अंतरराष्ट्रीय
स्टॉकहोम, 19 सितंबर | इस सर्दी में जीवनरक्षक चिकित्सा उपकरणों पर मरीजों को खतरा हो सकता है, क्योंकि स्वीडन में ऊर्जा की कमी के कारण बिजली कटौती की संभावना है, एक सरकारी एजेंसी ने चेतावनी दी है। स्वीडिश सिविल आकस्मिकता एजेंसी (एमएसबी) में आपूर्ति तैयारियों के प्रबंधक जान-ओलोफ ओल्सन ने स्वीडिश टेलीविजन को बताया, "उन लोगों के लिए हमेशा एक जोखिम होता है जिन्हें जीवन-निर्वाह मशीनों की जरूरत होती है या अगर बिजली की कमी होती है तो वे घरेलू स्वास्थ्य देखभाल में भी परेशानी महसूस करते हैं।"
उन्होंने बताया कि भले ही अस्पतालों में बैकअप बिजली व्यवस्था है, लेकिन उसके कारगर न होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एसवीटी के हवाले से बताया कि इसके अलावा, बिजली कटौती से अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक लॉक, गैर-काम करने वाली ट्रैफिक लाइट और हीटिंग की समस्या।
ओल्सन ने एसवीटी को बताया, "दुर्भाग्य से, तैयारी आम तौर पर बहुत खराब होती है। पहले से ही 2011 में, हमने स्वीडन में समाज के लिए महत्वपूर्ण 50,000 बिजली-निर्भर व्यवसायों की पहचान की। उनमें से बहुत कम के पास आरक्षित शक्ति है। परिणाम यह है कि कई व्यवसाय, दुकानें और कंपनियां बस बंद हो जाती हैं। पावर आउटेज की घटना के रूप में कोई योजना बी नहीं है।"
आम तौर पर, स्वीडन जितनी बिजली की खपत करता है, उससे कहीं अधिक बिजली का उत्पादन करता है।
हालांकि, यूरोपीय व्यापक ऊर्जा संकट के कारण निर्यात में वृद्धि हुई है।
अनियोजित मरम्मत कार्यो के कारण, स्वीडन के छह परमाणु रिएक्टरों में से एक के 31 जनवरी, 2023 तक ऑफलाइन होने की भी उम्मीद है।
इसलिए, राष्ट्रीय बिजली ग्रिड ऑपरेटर स्वेन्स्का क्राफ्टनेट ने चेतावनी दी है कि देश के कुछ हिस्सों में बिना किसी सूचना के कट जाने का जोखिम है, मांग आपूर्ति से अधिक होनी चाहिए।
सांख्यिकी स्वीडन के अनुसार, पिछले साल देश में 166 टेरावाट घंटे बिजली का उत्पादन किया गया था। (आईएएनएस)|
जम्मू, 19 सितंबर | जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में पठानकोट-जम्मू राजमार्ग पर ट्रक में आग लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। घटना रविवार देर शाम की है।
पुलिस ने बताया कि कठुआ जिले में पठानकोट-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर जम्मू आ रहे ट्रक में अचानक आग लग गई।
उन्होंने बताया कि लोगों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान ट्रक के हेल्पर की जान को नहीं बचा सके।
पुलिस ने कहा, "मृतक हेल्पर की पहचान की जा रही है।" (आईएएनएस)|
तोक्यो, 19 सितंबर | जापानी कैबिनेट की सार्वजनिक अप्रूवल रेटिंग घटकर 29 फीसदी रह गई है, जो 30 फीसदी से नीचे एक 'खतरे' के निशान पर है। इसका खुलासा एक नए सर्वे से हुआ। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को जारी किए गए सर्वे से पता चला है कि प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के नेतृत्व वाली सरकार का सपोर्ट रेट 29 प्रतिशत रहा, जो अगस्त में पिछले सर्वे के 36 प्रतिशत से 7 प्रतिशत अंक कम है।
30 प्रतिशत से नीचे की पब्लिक सपोर्ट रेटिंग को आमतौर पर कैबिनेट के लिए 'खतरे' के रूप में देखा जाता है।
जापान की प्रमुख सत्तारूढ़ लिबरल डेमोकेट्रिक पार्टी (एलडीपी) की अप्रूवल रेटिंग भी पिछले मतदान से 6 प्रतिशत अंक गिरकर 23 प्रतिशत हो गई।
कैबिनेट और एलडीपी के लिए अप्रूवल रेटिंग में तेज गिरावट आंशिक रूप से जापानी राजनेताओं के यूनिफिकेशन चर्च के धार्मिक समूह के विवादास्पद संबंधों पर है।
केवल 12 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे यूनिफिकेशन चर्च के साथ जापानी राजनेताओं के संबंधों के मुद्दे पर किशिदा की प्रतिक्रिया का समर्थन करते हैं।
चूंकि सर्वे स्व-रिपोर्टिग पर आधारित था, इसलिए अधिकांश उत्तरदाता आश्वस्त नहीं थे। (आईएएनएस)|
इस्लामाबाद, 19 सितंबर | पाकिस्तान में बाढ़ की आफत के बीच डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि सिंध में पिछले 24 घंटों में डेंगू के कुल 386 नए मामले सामने आए हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची की प्रांतीय राजधानी में डेंगू के 349 नए मामले दर्ज किए गए हैं।
सिंध में सितंबर के महीने में डेंगू के मामलों की संख्या बढ़कर 3,020 हो गई है, जिससे इस साल स्थानीय मामलों की संख्या 5,589 तक पहुंच गई।
इसी अवधि में खैबर पख्तूनख्वा में 166 डेंगू संक्रमित मामले दर्ज किए गए, जिससे सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 1,356 हो गई।
पंजाब प्रांत में 191 नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकांश रावलपिंडी में 84 और लाहौर में 60 मामले सामने आए है। इस साल पंजाब में कुल मामलों की संख्या अब 3,288 हो गई है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया कि इस्लामाबाद में पिछले 24 घंटों में डेंगू के 57 नए मामले सामने आए। इस्लामाबाद में कुल मामलों की संख्या अब बढ़कर 1,388 हो गई है।
पाकिस्तानी सरकार ने बढ़ते मामलों को देखते हुए जन जागरूकता बढ़ाने समेत एंटी-डेंगू कैपेंन शुरू किया है, और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए विशेष उपाय किए हैं। (आईएएनएस)|
किर्गिज़स्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर हो रही झड़पों में अब तक 94 लोगों की जान चली गई है.
मध्य एशिया के इन दोनों देशों के बीच झड़पें बुधवार से जारी थीं. शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच युद्धविमराम की घोषणा हुई थी.
इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमाओं पर संघर्ष होता रहता है क्योंकि दोनों अपनी सरहदों के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों से अपने मतभेद शांतिपूर्वक तरीके सुलझाने की अपील की है.
ताजिकिस्तान और किर्गिज़स्तान के बीच एक हज़ार किलोमीटर का बॉर्डर है. इसमें से एक तिहाई पर दोनों देश सहमत नहीं हैं.
साल 2021 में भी दोनों देशों के बीच ऐसे ही संघर्ष छिड़ा था जिसमें करीब 50 लोग मारे गए थे. लेकिन हाल के दिनों में शुरू हुई हिंसा में क़रीब सौ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
रविवार को किर्गिज़स्तान ने 13 और मौतों की पुष्टि की है. अधिकारियों ने बताया है कि अब तक उनके देश के 59 लोग मारे जा चुके हैं. ये भी बताया गया है कि सौ से अधिक लोग घायल भी हैं.
उधर ताजिकिस्तान ने कहा है कि उसके 35 नागरिक मारे जा चुके हैं और कम से कम 20 अन्य घायल हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से दोनों देशों ने शुक्रवार को युद्धविराम की घोषणा की थी. (bbc.com/hindi)
-लॉरा क्वींसबर्ग
दो हज़ार मेहमान, 500 विदेशी महानुभाव, 4000 से अधिक कर्मचारी और संभवतः दुनिया भर में देखने वाले अरबों लोग.
सोमवार को होने वाला महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का राजकीय अंतिम संस्कार 21वीं सदी का ऐसा आयोजन होगा, जिसकी तुलना नहीं की जा सकेगी.
मार्मिक औपचारिकताओं और दुखद माहौल के बीच, अगले कुछ घंटों में हालिया इतिहास में वैश्विक नेताओं और महानुभावों का सबसे बड़ा जमावड़ा होगा.
दुनिया भर से आए सम्राट, राजकुमार-राजकुमारियां, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री लंदन में इकट्ठा हुए हैं. ये सब वेस्टमिंस्टर एबे में होने वाले महारानी के अंतिम संस्कार में शमिल होंगे.
ज़ाहिर है, ये आयोजन महारानी के निधन पर होने वाले बेहद अहम यादगार आयोजन हैं. ये ऐसी महिला के लिए वैश्विक श्रद्धांजलि है जो इतने लंबे समय से दुनिया की सबसे चर्चित और पहचानने योग्य नेता थीं.
एक वरिष्ठ राजनयिक ने मुझे बताया, "हर कोई महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता है क्योंकि वो सभी के लिए एक परिवार थीं. लोग उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. यह एक पारिवारिक अंतिम संस्कार है."
हालांकि बहुत से नेता जो अंतिम संस्कार में शामिल होने आ रहे हैं, उनकी एक आँख इस बात पर भी लगी है कि इसके उनके लिए क्या मायने हैं.
एक राजनयिक ने मुझे बताया, "ये सदी का सबसे बड़ा अंतिम संस्कार है. दुनिया का हर वैश्विक नेता इसे देखना चाहता है और इसमें दिखना चाहता है. जो नेता यहां नहीं होंगे या दिखाई नहीं देंगे वो हमारे दौर के सबसे बड़े फोटो-ऑप के मौक़े को छोड़ देंगे."
मैंने समय-समय पर समारोह के दौरान शाही परिवार के लिए आने वाले महानुभावों पर होने वाला असर देखा है.
हमेशा लोग उनके साथ दिखने को उत्साहित रहते हैं, कई बार तो भगदड़ की सी नौबत आ जाती है. हर कोई महारानी के साथ तस्वीर खिंचाना चाहता है. मैंने प्रधानमंत्रियों को महारानी के क़रीब जाने के लिए एक दूसरे से कुहनिया टकराते हुए देखा है.
लेकिन ये दुनिया के लिए और वैश्विक नेताओं के लिए एक दूसरे के और क़रीब आने का मौक़ा भी है. यहाँ सिर्फ़ यही नहीं देखा जाएगा कि दुनिया के किस प्रमुख नेता ने कितना मेक-अप किया है या हवाई अड्डे पर खड़ा किसका विमान सबसे आलीशान है (इसमें कोई हैरत नहीं कि एयरफोर्स वन सबसे आगे है) बल्कि ये एक दूसरे से बात करने का मौक़ा भी होगा. राजनयिक बैरोनेस एमोस बताते हैं, "वो छोटी-छोटी बातें होंगी." वो कहती हैं कि महारानी स्वंय इन छोटी-छोटी बातचीत को बड़े प्रभाव के साथ औपचारिक समारोहों में इस्तेमाल करती थीं.
सोमवार सुबह को वेस्टमिंस्टर एबे के लिए जाने वाली बस में (हां, इसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बैठे होंगे) या फिर रविवार को किंग के रिशेप्शन पर होने वाले समारोहों में ये बातचीतें हो सकती हैं.
या हो सकता है कि भावुक अंतिम संस्कार के समापन के बाद ये मौक़ा आए. ये कभी भी हो, राजनेता और राजनयिक हमेशा शांति से बात करने, नया व्यक्तिगत संबंध बनाने या अपनी चिंताएं ज़ाहिर करने के मौक़े की तलाश में रहते हैं.
अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले मेहमानों की सूची भी 2022 की राजनीति और सत्ता को ही प्रदर्शित करती है. सिर्फ़ कुछ चुनिंदा देशों को ही इससे बाहर किया गया है. यूक्रेन में युद्ध की वजह से रूस और बेलारूस को न्यौता नहीं दिया गया है.
इसके अलावा- सीरिया, म्यांमार, अफ़ग़ानिस्तान और वेनेज़ुएला मेहमानों की सूची से बाहर हैं. कुछ देशों के साथ ठंडे रिश्ते भेजे गए न्यौतों में भी नज़र आते हैं. जैसे उत्तर कोरिया के नेता के बजाए राजदूत को बुलाया गया है.
अब पिछले सप्ताह की ना-नुकुर के बाद हमें ये भी पता है कि चीन के नेताओं को भी अंतिम संस्कार में आमंत्रित किया गया है. हालांकि कुछ सांसदों ने ये भी बताया था कि उनसे कहा गया है कि चीन के प्रतिनिधिमंडल का वेस्टमिंस्टर एबे में स्वागत नहीं किया जाएगा.
निमंत्रण की पसंद, कार्यक्रम की कोरियोग्राफ़ी और यहाँ तक की बैठने की व्यवस्था अपने आप में अहम निर्णयों की प्रतीक होगी.
एक राजदूत ने मुझे बताया, "आयोजन आमतौर पर राजनयिक गतिविधियों के लिए बहुत मौक़े नहीं देते हैं."
दुनियाभर के नेता जो यहाँ आए हैं, उनका मुख्य मक़सद महारानी के प्रति सम्मान प्रकट करना ही है.
महारानी एलिज़ाबेथ के राजकाज का कार्यकाल और एक राजनयिक के रूप में उनके व्यक्तित्व का स्तर अतुलनीय था और ऐसे में आज होने वाला उनका अंतिम संस्कार भी इतना ही भव्य और अतुलनीय होगा. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 18 सितंबर। संयुक्त राष्ट्र ने रविवार को अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से 7वीं से 12वीं कक्षा की लड़कियों के लिए स्कूल फिर से खोलने का आह्वान करते हुए उच्च विद्यालयों से उन्हें एक साल से बाहर रखने को ‘शर्मनाक’ बताया।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि बुनियादी स्वतंत्रता के हनन समेत अन्य प्रतिबंधों के साथ बनाई गई नीति असुरक्षा, गरीबी और अलगाव के रूप में देश के आर्थिक संकट को और गहरा करेगी। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के कार्यवाहक प्रमुख मार्कस पोटजेल ने कहा कि लड़कियों के स्कूल जाने पर एक साल से जारी रोक बेहद दुखद एवं शर्मनाक है।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही कट्टरपंथी तत्व हावी होने लगे। किशोरियों के स्कूल जाने पर रोक है और महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर सिर से पैर तक खुद को ढंकना पड़ता है।
लड़कियों को कक्षाओं में वापस लाने के लिए तालिबान विभिन्न वादों को पूरा करने में विफल रहा है। प्रतिबंध कक्षा 7वीं-12वीं तक के लिए है और मुख्य रूप से इससे 12 से 18 वर्ष की लड़कियां प्रभावित हुई हैं।
तालिबान ने लड़कियों को घर पर रहने का निर्देश देते हुए लड़कों के लिए उच्च विद्यालय फिर से खोल दिए। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि पिछले एक साल में दस लाख से अधिक लड़कियों को उच्च विद्यालय में जाने से रोक दिया गया है।
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप विशेष प्रतिनिधि पोटजेल ने कहा, ‘‘लड़कियों को उच्च विद्यालयों से बाहर रखने के निर्णय को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है और दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हो रहा। यह लड़कियों की एक पीढ़ी और अफगानिस्तान के भविष्य के लिए बेहद हानिकारक है।’’
उच्च विद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश पर रोक का एक साल होने पर 50 लड़कियों ने एक पत्र लिखा है। इसका शीर्षक है ‘अंधकार का एक साल: मुस्लिम देशों और दुनिया के अन्य नेताओं को अफगान लड़कियों का एक पत्र।’ पत्र में काबुल, पूर्वी नांगरहार प्रांत और उत्तरी परवान प्रांत की लड़कियां के नाम हैं।
काबुल की 11वीं कक्षा की 18 वर्षीय छात्रा आजादी का नाम भी इस पत्र में है। आजादी ने कहा, ‘‘पिछले एक साल में, हमें शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, काम करने की आजादी, गरिमा के साथ जीने की स्वतंत्रता, कहीं आने-जाने और बोलने, तथा अपने लिए निर्णय लेने के अधिकार जैसे बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित कर दिया गया है।’’
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि शिक्षा हासिल करने से रोकना लड़कियों और महिलाओं के सबसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। विश्व निकाय ने कहा कि यह लड़कियों के हाशिए पर जाने, उनके खिलाफ हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार के जोखिम को बढ़ाता है तथा यह 2021 की गर्मियों से महिलाओं और लड़कियों को लक्षित करने वाली भेदभावपूर्ण नीतियों व प्रथाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का हिस्सा है।
संयुक्त राष्ट्र ने फिर से तालिबान का आह्वान किया कि वह अफगान महिलाओं और लड़कियों को उनके मूल अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने वाले कदमों को वापस ले। (एपी)
(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 18 सितंबर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में शिया समुदाय के जुलूस पर चरमपंथी इस्लामी समूह के कार्यकर्ताओं के हमले में कम से कम 13 लोग घायल हो गये। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी घायल 13 लोग शिया समुदाय से हैं, जिनमें से कुछ की हालत सिर पर चोट लगने के कारण गंभीर बताई जा रही है।
प्राथमिकी के मुताबिक, शिया समुदाय का जुलूस शनिवार को इमाम हुसैन के चेहल्लुम के सिलसिले में लाहौर से लगभग 130 किलोमीटर दूर सियालकोट स्थित इमामबारगाह (सभा भवन) जा रहा था। इसी दौरान पिस्तौल और पत्थरों से लैस लोगों के एक समूह ने मातम मनाने वालों पर हमला कर दिया।
चेहल्लुम शिया समुदाय का एक धार्मिक आयोजन है, जो पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद दिलाता है। इमाम हुसैन मुहर्रम के महीने के 10 वें दिन शहीद हुए थे।
प्राथमिकी के अनुसार, एक दर्जन से अधिक मातम मनाने वाले लोग घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जुलूस के मार्ग को लेकर तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और शिया कार्यकर्ताओं के बीच इलाके में पिछले कुछ दिनों से तनाव चल रहा था।
अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘टीएलपी के स्थानीय नेता चाहते थे कि शिया जुलूस उनकी मस्जिद सह मदरसा के सामने से ना गुजरे। लेकिन शिया समुदाय उसी रास्ते से इमामबारगाह जाने के लिए दृढ़ थे, जिससे वे हर साल जाते थे।’’
अधिकारी ने कहा कि टीएलपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने शहाबपुरा (सियालकोट) के आलम चौक पर अपने मदरसे से बाहर आकर मातम करने वालों पर हमला कर दिया।
सियालकोट पुलिस प्रमुख फैसल कामरान ने कहा कि घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। हालांकि, हमलावर भागने में सफल रहे। पुलिस प्रमुख ने कहा कि 30 संदिग्धों के खिलाफ आतंकवाद के आरोप में मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के मद्देनजर इलाके में पुलिस बल तैनात किया गया है और संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए कई पुलिस टीम का गठन किया गया है। (भाषा)
(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, 18 सितंबर। दक्षिण-पश्चिम चीन के गुइझोऊ प्रांत में रविवार को एक राजमार्ग पर एक बस के पलट जाने से उसमें सवार 27 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने काउंटी के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो के हवाले से बताया कि यह दुर्घटना संदू शुई स्वायत्त काउंटी में हुई, जो गुइझोऊ प्रांत की राजधानी गुइयांग शहर के दक्षिण-पूर्व में है।
पुलिस के मुताबिक बस में कुल 47 लोग सवार थे और घायलों का इलाज जारी है। आपातकालीन सुविधाएं मुहैया कराने वाले विभागों की टीमों को घटनास्थल की ओर भेज दिया गया है। पुलिस ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
चीन में यातायात संबंधी नियमों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है या उन्हें लागू नहीं किया जाता, जिसके कारण बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
अधिकांश दुर्घटनाएं यातायात संबंधी नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं।(भाषा)
ईरान, , 18 सितंबर। ईरान में उस महिला के अंतिम संस्कार में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ है जिन्हें धार्मिक मामलों की पुलिस ने गिरफ़्तार किया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी.
22 साल की महसा अमीनी की शुक्रवार को मौत हो गई थी. चश्मदीदों का कहना है कि तेहरान में अमीनी की गिरफ़्तारी के बाद उन्हें वैन में पीटा गया था लेकिन पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है.
अमीनी के अंतिम संस्कार के समय कथित तौर पर कुछ महिलाओं ने विरोध स्वरूप अपने हिजाब उतार दिए जबकि ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है.
सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें प्रदर्शनकारी 'तानाशाह मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे हैं और बाद में पुलिस भीड़ पर गोलियां चला रही है.
अमीनी के शव को पश्चिमी कुर्दिस्तान के साक़ेज़ में उनके गृहनगर में दफ़नाया गया है.
सोशल मीडिया पर जारी हुए वीडियो में बताया गया है कि स्थानीय लोग सुबह से ही इकट्ठा होना शुरू हो गए थे ताकि ईरानी सुरक्षाबलों को चुपके से शव न दफ़नाने दिया जाए. ऐसी आशंका थी कि विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए सुरक्षाबल ऐसा कर सकते हैं.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस मौत पर विरोध जताने के लिए कुछ ग़ुस्साए प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय गवर्नर के दफ़्तर तक मार्च भी किया. बीबीसी की फ़ारसी सेवा को एक वीडियो मिला है जिसकी उसने जांच भी की है, उसमें सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों के ऊपर गोली चला रहे हैं.
लोगों के घायल होने और गिरफ़्तारियों की रिपोर्ट भी हैं. ट्विटर पर जारी किए गए वीडियो में सुरक्षाबलों को गवर्नर के दफ़्तर की सुरक्षा करते और इमारत के नज़दीक जाते प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करते देखा जा सकता है.
अमीनी की क़ब्र पर लगे पत्थर की एक फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिस पर लिखा है, "आप मरी नहीं हैं. आपका नाम एक कोड (रैली बुलाने का) रहेगा."
अमीनी को क्यों गिरफ़्तार किया गया था?
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अमीनी को मंगलवार को धार्मिक मामलों की पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने सिर को ढंकने के एक सख़्त ड्रेस कोड का पालन नहीं किया था.
चश्मदीदों के अनुसार, पुलिस वैन में उन्हें बुरी तरह पीटा गया था जिसके बाद वो कोमा में चली गई थीं.
ईरान की पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है और उसका कहना है कि अमीनी का 'तुरंत हार्ट फ़ैलियर हुआ था.'
ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने गृह मंत्रालय से कहा है कि वो मौत के मामले में जांच करे.
उत्तरी तेहरान के कासरा अस्पताल ने एक बयान में कहा है कि 13 सितंबर को अमीनी को अस्पताल लाया गया था और उनके शरीर में कोई भी हरकत नहीं थी.
हालांकि, बाद में अस्पताल के सोशल मीडिया अकाउंट से इस बयान को हटा लिया गया क्योंकि सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी अकाउंट्स अस्पताल पर 'शासन विरोधी एजेंट' होने का आरोप लगा रहे थे.
ईरानियन टीवी ने अमीनी की गिरफ़्तारी का एक सीसीटीवी फ़ुटेज भी चलाया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने देश के सरकारी टीवी पर इस फ़ुटेज को सेंसर करने का आरोप भी लगाया है ताकि एक झूठी कहानी गढ़ी जा सके.
साइबर सिक्योरिटी और इंटरनेट गवर्नेंस पर नज़र रखने वाली संस्था नेटब्लॉक के अनुसार, अमीनी की मौत की ख़बर आने के बाद ईरान में राजधानी तेहरान और साक़ेज़ समेत कई जगहों पर इंटरनेट कनेक्शन में दिक़्क़त पैदा हुई है.
कई यूज़र्स का कहना है कि वो इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड नहीं कर पा रहे हैं या उन्हें व्हाट्सऐप पर नहीं भेज पा रहे हैं.
वहीं, ईरान के सरकारी अख़बार शर्क़ ने रिपोर्ट की है कि शनिवार को तेहरान के इंटरनेट स्पीड की वजह से स्टॉक मार्केट प्रभावित हुआ.
ईरान में महिलाएं
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1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद यह क़ानून बना दिया गया था कि महिलाओं को इस्लामी तरीक़े से कपड़े पहनने होंगे. इसके बाद यह ज़रूरी हो गया कि महिलाएं चादर ओढ़ें जो उनके शरीर को ढंके रहे, साथ ही हेड स्कार्फ़ या हिजाब या बुर्क़ा पहनें.
हालिया सालों में ईरान में हिजाब की अनिवार्यता को लेकर कई अभियान चलाए गए हैं लेकिन ईरान की धार्मिक मामलों की पुलिस ने ड्रेस कोड का पालन न करने के आरोपों में कई बार कड़ी कार्रवाई की है जिसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
वहीं हाल ही में ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख ग़ुलाम हुसैन मोहसेनी-इजेई ने कहा था कि इस अभियान के पीछे विदेशी ताक़तें हैं. साथ ही उन्होंने ख़ुफ़िया एजेंसियों को निर्देश दिए थे कि वो तलाशें कि इसके पीछे कौन है.
गर्मियों में राष्ट्रपति रईसी ने इस अभियान का सीधे तौर पर हवाला देते हुए उन्होंने वादा किया था कि 'इस्लामी समाज में संगठित भ्रष्टाचार को बढ़ावा' देने के ख़िलाफ़ वो कड़ी कार्रवाई करेंगे.
बीते कुछ महीनों में ईरान के सरकारी टीवी चैनलों ने उन महिलाओं के वीडियो प्रसारित किए हैं जो स्वीकार कर रही हैं कि उन्हें सख़्त ड्रेस कोड का पालन न करने को लेकर गिरफ़्तार किया गया था.
कई ईरानियों का आरोप है कि इस कड़ी कार्रवाई के पीछे शीर्ष नेता अली ख़ामेनेई हैं. उनके एक भाषण को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है जिसमें वो धार्मिक मामलों की पुलिस की भूमिका और उसके काम करने के तरीक़े की तारीफ़ कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)
कोलंबो, 18 सितंबर | श्रीलंका ने यूक्रेन के खार्कीव क्षेत्र में कुप्यांस्क मेडिकल कॉलेज से सात श्रीलंकाई छात्रों के रेस्क्यू किए जाने की खबर पर यूक्रेनी सरकार और नई दिल्ली में यूक्रेनी दूतावास से अधिक जानकारी मांगी है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने यूक्रेन में श्रीलंकाई नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता को देखते हुए यूक्रेनी सरकार से समाचार की सत्यता का पता लगाने और प्राथमिकता के आधार पर इस पर अधिक जानकारी देने का अनुरोध किया है।
मंत्रालय अंकारा में श्रीलंका दूतावास के माध्यम से यूक्रेनी सरकार और नई दिल्ली में यूक्रेनी दूतावास के माध्यम से, इस मामले पर अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रही है, विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा।
शुक्रवार को, यूक्रेनी मीडिया ने राष्ट्रपति वोल्डोमिर जेलेंस्की के हवाले से कहा कि सात श्रीलंकाई छात्रों को यातना कक्षों से रेस्क्यू किया गया है; जहां यूक्रेन के खार्कीव क्षेत्र में रूसी सैनिकों ने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार किया था।
खार्कीव में, रूसी कब्जे से मुक्त क्षेत्रों में खोजी कार्रवाई जारी है। रूसियों के सभी अपराध दर्ज किए जा रहे हैं, और उनके अपराध के सबूत एकत्र किए जा रहे हैं। कब्जे वाले शहरों और कस्बों के नागरिकों को धमकाया गया और यातना गृह में विदेशी भी रखे गए, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था।
श्रीलंका गणराज्य के सात नागरिक, जो कुप्यांस्क मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं, उन्हें बचाया गया है। मार्च में उन्हें रूसी सैनिकों ने पकड़ लिया था और बाद में एक तहखाने में उन्हें रखा गया था। खार्कीव की मुक्ति के बाद अब इन लोगों को बचाया गया है। उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा रही है, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा।
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन में रहने वाले 16 छात्रों सहित 90 से अधिक श्रीलंकाई लोगों की वापसी की सुविधा प्रदान की गई। (आईएएनएस)
ताइपे, 18 सितंबर | ताइवान के पूर्वी काउंटी ताइतुंग में शनिवार रात 9:41 बजे 6.5 तीव्रता का भूकंप आया। उसके बाद से रविवार सुबह तक में 47 झटके महसूस किए गए। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। द्वीप की मौसम एजेंसी ने यह जानकारी दी। झटके के कारण कुछ दुर्घटनाएं हुईं, जैसे दीवार गिरना, बिजली गुल होना, पानी के पाइप फटना और सेल ढह जाना आदि।
प्रभावित रेलवे सेक्शन ने सामान्य परिचालन फिर से शुरू कर दिया है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, अब तक किसी के हताहत होने या गंभीर आपदा की खबर नहीं है।
मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि 6.5-तीव्रता का भूकंप पिछले 49 वर्षो में उपरिकेंद्र क्षेत्र में होने वाला सबसे मजबूत भूकंप है, जो भूमि पर उथली गहराई पर था और इस प्रकार पूरे द्वीप में महसूस किया गया था।
चाइना अर्थक्वेक नेटवर्क्स सेंटर के अनुसार, भूकंप के केंद्र की निगरानी 23.05 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 121.21 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 10 किमी की गहराई पर की गई। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 18 सितंबर। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ के कारण करीब 1.6 करोड़ बच्चों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिनमें से कम से कम 34 लाख बच्चों को तत्काल सहायता की जरूरत है।.
संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति बेहद भयावह है और वहां कुपोषित बच्चे दस्त, डेंगू बुखार और पीड़ादायक चर्म रोगों से जूझ रहे हैं।. (भाषा)
(शिरीष बी. प्रधान)
काठमांडू, 17 सितंबर। नेपाल के पश्चिमी हिस्से में पिछले 24 घंटों में भारी वर्षा के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सुदूर पश्चिम प्रांत के अछाम जिले के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है। यह प्रांत पिछले कुछ दिनों में हुई भारी वर्षा के कारण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है।
कार्यवाहक मुख्य जिला अधिकारी दीपेश रिजल ने जिले में भूस्खलन से कम से कम 17 लोगों के मरने की पुष्टि की है। यह जिला राजधानी काठमांडू से करीब 450 किलोमीटर पश्चिम में है।
अधिकारी ने बताया कि घटनाओं में घायल हुए 11 लोगों को उपचार के लिये हवाई मार्ग से सुरखेत जिला पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि भूस्खलन के बाद तीन लोगों के लापता होने की सूचना है।
उन्होंने बताया कि नेपाल पुलिस के कर्मी राहत एवं बचाव के साथ-साथ लापता लोगों की खोज में जुटे हुए हैं।
अधिकारी का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि प्रांत के सात जिलों को जोड़ने वाला भिमदत्त राजमार्ग आपदा के कारण अवरुद्ध हो गया है।
भूस्खलन के कारण अछाम जिले में संचार सेवा भी प्रभावित हुई है। (भाषा)
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदज़्ज़्मां ख़ान ने कहा है कि उनका देश युद्ध नहीं बल्कि रोहिंग्या समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है.
ढाका में पत्रकारों से बात करते हुए शनिवार को उन्होंने कहा कि यदि इस मसले को शांतिपूर्ण ढंग से नहीं सुलझाया गया, तो ज़रूरत पड़ने पर इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया जाएगा.
उन्होंने कहा, "हम युद्ध नहीं चाहते. हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. इसके लिए हमारी कोशिश जारी रहेगी. यदि हमारा प्रयास असफल हुआ, तो हम इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाएंगे."
इससे पहले, बांग्लादेश के बंदरबन ज़िले के नाइक्श्योंगचारी के घुमधुम यूनियन की टुम्ब्रु सीमा पर शुक्रवार की रात म्यांमार की ओर से मोर्टार के गोले दागे गए.
समाचार एजेंसी राॅयटर्स के अनुसार, इस गोलाबारी से 15 साल के एक किशोर की मौत हो गई, जबकि कम से कम 6 अन्य लोग घायल हो गए.
वहीं, घुमधूम सीमा पर ज़ीरो लाइन पर मौजूद रोहिंग्या शिविर में एक धमाका हुआ. 28 अगस्त को भी इस इलाके़ में म्यांमार से मोर्टार के दो गोले आ गिरे थे.
बांग्लादेश के गृह मंत्री ने बताया कि विदेश मंत्रालय इस मामले पर काम कर रहा है और उम्मीद है कि म्यांमार संयम बरतेगा.
मंगलवार को तो म्यांमार के दो लड़ाकू जहाज और दो लड़ाकू हेलीकाॅप्टर बांगलादेश की सीमा के भीतर दाखि़ल हो गए थे.
म्यांमार की इन कार्रवाइयों को लेकर बांग्लादेश ने ढाका में म्यांमार के राजदूत को बुलाकर अपना विरोध जताया है.
दक्षिणी बांग्लादेश में म्यांमार से विस्थापित होकर लगभग 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. (bbc.com/hindi)
सीरिया, 17 सितंबर। सीरिया ने कहा है कि इसराइल ने दमिश्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट समेत राजधानी के दक्षिणी इलाके में कुछ ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं जिनमें पांच सैनिकों की मौत हो गई है.
सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसके एयर डिफेंस सिस्टम ने इसराइल की ओर से दागी गई मिसाइलों को बीच में ही रोक लिया और ज़्यादातर मिसाइलें रास्ते में ही नष्ट कर दी गईं.
अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस हवाई हमले से दमिश्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कामकाज बाधित हुआ है या नहीं.
हालांकि इसराइल की मिलिट्री ने इस पर सिर्फ़ इतना ही कहा कि वो विदेशी रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं करता है. हाल के दिनों में सीरिया के हवाई अड्डों पर इसराइल के हमले बढ़े हैं. इन हमलों की वजह ईरान की ओर से भेजी जाने वाली सप्लाई को रोकना है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान हिज़बुल्लाह समेत सीरिया और लेबनान में अपने सहयोगियों को हथियारों की आपूर्ति करता है.
कहा जा रहा है कि तेहरान ने सीरिया में अपने सहयोगियों को हथियारों की आपूर्ति के लिए एयर ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. (bbc.com/hindi)
कीव, 17 सितंबर | यूक्रेन के अधिकारियों ने हाल ही में रूस के कब्जे से मुक्त हुए इजियम शहर के पास स्थित एक जंगल में दबे 440 से अधिक शवों को निकाला है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 100 यूक्रेनी आपातकालीन सेवा कर्मियों ने जमीन को खोदा और शवों को बाहर किया। अब वे मौत के कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
खार्किव क्षेत्र के अभियोजक ओलेक्सेंडर इलेनकोव का मानना है कि युद्ध अपराध किए गए थे।
उन्होंने बीबीसी को बताया कि रूसी सैनिकों के कारण लगभग सभी लोग मारे गए, "पहली कब्र में एक नागरिक के शव की गर्दन पर रस्सी थी, जिसके चलते उसकी मौत के पीछे का कारण यातना माना जा रहा है। वहीं कुछ रूसी संघ के हवाई और तोपखाने के हमलों के कारण लोग मारे गए हैं।"
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ कब्रों पर नाम लिखे गए थे, लेकिन अधिकांश पर केवल एक संख्या ही अंकित थी।
पुलिस ने कब्रों की संख्या 445 बताई है, लेकिन सही संख्या अभी भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि कुछ कब्रों में एक से अधिक शव हैं।
अभियोजकों ने कहा है कि कुछ रूसी गोलाबारी से मारे गए थे और अन्य हवाई हमले के शिकार हुए थे, जिसमें 47 लोग मारे गए थे।
शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा, "पूरी दुनिया को इसे देखना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "एक ऐसी दुनिया जिसमें क्रूरता और आतंकवाद नहीं होना चाहिए। लेकिन यह सब वहां है और इसका नाम रूस है। इजियम में सामूहिक दफन स्थल पर 400 से अधिक शव पाए गए।"
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, "हम यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराधों और अत्याचारों का दस्तावेजीकरण करना और सक्रिय रूप से सहायता करना जारी रखेंगे।"
ट्यूनिस, 17 सितंबर | ट्यूनीशियाई मैरीटाइम गार्ड यूनिट्स ने इस साल 13 सितंबर तक 1,976 अवैध आव्रजन प्रयासों को विफल किया है। इसकी सूचना नेशनल गार्ड के प्रवक्ता हॉउसमेडिन जबाब्ली ने दी। जब्ली ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "412 ट्यूनीशियाई नाबालिगों समेत 21,500 से अधिक अवैध ट्यूनीशियाई और विदेशी अप्रवासियों को गिरफ्तार किया गया था। इसी अवधि के दौरान 552 तस्करों को गिरफ्तार किया गया।"
उन्होंने कहा, "अवैध अप्रवास का संकट गर्भवती महिलाओं समेत अधिक से अधिक महिलाओं को प्रभावित कर रहा है।"
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका के उत्तरी ओर स्थित, ट्यूनीशिया यूरोप के अवैध प्रवासियों के लिए सबसे लोकप्रिय पारगमन बिंदुओं में से एक है।
हालांकि ट्यूनीशियाई अधिकारियों ने समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन ट्यूनीशिया से इटली जाने वाले अवैध अप्रवासियों की संख्या में कमी नहीं आई है। (आईएएनएस)|
ब्रुसेल्स, 17 सितंबर | बेल्जियम सरकार ने घरों और व्यवसायों को ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से निपटने में मदद करने के लिए ऊर्जा उपायों का एक नया पैकेज अपनाया है। नए उपायों के तहत नवंबर और दिसंबर में घरों के बिजली और गैस के बिल 400 यूरो (400 डॉलर) कम हो जाएंगे। कटौती गैस के लिए 135 यूरो और बिजली बिल के लिए 61 यूरो प्रति माह होगी, जिसे वर्ष के अंत में जमा चालान से काट लिया जाएगा।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, घरों के लिए 31 अगस्त को शुरू की गई 225 यूरो के पहले के लाभ को बढ़ाकर 300 यूरो कर दिया गया है।
सरकार ने व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा योगदान और कर के भुगतान को स्थगित करने की अनुमति देना, अस्थायी 'ऊर्जा' बेरोजगारी सहायता और दिवालिया होने पर रोक लगाना शामिल है।
31 अगस्त को घोषित सभी उपाय, जिनमें गैस और बिजली पर वैट में 6 प्रतिशत की कटौती, ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी और सब्सिडी वाले सामाजिक टैरिफ और ईंधन तेल वाउचर के लिए पात्र लक्ष्य समूह का विस्तार भी शामिल है। यह मार्च 2023 के अंत तक प्रभावी रहेगा। (आईएएनएस)|
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 16 सितंबर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नवंबर में मध्यावधि चुनाव से पहले प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लुभाने के लिए भारत-अमेरिका की मित्रता के संबंध में हिंदी में तैयार एक नारे का अभ्यास करते नजर आए।
रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन (आरएचसी) द्वारा जारी वीडियों में ट्रंप ‘भारत एंड अमेरिका सबसे अच्छे दोस्त’ नारे का अभ्यास करते दिख रहे हैं। 30 सेकंड के इस वीडियो में ट्रंप शिकागो के कारोबारी एवं आरएससी के सदस्य शलभ कुमार के साथ बैठे नजर आ रहे हैं।
यह नया नारा ट्रंप के 2016 के ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ नारे से प्रेरित है। इस नारे ने भारतीय अमेरिकियों का ध्यान आकर्षित किया था और कई प्रमुख प्रांतों में रिपब्लिकन पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ और ‘भारत एंड अमेरिका सबसे अच्छे दोस्त’ के नारे तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले कुमार ने इस सप्ताह ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने और आरएचसी ने भारतीय-अमेरिकी समर्थन हासिल करने के लिए भारतीय मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति के नए नारे का प्रचार करने की योजना बनाई है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक और ताजा सर्वेक्षण इशारा करते हैं कि मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी को प्रतिनिधि सभा में एक बार फिर बहुमत मिल सकता है।
कुमार ने कहा, ‘‘मुख्य मकसद सीनेट में पांच (रिपब्लिकन) उम्मीदवारों के लिए भारी समर्थन जुटाना है, जहां मतों का अंतर 50,000 से भी कम रहेगा और कुछ सीट पर तो यह 10,000 या पांच हजार मत के आसपास भी रह सकता है।’’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘हिंदू मतों से अंतर पड़ेगा। इनमें स्वतंत्र मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या है।’’
कुमार और आरएचसी 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के प्रचार अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा थे, लेकिन 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में दोनों अलग हो गए थे।
कुमार ने कहा कि उन्होंने इस साल 21 मार्च को मार-ए-लागो में ट्रंप से मुलाकात की थी। उसके बाद भी दोनों के बीच कुछ बैठकें हुई हैं।
अमेरिका के पंजीकृत मतदाताओं में करीब एक प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी हैं। (भाषा)
पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि उसने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अज़हर के अफगानिस्तान में मौजूदगी का मुद्दा, अफ़ग़ान अधिकारियों के सामने उठाया है.
पाकिस्तान के इस बयान से एक दिन पहले ही तालिबान सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर की अफ़गानिस्तान में मौजूदगी की ख़बरों को ख़ारिज कर दिया था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिखार अहमद से गुरुवार को अज़हर की अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदगी के बारे में पूछने पर उन्होंने यह जवाब दिया.
उन्होंने कहा कि वह UN द्वारा घोषित अपराधी है और पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित कई मामलों में वांटेड है.
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास इस बात पर विश्वास करने की पर्याप्त वजह है कि अफ़ग़ानिस्तान में अब भी कई ऐसे इलाके हैं जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गुट सुरक्षित पनाहगाह के रूप में करते हैं.
उन्होंने अफ़गान अधिकारियों से अपील की है कि वे अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के ख़िलाफ नहीं होने देने के अपने आश्वासन पर कदम उठाएं.
अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने बुधवार को अज़हर की इस देश में मौजूदगी की ख़बरों को सीधे तौर पर ख़ारिज कर दिया था.
तालिबान ने कहा था कि वे अफ़ग़ान भूमि का दूसरे देशों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की अनुमति नहीं देते हैं. (bbc.com/hindi)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 15 सितंबर। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पाकिस्तान के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 15 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने का संकल्प जताया गया था लेकिन अब तक केवल 3.8 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त हो सकी है।
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बृहस्पतिवार को मीडिया में यह खबर सामने आई।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ के कारण 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 78,000 वर्ग किलोमीटर की फसलें बाढ़ की चपेट में हैं।
कई देश इस संकट में पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने के लिए आगे आए हैं।
पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र ने 16 करोड़ डॉलर के प्रारंभिक वित्त पोषण के लिए अपील जारी की है, जिसमें से कई देशों की ओर से 15 करोड़ डॉलर की सहायता का संकल्प जताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष के अलावा अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जापान, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर मुख्य दानदाताओं में शामिल हैं।
खबर में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय एवं मानवीय समन्वयक जूलियन हार्निस के हवाले से कहा गया, ‘‘हम आर्थिक सहायता जुटाने के अभियान में काफी सफल रहे हैं और मौजूदा परिस्थितियों में 15 करोड़ डॉलर की सहायता के लिए संकल्प जताया जाना अहम है। त्वरित अपील के तहत अब तक केवल 3.8 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त हो सकी है।’’(भाषा)
वाशिगंटन, 15 सितंबर | पिछली सदी की तुलना में हाल के दशकों में न्यूजीलैंड के आसपास समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा है। देश के सांख्यिकी विभाग स्टैट्स एनजेड ने गुरुवार को यह जानकारी दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, स्टैट्स एनजेड के हाल ही में अपडेट किए गए पर्यावरण संकेतक कोस्टल सी-लेवल राइज के अनुसार, पूरे न्यूजीलैंड में चार तटीय निगरानी स्थलों पर पिछले 60 वर्षों में सापेक्ष वार्षिक समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा है।
स्टैट्स एनजेड पर्यावरण और कृषि सांख्यिकी वरिष्ठ प्रबंधक मिशेल लॉयड ने एक बयान में कहा, "भविष्य के जलवायु परिवर्तन अनुमानों से संकेत मिलता है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि जारी रहेगी। बढ़ते समुद्र के स्तर तटीय समुदायों, बुनियादी ढांचे, तटीय आवासों और जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।"
लॉयड ने कहा, 1901 से 1960 की तुलना में पिछले 60 वर्षों में चार मुख्य स्थलों -- ऑकलैंड, वेलिंगटन, लिटलटन और डुनेडिन में समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा।
उन्होंने कहा कि, समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर पिछले 60 वर्षों में दोगुनी हो गई है, जब रिकॉर्ड रखने का काम पहली बार 1960 से शुरू हुआ था।
जिन स्थानों पर 120 वर्षों में निगरानी की गई उनमें क्राइस्टचर्च के निकट लिटलटन में 2.24 मिमी/वर्ष सापेक्ष समुद्र-स्तर में वृद्धि देखी गई।
इस बीच, 1961 और 2020 के बीच सभी निगरानी स्थलों की वार्षिक औसत समुद्र-स्तर वृद्धि की दर में सबसे बड़ी वृद्धि राजधानी वेलिंगटन में देखी गई।
जलवायु परिवर्तन समुद्र के स्तर में वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक है। चूंकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म कर रहा है, ये गर्मी महासागर द्वारा अवशोषित की जाती है।
उन्होंने कहा कि, गर्म होने पर समुद्री जल का विस्तार, ग्लेशियरों के पिघलने और बर्फ की चादरों के कारण समुद्र की मात्रा में वृद्धि के साथ, समुद्र के स्तर में वृद्धि में योगदान देता है।
राष्ट्रीय जल और वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान और भूमि सूचना न्यूजीलैंड द्वारा तटीय समुद्र-स्तर वृद्धि संकेतक के लिए डेटा प्रदान किया गया है।
तटीय समुद्र-स्तर वृद्धि संकेतक को आखिरी बार 2019 में अपडेट किया गया था। (आईएएनएस)|
बीजिंग, 15 सितम्बर| इस साल के 12वें तूफान मुइफा ने पहले चीन के झेजियांग प्रांत के झोउशान तट पर और गुरुवार को शंघाई के फेंग्जियान जिले में दस्तक दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहला लैंडफॉल बुधवार रात करीब 8.30 बजे और दूसरा गुरुवार सुबह 12.30 बजे दर्ज किया गया।
प्रांतीय बाढ़ नियंत्रण, आंधी और सूखा राहत मुख्यालय के अनुसार, झोउशान में पुटुओ के तट पर तूफान की रफ्तार 151.2 किमी प्रति घंटे थी।
मुख्यालय ने मंगलवार शाम 5 बजे तूफान आपातकालीन प्रतिक्रिया स्तर को उच्चतम स्तर पर अपग्रेड किया।
स्थानीय अधिकारियों ने बुधवार सुबह अचानक आई बाढ़ को लेकर रेड अलर्ट भी जारी किया।
बुधवार शाम तक, झेजियांग के 1.3 मिलियन से अधिक निवासियों को स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि कुल 11,680 मछली पकड़ने वाली नौकाएं बंदरगाह पर लौट आईं।
इस बीच शंघाई में, तूफान की रफ्तार 126 किमी प्रति घंटे थी और इसके केंद्र में 975 हेक्टोपास्कल का वायुमंडलीय दबाव था।
1949 के बाद से शंघाई में कुल 10 तूफान आए हैं, जिनमें मुइफा सबसे शक्तिशाली है।
जिआंगसु और शेडोंग प्रांतों में मुइफा के कमजोर होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि बोहाई सागर में प्रवेश करने के बाद शुक्रवार को मुइफा एक साइक्लोन में बदल जाएगा। (आईएएनएस)|
पेरिस, 15 सितंबर | सोमवार से फ्रांस के दक्षिण-पश्चिमी विभाग जिरोंद में 3,700 हेक्टेयर से अधिक भूमि आग में जल गई है। इस बात की जानकारी जिरोंद के प्रीफेक्च र ने एक बयान में दी। प्रीफेक्च र ने बुधवार को कहा कि, जेंडरमेस ने बुधवार को 1,000 और लोगों को वहां से निकाला गया, जिससे सोमवार से निकासी की कुल संख्या 1,840 हो गई।
प्रीफेक्च र ने कहा, "जिरोंद और अन्य विभागों के 1,000 से अधिक अग्निशामकों को जुटाया जा रहा है। छह कैनेडायर, तीन डैश और दो वाटर बॉम्बर हेलीकॉप्टर इलाके में तैनात किए गए हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रीफेक्च र ने कहा कि, ले पोर्गे और अन्य नगर पालिकाओं में निकासी के लिए आपातकालीन आवास की पेशकश की जा रही है।
प्रीफेक्च र ने नोट किया कि, जंगल की आग नियंत्रित हुई है लेकिन तेज हवाओं के कारण फिर से बढ़ जाती है।
इसने जंगल की आग वाले क्षेत्रों के पास रहने वालों धुएं से बचने के लिए एफएफपी2 या एफएफपी3 मास्क पहनने को कहा गया है।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि इस गर्मी में शुष्क मौसम और लू के कारण जिरोंद में 30,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि जल गई। (आईएएनएस)|