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नई दिल्ली, 11 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है और पिछले 24 घंटों में 27,114 मामले सामने आए हैं जो संक्रमितों की अब तक एक दिन में सर्वाधिक संख्या हैं तथा इसी अवधि में 519 लोगों की मौत हुई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 27,114 नए मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 8,20,916 हो गयी है। इससे एक दिन पहले 26,506 नये मामले सामने आए थे।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है तथा इस दौरान 19,873 रोगी स्वस्थ हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,15386 लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 2,83,407 सक्रिय मामले हैं। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 519 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 22,123 हो गई है।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 7,862 मामले दर्ज किये गये जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,38,461 पर पहुंच गया है। राज्य इस अवधि के दौरान 226 लोगों की मौत हुई है जिसके कारण मृतकों की संख्या बढक़र 9,893 हो गयी है। वहीं 1,32,625 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में संक्रमितों की संख्या सवा लाख के पार हो गयी है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 3,680 बढक़र 1,30261 पर पहुंच गये हैं और इसी अवधि में 64 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 1829 हो गयी है। राज्य में 82,324 लोगों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,09,140 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3,300 हो गयी है। यहां 84,694 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में संक्रमितों का आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच गया है और अब तक 40,069 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,022 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 28,147 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं। आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 33,700 मामले सामने आए हैं तथा इस वायरस से 889 लोगों की मौत हुई है जबकि 21,787 मरीज ठीक हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्यों में कर्नाटक और तेलंगाना में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कर्नाटक में 33,418 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 543 लोगों की इससे मौत हुई है। राज्य में 13,836 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। तेलंगाना में संक्रमितों की संख्या 32,224 हो गयी है और 339 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 19,205 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके है।
पश्चिम बंगाल में 27,109 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 880 लोगों की मौत हुई है और अब तक 17,348 लोग स्वस्थ हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेज वृद्धि के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित की सूची में राजस्थान से ऊपर आ गया है। राज्य में 25,422 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 292 हो गयी है। राजस्थान में भी कोरोना का प्रकोप जोरों पर है और यहां संक्रमितों की संख्या 23,174 हो गयी है और अब तक 497 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 17,620 लोग पूरी तरह ठीक हुए है। हरियाणा में 19,934 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 290 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 638, पंजाब में 187, जम्मू-कश्मीर में 159, बिहार में 119, ओडिशा में 56, उत्तराखंड में 46, केरल और असम में 27, झारखंड में 23, छत्तीसगढ़ और पुड्डुचेरी में 17, हिमाचल प्रदेश में 11, गोवा में नौ, चंडीगढ़ में सात, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में दो तथा त्रिपुरा और लद्दाख में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
3 हिरासत में, 25 आईफोन, लैपटॉप, आईपैड व कार जब्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। पुलिस ने तीन ऐसे नाबालिगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने इंटरनेट पर हैकिंग सीखकर दूसरों के अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड और वर्चुअल मनी बिटक्वाइन से लाखों रुपये की खरीददारी कर डाली। संगठित रूप से इन बालकों ने लड़कियों के नाम पर आईडी बनाकर सोशल मीडिया पर कई लोगों से भारी रकम वसूली। पुलिस का अनुमान है कि इन लोगों ने कम से कम 60 से 70 लाख रुपये की ठगी कर ली है। इनसे एक लाख रुपये की कीमत वाले 25 आईफोन, दो लैप टॉप, एक आईपैड, एक कार कई फर्जी सिम कार्ड आदि बरामद किये हैं। पुलिस का दावा है कि इतने सधे ढंग से नाबालिगों द्वारा ठगी को अंजाम देने का प्रदेश में यह पहला मामला है।
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को इस बारे में प्रारंभिक सूचना मिलने पर उन्होंने एएसपी ओपी शर्मा, कोतवाली सीएसपी अनिमेश बरैया, कोतवाली निरीक्षक कलीम खान और साइबर सेल की एक टीम बनाई। टीम ने जब छानबीन शुरू की तो दंग रह गई। ये सभी बच्चे नाबालिग हैं और बचपन से इन्हें इंटरनेट में महारत हासिल हो गई है। इसका इस्तेमाल कर उन्होंने ठगी कर लाखों रुपये कमाने का रास्ता निकाल लिया था।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मोबाइल और कम्प्यूटर के जरिये ये बच्चे विभिन्न हैकिंग साइट्स तक पहुंचते थे और उनसे बकायदा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड का डिटेल, उस कार्ड के उपयोगकर्ता के आईपी एड्रेस के साथ खरीदा करते थे। वे प्राक्सी सर्वर का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन शॉपिंग करते थे। अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि को वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में भुगतान करते थे। विदेशी मुद्रा खरीदने के लिये वे भारतीय मुद्रा पेटीएम के माध्यम से जमा करते थे। पेटीएम संचालित करने के लिये भी उन्होंने ओडिशा, तमिलनाडु आदि के सिम से काम लेते थे। इस तरह उन्हें महंगे गैजेट्स बहुत कम दाम पर ऑनलाइन हासिल हो जाते थे। इसे वे यहां महंगे दाम पर बेचते थे। इनके पास से बरामद सभी आई फोन करीब एक लाख रुपये की कीमत के हैं।
इतना ही नहीं इन लोगों ने अज्ञात लड़कियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया में एकाउन्ट बना रखा था। इंस्टाग्राम पर लक्ष्मी-संता, लक्ष्मी-संता डॉट पीवीटी, श्रुति-जाटव आदि एकाउन्ट उन्होंने फर्जी तरीके से बना रखा है। लोगों से सोशल मीडिया पर दोस्ती कर उनसे अश्लील चैट करते थे और कई बार वीडियो भी बना लेते थे। बाद में इसे वायरल करने की धमकी देकर रुपये वसूला करते थे। कई बार ऑनलाइन सामान आने पर पैकेट खाली भेजने का आरोप लगाकर पैसा वापस मांग लेते थे जबकि सामान वे रख चुके होते थे। यहां तक कि ऑनलाइन फूड सप्लाई वाले खाने में भोजन का वजन कम होने, खाना नहीं होने आदि की शिकायत करके भी राशि वापस ले लिया करते थे। यही नहीं वे ऑनलाइन सामान भेजने का ऑर्डर भी लेकर रकम हड़प लेते थे और डिलवरी सक्सेस का मैजेस सामने वाले को भेज देते थे, जबकि उन्हें सामान मिला ही नहीं होता था।
मामले को सुलझाने में निरीक्षक सुनील तिर्की, उप निरीक्षक प्रभाकर तिवारी, सागर पाठक, मनोज नायक, एएसआई हेमन्त आदित्य, आरक्षक सरफराज खान, नवीन एक्का, दीपक यादव, अशफाक खान, तरूण केशरवानी, विकास यादव, बोधूराम कुम्हार, गोकुल जांगड़े, राजेश नारंग, राजेश यादव व संदीप शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
यूपी मामला बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय का है, जहां एक प्रोफेसर पर फेसबुक की प्रोफाइल पिक्चर में पाकिस्तान का झंडा लगाने का आरोप है. प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 थीम की तस्वीर लगाई, लेकिन भूलवश दूसरी तस्वीर लग गई, ग़लती का एहसास होने पर उन्होंने उसे डिलीट कर दिया था.
बरेली(भाषा): उत्तर प्रदेश के बरेली में एक सरकारी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर फेसबुक की डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) पर पाकिस्तान का नक्शा और झंडा लगाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता नीरू भारद्वाज की शिकायत पर बारादरी थाने में बुधवार को मामला दर्ज किया गया.
भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि रुहेलखंड विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के एक प्रोफेसर ने मंगलवार को अपने फेसबुक डीपी में जो तस्वीर लगाई थी, उसमें पाकिस्तान का नक्शा और झंडा था, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में आरोपी प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने यह सब जानबूझकर नहीं किया.
महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा, ‘मैंने दरअसल फेसबुक पर कोविड-19 थीम से जुड़ी प्रोफाइल तस्वीर लगाई थी, जिसमें हरे रंग का नक्शा और झंडा भी था. मैंने जल्दबाजी में तस्वीर पोस्ट की और उस ध्यान नहीं दिया कि वह पाकिस्तान का नक्शा और झंडा है. मेरे एक दोस्त ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने उसे तुरंत डिलीट करके गलती मान ली. मैंने यह जानबूझकर नहीं किया था.’
वह कहते हैं कि लेकिन मेरे डिलीट करने से पहले ही मेरे प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे.
आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग के साथ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को एक ज्ञापन सौंपा है.
एबीवीपी की बरेली इकाई के सचिव राहुल चौहान का कहना है कि हम प्रोफेसर को सस्पेंड कराना चाहते थे.
बारादरी के एसएचओ शितांशु शर्मा कहते हैं, ‘प्रोफेसर के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. यह धारा आपत्तिजनक कंटेट को प्रसारित और प्रकाशित करने से जुड़ी है.’
पुलिस का कहना है कि प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल कुमार शुक्ला से माफी मांगी है.
यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला का कहना है, ‘इस मामले पर उन्होंने (प्रोफेसर) ने अपना जवाब दे दिया है. हम इस मामले को कार्यकारी परिषद की बैठक में इसे रखेंगे. परिषद इस पर फैसला लेगी कि क्या किया जाना चाहिए.’
नई दिल्ली (एजेंसी) : सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को एक बार फिर लोन घोटाले का सामना करना पड़ा है। बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) को दिए 3,688.58 करोड़ रुपये के लोन को फ्रॉड घोषित किया है। इसके पहले नीरव मोदी और मेहुल चोकसी बैंक को 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं। बैंक ने गुरुवार को बताया कि उसने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) के एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) खाते में 3,688.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में जानकारी आरबीआई को दी है। डीएचएफएल उस समय सुर्खियों में आई थी जब एक रिपोर्ट में कहा गया कि उसने कई मुखौटा कंपनियों के जरिये कुल 97,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज में से कथित रूप से 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
इसमें कई आरोप ग़ैर-ज़िम्मेदाराना, अनुचित, याचिका के दायरे से परे - हाईकोर्ट
नई दिल्ली (भाषा) : पिंजड़ा तोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलीता की एक याचिका पर दिल्ली पुलिस द्वारा दायर किए गए हलफनामे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा इसमें लगाए गए कुछ आरोप बिल्कुल अनुचित हैं. न्यायालय ने कहा कि हमें नहीं पता है कि हलफनामे में दिए तथ्यों का कोई आधार है या नहीं. कुछ आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लगाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कलीता (31) ने याचिका दायर कर मांग की है कि पुलिस को निर्देश दिया जाए कि जब तक जांच लंबित है तब तक उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों/सबूतों को मीडिया में लीक न किया जाए.
कलीता के खिलाफ कुल चार एफआईआर दायर किए गए हैं, जिसमें से एक पिछले साल दिसंबर में दरियागंज में एक विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल होने को लेकर है और बाकी मामले उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के संबंध में हैं.
कलीता के अलावा पिंजरा तोड़ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को भी पुलिस ने 23 मार्च को दिल्ली हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया था.
नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्राएं हैं. कलीता जेएनयू की सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज की एमफिल छात्रा, जबकि नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी छात्रा हैं. दोनों पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं.
बीते सात जुलाई को दायर किए गए अपने जवाबी हलफनामा में पुलिस ने आरोप लगाया था कि खुद कलीता और पिंजड़ा तोड़ ने जनता की सहानुभूति प्राप्त करने और लोगों की भावनाओं को अपने पक्ष में करने के लिए ‘मीडिया ट्रायल’ शुरू कर दिया था.
इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस इस आधार पर ये नहीं कह सकती है कि चूंकि याचिकाकर्ता मीडिया ट्रायल कर रही हैं, इसलिए वे उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक कर रहे हैं.
जस्टिस विभु बाखरू ने कहा, ‘ये पुलिस का रवैया नहीं हो सकता है. कुछ संयम होना चाहिए और उन्हें (पुलिस) पालन करना होगा.’
जस्टिस बाखरू ने कहा कि याचिका के सीमित दायरे को देखते हुए हलफनामे में लगाए गए आरोप अनुचित हैं.
अदालत ने कहा कि हलफनामे में कई आरोप लगाए गए हैं जो याचिका के दायरे से परे हैं. कोर्ट ने इसे वापस लेने का सुझाव दिया.
पीठ ने कहा कि इस मामले में वह केवल इस बात की जांच करने वाली हैं कि किसी मामले के बारे में पुलिस किन परिस्थितियों में और किस तरीके से आधिकारिक विज्ञप्ति या प्रेस नोट जारी कर सकती है.
अदालत ने कहा कि वह पुलिस को किसी भी मामले में कोई आधिकारिक विज्ञप्ति जारी करने पर रोक नहीं लगा रही है.
अदालत ने कहा कि अगर हलफनामा रिकॉर्ड में रहता है, और कोई अधिकारी आरोपों की जिम्मेदारी नहीं लेता है तो वह इसकी सामग्री पर टिप्पणी करेगी.
कोर्ट ने कहा, ‘हमें नहीं पता है कि (हलफनामे में) तथ्यों का कोई आधार है. कुछ आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लगाया गया है.’
जस्टिस बाखरू ने कहा, ‘हम इस हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेने की इजाजत नहीं दे सकते हैं जब तक कि कोई इसमें लिखी गई बातों की 100 फीसदी जिम्मेदारी न ले ले. यह कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड है.’
पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने कहा कि हलफनामे में दिए गए बयान याचिका में लगाए गए इस आरोप के जवाब में हैं कि याचिकाकर्ता जेएनयू छात्र देवांगना कलीता को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है.
लेखी ने कहा कि वह हलफनामे पर भरोसा नहीं करेंगे और कानून के बिंदुओं के अनुसार अपनी दलीलें सीमित रखेंगे.
कलीका के वकील अदित ए. पुजारी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह हलफनामा कथित रूप से मीडिया में साझा किया गया है.
कोर्ट ने कहा, ‘यह व्यर्थ कोशिश है. यह दस्तावेज फाइल होने से पहले ही कई लोगों के पास पहुंच गई..’
अपनी याचिका में कलीता ने दे जून के ‘संक्षिप्त नोट’ में शामिल सभी आरोपों को वापस लेने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की है.
अदालत ने 10 जून को कलीता के खिलाफ आरोपों और सबूतों के बारे में कथित तौर पर एकत्र किए गए किसी भी बयान को जारी करने से पुलिस को पहले ही रोक दिया था.
मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.
भारत के सबसे बड़े स्लम ने दिखाया कि..
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि अभी भी संभव है कि कोरोनावायरस को काबू में लाया जा सकता है.
जेनेवा (एएफपी) : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि अभी भी संभव है कि कोरोनावायरस को काबू में लाया जा सकता है. पिछले 6 हफ्तों में कोरोना के मामले दोगुने होने के बावजूद इसपर काबू किया जा सकता है. WHO प्रमुख टेडरोस अधानोम घेब्रेसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा कि इटली, स्पेन, साउथ कोरिया और भारत के सबसे बड़े स्लम ने दिखाया कि यह वायरस कितना खतरनाक था लेकिन कड़े एक्शन के साथ इसपर काबू किया जा सकता है.
जेनेवा में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में WHO प्रमुख ने कहा कि पिछले 6 हफ्तों में कोरोना के मामले दोगुने से ज्यादा हुए हैं. कई उदाहरण ऐसे भी हैं जिनमें देखा गया कि भले ही यह वायरस तेजी से फैला हो लेकिन फिर भी इसपर काबू पाया जा सकता है. यह उदाहरण हैं- इटली, स्पेन, साउथ कोरिया और भारत में धारावी. मुंबई का धारावी काफी आबादी वाला इलाका है. वहां टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और इलाज के दम पर कोरोनावायरस की चेन ब्रेक करने में कामयाबी मिली.
गौरतलब है कि भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 1.22 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. COVID-19 5.5 लाख से ज्यादा मरीजों की जिंदगी छीन चुका है. भारत में भी लगभग हर रोज कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बीते दिन जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7,93,802 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (गुरुवार सुबह 8 बजे से लेकर शुक्रवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 26,506 नए मामले सामने आए हैं. एक दिन में सामने आने वाले कोरोना मरीजों की यह अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है.
इतना ही नहीं, इस दौरान देश में 475 संक्रमितों की मौत भी हुई है. देश में एक दिन में कोरोना से मौतों का भी यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. देश में 4,95,513 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं और 21,604 लोगों की मौत हुई है. रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़त के बाद 62.42 प्रतिशत पर पहुंच गया है. देश के सभी राज्यों से कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. कई राज्य ऐसे भी हैं, जो इस महामारी से मुक्त हो चुके थे लेकिन प्रवासियों के राज्य में दाखिल होने से वह फिर से इस संक्रमण की जद में आ गए.
दो और सहयोगी ऐसे ही 'मुठभेड़' में मारे गए
समीरात्मज मिश्र
कानपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत पर ठीक उसी तरह सवाल उठ रहे हैं जैसे कि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका से लेकर विकास दुबे के राजनीतिक संपर्कों तक को लेकर उठ रहे थे.
यूपी पुलिस की दर्जनों टीमें कई राज्यों और नेपाल तक में लंबा जाल बिछाने के बावजूद घटना के एक हफ़्ते बाद तक विकास दुबे को पकड़ नहीं पाईं. गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर में विकास दुबे ने कथित तौर पर ख़ुद को सरेंडर कराया. हालांकि मध्य प्रदेश पुलिस का दावा है कि गिरफ़्तार उन्होंने किया लेकिन इस गिरफ़्तारी पर संदेह जताया जा रहा है.
शुक्रवार को सुबह ही विकास दुबे के कथित तौर पर मुठभेड़ में पहले घायल होने और फिर कानपुर के हैलट अस्पताल में मारे जाने की ख़बर आई. यूपी एसटीएफ़ जानकारी दी कि विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था.
कानपुर के पास ही पुलिस की एक गाड़ी अचानक हादसे का शिकार होकर पलट गई. इस दौरान विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को आत्मरक्षा में अभियुक्त को मारना पड़ा.
दो और सहयोगी ऐसे ही 'मुठभेड़' में मारे गए
लेकिन इस घटनाक्रम की 'क्रोनोलॉजी' इतनी सपाट और दोहराव वाली है कि इस पर लोगों को यक़ीन नहीं हो रहा है. दरअसल, जिस दिन विकास दुबे को उज्जैन में गिरफ़्तार किया गया, उसी दिन से सोशल मीडिया पर ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थीं कि ऐसा ही कुछ विकास दुबे के साथ हो सकता है.
फोटो क्रेडिट : एएनआई
इसके पीछे वजह ये है कि विकास दुबे को दो अन्य सहयोगियों को एक दिन पहले ही यूपी एसटीएफ़ ने हरियाणा के फ़रीदाबाद से गिरफ़्तार करके यूपी की सीमा में लगभग इसी तरीक़े और इन्हीं परिस्थितियों में मारा गया था जिस तरह विकास दुबे को मारा गया.
ऐसे कई बिंदु हैं जिनके आधार पर इस मुठभेड़ के दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं. मसलन, क़रीब 1200 किमी तक के सड़क मार्ग में कोई बाधा नहीं आई लेकिन कानपुर के पास पहुंचते ही अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ़ उसी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ जिसमें विकास बैठा हुआ था.
यही नहीं, इस गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों को चोटें आईं लेकिन विकास के साथ ऐसा कौन सा इत्तेफ़ाक होता है कि वह पुलिसकर्मियों के हथियार छीन कर पलटी हुई गाड़ी से निकलकर भागने लगता है.
पुलिस ने यह तो बताया है कि कुछ पुलिसकर्मियों को चोट लगी है लगी है लेकिन इनके बारे में अब तक ज़्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है कि कितने पुलिसकर्मी घायल हैं और उन्हें कहां चोट लगी है.
कांग्रेस पार्टी ने इस कथित एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि विकास दुबे यदि हथियार छीन कर भाग रहा था तो गोली उसके सीने पर कैसे लगी?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं, "गोली तो पीठ पर लगनी चाहिए थी. विकास दुबे के पैर में रॉड पड़ी है, वो कुछ दूर तक भी ठीक से चल नहीं पाता तो पुलिसकर्मियों की पकड़ से कैसे भाग गया?"
सवाल यह भी पूछे जा रहे हैं कि 1200 किमी की यात्रा सड़क मार्ग से क्यों हो रही है, जबकि चार्टर्ड प्लेन से विकास दुबे को लाने की बात हो रही थी? और कार से लाए जाने के दौरान हथकड़ी क्यों नहीं लगाई गई.
इत्तेफ़ाक़ ही इत्तेफ़ाक़
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही रहा कि घटना से कुछ दूर पहले ही पत्रकारों की गाड़ियों को चेकिंग के लिए रोक लिया गया. और विकास दुबे को ले जा रही गाड़ी ऐसी जगह पलटी जहां रोड के किनारे डिवाइडर नहीं था.
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही है कि पलटी हुई गाड़ी के आसपास सड़क पर दुर्घटना होने के निशान नहीं है और चलती सड़क पर गाड़ी के दुर्घटना का शिकार होने के चश्मदीद भी नहीं है.
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही है कि जिस विकास दुबे को महाकाल मंदिर के निहत्थे गार्डों ने पकड़ लिया वो यूपी एसटीएफ़ के प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की पकड़ से भाग निकला और उन्होंने उसे ज़िंदा पकड़ने के बजाए मार देना बेहतर समझा.
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब पुलिस के पास या तो अभी हैं नहीं या फिर वो देना नहीं चाहती. कानपुर पुलिस और यूपी एसटीएफ़ के अधिकारियों से हमने इन सवालों के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन फ़िलहाल कोई जवाब नहीं मिल सका.
यूपी सरकार इससे पहले भी एनकाउंटर्स को लेकर सवालों के घेरे में रही है.
सरकार का दावा है कि राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद क़रीब दो हज़ार एनकाउंटर हुए हैं और इनमें सौ से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.
कुछ मामलों में मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं से नोटिस भी मिले हैं लेकिन एनकाउंटर को लेकर सरकार ज़रा भी नरम नहीं हुई है.
क्या कथित तौर पर फ़र्जी एनकाउंटर्स को लेकर सरकार और अफ़सरों को न्यायालय या अन्य संवैधानिक संस्थाओं का भी डर नहीं रहता, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "इतने एनकाउंटर हुए, अब तक न तो किसी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई हुई न ही कोई ऐसा नोटिस आया कि मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं या फिर न्यायालय से, जिससे कि सरकार या पुलिस वालों में कोई भय होता. तो पुलिस वालों का भी मनोबल बढता है कि कुछ नहीं होगा. पिछली सरकारों से तुलना करें तो पिछली सरकारों में सौ एनकाउंटर भी नहीं हुए. एनकाउंटर स्टेट की पॉलिसी बन गई है. इससे पुलिस को और बल मिला है.. सीएम ने हर मंच से कहा कि ठोंको नीति पर चलो."
सुभाष मिश्र कहते हैं," यूपी पुलिस के पास एक अच्छा मौक़ा मिला था. पुलिस इस मौक़े का सदुपयोग करती तो बहुत से राज़ खुल सकते थे. माफ़िया-पुलिस-नेता के गठजोड़ का सच जनता के सामने आ सकता था. ये पता चल सकता था कि विकास को किन लोगों ने संरक्षण दिया. उससे पुलिस का क्या कनेक्शन है. उसके बाद उसे सज़ा दिलाई जा सकती थी. ऐसी समस्याओं का समाधान पूरी तरह भले न होता लेकिन कुछ हद तक ज़रूर होता."
''पुलिस वालों को लगा कि ये हैदराबाद कांड की तरह उनके लिए हीरो बनने का मौक़ा है. लोगों ने भी पुलिस वालों को एसी घटनाओं के बाद कंधों पर बिठाकर हीरो बनाया है."
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी विभूतिनारायण राय कहते हैं, 'ये जो कहानी सुनाई जा रही है इसमें बहुत झोल हैं, जितने सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं, उनसे ज़्यादा सवाल उठ रहे हैं. कल से ही मीडिया में कहा जा रहा था कि विकास दुबे को रास्ते में ही मार दिया जाएगा. और ये हो गया. यूपी पुलिस को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए इस एनकाउंटर की किसी निष्पक्ष एजेंसी से स्वयं ही जांच करानी चाहिए ताकि ये पता चले कि ये फ़ेक एनकाउंटर है या असली एनकाउंटर है.' (www.bbc.com)
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. उसने लाखों लोगों को रुलाया है. अभी तक इसे 6 करोड़ 43 लाख लोग देख चुके हैं और 5 लाख 60 हज़ार लोग इस कमेंट कर चुके हैं. इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत के अपॉजिट संजना सांघी है. संजना इसी फिल्म से डेब्यू कर रही हैं. यह फिल्म काफी लंबे वक्त से रुकी हुई थी. फिल्म को इस साल थिएटर में रिलीज होना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते इसे रोक दिया गया, लेकिन सुशांत के सुसाइड के बाद इसे डिजिटल रिलीज किया जा रहा है. 'दिल बेचारा' 24 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है.
Dil Bechara | Official Trailer | Sushant Singh Rajput | Sanjana Sanghi | Mukesh Chhabra | AR Rahman
Yanni - "For All Seasons" From the Master! "Yanni Live! The Concert Event"
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 जुलाई (रात 8.30 बजे)। राज्य में आज 140 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई। जिला रायपुर से 34, नारायणपुर से 22, दंतेवाड़ा से 17, बिलासपुर 13, राजनांदगांव व बलौदाबाजार से 10-10, सरगुजा 9, रायगढ़ 7, दुर्ग, बालोद, जांजगीर 3-3, बलरामपुर, कोंडागांव व अन्य राज्य से दो-दो, कोरबा, बेमेतरा, महासमुंद से 1-1 नए मरीज पाए गए।
जिला राजनांदगांव में कर्नाटक से आए कोरोना संक्रमित एक मरीज की हार्टअटैक से मौत हो गई। जिला रायगढ़ में कोरोना संक्रमित 26 वर्षीय युवक की मौत हो गई।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 10 जुलाई। इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालन के साथ ही हिंदी मीडियम के भी संचालन की मांग करते हुए आज पार्षद सहित वार्ड वासियों ने स्कूल परिसर में धरना प्रदर्शन किया। सूचना पर मौके पर पहुंची एसडीएम की समझाईश के बाद लोगों ने धरना समाप्त किया।
ज्ञात हो कि मुख्यालय के आमापारा प्राथमिक स्कूल को जिले के प्रथम शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल के रूप में संचालन हेतु चयनित किया गया है। जहां पहली से दसवीं तक की इंग्लिश मीडियम की कक्षा संचालित होगी। लेकिन आमापारा स्कूल में इंग्लिश मीडियम कक्षा संचालित होने के दौरान वहां लगने वाली हिंदी मीडियम की कुछ कक्षाएं डायवर्ट कर पास के मोहल्ले में संचालित होने वाले स्कूलों में कर दिया गया है। जिसके बाद आमापारा मोहल्ले वासियों का गुस्सा फूट पड़ा और शुक्रवार को मोहल्ले वासियों सहित वार्ड पार्षद योगराज भारती प्राथमिक स्कूल पहुंचकर हिंदी मीडियम स्कूल यथावत संचालन हेतु स्कूल परिसर के अंदर धरना देते हुए नारेबाजी भी की।
वार्ड वासियों का कहना है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल के संचालन में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन आपत्ति इस बात की है कि बीते कई वर्षों से उक्त भवन में हिंदी मीडियम की कक्षाएं संचालित हो रही थी वह अब इंग्लिश मीडियम स्कूल खुल जाने से बंद हो जाएगी। जिसके बाद यहां पढऩे वाले बच्चों को अन्य जगह की स्कूल में जाने में काफी परेशानियां होगी।
धरना-प्रदर्शन के बाद पहुंचे एसडीएम
स्कूल परिसर के भीतर धरना प्रदर्शन की जानकारी बालोद एसडीएम सिल्ली थामस को मिलते ही वह तत्काल मौके पर पहुंची और मोर्चा संभालते हुए वार्ड वासियों से धरना प्रदर्शन का कारण जानना चाहा। जिस पर वार्ड वासियों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें उक्त परिसर में इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालन पर कोई आपत्ति नहीं है किंतु हिंदी मीडियम स्कूल का संचालन यथावत होना चाहिए वह दूसरे जगह अपने बच्चों को पढऩे के लिए नहीं भेजेंगे। जिसके बाद एसडीएम ने कहा कि केवल आमापारा मोहल्ले के बच्चे ही इस स्कूल में पहली से आठवीं तक हिंदी मीडियम में पढ़ सकेंगे और अन्य मोहल्लों के बच्चों को उक्त स्कूल में हिंदी मीडियम के लिए प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिसके बाद वार्ड वासियों ने अपना प्रदर्शन बंद किया।
इस संबंध मेें सिल्ली थॉमस, एसडीएम बालोद ने बताया कि मौके पर पहुंचकर वार्ड वासियों से चर्चा की गई है, उन्हें उनकी समस्या के विषय में लिखित जानकारी मांगी गई है जिसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
वहीं योगराज भारती, पार्षद ने बताया कि इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालन अगर हमारे वार्ड में होते हैं तो यह वार्ड वासियों के लिए अच्छी बात है लेकिन बीते कई वर्षों से हिंदी मीडियम स्कूल संचालन हो रहा है वह बंद नहीं होना चाहिए।
आंदोलन के समर्थन में उतरी भाजपा-कांग्रेस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 10 जुलाई। पांच साल की आदिवासी बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश के आरोपी संदीप नायडू और उसके कथित संरक्षक पी.विजय के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर आज आदिवासी समाज ने कोंटा, दोरनापाल और सुकमा में प्रदर्शन किया। गुस्साये आदिवासियों ने पूर्व सलवा जुडूम नेता पी.विजय का पुतला फूंका। आदिवासियों के आंदोलन को भाजपा-कांग्रेस ने समर्थन दिया।
ज्ञात हो कि सात जुलाई की शाम पांच बजे घटी इस घटना की रिपोर्ट आदिवासी समाज के दबाव में 2 दिन बाद दर्ज की गई। कोंटा थाना क्षेत्र अंतर्गत निवासी आरोपी संदीप नायडू को 9 जुलाई को कोंटा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कोंटा पुलिस ने बताया कि मामले को विवेचना कर धारा 376 कख भा.द.वि लैंगिक अपराध से बालकों के संरक्षण अधि. 2012की धारा 6 अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधि. 1989 की धारा 3 (2)(1) का प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया।
शुक्रवार को आदिवासी समाज के द्वारा आरोपी संदीप को फांसी की सजा देने की मांग की गई, जिसके लिए सडक़ों पर उतरे आदिवासियों ने पूर्व सलवा जुडूम नेता पी.विजय का सुकमा, दोरनापाल, कोंटा में पुतला दहन किया। आदिवासी समाज ने आरोप लगाया कि आरोपी पी.विजय के भतीजा होने के कारण आरोपी को संरक्षण देकर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा था, जिससे गुस्साये आदिवासी समाज ने पी. विजय का पुतला दहन कर आरोपी को फांसी का सजा देने की मांग की।
आदिवासी समाज के द्वारा नाबालिक बच्ची को न्याय की गुहार लगाते हुए राज्यपाल के नाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोंटा को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने ज्ञापन में पूर्व सलवा जुडूम नेता पी.विजय पर आरोप लगाए हैं कि पी.विजय कथित समाजसेवक का चोला पहनकर वर्ष 2006 से आज तक तथा सलवा जुडूम के समय भोले भाले आदिवासियों का शोषण किया एवं पी.विजय को शासन द्वारा सुरक्षा गार्ड प्रदाय किया गया हैं, जिसके बलबूते सुरक्षा का दुरूपयोग करते हुए जुआ-सट्टा, मुर्गा बाजार, इत्यादि आसमाजिक कार्य करता है।
इस पूरे मामले को लेकर समाजसेवी दीपिका सोरी ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि कोंटा में 5 वर्ष की नाबालिग बच्ची के साथ जो घटना हुई है, वह घृणित मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप है। मैं इसका पुरजोर विरोध करती हूं। ऐसे कृत्य करने वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और उसने जो अपराध किया है उसके लिए उसे सजा अवश्य मिलेगी। उस बच्ची और उसके उसके पूरे परिवार के साथ हम सब कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। क्षेत्र में किसी भी वर्ग की बालिका या महिला के साथ ऐसा दुव्र्यवहार क्षमा योग्य नहीं है। समाज के ऐसे घृणित मानसिकता के व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
सडक़ से लेकर न्यायालय तक हम नाबालिग के साथ हैं- जाकीर हुसैन
पांच वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म करने के प्रयास के बाद गुस्साये आदिवासियों का समर्थन कांग्रेस ने किया है। विरोध प्रदर्शन व पुतला दहन के पश्चात नपा उपाध्यक्ष जाकीर हुसैन ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि इस बच्ची को न्याय दिलाने के लिए मैं सडक़ से लेकर न्यायालय तक जाऊंगा। अपराधी व अपराधी को संरक्षण देने वाले पूर्व सलवा जुडूम नेता पी.विजय को सजा दिला कर रहूंगा।
जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने पत्रकारों को बताया
बिलासपुर, 10 जुलाई। कोरोना महामारी के चलते लम्बे समय से अवरुद्ध चल रहे अदालती कामकाज को पटरी पर कैसे लाया जाये इस पर विचार करने के लिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सभी 15 जज अगले सप्ताह एक बैठक करेंगे और कोई निर्णय लेंगे।
छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालिक अध्यक्ष व हाईकोर्ट जज जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने आज पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। जस्टिस मिश्रा से पूछा गया था कि कोरोना महामारी के चलते जिला व निचले स्तर पर अदालतों में पक्षकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही वकील और इस न्यायिक व्यवसाय से जुड़े अन्य लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसका क्या हल निकाला जा रहा है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इस स्थिति से हाईकोर्ट प्रशासन वाकिफ है और अगले सप्ताह किसी दिन हाईकोर्ट के सभी जस्टिस इस मुद्दे पर विचार के लिये बैठक करने वाले हैं। कोई ऐसा समाधान निकाला जायेगा कि अदालती कामकाज सामान्य तरीके से वापस शुरू हो सके।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष 24 मार्च को लागू किये गये लॉकडाउन के बाद से हाईकोर्ट सहित निचली सभी अदालतों में सम्मुख उपस्थिति के साथ सुनवाई पर रोक लगी हुई है। जमानत आदि के अत्यन्त आवश्यक मामलों को ही जिला व निचली अदालतों में सुना जा रहा है। हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये ऑनलाइन सुनवाई की जा रही है जिनकी संख्या अत्यंत सीमित है।
हाईकोर्ट सहित अन्य अदालतों में काम करने वाले वकीलों को ही नहीं बल्कि फोटो कॉपी, टाइपिंग, क्लर्क आदि व्यवसाय जुड़े लोग भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इन्होंने न केवल शासन से राहत मांगी है बल्कि हाईकोर्ट में याचिकायें भी दायर की हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। कवर्धा जिले में राईस मिल मुनीम से हुई 70 लाख रुपए की लूट की घटना का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। वारदात को सुनियोजित तरीके से अंजाम देने वाले 6 आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने समूचे मामले की जानकारी मीडिया के साथ साझा करते बताया कि अनाज व्यापारी दिलीप अग्रवाल के मुनीम मनोज कश्यप ने ही मिलकर लूट का षडयंत्र रचा था।
वर्धा एसपी केएल धु्रव ने बताया कि मुनीम मनोज कश्यप मिल मालिक दिलीप अग्रवाल का लाखों रुपए हर सप्ताह भुगतान के लिए अलग-अलग शहरों में ले जाता था। मुनीम का दिलीप चन्द्रवंशी, दीपचंद, संजय चन्द्रवंशी, मुकेश चन्द्रवंशी व नारायण चन्द्रवंशी से दोस्ती थी। मुनीम रोज उक्त सभी युवकों के साथ रात को शराब पीता था। मुनीम रोजाना लाखों रुपए इधर- उधर ले जाने की जानकारी अपने साथियों को देता था। इसी बात को सुनकर सभी ने मुनीम मनोज कश्यप को लूटने योजना बनाई।
बताया जाता है कि सभी ने वारदात को अंजाम देने से पहले तैयारी की। वही लूट की रकम को आपस में बांटने की योजना बनाई। कल कुंडा इलाके में लूट की घटना के बाद एक आरोपी नारायण चन्द्रवंशी ने 68 लाख रुपए अपनी पत्नी पिन्की चन्द्रवंशी के पास छुपा दिया।
पुलिस ने बताया कि मुनीम के बार-बार बयान बदलने की वजह से घटना पर शक हुआ। इसके बाद पुलिस ने अपने स्तर पर जांच शुरू की। पुलिस ने नारायण चन्द्रवंशी के घर दबिश देकर उसकी पत्नी को हिरासत में लेकर जब कड़ी पूछताछ की तब आरोपियों का सुराग मिला। पुलिस का कहना है कि सभी आरोपियों ने योजना में शामिल होने की बात को कबूल कर लिया है।
चीफ जस्टिस की डबल बेंच में सुनवाई, राज्य सरकार से भी मांगा जवाब
बिलासपुर, 10 जुलाई । प्रदेश के वकीलों द्वारा आर्थिक सहायता की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आज छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल को अधिवक्ता कल्याण समिति के साथ बैठक कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहा है।
कोरोना महामारी के बाद से ठप अदालती कामकाज के कारण अधिवक्ताओं को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर अधिवक्ता राजेश केशरवानी व आनंद मोहन तिवारी की याचिकाओं पर आज चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन और जस्टिस पी.पी. साहू की डबल बेंच में आगे की सुनवाई हुई।
कोर्ट ने जानना चाहा कि बार कौंसिल की फिक्स डिपॉजिट से 20 प्रतिशत राशि राहत के लिये जारी करने के उनके आदेश के परिपालन में क्या किया गया है। कौंसिल की ओर से बताया गया कि 6 जुलाई से हाईकोर्ट के बंद होने के कारण वे फिक्स डिपॉजिट से राशि नहीं निकाल सके हालांकि 300 और वकीलों को सहायता दी गई है।
याचिकाकर्ता के वकील संदीप दुबे ने न्यायालय को अवगत कराया कि स्टेट बार कौंसिल ने अभी तक अधिवक्ता कल्याण समिति के साथ बैठक कर राशि आवंटित करने पर सहमति नही दी है। वकीलों द्वारा इस फंड में करीब चार करोड़ रुपये जमा है। अधिवक्ता कल्याण अधिनियम 1982 की धारा 15 के अनुसार ऐसे संकट के समय में वकीलों की मदद करना है। इसके लिये ट्रस्ट कमेटी के साथ मिलकर बार कौंसिल को नियम भी बनाया है पर राज्य बनने के 20 साल बाद भी अब तक नियम नहीं बनाये गये हैं। बार कौंसिल द्वारा बिना नियम बनाये ही चार माह से पैसे दिये जा रहे हैं। बार कौंसिल की ट्रस्टी कमेटी के चेयरमेन विधि मंत्री तथा सदस्य सचिव प्रदेश के विधि सचिव होते हैं। बार कौंसिल के सदस्य ट्रस्टी होते हैं। उन्होंने न तो ट्रस्टी कमेटी को पैसा जारी करने कहा बल्कि बार एसोसियेशन से पूछना जरूरी समझा, जबकि ट्रस्ट में जमा राशि बार के सदस्यों की ही है। यह राहत पहुंचाने में देरी का तरीका है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता आनंद मोहन ने कहा कि उन्होंने जो योजना बनाकर बार कौंसिल व अधिवक्ता कल्याण कमेटी को दी है उसे भी देखा जाये।
सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने निर्देश दिया कि बार कौंसिल दो सप्ताह के भीतर ट्रस्टी कमेटी के साथ बैठककर अधिवक्ता कल्याण अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत नियम बनाये साथ ही याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर गौर करे। इस बारे में राज्य सरकार से भी जवाब मांगा गया है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई ।चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस के लेटेस्ट फ्लैगशिप फोन में कंपनी ने खास कैमरा सेंसर दिया था, जिसकी मदद से कुछ प्लास्टिक की चीजों और कपड़ों के आरपार देखा जा सकता था। कंपनी की ओर से 'X-ray Vision' कैमरा सेंसर क्यों दिया गया इस बारे में तो पता नहीं लेकिन अब इसे पूरी तरह बैन कर दिया गया है। वनप्लस ने OnePlus 8 Pro में इन्फ्रारेड फोटोक्रोम लेंस दिया था और यह कुछ खास तरह के प्लास्टिक और कपड़ों के आरपास देख सकता था।
कंपनी ने इससे पहले भी इस सेंसर को डिसेबल किया था लेकिन अब The Sun की ओर से कन्फर्म किया गया है कि यह कैमरा सेंसर परमानेंटली डिसेबल हो चुका है। यह फिल्टर इन्फ्रारेड की मदद से फोटोज को यूनीक कलर देता था लेकिन फोन के रिव्यू यूनिट्स में इसका खास फंक्शन सामने आया। कई इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों के आरपार देखने वाले इस कैमरा को लेकर कई यूजर्स ने प्रिवेसी को लेकर चिंता जाहिर की। इसके बाद वनप्लस की ओर से अपडेट देकर इसे डिसेबल कर दिया गया।(navbharat)
नेता प्रतिपक्ष के कोरोना रिपोर्ट का इंतजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाईनगर, 10 जुलाई। आज स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सांसद विजय बघेल को होम क्वॉरंटीन कर दिया है। उनके घर के बाहर स्वास्थ्य विभाग ने पोस्टर चस्पा किया है। इधर नेता प्रतिपक्ष की कोरोना रिपोर्ट आना बाकी है।
ज्ञात हो कि नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन की सास की कोरोना रिपोर्ट 8 जुलाई को पॉजिटिव आने के कारण विपक्ष के सभी पार्षदों को होम क्वारंटीन कर दिया गया है। इसके विरोध में गुरुवार को सभी भाजपा पार्षद धरने पर बैठे थे। इसमें सभापति पी. श्यामसुंदर राव, वशिष्ठ नारायण मिश्रा, पीयूष मिश्रा, रश्मि सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
भाजपा पार्षद पीयूष ने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष रिकेश ने भाजपा पार्षदों के साथ धोखेबाजी की है। निगम की शहर सरकार के साथ मिलीभगत करके जानबूझकर झूठी जानकारी दी है। रिकेश शहर सरकार के इशारे पर काम कर रहा है।
इधर नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन के संपर्क में आने वाले नेताओं को होम क्वारंटीन किया जा रहा है। आज स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सांसद विजय बघेल को होम क्वॉरंटीन कर दिया है। आगामी 21 जुलाई तक सांसद को क्वॉरंटीन किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। राजनांदगांव शहर के रिहायशी और एक ग्रामीण वार्ड मे कोरोना के पांच नए मरीज मिले हैं। शहर के सृष्टि कॉलोनी में एक व ग्रामीण वार्ड ढाबा में एक साथ 4 कोरोना मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला कोरोना प्रभावित इलाकों में लगातार लोगों की मौत कर रहा है। सृष्टि कॉलोनी शहर के सबसे अच्छे कॉलोनी में से एक हैं। इस वार्ड के ही कुछ दूर प्रशासनिक अधिकारियों का सरकारी निवास भी है।
‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा कि आज मिले नए मरीजो को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज लाया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 10 जुलाई। एक किशोरी का बाल विवाह शुक्रवार को तय किया गया था। कुछ जागरूक ग्रामीणों ने वक्त रहते इसकी सूचना महिला एवं बाल विकास विभाग को दे दी। कन्या को हल्दी भी लग चुकी थी। अब शुभ मुहूर्त के साथ फेरे लेने बारातियों का इंतजार था।
ऐन वक्त पर टीम वहां पहुंची और बाल विवाह रोक दिया गया। जन-जागरूकता की इसी कड़ी में जिला कोरबा के ग्राम तिलकेजा के ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यों ने 9 जुलाई को ग्राम तिलकेजा में किशोरी के बाल विवाह कराए जाने की सूचना दी। इसकी जांच कर बाल विवाह को रोकने कोरबा ग्रामीण अंतर्गत सेक्टर सुपरवाइजर रागिनी बैस के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन 1098 कोरबा, पुलिस बल उरगा एवं ग्राम पंचायत तिलकेजा के बाल संरक्षण समिति के सदस्यों व प्रतिनिधि बाल विवाह रोकने पहुँचे। टीम के सदस्यों ने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को समझाईश दी गई, जिससे परिजन भी सहमत हुए और बालिग होने के बाद ही विवाह कराने की सहमति दी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 जुलाई। छत्तीसगढ़ में कल 11 जुलाई को देश की पहली वर्चुअल नेशनल लोक अदालत रखी गई है। हाईकोर्ट सहित प्रदेश भर के विभिन्न जिलों की 200 से ज्यादा खंडपीठों में 3500 से ज्यादा मामलों पर एक साथ सुनवाई होने जा रही है। उद्घटान कार्यक्रम कल सुबह 10.30 बजे हाईकोर्ट सभागार में रखा गया है।
छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने आज अपरान्ह पत्रकारों को यह जानकारी दी। जस्टिस मिश्रा ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते देशभर में न्यायिक कामकाज पर विपरीत असर पड़ा है। न सिर्फ वकीलों बल्कि पक्षकारों को भी राहत नहीं मिल रही है। मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, चेक बाउन्स प्रकरण आदि धन सम्बन्धी अनेक मामलों पर प्राय: लोक अदालतों में समझौता हो जाता है। कोरोना के चलते जब लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हों तो ऐसे मामलों के निराकरण के लिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट व विधिक सेवा प्राधिकरण ने वर्चुअल लोक अदालत लगाने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के डिजिटल सेक्शन तथा एनआईसी से विचार विमर्श के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि कुछ व्यवहारिक दिक्कतों को दूर कर लोक अदालतों के जरिये लम्बित प्रकरणों की सुनवाई की जा सकती है। पिछले 20 दिनों से इसकी तैयारी की जा रही थी और इसका रिहर्सल भी कर लिया गया है। समझौता करने के इच्छुक पक्षकारों से हस्ताक्षर युक्त आवेदन लिये जा चुके हैं, जिनकी सुनवाई कल सुबह 10.30 बजे से होगी। हाईकोर्ट ऑडिटोरियम में इसका उद्घाटन चीफ जस्टिस पी.आर रामचंद्र मेनन करेंगे। जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव भी उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग भी की जायेगी।
वर्चुअल लोक अदालत में पक्षकार और वकील अपने-अपने स्थान पर दिये गये लिंक के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से जुड़ सकेंगे। फायदा यह होगा कि सामान्य लोक अदालतों में पक्षकार, वकीलों को कोर्ट तक आना पड़ता है वहीं इस नेशनल लोक अदालत में वे अपने सुविधाजनक स्थान, घर या दफ्तर में रहकर सुनवाई में भाग ले सकते हैं। इसमें उनकी यात्रा पर होने वाला खर्च और समय बचेगा।
जिलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण सुनवाई में बाधा आ सकती है. पूछे जाने पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कोर्ट की ओर से कहीं पर दिक्कत नहीं आयेगी। प्रत्येक पीठ को 20 जीबी का डेटा अलग से खरीदकर एलॉट किया गया है। एनआईसी इसकी मॉनिटरिंग करेगी। पक्षकारों और वकीलों को यदि वीडियो कांफे्रंस के माध्यम से जुडऩे में दिक्कत हुई तो उन्हें भी सुविधा दी गई है कि वे वाट्सअप वीडियो काल करके अपना पक्ष रख सकें।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि जब वीडियो कांफे्रंस से कोर्ट में बहस हो सकती है तो समझौता क्यों नहीं? वर्चुअल लोक अदालत आयोजित करने का निर्णय चुनौती भरा है और हम देश में पहली बार किये जा रहे इस प्रयोग की सफलता के लिये आश्वस्त हैं। नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) सहित पूरे देश के न्यायिक क्षेत्रों में कल छत्तीसगढ़ में होने जा रही वर्चुअल लोक अदालत को लेकर उत्सुकता है। अच्छा परिणाम आने पर देश के दूसरे राज्यों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई । गुजरात हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार को 25 प्रवासी मजदूरों को जमानत दे दी, जिन्हें राजकोट में 17 मई को पुलिस के साथ कथित झड़प के बाद हत्या और डकैती के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.
कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुई स्थिति के कारण अपने गृह राज्य लौटने में देरी होने के कारण पुलिस के साथ मजदूरों की झड़प हो गई थी.
जस्टिस गीता गोपी की पीठ ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि तात्कालिक स्थिति के कारण प्रवासी मजदूर जल्द से जल्द अपने घरों को लौटना चाहता थे और पुलिस स्थिति को काबू करने में नाकाम रही है.
लाइव लॉ के मुताबिक जज ने कहा, ‘कोर्ट का मानना है कि पूरी घटना से बचा जा सकता था यदि पुलिस और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल ऑफिसर उचित समन्वय के साथ काम किया होता.’
पीठ ने कहा, ‘पुलिस का काम था कि वो भीड़ को अपनी सूझबूझ से काबू में करती.’
कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि वे पुलिस की हत्या करने का भी प्रयास करते. न्यायालय ने कहा कि पुलिसकर्मियों को आईं चोटें जानलेवा नहीं हैं.
लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं अन्य संबंधित कानून के तहत प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दायर की गई शिकायत/मुकदमा वापस लेने पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों को दिए गए निर्देशों को आधार बनाते हुए कोर्ट ने इस मामले में 25 प्रवासी मजदूरों को जमानत दे दी.
पुलिस ने मजदूरों पर हत्या के प्रयास, डकैती समेत अन्य आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज किया था.
ये मजदूर प्रवासियों के एक बड़े समूह का हिस्सा थे, जो 17 मई को राजकोट में पुलिस के साथ भिड़ गए थे और लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेनों में जगह देने की मांग कर रहे थे.
कोर्ट ने नोट किया कि स्थानीय प्रशासन को पहले से ही पता था कि फील्ड मार्शल ग्राउंड में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर जमा हुए हैं, इसलिए यहां ये जरूरत थी कि पुलिस अन्य विभागों के साथ समन्वय से काम करे.
पीठ ने कहा कि पुलिस और नोडल ऑफिसर के बीच समन्वय की कमी के कारण अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई और इस तरह की घटना हुई.(thewire)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। कवर्धा जिले में कल हुए 70 लाख की लूटपाट के मामले में पुलिस ने ताबड़तोड़ छापामार कार्रवाई के दौरान कवर्धा शहर में एक महिला के पास से लूट की रकम में से 9 लाख बरामद किया है।
बताया जाता है कि महिला लूट में शामिल एक आरोपी की पत्नी हैं। वही पुलिस के हाथों एक भी लूटेरे नहीं लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि वारदात को करीब पांच लूटेरो ने योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिन है।
कवर्धा एसपी केएल धु्रव ने ‘छत्तीसगढ़’ को जानकारी देते बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है। जल्द ही पूरी वारदात का खुलासा किया जाएगा। बताया जाता है लूटपाट की घटना में मुनीम मनोज कश्यप की भूमिका पर पुलिस को शक है। कल पांडातराई थाना इलाके में कुंडा के पास सुबह 9 बजे मुनीम ने 70 लाख रुपए लुटने की जानकारी राईस मिल मालिक दिलीप अग्रवाल को दी। अनाज कारोबारी अग्रवाल की सूचना पर पुलिस ने कवर्धा समेत राजनांदगांव, बेमेतरा, मुंगेली जिले की सीमा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम करते वाहनों की जांच की।
बताया जाता है कि मुनीम ने लूट की घटना से जुड़े पुलिस के सवालों का संतोषप्रद जवाब नहीं दिया है। पुलिस ने मिर्च पाउडर झोंककर लूटने के बयान के आधार पर मुनीम के चेहरे में मिर्च पाउडर नहीं पाया।
मिली जानकारी के अनुसार लूट की रकम पुलिस ने मुनीम की निशानदेही पर जप्त किया है। बताया जाता है कि पुलिस राजधानी रायपुर के अलावा भिलाई, राजनांदगांव व दुर्ग में भी लूटेरों की सरगर्मी से तलाश कर रही है। पुलिस सूत्रों का दावा हैं कि मुनीम की मिलीभगत से ही यह कथित लूट हुई हैं। आरोपियों की खोजबीन कर रही कवर्धा पुलिस बेहद दबाव में हैं। घटना के बाद पुलिस अब तक दर्जनों ठिकाने पर दबिश दे चुकी हैं। पुलिस के पास आरोपियों को लेकर लगातार नई सूचना मिल रही हैं। वहीं कुछ भ्रामक खबरों में 3 आरोपियों के पुलिस हिरासत में होने का दावा किया जा रहा है। साथ ही 50 लाख रुपए बरामद होने का अपुष्ट चर्चा हो रही है। जबकि पुलिस के हाथों एक भी लूटेरे नहीं लगे हैं।
नई दिल्ली, 10 जुलाई । देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी इन दिनों डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फोकस कर रही है। कंपनी हाल ही में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर JioMeet लेकर आई थी, जो हूबहू Zoom ऐप्स की तरह दिखने के कारण काफी चर्चा में रहा। अब कंपनी एक और मशहूर ऐप WhatsApp का क्लोन ले आई है। कंपनी ने अपने JioChat ऐप को नया लुक दिया है, जिसका यूजर इंटरफेस बिलकुल वॉट्सऐप की तरह है।
बता दें कि जियो चैट कंपनी का काफी पुराना ऐप है। प्ले स्टोर पर इस ऐप को अब तक 5 करोड़ डाउनलोड्स मिल चुके हैं। कंपनी ने हाल ही में इसके लुक में बदलाव किया, जिसके बाद वॉट्सऐप और जियोचैट में अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा है। रोचक बात यह है कि वॉट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फेसबुक ने कुछ समय पहले ही जियो में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है।
क्या है समानताएं
दोनों ऐप्स को एक झलक में देखने पर कोई भी धोखा खा सकता है। इन दोनों की कलर स्कीम से लेकर, प्रॉडक्ट नेम की प्लेसमेंट, सर्च व कैमरा आइकॉन, और Chat व Status टैब तक सब कुछ एक जैसा है। हालांकि जियोचैट में Status के विकल्प को Stories का नाम दे दिया गया है। थोड़ा सा अंतर करने के लिए जियो चैट में Channels नाम का एक अतिरिक्त फीचर भी दिया गया है और Calls टैब की जगह कॉल्स का आइकॉन दिया गया है।
जियो क्यों कर रही ऐसा
दोनों ऐप्स के एक जैसा होने पर ट्विटर पर काफी चर्चा की जा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि रिलायंस जियो ने ऐसा इसलिए किया है ताकि यूजर्स को एक प्लेटफॉर्म से जियो प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होने में असुविधा ना हो। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रैटजी है, ताकि यूजर्स की नजर में आ सके।(navbharat)
रायपुर उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया है-तहसीलदार
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बैकुंठपुर, 10 जुलाई। कोरिया जिले के बैकुंठपुर के कई पटवारी हल्का में 1949-50 के रिकॉर्ड में दर्ज सरकारी भूमि अचानक भुइयां सॉफ्टवेयर को हैक करके किसी एक व्यक्ति के नाम कर दिया गया है, एक पटवारी ने जब देखा तो उसने मामले की शिकायत तहसीलदार से की।
इस संबंध में तहसीलदार ऋचा सिंह का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है, मामले की जांच के लिए रायपुर के उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया है। वहां से इस बात की जानकारी ली जा रही है। पटवारियों के पासवर्ड को किसने हैक किया है, नाम सामने आने पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी अनुसार कोरिया जिले के कुछ पटवारी हल्का क्षेत्रों में स्थित सरकारी भूमि एक ही व्यक्ति के नाम पर कब्जे में आ गई। एक सरकारी भूमि वर्ष 2019-20 में सरकारी से निजी कब्जा में आ गई, वहीं बाकी की भूमि में हाल के महीनों में कब्जा दर्ज किया गया है। मामले की जानकारी चेरवा पारा के पटवारी को लगी, हालांकि इसी हल्का की एक सरकारी भूमि वर्ष 2019-20 में निजी कब्जा दर्ज हो चुकी थी, उन्होंने मामले की जानकारी तहसीलदार बैकुंठपुर को दी।
इधर, दूसरे हल्का क्षेत्र में भी इसी तरह का वाक्या सामने आने लगा, कई क्षेत्रों में उसी व्यक्ति का नाम दर्ज है जिसका नाम चेरवापारा की सरकारी भूमि में दर्ज दिख रहा है। चेरवापारा के अलावा दो सरकारी भूमि बैकुंठपुर के ही भण्डार पारा हल्का की भी सामने आई है। इसमें भी जो नाम चेरवापारा की सरकारी भूमि में जिस व्यक्ति का कब्जा दिख रहा है, उसी का नाम भंडारपारा में दिखाई दे रहा है।
कितनी भूमि का कब्जा बदला
चेरवापारा की सरकारी भूमि क्र. 807, 1.2800 हेक्टयर जो छोटे झाड़ के जंगल के नाम से दर्ज है ये मामला वर्ष 2019- 20 में ही बदल दिया गया, तब तक भी प्रशासन और संबंधित पटवारी को इसकी भनक तक नहीं लगी, निजी कब्जा दर्ज हो गया, वहीं बची 9 सरकारी भूमि वर्ष 2020- 21 में कब्जा दर्शाया गया, तब जाकर पटवारी को इसकी जानकारी हुई, और उनसे मामले की जानकारी तहसीलदार बैकुंठपुर को दी। वर्ष 2020-21 में जो कब्जा दर्शायी गयी है उनमें भूमि संख्या 493, 0.3200 हे चरनोई भूमि, 983, 0.3900 हे. छोटे झा? के जंगल की भूमि, 958, 0.6400 छोटे झा? का जंगल, 486, 0.4700 हे. छोटे-बड़े जंगल, 983, 0.3900 हे. चरनोई, 493, 0.3200 हे. चरनोई, 988, 0.5300 हे. चरनोई, 486, 0.4700 छोटे ब?े झा? के जंगल के नाम वाली अब निजी कब्जे में दिखाई दे रही है। जबकि 1949-50 के रिकॉर्ड में ये सभी भूमि सरकारी दर्ज थी और अब एक व्यक्ति के नाम से दर्ज है।
पटवारी ही बदल सकता है नाम
राज्य सरकार का भुइयां सॉफ्टवेयर जिसमे सारे राजस्व भूमि के रिकॉर्ड दर्ज है, इसके लिए हर पटवारी को उसके हल्के के हिसाब से गांव बांटे जाते है और उसका अपना पासवर्ड होता है, जिससे सिर्फ वो ही उसमे जाकर कांट छांट कर सकता है या बदलाव या जोड़ कर सकता है।
अब खंगाल रहे हैं रिकॉर्ड
अब जिले भर के पटवारी अपने अपने हल्का क्षेत्र की सरकारी भूमि का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं। कहीं उनके क्षेत्र की सरकारी भूमि पर भी तो किसी ने अपना कब्जा दिखा तो नहीं लिया, पटवारियों को अधिकारियों ने कहा है कि अपने रिकॉर्ड को अच्छे से देखो यदि बदलाव हुआ है तो उसकी जानकारी दो ताकि उसकी गंभीरता से जांच की जा सके।