अंतरराष्ट्रीय
ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना), 1 दिसंबर पराग्वे सरकार के एक अधिकारी ने यह खुलासा होने के बाद इस्तीफा दे दिया कि उसने एक भगोड़े भारतीय गुरु के काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिन पर दक्षिण अमेरिकी देश में कई स्थानीय अधिकारियों को भी धोखा देने का आरोप है।
इस रहस्योद्घाटन के बाद सोशल मीडिया पर खूब मज़ाक उड़ाया गया, लेकिन यह शायद पहली बार है कि काल्पनिक देश संयुक्त राज्य कैलासा के स्वघोषित प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं को धोखा दिया है। इस साल की शुरुआत में, वे जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र समिति की बैठक में भाग लेने में कामयाब रहे और अमेरिका तथा कनाडा में स्थानीय नेताओं के साथ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए।
काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का खुलासा होने पर अर्नाल्डो चमोरो ने बुधवार को पराग्वे के कृषि मंत्रालय के स्टाफ प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया।
सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई समझौते की एक प्रति के अनुसार, अन्य बातों के अलावा, 16 अक्टूबर की "उद्घोषणा" में संयुक्त राज्य कैलासा के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने पर विचार करने और संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इसके प्रशासन का संप्रभु एवं स्वतंत्र देश के रूप में समर्थन करने के लिए पराग्वे सरकार को सिफारिश की गई।
चमोरो ने एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों ने उनसे और कृषि मंत्री कार्लोस जिमेनेज से मुलाकात की थी।
साक्षात्कार के दौरान, चमोरो ने माना कि उन्हें नहीं पता कि कैलासा कहाँ स्थित है। उन्होंने कहा कि उन्होंने "समझौता ज्ञापन" पर हस्ताक्षर इसलिए किए क्योंकि उन्होंने सिंचाई सहित विभिन्न मुद्दों पर पराग्वे की मदद करने की पेशकश की थी।
कैलासा के सोशल मीडिया खातों में पोस्ट की गई तस्वीरों में काल्पनिक देश के प्रतिनिधि मारिया एंटोनिया और करपई नगरपालिकाओं के स्थानीय नेताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए भी दिखाई देते हैं।
काल्पनिक देश की वेबसाइट पर, कैलासा को "प्राचीन, प्रबुद्ध, हिंदू सभ्यता वाले राष्ट्र के पुनरुद्धार" के रूप में वर्णित किया गया है, जिसे दुनिया भर से विस्थापित हिंदुओं द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है।
इसका नेतृत्व स्वयंभू गुरु नित्यानंद द्वारा किया जाता है, जो यौन उत्पीड़न सहित कई आरोपों में भारत में वांछित है। उसका ठिकाना अज्ञात है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, संयुक्त राज्य कैलासा के प्रतिनिधियों ने फरवरी में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र समिति की दो बैठकों में भाग लिया था। (एपी)
वाशिंगटन, 1 दिसंबर अमेरिका में अधिकारियों ने 20 वर्षीय एक भारतीय छात्र को बचाया है, जिसे महीनों तक बंधक बनाकर रखा गया, बेरहमी से पीटा गया और कई बार शौचालय भी नहीं जाने दिया गया।
इस भारतीय युवक के चचेरे भाई और दो अन्य लोगों ने ही उसके साथ ऐसा बर्ताव किया और तीन घरों में काम करने के लिए मजबूर किया। इस घटना को पूरी तरह अमानवीय करार दिया गया है।
पीड़ित छात्र का नाम उजागर नहीं किया गया है। उसने कई महीने अमेरिका के मिसौरी राज्य में तीन घरों में बंधक की तरह बिताए हैं।
पुलिस ने बुधवार को सेंट चार्ल्स काउंटी में एक घर में छापा मारा और वेंकटेश आर सत्तारू, श्रवण वर्मा पेनूमेच्छा और निखिल वर्मा पेनमात्सा को गिरफ्तार कर लिया। बृहस्पतिवार को उन पर मानव तस्करी, अपहरण तथा हमले के अपराधों में मामला दर्ज किया गया।
एक जागरुक नागरिक ने पुलिस को फोन कर हालात की जानकारी दी जिसके बाद उसने तफ्तीश शुरू की।
अभियोजक जोए मैककुलफ ने बताया कि पीड़ित सुरक्षित है लेकिन उसकी कई हड्डियां टूट गई हैं और उसका इलाज चल रहा है।
छात्र को सात महीने से अधिक समय तक एक तलघर में बंद रखा गया और शौचालय तक की सुविधा नहीं दी गई।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह अमानवीय और अविवेकपूर्ण है कि एक मनुष्य का उत्पीड़न दूसरे मनुष्य ही इस तरह कर रहे हैं।’’
सत्तारू को अधिकारियों ने गिरोह का सरगना करार दिया है। उस पर मानव तस्करी के भी आरोप हैं। (भाषा)
सऊदी अरब ने घोषणा की है कि वह तेल उत्पादन में हर दिन 10 लाख बैरल की कटौती अगले साल मार्च के अंत तक जारी रखेगा.
सऊदी की सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए ने सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय के हवाले से ये जानकारी दी है.
सऊदी अरब का हर दिन तेल उत्पादन मार्च के अंत तक 90 लाख बैरल तक रह सकता है.
एसपीए के मुताबिक़ सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि यह कटौती तेल बाज़ार में स्थिरता के लिए है.
सऊदी अरब के नेतृत्व वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने भी कच्चे तेल की गिरती क़ीमतों को रोकने के लिए उत्पादन में कटौती का फ़ैसला किया है.
ओपेक के इस फ़ैसले में सऊदी अरब के सहयोगी तेल उत्पादक देश समेत रूस भी शामिल हैं.
ओपेक ब्राज़ील को भी तेल आपूर्तिकर्ता देशों के इस धड़े में लाने जा रहा है.
कच्चे तेल की क़ीमत अमेरिका के लिए हमेशा से अच्छा रहा है क्योंकि वह कम पैसे में अपने गैस टैंक रिज़र्व को भर लेता है.
अमेरिका कच्चे तेल की क़ीमतों को हमेशा काबू में रखना चाहता है.
दूसरी तरफ़ ओपेक प्लस देश, जिनकी अर्थव्यवस्था तेल से होने वाली आय पर निर्भर है, वे चाहते हैं कि कच्चे तेल की क़ीमत ऊंची रहे
क्या तेल सप्लाई के मुद्दे पर इसराइल पर बनेगा दबाव?
इस बीच, ये कयास लगाए जाते रहे हैं कि इसराइल हमास युद्ध के बाद अगर अरब देशों ने इसराइल और अमेरिका को तेल बेचने पर रोक लगा दी तो इससे पूरी दुनिया में उथलपुथल मच सकती है.
इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में महंगाई की एक नई लहर फैलेगी होगी और ये पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट करेगी.
ये इसलिए भी चिंता की बात है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने अभी दो बड़े ग्लोबल झटके, यानी कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से उबरना शुरू ही किया है.
ऐसे में ओपेक देशों का इसराइल और अमेरिका को तेल बेचने से पीछे हटने का कोई भी फ़ैसला दुनिया की अर्थव्यवस्था की रिकवरी को पटरी से उतार सकता है.
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अबदुल्लियान ने पिछले महीने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) की बैठक के दौरान इस्लामिक देशों से अपील की थी कि इसराइल का पूरी तरह बहिष्कार करें और उसकी तेल आपूर्ति रोक दें.
लेकिन सवाल ये है कि क्या ओपेक प्लस देश इस मामले में इसराइल पर दबाव बना सकेंगे? क्या वे अमेरिका और इसराइल को तेल बेचना रोक सकते हैं?
क्या अरब देश 1970 को उस फ़ैसले को दोहरा सकते हैं, जब जब अरब इसराइल युद्ध के बाद तेल की आपूर्ति रोक दी थी और पूरी दुनिया में तेल के दाम चौगुना बढ़ गए थे.
इससे पूरी दुनिया में गैस की कमी हो गई थी. तेल की राशनिंग होने से कई देशों को मंदी का सामना करना पड़ा था.
इसराइल कहाँ से मंगाता है तेल?
इसराइल अपनी तेल ज़रूरतें पूरी तरह से आयात से पूरा करता है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अरब देशों ने तेल सप्लाई पर रोक लगाई तो इसका फौरी और आंशिक असर ही होगा.
क्योंकि इसराइल सऊदी अरब, यूएई या ईरान से तेल नहीं ख़रीदता है.
इसके बजाय वो कज़ाख़्स्तान से तेल मंगाता है. अज़रबैजान इसराइल का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. नाइजीरिया भी इसराइल को अच्छा-ख़ासा तेल की सप्लाई करता है.
ईरान की अपील के बाद ब्रेंट क्रूड के दाम 91.50 डॉलर से 93 डॉलर हो गए थे. इससे ये आशंका बढ़ने लगी थी कि कहीं ईरान की अपील पर इस्लामिक देश सचमुच इसराइल के ख़िलाफ़ तेल प्रतिबंध पर सहमत न हो जाएं.
पेट्रोलियम शिपमेंट को ट्रैक करने वाली रिसर्च फर्म कैपलर के विश्लेषक विक्टर केतोना ने कहते हैं, ''अगर सऊदी अरब ने ईरान की अपील पर पश्चिमी देशों को सप्लाई रोकी तो ये बहुत बड़ा क़दम होगा लेकिन अभी इसकी संभावना कम है कि ओपेक देशों में इस पर सहमति बन पाएगी.''
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?
नॉर्थ-ईस्टन यूनिवर्सिटी के लंदन कैंपस के एसोसिएट प्रोफ़ेसर पाब्लो कालदेरोन मार्तिनेज कहते हैं, ''हालात 1973 के अरब-इसराइल युद्ध से अलग हैं, जब अरब देशों ने तेल की सप्लाई रोक दी थी. फ़िलहाल तेल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. अगर इसराइल-हमास के बीच युद्ध और भड़का तो दाम बढ़ सकते हैं.’'
वो कहते हैं, ''अगर लड़ाई तेज़ हुई और अमेरिका, यूरोप, ईरान इसमें शामिल हुए तो हालात बेकाबू होंगे. ऐसे में तेल के दाम बढ़ सकते हैं. लेकिन ऐसा मुश्किल है.''
अमेरिका इस वक़्त दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. 2020 में अमेरिका तेल आयात करने की जगह इसका निर्यात करने लगा था.
हालांकि वह दूसरे तेल उत्पादक देशों से सस्ता तेल ख़रीद कर अपना तेल भंडारण मज़बूत करता रहता है. इसलिए अमेरिका का तेल उत्पादन में निर्भरता भी इसराइल के लिए राहत की बात है.
1973 में अरब-इसराइल युद्ध के बाद से लगे अरब देशों के तेल प्रतिबंध के बाद ही अमेरिका ने तेल सप्लाई के वैकल्पिक स्रोत तलाशने शुरू कर दिए थे.
अपने यहाँ तेल उत्पादन के साथ ही वो अरब देशों के अलग दूसरे देशों से सप्लाई सुनिश्चित करता रहा है.
फ़िलहाल तेल क़ीमतों को लेकर चिंता इसलिए जताई जा रही है कि पश्चिमी देश रूस-यूक्रेन के युद्ध से महंगे तेल और गैस की चोट खा चुके हैं.
मार्तेिनेज कहते हैं, ''दरअसल कोरोना महामारी के बाद जब पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था को वृद्धि देने के लिए खर्च करने पर ज़ोर था, उसी समय रूस-यूक्रेन युद्ध भड़क गया. इससे खर्च करने की जगह संसाधन बचाने पर ज़ोर दिया जाने लगा. इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया. बहरहाल इस समय ब्याज दरें कम हैं और महंगाई कम करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में तेल के दाम बढ़े तो भी अर्थव्यवस्था पर ज़्यादा असर होगा.''
हालांकि जहां तक इसराइल का सवाल है तो हमास से इसका युद्ध जारी रहा और इसमें दूसरे अरब देश शामिल हुए तो उसकी स्थिति नाज़ुक हो सकती है. क्योंकि हमले में इसराइल के वो बंदरगाह निशाने पर रहेंगे, जहाँ उसके आयातित तेल टैंकर आते हैं.
क्या था तेल संकट?
विवादित फ़लस्तीनी क्षेत्र में सैन्य और मानवीय संकट उभरने पर अरब देश और ईरान 1950 के दशक से ही पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ 'तेल को हथियार' के रूप में इस्तेमाल करने पर चर्चा करते रहे हैं.
उन्होंने दो बार तेल की आपूर्ति रोकी भी थी. पहले 1967 में छह दिनों की जंग के दौरान और फिर 1973 में योम किपुर की लड़ाई के दौरान. पहले वाली रोक असरदार नहीं रही थी, मगर दूसरी रोक के काफ़ी गहरे असर देखने को मिले थे.
पश्चिम और अरब देशों ने इन घटनाओं से अपने-अपने सबक लिए. इसलिए, अब कोई भी तेल की आपूर्ति रोकने के बारे में बात नहीं करता और न ही किसी की ऐसा करने की मंशा है.
50 साल पहले इसराइल को लगता था कि कोई उस पर हमला नहीं करेगा और इसी तरह अमेरिका को लगता था कि अरब देश तेल की आपूर्ति नहीं रोकेंगे. मगर ये दोनों बातें हुईं.
इसराइल पर हमले के दस दिन बात अरब देशों ने अमेरिका, नीदरलैंड्स और कई सारे पश्चिमी देशों को तेल आपूर्ति करना बंद कर दिया. यही नहीं, फारस की खाड़ी के शेख़ और ईरान के शाह ने तेल की क़ीमतें 70 फ़ीसदी तक बढ़ाने पर सहमति बना दी.
एक ओर तेल की आपूर्ति रुकने और दूसरी ओर अरब देशों द्वारा उत्पादन घटाने से तेल की क़ीमतें पांच गुना बढ़ गई थीं. उन सालों में दुनिया में तेल ही ऊर्जा का मुख्य स्रोत था और उसका दाम बढ़ने के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ गई.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद चमत्कारी ढंग से बढ़ रही यूरोप, जापान और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाएं ठहर सी गई थीं.
अमेरिका की अर्थव्यवस्था 1973 से लेकर 1975 के बीच छह फ़ीसदी घट गई और बेरोज़गारी दर बढ़कर नौ फ़ीसदी हो गई थी.
इसी तरह, जापान की जीडीपी में दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार गिरावट देखने को मिली थी. लेकिन सबसे ज़्यादा मार पड़ी भारत और चीन समेत उन विकासशील देशों पर, जो ख़ुद तेल का उत्पादन नहीं करते थे.
विकसित पश्चिमी देश 1976 में फिर तरक्की की राह पर बढ़ चले लेकिन आने वाले कई सालों तक उन्हें महंगाई की मार झेलनी पड़ी.
इसका कारण सिर्फ़ तेल को लेकर लगाई गई रोक ही नहीं थी, बल्कि युद्ध के पहले से ही मंदी और महंगाई बढ़ने लगी थी. लेकिन तेल की आपूर्ति रुकने से यह संकट और गहरा गया.
पांच महीने बाद, 18 मार्च 1974 को इस प्रतिबंध को दो मुख्य कारणों से हटा दिया गया.
पहला तो यह कि अरब देश नहीं चाहते थे कि इसके कारण पैदा हुए संकट के चलते उनके तेल की मांग ही ख़त्म हो जाए.
अमेरिका और यूरोप ने मध्य-पूर्व के तेल की क़िल्लत के बीच ख़ुद को ढालना शुरू कर दिया था.
तेल उत्पादन करने वाले ओपेक देश पश्चिमी तेल कंपनियों वाली तेल मार्केट में अपनी धाक जमा चुके थे. उन्हें ज़्यादा दाम रास आने लगे थे और वे नहीं चाहते थे कि उनके ग्राहक बर्बाद हो जाएं.
दूसरा कारण यह था कि तेल प्रतिबंध का जो मुख्य मक़सद था, उसे वे कभी हासिल ही नहीं कर पाए. अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इसराइल की मदद करना जारी रखा था.
भारत पर क्या हुआ था असर?
अरब देशों की ओर से तेल सप्लाई रोकने के बाद भारत ने तुरंत पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमतों में बढ़ोतरी कर दी.
इसका असर ये हुआ कि पेट्रोलियम की मांग में वृद्धि सात फ़ीसदी से घट कर शून्य फ़ीसदी पर पहुंच गई और आयात वास्तव में गिर गया.
अगले 3-4 वर्षों में, महंगाई 20 फ़ीसदी से अधिक बढ़ गई बेरोज़गारी बढ़ी और खाने-पीने की चीज़ों के लेकर हिंसक वारदातें बढ़ने लगी.
1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध से पड़े असर और 1972 और 1973 में लगातार दो असफल मॉनसून और उसके बाद बढ़ते तेल बिल ने 1975 के आपातकाल की स्थिति तैयार कर दी थी. (bbc.com)
सैन फ्रांसिस्को, 1 दिसंबर । इंस्टाग्राम का थ्रेड अब अपने लेटेस्ट कीवर्ड सर्च अपडेट में सभी भाषाओं को सपोर्ट कर रहा है। यह एलन मस्क द्वारा संचालित एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को टक्कर देता है।
इंस्टाग्राम प्रमुख एडम मोसेरी के अनुसार, कीवर्ड सर्च सभी भाषाओं को सपोर्ट करेगा।
उन्होंने थ्रेड्स पर पोस्ट किया, ''हम थ्रेड्स पर उपलब्ध हर जगह कीवर्ड सर्च का विस्तार कर रहे हैं। यह फीचर सभी भाषाओं में समर्थित है। हमें उम्मीद है कि इससे उन कन्वर्सेशन्स को ढूंढना और उनमें शामिल होना आसान हो जाएगा जिनमें आप रुचि रखते हैं।''
उन्होंने आगे कहा, "जल्द ही सर्च में और सुधार आने वाले हैं, अगर आपके पास कोई फीडबैक है तो मुझे जवाब में बताएं।"
अन्य देशों में विस्तार करने से पहले अगस्त में इस फीचर का टेस्ट ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित अंग्रेजी भाषी बाजारों में किया गया था।
टेकक्रंच की रिपोर्ट में कहा गया है, "इससे ऐप, जो अब प्रति माह लगभग 100 मिलियन लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है, व्यापक, वैश्विक दर्शकों में बढ़ोतरी करेगा।"
द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, मेटा का सोशल नेटवर्क थ्रेड्स अगले महीने ईयू में प्लेटफॉर्म लॉन्च कर सकता है।
यूरोपीय संघ के नियमों का अनुपालन करने के लिए, मेटा क्षेत्र के यूजर्स को उपयोग के लिए अपने ऐप का व्यू-ऑनली मोड प्रदान कर सकता है।
''इसका मतलब है कि यूजर्स को पोस्ट देखने के लिए प्रोफ़ाइल बनाना जरूरी नहीं होगा। लेकिन उन्हें पोस्टिंग के लिए प्रोफाइल बनानी पड़ सकती है।''
इसके अलावा, कंपनी ने यूजर्स के लिए अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल को हटाए बिना अपनी थ्रेड्स प्रोफाइल को हटाने का एक तरीका निकाला। (आईएएनएस)।
अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट भारत से निर्यात बढ़ा रही है, जिससे उसकी चीन पर निर्भरता कम हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 2018 में अमेरिका में 80 प्रतिशत शिपमेंट चीन से आया जो कि 2023 में घटकर 60 प्रतिशत हो गया.
वॉलमार्ट भारत से अमेरिका में अधिक सामान आयात कर रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा देखे गए आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनी लागत में कटौती और अपनी सप्लाई चेन में विविधता लाने के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही है.
डाटा कंपनी 'इंपोर्ट यति' द्वारा रॉयटर्स के साथ साझा किए गए बिल ऑफ लैडिंग आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने इस साल जनवरी और अगस्त के बीच अपने अमेरिकी आयात का एक चौथाई हिस्सा भारत से भेजा. जबकि अगर साल 2018 का डाटा देखा जाए तो कंपनी ने सिर्फ दो फीसदी आयात ही भारत से किया था.
चीन अभी भी निर्यात करने वाला बड़ा देश
इसी डाटा से यह भी जानकारी मिलती है कि समान अवधि के दौरान इसका केवल 60 प्रतिशत शिपमेंट चीन से आया, जो 2018 में 80 प्रतिशत से कम है. हालांकि, सामान आयात करने के लिए चीन अभी भी वॉलमार्ट का सबसे बड़ा देश है.
यह बदलाव दर्शाता है कि कैसे चीन से आयात की बढ़ती लागत और वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव बड़ी अमेरिकी कंपनियों को भारत, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से अधिक आयात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
अमेरिका में खरीदार ऊंची ब्याज दरों और खाने-पीने के सामानों के ऊंचे दाम का सामना कर रहे हैं, जिससे वहां घरेलू बचत कम हो रही है और वॉलमार्ट और अन्य रिटेल विक्रेताओं को ग्राहकों के खर्च के प्रति अपने दृष्टिकोण में सतर्क होने के लिए प्रेरित होना पड़ रहा है.
वॉलमार्ट की सोर्सिंग एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट आंद्रिया अलब्राइट ने एक इंटरव्यू में कहा, "हम सबसे अच्छी कीमतें चाहते हैं. इसका मतलब है कि हमें अपने सप्लाई चेन में लचीलेपन की जरूरत है. हम अपने प्रोडक्ट्स के लिए किसी एक सप्लायर या भौगोलिक क्षेत्र पर निर्भर नहीं रह सकते हैं क्योंकि हम लगातार तूफान और भूकंप से लेकर कच्चे माल की कमी तक चीजों का प्रबंधन कर रहे हैं."
वॉलमार्ट के लिए क्यों अहम भारत
वॉलमार्ट ने एक बयान में कहा बिल ऑफ लैडिंग डाटा ने जो कुछ भी प्राप्त किया उसकी आंशिक तस्वीर पेश की है और इससे ज्यादा का "जरूरी मतलब नहीं है" कि कंपनी अपने किसी भी सोर्सिंग मार्केट पर निर्भरता कम कर रही है.
वॉलमार्ट ने कहा, "हम एक ग्रोथ बिजनेस हैं और अधिक उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं." अलब्राइट ने कहा, "भारत उस उत्पादन क्षमता के निर्माण के वॉलमार्ट के प्रयासों में एक प्रमुख घटक के रूप में उभरा है."
वॉलमार्ट 2018 से ही भारत में विकास को गति दे रहा है. उस साल वॉलमार्ट ने भारत की सबसे बड़ी ई-कॉर्मस कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. उसके दो साल बाद कंपनी ने 2027 तक हर साल भारत से 10 अरब डॉलर का सामान आयात करने की प्रतिबद्धता जताई.
भारत से क्या-क्या आयात कर रहा वॉलमार्ट
अलब्राइट के मुताबिक वॉलमार्ट भारत से खिलौनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, साइकिल और फार्मास्यूटिकल्स अमेरिका भेज रहा है. उन्होंने बताया कि भारत से अमेरिका जाने वाला डिब्बाबंद भोजन, सूखा अनाज और पास्ता भी लोकप्रिय है.
भारत का शेयर बाजार इस साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. उसे कम लागत, बड़े पैमाने पर उत्पादन में चीन से बेहतर प्रदर्शन करने वाले देश के रूप में देखा जा रहा है.
साल 2002 में वॉलमार्ट ने बेंगलुरू में अपना सोर्सिंग ऑपरेशन शुरू किया था. अब कंपनी देश में अपने वॉलमार्ट ग्लोबल टेक इंडिया यूनिट, फ्लिपकार्ट ग्रुप, फोनपे और सोर्सिंग ऑपरेशंस के तहत कई कार्यालयों में फैले अस्थायी श्रमिकों समेत एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
इम्फाल, 1 दिसंबर । मणिपुर के उखरूल कस्बे में गुरुवार को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की एक शाखा से एक अज्ञात सशस्त्र समूह ने एक साहसी डकैती में 18.85 करोड़ रुपये लूट लिए। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया कि 8 से 10 हथियारबंद लोगों ने शाम से ठीक पहले उखरूल शहर के व्यूलैंड-1 में स्थित पीएनबी बैंक की शाखा में धावा बोल दिया। बैंक कर्मचारी जब दिन के लेनदेन के बाद राशि की गिनती कर रहे थे, उसी समय 18.85 करोड़ रुपये लूट लिए।
कथित तौर पर अज्ञात नकाबपोश लोगों के पास अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों और पीएनबी शाखा के कर्मचारियों पर कब्ज़ा कर लिया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "सुरक्षाकर्मियों और बैंक कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर रस्सियों से बांध दिया गया और नकदी लेकर भाग गए हथियारबंद लोगों ने स्टोर रूम के अंदर बंद कर दिया।"
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बल तुरंत मौके पर पहुंच गए और बैंक प्राधिकरण ने इस संबंध में पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। सुरक्षा बलों ने लुटेरों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान चलाया है।
सात महीने पहले मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के बाद उखरूल कस्बे में यह पहली बार ऐसी दुस्साहसिक घटना हुई है।
जुलाई में चुराचांदपुर में एक्सिस बैंक की एक शाखा से सशस्त्र गिरोह ने एक करोड़ रुपये की लूट की थी। (आईएएनएस)।
बगदाद, 1 दिसंबर । इराक के पूर्वी प्रांत दियाला में अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर 11 लोगों को मार डाला। हमले में नौ अन्य घायल हो गए। एक सुरक्षा अधिकारी ने यह जानकारी दी।
दीयाला प्रांतीय कमांड के अला अल-सादी ने गुरुवार को शिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया कि इराकी राजधानी बगदाद से लगभग 90 किमी उत्तर पूर्व में वजीहिया शहर के पास एक गांव में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक कार पर भारी गोलीबारी की। .
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अल-सादी ने कहा कि कार पर दोहरे हमलों में 11 लोगों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए, इनमें से पांच की हालत गंभीर है।
जातीय रूप से मिश्रित दियाला प्रांत 2003 के बाद के वर्षों में कुर्द, सुन्नी और शिया समुदायों के बीच अशांति और छिटपुट हिंसा से पीड़ित रहा है। (आईएएनएस)।
न्यूयॉर्क, 1 दिसंबर । व्हाइट हाउस ने कहा कि वह भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जारी रखे हुए है, लेकिन वह इन आरोपों को 'बहुत गंभीरता से' लेता है कि एक भारतीय उसकी धरती पर एक सिख अलगाववादी नेता को मारने की नाकाम कोशिश में शामिल था।
यह प्रतिक्रिया अमेरिका द्वारा एक भारतीय व्यक्ति को हत्या की साजिश रचने का आरोपी ठहराए जाने पर नई दिल्ली की प्रतिक्रिया के बाद आई।
व्हाइट हाउस में रणनीतिक समन्वयक जॉन किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, "मैं सिर्फ दो बातें कहूंगा। भारत एक रणनीतिक साझेदार बना हुआ है और हम भारत के साथ उस रणनीतिक साझेदारी को बेहतर बनाने और मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखेंगे। साथ ही, हम इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं।"
मामले की जांच के भारत के प्रयासों का स्वागत करते हुए किर्बी ने यह भी कहा कि हालिया घटनाक्रम का भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि" हमें यह देखकर खुशी हो रही है कि भारतीय भी इसकी जांच के लिए अपने स्वयं के प्रयासों की घोषणा कर रहे हैं। इस अपराध के जिम्मेदार को उचित रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।"
भारत ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया और कहा कि वह समिति के निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करेगी।
अपने साथ तेल अवीव की यात्रा कर रहे पत्रकारों से बात करते हुए, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत सरकार की जांच की घोषणा को "अच्छा और उचित" बताया और कहा कि वे "परिणाम देखने के लिए उत्सुक हैं।"
अमेरिकी अभियोजकों ने बुधवार को कथित तौर पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी की ओर से अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने के लिए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ हत्या का आरोप लगाया।
न्यूयॉर्क निवासी पन्नून भारत में एक नामित आतंकवादी है और प्रतिबंधित खालिस्तान समूह, सिख फॉर जस्टिस का कानूनी सलाहकार है। (आईएएनएस)
जेरूसलम, 1 दिसंबर । इजरायली जेल सेवा ने पुष्टि की है कि 30 और फिलिस्तीनियों को जेल से रिहा किया गया है। उधर, 24 घंटे के लिए बढ़ाए जाने के बाद युद्ध विराम शुक्रवार को समाप्त हो रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार रिहा किए गए फ़िलिस्तीनियों के नाम नहीं बताए गए हैं।
हमास या आतंकवादी समूह से संबद्ध मीडिया द्वारा कैदियों की रिहाई की तत्काल कोई पुष्टि नहीं की गई।
इज़रायल-हमास संघर्ष विराम की शर्तों के तहत, इज़रायल को प्रत्येक इज़रायली बंधक की रिहाई के लिए तीन फ़िलिस्तीनियों को रिहा करना होगा।
संघर्ष विराम को सातवें दिन तक बढ़ाने पर तनावपूर्ण और लंबी खींचतान के बाद, इजरायली सरकार ने अंततः गुरुवार को आठ नए इजरायली बंधकों को रिहा करने के हमास के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
एक बयान में, इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा," उनकी सरकार छह नागरिकों को गले लगाती है, जो अभी इजरायली क्षेत्र में लौटे हैं। उनके परिवारों को अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया है कि वे देश में लौट आए हैं।"
"इज़राइल सरकार सभी बंधकों और लापता लोगों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है।"
इस बीच, संघर्ष विराम शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 7 बजे फिर से समाप्त होने वाला है।
हमास की सैन्य शाखा ने युद्धविराम नहीं बढ़ाए जाने की स्थिति में अपनी सेनाओं से "उच्च युद्ध तत्पर" रहने काे कहा है।
युद्ध विराम की शुरुआत के बाद से, 240 फिलिस्तीनियों, 86 इजरायलियों और 24 विदेशी नागरिकों को रिहा किया गया है। (आईएएनएस)।
वाशिंगटन, 1 दिसंबर न्यू जर्सी के बेडमिंस्टर में ट्रम्प नेशनल गोल्फ क्लब की एक पूर्व कर्मचारी ने मुकदमा दायर कर दावा किया है कि उसके प्रबंधक ने उसका यौन उत्पीड़न किया और फिर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक निवर्तमान वकील ने एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ऐलिस बियान्को ने प्रतिष्ठान के खिलाफ दायर अपने मुकदमे में आरोप लगाया है कि उसे उसके बॉस पावेल मेलिचर ने पहनने के लिए "बहुत छोटी वर्दी स्कर्ट" दी थी।
बियान्को, जो उस समय 21 वर्ष की थी और एक सर्वर के रूप में काम करती थी, ने यह भी दावा किया कि मेलिचर, जो लगभग 50 वर्ष का था, ने उसे उपहारों से नहलाया और उसे "संरक्षण" और नौकरी की सुरक्षा के बदले में यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया।
वकील ने दावा किया, जब बियान्को ने अग्रिमों को अस्वीकार कर दिया, तो मेलिचर ने उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए उसे अनुचित कार्य असाइनमेंट दिए और अपने गुर्गों को उसके साथ दुर्व्यवहार करने और उसकी युक्तियां चुराने की अनुमति दी।
हालांकि, मेलिचर को मुकदमे में प्रतिवादी के रूप में नामित नहीं किया गया है।
बियांको ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जल्द ही पता चला कि उनके एक सहकर्मी ने क्लब में "विषाक्त और कामुक कार्य वातावरण" के बारे में ट्रम्प के निजी कर्मचारियों को एक पत्र लिखने की योजना बनाई थी।
पत्र वितरित होने के तुरंत बाद, बियांको ने कहा कि जुलाई 2021 में वकील अलीना हब्बा ने उनसे संपर्क किया था, जो क्लब की सदस्य थीं, लेकिन उस समय कानूनी रूप से ट्रम्प का प्रतिनिधित्व नहीं करती थीं।
मुकदमे के अनुसार, हब्बा ने बियांको को अपने आरोपों को सार्वजनिक न करने और इसके समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रोत्साहित किया।
हब्बा ने कथित तौर पर कहा कि वह यह सुनिश्चित कर सकती है कि बियांको "संरक्षित" रहे।
बियान्को की वकील नैन्सी एरिका स्मिथ ने गुरुवार को सीएनएन को बताया, "अलीना हब्बा ने मेरे मुवक्किल अली बियान्को को अनैतिक तरीके से चुप कराने का इस्तेमाल खुद को ट्रम्प के अंदरूनी घेरे में आगे बढ़ाने के लिए किया।"
स्मिथ ने कहा कि हब्बा "जानता था कि बियान्को के पास एक वकील है, लेकिन उसने ट्रम्प के अनुकूल एक समझौते में प्रवेश करने के लिए उसे निशाना बनाया और हेरफेर किया।"
--आईएएनएस
जेरूसलम, 1 दिसंबर । हमास पर यहूदी राज्य की ओर गोलीबारी कर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इजराइल ने शुक्रवार को गाजा में आतंकवादी समूह के खिलाफ युद्ध अभियान फिर से शुरू कर दिया। इससे सात दिवसीय युद्धविराम समाप्त हो गया।
एक्स पर एक पोस्ट में, इज़राइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने कहा: "हमास ने परिचालन विराम का उल्लंघन किया, और इसके अलावा, इजरायली क्षेत्र की ओर गोलीबारी की। आईडीएफ ने गाजा में हमास आतंकवादी संगठन के खिलाफ लड़ाई फिर से शुरू कर दी है।"
संघर्ष विराम, जिसे गुरुवार को सातवें दिन के लिए अंतिम समय में नवीनीकृत किया गया था, शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 7 बजे समाप्त होने वाला था।
गुरुवार का विस्तार 24 नवंबर को शुरू हुए शुरुआती चार दिवसीय संघर्ष विराम का दूसरा विस्तार था।
मंगलवार को इसे दो दिन के लिए बढ़ाया गया था।
विराम की शुरुआत के बाद से, 240 फिलिस्तीनियों, 86 इजरायलियों और 24 विदेशी नागरिकों को पर रिहा किया गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सात दिवसीय संघर्ष विराम समाप्त होने से कुछ समय पहले, इज़राइल ने कहा कि उसने गाजा से दागे गए एक रॉकेट को मार गिराया, जबकि हमास समूह से जुड़े मीडिया आउटलेट्स ने उत्तरी गाजा में विस्फोट और गोलीबारी की सूचना दी।
हमास द्वारा संचालित आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय ने अपने टेलीग्राम अकाउंट पर कहा कि दक्षिणी गाजा पट्टी पर कई हवाई हमले हुए हैं।
एक बयान में, मंत्रालय ने यह भी कहा कि इजरायली विमान क्षेत्र के ऊपर आसमान में हैं।
मिस्र की राज्य सूचना सेवा के अनुसार, मिस्र और कतरी वार्ताकार अधिक बंधकों और कैदियों की रिहाई की सुविधा के लिए और पट्टी में अधिक सहायता की अनुमति देने के लिए गाजा में लड़ाई को अतिरिक्त दो दिनों के लिए बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
उधर, इज़रायली अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि लड़ाई में विराम के किसी भी विस्तार की शर्त यह है कि हमास को प्रतिदिन बंधक बनाई गई 10 इज़रायली महिलाओं और बच्चों को रिहा करना होगा।
समझौते की शर्तों के तहत, इज़राइल ने प्रत्येक इजरायली बंधक को रिहा करने के लिए तीन फिलिस्तीनियों को मुक्त किया।
गुरुवार को, इज़राइल और हमास दोनों ने संकेत दिया कि वे लड़ाई फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं।
--आईएएनएस
ग़ज़ा में हमास के आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय ने अपने बताया है कि दक्षिणी ग़ज़ा में कई एयर स्ट्राइक की गयी है.
टेलीग्राम अकाउंट पर मंत्रालय ने ये जानकारी दी है.
ग़ज़ा में बीबीसी के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है और कहा है कि उत्तरी ग़ज़ा में भी कई धमाकों की आवाज़ें सुनी गयी है. साथ ही ग़ज़ा शहर के उत्तर-पश्चिम में गोलीबारी हुई है.
गुरुवार को हमास और इसराइल के बीच युद्ध विराम समझौते का सातवां दिन था. इसके बाद आज ये डील ख़त्म हो गयी. डील के ख़त्म होने से कुछ समय पहले ही एयर स्ट्राइक शुरू हो गयी.
उम्मीद जतायी जा रही थी की युद्ध विराम आगे बढ़ सकता है. अमेरिका, क़तर और मिस्र लगातार इसकी मध्यस्थता कर रहे थे लेकिन ये डील और आगे नहीं बढ़ सकी.
बीते शुक्रवार को हमास और इसराइल के बीच युद्धविराम समझौते का एलान किया गया था. सात दिन चले इस समझौते में गुरुवार तक हमास ने इसराइल के 110 बंधकों को छोड़ा है.(bbc.com/hindi)
दोहा, 1 दिसंबर। इजराइल और फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच अस्थायी युद्धविराम शुक्रवार को समाप्त हो गया।
मध्यस्थता कर रहे देश कतर ने अस्थायी युद्धविराम बढ़ाए जाने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच फिर से हमले होने की आशंका बढ़ गई है।
संघर्ष विराम शुक्रवार को सुबह सात बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार पांच बजे) समाप्त हो गया। यह संघर्ष विराम एक सप्ताह पहले, 24 नवंबर को शुरू हुआ था। शुरुआत में यह चार दिनों के लिए था और फिर कतर तथा सहयोगी मध्यस्थ मिस्र की मदद से इसे दो दिन के लिए तथा फिर एक दिन के लिए और बढ़ाया गया।
सप्ताह भर के संघर्ष विराम की अवधि में गाजा में हमास और अन्य समूहों ने 100 से अधिक बंधकों को रिहा किया, जिनमें से अधिकतर इजरायली थे। बदले में इजरायल की जेलों से 240 फलस्तीनियों को रिहा किया गया।
इजराइली सेना ने हमास पर युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि युद्धविराम समाप्त होने पर उसने हमले शुरू कर दिए हैं।
एपी शोभना मनीषा मनीषा 0112 1118 दोहा (एपी)
वाशिंगटन, 1 दिसंबर। अमेरिका में ‘लॉन्ग आइलैंड गुरुद्वारा’ प्रबंधन ने भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू के सप्ताहांत दौरे के दौरान संगत के कुछ सदस्यों द्वारा किए गए अभद्र व्यवहार के लिए उनसे माफी मांगी है।
न्यूयॉर्क में लॉन्ग आईलैंड हिक्सविले स्थित गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार की प्रबंधन समिति ने 29 नवंबर को राजदूत को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘किसी भी असुविधा के लिए हम माफी मांगते हैं और आपके अगले दौरे पर एक सहज अनुभव सुनिश्चित करने का वादा करते हैं।’’
न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्यदूत रणधीर जायसवाल के साथ संधू ने रविवार 26 नवंबर को लॉन्ग आइलैंड गुरुद्वारे का दौरा किया था।
गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने अपने पत्र में कहा, ‘‘यह खेद की बात है कि आपके दौरे के दौरान एक घटना घटी। हम, लॉन्ग आइलैंड हिक्सविले स्थित गुरुद्वारे-गुरु नानक दरबार का प्रबंधन, संगत और आदरणीय ज्ञानी गुरबख्श सिंह गुलशन जी ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं।’’
उन्होंने कहा, "हम आपको आश्वस्त करते हैं कि हम आपके अगले दौरे के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतेंगे और ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए उपाय करेंगे।" (भाषा)
क़तर की मध्यस्थता से इसराइल और हमास के बीच हुए अस्थाई युद्ध विराम का ये सातवां दिन है.
अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि दोनों पक्ष इस युद्ध विराम को विस्तार देना जारी रखेंगे या नहीं.
लेकिन इस बारे में बातचीत जारी रहने की ख़बर मिल रही है. इस पर कोई नई जानकारी सामने आने पर साझा की जाएगी.
अब तक इस मामले में जो कुछ जानकारियां आई हैं, वो इस प्रकार हैं –
- अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने युद्ध के बाद अपने चौथे इसराइली दौरे पर इसराइल के पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात की.
- ब्लिंकन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इसराइल को वेस्ट बैंक में चरमपंथी यहूदी तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की दिशा में तत्काल प्रभाव से क़दम उठाने चाहिए.
- संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, वेस्ट बैंक में रहने वाले 238 फ़लस्तीनियों की मौत युद्ध शुरू होने के बाद हुई, जिनमें से 229 इसराइली सुरक्षाकर्मियों और आठ इसराइली सैटलर्स की ओर से मारे गए हैं. इसके साथ ही एक शख़्स को सुरक्षाकर्मियों या सैटलर्स में से किसी एक ने मारा है.
- अमेरिका ने इसराइल से कहा है कि युद्ध एक बार फिर शुरू करने से पहले ग़ज़ा में रहने वाले लोगों को सुरक्षित करना चाहिए.
- इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की ओर से जारी बयान में कहा है कि इसराइल को हमास को ख़त्म करने से कोई भी नहीं रोक सकता.
- नेतन्याहू की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक इस युद्ध के तीनों उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते– सभी अगवा लोगों को छुड़ाया जाना, हमास का पूरी तरह ख़ात्मा, और यह सुनिश्चित करना कि ग़ज़ा से भविष्य में इस तरह का ख़तरा पैदा न हो.
- हमास नियंत्रित ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, युद्ध शुरू होने के बाद से ग़ज़ा पर हुई इसराइली बमबारी से 14,800 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 6000 बच्चे शामिल हैं.
- युद्ध विराम शुरू होने के बाद से अब तक 72 इसराइली महिलाएं और बच्चे रिहा किए गए हैं. और सात अक्टूबर के हमले के बाद से अब तक 100 से ज़्यादा लोगों को छोड़ा जा चुका है. (bbc.com/hindi)
अमेरिका में एक ख़ालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता की हत्या की कोशिश के मामले में अब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की प्रतिक्रिया आयी है.
उन्होंने कहा है कि अमेरिका सीधे भारत के साथ ये मुद्दा उठा चुका है और इस मामले को काफ़ी गंभीरता से लिया जा रहा है.
मीडिया से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा- “इस मामले में कानूनी प्रक्रिया चल रही है तो मैं विस्तार से इस पर बात नहीं कर कर सकता. लेकिन मैं ये ज़रूर कह सकता हूं कि हम इस मामले को काफ़ी गंभीरता से ले रहे हैं.”
“बीते दिनों ही हम ये मुद्दा सीधे भारत सकार के साथ उठा चुके हैं. भारत सरकार ने घोषण की है कि वो इस मामले की जांच कर रहे हैं. ये सही कदम है, हम जांच के नतीज़ों का इंतज़ार कर रहे हैं.”
अमेरिका ने दावा किया है कि न्यूयॉर्क में रहने वाले एक खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता की हत्या की कोशिश को उसने नाकाम कर दिया है.
अमेरिका के जस्टिस विभाग में दायर की गई रिपोर्ट के मुताबिक़ निखिल गुप्ता नाम के शख़्स ने भारत सरकार के लिए काम करने वाले एक अधिकारी के निर्देश पर इस काम को अंजाम देने की कोशिश में थे.
इस मामले के सामने आने के बाद भारत सरकार ने चिंता ज़ाहिर की है और कहा कि ऐसा करना भारत सरकार की नीतियों के विपरीत है.
इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि एक उच्च-स्तरीय पैनल का गठन किया गया है जो इस आरोप की हर एंगल से जांच करेगा. (bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क, 30 नवंबर अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि अमेरिका में एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश के आरोपी भारतीय नागरिक ने इस आश्वासन के बाद साजिश में शामिल होना स्वीकार किया कि गुजरात में उसके खिलाफ चल रहा एक आपराधिक मामला खारिज कर दिया जाएगा।
अमेरिका की एक अदालत में बुधवार को सामने आये अभियोजन पक्ष के आरोपपत्र के अनुसार निखिल गुप्ता (52) पर न्यूयॉर्क शहर में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की नाकाम साजिश में संलिप्त रहने का आरोप है।
इसमें यह खुलासा नहीं किया गया है कि किस अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रची गई थी। हालांकि, फाइनेंशियल टाइम्स अखबार ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से पिछले हफ्ते खबर जारी की थी कि अमेरिकी अधिकारियों ने प्रतिबंधि संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया था और इस साजिश में भारत सरकार के शामिल होने की आशंकाओं को लेकर उसे चेतावनी दी थी।
अभियोजन पक्ष ने मुकदमे में बताया कि गुप्ता किस तरह गुजरात में उसके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को खारिज किये जाने के आश्वासन के बाद साजिश के लिए सहमत हो गया।
अभियोजन पक्ष के आरोपपत्र में कहा गया, ‘‘मई 2023 में या इसके आसपास सीसी-1 और गुप्ता के बीच शुरू हुई टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक संचार शृंखला में सीसी-1 ने गुप्ता से भारत में उसके खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज कराने में सीसी-1 की सहायता के बदले पीड़ित की हत्या का बंदोबस्त करने को कहा था। गुप्ता हत्या की साजिश रचने को तैयार हो गया। इसके बाद गुप्ता ने साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए नयी दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से सीसी-1 से मुलाकात भी की।’’
अभियोजकों ने दावा किया है कि सीसी-1 एक ‘भारतीय सरकारी कर्मी’ है जिसने अमेरिकी जमीन पर हत्या के लिए भारत से साजिश रचने का निर्देश दिया।
गुप्ता को एक ‘अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्कर’ करार दिया गया है और उसे साजिश में शामिल रहने के सिलसिले में जून 2023 में अमेरिका के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। (भाषा)
लाहौर, 30 नवंबर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में पुलिस की वर्दी पहने लुटेरों ने एक भारतीय सिख परिवार के साथ लूटपाट की। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि कंवल जीत सिंह और उनके परिवार के सदस्य गुरु नानक देव की जयंती पर समारोह में भाग लेने के लिए भारत से यहां आए हैं। पुलिस के अनुसार, बुधवार को परिवार के सदस्य गुरुद्वारा जनमस्थान ननकाना साहिब से लौटने के बाद खरीदारी के लिए लाहौर के गुलबर्ग इलाके में स्थित लिबर्टी मार्केट गए थे।
पुलिस प्रवक्ता एहतशाम हैदर ने पीटीआई को बताया, "जब सिख परिवार एक दुकान से बाहर आया तो पुलिस की वर्दी पहने दो लुटेरों ने उन्हें रोका और हथियारों का भय दिखाकर नकदी और आभूषण लूट लिए।"
हैदर ने बताया कि लुटेरों ने सिख परिवार से आभूषणों के अलावा 2,50,000 भारतीय रुपये और 1,50,000 पाकिस्तानी रुपये लूट लिए।
घटना के बाद वहां बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और वे लोग सिख परिवार के साथ स्थानीय थाना पहुंचे। स्थानीय थाना प्रभारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को इस घटना की सूचना दी।
हैदर ने कहा कि पुलिस उप महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी ने भारतीय सिख परिवार से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि लुटेरों को गिरफ्तार किया जाएगा तथा उनके नुकसान की भरपाई की जाएगी।
पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने भी तीर्थयात्रा पर आए सिख परिवार के साथ लूटपाट की घटना पर कड़ा संज्ञान लिया और लाहौर पुलिस प्रमुख से तुरंत रिपोर्ट देने को कहा।
नकवी ने सीसीटीवी फुटेज से संदिग्धों की तत्काल पहचान पर जोर देते हुए डकैती में शामिल अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है।
नकवी ने कहा कि इस मामले में किसी भी लापरवाही पर गौर किया जाना चाहिए और जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख तीर्थयात्री सम्मानित अतिथि हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च जिम्मेदारी है।
गुरु नानक देव की जयंती उत्सव को लेकर 2,500 से अधिक भारतीय सिख अभी पाकिस्तान में हैं। (भाषा)
अल्माटी, 30 नवंबर । कजाकिस्तान के अल्माटी में गुरुवार को एक छात्रावास में आग लग गई जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई। शहर के आपातकालीन विभाग ने एक बयान में यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, आग तीन मंजिला आवासीय इमारत के बेसमेंट में लगी, जहां पहली मंजिल और बेसमेंट में छात्रावास था।
विभाग ने कहा कि घटना के समय छात्रावास में 72 लोग थे।
बताया गया कि कुल 59 लोगों को निकाला गया।
आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। (आईएएनएस)।
यरूशलम, 30 नवंबर । इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के वरिष्ठ सलाहकार मार्क रेगेव ने गुरुवार को कहा कि गाजा में मानवीय संघर्ष विराम उस दिन तक जारी रहेगा जब तक हमास आतंकवादी समूह 10 "जीवित" बंधकों को रिहा करता रहेगा।
शीर्ष अधिकारी की टिप्पणी इजरायल और हमास द्वारा इस बात की पुष्टि किए जाने के तुरंत बाद आई कि लड़ाई में विराम गुरुवार को सातवें दिन तक बढ़ाया जाएगा क्योंकि और बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत जारी है।
यह घोषणा स्थानीय समय के अनुसार सुबह 7 बजे संघर्ष विराम समाप्त होने से कुछ मिनट पहले की गई।
गुरुवार का विस्तार 24 नवंबर को शुरू हुए शुरुआती चार दिवसीय संघर्ष विराम का दूसरा विस्तार है।
गाजा में मूल चार दिवसीय संघर्ष विराम पहली बार 24 नवंबर को लागू किया गया था और मंगलवार को इसे दो और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया।
इस बीच, रेगेव ने सीएनएन को बताया कि लड़ाई में मानवीय विराम के किसी भी विस्तार पर इज़रायल की स्थिति "बिल्कुल स्पष्ट" है।
"हर दिन, हम 10 बंधकों, 10 जीवित बंधकों की रिहाई के विस्तार पर सहमत हुए... अगर हमास प्रतिदिन 10 बंधकों को रिहा करना जारी रखता है, तो हम रोक बढ़ा देंगे - विराम।"
यह पूछे जाने पर कि क्या अगले 24 घंटे के भीतर लड़ाई फिर से शुरू होगी, रेगेव ने सीएनएन को बताया कि "अगर हमास विस्तार की शर्तों को पूरा करने में विफल रहता है, जो कि 10 इजरायलियों को रिहा करना है, तो निश्चित रूप से लड़ाई फिर से शुरू की जा सकती है"।
वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार, गाजा के अंदर अभी भी कम से कम 140 बंधक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यहूदी राष्ट्र ने "हमारे बंधकों को बाहर निकालने के लिए मानवीय विराम के मौजूदा समझौते को स्वीकार कर लिया है, जिसे हर दिन एक दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है"।
किसी और समझौते पर बातचीत के बारे में पूछे जाने पर, रेगेव ने सीएनएन को बताया: “यह हमास के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक मानवीय विराम है। इज़रायल हमास की सैन्य मशीन और गाजा पर उसके शासन को नष्ट करने के लिए दृढ़ है।
"हम अपने लोगों के जीवन के साथ खेल नहीं खेलने जा रहे हैं... हमास जानता है कि समझौते के मानदंड क्या हैं।"
इस बीच, इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुष्टि की कि उसे गुरुवार को हमास की कैद से रिहा किए जाने वाले बंधकों की एक नई सूची मिली है।
कार्यालय ने कहा, "कुछ समय पहले, इज़रायल को समझौते की शर्तों के अनुसार महिलाओं और बच्चों की एक सूची मिली थी, और इसलिए विराम फिर से शुरू होगा।"
विराम की शुरुआत के बाद से, 210 फिलिस्तीनियों, 70 इजरायलियों और 24 विदेशी नागरिकों को कथित तौर पर रिहा किया गया है।
बुधवार को - संघर्ष विराम के छठे दिन - गाजा से 16 और बंधकों को रिहा कर दिया गया, जिनमें 10 इजरायली, चार थाई नागरिक और दो इजरायली-रूसी शामिल थे।
साथ ही दिन में 30 फ़िलिस्तीनियों को भी इज़रायली जेलों से आज़ाद किया गया। (आईएएनएस)।
सैन फ्रांसिस्को, 30 नवंबर इस महीने की शुरुआत में एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद सैम ऑल्टमैन आधिकारिक तौर पर सीईओ के रूप में ओपनएआई में लौट आए हैं। इससे माइक्रोसॉफ्ट को कंपनी के बोर्ड में एक गैर-मतदान पर्यवेक्षक सीट मिल गई है।
ओपनएआई के नए बोर्ड में अध्यक्ष ब्रेट टेलर, लैरी समर्स और एडम डी'एंजेलो शामिल हैं, जो पिछले बोर्ड से एकमात्र शेष बचे हैं।
द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, ओपनएआई में माइक्रोसॉफ्ट एक प्रमुख निवेशक है, जिसकी इस लाभकारी इकाई में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसे गैर-लाभकारी बोर्ड नियंत्रित करता है।
कर्मचारियों को दिए गए एक ज्ञापन में, ऑल्टमैन ने कहा कि उनके मन में ओपनएआई के सह-संस्थापक और मुख्य वैज्ञानिक इल्या सुतस्केवर के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, जो ऑल्टमैन को हटाने के पीछे थे।
ऑल्टमैन ने ज्ञापन में कहा, "हालांकि इल्या अब बोर्ड में काम नहीं करेगा, हमें उम्मीद है कि हम अपने कामकाजी संबंध जारी रखेंगे और चर्चा कर रहे हैं कि वह ओपनएआई में अपना काम कैसे जारी रख सकता है।"
उन्होंने कर्मचारियों से कहा, "यह तथ्य कि हमने एक भी ग्राहक नहीं खोया है, हमें आपके लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।"
उन्होंने कहा कि ओपनएआई अनुसंधान योजना को आगे बढ़ाएगा और अपने पूर्ण-स्टैक सुरक्षा प्रयासों में और निवेश करेगा।
ऑल्टमैन ने कहा, “हमारा शोध रोडमैप स्पष्ट है; यह अद्भुत रूप से ध्यान केंद्रित करने का समय है। मैं उस उत्साह को साझा करता हूं, जो आप सभी महसूस करते हैं; हम इस संकट को अवसर में बदल देंगे! मैं इस पर मीरा (मुराती) के साथ काम करूंगा।'
ओपनएआई बोर्ड के अध्यक्ष टेलर ने कर्मचारियों से कहा कि वे इस बात से रोमांचित हैं कि "सैम, मीरा और ओपनएआई के अध्यक्ष और सह-संस्थापक ग्रेग ब्रॉकमैन एक साथ वापस आकर कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं और इसे आगे बढ़ा रहे हैं।"
“हम असाधारण व्यक्तियों का एक योग्य, विविध बोर्ड बनाएंगे, जिनका सामूहिक अनुभव ओपनएआई के मिशन की चौड़ाई का प्रतिनिधित्व करता है। हमें खुशी है कि इस बोर्ड में माइक्रोसॉफ्ट के लिए एक गैर-मतदान पर्यवेक्षक शामिल होगा।''
ऑल्टमैन को पहले एआई चैटबॉट चैटजीपीटी के डेवलपर ओपनएआई के सीईओ के पद से हटा दिया गया था, और पहले बोर्ड ने कहा था कि "ओपनएआई का नेतृत्व जारी रखने की उनकी क्षमता पर अब कोई भरोसा नहीं है।"
बाद में, माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्य नडेला ने कंपनी को एक नए वर्टिकल के साथ अपने उन्नत एआई सपनों को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए ऑल्टमैन और ब्रॉकमैन को नियुक्त करने की घोषणा की।
(आईएएनएस)।
यरूशलम, 30 नवंबर । समाप्ति से कुछ ही मिनट पहले, इजरायली सेना ने गुरुवार को घोषणा की कि गाजा में संघर्ष विराम को सातवें दिन तक बढ़ाने के लिए एक समझौता हुआ है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, 24 नवंबर को शुरू हुए चार दिवसीय संघर्ष विराम का ये दूसरा विस्तार है।
गाजा में मूल चार दिवसीय संघर्ष विराम पहली बार 24 नवंबर को लागू किया गया था और मंगलवार को इसे दो और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। इसे गुरुवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे (भारतीय समयानुसार लगभग 10.20 बजे) समाप्त होने वाला था।
एक संक्षिप्त बयान में, सेना ने कहा: "बंधकों को रिहा करने की प्रक्रिया जारी रखने और रूपरेखा की शर्तों के अधीन मध्यस्थों के प्रयास के तहत विराम जारी रहेगा।"
हमास ने भी एक बयान में संघर्ष विराम को सातवें दिन बढ़ाने की पुष्टि की।
विराम की शुरुआत के बाद से, 210 फिलिस्तीनियों, 70 इजरायलियों और 24 विदेशी नागरिकों को कथित तौर पर रिहा किया गया है।
बुधवार को - संघर्ष विराम के छठे दिन - गाजा से 16 और बंधकों को रिहा कर दिया गया, जिनमें 10 इजरायली, चार थाई नागरिक और दो इजरायली-रूसी शामिल थे।
साथ ही दिन में 30 फ़िलिस्तीनियों को भी इज़रायली जेलों से आज़ाद किया गया।
सेना की घोषणा से पहले, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के वरिष्ठ सलाहकार मार्क रेगेव ने बीबीसी को बताया कि जब तक हमास बंधकों को रिहा करना जारी रखेगा, तब तक इजरायल युद्धविराम जारी रखने को तैयार है।
उन्होंने कहा, “हमास पर दबाव डाला जाना चाहिए। यदि वे बंधकों को रिहा करना जारी रखते हैं, तो विराम जारी रह सकता है।'' (आईएएनएस)।
इसराइल और हमास ने जानकारी दी है कि दोनों पक्षों के बीच जारी युद्ध विराम एक और दिन के लिए बढ़ाया गया है.
इसराइली सेना ने कहा कि "बंधकों को रिहा करने की प्रक्रिया जारी रखने के लिए मध्यस्थों की कोशिशों के मद्देनज़र " हमास के साथ युद्ध विराम जारी रहेगा.
वहीं हमास ने कहा है कि इसराइल के साथ युद्ध विराम एक दिन के लिए बढ़ रहा है और ये अब सातवें दिन भी लागू होगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ये जानकारी दी है.
बीते शुक्रवार से हमास और इसराइल के बीच बंधकों को लेकर हुई डील लागू है.
जिसके तहत हमास कुछ इसराइली बंधकों को छोड़ रहा है और बदले में इसराइल तय फ़लस्तीनी कैदियों को अपनी जेलों से रिहा कर रहा है.
इस दौरान युद्ध विराम लागू है. साथ ही मदद और ज़रूरी दवाओं से भरे ट्रक ग़ज़ा में दाखिल हो रहे हैं.
आज इस युद्ध विराम का छठवां दिन है. (bbc.com/hindi)
पीटीआई के सांसद बैरिस्टर अली जाफ़र ने एलान किया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के प्रमुख इमरान ख़ान ने फ़ैसला लिया है कि वो पार्टी के चुनाव में भाग नहीं लेंगे और उन्होंने अपने वकील बैरिस्टर गौहर अली ख़ान को पीटीआई का कार्यवाहक अध्यक्ष नामित किया है.
उन्होंने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के चुनाव अगले शनिवार यानी 02 दिसंबर को होंगे.
अली जाफ़र ने कहा कि इमरान ख़ान ने मंगलवार को जेल में मुलाक़ात के दौरान पूछा कि "क्या वो यह चुनाव क़ानूनी तौर पर लड़ सकते हैं? और इसे लेकर क्या यह ख़तरा नहीं है कि अगर वे इस चुनाव में भाग लेते हैं तो चुनाव आयोग चुनाव को खारिज नहीं कर देगा?
वहीं बैरिस्टर अली जाफ़र ने कहा कि हमारे मुताबिक़ इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ केवल तोशाख़ाना मामले में एक फ़ैसला आया है और उन्हें जो सज़ा दी गई है वो अवैध है. जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं वो पूरी तरह से ख़ारिज हो सकते हैं, तो इमरान ख़ान अपनी पार्टी के चुनाव लड़ भी सकते हैं."
इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि इमरान ख़ान अस्थायी रूप से पार्टी का चुनाव नहीं लड़ेंगे.
इस मौक़े पर बैरिस्टर गौहर ने कहा, "इमरान ख़ान को धन्यवाद देने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं, लेकिन जब तक इमरान ख़ान इस सीट पर हैं मैं उनका प्रतिनिधि, नामित और उत्तराधिकारी बना रहूंगा." (bbc.com/hindi)
पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया, उन्होंने अपनी आखिरी सांस कनेक्टिकट स्थित अपने घर पर ली.
किसिंजर, एक राजनेता और जाने-माने राजनयिक थे. जिन्होंने राष्ट्रपति रिचर्ड एम. निक्सन और जेराल्ड फोर्ड के प्रशासन के दौरान अमेरिकी विदेश नीति पर अभूतपूर्व काम किया.
वह अकेले ऐसे नेता थे जो विदेश मंत्री रहने का साथ साथ व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रहे और दोनों ही पद एक साथ संभाला.
कहा जाता है कि उनका अमेरिकी विदेश नीति पर नियंत्रण किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति से अधिक था.
जब 1938 में जब वह नाज़ी जर्मनी से भाग कर एक यहूदी आप्रवासी के रूप में अमेरिका पहुंचे तो उन्हें बहुत कम अंग्रेजी बोलनी आती थी. लेकिन उन्होंने हार्वर्ड से स्नातक स्तर की पढ़ाई की, इतिहास में महारत हासिल की और एक लेखक के रूप में अपने कौशल का इस्तेमाल किया.
राजनीति में में आने से पहले वह हावर्ड में पढ़ाते थे. (bbc.com/hindi)