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-श्रवण गर्ग
आँखों के सामने इस समय बस दो ही दृश्य हैं: पहला तो उज्जैन स्थित महाकाल के प्रांगण का है।उस प्रांगण का जो पवित्र क्षिप्रा के तट पर बस हुआ है और उस शहर में समाए हुए हैं जो सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी रहा है। जहाँ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विराजित है।जो काल भैरव और कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।जहाँ भगवान कृष्ण और बलराम गुरु सांदिपनी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे।इसी महाकाल के प्रांगण में एक आदमी निश्चिंत होकर बहुत ही इत्मिनान से फ़ोटो खिंचवा रहा है।इधर से उधर आ-जा भी रहा है।और फिर भगवान के दर्शन करने के बाद बाहर आकर घोषणा भी करता है कि वह कानपुर वाला विकास दुबे है।इसका वीडियो भी बन जाता है और वायरल भी हो जाता है। सब ऐसे चलता है जैसे किसी शूटिंग के दृश्य की शूटिंग चल रही हो।
दूसरा दृश्य उक्त प्रांगण से कानपुर शहर के नज़दीक भौंती नाम की जगह का है। उस जगह का जो बिकरू नामक गाँव से कोई पचास किलो मीटर दूर है जहाँ तीन जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से विकास दुबे फ़रार हो गया था और चारों ओर कड़ी चौकसी का मज़ाक़ उड़ाते हुए फ़रीदाबाद के रास्ते तेरह सौ किलो मीटर यात्रा कर महाकाल के प्रांगण तक पहुँच गया था।महाभारत काल अथवा उसके भी काफ़ी पहले के उज्जयिनी नगर से भौंती तक के लगभग सात सौ किलो मीटर के बीच का जो मार्ग है, वही आज़ादी के बाद हुए भारत के कुल विकास की यात्रा है। यह भी कह सकते हैं कि विकास औद्योगिक नगर कानपुर पहुँचने के पहले यहाँ रोक दिया गया था।
कोई चलता-फिरता अपराधी अपने गिरोह की मदद से समूची व्यवस्था के कपड़ों पर गंदगी लगाकर पहले तो उसका ध्यान भंग करता है और फिर उसके हाथ से लोकतंत्र के बटुए को छीनकर फ़रार भी हो जाता है। वह यही काम बार-बार तब तक करता रहता है, जब तक कि व्यवस्था कराहने नहीं लगती।उसके बाद जो कुछ होता है उसी पर इस समय बहस चल रही है।बहस यह कि न्याय की प्रतिष्ठा की दृष्टि से एक ऐसे अपराधी का एंकाउंटर में मारा जाना कहाँ तक उचित है जिसने कथित तौर पर महाकाल प्रांगण में स्वयं ही उपस्थित होकर अपने उस व्यक्ति होने की खुले आम मुनादी की थी जिसे बटुए से लुटी हुई व्यवस्था चारों तरफ़ ढूँढ रही थी ।
वफ़ादारी के टुकड़ों-टुकड़ों में बँटी व्यवस्था से जुड़े हुए लोग भी कई-कई हिस्सों में बंट गए हैं।इनमें एक वे हैं जो मानते हैं कि वर्तमान न्यायिक व्यवस्था में अपराधियों को या तो सजा मिल ही नहीं पाती या फिर उसमें काफ़ी विलम्ब हो जाता है। ये लोग भीड़ की हिंसा, मॉब लिंचिंग या हैदराबाद जैसे एंकाउंटर को भी जायज़ मानते हैं। एक दूसरा वर्ग कह रहा है कि आम नागरिक का न्याय व्यवस्था के प्रति कुंठित हो जाना तो समझा जा सकता है, पर यहाँ तो व्यवस्था का ही व्यवस्था की ज़रूरत पर से यक़ीन ख़त्म होता दिख रहा है जो कि और भी ज़्यादा ख़तरनाक है। व्यवस्था के इस कृत्य में न सिर्फ़ नागरिक की भागीदारी ही नहीं है उसे प्रत्यक्षदर्शी बनने से भी किसी नाके के पहले ही रोका जा रहा है।
विकास दुबे तो एक ऐसा बड़ा अपराधी था जिसे अपने अपराधों के लिए संवैधानिक न्याय प्रक्रिया के तहत मौत जैसी सजा मिलनी ही चाहिए थी।पर सवाल यह है कि पिछले तीन दशकों के बाद भी क्या पुलिस व्यवस्था में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है ? वर्ष 1987 के मई माह की उस घटना का क्या स्पष्टीकरण हो सकता है जिसमें प्रोविंशियल आर्म्ड कोंस्टेबुलरी (पी ए सी) के जवान मेरठ की एक बस्ती से एक समुदाय विशेष के पचास लोगों को उठाकर ले गए और फिर उन्हें गोलियों से उड़ाकर शवों को पानी में बहा दिया गया। केवल आठ लोग किसी तरह बच पाए । तीन दशकों तक चले मुक़दमे में सोलह को दो साल पहले ही सजा सुनाई गई ।केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह तब कांग्रेसी हुकूमतें थीं।दोषियों को सजा से बचाने के लिए तब हर स्तर पर प्रयास किए गए थे।क्या हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि विकास दुबे के एंकाउंटर में शामिल लोगों को भी बचाने के वैसे ही प्रयास किए जाएँगे ?
चर्चा है कि विकास दुबे की एंकाउंटर में मौत के बाद बिकरू गाँव के लोगों ने मिठाइयाँ बाँटी और जश्न मनाया।यह भी आरोप है कि इसी गाँव के कई युवक उस समय विकास की मदद कर रहे थे जब पुलिसकर्मियों पर गोलियाँ बरसाई जा रही थी और अब पुलिस द्वारा सभी हथियारों के समर्पण की माँग की जा रही है। बिकरू गाँव में मिठाई बाँटने वाले क्या सचमुच सही मान रहे हैं कि एंकाउंटर में विकास दुबे की मौत के साथ ही आतंक के युग की समाप्ति हो गई है ? ऐसा है तो फिर हमें अदालतों और भारतीय दंड संहिता और इस तरह भारतीय लोकतंत्र के प्रति किस तरह की निष्ठा और आदर का भाव रखना चाहिए ?
एक सवाल यह भी है कि अगर तीन जुलाई को मारे जाने वाले लोगों में आठ पुलिसकर्मियों के स्थान पर सामान्य नागरिक होते तब भी क्या विकास दुबे को इसी तरह से महाकाल के प्रांगण तक की यात्रा और अपने वहाँ होने की मुनादी करना पड़ती ?कहा जाता है कि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त एक प्रभावशाली व्यक्ति की हत्या के बाद भी अपराधी गवाहों के अभाव में पर्याप्त सजा पाने से छूट गया था।इस तरह के दुर्दांत अपराधी क्या बिना किसी संरक्षण के ही ऐसी हत्याएँ करने का साहस जुटा सकते हैं ? दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जिस घटनाक्रम को संदेह की दृष्टि से देखते हुए उसके लोकतंत्र के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंतित होना चाहिए, उसके प्रति संतोष व्यक्त किया जा रहा है।प्रश्न यह भी है कि जो कुछ भी चल रहा है उसके अगर प्रति थोड़ी सी भी अप्रसन्नता व्यक्त करना हो तो फिर इससे भी गम्भीर और क्या घटित होना चाहिए! और अंत में यह कि इस बात का ज़्यादा मातम नहीं मनाना चाहिए कि विकास अपनी मौत के साथ तमाम सारे राज़ और रहस्य भी लेकर चला गया है।वे राज अगर खुल जाते तो पता नहीं किस तरह के और एंकाउंटरों ,खून-ख़राबे और राजनीतिक-प्रशासनिक उथल-पुथल के दिन देखना पड़ जाते !
-विष्णु नागर
एक मित्र ने याद दिलाया कि संसद परिसर में एक बुजुर्ग महिला ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कालर पकड़ कर उनसे पूछा था:' भारत आजाद हो गया, तुम देश के प्रधानमंत्री बन गए, मुझ बुढ़िया को क्या मिला?' नेहरू जी का जवाब था:' आपको ये मिला कि आप प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ कर खड़ी हैं।'
ऐसी बातें याद मत दिलाया करो मित्रो, रोना आ जाता है। इस युग में बता रहे हो कि आजाद भारत ने इसके नागरिकों को प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ने तक की आजादी दी है। अब बता रहे हो,जब आज के राजनीतिक शिखर -पुरुष को अपना पुरुषार्थ नेहरू जी के बारे में अल्लमगल्लम झूठ फैलाने में नजर आ रहा है, जब पाठ्यक्रम से भी धर्मनिरपेक्षता गायब की जा रही है। पता नहीं है क्या कि अब यह देशद्रोह की श्रेणी में आता है ! जेल जाना चाहते हो क्या? इस युग में तो अगर कोई सपने में भी प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ ले तो उसके सपने की स्कैनिंग हो जाएगी और बीच चौराहे पर उसका काम तमाम कर दिया जाएगा और सब उसके वीडियो फुटेज को ' एनज्वाय ' करेंगे।प्रत्यक्षदर्शी उस आदमी की यह हालत होते देख कर हँसेगे, ताली-थाली बजाएँँगे। खुशी से पागल हो जाएँँगे,मिठाई बाँटेंगे ,पटाखे फोड़ेंगे। एक दूसरे के मुँह और सिर पर गुलाल मलेंगे।दिये जलाएँँगे। मोदी जी के जयकारे लगाएँगे, 'जय मोदी हरे' आरती गाएँँगे। और यह सब टीवी चैनलों पर गौरवपूर्वक प्राइम टाइम में दिखाया जाएगा। सिर्फ़ यह नहीं दिखाया जाएगा कि उसकी बीवी दहाड़े मार कर रो रही है, कि उसके बच्चों को समझ में नहीं आ रहा है कि यह आखिर हुआ क्या है,पापा को जमीन पर क्यों लेटाया गया है!इनकी तबीयत खराब है तो इन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाते? और मृतक की माँँ गश खाकर गिर पड़ी है।
लोग किसी भी तरह के सपना देखने से डरने लगेंगे- चाहे वह 'कौन बनेगा करोड़पति' में सात करोड़ रुपये जीतने का सपना हो!आज अच्छा सपना आया तो कल गिरेबान पकड़नेवाला सपना भी आ सकता है,जैसे उसे आया था! और कोई जरूरी है कि सपना उतना ही भयंकर आए,उससे भयंकर नहीं आएगा!लोग सपने से इतने डरेंगे कि कोई भी सपना आए, लोग रात को उठ बैठेंगे,पसीने -पसीने हो जाएँगे।ईश्वर या अल्लाह से दुआ माँगेंगे कि आइंदा कोई भी सपना न आए। लोग डाक्टर के पास जाएँगे कि डाकसाब ऐसी दवा दो कि नींद आए मगर अच्छे या बुरे सपने न आएँ! सुन कर डाक्टर खुल कर हँसेगा।कहेगा, यही तो मेरी भी समस्या है,मेरी भी बीमारी है,तुमको इसका क्या इलाज बताऊँ!ईश्वर में आस्था रखो,सोने से पहले रात को उसका स्मरण कर लिया करो,मैं भी यही करता हूँ।इसीसे ऊपरवाला बेड़ा पार करेगा तो करेगा वरना मझधार हिम्मत रखो।
मत दिलाया करो इस तरह कि याद बंधु,अब तो आडवाणी भी उनके कंधे पर हाथ रख कर खड़े नहीं हो सकते।वे भी सुरक्षा के लिए खतरा मान लिए जाएँगे और पता नहीं, उनका बाकी जीवन कहाँ और कैसे बीते!
मत रुलाया करो बंधु,मत रुलाया करो।रोने को बहुत कुछ है और अब भी पता नहीं क्यों कोई गाँधी, कोई नेहरू, कोई अंबेडकर, कोई भगत सिंह,कोई लालबहादुर शास्त्री , कोई सीमांत गाँधी,कोई मौलाना आजाद की बातें याद दिला देता है।देखो आजकल 'न्यू इंडिया' बनाया जा रहा है,यह उन सब बातों को भूलने का समय है। बंधु, अतीत में ले जाना बंद करो।ले ही जाना हो तो सभी मुगलों,सभी मुसलमानों के मुँँह पर कालिख पोतने के लिए ले जाओ।ले जाना हो तो इतने पीछे ले जाओ कि सोमनाथ मंदिर तोड़ने का दर्द हरा हो जाए और 2002 का दर्द भूल जाएँ।याद दिलाना हो तो ऐसे तमाम किस्से याद दिलाओ कि हम किस प्रकार उस समय जगद्गुरु थे,जब हमें पता भी नहीं था कि जगत् होता क्या है,हाँ गुरु का पता था!
इस तरह तुम याद दिलाते रहे तो फिर तुम पूरे स्वतंत्रता संघर्ष की याद भी दिलाने लगोगे! मत करो ऐसे उल्टे काम।आज तो वे तुम्हें और हमें शायद माफ कर दें, कल ऐसी याद को वे कानूनन गुनाह घोषित कर देंगे।'झूठ' फैलाने और 'सांप्रदायिक सौहार्द' खत्म करने के आरोप में तुम्हें -हमें अंदर कर देंगे और कोई यानी कोई भी बाहर नहीं ला पाएगा।लोकतंत्र अब हमारे यहाँ बहुत ही अधिक ' विकसित' हो चुका है, बहुत ही ज्यादा।इतना ज्यादा कि दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबा रही है और मोदीजी चेतावनी दे रही है कि अरे -अरे, तुम यह क्या कर रहे हो,इतना ' लोकतंत्र ' भी ठीक नहीं है और जरा उस अमित शाह से भी कहो कि गृहमंत्री होकर भी वह क्यों लोकतंत्र का इतना 'विकास' और ' विस्तार ' कर रहा है,क्यों वह आपके और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला रहा है? रोको उसे और खुद भी रुक जाओ। कदम पीछे की ओर ले जाओ।लोगों को सिखाओ कि पीछे की ओर देखे बिना कदमताल कैसे किया जाता है और इसे देशप्रेम कैसे समझा जाता है!
ये गिरेबान पकड़ने वाली बातें साझा मत किया करो बंधु, और गिरेबान पकड़ने की याद दिलाते हो तो यह बता दिया करो कि ये हकीकत नहीं, किस्से-कहानियाँँ हैं,लोककथाएँ हैं, गप हैं,ये वे सपने हैं,जो तब लोग देख लिया करते थे।ये सच नहीं था।तब भी यही निजाम था,अब भी यही है।आगे भी यही रहेगा।सच अगर कुछ है तो यही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 12 जुलाई। बीती रात महात्मा गांधी मार्केट पॉवर हाउस स्थित सुविधा लॉज से छावनी पुलिस द्वारा सेक्स रैकेट को पकड़ा गया, जिसमें लिप्त तीन महिलाएं एवं तीन पुरुष को गिरफ्तार किया गया है। इस अवैध कारोबार में लॉच का मैनेजर भी शामिल था। पुलिस द्वारा देह व्यापार से संबंधित सामग्री लॉज से जब्त की गई है ।
नगर पुलिस अधीक्षक विश्वास चंद्राकर ने बताया कि कल रात को मुखबिर से सूचना मिली कि महात्मा गांधी मार्केट स्थित सुविधा लॉज में देह व्यापार का कारोबार किया जा रहा है, जिसमें लॉज में काम करने वालों की भी संलिप्तता है। इस सूचना पर प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक डॉ. चित्रा वर्मा, छावनी थाना प्रभारी विनय सिंह बघेल शहीद थाने के पेट्रोलिंग बल द्वारा तत्काल दबिश दी गई।
सुविधा लॉज के मैनेजर अभिषेक धवल द्वारा लॉज में देह व्यापार का अवैध कारोबार करना स्वीकार किया गया। लॉज के कमरों की तलाशी के दौरान इस अवैध कारोबार में लिप्त तीन महिलाएं, एक ग्राहक, एक दलाल संदेहजनक अवस्था में पाए गए। जिनके पास से देह व्यापार से संबंधित सामग्री एवं व्यापार में अर्जित रकम बरामद किया गया। साथ ही लॉज के मैनेजर के काउंटर से भी देह व्यापार से संबंधित सामग्री एवं चिन्हित रकम बरामद किया गया।
पिछले कुछ समय से इस लॉज में देह व्यापार का होना आरोपियों द्वारा स्वीकार किया गया। अपराध करना पाए जाने पर 3 महिला एवं 3 पुरुष को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए आरोपियों में अभिषेक धवल (25) निवासी थाना बैकुरा पश्चिम बंगाल हाल मुकाम सीधा लाल जीबी रोड भिलाई, सनी चौधरी (19) निवासी जोन 3 दुर्गा मंदिर कबीर मंदिर चौक खुर्सीपार, खबीर शेख (39) ग्राम कबीलपुर थाना सागर बिगही जिला मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल हालमुकाम रिसाली मरोदा शीतला मंदिर बड़ा तालाब नेवई एवं तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया गया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 12 जुलाई। वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भिलाई टाउनशिप में रह रही बांग्लादेशी महिला को भिलाई नगर पुलिस ने कल रात को पकड़ा। विदेशी महिला द्वारा भारत का आधार कार्ड एवं पैन कार्ड भी बनाया गया है। विदेशी महिला के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
थाना प्रभारी त्रिनाथ त्रिपाठी ने बताया कि कल मुखबीर से सूचना मिली कि थाना भिलाई नगर क्षेत्र के सेक्टर 06 एवेन्यु डी. क्वाटर नं. 15 क्यु. में महिला रह रही है जो कि बांग्लादेशी है। तत्काल स्टाफ उप निरी. राजीव तिवारी एवं महिला आर. 579, 1328 एवं गवाह के साथ दबिश दी गई। देखा कि मकान में एक महिला निवास कर रही हैं। महिला ने अपना नाम ज्योति रसेल शेख पति मोहम्मद शेख (30) होना बताया।
ज्योति रसेल शेख से बारीकी से पूछताछ की गई, जिस पर उसके द्वारा मूल पासपोर्ट बांग्लादेश का पासपोर्ट नंबर बीक्यू0028107 जिस पर नाम शाहिदा खातून बांग्लादेश जन्मतिथि 1990 जारी दिनांक 21 अगस्त 2017 वैधता दिनांक 21 अगस्त 2022 पिता का नाम मोहम्मद अब्दुस सलाम खा, मां का नाम हुस्नेआरा बेगम, पति का नाम मोहम्मद रसेल पता बाला रघुनाथ नगर, झिकरगाछा लिखा है। इस पासपोर्ट से एक बार भारत के लिए वीसा जारी किया गया है एवं वीसा की समाप्ति की तारीख 13.09.2018 है। इस प्रकार वीसा समाप्ति के पश्चात भी भारत में रूकी हुई है।
ज्योति रसेल शेख के द्वारा भारत देश का नागरिकता के संबंध में आधार कार्ड नं. 363667141687 पेनकार्ड नंबर जेयूकेपीएस 7267 ई ज्योति रसेल शेख के नाम पर एवं इंडियन बैंक जुहु नगर नवी मुम्बई का बैंक पासबुक खाता क्र. 609946752 प्रस्तुत की, जिसे सबूत में लिया गया। ज्योति रसेल शेख उर्फ शाहिदा खातून के द्वारा बांग्लादेश का पासपोर्ट होते हुए एवं बांग्लादेश की नागरिकता रहते हुए भी भारत देश का आधार कार्ड , पेन कार्ड एवं इंडियन बैंक का पासबुक को अपने आपको भारत का नागरिक बताते हुए प्राप्त किया गया है। इसी प्रकार भारत का वैध वीसा दिनांक 13.09.2018 के समाप्ति के पश्चात भी भारत में निवास कर रही है। ज्योति रसेल शेख उर्फ शाहिदा खातून द्वारा अपने पास रखे भारत सरकार द्वारा जारी आधार कार्ड, स्थाई लेखा संख्या कार्ड, इंडियन बैंक जुहु नगर नवी मुम्बई का बैंक पासबुक खाता क्र. 609946752, अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है।
आरोपी का कृत्य धारा 420, 467, 468, 471 के तहत तथा भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1)ख तथा विदेशी विषयक अधिनियम धारा 14 के तहत अपराध का घटित करना पाया गया है। उसके खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।
सत्ता में होने का नशा सिर्फ उस पद पर बैठे नेता को ही नहीं होता, बल्कि उसका परिवार भी अपने आप को कानून से ऊपर समझता है। ऐसा ही एक ममला गुजरात से सामने आया है। यहां भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री के बेटे ने महिला कॉन्स्टेबल को धमकाते हुए कहा, ‘ मैं एक साल तक तुम्हें यहीं खड़ा रख सकता हूं।’ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कुमार कनानी के बेटे प्रकाश का एक ऑडियो भी वायरल हुआ है। वायरल ऑडियो में कथित तौर से प्रकाश महिला पुलिसकर्मी सुनीता यादव को धमकाते हुए सुनाई दे रहा है। यह भी खबर है कि महिला पुलिस अधिकारी ने इससे परेशान होकर इस्तीफा दे दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महिला कॉन्स्टेबल सुनीत यादव ने बीते बुधवार की रात सूरत के मानगढ़ चौक के पास बीजेपी मंत्री के बेटे प्रकाश और उनके दोस्तों को कर्फ्यू के नियमों का उल्लंघन कर घूमने के आरोप में रोका था। मंत्री जी के बेटे ने मास्क भी नहीं लगाया था जिसपर सुनीता ने उनसे सवाल पूछे। जनसत्ता की खबर के मुताबिक प्रकाश का एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें वो यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि ‘मेरे पास पावर है। 365 दिन तक तुम्हें यहीं खड़ा कर सकता हूं। इसके बाद महिला कॉन्स्टेबल प्रकाश को कड़ा जवाब देते हुए कहती हैं कि वो उनके या उनके पिता की नौकरानी नहीं हो जो वो उन्हें एक साल तक यहां खड़ा कर सकते हैं।’
खबरों के मुताबिक कॉन्स्टेबल सुनीता इस पूरे घटना की जानकारी अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को भी देती हैं। इस क्लिप में कथित तौर पर वो अपने अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को फोन पर इस घटना के बारे में सूचना देती सुनाई दे रही हैं। वो अपने सीनियर पुलिसकर्मी को बताती हैं कि उन्होंने रात के वक्त कर्फ्यू तोड़ कार से घूम रहे 5 लोगों को रोका है। इनमें विधायक कनानी के बेटे भी हैं। वो कहती हैं कि प्रकाश उन्हें धमकी दे रहे हैं और गालियां दे रहे हैं। लेकिन सुनीत के सीनियर ने उनसे कहा कि वो वहां से चली जाएं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जुलाई। राजनांदगांव जिले में कोरोना के 10 नए मरीज मिले हैं। नए मरीजों में सर्वाधिक 6 पैरामिलिट्री फोर्स आईटीबीपी के जवान समेत एक रुरल मेडिकल अफसर व तीन क्वॉरंटीन सेंटर के ग्रामीण शामिल हैं।
मिली जानकारी के अनुसार देर रात को जारी मेडिकल रिपोर्ट में जिले के सोमनी स्थित आईटीबीपी के क्वॉरंटीन सेंटर के 6 जवान कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं। वहीं मोहला में पदस्थ आरएचओ व क्वॉरंटीन सेंटर के दो ग्रामीण कोरोनाग्रस्त मिले हैं।
बताया जाता है कि डोंगरगांव के एक क्वॉरंटीन सेंटर का एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया गया है। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि आज मिले नए मरीजों को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज लाया गया है।
32 सीआरपीएफ, 8 आईटीबीपी जवान संक्रमित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। रायपुर जिले में आज दोपहर 65 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें बाराडेरा सीआरपीएफ कैम्प से 32 जवान और आईटीबीपी आरंग में 8 जवान पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा विदेश से आए 6 लोग भी संक्रमित पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर हेल्थ टीम सभी मरीजों तक पहुंचने में लगी है, ताकि उससे जुड़ी और भी जानकारी सामने आ सके। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि की है।
सीआरपीएफ कैंप, तुलसी, बाराडेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 जुलाई। कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. रेणु जोगी के प्रतिनिधि डॉ. ओमप्रकाश अग्रवाल ने आज मरवाही में प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल के समक्ष कांग्रेस प्रवेश कर लिया।
मरवाही उप-चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने यहां पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिये जनसम्पर्क बढ़ा दिया है। इसी क्रम से 10 जुलाई से पंचायतों में चाय-चौपाल कार्यक्रम भी रखे जा रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम पार्टी की ओर से तय किया गया है पर इसका स्वरूप शासकीय आयोजन की तरह देकर जनपद पंचायतों को व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया गया है। इसी के तहत मरवाही में आयोजित आज एक कार्यक्रम में मंत्री अग्रवाल के समक्ष कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रतिनिधि व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के स्थानीय नेता ओमप्रकाश अग्रवाल (बंका) ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे बीते 10 वर्षों से डॉ. रेणु जोगी के विधायक प्रतिनिधि थे और इस परिवार के करीबियों में शामिल हैं।
पत्रकारिता के मौलिक सिद्धांतों का अंतिम संस्कार !
-रवीन्द्र वाजपेयी
वर्ष 2002 में जुलाई महीने की 28 तारीख थी। एक दिन पहले उस समय के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का निधन हो गया था। उनके दिल्ली स्थित आवास पर विशिष्ट जनों का आना-जाना लगा था। अंतिम यात्रा की तैयारियां चल रही थीं। अखबारी संवाददाताओं के अलावा टीवी चैनलों के रिपोर्टर आँखों देखा हाल देश और दुनिया तक पहुँचाने के लिए कैमरामैन के साथ जुटे थे। और वहां आती जा रही विशिष्ट हस्तियों द्वारा दिवंगत उपराष्ट्रपति के प्रति व्यक्त की जा रही श्रद्धांजलि को प्रसारित करते जा रहे थे। इसी दौरान एक चैनल के एंकर ने स्टूडियो से अपने रिपोर्टर को कहा जरा हमारे दर्शकों को ये भी दिखलाइये कि वहां का माहौल कैसा है? और रिपोर्टर ने भी कैमरा घुमा-घुमाकर उदास चेहरे दिखलाते हुए बताया कि सभी लोग गमगीन हैं।
बात आई-गई हो गई
लेकिन उसके बाद जनसत्ता नामक अखबार के प्रधान संपादक स्व. प्रभाष जोशी ने अपने साप्ताहिक स्तंभ कागद कारे में उक्त टीवी चैनल के एंकर की जबरदस्त खिंचाई करते हुए कटाक्ष किया कि जिस घर में किसी की लाश रखी हो और अंतिम यात्रा की तैयारियां चल रही हों वहां का माहौल कैसा होगा, ये भी क्या पूछने की चीज है? प्रभाषजी किसी भी विषय पर अपनी बात बहुत ही दबंगी से रखते थे । उस दौर में अखबार और टीवी समाचार चैनलों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी थी। ऐसे में प्रथम दृष्टया ये माना गया कि जोशी जी ने उस बहाने टीवी पत्रकारिता पर प्रहार किया जो कि व्यावसायिक प्रतिद्वन्दिता का हिस्सा कहा जा सकता था। लेकिन कालान्तर में ये बात खुलकर सामने आ गई कि टीवी पत्रकारिता के आने के बाद समाचारों के संकलन और प्रस्तुतीकरण में दायित्वबोध और सम्वेदनशीलता का अभाव होने लगा है। सबसे पहले और केवल हमारे चैनल या पत्र में जैसे दावों के बीच समाचार को भी बाजार की वस्तु बना दिया गया है।
ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जिस तरह फिल्म निर्माता बॉक्स आफिस पर हिट होने के लिए फिल्म में अश्लीलता, हिंसा और सनसनी का सहारा लेते हैं, उसी तरह अब समाचार माध्यम विशेष रूप से टीवी समाचार चैनल भी समाचार के जरिये अपनी टीआरपी बढ़ाने का प्रयास करने लगे हैं। देखा-सीखी अखबार जगत के भी सरोकार बदलते जा रहे हैं।
गत दिवस इसका एक और उदाहरण सामने आया। हुआ यूं कि कानपुर के कुख्यात गुंडे विकास दुबे की एनकाउंटर में हुई मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार हो रहा था। श्मसान भूमि में विकास की पत्नी भी मौजूद थी। पत्रकारगण भी वहां फोटोग्राफरों के साथ जा पहुंचे। विकास दुबे के मारे जाने के बाद उसका क्रियाकर्म विशुद्ध पारिवारिक विधि थी। यदि वह कोई विशिष्ट व्यक्ति होता जिसकी अंत्येष्ठि राजकीय सम्मान के साथ हो रही होती तब वह समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण था। लेकिन न जाने किस उद्देश्य से समाचार जगत के लोग श्मसान भूमि में अंतिम संस्कार वाली जगह पर झुण्ड बनाकर खड़े हो गए। जब विकास की पत्नी ने उनसे जाने के लिए कहा तब उसे सामने आकर अपनी शिकायत बताने जैसी बातें कही गईं, जिस पर वह बिफर उठी और उसके बाद उसने तेज आवाज में जमकर खरी-खोटी सुनाई जिसमें अनेक ऐसी बातें हैं जिनका उल्लेख शोभा नहीं देता। वैसे विभिन्न चैनलों पर उसके वीडियो मौजूद हैं।
मुझे लगता है उस महिला ने जो कहा, उस हालात में कोई दूसरा भी होता तो समाचार संकलन करने गए लोगों को हो सकता है उससे भी तीखी जुबान में झिडक़ता।
विकास दुबे को लेकर बीते दिनों जो भी घटनाक्रम घटित हुआ उसकी वजह से उप्र की योगी सरकार, राज्य की पुलिस-प्रशासन और राजनीतिक बिरादरी तो सवालों के घेरे में है ही लेकिन अनायास समाचार माध्यम भी आलोचनाओं का शिकार हो गए जिनके प्रतिनिधि अति उत्साह में श्मसान पत्रकारिता करने जा पहुंचे और बेइज्जत होकर लौटे। विकास की पत्नी से बातचीत कतई गलत नहीं थी। परन्तु उसके लिए क्या इन्तेजार नहीं किया जाना चाहिए था? ज्यादा न सही कम से कम उसके घर लौटने तक तो रुका ही जा सकता था ।
गत वर्ष एक प्रसिद्ध टीवी चैनल की तेज तर्रार एंकर अपनी टीम लेकर पटना के एक बड़े सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में घुसकर वहां व्याप्त अव्यवस्था को लाइव दिखाते हुए एक चिकित्सा कर्मी से उलझ गईं । उसने कहा भी कि कृपया डाक्टर से बात करें लेकिन रिपोर्टर ने रौब झाडऩा जारी रखा। उल्लेखनीय है उस समय चमकी बुखार नामक संक्रामक बीमारी के कारण सैकड़ों मरीज वहां भर्ती थे। और बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित था। बाद में उक्त रिपोर्टर की बिना अनुमति आईसीयू वार्ड में कैमरामैन सहित घुसने के लिए काफी आलोचना हुई।
लेकिन संभवत: भारतीय पत्रकारिता में ये पहला उदाहरण होगा जब श्मसान भूमि में अपने पति की लाश के बगल में खड़ी उसकी पत्नी से अपेक्षा की जा रही थी कि वह संवाददाताओं से मुखातिब होकर कैमरों के समक्ष पति की एनकाउंटर में हुई मौत के बारे में बतियाए। उसने गुस्से में उन सबको वहां से जाने के लिए कहा भी किन्तु उसके बाद भी कोई टस से मस नहीं हुआ।
पत्रकारिता के अपने अनुभव और वरिष्ठों से मिले ज्ञान के आधार पर मुझे लगता है कि पत्रकारिता के भीतर घुस आई जबरिया मानसिकता का भी एनकाउंटर किया जाना जरूरी है। पैपराजी कहलाने वाली फोटोग्राफरों की एक प्रजाति पूरी दुनिया में है। इनका काम विशिष्ट हस्तियों के निजी जीवन में ताक-झाँक करना होता है। टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ अपने बहुमंजिला निवास की छत पर बने स्वीमिंग पूल के किनारे कम कपड़ों में धूप ले रही थी। पैपराजी समूह ने हेलीकाप्टर किराये पर लेकर उनके चित्र खींचकर महंगे दाम में बेचे। कहा जाता है ब्रिटेन के युवराज चाल्र्स की पहली पत्नी डायना अपने पुरुष मित्र के साथ कार में जा रही थीं। पैपराजी उसके पीछे अपनी कार दौड़ा रहे थे क्योंकि वह फोटो उनके लिए लिए सोने का अंडा होती। उनसे बचने की लिए डायना के ड्रायवर ने कार की गति बढ़ाई। नतीजा कार दुर्घटना और डायना के मित्र सहित मारे जाने के रूप में सामने आया।
आज भारत में भी पैपराजी संस्कृति की पत्रकारिता ने पदार्पण कर लिया है। जिसमें किसी की भी निजता में अतिक्रमण करना अपना अधिकार मान लिया जाता है।
समय के साथ वाकई बहुत कुछ बदलता है। मर्यादाएं भी नए सिरे से परिभाषित होती हैं। लेकिन पत्रकारिता के जो मौलिक सिद्धांत हैं उनको यदि तिलांजलि दे दी गई तब वह अपनी उपयोगिता और सार्थकता दोनों खो बैठेगी। उसकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता तो पहले से ही सवालों के घेरे में आ चुकी हैं। ऐसे में विकास दुबे के अंत्येष्ठि स्थल पर जाकर उसकी पत्नी से बात करने की कोशिश में जो फजीहत हुई वह रोजमर्रे की बात बनते देर नहीं लगेगी।
बेहतर हो पत्रकारिता आत्मावलोकन करे कि खुद को पेशेवर साबित करने के लिए किसी के शोक का व्यवसायीकरण करना कहाँ तक उचित है?
भोपाल, 12 जुलाई। राजस्थान में सियासी उठा पठक के बीच एमपी में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी भी पार्टी छोड़ दिया है। लोधी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने से पहले प्रद्युमन सिंह लोधी पूर्व सीएम उमा भारती से मिलने उनके आवास पर गए थे।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कहा है कि हम विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी को सीएम शिवराज सिंह से मिलवाने ले जा रहे हैं। सीएम आवास में प्रद्युमन सिंह लोधी ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मिठाई खिलाई है। सदस्यता ग्रहण करते वक्त सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद थे।
सदस्यता ग्रहण करने के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लोधी को मिठाई खिलाई है। चर्चा है कि लोधी को भी राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके साथ ही कांग्रेस के अन्य भी कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।
बुंदेलखंड में झटका
2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मलहरा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ललिता यादव और कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) के बीच मुकाबला था। यहां कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) ने जीत दर्ज की थी। बुंदेलखंड में कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उमा भारती यहां से लड़ती थीं चुनाव
2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तब वह बड़ा मलहरा सीट से ही विधायक चुनी गईं थीं। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा और आठ महीने बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी।
पहले ही आ चुके हैं 22 विधायक
लोधी से पहले भी कांग्रेस के 22 विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। 22 में से 12 लोग शिवराज कैबिनेट में मंत्री बन चुके हैं। लोधी को लेकर अब तक 23 विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोग पार्टी छोड़ सकते हैं। (navbharattimes.indiatimes.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। राजधानी रायपुर के अग्रसेन चौक से तेलघानी नाका के बीच आज सुबह डामर सडक़ करीब 10 फीट लंबी धसक गई और यहां करीब 5-6 फीट तक गहरा गड्ढ़ा बन गया। हालांकि सडक़ धसने के दौरान किसी तरह के हादसे की खबर नहीं है। दूसरी तरफ निगम पीडब्ल्यूडी ठेकेदार द्वारा इसकी मरम्मत शुरू करा दी गई है, लेकिन सडक़ निर्माण को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
तात्यापारा वार्ड पार्षद, एमआईसी सदस्य रितेश त्रिपाठी का कहना है कि सडक़ धसने की खबर उसे सुबह लगी। उन्होंने तुरंत मौके पर जाकर एक गार्ड को वहां तैनात किया, ताकि कहीं कोई हादसा न हो। दूसरी तरफ उन्होंने निगम जोन-7 कमिश्नर विनोद पांडेय को फोन पर इसकी जानकारी दी। जोन कमिश्नर के निर्देश पर ठेकेदार ने यहां मरम्मत का काम शुरू कराया और शाम तक करीब यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
अब इस सडक़ को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि भाजपा शासनकाल में यह सडक़ बनी है। नीचे पाईप लाइन की जगह मुरम-गिट्टी ठीक से ना डालने की वजह से यह सडक़ धस गई है। जांच में इस सडक़ को लेकर और कई गड़बड़ी सामने आ सकती है।
स्वास्थ्य विभाग का मामला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में सफाई का ठेका निरस्त कर दिया गया है। करीब 40 करोड़ के इस ठेके में अनियमितता की शिकायत आई थी और सरकार ने जांच कमेटी भी बना दी थी। मगर जांच रिपोर्ट आने से पहले ही ठेका निरस्त कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में सफाई ठेका निरस्त होने की पुष्टि की है। हालांकि ठेके में अनियमितता की गंभीर शिकायत आई थी और इसकी जांच भी हो रही है। मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला प्रकरण की जांच कर रही हैं। डॉ. शुक्ला ने अभी जांच पूरी नहीं की है और ठेके से जुड़े अफसरों को जवाब तलब किया था। चर्चा है कि पहली नजर में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर सरकार ने ठेका निरस्त कर दिया है।
बताया गया कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों, नर्सिंग और आयुष के अस्पतालों में सफाई के लिए एक साथ टेंडर बुलाए गए थे। चर्चा है कि विभाग से जुड़े लोगों ने पसंदीदा ठेकेदार को ठेका दिलाने की नीयत से कुछ शर्तों को बदल दिया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से इसकी शिकायत हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय सचिव से इस पूरे मामले पर जानकारी चाही थी। गड़बड़ी के बाद अब ठेका निरस्त कर दिया गया है।
जानकारी मिली है कि सफाई के लिए नए सिरे से टेंडर बुलाए जा रहे हैं। इसमें नियम शर्तों को ठीक किया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे, इसकी कोशिश भी हो रही है।
मदनवाड़ा नक्सल हमले की 11वीं बरसी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जुलाई। बारह जुलाई 2009 को मानपुर क्षेत्र के कोरकोट्टी-मदनवाड़ा नक्सल हमले की 11वीं बरसी पर शहीदों को याद करते लोगों के चेहरे में गम और दर्द नजर आया। परिजनों की आंखों में शहादत की घटना को याद करते आंखे भर आई। पुलिस महकमे के सालाना इस दिन होने वाले आयोजन में आज शहीद जवानों के परिजनों के अलावा राजनीतिक एवं गैरराजनीतिक लोगों ने उनकी वीरता को याद किया। 11 साल पहले नक्सलियों के हमले में पूर्व एसपी स्व. विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे।
स्थानीय पुलिस लाइन में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में स्व. चौबे समेत जवानों को नमन करते हुए उनके हौसलों को सलाम किया। इस मौके पर शहीदों के परिजनों को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। नक्सल मोर्चे पर शहीद हुए स्व. चौबे ने बतौर एसपी रहते नक्सल मांद में जा घुसे। नक्सलियों से लड़ते हुए स्व. चौबे समेत 29 जवानों को शहादत झेलनी पड़ी।
इधर आज हुए शहादत कार्यक्रम में अधिकारियों ने स्व. चौबे और जवानों की शौर्य गाथा को याद करते हुए उनके वीरता का बखान किया। इधर पुलिस लाइन स्थित जवानों की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। परिजनों को सम्मानित किया गया।
आयोजन में महापौर हेमा देशमुख, विधायकद्वय इंद्रशाह मंडावी, छन्नी साहू, पूर्व महापौर मधुसूदन यादव, पूर्व महापौर सुदेश देशमुख, शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा, कांग्रेस महिला शहर अध्यक्ष रोशनी सिन्हा, पूर्व महापौर शोभा सोनी, सुनीता फडऩवीस, संतोष पिल्ले, मोहन साहू, दुर्ग रेंज आईजी विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर टीके वर्मा, एसपी जितेन्द्र शुक्ला, एएसपी गोरखनाथ बघेल, सीएसपी एमएस चंद्रा, कोतवाली प्रभारी विरेन्द्र चतुर्वेदी, समेत बड़ी संख्या में शहीद जवानों के परिजन और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।
रक्तदान और वृक्षारोपण
शहादत दिवस पर स्थानीय पुलिस लाइन में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में पुलिस जवानों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। बताया गया है कि रक्तदान में स्वस्फूर्त रूप से जवानों ने रूचि ली। इधर पुलिस लाइन में ही शहीदों की याद में पौधरोपण किया गया। वृक्षारोपण के दौरान अलग-अलग पौधों का भी रोपण किया गया।
अस्वस्थ चौबे की पत्नी कार्यक्रम में नहीं पहुंची
स्व. विनोद चौबे की धर्मपत्नी रंजना चौबे पुलिस लाइन में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सेहत खराब होने के कारण नहीं पहुंची। बीते 10 साल से वह लगातार कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेष रूप से पहुंचती रही है। बताया गया है कि पुलिस के आलाधिकारियों ने उनसे कार्यक्रम में उपस्थित होने की गुजारिश की, तो उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर कार्यक्रम में नहीं आने की जानकारी दी। बताया जा रहा है कि हर साल स्व. चौबे और 29 जवानों की शहादत दिवस पर श्रीमती चौबे की उपस्थिति का महकमे को भी इंतजार रहता है। बताया जा रहा है कि उनसे एसपी जितेन्द्र शुक्ला समेत अन्य अधिकारियों ने कार्यक्रम में मौजूद होने की गुजारिश की।
एमपी पुलिस ने गलत बताया
नई दिल्ली, 12 जुलाई। आठ पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यूपी एसटीएफ की कई थ्योरीज सवालों के घेरे में है। भले ही सरकार और पुलिस के तमाम दावे सवालों के घेरे में हों, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विकास ने कानपुर में भागने का प्रयास किया था और इसके बाद ही उसके फायरिंग करने पर पुलिस ने गोली चलाई।
इन सबसे इतर एसटीएफ के एक अधिकारी ने टाईम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि विकास दुबे को एमपी पुलिस के जवान उनके पास एक दूसरे थाने से बाइक पर लेकर आए थे। एमपी में भी एसटीएफ के पास पहुंचने पर विकास ने भागने का प्रयास किया था, लेकिन उसे पकड़ लिया गया।
विकास को लेने के लिए एमपी गई यूपी एसटीएफ टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महाकाल मंदिर में विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ऐक्टिव हो गई थी। एमपी पुलिस ने उन्हें उज्जैन के एक पुलिस स्टेशन में विकास को लेने के लिए बुलाया था। इस फोन कॉल के बाद विकास दुबे को लेने एसटीएफ अधिकारी उज्जैन के थाने पर पहुंचे।
एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि जब यूपी की टीम एमपी पुलिस के बुलावे पर थाने में पहुंची तो वहां तैनात लोगों ने कहा कि विकास को एक दूसरे थाने में रखा गया है, लेकिन उसे यहां ले आया जा रहा है। थाने के लोगों ने एसटीएफ टीम को इंतजार करने के लिए कहा। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने देखा कि थाने का एक सिपाही मोटरसाइकल के जरिए विकास दुबे को दूसरे थाने से लेने के लिए निकला।
एसटीएफ अधिकारी ने दावा किया कि विकास को एमपी पुलिस का अधिकारी दूसरे थाने से बाइक पर लेकर हमारी मौजूदगी वाले थाने पर आया। यहां पहुंचने पर विकास ने बाइक से उतरकर भागने की कोशिश की। लेकिन इसी बीच थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे दौड़ाकर पकड़ लिया। पुलिसकर्मियों के पकड़ते ही विकास ने उन जवानों को भद्दी गालियां दीं।
एसटीएफ अधिकारियों के इस दावे को एमपी पुलिस के अफसरों ने गलत बताया। एमपी के पुलिस अफसरों ने कहा कि ना विकास दुबे को एमपी में बाइक से किसी थाने से लाया या ले जाया गया और ना ही उसने यहां भागने का प्रयास किया।
एसटीएफ अधिकारियों ने कहा कि विकास दुबे को बाइक पर लाने के बाद उसने भागने का प्रयास किया था। इसे देखते हुए बाद में उसे पूरी सुरक्षा के बीच एसयूवी में ले जाने की व्यवस्था की गई। इसके बाद एक एसयूवी में विकास दुबे को लेकर पुलिस अधिकारी एमपी से यूपी के लिए रवाना हुए।
एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि विकास दुबे को लेकर निकली एसटीएफ टीम शिवपुरी में एक स्थान पर एसयूवी के पहिये में हवा का प्रेशर चेक कराने के लिए कुछ देर के लिए रुकी। वाहन रुका देख विकास ने फिर भागने का प्रयास किया। हालांकि इस दौरान एसटीएफ की मौजूदगी में ऐसा नहीं हो सका।
विकास दुबे के इस मुठभेड़ में घायल होने के बाद उसे तत्काल हैलट अस्पताल भेजा गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद विकास दुबे को ला रही पुलिस टीम का वाहन कानपुर के भौती हाइवे के पास पलट गया। पुलिस का कहना है कि विकास ने इस दौरान एसटीएफ के एक घायल अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसके बाद जवानों ने उसे सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन विकास ने इस पर फायरिंग कर दी। इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए उस पर भी गोलीबारी की गई।
एमपी पुलिस के अफसरों का कहना है कि विकास दुबे ने शिवपुरी में भी भागने की कोशिश की, ये दावा सही नहीं है। बल्कि एसटीएफ ने ऐसा कहा है कि विकास ने यहां भागने का प्रयास किया था। (navbharattimes.indiatimes.com)
वशिंगटन, 12 जुलाई । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुख्य रणनीतज्ञ स्टीव बैनन ने दावा किया है कि चीन के वुहान लैब के एक्सपर्ट पश्चिमी खुफिया इंटेलिजेंस के साथ आकर मिल गए हैं। उन्होंने कहा है कि इनकी मदद से एजेंसियां पेइचिंग के खिलाफ इस बात का केस तैयार कर रही हैं कि कोरोना महामारी वुहान की वायरॉलजी लैब से लीक हुई थी और उसे छिपाना हत्या के बराबर है। द मेल से बातचीत में बैनन ने यह खुलासा किया है। इससे पहले हॉन्ग-कॉन्ग की एक एक्सपर्ट भी इस बात का आरोप लगाकर वहां से भाग निकली हैं कि कोरोना वायरस के बारे में चीन और डब्ल्यूएचओ को पहले पता चल गया था लेकिन उन्होंने इसे छिपाकर रखा।
वहीं, बैनन ने पश्चिमी देशों से अपील की है कि वे एक साथ मिलकर चीन के कू्रर और सत्तावादी शासन को हटाने के लिए काम करे। उन्होंने दावा किया है कि चीन से भागे हुए कुछ लोग एफबीआई (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वुहान में क्या हुआ था। उन्होंने दावा किया, वे अभी मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं लेकिन वुहान और दूसरे लैब के लोग पश्चिम आए हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ सबूत दे रहे हैं। मुझे लगता है लोग हैरान रहने वाले हैं। बैनन ने दावा किया है कि चीन और हॉन्ग-कॉन्ग से फरवरी के बाद से लोग आ रहे हैं और अमेरिका कानूनी केस तैयार कर रहा है जिसमें वक्त लग सकता है।
अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल में शामिल रह चुके बैनन ने कहा कि जासूस यह केस तैयार कर रहे हैं कि चीन के लैब में स््रक्रस्-जैसे वायरसों की वैक्सीन और दवा तैयार करने के एक्सपेरिमेंट के दौरान वहां से वायरस लीक हो गया। उन्होंने आशंका जताई है कि लैब में ऐसे खतरनाक एक्सपेरिमेंट किए जा रहे थे जिनकी इजाजत नहीं थी और वायरस किसी इंसान के जरिए या गलती से लैब से बाहर आ गया। उन्होंने दावा किया है कि डिफेक्टर्स अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि खुफिया एजेंसियों के पास इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस है और लैब में जाने वालों की जानकारी है जिससे अहम सबूत मिले हैं।
बैनन ने यह भी कहा है कि चाहे वायरस वुहान के वेट मार्केट से फैला हो या लैब से निकला हो, इसके फैलने के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने जैसे इसे छिपाया है, वह हत्या के बराबर है। उन्होंने कहा कि ताइवान ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसबंर को बताया था कि हुबेई प्रांत में कई महामारी फैल रही है। पेइचिंग की सीडीसी ने इस बारे में जानकारी छिपाकर अमेरिका के साथ जनवरी में ट्रेड डील करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, अगर वे दिसंबर के आखिरी हफ्ते में सच्चाई बताते तो 95 प्रतिशत जानें और आर्थिक नुकसान को बचाया जा सकता था। बैनन ने दावा किया कि इस बीच चीन ने दुनियाभर का प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जमा कर लिया। (navbharattimes.indiatimes.com)
मौतें-17, एक्टिव-810, डिस्चार्ज-3070
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज 39 सौ के करीब पहुंच गए हैं। बीती रात मिले 65 नए पॉजिटिव के साथ प्रदेश में इनकी संख्या 38 हजार 97 हो गई है। इसमें 17 की मौत हो चुकी है। 810 एक्टिव हैं, जो अलग-अलग कोरोना अस्पतालों में भर्ती हैं। दूसरी तरफ ठीक होकर 3 हजार 70 मरीज अपने घर भी लौट चुके हैं, सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं और रायपुर जिले में उनका यह आंकड़ा 638 पर पहुंच चुका है, जिसमें से 296 एक्टिव हैं। इसी तरह नांदगांव, बलौदाबाजार, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा में भी कोरोना मरीजों की संख्या बाकी जिलों की तुलना में अधिक है। बस्तर के सभी जिलों में मरीजों के आंकड़े फिलहाल सौ के भीतर ही हैं। बाकी की जांच-पहचान चल रही है।
जारी रिपोर्ट के मुताबिक बीती रात रायपुर जिले में सबसे अधिक 36 नए पॉजिटिव पाए गए। बस्तर से 9, बिलासपुर से 6, कोरिया से 4, सरगुजा से 3, कोरबा व नारायणपुर से 2-2 एवं कांकेर, धमतरी, दुर्ग से 1-1 मरीज शामिल रहे। ये सभी मरीज एम्स समेत आसपास के कोरोना अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। उनके आसपास या संपर्क में आने वालों की पहचान जारी है।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाकर रखना जरूरी है, लेकिन कहीं ना कहीं चूक हो रही है और बीमारी फैल रही है। रायपुर में सबसे अधिक मरीज मिल रहे हैं। इसके अलावा कोरबा, नांदगांव, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा में भी मरीजों के आंकड़े ज्यादा हैं। उनका मानना है कि प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं।
मुंबई, 12 जुलाई (वार्ता)। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन के कोरोना संक्रमित होने के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने उनके आवास ‘जलसा’ को रविवार को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया।
महानायक और उनके पुत्र ने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी खुद शनिवार देर रात अलग-अलग ट््वीट कर दी थी। दोनों को कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद उपचार के लिए नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बीएमसी के कर्मचारी आज सुबह श्री बच्चन के आवास जलसा को सेनिटाइज करने पहुंचे।
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निगम की तरफ से जलसा को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने के बाद घर के बाहर पोस्टर भी चिपका दिया गया है।
नानावती अस्पताल के अनुसार, अमिताभ बच्चन को वायरस के हल्के लक्षण हैं और उनकी हालत स्थिर है। वह फिलहाल अस्पताल की आइसोलेशन इकाई में हैं। अस्पताल सूत्रों बताया कि अमिताभ की सेहत को लेकर फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है।
इससे पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया था कि दोनों की हालत स्थिर है और चिंता की कोई बात नहीं है। श्री टोपे ने कहा, अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन में हल्के लक्षण हैं। कोविड-19 के रैपिड एंटीजेन टेस्ट में दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और दोनों को नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अमिताभ की पत्नी सांसद जया बच्चन और बहू अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन की कोरोना जांच नेगेटिव आई है।
मुंबई, 12 जुलाई (वार्ता)। अभिनेता अनुपम खेर की मां, भाई, भाभी और भतीजी कोरोना संक्रमित हैं जबकि वह संक्रमण से पीडि़त नहीं हैं।
श्री खेर ने रविवार को स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, मेरी मां दुलारी कोरोना पॉजिटिव हो गई हैं और उन्हें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं। हमने उन्हें उपचार के लिये कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया है।
श्री खेर ने लिखा, पूरे ऐहतियात बरतने के बावजूद मेरा भाई, भाभी और भतीजी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्हें भी वायरस के मामूली लक्षण हैं। मैंने भी अपनी कोरोना जांच कराई जो नेगेटिव आई है।
अभिनेता ने कहा इस संबंध में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को सूचना दे दी गई है।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस देश के आठ केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक 1,24,680 लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है, जो देश में अब तक इस संक्रमण से प्रभावित हुई देश की कुल आबादी का लगभग 14.68 प्रतिशत है।
केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से सबसे बुरी स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है, यहां पर इस संक्रमण से अब तक 110921 लोग संक्रमित हुए हैं। इसके बाद इस जानलेवा विषाणु ने सबसे अधिक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 10156 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है। वहीं पुड्डुचेरी में 1337, लद्दाख में 1077, चंडीगढ़ में 555,दादर-नगर हवेली और दमन-दीव में 441 और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 163 लोग इससे संक्रमित हुए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 28637 नये मामले सामने आए हैं जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढक़र 849553 हो गई है। देश में अब तक इस महामारी से 22,654 लोगों की मौत हुई है तथा 534621 लोग स्वस्थ हुए हैं। देश में इस समय कोरोना वायरस के 2,92258 सक्रिय मामले हैं।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है और पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड साढ़े 28 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 8.50 लाख के करीब पहुंच गया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 28,637 नये मामले सामने आये हैं जो एक दिन में सर्वाधिक है और इससे संक्रमितों की संख्या 8,49,553 हो गई है। पिछले तीन दिन से लगातार 26 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। शनिवार को 27,114 और शुक्रवार को 26,506 नये मामले सामने आए थे।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों कह संख्या भी लगातार बढ़ रही है। पिछले 24 घंटों के 19,235 रोगी स्वस्थ हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,34,621 रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 2,92,258 सक्रिय मामले हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 551 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 22,674 हो गई है।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संंक्रमण के सर्वाधिक 8,139 नए मामले दर्ज किए गए जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,46,600 पर पहुंच गया है। राज्य में इस अवधि के दौरान 223 लोगों की मौत हुई है जिसके कारण मृतकों की संख्या बढक़र 10,116 हो गयी है। वहीं 1,36,985 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 33,965 बढक़र 1,34,226 पर पहुंच गये हैं और इसी अवधि में 69 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 1,898 हो गयी है। राज्य में 85,915 लोगों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,10,921लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3,334 हो गई है। यहां 87,692 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में संक्रमितों का आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच गया है और अब तक 40,941 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,032 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 28,649 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
दक्षिण के राज्य कर्नाटक में 36,216 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 613 लोगों की इससे मौत हुई है। राज्य में 14,761 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 35,092 मामले सामने आए हैं तथा इस वायरस से 913 लोगों की मौत हुई है जबकि 22,689 मरीज ठीक हुए हैं।
दक्षिण के एक और राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। तेलंगाना में संक्रमितों की संख्या 33,402 हो गयी है और 348 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 20,919 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके है।
पश्चिम बंगाल में 28,453 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 906 लोगों की मौत हुई है और अब तक 17,959 लोग स्वस्थ हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित की सूची में राजस्थान से ऊपर आ गया है। राज्य में 27,235 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 309 हो गयी है। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 23,748 हो गयी है और अब तक 503 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 17,869 लोग पूरी तरह ठीक हुए है। हरियाणा में 20,582 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 297 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 644, पंजाब में 195, जम्मू-कश्मीर में 169, बिहार में 131, ओडिशा में 61, उत्तराखंड में 46, असम में 35, केरल में 29, झारखंड में 23, पुड्डुचेरी में 18, छत्तीसगढ़ में 17, गोवा में 12 , हिमाचल प्रदेश में 11, चंडीगढ़ में सात, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में दो तथा लद्दाख में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
-महेन्द्र पांडे
हाल में ही भारत सरकार ने चीन के एप्प्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को देश की अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर देश में प्रतिबंधित कर दिया है। ऐसा कोई उदाहरण अब तक नहीं सामने आया है, जिससे पता चलता हो कि ये एप्प्स और सोशल मीडिया प्लेटफोर्म्स किसी भी तरह से देश की अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर धावा बोल रहे थे। दूसरी तरफ, जनता के बीच दिनभर फेक न्यूज और जहर उगलते फेसबुक और इन्स्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती।
हाल में ही रंगभेद के विरोध में चल रहे आन्दोलनों के बीच फेसबुक और इन्स्टाग्राम के बहिष्कार और इसे विज्ञापन न देने की आवाज अमेरिका से उठी है और अब भारत छोड़कर पूरी दुनिया पर इसका असर देखा जा रहा है। इस मुहीम को अमेरिका के अनेक मानवाधिकार संगठनों ने सम्मिलित तौर पर शुरू किया है और इसे “स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट” का नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत फेसबुक पर अपने विज्ञापन चलाने वाली कंपनियों से आग्रह किया गया है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुलाई के महीने में विज्ञापन ना दें और इसके बहिष्कार की भी मांग की गई है।
स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट के तहत जुलाई शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 800 अमेरिकी कंपनियों ने फेसबुक को विज्ञापन देना बंद कर दिया है। इनमें फोर्ड, होंडा, लेविस स्ट्रास, टारगेट, युनिलिवर और एडीडास जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। पेट्रोलियम कंपनी बीपी अभी इस संबंध में विचार कर रही है। यूरोप में वोक्सवैगन, हौंडा यूरोप, रोबिनसन, फोर्ड यूरोप, मार्स और ईडीएफ जैसी कंपनियों ने भी विज्ञापन देना बंद कर दिया है।
सेंटर कोउंटरिंग डिजिटल हेट के चीफ एग्जीक्यूटिव इनोरन अहमद ने यूरोपीय कंपनियों से इस मुहीम में शामिल होने का आह्वान किया है। उनके अनुसार फेसबुक को अमेरिका में राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, पर यूरोप के अधिकतर देश तो इसे गंभीर समस्या मानते हैं, इसलिए यूरोपीय कंपनियों की इस मुहीम में व्यापक भागीदारी होनी चाहिए।
यूनाइटेड किंगडम के 37 मानवाधिकार संगठनों ने ब्रिटिश कंपनियों से भी इस मुहीम में शामिल होने का आग्रह किया है। एक आकलन के अनुसार दुनिया भर के बड़े विज्ञापनदाताओं में से एक-तिहाई से अधिक स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट में शामिल हो सकते हैं। यूरोप में अनेक जनमत संग्रह में जनता ने फेसबुक को सभी गलत सूचनाएं, भ्रामक प्रचार, हिंसा भड़काने और फेक न्यूज के लिए जिम्मेदार करार देने का समर्थन किया है।
न्यूजीलैंड के सबसे बड़े मीडिया हाउस- स्टफ ने भी घोषणा की है कि उन्होंने अस्थाई तौर पर फेसबुक से नाता तोड़ लिया है। हालांकि इसके फेसबुक पर दस लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं, फिर भी स्टफ ने फैसला लिया है कि इस प्लेटफॉर्म पर अगली सूचना तक कोई भी समाचार नहीं डाला जाएगा। कंपनी के अनुसार, “हम ऐसे किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आर्थिक लाभ नहीं पहुंचाना चाहते, जो आर्थिक लाभ का उपयोग हेट स्पीच और हिंसा भड़काने में करता हो।”
न्यूजीलैंड की मेसी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता की प्रोफेसर कैथरीन स्ट्रोंग ने इस कदम की सराहना की है। उनके अनुसार “फेसबुक और इन्स्टाग्राम अपने आर्थिक लाभ के चलते फेक न्यूज, समाज में पनपने वाली घृणा और हिंसा पर आखें बंद कर बैठे हैं। यह सब खतरनाक है। इस वैश्विक महामारी के दौर में भी ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोविड 19 से संबंधित भ्रामक और खतरनाक समाचार फैलाने में व्यस्त हैं।”
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्देर्न ने भी स्टफ द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत किया है, पर साथ ही यह भी कहा कि वे फिलहाल फेसबुक को नहीं छोड़ सकतीं, क्योंकि इसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से वो जनता से जुड़ी हैं। जेसिंडा अर्देर्न ने कहा कि वे फेसबुक से फेक न्यूज पर नियंत्रण रखने का अनुरोध करेंगी। पिछले वर्ष क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर एक ऑस्ट्रेलियन कट्टरपंथी ने स्वचालित हथियारों से गोलीबारी कर जब 50 से अधिक नमाज अदा कर रहे लोगों को मार डाला था, तब फेसबुक पर लाखों की तादात में भड़काऊ और हिंसक प्रवृत्ति के पोस्ट और वीडियो डाले गए थे, जिसकी न्यूजीलैंड ने सख्त शब्दों में भर्त्सना की थी।
फेसबुक अनेक वर्षों से अपने यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी भी लीक करता रहा है। साल 2018 के दौरान तो कैम्ब्रिज ऐनालीटिका मामले की खूब चर्चा की गई थी, जब करोड़ों लोगों की जानकारियां बाजार में पहुंच गई थीं। इसके बाद भी, फेसबुक के कार्य प्रणाली में कोई अंतर नहीं आया। साल 2019 में एक बार इन्स्टाग्राम ने 5 करोड़, और फेसबुक ने 42 करोड़ यूजर्स के डेटा लीक किए थे, यह मामला जब तक उजागर हुआ तब तक फेसबुक ने लगभग 27 करोड़ अन्य यूजर्स का डेटा बाजार में बेच दिया।
कैरोल कैडवलाद्र ने 5 जुलाई को द गार्डियन में फेसबुक के बारे में लिखा है, “दुनिया की कोई ताकत फेसबुक को किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार बनाने में असमर्थ है। अमेरिकी कांग्रेस कुछ नहीं कर सकी और न ही यूरोपियन यूनियन इस पर लगाम लगा पाई। हालत यहां तक पहुंच गई है कि कैंब्रिज ऐनालीटिका मामले में जब अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन ने फेसबुक पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया तब फेसबुक के शेयरों के दाम आसमान छूने लगे।
फेसबुक के माध्यम से अमेरिका के 2016 के चुनावों में सारी विदेशी शक्तियां संलिप्त हो गयीं और इस कारण चुनाव के परिणाम प्रभावित हुए। फेसबुक ने तो अनेक बार नरसंहार के मामलों का भी सीधा प्रसारण किया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक के माध्यम से म्यांमार में रोहिंग्या के लिए घृणा इस पैमाने पर फैलाई गई कि इसने हिंसा का स्वरुप ले लिया, सामूहिक नरसंहार किये गए और आज भी किये जा रहे हैं। इसके चलते हजारों रोहिंग्या मारे गए और लाखों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा।
हाल में फिलीपींस में जिस पत्रकार, मारिया रेसा को 7 वर्ष के कैद की सजा सुनाई गई है, उन्होंने भी समय-समय पर फेसबुक के संदिग्ध भूमिका के बारे में आगाह किया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता मारिया रेस की सजा को फेसबुक के प्रतिकार के तौर पर ही देखते हैं। ब्रिटेन के पूर्व उप-प्रधानमंत्री फेसबुक को समाज का आइना बताते हैं, पर अनेक बुद्धिजीवी फेसबुक को आइना नहीं बल्कि हथियार बताते हैं, वह भी बिना लाइसेंस वाला हथियार, जिससे आप किसी की हत्या कर दें तब भी पकडे नहीं जाएंगे।
इस समय कुल 2.6 अरब लोग फेसबुक से जुड़े हैं, इस मामले में यह संख्या चीन की आबादी से भी अधिक है। मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि इसकी तुलना चीन से नहीं की जा सकती, बल्कि इसे उत्तर कोरिया कहना ज्यादा उपयुक्त है, पर मार्क जुकरबर्ग तानाशाह किम जोंग से भी अधिक शक्तिशाली हैं। कुछ लोगों के अनुसार फेसबुक की यदि किसी हथियार से तुलना करनी हो तो वह हथियार बंदूक, राइफल, तोप या टैंक नहीं होगा, बल्कि सीधा परमाणु बम ही होगा। यह केवल एक तानाशाह, मार्क जुकरबर्ग के अधिकार वाला वैश्विक साम्राज्य है।
जुकरबर्ग का एक ही सिद्धांत है, भले ही पूरी दुनिया में हिंसा फैल जाए, नफरत फैल जाए, कितने भी आरोप लगें, पर किसी आरोप का खंडन नहीं करना, किसी पर ध्यान नहीं देना- बस अपने साम्राज्य का विस्तार करते जाना, और अधिक से अधिक धन कमाना। यही कारण है कि फेसबुक का रवैया कभी नहीं बदलता। हाल में ही जुकरबर्ग ने एक साक्षात्कार में कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है, जितने लोगों ने विज्ञापन बंद किया है, वे जल्दी ही फिर वापस आ जाएंगे। फेसबुक तो प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर मुख्य मीडिया को भी संचालित करता है।
फेसबुक के फेक न्यूज या हिंसा को भड़काने वाले पोस्ट केवल एक रंग, नस्ल या देश को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि इसका असर सार्वभौमिक है और दुनिया भर के लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। इसे केवल एक संयोग कहकर नहीं टाला जा सकता कि कोविड 19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में अमेरिका, ब्राजील, भारत और इंग्लैंड सम्मिलित हैं। जनवरी से अगर गौर करें तो फेसबुक और इंस्टाग्राम के पोस्ट इन देशों में इस महामारी के खिलाफ झूठे और भ्रामक प्रचार में संलग्न थे। इन चारों ही देशों की सरकारें ऐसी हैं, जो ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर प्रचार के बलबूते ही सत्ता पर काबिज हैं। फेसबुक का हाल तो ऐसा है, जो केवल चीन से ही बड़ा नहीं है बल्कि पूरे पूंजीवाद से बड़ा है। आज के पूंजीवाद को टिके रहने के लिए फेसबुक सबसे बड़ा सहारा है।(navjiwan)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। मजदूर परिवार की 11वीं की एक छात्रा ने अपने घर में फांसी पर लटककर जान दे दी।
घटना रतनपुर की है। रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम कर्रा के संतोष केवट की पुत्री नीलू केंवट (19 वर्ष) शुक्रवार की रात 9 बजे खाना खाकर अपने कमरे में सोने चली गई थी। सुबह दरवाजा नहीं खुलने पर परिजनों ने खिडक़ी से देखा कि वह दुपट्टे के फंदे पर लटकी हुई है। सूचना देने पर पुलिस वहां पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिये भेजा। घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। छात्रा के परिवार के लोग रोजी-मजदूरी करके गुजारा करते हैं। इन दिनों कोरोना संकट के अवकाश के कारण छात्रा घर पर ही रहती थी। मामले की पुलिस जांच कर रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर 12 जुलाई। दुर्ग जिले में आज सुबह प्राप्त रिपोर्ट में 13 कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि की गई है। जिसमें 6 बीएसएफ के जवान शामिल हैं। सभी मरीजों को ट्रेस कर जिला कोविड-19 हॉस्पिटल में दाखिल किए जाने की तैयारी की जा रही है।
जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि आज प्राप्त रिपोर्ट में जिले से कुल 13 पॉजिटिव मरीज की पुष्टि की गई है। जिसमें 6 जवान बीएसएफ के हैं। एक मरीज एसएसबी ट्रांजिट कैंप रिसाली का है। जबकि रहवासी क्षेत्रों में ग्रामीण अंचल से एक महिला टेकापार धमधा, दूसरी महिला सुंदर नगर दुर्ग की है। तीसरी महिला मरीज हरी नगर कातुल बोर्ड दुर्ग की रहवासी है। चौथी महिला मरीज भी दुर्ग क्षेत्र से ही है। एक पुरुष मरीज रूआबांधा सेक्टर भिलाई से है। जबकि एक अन्य पुरुष मरीज हाउसिंग बोर्ड भिलाई क्षेत्र से है। डॉ. ठाकुर ने बताया कि सभी 13 मरीजों को ट्रेस करके उनकी स्थिति को देखते हुए जुनवानी स्थित जिला कोविड-19 हॉस्पिटल एवं एम्स रायपुर में दाखिल करने की तैयारी की जा रही है।
तनाव की आग में घी डालने की तरह ?
रजनीश कुमार
बीबीसी संवाददाता
नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी संकटग्रस्त केपी शर्मा ओली सरकार में कई मुलाक़ातों को लेकर निशाने पर हैं.
नेपाल में विपक्ष से लेकर मीडिया तक में सवाल उठा कि घरेलू राजनीति में किसी राजदूत की ऐसी सक्रियता ठीक नहीं है. मुलाक़ातों का यह दौर पिछले ढाई महीने से चल रहा है.
भारत में नेपाल के राजदूत रहे लोकराज बराल ने इन्हीं मुलाक़ातों को लेकर पाँच मई को नेपाल टाइम्स से कहा था कि चीन नेपाल की राजनीति में माइक्रो मैनेजमेंट की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ साल पहले तक यही काम भारत नेपाल में करता था.
सात जुलाई को होउ यांकी की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से जारी मुलाक़ातों के ख़िलाफ़ काठमांडू में नेपाली छात्रों ने चीनी दूतावास के बाहर पोस्टर लेकर प्रदर्शन भी किया.
पोस्टरों पर लिखा था कि दूतावास सत्ताधारी नेताओं के घर से संचालित न हो. इसे लेकर कुछ विपक्षी नेताओं ने भी सवाल उठाए.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से पार्टी के लोग ही इस्तीफ़ा मांग रहे हैं. इस्तीफ़ा मांगने वाले पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के खेमे के लोग हैं. भारत के मुख्याधारा के मीडिया में कहा जा रहा है कि चीन ओली सराकर को बचाने में लगा है क्योंकि ओली भारत विरोधी हैं.
यहां तक कि कई हिन्दी चैनलों ने प्रधानमंत्री केपी ओली और चीनी राजदूत होउ यांकी को लेकर सनसनीख़ेज़ दावे किए. कुछ चैनलों ने यह स्टोरी चलाई कि ओली को हनी ट्रैप में फंसा दिया गया है.
नेपाल ने इन रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और केबल ऑपरेटरों से कहा कि ऐसे भारतीय न्यूज़ चैनलों को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए प्रसारण से रोके.
जब भारत-नेपाल के बीच शुरू हुआ तनाव
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक़, नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने कहा कि उन्होंने भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य को भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराने के लिए कहा है.
नीलांबर ने कहा कि भारतीय मीडिया नेपाल और भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और ख़राब कर रहा है.
नेपाली मीडिया में कार्टून
नेपाल और भारत में पिछले कुछ महीनों से सीमा विवाद के कारण तनाव है. दोनों देशों के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. 22 मई को नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया था.
इसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ता गया. हालांकि इससे पहले भारत ने पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद अपना नक्शा अपडेट किया था. इस नक्शे में ये तीनों इलाक़े थे.
भारत का कहना है कि उसने किसी नए इलाक़े को नक्शे में शामिल नहीं किया है बल्कि ये तीनों इलाक़े पहले से ही हैं.
इन तमाम विवादों को भारतीय मीडिया में ख़ूब जगह मिली.
भारतीय मीडिया ने सही भूमिका निभाई?
क्या भारतीय मीडिया ने पूरे विवाद को जिस तरह से कवर किया वो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में आए तनाव की आग में घी डालने की तरह है?
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कॉम्युनिकेशन में प्रोफ़ेसर आनंद प्रधान कहते हैं, ''इसमें कोई शक नहीं है. भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग में पत्रकारिता की जो बुनियादी चीज़ होती है उसका भी पालन नहीं किया गया है. आपकी रिपोर्टिंग तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए. आप गल्प नहीं गढ़ सकते. आप अपने शो की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किसी राजनयिक को प्रधानमंत्री के साथ हनी ट्रैप की बात कैसे चला सकते हैं? ये तो बहुत ही आपत्तिजनक है.''
आनंद प्रधान कहते हैं, ''दरअसल, दिक़्क़त यह है कि भारतीय मीडिया को लगता है कि नेपाल भारत का एक्स्टेंशन है. ये आज तक स्वीकार नहीं कर पाए हैं कि वो एक संप्रभु राष्ट्र है और ख़ुद फ़ैसले ले सकता है. नेपाल अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से चला सकता है. भारतीय मीडिया को उपनिवेशवादी मानसिकता से बाज़ आने की ज़रूरत है. अगर इनकी रिपोर्टिंग ऐसी ही जारी रही तो दोनों देशों के संबंधों में लोगों के बीच जो गर्मजोशी है उसे भी नुक़सान होगा.''
नेपाल में नया पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार नरेश ज्ञावली कहते हैं कि अगर भारतीय मीडिया बताता है कि नेपाल चीन की गोद में बैठ गया है तो उसे इसके पक्ष में तथ्य भी देना चाहिए.
वो कहते हैं, ''भारत नेपाल की राजनीति में 2015 तक माइक्रो मैनेजमेंट करता रहा. नेपाल की राजनीति को नेपाल के लोग तय करेंगे न कि भारत. हमारा संविधान कैसा होगा ये भारत नहीं तय करेगा. ये नेपाल के लोग तय करेंगे. अगर नेपाल में मधेसी संविधान को लेकर सहमत नहीं थे तो ये नेपाली जनता का नेपाल की सरकार के ख़िलाफ़ विरोध था. भारत का मीडिया मधेसियों को भारतीय मूल का बताता है. ऐसा क्यों करता है? क्या मधेसी भारतीय मूल के हैं? मधेसी नेपाली हैं और उन्हें अपने अधिकारों को पाने के लिए भारत की ज़रूरत नहीं है. लेकिन भारत ने इसी को लेकर अघोषित नाकाबंदी लगा दी.''
भारत से दूरी के कारण चीन आया नेपाल के क़रीब?
ज्ञावली कहते हैं, ''नाकाबंदी के बाद नेपाल में ज़रूरत के सामानों की किल्लत हो गई. हम लैंड लॉक्ड देश हैं. भारत को ये बात पता है और फिर भी नाकाबंदी की. तो क्या हम भूखे रहते? चीन के अलावा विकल्प क्या था? हमें तो किसी से मदद लेनी थी. चीन के क़रीब भेजा किसने? जिस ओली को भारतीय मीडिया ने विलेन बना दिया है उसी ओली को भारत का क़रीबी कहा जाता था."
"महाकाली संधि को कराने में ओली की अहम भूमिका थी. भारत अपने क़रीबियों को भी क़रीब क्यों नहीं रख पा रहा है? ये कितनी गंदी हरकत है कि किसी महिला डिप्लोमैट का नाम बिना कोई तथ्य के प्रधानमंत्री के साथ हनी ट्रैप में घसीट दिया जाए. ये ओली और उस महिला डिप्लोमैट का नहीं बल्कि नेपाल का अपमान है. आप चाहते हैं कि अपमान भी सहें और आपके पीछे-पीछे भी चलें?''
काठमांडू पोस्ट के एक वरिष्ठ रिपोर्टर ने नाम नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर कहा, ''जो भारतीय मीडिया ये दिखा रहा है कि ओली चीन समर्थक हैं उसे तथ्यों का इल्म नहीं है. अमरीका ने नेपाल के साथ 50 करोड़ डॉलर का मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन यानी एमसीसी करार किया है. यह करार इंडो पैसिफिक स्ट्रैटिजी का हिस्सा है. ज़ाहिर है इसमें भारत भी शामिल है. चीन क़तई नहीं चाहता है कि यह क़रार ज़मीन पर उतरे."
"एमसीसी नेपाल में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए हैं. इस समझौते को प्रधानमंत्री ओली ने ही अंजाम तक पहुंचाया है. अगर ओली की कुर्सी ख़तरे में है तो इसकी एक बड़ी वजह ये भी है. नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर ही एमसीसी पर सहमति नहीं है. प्रचंड नहीं चाहते हैं कि यह करार आगे बढ़े लेकिन ओली इससे डिगना नहीं चाहते हैं. अब भारत और भारतीय मीडिया ख़ुद तय कर ले कि क्या ओली वाक़ई चीन समर्थक हैं?''
नेपाली मीडिया में कार्टून
नेपाल में एमसीसी को लेकर कहा जाता है कि यह चीन को रोकने के लिए है. अमरीका ने एक जून, 2019 को इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटिजी रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में चीन को ख़तरा बताया गया है.
दरअसल, नेपाल एमसीसी के साथ चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड का भी हिस्सा है. 2015 में भारत की तरफ़ से अघोषित नाकाबंदी हुई थी तो नेपालियों को लगा कि चीन से और क़रीब आने की ज़रूरत है. ऐसे में वन बेल्ट वन रोड को भी सकारात्मक रूप में लिया गया. चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर अमरीका ने भी नेपाल को काफ़ी तवज्जो दी है.
इसी साल जनवरी में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक हुई थी तो एमसीसी का मुद्दा उठा था. पार्टी के भीतर कई नेताओं ने कहा कि यह इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटिजी का हिस्सा है और इससे चीन के साथ संबंध ख़राब होंगे.
'नेपाल के पीएम की भी मर्यादा है'
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर भी इसे भारत और अमरीका की चीन के ख़िलाफ़ रणनीति बताई जा रही है. हालांकि विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली सफ़ाई दे चुके हैं कि एमसीसी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटिजी का हिस्सा नहीं है.
नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार युवराज घिमरे कहते हैं कि भारत को ब्रिग ब्रदर की तरह पेश नहीं आना चाहिए.
वो कहते हैं, ''अगर नेपाल सीमा विवाद को लेकर भारत से बातचीत के लिए अनुरोध कर रहा है तो उसे स्वीकार करना चाहिए. आप चीन से बात कर सकते हैं, पाकिस्तान से कर सकते हैं तो नेपाल से करने में क्या दिक़्क़त है.''
कई भारतीय पत्रकारों को भी लगता है कि भारतीय न्यूज़ चैनलों पर नेपाल-भारत तनाव की रिपोर्टिंग किसी गॉसिप की तरह की गई है.
इंडिया टुडे के एक जाने-माने एंकर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ''नेपाल-भारत में विवाद पर कुछ चैनलों की रिपोर्टिंग बॉलीवुड गॉसिप की तरह है. अगर आपके प्रधानमंत्री की मर्यादा है तो नेपाल के पीएम की भी उतनी ही मर्यादा है. आप पत्रकार हैं इसका मतलब ये नहीं कि किसी का मान मर्दन करें और किसी की तारीफ़ में बिछे रहें.'' (www.bbc.com)
- बाबा मायाराम
श्रम आधारित गांव की, खेती की संस्कृति की वापसी हो रही है। गांव की पारंपरिक खान-पान संस्कृति बच रही है। इस तरह की मुहिम को आंगनबाड़ी जैसी योजनाओँ से भी जोड़ा जा सकता है। बाड़ियों में सब्जियों की खेती गांवों में पारंपरिक तरीके से होती रही है। लोग अपने घर के पीछे बगीचे में व खेत में सब्जी उगाते रहे हैं। विशेषकर महिला किसानों की इसमें प्रमुख भूमिका होती है। उनमें इसे करने का स्वाभाविक कौशल भी है। बल्कि वे जहां भी रिश्तेदारी में जाती हैं, वहां से बीज लाकर लगाती हैं। बीजों का आदान-प्रदान होता रहता है।
कूकरापानी गांव की भगवंतिन बाई की बाड़ी में कई तरह की हरी सब्जियां लहलहा रही हैं। लौकी, कुम्हड़ा, तोरई, सेमी, करेला और कद्दू की बेल बागुड़ पर फैली हुई हैं। पपीता,सीताफल, मुनगा, अमरूद और आम के हरे भरे फलदार पेड़ भी हैं। भगवंतिन की आंखें चमक रही हैं, पिछले साल उसने बारह सौ रूपए की बरबटी बेच ली थी।
यह गांव कबीरधाम जिले के बोड़ला प्रखंड में है। मैकल पहाड़ की दलदली घाटी की तलहटी में बसा है। भगवंतिन बाई, अकेली महिला नहीं है, जिसने हरी सब्जियों की खेती की है। इस प्रखंड में 24 गांव के 305 परिवार उनकी बाड़ी (किचिन गार्डन) में सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसी तरह, गरियाबंद जिले के कमार और गोंड आदिवासी भी बाड़ियों में सब्जियों की खेती कर रहे हैं। गरियाबंद के करीब 300 परिवारों ने इसे अपनाया है।
मैंने कुछ समय पहले इस इलाके का दौरा किया था। 29 अगस्त (वर्ष 2019) की शाम मैं यहां पहुंचा था, और तरेगांव में सामाजिक कार्यकर्ता अमरदास मानकर के घर ठहरा था। यह गांव दलदली घाटी के नीचे बसा है, यहां फोन संपर्क भी मुश्किल है। उस दिन रिमझिम तो कभी जोर से बारिश हो रही थी। हमने इस बीच में ही करीब आधा दर्जन गांवों का दौरा किया। पहाड़ के ऊपर बसे भुरसीपकरी, बम्हनतरा और तलहटी में बसे कूकरापानी, तरेगांव, मगरवाड़ा, कोमो गांव गए थे। कूकरापानी और कोमो गांव में आदिवासियों ने बाड़ियों में अच्छी सब्जियों की खेती की है।
ग्रामोदय केन्द्र संस्था आदिवासी गांवों में आजीविका संवर्धन का काम कर रही है। राजिम की प्रेरक संस्था इसमें सहयोग कर रही है। इस इलाके में आदिवासियों की पोषण, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति बेहतर करने का काम किया जा रहा है।
यह इलाका आदिवासी बहुल है। बैगा और गोंड यहां के बाशिन्दे हैं। जंगल ही आदिवासियों का जीवन का आधार है। उनकी जिंदगी जंगल पर ही निर्भर थी। वर्षा आधारित खेती होती है। लेकिन मौसम बदलाव के कारण वह भी ठीक से नहीं हो रही है। इससे आदिवासियों की आजीविका प्रभावित हो रही है। बैगा तो बेंवर खेती (शिफ्टिंग कल्टीवेशन) करते थे। जिसमें कोदो, कुटकी, मड़िया, कांग, सल्हार, सांवा, कतकी जैसे पौष्टिक अनाज उगाते थे। लेकिन अब उस पर रोक है।
ग्रामोदय संस्था के उदयेश्वर धारने बताते हैं कि आदिवासियों को साल भर पोषणयुक्त भोजन मिले, यह हमारी कोशिश है। उनकी संस्था इसके लिए बाड़ी ( किचिन गार्डन) को बढ़ावा देती है। जिसमें लौकी, कुम्हड़ा,मखना ( कद्दू), बरबटी, सेमी, भिंडी, ग्वारफली, करेला, टमाटर,डोडका ( चिकनी तोरई), खट्टा भाजी, चेंच भाजी, झुरगा आदि लगाते हैं। फलदार पेड़ों में सीताफल, जाम, जामुन, मुनगा, नींबू, पपीता, करौंदा आदि का रोपण करवाते हैं।
वे आगे बताते हैं कि हमारा उद्देश्य है कि लोगों को 6 से 8 महीने बाड़ी से हरी ताजी तरकारी मिले और उसमें से कुछ बेचकर आमदनी भी हो सके। इसके अलावा, संस्था जैविक मिश्रित खेती, मछली पालन, बकरीपालन और जलसंरक्षण जैसी काम भी करती है।
यहां आदिवासियों ने 6 गांवों में बीज बैंक भी बनाए हैं। जिसमें कोमो, पड़ियाधरान,गुडली, आमानारा, कुरलूपानी, कूकरापानी शामिल हैं। यहां से लोग बीज लेते हैं और जब फसल आने पर वापस करते हैं।
प्रेरक संस्था राजिम के सामाजिक कार्यकर्ता रामगुलाम सिन्हा बताते हैं कि हमारा उद्देश्य आदिवासियों के जीवन को बेहतर करना है। इस तरह के प्रयास छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में किए जा रहे हैं। उनकी संस्था धमतरी, महासमुंद, बस्तर, कवर्धा, राजनांदगांव, जांजगीर चांपा, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ जिले में यह काम कर रही है। इनमें से एक गरियाबंद जिला भी है। यहां कमार आदिवासी हैं, जिन्होंने बैगा आदिवासियों की तरह ही कभी स्थाई खेती नहीं की है, लेकिन बदलते समय में आजीविका के लिए यह जरूरी हो गया है। इसके लिए मिश्रित खेती और बाड़ी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि जंगलों से मिलने वाले खाद्य कंद-मूल, मशरूम और हरी पत्तीदार सब्जियों में कमी आ रही है।
वे आगे बताते हैं कि गरियाबंद में कमार आदिवासी हैं। यहां वर्ष 2014 से सब्जियों की खेती की जा रही है। कमार और गोंड के 3 सौ से ज्यादा परिवार यह काम कर रहे हैं। यह सब देसी बीजों से और पूरी तरह जैविक पद्धति से हो रहा है। इसमें हरी पत्तीदार सब्जियां, फल्लीदार सब्जियां, कंद, मसाले और औषधियुक्त पौधे शामिल हैं।
सब्जी बाड़ी में अगर कीट प्रकोप होता है तो स्थानीय स्तर पर जैव कीटनाशक तैयार किए जाते हैं। गरियाबंद में प्रेरक संस्था से जुड़े रोहिदास यादव बताते हैं कि तम्बाकू काढ़ा, नीमतेल घोल, नीला थोथा सुहागा और पंचपर्णी (ऐसे पौधों के पत्ते जिन्हें जानवर नहीं खाते- जैसे नीम,करंज, धतूरा, सीताफल आदि) जैव कीटनाशक बनाए जाते हैं। ये सभी कीटनाशक ग्रामीण खुद तैयार करते हैं। उनका छिड़काव करते हैं। ये बाजार के कीटनाशकों की तुलना में काफी सस्ते हैं और आसानी से बनाए जा सकते हैं। जैव खाद तैयार कर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है जिससे अच्छी उपज आ सके।
इसके अलावा, जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। धान की देसी किस्मों का संरक्षण किया जा रहा है। भिलाई गांव में संस्था के खेत में 350 प्रकार की देसी धान की किस्में उगाई जाती हैं। छत्तीसगढ़ की पहचान धान के कटोरे से है। यहां ही विश्व प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डा. आर.एच. रिछारिया ने 17 हजार से ज्यादा देसी धान की किस्मों का संग्रह किया था। मिश्रित खेती में कोदो, मड़िया, अमाड़ी, अरहर , झुरगा, मक्का, ज्वार औऱ बाजरा की खेती की जा रही है।
बाड़ियों में सब्जियों की खेती गांवों में पारंपरिक तरीके से होती रही है। लोग अपने घर के पीछे बगीचे में व खेत में सब्जी उगाते रहे हैं। विशेषकर महिला किसानों की इसमें प्रमुख भूमिका होती है। उनमें इसे करने का स्वाभाविक कौशल भी है। बल्कि वे जहां भी रिश्तेदारी में जाती हैं, वहां से बीज लाकर लगाती हैं। बीजों का आदान-प्रदान होता रहता है। लेकिन समय के साथ इसमें कई कारणों से कमी आ रही है।
कुल मिलाकर, इस पूरी पहल का कई तरह से असर देखा जा रहा है। देसी बीजों का संरक्षण हो रहा है। हरी ताजी, पोषणयुक्त सब्जियों, कंद और फल भोजन में शामिल हो रहे हैं। पोषण और स्वास्थ्य अच्छा हुआ है। क्योंकि इस इलाके में पहले लोग सब्जियों का इस्तेमाल कम करते थे। दाल तो बहुत कम ही होती थी। अब उन्हें सब्जियां मिल रही हैं। स्वादिष्ट व मसालेदार भोजन मिलता है। परिवार की आय बढ़ी है।
भूमिहीन परिवार और कम जमीन वाले आदिवासी परिवार भी इससे लाभांवित हो रहे हैं। वनाधिकार कानून ( अनुसूचित जनजाति औऱ अन्य परंपरागत वन निवासी ( वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के तहत यहां वन भूमि लेने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके लिए निजी व सामुदायिक दावे किए जा रहे हैं। महिला सशक्तीकरण भी हुआ है। घर के इस्तेमाल किए हुए पानी का उपयोग हो रहा है। श्रम आधारित गांव की, खेती की संस्कृति की वापसी हो रही है। गांव की पारंपरिक खान-पान संस्कृति बच रही है। इस तरह की मुहिम को आंगनबाड़ी जैसी योजनाओँ से भी जोड़ा जा सकता है। यह बहुत ही उपयोगी, सराहनीय और अनुकरणीय पहल है।(sapress)