अंतरराष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 25 अप्रैल। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सोमवार को कहा कि यूरोप यह सुनिश्चित करेगा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का ‘‘अकारण और अनुचित’’ हमला एक ‘‘रणनीतिक विफलता’’ साबित हो। लेयेन ने साथ ही कहा कि इस संकट का प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर महसूस होना शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रायसीना संवाद में अपने संबोधन में लेयेन ने रूस और चीन के बीच ‘‘कथित अनियंत्रित समझौते’’ पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा फरवरी में ‘‘बिना सीमा वाली मित्रता’’ की घोषणा के तत्काल बाद यूक्रेन पर आक्रमण किया गया। लेयेन ने कहा कि दोनों ने घोषणा की थी कि उनके बीच ‘‘सहयोग का कोई निषिद्ध क्षेत्र नहीं होगा।’’
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इससे पहले लेयेन के साथ अपनी बातचीत में मोदी ने यूक्रेन में शांति को एक मौका देने के महत्व और शांति प्राप्त करने के एकमात्र तरीके के रूप में बातचीत और कूटनीति पर लौटने की आवश्यकता पर बल दिया था।
मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। मंत्रालय ने कहा कि साथ ही दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान और म्यांमा पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
लेयेन ने रायसीना संवाद में अपने संबोधन में कहा कि यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इसके साथ ही उन ‘‘नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों’’ के बारे में सवाल उठाया, जिसका आह्वान चीन और रूस दोनों ने अपनी ‘‘बिना सीमा’’ वाली मित्रता की घोषणा के बाद किया है।
लेयेन कहा, ‘‘यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। यह पहले से ही है। कोविड-19 महामारी से दो साल से पीड़ित देशों को अब (व्लादिमीर) पुतिन के युद्ध के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में अनाज, ऊर्जा और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों से निपटना होगा।’’
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) की भारत को स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटलीकरण सहित व्यापक क्षेत्रों में पेशकश पारदर्शी और मूल्यों से प्रेरित होगी तथा नयी दिल्ली के साथ साझेदारी को सक्रिय करना इस दशक में समूह की ‘प्राथमिकता’ है।
उन्होंने 21वीं सदी के लिए यूरोप के नए आम एजेंडे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यूरोप के साथ आप जो देखते हैं, वही आपको मिलता है।’’
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए लेयेन ने कहा कि युद्ध के परिणाम न केवल यूरोप के भविष्य को निर्धारित करेंगे, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और शेष विश्व को भी गहराई से प्रभावित करेंगे।
यूरोपीय नेता ने कहा कि यूक्रेन से आने वाली तस्वीरों ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है और मॉस्को की हरकतें जैसे कि निर्दोष नागरिकों की हत्या, बल द्वारा सीमाओं को फिर से तय करना और स्वतंत्र लोगों की इच्छा को अधीन करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोप में हम रूस के हमले को हमारी सुरक्षा के लिए सीधे खतरे के रूप में देखते हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यूक्रेन के खिलाफ अकारण और अनुचित हमला एक रणनीतिक विफलता हो।’’
लेयेन ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हम यूक्रेन को उसकी स्वतंत्रता के लिए लड़ने में मदद करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यही कारण है कि हमने तुरंत बड़े, तीखे और प्रभावी प्रतिबंध लगाए हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध कभी भी अकेला समाधान नहीं होते हैं और वे एक व्यापक रणनीति में अंतर्निहित होते हैं, जिसमें राजनयिक और सुरक्षा तत्व शामिल होते हैं।
लेयेन ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमने प्रतिबंधों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए तैयार किया है, क्योंकि यह हमें एक राजनयिक समाधान प्राप्त करने का लाभ देता है, जो स्थायी शांति लाएगा।’’
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि यूरोप अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से स्थायी शांति के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह कर रहा है।
यूरोपीय नेता ने कहा कि इन दिनों दुनिया द्वारा लिए गए फैसले आने वाले दशकों को आकार देंगे।
चीन के साथ यूरोपीय संघ के संबंधों पर लेयेन ने कहा कि चीन शांतिपूर्ण और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने के लिए बीजिंग को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ और चीन के बीच संबंध रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण हैं। चीन एक वार्ता साझेदार, एक आर्थिक प्रतिस्पर्धी और पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी है।’’
बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का उल्लेख करते हुए लेयेन ने यूरोपीय संघ द्वारा ग्लोबल गेटवे शुरू करने के बारे में बात की, जो कि स्वच्छ और टिकाऊ वैश्विक बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए यूरोप का दृष्टिकोण है।
उन्होंने कहा, ‘‘ग्लोबल गेटवे दुनियाभर में प्रमुख बुनियादी ढांचा प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिए 300 अरब यूरो जुटाने में मदद करेगा। स्वच्छ ऊर्जा से लेकर डिजिटलीकरण तक, आप इसे नाम दें, हमारा प्रस्ताव पारदर्शी और मूल्यों से प्रेरित होगा। यूरोप के साथ आप जो देखते हैं, वह आपको मिलता है।’’ (भाषा)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 26 अप्रैल। अमेरिका में लोकतंत्र समर्थक बुद्धिजीवियों, नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने पाकिस्तान की नवनियुक्त सरकार से जातीय तथा धार्मिक संघर्षों को समाप्त करने में रचनात्मक भूमिका निभाने तथा भारत एवं अन्य पड़ोसी मुल्कों के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश करने की अपील की है।
‘साउथ एशियंस अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स’ (एसएएटीएच) की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता से जाने के बाद बनी सरकार को अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा को समाप्त करने का रास्ता तलाशने के लिए वहां के लोगों के साथ तत्काल बातचीत करनी चाहिए।
मीडिया में जारी एक बयान के अनुसार कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि पड़ोसी मुल्कों के साथ, खासतौर पर भारत और अफगानिस्तान के साथ संबंध सुधारे जाने चाहिए।
एसएएटीएच के सह-संस्थापक एवं अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान, राजनीति के सैन्यकरण और राजनीतिक कारणों के लिए धर्म के इस्तेमाल को समाप्त किए बगैर वर्तमान संकट से बाहर नहीं निकल सकता।
हक्कानी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान का पूरा ध्यान अपने लोगों की समृद्धि पर केन्द्रित होना चाहिए न की किसी बेकार की विचारधारा पर।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के साथ अच्छे संबंध ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना सुनिश्चित कर सकते हैं।
पूर्व सांसद फरहतुल्ला बाबर ने सुरक्षा प्रतिष्ठान के भीतर ‘‘विभाजन’’ की खबरों पर चिंता व्यक्त की। वह पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के महासचिव भी हैं।
बाबर ने कहा, ‘‘जब एक समूह बहुत अधिक शक्ति अर्जित कर लेता है, तो उसके भीतर ही संघर्ष शुरू हो जाता है।’’
वहीं, पूर्व सांसद अफरासियाब खट्टक ने ‘जनरल शाही’ को समाप्त करने का आह्वान किया और कहा कि ‘‘वही इमरान खान को सत्ता में लाया था।’’
बलूच कार्यकर्ता किया बलोच और सिंध यूनाइटेड पार्टी के ज़ैन शाह ने बलूच और सिंधी राष्ट्रवादियों को निशाना बनाने वाले सैन्य अभियानों को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। (भाषा)
इस्लामाबाद, 25 अप्रैल। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को ब्रिटेन से अपने गृह देश लौटने के लिए पासपोर्ट जारी किया गया है, जहां वह इलाज करा रहे हैं। यह जानकारी सोमवार को मीडिया की खबर से मिली।
72 वर्षीय नवाज तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। नवाज के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के कई मामले शुरू किए गए थे। नवाज नवंबर 2019 में लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें इलाज के वास्ते चार सप्ताह के लिए विदेश जाने की अनुमति दिये जाने के बाद लंदन रवाना हुए थे।
समाचार पत्र ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने बताया कि नवाज को उनके छोटे भाई एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नयी सरकार द्वारा पासपोर्ट जारी किया गया है।
‘जियो न्यूज’ ने बताया कि पासपोर्ट की प्रकृति "साधारण" है और इसे ‘‘तत्काल’ श्रेणी में बनाया गया था।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते लंदन में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी से मुलाकात की थी और पाकिस्तान में "समग्र राजनीतिक स्थिति" पर चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने राजनीति और राष्ट्रीय हित से संबंधित कई मुद्दों पर एक साथ काम करने का संकल्प जताया था।
शरीफ ने 2019 में ब्रिटेन जाने से पहले, लाहौर उच्च न्यायालय को पाकिस्तान लौटने का वचन दिया था।
उन्हें अल-अजीजिया मिल्स भ्रष्टाचार मामले में भी जमानत दी गई थी, जिसमें वह लाहौर की उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में सात साल की कैद की सजा काट रहे थे। (भाषा)
अबुजा, 25 अप्रैल। दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया में एक अवैध तेल रिफाइनरी में हुए विस्फोट में कम से कम 100 लोगों की मौत होने की आशंका है। एक स्थानीय तेल अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि घटनास्थल पर शवों की तलाश तेज कर दी गई है। इसके अलावा विस्फोट में शामिल दो संदिग्धों की तलाश भी शुरू हो गई है।
नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदू बुहारी ने एक बयान जारी कर विस्फोट को एक 'दुर्घटना और राष्ट्रीय आपदा' करार दिया है।
सरकारी अधिकारियों ने एसोसिएटिड प्रेस को बताया कि विस्फोट शुक्रवार की रात को इमो राज्य में सरकारी क्षेत्र ओहाजी-एगबेमा में स्थित रिफाइनरी में हुआ। विस्फोट दो ईंधन भंडारण क्षेत्रों में आग लगने के कारण हुआ, जहां 100 से अधिक लोग काम करते थे। दर्जनों श्रमिक विस्फोट की चपेट में आ गए जबकि कई अन्य ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की।
इमो राज्य के पेट्रोल संसाधनों के आयुक्त गुडलक ओपिया ने कहा कि आपदा में मरने वालों की संख्या '100 के आसपास' होने का अनुमान है। (एपी)
कीव, 25 अप्रैल। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद पहली बार अमेरिका के विदेश तथा रक्षा मंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन युद्धग्रस्त देश की यात्रा पर हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ओलेक्सी एरेस्टोविच ने यूक्रेन के एक टेलीवीजिन को दिए साक्षात्कार में इस मुलाकात की पुष्टि की।
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में रूस के बढ़ते हमलों के बीच यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से भारी हथियारों की मांग कर रहा है। वहीं, रूसी सेना मारियुपोल के बंदरगाह से यूक्रेनी सैनिकों की अंतिम टुकड़ी को हटाने की कोशिश में लगी है।
एरेस्टोविच ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘हां, वे राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आगे मदद के संबंध में सभी फैसले किए जाएंगे।’’
मुलाकात से पहले जेलेंस्की ने कहा था कि वह अमेरिका से हथियारों और सुरक्षा दोनों की गारंटी मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ आप आज हमारे पास खाली हाथ नहीं आ सकते और हम केवल किसी तरह के मामूली तोहफे की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, हमें कुछ निश्चित चीजें और निश्चित हथियार चाहिए।’’
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के करीब 60 दिन बाद वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों की युद्धग्रस्त देश की यह पहली यात्रा है।
ब्लिंकन, पोलैंड की यात्रा के दौरान देश के विदेश मंत्री से मिलने के लिए मार्च में कुछ समय के लिए यूक्रेन आए थे। इससे पहले 19 फरवरी को अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और जेलेंस्की ने म्युनिख में मुलाकात की थी। (एपी)
(शिरीष बी. प्रधान)
काठमांडू, 25 अप्रैल। नेपाल के धाडिंग जिले में कार और बस की टक्कर में चार भारतीय पर्यटकों समेत पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक दुर्घटना रविवार रात थाकरे इलाके में पृथ्वी हाईवे पर हुई।
चारों भारतीय नागरिक पोखरा से काठमांडू लौट रहे थे। हादसे में कार सवार नेपाली चालक की भी मौत हो गई। बस काठमांडू से धाडिंग की ओर जा रही थी।
पुलिस के अनुसार मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के विमलचंद्र अग्रवाल (40), साधना अग्रवाल (35), संध्या अग्रवाल (40), राकेश अग्रवाल (55) और तन्हू जिले के खैरेनी निवासी 36 वर्षीय दिल बहादुर बसनेत के रूप में हुई है। स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान इनकी मौत हो गई। (भाषा)
इमैनुएल मैक्रों को एक बार फिर से फ़्रांस का राष्ट्रपति चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "दोबारा फ़्रांस का राष्ट्रपति बनने पर मेरे दोस्त इमैनुएल मैक्रों को बधाई! मैं भारत-फ़्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की आशा करता हूं."
इमैनुएल मैक्रों ने धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ली पेन को हराया है.
मैक्रों की जीत पर यूरोपीय देशों के शीर्ष नेताओं ने उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दिए हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी मैक्रों की जीत का स्वागत किया है. (bbc.com)
फ़्रांस के राष्ट्रपति चुनावों में इस बार केवल 72 फीसदी मतदान हुआ, जो कि सन् 1969 के बाद से सबसे कम है.
-रजनीश कुमार
दुनिया में कई चीज़ें उलट-पुलट रही हैं. कहा जा रहा है कि शीत युद्ध के बाद पहली बार दुनिया एक बार फिर से उसी तरह के संकट में समाती दिख रही है.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद स्थिति और जटिल हो गई है. अमेरिका चाहकर भी सऊदी अरब, यूएई और भारत जैसे देशों को रूस के ख़िलाफ़ लामबंद करने में नाकाम रहा है.
इस बीच ख़बरें ऐसी भी आईं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने लाख कोशिश की कि सऊदी अरब तेल का उत्पादन बढ़ाए लेकिन वह तैयार नहीं हुआ.
मजबूरी में अमेरिका ने अपने सुरक्षित तेल को बाज़ार में लाने लाने का फ़ैसला किया.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब और यूएई के नेताओं से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका बोरिया-बिस्तर समेट चुका है और खाड़ी के देशों में भी उसे लेकर भरोसा कम हुआ है.
ऐसे में कहा जा रहा है कि अमेरिका की ख़ाली जगह को चीन भर रहा है और इस्लामिक देशों से उसका संबंध लगातार मज़बूत हो रहा है.
ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक
जब इमरान ख़ान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तभी पिछले महीने 22-23 मार्च को इस्लामाबाद में मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी.
ओआईसी की इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी को विशेष रूप से बैठक में अतिथि देश के तौर पर बुलाया गया था.
इस बैठक में कश्मीर और फ़लस्तीन में आत्मनिर्णय के अधिकार को लेकर एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था.
ओआईसी में 57 मुस्लिम या मुस्लिम बहुत देश हैं. इनकी आबादी क़रीब 1.9 अरब है. अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी और अहम संसाधनों पर इन देशों का ख़ास दख़ल है.
ओआईसी की बैठक के प्रभाव को लेकर लाहौर स्थित थिंक टैंक जिन्ना रफ़ी फाउंडेशन के चेयरमैन और पाकिस्तान के जाने-माने लेखक इम्तियाज़ रफ़ी बट ने लेख लिखा था. उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि वांग यी चीन की सरकार के पहले सदस्य हैं, जिन्हें ओआईसी की बैठक में बुलाया गया.
इम्तियाज़ रफ़ी के मुताबिक़, "ओआईसी की बैठक में चीन का आना एक अहम परिघटना है और इसका ख़ास असर होगा. चीन मुस्लिम दुनिया में काफ़ी गहराई से अपना पैर जमा रहा है. 50 मुस्लिम देशों में 600 अलग-अलग परियोजनाओं में चीन ने कुल 400 अरब डॉलर का निवेश किया है. मुस्लिम वर्ल्ड चीन की ओर विकास के लिए देख रहा है. इस मामले में पाकिस्तान लोगों को क़रीब लाने में मदद कर रहा है. पाकिस्तान ने इसी के तहत इस्लामाबाद में आयोजित ओआईसी की बैठक में चीन को बुलाया. मुस्लिम देशों ने भी पाकिस्तान की इस पहल की प्रशंसा की."
इम्तियाज़ ने लिखा है, "चीन और सऊदी अरब तेल का व्यापार डॉलर के बदले यूआन में करने पर बात कर रहे हैं. इसके अलावा ईरान में चीन पहले से ही इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर 60 अरब डॉलर निवेश की बात पक्की कर चुका है. पश्चिम अब इस्लामिक देशों का विश्वसनीय साझेदार नहीं है. चीन इस्लामिक देशों में अमेरिका की जगह ले रहा है. महामारी के दौरान उसने कोरोना वैक्सीन की 1.5 अरब डोज़ मुफ़्त में पहुँचाई थी."
चीन में मुसलमानों के 'ब्रेनवॉश' के सबूत
बिलावल भुट्टो एक-दो दिन में विदेश मंत्री की शपथ लेंगे: प्रधानमंत्री के सलाहकार
कश्मीर का मुद्दा
ओआईसी की बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा खुलकर उठाया था और चीन के विदेश मंत्री ने भी कहा कि था कि कश्मीर पर वह पाकिस्तान की चिंता को समझते हैं. इसके अलावा वांग यी ने फ़लस्तीन समस्या के समाधान के लिए भी दो देश के फ़ॉर्म्युले का समर्थन किया था.
क्या वाक़ई पाकिस्तान इस्लामिक देशों को चीन के क़रीब लाने में मदद कर रहा है?
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने बीबीसी से कहा, "मैं ऐसा नहीं मानता हूँ. चीन के अपने हित हैं और उन हितों की वजह से पश्चिम एशिया से अपनी क़रीबी बढ़ा रहा है. वह न तो पाकिस्तान के कारण ऐसा कर रहा है और न ही इस्लामिक देश होने की वजह से."
अब्दुल बासित कहते हैं, "पाकिस्तान अभी उस पोजिशन में नहीं है कि चीन को किसी गुट में ले जा सके. ओआईसी की बैठक में भले चीन को अतिथि के तौर पर बुलाया गया था लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस बैठक के कारण चीन इस्लामिक देशों के क़रीब आया है."
"चीन की अपनी ऊर्जा ज़रूरतें हैं और वह पश्चिम एशिया से ऊर्जा के आयात करने में नंबर वन है. चीन इन देशों में निवेश भी कर रहा है. ऐसे में वह अपनी मौजूदगी अपने हितों के हिसाब से बढ़ा रहा है न कि पाकिस्तान की कोशिश से."
अब्दुल बासित कहते हैं कि चीन की मध्य-पूर्व में बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंताजनक हो सकती है.
चीन में मुसलमानों से क्रूरता पर मुस्लिम देशों की चुप्पी
नवाज़ शरीफ़ और बिलावल भुट्टो के बीच लंदन में हुई मुलाक़ात में क्या बात हुई?
पश्चिम एशिया की स्थिति
बासित कहते हैं, "बड़ी संख्या में भारतीय खाड़ी के देशों में काम करते हैं. इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन दोनों देशों के आर्थिक हित टकरा सकते हैं. चीन अगर खाड़ी के देशों में सैन्य मौजूदगी बढ़ाएगा तो भारत के लिए चिंता की बात होगी. मध्य-पूर्व में चीन की मौजूदगी कोई नई नहीं है लेकिन यह मौजूदगी लगातार मजबूत हो रही है."
खाड़ी के कई देशों में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद कहते हैं कि पश्चिम एशिया में स्थिति बदल चुकी है. वह कहते हैं कि बदलाव आ चुका है क्योंकि अमेरिका पर लोगों का भरोसा कम हुआ है और चीन ने इन इलाक़ों में 30 साल पहले जो अपनी दस्तक दी थी वह बहुत ही मज़बूत स्थिति में है.
तलमीज़ अहमद कहते हैं, "हालत यहाँ तक पहुँच चुकी है कि सऊदी अरब और यूएई के नेता राष्ट्रपति बाइडन से बात तक करने के लिए तैयार नहीं हैं. ये वही बाइडन हैं, जिन्होंने सत्ता में आते ही कहा था कि वह केवल अपने समकक्षों से बात करेंगे. लेकिन जब ज़रूरत पड़ी तो अपनी ही कही बात से मुकर गए और क्राउन प्रिंस से बात करने का फ़ैसला किया लेकिन क्राउन प्रिंस ने बात करने से इनकार कर दिया. यह बाइडन की नीति की नाकामी ही है. अमेरिका पश्चिम एशिया में अपना भरोसा खो चुका है और चीन उसकी जगह लेता दिख रहा है."
जो बाइडन
तलमीज़ अहमद कहते हैं, "चीन की बेल्ट रोड परियोजना में खाड़ी के सभी देशों की दिलचस्पी है. यहाँ तक कि ईरान और सऊदी भी इस मामले में अपना मतभेद किनारे रखते हुए दिख रहे हैं. यूक्रेन के मामले में भी पश्चिम एशिया के देश अमेरिका के पीछे नहीं हैं. यहाँ तक कि यूएई जैसा क़रीबी पार्टनर भी दो मौक़ों पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग से बाहर रहा. इन देशों को पता है कि रूस और चीन लोकतंत्र या मानवाधिकार के नाम पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इसके अलावा चीन और रूस की विदेश में एक किस्म की निरंतरता भी है. दूसरी तरफ़ अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सत्ता में आते ही कई चीज़ें बदल जाती हैं."
रूस और चीन में जिस तरह की सत्ता है, खाड़ी के इस्लामिक देशों में भी उसकी तरह की सरकारें हैं. लंबे समय से सत्ता एक परिवार या धार्मिक नेताओं के हाथ में रहती है. ऐसे में यहाँ के इस्लामिक देशों के यह चिंता नहीं रहती है कि लोकतंत्र या मानवाधिकार को लेकर संबंधों में कोई कड़वाहट नहीं आएगी.
चीन के लिए ऊर्जा ज़रूरतें पश्चिम एशिया से पूरी हो रही हैं और यहाँ के देश अपनी प्रगति में चीन निवेश को हाथोहाथ ले रहे हैं.
ऐसे में कहा जा रहा है कि इस्लामिक देशों और चीन का गठजोड़ आपसी हितों पर जुड़ा है और यह ईरान जैसे मुल्क के लिए अमेरिका के ख़िलाफ़ एक माकूल विकल्प है.' (bbc.com)
-इकबाल अहमद
शहबाज़ शरीफ़ के प्रधानमंत्री बनने और उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद सबसे ज़्यादा इसी बात पर चर्चा हो रही थी कि आख़िर बिलावल भुट्टो शहबाज़ शरीफ़ की कैबिनेट में शामिल क्यों नहीं हुए. लेकिन अब लगता है कि अटकलों का बाज़ार जल्द बंद हो जाएगा.
अख़बार जंग के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार क़मर ज़मान कायरा ने कहा है कि अगले एक-दो दिन में बिलावल भुट्टो मंत्री पद की शपथ लेंगे और वो विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालेंगे.
शहबाज़ शरीफ़ की कैबिनेट में फ़िलहाल कोई भी विदेश मंत्री नहीं है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की ही हिना रब्बानी खार को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया है.
अख़बार जंग के अनुसार बिलावल भुट्टो लंदन में नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात के बाद पाकिस्तान वापस लौट गए हैं. लंदन में बिलावल भुट्टो ने नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात की थी और नवाज़ शरीफ़ के ज़रिए दिए गए इफ़्तार पार्टी में भी शामिल हुए थे. इस दौरान दोनों के बीच पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक हालात पर बातचीत हुई थी. (bbc.com)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़ गुट) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर हमला करते हुए कहा कि वो जल्द चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान के संवैधानिक संस्थानों पर हमले कर रहे हैं.
इमरान ख़ान की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए मरियम नवाज़ ने ट्विटर का सहारा लिया.
उन्होंने ट्वीट किया, "संस्थानों पर हमले और घेराव का सबक़ भी जल्द चुनाव कराने के लिए दबाव बढ़ाने का हथकंडा है. कान खोलकर सुन लें, आपकी गुंडागर्दी और धमकियां अब आपकी अपनी तबाही का कारण बनेंगी. अपनी सरकार ना संभाल सके, अपनी पार्टी ना संभाल सके और बातें सुन लो. आपका खेल हमेशा के लिए ख़त्म. इंशाअल्लाह."
मरियम नवाज़ ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग पर इमरान ख़ान इसलिए हमले कर रहे हैं क्योंकि इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी फ़ंडिंग के पक्के सबूत मिल चुके हैं. (bbc.com)
इससे पहले शनिवार शाम को पत्रकारों से बात करते हुए इमरान ख़ान ने कहा था कि चुनाव आयुक्त को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी को चुनाव आयुक्त पर भरोसा नहीं है.
इस दौरान उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिकी साज़िश का फिर एक दफ़ा आरोप लगाते हुए इमरान ख़ान ने कहा कि मुल्क के ख़िलाफ़ इतनी बड़ी घटना हुई है कि सुप्रीम कोर्ट को खुली अदालत में इसकी जाँच करनी चाहिए.
अख़बार जंग के अनुसार इमरान ख़ान ने कहा कि लंदन में बैठे नवाज़ शरीफ़ ने दूसरे देश के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की साज़िश रची जिसमें आसिफ़ अली ज़रदारी और शहबाज़ शरीफ़ भी शामिल थे.
इमरान ख़ान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में जो भी बात कही गई उससे साबित होता है कि इस बारे में वो जो कह रहे थे वह सब सही था.
हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा गया है कि इमरान ख़ान की सरकार को गिराने के लिए कोई भी साज़िश नहीं रची गई थी.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि अगर आज संस्थाएं देश की आज़ादी के लिए खड़ी नहीं होंगी तो नागरिकों के बच्चों का भविष्य भी ख़तरे में होगा.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के सभी संगठनों को निचली स्तर तक यह संदेश भेज दिया है कि वो असली आज़ादी के लिए राजधानी इस्लामाबाद की तरफ़ मार्च की तैयारी करें.
इमरान ने यह तो नहीं बताया कि वो इस्लामाबाद मार्च कब शुरू करेंगे लेकिन इतना ज़रूर कहा कि वो जल्द ही इसकी तारीख़ की घोषणा करेंगे.
पाकिस्तान के एक धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराज-उल-हक़ ने कहा है कि अगर देश में जारी राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए चुनाव का रास्ता नहीं अपनाया गया तो पाकिस्तान में गृह युद्ध की आशंका है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार जमात-ए-इस्लामी प्रमुख ने कहा कि चुनाव सुधार और जल्द चुनाव कराने के लिए सभी पार्टियों को मिल कर बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों पर भारी ज़िम्मेदारी है कि वो इस हादसे से बचें और देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालें. (bbc.com)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान ने शनिवार को इस्लामाबाद में बनी गाला के अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने सभी संगठनों तक यह संदेश दे दिया है कि इस्लामाबाद की ओर ‘सच्ची आज़ादी’ के लिए मार्च की तैयारी करें.
उन्होंने इस मार्च की तारीख़ की घोषणा नहीं कि हालांकि उन्होंने कहा कि वो जल्द ही मार्च का आह्वान करेंगे.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि देश के ख़िलाफ़ ‘इतनी बड़ी घटना’ हुई है, उसकी जांच खुली अदालत में हो.
उन्होंने कहा कि अगर आज हमारे संगठन इस देश की ख़ुद्दारी और आज़ादी के साथ नहीं खड़े होंगे तो हमारे बच्चों के भविष्य भी ख़तरे में होंगे.
इसके अलाव इमरान ख़ान ने देश के चुनाव आयुक्त के इस्तीफ़े की भी मांग की. (bbc.com)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने घोषणा की है कि रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन राजधानी कीएव के दौरे पर आएंगे.
वो अब तक के सबसे वरिष्ठ अमेरिकी नेता हैं जो जंग शुरू होने के बाद यूक्रेन आ रहे हैं.
ज़ेलेंस्की ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि वे किसी न किसी साज़ो-सामान के साथ उन्हें समर्थन देने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कम से कम पांच हज़ार बच्चों समेत पांच लाख से अधिक लोगों को रूस के क़ब्ज़े वाले यूक्रेन के हिस्सों से रूसी क्षेत्रों में निर्वासित किया गया है.
वहीं, ज़ेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश पर निशाना साधा है. दरअसल गुटेरेश कीएव के दौरे से पहले मंगलवार को मॉस्को में व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात करने पर राज़ी हुए हैं.
ज़ेलेंस्की का कहना है कि गुटेरेश को पुतिन से मिलने से पहले यूक्रेन आकर यहां के ज़मीनी हालात देखने चाहिए.
ज़ेलेंस्की ने कीएव सबवे स्टेशन में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ तक़रीबन तीन घंटे तक ये सारी बातचीत की है. (bbc.com)
अंकारा, 24 अप्रैल। तुर्की के राजदूत ने कहा कि अंकारा ने अपना हवाई क्षेत्र रूस के आम नागरिकों और सौनिकों के लिए बंद कर दिया है।
राजदूत मेवलट कावूसोग्लू ने उरुग्वे की यात्रा के दौरान तुर्की के पत्रकारों के एक समूह को बताया कि रूसी उड़ानों को सीरिया तक जाने के लिए तुर्की के हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति अप्रैल तक थी।
वहीं एक टेलीवीजिन रिपोर्ट के अनुसार, कावूसोग्लू ने शनिवार को कहा कि उन्होंने मार्च में मॉस्को की यात्रा के दौरान उससे हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया था और रूस ने तुर्की के इस अनुरोध को मान लिया था।
राजदूत ने इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी नहीं दी और अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या यह कदम कथित तौर पर सीरियाई लड़ाकों को रूस भेजे जाने से रोकने के लिए उठाया गया है।
गौरतलब है कि तुर्की उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य है और रूस तथा यूक्रेन के साथ अपने निकट संबंधों के बीच संतुलन बैठाने की कोशिश कर रहा है। तुर्की रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन उसने कुछ रूसी युद्धपोतों के लिए काले सागर में प्रवेश के मार्ग को बंद कर दिया था।
तुर्की ने रूस और यूक्रेन के विदेश मंत्रियों के बीच एक बैठक भी कराई थी। साथ ही दोनों देशों के वार्ताकारों के बीच बातचीत में भी मदद की थी। (एपी)
अबुजा (नाइजीरिया), 23 अप्रैल। दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया की एक अवैध तेल रिफाइनरी में धमाका होने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
लागोस स्थित ‘पंच’ अखबार के मुताबिक, मृतकों की संख्या सौ से ऊपर हो सकती है। बताया जा रहा है कि धमाके से लगी आग आसपास की संपत्तियों तक फैल गई है।
आइमो के राज्य सूचना आयुक्त डेक्लान एमेलुम्बा ने बताया कि शुक्रवार रात आग लगी तेजी से दो अवैध ईंधन भंडार तक फैल गई। उन्होंने कहा कि धमाके की वजह और मृतकों की सटीक संख्या का पता लगाया जा रहा है। (एपी)
इस्लामाबाद/लंदन, 23 अप्रैल। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी अगले एक से दो दिन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री पद की शपथ लेंगे। पीपीपी के एक वरिष्ठ नेता ने शनिवार को यह पुष्टि की।
इससे प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार में गठबंधन के सभी सहयोगियों के बीच सब कुछ सामान्य न होने की अटकलों पर विराम लग गया।
पाकिस्तान में विदेश मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे बिलावल (33) ने मंगलवार को शपथ नहीं ली थी, जिससे उनकी नयी सरकार में शामिल होने में कोई दिलचस्पी न होने की अटकलों को हवा मिली थी।
हालांकि, ‘जियो न्यूज’ के मुताबिक, पीपीपी नेता और कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान से जुड़े मामलों में पाक प्रधानमंत्री के सलाहकार कमर जमान काइरा ने लंदन में संवाददाताओं से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि बिलावल एक से दो दिन के भीतर विदेश मंत्री पद की शपथ लेंगे।
विदेश मंत्री के रूप में शपथ नहीं लेने बिलावल हाल में लंदन पहुंचे थे, जहां उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने पाकिस्तान के ‘समग्र राजनीतिक हालात’ पर चर्चा की थी और सियासत व राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्प लिया था।
इससे पहले, सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने भरोसा दिलाया था कि पीपीपी अध्यक्ष पाकिस्तान लौटने के बाद शपथ लेंगे।
काइरा ने संवाददाताओं से कहा कि नवाज से मुलाकात के बाद बिलावल पाकिस्तान रवाना हो गए हैं।
बिलावल पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे हैं।
पीपीपी पाकिस्तान की मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार में संख्या बल के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। (भाषा)
-क्रिस्टिना जे. ऑरगेज
चीन में कोरोना संक्रमण के नए मामले बढ़ने के बाद दर्जनों शहरों में पूरी तरह लॉकडाउन लगा है.
ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने की वजह से ढाई करोड़ की आबादी वाला शंघाई शहर संक्रमण की अब तक की सबसे खराब लहर से जूझ रहा है.
शंघाई चीन के बड़े कारोबारी शहरों में से एक है और इसे देश की वित्तीय राजधानी भी कहा जाता है.
ये शहर न सिर्फ एक इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर है बल्कि यह चीन के सबसे प्रमुख बंदरगाहों में से भी एक है. चीन के अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए ये बंदरगाह काफी अहम है.
साल 2021 तक यहां से चीन का 17 फीसदी कंटेनर ट्रैफिक गुजरता था. चीन का 27 निर्यात इसी बंदरगाह से होता है. पिछले दस साल से ये दुनिया के दस बड़े बंदरगाहों में शुमार रहा है. लेकिन शंघाई में लॉकडाउन की वजह से सड़कों के रास्ते सामान ढोने और उन्हें बाजारों और फैक्टरियों में पहुंचाने वाले ट्रकों का चलना भी मुश्किल हो गया है.
इस वजह से फॉक्सवैगन और टेस्ला जैसी कंपनियों को अपना कामकाज रोक देना पड़ा है.
एसेट मैनेजमें फर्म जेनस हेंडरसन में इन्वेस्टमेंट मैनेजर माइक केर्ली ने बताया, "कोविड प्रतिबंधों की वजह से बंदरगाह के अंदर और बाहर की सड़क बंद होने से कंटेनर का बैकलॉग लग गया है. इससे उत्पादकता 30 फीसदी घट गई है."
कोविड की वजहों से लोगों को घरों में रहने को गया है और इससे सामानों की अनलोडिंग के लिए जरूरी कागजातों की जांच और प्रोसेस करने वाले कर्मचारी भी कम हो गए हैं.
पहली दिक्कत तो ये है कि सामान ले जाने वाले जहाजों का समुद्र तटों पर जमावड़ा लगा है. ये जहाज अंदर जाने के लिए ग्रीन लाइन के इंतजार में यहां खड़े हैं.
वेसल्स वैल्यू के डेटा बताते हैं कि टैंकर, बल्क कैरियर और कंटेनरशिप का वेटिंग टाइम कितना ज्यादा बढ़ गया है.
दूसरी दिक्कत ये है कि बंदरगाह में हजारों कंटेनर्स के जमा होने से ग्लोबल सप्लाई चेन में फिर अड़चनें आने लगी हैं.
ये सब ऐसे वक्त हो रहा है कि जब विश्लेषक कोरोना के बाद रिकवरी को लेकर भरोसेमंद बयान दे रहे थे.
यूरोपियन यूनियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुमान के मुताबिक शंघाई में इस वक्त ट्रकों की 40 से 50 फीसदी तक कमी हो गई है.
शहर के 30 फीसदी कामकाजी लोगों के ही काम पर लौटने की संभावना है.
कोविड की नई लहर के बाद बगैर लक्षण वाले लोगों को भी कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर चौदह दिनों के अनिवार्य क्वारंटीन में भेजा जा रहा है.
उन्हें उन सेंट्रलाइज्ड क्वारंटीन फैसिलिटीज में भेजा जा रहा है, जिन्हें लोग काफी खराब हालात वाले बता रहे हैं.
वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर और कपड़ों की सप्लाई पर असर
शंघाई में दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट तो चालू है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है यहां भीड़ लगातार बढ़ जा रही है.
शंघाई से जो सामान निर्यात होता है उनमें अहम हैं वॉशिंग मशीनें, वैक्यूम क्लीनर, सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे और कपड़े.
केर्ली कहते हैं, "इस हालात की वजह से फिलहाल मार्केट में इन चीजों की कमी हो सकती क्योंकि इन चीजों का 30 से 50 फीसदी निर्यात शंघाई के बंदरगाह से होता है."
कंपनी ने कहा, "6 अप्रैल में हमारे पिछले अपडेट के बाद हालात सुधरे नहीं हैं. सड़क यातायात सीमित हो गया है और टर्मिनल अभी भी भरे हुए हैं. यहां तक कि रेफ्रिजरेटेड जोन की कनेक्शन कैपिसिटी पर भी काफी दबाव पड़ रहा है."
इस हालात पर दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी मस्क ने इस सप्ताह पहले अपने बयान में कहा, "सामान ले जाने वाले कई जहाज अपने मार्ग में अब शंघाई को छोड़ कर दूसरे बंदरगाहों से गुजरेंगे. कंटेनर स्पेस की कमी होने की वजह से यह स्थिति आई है."
लेकिन दुनिया पर इसका जो असर पड़ेगा, उसे रोकना मुश्किल है. इस हालात ने सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ जाएगा. आयात की रफ्तार धीमी हो जाएगी और महंगाई में इजाफा हो जाएगा.
शंघाई पोर्ट के जाम का महंगाई का कनेक्शन
इनवेस्टमेंट बैंक नेटिक्सिस बैंक की एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिस्ट एलिसिया गार्सियो हेरेरो का कहना है कि शंघाई बंदरगाह की समस्याओं की वजह से निर्यात को लेकर बड़ी चिंता पैदा हो गई है.
इसके साथ ही दुनिया में महंगाई बढ़ने का भी खतरा और बड़ा होता जा रहा है'' .
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, शंघाई (अमेरिकी यूनिवर्सिटी की कैंपस यूनिवर्सिटी) में इकोनॉमिक्स और फाइेंनस के प्रोफेसर रोड्रिगो जिदान ने बीबीसी मुंडो से कहा, "शंघाई बंदरगाह की क्षमता अब फरवरी और मार्च की तुलना में और कम हो गई है, इसलिए इस समस्या से निपटने में वक्त लगेगा. अगर शंघाई में कल को लॉकडाउन खत्म भी हो जाता है तो भी बंदरगाह में लगा बैकलॉग को खत्म होने में वक्त लगेगा."
जिदान कहते हैं, "इन हालातों के देखते हुए अभी कुछ समय तक महंगाई बरकरार रहेगी. कई ऐसे सामान हैं, जिनकी कीमतें स्थिर होने में वक्त लग सकता है."
बैंक ऑफ अमेरिका के विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सबसे गहरा असर अप्रैल के महीने में देखने को मिल सकता है.
उनका कहना है, "शंघाई प्रशासन इस दिक्कत पर गौर कर रहा है और इसने हाल के दिनों में इसे सुलझाने के कदम उठाने शुरू किए हैं. लेकिन अगले तीन से छह सप्ताह में इन दिक्कतों का असर पूरी दुनिया में दिखने लगेगा. और यह दूसरी तिमाही के अंत तक बना रह सकता है."
लातिन अमेरिकी देशों पर इसका काफी ज्यादा असर दिख सकता है. (bbc.com)
सऊदी अरब और ईरान क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी हैं और अब ऐसा बताया जा रहा है कि रिश्तों में सुधार के लिए दोनों देशों ने एक बार फिर बातचीत शुरू कर दी है.
हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन एक ईरानी न्यूज़ वेबसाइट का कहना है कि बग़दाद में ये बातचीत हुई है.
बता दें कि ईरान और सऊदी अरब के बीच कई मामलों को लेकर मतभेद है और कई क्षेत्रीय संघर्ष की घटनाओं और राजनीतिक विवादों में दोनों एक दूसरे के विरोधी पक्षों में रहे हैं.
दोनों देशों ने आपसी तनाव को कम करने के लिए पिछले साल सीधी बातचीत शुरू की थी.
ईरान ने इस बातचीत को बिना कोई कारण बताए पिछले महीने बंद कर दिया था.
ये कदम तब उठाया गया था जब सऊदी अधिकारियों ने एक दिन में 81 लोगों को मौत की सज़ा दी थी, इनमें से आधे कथित तौर पर शिया समुदाय के लोग थे. (bbc.com)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की ओर से पेट्रोल-डीज़ल पर सब्सिडी घटाने की मांग को पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया.
समाचार एजेंसी एएफ़पी की ख़बर के अनुसार, इसके अलावा बिज़नेस टैक्स से छूट की योजना को बंद करने की मांग भी पाकिस्तान ने मान ली है.
आईएमएफ़ ने साल 2019 में पाकिस्तान को तीन सालों के लिए 6 अरब डॉलर के कर्ज़ को मंज़ूरी दी थी लेकिन मुल्क में आर्थिक सुधारों की धीमी गति को देखते हुए इसका आवंटन रुक-रुक कर किया जा रहा था.
वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने कहा, "वॉशिंगटन में सालाना बैठक के दौरान आईएमएफ़ से अच्छी चर्चा हुई. उन्होंने ईंधन पर सब्सिडी बंद करने को कहा है. मैंने इसके लिए सहमति दे दी है."
उन्होंने कहा, "हम अभी जितनी सब्सिडी दे रहे हैं वो आगे जारी नहीं रख सकते. इसलिए हम इसमें कटौती करने जा रहे हैं."
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए बिजली और ईंधन पर भारी-भरकम छूट दी और कारोबार के लिए कर्ज़ माफ़ी का भी प्रावधान किया. इनकी वजह से ही आईएमएफ़ की राशि का आवंटन बाधित हुआ. (bbc.com)
अमेरिका ने भारत और रूस के संबंधों पर एक बार फिर से बयान दिया है. पेंटागन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका भारत को लगातार ये कह रहा है कि वो रक्षा क्षेत्र में रूस पर अपनी निर्भरता को कम करे.
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पांच यूनिट ख़रीदने के लिए 5 अरब डॉलर का समझौता किया था.
उस समय ट्रंप प्रशासन ने ये चेतावनी भी दी थी कि यदि भारत ये समझौता करता है तो उस पर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अमेरिका ने तुर्क़ी पर रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम ख़रीदने पर अपने CAATSA कानून के तहत प्रतिबंध लगा रखे हैं.
पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी जॉन किर्बी ने शुक्रवार को रिपोर्टर्स से कहा, "हम भारत और अन्य देशों के साथ इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को साफ़ कर चुके हैं कि हम उन्हें रक्षा ज़रूरतों के लिए रूस पर निर्भर नहीं देखना चाहते हैं. हम इस रुख को लेकर ईमानदार हैं और हम उन्हें ऐसा न करने के लिए कहते रहेंगे."
उन्होंने कहा, "इसी के साथ हम भारत के साथ अपने रक्षा सहयोग को भी अहमियत देते हैं. जैसा कि एक सप्ताह पहले ही दिखा, हम इस रिश्ते को आगे ले जाना चाहते हैं. ये इसलिए आगे बढ़ेगा क्योंकि हमारे संबंध महत्वपूर्ण हैं. भारत उस क्षेत्र में रक्षा प्रदान करने वाला देश है और हम इसका सम्मान करते हैं." (bbc.com)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) ने भारतीय छात्रों को आगाह किया है कि वे पाकिस्तान के किसी कॉलेज या अन्य शिक्षण संस्थान में दाख़िला न लें.
अगर ऐसा होता है तो छात्रों को भारत में कोई नौकरी या उच्च शिक्षा हासिल नहीं हो सकेगी.
एक महीने पहले ही भारतीय छात्रों को चीन के शिक्षण संस्थानों में उच्चा शिक्षा हासिल करने से बचने की चेतावनी दी गई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ यूजीसी और एआईसीटीई की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है, "सभी (छात्रों) को सलाह दी जाती है कि वे उच्च शिक्षा के लिए पाकिस्तान न जाएं. पाकिस्तान के किसी कॉलेज या शिक्षण संस्थान में कोई भी भारतीय नागरिक या भारतीय मूल का विदेशी नागरिक दाख़िला लेना चाहता है तो वो पाकिस्तानी सर्टिफ़िकेट के आधार पर भारत में नौकरी या उच्च शिक्षा पाने के योग्य नहीं रह जाएगा."
इसमें कहा गया है, "हालांकि, पाकिस्तान में शिक्षा पाने वाले और भारतीय नागरिकता पाए हुए प्रवासी नागरिक और उनके बच्चे भारत में रोज़गार हासिल कर सकते हैं. बशर्ते गृह मंत्रालय की ओर से सुरक्षा मंज़ूरी मिले."
पीटीआई के अनुसार ऐसा परामर्श जारी करने के पीछे क्या कारण हैं, इसके बारे में अभी संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. (bbc.com)
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध के दौरान कई बार पुतिन से बात की और रूस को युद्ध से बाहर निकलने के लिए कहा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, जॉनसन ने मोदी से विस्तृत चर्चा के बाद संवाददाताओं से ये बात कही.
जॉनसन ने कहा कि यूक्रेन के बूचा में जो हुआ, उसके ख़िलाफ़ मोदी की प्रतिक्रिया काफ़ी मज़बूती से सामने आई और हर कोई रूस के साथ भारत के दशकों पुराने ऐतिहासिक संबंधों का सम्मान करता है.
ब्रिटेन के पीएम जॉनसन से सवाल किया गया था कि क्या रूस के यूक्रेन पर हमले को बंद करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को मॉस्को पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने को कहा.
पीएम जॉनसन ने ये भी एलान किया कि यूक्रेन की राजधानी कीएव में ब्रिटेन का दूतावास अगले सप्ताह फिर खुल जाएगा. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और उसके सहयोगी यूक्रेन पर रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के प्रहार पर चुप नहीं बैठे रहेंगे.
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मोदी ने कई बार हस्तक्षेप किया और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि वह क्या सोचते हैं कि वह इस धरती पर क्या कर रहे हैं और यह किस ओर जाएगा.
उन्होंने कहा, "भारतीय, यूक्रेन में शांति चाहते हैं और चाहते हैं कि रूस वहां से बाहर निकले और मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं." (bbc.com)
संयुक्त राष्ट्र, 23 अप्रैल। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के अगले हफ्ते आमने-सामने बैठकर तत्काल शांति की अपील करने के लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मुलाकात करने का कार्यक्रम है। विश्व निकाय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पुष्टि की कि गुतारेस मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव से मुलाकात करेंगे और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की मेजबानी करेंगे।
बाद में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि गुतारेस राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात करने बृहस्पतिवार को यूक्रेन जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र की प्रवक्ता एरी कानेको ने कहा कि दोनों यात्राओं पर गुतारेस का उद्देश्य उन कदमों पर चर्चा करने का है जो लड़ाई को खत्म करने और लोगों की मदद करने के लिए अभी उठाए जा सकते हैं।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उन्हें इस बारे में बातचीत करने की उम्मीद है कि यूक्रेन में शांति लाने के लिए तत्काल क्या किया जा सकता है।’’
गुतारेस ने मंगलवार को राष्ट्रपतियों से उनकी अलग-अलग राजधानियों में मुलाकात करने के लिए कहा था। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में संघर्ष विराम की संभावनाओं को तलाशने के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी को मॉस्को और कीव भेजा था। (एपी)
इस्लामाबाद, 22 अप्रैल। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दावों के विपरीत उनकी सरकार को गिराने के पीछे कोई विदेशी साजिश नहीं थी।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद एनएससी ने एक बयान जारी कर कहा, “एनएससी ने वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास से प्राप्त टेलीग्राम पर चर्चा की। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने समिति को अपने टेलीग्राम के संदर्भ और सामग्री के बारे में जानकारी दी।”
एनएससी पाकिस्तान में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर समन्वय के लिए सर्वोच्च मंच है।
‘द डॉन’ समाचार पत्र के मुताबिक, समिति ने कहा कि उसने पूर्व राजदूत द्वारा साझा किए गए ‘टेलीग्राम की सामग्री’ की जांच की और अपनी पिछली बैठक में लिए गए ‘निर्णयों की पुष्टि’ की।
बयान में कहा गया है, “प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों ने एनएससी को एक बार फिर सूचित किया कि उन्हें किसी विदेशी साजिश के सबूत नहीं मिले हैं।” इसके मुताबिक, बैठक में निष्कर्ष निकाला गया कि कोई विदेशी साजिश नहीं हुई है।
इमरान यह दावा करते आ रहे हैं कि विपक्ष द्वारा नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव एक ‘विदेशी साजिश’ का नतीजा था। पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि उनकी स्वतंत्र विदेश नीति के चलते उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए विदेश से धन भेजा जा रहा था।
इमरान ने यह भी कहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के सहायक सचिव डोनाल्ड लू उनकी सरकार को गिराने की ‘विदेशी साजिश’ में शामिल थे। हालांकि, अमेरिका ने उनके इस आरोप को कई बार खारिज किया है। (भाषा)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 22 अप्रैल। ब्रिटेन अगले सप्ताह यूक्रेन की राजधानी कीव में अपना दूतावास फिर से खोलेगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान शुक्रवार को इसकी पुष्टि की।
रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद से दूतावास अस्थायी रूप से बंद है।
जॉनसन ने नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'कीव में रूसी सेना का विरोध करने में [यूक्रेन के] राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की असाधारण दृढ़ता और सफलता को देखते हुए मैं घोषणा करता हूं कि बहुत जल्द, अगले सप्ताह, हम यूक्रेन की राजधानी में अपना दूतावास फिर से खोलेंगे।'
उन्होंने कहा, 'मैं ब्रिटेन के उन राजनयिकों को सलाम करना चाहता हूं जो इस अवधि के दौरान इस क्षेत्र में रहे।'
गौरतलब है कि ब्रिटेन के कर्मचारियों का एक दल मानवीय और अन्य सहायता प्रदान करने के लिए पश्चिमी यूक्रेन में मौजूद रहा है।
ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कहा कि ब्रिटेन के दूतावास परिसर में कर्मचारियों की वापसी से पहले सुरक्षा प्रबंध किये जा रहे हैं।
ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने लंदन में एक बयान में कहा, ‘‘रूसी बलों का विरोध करने में राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूक्रेनी लोगों की असाधारण दृढ़ता व सफलता के मद्देनजर हम जल्द ही कीव में अपने दूतावास को फिर से खोलेंगे।' (भाषा)