अंतरराष्ट्रीय
दीर अल बलाह, 22 जुलाई। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इजराइल के हमले में अब तक गाजा पट्टी क्षेत्र में 39,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं और 89,800 से अधिक घायल हुए हैं।
दक्षिणी गाजा और क्षेत्र के अन्य हिस्सों में इजराइली हवाई हमलों में कई दर्जन लोगों की मौत के बीच युद्ध में हताहतों की यह नयी संख्या सामने आई है।
मंत्रालय की गणना में सैनिकों और असैन्य नागरिकों दोनों को शामिल किया गया है।
हमास द्वारा सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमला किए जाने के बाद इजराइल ने गाजा पर हमला शुरू किया था। हमास के आतंकवादियों ने हमले में लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और 250 अन्य को बंधक बना लिया था। (एपी)
नयी दिल्ली, 22 जुलाई। चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच सोमवार को संसद में पेश बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा 2023-24 में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए पड़ोसी देश (चीन) से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत की गई है।
आर्थिक समीक्षा कहती है, चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तात्कालिक आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है।
भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है। इसलिए उसे पूर्वी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं की सफलताओं तथा रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इन अर्थव्यवस्थाओं ने आमतौर पर दो मुख्य रणनीतियों का अनुसरण किया है...व्यापार लागत को कम करना और विदेशी निवेश को सुगम बनाना।
समीक्षा में कहा गया कि भारत के पास ‘चीन प्लस वन’ रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं.. या तो वह चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था।’’
इसके अलावा, ‘चीन प्लस वन’ दृष्टिकोण से लाभ प्राप्त करने के लिए एफडीआई को एक रणनीति के रूप में चुनना, व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक लाभप्रद प्रतीत होता है।
समीक्षा कहती है, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन, भारत का शीर्ष आयात भागीदार है और चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है। चूंकि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है, बजाय इसके कि वे चीन से आयात करें, न्यूनतम मूल्य जोड़ें और फिर उन्हें पुनः निर्यात करें।’’
इसमें बताया गया कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
किसी भी क्षेत्र में वर्तमान में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।
भारत में अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी प्रवाह में चीन केवल 0.37 प्रतिशत (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सेदारी के साथ 22वें स्थान पर था।
इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि इसके माध्यम से वह केंद्र से चीन से एफडीआई निवेश के संबंध में नीति की फिर से समीक्षा करने का आग्रह कर रहे हैं।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं पुनः समीक्षा की मांग कर रहा हूं...मैं कह रहा हूं कि माल आयात और पूंजी आयात करने के बीच संतुलन की आवश्यकता है। मैंने ब्राजील और तुर्की द्वारा किए गए काम का उदाहरण दिया। उन्होंने वाहनों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन फिर उन्होंने उन्हें अपने देश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया।”
उन्होंने कहा कि भारत का चीन के साथ बड़ा व्यापार घाटा है और यदि भारत आयात जारी रखेगा तो व्यापार घाटा बढ़ता रहेगा।
नागेश्वरन ने कहा, “इसका यह भी अर्थ है कि आप स्वयं को असुरक्षित बना रहे हैं...उन क्षेत्रों का चयन करें जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, तब आपके पास भारतीय उद्यमियों के लिए तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने और एक समय पर आत्मनिर्भर बनने का भी मौका होगा।”
वर्तमान में, भारत में आने वाला ज्यादातर विदेशी निवेश स्वत: मंजूर मार्ग से आता है। हालांकि, भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले एफडीआई के लिए किसी भी क्षेत्र में अनिवार्य रूप से सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है। (भाषा)
गाजा, 22 जुलाई। सोमवार को दक्षिणी गाजा पट्टी के खान यूनिस शहर में इजरायली हमलों में लगभग 14 फिलिस्तीनी मारे गए। मरने वालों में छह बच्चे और चार महिलाएं शामिल हैं। वहीं 36 अन्य लोगों के घायल होने की खबर है। गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों ने ये जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकारियों ने शहर के नासेर मेडिकल कॉम्प्लेक्स में स्थानीय लोगों से घायलों के लिए तत्काल रक्तदान करने का आह्वान किया है। यहां ब्लड यूनिट की भारी कमी है।
फिलिस्तीनी सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया, ''तत्काल निकासी आदेश जारी होने के बाद इजरायली युद्धक विमानों ने खान यूनिस के पूर्वी इलाकों पर भारी बमबारी की। पूर्वी इलाकों में शहर के पश्चिम की ओर, विशेष रूप से अल-मवासी की ओर बड़े पैमाने पर विस्थापन देखा गया।''
इजराइली रक्षा बलों ने सोमवार सुबह एक बयान में कहा कि वह आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है और इसलिए खान यूनिस के पूर्वी इलाकों में बचे हुए लोगों से अपील करता है कि वे अस्थायी रूप से अल-मवासी इलाके में चले जाएं।
अस्थायी निकासी के लिए निवासियों को एसएमएस, फोन कॉल और अरबी में मीडिया प्रसारण के माध्यम से सूचित किया गया।
रविवार को गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि गाजा पट्टी में चल रहे इजरायली हमलों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 38,983 हो गई है।
बता दें कि इजरायल-हमास युद्ध के बीच इजरायली सेना गाजा के अलावा अन्य जगहों पर भी कार्रवाई कर रही है। इस बीच इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के विभिन्न इलाकों में हवाई हमले किए हैं।
इजरायल के हवाई हमले के बीच हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा कि उसके लड़ाकों ने अल-मनारा साइट के क्षेत्र में मौजूद इजरायली सैनिकों को निशाना बनाया है।
वहीं, लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बलों के प्रवक्ता एंड्रिया टेनेंटी ने शनिवार को कहा कि लेबनान और इजरायल के बीच कूटनीतिक समाधान संभव है। उन्होंने दोनों पक्षों से युद्ध विराम का भी आह्वान किया।
टेनेंटी ने कहा कि लेबनान और इजरायल ने दुश्मनी को खत्म करने और स्थायी युद्ध विराम की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान ही एकमात्र रास्ता है। हम तनाव कम करने व शांति की दिशा में संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अपनी शक्ति के मुताबिक सब कुछ करना जारी रखेंगे। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 22 जुलाई । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की रेस से खुद के हटने का ऐलान कर दिया है। पिछले महीने रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई एक बहस में खराब प्रदर्शन के बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि बाइडेन राष्ट्रपति की होड़ से बाहर हो सकते हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ चुनाव अभियान से हट रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश व डेमोक्रेटिक पार्टी के सर्वोत्तम हित में मैं यह फैसला कर रहा हूं। 81 वर्षीय बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उनकी जगह डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार नामांकित करने का समर्थन किया।
उन्होंने कहा, "मैं कमला को हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना पूरा समर्थन देता हूं। डेमोक्रेट को अब एक साथ आकर डोनाल्ड ट्रम्प को हराने का समय आ गया है।" अगर अगस्त में होने वाले कन्वेंशन में कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से नामांकित किया जाता है, तो वह व्हाइट हाउस के लिए नामांकन हासिल करने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला और पहली भारतीय-अमेरिकी बन जाएंगी। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देशवासियों को संबोधित एक पत्र में लिखा, "पिछले साढ़े तीन वर्षों में, हमने एक राष्ट्र के रूप में बहुत प्रगति की है। आज, अमेरिका दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है। हमने अपने राष्ट्र के पुनर्निर्माण, वरिष्ठ नागरिकों के लिए दवा की लागत कम करने और रिकॉर्ड संख्या में अमेरिकियों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवा का विस्तार करने में रिकॉर्ड खर्च किया है।
हमने 30 वर्षों में पहला बंदूक सुरक्षा कानून पारित किया। "सुप्रीम कोर्ट में पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला को नियुक्त किया और दुनिया के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण जलवायु कानून पारित किया। मुझे पता है कि आप अमेरिकी लोगों के बिना यह सब संभव नहीं हो पाता। हमने साथ मिलकर सदी में एक बार आने वाली महामारी और महामंदी के बाद के सबसे बुरे आर्थिक संकट पर विजय प्राप्त की है। हमने अपने लोकतंत्र की रक्षा की है और उसे बनाए रखा और दुनिया भर में अपने गठबंधनों को पुनर्जीवित और मजबूत किया है।" बाइडेन ने कहा, "आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है।
मेरा इरादा फिर से चुनाव लड़ने का रहा है, लेकिन अब मेरा मानना है कि मेरे लिए यह मेरी पार्टी और देश के सर्वोत्तम हित में है कि मैं इस होड़ से बाहर हो जाऊं और अपने शेष कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करूं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा,"मैं उन सभी के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मुझे फिर से निर्वाचित होते देखने के लिए इतनी मेहनत की है। मैं इस काम में असाधारण भागीदार होने के लिए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को धन्यवाद देना चाहता हूं और मैं अमेरिकी लोगों का आभार जताता हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास और भरोसा जताया।" गौरतलब है कि इस साल नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा। चुनाव में जीत हासिल करने वाले को अगले साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी। अमेरिका में मुख्य रूप से रिपब्लिकन व डेमोक्रेटिक पार्टियां ही राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होती हैं। --(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 22 जुलाई । जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति पद की रेस से हटने के बाद अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने इस पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का नामांकन प्राप्त करने का अपना अभियान तेज कर दिया है। हैरिस ने पार्टी के सांसदों, नेताओं, अधिकारियों और बाहरी समर्थन समूहों से संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। हैरिस ने कुछ ही समय में कुछ महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त कर लिए हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, सीनेटर क्रिस कून और एमी क्लोबूचर और पेंसिल्वेनिया के गवर्नर जोश शापिरो, नार्थ कैरोलाइना के रॉय कूपर और कैलिफोर्निया के गेविन न्यूजॉम शामिल हैं। हैरिस को अमेरिकी कांग्रेस में अश्वेत और हिस्पैनिक कॉकस का भी समर्थन मिल गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए धन जुटाने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म एक्टब्लू ने हैरिस के राष्ट्रपति अभियान के पहले पांच घंटों में 27.5 मिलियन डॉलर जुटाने की बात कही। बाइडेन की उम्मीदवारी पर असमंजस को लेकर डोनेशन रोक दिए गए थे। अब जब बाइडेन रेस से बाहर हो गए हैं तो दूसरे उम्मीदवार के लिए रास्ता साफ हो गया है।
बाइडेन के रेस से बाहर होने के बाद हैरिस ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा, "मेरा इरादा इस नामांकन को हासिल करना और जीतना है" और केवल उपराष्ट्रपति के आधार पर इसका दावा नहीं करना है। उन्होंने एक टीम बनाने की तैयारी कर ली है। डेमोक्रेट्स 9 अगस्त को शिकागो, इलिनोइस में पार्टी सम्मेलन में आधिकारिक रूप से अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा करने वाले हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर डेमोक्रेटिक प्राइमरी के विजेता को नामांकित करने की औपचारिकता होती है। बाइडेन ने पार्टी प्राइमरी में भाग लेने वाले 14 मिलियन डेमोक्रेट्स का समर्थन हासिल करते हुए करीब 3,000 प्रतिनिधियों को जीता था।
अगर हैरिस को चुनौती देने वाले सामने आते हैं तो दौड़ खुल जाएगी, ऐसी स्थिति में उम्मीदवार का निर्धारण दावेदारों के बीच एक मुकाबले के बाद होगा। अब तक सीनेटर जो मैनचिन ने स्वतंत्र उम्मीदवार बनने का फैसला किया है। डेमोक्रेट्स के पास पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रोकने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, यही कारण है कि पार्टी ने राष्ट्रपति बाइडेन पर प्राइमरी जीतने के बाद भी दौड़ से हटने के लिए दबाव डाला। हैरिस के पास नामांकन हासिल करने के लिए दो सप्ताह हैं। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को घोषणा की कि वह राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ से हटने का एलान करते हुए कहा कि ‘‘यह मेरी पार्टी और देश के सर्वोत्तम हित में है।'' बाइडेन 81 साल के हो गए हैं। उनका यह निर्णय अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले मतदान से चार महीने पहले आया है। उन्होंने अपनी जगह भारतीय मूल की कमला हैरिस को समर्थन दिया है।
कमला हैरिस वर्तमान में अमेरिका की पहली भारतवंशी अश्वेत उपराष्ट्रपति हैं। उन्हें फीमेल ओबामा भी कहा जाता है। हैरिस 59 साल की हैं। वह सैन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अश्वेत अमेरिकी हैं। राष्ट्रपति चुनाव 2020 के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था। 20 अक्टूबर 1964 को जन्मी कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया। -(आईएएनएस)
टोक्यो, 22 जुलाई । जापान की राजधानी टोक्यो के उत्तर-पूर्व में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। जापानी मौसम विभाग ने बताया कि स्थानीय समयानुसार सुबह 10:07 बजे भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 4.8 दर्ज की गई। हालांकि, भूकंप के कारण जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लेकिन, झटकों के बाद लोग सहम गए और घरों से निकल कर सड़क पर आ गए।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, "भूकंप की गहराई का केंद्र 90 किलोमीटर था। जो उत्तरी इबाराकी प्रांत के 36.8 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 140.8 डिग्री पूर्वी देशांतर के करीब आया।" भूकंप के झटके मध्य टोक्यो तक महसूस किए गए, लेकिन मौसम विभाग की ओर से सुनामी की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई। बता दें कि जून 2024 में भी जापान में भूकंप के झटके लगे थे। जापान के फुकुशिमा में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.9 मापी गई। -(आईएएनएस)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 22 जुलाई। रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अचानक पीछे हटने के लिए निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन पर निशाना साधा और दावा किया कि ‘‘बाइडन के चिकित्सक समेत उनके इर्द-गिर्द मौजूद सभी लोग जानते थे कि वह राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने या राष्ट्रपति बनने के योग्य नहीं हैं।’’
ट्रंप ने यह टिप्पणी तब की है, जब बाइडन (81) ने रविवार को यह घोषणा कर सभी को हैरत में डाल दिया कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ से पीछे हट रहे हैं और उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए भारतीय-अफ्रीकी मूल की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाम का अनुमोदन किया।
ट्रंप ने बाइडन के कोविड-19 से संक्रमित होने को लेकर संदेह भी जताया।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया मंच ‘‘ट्रुथ सोशल’’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘तो अब हम कुटिल जो बाइडन से लड़ने के लिए समय और पैसा खर्च करने के लिए मजबूर हैं, बहस में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद वह चुनाव मैदान से पीछे हट गए। अब हमें सब कुछ फिर से शुरू करना होगा।’’
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘क्या रिपब्लिकन पार्टी को धोखाधड़ी के लिए मुआवजा नहीं देना चाहिए कि जो बाइडन के चिकित्सक समेत उनके इर्द-गिर्द मौजूद हर व्यक्ति और फर्जी मीडिया यह जानती थी कि वह राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने या राष्ट्रपति बनने के समक्ष नहीं है? केवल पूछ रहा हूं।’’
ट्रंप ने कहा कि बाइडन के साथ उनकी बहस का प्रसारण ‘एबीसी न्यूज’ पर सितंबर में होना था। उन्होंने बाइडन को अमेरिका के इतिहास में ‘‘सबसे खराब’’ राष्ट्रपति बताया।
ट्रंप ने कहा, ‘‘अब बाइडन इस दौड़ से बाहर निकल गए हैं, मुझे लगता है कि बहस का प्रसारण पक्षपातपूर्ण एबीसी के बजाय ‘फॉक्स न्यूज’ पर होना चाहिए था।’’
एक अन्य पोस्ट में ट्रंप (78) ने कहा, ‘‘क्या किसी को वाकई लगता है कि कुटिल जो बाइडन को कोविड था? नहीं, वह 27 जून को बहस वाली रात के बाद से ही पीछे हटना चाहते थे, जब उन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह जो बाइडन के अंत की दिशा में एक बड़ा क्षण था। जो बाइडन राष्ट्रपति बनने के योग्य नहीं हैं। वह हमारे देश को बर्बाद कर रहे हैं।’’
बाइडन 17 जुलाई को कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद उन्हें ऐसे अहम वक्त पर प्रचार अभियान रोकना पड़ा था, जब उन पर उनके स्वास्थ्य को लेकर जारी अटकलों के बीच राष्ट्रपति पद की दावेदारी छोड़ने का दबाव बढ़ रहा था।
बाइडन संक्रमण की पुष्टि के बाद डेलवेयर में अपने आवास पर पृथकवास में रह रहे थे। वह वहीं से राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। (भाषा)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 22 जुलाई। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति पद के चुनाव में जो बाइडन द्वारा डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी के लिए उनके नाम की सिफारिश किए जाने से सम्मानित महसूस कर रही हैं।
कमला ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति “डोनाल्ड ट्रंप और उनके ‘प्रोजेक्ट 2025 एजेंडे’ को हराने” के लिए देश को एकजुट करना उनका लक्ष्य है।
उपराष्ट्रपति की यह टिप्पणी राष्ट्रपति बाइडन (81) के रविवार को राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने की अचानक घोषणा करने और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी के लिए भारतीय-अफ्रीकी मूल की कमला (59) के नाम की सिफारिश करने के बाद आई।
बाइडन के जून में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहस में खराब प्रदर्शन के बाद से ही डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता उन पर राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने का दबाव बना रहे थे।
कमला ने कहा, “मैं राष्ट्रपति का समर्थन पाकर सम्मानित महसूस कर रही हूं। मेरा मकसद अब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में जीत हासिल करना है।” कमला जनवरी 2021 से उपराष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दे रही हैं। वह अमेरिका की पहली ऐसी महिला, पहली ऐसी अश्वेत और पहली ऐसी दक्षिण एशियाई मूल की नागरिक हैं जो इस पद पर आसीन हुई हैं।
बाइडन की सिफारिश से डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में कमला की दावेदारी को काफी बल मिला है, लेकिन उनके लिए शिकागो में अगले महीने प्रस्तावित ‘डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन’ के दौरान पार्टी प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करना जरूरी है।
कमला ने कहा, “मैं राष्ट्रपति के रूप में बाइडन के असाधारण नेतृत्व और हमारे देश की कई दशकों तक सेवा करने के लिए अमेरिका के लोगों की तरफ से उनका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं।”
उन्होंने कहा कि पिछले साल उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और अमेरिकियों से इस महत्वपूर्ण चुनाव में उनके पसंदीदा उम्मीदवार और उससे उनकी अपेक्षाओं के बारे में जाना।
कमला ने कहा, “और आने वाले दिनों और हफ्तों में भी मैं यहीं करती रहूंगी। मैं डेमोक्रेटिक पार्टी और हमारे देश को एकजुट करने के लिए, डोनाल्ड ट्रंप और उनके विवादित ‘प्रोजेक्ट 2025 एजेंडे’ को हराने के लिए वह सब कुछ करूंगी, जो मेरे बस में है... अभी चुनाव में 107 दिन बचे हैं। हम साथ मिलकर लड़ेंगे। हम साथ मिलकर जीतेंगे।”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी के लिए कमला के नाम की पैरवी की। क्लिंटन दंपति ने एक संयुक्त बयान में कहा, “हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन हमें हमारे देश के लिए ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से उत्पन्न खतरे से ज्यादा किसी और चीज को लेकर चिंता नहीं हुई।”
बयान में कहा गया है, “उन्होंने (ट्रंप) पहले ही दिन से तानाशाह बनने का वादा किया है और ‘सुप्रीम कोर्ट’ के हालिया फैसले से उन्हें संविधान को और अधिक खंडित करने का साहस मिलेगा। अब समय आ गया है कि हम कमला हैरिस को समर्थन दें और उन्हें राष्ट्रपति बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करें।” (भाषा)
नेपाल की संसद में विश्वास मत जीतने के बाद सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष खड्ग प्रसाद (केपी) शर्मा ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं.
275 सदस्यों की नेपाल की प्रतिनिधि सभा में 188 वोट उनके समर्थन में पड़े, जबकि 74 मत उनके ख़िलाफ़ पड़े थे.
रविवार को विश्वास मत पर वोटिंग के वक्त प्रतिनिधि सभा में केवल 263 सदस्य उपस्थित थे.
पिछली सरकार के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद 30 जून को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी ओली को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था.
इसके बाद उन्हें 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना था.
विश्वास मत हासिल करने से पहले उन्होंने कहा कि कांग्रेस और यूएमएल के बीच सात सूत्री समझौता हुआ है.
इसके तहत सरकार के गठन की तारीख से दो साल के लिए यूएमएल के अध्यक्ष केपी ओली प्रधानमंत्री होंगे, जिसके बाद आम चुनाव होने तक नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री होंगे. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव ना लड़ने का निर्णय लिया है. उन्होंने अपनी सहयोगी और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए समर्थन दिया है.
बाइडन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक बयान के ज़रिए ये जानकारी दी है.
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ़ से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैदान में हैं.
अमेरिका में चार महीने बाद ही राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है.
जून के अंत में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति बाइडन के बीच बहस हुई थी जिसमें बाइडन का प्रदर्शन 'निराशाजनक' रहा था, इसके बाद से ही डेमोक्रेट नेता बाइडन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बना रहे थे.
जो बाइडन की तरफ़ से कहा गया है कि उनका ये निर्णय राष्ट्र और उनकी पार्टी के हित में है.
बयान में कहा गया है, “राष्ट्रपति के रूप में सेवा देना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है. हालांकि, मेरा इरादा दोबारा चुनाव लड़ने का था, लेकिन मेरा ये मानना है कि मेरी पार्टी और देश के हित में यही है कि मैं उम्मीदवारी वापस ले लूं और पूरी तरह अपना ध्यान अपने बाकी कार्यकाल में राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी पूरी करने में लगाऊं.”
बाइडन ने एक पोस्ट में उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए समर्थन की घोषणा भी की है.
बाइडन ने कहा कि 2020 में पार्टी की तरफ़ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद मेरा पहला निर्णय कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति चुनना था और यही सबसे बेहतर था.
बाइडन की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि वो इसी सप्ताह अपने निर्णय के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए राष्ट्र को संबोधित करेंगे. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर से राष्ट्रपति पद का चुनाव ना लड़ने का निर्णय लिया है.
बाइडन ने यह फ़ैसला तब किया, जब उनके ऊपर डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर से राष्ट्रपति की रेस से बाहर होने का दबाव लगातार बढ़ रहा था.
बाइडन ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन देने की घोषणा की है.
जो बाइडन के फिर से चुनाव न लड़ने के फ़ैसले को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि बाइडन अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं.
ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद से बाइडन ने ख़ुद को साबित किया है. जब ओबामा राष्ट्रपति थे तो बाइडन उपराष्ट्रपति थे.
ओबामा ने कहा, ''कोविड महामारी को ख़त्म करने में बाइडन की अहम भूमिका रही. लाखों नौकरियां पैदा कीं, दवाओं की क़ीमत कम कीं, 30 सालों में गन सुरक्षा को लेकर अहम फ़ैसले किए.''
हालांकि बराक ओबामा ने बाइडन की तरह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी को लेकर कुछ नहीं कहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि ओबामा कमला हैरिस को लेकर अभी किसी फ़ैसले पर नहीं पहुँच पाए हैं.
ओबामा ने कहा कि बाइडन ने जलवायु परिवर्तन को लेकर इतिहास में सबसे बड़ा निवेश किया है. कामाकाज़ी लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने को लेकर लड़ाई लड़ी है.
ओबामा ने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की स्थिति को फिर से मज़बूत किया. नेटो को दोबारा जीवित किया है और यूक्रेन पर हुए हमले के बाद दूनिया को रूस के ख़िलाफ़ संगठित किया है. मैं और मिशेल जो बाइडन और जिल के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करना चाहते हैं.'' (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 21 जुलाई। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद अपने पति की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया है तथा खाने के लिए दूषित भोजन दिया जाता है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जेल में संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत में बुशरा ने अपनी जान के लिए भी खतरा बताया।
बुशरा के अनुसार, उन पिछली घटनाओं के मद्देनजर खान का जीवन खतरे में है जिनमें उन्हें कथित तौर पर जहर दिया गया और गोली मारी गई।
उन्होंने कहा कि इसकी जांच करने के उनके कानूनी अनुरोध का अदालत ने अभी तक समाधान नहीं किया है।
जेल की स्थितियों के बारे में 49 वर्षीय बुशरा ने कहा कि 71 वर्षीय खान को गंदे हालात में रखा गया है और खाने के लिए दूषित भोजन दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अटक जेल में मुलाकात के दौरान खान कमजोर दिखाई दे रहे थे और उन्हें रात भर अपने बालों से कीड़े निकालने पड़े।
बुशरा ने दोषी अपराधियों की तुलना में राजनीतिक कैदियों के साथ बुरे व्यवहार की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि अन्य कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है जबकि खान को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में संघर्ष करना पड़ता है।
पिछले साल अगस्त में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद से खान रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में बंद हैं और उन पर 200 से अधिक मामले दर्ज हैं। इन मामलों में से कुछ में उन्हें दोषी ठहराया गया है। (भाषा)
तेल अवीव, 21 जुलाई । इजरायल ने शनिवार को यमन में हौथी विद्रोहियों के तेल ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस हमले में हौथी को भारी नुकसान पहुंचा है। इजरायली सेना की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने दुश्मनों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि हमें नुकसान पहुंचाया तो उसकी कीमत चुकानी होगी। बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा, "मैंने युद्ध की शुरुआत से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि इजरायल पर हमला करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यही कारण है कि आज सुबह मैंने इजरायली कैबिनेट से कहा कि यमन में हौथी ठिकानों पर हमला करने के फैसले का वह समर्थन करे। जिस बंदरगाह को निशाना बनाया गया, उसका इस्तेमाल ईरान द्वारा हौथी आंतकियों को दिए जाने वाले हथियारों के लिए होता है। हौथी विद्रोहियों ने इन हथियारों का इस्तेमाल इजरायल, अरब और अन्य क्षेत्रों पर हमला करने के लिए किया है।" उन्होंने बताया कि एक दिन पहले हौथी ने तेल अवीव में ड्रोन से हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके जवाब में ही इजरायली सेना ने हौथी विद्रोहियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। उन्होंने कहा, "हौथी विद्रोहियों ने पिछले आठ महीनों में इजरायल के खिलाफ सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन लॉन्च किए हैं। इन हमलों का एकमात्र कारण यह है कि इजरायल और उसके सहयोगियों ने रक्षात्मक उपाय किए हैं, जिसके चलते विद्रोहियों के ठिकानों को नष्ट किया गया।" पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों का आभार जताया।
उन्होंने कहा, "मैं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अंतरराष्ट्रीय समुद्री गठबंधन के अन्य सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिसे हौथी विद्रोहियों के हमलों को रोकने के लिए बनाया गया है। लेकिन, कल सुबह इजरायल पर हुए ड्रोन हमले से पता चलता है कि हौथी विद्रोहियों को रोकने के लिए रक्षात्मक कार्रवाई से अधिक कदम उठाने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ईरान द्वारा समर्थित आतंकवाद इसकी कीमत चुकाए।"
उन्होंने कहा कि आज के समय में इजरायल पर ईरान और उसके सहयोगियों द्वारा सात मोर्चों पर हमला किया जा रहा है। इसलिए, जो लोग मध्य-पूर्व को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाना चाहते हैं। उन्हें यमन, गाजा, लेबनान और अन्य जगहों पर मौजूद आतंकी संगठनों के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। इजरायल के दुश्मनों के लिए मेरा एक सरल संदेश है। हर मोर्चे पर खुद की रक्षा करने के इजरायल के दृढ़ संकल्प पर संदेह नहीं करें। जो लोग हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। -(आईएएनएस)
बेरूत, 21 जुलाई । इजरायल-हमास युद्ध के बीच इजरायली सेना गाजा के अलावा अन्य जगहों पर भी कार्रवाई कर रही है। इसी बीच इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के विभिन्न इलाकों में हवाई हमले किए हैं। इसमें चार विस्थापित सीरियाई बच्चों सहित सात लोग घायल हो गए हैं। शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने शनिवार को बताया कि इजरायली ड्रोन और फाइटर विमानों ने हौला के दक्षिण-पूर्वी गांव में एक घर पर हवाई हमला किया, जिसमें तीन नागरिक घायल हो गए। इसके अलावा कई घर भी तबाह हो गए। इसके साथ ही एक अन्य इजरायली ड्रोन ने दक्षिण-पूर्वी शहर मरजायून के बुर्ज अल-मुलुक क्षेत्र में भी हमला किया।
इसकी चपेट में आने से वहां मौजूद चार सीरियाई बच्चे घायल हो गए। इजरायल के हवाई हमले के बीच हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा कि उसके लड़ाकों ने अल-मनारा साइट के क्षेत्र में मौजूद इजरायली सैनिकों को निशाना बनाया है। वहीं, लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बलों के प्रवक्ता एंड्रिया टेनेंटी ने शनिवार को कहा कि लेबनान और इजराइल के बीच कूटनीतिक समाधान संभव है। उन्होंने दोनों पक्षों से युद्ध विराम का भी आह्वान किया। टेनेंटी ने कहा कि लेबनान और इजराइल के दलों ने दुश्मनी को खत्म करने और स्थायी युद्ध विराम की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के महत्व पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान ही एकमात्र रास्ता है। हम तनाव कम करने व शांति की दिशा में संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अपनी शक्ति के मुताबिक सब कुछ करना जारी रखेंगे। बता दें कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल की ओर रॉकेट दागे गए, जिसके बाद से ही लेबनान-इजरायल सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। हालांकि, हिजबुल्लाह के हमलों का इजरायल की ओर से भी जवाब दिया गया और इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर जमकर हमले किए। इस बीच हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह ने चेतावनी दी है कि युद्ध छिड़ने की स्थिति में इजरायल की कोई भी जगह उनकी मिसाइलों से सुरक्षित नहीं रहेगी। --(आईएएनएस)
बांग्लादेश में लगातार हो रही हिंसा के बीच पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है. अब तक 900 से ज्यादा भारतीय छात्र सुरक्षित लौट चुके हैं. भारतीय सीमा से होते हुए नेपाल और भूटान के भी कई छात्र बांग्लादेश से वापस आ रहे हैं.
डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट-
बांग्लादेश में बीते एक हफ्ते से जारी हिंसा के बीच अब पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है. अब तक पुलिस हिंसा को रोकने में प्रभावी नहीं रही है, ऐसे में उग्र स्थितियों को काबू करने के लिए सेना को पट्रोलिंग पर लगाया गया है. गृहमंत्री असदुज्जमां खान ने एलान किया कि राजधानी ढाका समेत बाकी सभी जिलों में भी सेना को तैनात किया जाएगा.
सशस्त्र बलों के एक प्रवक्ता शहादत हुसैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कानून व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण के लिए देशभर में सेना को तैनात किया गया है." हिंसक स्थितियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रस्तावित विदेश यात्रा भी स्थगित कर दी है. प्रेस सचिव नईमुल इस्लाम खान ने बताया, "प्रधानमंत्री ने मौजूदा हालात के कारण स्पेन और ब्राजील की यात्रा रद्द कर दी है."
16 जुलाई से ही ज्यादा उग्र होते गए हालात
19 जुलाई को ढाका में रैलियों और जनसभाओं पर घोषित पाबंदी के बावजूद बड़े स्तर पर हिंसा हुई. इस दिन कितने लोग मारे गए, इसपर अलग-अलग संख्याएं बताई जा रही हैं. सोमोय टीवी ने मृतकों की संख्या 43 बताई. बीबीसी बांग्ला ने बांग्लादेश के अखबार प्रोथोम आलो और डेली स्टार के हवाले से बताया कि बीते दिन कम-से-कम 56 लोग मारे गए.
एएफपी ने पुलिस महकमे और अस्पतालों के हवाले से बताया कि इस हफ्ते अब तक कम-से-कम 115 लोग मारे जा चुके हैं. समाचार एजेंसी एपी ने स्थानीय अखबारों के मार्फत इस हफ्ते मारे गए लोगों की संख्या 103 बताई है. एपी के ग्राउंड पर मौजूद एक संवाददाता ने 19 जुलाई को ढाका मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 23 शव देखे. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये सभी इसी दिन मारे गए.
अस्पतालों में गोली लगने से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है. पुलिस विभाग के एक प्रवक्ता फारुख हुसैन ने एएएफपी को बताया, "19 जुलाई को राजधानी में हजारों की संख्या में लोगों ने पुलिस से संघर्ष किया. कम-से-कम 150 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराना गया है. प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस बूथों में आग लगा दी. कई सरकारी इमारतें लूटी गईं और फूंक दी गईं." प्रदर्शन आयोजित कर रहे छात्रों के मुख्य समूह 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के एक प्रवक्ता ने बताया कि उनके नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया है.
मौतों का यह सिलसिला 16 जुलाई से शुरू हुआ और उसके बाद से अब तक क्रमवार सभी दिन "अब तक के सबसे हिंसक दिन" रहे हैं. इंटरनेट, टेलिफोन और मोबाइल एसएमएस सेवाओं पर लगी अस्थायी रोक के कारण बांग्लादेशी अखबारों के ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध नहीं हैं और जानकारियां बाहर नहीं आ रही हैं. सरकार ने भी अभी तक मृतकों का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है.
अब तक 900 से ज्यादा भारतीय छात्र लौट चुके हैं
विदेश मंत्रालय ने 20 जुलाई को एक बयान जारी कर बताया कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग और चटगांव, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग बांग्लादेश में रह रहे भारत के नागरिकों को सुरक्षित वापस आने में मदद कर रहे हैं. अब तक 778 भारतीय छात्र जमीन के रास्ते और 200 छात्र ढाका और चटगांव से विमान लेकर भारत आ चुके हैं. नेपाल और भूटान से आ रहे छात्रों को सीमा पार कर भारत आने में सहयोग दिया जा रहा है.
दक्षिण एशिया के अपने पड़ोसी देश में जारी घटनाक्रम को देखते हुए ढाका स्थित भारतीय दूतावास ने 18 जुलाई को वहां रह रहे अपने नागरिकों के लिए सलाह जारी की थी. इसमें कहा गया, "बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर यहां रह रहे भारतीय समुदाय के सदस्य और भारतीय छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे बाहर आने-जाने से बचें और अपने आवासीय परिसर से बाहर कम-से-कम निकलें. किसी आपातकालीन स्थिति या मदद की जरूरत पड़ने पर कृपया हाई कमीशन और हमारे सहायक उच्च आयोग से इन चौबीसों घंटे खुले इमरजेंसी नंबरों पर संपर्क करें."
बीते दिन भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों से एहतियात बरतने की अपील की. अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में बांग्लादेश की स्थितियों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में करीब 15,000 भारतीय रह रहे हैं. इनमें 8,500 छात्र हैं. इन भारतीय छात्रों की एक बड़ी संख्या वहां मेडिकल और मेडिसिन की पढ़ाई करती है.
रणधीर जायसवाल ने बताया, "विदेश मंत्री खुद हालात पर नजर रख रहे हैं. भारतीय उच्चायोग लगातार आपको अपडेट्स देता रहेगा. बांग्लादेश में भारत के जो लोग रह रहे हैं, उनके परिवार से हमारा आग्रह है कि वे हमसे संपर्क में रहें, हमारी अपडेट्स पर नजर रखें. हम अपने सभी नागरिकों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
मेघालय के रास्ते लौट रहे हैं भारत, नेपाल, भूटान के नागरिक
बांग्लादेश और भारत के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा जुड़ी है. इसमें से करीब 443 किलोमीटर लंबी सीमा मेघालय से सटी है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग मेघालय से जुड़ी सीमा पार कर लौट रहे हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि 19 जुलाई को मेघालय के डावकी चेक पोस्ट से होकर करीब 363 लोग बांग्लादेश से भारत आए. इनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक हैं.
प्रदेश के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने 20 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया, "अपने छात्रों को सुरक्षित लाने के लिए हमारी सरकार भारतीय दूतावास और बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेजों के साथ लगातार संपर्क में है. अगरतला में बसों को तैयार रखा गया है. हमारे छात्रों को सुरक्षित घर लाने के लिए बाकी इंतजाम भी किए गए हैं."
इससे पहले 18 जुलाई को भी उन्होंने एक्स पर लिखा, "अब तक भारत के 161 छात्रों को, जिनमें 63 मेघालय से हैं, सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. मेघालय सरकार ने एक खास टीम बनाई है, जो बांग्लादेश से लौटने में छात्रों की मदद करेगी. बांग्लादेश में जारी संघर्ष के बीच नेपाल के 95 और भूटान के सात छात्रों को भी सुरक्षित मेघालय लाया गया है."
भारत लौट रहे छात्रों ने सुनाई आपबीती
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 19 जुलाई को बांग्लादेश से निकाले गए कुछ भारतीय छात्रों से बात कर उनके अनुभव बताए. इनमें से एक आसिफ हुसैन, असम के धुबरी के रहने वाले हैं और बांग्लादेश के माणिकगंज जिले के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं. यह जगह राजधानी ढाका से करीब 30 किलोमीटर दूर है. हुसैन बताते हैं,"हमारे कॉलेज में हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन हमने सुना कि 15 मिनट की दूरी पर जो शहर है, वहां दिक्कत है."
हुसैन ने बताया कि जब ढाका में छात्रों के मारे जाने की खबरें आने लगीं, तो उनके कॉलेज के करीब 80 भारतीय छात्रों ने टैक्सियां लीं और 170 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल से लगी सीमा पर पहुंचे. सब लोग काफी डरे हुए थे, हालात काफी खौफनाक थे और ये लोग भारत में अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पा रहे थे. हालांकि, छात्रों के आग्रह पर भारतीय उच्चायोग ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई और सुरक्षित निकलने में मदद की. छात्रों का यह जत्था तड़के करीब ढाई बजे रवाना हुआ और छह घंटे बाद बॉर्डर पर पहुंचा. आसिफ बताते हैं, "यह बहुत डरावना था. अब भी मेरी ढाका में रह रहे अपने कई दोस्तों से बात नहीं हो पाई है." (dw.com)
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिशिगन की एक रैली में अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले का हवाला देकर कहा कि उन्होंने ‘लोकतंत्र की ख़ातिर गोली खाई’ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में प्रचार अभियान चला रहे ट्रंप अपने ऊपर हमले के बाद पहली बार किसी चुनावी रैली में बोल रहे थे. उनके साथ उप राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जेडी वेन्स भी थे.
शुक्रवार को उन्होंने खचाखच भरी रैली स्थल ग्रांड रैपिड्स में मौजूद लोगों से कहा कि डेमोक्रेट्स उन्हें लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताते रहे हैं.
फिर इसके बाद उन्होंने लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि वो ‘व्हाइट हाउस को वापस लेने’ को तैयार हैं.
डोनाल्ड ट्रंप
इमेज कैप्शन,मिशिगन की रैली में आए लोगों ने कहा कि वे पेंसिल्वेनिया में चली गोलियों से डरे नहीं हैं
पिछले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले की जांच चल रही है. हमले में चली गोली ट्रंप के कान को छूकर निकल गई थी.
पिछले शनिवार को ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मलेन में कान पर पट्टी लगा कर पहुंचे थे. लेकिन मिशिगन की रैली में उनके कान पर लगी पट्टी नहीं दिखी.
मिशिगन की रैली में आए लोगों ने कहा कि वे पेंसिल्वेनिया में चली गोलियों से डरे नहीं हैं. ट्रंप का उनका समर्थन जारी रहेगा. (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 21 जुलाई। अमेरिका में नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप 13 जुलाई को पेनसिल्वेनिया में हत्या के प्रयास के दौरान उन्हें लगी गोली के जख्म से उम्मीद के मुताबिक उबर रहे हैं। ट्रंप के एक पूर्व चिकित्सक ने एक ज्ञापन में यह जानकारी दी।
पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप (78) पर एक बंदूकधारी ने कई गोलियां चलाई थीं। इस हमले में एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूकर निकल गई थी, जबकि रैली में शामिल एक व्यक्ति मारा गया था और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
खुफिया सेवा के एक सदस्य ने संदिग्ध हमलावर को घटनास्थल पर ही मार गिराया था।
शनिवार को साथी अमेरिकियों को जारी एक ज्ञापन में डॉ. रॉनी एल जैक्सन ने कहा कि ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के बाद पूरी दुनिया की तरह वह भी उनकी सेहत को लेकर बहुत चिंतित था।
डॉ. जैक्सन ने कहा, ‘‘लिहाजा मैं उस दिन देर शाम बेडमिंस्टर, न्यू जर्सी में उनसे व्यक्तिगत रूप से मिला और हर संभव मदद देने की पेशकश की। मैं उस समय से ही राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हूं और रोजाना उनके जख्म को देख रहा और उसका इलाज कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, "वह ठीक हो रहे हैं। जैसा कि पूरी दुनिया ने देखा कि हमलावर द्वारा राइफल से चलाई गई एक गोली ट्रंप के दाहिने कान में लगी थी।"
डॉ. जैक्सन ने बताया कि गोली महज एक-चौथाई इंच की दूरी से ट्रंप के सिर में लगने से बच गई और उनके दाहिने कान को छूते हुए गुजरी, जिससे कान की ‘कार्टिलेजिनस’ सतह तक दो सेंटीमीटर गहरा जख्म घाव हो गया।
उन्होंने बताया कि गोली के जख्म से शुरुआत में ट्रंप का काफी खून बहा और फिर उनके कान के ऊपरी हिस्से में सूजन आ गई।
डॉ. जैक्सन ने कहा कि पेनसिल्वेनिया के बटलर मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सा स्टाफ ने ट्रंप का प्रारंभिक इलाज किया, "जिन्होंने बेहतर तरीके से उनकी स्थिति आंकी और जख्म का बहुत अच्छे से इलाज किया।" (भाषा)
नोम पेन्ह, 20 जुलाई । कंबोडिया में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए 14 भारतीय नागरिकों को बचाया गया है। यह जानकारी शनिवार को नोम पेन्ह में भारतीय दूतावास ने दी।
दूतावास ने बताया कि कंबोडियाई अधिकारियों के सहयोग से अब तक धोखाधड़ी के शिकार हुए 650 से अधिक भारतीय नागरिकों को बचाया गया है और वापस भारत भेजने में मदद की है।
दूतावास ने धोखाधड़ी का शिकार हुए भारतीय नागरिकों के बारे में कंबोडियाई पुलिस को जानकारी दी थी। इसके बाद पुलिस के सहयोग से 14 और भारतीय नागरिकों को बचाया गया।
बचाए गए लोगों की देखभाल की कंबोडिया के सामाजिक मामलों और युवा पुनर्वास मंत्रालय के समन्वय में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन द्वारा जा रही है।
भारतीय दूतावास ने कहा कि वह कंबोडियाई अधिकारियों के संपर्क में है और 14 बचाए गए भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और समय पर भारत वापस भेजने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने का अनुरोध कर रहा है।
दूतावास ने कहा कि वह स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और कंबोडिया में भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
दूतावास ने एक बयान में कहा है, "भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे देश में किसी भी नौकरी की पेशकश पर अत्यधिक सावधानी बरतें और संदिग्ध गतिविधि की सूचना नोम पेन्ह स्थित दूतावास को दें।" (आईएएनएस)
अगरतला/कोलकाता, 20 जुलाई। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच लगभग 100 छात्र त्रिपुरा में दो एकीकृत जांच चौकियों के जरिए सुरक्षित भारत लौट आए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने यह जानकारी दी।
बीएसएफ, त्रिपुरा फ्रंटियर ने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश से और अधिक छात्रों के स्वदेश लौटने की उम्मीद है।
इसमे कहा गया, ‘‘बांग्लादेश में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के कारण वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय और विदेशी छात्र भारत लौट रहे हैं। आज शाम चार बजे तक नेपाली छात्रों सहित करीब 100 विद्यार्थी वैध दस्तावेजों के साथ वापस आ गए हैं।''
बांग्लादेश में विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली को लेकर घातक झड़पें जारी हैं।
बयान में कहा गया कि बीएसएफ सीमा पार स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और जवान हाई अलर्ट पर हैं।
बीएसएफ, त्रिपुरा फ्रंटियर के महानिरीक्षक पटेल पीयूष पुरुषोत्तम दास ने छात्रों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से सहयोग के लिए बात की।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में पढ़ रहे मेघालय, असम, मिजोरम और नेपाल के करीब 240 छात्र श्रीमंतपुर और अखौरा के जरिए भारत लौट सकते हैं। संबंधित जिलाधिकारियों को बीएसएफ के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया है।’’
पुलिस ने बताया कि पश्चिम बंगाल में पांच नेपाली छात्रों ने शनिवार को सिलीगुड़ी के निकट फुलबाड़ी सीमा चौकी पार की, जबकि कूचबिहार जिले में मेखलीगंज सीमा के जरिए छह भारतीय छात्र भारत लौट आए।
बांग्लादेश के रंगपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे नेपाली छात्र राहुल राय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बांग्लादेश में स्थिति खराब है। हर जगह सुरक्षाबलों के साथ झड़पें हो रही हैं। हम असुरक्षित महसूस कर रहे थे, इसलिए हमने लौटने का फैसला किया।’’ (भाषा)
दीर अल-बलाह, 20 जुलाई। इजराइल की ओर से मध्य गाजा के शरणार्थी शिविरों पर शनिवार रात किये गये तीन हवाई हमलों में कम से कम 13 लोग मारे गए, लेकिन हमले में जान गंवाने वाली एक फलस्तीनी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का चिकित्सकों के प्रयास से सकुशल जन्म हो सका।
फलस्तीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने हमले में 13 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इस बीच काहिरा में इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम वार्ता में प्रगति होती दिख रही है।
शवों को पास के अल-अक्सा शहीद अस्पताल में ले जाने वाली फलस्तीन की एम्बुलेंस टीम के अनुसार, नुसीरात शरणार्थी शिविर और ब्यूरिज शरणार्थी शिविर के मृतकों में तीन बच्चे और एक महिला शामिल थी। ‘एपी’ के पत्रकारों ने अस्पताल में 13 लाशों की गिनती की।
युद्ध से तबाह गाजा में हताहतों की अद्यतन संख्या के बाद आशा का एक दुर्लभ क्षण तब आया, जब बृहस्पतिवार देर शाम नुसीरात में हवाई हमले की चपेट में आए एक घर में रहने वाली गर्भवती फलस्तीनी महिला के दम तोड़ने के बाद उसके गर्भ से चिकित्सा दल ने एक जीवित बच्चे को बरामद किया।
हमले के दौरान विस्फोट में गर्भवती महिला ओला-अल-कुर्द (25) ने छह अन्य लोगों के साथ दम तोड़ दिया। इसके बाद बच्चे को बचाने की मंशा से उसे आकस्मिक सेवा के कर्मियों की ओर से उत्तरी गाजा में स्थित अल-आवदा अस्पताल ले जाया गया। कई घंटे बाद चिकित्सकों ने ‘एपी’ को बताया कि शिशु बालक का सकुशल जन्म हुआ।
डॉ. खलील दजरान ने कहा कि अज्ञात नवजात शिशु की हालत स्थिर है, लेकिन वह ऑक्सीजन की कमी से पीड़ित है जिसके कारण उसे ‘इनक्यूबेटर’ में रखा गया है। इस हमले में बच्चे के पिता भी घायल हो गए, लेकिन वह बच गए हैं।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दक्षिणी इजराइल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में 38,900 से अधिक लोग मारे गए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी गिनती में लड़ाकों और नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता है। (एपी)
बीजिंग, 20 जुलाई चीन के शांक्शी प्रांत में अचानक आई बाढ़ के कारण राजमार्ग पर बना पुल आंशिक रूप से ढह गया और कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर में प्रांतीय प्रचार विभाग के हवाले से बताया गया है कि शेंगलू शहर की झाशुई काउंटी में स्थित पुल शुक्रवार शाम अचानक बारिश और बाढ़ आने के बाद ढह गया।
खबर में कहा गया है कि शनिवार सुबह तक 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
खबर के अनुसार, बचाव दलों ने नदी में गिरे पांच वाहन बरामद कर लिए हैं और बचाव कार्य जारी है।
खबर में कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पुल गिरने के बाद लोगों की जान और संपत्ति को बचाने के लिए हर संभव बचाव व राहत प्रयास करने का निर्देश दिया है। (भाषा)
वाशिंगटन, 20 जुलाई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर हुई बातचीत में उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में सहयोग देने का भरोसा दिलाया।
जेलेंस्की ने ट्रंप को अमेरिका में नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लकिन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की बधाई देने के वास्ते शुक्रवार को फोन किया था।
ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और मेरे बीच आज सुबह फोन पर बहुत अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के सफल आयोजन और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने पर मुझे बधाई दी।”
जेलेंस्की का फोन कॉल इसलिए मायने रखता है, क्योंकि ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद यह उनकी किसी विदेशी नेता के साथ पहली बातचीत है। इससे नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की जीत की संभावनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बढ़ता आभास रेखांकित होता है।
ट्रंप ने कहा, “मैं फोन पर मुझसे संपर्क करने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की की सराहना करता हूं, क्योंकि मैं अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में विश्व में एक बार फिर शांति कायम करूंगा और उस युद्ध को समाप्त करूंगा, जिसने इतने सारे लोगों की जान ली और अनगिनत निर्दोष परिवारों को तबाह कर दिया। दोनों पक्ष शांति समझौते पर बातचीत के लिए साथ आएंगे, जिससे हिंसा समाप्त होगी और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।”
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि फोन पर हुई बातचीत के दौरान जेलेंस्की ने पिछले शनिवार एक सभा में उन पर हुए जानलेवा हमले की निंदा की।
जेलेंस्की ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की बधाई देने और पिछले हफ्ते पेनसिल्वेनिया में हुए जानलेवा हमले की निंदा करने के लिए ट्रंप से फोन पर बात की।
जेलेंस्की ने लिखा, “मैंने भविष्य में उनकी सलामती की कामना की। मैंने हमारे देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अमेरिका के महत्वपूर्ण द्विदलीय और द्विसदनीय समर्थन को रेखांकित किया।”
उन्होंने कहा, “रूसी आतंक का मुकाबला करने की हमारी क्षमता बढ़ाने में मदद देने के लिए यूक्रेन हमेशा अमेरिका का आभारी रहेगा। हमारे शहरों और गांवों पर रूसी हमले लगातार जारी हैं। क्षेत्र में निष्पक्षतापूर्ण और स्थायी शांति कायम करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए, इस पर चर्चा के वास्ते हम (पूर्व) राष्ट्रपति ट्रंप के साथ आमने-सामने की बैठक करने पर सहमत हुए।” (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र, 20 जुलाई । उत्तरी हैती के तट पर एक नाव में आग लगने से कम से कम 40 प्रवासियों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गए। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के हवाले से ये जानकारी दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने शुक्रवार को एक ब्रीफिंग में कहा, "हैती के राष्ट्रीय प्रवासन कार्यालय के अनुसार, दो दिन पहले 80 से अधिक लोगों को लेकर नाव लैबडी से रवाना हुई थी, जो तुर्क और कैकोस द्वीप समूह की 250 किलोमीटर की यात्रा थी।" सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने उनके हवाले से कहा कि उत्तरी हैती में कैप हैतियन के तट पर उस नाव में आग लगने से कम से कम 40 प्रवासियों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि हैती के तट रक्षक बल ने 41 लोगों को बचाया और उन्हें अधिकारियों के सहयोग से आईओएम द्वारा चिकित्सा देखभाल, भोजन, पानी और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि ग्यारह लोगों को उपचार के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया। हैती में आईओएम के प्रमुख ग्रेगोइरे गुडस्टीन ने कहा कि यह घटना प्रवास के लिए सुरक्षित मार्गों की जरूरत को दर्शाती है। आईओएम के अनुसार, इस वर्ष पड़ोसी देशों द्वारा 86,000 से अधिक प्रवासियों को जबरन हैती वापस भेजा गया है। -(आईएएनएस)
एस्पेन (अमेरिका), 20 जुलाई। अमेरिकी प्रशासन के दो शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ईरान परमाणु बम हासिल करने के बारे में अधिक बात कर रहा है और उसने परमाणु हथियार बनाने के लिए अहम एक पदार्थ को विकसित करने की दिशा में अप्रैल के बाद से प्रगति की है।
अप्रैल में इजराइल को निशाना बनाकर किए गए ईरान के हवाई हमलों को इजराइल और उसके सहयोगियों ने विफल कर दिया था।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कोलोराडो में सुरक्षा संबंधी मुद्दों से जुड़े एक कार्यक्रम के अलग-अलग पैनल में कहा कि ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम का शस्त्रीकरण करने के सभी संकेतों पर अमेरिका करीबी नजर रख रहा है।
सुलिवन ने कहा, ‘‘मैंने ईरान का अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं देखा है’’, जिससे इस बात के संकेत मिलें कि उसने अभी वास्तव में एक परमाणु बम बनाने का निर्णय लिया है।
सुलिवन ने एस्पेन सुरक्षा फोरम में कहा, ‘‘अगर वे उस रास्ते पर आगे बढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें अमेरिका की ओर से असल समस्या का सामना करना पड़ेगा।’’
ईरान ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा 2015 के समझौते से पीछे हट जाने के बाद अपने परमाणु कार्यक्रम पर फिर से आगे बढ़ना शुरू कर दिया था। इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी के बदले उसे प्रतिबंधों से राहत दी गई थी।
इस बीच, ब्लिंकन ने भी शुक्रवार को कहा, ‘‘पिछले कुछ हफ्तों और महीनों में हमने देखा है कि ईरान विखंडनीय सामग्री विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।’’ विखंडनीय सामग्री का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में किया जा सकता है। (एपी)
शिलांग, 20 जुलाई। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारत, नेपाल और भूटान के 360 से अधिक नागरिक मेघालय पहुंचे हैं, जिससे राज्य में शरण लेने वालों की संख्या 670 से अधिक हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 363 लोग दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये मेघालय पहुंचे, जिनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक शामिल है।
अब तक मेघालय के 80 निवासी अन्य स्थानों से राज्य में लौट आए हैं। इनमें से 13 लोग शुक्रवार को अपने गृह राज्य लौटे। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच वहां रह रहे मेघालय के लोगों की मदद के लिए राज्य सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें 22 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। (भाषा)