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नयी दिल्ली 09 सितंबर (वार्ता) देश में मंगलवार देर रात तक कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के 80 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से संक्रमितों का आंकड़ा 43.58 लाख के पार पहुंच गया लेकिन राहत की बात यह रही कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 78 फीसदी के करीब पहुंच गयी है।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक आज 80,814 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढकर 43,58,398 हो गयी है। राहत की बात यह है कि इस दौरान स्वस्थ लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ। देश में 69,344 कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त लोगों की संख्या बढकर 33,90,764 हो गयी है। इसी अवधि में 1,066 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 73,882 हो गयी है।
संक्रमण के मामले में अब भारत कोरोना से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है। वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 63 लाख को पार कर 63.04 लाख के पार पहुंच गयी है और अब तक 1,89,236 लोगों की इससे जान जा चुकी है।
कोरोना वायरस से प्रभावित देशों में अब तीसरे नंबर पर स्थित ब्राजील में अब तक 41.48 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1.26 लाख के लोगों की मौत हो चुकी है। मौत के मामले में ब्राजील अब भी दूसरे स्थान पर है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार चिंता की बात यह है कि स्वस्थ होने वाले मरीजों की तुलना में नये संक्रमितों में वृद्धि होने के कारण सक्रिय मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। आज 9,453 मरीजों की बढोतरी होने से सक्रिय मामलों की संख्या 8,93,150 हो गयी।
देश में सक्रिय मामले 20.49 प्रतिशत और रोगमुक्त होने वालों की दर 77.79 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.70 फीसदी है। स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 77.59 प्रतिशत से बढकर आज 77.79 फीसदी पर पहुंच गयी।
महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 20,131 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या आज रात बढ़कर 9,43,772 पहुंच गयी। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गयी तथा इस दौरान 13,234 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 6,72,556 हो गयी है। इस दौरान 380 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 27,407 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज घटकर 71.26 प्रतिशत पर आ गयी जो सोमवार को 71.38 फीसदी थी जबकि मरीजों की मृत्यु दर 2.90 फीसदी रह गयी।
राज्य में आज 6,512 मरीजों की बढ़ोतरी दर्ज किये जाने के बाद चिंता बढ़ गयी है। राज्य में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या आज 2,43,446 पहुंच गयी जो सोमवार को 2,36,934 रही थी
यूपी में तीन दिनों में लिंचिंग की 4 घटनाएं हुई, लेकिन योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी-खड़ी देखती रही। कहीं झूठी अफवाह पर बेकसूर को मार डाला, तो कहीं पुलिस की कस्टडी से खींच कर आरोपी को पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में भले ही कानून-व्यवस्था के बेहतर होने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। राज्य में पिछले कई दिनों से लगातार हो रही लिंचिंग की वारदात से यही लगता है कि बदमाशों को ना पुलिस का डर है ना कानून की फिक्र।
उत्तर प्रदेश के चार अलग-अलग जगहों पर तीन दिनों में लिंचिंग की चार वारदातें हुई है। यह वारदात बरेली, कुशीनगर,नोयडा और मैनपुरी में हुई है। पहली वारदात 4 सितंबर को राजधानी लखनऊ से 250 किमी की दूरी पर बरेली के आंवला कस्बे में हुई हैं। जहां लोहे के तार की कथित चोरी के आरोप में 34 साल के शख्स को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया है। आरोप है कि बासित को पेड़ से बांधकर पीटा गया और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
सरी वारदात बीते रविवार 6 सितंबर को नोएडा के बादलपुर थाना क्षेत्र में हुई। जहां आफ़ताब आलम नाम के शख्स को पीट पीट कर मार दिया गया। आरोप है कि पीटने वालों ने आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा। मृतक के बेटे मोहम्मद साबिर के पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है जिसमें कुछ लोग आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए कह रहे हैं।
तीसरी वारदात 7 सितंबर को कुशीनगर के तरयासुजान थाने के रामनगर बंगरा गांव में हुई। जहां एक शिक्षक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके बाद हत्यारे ने सरेंडर किया, लेकिन भीड़ ने आरोपी को पुलिस से छीन लिया और उसे भी पीट पीट कर मार दिया गया। इस दौरान योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी देखती रही। मामले में फिलहाल डीआईजी राजेश मोदक ने थाना प्रभारी हरेंद्र मिश्र को निलंबित कर दिया है।
वहीं चौथी वारदात भी 7 सितंबर की ही है। ये घटना मैनपुरी के खरागजीत नगर में हुई। जहां झूठी खबर पर विश्वास करते हुए कुछ लोगों ने दलित सर्वेश दिवाकर की छत में सरेआम पीट पीटकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि वारदात को अंजाम देने वाले बजरंग दल के हैं। दरअसल, ये हत्या एक अफ़वाह के बाद की गई। सर्वेश के बारे में अफ़वाह फैलाई गई थी कि उसने अपनी बेटी को बेच दिया है। हालांकि यह झूठी पाई गई और खुद उसकी बेटी ने इसका खंडन किया।(navjivan)
छत्तीसगढ़ के दो दोस्तों की कहानी !
-डॉ. परिवेश मिश्रा
छत्तीसगढ़ के रायपुर में दो हमउम्र स्कूली बच्चों के पिता मित्र थे सो बच्चों में भी मित्रता हो गयी। समय के साथ बच्चे भी बड़े हुए और मित्रता भी बढ़ी। एक समय ऐसा आया कि एक ही वर्ष - 1969 - में मात्र चार महीने के अंतराल में एक मित्र टैक्सी में बैठकर राजभवन पहुंचा और मुख्यमंत्री बना। दूसरा एक अदद सहयोगी के साथ अपनी कार ड्राईव करते हुए राष्ट्रपति भवन पहुंचा और राष्ट्रपति बना।
इसमें से मुख्यमंत्री बनने वाले मित्र थे सारंगढ़ के राजा नरेशचन्द्र सिंह। राज्यपाल के.सी. रेड्डी और राजा साहब पुराने मित्र थे। शपथ के बाद दोनों ने साथ काॅफी पी और कार्यक्रम सम्पन्न हो गया था। बिना किसी तामझाम के।
यह कहानी मैं 9 अगस्त 2020 को विस्तार से लिख चुका हूं। Facebook टाईमलाईन पर है, यहां दोहराऊंगा नहीं।
आज की कहानी दूसरे मित्र मोहम्मद हिदायतुल्ला जी की है जो उसी वर्ष चार महीने के बाद एक दिन सुप्रीम कोर्ट में लंच ब्रेक में अपनी काॅफी छोड़ कर राष्ट्रपति भवन पंहुचे थे और वहां काॅफी का प्याला समाप्त होते तक उनका राष्ट्रपति बनना तय हो गया था।
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लेकिन पहले एक आवश्यक फ्लैश बैक
समय : 1915 से 1920 का काल
छत्तीसगढ़ में बस्तर राज्य के दीवान थे ख़ान बहादुर हाफ़िज़ मोहम्मद विलायतुल्ला (इनका ज़िक्र दुर्ग के जटार क्लब के बारे में 2 सितंबर 2020 को लिखी और Facebook टाईमलाईन में मौजूद मेरी पोस्ट में है)।
राज्य के दीवान आमतौर पर राजा के द्वारा नियुक्त किये अधिकारी होते थे। किन्तु उन दिनों का बस्तर राज्य अपवाद था। कुछ विशेष परिस्थितियों के चलते ( बस्तर की इन असामान्य परिस्थितियों के बारे मे विस्तार से किसी और पोस्ट में) अंग्रेज़ों ने वहां दीवान को प्रशासक का अतिरिक्त जिम्मा सौंप कर अपने अधिकारी नियुक्त करना शुरू कर दिया था। इस प्रकार दीवान-सह-प्रशासक के रूप में एक वरिष्ठ अधिकारी मो. विलायतुल्ला को छिंदवाड़ा से बस्तर पदस्थ कर भेजा गया था।
रायपुर में राजकुमार काॅलेज के कैम्पस में दो बंगले थे जो उन्नीसवीं सदी की समाप्ति से पहले नागपुर के कस्तूरचंद पार्क वाले डागा परिवार से अंग्रेज़ों ने प्राप्त किये थे। (उनकी कहानी भविष्य की पोस्ट में। वर्तमान में ये काॅलेज के प्रिन्सिपल और वाईस-प्रिन्सिपल के निवास हैं।) उन दिनों इनमें छत्तीसगढ़ के दो सबसे महत्वपूर्ण अंग्रेज़ अफ़सर रहा करते थे। एक थे रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग (अंग्रेज़ों का द्रुग और छत्तीसगढियों का दुरुग) ज़िलों के कमिश्नर और दूसरे थे उन्ही के समकक्ष अधिकारी पोलिटिकल एजेंट। ब्रिटिश या खालसा इलाके के प्रभारी थे कमिश्नर। बाकी बचा पूरा छत्तीसगढ़ राजाओं के अधीन था और इस इलाके के लिए अधिकारी थे पोलिटिकल एजेंट।
उन दिनों राजकुमार काॅलेज की प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष थे सारंगढ़ के राजा जवाहिर सिंह। उनके बेटे नरेशचन्द्र सिंह उसी काॅलेज (स्कूल को ही काॅलेज कहा जाता था) में विद्यार्थी थे और वहीं रहते थे।
मो. विलायतुल्ला बस्तर में सात वर्ष रहे। इस दौरान वे रिपोर्ट करते थे छत्तीसगढ़ के पोलिटिकल एजेंट को। सो रायपुर के राजकुमार काॅलेज में आना जाना बना रहता था।
विलायतुल्ला ने रायपुर के बैरन बाज़ार इलाके में एक मकान किराये पर ले कर बेटों - इकरामुल्ला, अहमदुल्ला तथा हिदायतुल्ला - को पहले सेन्ट पाॅल और फिर कुछ ही दिनों में गवर्नमेंट हाई स्कूल में भर्ती करा दिया था।
अपनी बौद्धिक विलक्षणता के कारण डबल-प्रमोशन की छलांग लगा कर हिदायतुल्ला जी 1921 में मैट्रिक तक पंहुच तो गये किन्तु परीक्षा में बैठने की उम्र न होने के कारण उन्हें एक वर्ष का खाली समय बिताना पड़ा था। इन्ही दिनों राजकुमार काॅलेज में अच्छे राजा और प्रशासक बनने की शिक्षा और प्रशिक्षण पा रहे कुमार नरेशचन्द्र सिंह जी रायपुर शहर के ऑनरेरी मजिस्ट्रेट नियुक्त किये जा चुके थे। दोनों के बीच मित्रता प्रगाढ़ होने के अवसर पैदा हुए।
1949 से 1956 तक राजा नरेशचन्द्र सिंह जी मंत्री के रूप में नागपुर में रहे (पहले मनोनीत तथा 1952 से निर्वाचित विधायक थे)। दोनों मित्रों का फिर साथ हुआ। हिदायतुल्ला जी नागपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे, बाद में मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हो गये थे। दिन में दोनों अपना काम करते और शाम गोल्फ कोर्स में नियमित साथ खेलते व्यतीत होती।
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अब आते हैं 1969 पर
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भोपाल मे 13 मार्च 1969 के दिन राजा नरेशचन्द्र सिंह जी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इधर हिदायतुल्ला जी तब तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन चुके थे।
15 जुलाई 1969 के दिन सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी। एक से दो बजे का लंच ब्रेक हुआ तो पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश अपने चेम्बर मे आये। देखा तो उनके सचिव फोन हाथ में लिए खड़े हैं। भारत के राष्ट्रपति बात करना चाहते थे।
राष्ट्रपति ने फौरन लाईन पर आ कर कहा : "मैं आप से मिलना चाहता हूँ। क्या आप आ सकते हैं?"
हिदायतुल्ला जी ने निवेदन किया कि सुनवाई पूरी कर चार बजे आना चाहता हूँ।
किन्तु राष्ट्रपति ने कहा "नहीं, नहीं। बहुत ज़रूरी बात है। अभी आइये। और सीक्रेसी का ध्यान रखें। किसी को पता नहीं चलना चाहिए "।
जिन राष्ट्रपति से हिदायतुल्ला जी की बात हुई वे थे श्री वराह गिरी वेन्कट गिरी (वी वी गिरी)। श्री गिरी 1967 में भारत के उपराष्ट्रपति चुने गये थे। ठीक दो वर्ष के बाद 3 मई 1969 के दिन राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया। उसी दिन देर दोपहर राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में डॉ. ज़ाकिर हुसैन का शव रखा था और दूसरे हिस्से में श्री वी वी गिरी को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गयी थी। शपथ दिलाने वाले थे चीफ जस्टिस हिदायतुल्ला।
15 जुलाई 1969 की उस दोपहर राष्ट्रपति जी से बात होने के फौरन बाद हिदायतुल्ला जी ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार श्री देसाई (वे आगे चल कर गुजरात हाईकोर्ट के जज बने थे) को बुलाकर अपनी व्यक्तिगत कार बिना ड्राइवर के पोर्च में लगाने का निर्देश दिया। अपने लंच और काॅफी को छोड़ हिदायतुल्ला जी बाहर निकले। हमेशा की तरह लिफ्ट का इस्तेमाल करने की बजाए सीढ़ियों से उतरे। जब तक लोग देख पाते कार में बैठे और तब जाकर उन्होंने देसाई को बताया कि वे दोनों राष्ट्रपति भवन जा रहे हैं। पंहुच कर उन्होंने देसाई से कार में प्रतीक्षा करने को कहा। ए.डी.सी राह देखते खड़ा था। उसने अंदर पंहुचाकर दरवाजा बंद कर दिया। एकांत में श्री गिरी के साथ जो बातचीत हुई उसका विवरण हिदायतुल्ला जी ने अपनी पुस्तक "माय ओन बाॅज़वेल" में दिया है। ढीला अनुवाद कुछ इस तरह है :-
राष्ट्रपति (Prez) : मैंने फैसला किया है कि आपको राष्ट्रपति बनाऊं।
मुख्य न्यायाधीश (CJ): मेहरबानी कर अपनी बात स्पष्ट करें
Prez : मैंने तय किया है कि मैं इस्तीफा दे कर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ूंगा। लेकिन बताएं मैं किसे अपना इस्तीफा दूं।
आपको दूं ?
CJ : क्षमा कीजिये। मैं एक जज हूँ और यह सलाह मैं आपको नहीं दे सकता।
Prez : तो मैं किससे पूछें?
CJ : प्रधानमंत्री से पूछ सकते हैं, अटाॅर्नी जनरल से पूछ सकते हैं।
Prez : अच्छा तो इतना ही बता दीजिये मैं इस्तीफा किस पद से दूं ? राष्ट्रपति के पद से या उपराष्ट्रपति के ?
CJ : आप केवल उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुए हैं। राष्ट्रपति का पद तो कार्यकारी है और उपराष्ट्रपति होने की बदौलत ही मिला है।
इस दौरान दोनों ने काॅफी पी और दो बजने से पांच मिनिट पहले चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट वापस पंहुच गये।
(श्री वी वी गिरी ने जिस चुनाव का उल्लेख किया वह सामान्य चुनाव नहीं था। 1967 में डॉ ज़ाकिर हुसैन देश के तीसरे राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है। डॉ राजेंद्र प्रसाद (पांच-पांच वर्ष के दो कार्यकाल) तथा डॉ राधाकृष्णन के कार्यकाल भारतीय संसद के पांच सालों के साथ समानांतर चले थे। 3 मई 1969 के दिन डॉ ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया। इस समय देश में ऐसी स्थिति पहली बार निर्मित हुई जब राष्ट्रपति पद का चुनाव अनियमित समय पर कराए गये थे। पहले वाक्य में लिखा है यह चुनाव सामान्य नहीं था। दूसरा कारण जिसने इसे विशिष्ट बनाया वह था श्री वी वी गिरी का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना और विजयी होना (यह अपने आप में एक पूरी पोस्ट का विषय है, सो, कभी और)। 1969 में अगस्त माह में यह चुनाव सम्पन्न हुआ था।)
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डॉ ज़ाकिर हुसैन भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिनकी मृत्यु पद में रहते हुए और कार्यकाल पूरा होने से पहले हुई थी। सांविधानिक व्यवस्था के अनुरूप उस समय उपराष्ट्रपति को कार्यकारी राष्ट्रपति बना दिया गया था। लेकिन यदि कार्यकारी राष्ट्रपति की भी मृत्यु हो जाए या किसी अन्य कारण से उन्हें पद छोड़ना पड़े तो कौन राष्ट्रपति पद की शपथ लेगा इसका प्रावधान संविधान में तब तक नहीं था। इस कमी को कुछ ही दिनों में (मई 1969 में ही) सुधार लिया गया था। नये प्रावधानों के अनुसार ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (और वे भी अनुपस्थिति हों तो वरिष्ठता के क्रम में दूसरे जज) कार्यकारी राष्ट्रपति बनते हैं। (यह व्यवस्था आज भी लागू है।)
संविधान के इसी संशोधन ने श्री हिदायतुल्ला के लिए कार्यकारी राष्ट्रपति बनने का अवसर पैदा किया था।
दो दिन लगे पर श्री वी वी गिरी ने आखिर गुत्थी सुलझा ही ली। 18 जुलाई को उपराष्ट्रपति वी वी गिरी ने कार्यकारी राष्ट्रपति वी वी गिरी को संबोधित करते हुए अपना त्यागपत्र लिखा और एक कवरिंग लेटर के साथ श्री हिदायतुल्ला के पास भेज कर आगे की कार्यवाही करने का निवेदन किया। श्री हिदायतुल्ला ने अपने सबसे वरिष्ठ सहयोगी जस्टिस जे.सी.शाह को कार्यकारी चीफ जस्टिस की शपथ दिलाई। दोनों राष्ट्रपति भवन पंहुचे और वहां जस्टिस शाह ने श्री हिदायतुल्ला को कार्यकारी राष्ट्रपति के पद की शपथ ग्रहण करायी।
1969 का वर्ष छत्तीसगढ़ के दोनों मित्रों के जीवन में मील का पत्थर साबित हुआ।
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(गिरिविलास पैलेस, सारंगढ़)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। राज्य में आज रात 10 बजे तक 2545 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 629 रायपुर जिले से हैं।
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राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार बिलासपुर 359, राजनांदगांव 240, दुर्ग 231, रायगढ़ 103, बीजापुर 98, बलौदाबाजार 92, सरगुजा 78, जांजगीर-चांपा 65, मुंगेली 62, कोरबा 58, बालोद 54, महासमुंद व सूरजपुर 48-48, धमतरी 47, गरियाबंद 44, कांकेर 40, सुकमा 35, कोंडागांव 28, कबीरधाम 26, बलरामपुर, जशपुर व नारायणपुर 25-25, कोरिया व दंतेवाड़ा 21-21, बस्तर 20, बेमेतरा और जीएमसी 9-9, अन्य राज्य के 7 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
आज 12 मौतें दर्ज हुई हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। रायपुर के गोलबाजार थाना इलाके में बंजारी मंदिर के पास स्थित मूर्ति दुकान समेत 4 दुकानों में आग। मौके पर दमकल की एक वाहन आग बुझाने का प्रयास कर रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। प्रदेश में आज रात 8.40 बजे तक 1883 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं इनमें सर्वाधिक 549 अकेले रायपुर जिले में हैं। केंद्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक 3 और जिलों में सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
इनमें बिलासपुर 242, दुर्ग 185, और राजनांदगांव 101 लोग कोरोनाग्रस्त हैं। इनके अलावा सूरजपुर 83, बलौदाबाजार 77, बस्तर 66, बीजापुर 61, सरगुजा व रायगढ़ 47-47, कोरबा 46, सुकमा 43, धमतरी 42, बालौद 40, महासमुंद 39, गरियाबंद 30, नारायणपुर 29, कांकेर 25, बेमेतरा 21, कोरिया 20, मुंगेली 19, जांजगीर-चांपा 16, जशपुर 15, कोंडागांव 7, दंतेवाड़ा 5 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन का बुलेटिन बीती रात तक रात 10 बजे भी आया। और आज भी अभी तक राज्य शासन का कोई बुलेटिन नहीं है।
मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)| नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मंगलवार को इधर अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करने की तैयार चल रही थी, उधर 'द सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन' (सिनटा) ने एक बयान जारी कर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अभिनय बिरादरी पर मीडिया वर्गो द्वारा किए जा रहे लगातार कथित हमले की निंदा की। बॉलीवुड पर पिछले दिनों ड्रग हब होने का आरोप भी लगाया गया था। अभिनेत्री कंगना रनौत ने दावा किया था कि बॉलीवुड उद्योग के 99 प्रतिशत लोग ड्रग्स लेते हैं।
सिनटा के बयान में महिलाओं की गरिमा बनाए रखने की अपील की गई है। कहा गया है कि महिला सहयोगियों के साथ किसी भी तरह का अनादर गंभीर चिंता का विषय है। यह अवलोकन सोमवार को एनसीबी कार्यालय जा रहीं रिया के रास्ते में मीडियाकर्मियों और छायाकारों द्वारा जुटी भीड़ और उन्हें घेरने के मद्देनजर आया है।
सिनटा के बयान में कहा गया है कि समाचार मीडिया, मीडिया और मनोरंजन उद्योग का एक अभिन्न हिस्सा है और पिछले कुछ हफ्तों में अभिनेताओं की बिरादरी के पुरुषों और महिलाओं पर मीडिया के एक वर्ग द्वारा हमला बोला जा रहा है। बयान में कहा गया है कि कोई स्वयं ही न्यायाधीश या जूरी बनकर कार्य नहीं कर सकता।
बयान में कहा गया है, "दर्शकों की रेटिंग को बढ़ावा देने के प्रयास में, भयावह नतीजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।"
एसोसिएशन ने टीवी पर चलने वाली बहस और किसी के भी द्वारा व्यक्तिगत राय बनाने पर भी सवाल उठाए हैं।
सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन छह दशक से अधिक समय से अभिनेताओं के समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। उसने अब अपने सदस्यों को बदनाम करने वाली उनके प्रति कथित प्रतिशोध के लिए अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
एसोसिएशन ने कहा, "एक बिरादरी के रूप में, हम भी एक निष्पक्ष जांच चाहते हैं, लेकिन ऐसे समय तक जब तक सच्चाई का खुलासा नहीं किया जाता है, एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को खराब नहीं किया जाना चाहिए, उनकी आजीविका को छीन नहीं लिया जाना चाहिए, उनके आत्मसम्मान को नहीं रौंदना चाहिए और उनकी ईमानदारी पर सवाल खड़े नहीं किए जाने चाहिए।"
बयान में कहा गया है, "अभिनेता इस महान राष्ट्र के सांस्कृतिक राजदूत हैं और देशों के मूल मूल्यों को उनके माध्यम से दुनिया के बाकी हिस्सों में साझा किया जाता है।"
एसोसिएशन ने कहा, "सीआईएनटीएए फिल्म बिरादरी में सबसे मजबूत यूनियनों में से एक है। हमारी विचारधारा वास्तव में धर्मनिरपेक्ष है और यह सच्चे भाईचारे को बढ़ावा देती है, चाहे कोई भी जाति, पंथ या धर्म किसी भी सदस्य से संबंधित हो। अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ एक्टर्स-परफॉर्मर्स यूनियन (एफआईए) के पांचवें सबसे बड़े सदस्य के रूप में। हमारी आवाज और बयान दुनियाभर में मूल्यवान हैं।"
सिनटा ने स्पष्ट किया, "हमारे लिए यह कहना खुशी की बात है कि हमारे कई कलाकारों ने पद्मश्री/पद्मभूषण पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जो कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्धरणों के साथ जुड़े हैं। हम बुद्धिमान, सम्मानित और शिक्षित वर्ग से जुड़े हैं।"
बयान ने कहा गया है, "सिनटा बहुत ²ढ़ता से सभी महिलाओं की गरिमा को बनाए रखने की वकालत करता है। हमारी महिला सहयोगियों के अनादर की कोई भी घटना गंभीर चिंता का विषय है।"
बयान सिनटा की कार्यकारी समिति द्वारा हस्ताक्षरित है।
गोंडा (यूपी), 8 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में महाराजगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत मंगलवार को कुएं में उतरे पांच लोगों की जहरीली गैस से मौत हो गई। वे एक बछड़े को बचाने के लिए कुएं में उतरे थे। रिपोर्ट के अनुसार, तीनों मृतक एक ही परिवार से थे, ये तीनों गाय के बच्चे (बछड़ा) को बचाने के लिए कुएं में उतरे थे। इस तीनों को बचाने के लिए और दो लोग कुएं में उतरे। वे भी बेहोश होने के बाद डूब गए।
स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद अग्निशमन दल मौके पर पहुंचा। सभी को बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
जिलाधिकारी नितिन बंसल ने पत्रकारों से कहा कि बछड़ा को जिंदा बाहर निकाला गया है।
काबुल, 8 सितंबर (आईएएनएस)| अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) ने अपने कोच नूर मोहम्मद लालई को शपगीजा क्रिकेट लीग (एससीएल) में एक राष्ट्रीय क्रिकेटर के सामने मैच फिक्स करने का प्रस्ताव रखने के कारण पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा है, "यह आरोप शपगीजा क्रिकेट लीग (एससीएल-2019) से संबंधित है। राष्ट्रीय टीम के एक खिलाड़ी को नूर मोहम्मद ने कुछ मैचों में स्पॉट फिक्सिंग का प्रस्ताव रखा था।"
एसीबी की भ्रष्टाचार रोधी ईकाई के सीनियर मैनेजर सैयद अनवर शाह कुरैशी ने कहा, "यह काफी निराशाजनक और गंभीर आरोप हैं जहां घरेलू स्तर का जूनियर कोच एससीएल-2019 के एक बड़े मैच में भ्रष्टाचार में शामिल है।"
उन्होंने कहा, "मैं उस राष्ट्रीय खिलाड़ी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने बहादुरी और पेशेवर रवैया दिखाया और इस बात की जानकारी दी। उन्होंने इस बात के बारे में पता था कि यह किसलिए है, इसलिए उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया और इसकी रिपोर्ट की। इसके बाद उन्होंने जांच में हमारा सहयोग किया।"
बोर्ड ने आगे बताया कि एसीबी की भ्रष्टाचार रोधी ईकाई की जांच में नूर महमूद ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल कर लिया और एसीबी की दी गई सजा को भी मान लिया।
कुरैशी ने कहा कि नूर के कबूलनामे और पूर्ण सहयोग से उनकी सजा कम रही।
ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), 8 सितम्बर (आईएएनएस)| अरुणाचल प्रदेश से लापता हुए पांच युवक चीन के क्षेत्र में मिले हैं। इसकी पुष्टि खुद चीनी सेना ने की है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। केंद्रीय युवा मामलों एवं खेल मंत्री रिजिजू ने एक ट्वीट में कहा, "भारतीय सेना की तरफ से भेजे गए हॉटलाइन संदेश पर चीन की पीएलए ने जवाब दिया है। उन्होंने पुष्टि की है अरुणाचल प्रदेश से लापता युवा उनकी तरफ पाए गए हैं। उन्हें अधिकारियों को सौंपे जाने की आगे की आपौचारिकताओं पर काम किया जा रहा है।"
जब इस संबंध में आईएएनएस ने संपर्क किया तो ऊपरी सुबनसिरी जिले के पुलिस अधीक्षक तारू गुसार ने कहा कि वह घटनाक्रम को लेकर बहुत व्यस्त हैं और फिलहाल मीडिया से बात नहीं कर सकते।
इससे पहले मंगलवार सुबह गुसर ने कहा था कि पांच लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों, जिन्हें कई संदिग्ध चीनी पीएलए सैनिकों द्वारा अपहरण कर लिया गया था, ने पुलिस को सूचित नहीं किया है।
गुसर ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "इस क्षेत्र के लोग शिकार के लिए जंगल में जाते हैं, जो इस क्षेत्र के आदिवासियों के बीच एक पारंपरिक प्रथा है। मैं तब तक कुछ भी नहीं कह सकता, जब तक कि मुझे वह जानकारी नहीं मिल जाती कि असल में क्या हुआ था।"
इससे पहले दिन में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अरुणाचल प्रदेश के पांच युवाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
गौरव गोगोई ने राजनाथ सिंह को लिखा, "मैं आपको अरुणाचल प्रदेश के उन पांच युवकों की स्थिति के बारे में अपनी गंभीर चिंता दर्ज करने के लिए लिख रहा हूं, जो एक शिकार अभ्यास के दौरान ऊपरी सुबनसिरी जिले से लापता हो गए हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने बयान दिया है कि उनका अपहरण कर लिया गया है और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस घटना के लिए जिम्मेदार है।"
रिजिजू ने पहले कहा था कि भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के पांच व्यक्तियों के कथित अपहरण के बारे में पीएलए को एक हॉटलाइन संदेश भेजा है।
राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय ने पहले ट्वीट किया था, "अरुणाचल सरकार ऊपरी सुबनसिरी जिले के नाचो गांव में पांच लापता लड़कों के मामले की बारीकी से निगरानी कर रही है। जिला प्रशासन को सभी संबंधित एजेंसियों को लापता लड़कों का पता लगाने में सहायता करने का निर्देश दिया गया है।"
अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय मीडिया ने यह भी बताया है कि अपहरण ऊपरी सुबासिरी जिले के नाचो के पास एक वन क्षेत्र में हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगवा किए गए व्यक्तियों में टोच सिंगकम, प्रसाद रिंगलिंग, डोंगटू इबिया, तनु बेकर और नार्गु डिरी शामिल हैं। ये सभी तागिन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यह लोग जंगल में गए थे। दो अन्य ग्रामीण, जो अपहरित व्यक्तियों के साथ गए थे और किसी तरह भागने में कामयाब रहे, उन्होंने लोगों को घटना के बारे में बताया।
भारत-चीन सीमा ऊपरी सुबासिरी जिले के मुख्यालय दापोरिजो से लगभग 170 किलोमीटर दूर है, जो राज्य की राजधानी ईटानगर से 280 किलोमीटर दूर है।
अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण हमेशा पैदल ही जाने पर मजबूर होते हैं, क्योंकि वहां कोई उचित सड़क नहीं है। अरुणाचल प्रदेश की चीन के साथ 1,080 किलोमीटर की सीमा लगती है। प्रदेश की म्यांमार के साथ 520 किलोमीटर और भूटान के साथ 217 किलोमीटर की सीमा लगती है।
भोपाल, 8 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने से काम-धंधा बंद होने पर अपने गांव लौटे कामगार परिवार लगभग छह महीने बाद फिर उन महानगरों की तरफ लौटने लगे हैं, जहां उन्हें रोजी-रोटी मिला करती थी।
देश में कोरोना की दस्तक के चलते मार्च माह में पूर्णबंदी की गई थी और यह पूर्णबंदी लगभग तीन माह रही, इसके चलते बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड के कामगार परिवार अपने घरों को लौट आए थे। लौटने के लिए उन्हें जो साधन मिला था, उसी के सहारे वे अपने घरों तक पहुंचे थे, मगर अब एक बार फिर उन्हें रोटी-रोटी का संकट सताने लगा है और भी वापस फिर उन महानगरों की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां वे अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
झारखंड और बिहार के अलावा मध्यप्रदेश के कई हिस्सों से मुंबई और गुजरात का रास्ता भोपाल से होकर गुजरता है। यहां के बाइपास से गुजरते वाहनों में उन परिवारों की बहुतायत है जो एक बार फिर रोजी-रोटी की तलाश में महानगर जा रहे हैं। कोई ऑटो पर सवार है तो कोई माल ढोने वाले वाहन पर। सभी की मंजिल वही है, जहां से वे अपने गांव लौटे थे।
इलाहाबाद के कुछ लोग ऑटो से ही मुंबई की तरफ चल पड़े हैं। ऑटो में कुल पांच लोग सवार हैं और उनकी मंजिल मुंबई है। मुंबई ऑटो से जा रहे लोगों में से सुनील पांडे बताते हैं कि वे अपने दोस्त के साथ मिलकर मुंबई में ऑटो चलाते हैं और इसी ऑटो से पूर्णबंदी के दौरान गांव लौटे थे। अब अन्य साथियों के साथ मुंबई जा रहे हैं, क्योंकि इन लोगों को फैक्ट्री मालिक का बुलावा आया है, परिवार को गांव में ही छोड़ आए हैं।
इसी तरह झारखंड के चतरा के रामेश्वर साहू भी अपने साथियों के साथ मुंबई जा रहे हैं। भोपाल तक पहुंचने में ही वे 12 सौ किलोमीटर का रास्ता तय कर चुके थे। वे लोग दिन में तो अपने ऑटो से चलते हैं, मगर अंधेरा होते ही किसी स्थान पर रुक जाते हैं। कोरोना के कारण वे अपने गांव में थे, मगर अब आर्थिक संकट आया है तो उन्हें मुंबई की तरफ जाना पड़ रहा है।
इसी तरह कई सामान ढोने वाले वाहनों में भी लोग यात्रा कर रहे हैं और मुंबई व गुजरात जा रहे हैं। कुछ बस संचालकों ने तो बसों से भी मजदूरों को भेजना शुरू कर दिया है। एक बस संचालक का कहना है कि किराया तो मजदूरों से ले रहे हैं और जिस फैक्ट्री में इन मजदूरों को लेकर जाना है, उसका मालिक उन्हें कमीशन भी अलग से देगा। गुजरात और महाराष्ट्र के लिए हर रोज कई बसें भोपाल से होकर गुजर रही हैं।
सियोल, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| दक्षिण कोरिया के तीसरे सबसे बड़े मोबाइल कैरियर एलजी यूप्लस ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने ग्लोबल पार्टनर्स के साथ एडवांस्ड सेलुलर मॉड्यूल तकनीक विकसित की है, जिसमें सब्सक्राइबर आईंडिफिकेशन मॉड्यूल (सिम) कार्ड की जरूरत नहीं है। योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक सेलुलर चिपसेट बनाने वाली कम्पनी सोनी सेमीकंडक्टर इजरायल, लोकल कम्यूनिकेशन मॉड्यूल मेकर एनटीमोर और जर्मन डिजिटल सिक्यूरिटी सॉल्यूशंस प्रोवाइडर गीसेक डेवरिएंट की मदद से एलजी यूप्लस ने एक वेरीफाइड इंटीग्रेटेड यूनिवर्सल इंटीग्रेटेड सर्किट कार्ड (आईयूआईसीसी) सॉल्यूशंस विकसित किया है।
सिम कार्ड यूजर के पर्सनल जानकारियों की स्टोर करता है और मोबाइल कैरियर को उसके प्लांस और सर्विस को पहचानने में मदद करता है।
आईयूआईसीसी तकनीक में सिम का काम एक कम्यूनिकेशन चिप करेगा, जो व्वाइस और डाटा कनेक्शन को भी अंजाम देगा।
इस तकनीक के बाद मोबाइल फोन बनाने वाली कम्पनियों को छोटे आकार के प्रॉडक्ट्स बनाने की आजादी होगी क्योंकि उन्हें इसमं सिम कार्ड के लिए जगह देने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही इससे मोबाइल कम्पनियों को खर्च में कटौती करने में भी मदद मिलेगी।
विटामिन डी की कमी वाले लोगों को कोविड-19 जल्दी चपेट में ले रहा है। देखा जा रहा है कि जहां विटामिन-डी कमी वाली आबादी अधिक है, वहां कोविड-19 का प्रकोप अधिक है
- Vibha Varshney
लीजिए, अब अच्छे खाने पर एक और खतरा मंडराने लगा है। पहले ही उद्योग और सरकार फूड फॉर्टिफिकेशन से विटामिन-डी बढ़ाने में लगी थी और अब उनकी कोशिश को समर्थन मिल गया है। ये देखा जा रहा है कि विटामिन-डी से नोवल कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी (कोविड-19) से बचा जा सकता है। यह देखा गया है कि जिन लोगों को विटामिन डी की कमी होती है, वे कोविड-19 के शिकार हो रहे हैं और उनमें मौत की दर भी ज्यादा देखी जा रही है।
उदाहरण के लिए, स्पेन और इटली में लोगों में विटामिन डी की कमी अधिक पाई जाती है और यहां कोविड-19 की वजह से मौतें भी अधिक दर्ज की गई हैं। जबकि स्वीडन, नॉर्वे और फिनलैंड में लोगों के खाने में विटामिन डी की मात्रा अधिक होती हैं, वहां कोविड-19 के मामले कम दर्ज किए गए हैं।
3 सितंबर 2020 को जामा नेटवर्क ओपन में एक अध्ययन प्रकाशित हआ, जिसमें पाया गया कि विटामिन डी की कमी के शिकार मरीजों में कोविड होने की 77 फीसदी अधिक आशंका रहती है।
इसके चलते, कोविड-19 से बचने के लिए डॉक्टर विटामिन-डी की मात्रा बढ़ाने के लिए सलाह दे रहे हैं। साथ ही, लोग खुद ही ऐसे भोजन और सप्लीमेंट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे कि विटामिन डी की कमी दूर हो जाए।
विटामिन डी ऐसा आहार है, जिसे जानवर खुद ही अपने लिए पैदा करते हैं जैसे कि पौधे अपने लिए प्रकाश संश्लेषण करते हैं। सूरज की रोशनी की अल्ट्रावायलेट किरणें जब जानवरों की त्वचा पर पड़ती हैं तो उसमें विटामिन डी विकसित होता है। यही प्रक्रिया इंसानों में भी होती है।
साथ ही, इंसान द्वारा खाए जाने वाले सभी जानवरों के मांस में विटामिन डी की मात्रा होती है। इसलिए अगर इंसान इन जानवरों का मांस खाता है तो उसे एक साथ बड़ी मात्रा में विटामिन मिल सकता है।
हालांकि विटामिन डी का सबसे बड़ा फायदा यह माना जाता है कि यह हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और सूखा रोग व हड्डियों की कमजोरी से बचाता है। पर इसके और भी फायदे हैं, जैसे कि इससे मांसपेशी मजबूत होती हैं और इम्यून (रोगों से लड़ने की प्रतिक्रिया) क्रिया भी मजबूत होती है।
लॉकडाउन के दौरान न तो लोग बाहर खुले में निकल कर सूरज की रोशनी ले पाए और ना ही उन्होंने मांस खाया। बल्कि लॉकडाउन खुलने के बावजूद लोगों ने खुद को ज्यादा-ज्यादा ढके रखा। इन वजहों से विटामिन डी की मात्रा कम होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
परंतु विटामिन डी की मात्रा बढ़ाने के कृत्रिम तरीकों को अपनाने से पहले यह अच्छा होगा कि हम ये समझें कि विटामिन-डी और कोविड-19 का संबंध हर जगह एक सा नहीं है। ग्रीस, ऐसा देश है, जहां लोगों में विटामिन डी की कमी काफी ज्यादा है, लेकिन कोविड-19 के मरीज और मौतें फिर भी कम हैं। जबकि ब्राजील जहां सूरज की रोशनी प्रचुर मात्रा में है, वहां कोविड-19 के केस बहुत ज्यादा हैं। भारत में भी विटामिन डी की कमी काफी मात्रा में है, लेकिन फिर भी यहां कोविड-19 के कारण होने वाली मौतें के आंकड़े कम हैं।
बिना समझे विटामिन डी को बढ़ावा देने में खतरा है कि इंडस्ट्री इसका फायदा उठा सकती है। भारत में विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए पहले ही दूध और तेल में इस विटामिन का इजाफा करने पर जोर दिया जाता है। कई कंपनियां भी विटामिन डी फोर्टिफिकेशन के फायदों का दावा करती हैं, हालांकि यह काफी विवादित भी है।
लेकिन भारत में एक और विकल्प है। भारत में बड़ी तादात में कपास की खेती की जाती है, जिसके कपड़े बनाए जाते हैं। 2014 में जर्नल ऑफ फोटोकैमेस्ट्री एंड फोटोबायोलॉजी बी में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि 100 फीसदी सूती कपड़े पहनने पर लगभग 15 फीसदी सौर अल्ट्रावायलेट किरणें शरीर तक पहुंचती हैं, जो शरीर में विटामिन डी3 पहुंचाती हैं और इससे त्वचा कैंसर का खतरा भी नहीं रहता।
हाल के वर्षों में डेनिम के रूप में सिंथेटिक्स और मोटे कपड़ों का चलन बढ़ा है। इन कपड़ों की वजह से सूर्य का प्रकाश शरीर तक नहीं पहुंच पाता, जिस कारण विटामिन-डी पैदा होने में रुकावट आती है।
सूती कपड़े के इस लाभकारी असर का विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया है, अब तक जो अध्ययन किए भी गए हैं, वो कैंसर से संबंधित हैं। यह माना जाता है कि कपड़ों के द्वारा त्वचा कैंसर से बचा जा सकता है। यहां हमें अपनी समझ का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जैसा कि एक शोध बताता है कि एक सूती टी शर्ट सूरज की रोशनी से पर्याप्त बचाव नहीं करती है। तो क्यों न उसी टी शर्ट को पहन का विटामिन डी को बढ़ाया जाए और साथ ही कोविड-19 से भी बचा जाए।(downtoearth)
क्या आप जानते हैं कि पश्चिमी राजस्थान के दुर्गम रेतीले पल- पल में बदलने वाले रास्तों पर कैसे लोग ठीक ठीक अपनी मंजिल तक पहुंच जाया करते थे?
- Sandhya jha
दिक्सूचक या दिशासूचक अंजान रास्तों में भटक जाने या रास्ता भूल जाने पर दिशा का ज्ञान कराते हैं, जिसके नेतृत्व में हम अपने मंजिल तक पहुंच जाते हैं पर जब दिशासूचक अविष्कार नहीं हुआ होगा, तब खासकर पश्चिमी राजस्थान के दुर्गम रेतीले पल- पल में बदलने वाले रास्तों पर कैसे लोग ठीक ठीक अपनी मंजिल तक पहुंच जाया करते थे?
ऐसा कहा जाता है की मध्य एशिया में प्राचीन काल में व्यापारी रास्ते की खोज करने के लिए ऊंट की याददाश्त क्षमता को काम में लेते थे, जो ऊंटों में नेतृत्व क्षमता की बात को बल देता है।
नेतृत्व जीवों का एक मूलभूत गुण है। चाहे वो जानवर हो या फिर इंसान। इसके साथ ही हर जीव नेता बनना चाहता है क्योंकि नेतृत्व मायने रखता है तथा नेतृत्व करने के अनेक फायदे है मसलन उसे खाने के अधिक अवसर मिलते है, उसे अनेक मादाओं का साथ मिलता है साथ ही हर कोई उसका अनुसरण करता है। नेतृत्व करने की यह प्रकृति मुख्यतया जंगली जानवरों में मिलती है, क्योंकि पालतू जानवरों में यह गुण कम देखने को मिलता है क्योंकि पालतू जानवर को आसानी से खाना तथा सुरक्षा मिल जाती है, जिससे यह गुण धीरे-धीरे लुप्त हो गया या निष्क्रिय हो गया।
नेतृत्व कौशल एक स्किल सेट है, जिसे मनुष्यों और जानवरों दोनों में देखा जा सकता है। जानवरों में जो समूहों में रहते हैं, कुछ जानवर नेता हैं और अन्य अनुयायी हैं। नेतृत्व में भिन्नता सहज रूप से विकसित होती है और ज्ञान या षक्ति में अंतर से संबंधित होने की आवष्यकता नहीं है। सामाजिक जानवरों को एक दुविधा का सामना करना पड़ता है। समूह में रहने वाले लाभों का लाभ उठा ने के लिए, उन्हें एक साथ रहना होता है। हालांकि, हर एक जीव अपनी प्राथमिकताओं में भिन्न होते हैं जैसे कहां जाना है और आगे क्या करना है। यदि सभी जीव अपनी-अपनी प्राथमिकताओं का पालन करने लगे, तो समूह जुटना कम हो जायेगा, तथा समूह के फायदे नहीं मिलेंगे। इसलिए अपनी स्वयं की वरीयताओं की उपेक्षा करना और एक नेता का अनुसरण करना इस समन्वय समस्या को हल करने का एक तरीका होता है जिसका समूह में रहने वाले जीव अनुसरण करते है। लेकिन वो कोनसी विषेशताएँ है जो किसी को ’लीडर’ बनाती हैं?
कुछ खास विषेशताएं कुछ जानवरों को नेता बनाती हैं जैसे शारीरिक रूप से मजबूत, मजबूत माता-पिता की संतान होना, जवान होना आदि। पशु अपने समूहों को प्रभावित करके नेतृत्व करते हैं, उनका मार्गदर्शन करते हैं और अपने अनुयायियों से लगातार संवाद करते हैं औरअपने अनुयायियों के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हैं तथा लक्ष्य का पालन करवाते हैं। उनमें से बहुत कम हैं जिनके पास पर्याप्त जानकारी हो, जैसे कि खाद्य स्रोत के स्थान के बारे में ज्ञान, या प्रवासन मार्ग, और इसलिए एक समूह में हमेषा एक नेता होता है जो सभी जानकारी जानता है और इस प्रकार अपने अनुयायियों को सही दिषा में निर्देषित करता है। यह नेता वह है जो अपने अनुयायियों (उनकी देखभाल) की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता है और बदले में, अनुयायी अपने नेता पर निर्भर हैं।
एक नेता को उसके विश्लेषणात्मक कौशल और सामाजिक या पारस्परिक कौशल का पूरा उपयोग करना चाहिए। नेता को उदाहरणों, कार्यों से आगे बढ़ना होता है क्यूंकि नेता बने रहने के लिए लगातार प्रदर्शन करने होते हैं।
पालतू जानवरों में नेतृत्व क्षमता पर बहुत कम अध्ययन हुआ है, तथा ऊंट में नेतृत्व क्षमता के बारे में ऐसा कोई विशेष अध्ययन नहीं मिलता है। ऊंट एक पालतू जानवर है लेकिन पुराने समय में यह एक जंगली जानवर था जिसको इंसान ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पालतू बना लिया, लेकिन आज भी इसमें अपने समूह में रहने तथा उस समूह का नेतृत्व, एक नेता के द्वारा किये जाने के गुण का पता करने के लिए राष्ट्रीय उष्ट अनुसंधान केंद्र, बीकानेर में वैज्ञानिकों द्वारा सितम्बर 2018 से फरवरी 2019 तक हर दिन ऊंटों के समूह का वैज्ञानिक तरीके से निरीक्षण किया गया तथा यह पाया गया कि ऊंटों के समूह में, खाने की खोज, रास्ते का निर्धारण, समूह के चलने की गति, तथा समूह को बनाये रखने के लिए उचित नेतृत्व पाया जाता है जो प्रमुखतया मजबूत कद-काठी की जवान मादा या नर द्वारा किया जाता है, मादाओं में नेतृत्व करने की क्षमता अधिक पायी जाती है। उपरोक्त अध्ययन ऊँटोके व्यवहार संबंधी अध्ययन विशेषकर नेतृत्व तथा समूह के अध्ययन के लिए आधारभूत अध्ययन हो सकता है।(downtoearth)
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस नैनोबॉडी में कोविड-19 के खिलाफ एंटीवायरल उपचार करने की क्षमता है
- Dayanidhi
दुनिया भर में वैज्ञानिक कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक छोटे से न्यूट्रिलाइज़िंग एंटीबॉडी की पहचान की है। इस एंटीबॉडी को नैनोबॉडी कहते है, जिसमें सार्स-सीओवी-2 को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकने की क्षमता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस नैनोबॉडी में कोविड-19 के खिलाफ एंटीवायरल उपचार करने की क्षमता है।
शोधकर्ता जेराल्ड मैकइनर्नी ने कहा हम आशा करते हैं कि हमारे निष्कर्ष इस संक्रमण फैलाने वाले कोविड-19 महामारी के खिलाफ अहम भूमिका निभा सकते हैं। जेराल्ड मैकइनर्नी - कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में माइक्रोबायोलॉजी विभाग, ट्यूमर और सेल बायोलॉजी विभाग में वायरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
प्रभावी नैनोबॉडीज की खोज-जो कि एंटीबॉडी के टुकड़े होते हैं जो स्वाभाविक रूप से कैमलिड्स में होते हैं। उन्हें मनुष्यों के लायक बनाया जा सकता है। कैमलिड्स आकार में बड़े, शाकाहारी जानवर है, जिसकी बड़ी गर्दन और पैर लंबे होते हैं, ये ऊंटों से मिलते जुलते हैं।- फरवरी में अलपाका जानवर में नए कोरोनोवायरस स्पाइक प्रोटीन के साथ इंजेक्ट किया गया था। 60 दिनों के बाद, अलपाका से रक्त के नमूनों ने स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखाई। अलपाका कैमलिड्स परिवार से संबंध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम विसुग्ना पैकोस है। यह अध्ययन जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
इसके बाद, शोधकर्ताओं ने अलपाका की बी कोशिकाओं, एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका से नैनो कणों का क्लोन बनाया। यह निर्धारित करने के लिए कि कौन से नैनोबॉडी आगे मूल्यांकन के लिए सबसे उपयुक्त हैं, उनका विश्लेषण किया। उन्होंने एक, टीवाई1 (अलपाका टायसन के नाम पर) की पहचान की, जो कुशलता से स्पाइक प्रोटीन के उस हिस्से से खुद को जोड़कर वायरस को बेअसर कर देता है, जो रिसेप्टर एसीई2 को बांधता है, जिसका उपयोग सार्स-सीओवी-2 द्वारा कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए किया जाता है। यह वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकता है और इस तरह संक्रमण रुक जाता है।
शोधकर्ता लियो हांक ने कहा कि क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करते हुए, हम यह देखने में सक्षम थे कि कैसे कोई भी एपिटोप पर संक्रमित स्पाइक को बांधता है, जो सेलुलर रिसेप्टर एसीई2-बाइंडिंग साइट के साथ मिल जाता है। जो इसकी गतिविधि के लिए एक संरचनात्मक समझ प्रदान करता है।
विशिष्ट चिकित्सा के रूप में नैनो एंटीबॉडी के कई फायदे हैं। वे पारंपरिक एंटीबॉडी के आकार के दसवें हिस्से से कम हैं और आम तौर पर कम लागत में उत्पादित किए जा सकते हैं। वर्तमान में इसे मनुष्यों के लायक बनाया जा सकता है और यह श्वसन संक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।
प्रोफेसर बेन मुर्रेल कहते हैं हमारे परिणाम बताते हैं कि टीवाई1 सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन को शक्तिशाली रूप से बांध सकता है और वायरस को बेअसर कर सकता है। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा हम अब विवो में टीवाई1 की बेअसर गतिविधि और चिकित्सीय क्षमता की जांच के लिए प्रीक्लिनिकल एनिमल स्टडीज पर विचार कर रहे हैं। बेन मुर्रेल माइक्रोबायोलॉजी, ट्यूमर और सेल बायोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं।(downtoearth)
जारी आदेशानुसार असफल वृक्षारोपण होने पर शासन को हुई वित्तीय हानि की 25 प्रतिशत वसूली उत्तरदाई अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूल की जावे... हाई कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र के अनुसार वृक्षारोपण तकनीकी अनुसार करें....सिंघवी ने लिखा वन मंत्री को पत्र।
रायपुर 8 सितंबर। रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर और प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर मांग की है की संयुक्त मध्यप्रदेश के समय जारी आदेश के अनुसार छत्तीसगढ़ के जिलों में वृक्षारोपण के बाद अगर 40% से कम पौधे जीवित रहते हैं तो ऐसे रोपण को असफल माना जावेगा तथा वृक्षारोपण पर खर्च की गई 25% राशि शासन के लिए हानि मानी जावेगी और इसके लिए उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाकर उत्तरदाई अधिकारी कर्मचारी से वसूली की जाएगी, यह आदेश छत्तीसगढ़ में लागू हैc
सफल वृक्षारोपण होता तो जमीन की कमी पड़ गई होती छत्तीसगढ़ में
सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ निर्माण के समय से ही छत्तीसगढ़ के 42% भूभाग में वन है. सिंघवी ने पत्र में बताया है कि फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार छत्तीसगढ़ के 42 प्रतिशत वन क्षेत्रों में 116 करोड़ वृक्ष है। छत्तीसगढ़ में पिछले कई वर्षों से वन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 7 से 10 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण किया जाता है। इस प्रकार प्रति व्यक्ति लगभग 40 वृक्षों की दर से लगभग 80 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण तो हो ही चुका है, अगर इस 80 करोड़ पौधों में से आधे भी जिंदा होते तो उससे छत्तीसगढ़ के भूभाग के 60 प्रतिशत भाग में पेड़ होते, इस प्रकार छत्तीसगढ़ में जमीन की कमी हो गई होती। अतः स्पष्ट है कि असफल वृक्षारोपण किया गया है। इस लिए अब समय आगया है कि शासन को पिछले 10 वर्षो में किए गए वृक्षारोपण का मूल्यांकन करा कर असफल वृक्षारोपण से हुई वित्तीय हानि की वसूली उत्तरदाई अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूल की जाये।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दिया था शपथ पत्र
वृक्षारोपण की तकनीकी के संबंद में पत्र में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ शासन ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में दायर एक जनहित याचिका “नितिन सिंघवी विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य” में वर्ष 2017 में बताया था कि वृक्षारोपण तकनीकी के अनुसार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ वन विभाग एवं तत्कालीन मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार रोपण क्षेत्र का चयन वृक्षारोपण के एक वर्ष पूर्व हो जाना चाहिए तथा चयन किए गए रोपण क्षेत्र की उपयुक्तता का प्रमाण पत्र राजपत्रित अधिकारी से प्राप्त किया जाना चाहिए। बरसात के दौरान जब जमीन में 1 से 1.5 फीट तक नमी पहुंच जावे तो रोपण प्रारंभ करना चाहिये। वर्षाऋतु में रोपण का कार्य 31 जुलाई तक हर हालत में पूर्ण हो जाना चाहिये। यथा सम्भव 20 जुलाई तक सम्पन्न कराने का प्रयास किया जाना चाहिये। किसी कारणवश जैसे कि बरसात के कारण विषम परिस्थितियों के कारण 31 जुलाई तक रोपण किया जाना संभव न हो तो अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास/योजना) से समय वृध्दि प्राप्त की जावेगी। प्रत्येक रोपण क्षेत्र को प्रोजेक्ट के रूप में मानकर क्रियान्वयन हेतु अधिकारी तथा कर्मचारियों का नामांकन तथा निरीक्षण हेतु अधिकारी का नामांकन भी प्रोजेक्ट में दर्शना अनिवार्य है।
क्या की गई मांग
सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग एवं वृक्षारोपण करने वाले अन्य विभाग तकनीकी का पालन नहीं करते बरसात चालू होने के बाद जमीन ढूंढते है और साल भर यहाँ तक कि भरी गर्मियों में भी वृक्षारोपण करते है, गर्मियों में गड्ढे ना खोद कर वर्षाऋतु में वृक्षारोपण की लिए गड्ढे खोदते है, तीन साल तक देख भाल नहीं करते, जिसके कारण वृक्षारोपण असफल होता है। सिंघवी ने मांग की है कि पिछले दस वर्षो में किए गए असफल वृक्षारोपण से हुई शासन और जनता के पैसे की हुई वित्तीय हानि की 25 प्रतिशत वसूली उत्तरदाई अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूल की जावे एवं भविष्य में वृक्षारोपण तकनीकी अनुसार किया जाये।
नितिन सिंघवी
9826126200
महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष रामराजे नाइक ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी और अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
रामराजे ने बताया उन्होंने उल्लंघन प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और इसके लिए एक गठित समिति की उपस्थिति में आज फैसला करेंगे।
कांग्रेस विधायक अशोक जगताप ने महाराष्ट्र को लेकर अपमानजनक ट्वीट के लिए कंगना के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया था।
दरअसल, बीते दिनों कंगना और संजय राउत के बीच घमासान मचा हुआ था, जहां कंगना ने मुंबई को POK से जोड़ा था।
वहीं, पत्रकार अर्नब ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया था और इंटरव्यू के लिए खुली चुनौती दी थी। (molitics)
बीजिंग, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस आयलवर्ड ने 7 सितंबर को आयोजित न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि चीन में लगातार 20 से अधिक दिन से कोविड-19 का कोई घरेलू मामला सामने नहीं आया है। इसका मील के पत्थर का महत्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ दल के साथ चीन की यात्रा की। उनका विचार है कि तीन कारकों से चीन को महामारी को रोकने की लड़ाई में सफलता मिली। पहला है सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी संस्थापनों में चीन का निवेश। चीन ने राष्ट्रीय स्तर से प्रांतों और शहरों के समुदाय तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित की है। जिससे जानकारी और अनुभव को प्रवाहित करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसने महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं दूसरा है चीनी लोगों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी की भावना। तीसरा है महामारी की रोकथाम के कार्य पर चीन के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों का बड़ा ध्यान।
फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra) के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. अब एक्ट्रेस ने अपना एक नया बयान जारी किया है. कंगना ने मुंबई पुलिस (Mumbai Police) और ग्रहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को ड्रग्स मामले में खुली चुनौती देते हुए कहा है कि सरकार मेरा टेस्ट करा सकती है, और चाहे तो मेरी कॉल रिकॉर्ड भी देख सकती है.
एक्ट्रेस ने अपने बयान में कहा- ”मैं मुंबई पुलिस और गृह मंत्री अनिल देशमुख से कहना चाहती हूं कि आप सभी कृपया मेरा ड्रग टेस्ट और मेरी कॉल रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं, अगर आपको ड्रग पेडलर्स से मेरे जुड़े हुए कोई भी लिंक मिलते हैं तो मैं अपनी गलती स्वीकार करूंगी और हमेशा के लिए मुंबई छोड़ दूंगी, मैं आप सभी से मिलने के लिए उत्सुक हूं.”
कंगना और महाराष्ट्र सरकार आमने-सामन
जहां एक ओर कंगना बेबाकी से महाराष्ट्र सरकार पर तंज कस रही हैं तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की सरकार एक्ट्रेस को लगातार अपने घेरे में ले रही है. कंगना का ये बेबाक अंदाज उनके फैन्स को बहुत पसंद आता है, जिस वजह से एक्ट्रेस को सोशल मीडिया पर खूब सपोर्ट मिलता दिखाई दे रहा है. इस लड़ाई के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अभिनेत्री को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दे दी गई है.
बता दें, एक्ट्रेस को वाई कैटेगरी की सुरक्षा में कमांडो और पुलिस कर्मियों सहित 11 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सुरक्षा मिलने के बाद एक्ट्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह को शुक्रिया कहा था.
हाल ही में कंगना रनौत ने अपने एक ट्वीट में मुंबई की तुलना POK से की थी, जिसके तुरंत बाद से ही शिवसेना के मंत्रियों की ओर से कंगना के विरोध में आवाजे उठना शुरू हो गया. इस पूरे प्रकरण के बीच महाराष्ट्र के ग्रहमंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट कर ये कहा था कि ”जिस किसी व्यक्ति को मुंबई की पुलिस पर भरोसा न हो वो मुंबई न आए.”
इसके जवाब में अभिनेत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ”9 सितंबर को आ रही हूं मुंबई एयरपोर्ट पर आते ही एक तस्वीर खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करूंगी, मिलते हैं.”(navbharatvarsh)
नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)| नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा मंगलवार को रिया को गिरफ्तार किए जाने के बाद सतीश मानशिंदे की अगुवाई वाली उनकी कानूनी टीम ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की यह कहते हुए आलोचना की कि चूंकि उन्हें एक ड्रग एडिक्ट से प्यार था, इसलिए एक अकेली लड़की को परेशान किया जा रहा है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग एंगल की जांच कर रही एनसीबी ने फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स के लेनदेन में उनके शामिल होने को लेकर तीन दिनों तक कड़ी पूछताछ करने के बाद रिया को गिरफ्तार किया।
रिया चक्रवर्ती का प्रतिनिधत्व कर रहे मानशिंदे ने कहा, "केंद्रीय एजेंसियों द्वारा एक अकेली औरत को महज इस वजह से परेशान किया जा रहा है क्योंकि उन्हें एक ऐसे इंसान से प्यार था जो खुद ड्रग एडिक्ट था और मुंबई के पांच जाने-माने मनोचिकित्सकों की देखरेख में पिछले कई सालों से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहा था और जिसने अवैध दवाओं व ड्रग्स के इस्तेमाल के चलते बाद में सुसाइड कर लिया।"
मीडिया को दिए अपने बयान में मानशिंदे ने मुंबई पुलिस के पास अपने मुवक्किल द्वारा दायर की गई नई शिकायत पर भी बात की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एफआईआर को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है।
मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा मंगलवार को व्यवसायी दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में 11 दिनों के लिए भेजा। दीपक को सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। दीपक कोचर, आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति हैं, जिन्हें वीडियोकॉन ऋण मामले में गिरफ्तार किया गया है।
उन्हें मंगलवार दोपहर को स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें 19 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
वीडियोकॉन के निदेशक वेणुगोपाल धूत, उनकी कंपनियों (वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर पिछले साल ईडी द्वारा धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही ईडी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की थी। उस कार्रवाई के लगभग एक साल बाद अब ईडी ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है।
इस साल की शुरुआत में ईडी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ, उनके पति और उनके द्वारा नियंत्रित/स्वामित्व वाली कंपनियों की 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां कुर्क की थी।
यह मामला वीडियोकॉन समूह को बैंक ऋण देने में कथित अनियमितताओं और मनी लांड्रिंग की जांच से जुड़ा है।
जांच के दौरान यह पता चला कि वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) और उसकी समूह की कंपनियों को मंजूर किए गए 1,730 करोड़ रुपये के ऋण को पुनर्वित्त और नया ऋण दिया गया था और ये ऋण 30 मार्च, 2017 को आईसीआईसीआई बैंक के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गए।
जांच में पता चला कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को स्वीकृत किए गए 300 करोड़ रुपये के कर्ज में से 64 करोड़ रुपये आठ सितंबर, 2009 को दीपक कोचर के स्वामित्व वाली नूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में नूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड) में स्थानांतरित किए गए थे। वीडियोकॉन ने यह रकम कर्ज मंजूर होने के एक दिन बाद स्थानांतरित की थी। इसके बाद इस रकम से दीपक कोचर की कंपनी ने 10.65 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)| पहलवान नरसिंह यादव को 2016 में डोप के कारण चार साल के लिए बैन कर दिया गया था। उनको अभी भी लगता है कि साई के सोनीपत सेंटर में उनके खाने और पानी में मिलावट की गई थी। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को भी दोषियों को देर से पकड़ने को लेकर सवालों घेरे में खड़ा किया है।
सूत्रों ने हालांकि आईएएनएस को बताया है कि सीबीआई ने पिछले साल कोर्ट में इस मामले मे क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है क्योंकि उसे कुछ भी गड़बड़ नहीं मिला था।
सूत्र ने कहा, "नरसिंह के वकीलों ने क्लोजर रिपोर्ट के बाद प्रोटेस्ट याचिका डाली है, लेकिन अभी तक हमें कोर्ट से किसी तरह की जानकारी नहीं मिली है। न ही उसमें कुछ गड़बड़ थी और न ही यह किसी को बर्बाद करने का मामला था।"
वहीं, नरसिंह का कहना है कि जांच एजेंसिया अभी भी इस मामले की जांच कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि मैं निर्दोष साबित होऊंगा। मुझे पता चला था कि सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है, लेकिन मैंने अधिकारियों से बात की थी तो उन्होंने कहा कि केस अभी जारी है। सीबीआई अभी भी जांच कर रही है। मुझे नहीं पता कि इतनी बड़ी जांच एजेंसी को इस छोटे से मामले में इतना समय क्यों लग रहा है। मैं न्याय का इंतजार करूंगा।"
31 साल का यह कुश्ती खिलाड़ी साई के सोनीपत केंद्र में लगाए जाने वाले राष्ट्रीय शिविर में हिस्सा लेने सोनीपत पहुंच गया है। यह वही जगह है कि जहां उनकी जिंदगी ने एक अलग राह की तरफ करवट ली थी। वह इस समय 14 दिन के क्वारंटीन में हैं। राष्ट्रीय शिविर की शुरुआत 15 सितंबर से हो रही है।
नरसिंह ने कहा, "मैं वहां लौट कर आया हूं जहां से यह सब शुरू हुआ था। उस दिन से मेरी जिंदगी बदली थी। इन चार साल में मैंने काफी आलोचना झेली है, लेकिन मेरे परिवार और दोस्तों का शुक्रिया जो मेरे साथ रहे। किसी भी खिलाड़ी के लिए चार साल का बैन बहुत बड़ी बात है, वो भी तब जब आप निर्दोष हो। मैं अब ज्यादा सावधान हूं। मैं अपने कमरे में साई द्वारा दिए खाने को ही खा रहा हूं। मैं अब किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता।"
टोक्यो ओलम्पिक के स्थगित होने से नरसिंह को खेलों के महाकुंभ में खेलने और पदक जीतने के सपने को जीने का मौका मिला है। उनका बैन जुलाई में खत्म हो गया है और अब उनका ध्यान अगले साल होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने पर है।
नरसिंह ने कहा, "भगवान की कृपा से, मुझे एक और मौका मिला है और मैं इसे अब जाने नहीं दूंगा।"
यादव ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत रियो ओलम्पिक-2016 के लिए क्वालीफाई कर लिया था, लेकिन चोट के कारण सुशील क्वालीफिकेशन में नहीं खेल पाए थे और इसलिए उन्होंने नरसिंह के साथ ट्रायल की मांग की थी।
सुशील की अपील को खारिज कर दिया गया था तो यह साफ हो गया था कि नरसिंह ही रियो जाएंगे, लेकिन वह दो एंटी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए जिसके कारण उनका ओलम्पिक में खेलने का सपना बर्बाद हो गया। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय डोपिंग एजेंसी (नाडा) से क्लीन चीट मिल गई थी।
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने हालांकि बाद में फैसले को बदल दिया और मामले खेल पंचाट न्यायालय (सीएएस) में गया। ओलम्पिक में 18 अगस्त 2016 को होने वाले नरसिंह के पहले मुकाबले से एक दिन पहले ही सीएएस ने उन पर चार साल का बैन लगा दिया।
उनसे जब पूछा गया कि क्या वह अभी भी सुशील से मतभेद पाले हुए हैं तो उन्होंने कहा कि वह अब आगे बढ़ना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "अतीत इतिहास है। मैं अब उस चीज में पड़ना नहीं चाहता। मैं बस हालांकि इतना चाहता हूं कि जो कुछ मेरे साथ हुआ वो किसी और अन्य खिलाड़ी के साथ न हो।"
लखनऊ, 8 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई के रहने वाले यश अवधेश गांधी ने सेरेब्रल पल्सी, डिस्लेक्सिया, डिसर्थिया से जूझते हुए 92.5 प्रतिशत अंकों के साथ कैट-2019 परीक्षा पास कर नजीर पेश की है। अब आईएआईएम-लखनऊ के छात्र 21 वर्षीय यश पिछले एक महीने से मुंबई स्थित अपने घर से ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं।
एक स्थानीय समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मैं नंबरों को लेकर समस्याओं का सामना करता हूं। इसलिए, मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, विशेष रूप से क्वांटिटेटिव एबिलिटी सेलेक्शन में। यह कठिन था, लेकिन असंभव नहीं था।"
यश को लिखित परीक्षा देने के लिए एक राइटर की जरूरत पड़ी, क्योंकि उन्हें चलने में कठिनाई होती है, लेकिन फिर भी वह मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करते हैं, वह ठीक से बोल नहीं पाते हैं, लेकिन अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्टता के साथ जाहिर करते हैं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है।
यश ने कैट के लिए जुलाई 2018 में तैयारी शुरू कर दी थी, जब वह अपने स्नातक के दूसरे वर्ष में थे।
उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और कैट पास करने के बाद, उन्हें कोझिकोड और इंदौर सहित कई आईआईएम से इंटरव्यू कॉल आए, लेकिन उन्होंने लखनऊ को चुना, क्योंकि इसकी रैंकिंग ज्यादा बेहतर है।
उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2020-22 के लिए विकलांग कोटा के तहत आईआईएम-लखनऊ में दाखिला लिया।
यश को सेरेब्रल पाल्सी, डिस्लेक्सिया और डिसर्थिया है, एक ऐसी स्थिति जो बोलने के लिए आवश्यक मांसपेशियों को कमजोर करती है।
यश के माता-पिता हमेशा उनका साथ देते आए हैं।
एक निजी कंपनी में काम करने वाले यश के पिता अवधेश गांधी ने कहा, "जब उसने स्कूल जाना शुरू किया, तो उसे सीखने में दिक्क त हुई और वह अपने सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा था। उसे आम बच्चों की अपेक्षा हमेशा ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।"
उन्होंने कहा कि कैट के लिए तैयारी करते समय, एक पड़ाव ऐसा भी आया जब यश इतना उदास था कि उसने इसे छोड़ देने का फैसला किया।
यश की मां जिग्नाशा ने कहा, "मैंने उसे बताया कि उसमें कुछ भी करने की क्षमता है और उसे प्रयास करना बंद नहीं करना चाहिए। इसके बाद, यश ने फिर से शुरू किया।"
अपने गुरु और हर्षित हिंदोचा के लिए यश के दिल में एक खास स्थान है।
हर्षित ने कहा कि यश की सफलता धैर्य और प्रतिबद्धता की एक आदर्श कहानी है। वह शांत रहता है। वह कभी हार नहीं मानता है।
यश ने अपना ग्रेजुएशन मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से अकाउंटिंग और फाइनेंस से किया और शीर्ष पांच में जगह बनाई।
चंडीगढ़, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी को 29 वर्ष पुराने अपहरण और हत्या के मामले में एक बड़ा झटका लगा, जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मामले के संबंध में सैनी ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की है। वहीं अन्य याचिका में सैनी ने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की है।
न्यायमूर्ति फतेह दीप सिंह ने एक दिन पहले ही अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
सैनी, जो राज्य पुलिस के अनुसार फरार हैं, उन्हें दिसंबर 1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी के अवैध अपहरण, हिरासत और हिरासत में मौत के मामले में अदालत से कोई संरक्षण नहीं मिल सका है।
हाईकोर्ट की ओर से उनकी अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद सैनी के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने या पुलिस के समक्ष समर्पण करने का ही विकल्प बचा है।
पिछले हफ्ते एसएएस नगर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पूर्व पुलिस महानिदेशक ने तब अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पंजाब पुलिस ने सैनी के सुरक्षा विस्तार को वापस लेने से इनकार कर दिया था, जिसने कहा था कि वह अपने सुरक्षाकर्मियों को पीछे छोड़कर फरार हो गए।
विशेष जांच दल (एसआईटी) के एक प्रवक्ता ने, जो हत्या के एक मामले में बदले गए अतिरिक्त न्यायिक हत्या के मामले की जांच कर रहे हैं, उन्होंने सैनी की पत्नी के इस आरोप से इनकार किया कि पूर्व डीजीपी की सुरक्षा वापस ले ली गई थी, जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ गया।
प्रवक्ता ने कहा कि डीजीपी दिनकर गुप्ता को लिखे पत्र में सैनी की पत्नी ने जो दावा किया था, उसके विपरीत, सुरक्षा विस्तार में कोई बदलाव नहीं किया गया और सुरक्षा बॉक्स और जैमर वाहन सहित सभी आवश्यक उपकरण पूर्व पुलिस प्रमुख को प्रदान किए गए थे। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें 'जेड' प्लस श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में तथ्य यह है कि सैनी ने अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हुए पंजाब पुलिस के सुरक्षाकर्मियों और सुरक्षा वाहनों के बिना ही अपने चंडीगढ़ आवास को छोड़ दिया था, जिसमें जैमर वाहन भी शामिल है।
अपहरण का मामला 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकवादियों द्वारा सैनी पर एक बम हमले से संबंधित है। उस समय, वह चंडीगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे। उन्हें उस समय कुछ चोटें आई थी, मगर वह बच गए थे। हालांकि उस हमले में तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए।
मुल्तानी के लापता होने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच 2007 में सैनी के खिलाफ शुरू हुई, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई और जांच रोक दी गई।
चंडीगढ़ से सटे एसएएस में सैनी के खिलाफ 7 मई को एक ताजा शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई, जिसमें हत्या के लिए अपहरण, साक्ष्य मिटाने, गलत तरीके से कारावास और आपराधिक साजिश जैसी कई बड़ी धाराएं जोड़ी गई हैं।
मोबाइल, एटीएम, आधार, पेन, लैपटॉप,, पेनड्राइव बरामद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। सोशल मीडिया में फर्जी विज्ञापन देकर और मुद्रा लोन, बीमा एवं फाइनेंस कंपनियों के नाम पर छत्तीसगढ़ समेत 4 हिन्दी भाषी राज्यों में करोड़ों की ठगी करने वाले 3 युवक उत्तरप्रदेश के शिकारपुर बुलंदशहर में घेराबंदी कर पकड़े गए। पुलिस ने उनके कब्जे से 6 मोबाइल, 3 एटीएम कार्ड, 3 आधार कार्ड, 2 पेनकार्ड, लेपटाप, कीबोर्ड, पेनड्राइव आदि बरामद की है।
पुलिस ने इसकी जानकारी संबंधित राज्यों की पुलिस को देते हुए मीडिया को बताया कि पकड़े गए तीनों युवक सिर्फ 10वीं तक पढ़े-लिखे है और लोन, बीमा, फाइनेंस कराने के नाम पर छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों में ठगी करते थे। इतना ही नहीं लोन स्वीकृत होना बताकर इसकी जानकारी वाट्सअप और मेल पर भी भेजते थे। ये पीडि़तों से जीएसटी, टैक्स, लैप्स, एलआईसी, लिमिट बढ़ाने के नाम पर रकम डलवाते थे। पकड़े गए तीनों युवक नीरज कुमार (31), आनंद स्वरूप (19) व चंद्रवीर (33) तीनों बुलंदशहर यूपी के रहने वाले हैं।
पुलिस ने बीरगांव रायपुर के एक मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मठपारा कैलाश नगर बीरगांव का पीयूष देवांगन (23) के मोबाइल पर 7 मई को सोनू कुमार सेक्टर 52 चंडीगढ़ ने कॉल किया। इस दौरान उसने अपने को मुद्रा फायनेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चंडीगढ़ का होना बताया। उसने इस बीच पीयूष को 5 लाख रुपये का 5 साल के लिए मुद्रा लोन/ऋण दिलाने आश्वस्त किया और पहचान पत्र समेत सभी दस्तावेज मंगाया। आवेदन के नाम पर 25 हजार रुपये चंद्रवीर के नाम के आईसीआईसी बैंक के एकाउंट में जमा करवाया। इसके बाद आरोपी ने 5 लाख के एक डिमांड ड्राफ्ट की फोटो प्रति भेज दी। वास्तविक डिमांड ड्राफ्ट नहीं आई। 8 मई को उसने एक एलआईसी का इंश्योरेंस मोबाइल पर भेजा और साढ़े 8 हजार रुपये डालने कहा। इसी तरह एकाउंट लिमिट बढ़ाने, आईटी रिर्टन आदि के नाम पर भी पैसा जमा कराया। यह युवक अलग-अलग ढंग से फंसते हुए चला गया और उसे करीब डेढ़ लाख की धोखाधड़ी कर ली गई। इसकी रिपोर्ट उसने उरला पुलिस में दर्ज कराई थी।
बताया गया कि एसपी के निर्देश पर उरला पुलिस और साइबर क्राइम की एक विशेष जांच टीम बनाई गई। टीम ने धोखाधड़ी मामले की अलग-अलग ढंग से जांच की। इस दौरान 3 आरोपी यूपी के शिकारपुर बुलंदशहर में घेराबंदी कर पकड़े गए। पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान आरोपी लगातार अपना लोकेशन बदलते रहे। टीम ने दिल्ली में 7 दिन तक उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा और दिल्ली में घूम-घूम कर आरोपियों के ठिकानों की तलाश की। इस दौरान उनके मोबाइल नंबर, पेनकार्ड नंबर, आधार नंबर, खाता नंबर सभी फर्जी पाए गए।
ऑनलाइन ठगी करने में माहिर
आरोपी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन ये तीनों कम्प्यूटर से ऑनलाइन ठगी करने में माहिर हैं। लोगों को झांसा देना इनका पेशा है। इनका कहीं कोई ऑफिस नहीं है। गांव के खेत-खार, तालाब, रोड किनारे कहीं पर भी बैठकर ठगी का गैंग चलाते थे। ऐसे में इस गैंग को पकडऩे काफी मुश्किल काम था। देश के अलग-अलग जगहों की पुलिस जामताड़ा के तर्ज पर बुलंदशहर के गांवों में लगातार दबिश देती रही, तब जाकर यह आरोपी पकड़े गए।
ऐसे गुमराह करते थे लोगों को
आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वे लोग शिकापुर बुलंदशहर में मैक्स लाईफ इंश्योरेंस, मुद्रा लोन, इंडिया बुल्स, गणेश फाइनेंस, लक्ष्मी फाइनेंस, गणपति फाइनेंस, उज्जीवन फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस एवं सांईराम फाइनेंस जैसे लोन दिलाने वाले बीमा एवं फाइनेंस कंपनी के नाम पर लाखों रूपयों का फर्जी स्टाप पेपर तैयार करते हैं। इसके बाद फर्जी चेक, लोन सर्टिफिकेट तैयार कर उसका वीडियो बनाकर प्रार्थी या पीडि़त को वाट्सअप या मेल के जरिए भेजते हैं, ताकि संंबंधित को गुमराह कर सके और उनसे पैसेे ऐठ सके। पुलिस का कहना है कि इस मामले में बीरगांव के युवक को किए गए कॉल नंबर एवं अन्य द्वारा जिन खातों में पैसे जमा कराए गए उन खातों की जानकारी लेते हुए खाता धारक का एटीएम कार्ड बरामद किए गए हैं। ये तीनों युवक भारत के विभिन्न हिन्दी भाषी राज्यों महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों में करोड़ों की ठगी कर चुके हंै। बुलंदशहर जिले के विभिन्न गांवों में घर का हर सदस्य इस तरह की ठगी में संलिप्त हैं।
टीम को 20 हजार का इनाम
एसएसपी अजय यादव ने धोखाधड़ी के तीनों आरोपियों को पकडऩे वाली टीम की तारीफ करते हुए उन्हें 20 हजार रुपये का नगद इनाम देेने की घोषणा की है।