत के मामले में एजेंसी ने जाल बिछाया और रॉय को रंगे हाथ पकड़ लिया। आगे के सत्यापन के दौरान रावत की कथित भूमिका भी सामने आई, जिसके बाद उसे भी गिरफ्तार किया गया।
वह दोनों एक अदालत के सामने पेश किए गए, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
वहीं तीसरे मामले में, सीबीआई ने 18,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के लिए महाराष्ट्र के रायगढ़ में करंजा नवल स्टेशन पर तैनात सैन्य इंजीनियरिंग सेवा में एक जूनियर इंजीनियर (जेई) अरुण कुमार मिश्रा को गिरफ्तार किया।
अधिकारी ने कहा कि मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में सीबीआई ने एक जाल बिछाया और शिकायतकर्ता से 18,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए मिश्रा को रंगे हाथ पकड़ा।
सीबीआई की टीमों ने रायगढ़ और पुणे के अलावा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मिश्रा के ठिकानों पर तलाशी भी ली, जिस दौरान 12.6 लाख रुपये जब्त किए गए।
--आईएएनएस
मुंबई, 23 जनवरी | महाराष्ट्र कांग्रेस ने शुक्रवार को आधिकारिक राज अधिनियम, 1923 के तहत राजद्रोह के लिए रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक (एडिटर इन चीफ) अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सभी जिलों और विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। राज्य के विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गोस्वामी की तस्वीरों पर पत्थर और जूते मारकर और उनकी तस्वीरों को चप्पलों से सजाकर विरोध जताया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अर्नब के खिलाफ नारे लगाते नजर आए।
राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट के नेतृत्व में महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों में कई मंत्री, विधायक, राज्य और जिला पार्टी के नेता प्रदर्शन में शामिल हुए।
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों में धीरज देशमुख, प्रिणीती शिंदे, सुरेश वारपुड़कर, सुलभा खोडके, विकास ठाकरे, हिशब उस्मानी, शरद अहेर, प्रहलाद चव्हाण, प्रकाश देवताले, विजय भोसले, संदीप पाटिल और श्याम सनेर शामिल रहे।
गोस्वामी और पूर्व बार्क सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सएप चैट के हालिया खुलासे को आधिकारिक राज अधिनियम, 1923 का उल्लंघन करार देते हुए थोराट ने कहा कि यह बातचीत 'राजद्रोह' की श्रेणी में आती है, जिसके लिए रिपब्लिक टीवी के प्रमुख को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दोनों के बीच की बातचीत ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ गंभीर खुलासे किए हैं और यह फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में भारत द्वारा किए गए जवाबी सर्जिकल स्ट्राइक से संबंधित है।
उन्होंने कहा, "कार्रवाई शुरू होने से तीन दिन पहले फरवरी 2019 के हवाई हमलों की सूचना गोस्वामी को कैसे मिली? सरकार में कौन 'बड़ा नाम' है, जिसका वह जिक्र कर रहे हैं?"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 23 जनवरी | विज्ञान भवन में शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं पर बातचीत के सिद्धांतों का पालन न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब किसी मुद्दे पर दो पक्षों में बातचीत चल रही हो, तब नए-नए तरह के आंदोलनों के ऐलान से बचना चाहिए। दबाव बनाने के लिए नए आंदोलनों की घोषणा से बातचीत का माहौल प्रभावित होता है।
तोमर ने 11वें दौर की बातचीत के भी असफल रहने पर खेद जताते हुए कहाकि उनका मन आज बहुत भारी है। कृषि तोमर ने कहा कि उन्होंने अब तक का सबसे बढ़िया प्रस्ताव किसान नेताओं को दिया, बावजूद इसके तीनों कानूनों के खात्मे के लिए अड़ जाने की जिद उचित नहीं है।
तोमर ने बैठक में किसान नेताओं से दो टूक कहा, सरकार ने कुछ कदम पीछे जाकर जो प्रस्ताव दिए, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कृषि सुधार कानूनों में कोई खराबी (खामी) थी, फिर भी आंदोलन और किसानों का सम्मान रखने के लिए और उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए ये प्रस्ताव दिए गए।
तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश की मौजूदगी में शुक्रवार को दोपहर एक बजे से बैठक शुरू हुई। हालांकि यह बैठक लंच तक ही सिमटकर रह गई। लंच के बाद बैठक नहीं हो सकी।
तोमर ने बैठकों के असफल रहने के लिए किसान नेताओं के रवैये को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक में सरकार ने कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का ठोस आश्वासन दिया था। अगर किसान नेता चाहते तो इस प्रस्ताव के माध्यम से आंदोलन का समाधान हो जाता। सरकार ने किसान आंदोलन खत्म करने के लिए श्रेष्ठतम प्रस्ताव पिछली बैठक में दिया था।
तोमर ने इस आरोप को गलत बताया कि सरकार किसानों को लेकर संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसानों की संवेदनशीलता ही है जो पिछले दो महीने से देशभर के किसान संगठनों के साथ निरंतर बातचीत चल रही है।
तोमर ने कहा, इस पूरे दौर में आंदोलनकर्ता किसान नेताओं ने वार्ता के मुख्य सिद्धान्त का पालन नहीं किया, क्योंकि हर बार उनके द्वारा नए चरण का आंदोलन घोषित होता रहा जबकि वार्ता के दौरान नए आंदोलन की घोषणा सौहाद्र्रपूर्ण चर्चा को प्रभावित करती है।
कृषि मंत्री ने किसानों को यह भी प्रस्ताव दिया कि अगर वे पिछली बैठक के प्रस्तावों पर आगे सहमति देते हैं तो बात आगे बढ़ सकती है।
--आईएएनएस
पटना, 23 जनवरी | बिहार में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। बिहार में बसपा के एकमात्र विधायक मोहम्मद जमा खां बिहार में सतारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में शामिल हो गए। पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी और पार्टी के वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार ने उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई।
इससे पहले जमां खां मुख्यमंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी।
जदयू में शामिल होने के बाद जमा खां ने कहा कि उनकी योजना क्षेत्र के विकास की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों को चुनाव के दौरान ही उम्मीद थी वे क्षेत्र का विकास करेंगे अब उनकी उम्मीदों को पूरा करूंगा।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर महीने में कैमूर जिले के चैनपुर क्षेत्र से विधायक जमां खां जदयू के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात की थी, तभी से यह कयास लगाया जाने लगा था कि वे जल्द ही जदयू का दामन थामेंगे। जमां खां के जदयू में आने के बाद जदयू के विधायकों की संख्या 43 से बढ़कर 44 हो गई है।
--आईएएनएस
मुंबई, 23 जनवरी | देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 15 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह में 1.839 अरब डॉलर की गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 15 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह में 1.839 अरब डॉलर घटकर 584.242 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले 8 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 586.082 अरब डॉलर था।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ देश की आरक्षित स्थिति (रिजर्व पोजिशन) शामिल है।
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में एफसीए 28.4 करोड़ डॉलर घटकर 541.507 अरब डॉलर रह गई है।
इसके अलावा देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.534 अरब डॉलर घटकर 36.06 अरब डॉलर रह गया है।
देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर घटकर 1.512 अरब डॉलर रह गया है।
वहीं आईएमएफ के पास आरक्षित मुद्रा भंडार 1.7 करोड़ डॉलर घटकर 5.163 अरब डॉलर रह गया है।
--आईएएनएस
चंडीगढ़, 23 जनवरी | पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जितने भी किसानों ने दम तोड़ा है, उन सभी के एक-एक परिजन को पंजाब सरकार नौकरी देगी। अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों पर झूठ फैलाने के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और आम आदमी पार्टी (आप) की जमकर आलोचना की। इसके साथ ही सिंह ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिए जाने को लेकर केंद्र सरकार को भी घेरा।
गौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच गतिरोध बना हुआ है और अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। किसान आंदोलन जारी है और अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है। 11वें दौर की बातचीत के बाद भी सरकार और किसानों के बीच मसला नहीं सुलझ सका है। आंदोलन के बीच आए दिन हो रही किसानों की मौत को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है और इस बीच अब सिंह का यह बड़ा एलान सामने आया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, केंद्र सरकार आखिर कानूनों को रद्द करने में संकोच क्यों कर रही है? सिंह ने केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें कानूनों को रद्द करना चाहिए और इसके बाद किसानों के साथ बैठना चाहिए और सभी हितधारकों को विश्वास में लेने के बाद नए कानूनों को लागू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में पहले ही कई बार संशोधन किया जा चुका है, फिर सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने के बारे में अडिग क्यों है।
बिना किसी चर्चा के संसद के माध्यम से कानूनों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा देश इसके लिए कीमत चुका रहा है।
सिंह ने पूछा, क्या देश में संविधान है? कृषि, अनुसूची 7 के तहत एक राज्य का विषय है। फिर केंद्र ने राज्य के विषय में हस्तक्षेप क्यों किया है?
उन्होंने कहा, उन्होंने बिना किसी से सलाह लिए इन कानूनों को लागू किया, जिसकी वजह से हम सभी इस स्थिति में आ गए हैं।
सिंह ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, हम किसानों के साथ हैं और उनके साथ खड़े रहेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक लाइव हैशटैग आस्क कैप्टन सत्र के 20वें संस्करण के दौरान कहा कि पंजाब सरकार और पंजाब का प्रत्येक व्यक्ति किसानों के साथ खड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम हर दिन ठंड से अपने किसानों को खो रहे हैं और अब तक करीब 76 किसान दम तोड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मृतक किसानों के परिवारों को 5 लाख रुपये के मुआवजे के अलावा उनकी सरकार परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देगी।
फिरोजपुर निवासी एक व्यक्ति की ओर से पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) में खुलासा हुआ है कि अकालियों और आप ने कृषि सुधारों पर गठित समिति के मुद्दे पर झूठ फैलाया है।
--आईएएनएस
आरटीआई के तहत सूचना मांगने का अधिकार तो मिल गया, किंतु वास्तविकता यह है कि विभागों से जानकारी मांगना बिहार में गले की फांस बनता जा रहा है. इनके उत्पीड़न का मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार का लिखा-
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के जरिए लोगों को किसी भी सरकारी विभाग से उससे संबंधित क्रियाकलापों के संबंध में अद्यतन जानकारी मांगने का अधिकार तो मिल गया, किंतु इसके साथ-साथ सूचना मांगने वालों को संबंधित अधिकारियों या कर्मचारियों का कोपभाजन भी बनना पड़ रहा है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें आरटीआई कार्यकर्ता के खिलाफ तरह-तरह के आरोप लगाते हुए मुकदमे दर्ज करा दिए गए. आमजन के लिए प्राथमिकी दर्ज कराना जहां टेढ़ी खीर है, वहीं पुलिस अफसरों या बाबुओं की तरफ से एफआइआर दर्ज करने में उदार रवैया अपनाती है.
आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे
पिछले दशक में करीब 206 आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ रंगदारी मांगने, अपहरण के प्रयास, एससी-एसटी एक्ट के तहत उत्पीड़न, धमकी देने या छेड़खानी जैसे मामले दर्ज कराए गए. सूचना मांगने वाले ये सभी लोग मुकदमेबाजी में उलझे हैं. गृह विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इन लोगों ने अब राज्य सरकार व राज्य सूचना आयोग से न्याय की गुहार लगाई है. दरअसल लोक कल्याण से संबंधित सरकारी योजनाओं में अनियमितता या लापरवाही जैसी करतूत को छिपाने वाले अधिकारी या कर्मचारी आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करते हुए फर्जी मुकदमा दर्ज कराते हैं.
आरटीआई के अधिकतर मामले पंचायती राज, नगर निगम, ग्रामीण व नगर विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, भूमि सुधार, राजस्व तथा पुलिस से जुड़े होते हैं. यह देखा गया है कि अगर संबंधित अफसर अनुसूचित जाति या जनजाति का पदाधिकारी है तो वह एससीएसटी एक्ट के तहत उत्पीड़न का मामला दर्ज कराता है और वहीं अगर महिला अफसर है तो छेड़खानी का आरोप लगाते हुए फर्जी एफआइआर दर्ज कराने से गुरेज नहीं करती है.
दिलचस्प यह है कि ये फर्जी मुकदमे पुलिस द्वारा आसानी से दर्ज कर लिए जाते हैं. और अगर मामला पुलिस अधिकारी या कर्मचारी से जुड़ा हो तो फिर पूछिए ही मत. वैसे भी अधिसंख्य मामलों में सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आरटीआई की अर्जियों पर गौर फरमाना ही लाजिमी नहीं समझते और अगर कहीं से मामला उनके कृत्यों को उजागर करने वाला होता है तो प्रथमदृष्टया आवेदक को डराते-धमकाते हैं और अगर दबाव बढ़ा तो फिर झूठा मुकदमा दर्ज करा देते हैं.
नागरिक अधिकार मंच के संयोजक व जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय कहते हैं, ‘‘मेरे जैसे लोगों को रंगदारी मांगने जैसे अपराध के मुकदमे की पीड़ा झेलनी पड़ रही है. मेरा कसूर यही था कि मैंने बक्सर के एसपी से जिला पुलिस में व्याप्त अनियमितताओं से संबंधित सूचना मांगी थी. इस मामले में मैंने बक्सर के तत्कालीन एसपी के खिलाफ दुर्व्यवहार का केस दर्ज कराया है, लेकिन पुलिस महानिदेशक तक मामला पहुंचने के बावजूद अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.''
बेगूसराय के सत्तर वर्षीय गिरीश गुप्ता कहते हैं, ‘‘मैंने स्थानीय पुलिस वालों से यह सूचना मांगी थी कि अपने-अपने जन्मदिन के मौके पर वे जो विज्ञापन प्रकाशित करवाते हैं, क्या उसका जिक्र वे आयकर रिटर्न फाइल करते वक्त विवरणी में करते हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले साल मई महीने में मुझे घर में घुसकर सरकारी कर्मी द्वारा पीटा गया और मेरे ऊपर लॉकडाउन के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कर दिया गया.'' इसी तरह का एक और दिलचस्प मामला तब सामने आया था जब एक समाचार पत्र ने इसे प्रकाशित किया था. इस मामले में एक आरटीआई कार्यकर्ता के नाबालिग पुत्र को आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए रिमांड होम की बजाए जेल भेज दिया गया था. उसके पिता ने आठ वर्षों में पैक्स के द्वारा धान की खरीद का ब्योरा मांगा था.
उत्पीड़न की जांच पर ध्यान नहीं
ऐसा नहीं है कि सूचना मांगने वालों के हो रहे उत्पीड़न पर सरकार का ध्यान नहीं है. सरकार भी यह समझती है कि आरटीआई एक्टिविस्टों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं और ऐसे मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि ही दर्ज हो रही है. जानकारी के मुताबिक फर्जी मुकदमों के इन मामलों की जांच के लिए सरकार ने डीजीपी तथा गृह सचिव के नेतृत्व में 2010 में एक कमिटी बनाई थी. समिति को इन मामलों के त्वरित निष्पादन का निर्देश दिया गया था, किंतु परिणाम वही ढाक के तीन पात.
कई मामलों में तो जांच का जिम्मा उन अफसरों को ही दे दिया गया जिनके खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है. जबकि प्रावधान यह है कि आरटीआई एक्टिविस्ट की प्रताड़ना से संबंधित मामलों को शिकायत दर्ज होने के एक माह के अंदर निष्पादित कर दिया जाए. पुलिस अधीक्षक (एसपी) इन मामलों की निगरानी करें और यदि आरोप एसपी पर ही है तो उसे पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) देखें.
वहीं शिकायतों की जांच की स्थिति पर शिव प्रकाश राय कहते हैं, ‘‘जब मैंने इससे संबंधित जानकारी मांगी तो मुझे बताया गया कि 184 मामलों का निपटारा कर दिया गया, किंतु यह नहीं बताया गया कि आरोपित अधिकारियों-कर्मचारियों या उत्पीड़न के जिम्मेदार व्यक्ति विशेष के खिलाफ कार्रवाई क्या की गई.'' हालांकि इस संबंध में गृह विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी आमिर सुबहानी कहते हैं, ‘‘मामला संज्ञान में आया है. इस मामले को विभाग देखेगा.'' वहीं नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर राज्य सूचना आयोग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘आरटीआई एक्टिविस्टों की प्रताड़ना के मामलों के प्रति आयोग गंभीर है. आरोपित 54 अधिकारियों-कर्मचारियों को दंडित करते हुए उनके खिलाफ जुर्माना लगाया गया है.''
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत यह प्रावधान है कि आवेदक को 30 दिन अंदर संबंधित विभागीय अधिकारी द्वारा उपलब्ध करा दी जाए. इसके लिए लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, किंतु कई मामलों में वांछित जानकारी के लिए लोगों को सालभर से अधिक इंतजार करना पड़ता है. और जब लोग अपनी शिकायत लेकर राज्य सूचना आयोग पहुंचते हैं तो वहां भी तय की गई तीस दिन की अवधि में कोई सुनवाई नहीं होती. सीतामढ़ी के अशोक चौधरी कहते हैं, "मामलों में सुनवाई साल-दो साल बाद होती है. सूचना आयोग में भी पारदर्शिता नहीं है. वहीं सूचना आयोग के एक अधिकारी के अनुसार एक-एक दिन में सौ से अधिक मामले अपील में आते है और उनमें करीब 90 से अधिक मामलों की सुनवाई की जा रही है. कुछ लोग इस कानून का दुरुपयोग भी कर रहे हैं." (dw.com)
कई साल तक सूखे के कारण नुकसान उठाने वाले महाराष्ट्र के किसान अब अच्छी फसल ले रहे हैं. वे खेती के नए तरीके अपना रहे हैं. बहुत से किसान कहते हैं कि सरकार का मुंह ताकने की बजाय उन्होंने चीजें अपने हाथ में लेना बेहतर समझा.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन का लिखा-
पश्चिमी महाराष्ट्र के गंगापुर गांव के 26 वर्षीय किसान कृष्ण नरोडे जब अपने खेतों को देखते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है. उन्होंने चार एकड़ जमीन पर पपीते, गन्ने, गेहूं और अदरक समेत कई फसलें लगाई हैं. कुछ ही महीनों में फसल काटने का समय आएगा. नरोडे को उम्मीद है कि खेती बाड़ी के जो प्राकृतिक तरीके उन्होंने अपनाए, उनका पूरा फायदा मिलेगा. उन्होंने डीडब्ल्यू को बातचीत में बताया, "उम्मीद है कि इस साल में फसल से लगभग छह लाख रुपये की आमदनी होगी. 2016 में इतनी कम आमदनी हुई थी कि मैंने खेती को छोड़ने का मन बना लिया था."
इससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मंगला मारुती वाघमारे रहती हैं. वह भी किसान हैं. उन्हें भी इस साल सहजन, शरीफा और आम की फसल से अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है. उन्होंने डीडब्ल्यू से बाचतीत में कहा, "मेरे फल बहुत स्वादिष्ट हैं और बाजार के दाम से दोगुने पर बिकेंगे. अलग अलग फसलें उगाने की तकनीक से उन किसानों को फायदा हो रहा है जो खेती के तरीकों को बदलना चाहते हैं."
लातूर मराठवाड़ा क्षेत्र के बड़े जिलों में शामिल है. वहीं कई साल से सूखे की स्थिति है. एक समय यह इलाका पानी की किल्लत और उसकी वजह से होने वाली किसानों की आत्महत्याओं के लिए खासा बदनाम था. पांच साल पहले अधिकारियों को यहां पानी की आपूर्ति करने के लिए विशेष ट्रेनें भेजनी पड़ी. पानी का वितरण ठीक से हो, इसके लिए पुलिस को तैनात करना पड़ा.
बड़े बदलाव
कृषि विज्ञानी महादेव गोमारे के नेतृत्व में यहां हालात बदलने के लिए कुछ साल पहले एक पहल शुरू हुई. इसमें किसानों को साथ लिया गया. उन्होंने 143 किलोमीटर लंबी मंजारा नदी और उसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवित किया. यह इस इलाके के 900 गांवों के लगभग पांच लाख लोगों के पानी का मुख्य स्रोत है.
नदी से लगभग नौ लाख घन मीटर गाद निकालकर इसे नया जीवन दिया गया. इस गाद को खेतों में जमीन को समतल करने के लिए इस्तेमाल किया गया. गोमारे ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक बार जब नदियां पुनर्जीवित हो गई, तो इससे पानी की उपलब्धता बढ़ गई. इसके अलावा इलाके की जैवविविधता और इकॉलोजी को सुधारने के लिए कई पहलें शुरू की गईं."
इस काम में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन संस्था की भी मदद ली गई. इसका इलाके के किसानों को बहुत फायदा हुआ है. किसान धीरे-धीरे खेती के प्राकृतिक तरीकों की तरफ बढ़े. उन्होंने ऐसी फसले उगाने पर ध्यान केंद्रित किया जो जलवायु परिवर्तन का सामना असरदार तरीके से कर सकती हैं. वृक्षारोपण किया और पहले से मौजूद जंगलों की भी देखभाल की.
पानी की उपलब्धता बढ़ने से पूरे गांव के ईकोसिस्टम पर बहुत अच्छा असर हुआ. किसानों की जिंदगी में बड़े बदलाव हुए. एक किसान काका सेहब सिंडी कहते हैं, "समय लगा, लेकिन हमारी मेहनत का फल हमें मिला. अब हमें ज्यादातर किसानों के चेहरे पर मुस्कान दिखती है."
लातूर के किसान प्राकृतिक तरीकों से खेती कर रहे हैं
अपनी किस्मत अपने हाथ
भारत में खेती की कुल जमीन का 86 फीसदी हिस्सा छोटे और मझौले किसानों के पास है. इनमें वे लोग शामिल हैं जिनके पास खेती की जमीन दो हेक्टेयर से कम है. ऐसे में गांव देहात में खेती बाड़ी की नई तकनीकें पहुंचाना और किसानों बाजार से जोड़ना एक बड़ी चुनौती है. किसान पांडुगंगाधर कहते हैं, "देश भर के किसान खुश नहीं हैं क्योंकि उनकी आमदनी घट रही है. यही बात उनके विरोध प्रदर्शन में दिखती है. हम अच्छी तरह समझते हैं कि पंजाब किसान क्यों न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लड़ रहे हैं."
अनाज उगाने वाले अंबालेशन काशीनाथ कहते हैं, "हमें पता है कि दिल्ली के बाहर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हमने अपनी तकदीर अपने हाथ में लेने का फैसला किया."
इस इलाके में प्राकृतिक तरीके से खेती करने की वजह से ना सिर्फ किसानों का उत्पादन भी बढ़ा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निटपने के लिए भी वे खुद को तैयार कर रहे हैं. (dw.com)
आकांक्षा खजुरिया
नई दिल्ली, 22 जनवरी | वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने शुक्रवार सुबह दिल्ली और मुंबई सहित देश के 22 शहरों में कोवैक्सिन की 25 लाख से अधिक की दूसरी खेप की आपूर्ति शुरू करने के साथ ही महामारी के खिलाफ अपनी गति को बढ़ा दिया है।
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक का कोवैक्सिन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशिल्ड वैक्सीन के साथ कोविड-19 के खिलाफ सरकार के सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा हैं। टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी को शुरू हुआ था।
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, "कोवैक्सीन की दूसरी शिपमेंट 22 स्थानों पर भेजी जा रही है। आज शाम या शनिवार तक ट्रांसपोर्टेशन पूरा हो जाएगा।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन की पहली उड़ान शुक्रवार सुबह को हुई।
वैक्सीन डिस्पैच डिटेल्स के अनुसार, 1,28,343 शीशियों में वैक्सीन की 25,66,860 खुराकें दी जाएंगी। प्रत्येक 10 मिलीलीटर की शीशी में 20 खुराक होती हैं। उन्हें हैदराबाद से चेन्नई, करनाल, कोलकाता और मुंबई के सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो में भेजा जाएगा।
भारत का स्वदेशी टीका आंध्र प्रदेश, कुरुक्षेत्र, पटना, लखनऊ, गुवाहाटी, कोलकाता साल्ट लेक, जयपुर, गांधी नगर और भोपाल सहित अन्य स्थानों पर भेजा जाने वाला है।
इसके अलावा इसे दिल्ली, रायपुर, रांची, तिरुवनंतपुरम, चंडीगढ़, बेंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर और हैदराबाद में ले जाया जाएगा।
चेन्नई में लगभग 2,33,080 खुराकें भेजी जा रही हैं, इसके बाद हैदराबाद के लिए 1,56,820, जयपुर के लिए 1,52,000 और 1,50,400 से दिल्ली, पुणे, भोपाल और गांधीनगर में खुराकें भेजी जाएंगी।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू होने से तीन दिन पहले 13 जनवरी को, 2.4 लाख कोवैक्सिन खुराक की पहली खेप ग्यारह शहरों- आंध्र प्रदेश, गुवाहाटी, पटना, दिल्ली, कुरुक्षेत्र, बेंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर, जयपुर, चेन्नई, लखनऊ में भेजी गई थी।
भले ही टीका अपर्याप्त परीक्षण डेटा के कारण विवादों में आ गया हो, लेकिन इसका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल और फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। कई प्रमुख डॉक्टरों ने भी अफवाहों और हिचकिचाहट को दूर करने के लिए इसे लिया है।
कोवैक्सिन भारत का पूरी तरह से स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है, जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है।
इनएक्टीवेट वैक्सीन भारत बायोटेक के बीएसएल -3 (बायोसाफ्टी लेवल 3) बायोकॉनटेन्मेंट सुविधा में विकसित और निर्मित है। (आईएएनएस)
कांग्रेस की कार्यसमिति की शुक्रवार को बैठक हुई जिसमें कांग्रेस कार्यसमिति ने किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए खेती व किसानी के खिलाफ कुत्सित भावना से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारत के करोड़ों किसान अपने खेत एवं जमीन, जीवन व आजीविका, अपने वर्तमान एवं अपने भविष्य को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं. कंपकपाती ठंड, ओले और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं. किसान संगठनों के अनुसार मोदी सरकार के इस बर्बर खेल में अभी तक 147 किसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं.
प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी भाजपा सरकार फिर भी उनका दर्द व पीड़ा समझने तथा उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार करती है. पूरे देश में किसान व खेत मजदूर आंदोलन कर रहे हैं, रैलियां निकाल रहे हैं, भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ट्रैक्टर यात्रा कर रहे हैं और व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अत्याचारी भाजपा सरकार लाखों किसानों के रोष को खारिज कर उनको जबरन ‘राष्ट्र विरोधी' साबित करने के षडयंत्र में लगी है.
तीनों कृषि कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) का मानना है कि ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद एवं राशन प्रणाली यानि पीडीएस को खत्म करने की शुरुआत हैं। सीडब्लूसी का यह भी मानना है कि इन तीन कृषि कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया.
खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को ध्वनि मत द्वारा अप्रत्याशित तरीके से पारित कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था. अंत में इन तीनों कानूनों को लागू करने से देश का हर नागरिक प्रभावित होगा क्योंकि खाने-पीने की हर चीज की कीमत का निर्धारण मुट्ठीभर लोगों के हाथ में होगा. एक समावेशी भारत में इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता.
भारत के किसानों एवं खेत मजदूरों की केवल एक मांग है - इन तीन विवादास्पद कानूनों को खत्म किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार किसानों को बरगलाकर, बांटकर, धमकाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार, धोखा एवं छल कर रही है. भाजपा सरकार को यह अटल सच्चाई जान लेनी चाहिए कि भारत का किसान न तो झुकेगा और न ही पीछे हटेगा. कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को फौरन निरस्त करे.
सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है
इसके साथ ही प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने एवं अन्य मामलों के सनसनीखेज खुलासों की जेपीसी जांच हो. कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) देश की सुरक्षा से खिलवाड़ को उजागर करने वाली षड्यंत्रकारी बातचीत के हाल ही में हुए खुलासों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है. यह स्पष्ट है कि इसमें शामिल लोगों में मोदी सरकार में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग शामिल हैं और इस मामले में महत्वपूर्ण व संवेदनशील सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है. इस सनसनीखेज खुलासे में सरकारी मामलों की गोपनीयता तथा पूरे सरकारी ढांचे को मिलीभगत से कमजोर करने, सरकारी नीतियों पर बाहरी व अनैतिक तरीके से दबाव बनाने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कुत्सित हमले के अक्षम्य अपराधों की जानकारी प्रथम दृष्टि से सामने आई है. इससे मोदी सरकार एवं सरकार से बाहर बैठे मित्रों के बीच एक षडयंत्रकारी साजिश तथा निंदनीय गठबंधन का पर्दाफाश हुआ है.
सुराक्षा से हो रहा खिलवाड़
चौंकाने वाली बात यह है कि इन खुलासों के कई दिन बाद भी प्रधानमंत्री और केंद्रीय भाजपा सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. सच्चाई यह है कि उनकी चुप्पी, उनकी मिलीभगत, अपराध में साझेदारी एवं प्रथम दृष्टि से दोषी होने का सबूत है, लेकिन जिम्मेदारी व जवाबदेही सुनिश्चित करने की निरंतर उठ रही मांग को दबाया नहीं जा सकता. यह तूफान रुकेगा नहीं और हम देश की सुरक्षा को खतरे में डालने एवं विरोधियों की मदद करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार से जवाब मांगते रहेंगे. कांग्रेस कार्यसमिति देश की सुरक्षा से खिलवाड़, ऑफिशियल सीक्रेट्स अधिनियम के उल्लंघन एवं उच्चतम पदों पर बैठे इसमें शामिल लोगों की भूमिका की तय समय सीमा में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग करती है. अंत में, जो लोग राजद्रोह के दोषी हैं, उन्हें कानून के सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
-शैलेन्द्र सिंह नेगी
नैनीताल. नैनीताल में एक रिसर्च स्कॉलर का अजीब-ओ-गरीब कारनामा सामने आया है. ये ऐसा कारनामा था जिससे महिलाएं रोजाना अजीब सी परेशानी में फंस जाती थीं. उनका महीने का बजट भी गड़बड़ा रहा था. दरअसल ये रिसर्च स्कॉलर महिलाओं द्वारा धूप में सुखाने के लिए डाले गए उनके अंडर गारमेंट्स चोरी कर लेता था. महिलाएं खासी परेशान थीं क्योंकि उन्हें आए दिन नए अंडर गारमेंट्स खरीदने पड़ते थे.
दरअसल, फांसी गधेरे में सरकारी स्टाफ क्वाटर बने हैं. यहां कर्मचारी अपने परिवारों के साथ रहते हैं. यहीं ये कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डीएसबी कैंपस और अन्य डिपार्टमेंट्स के लिए रास्ता है. आम लोगों के साथ ही स्टूडेंट गुजरते रहते हैं. स्टाफ क्वाटर में रहने वाली महिलाएं कई महीनों से परेशान थीं क्योंकि जो भी अंडर गारमेंट्स को धोने के बाद सुखाने के लिए डालती थी, वो गायब हो जाते थे. यह बात महिलाओं के बीच चर्चा का विषय बन गई.
ऐसे पकड़ में आया रिसर्च स्कॉलर
महिलाओं ने तल्लीताल पुलिस थाने में इसकी शिकायत की. पुलिस ने महिलाओं की शिकायत को गंभीरता से लिया. एसओ तल्लीताल विजय मेहता अपनी टीम के साथ स्टाफ क्वार्टर में नजर रखे हुए थे, तभी एक स्मार्ट का लड़का वहां पहुंचा. उसने पहले इधर-उधर देखा और फिर किसी को करीब न देख तार में लटके अंडर गारमेंट्स बैग में रखने लगा. पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और थाने ले आई.
पूछताछ में पता चला कि ये लड़का कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डिमार्टमेंट से रिसर्च यानी पीएचडी कर रहा है. पुलिस ने जब उससे महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने की बात पूछी तो उसने सच स्वीकार किया. उसने बताया कि उसे महिलाओं के अंडर गारमेंट्स छूना और उनकी खूशबू अच्छी लगती थी. इसलिए वो मौका देखते ही उन्हें चुरा लेता था. पुलिस ने इस रिसर्च स्कॉलर की काउंसलिंग कर धारा 151 में चालान काटा और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया.
मानसिक बीमारी ये है आदत
डॉ. युवराज पंत कहते हैं कि ये एक प्रकार का मानसिक रोग होता है. मनोविज्ञान की भाषा में इसे ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं. इसका मतलब है कि इस शख्स को ऐसा काम करने की आदत हो जाती है जो उसे अच्छा लगता है. ऐसे व्यवहार करने करने पर उसे बैचेनी होती है, इसलिए वो
बार-बार करते हैं और जैसे ही ये ऐसा काम कर देता है उसकी बेचैनी खत्म हो जाती है. डॉ. युवराज पंत के मुताबिक इस बीमारी का इलाज संभव है जिसके लिए फार्माकॉलोजी और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की मदद ली जाती है.
-सुशील कौशिक
ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पत्नी ने खाने में मछली नहीं बनाई तो पति हैवान बन गया. गुस्साए शख्स ने 7 महीने की गर्भवती पत्नी की पीट-पीट कर हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद मौके से आरोपी पति फरार हो गया था, जिसे बाद में पुलिस गिरफ्तार कर लिया. दिल दहला देने वाली यह घटना मोहना थाना के श्यामपुर गांव में हुई.
ग्वालियर का रहने वाला मिथुन बाल्मिकी मोहना के श्यामपुर गांव में एक फॉर्म हाउस में PIG सेंटर में काम करता है. मिथुन के साथ ही फार्म हाउस में उसकी पत्नी अनिता बाल्मिकी भी रहती थी. बीती रात मिथुन ग्वालियर आया जहां उसने शराब पी और मछली खरीदी. देर रात फार्म हाउस स्थित घर पहुंचा और पत्नी अनिता को मछली बनाने के लिए कहा. अनिता गर्भवती थी और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं थी. उन्होंने खाने में मछली नहीं बनाई तो नाराज़ मिथुन ने अनिता की लोहे की रॉड से पिटाई शुरू कर दी. वह अनीता को तब तक मारता रहा, जब तक उसकी मौत नहीं हो गयी.
आरोपी पति गिरफ्तार
घटना के बाद आरोपी मिथुन मौके से फरार हो गया. फॉर्म पर काम करने वाले लोगों ने पुलिस को इसकी खबर दी. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक अनीता के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया. मोहना थाना के सब इंस्पेक्टर JK पाठक ने बताया कि पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी पति को दबोच लिया. पुलिस ने पति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
गर्भस्थ शिशु ने भी दम तोड़ा
आरोपी पति मिथुन की डेढ़ साल पहले अनीता से शादी हुई थी. शादी के बाद मिथुन श्यामपुर गांव के फार्म हाउस पर नौकरी करने लगा. पत्नी अनीता गर्भवती हुई तो मिथुन उसे अपने साथ फॉर्म हाउस पर ले गया. मिथुन शराब के नशे में अनीता के साथ झगड़ा करता रहता था, लेकिन बीती रात तो उसने अपनी पत्नी ही नहीं उसके पेट में पल रहे सात महीने के बच्चे की भी जान ले ली.