अंतरराष्ट्रीय
लाहौर, 11 सितंबर। पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने करोड़ों डॉलर के धन शोधन मामले में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के छोटे बेटे सुलेमान शहबाज की कंपनी के 13 बैंक खातों से लेनदेन पर रोक लगा दी है। मीडिया में रविवार को आई खबर में यह जानकारी दी गई।
यह आदेश संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत ने सात सितंबर को जारी किया था। ‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, जांच अधिकारी ने सुलेमान से जुड़ी विभिन्न कंपनियों के 13 बैंक खातों का ब्योरा अदालत को सौंपा।
एफआईए ने प्रधानमंत्री शहबाज और उनके बेटों- हमजा शहबाज (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री) और सुलेमान- के खिलाफ 14 अरब रुपये से अधिक के धन शोधन के आरोप में मामला दर्ज किया है।
सुलेमान 2019 से फरार है और ब्रिटेन में है। शहबाज अक्सर कहते रहे हैं कि सुलेमान वहां परिवार से जुड़े कारोबार की देखरेख करते हैं।
खबर में कहा गया है कि न्यायाधीश एजाज हसन अवान ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि सुलेमान अभी भी फरार है और उन्होंने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया है, इसलिए उसकी चल और अचल संपत्तियों के अलावा इन 13 बैंक खातों से लेनदेन पर भी रोक लगा दी गई है। (भाषा)
इस्लामाबाद, 11 सितंबर | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं मुख्य रूप से वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, गुटेरेस ने शनिवार को पाकिस्तान के दक्षिणी बंदरगाह शहर कराची में देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा के दौरान एक प्रेस वार्ता में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, दक्षिण एशिया में रहने वाले लोगों के जलवायु प्रभावों से मरने की संभावना 15 गुना अधिक है।
गुटेरेस ने कहा कि लगभग आधी मानवता अब इस श्रेणी में है और इसका ज्यादातर हिस्सा विकासशील देशों में है।
महासचिव ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से प्रभावित देशों के लिए ऋण राहत का एक नया तंत्र तैयार करने का आह्वान किया है।
इससे पहले शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कार्बन उत्सर्जन पर शिन्हुआ को जवाब देते हुए, गुटेरेस ने विकसित दुनिया से सबसे अधिक प्रभावित विकासशील देशों को लचीलापन बनाने और परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए प्रभावी समर्थन का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, यह उदारता की बात नहीं है। यह न्याय का मामला है।
महासचिव ने शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और अन्य अधिकारियों के साथ पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध और दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान प्रांतों के बाढ़ प्रभावित हिस्सों का दौरा किया।
उन्होंने सिंध में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल मोहनजोदड़ो का भी दौरा किया, जो बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गया है। इस दौरान उन्होंने सिंध और बलूचिस्तान में विस्थापित लोगों से भी मुलाकात की।
महासचिव ने बाढ़ की स्थिति और नुकसान का भी जायजा लिया। (आईएएनएस)|
वाशिंगटन, 11 सितंबर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके वरिष्ठ अधिकारी 19 सितंबर को न्यूयॉर्क पहुंच सकते हैं जहां वो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें अधिवेशन में भाग लेंगे। संयुक्त राष्ट्र के सूत्रों ने डॉन न्यूज को ये जानकारी दी। शरीफ 23 सितंबर को महासभा को संबोधित करने वाले हैं और उनके उसी दिन पाकिस्तान लौटने की उम्मीद है।
शरीफ के साथ विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी, विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार, रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और संघीय प्रसारण एवं सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब भी न्यूयॉर्क पहुंचेंगे।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिनिधिमंडल में विदेश सचिव और विदेश मंत्रालय और अन्य विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के न्यूयॉर्क पहुंचने के एक दिन बाद यानि 20 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उद्घाटन सत्र में भाग लेने की उम्मीद है। उसी दिन, वह शिक्षा सुधारों पर एक शिखर बैठक को संबोधित करेंगे, जिसमें यह भी विचार किया जाएगा कि शिक्षा पर महामारी के नकारात्मक प्रभाव से कैसे निपटा जाए।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार शरीफ खाद्य असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर दो और बैठकों में भाग लेंगे।
भुट्टो और खार अमेरिकी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए 25 सितंबर को वाशिंगटन जाएंगे। उनके 27 सितंबर तक न्यूयॉर्क में रहने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री के एजेंडे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक शामिल है या नहीं, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।
इस वर्ष की महासभा विशेष है क्योंकि यह 2019 के बाद से संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं का पहला व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन होगा। कोविड-19 महामारी के कारण 2020 और 2021 सत्रों को वर्चुअली आयोजित किया गया था। (आईएएनएस)|
टोरंटो, 11 सितंबर। महाराज चार्ल्स तृतीय को ओटावा में एक समारोह में आधिकारिक रूप से कनाडा का राजा घोषित किया गया।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का बृहस्पतिवार को निधन होने के बाद चार्ल्स स्वाभाविक रूप से महाराज बन गए। लेकिन ब्रिटेन में कुछ घंटे पहले हुए समारोह की तरह, कनाडा में हुआ समारोह देश में नए महाराज को पेश करने का एक महत्वपूर्ण संवैधानिक और औपचारिक कदम है।
महाराज चार्ल्स अब कनाडा के राष्ट्राध्यक्ष हैं।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘कनाडा का अपने महामहिम महाराज चार्ल्स तृतीय से करीबी रिश्ता है और उनसे जुड़ा लंबा इतिहास है, जो बीते वर्षों में कई बार हमारे देश की यात्रा कर चुके हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कनाडा की सरकार की ओर से हम कनाडा के नए राजा, महाराज चार्ल्स तृतीय के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि करते हैं और उन्हें पूरा समर्थन देते हैं।’’
हालांकि, कनाडाई नागरिक राजशाही के प्रति कुछ हद तक उदासीन हैं लेकिन उनमें से कई लोग महारानी एलिजाबेथ के प्रति स्नेह रखते थे। वह महारानी के तौर पर 22 बार कनाडा की यात्रा पर आयी थीं।
कुल मिलाकर, कनाडा में राजशाही विरोधी भावनाएं बहुत कम हैं, जिसका अर्थ है कि चार्ल्स लगभग निश्चित रूप से कनाडा के राजा बने रहेंगे।
कनाडा के सशस्त्र बलों के 28 सदस्यीय बैंड ने 21 तोपों की सलामी के दौरान ‘गॉड सेव द किंग’ बजाया। देश के राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ। (एपी)
रूस के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि वह यूक्रेन के खारकीव में दो जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। गौरतलब है कि इन दोनों क्षेत्रों में पिछले सप्ताह यूक्रेन के सैनिकों ने काफी
कीवः रूस के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि वह यूक्रेन के खारकीव में दो जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। गौरतलब है कि इन दोनों क्षेत्रों में पिछले सप्ताह यूक्रेन के सैनिकों ने काफी बढ़त हासिल कर ली है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनशेंकोव ने बताया कि बालक्लीया और इज्यूम इलाकों में सैनिकों की दोनेस्क क्षेत्र में फिर से तैनाती की जाएगी।
गौरतलब है कि खारकीव में इज्यूम रूसी सेना का महत्वपूर्ण ठिकाना था। प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व यूक्रेन के एक हिस्से ‘‘दोन्बास को मुक्त कराने के लिए विशेष सैन्य अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने के मकसद से'' यह कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि रूस इस क्षेत्र पर अपना सम्प्रभु अधिकार होने का दावा करता है। सैनिकों को वापस बुलाने और उनके दोन्सेक में उनकी फिर से तैनाती के पीछे बताया गया यह कारण बिलकुल वैसा ही है जैसा कि रूस ने कहव से सैनिकों को वापस बुलाते समय इस साल की शुरूआत में दिया था। (punjabkesari.in)
इस्लामाबाद, 11 सितंबर। अमेरिका निर्मित ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर के शनिवार को दुर्घटनाग्रस्त होने से अफगान चालक दल के कम से कम तीन सदस्यों की मौत हो गई। तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
बयान में कहा गया है कि राजधानी काबुल में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय की देखरेख में एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान हुई दुर्घटना में पांच अन्य घायल हो गए।
तालिबान सरकार के हाथों में कितने अमेरिकी हेलिकॉप्टर बचे हैं, इसकी जानकारी नहीं है।
पिछले साल अगस्त के मध्य में जैसे ही अमेरिका समर्थित अफगान सरकार गिर गई, दर्जनों अफगान पायलट तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित अन्य मध्य एशियाई देशों में पलायन कर गए।
तालिबान विद्रोहियों के खिलाफ 20 साल के युद्ध में अफगान वायु सेना के पायलटों ने अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पिछले साल विदेशी सैनिकों की विदाई के साथ यह युद्ध खत्म हो गया था। (एपी)
लंदन, 11 सितंबर। दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में से एक मानी जाने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की संपत्ति की जानकारी अब तक गोपनीय बनी रही है। इसलिए उनकी अंतिम वसीयत और वसीयतनामा से यह खुलासा होगा कि बृहस्पतिवार को स्कॉटलैंड में उनके निधन के बाद उनकी संपत्ति कैसे बांटी जाएगी।
एक ब्रांड के रूप में ब्रिटिश राजशाही की संपत्ति का मूल्यांकन 2017 में एक मूल्यांकन कंपनी ब्रांड फाइनेंस द्वारा लगभग 88 अरब अमेरिकी डॉलर किया गया था, जिसमें ‘फोर्ब्स’ ने निवेश, कला, गहने और अचल संपत्ति के रूप में महारानी की व्यक्तिगत संपत्ति लगभग 50 करोड़ अमेरीकी डॉलर आंकी थी।
ऐतिहासिक रूप से शाही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ महारानी की वसीयत गोपनीय रखी गई है।
‘द संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ ने 2015 में दिवंगत महारानी की संपत्ति की गणना 34 करोड़ पाउंड की थी, जिसमें धन का प्रमुख स्रोत डची ऑफ लैंकेस्टर था। यह ब्रिटिश शासक की निजी संपत्ति है, जो विशुद्ध रूप से उन्हें आय का एक स्रोत उपलब्ध कराने के लिए है। (भाषा)
सारा कैंपबेल
वह चार्ल्स की ज़िंदगी का प्यार हैं. वे दोनों एक-दूसरे पर उस वक़्त से भरोसा करते आ रहे हैं, जब वे युवा थे. बीते 17 साल से वह उनकी पत्नी हैं. अब चार्ल्स की पत्नी, कैमिला को भी नया ख़िताब मिलेगा. उनका पूरा टाइटल अब क्वीन कंसॉर्ट होगा. सम्राट की जीवनसंगिनी के लिए इसी ख़िताब का इस्तेमाल किया जाता है.
हर महत्वपूर्ण आयोजन और कार्यक्रम, वो चाहे राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय, लोग कैमिला को उनके पति चार्ल्स के साथ देखते आए हैं. लेकिन बकौल कैमिला यह सब इतना आसान नहीं रहा है.
कुछ महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर 'कैमिला पार्कर बोल्स' जैसा अप्रिय भी बताया गया. उन्हें वो 'दूसरी महिला' बताया गया जो शादी टूटने की जिम्मेदार रहीं और हमेशा उनकी तुलना वेल्स की राजकुमारी डायना से की जाती थी.
चार्ल्स को चुनकर उन्होंने अपना निजी जीवन एक तरह से ख़त्म ही कर लिया था. सालों तक वह मीडिया के सवालों से परेशान रहीं. उनके चरित्र और चाल-ढाल को लेकर लगातार सवाल होते रहे. लेकिन उन्होंने इन तमाम मुश्किलों का सामना किया और वक़्त के साथ धीरे-धीरे शाही परिवार में एक वरिष्ठ महिला सदस्य के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत किया.
कैमिला की एक लंबी यात्रा रही है. ऐसा कहा जाता है कि प्रिंस चार्ल्स और कैमिला अपनी उम्र के 20वें पड़ाव के दौरान मिले थे और एक-दूसरे को दिल दे बैठे.
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय से पूर्ण स्वीकृति मिलने में उन्हें समय लगा लेकिन अपने जीवन के आख़िरी सालों में कैमिला को महारानी का पूरा समर्थन मिल चुका था.
नई रानी को जनता की पूरी रज़ामंदी शायद कभी ना मिले, लेकिन इस साल की शुरुआत में वोग मैगज़ीन को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने स्वयं ही कहा था, "मैं इस पर बहुत ध्यान नहीं देती और इससे ऊपर उठकर आगे बढ़ती हूं. आपको जीवन के साथ आगे बढ़ना होता है."
17 जुलाई 1947 को जन्मी कैमिला भविष्य में ब्रिटेन के शाही घराने के उत्तराधिकारी की पत्नी बनेंगी, यह तो किसी ने सोचा भी नहीं था. कैमिला का परिवार कुलीन था, अमीर था और समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी थी, लेकिन निश्चित तौर पर वह शाही परिवार से नहीं थीं.
वह एक बेहद जुड़ाव रखने वाले परिवार में पली-बढ़ीं. ससेक्स में एक प्यार भरे माहौल में कैमिला अपने भाई और बहन के साथ खेलते हुए बड़ी हुईं. उनके पिता ब्रूस शैंड एक रिटायर्ड आर्मी ऑफ़िसर थे. वह उन्हें सोने से पहले कहानियां सुनाया करते थे और उनकी मां रोज़लिंड बच्चों को स्कूल छोड़ने जाया करती थीं. वह उन्हें खेलाने ले जाया करती थीं, समंदर किनारे घुमाने ले जाया करती थीं. कैमिला का बचपन, चार्ल्स के बचपन से बिलकुल जुदा रहा. चार्ल्स को कई बार लंबा समय अपने अभिभावकों के बग़ैर गुज़ारना पड़ा, क्योंकि वे विदेश-यात्राओं पर हुआ करते थे.
स्विट्ज़रलैंड में स्कूल समाप्त करने के बाद कैमिला लंदन की सोसायटी में ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए तैयार थीं. वह लोकप्रिय थीं और 60 के दशक के मध्य में वह हाउसहोल्ड कैवेलरी ऑफ़िसर एंड्रयू पार्कर बोल्स के साथ ऑन-ऑफ़ रिलेशन में थीं.
1970 के शुरुआती समय में उनका परिचय प्रिंस चार्ल्स से हुआ. चार्ल्स की जीवनी लिखने वाले जोनाथन डिंबलबी के अनुसार, "वह बहुत ही प्रेम रखने वाली बेहद सौम्य स्वभाव वाली थीं, और पहले प्यार के पूरे वेग और भाव के साथ शायद पहली बार में ही चार्ल्स उन पर अपना दिल हार बैठे थे."
लेकिन समय ठीक नहीं था. चार्ल्स उस वक़्त अपनी उम्र के 20वें पड़ाव पर थे और नेवी में अपना करियर बनाने के लिए प्रयासरत थे. इसके बाद 1972 के आख़िरी समय में उन्हें आठ महीने के लिए विदेश में तैनाती मिल गई. जिस समय चार्ल्स वहां नहीं थे, एंड्रयू ने कैमिला को प्रपोज़ किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. आख़िर उन्होंने चार्ल्स के पूछने का इंतज़ार क्यों नहीं किया?
उनके दोस्तों का अंदाज़ा था कि कैमिला ने ऐसा शायद इसलिए किया क्योंकि उन्होंने ख़ुद को कभी भी सम्राट की पत्नी के तौर पर नहीं देखा था.
हालांकि शायद चार्ल्स ने भले ही ठुकराया हुआ महसूस किया हो लेकिन वे एक-दूसरे के जीवन का हिस्सा बने रहे. वे एक ही सोशल-सर्किल में बने रहे, चार्ल्स और एंड्रयू एक साथ पोलो खेला करते थे. कैमिला और एंड्रयू ने चार्ल्स को अपने पहले बच्चे टॉम का गॉडफ़ादर भी बनने के लिए कहा.
पोलो के दौरान चार्ल्स और कैमिला की मुलाक़ातों की तस्वीर देखकर उनके बीच का सुकून साफ़ दिखाई देता है.
साल 1981 के गर्मियों में, चार्ल्स की मुलाक़ात डायना से हुई और उन्होंने युवा लेडी डायना स्पेंसर को प्रपोज़ कर दिया. उस समय तक भी कैमिला उनके जीवन का हिस्सा थीं.
'डायना: हर ट्रू स्टोरी' में लेखक एंड्रयू मोर्टन ने विस्तार से बताया है कि कैसे डायना ने चार्ल्स से शादी के महज़ दो दिन पहले शादी के लिए मना कर दिया था क्योंकि उन्हें कैमिला के लिए चार्ल्स का बनवाया वो ब्रेसलेट दिख गया था जिसमें उनके पेट-नेम फ्रेड और ग्लेडिस के पहले अक्षर गुदे हुए थे.
डायना अपने पति चार्ल्स और कैमिला के संबंधों से जूझती रहीं और इसमें कोई शक नहीं है. हालांकि चार्ल्स ने ज़ोर देकर कहा था कि उन्होंने कैमिला के साथ अपने रोमांस को दोबारा से तभी शुरू किया जब डायना के साथ उनकी शादी "तकरीबन पूरी तरह टूट" गई थी. लेकिन डायना ने अपने एक बयान में जिसे अब 1995 के पैनोरमा इंटरव्यू के रूप में जाना जाता है, कहा था, "इस शादी में हम तीन लोग थे."
धीरे-धीरे चार्ल्स और कैमिला की अपने-अपने वैवाहिक जीवन में परेशानियां बढ़ती जा रही थीं. इस दौरान कुछ ख़बरें ऐसी भी आईं जो निश्चित तौर पर परेशान करने वाली थीं. लेकिन कोई भी ख़बर उतने विस्तार से नहीं थी जितनी साल 1989 में गुपचुप तरीक़े से रिकॉर्ड की गई वो फ़ोन-कॉल थी. इस फ़ोन-कॉल को चार साल बाद सार्वजनिक कर दिया गया. इस कॉल पर काफी हंगामा हुआ और इससे उन दोनों के बीच की नज़दीकियों के स्तर का साफ़ अंदाज़ा मिला.
साल 1995 में कैमिला का तलाक़ हो गया. वहीं चार्ल्स और डायना की शादी आधिकारिक तौर पर साल 1996 में समाप्त हो गई.
ये चार्ल्स के प्रति कैमिला के लगाव की गहराई ही थी, जो उन्होंने चार्ल्स के साथ रहने का फ़ैसला किया, बावजूद इसके कि उन्हें अपने इस फ़ैसले के कारण लोगों की दुश्मनी और तमाम अड़चनों का सामना करना पड़ा.
इसका असर उनके बच्चों टॉम और लॉरा पर भी हुआ.
टॉम पार्कर बोल्स ने उन दिनों के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उस समय पैपराज़ी विल्टशायर में हमारे घर के बाहर झाड़ियों में छिपे रहा करते थे. उन्होंने कहा था, "उस समय कुछ भी ऐसा कहना बाकी नहीं रह गया था था जिससे हमारे परिवार को और ज़्यादा तक़लीफ़ होती."
साल 2017 में द टाइम्स न्यूज़ पेपर में उन्होंने लिखा था, "मेरी मां बुलेटप्रूफ़ है."
उन दिनों में कैमिली ने कहा था, "किसी को पसंद नहीं होता है कि कोई उस पर हर समय नज़र रखे. लेकिन आपको सिर्फ़ इसके साथ जीने का तरीक़ा खोज लेना होता है."
साल 1997 में लेडी डायना की मौत के बाद आलोचनाओं के बीच में से अपने लिए रास्ता तलाश पाना उनके लिए और मुश्किल हो गया. सार्वजनिक तौर पर चार्ल्स ने अपना पूरा ध्यान अपने बच्चों विलियम और हैरी पर केंद्रित कर दिया और कैमिला पर्दे के पीछे हट गईं. लेकिन उनका रिश्ता जारी रहा.
चार्ल्स के जीवन में कैमिला की ऐसी जगह थी जिसकी किसी भी चीज़ से तुलना नहीं हो सकती और इसीलिए उन्होंने धीरे-धीरे लोगों की नज़रों में उन्हें स्थापित करने के लिए सावधानीपूर्वक एक अभियान के तौर पर काम किया. इसकी शुरुआत साल 1999 में रिट्ज़ होटल से देर रात निकलने के साथ हुई, जहां चार्ल्स कैमिला की बहन का 50वां जन्मदिन मनाने पहुंचे थे.
इसके छह साल बाद उन्होंने एक छोटे से समारोह में विंडसर गिल्डहॉल में कैमिला के साथ शादी कर ली.
उस समय ये कयास भी लगाए जा रहे थे कि नव-विवाहितों को लेकर लोग अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अलबत्ता लोगों ने तालियों से उनका स्वागत किया.
लेकिन कई सालों से इस बात पर विवाद जारी रहा कि क्या उन्हें कभी रानी के नाम से जाना जाएगा. हालाँकि क़ानूनी तरीके से वो इसकी हक़दार थी, लेकिन आधिकारिक रूप से उन्हें क्वीन कंसॉर्ट ही कहा जाएगा.
अंत में, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने इस मामले का हल सुलझाया. उन्होंने साल 2022 में कहा था कि यह उनकी कामना है कि जब समय आए तो कैमिला को क्वीन कंसॉर्ट के रूप में जाना जाए.
अब, इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि चार्ल्स सम्राट बनेंगे और कैमिला क्वीन कंसॉर्ट. इसी के साथ ही अभी तक चली आ रही हर तरह की बहस पर भी विराम लग गया है.
अगर महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय कैमिला के मामले में इतनी सजग थीं तो वह प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी के मामले में और भी अधिक सजग रही होंगी. दोनों राजकुमारों ने अपने अभिभावकों के रिश्ते को टूटते हुए देखा था और उन्हें इसका दर्द झेलना पड़ा था. इसके बाद कम उम्र में ही उन्हें उनकी मां की मौत के दुख से गुज़रना पड़ा.
साल 2005 में, अपनी शादी के कुछ महीनों के बाद प्रिंस हैरी ने कैमिला को एक शानदार महिला के तौर पर परिभाषित किया था. उन्होंने कहा था कि कैमिला ने उनके पिता को खुशियां दीं.
उन्होंने कहा था, "हम उन्हें प्यार करते हैं और जब भी मिलते हैं, अच्छे से मिलते हैं."
हालांकि दोनों ही भाइयों ने कैमिला के बारे में सार्वजनिक तौर पर बहुत ही कम कहा है. लेकिन सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रिंस विलियम, उनकी पत्नी और कैमिला के बीच होने वाली बातचीत और उनकी बॉडी-लैंग्वेज देखकर लगता है कि उनके बीच संबंध अच्छे हैं.
अब अपनी उम्र के 70वें पड़ाव पर कैमिला ने अपना पूरा ध्यान अपने पति और उनके परिवार के इर्द-गिर्द केंद्रित कर दिया है. शाही परिवार से इतर उनकी एक और ज़िंदगी है. जहां वो पांच बच्चों की दादी हैं.
कैमिला के भतीजे बेन एलियट ने वैनिटी फ़ेयर मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "उनका परिवार बेहद सपोर्टिव है और उनसे जुड़ा हुआ है. वह अपने पति, बच्चों और बच्चों के बच्चों से बहुत प्यार करती हैं."
- ऑस्टियोपोरोसिस को लेकर जागरूकता बढ़ाना. दरअसल, उनकी मां और उनकी दादी इस बीमारी से पीड़ित थीं
- घरेलू हिंसा, रेप और यौन हिंसा जैसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाना
- किताबों के प्रति लोगों में प्यार को बढ़ाने के लिए इंस्टाग्राम पर एक क्लब का नेतृत्व करना
- वो उम्र के एक पड़ाव को पार करने के बाद शाही जीवन का हिस्सा बनीं, तो ऐसे में शायद वो समाज में व्याप्त बुराइयों के प्रति संवेदनशील हैं.
- लॉकडाउन के दौरान दौरान उन्होंने इस बात पर खेद जताया था कि वो अपने बच्चों के बच्चों को भरपूर तरीक़े से गले नहीं लगा पा रही हैं. उनके काम को देखकर लगता है कि वह लोगों को आराम से रख सकती हैं. उन्होंने कभी भी यह बात नहीं छिपाई कि उन्हें भाषण देने में घबराहट महसूस होती है. लेकिन निश्चित तौर पर पिछले कुछ सालों में उनका आत्मविश्वास बढ़ा है.
एलियट ने वैनिटी फ़ेयर को दिए इंटरव्यू में कहा था, "वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे की इज़्ज़त भी. साथ ही वे साथ हंसते-मुस्कुराते भी हैं."
प्रिंस चार्ल्स ने अपनी शादी की दसवीं सालगिरह के मौके पर ब्रॉडकास्टर सीएनएन से कहा था, "कोई आपके साथ हो तो हमेशा ही अच्छा लगता है. वह एक बड़ा सहारा हैं और ज़िंदगी के मज़ाकिया पक्ष को भी बनाए रखती हैं. मैं भगवान का शुक्रगुज़ार हूं." (bbc.com/hindi)
-शॉन कफ़लान
ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबे समय तक राजगद्दी के उत्तराधिकारी के रूप में सेवा देने वाले चार्ल्स, अब सम्राट हैं. उत्तराधिकारी के तौर पर उनकी 70 साल लंबी यात्रा ने उन्हें सिंहासन के लिए अब तक का सबसे अधिक तैयार और सबसे उम्रदराज़ नया सम्राट बना दिया है.
73 वर्षीय सम्राट अपनी मां के लंबे शासनकाल के साक्षी रहे हैं, इस दौरान ब्रिटेन के 15 प्रधानमंत्री और अमेरिका के 14 राष्ट्रपति समेत दुनिया के कई नेताओं की पीढ़ियां आती-जाती रहीं.
ऐसे में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के उल्लेखनीय, युग-परिभाषित शासन के बाद, हम कैसे सम्राट की उम्मीद कर सकते हैं? और एक प्रिंस जो कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते आए हैं, वे अब सम्राट की निष्पक्षता के अनुकूल खुद को कैसे ढालेंगे?
सम्राट के रूप में, चार्ल्स के पास अब अपना पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होगा और न ही वे सार्वजनिक रूप से अपनी मज़बूत राय रख सकेंगे. सम्राट होने पर आपकी कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं रहती.
प्रमुख संवैधानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वर्नोन बोगदानोर का मानना है कि यह अलग-अलग भूमिकाओं और नियमों का मामला है.
प्रोफेसर बोगदानोर कहते हैं, "वे अपने शुरुआती दिनों से जानते हैं कि उन्हें अपनी शैली बदलनी होगी. जनता एक चुनाव प्रचार करने वाला सम्राट नहीं चाहेगी."
सम्राट चार्ल्स इससे अच्छी तरह अवगत हैं कि अब उन्हें कम मुख़र होने की ज़रूरत है.
साल 2018 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "मैं उतना बेवकूफ़ नहीं हूं. मुझे एहसास है कि संप्रभु होने के नाते ये एक अलग अभ्यास है. ये सोच कि सिंहासन संभालने के बाद भी मैं ऐसा ही बना रहूंगा, पूरी तरह बकवास है."
जब एक नया सम्राट सिंहासन पर बैठता है, तो सिक्कों पर शाही प्रोफ़ाइल विपरीत दिशा में बदल जाती है. चार्ल्स के शासनकाल में भी ये बदलेगा.
जिस देश पर सम्राट चार्ल्स शासन करेंगे, वह उनकी मां को विरासत में मिले देश की तुलना में बहुत अधिक विविध है, और प्रोफेसर बोगडानोर का अनुमान है कि नए सम्राट एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक ब्रिटेन तक अपनी पहुंच बनाएंगे.
वे उम्मीद करते हैं कि सम्राट देश को जोड़ने वाली शक्ति के रूप में काम करने की कोशिश करेंगे और अल्पसंख्यकों और वंचित समूहों के साथ जुड़ने का काम करेंगे.
प्रोफेसर बोगडानोर कला, संगीत और संस्कृति के अधिक शाही संरक्षण की अपेक्षा करते हैं, जहां घुड़दौड़ पर कम और शेक्सपियर की विरासत पर ज़्यादा ध्यान होगा.
लेकिन सर लॉयड डोर्फ़मैन, जिन्होंने सम्राट चार्ल्स के साथ उनके प्रिंस ट्रस्ट चैरिटी में कई वर्षों तक काम किया, वे मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और जैविक खेती जैसे मुद्दों पर सम्राट की संपूर्ण दख़लअंदाज़ी शायद ही पूरी तरह ख़त्म हो.
सर लॉयड का कहते हैं, "वे बहुत जानकार हैं, बहुत प्रभावी भी. ये सोच पाना कठिन है कि जिस दिन वह संप्रभु बन जाएंगे, उस दिन से वे इन सभी मुद्दों को दरकिनार कर देंगे."
रॉयल्स की एक छोटी कोर ग्रुप होगी, जिसके केंद्र में चार्ल्स और कैमिला, प्रिंस विलियम और कैथरीन होंगे.
शाही टिप्पणीकार विक्टोरिया मर्फी कहती हैं, "इसके बावजूद नए शासन का प्रमुख संदेश निरंतरता और स्थिरता होगा. "
वे कहती हैं, "किसी भी बड़े, परेशान करने वाले मतभेदों की अपेक्षा न करें. वे बहुत सावधान रहेंगे."
रॉयल कमेंटेटर और लेखक रॉबर्ट हार्डमैन कहते हैं, "हमने राष्ट्रीय जीवन में रानी को एक स्थिरता का प्रतीक माना है, लेकिन उनके अलावा, चार्ल्स सार्वजनिक जीवन में किसी भी राजनेता की तुलना में सबसे लंबे समय तक रहे हैं."
इतिहासकार और लेखक सर एंथनी सेल्डन का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बारे में चेतावनी जैसे मुद्दों पर सही साबित होने के बाद सम्राट चार्ल्स का कद मज़बूत हुआ है.
हार्डमैन 2021 में ग्लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन का उदाहरण देते कहते हैं कि चार्ल्स को यहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जैसे दिग्गजों ने गंभीरता से लिया था. वैश्विक मंच पर उनका कद सम्राट के रूप में उनकी छवि को मज़बूती देगी.
लेकिन नए सम्राट का स्वभाव कैसा होगा?
जो लोग उन्हें जानते हैं, उनका कहना है कि अंदर से वे एक शर्मीले और रिज़र्व व्यक्ति हैं. सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो एक "संवेदनशील शख़्स".
स्कूल में पढ़ने के दौरान एक चिट्ठी में उन्होंने स्कूल के छात्रावास में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का ज़िक्र किया था.
चिट्ठी में वे लिखते हैं, "वे रात भर चप्पल फेंकते हैं या मुझे तकिए से मारते हैं या पूरे कमरे में दौड़ते हैं और मुझे जितना हो सके उतनी ज़ोर से मारते हैं."
चिट्ठी पढ़कर उनमें एक अकेले लड़के के निशान मिलते हैं, जिसे स्कूल में एक हद तक परेशान किया गया.
उनकी पत्नी कैमिला, जो अब क्वीन कंसॉर्ट हैं, ने उन्हें "काफी अधीर'' बताया है. वे कहती हैं कि चार्ल्स चाहते हैं कि सभी काम एक दिन पहले ही पूरे हो जाएं. वे इसी तरह काम करते हैं.
चार्ल्स के 70वें जन्मदिन पर एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर गंभीर से नज़र आने वाले सम्राट का एक अधिक चंचल पक्ष भी था.
कैमिला कहती हैं, "लोग उन्हें एक बहुत गंभीर व्यक्ति के रूप में देखते हैं, जो वे हैं. लेकिन मैं चाहती हूं कि लोग उनके दूसरे पक्ष को भी देखें. वे अपने घुटनों पर बैठ जाते हैं और बच्चों के साथ खेलते हैं, उन्हें हैरी पॉटर पढ़ाते हैं और आवाज़ें निकालते हैं."
चार्ल्स एक शांत और सुलभ व्यक्ति बन गए हैं. जब वे आम लोगों से मिलते हैं, तो अपनी ही निंदा करने वाले कुछ चुटकुलों के साथ उन्हें आकर्षित करते हैं.
शायद सम्राट बनने के बाद ये बदल जाएगा, लेकिन वेल्स के राजकुमार के रूप में उन्होंने एक मिलनसार और बिल्कुल दादाजी की शैली विकसित की, जिसमें कोई बेगानापन नहीं था.
प्रिंस टीचिंग इंस्टीट्यूट में चार्ल्स के साथ काम करने वाले क्रिस पोप ने नए सम्राट को एक निरंतर व्यस्त, प्रेरित करने वाले और "ऊर्जा का बंडल" के रूप में वर्णित किया, जो अधिक कार्यभार ले लेते हैं.
पोप कहते हैं, "वह वास्तव में अगली पीढ़ी की भलाई के लिए तत्पर हैं. उनके किए गए बहुत सारे कामों में आप ये देखे सकेंगे."
राजकुमार के परोपकारी कार्यों में विरासत की रक्षा करना और पारंपरिक शिल्प कौशल को संरक्षित करना शामिल है, साथ ही नवीनीकरण और परिवर्तन को भी वे प्रोत्साहित करते थे.
पोप कहते हैं, "उन्हें हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि परंपराएं खत्म न हो जाएं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता कि हमें घड़ी को पीछे करना होगा."
नए सम्राट जितना बदलाव चाहते हैं उतना ही पुरानी परंपराओं को बचाकर रखना चाहते हैं. वो दोनों ही चीज़ों को साथ लेकर चलना चाहते हैं.
कभी वे 18वीं सदी की किसी पेंटिंग से निकले एक संपन्न ज़मींदार की तरह नज़र आते हैं, तो कभी एक बौख़लाए परिवर्तनवादी की तरह, जो इस बात से परेशान है कि कैसे कुछ समुदायों को नज़रअंदाज़ किया गया है और वे कहीं पीछे छूट गई हैं.
अपनी मां से विरासत में मिली कर्तव्य की भावना के इतर सम्राट चार्ल्स को उनकी धार्मिक आस्था और मज़बूत सेंस ऑफ ह्यूमर भी विरासत में मिली है.
हितन मेहता ने 2007 में ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट की स्थापना में मदद करने के बाद से सम्राट के साथ काम किया है.
मेहता कहते हैं, "वे दिल से एक मानवतावादी हैं. मुझे लगता है कि लोग इस बात को ज़्यादा तरजीह नहीं देते कि वे कितना ध्यान रखते हैं. वे अक्सर उस दुनिया की बात करते हैं जो वह अपने पोते के लिए छोड़ने जा रहे हैं. वे इसकी चिंता करते हैं."
इसका मतलब सीधे कॉल टू एक्शन हो सकता है.
मेहता बताते हैं, "शुक्रवार की रात के नौ बज रहे होंगे और मुझे उनका फोन आया जिसमें कहा गया: 'मैंने अभी-अभी पाकिस्तान में बाढ़ के बारे में सुना है. हम क्या कर रहे हैं?' ऐसा नहीं है कि वह व्यस्त व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन उन्होंने समस्या के बारे में सुना और वह काम में जुट गए. वह वास्तव में परवाह करते हैं."
प्रिंस हैरी ने अपने पिता के बारे में कहा, "वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो देर रात डिनर करते हैं और फिर अपनी मेज़ पर जाते हैं और अपने नोट्स पर सो जाते हैं."
जब बीबीसी ने उनके जन्म की घोषणा की, तो ख़बर ये नहीं बनी कि महारानी ने एक लड़के को जन्म दिया है, बल्कि कहा गया कि उनकी मां ने 'सुरक्षित रूप से एक राजकुमार' को जन्म दिया है.
चार साल बाद, वे राजगद्दी के उत्तराधिकारी बन गए.
चार्ल्स ने 2005 के अपने एक साक्षात्कार में कहा था, "मैं खुद को इस विशेष स्थिति में पैदा हुआ पाता हूं. मैं इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए दृढ़ हूं. और जो कुछ भी मैं मदद कर सकता हूं, वह करने के लिए तैयार हूं."
वह 400 से अधिक संगठनों के संरक्षक या अध्यक्ष रहे हैं और 1976 में उन्होंने रॉयल नेवी में मिले अपने वेतन से प्रमुख चैरिटी, दी प्रिंस ट्रस्ट की स्थापना की.
इसने देश के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में रहने वाले लगभग 900,000 वंचित युवाओं की मदद की है और उन्हें कई सामाजिक समस्याओं के बारे में जानकारी दी है.
हालांकि प्रिंस ट्रस्ट से जुड़ी उनकी योजना हमेशा सफ़ल नहीं रही.
उन्होंने 2018 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में बताया था, "होम ऑफिस ने नहीं सोचा था कि यह एक अच्छा विचार था. इसे धरातल पर उतारना काफी मुश्किल था."
उनके कामों पर राजनीतिक हस्तक्षेप और दख़लअंदाज़ी के आरोप लगे, ख़ासकर तथाकथित "ब्लैक स्पाइडर मेमो" के मामले में.
"ब्लैक स्पाइडर" मेमो किंग चार्ल्स तृतीय, तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा ब्रिटिश सरकार के मंत्रियों और राजनेताओं को लिखे गए पत्र और ज्ञापन का संग्रह है.
2004 के बाद से चार्ल्स द्वारा सरकारी मंत्रियों को लिखे गए निजी पत्र में खेती, शहरी नियोजन, वास्तुकला, शिक्षा और यहां तक कि पेटागोनियन टूथफिश की रक्षा जैसे मुद्दों पर सरकारी दृष्टिकोण पर सवाल उठाए गए थे.
चार्ल्स की काफ़ी हद तक पैरवी करते हुए एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्होंने बहुत दबाव महसूस नहीं किया, लेकिन नए सम्राट से जुड़ी उनकी स्मृति एक ऐसे व्यक्ति की है जिसकी एक निश्चित राय थी. जो अपने पूर्व निर्धारित विचारों के साथ अडिग रहना चाहते थे, न कि विरोधी तर्कों को सुनना और उस पर बात करना.
वे कहते हैं, "मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं परेशान था. वे हस्तक्षेप करते थे और आपको पत्र मिलते थे. उन्होंने ज़ोर नहीं दिया, उन्होंने दबाव नहीं बनाया, वे अभद्र नहीं थे.''
दख़लअंदाज़ी के आरोपों पर जवाब देते बुए चार्ल्स ने 2006 के अपने एक इंटरव्यू में कहा था, "अगर यह हस्तक्षेप है, तो मैं इस पर बहुत गर्व करता हूं." लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि वे कोई अच्छी स्थिति में नहीं थे.
उन्होंने कहा, "यदि आप बिल्कुल कुछ नहीं करते हैं, तो वे इसके बारे में शिकायत करेंगे. यदि आप कोशिश करते हैं और फंस जाते हैं और मदद करने के लिए कुछ करते हैं, तो वे भी शिकायत करेंगे."
बाद में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्होंने दलगत राजनीति से परहेज किया था, लेकिन कुछ मुद्दों ने उन्हें बोलने के लिए मजबूर कर दिया, जैसे "जिन परिस्थितियों में लोग रह रहे थे."
पूर्व श्रम मंत्री क्रिस मुलिन ने अपनी डायरियों में चार्ल्स के साथ अपनी एक मीटिंग का वर्णन किया और बताया कि वह चार्ल्स के ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और जोख़िम लेने की उनकी तत्परता से कितने चकित थे.
वे घूम फिर कर उसी प्वॉइंट पर वापस आ जाते कि कैसे युवाओं के क्षितिज को बड़ा किया जाए, विशेष रूप से वैसे युवा जो अप्रभावित, बदकिस्मत या निंदा के पात्र बन गए हों.
उन्होंने कहा, "मैं स्वीकार करता हूं कि मैं प्रभावित हूं. वे एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे अगर उन्होंने चुना, तो आलस्य और स्वयं तक सीमित रहने वाली उनकी ज़िंदगी ख़राब कर सकता है."
चार्ल्स ने कहा है, "राजशाही जैसी जिज्ञासु कोई चीज तब तक नहीं टिकेगी जब तक आप लोगों के नज़रिए पर ध्यान नहीं देते. आख़िरकार, अगर लोग इसे नहीं चाहेंगे, तो ये नहीं होगा."
दिसंबर, 2021 में यू गॉव द्वारा किए गए शोध के अनुसार, उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है, लगभग दो-तिहाई लोगों ने उन्हें सकारात्मक दृष्टि से देखा है.
लेकिन जनमत सर्वेक्षणों ने उन्हें लगातार अपनी मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय या उनके बेटे प्रिंस विलियम की तुलना में कम लोकप्रिय दिखाया है, इसलिए जनता के एक बड़े हिस्से को अभी भी प्रभावित करना बाकी है. ख़ासकर युवाओं में उनकी लोकप्रियता कम है.
विक्टोरिया मर्फ़ी का कहना है कि इसके पीछे कि वजह टीवी शो और फिल्मों में चार्ल्स का एक निर्दयी चित्रण है. वेल्स की राजकुमारी और चार्ल्स की पहली पत्नी डायना, जिनकी अगस्त 1997 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, के साथ उनके संबंधों को जिस तरह से दिखाया गया, उनकी सत्यता पर भले ही सवाल उठ सकते हैं, पर उनकी छवि पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है.
मर्फ़ी कहती हैं, "पिछले कुछ वर्षों में डायना और शाही परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई नैरेटिव ने काफ़ी नुकसान पहुंचाया है."
लंदन विश्वविद्यालय के रॉयल होलोवे में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ द मॉडर्न मोनार्की के प्रोफेसर पॉलीन मैकलारन कहते हैं, "जैसे ही चार्ल्स सिंहासन के करीब पहुंचे, जनता की धारणा को बदलने का प्रयास किया गया है."
प्रोफेसर मैकलारन कहते हैं कि स्पिटिंग इमेज जैसे कॉमेडी शो में पूर्व में जिस तरह उन्हें व्यंग्य का विषय बनाया जाता था, उसे धीरे-धीरे एक अधिक प्रतिष्ठित व्यक्ति, एक "ऋषि" के रूप में बदल दिया गया है, जो पर्यावरण के बारे में गंभीर बातें कहते हैं.
जनता के हित हमेशा इतने उच्च विचारों वाले नहीं हो सकते. वे प्रिंस हैरी, डचेस ऑफ ससेक्स मेगन और शाही परिवार के साथ उनके संबंधों से जुड़ी कहानियां सुनने को बेताब रहेंगे. शाही परिवार के मुखिया के तौर पर चार्ल्स को हमेशा ऐसे लोगों से जूझना होगा.
सम्राट चार्ल्स को दूसरे मुश्किल पारिवारिक निर्णयों का सामना करना पड़ेगा, जैसे वर्जीनिया गिफ्रे के यौन उत्पीड़न के दावों के बाद हुए समझौते के बाद भविष्य में प्रिंस एंड्रयू की क्या भूमिका होगी, या नहीं होगी.
ब्रिटेन के बाहर, एक बड़ी चुनौती राष्ट्रमंडल के साथ अधिक आधुनिक संबंधों को फिर से परिभाषित करना होगा. इसके नए प्रमुख के रूप में, राष्ट्रमंडल देशों की उनकी यात्रा उपनिवेशवाद की कठिन विरासतों और गुलामी जैसे मुद्दों से कैसे निपटेगी?
किंग चार्ल्स 14 देशों के साथ-साथ ब्रिटेन के भी राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं. इनमें से कुछ राष्ट्रमंडल के सदस्यों के रूप में रहते हुए गणतंत्र बनना चाहेंगे, और किंग चार्ल्स ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह बदलाव के बारे में बड़े पैमाने पर बातचीत के लिए तैयार हैं.
पहले से ही ऐसे निर्णय लिए जा चुके हैं जिन्होंने उनके नए शासन का मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने बेशक तब खुशी हुई होगी जब उनकी मां ने कहा कि कैमिला को राजकुमारी के बजाय रानी पत्नी की उपाधि का उपयोग करना चाहिए.
कैमिला एक अहम सहयोगी होंगी क्योंकि वह ऐसी उम्र में दुनिया की सर्वोच्च पद की ज़िम्मेदारी उठाने जा रहे हैं, जब अधिकांश लोग सेवानिवृत्त हो जाते हैं.
ये क्षण, तमाम गंभीर औऱ कठिन माहौल में भी, जीवन भर उनकी प्रतीक्षा करता रहा है.
ये अब सम्राट चार्ल्स का व़क्त है. (bbc.com/hindi)
ओटावा, 10 सितंबर | कनाडा की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी (पीएचएसी) ने शुक्रवार तक देश में मंकीपॉक्स के कुल 1,321 मामलों की पुष्टि की है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने स्वास्थ्य एजेंसी के हवाले से सूचना दी कि पुष्टि किए गए मामलों में से 631 मामले ओंटारियो से, 505 क्यूबेक से, 143 ब्रिटिश कोलंबिया से, 34 अल्बर्टा से, सस्केचेवान से 3, युकोन से 3 और नोवा स्कोटिया, मैनिटोबा और न्यू ब्रंसविक से एक-एक मामला है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। (आईएएनएस)
"मैं आज आपसे बहुत दुखभरी भावनाओं के साथ बात कर रहा हूं. पूरी ज़िंदगी महारानी, मेरी प्यारी मां, मेरे और मेरे पूरे परिवार के लिए प्रेरणास्रोत और मिसाल रहीं. हम उनके प्यार, लगाव, मार्गदर्शन, समझ और मिसाल बनने के लिए उनके दिल से कर्ज़दार हैं जैसा कि कोई भी परिवार अपनी मां के लिए होता है."
"महारानी एलिज़ाबेथ ने बहुत अच्छा जीवन जिया; नियति के साथ वादा निभाया और हमें उनके जाने पर गहरा दुख है.
"मैं आपसे आज फिर से उसी आजीवन सेवा का वादा करता हूं."
"मेरा पूरा परिवार तो व्यक्तिगत दुख महसूस कर ही रहा है, उसके साथ-साथ हम ब्रिटेन में और उन सभी देशों में जहां रानी राष्ट्रप्रमुख थीं, (राष्ट्रमंडल और दुनिया भर में), आप लोगों के साथ मेरी मां की कई देशों में एक महारानी के तौर पर 70 सालों की सेवा के लिए कृतज्ञता की गहरी भावना साझा करते हैं."
"1947 में अपने 21वें जन्मदिन पर उन्होंने केपटाउन से राष्ट्रमंडल को संबोधित करते हुए अपना जीवन, चाहे वो छोटा हो या बड़ा हो, लोगों की सेवा में लगाने की शपथ ली थी."
"वो एक वादे से कहीं बढ़कर था: ये एक गहन व्यक्तिगत प्रतिबद्धता थी जिसने उनके पूरे जीवन को परिभाषित किया."
"उन्होंने कर्तव्य के लिए त्याग किए. एक शासक के तौर पर उनका समर्पण और निष्ठा कभी कम नहीं हुए, फिर चाहे परिवर्तन और प्रगति का समय हो, खुशी और उत्सव का समय हो और दुख और क्षति का समय हो."
"उनके सेवाकाल में हमने परंपरा के प्रति उस अटूट प्रेम के साथ-साथ प्रगति को निडरता से स्वीकार करते देखा, जो हमें राष्ट्रों के रूप में महान बनाता है."
"उन्होंने जिस स्नेह, प्रशंसा और सम्मान की प्रेरणा दी, वह उनके शासनकाल की पहचान बन गया. और जैसा कि मेरे परिवार का हर सदस्य गवाही दे सकता है, उनमें इन गुणों के साथ-साथ गर्मजोशी, हास्य और लोगों में हमेशा सर्वश्रेष्ठ देखने की एक अदम्य क्षमता थी."
"मैं अपनी मां की स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी सेवा में बीते जीवन का सम्मान करता हूं. मैं जानता हूं कि उनकी मृत्यु आप में से कई लोगों के लिए दुख की घड़ी है और मैं किसी को खोने की उस अतुलनीय भावना को आपके साथ साझा करता हूं."
"जब महारानी ने राजगद्दी संभाली थी, तब भी ब्रिटेन और दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की कठिनाइयों और दुष्परिणामों का सामना कर रहे थे और अब भी पुरानी परंपराओं की तहत जी रहे थे."
"पिछले 70 वर्षों के दौरान हमने देखा है कि हमारा समाज कई संस्कृतियों और कई धर्मों में से एक बन गया है."
''देश की संस्थाएं बदलती रहीं. लेकिन, इन परिवर्तनों और चुनौतियों से होते हुए हमारा राष्ट्र और साम्राज्य का व्यापक परिवार - जिनकी प्रतिभा, परंपराओं और उपलब्धियों पर मुझे बहुत गर्व है - समृद्ध हुआ और फला-फूला है. हमारे मूल्य बने रहे हैं और बने रहने चाहिए."
''राजशाही की भूमिका और कर्तव्य भी बने रहते हैं, जैसा कि शासक का चर्च ऑफ़ इंग्लैंड से विशेष संबंध और ज़िम्मेदारी है- चर्च जिसमें मेरा भी गहरा विश्वास है."
''उस विश्वास के साथ और जिन मूल्यों के लिए ये प्रेरित करता है, मुझे दूसरों के प्रति कर्तव्य की भावना को बनाए रखने और हमारे अद्वितीय इतिहास और संसदीय सरकार की हमारी प्रणाली की अनमोल परंपराओं, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों के प्रति अत्यंत सम्मान रखने की परवरिश दी गई है."
''जैसा कि महारानी ने स्वयं जिस अडिग निष्ठा के साथ किया था, मैं भी सत्यनिष्ठा के साथ, भगवान से मिले अपने शेष समय में हमारे राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने की शपथ लेता हूं."
''आप यूनाइटेड किंगडम या दुनियाभर के साम्राज्य या क्षेत्रों में जहां भी रहते हैं और आपकी जो भी पृष्ठभूमि या विश्वास हों, मैं जीवनभर निष्ठा, सम्मान और प्यार के साथ आपकी सेवा करने का प्रयास करूंगा."
"नई ज़िम्मेदारियों के साथ मेरा जीवन निश्चित रूप से बदल जायेगा. मेरे लिए दान और उन दूसरे कार्यों को बहुत ज़्यादा समय और ऊर्जा देना संभव नहीं होगा जिनकी मैं गहराई से परवाह करता हूं. लेकिन, मैं जानता हूं कि ये महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दूसरे भरोसेमंद हाथों में जाएगी."
"ये मेरे परिवार के लिए भी बदलाव का समय है. मैं अपनी प्यारी पत्नी कैमिला की प्यार भरी मदद पर भरोसा करता हूं. 17 साल पहले हमारी शादी के बाद से उनकी निष्ठापूर्ण सार्वजनिक सेवा की मान्यता के तौर पर वो मेरी रानी बनी हैं. मैं जानता हूं कि वो अपनी नई भूमिका की मांगों को कर्तव्य के प्रति दृढ़ समर्पण के साथ निभाएंगी जिस पर मैं इतना भरोसा करता आया हूं."
"मेरे उत्तराधिकारी के तौर पर विलियम ने अब स्कॉटिश उपाधि ग्रहण की है जो मेरे लिए बहुत मायने रखता है. वो मेरे बाद ड्यूक ऑफ़ कॉर्नवॉल हैं और डची ऑफ़ कॉर्नवॉल की जिम्मेदारियां ली है जो पांच दशकों से भी ज़्यादा समय तक मेरे पास रही हैं."
"आज मुझे उन्हें प्रिंस ऑफ़ वेल्स (टूसग कमरी) बनाते हुए गर्व महसूस होता है, वो देश जिसकी उपाधि मुझे अपने जीवन और कर्तव्य के दौरान ग्रहण करने का बहुत सौभाग्य मिला है."
" मैं जानता हूं कि कैथरीन के साथ, वेल्स के हमारे नए राजकुमार और राजकुमारी हमारे देश को राष्ट्रीय विचारों को प्रेरित करना और उनका नेतृत्व करना जारी रखेंगे, हाशिये पर रहने वालों को मुख्यधारा में लाने में मदद करेंगे जहां ज़रूरी सहायता दी जा सकती है."
"मैं हैरी और मेगन को भी अपना प्यार देना चाहता हूं जैसा कि वो विदेश में अपना जीवन संवारने की कोशिश कर रहे हैं."
"एक हफ़्ते से भी कम समय में हम मेरी प्यारी मां आखिरी विदाई देने के लिए एक राष्ट्र, राष्ट्रमंडल और वास्तव में एक वैश्विक समुदाय के तौर पर एकसाथ आ जाएंगे. हमारे दुख में, हम उनकी मिसालों की रोशनी में शक्ति प्राप्त करें. मेरे पूरे परिवार की ओर से, मैं आपकी संवेदना और समर्थन के लिए पूरी ईमानदारी और दिल से सिर्फ़ धन्यवाद कर सकता हूं. वो मेरे लिए उससे कहीं ज़्यादा मायने रखते हैं जितना मैं कभी जाहिर कर सकता हूं."
"और मेरी प्यारी मां के लिए, जैसा कि आपने मेरे प्यारे दिवंगत पिता से जुड़ने के लिए अपनी अंतिम महान यात्रा शुरू की है, मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूं: धन्यवाद. हमारे परिवार और राष्ट्रों के परिवार जिनकी आपने इतने वर्षों लगन से सेवा की, को प्यार और समर्पण के लिए धन्यवाद. (bbc.com/hindi)
सियोल, 10 सितंबर | दक्षिण कोरिया में शनिवार को एक सर्वे में खुलासा हुआ कि अधिकतर माता-पिता छोटे बच्चों की देखभाल करने के लिए स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर पर काफी हद तक निर्भर रहते हैं। यह सर्वे देश में युवाओं के बीच स्मार्टफोन की बढ़ती लत के एक ग्राफ को भी दर्शाता है।
कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन ने 1 से 7 साल के उम्र के बच्चों के साथ 1,500 माता-पिता पर सर्वे किया। सर्वे में 70.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को रोजमर्रा के कामों को संभालने के लिए घर पर स्मार्टफोन सौंपे हैं।
समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अगस्त में किए गए सर्वे की रिपोर्ट संस्थान ने हाल ही में प्रकाशित की है।
उत्तरदाताओं में से 74.3 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को सार्वजनिक गतिविधियों के दुष्प्रभाव से दूर रखने के लिए स्मार्टफोन दिया, जबकि 52 प्रतिशत ने शैक्षिक उद्देश्यों का हवाला दिया।
सर्वे के अनुसार, 12 से 18 महीने की उम्र में पहली बार स्मार्टफोन के संपर्क में आने वाले बच्चों की दर 20.5 प्रतिशत थी। वहीं 18 से 24 महीने की उम्र के बच्चों का प्रतिशत 13.4 प्रतिशत है।
बच्चों द्वारा स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर इस्तेमाल करने की अवधि प्रति सप्ताह 55.3 मिनट था। सर्वे के अनुसार, वीकेंड में यह 97.6 मिनट दर्ज किया गया है।
सर्वे के नतीजे देश में युवाओं में स्मार्टफोन की बढ़ती लत की समस्या को दर्शाता है।
साल 2020 में विज्ञान और आईसीटी मंत्रालय द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, 35.8 प्रतिशत किशोर और 27.3 प्रतिशत बच्चे स्मार्टफोन पर निर्भर होते जा रहे हैं। (आईएएनएस)
उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ और भारत-नेपाल सीमा से सटे धारचूला इलाके में बादल फटने से भारी तबाही मच गई है. शुक्रवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने तल्ला खोतिला गांव और धारचूला बाजार में तबाही मचाई है. खोतिला गांव में नदी से सटे घरों में जलभराव हो गया और 30 घर क्षतिग्रस्त हो गए. इसमें एक महिला की मौत हो गई. पिथौरागढ़ डीएम ने इसकी पुष्टी की है. वहीं धारचूला से सटे नेपाल के इलाके में भी भारी तबाही मची है.
पहाड़ी से बरसाती पानी के साथ आया मलबा धारचूला बाजार में कई घरों में घुस गया. बाजार की सड़क भी मलबे से पट गई. सड़क में पार्क किए गए वाहन भी मलबे में दब गए. मल्ली बाजार, ग्वाल गांव, खोतीला में सड़कों पर मलबा जमा हो गया है. वहीं बादल फटने से नेपाल में मकानों के ध्वस्त होने और कई लोगों के लापता होने की अपुष्ट सूचना है. पिछले दिनों एलधार नामक स्थान पर हुए भूस्खलन के बाद से खतरा बना हुआ है. तब भूस्खलन के साथ बोल्डर गिरने से चार मकान ध्वस्त हो गए थे. इस स्थान पर जिनके मकान हैं वह लोग अभी भी अन्य सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं. शुक्रवार की रात एक बार फिर मलबा आने से लोग असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. भारी बारिश के कारण काली नदी का जल स्तर भी काफी बढ़ गया. तटबंध के ऊपर नदी बहने लगी. इससे लोग सहमे नजर आए.
धारचूला से सटे नेपाल के इलाके में भी तबाही
इधर मौसम को देखते हुए स्थानीय प्रशासन अलर्ट हो गया है. एसडीआरएफ और पुलिस सतर्क है. इलाके से सटे नेपाल की ओर भी काफी तबाही मची है. कुछ मकानों के ध्वस्त होने और लोगों के लापता होने की भी सूचना बताई जा रही है. इलाके में काली नदी के रौद्र रूप का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि नेपाल में काली नदी किनारे बनी सड़क पर पानी बह रहा है. नदी के किनारे बसे मकान ताश के पत्तों की तरह बह रहे हैं.
काली नदी में बोल्डर गिरने से बाढ़ में बदला पानी
मिली जानकारी के मुताबिक काली नदी में पहाड़ी से टूटकर एक बड़ा बोल्डर आ गिरा था. जिस वजह से पानी का बहाव रुक गया, और नदी में बोल्डर के पीछे की ओर पानी इक्कठा होने लगा. कुछ समय बाद जब बोल्डर पर प्रेशर पड़ा तो बोल्डर हट गया और इक्कठा हुआ पानी बाढ़ में तब्दील हो गया, जलस्तर बढ़ने से तेज़ रफ़्तार और भारी मात्रा में नदी का पानी बहने लगा जिसकी वजह से काली नदी के किनारे बसे गांवो के घरों को खासा नुकसान हुआ है. धारचूला के ग्वालगांव में तबाही का मंजर नज़र आ रहा है. हर जगह मलबा भर गया है. यहां गाड़ियां, मोटरसाइकिल मलबे में दब गई. नेपाल के खोतिला गांव में भी नदी के बढ़े हुए जलस्तर से आपदा आ गयी इमारतें भरभरा कर नदी में समा गयीं. फिलहाल जानमाल के नुकसान की कोई खबर नही है. (tv9hindi.com)
इस्लामाबाद, 10 सितंबर| संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के लिए बड़े पैमाने पर समर्थन की अपील की है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने महासचिव के हवाले से कहा, "पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है। यह सिर्फ एकजुटता का संदेश नहीं है, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय दायित्व और जिम्मेदारी है। पाकिस्तान जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की अग्रिम पंक्ति में है।"
महासचिव ने राजधानी इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी आवाज पूरी तरह से सरकार और पाकिस्तान के लोगों की सेवा के समर्थन में है, जो बाढ़ के बीच कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं।
प्रेस वार्ता से पहले, गुटेरेस ने राष्ट्रीय बाढ़ प्रतिक्रिया समन्वय केंद्र के अधिकारियों से बाढ़ से संबंधित जानकारी प्राप्त की।
गुटेरेस ने कहा, "हमें बढ़ते उत्सर्जन को रोकने और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली इन विनाशकारी आपदाओं का विरोध करने के लिए पाकिस्तान जैसे देशों को और अधिक संसाधन जुटाने की जरूरत है।"
पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून के मध्य से इस मौसम की मानसूनी बारिश और बाढ़ में 3.3 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए, 1,355 लोग मारे गए और 12,722 घायल हुए।
इसके अलावा, 17 लाख से अधिक घर नष्ट हो गए हैं और अनुमानित 753,187 पशु मारे गए हैं।
एनडीएमए ने कहा कि पाकिस्तान के 81 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और 634,749 लोग वर्तमान में शिविरों में रह रहे हैं। (आईएएनएस)
-सौतिक विस्वास
कहा जाता है कि जनवरी 1961 में जब महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने पहली बार भारत का दौरा किया था तो उस वक्त दिल्ली के हवाई अड्डे से लेकर भारत के राष्ट्रपति भवन तक के रास्ते में क़रीब 10 लाख लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़े थे.
उस वक्त 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "इस सप्ताह के लिए भारतीय अपनी सभी मुश्किलें भूल गए. पूरी तरह नहीं, लेकिन आर्थिक परेशानियां, राजनीतिक उठापटक, कम्युनिस्ट चीन, कांगो और लाओस की मुश्किलें जैसे धुंधली पड़ गईं. महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय भारत की राजधानी में आई हुई हैं और भारतीय इस मौक़े का फायदा उठाने के लिए तत्पर हैं."
'द टाइम्स' ने लिखा, "ट्रेनों, बसों और बैलगाड़ियों में भर-भर कर लोग राजधानी की तरफ आ रहे थे. वो सड़कों में घूमकर और लॉन में झांककर शाही जोड़े की एक झलक पाने की कोशिश कर रहे थे."
अख़बार ने लिखा, "वो महारानी और ड्यूक ऑफ़ एडिनबरा प्रिंस फ़िलिप को देखने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने अपनी सारी मुश्किलें भुला दी थीं."
अख़बार ने ये भी लिखा कि, "महारानी एलिज़ाबेथ इस दौरे पर एक शासक के तौर पर नहीं आई थीं बल्कि एक समकक्ष के तौर पर यहां आई थीं."
वो पहली ब्रितानी शासक थीं जो 1947 में ब्रितानी शासन से भारत की आज़ादी के बाद राजगद्दी पर बैठी थीं.
महारानी के इस दौरे ने भारतीयों को ब्रितानी शासकों को ये दिखाने का मौक़ा दिया कि "ब्रितानियों के भारत से जाने के बाद भी वो बुरी स्थिति में नहीं हैं."
उदाहरण के तौर पर "यहां जेट विमान वाले एयरपोर्ट हैं, नए घर और सरकारी दफ्तर हैं, स्टील के कारखाने हैं और परमाणु रिएक्टर भी है."
ये शाही दंपति उस वक्त छह सप्ताह के उपमहाद्वीप के दौरे पर तो थे ही, साथ ही भारत को और समझने की कोशिश कर रहे थे.
ब्रिटिश पाथे के वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि इस शाही दंपति का लोगों ने कैसे खुले दिल से स्वागत किया था.
महारानी मुंबई, चेन्नई और कोलकाता (पहले के बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता) की जानीमानी जगहों पर गईं. जिन जगहों का उन्होंने दौरा किया उसमें आगरा का ताजमहल, जयपुर का पिंक पैलेस और वाराणसी के पुराने शहर शामिल थे.
उनके लिए कई जगहों पर विशेष स्वागत समारोह आयोजित किए गए. उन्होंने एक महाराजा की शिकारगाह में दो दिन गुज़ारे और हाथी की भी सवारी की. 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस के समारोह में शाही दंपति ने गेस्ट ऑफ़ ऑनर के तौर पर शिरकत की.
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल जनसमूह को संबोधित किया. ताजमहल तक वो एक खुली छत वाली कार में गईं, वो रास्ते में हाथ हिलाकर आम लोगों का अभिवादन कर रही थीं.
वेस्ट बंगाल में उन्होंने ब्रितानी मदद से बनाए गए स्टील प्लांट का दौरा किया और वहां कर्मचारियों से मुलाक़ात की.
कोलकाता में उन्होंने महारानी विक्टोरिया की याद में बनाए मेमोरियल का दौरा किया. ब्रिटेन की शाही दंपति के लिए एक स्थानीय रेसकोर्स में घोड़ों की रेस के एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके विजेता को खुद महारानी ने कप दे कर सम्मानित किया.
महारानी के इस दौरे का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता में खुली छत वाली कार में एयरपोर्ट से महारानी के निकलने की घटना को कवर करने वाले भारत के सरकारी प्रसारक ऑल इंडिया रेडियो के एक रिपोर्टर ने यॉर्कशायर पोस्ट के संपादकीय का ज़िक्र किया था.
उन्होंने कहा था कि महारानी भले ही भारत की रानी नहीं हैं, लेकिन बड़ी संख्या में उमड़ रहे भारतीयों का उत्साह ये साबित करता है वो अभी भी लाखों भारतीयों के दिलों पर राज करती हैं.
इस दौरे के क़रीब दो दशक बाद महारानी ने एक बार फिर भारत में कदम रखा. नवंबर 1983 में वो दूसरी बार भारत दौरे पर आईं. उस वक्त कॉमनवेल्थ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक होनी थी.
एक अख़बार के अनुसार उस वक्त ये शाही दंपति राष्ट्रपति भवन के अतिथियों वाले कमरे में ठहरे थे. इस कमरे से भारतीय साज-सज्जा हटा कर उसे ब्रितानी तौर-तरीकों से सजाया गया था.
अधिकारियों के अनुसार, "दफ्तरों और म्यूज़ियमों में दिखने वाले पुराने फर्नीचर को साफ़कर उन्हें कमरे के उपयुक्त बनाया गया. बेड की चादरें, कमरे के परदे, कमरे की दूसरे सजावट के सामान को बदला गया ताकि वो पुराने शाही वक्त से मेल खाती दिखें." खाने के मेन्यू में "पुराने, पश्चिमी तौर-तरीके वाली डिशेज़" रखी गईं क्योंकि महारानी को स्पष्ट रूप से "साधारण खाना" पसंद था.
अक्तूबर, 1997 में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय आख़िरी बार भारत आई थीं. इस साल भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को 50 साल पूरे हुए थे और प्रिंसेज़ डायना की अंत्येष्टि के बाद पहली बार महारानी सार्वजनिक तौर पर बाहर निकली थीं.
इस दौरे के दौरान कई बातों को लेकर विवाद भी हुआ. महारानी के दौरे में भारत में ब्रितानी शासन के इतिहास का सबसे ख़ूनी जनसंहार की जगह जलियांवाला बाग़ मेमोरियल पार्क शामिल था, जिसे लेकर कई लोग उनसे माफ़ी की मांग की जा रही थी. 1919 में इस जगह पर एक सार्वजनिक सभा में शिरकत करने आए लोगों पर ब्रितानी सैनिकों ने गोलियां चलाई थीं. यहां सैंकड़ों लोगों की मौत गई थी.
देश के उत्तर में बसे इस शहर अमृतसर का दौरा करने से एक रात पहले महारानी ने एक सभा में दिल्ली में कहा था, "ये कोई छिपी-छिपाई बात नहीं है कि इतिहास में जलियांवाला बाग़ जैसी घटनाएं हुई हैं, जहां मैं कल जाने वाली हूं, ये परेशान करने वाला उदाहरण था. हम भले की कितना चाह लें लेकिन इतिहास को फिर से नहीं लिखा जा सकता. इतिहास में दुख के पल हैं और खुशियों के भी पल हैं. हमें दुखों से सीखने और खुशियों के पल बनाने की ज़रूरत है."
जलियांवाला बाग़ मामले में ब्रिटेन से माफ़ी की मांग करने वाले सभी लोग महारानी के भाषण से संतुष्ट नहीं थे, लेकिन अमृतसर एयरपोर्ट पर उनके विरोध में प्रदर्शन करने वाले ऐसे लोग जिसने परिजन जलियांवाला बाग़ में मारे गए थे, उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन वापिस ले लिया.
कहा जाता है कि एयरपोर्ट से लेकर शहर तक के दस मील के रास्ते में "हाथों में झंडा लिए लोग खड़े थे जो उन्हें देख कर हाथ हिला रहे थे."
सिखों के सबसे पवित्र माने जाने वाले स्वर्ण मंदिर में जाने से पहले महारानी ने अपने जूते उतारे, लेकिन उन्हें मोजे पहनकर प्रवेश करने दिया गया. भारतीय मीडिया में महारानी की शाही पोषाक चर्चा का विषय बने रहे. टुडे मैगज़ीन के संवाददाता ने लिखा कि 1983 के उनके भारत दौरे के दौरान जो भी महारानी पहनती थीं, उस पर चर्चा शुरू हो जाती थी.
सुनील सेठी ने उनके दौरे के बारे में रिपोर्ट में लिखा-
एक रिपोर्टर ने कहा, "उनकी हैट, उनकी टोपी. ये किस चीज़ से बनी है?"
एक इंग्लिशमैन ने कहा "ये स्ट्रॉ से बनी है."
"और उनकी ड्रेस? ये किस मटीरियल से बनाई गई है?"
"ये असल में क्रेप द शीन है." (एक तरह का चीनी रेशम का कपड़ा.)
मैंने पूछा, "क्या आप महारानी के डिज़ाइनर हैं?"
उस व्यक्ति ने कहा, "मैं भी एक रिपोर्टर ही हूं. बाद में मुझे पता चला कि वो टाइम्स ऑफ़ लंदन के दिल्ली संवाददाता हैं."
अपने तीनों राजकीय दौरों के दौरान महारानी ने भारत में अपना वक्त अच्छे से बिताया.
उन्होंने बाद में कहा, "भारतीयों का स्नेह और उनकी मेहमाननवाज़ी, भारत की विविधता और यहां की समृद्धि अपने आप में हम सभी के लिए प्रेरणा है." (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 10 सितंबर| अमेरिका के मैरीलैंड में सेसिल काउंटी के एक आवास में दो वयस्क और तीन बच्चे मृत पाए गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सेसिल काउंटी शेरिफ कार्यालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि एक व्यक्ति ने सुबह 911 पर फोन करके बताया कि तीन बच्चों और एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, "मृत वयस्क पुरुष के पास एक ेसेमी-ऑटोमेटिक हैंडगन थी।"
सेसिल काउंटी शेरिफ स्कॉट एडम्स ने शुक्रवार दोपहर संवाददाताओं से कहा, "यह हमारे काउंटी और हमारे समुदाय के लिए एक दुखद और भयानक दिन है।"
जांचकर्ता फिलहाल घटनास्थल पर तलाशी कर रहे हैं और घटना की सक्रियता से जांच कर रहे हैं।(आईएएनएस)
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के तुरंत बाद ब्रिटेन की राजगद्दी उनके उत्तराधिकारी और वेल्स के पूर्व प्रिंस चार्ल्स को बिना किसी समारोह के तुरंत मिल गई है.
लेकिन नए सम्राट के रूप में ताजपोशी से पहले उन्हें कई व्यवहारिक और पारंपरिक नियमों से गुज़रना होगा.
उन्हें कैसे संबोधित किया जाएगा?
अब उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाना जाएगा.
नए सम्राट ने राजगद्दी संभालते ही पहला फ़ैसला यही लिया है. वो चार्ल्स, फ़िलिप, ऑर्थर और जॉर्ज में से कोई भी एक नाम चुन सकते थे.
ब्रितानी शाही परिवार में वो अकेले ऐसे नहीं है जिनका ख़िताब बदल जाएगा.
प्रिंस विलियम्स अब राजगद्दी के उत्तराधिकारी हैं लेकिन वो स्वतः ही प्रिंस ऑफ़ वेल्स नहीं बन जाएंगे. हालांकि, उन्हें तुरंत अपने पिता का ख़िताब ड्यूक ऑफ़ कॉर्नवॉल मिल जाएगा. उनकी पत्नी कैथरीन को अब डचेज़ ऑफ़ कॉर्नवॉल के रूप में जाना जाएगा.
अब चार्ल्स की पत्नी, कैमिला को भी नया ख़िताब मिलेगा. उनका पूरा टाइटल अब क्वीन कंसॉर्ट होगा. सम्राट के जीवनसंगिनी के लिए इसी ख़िताब का इस्तेमाल किया जाता है.
औपचारिक समारोह
चार्ल्स को अधिकारिक रूप से शनिवार को सम्राट घोषित कर दिया जाएगा. इसके लिए लंदन स्थित सैंट जेम्स पैलेस में असेसन काउंसिल (परिग्रहण परिषद) नाम की औपचारिक निकाय के समक्ष कार्यक्रम होगा.
इस काउंसिल में प्रिवी काउंसिल के सदस्य होते हैं. इसमें पूर्व और मौजूदा वरिष्ठ सांसद, उनके समकक्ष लोग, साथ ही कुछ वरिष्ठ नौकरशाह, कॉमनवेल्थ के हाई कमिश्नर और लॉर्ड मेयर ऑफ़ लंदन शामिल होते हैं.
प्रिवी काउंसिल में हिस्सा लेने के लिए 700 लोग अधिकृत हैं लेकिन समय की कमी के कारण वास्तव में इससे बहुत कम ही लोग इसमें शामिल हो सकेंगे. 1952 में हुई पिछली एक्सेशन काउंसिल में 200 लोगों ने हिस्सा लिया था.
बैठक में, प्रिवी काउंसिल के लॉर्ड प्रेसिडेंट द्वारा महारानी के निधन की घोषणा की जाएगी और इससे जुड़े घोषणापत्र को पढ़ा जाएगा. मौजूदा वक़्त में सांसद पेनी मॉरडांट इसके अध्यक्ष हैं.
घोषणापत्र के शब्द बदले जा सकते हैं, लेकिन पारंपरिक तौर पर इसमें प्रार्थनाएं और शपथ होते हैं जिनमें पूर्व सम्राट के प्रति आभार और नए सम्राट के प्रति वफ़ादारी व्यक्त की जाती है.
इस घोषणापत्र पर इसके बाद प्रधानमंत्री समेत कई वरिष्ठ लोग हस्ताक्षर करते हैं. प्रधानमंत्री के अलावा आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी और लॉर्ड चांसलर के हस्ताक्षर भी होते हैं.
इस समारोह के दौरान नए दौर के प्रतीक के रूप में शब्दों में किए गए बदलावों की तरफ़ ध्यान आकर्षित होगा.
सम्राट का पहला घोषणापत्र
आमतौर पर इसके एक दिन बाद असेसन काउंसिल की फिर से बैठक होती है, इस बार सम्राट के साथ-साथ प्रिवी काउंसिल के सदस्य भी इसमें शामिल होते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति और कई अन्य राष्ट्रध्यक्षों की तरह, ब्रिटेन के सम्राट के राजकाज की शुरुआत में कोई शपथग्रहण नहीं होता है. लेकिन नए सम्राट 18वीं सदी से चली आ रही परंपरा के तहत चर्च ऑफ़ स्कॉटलैंड की सुरक्षा की शपथ लेंगे.
इसके बाद गाजे-बाजे और धूमधाम से चार्ल्स को नया सम्राट बनने की सार्वजनिक घोषणा की जाएगी. ये घोषणा गार्टर किंग ऑफ़ आर्म्स नाम के अधिकारी सेंट जेम्स पैलेस के फ़्रायरी कोर्ट की बालकनी से करेंगे.
जब चार्ल्स पुकारेंगे "गॉड सेव द किंग" तो 1952 के बाद पहली बार जब राष्ट्रगान बजेगा तब शब्द होंगे "गॉड सेव द किंग".
हाइड पार्क, टावर ऑफ़ लंदन और ब्रितानी नौसेना के जहाजों से उन्हें तोपों की सलामी दी जाएगी और एडिनबरा, कार्डिफ़ और बेलफास्ट में चार्ल्स को किंग बनाए जाने की घोषणा की जाएगी.
ताजपोशी
सांकेतिक तौर पर अक्सेशन का सबसे अहम वक्त वो होगा जब औपचारिक रूप से चार्ल्स को ताज पहनाया जाएगा. लेकिन तैयारियों के मद्देनज़र चार्ल्स की ताजपोशी में वक़्त लगेगा. महारानी एलिज़ाबेथ को भी फ़रवरी, 1952 में महारानी घोषित कर दिया गया था लेकिन उनकी ताजपोशी जून, 1953 में हुई थी.
पिछले 900 सालों से ताजपोशी वेस्टमिंस्टर एबे में होती रही है. यहां ताज पहनने वाले पहले सम्राट थे विलियम द कॉनकरर और चार्ल्स यहां ताज पहनने वाले चालीसवें सम्राट होंगे.
ये अंग्रेज़ी चर्च का एक धार्मिक समारोह होगा जिसकी अध्यक्षता आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी करेंगे. ताजपोशी समारोह के अंत में वो सैंट एडवर्ड्स का ताज चार्ल्स के सिर पर रखेंगे. ठोस सोने का ये ताज 1661 में बना था.
टॉवर ऑफ़ लंदन में रखे ब्रितानी शाही परिवार के आभूषणों में ये सबसे प्रमुख है और इसे सम्राट सिर्फ़ केवल ताजपोशी के समय ही पहनते हैं. इसका एक कारण ये भी है कि इसका वज़न 2.23 किलो है.
शाही शादियों के विपरीत, ताजपोशी यहां राजकीय पर्व होता है जिसका ख़र्च सरकार उठाती है और सरकार ही इसके लिए मेहमानों की सूची तय करती है.
ताजपोशी में संगीत भी होता है और सम्राट का अभिषेक अनुष्ठान भी. इसमें संतरों, गुलाब, दालचीनी, कस्तूरी और एम्बरग्रीस के तेलों का उपयोग किया जाता है.
नए सम्राट दुनिया की निगाहों के बीच ताज पहनेंगे. इस विस्तृत समारोह में सम्राट अपनी राजसत्ता के प्रतीक के रूप में राजसी आभूषण (ऑर्ब) और राजदंड प्राप्त करेंगे और आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी उनके सिर पर ठोस सोने का मुकुट रखेंगे.
कॉमनवेल्थ के अध्यक्ष
चार्ल्स कॉमनवेल्थ के भी अध्यक्ष बन गए हैं. ये 2.4 अरब की आबादी वाले 56 देशों का समूह है. इनमें से ब्रिटेन और चौदह अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष चार्ल्स ही होंगे.
कॉमनवेल्थ रेल्म्स कहे जाने वाले ये देश हैं - ऑस्ट्रेलिया, एंटिगुआ एंड बारबूडा, द बहामास, बेलीज़, कनाडा, ग्रेनाडा, जमैका, पापुआ न्यू गिनी, सैंट क्रिस्टोफ़र एंड नेविस, सैंट लूसिया, सैंट विंसेंड एंड द ग्रेनाडीन्स, न्यूज़ीलैंड, सोलोमन आइलैंड्स और तुवालू. (bbc.com/hindi)
सत्तर सालों से महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ब्रिटेन के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गईं थीं. उनकी तस्वीरें सिक्कों से लेकर कई दूसरी जगहों पर देखी जा सकती हैं.
सिक्कों पर तस्वीरें
ब्रिटेन में रानी की तस्वीर के साथ क़रीब 290 करोड़ सिक्के इस्तेमाल हो रहे हैं. साल 2015 में सिक्कों का सबसे नया डिज़ाइन जारी हुआ था, तब महारानी 88 साल की थीं. महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के शासन में उनकी तस्वीर वाले सिक्के जारी करने का ये पांचवां मौका था.
रॉयल मिंट ये नहीं बताएगा कि वो किंग चार्ल्स की तस्वीर वाले सिक्के कब से जारी करना शुरू करेगा, लेकिन मुमकिन है कि सिक्कों को बदलने का काम धीरे धीरे होगा और अगले कई सालों तक महारानी की तस्वीर वाले सिक्के इस्तेमाल होते रहेंगे.
साल 1971 में जब सिक्कों को अपडेट किया गया था, उस वक्त कई राजाओं की तस्वीरों वाले सिक्कों का इस्तेमाल आम था.
राजा की तस्वीर वाला सिक्का कैसा दिखेगा, इसकी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है. साल 2018 में उनके 70वें जन्मदिन पर जारी सिक्कों से एक झलक ज़रूर मिलती है. एक बात साफ़ है, तस्वीर में वो दूसरी तरफ़ देख रहे होंगे यानी दाएं तरफ़. पारंपरिक तौर पर जब सिक्के पर तस्वीर बदली जाती है तो उसका मुंह पिछले राजा या रानी से दूसरी तरफ़ होगा.
सरकार की तरफ़ से एक बार सहमति मिलने के बाद साउथ वेल्स स्थित रॉयल मिंट नई डिज़ाइन के सिक्के बनाना शुरू कर देता है.
साल 1960 से ही महारानी बैंक ऑफ़ इंग्लैंड क हर नोट पर नज़र आती हैं. हालांकि स्कॉटिश और आइरिश नोटों पर मोनार्क की तस्वीर नहीं होगी.
इंग्लैंड में करीब 450 करोड़ नोट इस्तेमाल में हैं. जिनकी कुल कीमत आठ हज़ार करोड़ है. सिक्कों की तरह ये भी धीरे धीरे बदले जाएंगे.
पहले से चलने वाले सभी नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. किसी तरह से बदलाव की स्थिति में बैंक ऑफ़ इंग्लैंड कई नोटिस जारी करेगा.
स्टैंप और पोस्टबॉक्स
साल 1967 से रॉयल मेल के सभी स्टैंप्स पर महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की तस्वीर थी. अब रॉयल मेल ने ये स्टैंप बनाने बंद कर दिए हैं. लेकिन पुराने वालों का इस्तेमाल जारी रहेगा. नए स्टैंप प्रिंट करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी.
नए राजा की तस्वीर पहले रॉयल स्टैंप पर आ चुकी है लेकिन नया डिज़ाइन कैसा होगा, रॉयल मेल ने अभी ये नहीं बताया है. स्टैंप के अलावा कई पोस्ट बॉक्स पर महारानी स जुड़े संकेतों का इस्तेमाल किया जाता है,
ब्रिटेन के 115,000 पोस्ट पॉक्स में से 60 प्रतिशत पर महारानी का EIIR मार्क है. इसमें E का मतलब एलिज़ाबेथ है और R का मतलब रेगिना या महारानी. स्कॉटलैंड में स्कॉटिश क्राउन की तस्वीर होती है. स्कॉटलैंड से बाहर सारे पोस्टबॉक्स में राजा के निशान लगाए जाएंगे.
रॉयल सील
टोमैटो केचअप से लेकर पर्फ्यूम की बोतलों तक, कई रोज़मर्रा की चीज़ों पर एक सील लगी होती है जिसपर लिखा होता है, "हर मेजेस्टी की नियुक्ति से"
इन चीज़ों को रॉयल वारंट मिला होता है, जिसका मतलब है कि कंपनी जो इन्हें बनाती है, वो शाही घरों में भी इनकी सप्लाई करती है.
पिछले एक शताब्दी से मोनार्क या फिर उनके पति/पत्नी रॉयल वारंट जारी करते रहे हैं. इन्हें ग्रांटर कहते हैं. अभी ऐसे क़रीब 900 रॉयल वारंट हैं जो 800 कंपनियों के पास हैं.
जब ग्रांटर की मृत्यु होती है, तो उनके रॉयल वारंट ख़त्म हो जाते हैं. कंपनी को दो सालों के भीतर उन निशानों का इस्तेमाल बंद करना होता है. हालांकि क्वीन मदर के वारंट पांच साल तक चले थे.
प्रिंस ऑफ़ वेल्स रहते जो वारंट चार्ल्स ने जारी किए हैं, वो चलते रहेंगे. अब राजा अपने बच्चों को वारंट जारी करने का अधिकार दे सकते हैं.
पासपोर्ट का क्या होगा
ब्रिटेन के पासपोर्ट 'हर मैजेस्टी' के नाम पर जारी किए जाते हैं. इन पासपोर्ट का इस्तेमाल होता रहेगा. नए पासपोर्ट के पहले पन्ने पर 'हिज़ मैजेस्टी' लिखा जाएगा.
इंग्लैंड और वेल्स की पुलिस के हेलमेट प्लेट पर लगी महारानी की तस्वीर बदल जाएगी.
मोनार्क द्वारा नियुक्त किए गए वकीलों को क्वीन्स काउंसिल बताया जाता था जिन्हें अब तत्काल प्रभाव से किंग्स काउंसिल कहा जाएगा.
राष्ट्रीय गान के शब्द जो अभी 'गॉड सेव द क्वीन'. आधिकारिक समारोह में राजा नियुक्त किए जाने के बाद सेंट जेम्स पैलेस की बालकनी से 'गॉड सेव द किंग' शब्दों का एलान किया जाएगा.
1952 के बाद पहली बार इन शब्दों के साथ राष्ट्रगान बनेगा.(bbc.com/hindi)
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय नहीं रहीं. उनके निधन के साथ ही ब्रिटेन के इतिहास के सबसे लंबे शासनकाल का अंत हो गया है.
उनके आख़िरी वक्त में उनके परिजन उनके साथ ही स्कॉटलैंड के बालमोरल क़िले में मौजूद थे. अगले कुछ दिनों तक लोग, देश के आम नागरिक उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करेंगे, जिसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी.
महारानी के अंतिम दर्शन
सबसे पहले महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के पार्थिव शरीर को स्कॉटलैंड के बालमोरल क़िले से लंदन लाया जाएगा, जहां उनकी अंत्येष्टि करने से पहले उनके पार्थिव शरीर को वेस्टमिन्स्टर हॉल में क़रीब चार दिनों तक रखा जाएगा. इस दौरान लोग उनके दर्शन कर सकेंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे.
यह हॉल ब्रिटिश सरकार का दिल कहे जाने वाले वेस्टमिन्स्टर पैलेस का सबसे पुराना हिस्सा है.
वेस्टमिन्स्टर हॉल में अंतिम दर्शन के लिए शाही परिवार के किसी सदस्य का पार्थिव शरीर इससे पहले आखि़री बार साल 2002 में रखा गया था. उस समय जब महारानी एलिज़ाबेथ की मां 'क्वीन मदर' के पार्थिव शरीर को वहां रखा गया, तब 2 लाख से अधिक लोगों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी थी.
महारानी के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन
महारानी के पार्थिव शरीर के ताबूत को 11वीं सदी में बने वेस्टमिन्स्टर हॉल के भीतर एक उठे हुए प्लेटफॉर्म पर रखा जाएगा.
प्लेटफॉर्म के हर कोने पर शाही परिवार की सेवा करने वाले सैनिक तैनात रहेंगे.
वेस्टमिन्स्टर हॉल से पहले महारानी के पार्थिव शरीर को शाही महल बकिंघम पैलेस में रखा जाएगा.
वहां से धीरे-धीरे चलने वाले एक जुलूस में उनके पार्थिव शरीर को वेस्टमिन्स्टर हॉल ले जाया जाएगा. इस जूलूस में सैनिकों की परेड होगी और शाही परिवार के सदस्य भी शामिल होंगे.
बकिंगघम पैसेल से वेसस्टमिन्स्टर हॉल कर के प्रोशेसन का रास्ता
यह जुलूस जब लंदन की गलियों से हो कर गुजरेगा, तब लोग भी इसे सामने से देख सकेंगे.
इसके अलावा लंदन के शाही बाग़ों में भी जुलूस को देखने के लिए बड़े स्क्रीन लगाए जा सकते हैं.
महारानी के पार्थिव शरीर को शाही परिवार के रिवाजों के अनुसार शाही ध्वज में लपेटकर रखा जाएगा.
वेस्टमिन्स्टर हॉल में उनका पार्थिव शरीर लाए जाने के बाद कफ़न के ऊपर शाही ताज (इंपीरियल स्टेट क्राउन), राजसी आभूषण (ऑर्ब) और राजदंड रखा जाएगा.
पार्थिव शरीर को हॉल में रखते वक़्त एक छोटी-सी रस्म अदा की जाएगी. उसके बाद आम लोगों के महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के अंतिम दर्शनों की अनुमति दी जाएगी.
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के कफ़न के ऊपर शाही ताज (इंपीरियल स्टेट क्राउन), राजसी आभूषण (ऑर्ब) और राजदंड रखा जाएगा
महारानी की राजकीय अंत्येष्टि वहां के ऐतिहासिक चर्च 'वेस्टमिन्स्टर ऐबी' में दो हफ़्ते के भीतर होने की उम्मीद है.
हालांकि अंत्येष्टि की तारीख़ का एलान बकिंघम पैलेस से किया जाएगा.
वेस्टमिन्स्टर ऐबी वही ऐतिहासिक चर्च है जहां ब्रिटेन के कई महाराजाओं और महारानियों का राज्याभिषेक हुआ है.
साल 1953 में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक भी यहीं हुआ था. यही नहीं, 1947 में प्रिंस फिलिप के साथ महारानी की शादी भी इसी चर्च में हुई थी.
साल 2002 में महारानी की मां 'क्वीन मदर' की अंत्येष्टि के अलावा यहां 18वीं सदी से किसी महाराजा या महारानी की अंत्येष्टि नहीं हुई है.
दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष शाही परिवार से मुलाक़ात करने और महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के जीवन और उनके योगदान को याद करने के लिए लंदन पहुंचेंगे.
इस दौरान ब्रिटेन के वरिष्ठ नेता और सभी पूर्व प्रधानमंत्री भी वहां मौजूद रहेंगे.
महारानी की अंत्येष्टि वाले दिन की शुरुआत उस वक्त होगी जब महारानी के पार्थिव शरीर को रॉयल नेवी के 'स्टेट गन कैरिज' (राजकीय तोपगाड़ी) पर डालकर वेस्टमिन्स्टर हॉल से वेस्टमिन्स्टर ऐबे तक ले जाया जाएगा.
पार्थिव शरीर को वेस्टमिन्स्टर हॉल से लेकर वेस्टमिन्स्टर ऐबे तक का रास्ता
इस 'स्टेट गन कैरिज' का इस्तेमाल आख़िरी बार अगस्त 1979 में इस्तेमाल हुआ था.
उस वक्त प्रिंस फ़िलिप के अंकल और भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन का पार्थिव शरीर ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल हुआ था.
उस वक्त इस गाड़ी को रॉयल नेवी के 142 जवानों ने खींचा था.
ब्रिटेन के नए शासक किंग चार्ल्स तृतीय सहित शाही परिवार के तमाम वरिष्ठ सदस्यों के महारानी के अंत्येष्टि कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है.
महारानी का अंत्येष्टि कार्यक्रम वेस्टमिन्स्टर के डीन डेविड हॉयल द्वारा संचालित किए जाने की संभावना है.
इस दौरान कैंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेल्बी प्रार्थना करेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस को भी वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है.
वेस्टमिनस्टर एबे के भीतर की तस्वीर
अंत्येष्टि कार्यक्रम पूरा होने के बाद, महारानी के पार्थिव शरीर को वेस्टमिन्स्टर ऐबे से लंदन के हाइड पार्क कॉर्नर में मौजूद वेलिंगटन आर्क तक जुलूस के रूप में पैदल ही ले जाया जाएगा.
उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को खुली गाड़ी में रखकर विंडसर कैसल तक ले जाया जाएगा, जहां सेंट जॉर्ज चैपल में उनकी अंतिम यात्रा शुरू होगी.
विंडसर कासल
किंग चार्ल्स तृतीय समेत शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य विंडसर कैसल के आंगन में महारानी का पार्थिव शरीर लाए जाने से पहले से ही वहां मौजूद रह सकते हैं.
उसके बाद महारानी को सेंट जॉर्ज चैपल में दफ़ना दिया जाएगा.
शाही परिवार की शादियां, नामकरण और अंत्येष्टि के कार्यक्रम इसी सेंट जॉर्ज चैपल में होते रहे हैं.
यहीं पर ससेक्स के ड्यूक और डचेस प्रिंस हैरी और प्रिंसेज़ मेगन मर्केल की शादी हुई. महारानी के पति प्रिंस फ़िलिप को भी पिछले साल यहीं दफ़नाया गया था. (bbc.com/hindi)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 9 सितंबर। ब्रिटेन की नव निर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी तुलना ऐसी चट्टान से की जिस पर आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी हुई है।
उन्होंने बकिंघम पैलेस द्वारा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्कॉटलैंड में निधन की घोषणा किए जाने के तुरंत बाद एक बयान जारी किया। ट्रस को 96 वर्षीय महारानी ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया था।
ट्रस ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी के निधन के बाद लंदन में बृहस्पतिवार को 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर आयीं। उन्होंने महारानी को राष्ट्रमंडल का एक चैम्पियन तथा 70 साल के उनके शासन के दौरान स्थिरता एवं ताकत का स्रोत बताया।
ट्रस ने कहा, ‘‘वह महान ब्रिटेन की बड़ी ताकत थीं और यह ताकत हमेशा बनी रहेगी। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय एक चट्टान की तरह थीं जिस पर आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी हुई है। उनके शासन में हमारा देश समृद्ध हुआ और फला-फूला।
उन्होंने कहा, ‘‘वह हमारी सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी रहीं। 70 वर्ष तक इतनी प्रतिष्ठा और गरिमा के साथ देश की अगुवाई करना एक असाधारण उपलब्धि है।’’
उन्होंने कहा कि सेवा को समर्पित उनका व्यक्तित्व इतना विशाल है जो हमने अपने होश संभालने के बाद तो नहीं देखा। इसके बदले में ब्रिटेन तथा दुनियाभर के लोगों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया तथा उनकी सराहना की।
महारानी को निजी प्रेरणा बताते हुए ट्रस ने कर्तव्य के प्रति उनके समर्पण को सभी के लिए एक मिसाल बताया और प्रधानमंत्री के तौर उनसे अपनी पहली तथा आखिरी मुलाकात को याद किया।
विपक्ष के नेता सर कीर स्टार्मर ने भी महारानी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, ‘‘महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने हम सभी के साथ खास, निजी संबंध बनाए। ऐसे संबंध जो उनके देश की सेवा तथा समर्पण पर आधारित हैं।’’
इस बीच, प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने महारानी के 70 वर्षों के शासन के दौरान उनकी शानदार उपलब्धियों की प्रशंसा की।
महारानी के निधन पर हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए लॉर्ड पॉल ने कहा, ‘‘वह हमारी सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी रहीं। सात दशकों तक इतनी प्रतिष्ठा और गरिमा के साथ ब्रिटेन जैसे देश की अगुवाई करना एक असाधारण उपलब्धि है।’’(भाषा)
उत्तर कोरिया, 9 सितंबर । उत्तर कोरिया ने अपने को परमाणु हथियार संपन्न देश घोषित कर दिया है. इसके लिए उत्तर कोरिया ने एक क़ानून पास किया है. सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए ने ये जानकारी दी है. उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन ने कहा है कि इस फ़ैसले में कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने इस बारे में किसी भी स्तर की बातचीत की संभावना से भी इनकार कर दिया है.
उत्तर कोरिया के इस क़ानून के मुताबिक़ देश को अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का अधिकार होगा. कई प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया ने वर्ष 2006 और 2017 के बीच छह परमाणु परीक्षण किए हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों के बावजूद उत्तर कोरिया ने अपनी सैन्य क्षमता को आगे बढ़ाया है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम जोंग की दो बार शिखर वार्ता भी हुई, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला.
ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ का क़रीब सात दशक लंबा राजकाज भारी उथल-पुथल वाला रहा. वो सबसे लंबे वक़्त तक ब्रिटेन पर राज करने वाली महारानी थीं. क्वीन एलिज़ाबेथ को उनके ज़िम्मेदारी निभाने के मज़बूत इरादों के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने ताज और अपनी जनता के नाम कर दी थी. हर ज़िम्मेदारी को उन्होंने बख़ूबी निभाया.
70 बरस की उनकी हुकूमत के दौरान इंग्लैंड ही नहीं, पूरी दुनिया भारी उठा-पटक के दौर से गुज़री. कभी आर्थिक चुनौतियाँ सामने थीं, तो कभी सियासी संकट. मगर इस उथल-पुथल में जनता के बीच भरोसा जगाने के लिए एक ही नाम था, महारानी एलिज़ाबेथ का.
एलिज़ाबेथ उस दौर में ब्रिटेन की महारानी बनीं, जब पूरी दुनिया में ब्रिटेन की हैसियत घट रही थी. समाज में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे थे. ब्रिटेन में बहुत से लोग राजशाही के रोल पर ही सवाल खड़े कर रहे थे. मगर उन्होंने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया. बड़ी समझदारी से अपनी ज़िम्मेदारियां निभाईं, और ब्रिटेन के राजपरिवार में लोगों का भरोसा बनाए रखा.
किसी ने नहीं सोचा था कि एलिज़ाबेथ एक दिन ब्रिटेन की महारानी बनेंगी. वो 21 अप्रैल 1926 को बर्कले में पैदा हुई थीं. एलिज़ाबेथ, उस वक़्त के ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम के दूसरे बेटे, ड्यूक ऑफ यॉर्क, अल्बर्ट की बड़ी बेटी हैं.
एलिज़ाबेथ कभी स्कूल नहीं गईं. उनकी और छोटी बहन मार्गरेट की पढ़ाई लिखाई, राजमहल में ही हुई. एलिज़ाबेथ अपने पिता और अपने दादा, दोनों की बहुत लाडली थीं. छह बरस की उम्र में घुड़सवारी सीखते वक़्त उन्होंने अपने उस्ताद से कहा कि वो गांव में रहने वाली लड़की बनना चाहती हैं और ढेर सारे घोड़े और कुत्ते पालना चाहती हैं.
बचपन से ही उनका बर्ताव बेहद ज़िम्मेदारी भरा था. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल भी उनसे बहुत प्रभावित हुए थे. चर्चिल ने महारानी एलिज़ाबेथ के बारे में कहा था कि इतनी कम उम्र में भी वो बड़ी रौब-दाब वाली लगती थीं.
कभी स्कूल न जाने पर भी एलिज़ाबेथ ने कई भाषाएँ सीख ली थीं. उन्होंने ब्रिटेन के संवैधानिक इतिहास की भी अच्छे से पढ़ाई की थी. एलिज़ाबेथ और उनकी बहन मार्गरेट अपनी हमउम्र लड़कियों से मेल-जोल कर सकें, इसके लिए बकिंघम पैलेस के नाम पर गर्ल्स गाइड कंपनी बनाई गई थी.
1936 मे ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम की मौत के बाद उनके बड़े बेटे डेविड, एडवर्ड अष्टम के नाम से गद्दी पर बैठे, लेकिन एडवर्ड ने अपने जीवनसाथी के तौर पर अमरीकी महिला वैलिस सिंपसन को चुना. सिंपसन दो बार की तलाक़शुदा थीं. उनके धार्मिक झुकाव को लेकर भी ब्रिटेन में काफ़ी विरोध था. इस वजह से एडवर्ड अष्टम ने गद्दी छोड़ दी.
राजकुमारी एलिज़ाबेथ और उनकी छोटी बहन राजकुमारी मारग्रेट रोज 12 अक्तूबर 1940 को पहली बार रेडियो प्रसारण में आईं
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राजकुमारी एलिज़ाबेथ और उनकी छोटी बहन राजकुमारी मारग्रेट रोज 12 अक्तूबर 1940 को पहली बार रेडियो प्रसारण में आईं. पूरे देश ने तब उनको दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सुना.
इसके बाद एलिज़ाबेथ के पिता ड्यूक ऑफ यॉर्क, किंग जॉर्ज षष्ठम के नाम से गद्दी पर बैठे. एलिज़ाबेथ के पिता, राजा नहीं बनना चाहते थे. पिता की ताज़पोशी से एलिज़ाबेथ को अपनी आने वाली ज़िम्मेदारियों का एहसास होने लगा था. बाद में उन्होंने इस तजुर्बे को बहुत अच्छा बताया.
उस वक़्त हिटलर की ताक़त तेज़ी से बढ़ रही थी. यूरोप में बढ़ती तनातनी के बीच किंग जॉर्ज षष्ठम अपने परिवार के साथ देश के दौरे पर निकल पड़े. एलिज़ाबेथ ने अपने पिता के इस दौरे से काफ़ी सबक़ सीखा.
1939 में 13 बरस की उम्र में एलिज़ाबेथ अपने पिता और माँ के साथ डार्टमथ के रॉयल नेवल कॉलेज गईं. यहाँ उनकी मुलाक़ात अपने भविष्य के पति, ग्रीस के प्रिंस फिलिप से हुई. वैसे, दोनों के बीच ये पहली मुलाक़ात नहीं थी. लेकिन, जब दोनों नेवल कॉलेज में मिले तो एलिज़ाबेथ ने प्रिंस फिलिप में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी.
छुट्टी के दिनों में प्रिंस फिलिप भी अपने शाही रिश्तेदारों से मिलने लंदन पहुंचे. 1944 के आते आते एलिज़ाबेथ, प्रिंस फिलिप के प्यार में पड़ चुकी थीं. वो एक दूसरे को चिट्ठियां लिखने लगे थे. एलिज़ाबेथ, प्रिंस फिलिप की तस्वीरें अपने कमरे में रखने लगी थीं.
दूसरे विश्व युद्ध के ख़ात्मे के वक़्त प्रिंसेस एलिज़ाबेथ ऑग्ज़िलरी टेरिटोरियल सर्विस में शामिल हो गईं थीं. वहां उन्होंने गाड़ी चलाना और उसकी मरम्मत करना सीखा.
8 मई 1945 को राजकुमारी एलिज़ाबेथ ने शाही परिवार के साथ मिलकर, विश्व युद्ध के ख़ात्मे का जश्न मनाया. जिसमें ब्रिटेन की जीत हुई थी.
बाद में उन्होंने लिखा था कि, 'हमने अपने मां-पिता से आम लोगों के बीच जाने की इजाज़त मांगी. ताकि हम लोगों की ख़ुशी महसूस कर सकें. हमें डर लग रहा था कि कहीं हमें कोई पहचान न ले. उस वक़्त लंदन के मॉल में इतनी भीड़ थी कि एक रेला आकर हमको भी बहा ले गया'.
जंग के ख़ात्मे के बाद वो प्रिंस फिलिप से शादी करना चाहती थीं. मगर उनकी राह में कई रोड़े थे. एलिज़ाबेथ के पिता, किंग जॉर्ज अपनी लाडली बेटी को दूर नहीं भेजना चाहते थे. वहीं प्रिंस फिलिप का किसी और देश का होना भी ऐतराज़ की एक वजह थी.
हालांकि सारी अड़चनें दूर हो गईं. 20 नवंबर 1947 को दोनों ने लंदन के शाही गिरजाघर वेस्टमिंस्टर एबे में ब्याह रचा लिया.
शाही परिवार में शादी के बाद प्रिंस फिलिप को ड्यूक ऑफ एडिनबरा की उपाधि मिल गई लेकिन उन्होंने शाही नौसेना की नौकरी नहीं छोड़ी. उन्होंने शादी के बाद माल्टा में कुछ वक़्त साथ गुज़ारा, किसी आम दंपति की तरह.
प्रिंस फिलिप और राजकुमारी एलिज़ाबेथ की पहली औलाद, प्रिंस चार्ल्स 1948 में पैदा हुए. दो साल बाद बेटी एन भी इस दुनिया में आईं. इसी बीच, एलिज़ाबेथ के पिता किंग जॉर्ज की तबीयत बिगड़ती जा रही थी. उन्हें फेफड़ों का कैंसर था.
जनवरी 1952 में एलिज़ाबेथ और उनके पति विदेश के दौरे पर निकल पड़े. ख़राब तबीयत के बावजूद किंग जॉर्ज, बेटी दामाद को छोड़ने हवाई अड्डे तक आए. ये बाप-बेटी के बीच आख़िरी मुलाक़ात थी.
एलिज़ाबेथ और प्रिंस फिलिप, कीनिया में थे जब उन्हें अपने पिता की मौत की ख़बर मिली. वो तुरंत ब्रिटेन लौटीं. और आनन-फ़ानन में उन्हें महारानी घोषित कर दिया गया.
उस दौर को याद करते हुए महारानी एलिज़ाबेथ ने लिखा, 'मेरे पिता की बहुत जल्दी मौत हो गई थी. मुझे उनके साथ रहते हुए शाही कामकाज सीखने का भी मौक़ा नहीं मिला. इसीलिए अचानक से मिली ये ज़िम्मेदारी को सही तरीक़े से निभाने की चुनौती मेरे सामने थी'.
ताजपोशी
जून 1953 में एलिज़ाबेथ की ताजपोशी का पूरी दुनिया में टीवी पर सीधा प्रसारण किया गया था. कई लोगों ने पहली बार टीवी पर किसी कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा था. उस वक़्त ब्रिटेन दूसरे विश्व युद्ध के बाद कटौती के दौर से गुज़र रहा था. प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को ये कार्यक्रम फिज़ूलख़र्ची लगा था. वो लाइव प्रसारण के ख़िलाफ़ थे. लेकिन ब्रिटेन के आम लोगों ने नई महारानी को हाथों-हाथ लिया था.
विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की हैसियत काफ़ी घट गई थी. उसका साम्राज्य सिमट गया था. भारत समेत कई देश ब्रिटेन के शासन से मुक्त हो चुके थे. ऐसे में ब्रिटेन का गौरव वापस दिलाने के लिए महारानी एलिज़ाबेथ ने कॉमनवेल्थ देशों का दौरान करने का फ़ैसला किया. वो ब्रिटेन की पहली महारानी थीं जो ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के दौरे पर गई थीं. कहा जाता है कि उन्हें दो-तिहाई ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने क़रीब से देखा.
जैसे-जैसे ब्रिटेन से दूसरे देश आज़ाद हो रहे थे, महारानी का कॉमनवेल्थ के प्रति लगाव बढ़ रहा था. कुछ लोगों को ये भी लग रहा था कि ब्रिटिश कॉमनवेल्थ को यूरोपीय आर्थिक समुदाय के बरक्स खड़ा किया जा सकता है.
व्यक्तिगत हमले
मगर, महारानी की तमाम कोशिशों के बावजूद, ब्रिटेन की ताक़त के पतन को नहीं रोका जा सका. 1956 के स्वेज नहर संकट ने ब्रिटेन के सम्मान में और बट्टा लगा दिया. जब मिस्र ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया. उसे रोकने के लिए भेजी गई ब्रिटिश सैन्य टुकड़ियों को बैरंग वापस आना पड़ा. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एंथनी इडेन को इस वजह से इस्तीफ़ा देना पड़ा.
प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े के चलते महारानी एलिज़ाबेथ को एक सियासी संकट में उलझना पड़ा. सत्ताधारी कंज़रवेटिव पार्टी में नया नेता चुनने की प्रक्रिया तय नहीं थी. मगर देश बिना प्रधानमंत्री के तो चल नहीं सकता था. इसलिए महारानी ने हैरॉल्ड मैकमिलन को नई सरकार बनाने का न्यौता दे दिया.
महारानी को इस दौरान निजी हमले भी झेलने पड़े. लॉर्ड अलट्रिंचम ने उन पर कई इल्ज़ाम लगाए. उनका आरोप था कि बिना लिखित कॉपी के कोई भाषण नहीं दे सकती हैं.
'राजशाही' से 'शाही परिवार' तक
महारानी के ख़िलाफ़ ऐसे बयानों के बाद लॉर्ड अलट्रिंचम पर हमला भी हुआ. लेकिन इस घटना से एक बात साफ़ हो गई कि ब्रिटिश राजपरिवार के बारे में लोगों की राय बदल रही है. अब लोग सवाल करने लगे थे.
अपने पति की सलाह पर महारानी एलिज़ाबेथ ने ख़ुद को नए वक़्त के लिए ढालना शुरू कर दिया. राज दरबार के कई रिवाज़ों को ख़त्म कर दिया गया. महारानी ने राजशाही के बजाय, शाही परिवार शब्द के इस्तेमाल पर ज़ोर देना शुरू कर दिया.
महारानी को एक और सियासी चुनौती 1963 में झेलनी पड़ी, जब हैरॉल्ड मैकमिलन ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया. उस वक़्त तक भी कंजरवेटिव पार्टी में नेता चुनने का नया सिस्टम नहीं तय हो पाया था. ऐसे में महारानी ने मैकमिलन की सलाह पर अर्ल ऑफ होम को नई सरकार बनाने का बुलावा भेज दिया.
वैसे तो ब्रिटेन की महारानी के तौर पर उनके पास ज़्यादा संवैधानिक अधिकार नहीं थे. लेकिन वो जानकारी और सलाह पाने के अपने अधिकारों के प्रति काफ़ी सतर्क थीं. लेकिन अपनी संवैधानिक दायरों को पार करने की कोशिश उन्होंने कभी नहीं की.
हालांकि इसके बाद महारानी को ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.
साठ के दशक के आख़िर में शाही परिवार ने आम लोगों से नज़दीकी बढ़ाने का फ़ैसला किया था.
बीबीसी ने शाही परिवार पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जिसमें शाही परिवार के सदस्यों को आम लोगों जैसे काम करते हुए पहली बार दिखाया गया. महारानी के पति प्रिंस फिलिप काम करते दिखे. शाही परिवार के दूसरे सदस्य अपना क्रिसमस ट्री सजाते दिखाए गए. परिवार के मर्द अपने बच्चों को घुमाते-फिराते दिखाए गए.
कई लोगों ने इस डॉक्यूमेंट्री पर ऐतराज़ जताया. उनका कहना था कि इसकी वजह से शाही परिवार आम लोगों जैसा दिखने लगा.
लोगों के ऐतराज़ से इतर, आम लोगों ने इस डॉक्यूमेंट्री को काफ़ी सराहा. 1977 में जब महारानी की ताजपोशी की पच्चीसवीं सालगिरह मनायी गई. तो लोगों ने धूम-धाम से जश्न मनाया.
दो साल बाद माग्ररेट थैचर ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, हालांकि महारानी एलिज़ाबेथ से उनके रिश्ते सामान्य नहीं रहे. थैचर के तौर-तरीक़े महारानी को पसंद नहीं थे.
वजह ये कि महारानी को ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में और ख़ास तौर से पुराने अफ्रीकी उपनिवेशों से रिश्ते बेहतर करने में काफ़ी दिलचस्पी थी लेकिन मार्गरेट थैचर का अफ्रीकी देशों के प्रति रवैया महारानी को पसंद नहीं था.
आलोचना और मुसीबत
साल दर साल महारानी के तौर पर एलिज़ाबेथ अपनी ज़िम्मेदारियां निभाती रहीं. 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद वो अमरीका के दौरे पर गईं. वहां वो अमरीकी कांग्रेस को संबोधित करने वाली पहली ब्रिटिश महारानी बनीं. अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने उनकी बहुत तारीफ़ की थी.
लेकिन नब्बे का दशक, शाही परिवार के लिए बेहद बुरा रहा. महारानी एलिज़ाबेथ के दूसरे बेटे ड्यूक ऑफ यॉर्क और उनकी पत्नी सारा में अलगाव हो गया. इसी तरह उनकी बेटी राजकुमारी ऐन का भी उनके पति मार्क फिलिप्स से तलाक़ हो गया. बाद में प्रिंस चार्ल्स और राजकुमारी डायना के तल्ख़ रिश्तों की सच्चाई भी सार्वजनिक हो गई. बाद में दोनों अलग भी हो गए.
नब्बे के दशक में ही शाही महल विंडसर पैलेस में भयंकर आग लग गई. इसके बाद ब्रिटेन में इस बात पर बहस छिड़ गई कि आख़िर राजमहल की मरम्मत का ख़र्च कौन उठाएगा? मरम्मत का काम शाही ख़र्चे पर हो या फिर ब्रिटिश पब्लिक के पैसे पर. इसे लेकर इंग्लैंड के लोग दो हिस्सों में बंटे नज़र आए.
महारानी ने इसका रास्ता निकाला. राजमहल की मरम्मत का ख़र्च निकालने के लिए बकिंघम पैलेस को आम लोगों के लिए खोल दिया गया. साथ ही, राज परिवार ने ये एलान भी किया कि महारानी और उनके युवराज प्रिंस ऑफ वेल्स, दोनों अपनी आमदनी पर टैक्स अदा किया करेंगे.
1992 के साल को महारानी एलिज़ाबेथ ने अपनी ज़िंदगी का सबसे बुरा साल कहा था. उन्होंने एक भाषण में कहा कि किसी भी संस्था या इंसान को जवाबदेही से नहीं बचना चाहिए. ब्रिटेन का शाही परिवार भी हर तरह की पड़ताल के लिए तैयार है.
वैसे बुरे हालात के बीच अच्छी ख़बर भी आई. दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद के ख़ात्मे का एलान कर दिया था. महारानी को हमेशा से कॉमनवेल्थ देशों से रिश्तों में दिलचस्पी रही थी इसीलिए उन्होंने रंगभेद के ख़ात्मे के बाद 1995 में दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया.
प्रिंसेज़ ऑफ़ वेल्स डायना का निधन
घरेलू मोर्चे पर महारानी के सामने शाही परिवार की इज़्ज़त बचाए रखने की चुनौती थी. लेकिन प्रिंसेज़ डायना और प्रिंस चार्ल्स के तल्ख़ रिश्तों और अलगाव की वजह से शाही परिवार की इज़्ज़त को बट्टा लगा था. 1997 में राजकुमारी डायना की मौत के बाद जनता पूरी तरह से शाही परिवार के ख़िलाफ़ हो गई. महारानी पर निजी तौर पर भी कई आरोप लगे थे.
पेरिस में हादसे में राजकुमारी डायना की मौत के बाद हज़ारों लोगों ने घरों से बाहर निकलकर राजकुमारी डायना को श्रद्धांजलि दी. कुछ समय गुज़रने के बाद उन्होंने राजकुमारी डायना की मौत पर देश के नाम संदेश दिया. उन्होंने देश से वादा किया कि शाही परिवार ख़ुद को बदले हुए दौर के हिसाब से ढालने की कोशिश करेगा.
2002 में अपने राज-पाट की पचासवीं सालगिरह पर महारानी को निजी झटका लगा. उनकी माँ प्रिसेंस मार्गरेट की मौत हो गई थी. फिर भी उनकी ताजपोशी की पचासवीं सालगिरह धूम-धाम से मनाई गई.
जश्न मनाने के लिए लंदन के द मॉल पर दस लाख से ज़्यादा लोग जमा हुए थे.
अप्रैल 2006 में अपने अस्सीवें जन्मदिन पर जब महारानी आम लोगों के बीच मिलने जुलने निकलीं, तो विंडसर पैलेस के सामने हुजूम इकट्ठा हो गया था.
साल 2007 में महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस फिलिप ने अपनी शादी की साठवीं सालगिरह मनाई. इस मौक़े पर शाही गिरजाघर वेस्टमिंस्टर एबे में ख़ास प्रार्थना हुई. इसमें दो हज़ार लोग शामिल हुए थे.
अप्रैल 2011 में शाही परिवार में एक और ख़ुशी का मौक़ा आया. जब महारानी के पोते प्रिंस विलियम ने केट मिडिलटन से ब्याह रचाया. पूरे देश ने इस शाही शादी का जश्न मनाया.
मई 2011 में महारानी एलिज़ाबेथ, आयरलैंड का दौरा करने वाली ब्रिटेन की पहली महारानी बनीं. उन्होंने आयरलैंड से ऐतिहासिक रूप से तल्ख़ रिश्तों को सुधारने की पहल की. आयरिश लोगों पर ब्रिटेन के पुराने ज़ुल्मों पर भी महारानी ने अफ़सोस जताया.
2012 में उत्तरी आयरलैंड के दौरे पर उन्होंने ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ बग़ावत करने वाले संगठन आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के नेता मार्टिन मैक्गिनस से हाथ मिलाकर एक नया संदेश देने की कोशिश की. इसी आयरिश रिपब्लिक आर्मी ने कभी महारानी के चचेरे भाई लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या कर दी थी.
महारानी की ताजपोशी की साठवीं सालगिरह का जश्न भी उस साल ख़ूब धूमधाम से मना था.
महारानी के लिए सियासी तौर पर मुश्किल वक़्त 2014 में भी आया. स्कॉटलैंड में ब्रिटेन से अलग होने के लिए रायशुमारी कराई थी. महारानी ने हमेशा ब्रिटेन की एकता का समर्थन किया था. वो नहीं चाहती थीं कि स्कॉटलैंड अलग हो. जनमत संग्रह से
पहले महारानी ने बालमोरल कैसल के बाहर लोगों से अपील की थी कि वो सोच समझकर फ़ैसला लें. शायद जनता ने उनके दिल की बात सुनी और स्कॉटलैंड के अलगाव के प्रस्ताव को ज़रूरी समर्थन नहीं मिला.
जब रायशुमारी के आंकड़े सामने आए, तो महारानी ने राहत की सांस ली थी. 1997 में संसद में दिए गए भाषण में उन्होंने ब्रिटेन की एकता बनाए रखने का वादा किया था. उस ज़िम्मेदारी को निभाने में महारानी कामयाब रही थीं.
इस मौक़े पर महारानी ने कहा था, 'अब जबकि हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें ये याद रखना चाहिए कि बहुत से लोगों ने अपनी अलग अलग राय ज़ाहिर की है. मगर, इन सबमें एक बात है जिस पर सब सहमत होंगे. वो ये कि हम सब स्कॉटलैंड से बहुत प्यार करते हैं'.
9 सितंबर 2015 को वो महारानी विक्टोरिया से भी लंबे समय तक राज करने वाली महारानी बन गई थीं. हालांकि इस पर महारानी एलिज़ाबेथ ने ज़्यादा ख़ुशी नहीं ज़ाहिर की.
नौ अप्रैल 2021 को लंबी बीमारी के बाद उनके पति प्रिंस फिलिप का निधन हो गया.
महारानी एलिज़ाबेथ के दौर के ख़ात्मे के वक़्त शाही परिवार का दर्जा उतना ऊंचा नहीं है, जितना 1952 में उनकी ताजपोशी के वक़्त था. लेकिन आम ब्रिटिश नागरिकों के बीच, वो राजपरिवार का रुतबा और उसके प्रति लगाव बनाए रखने में महारानी ज़रूर कामयाब रहीं.
अपनी ताजपोशी की पच्चीसवीं सालगिरह पर महारानी एलिज़ाबेथ ने तीस साल पहले की अपनी क़सम को याद किया था. ये वादा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर अपनी जनता से किया था.
'जब मैं इक्कीस बरस की थी तभी मैंने ख़ुद को जनता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था. उस वक़्त मैंने भगवान से ये ज़िम्मेदारी निभाने में मदद मांगी थी. वो मेरे बचपने के दिन थे. जब मुझे सही-ग़लत में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पता था. लेकिन जो वादा मैंने उस वक़्त किया था. उस पर मैं आज भी क़ायम हूं. उसके एक भी शब्द से मैं पीछे नहीं हटी हूँ.' (bbc.com/hindi)
लंदन, 8 सितंबर। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय स्कॉटलैंड में अपने बाल्मोरल कैसल स्थित आवास पर चिकित्सकीय देखरेख में हैं, क्योंकि डॉक्टरों ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है। बकिंघम पैलेस ने यह जानकारी दी।
महारानी के क्लेरेंस हाउस और केंसिंग्टन पैलेस कार्यालयों के अनुसार, उनके बेटे एवं उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स, उनकी पत्नी कैमिला और पोते प्रिंस विलियम बाल्मोरल गये हैं।
बकिंघम पैलेस के बयान में कहा गया है, ‘‘आज सुबह चिकित्सा जांच के बाद, डॉक्टरों ने महारानी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई और उन्हें चिकित्सकीय देखरेख में रहने की सलाह दी।’’
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने कंजरवेटिव पार्टी की नेता लिज ट्रस को मंगलवार को औपचारिक रूप से ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
ट्रस 96 वर्षीय महारानी से मिलने के लिए स्कॉटलैंड के एबर्डीनशायर में उनके बाल्मोरल कैसल स्थित आवास पहुंची थीं।
इस बीच ट्रस ने कहा, ‘‘बकिंघम पैलेस की इस खबर से पूरा देश चिंतित होगा।’’
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘इस समय मेरी और पूरे देश की शुभकामनाएं महारानी और उनके परिवार के साथ हैं।’’ (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र, 8 सितम्बर | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वायु प्रदूषण को कम करने और स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बुधवार को ब्लू स्काई के लिए स्वच्छ हवा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर एक वीडियो संदेश में कहा, "हम सभी एक साथ वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं और लोगों को स्वस्थ जीवन और बेहतर सुरक्षा दे सकते हैं।"
महासचिव ने चेतावनी दी कि वायु प्रदूषण अरबों लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करता है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषित हवा धरती के 99 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है। इससे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
उन्होंने कहा, खासतौर पर महिलाएं और लड़कियां, जिनका स्वास्थ्य बेकार फ्यूल से खाना पकाने और गर्म करने से अधिक खराब होता है। गरीब ट्रेफिक और उद्योग के धुएं से भरे क्षेत्रों में रहते हैं, जिसका बुरा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।
गुटेरेस ने कहा, "वायु प्रदूषक भी ग्लोबल वार्मिग का कारण बनते हैं। जंगल की आग हवा को और प्रदूषित कर रही है।"
उन्होंने कहा कि जब लोग वायु प्रदूषण और अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आते हैं, तो उनकी मृत्यु का जोखिम लगभग 20 प्रतिशत अधिक होता है।
गुटेरेस ने कहा, "ब्लू स्काई के लिए स्वच्छ हवा के इस तीसरे अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, मैं सभी देशों से वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करता हूं।" (आईएएनएस)|
लखनऊ, 8 सितम्बर )| यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो डार्क वेब से भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का डेटा हासिल कर वर्चुअल मनी (बिटकॉइन) के जरिए ड्रग्स खरीदते और बेचते थे।
एसटीएफ ने आलमबाग इलाके से आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों की पहचान शाहबाज खान (गैंग का लीडर), आरिज एजाज, गौतम लामा, शारिब एजाज, जावेद खान और सऊद अली के रूप में हुई है।
अधिकारियों के अनुसार, एसटीएफ ने भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किए हैं, जिनमें ट्रामानोफ-पी की 540 गोलियां, ट्रामेफ-एपी की 100 गोलियां, स्पास्मो-प्रॉक्सीवॉन प्लस की 720 गोलियां, एक लैपटॉप, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेबिट और क्रेडिट कार्ड, 17 सेल्युलर फोन, पांच आधार कार्ड, तीन कार और एक मोटरसाइकिल, पांच पैन कार्ड, पांच ड्राइविंग लाइसेंस, पांच वोटर आईडी-कार्ड और 5,110 रुपये शामिल है।
पूछताछ के दौरान, शाहबाज खान ने खुलासा किया कि वह एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का हिस्सा है, जो डार्क वेब से प्राप्त ग्राहक डेटा का उपयोग करके ड्रग्स बेचता है।
बयान में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, आईटी अधिनियम की धारा 66 और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 12/23/24 के तहत मामला दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)|