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‘ठीक हुए बिना सभी को बार-बार घर जाने कहा जा रहा’
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 जुलाई। कोरोना पॉजिटिव पीजी डॉक्टर ने अंबेडकर अस्पताल के जिन वार्डों में दो दिन पहले राउंड लगाया था, वहां के कई मरीज अब डिस्चार्ज किए जा रहे हैं। अस्पताल से छुट्टी के बाद बाहर आए कुछ मरीजों ने बताया कि वे लोग ठीक नहीं हुए हैं, इसके बाद भी उन्हें छुट्टी दे दी गई। स्टाफ द्वारा वार्ड में भर्ती मरीजों को घर जाने के लिए बार-बार कहा जा रहा है। ऐसे में बाकी मरीज भी ठीक हुए बिना छुट्टी कराकर अपने घर लौट सकते हैं।
अंबेडकर अस्पताल का एक पीजी डॉक्टर दो दिन पहले कोरोना पॉजिटिव पाया गया, लेकिन यह जानकारी होने के बाद भी संबंधित पीजी डॉक्टर सर्जरी समेत कई वार्डों में राउंड पर चला गया। वह यहां अपने को कोरोना पॉजिटिव भी बताता रहा। उसकी यह लापरवाही अब यहां भर्ती सामान्य मरीजों पर देखी जा रही है। कोरोना पॉजिटिव के राउंड वाले वार्डों से मरीज अब छुुट्टी किए जा रहे हैं। जबकि ये मरीज खुद यह बता रहे हैं कि उन्हें अस्पताल में रहकर अभी और इलाज कराना था।
वार्डों से छुट्टी होकर अस्पताल परिसर में आए कुछ मरीजों ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि उन्हें 10 से 15 दिन की दवा दी गई है। उन्हें 15 दिन बाद दोबारा अस्पताल पहुंचकर जांच कराने कहा गया है। जबकि उनकी हालत 10-15 दिन घर में ठहरने की नहीं है। ऐसे में उन्हें कुछ दिनों में वापस फिर से अस्पताल आना होगा। इससे उनकी परेशानी और बढ़ेगी।
अस्पताल के पीआरओ शुभ्रासिंह ठाकुर का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर के राउंड के बाद मरीजों की छुट्टी जैसी कोई बात नहीं है। ठीक होने पर ही वार्डों से मरीज डिस्चार्ज किए जाते हैं। यह अस्पताल की नियमित प्रक्रिया है। आज भी कुछ मरीज डिस्चार्ज किए गए होंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 11 जुलाई। थाना कोतवाली महासमुन्द में चोरी की 15 बाइक समेत आज दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने बागबाहरा, पिथौरा, गरियाबंद, रायपुर, फिगेश्वर व आरंग से सभी बाइक चोरी करना बताया।
पुलिस के अनुसार कल सूचना मिली थी कि महासमुन्द निवासी हेमू अग्रवाल चोरी की बाइक को खपाने हेतु खरीददार की तलाश में है और उन्होंने चोरी की बाइक अपने घर पर रखा है। हेमू अग्रवाल पूर्व में भी चोरी एवं आम्र्स एक्ट मामले में जेल जा चुका है। फिंगेश्वर के एक वाहन चोरी के अपराध में वांछित है तथा अपने साथी चन्दू के साथ महासमुन्द जिले के बागबाहरा, पिथौरा एवं सीमावर्ती गरियाबंद व रायपुर के फिंगेश्वर, आरंग से बहुत सारी बाइक चोरी किया है।
सिटी कोतवाली पुलिस ने आज हेमू अग्रवाल और उसके साथी चंदू को घेराबंदी कर पकड़ा। पुलिस का कहना है कि हेमू अग्रवाल उर्फ विकास अग्रवाल शातिर वाहन चोर है और पूर्व में लूट,चोरी जैसे अपराध में वह जेल भी गया है। उसने अपने साथी चन्दू के साथ रायपुर जिला, महासमुन्द जिला, गरियाबंद जिला से चोरी करना बताया।
थाना कोतवाली की टीम ने हेमू अग्रवाल से प्लेटिना वाहन 2 नग, डिलक्स 04 नग, होण्डा साईन 02 नग, एक्टीवा 02 नग, मेस्ट्रो 01 नग, सीडी 100 एक नग, पैशन प्रो 01 नग, पल्सर 01 नग, अपाचे 01 नग, कुल 15 दुपहिया कीमत 4 लाख 50 हजार रूपये जब्त कर कार्रवाई की है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 11 जुलाई। जिला कबीरधाम में हुए 71 लाख लूट का फरार आरोपी नारायण चंद्रवंशी को पुलिस ने आज सुबह पॉवर हाउस नंदनी रोड स्थित एसके सेवन लॉज में दबिश देकर पकड़ा है। ज्ञात हो कि इस मामले के 6 आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था, वहीं 2 फरार थे।
नगर पुलिस अधीक्षक विश्वास चंद्राकर ने बताया कि आज सुबह 8 बजे पुलिस को सूचना मिली कि कवर्धा के 71 लाख रुपए की लूट का एक आरोपी नारायण चंद्रवंशी पॉवर हाउस नंदनी रोड स्थित एसके 7 लॉज ठहरा हुआ है। छावनी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी नारायण चंद्रवंशी को धर दबोचा।
बताया जा रहा है कि आरोपी नारायण रायपुर अपने वकील से मुलाकात करने के लिए गया हुआ था। लौटते समय आराम करने के लिए लॉज में रुक गया। परंतु होटल के मैनेजर ने इसकी सूचना छावनी पुलिस को दी। खबर लगने पर मौके पर पुलिस पहुंची। जिसे देख नारायण होटल के छत से कूद कर भागने का प्रयास कर रहा था।
नारायण चंद्रवंशी (25) लोहारा रोड रामनगर कवर्धा का रहने वाला है। कवर्धा की लूट की घटना में सह आरोपी था, जिसे पुलिस तलाश कर रही थी।
गौरतलब हो कि कवर्धा में प्लान के तहत राइस मिलर मुंशी से 71 लाख लूट की वारदात को अंजाम देने वाले 6 आरोपियों को पुलिस ने 24 घण्टे के भीतर गिरफ्तार कर लिया था, जिसमें एक निलंबित आरक्षक दिलीप चंद्रवंशी और राइस मिलर मुंशी मनोज कश्यप भी है। उसके बाद से नारायण फरार चल रहा था। आरोपियों के निशानदेही पर पुलिस ने करीब 68 लाख रुपये बरामद किया है।
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 11 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। 12 जुलाई 2009 की वीभत्स नक्सल घटना की कल 11वीं बरसी है। इस लोमहर्षक नक्सली वारदात में तत्कालीन राजनांदगांव एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान नक्सल एम्बुश में फंसकर शहीद हो गए। यह पहला वाकया था जब नक्सल मोर्चे में किसी आईपीएस को जवानों के साथ शहादत झेलनी पड़ी। इस घटना के बाद तेजी से नक्सल मोर्चे में बड़े बदलाव हुए। ऐसा ही एक बदलाव आत्मसमर्पण नीति के तहत महकमे में व्यापक परिवर्तन आया। नतीजतन नक्सली के तौर पर हमलावर रहा पूर्व नक्सली आज महकमे के साथ जुडक़र बेहतर जीवन जी रहा है।
इस घटनाक्रम से जुड़े एक पूर्व नक्सली छोटू पद्दा ने अपनी पत्नी सुनीता के साथ 12 जुलाई 2009 की वारदात का प्रत्यक्ष हमलावर रहा है। छोटू पद्दा ने कंपनी नंबर 4 के सेक्शन कमांडर की हैसियत से स्व. विनोद चौबे एवं जवानों पर कई गोलियां दागी। इस हमले में सहयोगी के तौर पर छोटू पद्दा की पत्नी सुनीता भी मौजूद थी।
गढ़चिरौली के रानकट्टा के रहने वाले इस युवक ने स्व. चौबे और पुलिस फोर्स पर कातिलाना हमला बोला था। कोरकोट्टी हमले के दो साल बाद 2012 में छोटू पद्दा ने पत्नी के साथ राजनांदगांव पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया और इसके बाद पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नक्सलियों की जड़ों को उखाडऩे के मिशन से जुड़ गया। आज वह महकमे में बतौर आरक्षक काम कर रहा है। 11 साल पहले हुए इस हमले के बाद काफी संघर्ष के बाद पुलिस की अंदरूनी इलाकों में ताकत बढ़ी है। आत्मसमर्पण नीति के जरिए छोटू पद्दा एक जिम्मेदार आरक्षक के तौर पर स्व. चौबे की मूर्ति की सफाई करने के साथ-साथ पेंटिंग कर रहा है।
रंग-रोगन करते इस संवाददाता से चर्चा करते छोटू पद्दा ने कहा कि एक आम इंसान की तरह जीने का अपना अलग महत्व है। पत्नी के साथ वह खुशहाल जीवन जी रहा है। इस बीच कंपनी नंबर 4 में सेक्शन कमांडर के ओहदे में रहते छोटू पद्दा ने कोरकोट्टी हमले में फोर्स पर कई गोलियां दागी थी। सेक्शन कमांडर के तौर पर वह नक्सलियों की टुकड़ी का नेतृत्व भी हमले में कर रहा था।
बताते हैं कि छोटू पद्दा ने समर्पण के बाद पुलिस के सामने कई राज उगले। माना जाता है कि सेक्शन कमांडर को नक्सल संगठन में काफी महत्व दिया जाता है। यही कारण है कि मानपुर क्षेत्र में नक्सलियों का नकल कसने पुलिस ने छोटू पद्दा ने कई अहम जानकारियां दी। आरक्षक की हैसियत से छोटू पद्दा स्व. चौबे और जवानों पर हमले की वारदात को पीछे छोडक़र पूरी निष्ठा के साथ देश सेवा कर रहा है।
-डॉ मुजफ्फर हुसैन गजाली
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना देखने वाला देश अब पांच किलो अनाज पर आ कर टिक गया है। भारत के दिमाग, उसके बाजार, तेज दौड़ती अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट की दुनिया में चर्चा होती रही है। ऐसा क्या हुआ है कि देश दो जून की रोटी की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
प्रधानमंत्री को स्वयं देश को संबोधित कर ‘गरीब कल्याण योजना’ जो 30 जून को समाप्त हो रही थी इसकी अवधि बढ़ाकर नवंबर 2020 तक पांच किलो गेहूं या चावल प्रति व्यक्ति और एक किलो चना हर परिवार को मुफ्त देने की घोषणा करनी पड़ी। दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने, किसानों की आय को दोगुना करने, विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने, एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए बुलेट ट्रेन चलाने, 100 स्मार्ट सिटी बनाने, हवाई चप्पल वाले को हवाई जहाज़ में बैठाने, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, 30-35 रुपये में पेट्रोल, डीजल उपलब्ध कराने, डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत बनाने और पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने की जोर-शोर से बात करने वाली सरकार और सत्ताधारी पार्टी अब पांच किलो अनाज पर आ गयी है।
आज स्थिति यह है कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी भुखमरी के कगार पर है। खुद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में गरीबों की संख्या 80 करोड़ बताई है। जबकि 29 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं। देश में 51 प्रतिशत महिलाएँ और 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। एक तिहाई आबादी को दो वक़्त का भोजन उपलब्ध नहीं हैं। 80 करोड़ गरीबों में से, 44 करोड़ यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में रहते हैं। इन्हें श्रमिक पैदा करने वाला प्रांत भी कहा जाता है। ऐसा तब है जब संसद का हर चौथा सदस्य यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश से आता है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 117 देशों में 102 है। जबकि मई 2014 में देश 55 वें स्थान पर था। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक लगातार गिर रही है। क्योंकि अर्थव्यवस्था के लिए देश के पास कोई विजन नहीं है। ऊपर से रोजग़ार की कमी और राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने की इच्छा ने स्तिथि को बद से बदतर कर दिया है।
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की चर्चा से, देश में सुधार की आशा बढ़ी थी। इसकी घोषणा वित्त मंत्री ने बजट सत्र को संबोधित करते हुए की थी। अगले दिन, 6 जुलाई, 2019 को प्रधानमंत्री ने वाराणसी में भाजपा कार्यकर्ताओं से अपने सम्बोधन में, इसे देश के लिए बड़ा लक्ष्य बताया था। इस पहल से रोजगार, व्यापार, उत्पादन, निवेश, निर्यात और आयात के नए अवसर की सम्भावना पैदा हुयी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए, 8 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करना तथा बरकऱार रखना आवश्यक है। इस लक्ष्य के लिए हर क्षेत्र में निवेश की दरकार है। निवेश बढऩे से नए रोजग़ार पैदा होते हैं, मांग बढ़ती है और क्रय शक्ति में इज़ाफ़ा होता है। बोल चाल के शब्दों में खपत + निजी निवेश+सरकारी खर्च+निर्यात में से आयात को घटा दें तो यह देश की विकास दर या अर्थव्यवस्था कहलती है। आर्थिक सर्वेक्षण के पहले अध्याय के पेज चार पर पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के लिए ‘यदि’ के साथ कुछ शर्तों का उल्लेख किया गया है। ‘यदि’ निर्यात बढ़े, ‘यदि’ उत्पादकता बढे, ‘यदि’ रुपये में गिरावट आये, ‘यदि’ वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 8 प्रतिशत हो और मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के आसपास रहे, तो अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन तक पहुंचेगी। बेरोजगारी के कारण खपत और निवेश की मांग में कमी आई है। दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन ने मानसून की गति को धीमा कर दिया है, जिस का प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था लगातार प्रभावित हो रही है। सेवा क्षेत्र, जिसका अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान है,उसकी स्तिथि भी अच्छी नहीं है।
2019 के चुनावों से पहले, मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे में 100 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। अब सरकार ने रेलवे और बुनियादी ढाँचे में निजी कंपनियों से पीपीपी मोड में निवेश की बात कही है। लेकिन इस श्रेणी की कंपनियां परेशान चल रही हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इसका क़ुरा भी अडानी या अंबानी के नाम ही निकलेगा। निर्यात में भारत लगातार पिछड़ रहा है। जी डी पी के औसत के हिसाब से यह 14 साल के निचले स्तर पर है। भारत-चीन संघर्ष और टैरिफ वॉर का भी उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 3 मई को बेरोजगारी की दर 27.1 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। सीएमआई की रिपोर्ट के अनुसार, जून के तीन सप्ताह में यह घटकर 17.5 और 11.6 पर आ गयी। परन्तु इन आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकार ने आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए मनरेगा का सहारा लिया है। निजी निवेश में गिरावट आई है, घरेलू कंपनियां अपना कारोबार देश के बाहर स्थानांतरित कर रही हैं। देश की परिस्थितियाँ विदेशी निवेश के लिए अनुकूल नहीं हैं। बैंक, एनबीएफसी, एनपीए के बोझ से डूब रहे हैं। वैसे, सरकारी निवेश जीडीपी वृद्धि को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन सरकार की दिलचस्पी निवेश के बजाय देश की संम्पदा अपने प्रियजनों के हवाले करने में है।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने 31 अगस्त, 2019 को अपने ट्वीट में सरकार की आर्थिक नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था, ‘यदि कोई नई आर्थिक नीति नहीं लाई जाती है, तो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को गुडबाय कहने को तैयार हो जाइये।’ एक दिन पहले ही 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत बताई गयी थी। यह उस समय छ: साल के सबसे निचले स्तर पर थी।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन ने अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के लिए ऑटोमोबाइल, मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं। इसी उद्देश्य के लिए, उन्होंने दस राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों को चार में विलय कर दिया था। फिर भी, मार्च 2020 में जीडीपी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत दर्ज की गई। इससे पता चलता है कि भाजपा के अन्य वादों की तरह, पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की घोषणा एक सूंदर स्वप्न के अलावा और कुछ भी नहीं।
सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था, रोजगार, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी जरूरतों को यदि सरकार पूरा नहीं कर पा रही है तो भाजपा को वोट कौन देगा, वह चुनाव कैसे जीतेगी। 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज देने की घोषणा शायद इसी सवाल का जवाब तलाश करने की कोशिश है। वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपाई के अनुसार, पाँच महीने तक गरीबों को पाँच किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न देने पर सरकार को 90,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे, अगर 80 करोड़ लोगों को एक साल तक हर महीने पांच किलो अनाज दिया जाये, तो इस पर कुल 2.25 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। यदि 2.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करके 80 करोड़ लोगों को अपने साथ खड़ा किया जा सकता है तो यह राजनीती में बहुत सस्ता सौदा है। ज्ञात रहे कि 2014 के संसदीय चुनावों में भाजपा को 17.16 करोड़ और 2019 में 22,90,78,261 वोट मिले थे। वैसे मुफ्त अनाज की थ्योरी गज़़ब की है, यदि 2.25 लाख करोड़ रुपये का अनाज देश के 80 करोड़ नागरिकों का पेट भर सकता है, तो जरा सोचिए देश में कितनी असमानता है। अगर इसे वोट से जोड़ कर देखा जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
वर्तमान योजनाओं के अवलोकन से पता चल सकता है कि मुफ्त अनाज की योजना सफल होगी या पिछले वादों की तरह यह भी एक जुमला बन कर रह जाएगी। सरकार ने उन 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को जिन के पास राशन कार्ड नहीं है, मई जून में राशन देने का वादा किया था। लेकिन वह मई में एक करोड़ और 26 जून तक केवल 79,20,000 श्रमिकों को ही राशन दे पाई। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के अनुसार, उन्हें मई में एफसीआई से 13.5 प्रतिशत और जून में 10 प्रतिशत से भी कम खाद्यान्न मिल पाया। कोरोना संकट के समय भी 42 प्रतिशत राशन कार्ड धारक सरकारी राशन से वंचित रहे। आंकड़े बताते हैं कि आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं जिन्होंने राशन की दुकानों से 90 खाद्यान्न वितरित किया। जबकि दिल्ली, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और झारखंड राज्य केवल 30 प्रतिशत राशन ही बांट पाए। राष्ट्रीय स्तर पर, केवल 58 प्रतिशत को ही सरकारी राशन मिल पाता है। सस्ते राशन की 60 प्रतिशत दुकानें तो बंद ही रहती हैं। मनरेगा की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। बजट में मनरेगा के लिए 61,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। कोरोना राहत के नाम पर 40,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त देने का निर्णय किया गया, लेकिन अभी तक इस में से केवल 38,999 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं। जिस में से नब्बे प्रतिशत खर्च हो चुका है। सरकार मनरेगा में पंजीकृत लोगों को सौ दिन का रोजगार नहीं दे पा रही है और न ही सभी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मेल। देश में न्यूनतम अनिवार्य आय जैसी कोई योजना भी नहीं है। जिस से गरीबों को राहत मिल सके। ऐसी स्थिति में सरकार पांच किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न का वादा पूरा कर पाएगी या नहीं यह आने वाला समय बताएगा। भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश भले ही न बन पाया हो, लेकिन कोड -19 के मामलों के कारण वह दुनिया का तीसरा देश जरूर बन गया है।
-रूचिर गर्ग
स्वाभाविक है कि विकास दुबे जैसे दुर्दांत आतंकी के साथ किसी की सहानुभूति नहीं हो सकती। विकास दुबे और उसके गैंग ने 8 पुलिस वालों को जिस बेरहमी से मारा उसके बाद जनमानस में जो गुस्सा था वो सबने देखा ही है।महाकाल परिसर में जो हुआ वो लोगों के गले उतर नहीं रहा था। अब एनकाउंटर पर सवाल उठ रहे हैं।
स्वाभाविक है कि विकास दुबे भारतीय कानून व्यवस्था के तहत सख्त से सख्त सजा का हकदार था। लेकिन जिन परिस्थितियों में यह सब कुछ घटा वो स्वाभाविक प्रतीत नहीं हो रहीं हैं, इसलिए सवाल भी स्वाभाविक हैं।
कोई सवाल अगर पुलिस नाम की संस्था के हौसले कम करते हों तो व्यापक जनहित में ऐसे सवालों को कुछ देर के लिए रोक लीजिए। गहरी सांस लीजिए, थोड़ा सोचिए, फिर तय कीजिये कि कोई सवाल यदि पुलिस के लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए ज़रूरी हों तो भी क्या उनके लिए जगह न रखी जाए? सोचिए कि लोकतंत्र कानून के राज से मजबूत होगा या अराजकता से?
जिस समय आप किसी ऐसे हत्यारे को सरेआम गोलियों से भून डालने की कामना कर रहे होते हैं तब सोचिए कि क्या आपने कभी उस समय एक सवाल भी किया था, जब आपकी आँखों के सामने कोई एक व्यक्ति अपराध करते करते विकास दुबे बन जाता है?
सोचिए कि सडक़ पर त्वरित न्याय से खुश होने वाले हम या आप क्या कभी उस व्यवस्था पर सवाल उठा भी पाते हैं जो विकास दुबे बनाती है? सोचिए कि जब आप किसी चुनाव में वोट देने के लिए घर से निकलते हैं तो क्या आपने कभी यह सोचा था कि आपको एक अपराध मुक्त, सभ्य और लोकतांत्रिक समाज के निर्माण के लिए वोट देना है? सोचिए कि वोट देते समय आपकी प्रज्ञा का हरण कौन कर जाता है! सोचना छोडि़ए हममें से करीब-करीब आधे से कुछ कम तो वोट भी नहीं देने जाते!
कानपुर एनकाउंटर ऐसी कोई इकलौती घटना नहीं है जिस पर तकनीकी सवाल उठे या अंतहीन बहस होती रहे। किसी दुर्दांत अपराधी की मौत का शोकगीत कोई नहीं गाना चाहेगा लेकिन कानपुर एनकाउंटर फिर एक ऐसा मौका जरूर है कि हमको आपको यह तय करना होगा कि हम कैसा समाज चाहते हैं, कैसा देश चाहते हैं? अगर समाज ऐसा ही हो जो न विकास दुबे बनने की प्रक्रिया पर मुंह खोले और ना जिसमें यह सवाल करने की इच्छा हो कि जब घटना स्थल से 2 किलोमीटर पहले मीडिया को रोक दिया गया था तब क्या एनकाउंटर हो चुका था, तो संतोष कीजिये कि अब आप लगभग ऐसे ही समाज का हिस्सा हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपको कानून का राज चाहिए, आपको ऐसा समाज चाहिए जिसमें हम आप जैसे नागरिकों की न्याय व्यवस्था पर आस्था अटूट रहे तो इसके लिए आपको सिर्फ सवाल पूछने हैं। आपको सिर्फ इतना ही तो करना है कि टीवी एंकर्स के नजरिए से सब कुछ देखना छोड़ देना है और अपने विवेक को काम पर लगाना है। जब हम ऐसा कर पाएंगे तब यह भी तो देख पाएंगे कि वो कौन सी ताकते हैं,वो कौन सी प्रवृत्तियां हैं, वो कौन सी साजिशें हैं जो हमें सवाल करने से रोकती हैं, जिन्होंने हमारी चेतना का हरण कर लिया है, जो हमें मजबूर कर रहीं हैं कि हम इस व्यवस्था में बस ताली-थाली पीटने वाले दर्शक बने रहें!
अगर लोकतांत्रिक समाज की हमारी आकांक्षा बची है, अगर कानून के राज की आकांक्षा बची है तो इन आकांक्षाओं का एनकाउंटर कर रही प्रवृत्तियों की शिनाख्त जरूरी है।
आज यह चर्चा अलोकप्रिय लग सकती है लेकिन लोकप्रियता का आंनद बड़ा नशीला होता है। हम ना महंगाई समझते हैं, ना बेरोजगारी समझ पाते हैं, न अपराध मुक्त समाज समझ पाते हैं,ना शिक्षा के सवाल समझ आते हैं, विदेश नीति वगैरह को तो छोडि़ए हम पीने के साफ पानी तक की बात नहीं कर पाते। ये आनंद बड़ा उन्मादी बना देता है।
हमें कभी सिर्फ दर्शक तो कभी विदूषक सा बना देता है। हम देख ही नहीं पाते कि हमारे लिए नायकत्व के प्रतिमान कितनी खामोशी से बदलते जा रहे हैं। झूठ हमारे लिए सब से बड़ा सच बन गया और हम इस हकीकत का एहसास भी नहीं करना चाहते।
फिलहाल इतना ही सोचिए कि अब उन सवालों का जवाब कौन देगा जो विकास दुबे से होने थे? ये तो ऐसा सवाल है जो शहीद पुलिस वालों के परिजन भी कर रहे हैं! हम आप तो उनके साथ हैं न? तो सवाल कीजिये?
अच्छा चलिए, इस सवाल से असुविधा हो रही हो तो इतना तो पूछ ही लीजिए कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम को हल्का करने के लिए लोकतांत्रिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और खाद्य सुरक्षा जैसे पाठ ही हटाने क्यों जरूरी थे?
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 जुलाई। राजधानी रायपुर के लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने नुक्कड़ कलाकार आज से यहां के चौक-चौराहों पर यमराज और चित्रगुप्त के भेष में निकले हैं। वे यहां लोगों को कोरोना और उससे बचाव से संबंधित जानकारी दे रहे हैं। नियमों को नहीं मानने वालों की चित्रगुप्त कुंडली देख रहे हैं। यमराज भी जमकर क्लास ले रहे हैं।
रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और रायपुर यातायात पुलिस ने मिलकर यह जन-जागरूकता अभियान यहां शुरू किया है। यमराज और चित्रगुप्त बने कलाकार मास्क न पहनने वालों को आगाह भी कर रहे हैं कि उनकी लापरवाही उनके स्वयं व दूसरों के जीवन को संकट में डाल रही है। ये कलाकार सडक़ पर थूकने वाले और यातायात नियम का उल्लंघन करने वालों को भी बता रहे हैं कि उनकी लापरवाही उनके साथ दूसरों की जिंदगी में भी संकट डालती है।
रायपुर स्मार्ट सिटी के एमडी सौरभ कुमार के अनुसार कोरोना से बचाव को लेकर लोगों को नियमित हाथ धोने, सडक़ पर न थूकने और मास्क लगाने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने भी कहा जा रहा है। दुकानों में अनावश्यक भीड़ न लगाने की समझाइश भी दी जा रही है। मास्क न पहनने वालों को मुफ्त में मास्क भी दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी लापरवाही बरतने पर सख्ती बरतते हुए जुर्माना लगाया जा रहा है।
गुजरात, 11 जुलाई । गुजरात के सूरत में एक ज्वेलरी शॉप ने कोरोना वायरस महामारी के बीच हो रही शादी के लिए कुछ खास इंतजाम किया है। इस ज्वेलरी शॉप ने एक खास तरह का मास्क तैयार किया है जिसकी कीमत 1.5 लाख से 4 लाख तक की होगी।
यह मास्क कोई आम मास्क की तरह नहीं होगा बल्कि यह हीरों से जड़ा मास्क होगा। यह हीरे असली भी हो सकते हैं या आप अमेरिकन डॉयमंड भी लगवा सकता है। यह पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपको किस तरह के हीरे अपने मास्क के ऊपर लगाने है।
खास बातचीत में ज्वेलरी शॉप के मालिक दीपक चोकसी ने कहा, हीरों से जड़ा मास्क का आइडिया मेरे दिमाग में तब आया जब एक ग्राहक मेरे दुकान पर आए और उनके घर में शादी थी। उन्होंने दुल्हा- दुल्हन के लिए अनोखे तरह की मास्क की मांग की। तब मुझे ख्याल आया कि क्यों न कोरोना वायरस लॉकडाउन के अंतर्गत शादी को यादगार बनाया जाए। और फिर हमने डिजाइनरों को स्पेशल तरह की मास्क बनाने का काम सौंपा।
जानकर हैरानी होगी मास्क बनने के बाद वह ग्राहक फिर हमारे दुकान पर आए और उन्होंने मास्क खरीदा। इसके बाद हमने और भी मास्क बनाए। दीपक चोकसी ने एएनआई को बताया कि अब वह दिन दूर नहीं जब इस तरह के मास्क की जरूरत लोगों को पड़ेगी। इन मास्क को बनाने के लिए सोने के साथ प्योर डायमंड और अमेरिकन डायमंड का इस्तेमाल किया गया है।
दीपक चोकसी ने बताया की मास्क से हीरे और सोने ग्राहकों की इच्छा के अनुसार निकाला जा सकता है और इसका उपयोग दूसरे ज्वेलरी को बनाने में भी किया जा सकता है। दुकान के एक ग्राहक देवांशी ने कहा, मैं ज्वेलरी खरीदने के लिए दुकान पर आई थी, क्योंकि परिवार में शादी है। फिर मैंने हीरा जड़ा मास्क देखा, फिर यह मास्क मुझे ज्वेलरी की तुलना में अधिक अच्छी लगी। इसलिए, मैंने इसे खरीदने का फैसला किया और सबसे खास बात यह है कि यह मेरे ड्रेस के मैचिंग के हिसाब से थी।
हाल ही में, पुणे के रहने वाले शंकर कुराडे नाम के एक व्यक्ति ने सोने का मास्क बनाकर पहने हुए थे। यह मास्क पूरे सोने का बना हुआ था और इसकी कीमत 2.89 लाख रूपये हैं। जब शंकर से इस मास्क को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा यह बेहद आरामदायक मास्क है। (एएनआई)
मुम्बई, 11 जुलाई । बॉलीवुड में जुबली कुमार के नाम से मशहूर राजेन्द्र कुमार ने कई सुपरहिट फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया लेकिन उन्हें अपने करियर के शुरुआती दौर में कड़ा संघर्ष करना पड़ा था।
20 जुलाई 1929 को पंजाब के सिलाकोट शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में राजेन्द्र कुमार अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। जब वह अपने सपनों को साकार करने के लिये मुम्बई पहुंचे थे तो उनके पास मात्र पचास रुपए थे, जो उन्होंने अपने पिता से मिली घड़ी बेचकर हासिल की थी। घड़ी बेचने से उन्हें 63 रुपए मिले थे जिसमें 13 रुपए से उन्होंने फ्रंटियर मेल का टिकट खरीदा। मुंबई पहुंचने पर गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से राजेन्द्र कुमार को 150 रुपए मासिक वेतन पर वह निर्माता-निर्देशक एच. एस. रवैल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1950 में प्रदर्शित फिल्म, जोगन, में राजेन्द्र कुमार को काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनके साथ दिलीप कुमार ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
वर्ष 1950 से वर्ष 1957 तक राजेन्द्र कुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। फिल्म जोगन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने तूफान और दीया, आवाज और एक झलक जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी। वर्ष 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म उन्हें बतौर पारश्रमिक 1000 रुपए महीना मिला। यह फिल्म पूरी तरह अभिनेत्री नरगिस पर आधारित थी बावजूद इसके राजेन्द्र कुमार ने अपनी छोटी सी भूमिका के जरिये दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद गूंज उठी शहनाई, कानून, ससुराल, घराना, आस का पंछी और दिल एक मंदिर जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिये राजेन्द्र कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुये ऐसी स्थिति में पहुंच गये जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
वर्ष 1959 मे प्रदर्शित विजय भटृ की संगीतमय फिल्म गूंज उठी शहनाई बतौर अभिनेता राजेन्द्र कुमार के सिने करियर की पहली हिट साबित हुई। वहीं, वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म मेरे महबूब की जबर्दस्त कामयाबी के बाद राजेन्द्र कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे। राजेन्द्र कुमार कभी भी किसी खास इमेज में नहीं बंधे। इसलिए, अपनी इन फिल्मों की कामयाबी के बाद भी उन्होंने वर्ष 1964 में प्रदर्शित फिल्म संगम में राजकपूर के सहनायक की भूमिका स्वीकार कर ली, जो उनके फिल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थी। इसके बावजूद राजेन्द्र कुमार यहां भी दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।
वर्ष 1963 से 1966 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेन्द्र कुमार की लगातार छह फिल्में हिट रहीं। मेरे महबूब, जिन्दगी, संगम, आई मिलन की बेला, आरजू और सूरज सभी फिल्मों ने सिनेमाघरों पर सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली मनायी। इन फिल्मों के बाद राजेन्द्र कुमार के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया, जब मुम्बई के सभी दस सिनेमाघरों में उनकी ही फिल्में लगी और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली मनायी। यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता रहा। उनकी फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए उनके प्रशंसकों ने उनका नाम ही, जुबली कुमार, रख दिया था।
राजेश खन्ना के आगमन के बाद परदे पर रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता के प्रति दर्शकों का प्यार कम होने लगा। इसे देखते हुए राजेन्द्र कुमार ने कुछ समय के विश्राम के बाद 1978 में, साजन बिना सुहागन, फिल्म से चरित्र अभिनय की शुरुआत कर दी। राजेन्द्र कुमार के सिने करियर में उनकी जोड़ी सायरा बानो, साधना और वैजयंती माला के साथ काफी पसंद की गयी।
वर्ष 1981 में राजेन्द्र कुमार ने अपने पुत्र कुमार गौरव को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए लव स्टोरी का निर्माण और निर्देशन किया, जिसने बॉक्स आफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की। इसके बाद वह कुमार गौरव के करियर को आगे बढाने के लिए ‘नाम’ और ‘फूल’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया लेकिन पहली फिल्म की सफलता का श्रेय संजय दत्त ले गए जबकि दूसरी फिल्म बुरी तरह पिट गई और इसके साथ ही कुमार गौरव के फिल्मी करियर पर भी विराम लग गया।
राजेन्द्र कुमार के फिल्मी योगदान को देखते हुए 1969 में उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया। नब्बे के दशक में राजेन्द्र कुमार ने फिल्मों मे काम करना काफी कम कर दिया। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राजेन्द्र कुमार 12 जुलाई 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गये। राजेन्द्र कुमार ने अपने करियर में लगभग 85 फिल्मों में काम किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में तलाक, संतान, धूल का फूल, पतंग, धर्मपुत्र, घराना, हमराही, पालकी, साथी, गोरा और काला, अमन, गीत, गंवार, धरती, दो जासूस, साजन की सहेली, बिन फेरे हम तेरे शामिल हैं।(वार्ता)
-पुण्यतिथि 12 जुलाई
मुंबई, 11 जुलाई । बॉलीवुड में प्राण ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने पचास और सत्तर के दशक के बीच फिल्म इंडस्ट्री पर खलनायकी के क्षेत्र में एकछत्र राज किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सरकारी ठेकेदार थे। उनकी कंपनी सडक़े और पुल बनाने के ठेके लिया करती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राण अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे। एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात लाहौर के मशहूर पटकथा लेखक वली मोहम्मद से हुयी। वली मोहम्मद ने प्राण की सूरत देखकर उनसे फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव दिया। प्राण ने उस समय वली मोहम्मद के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उनके बार-बार कहने पर वह तैयार हो गये।
वर्ष 1940 में प्रदर्शित फिल्म, यमला जट, से प्राण ने अपने सिने करियर की शुरुआत की। फिल्म की सफलता के बाद प्राण को यह महसूस हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री में यदि वह करियर बनायेगें तो ज्यादा शोहरत हासिल कर सकते हैं। इस बीच भारत बंटवारे के बाद प्राण लाहौर छोडक़र मुंबई आ गये। इस बीच प्राण ने लगभग 22 फिल्मों में अभिनय किया और उनकी फिल्में सफल भी हुयी लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मुख्य अभिनेता की बजाय खलनायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा ।
वर्ष 1948 में उन्हें बांबे टॉकीज की निर्मित फिल्म, जिद्दी, में बतौर खलनायक काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद प्राण ने यह निश्चय किया कि वह खलनायकी को ही करियर का आधार बनाएंगे और इसके बाद प्राण ने लगभग चार दशक तक खलनायकी की लंबी पारी खेली और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।
वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म अदालत में प्राण ने इतने खतरनाक तरीके से अभिनय किया कि दर्शकों को पसीने आ गये। सत्तर के दशक में प्राण खलनायक की छवि से बाहर निकलकर चरित्र भूमिका पाने की कोशिश में लग गये। वर्ष 1967 में निर्माता -निर्देशक मनोज कुमार ने अपनी फिल्म, उपकार, में प्राण को मलंग काका का एक ऐसा रोल दिया जो प्राण के सिने करियर का मील का पत्थर साबित हुआ।
फिल्म, उपकार, में प्राण ने मलंग काका के रोल को इतनी शिद्दत के साथ निभाया कि लोग प्राण के खलनायक होने की बात भूल गये। इस फिल्म के बाद प्राण के पास चरित्र भूमिका निभाने का तांता सा लग गया। इसके बाद प्राण ने सत्तर से नब्बे के दशक तक चरित्र भूमिकाओं से दर्शको का मन मोहे रखा। सदी के खलनायक प्राण की जीवनी भी लिखी जा चुकी है, जिसका टाइटल, एंड प्राण, रखा गया है। पुस्तक का यह टाइटल इसलिए रखा गया है कि प्राण की अधिकतर फिल्मों में उनका नाम सभी कलाकारों के पीछे, और प्राण, लिखा हुआ आता था। कभी-कभी उनके नाम को इस तरह पेश किया जाता था, एबव ऑल प्राण।
प्राण ने अपने चार दशक से भी ज्यादा लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। प्राण के मिले सम्मान पर यदि नजर डालें तो अपने दमदार अभिनय के लिये वह तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2013 में प्राण को फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया था।
प्राण को उनके कैरियर के शिखर काल में कभी उन्हें फिल्म के नायक से भी ज्यादा भुगतान किया जाता था। फिल्म डॉन में काम करने के लिए उन्हें नायक अमिताभ बच्चन से ज्यादा रकम मिली थी। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले प्राण 12 जुलाई 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।(वार्ता)
बीजिंग/जिनेवा/नयी दिल्ली 11 जुलाई। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है और इसके कारण दुनियाभर में अब तक लगभग 5.60 लाख लोगों की मौत हो चुकी है तथा 1.25 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं।
कोविड-19 के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,24,65,633 हो गयी है जबकि 5,59,568 लोगों ने जान गंवाई है।
विश्व महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 3183573 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,34089 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 1800827 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 70398 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 27114 नये मामले सामने आये हैं और अब कुल संक्रमितों की संख्या बढक़र 820916 हो गई है। इसी अवधि में कोरोना वायरस से 519 लोगों की मृत्यु होने से मृतकों की संख्या बढक़र 22123 हो गई है। देश में इस समय कोरोना के 2,83407 सक्रिय मामले हैं और अब तक 515386 लोग इस महामारी से निजात पा चुके हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 712863 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 11000 लोगों ने जान गंवाई है। पेरु में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवें नम्बर पर पहुंच गया है। यहां संक्रमितों की संख्या 3,19646 हो गई तथा 11,500 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के मामले में चिली विश्व में छठे स्थान पर आ गया हैं। यहां अब तक कोरोना वायरस से 3,09,274 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 6781 है।
ब्रिटेन संक्रमण के मामले में सातवें नंबर पर आ गया है। यहां अब तक इस महामारी से 2,89,678 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 44,735 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कोरोना संक्रमण के मामले में मेक्सिको स्पेन से आगे निकल कर आठवें स्थान पर आ गया है और यहां संक्रमितों की संख्या 2,89,174 पहुंच गई है और अब तक इस वायरस से 34191 लोगों की मौत हुई है। वहीं स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 253,908 है जबकि 28,403 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से प्रभावित खाड़ी देश ईरान में दसवें स्थान पर है यहां संक्रमितों की संख्या 2,52720 हो गई है और 12,447 लोगों की इसके कारण मौत हुई है।
दक्षिण अफ्रीका ने कोरोना से 2,52687 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 3860 लोगों की मौत हो चुकी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 2,43599 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 5058 लोगों की मौत हो चुकी है।
यूरोपीय देश इटली में इस जानलेवा विषाणु से 2,42,639 लोग संक्रमित हुए हैं त था 34,938 लोगों की मौत हुई है। सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण से अब तक 226486 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 2151 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,10,965 हो गयी है और 5323 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 208,015 हैं और 30007 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 1,99,332 लोग संक्रमित हुए हैं और 9063 लोगों की मौत हुई है।
बंगलादेश में 178443 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2275 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। वैश्विक महामारी कोरोना के उद्गमस्थल चीन में अब तक 84,992 लोग संक्रमित हुए हैं और 4,641 लोगों की मृत्यु हुई है। कोरोना वायरस से बेल्जियम में 9781, कनाडा में 8811 , नीदरलैंड में 6155, स्वीडन में 5525, इक्वाडोर में 4939 , मिस्र 3702, इंडोनेशिया 3469, इराक 2960, स्विट््जरलैंड में 1966, आयरलैंड में 1744, पुर्तगाल में 1646 और अर्जेटीना में 1774 लोगों की मौत हुई है।(वार्ता)
नई दिल्ली, 11 जुलाई (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी से हर माह प्रसारित किए जाने वाले अपने कार्यक्रम के लिए ‘मन की बात’ देश की जनता से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इस माह ‘मन की बात’ का प्रसारण 26 जुलाई को किया जायेगा। इसके पहले भी मोदी ने मन की बात के लिए लोगों के सुझाव मांगे थे।
श्री मोदी ने शनिवार को ट्वीट किया, मैं इसको लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि आप इस बात से अवगत होंगे कि छोटी-छोटी प्रेरणा के सामूहिक प्रयास किस तरह सकारात्मक बदलाव लाते हैं। आप निश्चित तौर पर ऐसी पहलों के बारे में भी जानते होंगे जिन्होंने लोगों के जीवन में बदलाव लाया। कृपया इस माह 26 जुलाई को प्रसारित की जाने वाली मन की बात के लिये अपने सुझाव साझा करें।
श्री मोदी ने लिखा कि मन की बात के लिए सुझाव कई माध्यम से दिए जा सकते हैं। यह सुझाव 1800117800 पर रिकार्ड कराए जा सकते हैं। सुझाव के लिए विशेष रुप से सृजित खुले मंच ‘नमो ऐप’ पर उन्हें साझा किया जा सकता है और ‘माईजीओवी’ पर भी लिखा जा सकता है।
मौतें-17, एक्टिव 787, डिस्चार्ज 3028
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े 38 सौ पार कर चुके हैं। बीती रात सामने आए 166 नए पॉजिटिव के साथ प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या अब 38 सौ 32 हो गई है। इसमें नांदगांव और रायगढ़ में कल हुई दो लोगों की मौत को मिलाकर 17 की मौतें हुई हैं। 7 सौ 87 एक्टिव हैं और इन सभी का इलाज जारी है। दूसरी तरफ, 3 हजार 28 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट गए हैं।
प्रदेश में जिस रफ्तार के साथ नए कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं, उसी रफ्तार के साथ अस्पतालों में भर्ती मरीज भी ठीक होकर अपने घर जा रहे हैं। बीती रात तक 166 नए पॉजिटिव मिले, तो दूसरी तरफ 125 मरीज ठीक होने पर डिस्चार्ज भी किए गए। बताया गया कि नए पॉजिटिव एम्स समेत सरकारी कोरोना अस्पतालों में भर्ती किए जा रहे हैं। अलग-अलग जगहों से भेजे गए सैंपलों की जांच जारी है।
बीती रात जारी बुलेटिन के मुताबिक कल राजनांदगांव में कर्नाटक से आए एक कोरोना संक्रमित की हृदयघात से एवं रायगढ़ में कोरोना संक्रमित 26 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई। बीती रात में 140 नए पॉजिटिव की पहचान की गई। इसमें अकेले रायपुर से 34, नारायणपुर से 22, दंतेवाड़ा से 17, बिलासपुर से 13, राजनांदगांव व बलौदाबाजार से 10-10, सरगुजा से 9, रायगढ़ से 7, दुर्ग, बालोद, जांजगीर-चांपा से 3-3, बलरामपुर, कोंडागांव व अन्य राज्य से 2-2 एवं कोरबा, बेमेतरा, महासमुंद से 1-1 मरीज शामिल रहे।
इसके बाद रात करीब 10 बजे 26 और नए पॉजिटिव पाए गए। इसमें बलौदाबाजार से 24 एवं दुर्ग से 2 कोरोना मरीज शामिल रहे। कल सामने आए सभी नए मरीजों को अलग-अलग कोरोना अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा सावधानी और मास्क के साथ सामाजिक दूरी जरूरी है। लापरवाही से संक्रमण का ज्यादा से ज्यादा डर बना रहेगा। रायपुर में जिस ढंग से मरीज सामने आ रहे हैं, यह एक तरह से लापरवाही ही मानी जा सकती है।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
रायपुर, 11 जुलाई। एम्स रायपुर से अब तक का सबसे बुजुर्ग कोरोना मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हुआ है। भिलाई से लाया गया यह 89 बरस का बुजुर्ग दो जुलाई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर भर्ती किया गया था। एम्स के डॉक्टरों ने उसका पूरा रखरखाव किया, और इलाज किया। आठ जुलाई को उसके लक्षण ठीक होने के थे, और उसका कोरोना टेस्ट नेगिटिव आया, इसके बाद कोरोना-निर्देशों के तहत उसे डिस्चार्ज किया गया। एम्स का कहना है कि इस बुजुर्ग मरीज ने बाकी तमाम कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए उम्मीद की एक राह दिखाई है।
24 घंटे में पुलिस ने गुत्थी सुलझाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 जुलाई। सोमनी के फरहद गांव में एक वकील के जघन्य हत्या के आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि वारदात को 4 लोगों ने मिलकर अंजाम दिया है। पूरा मामला वकील के आरोपियों के साथ निजी दुश्मनी से जुड़ा हुआ है। राजनांदगांव पुलिस आज शाम 4 बजे प्रेसकान्फ्रेंस कर आरोपियों के चेहरे को सार्वजनिक रूप से बेनकाब करेगी।
मिली जानकारी के मुताबिक वकील संजय साहू की लाश कल फरहद गांव के बाहर एक पुल के नीचे खून से लथपथ मिली। शुरूआती जांच में पुलिस ने पूरे मामले को निजी कारणों से जोड़ते हुए छानबीन शुरू की।
सूत्रों का कहना है कि मृतक संजय साहू का एक महिला के साथ अवैध संबंध था। महिला अपने रिश्तेदारों के मकान पर बेजा कब्जा कर निवासरत थी। इसी बात को लेकर महिला का भतीजा मकान खाली करने के लिए दबाव बना रहा था। चूंकि मृतक के साथ महिला का अवैध रिश्ता था। लिहाजा उनके संपत्ति के मामले में मृतक बतौर वकील नियम-कानून का हवाला देकर अड़चने पैदा कर रहा था। इसी बात को लेकर महिला का भतीजा नाराज था। वहीं पुलिस ने सोमनी से 2, परमालकसा से एक और युवक को हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक आरोपी मृतक का दोस्त था। उसके साथ भी मृतक का अनबन हो गया था। साथ ही सोमनी के एक इलेक्ट्रिशियन से काम कराने के बाद मृतक की प्रेमिका ने मेहनताना नहीं दिया। जिससे वह भी नाराज था। ऐसे अलग-अलग निजी कारणों के चलते सभी ने मिलकर वकील की हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने से पहले सभी ने छककर शराब पी और उसके बाद वकील को मौत के घाट उतार दिया।
बिहार में कोसी बराज का यह दृश्य देखिये और जल की शक्ति को महसूस कीजिये। अभी यहां डिस्चार्ज पौने तीन लाख कयूसेक बताया जा रहा है। तटबंध हर जगह सुरक्षित हैं। मगर दोनों तटबंधों के बीच बसे 300 से अधिक गांव और उन गांवों में रहने वाली लाखों की आबादी, उनका क्या?
वैसे हम सब जानते हैं, इन गांवों की आबादी हर साल बाढ़ झेलती है। वह अभ्यस्त हो चुकी है। वह पानी के रंगरूप में बाढ़ की संभावना को महसूस लेती है। लोग समय से गांव खाली कर देते हैं और तटबंधों पर झोपड़े बनाकर रहने लगते हैं। उन्हें कोसी की लहरों से खेलने का अभ्यास है। वे सरकार के भरोसे नहीं हैं। वे लड़कर जीना जानते हैं।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है और पिछले 24 घंटों में 27,114 मामले सामने आए हैं जो संक्रमितों की अब तक एक दिन में सर्वाधिक संख्या हैं तथा इसी अवधि में 519 लोगों की मौत हुई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 27,114 नए मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 8,20,916 हो गयी है। इससे एक दिन पहले 26,506 नये मामले सामने आए थे।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है तथा इस दौरान 19,873 रोगी स्वस्थ हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 5,15386 लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 2,83,407 सक्रिय मामले हैं। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 519 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 22,123 हो गई है।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 7,862 मामले दर्ज किये गये जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,38,461 पर पहुंच गया है। राज्य इस अवधि के दौरान 226 लोगों की मौत हुई है जिसके कारण मृतकों की संख्या बढक़र 9,893 हो गयी है। वहीं 1,32,625 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में संक्रमितों की संख्या सवा लाख के पार हो गयी है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 3,680 बढक़र 1,30261 पर पहुंच गये हैं और इसी अवधि में 64 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 1829 हो गयी है। राज्य में 82,324 लोगों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,09,140 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3,300 हो गयी है। यहां 84,694 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में संक्रमितों का आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच गया है और अब तक 40,069 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,022 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 28,147 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं। आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 33,700 मामले सामने आए हैं तथा इस वायरस से 889 लोगों की मौत हुई है जबकि 21,787 मरीज ठीक हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्यों में कर्नाटक और तेलंगाना में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कर्नाटक में 33,418 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 543 लोगों की इससे मौत हुई है। राज्य में 13,836 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। तेलंगाना में संक्रमितों की संख्या 32,224 हो गयी है और 339 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 19,205 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके है।
पश्चिम बंगाल में 27,109 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 880 लोगों की मौत हुई है और अब तक 17,348 लोग स्वस्थ हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेज वृद्धि के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित की सूची में राजस्थान से ऊपर आ गया है। राज्य में 25,422 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 292 हो गयी है। राजस्थान में भी कोरोना का प्रकोप जोरों पर है और यहां संक्रमितों की संख्या 23,174 हो गयी है और अब तक 497 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 17,620 लोग पूरी तरह ठीक हुए है। हरियाणा में 19,934 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 290 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 638, पंजाब में 187, जम्मू-कश्मीर में 159, बिहार में 119, ओडिशा में 56, उत्तराखंड में 46, केरल और असम में 27, झारखंड में 23, छत्तीसगढ़ और पुड्डुचेरी में 17, हिमाचल प्रदेश में 11, गोवा में नौ, चंडीगढ़ में सात, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में दो तथा त्रिपुरा और लद्दाख में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
3 हिरासत में, 25 आईफोन, लैपटॉप, आईपैड व कार जब्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। पुलिस ने तीन ऐसे नाबालिगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने इंटरनेट पर हैकिंग सीखकर दूसरों के अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड और वर्चुअल मनी बिटक्वाइन से लाखों रुपये की खरीददारी कर डाली। संगठित रूप से इन बालकों ने लड़कियों के नाम पर आईडी बनाकर सोशल मीडिया पर कई लोगों से भारी रकम वसूली। पुलिस का अनुमान है कि इन लोगों ने कम से कम 60 से 70 लाख रुपये की ठगी कर ली है। इनसे एक लाख रुपये की कीमत वाले 25 आईफोन, दो लैप टॉप, एक आईपैड, एक कार कई फर्जी सिम कार्ड आदि बरामद किये हैं। पुलिस का दावा है कि इतने सधे ढंग से नाबालिगों द्वारा ठगी को अंजाम देने का प्रदेश में यह पहला मामला है।
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को इस बारे में प्रारंभिक सूचना मिलने पर उन्होंने एएसपी ओपी शर्मा, कोतवाली सीएसपी अनिमेश बरैया, कोतवाली निरीक्षक कलीम खान और साइबर सेल की एक टीम बनाई। टीम ने जब छानबीन शुरू की तो दंग रह गई। ये सभी बच्चे नाबालिग हैं और बचपन से इन्हें इंटरनेट में महारत हासिल हो गई है। इसका इस्तेमाल कर उन्होंने ठगी कर लाखों रुपये कमाने का रास्ता निकाल लिया था।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मोबाइल और कम्प्यूटर के जरिये ये बच्चे विभिन्न हैकिंग साइट्स तक पहुंचते थे और उनसे बकायदा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड का डिटेल, उस कार्ड के उपयोगकर्ता के आईपी एड्रेस के साथ खरीदा करते थे। वे प्राक्सी सर्वर का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन शॉपिंग करते थे। अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि को वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में भुगतान करते थे। विदेशी मुद्रा खरीदने के लिये वे भारतीय मुद्रा पेटीएम के माध्यम से जमा करते थे। पेटीएम संचालित करने के लिये भी उन्होंने ओडिशा, तमिलनाडु आदि के सिम से काम लेते थे। इस तरह उन्हें महंगे गैजेट्स बहुत कम दाम पर ऑनलाइन हासिल हो जाते थे। इसे वे यहां महंगे दाम पर बेचते थे। इनके पास से बरामद सभी आई फोन करीब एक लाख रुपये की कीमत के हैं।
इतना ही नहीं इन लोगों ने अज्ञात लड़कियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया में एकाउन्ट बना रखा था। इंस्टाग्राम पर लक्ष्मी-संता, लक्ष्मी-संता डॉट पीवीटी, श्रुति-जाटव आदि एकाउन्ट उन्होंने फर्जी तरीके से बना रखा है। लोगों से सोशल मीडिया पर दोस्ती कर उनसे अश्लील चैट करते थे और कई बार वीडियो भी बना लेते थे। बाद में इसे वायरल करने की धमकी देकर रुपये वसूला करते थे। कई बार ऑनलाइन सामान आने पर पैकेट खाली भेजने का आरोप लगाकर पैसा वापस मांग लेते थे जबकि सामान वे रख चुके होते थे। यहां तक कि ऑनलाइन फूड सप्लाई वाले खाने में भोजन का वजन कम होने, खाना नहीं होने आदि की शिकायत करके भी राशि वापस ले लिया करते थे। यही नहीं वे ऑनलाइन सामान भेजने का ऑर्डर भी लेकर रकम हड़प लेते थे और डिलवरी सक्सेस का मैजेस सामने वाले को भेज देते थे, जबकि उन्हें सामान मिला ही नहीं होता था।
मामले को सुलझाने में निरीक्षक सुनील तिर्की, उप निरीक्षक प्रभाकर तिवारी, सागर पाठक, मनोज नायक, एएसआई हेमन्त आदित्य, आरक्षक सरफराज खान, नवीन एक्का, दीपक यादव, अशफाक खान, तरूण केशरवानी, विकास यादव, बोधूराम कुम्हार, गोकुल जांगड़े, राजेश नारंग, राजेश यादव व संदीप शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
यूपी मामला बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय का है, जहां एक प्रोफेसर पर फेसबुक की प्रोफाइल पिक्चर में पाकिस्तान का झंडा लगाने का आरोप है. प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 थीम की तस्वीर लगाई, लेकिन भूलवश दूसरी तस्वीर लग गई, ग़लती का एहसास होने पर उन्होंने उसे डिलीट कर दिया था.
बरेली(भाषा): उत्तर प्रदेश के बरेली में एक सरकारी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर फेसबुक की डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) पर पाकिस्तान का नक्शा और झंडा लगाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता नीरू भारद्वाज की शिकायत पर बारादरी थाने में बुधवार को मामला दर्ज किया गया.
भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि रुहेलखंड विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के एक प्रोफेसर ने मंगलवार को अपने फेसबुक डीपी में जो तस्वीर लगाई थी, उसमें पाकिस्तान का नक्शा और झंडा था, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में आरोपी प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने यह सब जानबूझकर नहीं किया.
महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा, ‘मैंने दरअसल फेसबुक पर कोविड-19 थीम से जुड़ी प्रोफाइल तस्वीर लगाई थी, जिसमें हरे रंग का नक्शा और झंडा भी था. मैंने जल्दबाजी में तस्वीर पोस्ट की और उस ध्यान नहीं दिया कि वह पाकिस्तान का नक्शा और झंडा है. मेरे एक दोस्त ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने उसे तुरंत डिलीट करके गलती मान ली. मैंने यह जानबूझकर नहीं किया था.’
वह कहते हैं कि लेकिन मेरे डिलीट करने से पहले ही मेरे प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे.
आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग के साथ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को एक ज्ञापन सौंपा है.
एबीवीपी की बरेली इकाई के सचिव राहुल चौहान का कहना है कि हम प्रोफेसर को सस्पेंड कराना चाहते थे.
बारादरी के एसएचओ शितांशु शर्मा कहते हैं, ‘प्रोफेसर के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. यह धारा आपत्तिजनक कंटेट को प्रसारित और प्रकाशित करने से जुड़ी है.’
पुलिस का कहना है कि प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल कुमार शुक्ला से माफी मांगी है.
यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला का कहना है, ‘इस मामले पर उन्होंने (प्रोफेसर) ने अपना जवाब दे दिया है. हम इस मामले को कार्यकारी परिषद की बैठक में इसे रखेंगे. परिषद इस पर फैसला लेगी कि क्या किया जाना चाहिए.’
नई दिल्ली (एजेंसी) : सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को एक बार फिर लोन घोटाले का सामना करना पड़ा है। बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) को दिए 3,688.58 करोड़ रुपये के लोन को फ्रॉड घोषित किया है। इसके पहले नीरव मोदी और मेहुल चोकसी बैंक को 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं। बैंक ने गुरुवार को बताया कि उसने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) के एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) खाते में 3,688.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में जानकारी आरबीआई को दी है। डीएचएफएल उस समय सुर्खियों में आई थी जब एक रिपोर्ट में कहा गया कि उसने कई मुखौटा कंपनियों के जरिये कुल 97,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज में से कथित रूप से 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
इसमें कई आरोप ग़ैर-ज़िम्मेदाराना, अनुचित, याचिका के दायरे से परे - हाईकोर्ट
नई दिल्ली (भाषा) : पिंजड़ा तोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलीता की एक याचिका पर दिल्ली पुलिस द्वारा दायर किए गए हलफनामे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा इसमें लगाए गए कुछ आरोप बिल्कुल अनुचित हैं. न्यायालय ने कहा कि हमें नहीं पता है कि हलफनामे में दिए तथ्यों का कोई आधार है या नहीं. कुछ आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लगाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कलीता (31) ने याचिका दायर कर मांग की है कि पुलिस को निर्देश दिया जाए कि जब तक जांच लंबित है तब तक उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों/सबूतों को मीडिया में लीक न किया जाए.
कलीता के खिलाफ कुल चार एफआईआर दायर किए गए हैं, जिसमें से एक पिछले साल दिसंबर में दरियागंज में एक विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल होने को लेकर है और बाकी मामले उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के संबंध में हैं.
कलीता के अलावा पिंजरा तोड़ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को भी पुलिस ने 23 मार्च को दिल्ली हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया था.
नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्राएं हैं. कलीता जेएनयू की सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज की एमफिल छात्रा, जबकि नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी छात्रा हैं. दोनों पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं.
बीते सात जुलाई को दायर किए गए अपने जवाबी हलफनामा में पुलिस ने आरोप लगाया था कि खुद कलीता और पिंजड़ा तोड़ ने जनता की सहानुभूति प्राप्त करने और लोगों की भावनाओं को अपने पक्ष में करने के लिए ‘मीडिया ट्रायल’ शुरू कर दिया था.
इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस इस आधार पर ये नहीं कह सकती है कि चूंकि याचिकाकर्ता मीडिया ट्रायल कर रही हैं, इसलिए वे उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक कर रहे हैं.
जस्टिस विभु बाखरू ने कहा, ‘ये पुलिस का रवैया नहीं हो सकता है. कुछ संयम होना चाहिए और उन्हें (पुलिस) पालन करना होगा.’
जस्टिस बाखरू ने कहा कि याचिका के सीमित दायरे को देखते हुए हलफनामे में लगाए गए आरोप अनुचित हैं.
अदालत ने कहा कि हलफनामे में कई आरोप लगाए गए हैं जो याचिका के दायरे से परे हैं. कोर्ट ने इसे वापस लेने का सुझाव दिया.
पीठ ने कहा कि इस मामले में वह केवल इस बात की जांच करने वाली हैं कि किसी मामले के बारे में पुलिस किन परिस्थितियों में और किस तरीके से आधिकारिक विज्ञप्ति या प्रेस नोट जारी कर सकती है.
अदालत ने कहा कि वह पुलिस को किसी भी मामले में कोई आधिकारिक विज्ञप्ति जारी करने पर रोक नहीं लगा रही है.
अदालत ने कहा कि अगर हलफनामा रिकॉर्ड में रहता है, और कोई अधिकारी आरोपों की जिम्मेदारी नहीं लेता है तो वह इसकी सामग्री पर टिप्पणी करेगी.
कोर्ट ने कहा, ‘हमें नहीं पता है कि (हलफनामे में) तथ्यों का कोई आधार है. कुछ आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लगाया गया है.’
जस्टिस बाखरू ने कहा, ‘हम इस हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेने की इजाजत नहीं दे सकते हैं जब तक कि कोई इसमें लिखी गई बातों की 100 फीसदी जिम्मेदारी न ले ले. यह कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड है.’
पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने कहा कि हलफनामे में दिए गए बयान याचिका में लगाए गए इस आरोप के जवाब में हैं कि याचिकाकर्ता जेएनयू छात्र देवांगना कलीता को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है.
लेखी ने कहा कि वह हलफनामे पर भरोसा नहीं करेंगे और कानून के बिंदुओं के अनुसार अपनी दलीलें सीमित रखेंगे.
कलीका के वकील अदित ए. पुजारी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह हलफनामा कथित रूप से मीडिया में साझा किया गया है.
कोर्ट ने कहा, ‘यह व्यर्थ कोशिश है. यह दस्तावेज फाइल होने से पहले ही कई लोगों के पास पहुंच गई..’
अपनी याचिका में कलीता ने दे जून के ‘संक्षिप्त नोट’ में शामिल सभी आरोपों को वापस लेने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की है.
अदालत ने 10 जून को कलीता के खिलाफ आरोपों और सबूतों के बारे में कथित तौर पर एकत्र किए गए किसी भी बयान को जारी करने से पुलिस को पहले ही रोक दिया था.
मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.
भारत के सबसे बड़े स्लम ने दिखाया कि..
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि अभी भी संभव है कि कोरोनावायरस को काबू में लाया जा सकता है.
जेनेवा (एएफपी) : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि अभी भी संभव है कि कोरोनावायरस को काबू में लाया जा सकता है. पिछले 6 हफ्तों में कोरोना के मामले दोगुने होने के बावजूद इसपर काबू किया जा सकता है. WHO प्रमुख टेडरोस अधानोम घेब्रेसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा कि इटली, स्पेन, साउथ कोरिया और भारत के सबसे बड़े स्लम ने दिखाया कि यह वायरस कितना खतरनाक था लेकिन कड़े एक्शन के साथ इसपर काबू किया जा सकता है.
जेनेवा में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में WHO प्रमुख ने कहा कि पिछले 6 हफ्तों में कोरोना के मामले दोगुने से ज्यादा हुए हैं. कई उदाहरण ऐसे भी हैं जिनमें देखा गया कि भले ही यह वायरस तेजी से फैला हो लेकिन फिर भी इसपर काबू पाया जा सकता है. यह उदाहरण हैं- इटली, स्पेन, साउथ कोरिया और भारत में धारावी. मुंबई का धारावी काफी आबादी वाला इलाका है. वहां टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और इलाज के दम पर कोरोनावायरस की चेन ब्रेक करने में कामयाबी मिली.
गौरतलब है कि भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 1.22 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. COVID-19 5.5 लाख से ज्यादा मरीजों की जिंदगी छीन चुका है. भारत में भी लगभग हर रोज कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बीते दिन जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7,93,802 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (गुरुवार सुबह 8 बजे से लेकर शुक्रवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 26,506 नए मामले सामने आए हैं. एक दिन में सामने आने वाले कोरोना मरीजों की यह अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है.
इतना ही नहीं, इस दौरान देश में 475 संक्रमितों की मौत भी हुई है. देश में एक दिन में कोरोना से मौतों का भी यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. देश में 4,95,513 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं और 21,604 लोगों की मौत हुई है. रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़त के बाद 62.42 प्रतिशत पर पहुंच गया है. देश के सभी राज्यों से कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. कई राज्य ऐसे भी हैं, जो इस महामारी से मुक्त हो चुके थे लेकिन प्रवासियों के राज्य में दाखिल होने से वह फिर से इस संक्रमण की जद में आ गए.
दो और सहयोगी ऐसे ही 'मुठभेड़' में मारे गए
समीरात्मज मिश्र
कानपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत पर ठीक उसी तरह सवाल उठ रहे हैं जैसे कि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका से लेकर विकास दुबे के राजनीतिक संपर्कों तक को लेकर उठ रहे थे.
यूपी पुलिस की दर्जनों टीमें कई राज्यों और नेपाल तक में लंबा जाल बिछाने के बावजूद घटना के एक हफ़्ते बाद तक विकास दुबे को पकड़ नहीं पाईं. गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर में विकास दुबे ने कथित तौर पर ख़ुद को सरेंडर कराया. हालांकि मध्य प्रदेश पुलिस का दावा है कि गिरफ़्तार उन्होंने किया लेकिन इस गिरफ़्तारी पर संदेह जताया जा रहा है.
शुक्रवार को सुबह ही विकास दुबे के कथित तौर पर मुठभेड़ में पहले घायल होने और फिर कानपुर के हैलट अस्पताल में मारे जाने की ख़बर आई. यूपी एसटीएफ़ जानकारी दी कि विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था.
कानपुर के पास ही पुलिस की एक गाड़ी अचानक हादसे का शिकार होकर पलट गई. इस दौरान विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को आत्मरक्षा में अभियुक्त को मारना पड़ा.
दो और सहयोगी ऐसे ही 'मुठभेड़' में मारे गए
लेकिन इस घटनाक्रम की 'क्रोनोलॉजी' इतनी सपाट और दोहराव वाली है कि इस पर लोगों को यक़ीन नहीं हो रहा है. दरअसल, जिस दिन विकास दुबे को उज्जैन में गिरफ़्तार किया गया, उसी दिन से सोशल मीडिया पर ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थीं कि ऐसा ही कुछ विकास दुबे के साथ हो सकता है.
फोटो क्रेडिट : एएनआई
इसके पीछे वजह ये है कि विकास दुबे को दो अन्य सहयोगियों को एक दिन पहले ही यूपी एसटीएफ़ ने हरियाणा के फ़रीदाबाद से गिरफ़्तार करके यूपी की सीमा में लगभग इसी तरीक़े और इन्हीं परिस्थितियों में मारा गया था जिस तरह विकास दुबे को मारा गया.
ऐसे कई बिंदु हैं जिनके आधार पर इस मुठभेड़ के दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं. मसलन, क़रीब 1200 किमी तक के सड़क मार्ग में कोई बाधा नहीं आई लेकिन कानपुर के पास पहुंचते ही अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ़ उसी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ जिसमें विकास बैठा हुआ था.
यही नहीं, इस गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों को चोटें आईं लेकिन विकास के साथ ऐसा कौन सा इत्तेफ़ाक होता है कि वह पुलिसकर्मियों के हथियार छीन कर पलटी हुई गाड़ी से निकलकर भागने लगता है.
पुलिस ने यह तो बताया है कि कुछ पुलिसकर्मियों को चोट लगी है लगी है लेकिन इनके बारे में अब तक ज़्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है कि कितने पुलिसकर्मी घायल हैं और उन्हें कहां चोट लगी है.
कांग्रेस पार्टी ने इस कथित एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि विकास दुबे यदि हथियार छीन कर भाग रहा था तो गोली उसके सीने पर कैसे लगी?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं, "गोली तो पीठ पर लगनी चाहिए थी. विकास दुबे के पैर में रॉड पड़ी है, वो कुछ दूर तक भी ठीक से चल नहीं पाता तो पुलिसकर्मियों की पकड़ से कैसे भाग गया?"
सवाल यह भी पूछे जा रहे हैं कि 1200 किमी की यात्रा सड़क मार्ग से क्यों हो रही है, जबकि चार्टर्ड प्लेन से विकास दुबे को लाने की बात हो रही थी? और कार से लाए जाने के दौरान हथकड़ी क्यों नहीं लगाई गई.
इत्तेफ़ाक़ ही इत्तेफ़ाक़
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही रहा कि घटना से कुछ दूर पहले ही पत्रकारों की गाड़ियों को चेकिंग के लिए रोक लिया गया. और विकास दुबे को ले जा रही गाड़ी ऐसी जगह पलटी जहां रोड के किनारे डिवाइडर नहीं था.
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही है कि पलटी हुई गाड़ी के आसपास सड़क पर दुर्घटना होने के निशान नहीं है और चलती सड़क पर गाड़ी के दुर्घटना का शिकार होने के चश्मदीद भी नहीं है.
ये भी इत्तेफ़ाक़ ही है कि जिस विकास दुबे को महाकाल मंदिर के निहत्थे गार्डों ने पकड़ लिया वो यूपी एसटीएफ़ के प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की पकड़ से भाग निकला और उन्होंने उसे ज़िंदा पकड़ने के बजाए मार देना बेहतर समझा.
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब पुलिस के पास या तो अभी हैं नहीं या फिर वो देना नहीं चाहती. कानपुर पुलिस और यूपी एसटीएफ़ के अधिकारियों से हमने इन सवालों के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन फ़िलहाल कोई जवाब नहीं मिल सका.
यूपी सरकार इससे पहले भी एनकाउंटर्स को लेकर सवालों के घेरे में रही है.
सरकार का दावा है कि राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद क़रीब दो हज़ार एनकाउंटर हुए हैं और इनमें सौ से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.
कुछ मामलों में मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं से नोटिस भी मिले हैं लेकिन एनकाउंटर को लेकर सरकार ज़रा भी नरम नहीं हुई है.
क्या कथित तौर पर फ़र्जी एनकाउंटर्स को लेकर सरकार और अफ़सरों को न्यायालय या अन्य संवैधानिक संस्थाओं का भी डर नहीं रहता, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "इतने एनकाउंटर हुए, अब तक न तो किसी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई हुई न ही कोई ऐसा नोटिस आया कि मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं या फिर न्यायालय से, जिससे कि सरकार या पुलिस वालों में कोई भय होता. तो पुलिस वालों का भी मनोबल बढता है कि कुछ नहीं होगा. पिछली सरकारों से तुलना करें तो पिछली सरकारों में सौ एनकाउंटर भी नहीं हुए. एनकाउंटर स्टेट की पॉलिसी बन गई है. इससे पुलिस को और बल मिला है.. सीएम ने हर मंच से कहा कि ठोंको नीति पर चलो."
सुभाष मिश्र कहते हैं," यूपी पुलिस के पास एक अच्छा मौक़ा मिला था. पुलिस इस मौक़े का सदुपयोग करती तो बहुत से राज़ खुल सकते थे. माफ़िया-पुलिस-नेता के गठजोड़ का सच जनता के सामने आ सकता था. ये पता चल सकता था कि विकास को किन लोगों ने संरक्षण दिया. उससे पुलिस का क्या कनेक्शन है. उसके बाद उसे सज़ा दिलाई जा सकती थी. ऐसी समस्याओं का समाधान पूरी तरह भले न होता लेकिन कुछ हद तक ज़रूर होता."
''पुलिस वालों को लगा कि ये हैदराबाद कांड की तरह उनके लिए हीरो बनने का मौक़ा है. लोगों ने भी पुलिस वालों को एसी घटनाओं के बाद कंधों पर बिठाकर हीरो बनाया है."
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी विभूतिनारायण राय कहते हैं, 'ये जो कहानी सुनाई जा रही है इसमें बहुत झोल हैं, जितने सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं, उनसे ज़्यादा सवाल उठ रहे हैं. कल से ही मीडिया में कहा जा रहा था कि विकास दुबे को रास्ते में ही मार दिया जाएगा. और ये हो गया. यूपी पुलिस को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए इस एनकाउंटर की किसी निष्पक्ष एजेंसी से स्वयं ही जांच करानी चाहिए ताकि ये पता चले कि ये फ़ेक एनकाउंटर है या असली एनकाउंटर है.' (www.bbc.com)