राष्ट्रीय
-Sandhya Sekar
बंदर की एक प्रजाति बोनट मकाक ने भीख मांगने के तरीके सीख लिए हैं। इन्हें बांदीपुर टाइगर रिजर्व में आए पर्यटकों के सामने हाथ फैलाकर खाने की चीजें मांगते देखा जा सकता है।
छोटे बंदर खाने-पीने की चीजें मांगते हैं, जबकि बड़े बंदर पर्यटकों को डराकर चीजें झपट लेते हैं। मांगने के लिए ये बंदर बड़ी मासूमियत से लोगों की नजरों में देखते हैं और हाथ फैलाते हैं।
बोनट मकाक पर्यटकों पर दूर से निगरानी रखते हैं और जैसे ही खाने के साथ कोई पर्यटक दिखता है, ये अपने काम पर लग जाते हैं।
विज्ञान की भाषा में जानवरों के इस व्यव्हार को इंटेशनल कम्यूनिकेशन कहा जाता है। एक शोध में पहली बार इस व्यवहार के बारे में जानकारी इकट्ठी की गई है। जंगली जानवरों और इंसानों के बीच इस संवाद को काफी दुर्लभ श्रेणी का माना जा रहा है।
कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों और यहां पाए जाने वाले बोनट मकाक यानी बंदर की एक विशेष प्रजाति के बीच नोंकझोंक रोज की बात हो गई है।
हालांकि, पर्यटन स्थल पर बंदर और इंसानों के बीच खाने को लेकर खींचतान कोई नई बात नहीं है, लेकिन बांदीपुर टाइगर रिजर्व में इन दिनों कुछ अनोखा घट रहा है। बड़े बंदर मौका पाते ही सामान छीन लेते हैं, लेकिन यहां मौजूद कुछ बंदरों ने हाथ फैलाकर खाने की चीजें मांगना सीख लिया है। वे अपने हाव-भाव से खुद को मासूम दिखाकर उन पर्यटकों के सामने हाथ फैलाते हैं जिनके हाथ में खाने-पीने की कोई चीज हो।
बोनट मकाक बंदरों की एक प्रजाति है जो कि दक्षिण भारत के जंगलों में बहुतायत में पाई जाती है। इसे बंदरों के, विश्व-स्तर पर, सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक माना जाता है।
पर्यटकों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए बंदर उनकी आंखों में देखते हैं और नजर मिलते ही हाथ फैला देते हैं। अगर कोई वहां से निकलना चाहे तो बंदर अपने हाव-भाव से सुनिश्चित करते हैं कि वे पर्यटकों की नजर के सामने बार-बार आएं।
“जंगल में रहने वाले बंदरों के लिए हाथ फैलाकर मांगना बिल्कुल एक नई बात लगती है। लोगों ने पालतू बंदर को अपने मालिको के साथ ऐसा व्यवहार करते तो देखा है, लेकिन वे बंदर बंधे होते हैँ। खुले जंगल में विचरने वाले बंदरों में यह एक नई बात है,” अनिन्द्या सिन्हा कहती हैं जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज में बतौर प्रोफेसर कार्यरत हैं। जानवरों के इस स्वभाव को लेकर उन्होंने दूसरे विशेषज्ञों के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है।
चार महीने चले इस अध्ययन में सिन्हा के साथ अद्वेत देशपांडे और श्रीजाता गुप्ता ने बोनट मकाक बंदरों के दो समूहों को काफी नजदीक से देखा। यह बंदर टाइगर रिजर्व के रिसेप्शन के आसपास रहते हैं। रिजर्व में यहां रहने वाले बंदर अपेक्षाकृत इंसानों को अधिक करीब से देखते हैं। देशपांडे ने अपने अध्ययन के दौरान कम से कम 86 ऐसे मौके देखे जब कोई बंदर किसी पर्यटक से संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहा था।
बोनट मकाक बंदर के अलग-अलग रूप
बंदरों का स्वभाव देखने के लिए सिन्हा ने अपनी टीम से साथ बंदरों के 30 टोलियों पर नजर रखी। उन्होंने तकरीबन 1800 लोगों के साथ बंदरों का संवाद गौर से देखा। इस अध्ययन को मैसूर ऊंटी हाइवे पर पिछले 18 वर्षों से किया जा रहा है।
अध्ययनकर्ताओं ने बंदरों के अलग-अलग रूपों को देखा जिसमें खाना मांगने के स्वभाव में चार संकेत शामिल हैं। सबसे पहले ये खाने के लिए हाथ फैलाते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति बंदरों में पहली बार देखी जा रही है।
दूसरे व्यवहार में देखा गया कि ये बंदर इंसान को देखकर कू-कू की आवाज निकालते हैं। इस संकेत का साफ अर्थ नहीं निकाला जा सका है, लेकिन संभवतः ये आवाज इंसानों का ध्यान खींचने के लिए लगाया जाता होगा। अध्ययनकर्ता यह भी अनुमान लगाते हैं कि बंदर अपना उत्साह बनाए रखने के लिए भी ऐसी आवाजें निकालते होंगे।
तीसरा प्रमुख व्यवहार बंदरों का इंसानों की नजर के सामने बने रहना है। हाथ फैलाकर मांगते समय बंदरों की कोशिश रहती है कि इंसान जिधर देखे वह उसी तरफ खड़े हो जाते हैं।
इसके अलावा, वे ऐसा इंसानों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए करते हैं। जबतक खाना न मिल जाए वे इंसानों के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं।
मांगने की प्रवृत्ति सिर्फ छोटे बंदरों में पाई गई। इसके पीछे की वजहों के बारे में अध्ययनकर्ता मानते हैं कि इंसानों से छोटे बंदरों को बड़ों की अपेक्षा अधिक डर लगता है। खाने के लालच में वे छीनने के बजाए मांगने वाला रास्ता अपनाने लगे हैं।
हालांकि, अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कम उम्र के हर बंदर में मांगने की प्रवृत्ति नहीं है।
बंदरों के व्यवहार को अधिक गहराई से समझने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने वॉलेंटियर की मदद से कई प्रयोग किए। कई बार वॉलेंटियर खाने के साथ बंदरों के पास से गुजरे और उनके व्यवहार का अध्ययन किया। हालांकि, बंदरों को उन्होंने खाना नहीं दिया। वन्य जीवों को इंसानों का खाना देने से उनमें कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिससे उनका जीवनकाल भी छोटा हो सकता है।
इस प्रयोग में देखा गया कि बंदर से नजर मिलाने के बाद वे हाथ आगे बढ़ाकर खाना मांगने लगते हैं।
“कू-कू की आवाज बंदर हर उस इंसान को देखकर लगाते हैं जिसके हाथ में खाने का कोई सामान हो,” सिन्हा ने बताया।
फ्रांस की लॉज़ेन विश्वविद्यालय के शेर्लोट कैंनेलौप बताते हैं कि इस तरह संवाद करने की क्षमता हासिल करने की वजह से जानवर इंसान तक संकेत के जरिए अपनी बात पहुंचा पाते हैं जिसकी वजह से उन्हें खाने के लिए काफी कुछ मिल जाता है। “सीखने की प्रक्रिया में जानवरों का इंसानों के साथ पुराना अनुभव काम आता है। जैसे कभी किसी इंसान ने किसी भाव को देखकर उन्हें खाने को दे दिया होगा, तब से वे इसे दोहराने लगे और इस क्रम में सीखते गए,” वह कहते हैं।
आखिर बंदरो ने कैसे सीखे ये सब इशारे
अफ्रिका के लंगूर कू-कू की आवाज निकालते हुए सुने गए हैं लेकिन बोनट मकाक इंसानों से सामने यह आवाज निकालता है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया।
“जब लंगूर अपनी टोली से दूर हो जाता है तो ऐसी आवाज निकालकर सहायता मांगता है। बोनट मकाक पहली बार खाना मांगने के लिए इस आवाज का प्रयोग कर रहे हैं,” सिन्हा कहती हैं।
हाथ फैलाने की प्रवृत्ति को लेकर सिन्हा का मानना है कि ऐसा बंदरों ने आपस में कभी नहीं किया। खाना बांटने के लिए भी नहीं। हालांकि, शोधकर्ताओं को लगता है कि यह तरीका उन्होंने इंसानों को देखकर सीखा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (एनआईएएस) की जीवविज्ञानी सिन्धु राधाकृष्णा मानती हैं कि बंदर आमतौर पर इंसानों को डराते हैं ताकि वे खाना फेंक दें। इसी तरह नन्हे बंदरों ने खाना पाने का यह तरीका खोज निकाला होगा।
बांदीपुर में ही क्यों ऐसा करते हैं बोनट मकाक
सिन्हा का मानना है कि सिर्फ बांदीपुर ही नहीं बल्कि दूसरे स्थानों पर भी बोनट मकाक में ऐसी प्रवृत्तियां पाई जाती होंगी।
अध्ययन के प्रकाशित होने के बाद अध्ययनकर्ताओं को दूसरे स्थानों पर भी बंदरों के ऐसे व्यवहार की सूचनाएं मिलीं।
गुवाहाटी स्थित कॉटन कॉलेज के प्रोफेसर राधाकृष्णा और वारायण शर्मा बताते हैं, “हमें अनुमान है कि बंदरों में यह प्रवृत्ति किसी न किसी रूप में देश के कई और इलाकों में होंगी।”
सिन्हा ने बोनट मकाक के इस व्यवहार को इंटेशनल कम्यूनिकेशन की संज्ञा दी है। इस शोध में पहली बार इस व्यवहार के बारे में जानकारी इकट्ठी की गई है। जंगली जानवरों और इंसानों के बीच इस संवाद को काफी दुर्लभ श्रेणी का मान सकते हैं।
नोट- कृपया जंगली जीवों को भोजन न दें। कई शोध में सामने आया है कि इंसानों का ऐसा भोजन देना जंगली जीवों के जीवन काल कम कर सकता है। इस खाने से उनके भीतर आक्रात्मकता बढ़ती है। जंगली जीवों के लिए जंगल में प्राकृतिक रूप से मौजूद खाना ही सबसे अच्छा होता है। इस अध्ययन के दौरान भी किसी जंगली जीव को अध्ययनकर्ताओं ने खाने की चीजें नहीं दीं । (hindi.mongabay.com)
देवास. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देवास में आयोजित आमसभा के दौरान एक शख्स ने खुद को किसान बताकर अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर और पीकर आत्मदाह करने का प्रयास किया. पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगदीश डावर ने बताया कि आयोजन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उस व्यक्ति को माचिस जलाने से पहले पकड़ लिया और हिरासत में लेकर उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया.
डावर ने बताया कि आत्महत्या का प्रयास करने वाले 48 वर्षीय व्यक्ति की पहचान देवास जिले के थाना पीपलरावां के कुमारिया गांव निवासी अनूप सिंह हाड़ा के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि अनूप हाड़ा और इसके बच्चों के खिलाफ अलग-अलग थानों में कई मामले दर्ज हैं. साथ ही उस पर इनाम भी घोषित है.
उन्होंने कहा कि सीहोर जिले के जावर थाने की पुलिस ट्रैक्टर चोरी के मामले की जांच के दौरान अनूप हाड़ा के तीन ट्रैक्टरों को संदिग्ध मानकर उठाकर ले गई थी. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर इसने पुलिस पर जबरन तीन ट्रैक्टर उठाकर ले जाने का आरोप लगाया है. बुधवार को मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए इसने उनकी सभा में मिट्टी का तेल पीकर और स्वयं पर उसे डालकर खुद को आग लगाने का प्रयास किया.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस इस व्यक्ति को हिरासत में लेकर अस्पताल में उसका उपचार करा रही है. पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है.
बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बुधवार को देवास में थे. उन्होंने यहां विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया. साथ ही सीएम ने यहां आमसभा को भी संबोधित किया. (भाषा से इनपुट)
गुवाहाटी, 28 जनवरी| असम की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को घोषणा की कि वह मौजूदा सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के बजाय अपने नए सहयोगी युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ गठबंधन कर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने असम गण परिषद (एजीपी) के साथ 2016 के बाद से एक साथ असम सत्तारूढ़ होने के बावजूद दिसंबर में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) चुनाव में बीपीएफ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बीपीएफ के सर्वानंद सोनोवाल सरकार में तीन मंत्री हैं।
भूटान और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे उदलगुड़ी में एक सभा को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के वित्त और स्वास्थ्य मंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी पार्टी ने यूपीपीएल के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है ।
सरमा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नई दिल्ली में 27 जनवरी, 2020 को केंद्र सरकार के साथ बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित रैली में कहा, हम फरवरी में यूपीएल के साथ सीटों के बंटवारे की घोषणा करेंगे।
भाजपा ने बुधवार को भी पार्टी घोषणापत्र के लिए जनता की राय लेने के लिए मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई।
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष रंजीत कुमार दास, सरमा और गुवाहाटी की सांसद महारानी ओजा की मौजूदगी में वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि 50 वैन सभी 126 विधानसभा क्षेत्रों में यात्रा कर जनता से जानकारी मांगेंगी।
असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने की संभावना है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 27 जनवरी| हरियाणा सरकार ने बुधवार को दिल्ली से सटे सोनीपत, पलवल और झज्जर जिलों में वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर दूरसंचार और सभी एसएमएस सेवाओं को 28 जनवरी को निवारक उपाय के तौर पर शाम 5 बजे तक बढ़ा दिया। मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा को देखते हुए यह आदेश जारी किया गया।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य ने मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुष्प्रचार और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का विस्तार करने का फैसला किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 जनवरी| किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हंगामा, पुलिसकर्मियों के साथ झड़प, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाए जाने और लालकिले पर धार्मिक झंडा फहराए जाने के अगले दिन आम आदमी पार्टी (आप) ने इन घटनाओं की निंदा करते हुए इसके लिए केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। दिल्ली के विधायक और पार्टी के पंजाब प्रभारी राघव चड्ढा ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, कल हम सभी ने देखा कि दिल्ली में क्या हुआ और सबसे महत्वपूर्ण लाल किले पर। हमने हिंसा की निंदा की है और आगे ऐसा नहीं होना चाहिए।
हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि कथित तौर पर धार्मिक झंडा फहराते पकड़े गए व्यक्ति दीप सिद्धू भाजपा के हैं। उन्होंने कहा, कल की हिंसा के मास्टरमाइंड दीप सिद्धू का पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से गहरा संबंध है।
उन्होंने दावा किया कि आप यह साबित करेगी कि इस पूरी घटना के पीछे प्रधानमंत्री और कुछ केंद्रीय एजेंसियों का हाथ था, क्योंकि उन्होंने अभिनेता से राजनेता बने सनी देओल (गुरदासपुर से भाजपा सांसद) के साथ दीप सिद्धू की तस्वीर दिखाई थी।
चड्ढा ने आरोप लगाया, यह प्रधानमंत्री आवास पर ली गई तस्वीर है जो एक ऐसी जगह है, जहां कोई भी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता।
चड्ढा ने किसानों के विरोध के वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन फार्म कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण किसानों के विरोध प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए हिंसा भड़काई गई और इसके लिए भाजपा पूरी तरह जिम्मेदार है।
आप नेता ने कहा, "बीजेपी को इस बात का खुलासा करना चाहिए कि वह दीप सिद्धू को क्यों बचा रही है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| दिल्ली के दौरा कर बुधवार को वापस जाते समय महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिल्ली मेट्रो की सवारी कर एयरपोर्ट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार पर निशाना भी साधा। फडणवीस ने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंटकर महाराष्ट्र के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जब इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट वापस जाना था तो उन्होंने गाड़ी से जाने की जगह दिल्ली मेट्रो की सवारी की। नई दिल्ली से एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पकड़कर एयरपोर्ट पहुंचे। फिर यहां से फ्लाइट पकड़कर मुंबई रवाना हो गए।
देवेंद्र फडणवीस ने मेट्रो के अनुभव को लेकर कहा, आज एयरपोर्ट जाने के लिए दिल्ली मेट्रो की सवारी की। सड़क मार्ग की तुलना में मेट्रो से मैं जल्दी पहुंचा। कारशेड मामले पर महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा की गई गड़बड़ी को ध्यान में रखते हुए मैं नहीं जानता कि कब मुंबई में मेट्रो से एयरपोर्ट तक पहुंचूंगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 जनवरी | दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कांग्रेस और राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि हिंसा की निंदा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। लालकिले पर हुई घटना को लेकर उन्होंने कहा कि देश तिरंगे का अपमान नहीं भूलेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक तरह से कभी-कभी लगता है कि ये लोग जो चुनाव में पराजित हुए हैं, वो सब इकट्ठा होकर देश में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावडेकर ने बुधवार को भाजपा मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, कल हुए दिल्ली दंगों की निंदा करना पर्याप्त नहीं है, जिसने भी इसे प्रेरित किया, उसे दंडित किया जाना चाहिए। भारत तिरंगे का अपमान नहीं भूलेगा। कांग्रेस ने लगातार इन किसानों के विरोध प्रदर्शन को हवा दी है।
उन्होंने कहा, राहुल गांधी लगातार केवल समर्थन ही नहीं कर रहे थे, बल्कि उकसा भी रहे थे। सीएए को लेकर ऐसा ही किया था। सड़क पर आने को वो उकसाते हैं और दूसरे दिन से सड़क पर आंदोलन शुरू होता है। कांग्रेस की सरकार ने जानबूझ कर किसानों को उकसाया, कल के यूथ कांग्रेस और कांग्रेस से संबंधित संस्थाओं के ट्वीट भी प्रमाण हैं।
जावडेकर ने कहा कि कांग्रेस हताश और निराश है, चुनाव में हार रहे हैं, कम्युनिस्टों की भी वही हालत है। इसलिए पश्चिम बंगाल में नई दोस्ती का रिश्ता ढूंढ रहे हैं। कांग्रेस किसी भी तरह से देश में अशांति फैलाना चाहती है। लगातार भाजपा और विशेषकर मोदी जी की लोकप्रियता और सफलता लगातार बढ़ रही है। कांग्रेस और कम्युनिस्टों की घट रही है। उनको चिंता परिवार राज की है, जिसको लोगों ने नकार दिया है।
उन्होंने किसान आंदोलन को सुलझाने के लिए सरकार के प्रयासों को लेकर कहा कि सरकार 11 राउंड वार्ता कर चुकी है। साल-डेढ़ साल कानून रोकने, स्थगित करने की भी तैयारी दिखाई है। चर्चा के लिए बुलाया, हर बिंदु पर चर्चा करके दिखाइए कि किसानों का कौन सा अधिकार इन कानूनों से कम हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एमएसपी, मंडी, मालिकाना हक को कोई दिक्कत नहीं पहुंची है, सब जारी रहेगा, ये मालूम है इनको। इन कानूनों से किसान को विकल्प देने का प्रयास है। ये कांग्रेस भी समझती है, लेकिन समझौता होने नहीं देना चाहती है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 27 जनवरी | उत्तर प्रदेश में लगे 12 लाख स्मार्ट मीटर हटाने की मांग अब तेज होने लगी है। बुधवार को विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर स्मार्ट मीटर हटवाने की मांग की है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिना यूजर एक्सेप्टेंस टेस्ट के पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाए गए। जबकि मानकों के मुताबिक बिना यूएटी के मीटर लगवाए नहीं जा सकते हैं। ऊर्जा मंत्री के साथ मुलाकात के दौरान परिषद अध्यक्ष ने कहा कि स्मार्ट मीटर में तमाम शिकायतें मिलने और एसटीएफ की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी किसी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। परिषद ने मांग उठाई कि 12 लाख स्मार्ट मीटर की जगह पर क्वालिटी बेस मीटर लगाए जाएं। मुलाकात के दौरान ऊर्जा मंत्री ने भरोसा दिलाया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि एसटीएफ की जांच रिपोर्ट का भी परीक्षण चल रहा है।
हाल ही में 73 स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत की गई। जिसमें से 9 स्मार्ट मीटर तेज चलते पाए गए। वहीं एक मीटर भार जंपिंग में पाया गया। यानि 10 स्मार्ट मीटर गड़बड़ पाए गए। यानि करीब 13 प्रतिशत मीटर तेज चलते पाए गए। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि यह गंभीर मामला है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि स्मार्ट मीटर को लेकर लिए गए फीडबैक में भी 70 से 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने निगेटिव फीडबैक दिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के सांसद जसबीर सिंह गिल डिंपा ने कहा, "क्या किसी ने दीप सिद्धू या लक्खा सिद्धाना के खिलाफ कोई मामला दर्ज होते देखा है।"
यह आरोप है कि दीप सिद्धू नई दिल्ली के लाल किले में प्रवेश करने वाले किसानों के समूह में शामिल था।
अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कारों में सवार सैकड़ों किसान मंगलवार दोपहर को लालकिले मेंराष्ट्रीय ध्वज, किसान संघ के झंडे अपने हाथों में लिए प्रवेश कर गए थे।
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा अब तक 22 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हिंसा के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "किसानों ने 15 से अधिक व्यक्तियों को पुलिस को सौंप दिया है जिन्होंने हिंसा शुरू की थी, और वे सरकारी पहचान पत्र रखने वाले पाए गए। यह शांतिपूर्ण आंदोलन की छवि धूमिल करने की एक साजिश है।
सिंह ने सवाल किया कि पुलिस ने मार्गो को तय करने के बावजूद बैरिकेड क्यों लगाए।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है और यह अच्छा है कि आंदोलनकारी किसानों ने उन लोगों से खुद को दूर कर लिया है, जो गुंडागर्दी में शामिल थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली,27 जनवरी| दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा पर गृह मंत्रालय एक्शन मोड में है। गृहमंत्री अमित शाह ने घटना के अगले दिन बुधवार को एक बार फिर उच्चस्तरीय बैठक लेकर राजधानी में कानून-व्यवस्था की समीक्षा की। गृहमंत्री ने संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा बढ़ाने के जहां निर्देश दिए, वहीं हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ तेज गति से एक्शन लेने को कहा। गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर बुधवार को दोपहर एक बजे से शुरू हुई उच्चस्तरीय बैठक एक घंटे से ज्यादा समय तक चली। जिसमें गृहमंत्रालय के आला अफसरों के अलावा इंटेलीजेंस ब्यूरो(आईबी) के निदेशक भी शामिल हुए। इस बैठक में आला अफसरों ने गणतंत्र दिवस पर हिंसा होने से लेकर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा गृहमंत्री के सामने पेश किया। अफसरों ने आंदोलनकारी किसानों पर परेड के लिए निर्धारित रूट की शर्तो का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में राजधानी में पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती पर चर्चा हुई। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अपनी तैयारियों से गृहमंत्री को अवगत कराया। बैठक में तय हुआ कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि भविष्य मे कोई इस तरह की हिंसा करने का दुस्साहस न करे। सीसीटीवी फुटेज के जरिए हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करने के निर्देश जारी हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दिल्ली पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव को हटाने की मांग की गई है। याचिका में साथ ही आंदोलनकारी किसानों को नियंत्रण करने के दौरान अपनी ड्यूटी नहीं निभाने वाले पुलिसकर्मियों को सजा देने की भी मांग की गई है। धनंजय जैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार और पुलिस प्रभावी तरीके से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रहे।
याचिका में कहा गया है कि "यह पूरी तरह से शर्म की बात है कि दिल्ली की सशस्त्र पुलिस प्रदर्शनकारियोंद्वारा पीछा किए जाने, धमकाने और पिटाई करने की स्थिति में दिखाई दे रही थी।"
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि लाल किले पर तैनात पुलिस कर्मियों को पुलिस आयुक्त द्वारा समय पर निर्णय नहीं लेने के कारण उनके हाल में छोड़ दिया गया था।
याचिका के अनुसार, "कानून और व्यवस्था बनाए रखना दिल्ली पुलिस की प्रमुख जिम्मेदारी है जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण में है, लेकिन दोनों उस कर्तव्य के निर्वहन में बुरी तरह विफल रहे हैं।"
अन्य अनुरोधों के बीच, जैन ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को उनके पद से हटाने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने वाले सभी पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 27 जनवरी| दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) को निशाना बनाकर किए गए आईईडी विस्फोट में सेना का एक जवान शहीद हो गया और तीन अन्य सैनिक घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि कुलगाम के सुभानपोरा इलाके में आईईडी विस्फोट हुआ।
पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कम शक्ति वाले विस्फोटक और बॉल बेयरिंग के साथ एक अल्पविकसित आईईडी को स्कूल परिसर के अंदर एक खाली इमारत में लगाया गया था, जहां सेना के जवान नियमित रूप से विजिट करते थे।
पुलिस ने कहा, "आईईडी को संभवत: रात में आतंकवादियों द्वारा लगाया गया था। इस घटना में, 24 आरआर के चार जवान घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया गया। घायलों में से एक जवान को बचाया नहीं जा सका।"
पुलिस ने कहा, "इलाके को चारों ओर से घेर लिया गया है और तलाशी चल रही है।" (आईएएनएस)
आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में शिक्षक पुरुषोत्तम नायक और उनकी पत्नी ने कथित रूप से अंधविश्वास का शिकार होकर अपनी दो युवा बेटियों की हत्या कर दी. चित्तूर ज़िले की मदनपल्ली पुलिस ने अभियोगी माँ-बाप को हिरासत में लेकर मामले की जाँच शुरू कर दी है.
इस मामले में मृत लड़की साईं दिव्या की सोशल मीडिया पोस्ट्स को अहम सबूत के रूप में देखा जा रहा है.
साईं दिव्या ने अपनी मौत से तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर लिखा- "शिव आ गये हैं, काम पूरा हुआ."
इस पोस्ट ने पुलिसवालों के कान खड़े कर दिए हैं. शुरुआती जाँच में पता चला है कि पिछले एक हफ़्ते से पहले साईं दिव्या का व्यवहार काफ़ी अजीब था.
इसके साथ ही पुलिस को जानकारी मिली है कि हाल ही में कुछ बाहरी लोग इनके घर पर आए थे. इस मामले में सीसीटीवी फ़ुटेज हासिल की गई है और फ़ुटेज में नज़र आए सभी लोगों से पूछताछ करने की कोशिश की जा रही है.
आख़िर क्या है मामला?
चित्तूर ज़िले के ग्रामीण इलाक़े मदनपल्ली में रहने वाले पुरुषोत्तम नायडु पेशे से सरकारी महिला डिग्री कॉलेज में उप-प्रधानाचार्य हैं.
वहीं, उनकी पत्नी पद्मजा भी प्रिंसिपल के रूप में काम करती हैं और एक निजी शिक्षण संस्थान की संवाददाता हैं.
इनकी 27 और 22 साल की दो बेटियां थीं जिनके नाम अलेख्या और साईं दिव्या थे.
बड़ी बेटी अलेख्या ने भोपाल स्थित इंडियन मैनेजमेंट ऑफ़ इंडियन फ़ॉरेस्ट सर्विस से परास्नातक की पढ़ाई की थी.
छोटी बेटी ने बीबीए की पढ़ाई की थी और एआर रहमान संगीत अकादमी में संगीत की पढ़ाई कर रही थी.
ये परिवार बीते साल अगस्त महीने में ही अपने नए घर में शिफ़्ट हुआ था. स्थानीय लोगों की मानें तो पुरुषोत्तम और पद्मजा का परिवार कई तरह के अनुष्ठान किया करता था.
इस मामले में दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक़, परिवार ने रविवार रात को भी कुछ अनुष्ठान किए थे जिसके बाद अपनी छोटी बेटी साईं दिव्या को एक नुकीले त्रिशूल और बड़ी बेटी को एक डंबल से मौत के घाट उतार दिया.
यह जानकारी पिता ने स्वयं अपने साथ काम करने वाले लोगों और पुलिस को दी.
जानकारी मिलने के बाद जब तक पुलिस घटनास्थल पर पहुँची, तब तक दोनों बेटियाँ मर चुकी थीं.
इनमें से छोटी बेटी की लाश पूजाघर में और बड़ी बेटी की लाश पहली मंज़िल पर पाई गई.
पुलिस ने माँ-बाप दोनों को हिरासत में लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत मुक़दमा दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है.
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घर पर रखकर पूछताछ
पुलिस ने शुरुआती जाँच के लिए इस जोड़े को घर पर रखा हुआ है.
पुलिस का कहना है कि इनका मानसिक व्यवहार काफ़ी अजीब और अलग है. इन्होंने पुलिस को चेतावनी दी है कि उनपर दबाव ना बनाया जाये.
ऐसे में पुलिस काफ़ी सावधानी-पूर्वक जाँच करते हुए मनोवैज्ञानिकों की मदद लेने की योजना बना रही है.
पुलिस ने जाँच के दौरान सिर्फ़ क़रीबी रिश्तेदारों को ही घर में आने की इजाज़त दी है, ताकि संदिग्धों को शांत रखा जा सके.
पुलिस का कहना है कि इस जोड़े के घर में कई अजीबो ग़रीब तस्वीरें थीं, जिनमें से कुछ भगवान की तस्वीरें थीं.
दोनों लड़कियों का पोस्टमार्टम हो चुका है और जाँच टीम को अब तक इस मामले से जुड़े कई सुराग़ मिले हैं.
मेडिकल जाँच ज़रूरी
इस मामले में पुलिस ने अभियोगियों की मेडिकल जाँच कराने की योजना बनाई है.
मदनपल्ली के डीएसपी रवि मनोहर ने कहा है कि "इस परिवार ने अपने आपको एक गहरी दुनिया में उतार लिया है जो आध्यात्म और धार्मिक आस्था से कहीं आगे हैं. इन्हें लगता है कि आध्यात्म के आगे भी कुछ है. वे अब तक कह रहे हैं कि 'हमें एक दिन का समय दिया जाये. हमारे बच्चे ज़िंदा हो जाएंगे. उन्हें यहीं रखा जाए."
मनोहर ने बताया, "ये काफ़ी पढ़े-लिखे हैं. शुरुआती जाँच में पता चला है कि इन बच्चियों को डम्बल से मारा गया है. माँ-बाप में से एक मास्टर माइंड स्कूल में प्रधानाध्यापक है. वे पिछले कुछ दिनों से अपने घर में किसी को आने की इजाज़त नहीं दे रहे थे. इन्होंने कोविड लॉकडाउन के बाद से अपने नौकरों को भी घर नहीं आने दिया और जब ये हत्याएं हुईं तो सिर्फ़ घरवाले मौजूद थे."
मनोहर बताते हैं कि इस तरह के सबूत मिल रहे हैं कि इन्होंने किसी तरह का अनुष्ठान किया था, लेकिन पूरी बात पता चलने में समय लगेगा क्योंकि इस तरह के मामले की जाँच में समय लगता है. इनके सदमे से बाहर आते ही हम जाँच शुरू करेंगे.
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साईं बाबा को मानता था परिवार
स्थानीय लोगों की मानें तो ये परिवार मानसिक रूप से काफ़ी संतुलित लगता था.
परिवार के एक क़रीबी सदस्य ने बीबीसी तेलुगु से बात करते हुए कहा कि परिवार शिरडी वाले साईं बाबा को मानता था.
उन्होंने कहा, "ये काफ़ी चौंकाने वाला है. वे इस समय रो रहे हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं."
सरकारी डिग्री कॉलेज में ड्राइवर सुरेंद्र ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि "मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि पुरुषोत्तम नायडु ऐसा कर सकते हैं. मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. वे काफ़ी अनुशासन का पालन करते थे. उनका किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं था. मुझे लगता है कि इस मामले में किसी रिश्तेदार का हाथ है, ताकि वह इनकी संपत्ति हथिया सके. किसी ने उन्हें वशीभूत करके ये हिंसक काम करवाया है. नहीं तो ऐसा नहीं होता."
पुरुषोत्तम के पड़ोसियों की भी यही राय है. एक शख़्स ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर कहा, "किसी ने इन्हें ट्रांस स्टेट में पहुँचाया है. मुझे लगता है कि ये काफ़ी सोच समझकर किया गया है. इनका व्यवहार काफ़ी अच्छा था और ये लोगों की मदद किया करते थे. हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इन्होंने अपनी बेटियों को मार दिया है. हमें उनकी पहचान करनी चाहिए जिन्होंने इन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया. हमें ये जानने की ज़रूरत है कि इन्हें ऐसा करने के लिए किसने प्रेरित किया."
स्थानीय लोगों का मानना है कि पद्मजा के पास पाँच करोड़ रुपये की संपत्ति है, इसलिए शायद सगे-संबंधियों ने ये योजना बनाई हो.
पुलिस ने बताया है कि चूंकि साईं दिव्या पिछले कुछ दिनों से अजीब व्यवहार कर रही थी और धमकी दिया करती थी कि वे छत से कूद जायेंगी, इस वजह से उसके घरवालों ने कोई ख़ास अनुष्ठान करके उसका व्यवहार ठीक करने की कोशिश की. (bbc.com)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| सीबीएसई 31 जनवरी को सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी सीटीईटी परीक्षा लेने जा रहा है। रविवार को होने जा रही इस परीक्षा के लिए कोरोना नियमों के तहत सभी तैयारी कर ली गई हैं। इन परीक्षाओं के लिए देशभर में अभ्यार्थियों को एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। जिन अभ्यार्थियों ने अभी तक परीक्षा के लिए अपने एडमिट कार्ड हासिल नहीं किए हैं, वह अभी भी आधिकारिक बेवसाइट से इसे डाउनलोड कर सकते हैं। एक अहम निर्णय के तहत सीबीएसई इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले अधिकांश अभ्यर्थियों को उनके घर के नजदीक परीक्षा केंद्र आवंटित कर रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की ओर से सीटीईटी की वैधता आजीवन कर दी गई है। यह नियम तय होने के उपरांत अब सीटीईटी परीक्षा पहली बार होने जा रही है।
इस बार परीक्षा में उम्मीदवारों को कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए खास दिशा-निर्देशों का भी पालन करना होगा। इस परीक्षा के लिए 24 जनवरी से 9 मार्च 2020 तक पंजीकरण कराया गया था।
पहले यह परीक्षा पिछले वर्ष जुलाई में होनी थी। अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए 23 और शहरों में नए सीटीईटी परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। कोरोना संकट के कारण सीटीईटी परीक्षा लगातार निलंबित की जा रही थी।
सीबीएसई ने इन परीक्षाओं को लेकर विशेष दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। सीबीएसई ने अपने इन दिशा निर्देशों में कहा, "सभी अभ्यर्थियों को अनिवार्य रुप से यह बताना होगा कि वह कोरोना संक्रमित तो नहीं हैं। ऐसे अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे, जिनमें कोरोना के लक्षण हैं। मांगे जाने पर अभ्यर्थियों को अपने स्वास्थ्य से जुड़ा घोषणापत्र देना होगा।"
उम्मीदवारों को सेनिटाइजर, हैंड गलव्स, मास्क और पानी की बोतल लानी होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इस विषय पर कह चुके हैं कि कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए सीबीएसई द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित सीटीईटी परीक्षा 31 जनवरी 2021 को आयोजित की जा रही है। अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए 23 और शहरों में नए परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र के स्थान के विकल्प में सुधार का अवसर भी दिया गया है। (आईएएनएस)
-सरोज सिंह
गणतंत्र दिवस के दिन किसान नेताओं ने शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाज़त दिल्ली पुलिस से मांगी थी. लेकिन परेड शुरू होने के कुछ घंटों के अंदर अलग-अलग बॉर्डर से हिंसक तस्वीरें सामने आईं.
आरोप ये है कि किसान गणतंत्र दिवस के दिन जिस गण यानी जनता या समूह की आवाज़ तंत्र यानी सिस्टम या सरकार में बैठे लोगों तक पहुँचाना चाहते थे, वो आवाज़ कहीं दब गई और भीड़ तंत्र हावी हो गया.
हिंसा की ख़बरें जैसे ही मीडिया में आनी शुरू हुई, किसान नेताओं की एक के बाद एक अपील आनी शुरू हो गई.
पहले योगेंद्र यादव ने ट्विटर पर अपनी वीडियो अपील डाली, फिर भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत का बयान सामने आया.
शाम को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ़ से बयान जारी कर ट्रैक्टर परेड को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फ़रमान आया और प्रतिभागियों से तुरंत अपने धरना स्थलों पर वापस लौटने की अपील की गई.
क्या था प्रस्तावित रूट और किसान कहाँ से निकले?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ सारा बवाल तब शुरू हुआ, जब किसानों ने तय रूट पर ट्रैक्टर परेड निकालने से मना कर दिया और नए रूट पर परेड निकालने लगे.
दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर तैनात बीबीसी संवाददातों ने भी मौक़े से भेजी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है.
बीबीसी संवाददाता सलमान रावी ग़ाज़ीपुर में मौजूद थे, जब किसान बैरिकेड तोड़ते हुए अक्षरधाम की ओर निकल रहे थे.
टिकरी बॉर्डर पर तैनात बीबीसी हिंदी के सहयोगी पत्रकार समीरात्मज मिश्र ने बताया कि जब किसान नांगलोई पहुँचे, तो कुछ किसान सीधे पीरागढ़ी की ओर जाना चाहते थे लेकिन दिल्ली पुलिस उन्हें तय रास्ते पर ही जाने को कह रही थी. बाद में कुछ किसान तय रूट पर निकले, तो कुछ पीरागढ़ी की ओर.
किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी फ़ेसबुक पर पोस्ट किए संदेश में ये बात स्वीकार की है.
उन्होंने कहा, "ट्रैक्टर परेड को अभूतपूर्व रेस्पॉन्स मिला. लेकिन पुलिस के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के समझौते के विपरीत कुछ किसान रूट तोड़ कर अलग मार्ग पर चले गए जिस वजह से आंदोलन में गड़बड़ी हुई. सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर कुछ किसानों ने पुलिस के साथ हुए समझौते को नहीं माना. वे सिंघु बॉर्डर पर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से आगे निकल गए. टिकरी बॉर्डर पर पीरागढ़ी की तरफ़ जाने की इजाज़त नहीं थी. लेकिन कुछ किसानों ने पुलिस की बात नहीं मानी थी. वैसे ही ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से अक्षरधाम और आईटीओ की तरफ़ जाना प्रस्तावित रूट का हिस्सा नहीं था. पुलिस पर हमला हुआ. किसान और जवान आमने-सामने थे."
बलबीर सिंह राजेवाल भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं
किस बॉर्डर पर किस किसान नेता की ड्यूटी थी
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि किसानों ने अपने नेताओं की बात नहीं सुनी.
क्या किसान नेता मौक़े पर ट्रैक्टर परेड की अगुवाई करने के लिए मौजूद नहीं थे?
यही सवाल बीबीसी ने किसान नेता योगेंद्र यादव से किया.
उन्होंने जवाब में कहा, "मेरी ख़ुद की ड्यूटी शाहजहांपुर बॉर्डर पर थी. मैं वहाँ ड्यूटी पर तैनात था और वहाँ सब कुछ शांतिपूर्ण रहा."
बाक़ी बॉर्डर पर किसान नेताओं की तैनाती पर उन्होंने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर सब प्रमुख नेताओं को रहना था. क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉक्टर दर्शनपाल, भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के जगमोहन सिंह, भारतीय किसान यूनियन के बलबीर सिंह राजेवाल को सिंघु बॉर्डर पर परेड को लीड करना था.
जगमोहन सिंह
टिकरी बॉर्डर पर किसान नेताओं को दो हिस्सों में ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी. एक टीम की ज़िम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां को दी गई थी और दूसरे हिस्से की ज़िम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के अध्यक्ष बूटा सिंह बर्जगिल को दी गई थी. उनके साथ हरियाणा के किसान साथियों को भी वहाँ मौजूद रहना था.
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को रहना था. उनके साथ उत्तराखंड तराई किसान यूनियन के नेता तेजेन्द्र बिष्ट को रहना था.
..तो फिर चूक कहाँ हुई?
योगेंद्र यादव की सूचना के हिसाब से टिकरी बॉर्डर पर जिन किसान नेताओं की ड्यूटी थी, वो वहाँ मौजूद थे. लेकिन दिक़्क़त सिंघु बॉर्डर पर हुई.
उनको मिली सूचना के हिसाब से सिंघु बॉर्डर का मार्च शुरू ही नहीं हो पाया था. शुरू होने से दो घंटा पहले किसान मज़दूर संघर्ष समिति ने पूरे मार्च को कैप्चर कर लिया और सबसे आगे होने की वजह से उन्होंने ही पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए.
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू हैं.
बीबीसी से बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा, "तय कार्यक्रम के मुताबिक़ पहले किसान नेताओं को बारी-बारी मंच पर जाकर अपनी बात रखनी थी. फिर एक गाड़ी, जिसमें सारे नेता होते वो गाड़ी परेड के आगे-आगे चलनी थी. लेकिन ये सारा कार्यक्रम शुरू ही नहीं हो पाया उसके पहले ही तोड़-फोड़ और गड़बड़ी शुरू हो गई थी."
योगेंद्र यादव की सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान नेताओं से बात तो नहीं हो पाई, लेकिन दूसरों से मिली सूचना के आधार पर बीबीसी को बताया कि किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल सिंघु बॉर्डर के पास संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर पर तैनात थे. लेकिन किसान मज़दूर संघर्ष समिति के लोग सबसे आगे थे. उन्होंने किसान नेता जगमोहन और दर्शनपाल पर हमला किया, उसके बाद दोनों नेता वहाँ से हटे.
सिंघु बॉर्डर पर मौक़े पर मौजूद बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा ने भी बताया कि किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल और किसान नेता मंजीत सिंह को उन्होंने संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर पर देखा था.
डॉक्टर दर्शनपाल को सिंघु बॉर्डर की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.
ट्रैक्टर परेड में किसान मज़दूर संघर्ष समिति पर उठते सवाल
योगेंद्र यादव ने अपने फ़ेसबुक वीडियो संदेश में इस समिति पर गड़बड़ी फैलाने का आरोप लगाया है.
सिंघु बॉर्डर पर किसान मज़दूर संघर्ष समिति का मोर्चा पिछले दो महीने से लगा हुआ है. ये पंजाब का किसान संगठन है.
किसान मज़दूर संघर्ष समिति, संयुक्त किसान मोर्चा के 32 किसान संगठनों का हिस्सा नहीं है. किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू हैं और महासचिव सरवन सिंह पंधेर हैं.
सिंघु बॉर्डर पर बाक़ी किसान संगठन ने जिस तरफ़ अपना डेरा जमाया है, उसकी दूसरी तरफ़ किसान मज़दूर संघर्ष समिति का डेरा है.
योगेंद्र यादव ने जारी किए एक फेसबुक संदेश में इस समिति के बारे में कहा, "25 तारीख़ को ही उन्होंने वीडियो जारी करके कह दिया था कि वो संयुक्त किसान मोर्चा की बात को नहीं मानते. हम रिंग रोड में जाएँगे. परेड निकलने समय ये सबसे आगे रहे क्योंकि वो दिल्ली की तरफ़ थे. इसका फ़ायदा उठा कर पूरी गड़बड़ी फैलाई गई. हुड़दंग करने वाले लोग पहले से पहचाने जा सकते थे, उनके बारे में पहले से पता था."
SARVAN SINGH PANDHER/FB
सरवन सिंह पंधेर किसान मज़दूर संघर्ष समिति के महासचिव हैं
योगेंद्र यादव जैसी ही बात दीप सिद्धू ने अपने फ़ेसबुक लाइव में भी कही है.
दीप सिद्धू पर ही लाल क़िले पर किसानों को भड़काने के आरोप लग रहे हैं. अपने फ़ेसबुक पर उसी आरोप की सफ़ाई में उन्होंने वीडियो जारी किया है.
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हैं.
एनडीटीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या तय किया और क्या किया, इसके लिए वो ज़िम्मेदार हैं. जो किसानों को संदेश गया था, जो हमें पता था दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर आना है. हमने संयुक्त मोर्चे की बात का पालन किया है. हमारे लोग लाल क़िले नहीं गए थे. जो लोग लाल क़िले पर गए, वो ग़ैर-सामाजिक तत्व हैं. सरकार की साज़िश है. दीप सिद्धू सरकार का आदमी है. उसकी जाँच होनी चाहिए. हिंसा के ज़िम्मेदार हम नहीं, सरकार है, जिसने उसको नहीं रोका."
25 जनवरी की रात के वीडियो पर क्या हुआ?
ऐसे में सवाल उठता है कि जब सब किसान नेताओं की अलग-अलग बॉर्डर पर ड्यूटी लगी थी, तो फिर गड़बड़ी क्यों और कैसे हुई?
25 जनवरी की रात को किसान मज़दूर संघर्ष समिति ने पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रस्तावित रूट ना मानने की बात कही, तो किसान नेताओं ने क्या क़दम उठाए?
इस सवाल के जवाब में योगेंद्र यादव ने कहा कि हमने कई लोगों को इनके पास भेजा, इनके हाथ पैर जोड़े. हमने कहा कि आप हमारा अनुशासन नहीं मानते, तो कम से कम किसान होने की ख़ातिर एक दिन के लिए ये बात मान जाओ. ये बात पुलिस को पता थी. प्रशासन को पता थी.
जोगिंदर सिंह उगराहां किसान आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक हैं
टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर का हाल
सिंघु बॉर्डर के अलावा किसानों और पुलिस के बीच झड़पें ग़ाज़ीपुर और टिकरी बॉर्डर पर भी हुईं.
26 जनवरी को दिन भर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर तैनात रहे बीबीसी संवाददाता सलमान रावी के मुताबिक़ उन्होंने किसी बड़े किसान नेता को ट्रैक्टर रैली की अगुवाई करते नहीं देखा.
हालाँकि किसान नेता राकेश टिकैत ने बीबीसी से बातचीत में ग़ाज़ीपुर पर मौजूद रहने की बात स्वीकार की है और कहा कि पुलिस ने उन रास्तों पर भी बैरिकैडिंग की, जिन पर ट्रैक्टर रैली की सहमति बनी थी.
उन्होंने ये भी आरोप लगाया, "ट्रैक्टर परेड में कुछ लोग ऐसे ज़रूर थे, जो कभी आंदोलन का हिस्सा नहीं थे और तय करके आए थे कि आगे ही जाना था. हम उनको चिन्हित करेंगे. जो एक दिन के लिए आए थे, वो बिगाड़ा करते हैं. लाल क़िले पर जो हुआ वो ग़लत हुआ."
टिकरी बॉर्डर पर बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा बताया कि उन्होंने भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के महासचिव शिंगारा सिंह मान नज़र आए. लेकिन जहाँ हिंसा हो रही थी उससे वो काफ़ी दूर थे.
दरअसल कई किसान नेता मीडिया के सामने आए थे. कई सामने नहीं दिखाई दिए.
गड़बड़ी के ख़िलाफ़ बयान और ज़िम्मेदारी ख़त्म
किसान नेताओं ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि जो हुआ, 'ग़लत हुआ'. किसी ने कहा दु:खद घटना है, तो किसी नेता ने अराजक तत्व शामिल होने की बात की. किसी ने इसे राजनैतिक दलों का काम बताया, तो किसी ने आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश.
संयुक्त किसान मोर्चा आज कह रहा है कि ना तो किसान मज़दूर संघर्ष समिति से कोई नाता है और ना ही दीप सिद्धू से. लेकिन किसान नेता हर बॉर्डर पर खड़े थे.
लेकिन ये तथ्य है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने ही ट्रैक्टर परेड का एलान किया था और इसी कारण संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं और उनकी ज़िम्मेदारी को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. (bbc.com)
-संदीप साहू
ओडिशा की एक दलित लड़की इंजीनियरिंग डिप्लोमा का सर्टिफ़िकेट हासिल करने के लिए पिछले तीन हफ़्ते से 'मनरेगा' में मज़दूरी कर रही है.
पुरी ज़िले के गोरडीपीढ़ गांव की रहने वाली 22 साल की रोज़ी बेहेरा कॉलेज की बकाया फ़ीस देने के लिए मज़दूरी करने पर मजबूर है.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने 2019 में बरुनेई इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी (बीआईईटी) से सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा की पढ़ाई तो पूरी कर ली लेकिन कॉलेज और हॉस्टल का कुल 44,000 रुपयों का बकाया नहीं देने की वजह से कॉलेज ने उन्हें सर्टिफ़िकेट देने से मना कर दिया.
उन्होंने इधर-उधर से जुगाड़ कर 20,000 चुकाए लेकिन 24,000 अभी भी बाक़ी हैं.
वो बताती हैं, "इतनी बड़ी रक़म की भरपाई करने का कोई दूसरा उपाय नहीं सूझा तो मैंने और मेरी दो छोटी बहनों ने मज़दूरी करना शुरू कर दिया."
'मनरेगा' में एक दिन के काम के लिए 207 रुपये मिलते हैं हालांकि अभी तक उन्हें या उनकी बहनों को कोई मेहनताना नहीं मिला है.
COURTESY - SANDEEP SAHU
काम का मेहनताना भले न मिला हो लेकिन रोज़ी की ख़बर मीडिया की सुर्ख़ियों में आने के बाद अब देशभर से उनके लिए मदद की पेशकश आने लगी हैं.
रोज़ी ने बताया कि, "अभी तक उन्हें ज़िला प्रशासन की ओर से 30,000, अभिनेत्री रानी पंडा की ओर से 25, 000 और चेन्नई के अशोक नाम के किसी व्यक्ति की ओर से 10,000 रुपये मिल चुके हैं. और भी कई लोगों ने मदद की पेशकश की है और अकाउंट नंबर लिया है."
पता चला है कि मदद की पेशकश करने वालों में सुप्रीम कोर्ट के एक जज भी शामिल हैं.
ज़ाहिर है रोज़ी की मदद के लिए जितनी रक़म की पेशकश हो चुकी है या आने वाले दिनों में होने वाली है, वह उनकी आवश्यकता से कहीं ज़्यादा है. तो कॉलेज का देय 24,000 रुपये चुकाने के बाद जो रक़म बचेगी, उसका रोज़ी क्या करेंगी?
वो कहती हैं, "मैं सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करना चाहती हूँ. जो पैसे आएंगे, उसी के लिए ख़र्च होंगे. वैसे तो कुछ कॉलेज हैं जहां शायद मुझे स्कॉलरशिप मिल जाए. लेकिन मैं किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से बीटेक करना चाहती हूँ, जहां प्रैक्टिकल सहित सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हों."
बीटेक करने के बाद रोज़ी सरकारी नौकरी करना चाहती हैं.
रोज़ी के पिता मिस्त्री का काम करते हैं जबकि उनकी मां खेतों में मज़दूरी करती हैं. उनके माता-पिता के पास साधन नहीं है कि वे रोज़ी को या अपने दूसरे बच्चों को उच्च शिक्षा मुहैया करवा पाएं. रोज़ी पाँच बहनों में सबसे बड़ी हैं. उनसे छोटी बहन बीटेक कर रही है और उससे छोटी प्लस टू की छात्रा है.
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उनसे छोटी दो बहनों में एक आठवीं कक्षा में पढ़ती है जबकि सबसे छोटी पाँचवीं कक्षा में. इसलिए उन पर परिवार की ज़िम्मेदारी भी है. ऐसे में अपनी पढ़ाई के लिए वे अपने माता-पिता से किसी प्रकार की सहायता की उम्मीद नहीं रख सकती थीं.
COURTESY - SANDEEP SAHU
लेकिन क्या उन्हें मज़दूरी के अलावा कोई और काम जैसे कि ट्यूशन देना नहीं सूझा?
इसके जवाब में रोज़ी कहती हैं, "मेरी छोटी बहन ट्यूशन किया करती थी. लेकिन एक तो गांव में ट्यूशन से अधिक पैसे नहीं मिलते. ऊपर से उसे ठीक से, समय पर पैसे नहीं मिलते थे. वैसे भी गांव में पहले से ही कई लोग मौजूद हैं जो पेशे से शिक्षक हैं. उन्हें छोड़कर कोई हमसे ट्यूशन क्यों पढ़ेगा?"
रोज़ी मानती हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. इसलिए सिर पर मिट्टी ढोने में उन्हें कभी शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई.
मैंने रोज़ी से पूछा कि उन्होंने कॉलेज के इस रवैये के ख़िलाफ़ राज्य तकनीकी शिक्षा परिषद का दरवाज़ा क्यों नहीं खटखटाया, तो उनका कहना था, "मुझे पता नहीं था."
रोज़ी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल हों, लेकिन अगर निष्ठा और लगन हो तो आदमी कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकता है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के पूर्व अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) की 80 लाख रुपये की संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कुर्क की है। ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि लोक सेवक द्वारा भ्रष्टाचार और आपराधिक कदाचार से संबंधित एक मामले में दीक्षित की चल संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कुर्क किया गया है।
ईडी ने दीक्षित, विजेंद्र सिंह, सुरोजीत सामंत, वी.एन. सिंह, बजरंग लाल अग्रवाल, राम अवतार अग्रवाल, संजय सिंह, विनोद वैद और नवीन शर्मा के खिलाफ सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया है।
अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान यह पता चला कि एसईसीएल के तत्कालीन सीएमडी दीक्षित ने एक निजी संस्था - मारुति क्लीन कोल एंड पावर लिमिटेड (एमसीसीपीएल) को अवैध रूप से समर्थन करने के लिए 1 करोड़ रुपये के अवैध ग्रैटीफिकेशन को स्वीकार करने की मांग की थी।
उन्होंने कहा, "एसईसीएल के तत्कालीन चेयरमैन के निर्देश पर वी.एन. सिंह द्वारा प्राप्त भुगतान के रूप में दीक्षित ने दूसरों के साथ मिलकर घटनाओं के चक्रव्यूह के माध्यम से 80 लाख रुपये का अधिग्रहण करने का प्रयास किया।"
अधिकारी ने कहा कि आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार, अपराध की कार्यवाही से संबंधित आपराधिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप अर्जित की गई 80 लाख रुपये की राशि को पीएमएलए के तहत संलग्न किया गया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 27 जनवरी| मध्यप्रदेश के भोपाल संसदीय क्षेत्र से भाजपा की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उनके बेटे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि "जिस व्यक्ति पर देश का बच्चा-बच्चा हंसता है, वह और उसकी इटली में बैठी अम्मा अपनी औलादों को प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रही है।" भोपाल में आयोजित एक समारोह में प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, "जिस व्यक्ति पर हमारे देश का बच्चा-बच्चा हंसता है, जहां उसकी शादी को लेकर मजाक बनाया जाता है, ऐसा व्यक्ति प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता है। एक बार लड़कियों से पूछा गया कि उस व्यक्ति से शादी करोगे तो उसका लड़कियां ने खूब मजाक उड़ाया। उसकी अम्मा भी दूर देश इटली से भारत में अपनी औलादों को प्रधानमंत्री बनाने के सपने देख रही है।
उन्होंने आगे कहा, "ये सनातनी राष्ट्र है। यहां राष्ट्रभक्ति पैदा नहीं की जाती, जन्म से ही आती है। ये सनातनी परंपराएं हैं, जो इनसे टकराएगा वो नष्ट हो जाएगा।"
प्रज्ञा ने कहा, "जब देखो तब सैनिकों का अपमान हो जाता है। किसान अन्नदाता है और सैनिक देश की सीमा पर खड़े होकर देश की रक्षा करता है और उसकी भूमिका देश की रक्षा करना है, इसलिए वह देशभक्त है। किसान का काम खेती, किसानी और हमारा पेट भरने का है, हर किसी का अपना-अपना एक स्थान और श्रेष्ठ स्थान होता है।"
भाजपा सांसद बोलीं, "हर किसी के दिल में राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना होती है, लेकिन ये दोमुंहे लोग जो कहते हैं कि किसान जरूरी है, किसान सही तो हमें सीमा पर सैनिकों की आवश्यकता नहीं है, इसकी परिभाषा क्या? कुछ समझ में नहीं आता। एक अविवेकीय व्यक्ति जिसके पास कोई विवेक, बुद्धि और ज्ञान, कोई गणित, कोई इतिहास, संस्कृति कोई धर्म नहीं, ऐसा विधर्मी व्यक्ति कुछ भी बोल देगा।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 जनवरी| गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के मुद्दे पर एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। वकील ने इस दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीशों के एक तीन सदस्यीय आयोग का गठन करने का आग्रह किया। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने शीर्ष अदालत से 'राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने' के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया।
याचिका के अनुसार, "दुर्भाग्य से, ट्रैक्टर रैली ने एक हिंसक मोड़ ले लिया, जिससे लोगों को चोटें आईं और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। इस घटना ने दिल्ली में जनता के दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया। इंटरनेट सेवाएं बाधित हुईं, क्योंकि सरकार ने सेवा प्रदाताओं को इसे निलंबित करने का आदेश दिया।"
वकील ने कहा कि यह निर्धारित करना आवश्यक है कि हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है- पुलिस या प्रदर्शनकारी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मामले के सभी पहलुओं की एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से गहन जांच की आवश्यकता है, जो कि एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग की स्थापना करके किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि'तिरंगे के स्थान पर' एक विशेष धर्म के झंडे को फहराना बहुत दुखद है और हमारी राष्ट्रीय गरिमा का अपमान है।
मुंबई के कानून के एक छात्र ने भी लाल किले की घटना के बारे में संज्ञान लेने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है। (आईएएनएस)
पटना, 27 जनवरी | चर्चित शिक्षण संस्थान सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार को प्रतिष्ठित महावीर पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार में 10 लाख रुपये नकद, एक प्रशस्ति पत्र और एक स्मृति चिन्ह दिया जाएगा। यह पुरस्कार 29 जनवरी को चेन्नई में एक समारोह में कुमार को प्रदान किया जाएगा। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित समारोह में मुख्य अतिथि होंगे और पुरस्कार प्रदान करेंगे।
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष समाज में कमजोर और कमजोर लोगों के कल्याण के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे व्यक्तियों और संस्थानों की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार भगवान महावीर फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है।
इधर, इस पुरस्कारA के रूप में चयनित होने के बाद कुमार ने कहा कि यह पुरस्कार और सम्मान उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा, "यह दर्शाता है कि समाज गरीबों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील है। यह अपने आप में एक बड़ी प्रेरणा है। मैं अपने काम को और अधिक जुनून के साथ जारी रखूंगा।"
उल्लेखनीय है कि सुपर 30 में चयनित आर्थिक रूप से कमजोर 30 बच्चों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी कराई जाती है। सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार की जीवनी पर ऋतिक रोशन अभिनीत 'सुपर 30' फिल्म भी आई थी, जो सफल रही। (आईएएनएस)
भोपाल/जयपुर, 27 जनवरी | मध्य प्रदेश के राजगढ जिले का एक परिवार का वाहन राजस्थान में श्यााम खाटू जी के दर्शन कर लौटते समय हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मिली जानकारी के अनुसार राजगढ़ का सोनी परिवार श्याम खाटू जी के दर्शन कर मंगलवार देर रात को लौट रहा था, तभी उनका सवारी वाहन राजस्थान के टोंक जिले के सदर थाना क्षेत्र में ट्रेलर से टकरा गया। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई, वहीं चार लोग घायल हुए है। घायलों को उपचार के लिए जयपुर भेजा गया है। मरने वालों में चार पुरुष, दो बच्चे व दो महिलाएं शामिल हैं।
हादसे में मरने वाले एक ही परिवार के थे। इसमें दो चचेरे भाई 25 दिन पैदल चलकर खाटू श्याम के दर्शन करने पहुंचे थे। इनका परिवार इन्हें लेने खाटू श्याम आया था। इस हादसे का शिकार बने परिवार का एक सदस्य पीछे की गाड़ी में होने कारण बच गया, लेकिन खाटू श्याम तक पैदल आने वाले दूसरे चचरे भाई और उसके साथ बैठे सगे भाई की मौत हो गई।
बताया गया है कि इस हादसे में दो सगे भाई रामबाबू और श्याम सोनी की मौत हो गई। रामबाबू के एकलौते बेटे नयन और श्याम सोनी के बेटे ललित (पदयात्री) ने भी दम तोड़ दिया। वहीं, ममता और बबली नाम की दो बहनों और ममता के बेटे अक्षत की मौत हो गई। अक्षिता नाम की एक बच्ची ने भी दम तोड़ दिया, जिसकी मां सरिता घायल है। वहीं, सरिता की एक तीन साल की बच्ची नन्नू को हादसे में खरोंच तक नहीं आई।
मुख्यमंत्री चौहान ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए अपने शोक संदेश में कहा, राजस्थान में हुई सड़क दुर्घटना में हमारे राजगढ़ के एक ही परिवार के कई भाई - बहनों के असामयिक निधन के समाचार से अत्यधिक दु:ख पहुंचा है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति देने तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा यह जानकर दुख हुआ कि खाटू श्याम जी से मप्र के अपने शहर लौटते समय टोंक में एक सड़क दुर्घटना में आठ लोगों की जान चली गई है। शोक संतप्त परिजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।(आईएएनएस)
पटना/मुंबई, 27 जनवरी | वर्ल्डवाइड रिकॉर्डस के मालिक और फिल्म निर्माता रत्नाकर कुमार की आने वाली फिल्म के लिए अभिनेता रितेश पांडेय को साइन किया गया है। इस फिल्म में रितेश के अपोजिट भोजपुरी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री नीलम गिरी नजर आएंगी। इस फिल्म का निर्देशन मंजुल ठाकुर करेंगे। यह फिल्म वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा तथा इस फिल्म का निर्माण वल्र्डवाइड रिकॉर्ड चैनल के बैनर तले किया जाएगा।
हाल ही में रत्नाकर कुमार ने एक फोटो शेयर कर इस बात की घोषणा की थी कि उनकी आने वाली फिल्म में मुख्य रोल में रितेश पांडे और नीलम गिरी होंगे।
कुमार ने बताया कि अभी तक फिल्म के नाम की घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने फिल्म के बारे में अभी अधिक जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कलाकारों एवं निर्देशक के अलावा फिल्म में कौन कौन होगा, इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी और इस फिल्म की कहानी क्या है इस बारे में भी जल्द खुलासा होगा। (आईएएनएस)
मुंगेर, 27 जनवरी | बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अजफर शम्सी की अपराधियों ने बुधवार को मंगेर के जमालपुर कॉलेज कैम्पस के समीप उस समय गोली मार दी जब वे कॉलेज जा रहे थे। इस घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि, "शम्सी घर से अपनी कार से कॉलेज के लिए निकले थे, कॉलेज के गेट पर भीड़ थी, जिस कारण वे अपनी कार से वहीं उतर गए और पैदल कॉलेज जाने लगे। उनकी कार उनका चालक चला रहा था। इसी दौरान उन्हें किसी ने गोली मार दी। गोली उनके सिर में लगी है।"
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि घायल अवस्था में उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें पटना रेफर कर दिया गया है।
शम्सी भाजपा प्रवक्ता के साथ ही कॉलेज में प्रोफेसर हैं। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे मामले की छानबीन प्रारंभ कर दी है। (आईएएनएस)
-मुकेश सिंह सेंगर
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर अब दिल्ली पुलिस सख्ती के मूड में दिखाई दे रही है. करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है. इन लोगों के खिलाफ दंगा फैलाने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने समेत कई संगीन धाराएं लगाई गई हैं. बताया जा रहा है कि इन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस मामले में जो केस दर्ज किए गए हैं, उनमें कई किसान नेताओं के नाम भी शामिल हैं. अभी तक हिंसा के मामले में दिल्ली के अलग-अलग थानों में 22 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. दिल्ली पुलिस की ओर से बताया जा रहा है कि हिंसा में करीब 300 लोग घायल हुए हैं, इनमें ज्यादात्तर पुलिसकर्मी हैं.
पटना, 27 जनवरी | राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद सीताराम यादव, पूर्व विधान पार्षद दिलीप कुमार यादव सहित विभिन्न दलों के कई नेताओं ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभारी भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ़ संजय जायसवाल सहित कई नेता मौजूद रहे। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में राजद के पूर्व सांसद और लालू यादव के बेहद करीबी रहे सीताराम यादव समेत राजद के कई नेता भाजपा का दामन थाम लिया।
राजद के पूर्व विधायक सुबोध पासवान, नगीना देवी, रामजी मांझी और दिलीप कुमार यादव ने भी अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामा है। राजद के इन सभी नेताओं ने बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव के सामने सदस्यता ग्रहण की है। इसके अलावा कांग्रेस की अनीता देवी, पटना की उपमहापौर मीरा देवी भी भाजपा में शामिल हो गई।
इस मिलन समारोह में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, युवा रालोसपा के महासचिव रोशन कुशवाहा सहित कई नेता भी भाजपा में शमिल हुए।
इस मिलन समारोह के दौरान भूपेंद्र यादव के अलावा राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल और मंत्री रामसूरत राय मौजूद रहे।
पूर्व सांसद सीताराम यादव का भाजपा में जाना राजद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
इस मौके पर भूपेंद्र यादव ने कहा कि अगर राजद, कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता उन्हें छोड़कर भाजपा के साथ जा रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है कि उनका अपने नेतृत्व की कार्यशैली पर भरोसा नहीं है। उन्हें भरोसेमंद नेतृत्व चाहिए, जो भाजपा देश को दे रही है। नीति, नीयत व नेतृत्व विहीन दलों से लोगों का मोहभंग होना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा, "राजद ने हमेशा वोटबैंक की राजनीति की और उसी वोटबैंक से छलावा किया। कांग्रेस ने भी वोटबैंक की राजनीति की और परिवार के अलावा किसी की तरफ देखा भी नहीं। राजद, कग्रेस की आंखों पर परिवारवाद का ऐसा पर्दा चढ़ा है कि उन्हें बेटा-बेटी के अलावा कुछ दिखता ही नहीं।" (आईएएनएस)