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बेंगलुरु, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| बेंगलुरु की विशेष एनडीपीएस अदालत ने ड्रग संबंधी मामले में गिरफ्तार कन्नड़ फिल्म सितारों - रागिनी द्विवेदी और संजना गलरानी सहित अन्य आरोपियों का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में सौंप दिया है। ईडी ने अपनी याचिका में कहा कि आरोपी लोगों से कन्नड़ फिल्म उद्योग में ड्रग रैकेट से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर पूछताछ करनी है।
ड्रग केस को सैंडलवुड ड्रग केस के रूप में जाना जाता है, जिसे लेकर हाई प्रोफाइल पार्टी आयोजकों, विदेशी नागरिकों और फिल्मी सितारे जांच के लपेटे में आ गए हैं।
अभिनेत्री रागिनी और संजना पिछले दो सप्ताह से न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने अपनी याचिका में मांग की थी कि वह क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में सेकंड डिविजन क्लर्क और रागिनी के करीबी दोस्त रविशंकर के अलावा, रागिनी, संजना, पार्टी आयोजकों - वीरेन खन्ना और राहुल तोंशे से पूछताछ करना चाहती है।
ईडी ने यह भी कहा कि वे 9 सितंबर से मामले की जांच कर रहे थे, इसलिए उन्हें इस संबंध में आरोपी व्यक्तियों से पूछताछ करने की आवश्यकता है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए विशेष अदालत ने ईडी को आरोपियों की पांच दिन की हिरासत दे दी।
कृषि बिल का विरोध, तुरंत वापस लेने की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 सितंबर। भारत बंद के तहत देश के अलग-अलग राज्यों समेत प्रदेश में भी आज करीब दो दर्जन किसान संगठनों का आंदोलन जारी रहा। किसान, कृषि बिल तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए अपने-अपने घरों, खेत-खलिहानों में बैनर-पोस्टर, तख्ती लेकर विरोध प्रदर्शन करते रहे। उनका कहना है कि किसान विरोधी कृषि बिल से देश-प्रदेश के किसान बर्बाद हो जाएंगे और आत्महत्या तक के लिए मजबूर होंगे।
केंद्र सरकार के कृषि बिल के विरोध में नदी घाटी मोर्चा के गौतम बंद्योपाध्याय, फाइट फॉर राइट मूवमेंट के अनिल बघेल, कृषि वैज्ञानिक किसान नेता डॉ संकेत ठाकुर ने एक साथ यहां विरोध प्रदर्शन किया और किसान विरोधी काला बिल वापस लेने की मांग की। इसी तरह भिलाई-आरंग में राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के सदस्य पारसनाथ साहू, परसदा जोशी में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान महासभा के तेजराम विद्रोही व मदन साहू, परसदा में नवा रायपुर प्रभावित किसान समिति के रूपन चंद्राकर, मुजगहन में उमाप्रकाश ओझा, रंजना ओझा सहित सैकड़ों किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।
बताया गया कि रायपुर समेत कई जिलों में लॉकडाउन के चलते किसानों ने अपने-अपने घरों के साथ खेल-खलिहानों में तख्ती लेकर विरोध जताया। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से संबद्ध विभिन्न संगठनों के नेताओं ने भी अलग अलग जगहों पर किसान विरोधी कृषि बिल का सांकेतिक विरोध किया। उनका कहना है कि केंद्र सरकार जो कृषि बिल लेकर आई है, वह मूलत: किसानों को बाजार के हवाले करने का प्रयास है। किसान, सालभर खेती करेंगे, लेकिन अपनी उपज का दाम खुद तय नहीं कर पाएंगे।
छग किसान सभा के नेता संजय पराते ने आरोप लगाया कि इन कॉर्पोरेटपरस्त और कृषि विरोधी कानूनों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है। इन कानूनों का हम इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे खेती की लागत महंगी हो जाएगी, फसल के दाम गिर जाएंगे, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बढ़ जाएगी और कार्पोरेटों का हमारी कृषि व्यवस्था पर कब्जा हो जाने से खाद्यान्न आत्मनिर्भरता भी खत्म हो जाएगी। यह किसानों और ग्रामीण गरीबों और आम जनता की बर्बादी का कानून है।
किसान नेता डॉ. संकेत ठाकुर का कहना है कि कार्पोरेट सेक्टर दाम तय कर कम से कम में किसानों की उपज की खरीदी करेंगे। ऐसे में वाजिब दाम न मिलने से किसान बदहाल हो जाएंगे। उपभोक्ता भी महंगाई की मार त्रस्त होंगे। राज्य सरकार धान का 25 हजार रुपये समर्थन मूल्य न दे, तो यहां भी किसानों की हालत खराब होने लग जाएगी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार, खेती को उद्योगपतियों के हवाले करने के प्रयास में शुरू से रही है। इससे सरकार की समर्थन मूल्य की बाध्यता खत्म हो जाएगी, लेकिन किसानों को बड़ा नुकसान होगा।
मुंबई, 25 सितंबर (आईएएनएस)| भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने आईपीएल मैच के दौरान रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के कप्तान विराट कोहली के प्रदर्शन को लेकर टिप्पणी की थी जिस पर कोहली की पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने शुक्रवार को पूर्व सलामी बल्लेबाज को आड़े हाथों लिया है। बेंगलोर को गुरुवार को किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ खेले गए मैच में 97 रनों से हार मिली थी। इस मैच में कोहली का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। वह सिर्फ एक रन ही बना सके थे। कोहली की खराब फॉर्म पर गावस्कर ने टिप्पणी करते हुए अनुष्का का नाम भी लिया था और कुछ ऐसा कह दिया था कि जिसे खराब माना जा रहा है।
अनुष्का ने इसके जवाब में इंस्टाग्राम पर स्टोरी पोस्ट की है और गावस्कर के बयान पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।
उन्होंने लिखा, "मिस्टर गावस्कर, आपका मैसेज अप्रिय है, लेकिन मैं इस बात को आपसे समझना चाहती हूं कि आपने क्यों एक पति के खेल के लिए उसकी पत्नी पर आरोप लगाए और इस तरह की टिप्पणी क्यों की? मैं जानती हूं कि आपने कॉमेंट्री करते हुए इतने वर्षों तक हर किसी क्रिकेटर की निजी जिंदगी पर टिप्पणी नहीं की है और इसका सम्मान किया है। क्या आपको नहीं लगता कि मेरे और हमारे लिए भी आपके दिल में उसी तरह का सम्मान होना चाहिए?"
उन्होंने लिखा, "मुझे पता है कि मेरे पति के बीते मैच में किए गए प्रदर्शन पर टिप्पणी करने के लिए आपके पास कई और शब्द तथा वाक्य हैं या फिर आपके शब्द तभी महत्व रखेंगे जब आप मेरा नाम लेंगे।"
अभिनेत्री ने आगे लिखा, "यह 2020 है और मेरे लिए अभी तक चीजें खत्म नहीं हुई हैं। मुझे कब क्रिकेट में घसीटने से बख्शा जाएगा और फालतू के बयानों में मेरा नाम कब लेना बंद किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "सम्मानीय मिस्टर गावस्कर, आप महान खिलाड़ी हैं, ऐसे खिलाड़ी जिनका नाम इस जेंटलमैन खेल में अलग मुकाम रखता है। मैं सिर्फ आपको बताना चाहती थी कि जब मैंने यह सुना तो मुझे कैसा लगा।"
आईपीएल-13 में बेंगलोर और पंजाब के बीच गुरुवार को खेले गए मैच में कोहली ने पंजाब के कप्तान लोकेश राहुल के दो कैच छोड़ थे जो टीम के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुए और टीम को 97 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
कोहली इस मैच में बल्ले से भी कुछ नहीं कर पाए और सिर्फ एक रन बना सके।
मैच के दौरान ही गावस्कर ने कोहली के खेल पर टिप्पणी करते हुए अनुष्का का नाम लिया था और कुछ ऐसा बोला था जो कई लोगों को अभ्रद लगा, अनुष्का को भी।
सोशल मीडिया पर इसे लेकर बबल हो गया और गावस्कर एकाएक निशाने पर आ गए। कई लोगों ने गावस्कर को कॉमेंट्री पैनल से हटाने की मांग भी कर डाली।
यह पहली बार नहीं है कि कोहली के खराब प्रदर्शन को लेकर अनुष्का का नाम घसीटा गया हो।
सीआरपीएफ 21, देवेंद्र नगर 14, रोहणीपुरम 6, जिले से 621
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 सितंबर। राजधानी रायपुर-आसपास की बस्तियों-कॉलोनियों से बीती रात में 621 पॉजिटिव मिले। इसमें सीआरपीएफ के 21, देवेंद्र नगर से 14, रोहणीपुरम से 6, चौबे कॉलोनी व समता कॉलोनी से 4-4, पुलिस लाइन से 3 मरीज शामिल है। ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं।
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जिन जगहों से कोरोना मरीज मिले हैं, उसकी सूची निम्नानुसार है- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, लाखे नगर, दलदल सिवनी (6 लोग), एयरपोर्ट कॉलोनी, देवेंद्र नगर (14 लोग), शिवम विहार, शंकर नगर (10 लोग), अवंति विहार (8 लोग), स्टील सिटी गायत्री नगर, पंडरी (7 लोग), टैगोर नगर (3 लोग), बिरगांव, कंकाली हॉस्पिटल-ब्रम्हणपारा, श्री नारायणा हॉस्पिटल-देवेंद्र नगर (2), हनुमान नगर-कालीबाड़ी, कृष्णा नगर-डंगनिया, वल्लभ नगर, पार्थिव नगर-हीरापुर, बैरनबाजार 2, ब्रम्हपुरी, गोबरा-राजिम, मोवा-सड्डू (9 लोग), सेल्स टैक्स कॉलोनी-कचना, रविशंकर, संतोषी नगर (5 लोग), सुंदर नगर (5 लोग), शांति नगर, कोटा (5 लोग), कबीर नगर 3, आदर्श नगर (5 लोग), तेलीबांधा (6 लोग), अमलीडीह (8 लोग), चंगोराभाठा (8 लोग), टाटीबंध (10 लोग), माना कैंप, पचपेड़ीनाका (5 लोग), आदिवासी कॉलोनी, डीडीयू नगर (5 लोग), गीतांजली नगर, आमा सिवनी-विधानसभा रोड, अविनाश आशियाना कबीर नगर, फूल चौक-नवीन मार्केट, बंधवापारा (2 लोग), सरोना 2, समता कॉलोनी (4 लोग), सीआरपीएफ-आरंग, नुरानी चौक-राजातालाब (4 लोग), गायत्री नगर, सुभाष नगर-कुकरीपारा, टिकरापारा (5 लोग), रावतपुरा, एश्वर्या रेसीडेंसी (5 लोग), शीतला मंदिर, सीजी नगर, बसंत विहार, शिव नगर (4 लोग), राधा-स्वामी नगर-भाठागांव, दोंदेखुर्द (8 लोग), हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी (4 लोग), महामाया चौक-चरौदा, बजरंग पारा-लालपुर, पियूष कॉलोनी (8 लोग), सीआरपीएफ-चंदखुरी (20 लोग), वीआईपी रोड, विजय नगर, डब्ल्यूआरएस कॉलोनी 2, एचबी-कुरूद, आयुर्वेदिक कॉलेज-कैंपस, गोंदवारा उरकुरा 2, जागृति चौक, सुयश हॉस्पिटल, फाफाडीह, बूढ़ापारा, डंगनिया, गांधी चौक-राजातालाब, पंचशील नगर-सिविल लाइन, वी केयर हॉस्पिटल, खरोरा, भावना नगर, स्टेशन रोड, पुलिस लाइन (3 लोग), बंजारी, सोनडोंगरी, आमासिवनी, चौबे कॉलोनी (4 लोग), सिविल लाइन, माना कैंप, लोधीपारा, विपरौद होटल ग्रीन इंपीरिया, इंदिरा नगर, स्टेशन रोड-लोधीपारा, महावीर नगर (4 लोग), विधानसभा, श्याम नगर 2, बोरियाखुर्द 2, शिवानंद नगर (4 लोग), भाठागांव (5 लोग), संतोषी पारा, ताज नगर-संतोषी नगर, चौरसिया कॉलोनी, फूल चौक, रामेश्वर नगर, अग्रवाल चौक, महादेवघाट, संयासी पारा-खमतराई, चूना भट्ठी, गोकुल अपार्टमेंट, पचपेड़ी नाका, खमतराई, मोवा, माना बस्ती, बोरियाकला, मेट्रो ग्रीन-सड्डू, शक्ति नगर, मदरसा रोड, काशीराम नगर, विशाल नगर, राजीव नगर, सत्यम विहार, तिल्दा (10 लोग), अवधपुरी, पाटीदार भवन, नवीन मार्केट, नया रायपुर, डीडी नगर (3 लोग), पंचशील नगर, जेई रोड-मोहबाबाजार (3 लोग), दीनदयाल नगर, खरसिया, आमापारा, न्यू राजेंद्र नगर (5 लोग), आमानाका, रावणभाठा, अभनपुर, मंदिरहसौद, दलदल सिवनी, उदय सोसायटी, डीडीयू नगर, दीनदयाल नगर, मारूति रेसीडेंसी, मुर्रा भट्टी, खरोरा (3 लोग), बहेसरा (9 लोग), पुरानी बस्ती नेवरा-तिल्दा, अदानी पॉवर, गीता नगर, प्रेम नगर, पीजी बॉयज हॉस्टल (3 लोग), धरसींवा (7 लोग), अविनाश कैपिटल होम, दीनदयाल कॉलोनी-चरोदा, कैलाश नगर, बजरंग चौक-उरला, वीर सावरकर नगर, रोहणीपुरम (6 लोग), आरंग (7 लोग), लक्ष्मण नगर, कोटेश्वर नगर, कुकुरबेड़ा, बीएसयूपी कॉलोनी, विकास नगर, अटल आवास (8 लोग), परसदा (5 लोग), गोबरा नवापारा (15 लोग), अनमोल नगर-मोवा, भनपुरी, भगत सिंह चौक, गोगांव, गुरूद्वारा, कचना (4 लोग), लाभांडी, भनपुरी, राम नगर, प्रोफेसर कॉलोनी, वीवाय हॉस्पिटल, जैनम विहार, वॉलफोर्ड सिटी, संकल्प हॉस्पिटल, शैलेंद्र नगर।
मौतें-752, एक्टिव-36038, डिस्चार्ज-58833
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 सितंबर। प्रदेश में कोरोना मरीज साढ़े 95 हजार पार हो गए हैं। बीती रात मिले 22 सौ 72 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 95 हजार 623 हो गई है। इसमें से 752 मरीजों की मौत हो चुकी है। 36 हजार 38 एक्टिव हैं और इनका एम्स समेत अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। 58हजार 833 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
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राजधानी रायपुर समेत प्रदेश में कोरोना मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात 8 बजे 2272 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें रायपुर जिले से सबसे अधिक 410 मरीज रहे। बिलासपुर जिले से 244, दुर्ग-201, कांकेर-128, राजनांदगाव -113, बालोद-45, बेमेतरा-46, कबीरधाम-45, धमतरी-113, बलौदाबाजार-91, महासमुंद-44, गरियाबंद-44, रायगढ़-11, कोरबा-50, जांजगीर-चांपा-51, मुंगेली-66, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही-8, सरगुजा-68, कोरिया-1, सूरजपुर-33, बलरामपुर-31, जशपुर-0, बस्तर-116, कोंडागांव-36, दंतेवाड़ा-169, सुकमा-46, नारायणपुर-12, बीजापुर-50 मरीज शामिल हैं। ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 9 लाख 98 हजार सैंपलों की जांच पूरी कर ली गई है। इसमें आरटीपीसीआर-5 लाख 12 हजार 556, टू्रनेट-48 हजार 642 व रैपिड ऐंटिजेन टेस्ट 4 लाख 37 हजार 149 शामिल हैं। कल 24 घंटे में 10 मरीजों की मौत हुई है। इसमें 3 की कोरोना से और 7 की अन्य गंभीर बीमारियों के साथ कोरोना से हुई है। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि पिछले 4-5 दिनों में कोरोना पॉजिटिव के आंकड़े थोड़े कम हुए हैं, जो थोड़ी राहत देने वाली है। लेकिन हम सबको गंभीरता के साथ नियमों का पालन करना जरूरी है।
जस्टिन हार्पर
नई दिल्ली, 25 सितंबर। सोने के गहने खऱीदते समय क्या आपने कभी ये सोचा है कि सोना आता कहां से है, और क्या इसकी सप्लाई हमेशा जारी रहेगी या ये कभी खत्म भी हो सकती है?
पिछले महीने सोने की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा हुआ। सोने की कीमत 2000 डॉलर (करीब 1,60,000 रुपए) प्रति औंस हो गई। कीमतों के बढऩे के पीछे सोना व्यापारियों का हाथ था, लेकिन इसके साथ ही अब सोने की सप्लाई को लेकर बातें होने लगी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोने की सप्लाई खत्म हो जाएगी?
सोने की खरीदारी निवेश के लिए स्टेटस सिंबल के तौर पर और कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल के लिए की जाती है।
जानकार ‘पीक गोल्ड’ के कॉन्सेप्ट की भी बात करते हैं। पिछले एक साल में लोगों ने अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक सोना निकाल लिया है। कई जानकारों को लगता है कि वो पीक गोल्ड तक पहुंच चुके हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 2019 में सोने का कुल उत्पादन 3531 टन था, जो 2018 के मुकाबले एक प्रतिशत कम है। साल 2008 के बाद पहली बार उत्पादन में कमी आई है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रवक्ता हैना ब्रैंडस्टेटर बताते हैं, खदान से होने वाली सप्लाई भले ही कम हुई है या आने वाले कुछ सालों में कम हो सकती है क्योंकि अभी जो खदान हैं उनका पूरी तरह इस्तेमाल हो रहा है और नए खदान अब कम मिल रही हैं, लेकिन ये कहना कि सोने का उत्पादन अपनी पीक पर पहुंच गया है, जल्दबाजी होगी।
जानकार कहते हैं कि अगर पीक गोल्ड आता भी है, तो ऐसा नहीं होगा कि कुछ ही समय में सोने का प्रोडक्शन बहुत कम हो जाएगा। ये गिरावट धीरे-धीरे कुछ दशकों में आएगी। मेट्ल्सडेली.कॉम के रॉस नॉर्मन बताते हैं, माइन प्रोडक्शन स्थिर हो गया है, इसमें गिरावट देखी जा रही है, लेकिन बहुत तेजी से नहीं
तो कितना सोना बचा है?
माइनिंग कंपनियां जमीन के नीचे छिपे सोने की मात्रा का अनुमान दो तरीकों से लगाती हैं-
रिजर्व- सोना जिसे निकालना किफायती है
रिसोर्स - वो सोना, जिसे भविष्य में निकालना किफायती होगा या फिर निकालने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
अमरीका के जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक गोल्ड रिजर्व अभी 50 हजार टन है। अभी तक 190,000 टन गोल्ड की माइनिंग की जा चुकी है।
कुछ आंकड़ों के मुताबिक 20 प्रतिशत सोने का खनन अभी बाकी है। लेकिन आंकड़े बदलते रहते हैं। नई तकनीक की मदद से कुछ नए रिजर्व से जुड़ी जानकरियां भी मिल सकती है, जिन तक पहुंचना अभी किफायती नहीं है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट माइनिंग और बिग डेटा जैसी नई तकनीक की मदद से कीमतें कम की जा सकती है। कई जगहों पर रोबोट भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका का विटवॉटर्सरैंड दुनिया में सोने का सबसे बड़ा स्रोत है, दुनिया का 30 प्रतिशत सोना यहीं से आता है। चीन सबसे ज्यादा सोने का खनन करता है। कनाडा, रूस और पेरू भी बड़े उत्पादक हैं।
नए सोने के खदानों की खोज जारी है, लेकिन वो बहुत कम मात्रा में मिल रहे हैं। इसलिए भविष्य में भी पुराने खदानों पर ही ज्यादा निर्भर रहना होगा। बड़े पैमाने पर खनन करना काफी महंगा है, बड़ी मशीनें और कारीगरों की आवश्यकता होती है। नॉर्मन बताते हैं, खनन मुश्किल होता जा रहा, कई बड़े खदान, जहां खनन किफायती है, जैसे जो दक्षिण अफ्रीका में हैं, अब वो खत्म होते जा रहे हैं।
चीन के सोने के खदान छोटे हैं इसलिए महंगे भी हैं
अभी बहुत कम ही ऐसे इलाके हैं, जहां सोना होने की उम्मीद है लेकिन खनन नहीं किया गया है, इनमें से कुछ ऐसे इलाकों में हैं, जहां अनिश्चितता बनी रहती है, जैसे अफ्रीका के पश्चिमी इलाकों में एक खुदाई में निकला 1.89 करोड़ रुपये का सोना अगस्त महीने में सोने की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोने के खनन में तेजी आ जाएगी।
सोने के प्रोडक्शन का असर अमूमन उसकी कीमत पर नहीं पड़ता।
ब्रैंडस्टेटर कहते हैं, इतने बड़े पैमाने पर काम होता है कि कीमतों पर तुरंत असर नहीं होता। इसके अलावा इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि कोविड-19 के कारण खनन पर भी असर पड़ा है, कई खदान बंद थे। कीमतों के बढऩे के पीछे महामारी का हाथ है।
धरती पर कितना सोना बचा है, इसका सही अंदाजा लगा पाना तो मुश्किल है, लेकिन सोना चांद पर भी मौजूद है। लेकिन वहां से सोना निकालना और वहां से वापस लाना बहुत महंगा होगा।
अंतरिक्ष के जानकार सिनेड ओ सुलीवन कहते हैं, वहाँ सोना मौजूद हैं लेकिन वहाँ से लाना किफायती नहीं। इसके अलावा अंटार्कटिका में भी सोना मौजूद होने की जानकारी है। सोना समुद्र के नीचे भी है, लेकिन वहाँ से भी निकालना किफायती नहीं है।
लेकिन सोने के साथ एक अच्छी बात भी है। इसे रिसाइकल किया जा सकता है। बिजली से चलने वाले कई प्रोडक्ट्स में भी सोने का इस्तेमाल होता है। एक फोन में इस्तेमाल होने वाले सोने की कीमत भी कुछ पाउंड हो सकती है।
इनसे भी सोना निकालने की कोशिशें हो रही हैं। इसलिए अगर सोना के खदान पूरी तरह खत्म नहीं होंगे। (bbc.com/hindi)
चेन्नई, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| दिग्गज गायक एस.पी. बालासुब्रमण्यम का निधन हो गया है। वह 74 साल के थे। गुरुवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के कारण उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। वह एमजीएम अस्पताल में भर्ती थे। अगस्त के महीने में कोविड की जांच में नतीजा पॉजिटिव आने के बाद उन्हें इस अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।
उन्हें 5 अगस्त को एमजीएम हेल्थकेयर में भर्ती कराया गया था।
7 सितंबर को बालासुब्रमण्यम के बेटे एसपी चरण ने बताया था कि उनके पिता कोविड-19 की जांच में नेगेटिव पाए गए हैं।
हर पोलिंग स्टेशन पर 1000 वोटर ही, बढ़ाई जाएगी बूथों की संख्या
नई दिल्ली, 25 सितंबर। चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा कर रहा है। चुनाव आयोग ने अपनी घोषणा में बताया है कि बिहार में तीन चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव 28 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। वहीं मतगणना 10 नवंबर को होगी। चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस बार सुबह सात से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी। मतदान की अवधि को इस बार खास एक घंटे के लिए बढ़ाया गया है। वहीं उम्मीदवारों के लिए ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था की गई है। वहीं, कोरोना मरीज और क्वारंटीन में रह रहे मरीज भी वोट डाल सकेंगे। चुनाव की तैयारी के लिए 46 लाख मास्क, 6 लाख पीपीई किट, 7.2 करोड़ सिंगल यूज़ हैंड ग्लव्स, 7 लाख हैंड सैनिटाइजर्स, 23 लाख ग्लव्स का इंतजाम होगा।
बिहार में तीन चरणों में मतदान, 10 नवंबर को नतीजे
पहले चरण का मतदान : 28 अक्टूबर
दूसरे चरण का मतदान : 3 नवंबर
तीसरे चरण का मतदान : 7 नवंबर
चुनाव के नतीजे : 10 नवंबर
तीन चरणों में मतदान, ऐसे होगा मतदान
बिहार में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होंगे.
पहले चरण में 71 सीटों पर चुनाव, 31 हजार पोलिंग स्टेशन
दूसरे चरण में 94 सीटों पर चुनाव, 42 हजार पोलिंग स्टेशन
तीसरे चरण में 78 सीटों पर चुनाव, 33.5 हजार पोलिंग स्टेशन
सुनील अरोड़ा ने कहा कि बिहार चुनावों को लेकर भी सवाल उठ रहे थे लेकिन आज हम आपके सामने बड़े राज्यों में से एक बिहार के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक पोलिंग बूथ में 1500 की बजाय एक हजार वोटर्स आएंगे, जिससे पोलिंग बूथ की संख्या बढ़ेगी। चुनाव आयुक्त ने बताया कि आज से आचार संहिता लागू हो चुकी है।
चुनाव आयुक्त ने बताया कि इस बार सुबह सात से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी। ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था होगी। वहीं, कोरोना मरीज और क्वारंटीन में रह रहे मरीज भी वोट डाल सकेंगे। चुनाव की तैयारी के लिए 46 लाख मास्क, 6 लाख पीपीई किट, 7.2 करोड़ सिंगल यूज़ हैंड ग्लव्स, 7 लाख हैंड सैनिटाइजर्स, 23 लाख ग्लव्स का इंतजाम होगा।
243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा का 29 नवंबर को कार्यकाल खत्म हो रहा है। चुनाव आयोग ने बताया है कि चुनाव के दौरान कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए कई उपाय अपनाए जा रहे हैं। इसके तहत जरूरतमंद लोगों को पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जा रही है। संक्रमित या फिर संदिग्ध कोरोना मरीज चुनाव के दिन मतदान के आखिरी घंटों में वोट डालेंगे। उनके साथ हेल्थ अथॉरिटी भी होंगी। (एनडीटीवी)
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अन्य समाचार माध्यमों से
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की पीसी
दागी उम्मीदवार को अपना डिटेल मीडिया में चलाना होगा
अखबार और टेलीविजन में अपराधिक जानकारी देनी होगी
उम्मीदवारों की जानकारी वेबसाइट पर देना होगा
7 लाख सैनेटाइजर और 46 लाख मास्क का इंतजाम किया गया है।
सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगी वोटिंग।
प्रत्याशियों के ऑनलाइन नामांकण करने की भी होगी व्यवस्था।
नामांकन में दो से ज्यादा वाहन नहीं होंगे
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ चुनाव प्रचार होगा
सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा मतदान
कोरोना समय में सबसे बड़ा चुनाव
कोरोना पीडि़त भी वोट डाल सकेंगे ,
मतदान का समय 1 घंटा बढ़ाया गया ,
मतदान के अंतिम समय में वोट डालेंगे कोरोना पीडि़त,
नामांकन ऑनलाइन भी भर सकेंगे
उम्मीदवार के साथ 2 लोग रह सकते है
क्वारंटाइन में रहने वाले, कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज मतदान के आखिरी घंटे में वोट डाल सकेंगे। फेस शिल्ड, पीपीई किट, हैंड सैनिटाइजर, मास्क जैसे विशेष एहतियात के बंदोबस्त होंगे। - चुनाव आयोग
केंद्र के कृषि बिल पर फिर बरसे सीएम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 सितंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को गौधन न्याय योजना के मद की चौथी किश्त करीब 8 करोड़ रूपए हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर किए। इस मौके पर श्री बघेल ने केन्द्र सरकार के कृषि सुधार बिल की आलोचना की और कहा कि बिल से किसान अपने खेतों में मजदूर बन जाएंगे। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे।
मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में गोबर बेचने वाले हितग्राहियों के खाते में करीब 8 करोड़ रूपए ट्रांसफर किए। गोबर बेचने वाले हितग्राहियों को हर 15 दिन में राशि का भुगतान किया जाता है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार के कृषि सुधार बिल को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि बिल के प्रभावशील होने के बाद किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे। श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पहले ही बोनस देने पर रोक लगा दिया था। राज्य सरकार 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदना चाहती थी। मगर ऐसा नहीं होने दिया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने राजीव न्याय योजना के जरिए किसानों को अंतर की राशि का भुगतान कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून के प्रभावशील होने के बाद मंडी के बाहर खरीदी-बिक्री होगी और मंडी व्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। देशभर में कानून का विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है। इसलिए कानून बनाने से पहले सभी राज्य सरकारों से इसको लेकर चर्चा की जानी चाहिए थी। राज्य की अनुमति के बिना कानून बनाना हितकारी नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कांट्रेक्ट फार्मिंग का जिक्र करते हुए कहा कि इससे किसान अपने खेतों में मजदूर बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह बिल किसानों के उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। इसको तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
अंडे से बाहर निकले ही थे कि सत्यप्रकाश पांडेय के कैमरे की नजर इन रेड बग्स पर पड़ गई ...
Red bug, also called Stainer, Firebug, or Pyrrhocorid Bug, any insect of the family Pyrrhocoridae (order Heteroptera), which contains more than 300 species. The red bug—a fairly common, gregarious, plant-feeding insect found mostly in the tropics and subtropics—is oval in shape and brightly coloured with red. It ranges in length from 8 to 18 mm (0.3 to 0.7 inch). Dimorphism, a condition in which two or more visibly different forms exist, may occur in some species (e.g., Pyrrhocoris apterus can be winged or wingless).
चंडीगढ़, 25 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के दोनों सदनों में पारित फार्म विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार सुबह से पंजाब और हरियाणा में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
यहां तक कि दोनों राज्यों के अधिकांश प्रमुख शहरों के दुकानदारों ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपनी दुकानें बंद रखी हैं।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर एकजुटता का उदाहरण देते हुए पंजाब के 31 किसान संगठनों ने संयुक्त विरोध की घोषणा की।
किसानों द्वारा बिल के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू करने के बाद से ही गुरुवार से कई ट्रेनों के परिचालन को निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों के परिचालन को निलंबित करने का फैसला किया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे 'छोटे विचारों' से ऊपर उठकर राज्य के किसानों को नष्ट करने वाले 'विश्वासघाती' बिल के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए एक मंच पर आएं।
अमरिंदर सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इन विधेयकों को लाकर नए निम्नस्तर पर पहुंच गई है और वह भी बहुत ही अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से पारित किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य इकाई द्वारा समर्थित उनकी सरकार न सिर्फ किसानों और राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के हित में पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने किसानों से कानून और व्यवस्था को कड़ाई से बनाए रखने और सभी कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विरोध के मद्देनजर राज्यव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की है।
एसएडी सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। हालांकि एसएडी की लोकसभा सांसद और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को अपनी पार्टी द्वारा तीनों विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि कई पंजाबी गायकों ने किसानों द्वारा बुलाए गए 'बंद' का समर्थन किया है।
लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने एक ट्वीट में कहा कि वह कई अन्य कलाकारों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकतार्ओं ने बर्खास्त शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के साथ सोनीपत जिले के मुदलाना गांव में गुरुवार को कृषि मंत्री जे.पी. दलाल को काले झंडे दिखाए।
वहीं फार्म बिल को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताते हुए हरियाणा भाजपा के राज्य प्रमुख ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई विकल्प खुलेंगे।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का एलान किया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत देशभर के किसान कृषि से जुड़े इन विधेयकों के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने अंबाला से फोन पर बताया कि पूरा हरियाणा बंद रहेगा। किसान अपने घरों से निकल चुके हैं और जगह-जगह सड़कों पर इकट्ठा होने लगे हैं। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने भी बताया कि किसान अपने-अपने घरों से कूच कर चुके हैं और पूरे प्रदेश में करीब 400 जगहों पर लामबंद हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी किसानों का सड़कों पर उतरना शुरू हो गया है। भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि उनके संगठन से जुड़े किसान नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत समेत कई जगहों पर सड़क जाम करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि 11 बजे से पूरे देश में चक्का जाम है। हालांकि उन्होंने बताया कि यह बंद सिर्फ सड़कों पर रहेगा रेल रोको का कोई आयोजन नहीं है। टिकैत ने कहा, शहरों में प्रवेश करना या शहरों की दुकानों को बंद करने का प्रयास करना हमारे बंद के आयोजन में शामिल नहीं है। हम सिर्फ मुख्य मार्गों और गावों की सड़कों को जाम करके विधेयक पर अपना सांकेतिक विरोध जताएंगे।
उन्होंने कहा कि विचारधारा व दलों की राजनीति के दायरे से बाहर आकर किसानों के हितों के लिए काम करने वाले तमाम संगठनों से इस बंद का समर्थन करने की अपील की गई है और ज्यादातर संगठन इस बंद में शामिल हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता कि किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
किसान संगठन विधेयक वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन जैसी चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोशिशें चल रहीं हैं। मोदी सरकार ने 'फेम इंडिया' के दूसरे चरण में महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ के लिए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। वहीं मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार पर्यावरण अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, खुद पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर उनका अनुभव काफी अच्छा रहा है। उन्होंने दूसरों को भी ऐसी गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया है।
जावडेकर ने शुक्रवार को फेम इंडिया के दूसरे चरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है। मैं पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं। इलेक्ट्रिक गाड़ी का बहुत अच्छा अनुभव है। एक रुपये किलोमीटर फ्यूल चार्ज है। एक यूनिट में ये गाड़ी दस किलोमीटर चलती हैं। अब बहुत सारी गाड़ियां आने लगीं हैं, जो सस्ती भी हैं और अच्छी भी हैं।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने मोदी सरकार की ओर से फेम इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों को पहले ही चार सौ से अधिक बसें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी हो रही है कि महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ में 670 ई बसें मंजूर हुईं हैं। वहीं 241 चार्जिंग स्टेशन एमपी, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर के लिए मंजूर किए गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि कुल 670 में महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें देने का निर्णय लिया गया है। केरल सहित बाकी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन शुरू कर रहे हैं। इसी तरह से देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियां बहुत बड़े पैमाने पर चलने लगेंगी। उन्होंने सभी से इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करने की अपील की।
दरअसल, मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल 2015 से फेम इंडिया योजना लागू की है। इस योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल 2019 से अगले तीन वर्षों के लिए शुरू हुआ है। इस योजना पर 2021-22 तक कुल 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरूआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने के साथ ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है। सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी।
नयी दिल्ली 25 सितंबर (वार्ता) विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर कथित तौर पर फैलाये जा रहे नफरत पर रोक की मांग को लेकर कांग्रेस के दो नेताओं की पत्नियां उच्चतम न्यायालय पहुंची हैं।
टेलीविजन चैनल पर बहस के दौरान दिल का दौरा पड़ने से जान गंवा चुके कांग्रेस नेता राजीव त्यागी की पत्नी संगीता त्यागी और एक अन्य वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा ने सुदर्शन न्यूज़ के बिंदास बोल कार्यक्रम से संबंधित मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की है।
दोनों ने कुछ खास एंकर के प्रोग्राम का जिक्र करते हुए उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का लाभ न देने का शीर्ष अदालत से आग्रह किया है।
याचिकाकर्ताओं ने चार प्रमुख एंकरों के प्राइम टाइम टीवी शो का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि उनके कार्यक्रम ज्यादातर सांप्रदायिक प्रकृति के होते हैं और सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन करते हैं।
अधिवक्ता सुनील फर्नांडीज के जरिये दाखिल याचिका में देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की स्थिति की तुलना नाजी जर्मनी से की गई है और याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है।
अगर आप उत्तर प्रदेश (UP ) में रहते हैं और मास्क (Mask) लगाना पसंद नहीं करते तो आपके लिए ये जरूरी खबर है. क्योंकि अब बिना मास्क के घर से बाहर जाने पर आपके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने निर्देश दिया है कि राज्य में कोई भी नागरिक (Citizen) घर से बाहर बिना मास्क के दिखाई नहीं देना चाहिए. कोरोना वायरस (Corona Virus) के लगातार बढ़ते प्रकोप को देखते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने ये निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि घर से निकलने वाले हर व्यक्ति को ये सुनिश्चित करना होगा कि उसने अपना मुंह और नाक ढंका है या नहीं.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाले पर मौजूदा कानून के तहत ही कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए हर जिले के प्रत्येक थाने में एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें वर्तमान से ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी. जिससे आदेश का ठीक से पालन कराया जा सके. अदालत ने प्रशासन और पुलिस को इस बात के लिए भी आगाह किया है कि वह मास्क पहनना सुनिश्चित करने की नाकामी जनता पर नहीं थोप सकेंगे.
कोर्ट के इस निर्देश से ये निश्चित हो जाता है कि अब मास्क न पहनने पर आपको कानूनी कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है. क्योंकि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, पुलिस अपने सिर पर मास्क न पहनने वालों का बोझ नहीं लेगी और जनता पर सख्ती बरतेगी.
कोरोना संक्रमण की रोक थाम के प्रयासों की मॉनिटरिंग कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि मास्क न सिर्फ उनको संक्रमण से बचाएगा, बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित करेगा. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति मास्क नहीं पहनता है तो वह पूरे समाज के प्रति अपराध करेगा और समाज के प्रति अपराध करने वाले को दंडित किया ही जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना से बचने के एक ही रास्ता है, शारीरिक दूरी और मास्क पहनना. यदि सभी लोग मास्क पहनने लगे तो इससे संक्रमण खुद ब खुद रुक जाएगा.
इसके अलावा कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को भी निर्देश दिया कि वह कोरोना से संबंधित प्रगति की सूचना हर दिन हाईकोर्ट लीगल सेल को ई-मेल के माध्यम से दें. इसी प्रकार से वार्डों में नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर जोनल अफसरों को स्थिति से अवगत कराते रहें. कोर्ट ने होम आइसोलेशन वाले मरीजों के एक्स-रे और सीटी स्कैन के लिए हर जिले में एक अलग अस्पताल की व्यवस्था का निर्देश दिया है, क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीजों का सीटी स्कैन और एक्सरे कोई अस्पताल नहीं कर रहा है.(catch)
वाशिंगटन, 25 सितंबर (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 3.21 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है, जबकि इस संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 981,000 से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि शुक्रवार की सुबह तक संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 32,135,220 हो गई थी और मौतों की संख्या बढ़कर 981,754 हो गई थी।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण के मामलों (6,976,215) और इससे हुई मौतों (202,762) के साथ सबसे खराब स्थिति वाला देश है।
वहीं भारत 5,732,518 मामलों के साथ वर्तमान में दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में होने वाली मौतों की संख्या 91,149 है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, संक्रमण के अधिक मामलों वाले अन्य 15 देश ब्राजील (4,657,702), रूस (1,123,976), कोलंबिया (790,823), पेरू (782,695), मेक्सिको (715,457), स्पेन (704,209), अर्जेंटीना (678,266), दक्षिण अफ्रीका (667,049), फ्रांस (536,289), चिली (451,634), ईरान (436,319), ब्रिटेन (418,889), बांग्लादेश (355,384), इराक (337,106) और सऊदी अरब (331,857) है।
वर्तमान में ब्राजील संक्रमण से होने वाली मौतों के मामले में 139,808 आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर है।
वहीं 10,000 से ऊपर मौत वाले देशों में मेक्सिको (75,439), ब्रिटेन (41,991), इटली (35,781), पेरु (31,870), फ्रांस (31,524), स्पेन (31,118), ईरान (25,015), कोलंबिया (24,746), रूस (19,876), दक्षिण अफ्रीका (16,283), अर्जेंटीना (14,766), चिली (12,469), इक्वाडोर (11,213) और इंडोनेशिया (10,105) शामिल हैं।
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (वार्ता) वैश्विक महामारी कोविड-19 के देश में लगातार हो रहे बड़े स्तर पर प्रसार की रोकथाम के लिए दिन प्रतिदिन इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 24 सितंबर को एक दिन में रिकाॅर्ड 14 लाख 92 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गयी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में बताया गया कि देश में 24 सितंबर को कोरोना वायरस के रिकार्ड 14 लाख 92 हजार 409 नमूनों की जांच की गई और कुल आंकड़ा छह करोड़ 89 लाख 28 हजार 440 पर पहुंच गया।
चौबीस सितंबर को एक दिन में रिकार्ड सर्वाधिक जांच की गई हैं। इससे पहले 20 सितंबर को एक दिन में 12 लाख छह हजार 806 नमूनों की रिकार्ड जांच की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ही देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में 30 सितंबर को अनलॉक-4 के खत्म होने के बाद वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा की।
श्री मोदी ने कहा कोरोना से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को तो और मजबूत करना है। इसके अलावा ट्रैकिंग-ट्रेसिंग से जुड़ा नेटवर्क है, उनका बेहतर प्रशिक्षण भी करना है।
देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था।
छह अप्रैल तक कुल जांच की संख्या मात्र दस हजार थी। इसके बाद वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही नमूनों की जांच में भी तेजी आई। सात जुलाई को नमूनों की जांच संख्या एक करोड़ को छू गई और इसके बाद तेजी से बढ़ती गई और 17 सितंबर को छह करोड़ का आंकड़ा पर कर लिया।
इससे पहले देश में तीन सितंबर को आये आंकड़ों में रिकाॅर्ड 11 लाख 72 हजार 179 नमूनों की जांच की गई थी। यह देश में ही नहीं, विश्व में भी एक दिन में सर्वाधिक जांच का रिकार्ड था।
चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस के कुछ घंटे पहले
रायपुर, 25 सितम्बर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के नवगठित जिले गौरला-पेण्ड्रा-मरवाही के नगर पंचायत गौरेला और नगर पंचायत पेण्ड्रा को नगर पालिका का दर्जा देने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि प्रदेश के राजस्व मंत्री और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इन नगर पंचायतों के भ्रमण के दौरान वहां के नागरिकों की इस संबंध में भावनाओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जिस पर मुख्यमंत्री ने जनभावनाओं को देखते हुए इन दोनों ही नगर पंचायतों को नगर पालिका का दर्जा देने की घोषणा की है।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य राज्यों में कृषि से जुड़े विधयकों का विरोध सड़कों पर उतर आया है। भारतीय किसान यूनियन समेत अन्य किसान संगठन बिल के खिलाफ चक्का जाम कर रहे हैं। इधर, भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) का कहना है कि वो 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री की समाधि की ओर कूच करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। भारत बंद ऐलान के बाद जगह जगह सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर भी दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल ने आईएएनएस को बताया, हमारे क्षेत्रों में लगभग सब कुछ बंद है। मथुरा और आगरा की ओर भी किसान भी सड़कों पर आ गए हैं। जब तक कानून वापस नहीं होगा तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे। 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शाश्त्री जी की समाधि पर पूरे देश का किसान पहुंच रहा है।
यूपी-बिहार से लेकर पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों में शुक्रवार को सड़क पर किसान उतर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि, चक्का जाम में पंजाब, हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत पूरे देश के किसान संगठन एकजुट होंगे। पंजाब में कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन भी जारी है।
-राजेश अग्रवाल
बिलासपुर, 25 सितम्बर। पिता की मौत की ख़बर सुनकर भी बेटा कोरोना महामारी के दौरान लगी पाबंदियों के चलते अमेरिका से घर नहीं पहुंच पाया। ऐसे में छोटी बहन ने पिता को कांधा दिया और रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया।
एक निजी कम्पनी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद से रिटायर्ड कल्पना विहार, नेहरू नगर निवासी महेन्द्र सिंह चौहान (73 वर्ष) का देहावसान हो गया। चौहान ने अपने बच्चों को अच्छी परवरिश और शिक्षा दीक्षा दी। बेटा रिशु और बड़ी बेटी शैली सिंह अमेरिका में जॉब करते हैं। उनकी छोटी बेटी ऋतु सिंह भी कम्प्यूटर इंजीनियर है और बेंगलूरु में अपने पति के साथ जॉब पर है। बिलासपुर में पिता की मौत की ख़बर इन बच्चों के पास पहुंची लेकिन अमेरिका से भारत के लिये हवाई सेवा बाधित होने के कारण वहां से बड़ी बेटी और बेटा नहीं पहुंच पाये।
बेंगलूरु से बेटी ऋतु सिंह हवाई सफर करके रायपुर फिर बिलासपुर अपने घर पहुंचीं। पिता का अंतिम संस्कार करना था और बेटा सात समुन्दर पार था। रिश्तेदारों व शुभचिंतकों से राय मिली कि ऋतु ही पिता को अंतिम विदाई देने की रस्म पूरी करे। ऋतु ने यह फर्ज निभाया। उनसे पिता को कांधा दिया और सरकंडा स्थित पं. देवकीनंदन श्मशान गृह में उन्हें मुखाग्नि दी।
स्व. चौहान अमलाई के एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते थे और सेवानिवृत्त होने के बाद बिलासपुर आकर रहने लगे। उन्हें कैंसर भी हुआ था पर वे इससे छुटकारा पा चुके थे। वे बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय निर्वाचन आयोग शुक्रवार को दोपहर साढ़े 12 बजे बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ने बताया कि आयोग की प्रेस कांफ्रेंस बिहार विधानसभा चुनाव के संबंध में शुक्रवार को आयोजित हो रही है। माना जा रहा है कि चुनाव कई चरणों में कराए जाएंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की भी घोषणा हो सकती है।
कोरोना के कारण सोशल डिस्टैंसिंग मेंटेन करने के लिए चुनाव आयोग विज्ञान भवन के हॉल नंबर पांच में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करेगा। सोशल डिस्टैंसिंग के मद्देनजर सिर्फ पीआईबी एक्रिडेटेड पत्रकारों को ही एंट्री मिलेगी। कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर आयोग पहले ही गाइडलाइंस जारी कर चुका है। हर मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार मतदाता ही वोट देंगे। मतदान केंद्रों पर सैनिटाइजर से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाएं रहेंगी।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। 2015 में राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके कारण भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। तब राजद, जदयू, कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी। राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं थीं। जबकि एनडीए को 58 सीटें हीं मिली। हालांकि लालू यादव की पार्टी राजद के साथ खटपट होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार चलाना शुरू किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं।
बिहार में पिक्षी पार्टियां कोरोना के चलते चुनाव टालने की मांग कर रही थी, लेकिन आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया।
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
-राजेश अग्रवाल
बिलासपुर, 25 सितम्बर('छत्तीसगढ़') । जिले में बीते 24 घंटे के भीतर 1812 मरीज कोरोना अस्पतालों और होम आइसोलेशन से डिस्चार्ज किया गया है। हालांकि इस अवधि में 214 नये मरीज भी मिले हैं और जिले के पांच मिलाकर सात की मौत भी हो गई।
एक साथ इतने मरीजों के स्वस्थ होने के पीछे स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई नई गाइडलाइन है, जिसके अंतर्गत होम आइसोलेशन में रह रहे कम लक्षण वाले मरीजों को 10 दिन में डिस्चार्ज किया जाना है। ऐसे मरीज जिनमें लक्षण नहीं पाये गये हैं उन्हें 10 दिन में डिस्चार्ज टिकट मिल जायेगी लेकिन लक्षण वाले मरीज आगे सात दिनों तक और स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में रहेंगे। इस व्यवस्था के बाद जिले में ठीक होने वाले मरीजों का कुल आंकड़ा 4833 पहुंच गया है जबकि 2362 केस अब भी सक्रिय हैं। नये 214 मरीजों में चार डॉक्टर हैं। रेलवे क्षेत्र के एक डॉक्टर के परिवार के तीन सदस्य एक साथ कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।
संभागीय कोविड अस्पताल में कल दो मरीजों की मौत हो गई। इसके अलावा निजी अस्तपालों मे पांच की मौत हुई। कुल सात मृतकों में बिलासपुर जिले के 5 तथा कोरिया तथा गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के एक-एक मरीज हैं। मृतकों में एक 34 वर्ष की महिला है शेष सभी की उम्र 55 वर्ष से अधिक है।
स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों में 7 से 21 दिसम्बर तक किये गये सर्वे में बिलासपुर को रिकवरी में दूसरा स्थान मिला है। जिला बेमेतरा को इस सर्वे में पहला स्थान मिला। उपचार व्यवस्था में गरियाबंद सबसे ऊपर पाया गया जबकि बिलासपुर पांचवे नंबर पर है।
सिम्स में नये डीन की नियुक्ति, व्यवस्था में सुधार
सिम्स चिकित्सालय मे कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही की शिकायत के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्मृति नागरिया को नया डीन नियुक्त किया गया है। सिम्स की व्यवस्था में सुधार के लिये लगातार तीन दिन से काम हो रहा है। अब कोरोना मरीजों के लिये ट्राईएज काउन्टर बनाया गया है जहां से उन्हें लक्षण के अनुसार अलग-अलग अस्पतालों में रेफर किया जायेगा, जिससे वे भर्ती होने के लिये भटकेंगे नहीं। इस काउन्टर में खाली बेड के अलावा लक्षण के अनुरूप कहां बेहतर उपचार होगा इसका निर्णय लिया जायेगा। सिम्स में कोरोना संक्रमित और दूसरे बीमार व्यक्तियों की एक साथ ओपीडी पर एकत्र होने वाली भीड़ को भी नियंत्रित किया गया है। इनके प्रवेश व निकास की अलग-अलग व्यवस्था की गई है। यहां अब गोल घेरे से मार्किंग कर उद्घोषणा कर मरीजों को बुलाया जा रहा है। इसके अलावा प्रतीक्षारत मरीजों की बैठक व्यवस्था भी की गई है। सिम्स परिसर में नगर निगम ने तीन दिन से सफाई अभियान भी चला रखा है।
- सुशीला सिंह
साल 1991, नवंबर महीने में बिहार राज्य में एक अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हुई. हड़ताल कर रहे सरकारी कर्मचारियों की माँग थी कि केंद्र सरकार की तर्ज़ पर ही राज्य में जो वेतनमान लागू किया गया है उसमें हुई विसंगतियों को दूर किया जाए.
इस हड़ताल में एक चार्टर ऑफ़ डिमांड भी बनाया गया था जिसमें सबसे प्रमुख माँग समान वेतनमान लागू करने में विसंगतियों को दूर करना था. इस हड़ताल में स्कूल, यूनिवर्सिटी टीचर्स, बोर्ड कॉर्पोरेशन और बिहार राज्य कर्मचारी महासंघ भी शामिल था.
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी कहती हैं कि उस दौर में महिलाएं आंदोलन में बहुत सक्रिय हो रही थीं और 1985 में ही किसान और मज़दूर अपने अधिकारों और सामंतवाद के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे थे और इसमें ग्रामीण और निम्नवर्गीय महिलाएं भी शामिल होने लगी थीं.
मीना तिवारी कहती हैं कि इन आंदोलन में महिलाओं के मुद्दों पर भी चर्चा होने लगी और उनके अधिकारों के लिए भी आवाज़ उठने लगी थी. इसमें संविधान में मिले अधिकार के बावजूद महिलाओं को वोट से दूर रखना, बराबर मज़दूरी की माँग जैसे मुद्दे गांव, देहात में महिलाएं उठा रही थीं. वहीं, शहरों में युवा महिलाओं पर भी इन मुद्दों का असर हो रहा था. राज्य में बुद्दिजीवी महिलाएं और कामकाजी महिलाएं, उनके लिए हॉस्टल और क्रेच की सुविधा देने की माँग उठाने लगीं. वहीं, इस बीच सरकारी कर्मचारियों का ये आंदोलन भी ज़ोर पकड़ रहा था.
जब ये हड़ताल चल रही थी उस दौरान सरोज चौबे ऐपवा में सचिव के पद पर थीं.
वे बताती हैं कि सरकारी महिला कर्मचारियों की संख्या बहुत कम थी और महिला संगठनों ने जब उन्हें हड़ताल में शामिल होने को कहा था तो उनमें हिचकिचाहट भी थी क्योंकि उनका मानना था कि जब इसमें पुरुष शामिल हो रहे हैं तो उनका बैठकों या आंदोलन में भाग लेने का क्या काम.
लेकिन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ द्वारा संचालित इस हड़ताल में धीरे-धीरे महिला कर्मचारी, शिक्षिका, नर्स और टाइपिस्ट जुड़ती चली गईं. जब समस्याओं पर चर्चा हुई और सारी माँगों को सूचीबद्ध किया जा रहा था तभी हड़ताल में शामिल महिलाओं की तरफ़ से ये माँग उठी थी कि पीरियड्स के दौरान छुट्टी मिलनी चाहिए.
कैसे माने लालू प्रसाद
उस समय राज्य के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव. ये वो ज़माना था जब नीतिश कुमार जनता दल में ही थे.
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामबलि प्रसाद कहते हैं कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर समान वेतनमान के बीच विसंगतियां दूर करने और तमाम माँग मनवाने के लिए कोशिशें हो रही थीं और सरकार को ज्ञापन दिए भी गए लेकिन समाधान की ओर चीज़ें बढ़ती नज़र नहीं आ रही थीं.
फिर हमने हड़ताल करने की ठानी. वे बताते हैं कि इस दौरान मुख्यमंत्री और उनके प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकों का दौर चलता था. जब पीरियड्स लीव वाला फ़ैसला लिया गया तो उस बैठक में रामबलि प्रसाद मौजूद थे.
रामबलि प्रसाद बताते हैं, ''मुख्यमंत्री और प्रतिनिधियों के साथ बैठक कई घंटे चलती थी. कई बैठक तो रात के आठ-नौ बजे शुरु होती और रात के दो बजे तक चलती रहती. जब हमारी माँगों पर चर्चा हो रही थी उसी समय महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान तीन दिन की छुट्टी का मुद्दा भी उठा. लालू प्रसाद ने उसे सुना और क़रीब पाँच मिनट के लिए चुप रहे और फिर इस पर सहमति जताते हुए कहा कि दो दिन छुट्टी दी जा सकती है और अपने अधिकारी को उसे नोट करने को कहा.''
बिहार सरकार की तरफ़ से राज्य की सभी नियमित महिला सरकारी कर्मचारियों को हर महीने दो दिनों के विशेष आकस्मिक अवकाश की सुविधा देने का फ़ैसला लिया गया.
बिहार में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान मिली ये दो दिन की छुट्टी एक बड़ा और आंदोलनकारी क़दम था और शायद बिहार उस समय पहला ऐसा राज्य था जिसने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए इस तरह का ऐलान किया था.
महिलाओं को सुविधा देने वाले इस फ़ैसले ने उनके लिए रास्ते तो खोल दिए थे लेकिन शर्म और झिझक का दरवाज़ा खुलना अभी बाक़ी था.
किसने खोला ये दरवाज़ा
प्रोफ़ेसर भारती एस कुमार पहली महिला मानी जाती हैं जिन्होंने यूनिवर्सिटी के स्तर पर ये लीव या छुट्टी लेने की शुरुआत की थी. वे उस समय पटना यूनिवर्सिटी में इतिहास के पीजी विभाग में प्रोफ़ेसर थीं.
उनका कहना है कि सरकार की तरफ़ से आदेश तो जारी हो गया था लेकिन यूनिवर्सिटी में इस अधिसूचना को नहीं लगाया गया था और वो कहीं फ़ाइल में बस पड़ा हुआ था.
जो हड़ताल हुई थी उसमें पटना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (PUTA) और फ़ेडेरेशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी (सर्विस) टीचर्स एसोसिएशन ऑफ़ बिहार(FUSTAB) भी शामिल हुआ था.
हम लोगों ने एसोसिएशन से भी पूछा कि इस बात पर सहमति बनी है न कि छुट्टी दी जाएगी, तो उन्होंने भी कहा कि ये फ़ैसला लिया जा चुका है और आदेश भी जारी किया जा चुका है. लेकिन वो बात यूनिवर्सिटी में सर्कुलेट होकर हम तक नहीं पहुँच रही थी. हम इस लीव को लेकर चर्चा करते थे लेकिन महिला शिक्षिकाएं इसे लेने में झिझक रही थीं.
वे बताती हैं, ''मैंने ये ठान लिया था कि मैं अपने पीरियड्स के लिए छुट्टी लूंगी. मैंने कहा कि मैं इसकी शुरुआत करुंगी. जब मेरे पीरियड्स का समय आया तो मैंने इस बारे में चिट्ठी लिखी और मेरे विभाग के हेड को दी. उन्होंने पहले मेरी चिट्ठी को देखा और फिर मुझे. मैंने चिट्ठी तो दे दी थी लेकिन मेरे पांव कांप रहे थे और मुझे बहुत झिझक भी हो रही थी. क्योंकि हमने तो बचपन से कभी पीरियड्स के बारे में खुलकर किसी से बात ही नहीं की थी और न कोई करता था. जब उन्होंने उस चिट्ठी को साइन करके क्लर्क को बढ़ाया. उनके चेहरे पर तंज़ वाली मुस्कराहट आई जैसे ये कहना चाहते हों कि अच्छा अब तुम लोगों को इसके लिए भी छुट्टी चाहिए''.
इसके बाद मैंने टीचर्स लेडीज़ क्लब में जाकर बताया कि हम जीत गए तो उन्होंने पूछा कि क्या मतलब? तो मैंने कहा कि मुझे छुट्टी मिल गई तो उन्होंने कहा कि अरे आपको मिल गई है तो हम भी अप्लाई कर सकेंगे.
वे बताती हैं कि छुट्टी तो मिल गई थी और ये हमारा हक़ भी था लेकिन इस छुट्टी के लिए आवेदन देने में महिलाओं को झिझक थी और उस टैबू को तोड़कर निकलने में वक़्त लगा लेकिन महिलाएं धीरे-धीरे आगे आईं और छुट्टी लेने लगीं.
क्या राज्यों में हो सकता है ये प्रावधान
नीति आयोग में लोकनीति विशेषज्ञ उर्वशी प्रसाद का भी कहना है कि बिहार में महिलाओं का अनुभव अच्छा रहा है. ये अब वहां एक समान्य चीज़ बन गई है और आपको पीरियड्स के वक़्त छुट्टी लेने के लिए कोई बहाने या कारण देने की ज़रुरत नहीं पड़ती.
अरुणाचल प्रदेश से आने वाली सांसद, निनांग एरिंग ने एक प्राइवेट मेंबर बिल, मेन्सटूरेशन बेनीफ़िट 2017 में लोकसभा में पेश किया था. इस बिल में सरकारी और नीजि क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दो दिन की छुट्टी देने का प्रस्ताव दिया गया. साथ ही ये पूछा गया था कि सरकार क्या ऐसी किसी योजना पर विचार कर रही है. इस पर महिला और विकास मंत्रालय ने कहा था कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
यहां ये सवाल उठता है कि क्या अपने स्तर पर राज्य सरकारें इस तरह का क़दम नहीं उठा सकती हैं?
उर्वशी प्रसाद कहती हैं कि इस मुद्दे पर महिलाओं को आगे आना होगा और सरकार को हर क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से पूछना चाहिए कि क्या इसकी ज़रुरत है? क्या इससे लाभ होगा?
क्योंकि जब मैटरनीटी लीव में छह महीने का प्रावधान किया गया तो कई संस्थानों की तरफ़ से ये भी कहा गया कि महिला को क्यों लें, उन्हें छह महीने की छुट्टी देनी पड़ेगी. ऐसे में कई चीज़ें महिलाओं की भलाई के लिए की जाती हैं और वो उनके लिए ही उल्टी साबित हो जाती हैं.
वहीं, कई बार समानता का भी सवाल उठता है कि महिला और पुरुष बराबर हैं तो ये छुट्टी क्यों? लेकिन इस तथ्य को कोई नकार नहीं सकता कि महिला और पुरुष का शरीर अलग है, उसे पीरियड्स होते हैं और वो मां बन सकती है जो पुरुष का शरीर नहीं कर सकता. ऐसे में ये तर्क ही बेमानी हो जाता है.
उर्वशी प्रसाद भी कहती हैं कि कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ज़्यादा तकलीफ़ होती है, किसी को कम और किसी को बिल्कुल नहीं होती है. ऐसे में छुट्टी, घर से काम करने की आज़ादी जैसी सुविधा दी जानी चाहिए. जहां अब कोविड ने साबित कर दिया है कि घर से भी काम हो सकता है और सरकारी कर्मचारी तक कर रहे है. हां जो फ़ैक्टरी में काम करती हैं उनके लिए ये नहीं चल पाएगा इसलिए लचीला होने की ज़रुरत है. साथ ही जब समानता की बात होती है तो सरकारी नौकरियों में तो महिलाओं को बराबर वेतन मिलता है लेकिन निजी संस्थानों या असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले कम वेतन मिलता है तो समानता की बात तो वहीं झूठी साबित हो जाती है.
उनके मुताबिक़ ये बात भी बेमानी है कि इस तरह की लीव का महिलाएं फ़ायदा उठाती हैं. वे कहती हैं कि कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है लेकिन पुरुष भी ऐसे मामलों में फ़ायदा उठाते हैं. लेकिन राज्य सरकारों के स्तर पर ऐसी लीव का प्रावधान आएगा तो उसे लागू करना भी आसान हो सकता है.(bbc)
संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आज किसान संगठन देशभर में चक्का जाम करेंगे.
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट के हाथों में सौंपने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ सबसे व्यापक प्रदर्शन पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.
पंजाब में तो गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
किसान संगठनों का कहना है कि शुक्रवार को पूरे देश में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश में आज चक्का जाम करने की तैयारियां की हैं.
बीकेयू से जुड़े किसान नेता धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में आज सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक चक्का जाम किया जाएगा.
वहीं किसान संगठनों के संगठन अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति ने आज देशभर में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
इस समिति में देश के 12 किसान संगठन शामिल हैं और ये किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी है. यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में इन संगठनों की व्यापक उपस्थिति है.
समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाले बंद में भारतीय किसान यूनियन, कर्नाटक राज्य किसान एसोसिएशन, तमिलागा विवासियगल संगम जैसे बड़े किसान संगठन शामिल होंगे.
राजनीतिक दल भी होंगे शामिल
सिर्फ़ किसान संगठन ही नहीं राजनीतिक दल भी अब इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं. कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह किसानों के प्रदर्शन में शामिल होगी.
पार्टी प्रवक्ता रणदीव सुरजेवाला ने एक बयान में कहा है कि पार्टी के लाखों कार्यकता किसान संगठनों के साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधेयकों का विरोध कर रही है. पार्टी चक्का जाम में शामिल होगी.
समाजवादी पार्टी भी हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी और ज़िलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपेंगी. पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर भी विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'पार्टी सभी जनपदों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से किसान विरोधी बिलों के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपेंगी.'
सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा पंजाब
शुक्रवार को बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा में ही दिख सकता है जहां हाल के दिनों में किसानों ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं.
भारतीय किसान यूनियन की पंजाब ईकाई से जुड़े हरिंदर सिंह लखोवाल ने बीबीसी से कहा, "पंजाब में न रेल चलने दी जाएगी और ना ही बसे. सभी हाईवे पर चक्का जाम होगा. पूरे पंजाब में 200-250 जगह प्रदर्शन होंगे. जगह-जगह ट्रेन भी रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा, "जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून नहीं बनाया जाएगा, किसानों के प्रदर्शन जारी रहेंगे. आगे ये प्रदर्शन और तेज़ होंगे."
लखोवाल का कहना है कि पंजाब के गांवों में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न घुसने देने के तैयारी भी चल रही है और जल्द ही बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू होगा.
भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा में भी चक्का जाम करने की तैयारियां की है. बीकेयू का कहना है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का तर्क है संसद में पारित विधेयक मंडी व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे और किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
किसान संगठनों का ये भी कहना है कि सरकार इन विधेयकों के ज़रिए कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट जगत को सौंपना चाहती है.
सरकारों ने भी की तैयारियां
हरियाणा सरकार ने बंद के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने गृह विभाग और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है.
सरकार ने पुलिस को संयम बरतने के निर्देश भी दिए हैं. पंजाब सरकार ने भी बंद के मद्देनज़र क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं.
दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है. हालांकि किसान संगठनों ने दिल्ली कूच न करने का ऐलान किया है.(bbc)
कोलंबो, 25 सितंबर (आईएएनएस)| श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने लाइट रेलवे ट्रांजिट (एलआरटी) प्रोजेक्ट को खत्म करने का आदेश दिया है। इसका निर्माण राजधानी कोलंबो में किया जाना था। यह जानकारी स्थानीय इकॉनोमीनेक्स्ट की रिपोर्ट से मिली।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने बताया कि एलआरटी प्रोजेक्ट जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित परियोजना थी और इसके प्रभावी परिवहन समाधान नहीं होने के कारण राष्ट्रपति ने इसके तत्काल निलंबन का आदेश दिया।
इकोनॉमीनेक्स्ट ने राष्ट्रपति के सचिव पी.बी. जयसुंदर द्वारा परिवहन मंत्रालय के सचिव को लिखे पत्र के हवाले से बताया कि यह परियोजना बहुत महंगी थी और शहरी कोलंबो परिवहन बुनियादी ढांचे के लिए उचित प्रभावी परिवहन समाधान नहीं था।
इस परियोजना पर अनुमानित 150 करोड़ अमेरिकी डॉलर लागत आने की संभावना थी।
राष्ट्रपति द्वारा परियोजना कार्यालय को तत्काल बंद करने का आदेश देने की भी जानकारी देते हुए जयसुंदर ने लिखा, "शहरी विकास और आवास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय योजना विभाग के परामर्श से एक उपयुक्त परिवहन समाधान पर काम किया जा सकता है।"
श्रीलंका ने परियोजनाओं के लिए मार्च 2020 में जापान सरकार के साथ 3000 करोड़ येन (28.457 करोड़ अमेरिकी डॉलर) रियायती ऋण पर हस्ताक्षर किए। साथ ही सरकार ने उन इमारतों के बारे में भी चिंता व्यक्त की जो एलआरटी से प्रभावित हो सकती हैं।