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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 10 जुलाई। चोरी के एक मामले में आरोपियों की जमानत लेने के लिए अधिवक्ता ने एक मृत भूस्वामी की पुत्री और उसके रिश्तेदार को न्यायालय में खड़ा कर दिया। जमानतकर्ता का फोटो के स्थान पर एक अन्य प्रकरण की महिला का फोटो चिपका दिया गया। पूरे मामले में विवेचना बाद अधिवक्ता सहित 3 लोगों के विरूद्ध अपराध दर्ज कर लिया गया है।
मामला पाली थाना क्षेत्र का है जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास पनिका के न्यायालय में फर्जी जमानतदार के द्वारा जमानत ली गई थी। पाली थाना प्रभारी लीलाधर राठौर ने बताया कि पुलिस चौकी हरदीबाजार के इश्तगाशा क्रमांक 5/20 धारा 41 (1-4) जा.फौ. तथा 379 भादवि के प्रकरण में 21 फरवरी 2020 को आरोपी पवन कुमार श्रीवास्तव 24 वर्ष निवासी छपरा व जमीर अहमद मंसूरी 46 वर्ष निवासी मुंबई हाल मुकाम पोड़ीबहार का जमानत आवेदन पेश किया गया।
आरोपियों की तरफ से अधिवक्ता कमलेश साहू व राजेश राठौर उपस्थित हुए। राजेश राठौर ने पाली के वार्ड क्र. 11 निवासी मनटोरा बाई को बुलाकर उसकी स्व. मां इतवारा बाई का मूल ऋण पुस्तिका जमानत हेतु प्राप्त किया गया। मनटोरा बाई को प्रलोभन देकर एवं रिश्तेदार कुंवरिया बाई को भरोसे में लेकर न्यायालय में इतवारा बाई का ही नाम बताने की सांठ-गांठ की।
जमानत लेने से पहले दोनों महिलाओं का शपथ पत्र अधिवक्ता कमलेश साहू के साथ आए मुंशी आशीष कुमार साहू को फर्जी जमानतदार तथा पहचानकर्ता का नाम व पता गलत बताकर शपथ अन्य अधिवक्ता बीएल जायसवाल से नोटरी कराया गया। उक्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दोनों आरोपियों की जमानत ले ली गई। जमानत के दौरान न्यायालय द्वारा जमानतदार इतवारा बाई (जो कि वास्तव में मृत है) का आधार कार्ड मांगा जो अशिक्षित होने व जल्दबाजी में नहीं लाना बताकर दूसरे दिन स्वयं प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया। बाद में आज कल कहकर न्यायालय को गुमराह किया गया।
न्यायालय द्वारा जांच कराने हेतु आदेशित करने पर षडय़ंत्रपूर्वक एक अन्य पक्षकार श्रीमती निर्मला सारथी द्वारा अपने पति स्व. जगन्नाथ सारथी की सडक़ दुर्घटना में मौत होने पर बीमा क्लेम हेतु दिए गए फोटो को न्यायालय के रिकार्ड में मनटोरा बाई के स्थान पर चस्पित कर दिया गया। इस पूरे मामले में विवेचना पश्चात एसआई अशोक शर्मा के द्वारा कूटरचना कर फर्जी रूप से मृत महिला के नाम पर उसकी पुत्री को खड़ा कर व अन्य महिला को पहचान हेतु मूल पता न बताकर अपराधिक षडय़ंत्र करने का दोषी पाया गया। आरोपी अधिवक्ता राजेश राठौर निवासी टॉवर मोहल्ला, श्रीमती मनटोरा बाई निवासी वार्ड-11 एवं श्रीमती कुंवरियां बाई निवासी ग्राम बगदरा पाली के विरूद्ध धारा 193, 419, 420, 468, 469, 470, 471, 120 बी व 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 10 जुलाई। सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत की पहल से संसदीय क्षेत्र अंतर्गत नवनिर्मित जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में मेडिकल कॉलेज स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। सांसद के आग्रह पर अब मुख्यमंत्री ने जमीन तलाशने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
सांसद श्रीमती महंत ने 25 जनवरी को एक पत्र केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को प्रेषित कर नवनिर्मित जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए पहल शुरू की थी। तत्संबंध में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने संज्ञान लेकर कार्यवाही को आगे बढ़ाया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा सांसद के लगातार प्रयासों को सार्थक कर मरवाही में मेडिकल कॉलेज की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर स्थापना के संबंध में आदेश जारी किया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से इस हेतु स्वीकृति मिलने पश्चात सांसद श्रीमती महंत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पुन: एक पत्र प्रेषित कर गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला में मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए राज्य सरकार की ओर से विस्तृत प्रस्ताव शीघ्र ही केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजने का आग्रह किया।
इसके पश्चात मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया के द्वारा एक आदेश जारी कर अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग छग शासन को राज्य सरकार की ओर से विस्तृत प्रस्ताव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने व कार्यवाही से मुख्यमंत्री सचिवालय एवं सांसद को भी अवगत कराने निर्देशित किया है।
सांसद के लगातार प्रयासों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा दिखाई गई गंभीरता एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा इस संबंध में लिए गए त्वरित निर्णय से मरवाही में मेडिकल कॉलेज खोलने का रास्ता साफ हो गया है। सांसद के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन तलाशने के भी निर्देश दे दिए हैं। सांसद ने इसके लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति लोकसभा क्षेत्र की जनता की तरफ से आभार जताया है।
कोरबा मेडिकल कॉलेज के लिए 325 करोड़
कोरबा में मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग कोरबा प्रवास पर आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने की थी। जिसके बाद सांसद के प्रयासों से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोरबा में मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति देते हुए केन्द्र व राज्य से 325 करोड़ की राशि की स्वीकृति भी मिल चुकी हैं। कोरबा मेडिकल कॉलेज के लिए 25 एकड़ भूमि का भी चिन्हांकन किया जा चुका है।
डॉ. महंत के प्रयासों को अमलीजामा पहनाने जुटी सांसद
भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री व विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के अशासकीय पत्र पर तत्कालीन केन्द्रीय कोयला मंत्री ने मनेन्द्रगढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान करते हुए 100 करोड़ की राशि भी जारी कर दी थी। बावजूद तत्कालीन भाजपा सरकार के द्वारा जमीन उपलब्ध न कराए जाने की दिशा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना और 100 करोड़ की राशि का उपयोग नहीं हो सका।
कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने कहा कि मेरा किसी राजनीतिक दल पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं है लेकिन कोरोना कोविड-19 के इस वैश्विक महामारी के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं की कितनी आवश्यकता पड़ रही हैं, इससे हम सभी भली-भांति परिचित है। सांसद का कहना है कि कोरबा के पूर्व सांसद डॉ. महंत के मेडिकल कॉलेज और कैंसर हास्पिटल खोलने के प्रयासों व कोरिया-बैकुंठपुर जिले में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं जिसका परिणाम जल्द सामने आएगा।
15 मौतें, 748 एक्टिव, 2903 डिस्चार्ज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज बढक़र साढ़े 36 सौ से अधिक हो गए हैं। बीती रात मिले 133 नए पॉजिटिव के साथ प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या 36 सौ 66 दर्ज की गई है। इसमें कल एम्स में मृत अंबिकापुर की एक बुजुर्ग महिला समेत 15 की मौतें हो चुकी हैं। 748 एक्टिव हैं और इन सभी का कोरोना अस्पतालों में इलाज जारी है। 29 सौ 3 ठीक होने पर डिस्चार्ज हो चुके हैं।
राजधानी रायपुर समेत प्रदेश में कोरोना मरीजों के आकड़े तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। बीती रात में रायपुर जिले से 56, नारायणपुर से 38, बीजापुर से 13, कोरबा से 9, सरगुजा से 6, बलरामपुर, बिलासपुर से 5-5, जांजगीर-चांपा से 3, दंतेवाड़ा, कांकेर, बेमेतरा से 2-2, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, सूरजपुर व जशपुर से 1-1 पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद देर रात दुर्ग जिले से 4, बालोद, रायपुर, बलौदाबाजार, बिलासपुर व कांकेर से 1-1 पॉजिटिव और मिले। ये सभी मरीज आसपास के कोरोना अस्पताल में भर्ती कराए जा रहे हैं।
बताया गया है कि कल नारायणपुर से पाए गए 38 पॉजिटिव सैम्पल में 22 रिपीट से थे। ऐसे में नारायणपुर से 16 पॉजिटिव की पहचान हुई थी। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में जिस रफ्तार के साथ कोरोना मरीज सामने आए हैं, उसे देखते हुए जांच का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। माना जा रहा है कि आगे और भी कोरोना मरीज सामने आ सकते हैं।
4 दुर्ग, 1 भिलाई से
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 10 जुलाई। जिले में आज सुबह प्राप्त रिपोर्ट में पांच नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है। सभी पांचों संक्रमित मरीज रहवासी क्षेत्रों से हैं । पांचों मरीजों को ट्रेस कर कोविड-19 हॉस्पिटल में दाखिल करने की तैयारी की जा रही है।
जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि आज सुबह प्राप्त रिपोर्ट में जिले से पांच संक्रमित मरीजों की पुष्टि की गई है। यह सभी रहवासी क्षेत्रों से हैं । डॉ ठाकुर ने बताया कि यह मरीज सुभाष नगर दुर्ग कैलाश नगर दुर्ग सारंगी पारा गोकुल नगर तथा भिलाई के वैशाली सेक्टर से है। सभी मरीजों को प्रेस करके अस्पताल में दाखिल करने की तैयारी की जा रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जुलाई। दिल्ली से लौटने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने शुक्रवार को यहां कहा कि निगम-मंडलों की पहली सूची जल्द जारी कर दी जाएगी। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने पार्टी हाईकमान को सूची प्रस्तुत कर दी है।
श्री मरकाम ने मुख्यमंत्री-मंत्रियों और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद अंतिम रूप से तैयार निगम-मंडलों के नामों को लेकर दिल्ली गए थे। मीडिया से चर्चा में उन्होंने बताया कि इन सभी नामों पर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने विस्तार से चर्चा की है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि उन नामों को प्रदेश प्रभारी श्री पुनिया ने हाईकमान को भेज दिया है। हाईकमान की मंजूरी के बाद जल्द ही पहली सूची जारी कर दी जाएगी। उम्मीद है कि उन नामों पर मुहर लगेगी, जिस पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है।
पुल के नीचे सुबह मिली लाश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। पेशे से एक अधिवक्ता की सोमनी इलाके में बीती रात को जघन्य किए जाने का मामला सामने आया है। सुबह गांव के बाहर पुल के नीचे वकील की लाश खून से लथपथ मिली। वहीं शरीर के कुछ हिस्सों के ताबड़तोड़ वार से टुकड़े कर दिए गए हैं। घटना की खबर के बाद सीएसपी मणिशंकर चंद्रा और प्रशिक्षु डीएसपी रूचि वर्मा दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गई।
मिली जानकारी के मुताबिक सोमनी से सटे फरहद गांव के संजय साहू नामक युवक बीती रात को रात्रि भोजन के बाद सैर करने के लिए निकला। बताया जाता है कि आज सुबह उक्त युवक की पुल के नीचे खून से सनी लाश मिली। इस खबर से गांव में दहशत फैल गई। बताया गया है कि संजय साहू राजनांदगांव स्थित जिला न्यायालय में बतौर अधिवक्ता प्रेक्टिस करता था। वह रोज की तरह रात में खाना खाने के बाद मोबाइल से बात करते हुए टहलने की पुल की ओर गया और रातभर घर नहीं लौटा।
आज सुबह गांव के कुछ लोगों ने पुल से गुजरने के दौरान संजय साहू की लाश देखने के बाद परिजनों को सूचित किया। घटना की खबर मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची। इस बीच पुलिस ने पूछताछ के लिए गांव की ही एक महिला को थाना में बुलाया है।
सूत्रों का कहना है कि एक महिला से प्रेम प्रसंग के चलते युवक की हत्या हुई है। जबकि मृतक शादीशुदा था। सूत्रों का कहना है कि युवक के गैर महिला से संबंध होने के कारण परिवार में तनातनी भी चल रही थी। इधर वकील के शरीर के कई हिस्सों के टुकड़े कर दिए गए हैं। जिससे पता चलता है कि हत्या करने वाले आरोपी ने निर्ममतापूर्वक घटना को अंजाम दिया है।
घटना के संबंध में प्रशिक्षु डीएसपी व सोमनी थाना प्रभारी रूचि वर्मा ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि हत्या को लेकर कुछ लोगों से पूछताछ की जा रही है। फिलहाल हत्या की असली वजह की अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है।
स्वरा भास्कर के घर में लॉकडाउन के बीच ही शहनाईयां बजीं और पूरे परिवार ने जमकर एक साथ मस्ती की। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान स्वरा भास्कर के मामा ने तय किया कि स्वरा की मामी को घर ले आया जाए और बस पूरा परिवार शादी की शहनाइयों में डूब गया। स्वरा ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में अपने घर में हुए जश्न की तस्वीरें साझा की और इन तस्वीरों में वो बेहद खूबसूरत लग रही हैं। स्वरा ने अपनी मामी की मेहंदी सेरेमनी पर सादी सी साड़ी पहनी।
स्वरा की ये तस्वीरें इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं।
स्वरा के घर शादी ठहाकों के बीच स्वरा परिवार के साथ काफी मस्ती करती नज़र आईं और ये तस्वीरें उनकी मस्ती का सुबूत हैं।
नई सदस्य स्वरा ने अपनी मामी के साथ तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि फाईनली वो दिन आ ही गया जब आप आधिकारिक तौर पर मेरी मामी बन गईं।
विकास दुबे कानपुर के टॉप 10 अपराधियों में भी नहीं था
-विकास बहुगुणा
आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपित विकास दुबे आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ ही गया. पुलिस के मुताबिक उसकी गिरफ्तारी मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुई. बताया जा रहा है कि वह सुबह करीब आठ बजे शहर के मशहूर महाकाल मंदिर में गया था. एक स्थानीय दुकानदार ने उसे पहचान लिया और पुलिस को खबर कर दी. जब वह मंदिर से बाहर निकला तो सिक्योरिटी गार्डों ने उससे पूछताछ की. इसके बाद उसे पकड़ लिया गया और पुलिस के हवाले कर दिया गया. उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक विकास दुबे से पूछताछ की जा रही है.
बीते हफ्ते उत्तर प्रदेश के कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने छापा मारने आई पुलिस की एक टीम पर हमला कर दिया था. इसमें एक डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसके बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस की 25 टीमें विकास दुबे की तलाश में जुटी थीं. बीते दो दिनों में अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके तीन सहयोगी मारे गए थे.
विकास दुबे पर हत्या सहित कई गंभीर आरोपों में 60 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं. आरोप है कि स्थानीय थानाध्यक्ष सहित कई पुलिसकर्मियों की उसके साथ मिलीभगत थी और उनमें से ही किसी ने उसे छापे के बारे में पहले ही सूचना दे दी थी. इस घटना की वजह से पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया गया है और 68 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू हो गई है.
इस मामले में रोज ही नई और हैरान करने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. सोमवार को सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी वायरल होने के बाद हंगामा मच गया. बताया गया कि यह चिट्ठी विकास दुबे पर छापे का नेतृत्व करने वाले डीएसपी देवेंद्र मिश्रा ने मार्च में लिखी थी. देवेंद्र मिश्रा भी इस मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.
video source : The Quint (youtube channel)
कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को लिखी गई इस चिट्ठी में स्थानीय थानाध्यक्ष विनय तिवारी और विकास दुबे की मिलीभगत का दावा किया गया है. इसमें कहा गया है कि विकास दुबे के खिलाफ दर्ज एक मामले की जांच करने वाले एक पुलिसकर्मी ने मामले में धारा बदल दी थी. चिट्ठी के मुताबिक पूछने पर उसने बताया कि ऐसा थानाध्यक्ष के कहने पर किया गया. चिट्ठी में आगे कहा गया है, ‘यदि थानाध्यक्ष ने अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन न किया तो गंभीर घटना घटित हो सकती है.’ ताजा खबर यह है कि विनय तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है.
उधर, पुलिस का कहना है कि यह चिट्ठी किसी रिकॉर्ड में नहीं है. कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी ने कहा है कि डिस्पैच और रिसीविंग सेक्शन में जांच की गई है, लेकिन अभी तक इस चिट्ठी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आईजी (कानपुर रेंज) मोहित अग्रवाल का कहना था, ‘इस तरह के आरोप हैं कि कुछ पुलिसकर्मी विकास दुबे के संपर्क में थे. इस संबंध में जांच हो रही है. चौबेपुर में एक नई पुलिस टीम की नियुक्ति की गई है.’
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विकास दुबे के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि वह पुलिस, अपराध और राजनीति के उस गठजोड़ का लाभार्थी रहा है, जिसने बीते कुछ दशक के दौरान उत्तर प्रदेश में गहरी जड़ें जमा ली हैं. बीबीसी से बातचीत में कानपुर में नवभारत टाइम्स के पत्रकार प्रवीण मोहता कहते हैं कि विकास दुबे किसी राजनीतिक पार्टी में भले ही न रहा हो, लेकिन सभी पार्टियों के नेताओं से उसके अच्छे संबंध थे.’ वे आगे कहते हैं कि तमाम आपराधिक गतिविधियों में नाम सामने आने के बावजूद अगर यह अपराधी कानून की निगाहों से बचता रहा और अपना आर्थिक साम्राज्य बढ़ाता रहा तो यह बिना राजनीतिक पहुंच के संभव नहीं है.
विकास दुबे कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव से ताल्लुक रखता है. इस गांव के पास ही शिवली नाम का एक कस्बा है. यहां की नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे लल्लन वाजपेयी ने दैनिक भास्कर को बताया कि विकास दुबे ने 17 साल की उम्र में पहली हत्या की थी. उनके मुताबिक इस हत्याकांड में उसे कोई सजा नहीं हुई जिसके बाद वह बेकाबू हो गया. लल्लन वाजपेयी के मुताबिक विकास दुबे उन पर भी कई बार जानलेवा हमला करवा चुका है.
बताया जाता है कि कानून अपने हाथ में लेने की विकास दुबे की इस प्रवृत्ति ने उन्हीं दिनों इलाके के एक वरिष्ठ राजनेता को प्रभावित किया. उस समय सत्ताधारी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले इस राजनेता ने विकास दुबे को संरक्षण दिया. यह सफलता उसके लिए अहम थी. उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी रहे जावेद अहमद कहते हैं, ‘इससे विकास दुबे स्थानीय सत्ता तंत्र में दाखिल हो गया. धीरे-धीरे उसने इस तंत्र की बारीकियां समझना शुरू किया. अगले 25-30 साल उसने इसी समझ को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. जो भी पार्टी सत्ता में होती वह उसके करीब हो जाता. 1990 और 2000 के दशक में यह एक जरूरी प्रतिभा हुआ करती थी. इस बीच विकास दुबे ने तेजी से शहर में तब्दील हो रहे इलाके में बेबस और असहाय लोगों को जमीनें कब्जाना भी जारी रखा. कोई ईमानदार पुलिस अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई भी करना चाहता तो राजनीतिक संरक्षण उसे बचा लेता.’
जानकारों के मुताबिक थोड़े समय बाद विकास दुबे को अहसास हुआ कि जब तक इलाके में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संतोष शुक्ला सक्रिय हैं उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होंगी. शुक्ला भी ब्राह्मण समुदाय से थे और उनका भी कोर वोट बैंक वही था जिस पर विकास दुबे की नजर थी. इसके अलावा राजनीतिक वरिष्ठता की वजह से भी हालात उनके पक्ष में थे. जावेद अहमद कहते हैं, ‘विकास दुबे ने संतोष शुक्ला की हत्या कर दी. उसे पूरा भरोसा था कि राजनीतिक समर्थन के चलते वह बच जाएगा. राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त संतोश शुक्ला की हत्या 2001 में शिवली नाम के एक इलाके के थाने में हुई थी.’
मामला हाई प्रोफाइल था. जांच शुरू हुई. विकास दुबे को आरोपित बनाया गया. चार्जशीट दाखिल हुई. लेकिन मुकदमे के दौरान सभी गवाह मुकर गए. इनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश पुलिस के कर्मचारी थे. आखिर में सबूतों के अभाव में विकास दुबे को बरी कर दिया गया. प्रवीण मोहता कहते हैं, ‘इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिस वाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी. कोर्ट में विकास दुबे के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिसकी वजह से उसे छोड़ दिया गया.’
जानकारों के मुताबिक सरकार में शामिल लोगों के सहयोग के बिना चाहे ऐसा नहीं हो सकता था. जावेद अहमद कहते हैं, ‘सवाल उठता है कि अभियोजन पक्ष क्या कर रहा था. जिला गवर्नमेंट काउंसिल, जो एक राजनीतिक नियुक्ति मानी जाती है, से पूछताछ होनी चाहिए थी. अभियोजन के प्रभारी जिला मजिस्ट्रेट से भी सवाल किए जाने चाहिए थे. इसके बजाय फैसला हुआ कि विकास दुबे को बरी किए जाने के खिलाफ ऊपरी अदालत में कोई अपील नहीं की जाएगी.’ बीबीसी से बातचीत में लखनऊ में टाइम्स ऑफ इंडिया के राजनीतिक संपादक सुभाष मिश्र कहते हैं, ‘यह बिना सरकार की इच्छा के संभव नहीं था.’ वे आगे जोड़ते हैं, ‘पुलिस उस वक़्त भी उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई थी. विकास दुबे ने जब सरेंडर किया था. उस वक्त बीजेपी की सरकार थी.’ इसके बावजूद पार्टी के ही एक ऐसे वरिष्ठ नेता की हत्या के मामले में, जिसे राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था, कुछ नहीं किया जा सका.
इसके बाद विकास दुबे पर एक और मुकदमा हुआ. यह साल 2000 में एक स्कूल के प्रधानाचार्य की हत्या का मामला था. इसमें 2004 में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई. लेकिन हैरानी की बात है कि हत्या जैसे आरोपों में 60 से भी ज्यादा मुकदमों और गैंगस्टर एक्ट का सामना कर रहे इस अपराधी को थोड़े ही समय बाद जमानत भी मिल गई. 2017 में कानपुर में ही दर्ज दो मामलों में फरार चल रहे विकास दुबे को एसटीएफ़ ने लखनऊ के कृष्णानगर स्थित उसके घर से पकड़ा था. लेकिन इस मामले में भी उसे जमानत मिल गई. सबसे नए मामले की बात करें तो विकास दुबे 2018 में गिरफ्तार हुआ था. उस पर अपने ही एक चचेरे भाई पर जानलेवा हमला करने का आरोप था. लेकिन इसी साल फरवरी में उसे एक बार फिर से जमानत मिल गई थी.
बीते तीन दशक के दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा और बसपा तीनों राजनीतिक दलों की सरकारें रहीं. इन सभी ने अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाए, लेकिन विकास दुबे इन सभी अभियानों से बचा रहा. बल्कि एक समय तो उसे पुलिस की सुरक्षा भी मिली हुई थी. ऐसा क्यों हुआ, यह एक बड़ा सवाल है. असल में भले ही विकास दुबे के काले कारनामों की चर्चा अब दुनिया भर में हो रही हो लेकिन, इस वारदात से पहले तक खुद उसके जिले की पुलिस भी उसे लेकर बहुत गंभीर थी, ऐसा नहीं लगता है. इसका एक उदाहरण यह भी है कि ताजा वारदात से पहले तक विकास दुबे कानपुर के शीर्ष 10 अपराधियों में भी शामिल नहीं था.
अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने से दो या तीन पहले ही कानपुर में एक नए एसएसपी की तैनाती हुई थी और उन्होंने भगोड़े घोषित विकास दुबे पर 25 हजार रु के ईनाम का ऐलान किया था. इससे पहले तक इस दुर्दांत अपराधी पर कोई ईनाम नहीं था. उत्तर प्रदेश में कोई अपराधी कितना बड़ा है, इसका एक पैमाना उस पर घोषित ईनाम भी होता है. लेकिन विकास दुबे का एक लंबे समय तक इससे बचे रहना काफी कुछ बताता है. जावेद अहमद कहते हैं, ‘असल में पुलिस अब कानून और व्यवस्था कायम रखने वाली मशीनरी नहीं रही. उसका काम सिर्फ व्यवस्था कायम रखने का हो गया है.’
राजनीतिक रसूख
बताया जाता है कि चौबेपुर के दो दर्जन से भी ज्यादा ब्राह्मण समुदाय के प्रभुत्व वाले गांवों में विकास दुबे की तूती बोला करती है. इन गांवों में सिर्फ वही प्रधान बनता रहा है जिसे विकास दुबे चाहता था. उसकी यह ताकत सत्ता के साथ उसकी करीबी से आती थी और इस ताकत की वजह से ही वह सत्ता के करीब भी रहा करता था. जावेद अहमद कहते हैं, ‘आखिर जो 20 प्रधानों को निर्विरोध चुनवा सकता हो, वह करीब एक लाख वोट दिलवाने का माद्दा तो रखता ही है. इतने वोट एक विधानसभा सीट जीतने और एक लोकसभा सीट के परिणामों को निर्णायक तरीके से प्रभावित करने के लिए काफी होते हैं.’
सुभाष मिश्र का भी मानना है कि विकास दुबे जैसे लोगों की राजनीतिक दलों में खूब उपयोगिता होती है. वे कहते हैं, ‘चुनाव जीतने में ये महत्वपूर्ण कारक होते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है. सबको मालूम है कि ये ‘जिताऊ लोग’ हैं. इनके पास पैसा, बाहुबल और कभी-कभी जातीय समीकरण भी ऐसा फिट बैठता है कि नेताओं के लिए उपयोगी साबित होते हैं. इसीलिए नेताओं के चुनाव जीतने के बाद ये अपने योगदान की वसूली भी करते हैं.’
जानकारों के मुताबिक इससे पहले विकास दुबे के खिलाफ पुलिस की कभी शिकंजा कसने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि हर पार्टी उसे राजनीतिक संरक्षण देती थी. क्या भाजपा, क्या सपा और क्या बसपा, हर पार्टी के नेताओं या झंडे वाले पोस्टरों के साथ विकास दुबे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इसके बाद हर पार्टी उससे पल्ला झाड़ने में जुटी है.
इस पूरे मुद्दे को लेकर उठने वाले कई सवालों में से एक यह भी है कि पिछले करीब तीन दशक से पुलिस, राजनीति और अपराध के गठजोड़ का फायदा उठा रहे विकास दुबे ने आखिर पुलिस टीम पर इतना घातक हमला क्यों किया? जावेद अहमद कहते हैं, ‘इस अपराधी ने बिना किसी उकसावे के ऐसा क्यों किया, यह सवाल अब भी मुझे हैरान किए हुए है... आखिर उसने वह संतुलन क्यों बिगाड़ा जो उसे एक साथ अपराधी, भूमाफिया, राजनीतिक दलाल और ब्राह्मण रॉबिनहुड होने का मौका दे रहा था?’
सवाल और भी हैं. जैसे इतने कुख्यात गैंगस्टर को पकड़ने के लिए निकली टीम ने अपनी सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान क्यों नहीं रखा? खबरों के मुताबिक डीएसपी समेत तमाम पुलिसकर्मी मौके पर प्रोटेक्टर और हेलमेट के बगैर गए थे. ज्यादातर लोगों के सिर और सीने पर गोलियां लगी हैं. यानी अगर वे सावधानी बरतते तो इनमें से कुछ लोग बच सकते थे. सवाल यह भी है कि घटना के तत्काल बाद कानपुर जिले की सीमा सील क्यों नहीं की गई. जानकारों के मुताबिक अगर ऐसा हुआ होता तो विकास दुबे और उसके सहयोगियों को खोजने के अभियान का दायरा काफी कम होता और उसे अब तक पकड़ लिया गया होगा. खबरें आ रही हैं कि मुठभेड़ वाली रात विकास दुबे ने दो दर्जन से ज्यादा शूटरों को गांव स्थित अपने घर पर बुलाया था. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों के हथियारों के साथ आने की लोकल इंटेलिजेंस को खबर कैसे नहीं हुई?
ऐसे बहुत से सवाल हैं, लेकिन जवाबों के नाम पर फिलहाल अंधेरा है. (satyagrah.scroll.in)
संचालक पॉक्सो में गिरफ्तार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के शुक्रताल आश्रम पर छापा मारकर पूर्वोत्तर के बच्चों को छुड़ाया है। आश्रम में इन बच्चों का यौन शोषण हो रहा था। पुलिस ने आश्रम के संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। उस पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी मामला दर्ज हुआ है।
-आस मोहम्मद कैफ
आश्रम नगरी कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर जनपद के तीर्थस्थल शुक्रताल के एक आश्रम में बेहद ही शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां आश्रम के संचालक अनाथ बच्चों का यौन शोषण कर रहे थे। चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने छापा मारकर बच्चों को छुड़ाया है। मेडिकल जांच में चार बच्चों के यौन शोषण की पुष्टि हुई है। इन सभी बच्चों की उम्र दस साल से कम है। पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर आश्रम के मुख्य संचालक और उसके एक सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया है।
इस शर्मनाक कांड का खुलासा एक बच्चे की हिम्मत और समझदारी से हुआ। आश्रम में रहने वाले मिजोरम के 9 साल के इस बच्चें ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन कर बच्चों पर हो रहे जुल्म की जानकारी दी थी। इसके बाद टीम वहां पहुंची और जांच पड़ताल शुरु की। इस आश्रम का नाम गौड़िया मठ है और यह जनपद के फिरोजपुर रोड स्थित शुक्रताल में है जो फिरोजपुर थाना क्षेत्र में हैं। पुलिस ने जांच के दौरान हुए खुलासे और बच्चों की मेडिकल जांच के आधार पर आश्रम संचालक भक्ति भूषण गोविंद महाराज को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक इस आश्रम में मिज़ोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के यह मासूम बच्चें धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने आए थे। बुधवार को मुज़फ्फरनगर में 1098 पर आई शिकायत के आधार पर चाइल्ड हेल्प लाइन की टीम ने तीर्थ नगरी के नाम से विख्यात शुकतीर्थ स्थित इस आश्रम पर छापा मारा। टीम को जानकारी मिली थी कि गोड़िया मठ आश्रम में मिजोरम और त्रिपुरा को 10 बच्चो को बंधक बनाकर रखा गया है और उनसे आश्रम में चिनाई के काम के साथ साथ पशुओं का चारा भी जंगल से मंगाया जाता था। टीम को बच्चों ने बताया कि काम न करने पर उनकी पिटाई की जाती थी।
चाइल्ड हेल्प लाइन की अध्यक्ष पूनम शर्मा ने बताया कि “हमारे पास 1098 से रजिस्टर्ड होकर सूचना आई थी कि यहां पर जो गोडिया मठ आश्रम है इसमें बच्चों को बंधक बना रखा है। हमने वहां जाकर देखा तो वहां 8 - 10 बच्चे थे उन्होंने बच्चों को इतना डरा रखा था कि सब बच्चे महंत जी की तरफ से ही बोल रहे थे लेकिन बच्चों की घबराहट को देखकर हमें शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है, जिसके बाद हमने बच्चों को विश्वास में लेकर उनसे बात की। इसके बाद बच्चों ने सबकुछ बताना शुरू कर दिया।“
पूनम शर्मा ने बताया कि आश्रम के लोगों ने टीम को शुरु में बच्चों से बात करने से रोका और बच्चों को छिपाने की भी कोशिश की। उन्होने बताया कि जब उन्होंने आश्रम के लोगों को बताया कि वे कोई कार्यवाही नहीं करेंगे बल्कि सिर्फ पूछताछ करेंगे तब कहीं जाकर उन्होंने बच्चों सामने किया। पूनम शर्मा का कहना है कि आश्रम के लोगों ने दो बच्चों को कहीं छिपा दिया है, और टीम 8 बच्चों को ही मुक्त कराकर लाई है। उन्होंने बताया कि एक बच्चे की उम्र करीब 12 साल है, उससे आश्रम में खाना बनाने का काम लिया जाता था और बर्तन भी धुलवाए जाते थे। पूनम शर्मा के मुताबिक बच्चों के शरीर पर उत्पीड़न के निशान मिले हैं।
पुलिस ने आश्रम के संचालक के खिलाफ धारा 323, 504, 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इलाके के पुलिस सीओ राजेश द्विवेदी ने बताया कि मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न की पुष्टि होने के बाद अप्राकृतिक यौन शोषण का मामला भी दायर किया गया है।
..राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई
समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।
विकास दुबे के मुठभेड़ पर अखिलेश यादव बोले- ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई
समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।”
एसटीएफ काफिले की गाड़ी पलटने से 4 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं: कानपुर आईजी
कानपुर आजीजी ने बताया कि गाड़ी पलटने से पुलिस के चार लोग घायल हुए हैं, उनका इलाज चल रहा है।
विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, इस दौरान मारा गया: पुलिस
10 Jul 2020, 7:49 AM
विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही STF की गाड़ी पलटी, गाड़ी में विकास था सवार
कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। बताया जा रहा है कि जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई है, उसमें विकास दुबे भी सवार था। हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ है।
10 Jul 2020, 7:59 AM
मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे, STF की गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर
एनकाउंटर में विकास दुबे की मारे जाने की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। खबरों के मुताबिक इसी दौरान पुलिस की गोली का विकास दुबे शिकार हो गया।
कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर ला रही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बताया जा रहा है कि जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई है, उसमें विकास दुबे भी सवार था। हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ है।
10 Jul 2020, 8:24 AM
यूपी पुलिस ने विकास दुबे की मौत की पुष्टि की
यूपी पुलिस ने विकास दुबे की मौत की पुष्टि कर दी है। कानपुर पश्चि के एसपी ने मीडिया से बात करते हुए बताया “विकास दुबे को जब लाया जा रहा था तब गाड़ी पलट गई, इसमें जो पुलिसकर्मी घायल हुए उसने उनका पिस्टल छीनने की कोशिश की। पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर कर आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की, जिसमें उसने जवाबी फायरिंग की। आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की। इस दौरान गोली लगने से वह घायल हो गया। विकास को अस्पाल ले जाया गया, जहां पुलिस ने उसे मृत घोषित कर दिया।”
विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, इस दौरान मारा गया: पुलिस
यूपी पुलिस ने विकास दुबे की मौत की पुष्टि की
यूपी पुलिस ने विकास दुबे की मौत की पुष्टि कर दी है। कानपुर पश्चि के एसपी ने मीडिया से बात करते हुए बताया “विकास दुबे को जब लाया जा रहा था तब गाड़ी पलट गई, इसमें जो पुलिसकर्मी घायल हुए उसने उनका पिस्टल छीनने की कोशिश की। पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर कर आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की, जिसमें उसने जवाबी फायरिंग की। आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की। इस दौरान गोली लगने से वह घायल हो गया। विकास को अस्पाल ले जाया गया, जहां पुलिस ने उसे मृत घोषित कर दिया
मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे, STF की गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर
एनकाउंटर में विकास दुबे की मारे जाने की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। खबरों के मुताबिक इसी दौरान पुलिस की गोली का विकास दुबे शिकार हो गया।
कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर ला रही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बताया जा रहा है कि जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई है, उसमें विकास दुबे भी सवार था। हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ है
विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही STF की गाड़ी पलटी, गाड़ी में विकास था सवार
कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। बताया जा रहा है कि जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई है, उसमें विकास दुबे भी सवार था। हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ है। (ANI)
वर्क फ्राॅम होम खत्म
गृह मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी, काॅलेज और सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को खोलने की छूट दे दी है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की गुजारिश पर गृह मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी और काॅलेज समेत देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को खोलने की छूट दे दी है। परीक्षाओं के आयोजन, उनसे जुड़ी गतिविधि, मूल्यांकन के लिए संस्थान खोलने की इजाजत दी गई है। इसके साथ ही MHRD ने वर्क फ्राॅम होम का आदेश खत्म कर दिया गया है। इस ओदश के बाद यूनिवर्सिटी अब अपने फाइनल एग्जाम करा सकती हैं।
इसके बारे में अंडर सेक्रेटरी विद्या सागर राय ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्रालय की ओर से यूजीसी, ऑल इंडिया काउंसिल फाॅर टेक्निकल एजूकेशन (AICTE) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी व अन्य संस्थानों को जारी इस दिशा-निर्देश में कहा गया है कि फाइनल टर्म एग्जाम कराने और उनके मूल्यांकन से जुड़ी गतिविधियों के लिए शिक्षण संस्थान खोले जाएंगे। एडमिशन समेत इन सभी कामकाज से जुड़े अधिकारी, फेकल्टी और नाॅन-टीचिंग स्टाफ पर अब वर्क फ्राॅर्म होम के आदेश लागू नहीं होंगे।
मंत्रालय ने 6 जुलाई को यूजीसी की बैठक के बाद फाइनल एग्जाम कराने के आदेश के तहत ये नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें बताया गया है कि मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से शिक्षण संस्थान खोलने की अनुमति मांगी थी जिसके लिए अनलाॅक-2 की प्रक्रिया में भी छूट दे दी गई है। अब संस्थान खोले जा सकते हैं और फेकल्टी-स्टाफ बुलाया जा सकता है। अभी क्लास नहीं चलेंगी जबकि ऑनलाइन एजूकेशन जारी रहेगी।
इस आदेश के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में अब परीक्षाओं की तैयारियां शुरू करनी है। एडमिशन की प्रक्रिया भी जारी है। इन नए आदेशों से साफ है कि यूनिवर्सिटी-काॅलेजों से जुड़े फेकल्टी और स्टाफ को ऑफिस से काम करना होगा। शिक्षण संस्थानों के लिए भी अपने प्रशासनिक कामकाज अब ऑफिस से शुरू करने होंगे।
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर अनलाॅक-2 की गाइडलाइन जारी करने के बाद एमएचआरडी ने 30 जून को नए दिशा-निर्देश जारी किए थे। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे की ओर से जारी इस पत्र में कहा गया था कि यूजीसी, एआईसीटीई और एमएचआरडी के अंतर्गत आने वाले संस्थानों की फेकल्टी, टीचर, रिसर्चर और नाॅन-टीचिंग स्टाफ को 31 जुलाई तक वर्क फ्राॅम होम की इजाजत दी जाएगी। 31 जुलाई तक इन्हें ऑन ड्यूटी माना जाएगा।
अब यूजीसी की नई गाइडलाइन जारी होने के बाद मंत्रालय के नए आदेश के मुताबिक परीक्षा संबंधी कामकाज, मूल्यांकन या एडमिशन प्रक्रिया से जुड़ा स्टाफ-फेकल्टी को वर्क फ्राॅम होम का नियम लागू नहीं होगा। इनके घर से काम को ऑन ड्यूटी नहीं माना जाएगा। इससे साफ है कि अब इन्हें ऑफिस आकर कामकाज करना होगा। इन्हें घर से काम की छूट नहीं दी जाएगी। देश भर केंद्रीय विश्वविद्यालयों को भी अपने ऑफिस से कामकाज करना होगा। (theuniversity.in)
डीजीपी अवस्थी ने दिया इन्द्रधनुष पुरस्कार, गृहमंत्री ने भी दी बधाई
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायगढ़, 9 जुलाई। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किरोड़ीमल नगर स्थित आजाद चौक में 3 जुलाई शुक्रवार की दोपहर दो बजे फिल्मी स्टाईल में गोली चलाकर एटीएम वैन चालक की हत्या व गार्ड को गोली मारकर 14 लाख रुपए से भी अधिक लूट मामले में रायगढ़ पुलिस ने मात्र 10 घंटे के भीतर दोनों आरोपियों को नगद राशि सहित तीन हथियार तथा 26 जिंदा कारतूस के अलावा अन्य सामान के साथ बरामद करते हुए बडी कामयाबी हासिल की थी। छत्तीसगढ़ में पहली बार 10 घंटे के भीतर हत्या व लूट के खूंखार अपराधियों को दबोचने वाली रायगढ़ पुलिस को पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी द्वारा सफलता पर धन्द्रधनुष पुरस्कार से सम्मानित करने रायपुर बुलाया गया था। कार्यक्रम के पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू अपने रायपुर निवास में पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह एवं उनकी टीम को बुलाकर इस सफलता पर बधाई देते हुए पीठ थपथपाई है।
आज सुबह पुलिस मेस रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में इन्द्रधुनष योजना के तहत जिला रायगढ़ एटीएम लूट की घटना का खुलासा करने वाले पुलिस अधिकारी व जवानों को इन्द्रधनुष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुलिस महानिदेशक श्री अवस्थी ने कहा कि रायगढ़ पुलिस द्वारा प्रोफेशनल गिरोह को 10 घंटे के भीतर हथियार एवं लूट की पूरी रकम के साथ साहस और जोखिम उठाकर उत्कृष्ट कार्य कुशलता से पकड़े, ऐसा कार्य प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि कांस्टेबल से पुलिस अधीक्षक तक एक साथ मिलकर कार्य करते हैं तो रिजल्ट अच्छा आता है। रायगढ़ एटीएम लूट में कांस्टेबल से एसपी, आईजीपी तक सही दिशा में कार्य करने पर शीघ्र सफलता मिली है। वे राज्य के सभी जिलों में पुलिसिंग के कार्य पर संतोष जताया।
इनका हुआ इंद्रधनुषी सम्मान
रायगढ़ के एटीएम लूट की घटना का शीघ्रतापूर्वक खुलासा पर इन्द्रधनुष पुरस्कार के लिये इन 33 अधिकारी व कर्मचारियों का चयन हुआ- दीपांशु काबरा, आईजी बिलासपुर, संतोष कुमार सिंह, एसपी रायगढ़, अभिषेक वर्मा, ए.एस.पी. रायगढ़, अविनाश ठाकुर सीएसपी रायगढ़, पुष्पेंद्र सिंह बघेल, डीएसपी यातायात रायगढ़, निरीक्षक एस.एन. सिंह, निरीक्षक युवराज तिवारी, निरीक्षक विवेक पाटले, निरीक्षक अमित सिंह, निरीक्षक अमित शुक्ला, निरीक्षक डी.एस. मारकंडे, उपनिरीक्षक कमल किशोर पटेल, सउनि डीपी भारद्वाज, सउनि सोहनलाल साहु, सउनि अर्जुन चंद्रा, प्र.आर. 628 राजेश पटेल, प्र.आर. 578 दुर्गेश सिंह, प्र.आर. 68 धनेश्वर उरांव, प्र.आर. 06 लोमेश राजपूत, प्र.आर. 292 राजेंद्र पटेल, आरक्षक 592 बृज लाल गुर्जर, आर. 629 मुकेश साहू, आर. 639 भूपेंद्र सिंह, आर. 107 हेमप्रकाश सोन, आर. 428 बालचंद राव, आर. 624 धर्मेंद्र सिंह ठाकुर, आर. 254 राहुल सिदार, आर. 628 अभिषेक द्विवेदी, आर. 278 विनय तिवारी, आर. 411 विकास सिंह, आर. 444 महेश पंडा, आर. 199 मुरली मनोहर पटेल, आर. 252 भुनेश्वर पटेल, जिला रायगढ़।
लखनऊ, 9 जुलाई। यूपी में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। आलम यह है कि रोजाना हजार के ऊपर संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में शुक्रवार की रात्रि 10 बजे से लेकर 13 जुलाई अर्थात सोमवार की सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है।
देश में जारी कोरोनावायरस संकट के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरे राज्य में एक बार फिर लॉकडाउन लागू करने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश में 10 जुलाई यानी शुक्रवार रात 10 बजे से 13 जुलाई सुबह 5 बजे तक फिर से लॉकडाउन लागू किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 31 हजार पार कर चुका है और राज्य में अब तक 845 लोगों की जान जा चुकी है. राज्य में फिलहाल 9 हजार 900 से ज्यादा एक्टिव मामले हैं वहीं, 20 हजार से ज्यादा लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई. (navbharattimes.indiatimes.com)
बिलासपुर, 9 जुलाई। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् ने नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया द्वारा परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष संतकुमार नेताम को ‘मोहरा’ बताने पर आपत्ति जताई है और उन्हें अपना बयान वापस लेने की मांग की है।
ज्ञात हो कि संतकुमार नेताम उन आदिवासी नेताओं में से हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के आदिवासी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी है। बिलासपुर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान मंत्री डहरिया से पूछा गया था कि क्या मरवाही उप-चुनाव में अमित जोगी को बाहर रखने के लिये फिर से संतकुमार नेताम को मोहरा बनाया जा रहा है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा था कि सब जानते हैं, नेताम किसका मोहरा था। उनका इशारा भाजपा की ओर था, जहां नेताम पहले थे। अब वे कांग्रेस में हैं।
डॉ. डहरिया के इस बयान पर परिषद् की ओर से जारी विज्ञप्ति में सदस्य चक्रधर प्रताप साय ने कहा कि आदिवासी समाज के नेता पढ़े-लिखे हैं और अपना बुरा-भला समझते हैं। मोहरा जैसा शब्द प्रयोग करना मंत्री की समझ की कमी है। नेताम इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं और बीते 30 वर्षों से समाज के उत्थान के लिये काम कर रहे हैं। झूठे प्रमाण पत्र के खिलाफ नेताम ने साहसिक लड़ाई लड़ी है। उन्हें मोहरा बताना आदिवासी समाज को स्वीकार्य नहीं है और वे आहत हैं। मंत्री खुद अनुसूचित जाति से आते हैं कम से कम उन्हें इन मामलों की समझ होनी चाहिये।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 जुलाई। मुंगेली जिले की पुलिस ने तहसीलदार की रिपोर्ट पर यू ट्यूब में न्यूज चैनल चलाने वाले तीन लोगों के खिलाफ जबरदस्ती वसूली में विफल होने के बाद गलत समाचार प्रसारित करने के आरोप में अपराध दर्ज किया है।
मुंगेली तहसीलदार ने अमित सिन्हा ने रिपोर्ट में कहा है कि कुछ दिन पहले उन्हें सूचना मिली कि गोपतपुर ग्राम में अज्ञात लोग अवैध उत्खनन कर रहे हैं। जानकारी मिलने पर खनन में लिप्त कोटवार कृष्ण कुमार को उन्होंने निलम्बित कर दिया। इसकी सूचना एसडीएम को दी गई। घटना के कुछ दिन बात यू ट्यूब चैनल आरजे रमझाझर के सम्पादक पुखराज सिंह तथा रिपोर्टर संदीप कुमार पात्रे और नीलकमल सिंह ने कलेक्टर परिसर में उक्त अवैध खनन को प्रश्रय देने का आरोप लगाया और समाचार प्रसारित नहीं करने के एवज में रुपये की मांग की। रुपये देने से इंकार करने पर उन्होंने प्रशासन और मेरी पद की छवि धूमिल करने के लिये किसी तथ्य के बिना दुष्प्रचार किया। प्रार्थी ने रिपोर्ट देर से लिखवाने का कारण व्यस्त होना बताया है।
सिटी कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 384 और 34 के तहत अपराध दर्ज किया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 जुलाई। दक्षिण पूर्व रेल मंडल के बिलासपुर मंडल से कल रात देश की सबसे लम्बी दूरी तक लम्बी ट्रेन चलाई गई। इसके पहले रायपुर रेल मंडल से भी एक लम्बी ट्रेन का परिचालन पिछले सप्ताह किया गया था।
एसईसीआर के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि बिलासपुर मंडल के शहडोल से यह ट्रेन पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल के मोतीपुरा तक करीब 540 किलोमीटर चली। इसमें 177 लोडेड वैगन थे। इस लॉगहॉल ट्रेन को रेलवे ने ‘सुपर एनाकोंडा’ नाम दिया है। इस ट्रेन की लम्बाई करीब 2 किलोमीटर थी। दूरी के हिसाब से इतने वैगनों के साथ देश में कोई दूसरी मालगाड़ी अब तक नहीं चलाई गई है।
बीते दो जुलाई को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर डिवीजन से कोरबा तक भी एक लम्बी ट्रेन ‘शेषनाग’ नाम से चलाई गई थी। यह ट्रेन कल रात चलाई गई ट्रेन से ज्यादा लम्बी थी। उसमें करीब 251 बोगियां थी और ट्रेन की लम्बाई 2.8 किलोमीटर थी।
रायपुर रेल मंडल के भिलाई से भी ओडिशा तक 325 किलोमीटर तक लांग हॉल सुपर एनाकोन्डा ट्रेन बीते 30 जून को चलाई गई थी।
इनमें लम्बी गाड़ियों में एक साथ तीन इंजन लगाये जाते हैं। माल परिवहन में लगने वाले समय और खर्च में बचत के लिये दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा यह प्रयोग किया जा रहा है। लोडेड मालगाड़ियों की औसत रफ्तार जहां 20 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है, इस प्रयोग से उसकी रफ्तार 50 किलोमीटर मापी गई। खाली रैक अब 50 या 60 किलोमीटर की रफ्तार की जगह 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही हैं।
रायपुर जिले से 56
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 जुलाई। स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार आज रात 8 बजे तक राज्य में 146 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है। जिसमें रायपुर से 56, नारायपुर 38, बीजापुर 13, कोरबा 9, सरगुजा 6, बलरामपुर और बिलासपुर से 5-5, जांजगीर-चांपा 3, दंतेवाड़ा, कांकेर और बेमेतरा से 2-2, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, सूरजपुर, और जशपुर से 1-1 मरीज मिले हैं।
आज प्रदेश भर से 68 मरीज स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज हुए हैं।
राज्य में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3679, और एक्टिव मरीजों की संख्या 761 है।
कोरबा, 9 जुलाई। शहर के मध्य में स्थित अशोक वाटिका को सौंदर्यीकरण कर संवारने की जिला प्रशासन की योजना आने वाले दिनों में फलीभूत होती दिख रही है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने अशोक वाटिका को संवारने के लिए अधिकारियों के साथ औचक निरीक्षण किया। श्रीमती कौशल ने वाटिका के सौंदर्यीकरण के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाकर एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। मौके पर उपस्थित नगर निगम आयुक्त एस.जयवर्धन ने बताया कि अशोक वाटिका को आक्सीजोंन के साथ-साथ संपूर्ण वानस्पितिक पार्क के रूप में विकसित करने के लिए निगम तथा वन विभाग के अधिकारियों ने पहले एक कार्य योजना तैयार की थी। कलेक्टर ने पहले की कार्य योजना को भी मौके पर ही नक्शे पर देखा और उसमें वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से परिवर्तन के निर्देश दिए।
श्रीमती कौशल ने वाटिका में पानी की व्यवस्था को प्राथमिकता से करने के लिए कहा। उन्होंने लोगों को मार्निंग-इवनिंग वॅाक के लिए सुविधा देने व्यवस्थित मार्ग बनाने, महिला - पुरूषों के लिए अलग-अलग ओपन जिम लगाने के साथ-साथ शहर के लोगों को योग के लिए बड़ा शेड भी बनाने को भी कार्य योजना में शामिल करने के निर्देश दिए।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस लगभग 17 हेक्टेयर रकबे की अशोक वाटिका में बटरफ्लाई पार्क स्थापित करने की भी योजना है। विभिन्न प्रकार के फल-फूलदार पौधों का रोपण कर वाटिका के एक भाग में विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी तितलियों के संरक्षण संवर्धन के लिए भी प्रयास किये जायेंगे। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने अशोक वाटिका के सौंदर्यीकरण और समुचित विकास के लिए समेकित कार्य योजना बनाकर एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए ताकि सौंदर्यीकरण का काम जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।
भारतीय जवानों की शहादत कहां हुई?
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गलवान घाटी के तनाव वाले इलाके से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की बात का स्वागत किया है। हालांकि उन्होंने सवाल भी उठाया है कि अगर चीनी सैनिक विस्थापित हुए थे तो अब तक वो किस स्थान पर थे।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 और 15 से करीब 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं, जबकि हॉट स्प्रिंग्स में पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि 15 जून को पेट्रेलिंग पॉइंट 14 पर भारतीय सेना के जवानों और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे। कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के अनुसार, इन क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किलोमीटर का एक बफर जोन बनाया जाना है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गलवान घाटी के तनाव वाले इलाके से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की बात का स्वागत किया है। हालांकि उन्होंने सवाल भी उठाया है कि अगर चीनी सैनिक विस्थापित हुए थे तो अब तक वो किस स्थान पर थे। क्या वो भारतीय सरजमीं पर थे? और अगर नहीं तो 20 भारतीय जवानों की शहादत किस स्थान पर हुई? उन्होंने कहा कि ये वो सवाल हैं जिनका जवाब हर भारतीय को चाहिए और इसका पता लगाने के लिए लोग ट्रेजर हंट पर हैं।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को ट्वीट कर चीन की सेना के पीछे हटने का स्वागत करते करते हुए चीनी सैनिकों के अतिक्रमण को लेकर सरकार से सवाल भी किए हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या कोई वह स्थान बताएगा जहां से चीनी सैनिक विस्थापित हुए और अब वे किस स्थान पर हैं। इसी प्रकार वह कौन सा स्थान है जहां से भारतीय सैनिक विस्थापित हुए? क्या कोई भी चीनी या भारतीय टुकड़ी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के एक तरफ से दूसरी तरफ गई थी? उन्होंने आगे लिखा है कि इन सवालों के जवाब आवश्यक हैं क्योंकि भारतीय लोग 15 जून को क्या हुआ और कहां हुआ, इसका पता लगाने के लिए ट्रेजर हंट पर हैं।’
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच लगातार हो रही वार्ता के बाद आखिरकार भारत का दबाव काम आया और चीन ने गलवान घाटी के तनाव वाले इलाके से अपने सैनिकों को दो किलोमीटर पीछे हटा लिया है। चीनी सैनिकों ने गलवान, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से भी अपने कैंप पीछे हटाए हैं।(navjiwan)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 9 जुलाई। नाबालिग के माध्यम से घर पर नहा रही युवतियों का वीडियो बनवा कर अनैतिक संबंध बनाने का दबाव बनाने वाले दो आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
सीएसईबी पुलिस चौकी निवासी दो युवतिया पुलिस चौकी में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई की ईश्वर साहू एवं बीरेंद्र कुमार मानिकपुरी निवासी पम्प हाउस कोरबा के द्वारा इनसे छेड़छाड़ कर अनैतिक सम्बन्ध बनाने दबाव बना रहे हैं। आरोपियों द्वारा वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी दे रहे है। आरोपियों ने बाथरूम में नहाते समय एक नाबालिग के माध्यम से वीडियो बनाने का प्रयास किया है। उक्त शिकायत पर थाना कोतवाली में धारा 354 क,354 ग व पाक्सो एक्ट के अंतर्गत पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपीगण को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर अपराध कबूल लिया।
बताया जा रहा है कि आरोपियों ने नाबालिग के माध्यम से वीडियो बनवाने का प्रयास किया लेकिन बाथरूम का दरवाजा व खिडक़ी बन्द होने के कारण सफलता नहीं मिल पाई। आरोपीगण से मोबाइल बरामद कर जांच किया गया जिसमें मोबाइल में कोई आपत्तिजनक फोटो व वीडियो नहीं पाया गया है। आरोपीगण को उपरोक्त अपराध में गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा जा रहा है।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तान की राजधानी में एक कृष्ण मंदिर के निर्माण के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं को प्रभावहीन बताते हुए ख़ारिज कर दिया है.
इन याचिकाओं पर फ़ैसला सुनाते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने कहा कि 'राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) के अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों के पास राजधानी के भीतर किसी भी धार्मिक स्थल को ज़मीन देने की शक्तियाँ हैं और मंदिर के लिए ज़मीन राजधानी के मास्टर प्लान के अनुसार दी गई है, इसलिए अदालत याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गए बिंदुओं को ख़ारिज करती है.'
फ़ैसला पढ़ते हुए, जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने कहा कि 'इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उन्हें बतलाया गया कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी में तीन हिन्दू मंदिर हैं जो इन दो शहरों में रहने वाली हिन्दू आबादी की ज़रूरतों के लिए पर्याप्त हैं.'
उन्होंने बताया कि कोर्ट में यह दलील भी दी गई कि महामारी के दौरान जब देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही सिकुड़ रही है, तब कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च करना राष्ट्रीय ख़ज़ाने को बर्बाद करने के समान है.
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि 'मंदिर निर्माण के लिए अभी तक कोई धनराशि जारी नहीं की गई है और सरकार ने पहले ही इस विषय पर इस्लामिक वैचारिक परिषद से सुझाव लेने की बात कही है.'
पाकिस्तान के कुछ मौलवियों द्वारा यह दलील दी गई थी कि 'उनके यहाँ की इस्लामिक सरकार धार्मिक नज़रिये से किसी मंदिर के निर्माण के लिए फंड नहीं दे सकती.'
मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ थीं तीन याचिकाएं
अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि 'पाकिस्तान के संविधान में दिये अनुच्छेद-20 के तहत, देश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यकों को स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक संस्कार करने का अधिकार है.'
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि 'मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ दायर हुई इन याचिकाओं में उठाये गए बिन्दुओं के मद्देनज़र, अदालत मानती है कि वो इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, इसलिए इनका निपटारा किया जाता है. हालांकि, अगर भविष्य में याचिकाकर्ताओं को लगता है कि उनके अधिकारों का किसी भी तरह से उल्लंघन हुआ है तो वे फिर से अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.'
ग़ौरतलब है कि इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं और यह मुद्दा बनाया गया था कि मंदिर का निर्माण इस्लामाबाद के मास्टर प्लान में शामिल नहीं था.
पाकिस्तान में मानवाधिकारों के संसदीय सचिव और इमरान ख़ान की सत्ताधारी तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी (पीटीआई) के सदस्य लाल चंद मल्ही ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "रिपोर्टों से पता चलता है कि मंदिर के निर्माण के ख़िलाफ़ दायर हुईं याचिकाएं ख़ारिज कर दी गई हैं और इस्लामाबाद हिन्दू पंचायत को निर्माण से पहले क़ागज़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा गया है. हिन्दू समुदाय अदालत के फ़ैसले का स्वागत करता है और ईमानदारी से इसका पालन करने की कसम खाता है."
विवाद शुरू कैसे हुआ?
पिछले सप्ताह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण पर विवाद ने तब एक नया मोड़ ले लिया था, जब इसकी चारदीवारी के निर्माण का काम रोका गया.
कई दिनों से सोशल मीडिया पर अटकलें लगाई जा रही थीं कि धार्मिक भेदभाव की वजह से मंदिर के निर्माण का काम रोका गया है, लेकिन सीडीए ने ऐसी तमाम अटकलों का खंडन किया है.
बीबीसी से बात करते हुए सीडीए के प्रवक्ता मज़हर हुसैन ने कहा कि 'मंदिर का निर्माण कार्य बिल्डिंग प्लान (नक्शा) जमा ना कराये जाने के कारण रोका गया है. सीडीए को अब तक नक्शा नहीं मिला है. इसलिए ये कहना सही होगा कि मंदिर निर्माण का काम स्थगित कर दिया गया है.'
उन्होंने कहा कि मंदिर भवन का प्लान मिलने पर निर्माण की इजाज़त दे दी जाएगी.
बीबीसी से बात करते हुए, सीडीए के अध्यक्ष आमिर अहमद अली ने कहा कि 'इस्लामाबाद के सेक्टर-एच 9 में मंदिर के लिए भूमि का आवंटन करने पर कोई विवाद नहीं था. कुछ साल पहले भूमि हिन्दू समुदाय को सौंप दी गई थी. हालांकि, निर्माण कार्य के लिए आगे बढ़ने से पहले समुदाय द्वारा बिल्डिंग प्लान के लिए मंज़ूरी लेना ज़रूरी था.'
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताते हुए, सीडीए के अध्यक्ष ने कहा कि 'मंदिर का निर्माण कार्य रोका नहीं गया था, बल्कि उसे निलंबित कर दिया गया है. सीडीए स्टाफ़ निर्माण की अनुमति देने से पहले भूमि पर सीमांकन की समीक्षा करेगा.'
लाल चंद मल्ही का कहना है कि 'इस्लामाबाद हिन्दू पंचायत फ़िलहाल आवंटित भूमि पर सिर्फ़ अपनी एक दीवार खड़ी करना चाहती थी. मई के महीने में इस संबंध में सीडीए को एक अनुरोध पत्र भेजा गया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.'
लाल चंद के अनुसार, परियोजना से संबंधित सभी दस्तावेज़ धार्मिक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्तुत किए गए हैं.
राजनीतिक और धार्मिक दलों का विरोध
पाकिस्तान में लगभग 8,00,000 हिन्दू हैं. अधिकांश हिन्दू परिवार सिंध प्रांत में रहते हैं, जबकि राजधानी इस्लामाबाद में रहने वाले हिंदुओं की संख्या लगभग 3,000 है.
जब से पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने इस मंदिर परियोजना के लिए ज़मीन दी है, तभी से धार्मिक हलकों में इसका विरोध हो रहा है.
लाहौर के जामिया अशरफ़िया के मुफ़्ती मोहम्मद ज़कारिया ने मंदिर के निर्माण पर फ़तवा जारी करते हुए कहा कि 'इस्लाम के अनुसार अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों को बनाए रखना और उन्हें बहाल करना जायज़ है, लेकिन नए मंदिर नहीं बनाये जा सकते हैं.'
सोशल मीडिया पर भी मंदिर के निर्माण का विरोध करने वाले अधिकांश लोग यह तर्क दे रहे हैं कि हिंदू मंदिर के निर्माण का पैसा सरकारी ख़ज़ाने से नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह एक इस्लामिक देश है और इस्लामाबाद में हिन्दुओं की संख्या भी बहुत कम है.
दूसरी ओर, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल-हक़ क़ादरी ने भी मंदिर के निर्माण के संबंध में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 'इस परियोजना के लिए इस्लामिक वैचारिक परिषद की सिफ़ारिशों के अनुसार ही धन आवंटित किया जाएगा.'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 27 जून को अल्पसंख्यक प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी बैठक में मंदिर परियोजना के पहले चरण के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आवंटन को मंज़ूरी देने पर सहमति व्यक्त की.
इस मंदिर परियोजना का राजनीतिक विरोध भी हुआ है. इमरान ख़ान की सरकार के गठबंधन सहयोगियों में से एक और पंजाब विधानसभा के स्पीकर चौधरी परवेज़ इलाही ने मंदिर के निर्माण का विरोध करते हुए कहा कि 'नए मंदिरों का निर्माण करना इस्लाम की भावना के ख़िलाफ़ है.'
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को हिन्दू समुदाय की सुविधा और उनकी श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए मौजूदा मंदिरों को बहाल करना चाहिए और उनकी मरम्मत करवानी चाहिए.
कुछ राजनेता और सोशल मीडिया यूज़र नए मंदिर के निर्माण के विचार का समर्थन भी कर रहे हैं. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फ़वाद चौधरी ने एक ट्वीट में लिखा है कि "यह अल्पसंख्यकों के प्रति सहिष्णुता और सद्भावना का प्रतीक होगा."
इस बीच लाल चंद ने आरोप लगाया कि मंदिर के निर्माण स्थल पर तोड़फोड़ की गई है.
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उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, "स्थानीय प्रशासन द्वारा मिले आश्वासन के बावजूद कि वहाँ पुलिस की तैनाती की जाएगी, कोई कार्यवाही नहीं हुई. इस वजह से कुछ अज्ञात आरोपियों ने सुरक्षा गार्डों पर काबू पा लिया और कल रात लगभग एक टन लोहा निकाल ले गये."
लेकिन पुलिस ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया है. पुलिस का कहना है कि ठेकेदार ने परियोजना की क़ानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं होने तक निर्माण सामग्री को साइट से हटा लिया है.(bbc)
दिल्ली, 9 जुलाई। नॉर्थ एमसीडी के हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स को वेतन न मिलने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब वकील अदालत में आकर कहते हैं कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैसा चाहिए तो डॉक्टर, जो कोरोना योद्धा हैं, उन्हें भी तो वेतन चाहिए.
नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल और कस्तूरबा अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स को वेतन न मिलने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाये रखा.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जैन की पीठ ने कहा, ‘हम डॉक्टर्स को कोरोना वॉरियर कह रहे हैं, क्या हम उन्हें वेतन नहीं दे सकते हैं?’
अदालत कुछ खबरों पर आधारित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने इस्तीफे की धमकी दी है क्योंकि उन्हें इस साल मार्च महीने से वेतन नहीं मिला है.
खबरों में यह भी कहा गया कि हाल ही में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने मार्च, अप्रैल और मई महीनों के वेतन नहीं मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह रेजीडेंट डॉक्टरों समेत कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहा क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही का पूरा धन जारी नहीं किया है.
इस पर पीठ ने कहा कि सभी वेतनभोगी लोग गरीब होते हैं. निगम ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार पर वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में निगम का 162 करोड़ रुपये बकाया है और उसमें से केवल 27 करोड़ जारी करने की अनुमति दी गयी है जो भी अभी आए नहीं हैं.
इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि सात जुलाई को दाखिल उसकी रिपोर्ट में अनेक विभागों द्वारा निगम को जारी राशि का उल्लेख किया गया है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सारी बकाया राशि को मंजूरी दे दी है. पीठ ने दिल्ली सरकार को निगम की दलीलों पर जवाब देने को कहा है और अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई तय की है.
अदालत ने कहा कि जब वकील अदालत में आकर कहते हैं कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैसा चाहिए तो डॉक्टर, जो कोरोना योद्धा हैं, उन्हें भी तो वेतन चाहिए.
पीठ ने यह भी साफ किया कि वह केवल निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों के वेतन बकाया के मामलों पर विचार कर रही है न कि सभी डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के.(thewire)
कानपुर, 9 जुलाई । कानपुर मुठभेड़ के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की मध्य प्रदेश में गिरफ्तारी पर जहां बीजेपी नेता इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं वहीं विपक्षी नेताओं ने इसपर सवाल उठाए हुए हैं।
अखिलेश यादव ने एक ट्वीट कर लिखा -खबर आ रही है कि कानपुर-काण्ड का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है। अगर ये सच है तो सरकार साफ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी। साथ ही उसके मोबाइल की सीडीआर सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, कानपुर के जघन्य हत्याकांड में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वह पूरी तरह फेल साबित हुई। अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कई ट्वीट किए। दिग्विजय ने लिखा, मैं शिवराज से विकास दुबे की गिरफ्तारी या सरेंडर की न्यायिक जॉंच की मांग करता हूं। इस कुख्यात गैंगस्टर के किस किस नेता और पुलिसकर्मियों से सम्पर्क हैं जॉंच होनी चाहिए। विकास दुबे को न्यायिक हिरासत में रखते हुए इसकी पुख़्ता सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए ताकि सारे राज सामने आ सकें।
दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में ये भी कहा कि यूपी चुनावों में नरोत्तम मिश्रा कानपुरी बीजेपी इंचार्ज भी थे, क्या कोई घंटी बजी? मिश्रा अभी मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास दुबे को गिरफ्तार किए जाने के लिए उज्जैन पुलिस को बधाई दी है।
शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धूल जाएंगे। उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं। हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख्श्ने वाली नहीं है।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ये सबसे खूंखार और अधिक इनाम वाला अपराधी था। आठ पुलिस अधिकारियों का हत्यारा आज उज्जैन से गिरफ्तार हुआ है। यूपी पुलिस ने काफी परिश्रम किया। विकास की गैंग के कई बड़े अपराधी मारे भी गए हैं। ये यूपी पुलिस का डर है जिसकी वजह से विकास दुबे को यूपी से बाहर जाकर समर्पण जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। यूपी और एमपी पुलिस को धन्यवाद, बधाई।
कानपुर में आठ पुलिकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप देगी। इस बारे में उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने भी विकास दुबे की गिरफ्तारी की पुष्टि की लेकिन ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पकडक़र मध्य प्रदेश पुलिस को सौंपा। ये भी कहा जा रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में पहुंचने की सूचना किन्हीं स्रोतों से खुद पुलिस तक पहुंचाई थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस को कानपुर जि़ले में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में बीते 6 दिनों से पुलिस को विकास दुबे की तलाश थी। पुलिस के अनुसार शुक्रवार, 2-3 जुलाई की रात को कानपुर जिले के थाना चौबेपुर में पडऩे वाले बिकरु गांव में यह गोली-कांड हुआ था।(bbc)
महाराष्ट्र में गन्ना काटने वाले ठेकेदार उन महिलाओं को काम पर रखने के लिए तैयार नहीं हैं जिनकी माहवारी नियमित होती है। इसीलिए इस इलाके में महिलाओं का गर्भाशय निकाल देना आम चलन है। आप शायद ही इन गांवों में ऐसी महिलाओं से मिल पायेंगे जिनका गर्भाशय है। ये गाँव गर्भाशय विहीन महिलाओं के गाँव हैं। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के सूखा प्रभावित बीड जिले के हाजीपुर गांव में अपने छोटे से घर में बैठी मंदा उंगले बहुत ही दर्द के साथ यह बमुश्किल बयां कर पाती हैं। वंजरवाड़ी में, जहाँ 50 फ़ीसद महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया गया है, महिलाओं का कहना है कि गाँवों में दो या तीन बच्चे होने के बाद गर्भाशय को निकालना आम बात है।
इन महिलाओं में से अधिकांश गन्ना काटने वाली मजदूर हैं और गन्ना काटने के मौसम के दौरान पश्चिमी महाराष्ट्र के चीनी बेल्ट में प्रवास करती हैं। सूखे की तीव्रता के साथ, प्रवासियों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। एक अन्य गन्ना काटने वाली सत्यभामा कहती हैं, ‘मुकादम (ठेकेदार) अपने गन्ने के मजदूरों के समूह में बिना गर्भाशय वाली महिला को लेने को ज्यादा इच्छुक होता है।’ क्षेत्र के लाखों पुरुष और महिलाएं अक्टूबर और मार्च के बीच गन्ना कटर के रूप में काम करने के लिए पलायन करते हैं। ठेकेदार एक इकाई के रूप में गिने गए पति और पत्नी के साथ अनुबंध तैयार करते हैं। गन्ना काटना एक कठिन प्रक्रिया है और अगर पति या पत्नी एक दिन के लिए विराम लेते हैं, तो दंपति को हर ब्रेक के लिए ठेकेदार को प्रतिदिन 500 का जुर्माना देना पड़ता है।
काम में रुकावट बनती माहवारी
माहवारी की अवधि काम में बाधा डालती है जिसके कारण जुर्माने लगते हैं। बीड में इसका समाधान निकाला गया है बिना गर्भाशय के महिला मजदूर। ‘गर्भाशय निकल जाने के बाद, मासिकधर्म की कोई संभावना नहीं होती है। फिर तो गन्ना काटने के दौरान ब्रेक लेने का कोई सवाल ही नहीं है। सत्यभामा कहती हैं, ‘हम एक रुपया भी नहीं गंवा सकते। ठेकेदारों का कहना है कि मासिकधर्म के दौरान, महिलाएं एक या दो दिन का ब्रेक चाहती हैं जिससे काम रुक जाता है।’ एक ठेकेदार दादा पाटिल ने कहा, ‘हमारे पास एक सीमित समय सीमा में काम पूरा करने का लक्ष्य होता है और इसलिए हम ऐसी महिलाओं को नहीं चाहते हैं जिनको उस समय माहवारी हो।’ पाटिल ने जोर देकर कहा कि वह और अन्य ठेकेदार महिलाओं को सर्जरी करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं, बल्कि यह उनके परिवारों का बनाया गया एक विकल्प है।
इस इलाके में महिलाओं का गर्भाशय निकाल देना आम चलन है। आप शायद ही इन गांवों में ऐसी महिलाओं से मिल पायेंगे जिनका गर्भाशय है।
दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं ने कहा कि ठेकेदार उन्हें एक सर्जरी के लिए अग्रिम भुगतान करते हैं और यह पैसा उनके वेतन से वसूला जाता है। इस मुद्दे पर एक अध्ययन करने वाले संगठन ‘तथापि’ के अच्युत बोरगांवकर ने बताया कि, ‘गन्ना काटने वाले समुदाय में, मासिकधर्म को एक समस्या माना जाता है और उन्हें लगता है कि इससे छुटकारा पाने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन इससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है क्योंकि वे एक हार्मोनल असंतुलन, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे, वजन बढ़ने आदि से जूझने लगती हैं। हमने देखा कि 25 साल की उम्र में भी कम उम्र की लड़कियों को इस सर्जरी से गुजरना पड़ा है।’
सत्यभामा के पति और स्वयं गन्ना काटने वाले बंडू उगले, इसके पीछे के तर्क को स्पष्ट करते हैं। ‘एक टन गन्ना काटने के बाद एक जोड़े को क़रीब 250 मिलते हैं। एक दिन में हम लगभग 3-4 टन गन्ना काटते हैं और 4-5 महीने के पूरे सीजन में एक जोड़ी लगभग 300 टन गन्ना काटती है। हम इस सीजन के दौरान जो कमाते हैं, वह हमारी वार्षिक आय है क्योंकि हम गन्ना काटने से वापस आने के बाद कोई काम नहीं करते हैं। हम एक दिन के लिए भी छुट्टी नहीं ले सकते। अगर हमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो भी हमें काम करना होगा। कोई आराम नहीं है और महिलाओं को होने वाली पीरियड एक अतिरिक्त समस्या है।’
सत्तर वर्षीय विलाबाई का कहना है कि एक गन्ना काटने वाली महिला का जीवन नारकीय होता है। वह संकेत देती है कि ठेकेदारों और उनके पुरुषों द्वारा महिलाओं का बार-बार यौन शोषण होता है। गाँव की एक बूढ़ी महिला अपने अनुभवों के आधार पर कहती है कि ‘गन्ना काटने वालों को गन्ने के खेतों में या एक तम्बू में चीनी मिलों के पास रहना पड़ता है। स्नानघर और शौचालय नहीं हैं। एक महिला के लिए यह और भी मुश्किल हो जाता है अगर इन परिस्थितियों में पीरियड्स हों।’ इस सूखाग्रस्त इलाके की कई महिलाओं ने कहा कि निजी चिकित्सक सामान्य पेट दर्द या श्वेत प्रदर की शिकायत होने पर भी गर्भाशय निकालने का सुझाव देते हैं।(feminisminindia)
(यह लेख पहले फेमिनिज्मइनइंडियाडॉटकॉम पर प्रकाशित हुआ है।)