अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रादारी की बहन बख़्तावर भुट्टो ने दावा किया है कि उनके भाई पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री पद की शपथ लेंगे.
बख़्तावर ज़रदारी ने ट्वीट किया, "बिलावल भुट्टो ज़रदारी गठबंधन सरकार में आज पाकिस्तान के विदेश मंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. हमें उनपर बहुत गर्व है. वे पहले ही संसद में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं और हमेशा अपने लोकतांत्रिक मूल्यों पर डटे रहे हैं. इस सफ़र की गवाह बनने के लिए उत्सुक हूँ."
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार गिरने के बाद इसी माह 12 तारीख़ को शहबाज़ शरीफ़ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. इसके बाद उन्होंने करीब 38 मंत्रियों को शपथ दिलवाई लेकिन अभी तक विदेश मंत्री का पद ख़ाली था.
ये चर्चा लंबे समय से थी कि विपक्षी पार्टियों के गठबंधन से बनी नई पाकिस्तान सरकार में विदेश मंत्री जैसा अहम पद बिलावल भुट्टो को मिलेगा. बिलावल भुट्टो ने नई सरकार बनने के बाद लंदन में पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ से भी मुलाक़ात की थी. (bbc.com)
"हर परिवार के पास युद्ध की एक कहानी होती है, और हमें उन कहानियों को भूलना नहीं चाहिए बल्कि इसे अपनी अगली पीढ़ी को सुनाना चाहिए.''
यह कहना है अलीना कबाएवा की, जिन्हें रूस की 'सीक्रेट फर्स्ट लेडी' कहा जाता है. यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच वह सुर्खियों में हैं.
वजह यह है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटियों समेत उनके करीबियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन अलीना अब भी इस प्रतिबंध से बची हुई हैं.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर के अनुसार, अमेरिका पुतिन की कथित 'गर्लफ्रेंड' व पूर्व ओलंपिक जिमनास्ट अलीना कबाएवा पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में था, लेकिन अंतिम क्षण में ऐसा नहीं किया गया.
इसके पीछे की वजह यह बताई गई कि पुतिन इसे निजी हमला मान सकते हैं और इससे शांति बहाल के प्रयासों को धक्का लग सकता है.
हालांकि, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को दैनिक प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान उन दावों को ख़ारिज कर दिया, जिसमें यह कहा जा रहा था कि अमेरिका जानबूझकर रूस के राष्ट्रपति पुतिन की कथित गर्लफ़्रेंड पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा है.
साकी से जब पूछा गया कि रूसी नेता और जिमनास्ट रह चुकीं अलीना कबाएवा पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है तो उन्होंने कहा, "हम लगातार प्रतिबंधों की समीक्षा कर रहे हैं."
कौन हैं अलीना कबाएवा
अलीना जिमनास्ट रह चुकी हैं और 2004 के एथेंस ओलंपिक में गोल्ड मेडल भी अपने नाम कर चुकी हैं. 13 साल की उम्र में उन्होंने डेब्यू किया था और अपना पहला वर्ल्ड टाइटल (रोप) 1998 में जीता था.
इसके बाद 2001 और 2002 में यूरोपीयन चैंपियनशिप में भी उन्हें कई मेडल मिले. 2003 में भी उन्होंने कई वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किये. वह डोपिंग के मामले में भी फंस चुकी हैं. हालांकि, इसका बड़ा ख़ामियाज़ा उन्हें नहीं भुगतना पड़ा.
साल 2005 के बाद वह धीरे-धीरे राजनीति में आती गईं और उनका नाम पुतिन के साथ जुड़ने लगा. वह 'यूनाइटेड रूस' पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए रूसी संसद के निचले सदन डूमा के लिए भी निर्वाचित हो चुकी हैं. 2014 में वह सोची ओलंपिक में मशाल लेकर चलने वाले खिलाड़ियों में भी शामिल थीं.
द मॉस्को टाइम्स की ख़बर के अनुसार, अलीना क्रेमलीन समर्थित मीडिया ग्रुप ' द नेशनल मीडिया ग्रुप' का नेतृत्व भी करती हैं लेकिन उनका नाम अप्रैल में पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के मद्देनज़र वेबसाइट से हटा लिया गया.
द मॉस्को टाइम्स की ख़बर में यह भी कहा गया कि स्विट्जरलैंड, अमेरिका और यूरोप के अधिकारियों ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि 2015 में अलीना बच्चे को जन्म देने स्विट्जरलैंड गई थीं. इसके बाद, 2019 में उन्हों मॉस्को में कथित तौर पर जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. हालांकि, पुतिन ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की.
सुर्खियों के बीच मॉस्को में 'अलीना फेस्टिवल'
'द मॉस्को टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, अलीना रूस की राजधानी में 'अलीना फेस्टिवल' में पिछले सप्ताह शनिवार को दिखीं. वह वहां एक ऐसे 'जिमनास्ट एग्जीबिशन' के लिए आईं थीं, जिसका प्रसारण मई में रूस के 'विक्टरी डे' के मौके पर होना है.
इस दौरान उन्होंने कहा, '' हर परिवार के पास युद्ध की एक कहानी होती है, और हमें उन कहानियों को भूलना नहीं चाहिए बल्कि इसे अपनी अगली पीढ़ी को सुनाना चाहिए.''
इस मौके पर उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले की हो रही आलोचना और रूस के जिमनास्ट, जज और कोच पर अंतरराष्ट्रिय मुकाबलों में लगे प्रतिबंध के बारे में कहा, '' हमें इससे सिर्फ जीत ही मिलेगी.''
'डेली मेल' की ख़बर के अनुसार, अलीना के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उन ख़बरों पर विराम लग गया है, जिसमें यह कहा जा रहा था कि वह स्विट्जरलैंड या साइबेरिया में बंकर में छुपी हुई है.
इस कार्यक्रम में सैंकड़ों बच्चे शामिल हुए थे और इस दौरान 'Z' सिम्बल भी दिखा जो कि रूस के यूक्रेन पर हमले के समर्थन का चिह्न बन चुका है. (bbc.com)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कराची यूनिवर्सिटी के बाहर हुए धमाके में 4 लोगों के मरने की खबर है, जिसमें 3 चीनी नागरिक भी शामिल हैं। इस धमाके का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक हिजाब पहने हुए महिला सड़क पर खड़ी है और जैसे ही वैन उसके पास से निकलती है, धमाका हो जाता है।
इस वीडियो को देखने के बाद ये साफ हो गया है कि ये एक फिदायीन हमला था। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। जिस फिदायीन महिला ने इस घटना को अंजाम दिया, उसका नाम शारी बलूच बताया जा रहा है और वह बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद बिग्रेड की सदस्य है।
ट्विटर पर इस महिला फिदायीन के बारे में काफी ट्वीट हो रहे हैं। जिसमें उसकी फोटो समेत परिवार के बारे में भी जानकारियां दी गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शारी बलोच ने अपने परिवार को कब्जे वाले बलूचिस्तान में पाक मिलिट्री के नरसंहार में खो दिया था।
CCTV footage of the suicide bomber who detonates explosives when the Chinese Institute vehicles arrived. Police confirms the killing of 3 Chinese and 1 Pakistani in this #BLA attack.
— Bashir Ahmad Gwakh (@bashirgwakh) April 26, 2022
BLA has significantly up their attacks in #Pakistan in recent times.#KarachiUniversity https://t.co/BbNxoeXZJ1 pic.twitter.com/MDkYGZpbbL
अफगानिस्तान और पाकिस्तान मामलों को कवर करने वाले एक पत्रकार बशीर अहमद ग्वाख ने महिला फिदायीन शारी बलोच के बारे में कुछ जानकारियां अपने निजी ट्विटर हैंडल पर शेयर की हैं। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि बलूच लिबरेशन आर्मी ने कराची विश्वविद्यालय में पहली महिला आत्मघाती हमलावर के बारे में अधिक जानकारी जारी की है। बीएलए ने कहा है कि इस महिला फिदायीन का नाम शारी बलोच है और उसके पति एक डॉक्टर हैं और उनके 2 बच्चे हैं।
यह आत्मघाती हमला ये दर्शाता है कि बलूच अलगाववादी पाकिस्तान से आजादी के लिए किस हद तक जा सकते हैं। पत्रकार बशीर अहमद ने इस फिदायीन हमले का वीडियो भी शेयर किया है। (indiatv.in)
इस्लामाबाद, 26 अप्रैल। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने मंगलवार को देशभर में स्थित निर्वाचन आयोग के कार्यालयों के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया और मुख्य निर्वाचन आयुक्त के कथित पक्षपात भरे आचरण के लिए उनके इस्तीफे की मांग उठायी।
पूर्व नौकरशाह सिकंदर सुल्तान राजा को इमरान खान सरकार के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान निर्वाचन आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया था। हालांकि, अब खान ने उन पर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। निर्वाचन आयोग ने आरोपों को खारिज किया है।
खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, पेशावर, गुजरात और फैसलाबाद सहित अन्य शहरों में निर्वाचन आयोग के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया।
मुख्य रैली इस्लामाबाद स्थित आयोग के कार्यालय के बाहर आयोजित की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने निर्वाचन आयुक्त के इस्तीफे की मांग कर उनके खिलाफ नारेबाजी की।
पीटीआई नेता शिब्ली फराज ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के बाहर सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि रास्ते बंद करके हजारों कार्यकर्ताओं को प्रदर्शनस्थल पर पहुंचने से रोका गया। (भाषा)
यूक्रेन पर रूस के हमलों के बीच दोनों ही देश अलग-अलग तरह के दावे कर रहे हैं.
अब रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से दावा किया गया है कि रूसी वायुसेना ने यूक्रेन में 87 सैन्य ठिकानों पर हमला किया है.
रूस का कहना है कि इस हमले में रातभर में क़रीब 500 यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो गई है. ऐसा बताया जा रहा है कि खारकीएव में दो हथियार डिपो को निशाना बनाया गया है.
रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें कथित तौर पर यूक्रेनी सेना का एक स्टोरेज और रिपेयर बेस दिख रहा है, रूसी सैनिक का कहना है कि ये जगह अब रूस के क़ब्ज़े में है.
सैन्य टैंक और दूसरी गाड़ियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि हथियार, दस्तावेज़ और दूसरे उपकरण यूक्रेनी सेना से जुड़े हैं. बीबीसी ऐसे दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है. (bbc.com)
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात से पहले रूस के विदेश मंत्री से बात की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सर्गेई लावरोफ़ से मुलाक़ात में यूक्रेन के साथ युद्ध को ख़त्म करने पर ज़ोर दिया.
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वे बातचीत, युद्धविराम और आख़िरकार शांति के लिए माहौल तैयार करने में मदद करना चाहते हैं. उन्होंने कहा- हमें जितना जल्द हो सके युद्धविराम की आवश्यकता. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि यूक्रेन में मानवीय आपदा कम हो. (bbc.com)
-ज़ोई कोलिनमेन
-कुछ समय पहले तक ट्विटर और एलन मस्क का रिश्ता वैसा ही लगता था जैसा एकतरफ़ा प्यार में किसी आशिक़ का होता है.
एलन मस्क ट्विटर को पसंद करते हैं, इस प्लेटफॉर्म पर उनके 83.8 मिलियन फॉलोवर हैं. वो यहां खूब एक्टिव रहते हैं और कई बार विवादित ट्वीट भी करते हैं.
अमेरिका की सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन ने उन्हें टेस्ला के मामले से जुड़ा कोई भी ट्वीट करने से प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि उनके एक ट्वीट से टेस्ला के शेयर में 14 बिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ था.
मस्क ने एक गुफ़ा-गोताखोर को लेकर ट्विटर पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी जिसके बाद उस गोताखोर ने उन पर मानहानि का मुक़दमा कर दिया था. हालांकि मस्क ने ये मुक़दमा जीत लिया.
अब फिर वापस आते हैं ट्विटर और एलन मस्क पर. आपको लग रहा होगा कि अगर किसी 16 साल पुराने बिज़नेस जिसने अपनी प्रतिद्वंदियों के मुकाबले बहुत मुनाफ़ा और ग्रोथ ना की हो उसे 44 अरब डॉलर देना उसकी मदद करने जैसा है और ट्विटर के शेयरहोल्डर्स को इस डील के साथ सहमत होना ही चाहिए.
ट्विटर से कमाई करने में उन्हें बहुत रुचि नहीं है, उनके पास पहले ही बहुत पैसे हैं और वह कई तरह-तरह की प्रॉपर्टी रखने में सक्षम हैं.
ट्विटर ने कंपनी को जबरन अधिग्रहण से बचाने के लिए "पॉइज़न पिल" रणनीति का इस्तेमाल किया था जो किसी को कंपनी में 15 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी खरीदने से रोकती है. हालांकि अब ट्विटर और एलन मस्क के बीच सौदे पर सहमति हो गई है.
कई रिपब्लिकन, जिन्होंने लंबे समय से ये महसूस किया कि ट्विटर की मॉडरेशन नीतियां वामपंथी विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पक्षधर हैं वो इस डील से और मस्क के तर्क से खुश हैं.
लेकिन दुनिया भर के नियामक सोशल नेटवर्क पर नकेल कसने की बात कर रहे हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने कंटेंट के लिए अधिक ज़िम्मेदारी लेने को मजबूर किया जा रहा है. खासकर ऐसे कंटेंट जिनसे हिंसा को उकसाया जाता है, नियामक ऐसी स्थिति में प्लेटफॉर्म्स पर भारी जुर्माना लगा रहे हैं. इसके अलावा अभद्र भाषा, हेट स्पीच को लेकर भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ज़िम्मेदारियां तय की जा रही हैं.
लेकिन हमें इसके वित्तीय पक्ष को नहीं भूलना चाहिए. ट्विटर का मुख्य बिज़नेस मॉडल विज्ञापन पर आधारित है और मस्क इसे बदलना चाहते हैं. मस्क का दावा है कि उनकी रुचि सब्सक्रिप्शन मॉडल में ज़्यादा है.
ऐसे माहौल में जब सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फ्री हैं सब्सक्रिप्शन मॉडल को बढ़ा पाना थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा है. ट्विटर यूज़र्स यह तय कर सकते हैं कि वे अपने डेटा का उपयोग ट्विटर को मॉनेटाइज़ करने के लिए नहीं करना चाहते हैं और वे इसके लिए भुगतान करने को तैयार हैं- लेकिन ये क़दम एक जुआ भी साबित हो सकता है.
एलन मस्क की क्रिप्टोकरेंसी के लिए पसंदीदगी छुपी नहीं है. क्या वह बिटकॉइन जैसी अस्थिर, असुरक्षित मुद्राओं में भुगतान को बढ़ावा देने के लिए इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं?
मस्क जो दुनिया के सबसे अमीर शख़्स हैं, एक सीरियल ऑन्त्रोप्रेन्योर हैं जिनकी सफलताओं में पेपाल और टेस्ला जैसी कंपनियां शामिल हैं. वह करिश्माई और अनफ़िल्टर्ड है जो हर सीमाओं को टेस्ट करते हैं और नियम तोड़ना पसंद करते हैं.
जनवरी में 9.2% हिस्सेदारी खरीदने के बाद भी उनका ट्विटर के बोर्ड में शामिल होने से इनकार करने का एक कारण ये है कि वह ज़िम्मेदारी से बाध्य नहीं होना चाहते थे.
मैंने एक बार इस तथ्य के बारे में ट्वीट किया था कि जिस तरह से उनके फ़ाइनेंस का स्ट्रक्चर है (उनकी संपत्ति नकद आय के बजाय बड़े पैमाने पर शेयरों पर आधारित है, और उनके पास भौतिक संपत्ति नहीं है) वह आयकर का भुगतान नहीं करते हैं.
इस ट्वीट पर मुझे जवाब मिला- मेरी ऐसा लिखने की हिम्मत कैसे हुई. वह एक बेहद बुद्धिमान शख़्स हैं और मुझे उनके लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए.
मस्क और ट्विटर के बीच ये एक आक्रामक बिज़नेस डील है जिसमें ना तो कोई मोल-भाव किया गया और ना ही कोई समझौता किया गया.
ये एक प्राइवेट कंपनी की प्राइवेट बिक्री है. ये दो बड़ी कंपनियों का विलय नहीं है तो ऐसे में नियामक की ओर से आने वाली बाधाएं भी ना के बराबर होने की उम्मीद है.
300 मिलियन यूज़र्स के लिए एलन मस्क का ट्विटर वर्तमान ट्विटर से काफ़ी अलग होगा. ज़्यादा आक्रामक और शायद पहले से कम लिब्रल्स की ओर झुका हुआ.
ट्विटर के यूज़र्स का इस पूरी डील पर सामूहिक विचार क्या है इसका ठीक-ठीक पता लगाना कठिन है. मेरी समझ के मुताबिक़ हर वो ट्वीट जिसमें मस्क का स्वागत किया जा रहा है उसके जवाब में एक ऐसा ट्वीट भी आ रहा है जिसमें प्लटफॉर्म छोड़ने की धमकी दी जा रही है. लेकिन बात वहीं है कि आख़िर कब किसी मुद्दे पर ट्विटर पर एक राय नज़र आ सकी है.(bbc.com)
न्यूयॉर्क, 26 अप्रैल। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अरबपति एलन मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदने के बाद इस प्लेटफार्म पर उनका अकाउंट बहाल हो जाने पर भी वह ट्विटर पर नहीं लौटेंगे।
मस्क ने सोशल मीडिया मंच को करीब 44 अरब डॉलर में अधिग्रहण करने का समझौता किया है।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ से कहा कि वह अपने खुद के मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो पिछले साल शुरू होने के बाद से ही परेशानियों से घिरा हुआ है।
ट्रंप के हवाले से नेटवर्क ने कहा, “ मैं ट्विटर पर नहीं आ रहा हूं। मैं ट्रूथ सोशल पर ही रहूंगा।”
उन्होंने कहा कि एलन ने ट्विटर इसलिए खरीदा है ताकि वह इसमें सुधार कर सकें और वह एक अच्छे आदमी हैं, लेकिन ‘मैं ट्रूथ सोशल पर ही रहूंगा।” छह जनवरी 2020 को अमेरिकी संसद पर भड़के दंगों के बाद ट्रंप को प्रमुख सोशल मीडिया मंच पर प्रतिबंधित कर दिया गया था। ट्विटर ने कहा था कि हिंसा और बढ़ने का खतरा है।उस वक्त उनके सिर्फ ट्विटर पर ही 8.9 करोड़ फोलोअर थे।
सोमवार को ट्रंप ने मस्क द्वारा ट्विटर खरीदने का स्वागत किया और फॉक्स न्यूज़ से कहा कि वह ट्विटर को उनके उत्पाद के प्रतिस्पर्धी के तौर पर नहीं देखते हैं।(एपी)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 26 अप्रैल। अरबपति कारोबारी एलन मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदने के बाद कंपनी के सीईओ पराग अग्रवाल ने चिंतित कर्मचारियों से कहा कि उन्हें नहीं पता कि 44 अरब डॉलर के बड़े सौदे के बाद यह कंपनी किस दिशा में जाएगी।
उन्होंने सोमवार दोपहर कंपनी के कर्मचारियों के साथ एक बैठक में यह बात कही। अग्रवाल ने सिर्फ पांच महीने पहले ट्विटर की कमान संभाली थी।
ट्विटर के बोर्ड ने मस्क की लगभग 44 अरब डॉलर की अधिग्रहण बोली को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद वह सोशल मीडिया मंच के मालिक बनने के बेहद करीब आ गए हैं। यह सौदा इस साल पूरा होने की उम्मीद है, लेकिन इसके लिए अभी शेयरधारकों और अमेरिकी नियामकों की मंजूरी ली जानी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने अग्रवाल के हवाले से कहा, ‘‘यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि जो हो रहा है, उसके बारे में आप सभी की अलग-अलग भावनाएं हैं।’’
अमेरिकी दैनिक के मुताबिक अग्रवाल ने कर्मचारियों से कहा कि उनका अनुमान है कि सौदे को पूरा होने में तीन से छह महीने लग सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसबीच हम पहले की तरह ही ट्विटर का संचालन करते रहेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम कंपनी कैसे चलाते हैं, हम जो निर्णय लेते हैं, और जो सकारात्मक बदलाव हम करते हैं - वह हमारे ऊपर निर्भर करेगा और हमारे नियंत्रण में होगा।’’
हालांकि, अब ट्विटर के कर्मचारियों के भाग्य पर अनिश्चितता छाई हुई है, जिन्होंने मस्क द्वारा अधिग्रहण के मद्देनजर छंटनी की आशंका जताई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि ट्विटर को लेकर मस्क की योजना क्या है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अभी इस सवाल का जवाब भी नहीं है कि वह कंपनी का नेतृत्व करने के लिए किसे चुनेंगे। हालांकि, कम से कम सौदा पूरा होने तक अग्रवाल के बने रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों की बैठक में अग्रवाल ने आगे की अनिश्चितता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘‘सौदा पूरा होने के बाद हमें नहीं पता कि यह कंपनी किस दिशा में जाएगी।’’
लेनदेन पूरा होने के बाद ट्विटर एक निजी कंपनी बन जाएगी।
मस्क ने 14 अप्रैल को ट्विटर को खरीदने की पेशकश की थी। मस्क ने कहा है कि वह ट्विटर को इसलिए खरीदना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि यह स्वतंत्र अभिव्यक्ति के मंच के रूप में अपनी क्षमता पर खरा उतर पा रहा है।
ट्विटर के बोर्ड ने सोमवार को सर्वसम्मति से उनके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और शेयरधारकों से भी ऐसा करने की सिफारिश की है।
यह सौदा एक अप्रैल को ट्विटर के बंद भाव पर 38 प्रतिशत प्रीमियम के साथ हुआ। बोर्ड ने कहा कि यह मस्क ने पर्याप्त नकद प्रीमियम की पेशकश की है, जो ‘‘ट्विटर के शेयरधारकों के लिए सबसे अच्छा रास्ता होगा।’’
ट्विटर के बोर्ड ने शुरुआत में मस्क को अधिग्रहण से रोकने की कोशिश की, लेकिन हालात उस समय नटकीय रूप से बदल गए जब मस्क ने 46.5 अरब डॉलर की पेशकश कर दी, और कहा कि इसमें से 21 अरब डॉलर वह खुद निवेश करेंगे। मस्क ने कहा कि दूसरे निवेशक भी इसमें योगदान कर सकते हैं।
मस्क को कारोबार का लंबा अनुभव है। वह टेस्ला के सीईओ हैं, जिसका आकार ट्विटर के मुकाबले करीब 25 गुना बड़ा है। (भाषा)
कीव, 26 अप्रैल। रूस की सेना के पूर्वी क्षेत्र से दूर यूक्रेन में अन्य स्थानों पर मिसाइलों और युद्धक विमानों से हमले कर रेल और ईंधन प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने के बीच मॉस्को के शीर्ष राजनयिक ने तीसरे विश्व युद्ध को भड़काने के खिलाफ यूक्रेन को चेतावनी दी और कहा कि परमाणु संघर्ष के खतरे को “कम करके नहीं आंका जाना चाहिए”।
अमेरिका ने इस बीच यूक्रेन को और हथियार देने की घोषणा की है और कहा कि पश्चिमी सहयोगियों की मदद से दो माह से चल रहे युद्ध में असर पड़ा है। माना जा रहा है कि ये हमले इन्हीं नयी मदद को रोकने के लिए किए गए हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मिलने के लिए रक्षा मंत्री के साथ कीव का दौरा करने के एक दिन बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने घोषणा की थी, “रूस नाकाम हो रहा है। यूक्रेन सफल हो रहा है।”
अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार और अन्य साजोसामान मुहैया कराने के लिये सहायता की भी घोषणा की थी।
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा था, “हम यूक्रेन को एक संप्रभु देश के रूप में देखना चाहते हैं। एक लोकतांत्रिक देश अपने संप्रभु क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम है। हम रूस को उस बिंदु तक कमजोर देखना चाहते हैं जहां वह यूक्रेन पर हमले जैसे कदम न उठा सके।”
ऑस्टिन की टिप्पणी व्यापक अमेरिकी रणनीतिक लक्ष्यों में बदलाव का प्रतिनिधित्व करती प्रतीत होती है। पहले, अमेरिका का रुख था कि अमेरिकी सैन्य सहायता का लक्ष्य यूक्रेन को जीतने में मदद करना और यूक्रेन के नाटो पड़ोसियों को रूसी खतरों से बचाना था।
ऑस्टिन को एक स्पष्ट प्रतिक्रिया में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस को “प्रतीत होता है कि पश्चिम चाहता है कि यूक्रेन लड़ाई जारी रखे और, जैसा कि उन्हें लगता है कि यह रूसी सेना और रूसी सैन्य उद्योग को समाप्त कर देगा। यह एक भ्रम है।”
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों द्वारा की गई हथियारों की आपूर्ति “एक वैध लक्ष्य” है और रूसी बलों ने पहले ही पश्चिमी यूक्रेन में हथियारों के भंडारगृह को निशाना बनाया है।
लावरोव ने यूक्रेनी नेताओं पर नाटो को संघर्ष में शामिल होने के लिए कहकर रूस को उकसाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नाटो प्रभावी रूप से “छद्म रूप से रूस के साथ युद्ध में शामिल है और परदे के पीछे से हथियार मुहैया करा रहा है।” उन्होंने रूसी टेलीविजन पर एक व्यापक साक्षात्कार में कहा “हर कोई यही कह रहा है कि हम किसी भी स्थिति में तीसरे विश्व युद्ध की अनुमति नहीं दे सकते।”
रूसी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर एक प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के अनुसार, लावरोव ने कहा, हथियार उपलब्ध कराकर नाटो सेना “आग में घी डाल रही है।”
परमाणु टकराव की आशंका के बारे में लावरोव ने कहा, “खतरा गंभीर है, यह वास्तविक है। इसे कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।”
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर कहा कि लावरोव की टिप्पणी यूक्रेन की पश्चिमी मदद की आवश्यकता को रेखांकित करती है: “रूस, यूक्रेन का समर्थन करने से दुनिया को डराने की आखिरी उम्मीद खो चुका है। इस प्रकार तीसरे विश्वयुद्ध के वास्तविक खतरे की बात है। इसका मतलब केवल यह है कि मॉस्को को यूक्रेन में हार का आभास है।” (एपी)
सियोल, 26 अप्रैल। उत्तर कोरिया का कहना है कि सेना की एक परेड के दौरान नेता किम जोंग-उन ने देश की परमाणु क्षमता को ‘‘अधिकतम गति’’ से बढ़ाने का संकल्प किया है।
सरकारी ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने मंगलवार को एक खबर में बताया कि किम ने बीती रात एक सैन्य परेड के दौरान यह बयान दिया।
केसीएनए ने किम के हवाले से कहा कि उत्तर कोरिया ‘‘अधिकतम गति से अपने परमाणु बलों को आगे बढ़ाने और विकसित करने के लिए कदम उठाता रहेगा।’’
उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अमेरिका के साथ लंबे समय से चल रहे गतिरोध के बीच किम का यह बयान आया है।
किम ने हाल के महीनों में कई मिसाइल परीक्षण किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों में राहत और अन्य रियायतें हासिल करने के लिए अमेरिका पर दबाव बनाने के मकसद से उत्तर कोरिया ऐसा कर रहा है।
उत्तर कोरिया ने अपनी सेना की स्थापना की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार देर रात को राजधानी में एक सैन्य परेड निकाली। (एपी)
नयी दिल्ली, 25 अप्रैल। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सोमवार को कहा कि यूरोप यह सुनिश्चित करेगा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का ‘‘अकारण और अनुचित’’ हमला एक ‘‘रणनीतिक विफलता’’ साबित हो। लेयेन ने साथ ही कहा कि इस संकट का प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर महसूस होना शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रायसीना संवाद में अपने संबोधन में लेयेन ने रूस और चीन के बीच ‘‘कथित अनियंत्रित समझौते’’ पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा फरवरी में ‘‘बिना सीमा वाली मित्रता’’ की घोषणा के तत्काल बाद यूक्रेन पर आक्रमण किया गया। लेयेन ने कहा कि दोनों ने घोषणा की थी कि उनके बीच ‘‘सहयोग का कोई निषिद्ध क्षेत्र नहीं होगा।’’
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इससे पहले लेयेन के साथ अपनी बातचीत में मोदी ने यूक्रेन में शांति को एक मौका देने के महत्व और शांति प्राप्त करने के एकमात्र तरीके के रूप में बातचीत और कूटनीति पर लौटने की आवश्यकता पर बल दिया था।
मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। मंत्रालय ने कहा कि साथ ही दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान और म्यांमा पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
लेयेन ने रायसीना संवाद में अपने संबोधन में कहा कि यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इसके साथ ही उन ‘‘नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों’’ के बारे में सवाल उठाया, जिसका आह्वान चीन और रूस दोनों ने अपनी ‘‘बिना सीमा’’ वाली मित्रता की घोषणा के बाद किया है।
लेयेन कहा, ‘‘यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। यह पहले से ही है। कोविड-19 महामारी से दो साल से पीड़ित देशों को अब (व्लादिमीर) पुतिन के युद्ध के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में अनाज, ऊर्जा और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों से निपटना होगा।’’
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) की भारत को स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटलीकरण सहित व्यापक क्षेत्रों में पेशकश पारदर्शी और मूल्यों से प्रेरित होगी तथा नयी दिल्ली के साथ साझेदारी को सक्रिय करना इस दशक में समूह की ‘प्राथमिकता’ है।
उन्होंने 21वीं सदी के लिए यूरोप के नए आम एजेंडे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यूरोप के साथ आप जो देखते हैं, वही आपको मिलता है।’’
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए लेयेन ने कहा कि युद्ध के परिणाम न केवल यूरोप के भविष्य को निर्धारित करेंगे, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और शेष विश्व को भी गहराई से प्रभावित करेंगे।
यूरोपीय नेता ने कहा कि यूक्रेन से आने वाली तस्वीरों ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है और मॉस्को की हरकतें जैसे कि निर्दोष नागरिकों की हत्या, बल द्वारा सीमाओं को फिर से तय करना और स्वतंत्र लोगों की इच्छा को अधीन करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोप में हम रूस के हमले को हमारी सुरक्षा के लिए सीधे खतरे के रूप में देखते हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यूक्रेन के खिलाफ अकारण और अनुचित हमला एक रणनीतिक विफलता हो।’’
लेयेन ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हम यूक्रेन को उसकी स्वतंत्रता के लिए लड़ने में मदद करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यही कारण है कि हमने तुरंत बड़े, तीखे और प्रभावी प्रतिबंध लगाए हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध कभी भी अकेला समाधान नहीं होते हैं और वे एक व्यापक रणनीति में अंतर्निहित होते हैं, जिसमें राजनयिक और सुरक्षा तत्व शामिल होते हैं।
लेयेन ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमने प्रतिबंधों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए तैयार किया है, क्योंकि यह हमें एक राजनयिक समाधान प्राप्त करने का लाभ देता है, जो स्थायी शांति लाएगा।’’
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि यूरोप अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से स्थायी शांति के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह कर रहा है।
यूरोपीय नेता ने कहा कि इन दिनों दुनिया द्वारा लिए गए फैसले आने वाले दशकों को आकार देंगे।
चीन के साथ यूरोपीय संघ के संबंधों पर लेयेन ने कहा कि चीन शांतिपूर्ण और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने के लिए बीजिंग को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ और चीन के बीच संबंध रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण हैं। चीन एक वार्ता साझेदार, एक आर्थिक प्रतिस्पर्धी और पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी है।’’
बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का उल्लेख करते हुए लेयेन ने यूरोपीय संघ द्वारा ग्लोबल गेटवे शुरू करने के बारे में बात की, जो कि स्वच्छ और टिकाऊ वैश्विक बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए यूरोप का दृष्टिकोण है।
उन्होंने कहा, ‘‘ग्लोबल गेटवे दुनियाभर में प्रमुख बुनियादी ढांचा प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिए 300 अरब यूरो जुटाने में मदद करेगा। स्वच्छ ऊर्जा से लेकर डिजिटलीकरण तक, आप इसे नाम दें, हमारा प्रस्ताव पारदर्शी और मूल्यों से प्रेरित होगा। यूरोप के साथ आप जो देखते हैं, वह आपको मिलता है।’’ (भाषा)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 26 अप्रैल। अमेरिका में लोकतंत्र समर्थक बुद्धिजीवियों, नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने पाकिस्तान की नवनियुक्त सरकार से जातीय तथा धार्मिक संघर्षों को समाप्त करने में रचनात्मक भूमिका निभाने तथा भारत एवं अन्य पड़ोसी मुल्कों के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश करने की अपील की है।
‘साउथ एशियंस अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स’ (एसएएटीएच) की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता से जाने के बाद बनी सरकार को अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा को समाप्त करने का रास्ता तलाशने के लिए वहां के लोगों के साथ तत्काल बातचीत करनी चाहिए।
मीडिया में जारी एक बयान के अनुसार कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि पड़ोसी मुल्कों के साथ, खासतौर पर भारत और अफगानिस्तान के साथ संबंध सुधारे जाने चाहिए।
एसएएटीएच के सह-संस्थापक एवं अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान, राजनीति के सैन्यकरण और राजनीतिक कारणों के लिए धर्म के इस्तेमाल को समाप्त किए बगैर वर्तमान संकट से बाहर नहीं निकल सकता।
हक्कानी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान का पूरा ध्यान अपने लोगों की समृद्धि पर केन्द्रित होना चाहिए न की किसी बेकार की विचारधारा पर।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के साथ अच्छे संबंध ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना सुनिश्चित कर सकते हैं।
पूर्व सांसद फरहतुल्ला बाबर ने सुरक्षा प्रतिष्ठान के भीतर ‘‘विभाजन’’ की खबरों पर चिंता व्यक्त की। वह पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के महासचिव भी हैं।
बाबर ने कहा, ‘‘जब एक समूह बहुत अधिक शक्ति अर्जित कर लेता है, तो उसके भीतर ही संघर्ष शुरू हो जाता है।’’
वहीं, पूर्व सांसद अफरासियाब खट्टक ने ‘जनरल शाही’ को समाप्त करने का आह्वान किया और कहा कि ‘‘वही इमरान खान को सत्ता में लाया था।’’
बलूच कार्यकर्ता किया बलोच और सिंध यूनाइटेड पार्टी के ज़ैन शाह ने बलूच और सिंधी राष्ट्रवादियों को निशाना बनाने वाले सैन्य अभियानों को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। (भाषा)
इस्लामाबाद, 25 अप्रैल। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को ब्रिटेन से अपने गृह देश लौटने के लिए पासपोर्ट जारी किया गया है, जहां वह इलाज करा रहे हैं। यह जानकारी सोमवार को मीडिया की खबर से मिली।
72 वर्षीय नवाज तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। नवाज के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के कई मामले शुरू किए गए थे। नवाज नवंबर 2019 में लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें इलाज के वास्ते चार सप्ताह के लिए विदेश जाने की अनुमति दिये जाने के बाद लंदन रवाना हुए थे।
समाचार पत्र ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने बताया कि नवाज को उनके छोटे भाई एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नयी सरकार द्वारा पासपोर्ट जारी किया गया है।
‘जियो न्यूज’ ने बताया कि पासपोर्ट की प्रकृति "साधारण" है और इसे ‘‘तत्काल’ श्रेणी में बनाया गया था।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते लंदन में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी से मुलाकात की थी और पाकिस्तान में "समग्र राजनीतिक स्थिति" पर चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने राजनीति और राष्ट्रीय हित से संबंधित कई मुद्दों पर एक साथ काम करने का संकल्प जताया था।
शरीफ ने 2019 में ब्रिटेन जाने से पहले, लाहौर उच्च न्यायालय को पाकिस्तान लौटने का वचन दिया था।
उन्हें अल-अजीजिया मिल्स भ्रष्टाचार मामले में भी जमानत दी गई थी, जिसमें वह लाहौर की उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में सात साल की कैद की सजा काट रहे थे। (भाषा)
अबुजा, 25 अप्रैल। दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया में एक अवैध तेल रिफाइनरी में हुए विस्फोट में कम से कम 100 लोगों की मौत होने की आशंका है। एक स्थानीय तेल अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि घटनास्थल पर शवों की तलाश तेज कर दी गई है। इसके अलावा विस्फोट में शामिल दो संदिग्धों की तलाश भी शुरू हो गई है।
नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदू बुहारी ने एक बयान जारी कर विस्फोट को एक 'दुर्घटना और राष्ट्रीय आपदा' करार दिया है।
सरकारी अधिकारियों ने एसोसिएटिड प्रेस को बताया कि विस्फोट शुक्रवार की रात को इमो राज्य में सरकारी क्षेत्र ओहाजी-एगबेमा में स्थित रिफाइनरी में हुआ। विस्फोट दो ईंधन भंडारण क्षेत्रों में आग लगने के कारण हुआ, जहां 100 से अधिक लोग काम करते थे। दर्जनों श्रमिक विस्फोट की चपेट में आ गए जबकि कई अन्य ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की।
इमो राज्य के पेट्रोल संसाधनों के आयुक्त गुडलक ओपिया ने कहा कि आपदा में मरने वालों की संख्या '100 के आसपास' होने का अनुमान है। (एपी)
कीव, 25 अप्रैल। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद पहली बार अमेरिका के विदेश तथा रक्षा मंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन युद्धग्रस्त देश की यात्रा पर हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ओलेक्सी एरेस्टोविच ने यूक्रेन के एक टेलीवीजिन को दिए साक्षात्कार में इस मुलाकात की पुष्टि की।
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में रूस के बढ़ते हमलों के बीच यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से भारी हथियारों की मांग कर रहा है। वहीं, रूसी सेना मारियुपोल के बंदरगाह से यूक्रेनी सैनिकों की अंतिम टुकड़ी को हटाने की कोशिश में लगी है।
एरेस्टोविच ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘हां, वे राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आगे मदद के संबंध में सभी फैसले किए जाएंगे।’’
मुलाकात से पहले जेलेंस्की ने कहा था कि वह अमेरिका से हथियारों और सुरक्षा दोनों की गारंटी मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ आप आज हमारे पास खाली हाथ नहीं आ सकते और हम केवल किसी तरह के मामूली तोहफे की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, हमें कुछ निश्चित चीजें और निश्चित हथियार चाहिए।’’
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के करीब 60 दिन बाद वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों की युद्धग्रस्त देश की यह पहली यात्रा है।
ब्लिंकन, पोलैंड की यात्रा के दौरान देश के विदेश मंत्री से मिलने के लिए मार्च में कुछ समय के लिए यूक्रेन आए थे। इससे पहले 19 फरवरी को अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और जेलेंस्की ने म्युनिख में मुलाकात की थी। (एपी)
(शिरीष बी. प्रधान)
काठमांडू, 25 अप्रैल। नेपाल के धाडिंग जिले में कार और बस की टक्कर में चार भारतीय पर्यटकों समेत पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक दुर्घटना रविवार रात थाकरे इलाके में पृथ्वी हाईवे पर हुई।
चारों भारतीय नागरिक पोखरा से काठमांडू लौट रहे थे। हादसे में कार सवार नेपाली चालक की भी मौत हो गई। बस काठमांडू से धाडिंग की ओर जा रही थी।
पुलिस के अनुसार मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के विमलचंद्र अग्रवाल (40), साधना अग्रवाल (35), संध्या अग्रवाल (40), राकेश अग्रवाल (55) और तन्हू जिले के खैरेनी निवासी 36 वर्षीय दिल बहादुर बसनेत के रूप में हुई है। स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान इनकी मौत हो गई। (भाषा)
इमैनुएल मैक्रों को एक बार फिर से फ़्रांस का राष्ट्रपति चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "दोबारा फ़्रांस का राष्ट्रपति बनने पर मेरे दोस्त इमैनुएल मैक्रों को बधाई! मैं भारत-फ़्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की आशा करता हूं."
इमैनुएल मैक्रों ने धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ली पेन को हराया है.
मैक्रों की जीत पर यूरोपीय देशों के शीर्ष नेताओं ने उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दिए हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी मैक्रों की जीत का स्वागत किया है. (bbc.com)
फ़्रांस के राष्ट्रपति चुनावों में इस बार केवल 72 फीसदी मतदान हुआ, जो कि सन् 1969 के बाद से सबसे कम है.
-रजनीश कुमार
दुनिया में कई चीज़ें उलट-पुलट रही हैं. कहा जा रहा है कि शीत युद्ध के बाद पहली बार दुनिया एक बार फिर से उसी तरह के संकट में समाती दिख रही है.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद स्थिति और जटिल हो गई है. अमेरिका चाहकर भी सऊदी अरब, यूएई और भारत जैसे देशों को रूस के ख़िलाफ़ लामबंद करने में नाकाम रहा है.
इस बीच ख़बरें ऐसी भी आईं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने लाख कोशिश की कि सऊदी अरब तेल का उत्पादन बढ़ाए लेकिन वह तैयार नहीं हुआ.
मजबूरी में अमेरिका ने अपने सुरक्षित तेल को बाज़ार में लाने लाने का फ़ैसला किया.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब और यूएई के नेताओं से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका बोरिया-बिस्तर समेट चुका है और खाड़ी के देशों में भी उसे लेकर भरोसा कम हुआ है.
ऐसे में कहा जा रहा है कि अमेरिका की ख़ाली जगह को चीन भर रहा है और इस्लामिक देशों से उसका संबंध लगातार मज़बूत हो रहा है.
ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक
जब इमरान ख़ान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तभी पिछले महीने 22-23 मार्च को इस्लामाबाद में मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी.
ओआईसी की इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी को विशेष रूप से बैठक में अतिथि देश के तौर पर बुलाया गया था.
इस बैठक में कश्मीर और फ़लस्तीन में आत्मनिर्णय के अधिकार को लेकर एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था.
ओआईसी में 57 मुस्लिम या मुस्लिम बहुत देश हैं. इनकी आबादी क़रीब 1.9 अरब है. अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी और अहम संसाधनों पर इन देशों का ख़ास दख़ल है.
ओआईसी की बैठक के प्रभाव को लेकर लाहौर स्थित थिंक टैंक जिन्ना रफ़ी फाउंडेशन के चेयरमैन और पाकिस्तान के जाने-माने लेखक इम्तियाज़ रफ़ी बट ने लेख लिखा था. उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि वांग यी चीन की सरकार के पहले सदस्य हैं, जिन्हें ओआईसी की बैठक में बुलाया गया.
इम्तियाज़ रफ़ी के मुताबिक़, "ओआईसी की बैठक में चीन का आना एक अहम परिघटना है और इसका ख़ास असर होगा. चीन मुस्लिम दुनिया में काफ़ी गहराई से अपना पैर जमा रहा है. 50 मुस्लिम देशों में 600 अलग-अलग परियोजनाओं में चीन ने कुल 400 अरब डॉलर का निवेश किया है. मुस्लिम वर्ल्ड चीन की ओर विकास के लिए देख रहा है. इस मामले में पाकिस्तान लोगों को क़रीब लाने में मदद कर रहा है. पाकिस्तान ने इसी के तहत इस्लामाबाद में आयोजित ओआईसी की बैठक में चीन को बुलाया. मुस्लिम देशों ने भी पाकिस्तान की इस पहल की प्रशंसा की."
इम्तियाज़ ने लिखा है, "चीन और सऊदी अरब तेल का व्यापार डॉलर के बदले यूआन में करने पर बात कर रहे हैं. इसके अलावा ईरान में चीन पहले से ही इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर 60 अरब डॉलर निवेश की बात पक्की कर चुका है. पश्चिम अब इस्लामिक देशों का विश्वसनीय साझेदार नहीं है. चीन इस्लामिक देशों में अमेरिका की जगह ले रहा है. महामारी के दौरान उसने कोरोना वैक्सीन की 1.5 अरब डोज़ मुफ़्त में पहुँचाई थी."
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बिलावल भुट्टो एक-दो दिन में विदेश मंत्री की शपथ लेंगे: प्रधानमंत्री के सलाहकार
कश्मीर का मुद्दा
ओआईसी की बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा खुलकर उठाया था और चीन के विदेश मंत्री ने भी कहा कि था कि कश्मीर पर वह पाकिस्तान की चिंता को समझते हैं. इसके अलावा वांग यी ने फ़लस्तीन समस्या के समाधान के लिए भी दो देश के फ़ॉर्म्युले का समर्थन किया था.
क्या वाक़ई पाकिस्तान इस्लामिक देशों को चीन के क़रीब लाने में मदद कर रहा है?
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने बीबीसी से कहा, "मैं ऐसा नहीं मानता हूँ. चीन के अपने हित हैं और उन हितों की वजह से पश्चिम एशिया से अपनी क़रीबी बढ़ा रहा है. वह न तो पाकिस्तान के कारण ऐसा कर रहा है और न ही इस्लामिक देश होने की वजह से."
अब्दुल बासित कहते हैं, "पाकिस्तान अभी उस पोजिशन में नहीं है कि चीन को किसी गुट में ले जा सके. ओआईसी की बैठक में भले चीन को अतिथि के तौर पर बुलाया गया था लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस बैठक के कारण चीन इस्लामिक देशों के क़रीब आया है."
"चीन की अपनी ऊर्जा ज़रूरतें हैं और वह पश्चिम एशिया से ऊर्जा के आयात करने में नंबर वन है. चीन इन देशों में निवेश भी कर रहा है. ऐसे में वह अपनी मौजूदगी अपने हितों के हिसाब से बढ़ा रहा है न कि पाकिस्तान की कोशिश से."
अब्दुल बासित कहते हैं कि चीन की मध्य-पूर्व में बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंताजनक हो सकती है.
चीन में मुसलमानों से क्रूरता पर मुस्लिम देशों की चुप्पी
नवाज़ शरीफ़ और बिलावल भुट्टो के बीच लंदन में हुई मुलाक़ात में क्या बात हुई?
पश्चिम एशिया की स्थिति
बासित कहते हैं, "बड़ी संख्या में भारतीय खाड़ी के देशों में काम करते हैं. इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन दोनों देशों के आर्थिक हित टकरा सकते हैं. चीन अगर खाड़ी के देशों में सैन्य मौजूदगी बढ़ाएगा तो भारत के लिए चिंता की बात होगी. मध्य-पूर्व में चीन की मौजूदगी कोई नई नहीं है लेकिन यह मौजूदगी लगातार मजबूत हो रही है."
खाड़ी के कई देशों में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद कहते हैं कि पश्चिम एशिया में स्थिति बदल चुकी है. वह कहते हैं कि बदलाव आ चुका है क्योंकि अमेरिका पर लोगों का भरोसा कम हुआ है और चीन ने इन इलाक़ों में 30 साल पहले जो अपनी दस्तक दी थी वह बहुत ही मज़बूत स्थिति में है.
तलमीज़ अहमद कहते हैं, "हालत यहाँ तक पहुँच चुकी है कि सऊदी अरब और यूएई के नेता राष्ट्रपति बाइडन से बात तक करने के लिए तैयार नहीं हैं. ये वही बाइडन हैं, जिन्होंने सत्ता में आते ही कहा था कि वह केवल अपने समकक्षों से बात करेंगे. लेकिन जब ज़रूरत पड़ी तो अपनी ही कही बात से मुकर गए और क्राउन प्रिंस से बात करने का फ़ैसला किया लेकिन क्राउन प्रिंस ने बात करने से इनकार कर दिया. यह बाइडन की नीति की नाकामी ही है. अमेरिका पश्चिम एशिया में अपना भरोसा खो चुका है और चीन उसकी जगह लेता दिख रहा है."
जो बाइडन
तलमीज़ अहमद कहते हैं, "चीन की बेल्ट रोड परियोजना में खाड़ी के सभी देशों की दिलचस्पी है. यहाँ तक कि ईरान और सऊदी भी इस मामले में अपना मतभेद किनारे रखते हुए दिख रहे हैं. यूक्रेन के मामले में भी पश्चिम एशिया के देश अमेरिका के पीछे नहीं हैं. यहाँ तक कि यूएई जैसा क़रीबी पार्टनर भी दो मौक़ों पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग से बाहर रहा. इन देशों को पता है कि रूस और चीन लोकतंत्र या मानवाधिकार के नाम पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इसके अलावा चीन और रूस की विदेश में एक किस्म की निरंतरता भी है. दूसरी तरफ़ अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सत्ता में आते ही कई चीज़ें बदल जाती हैं."
रूस और चीन में जिस तरह की सत्ता है, खाड़ी के इस्लामिक देशों में भी उसकी तरह की सरकारें हैं. लंबे समय से सत्ता एक परिवार या धार्मिक नेताओं के हाथ में रहती है. ऐसे में यहाँ के इस्लामिक देशों के यह चिंता नहीं रहती है कि लोकतंत्र या मानवाधिकार को लेकर संबंधों में कोई कड़वाहट नहीं आएगी.
चीन के लिए ऊर्जा ज़रूरतें पश्चिम एशिया से पूरी हो रही हैं और यहाँ के देश अपनी प्रगति में चीन निवेश को हाथोहाथ ले रहे हैं.
ऐसे में कहा जा रहा है कि इस्लामिक देशों और चीन का गठजोड़ आपसी हितों पर जुड़ा है और यह ईरान जैसे मुल्क के लिए अमेरिका के ख़िलाफ़ एक माकूल विकल्प है.' (bbc.com)
-इकबाल अहमद
शहबाज़ शरीफ़ के प्रधानमंत्री बनने और उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद सबसे ज़्यादा इसी बात पर चर्चा हो रही थी कि आख़िर बिलावल भुट्टो शहबाज़ शरीफ़ की कैबिनेट में शामिल क्यों नहीं हुए. लेकिन अब लगता है कि अटकलों का बाज़ार जल्द बंद हो जाएगा.
अख़बार जंग के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार क़मर ज़मान कायरा ने कहा है कि अगले एक-दो दिन में बिलावल भुट्टो मंत्री पद की शपथ लेंगे और वो विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालेंगे.
शहबाज़ शरीफ़ की कैबिनेट में फ़िलहाल कोई भी विदेश मंत्री नहीं है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की ही हिना रब्बानी खार को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया है.
अख़बार जंग के अनुसार बिलावल भुट्टो लंदन में नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात के बाद पाकिस्तान वापस लौट गए हैं. लंदन में बिलावल भुट्टो ने नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात की थी और नवाज़ शरीफ़ के ज़रिए दिए गए इफ़्तार पार्टी में भी शामिल हुए थे. इस दौरान दोनों के बीच पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक हालात पर बातचीत हुई थी. (bbc.com)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़ गुट) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर हमला करते हुए कहा कि वो जल्द चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान के संवैधानिक संस्थानों पर हमले कर रहे हैं.
इमरान ख़ान की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए मरियम नवाज़ ने ट्विटर का सहारा लिया.
उन्होंने ट्वीट किया, "संस्थानों पर हमले और घेराव का सबक़ भी जल्द चुनाव कराने के लिए दबाव बढ़ाने का हथकंडा है. कान खोलकर सुन लें, आपकी गुंडागर्दी और धमकियां अब आपकी अपनी तबाही का कारण बनेंगी. अपनी सरकार ना संभाल सके, अपनी पार्टी ना संभाल सके और बातें सुन लो. आपका खेल हमेशा के लिए ख़त्म. इंशाअल्लाह."
मरियम नवाज़ ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग पर इमरान ख़ान इसलिए हमले कर रहे हैं क्योंकि इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी फ़ंडिंग के पक्के सबूत मिल चुके हैं. (bbc.com)
इससे पहले शनिवार शाम को पत्रकारों से बात करते हुए इमरान ख़ान ने कहा था कि चुनाव आयुक्त को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी को चुनाव आयुक्त पर भरोसा नहीं है.
इस दौरान उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिकी साज़िश का फिर एक दफ़ा आरोप लगाते हुए इमरान ख़ान ने कहा कि मुल्क के ख़िलाफ़ इतनी बड़ी घटना हुई है कि सुप्रीम कोर्ट को खुली अदालत में इसकी जाँच करनी चाहिए.
अख़बार जंग के अनुसार इमरान ख़ान ने कहा कि लंदन में बैठे नवाज़ शरीफ़ ने दूसरे देश के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की साज़िश रची जिसमें आसिफ़ अली ज़रदारी और शहबाज़ शरीफ़ भी शामिल थे.
इमरान ख़ान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में जो भी बात कही गई उससे साबित होता है कि इस बारे में वो जो कह रहे थे वह सब सही था.
हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा गया है कि इमरान ख़ान की सरकार को गिराने के लिए कोई भी साज़िश नहीं रची गई थी.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि अगर आज संस्थाएं देश की आज़ादी के लिए खड़ी नहीं होंगी तो नागरिकों के बच्चों का भविष्य भी ख़तरे में होगा.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के सभी संगठनों को निचली स्तर तक यह संदेश भेज दिया है कि वो असली आज़ादी के लिए राजधानी इस्लामाबाद की तरफ़ मार्च की तैयारी करें.
इमरान ने यह तो नहीं बताया कि वो इस्लामाबाद मार्च कब शुरू करेंगे लेकिन इतना ज़रूर कहा कि वो जल्द ही इसकी तारीख़ की घोषणा करेंगे.
पाकिस्तान के एक धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराज-उल-हक़ ने कहा है कि अगर देश में जारी राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए चुनाव का रास्ता नहीं अपनाया गया तो पाकिस्तान में गृह युद्ध की आशंका है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार जमात-ए-इस्लामी प्रमुख ने कहा कि चुनाव सुधार और जल्द चुनाव कराने के लिए सभी पार्टियों को मिल कर बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों पर भारी ज़िम्मेदारी है कि वो इस हादसे से बचें और देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालें. (bbc.com)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान ने शनिवार को इस्लामाबाद में बनी गाला के अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने सभी संगठनों तक यह संदेश दे दिया है कि इस्लामाबाद की ओर ‘सच्ची आज़ादी’ के लिए मार्च की तैयारी करें.
उन्होंने इस मार्च की तारीख़ की घोषणा नहीं कि हालांकि उन्होंने कहा कि वो जल्द ही मार्च का आह्वान करेंगे.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान इमरान ख़ान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि देश के ख़िलाफ़ ‘इतनी बड़ी घटना’ हुई है, उसकी जांच खुली अदालत में हो.
उन्होंने कहा कि अगर आज हमारे संगठन इस देश की ख़ुद्दारी और आज़ादी के साथ नहीं खड़े होंगे तो हमारे बच्चों के भविष्य भी ख़तरे में होंगे.
इसके अलाव इमरान ख़ान ने देश के चुनाव आयुक्त के इस्तीफ़े की भी मांग की. (bbc.com)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने घोषणा की है कि रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन राजधानी कीएव के दौरे पर आएंगे.
वो अब तक के सबसे वरिष्ठ अमेरिकी नेता हैं जो जंग शुरू होने के बाद यूक्रेन आ रहे हैं.
ज़ेलेंस्की ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि वे किसी न किसी साज़ो-सामान के साथ उन्हें समर्थन देने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कम से कम पांच हज़ार बच्चों समेत पांच लाख से अधिक लोगों को रूस के क़ब्ज़े वाले यूक्रेन के हिस्सों से रूसी क्षेत्रों में निर्वासित किया गया है.
वहीं, ज़ेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश पर निशाना साधा है. दरअसल गुटेरेश कीएव के दौरे से पहले मंगलवार को मॉस्को में व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात करने पर राज़ी हुए हैं.
ज़ेलेंस्की का कहना है कि गुटेरेश को पुतिन से मिलने से पहले यूक्रेन आकर यहां के ज़मीनी हालात देखने चाहिए.
ज़ेलेंस्की ने कीएव सबवे स्टेशन में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ तक़रीबन तीन घंटे तक ये सारी बातचीत की है. (bbc.com)
अंकारा, 24 अप्रैल। तुर्की के राजदूत ने कहा कि अंकारा ने अपना हवाई क्षेत्र रूस के आम नागरिकों और सौनिकों के लिए बंद कर दिया है।
राजदूत मेवलट कावूसोग्लू ने उरुग्वे की यात्रा के दौरान तुर्की के पत्रकारों के एक समूह को बताया कि रूसी उड़ानों को सीरिया तक जाने के लिए तुर्की के हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति अप्रैल तक थी।
वहीं एक टेलीवीजिन रिपोर्ट के अनुसार, कावूसोग्लू ने शनिवार को कहा कि उन्होंने मार्च में मॉस्को की यात्रा के दौरान उससे हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया था और रूस ने तुर्की के इस अनुरोध को मान लिया था।
राजदूत ने इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी नहीं दी और अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या यह कदम कथित तौर पर सीरियाई लड़ाकों को रूस भेजे जाने से रोकने के लिए उठाया गया है।
गौरतलब है कि तुर्की उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य है और रूस तथा यूक्रेन के साथ अपने निकट संबंधों के बीच संतुलन बैठाने की कोशिश कर रहा है। तुर्की रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन उसने कुछ रूसी युद्धपोतों के लिए काले सागर में प्रवेश के मार्ग को बंद कर दिया था।
तुर्की ने रूस और यूक्रेन के विदेश मंत्रियों के बीच एक बैठक भी कराई थी। साथ ही दोनों देशों के वार्ताकारों के बीच बातचीत में भी मदद की थी। (एपी)