राष्ट्रीय
मुंबई, 6 फरवरी | हजारों किसान, श्रमिक, आदिवासी, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित कई महिलाओं ने यहां किसानों के समर्थन में आयोजित 'चक्का जाम' में भाग लिया और तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग की। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रवक्ता पी.एस. प्रसाद ने कहा, "कार्यकर्ताओं ने राज्य के 36 जिलों में से मुंबई समेत 34 जिलों के प्रमुख सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गो और अन्य महत्वपूर्ण मार्गो को अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के विरोध में तख्तियां लहराई और देशभक्ति गीत गाए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर, आंदोलन में सभी प्रमुख दलों जैसे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस, वाम दलों, किसान संगठनों जैसे अखिल भारतीय किसान सभा, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, विदर्भ जन आंदोलन समिति की भागीदारी देखी गई।
तीन घंटे की अवधि के बाद, आंदोलनकारियों ने चक्का जाम का शांतिपूर्ण तरीके से समापन कर दिया।
इससे पहले दोपहर में, पुलिस ने किसान नेता और वसंतराव नाइक शेट्टी स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी को हिरासत में लिया। तिवारी ने यवतमाल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 'चक्का जाम' का नेतृत्व किया।
कोल्हापुर में आंदोलन का नेतृत्व करते हुए, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने कहा कि भाजपा शासित केंद्र सरकार के पक्ष में बोलने वाली तथाकथित हस्तियां भूल जाती हैं कि 'करोड़ों आम जनता' ने ही उनके स्टेटस को उठाया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी | दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सामुदायिक रसोई सेवा या 'लंगर सेवा' पूरे जोरों पर है। गैर सरकारी संगठन 'जमींदारा छात्र सभा' के प्रभारी और रोहतक के निवासी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आईएएनएस को बताया, "पहले दिन से हम किसानों के साथ हैं।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने सामुदायिक रसोई सेवा शुरू करने से पहले शुरू में दो दिनों के लिए किसानों को दूध और केले दिए।
गैर सरकारी संगठन के आईटी सेल के राष्ट्रीय प्रभारी इंद्रजीत बराक ने आईएएनएस को बताया कि किसानों की सेवा करना उनका कर्तव्य है।
बराक ने आगे कहा कि जहां तक गेहूं और सब्जियों को इकट्ठा करने का सवाल है, हरियाणा के पड़ोसी गांव उनकी मदद कर रहे हैं।
बराक ने सामुदायिक रसोई सेवा का आयोजन करते समय उनके सामने आने वाली वित्तीय कठिनाइयों के बारे में भी बताया।
औसतन, लंगर सेवा के आयोजन पर प्रतिदिन लगभग 25,000 से 30,000 रुपये का खर्च आता है। बावजूद इसके उन्होंने सेवा को लगातार जारी रखा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी| दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर टिकरी में धरने पर बैठे किसानों का मानना है कि मुश्किलें उनके लिए बाधा नहीं बन सकती और वह अपनी मांग को लेकर प्रतिबद्ध हैं। आईएएनएस से बात करते हुए, हरियाणा के फतेहाबाद जिले के किसान मंजीत सिंह ने कहा, "74 दिन हो गए हैं, जब हम इस ठंड के मौसम में अपने परिवारों के साथ विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि कानूनों को वापस ले लेगी।"
स्पष्ट रूप से, किसान अपने लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं और अत्यधिक ठंड के बावजूद, किसानों को बाहर खुले में बैठने से गुरेज नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन एकता के एक और किसान, भटिंडा निवासी बलजिंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया, "हम पानी की कमी, इंटरनेट के निलंबन और ट्रेनों की अनुपलब्धता जैसी कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, अपनी मांगों को स्वीकार करवाने में निश्चित रूप से सफल होंगे।"
दासोंडा समूह से संबंधित और पंजाब के मनसा जिले के निवासी दर्शन सिंह ने कहा, "हम अपने रास्ते में आने वाली समस्याओं का सामना करेंगे, लेकिन कृषि कानून निरस्त होने पर ही घर लौटेंगे।" (आईएएनएस)
गुवाहटी/अगरतला, 6 फरवरी | वाम दलों और उनके मोर्चे के संगठनों ने शनिवार को असम और त्रिपुरा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 'चक्का जाम' के बजाय प्रदर्शन किया। असम में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुप्रकाश तालुकदार ने कहा कि वामपंथी दलों ने मोर्चा संगठनों के साथ मिलकर भाजपा शासित राज्यभर में लगभग 12 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया।
किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने और तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर हर जगह कई घंटों तक विरोध प्रदर्शन किए गए। तालुकदार ने मीडिया से कहा, "हम तीनों कृषि बिल के खिलाफ विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शनों का आयोजन जारी रखेंगे।"
असम पुलिस ने बाद में प्रदर्शनों में भाग लेने वाले कई सौ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। एक अन्य भाजपा शासित राज्य त्रिपुरा में, वाम दलों ने सभी 8 जिलों में और बिल के खिलाफ कई उप-विभागों में समान विरोध प्रदर्शन किया और दिल्ली और देश में अन्य स्थानों पर किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की।
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) त्रिपुरा राज्य इकाई के सचिव पाबित्रा कर ने कहा कि अगले 15 दिनों में वाम दलों के नेता और सदस्य किसानों के घरों में जाएंगे और उन्हें तीन कृषि कानूनों और भाजपा सरकार के हानिकारक पहलुओं के बारे में अवगत कराएंगे। (आईएएनएस)
अहमद अली फय्याज
नई दिल्ली, 6 फरवरी | केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के पांच जिलों में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के उद्देश्य से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में पिछले साल 20 अक्टूबर को गठित कश्मीर्स पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने चार महीनों में ही दम तोड़ दिया है।
फारूक अब्दुल्ला फिलहाल दिल्ली में हैं, जबकि गुपकार की एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू में हैं। शुक्रवार देर शाम तक भाजपा और इसकी सहयोग पार्टी अल्ताफ बुखारी की 'अपनी पार्टी' को रोकने के लिए पीएजीडी के घटक दलों के बीच वार्ता के कोई संकेत नहीं दिखे, जबकि शनिवार को ही श्रीनगर, शोपियां, कुलगाम, जम्मू और कठुआ जिलों में डीडीसी के चुनाव हुए।
पीएजीडी का तीसरा घटक दल सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इस संगठन से पहले ही अलग हो चुकी है। इसने केंद्र की भाजपा सरकार से नजदीकी बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
गौरतलब है कि पीएजीडी मुख्यधारा की सात विपक्षी पार्टियों का एक गठबंधन था। इसके गठन का मकसद भाजपा और अपनी पार्टी को रोकने के लिए मिलकर चुनाव लड़ना था, ताकि वे कश्मीर घाटी में डीडीसी व अन्य लोकतांत्रिक संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हो सकें। फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को पिछले चुनावों में जबरदस्त जीत मिली थी, जबकि अब वे पराजय की दहलीज पर खड़े हैं। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 6 फरवरी | श्रीनगर के बाहरी इलाके में आतंकवादियों ने सुरक्षाबल के दस्ते पर फायरिंग कर दी, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान घायल हो गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों ने आज दोपहर श्रीनगर शहर के नौगाम बाहरी इलाके में सीआरपीएफ के जवानों पर गोलीबारी की।
सूत्रों ने बताया, "एक सीआरपीएफ जवान को इस हमले में पैर में चोट लगी है। उसे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। आतंकवादियों की तलाश के लिए क्षेत्र को चारों तरफ से घेर दिया गया है।"
किसी भी आतंकवादी संगठन ने अब तक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 6 फरवरी | पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के निदेशक जगत राम और उनकी पत्नी आशा कुमारी को शनिवार को यहां कोरोना टीका कोवीशिल्ड की खुराक दी गई। टीका लगने के बाद जगत राम ने कहा कि वह और उनकी पत्नी बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे हैं और टीका लगने के चार घंटे बाद भी दोनों को कोई अन्य एफेक्ट महसूस नहीं हुए।
टीके से जुड़े हल्के संक्रमण के बारे में बताते हुए, जगत राम ने कहा कि टीकाकरण के बाद हल्की प्रतिक्रिया एक अच्छा संकेत है, क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वैक्सीन पर प्रतिक्रिया कर रही थी और एंटीबॉडी बना रही थी।
उन्होंने कहा कि हल्का बुखार, शरीर में दर्द या जोड़ों में दर्द एक या दो दिन तक हो सकता है, जो अपने आप कम हो जाएगा, और लोग चिकित्सा विशेषज्ञों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं।
टीकाकरण कक्ष से बाहर आने के बाद उनकी पत्नी ने दूसरों से चिकित्सा विज्ञान में विश्वास करने और ड्राइव में शामिल होने का आग्रह किया। (आईएएनएस)
जम्मू, 6 फरवरी | जम्मू कश्मीर पुलिस ने शनिवार को जम्मू से आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-मुस्तफा (एलईएम) के स्वयंभू प्रमुख को गिरफ्तार किया। आतंकवादी की पहचान एलईएम के प्रमुख हिदायतुल्लाह मलिक के रूप में की गई है, जो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (खीट) का एक फ्रंट संगठन है।
पुलिस ने कहा, "शोपियां जिले के एक आतंकवादी मलिक को जम्मू और अनंतनाग पुलिस ने एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया है।"
"उक्त आतंकवादी लश्कर-ए-मुस्तफा का प्रमुख है, जो कश्मीर घाटी में जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रमुख संगठन है।"
पुलिस ने कहा कि कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है और आगे की जांच जारी है।
पुलिस ने यह भी कहा कि प्रारंभिक पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि वे जम्मू में आतंकी कार्रवाई करने की योजना बना रहे थे। (आईएएनएस)
-मुकेश सिंह सेंगर
नई दिल्ली: दिल्ली में किसानों का कोई चक्काजाम तो नहीं था, फिर भी 26 जनवरी की घटना से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस ने राजधानी में सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी कर दी थी. दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर भी शनिवार को ऐसी ही किलेबंदी देखी गई. किसानों के देशव्यापी चक्काजाम को देखते हुए टीकरी बॉर्डर पर करीब 20 स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया था. कंटीले तारों और नुकीली कीलों के बाद यहां जाल भी लगा दिया गया.
किसान नेता (मानसा) रुदलू सिंह ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसा को देखते हुए पुलिस इस बार पहले से ज्यादा चौकस रही. पुलिस बैरिकेड के उस पार बैठे किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन करते रहे. सांगवान खाप के प्रधान वीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों के समर्थन में हरियाणा के चरखी दादरी से 40 गांव के खाप के लोग भी दिखे और पंजाब के मानसा से आये वकीलों का समूह भी मौजूद रहा.
हालांकि टीकरी बॉर्डर से कई किसान दिल्ली से बाहर बाहर चक्काजाम में शामिल होने गए. टीकरी बॉर्डर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा.दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा पुलिस और सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. पुलिस बल के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स और अर्धसैनिक बलों की कंपनियां भी लगाई गई थीं.
दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि चक्काजाम का आह्वान दिल्ली में नहीं थी, लेकिन गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर हम कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहहते थे. लिहाजा भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए गए. दिल्ली की सीमाओं पर भी ऐसी ही सुरक्षा दिखी. बिस्वाल ने कहा कि हमें जहां भी कुछ लोगों के जमा होने या चक्काजाम करने की कोशिशों की सूचना मिली, वहां जनहित को देखते हुए ऐहतियातन उन्हें हिरासत में लिया गया. कुछ लोग शहीदी पार्क पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने हिरासत में लेकर रास्ता खाली करा लिया गया.
कोलकाता, 06 फरवरी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत राज्य के लगभग 70 लाख किसानों को राशि प्राप्त करने से वंचित रखने के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के अहंकार के कारण, बंगाल के किसान केंद्रीय योजना का लाभ नहीं उठा सके।
नड्डा ने मालदा जिले में एक राजनीतिक कार्यक्रम 'कृषक सुरक्षा अभियान' को संबोधित करते हुए कहा, "यह उनके अहंकार के कारण है। उन्होंने जो किया, वह किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने कल्याण कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी। अब जैसे-जैसे चुनाव निकट आ रहे हैं, लगभग 25 लाख किसानों ने अपने दम पर इस योजना के लिए पंजीकरण कराया है। अब सभी चीजों को देखकर, वो भी अपनी सहमति दे रही हैं।"
नड्डा ने कहा कि लगभग 70 लाख किसान पिछले दो वर्षो से 6,000 रुपये की वार्षिक सहायता से वंचित हैं।
उन्होंने कहा, "बंगाल की जनता विधानसभा चुनावों के बाद ममता दी और उनकी तृणमूल कांग्रेस को 'टा-टा' कहेगी।
भाजपा प्रमुख शनिवार को जिले में एक आम-दोपहर के भोजन (साहा भोग) के लिए लगभग 4,000 किसानों के साथ शामिल हुए। लगभग 30 रसोइयों ने दोपहर का भोजन तैयार किया, जिसमें खिचड़ी, मिश्रित सब्जियां, तला हुई बैंगन, चटनी और पापड़ जैसी चीजें शामिल थीं। यह किसानों के घर से एकत्र की गई थी।
नड्डा ने कहा, "भोजन वास्तव में स्वादिष्ट था। इसमें हमारे किसानों का प्यार था। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार किसानों के सपने और आकांक्षाओं को पूरा करेगी।"
उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर का भी दौरा किया।
बंगाल में भाजपा प्रमुख की रैली उस दिन हुई है, जब देशभर के कृषि यूनियनों ने तीन घंटे के राष्ट्रव्यापी चक्का जाम कार्यक्रम का आह्वान किया था, जिसमें देश भर के प्रमुख राजमार्गो को अवरुद्ध करने की कोशिश की गई थी। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 6 फरवरी | किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' में भाग लेते हुए शनिवार को कर्नाटक में कई किसानों, दलित कार्यकर्ताओं और वाम समर्थकों को हिरासत में लिया गया। चक्का जाम से राज्यभर में यातायात पर कोई खास असर नहीं पड़ा। एक तो यह सप्ताहांत था और कई लोगों को इस आंदोलन के बारे में पहले से पता था। दूसरी ओर आंदोलन का समय भी दोपहर 12 से 3 बजे तक रखा गया था, जिससे यातायात पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
बेंगलुरु के उत्तरी उपनगर येलहंका में कई आंदोलनकारी किसानों को दो घंटे से अधिक समय तक राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए हिरासत में लिया गया।
पुलिस ने कुरुबुरु शांताकुमार सहित कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया।
बेंगलुरु के कई ऑफिस जाने वाले ट्रैफिक जाम होने की आशंका से पहले ही ऑफिस पहुंच गए। लेकिन शहर के बाहर कुछ हिस्सों को छोड़कर, ट्रैफिक की आवाजाही सामान्य रही।
ग्रामीण इलाकों में 'चक्का जाम' का विरोध अधिक प्रभावी रहा, जहां किसानों ने बड़ी संख्या में सड़कों पर खाना बनाया, जबकि कुछ कार्यकर्ताओं ने देशभक्ति के गीत गाए और आंदोलनकारियों को बांधे रखने के लिए 'भजन' (भक्ति गीत) भी गाए। ।
ये प्रदर्शन बेंगलुरु, मैसूरु, कोलार, कोप्पल, बागलकोट, तुमकुरु दावणगेरे, हसन, हावेरी, शिवमोगा, चिकबल्लापुरा, और अन्य स्थानों पर किए गए।
बेलगावी जैसे कुछ जिलों में, महिला कार्यकर्ताओं ने भी बड़ी संख्या में बाहर आकर विरोध प्रदर्शन किया। चित्रदुर्ग में कार्यकर्ताओं ने एक मानव श्रृंखला बनाई और कृषि कानूनों और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
आंदोलन की निंदा करते हुए, केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि किसानों द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या की समस्या का हल निकालने के लिए स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू किया है।
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसान तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 6 फरवरी | केंद्र के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शनिवार को पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर राष्ट्रीय और राज्यीय राजमार्गो को बंद कर दिया। ये कदम किसान संघों द्वारा किए गए देशव्यापी चक्का जाम के तहत उठाए गए। हालांकि 3 घंटे का यह जाम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ, फिर भी यात्रियों को खासी समस्या का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं जैसे एम्बुलेंस को नहीं रोका। अधिकांश टोल प्लाजाओं पर वाहनों की एक लेन को नहीं रोका गया, ताकि आपातकालीन वाहनों की आवाजाही हो सके।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक के लिए राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का आान किया था। राष्ट्रीय ध्वज और अपने संघ के झंडे लगाए हुए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों को राजमार्गो पर पार्क कर दिया गया था, जिससे राज्य के बड़े टोल प्लाजा बंद हो गए।
हालांकि विरोध प्रदर्शनों के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए हरियाणा और पंजाब में विभिन्न जगहों पर भारी पुलिस तैनात की गई थी। साथ ही कई जगहों पर ट्रैफिक भी डायवर्ट कर दिया गया था।
विरोध स्थलों पर लंगर आयोजित किए गए। कलाकार सभाओं में प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। इन सभाओं में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल थे।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी)के अलावा आप ने भी पंजाब में चक्का जाम में हिस्सा लिया।
हरियाणा के रोहतक-दिल्ली राजमार्ग पर किसानों ने फंसे हुए यात्रियों को भोजन और पानी दिया। चंडीगढ़-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग 44 को कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत जिलों में कई जगहों पर बंद किया गया। पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू टोल प्लाजा के पास हुए धरने में विपक्षी पार्टी कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने हिस्सा लिया।
प्रदर्शनकारियों ने पानीपत के पास पानीपत-रोहतक राजमार्ग, कैथल और पिहोवा में हिसार-चंडीगढ़ राजमार्ग और असंध के पास करनाल-जींद राजमार्ग को बंद कर दिया। (आईएएनएस)
जयपुर, 6 फरवरी | तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर, धरना-स्थल पर इंटरनेट बंद करने एवं अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर परेशान किए जाने के खिलाफ किसानों ने शनिवार को 12 बजे से अपराह्न् तीन बजे तक तीन घंटों के लिए दिल्ली-जयपुर हाईवे समेत कई प्रमुख राजमार्गो पर यातायात अवरुद्ध किया। गौरतलब है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानों को अपना समर्थन दे रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के आदेशानुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह दोतासरा ने शुक्रवार को चक्का जाम को पूरी तरह सफल बनाने के लिए सभी पदाधिकारियों को सहयोग करने का निर्देश दिया। इसके बाद बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता चक्का जाम करने के लिए सड़कों पर उतर आए।
लगभग 12 बजे प्रदर्शन शुरू हुआ। जयपुर में सड़कों पर ट्रैफिक जाम करने के लिए ट्रैक्टरों का जमावड़ा किया गया, जबकि अलवर में सड़कों पर पत्थर व कंटीली झाड़ियां रखी गईं। कोटा में एक विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली गई।
दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया था। सुबह 11 बजे से ही शाहजहांपुर बॉर्डर (अलवर) से गुजरने वाली सड़क को बंद कर दिया गया था।
शुक्रवार को दौसा में किसान महापंचायत करने वाले पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट चक्का जाम करने उतरे किसानों को संबोधित करने के लिए आज भारापुर पहुंचे। राजस्थान में किसानों के चक्का जाम को सफल बनाने के लिए कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया। वकीलों का एक 50-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल श्रीगंगानगर स्थित धरना-स्थल पर पहुंचा और लंगर के लिए 80,000 रुपये दान किया। (आईएएनएस)
-दिलीप कुमार शर्मा
"डायन प्रथा के ख़िलाफ़ शुरुआती संग्राम में बहुत बाधाएं आईं. मुझे लाठी-डंडे और धारदार हथियार से कई बार मारने का प्रयास किया गया. मुझसे लिखित में लिया गया कि मैं गांव में दोबारा कदम नहीं रखूंगी. मुझे पकड़कर चप्पलों की माला पहनाने के प्रयास किए गए. बहुत धमकियां मिलीं. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. आज डायन-शिकार करने वाले लोग मेरे नाम से ख़ौफ़ खाते हैं."
72 साल की बीरुबाला राभा जब ये बातें कहती हैं तो उनका चेहरा साहस और आत्मविश्वास से चमकने लगता है.
भारत सरकार ने असम की सामाजिक कार्यकर्ता बीरुबाला को इस साल पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है.
राभा जनजाति से आने वाली दुबली-पतली और छोटी कद काठी वाली बीरुबाला ने जादू-टोना करने वाले कथित अवतारों से अब तक 40 से अधिक ग्रामीणों की जान बचाई है. इनमें अधिकतर पीड़ित महिलाएँ हैं.
वह कहती हैं, "पद्मश्री मिलने से मुझे बहुत खुशी हुई है. इससे डायन हत्या जैसे अंधविश्वास के ख़िलाफ़ आगे लड़ने में और मदद मिलेगी. क्योंकि इस तरह की मान्यता के बाद प्रशासन और बाकी के लोगों का पूरा सहयोग मिलने लगता है. मैं जब 1998 में झाड़-फूंक करने वाले 'देवधोनी' अर्थात कथित अवतारों के ख़िलाफ़ खड़ी हुई थी उस समय प्रशासन से पूरी मदद नहीं मिलती थी. क्योंकि मैं अकेली थी और इसलिए लोग मेरी बात नहीं मानते थे. लेकिन 2005 में जब मेरा नाम नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया उसके बाद से पुलिस तथा प्रशासन के लोग मेरी मदद के लिए आगे आने लगे."
BBC/DILIP KUMAR SHARMA
आंदोलन की बदौलत बना क़ानून
डायन हत्या जैसी कुप्रथा के ख़िलाफ़ बीरुबाला के आंदोलन की बदौलत असम सरकार ने 2015 में असम डायन प्रताड़ना (प्रतिबंध, रोकथाम और संरक्षण) क़ानून बनाया.
इस क़ानून में किसी को डायन क़रार देना या फिर डायन के नाम पर किसी का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने को संज्ञेय अपराध माना जाता है और ग़ैर ज़मानती धाराएं लगाई जाती हैं. इस क़ानून में अभियुक्तों को पांच वर्ष के कारावास से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है.
क्या असम में डायन प्रथा के ख़िलाफ़ क़ानून बन जाने के बाद निर्दोष ग्रामीणों की हत्या के मामले कम हुए हैं?
इस सवाल का जवाब देते हुए बीरुबाला कहती हैं, "पहले के मुक़ाबले ग्रामीण लोगों में डायन हत्या को लेकर काफ़ी जागरुकता आई है. इसके साथ ही क़ानून बनने से कुछ लोगों में डर भी पैदा हुआ है. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही अब लोग ठगी करने वाले तांत्रिकों और ओझाओं के पास जाना छोड़ रहे हैं."
वो कहती हैं, "लेकिन जनजातीय समाज में यह अंधविश्वास और कुप्रथा अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है. इसके लिए ख़ासकर आदिवासी महिलाओं को शिक्षित करना बेहद ज़रूरी है. यह अंधविश्वास सैकड़ों साल पुरानी प्रथा की जड़ें हैं जिसे ख़त्म करने के लिए आगे बहुत काम करना है."
BBC/DILIP KUMAR SHARMA
जब पहली बार अंधविश्वास के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई
दरअसल 1996 में बीरुबाला के बड़े बेटे धरमेश्वर को टायफाइड हो गया था और वह उसे लेकर गांव के एक वैद्य के पास गई थीं.
वैद्य ने बीरुबाला से कहा था कि उनका बेटा एक जादूगरनी के चक्कर में पड़ गया है और वह उसके बच्चे की मां बननी वाली है और जैसे ही उस बच्चे का जन्म होगा, उनका बेटा मर जाएगा. लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी उनके बेटे के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
वह कहती हैं, "वैद्य की बात जब झूठी साबित हुई तो मुझे लगा कि ये लोग जादू-टोना कर हमारे आदिवासी समाज को नष्ट कर रहे हैं. महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित किया जा रहा था. मैंने उसी वक्त ठान लिया कि हमारे समाज को डायन जैसी कुप्रथा और अंधविश्वास से मुक्त करवाना है."
"फिर मैंने गांव की महिला समिति से जुड़कर डायन संबंधी जागरुकता पर अंदर ही अंदर काम करना शुरू किया. इस दौरान कई ग़ैर सरकारी संगठनों के लोगों से मुलाक़ात हुई और डायन हत्या जैसे अंधविश्वास के ख़िलाफ़ आवाज़ धीरे-धीरे बुलंद होती चली गई."
पिछड़े आदिवासी गांवों में बड़े पैमाने पर मौजूद अंधविश्वास और स्वास्थ्य सुविधाएँ बुरी हालत में होने के कारण लोग नीम हकीम पर भरोसा करते हैं. यही कारण है कि ये लोग स्थानीय लोगों के साथ मिलकर फ़सल बर्बाद होने, बीमारी और प्राकृतिक आपदाओं के लिए औरतों को ज़िम्मेवार ठहराने लगते हैं.
अकेली महिलाएं, विधवा और बुज़ुर्ग जोड़े मुख्य तौर पर इनके निशाने पर होते हैं. कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें आपसी रंजिश के कारण झाड़-फूंक करने वालों के साथ मिलकर निर्दोष लोगों को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है.
बीरुबाला का मानना है कि इस अंधविश्वास के ख़िलाफ़ औरतों को लड़ना होगा.
वह कहती हैं, "यह मेडिकल साइंस का युग है. जब आप बीमार पड़ जाओ, तो डॉक्टर के पास जाओ न कि किसी नीम-हकीम के पास. जिन लोगों के मन में नफ़रत और हिंसा है वही लोग ऐसे अंधविश्वास को मानते हैं. जब मैं ग्रामीणों से ये बातें कहती हूं तो वे अब मेरी बात सुनते हैं. इस कुप्रथा में विश्वास करने वाले लोग अब मुझसे डरते हैं क्योंकि मेरे बुलाने पर एसपी-पुलिस पहुंच जाएगी."
असम-मेघालय सीमावर्ती ग्वालपाड़ा ज़िले के ठाकुरबिला जैसे एक छोटे से गांव में रहने वाली बीरुबाला ने डायन हत्या के ख़िलाफ़ 22 साल पहले जब यह आंदोलन शुरू किया था उस समय उनके गांव के लोगों ने उन्हें तीन साल तक समाज से बाहर कर दिया था.
लेकिन आज वह जहां भी जाती हैं, उनसे मिलने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है. लोग उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं, सेल्फी और ऑटोग्राफ लेते हैं. पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं. असम के अलग-अलग हिस्सों में बीरुबाला को सम्मानित करने के लिए लोग कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं.
BBC/DILIP KUMAR SHARMA
2011 से 'मिशन बीरुबाला' शुरू किया
असम के जनजातीय ग्रामीण इलाक़ों में बीरुबाला ने डायन प्रथा जैसे अंधविश्वास के ख़िलाफ़ जागरूकता के लिए 2011 से 'मिशन बीरुबाला' शुरू किया है.
इस मिशन से सैकड़ों लोग जुड़े हुए हैं और असम के विभिन्न ज़िलों में काम कर रहे हैं.
पद्मश्री से पहले बीरुबाला को सर्वश्रेष्ठ सामाजिक उद्यमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं. केवल पांचवीं तक की पढ़ाई करने वाली बीरुबाला को उनके काम के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने साल 2015 में मानद डॉक्टरेट की डिग्री से नवाज़ा था.
असम में ख़ासकर आदिवासी समाज में दशकों से डायन के नाम पर ख़ौफ़नाक कहानियां सुनाई जाती रही हैं.
नवंबर 2019 में राज्य विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2011 के बाद से, डायन-शिकार के मामलों में 107 लोग मारे गए हैं. लेकिन पिछले तीन-चार सालों से डायन हत्या से जुड़ी घटनाओं में कमी आई है. (bbc.com)
मुंबई, 6 फरवरी | हजारों की संख्या में किसान, मजदूर, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित कई महिलाओं ने देश भर में सड़कों और राजमार्गो पर राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' के आह्वान के तहत आंदोलन में भाग लिया और दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की। संयुक्ता किसान मोर्चा के प्रवक्ता पीएस प्रसाद के अनुसार , "कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच कार्यकर्ताओं ने राज्य के 36 जिलों में से मुंबई सहित 34 जिलों के प्रमुख सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य महत्वपूर्ण मार्गो को अवरुद्ध कर दिया। कार्यकर्ताओं ने चौराहों पर तख्तियां लहराईं, नारे लगाए और भक्ति या देशभक्ति के गीत गाए।"
भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर, आंदोलन में सभी प्रमुख दलों जैसे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस, वाम दलों के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान सभा, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन(एसएसएस), विदर्भ जन आंदोलन समिति और भारतीय किसान सेना जैसे किसान संगठनों की भागीदारी देखी गई।
प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "पालघर, ठाणे, रायगढ़, पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर, नाशिक, अहमदनगर, उस्मानाबाद जैसी जगहों पर किसानों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम में शांतिपूर्वक भाग लिया।"
दिल्ली में किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए, एनसीपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि स्वतंत्र भारत में यह पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार इस तरह से 'लोगों से भाग' रही है।
पाटिल ने कहा, "सरकार लोगों, किसानों और श्रमिकों का सामना करने से डर रही है, इसलिए वह सड़कों पर किलों और बैरिकेडिंग जैसी रणनीति का सहारा ले रही है।"
कोल्हापुर में एक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित केंद्र सरकार के पक्ष में बोलने वाली तथाकथित हस्तियां भूल जाती हैं कि यह 'करोड़ों आम जनता' हैं, जिन्होंने उनके स्टेटस को उठाया है।
नासिक में, एसएसएस के प्रदेश अध्यक्ष संदीप जगताप ने 'चक्का जाम' की अगुवाई की, बुलढाणा के एसएसएस नेता प्रशांत दिक्कर ने राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 6 फरवरी | केरल में कांग्रेस पार्टी सुप्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक कानून बनाने पर विचार कर रही है। राज्य में अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में युनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट्र (यूडीएफ) की यह पहल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहल साबित हो सकती है, क्योंकि यह मंदिर में प्रवेश के दौरान वर्षो पुरानी परंपरा को तोड़ने वालों के लिए दो साल जेल की सजा भी चाह रही है। बहरहाल, इस संबंध में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने विधेयक का एक प्रारूप प्रकाशित किया है। उनका कहना है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो प्रदेश में इस कानून को लागू किया जाएगा।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि इस प्रारूप के मुताबिक, सबरीमला मंदिर में प्रवेश करते समय वर्षो पुरानी रीतियों एवं परंपराओं का उल्लंघन करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और दो साल के लिए जेल भी भेजा जाएगा।
इस विधेयक के मसौदे में 'तंत्री' या प्रधान पुरोहित को मंदिर की रीतियों एवं परंपराओं के बाबत निर्णय लेने का पूरा अधिकार प्रदान किया गया है।
गौरतलब है कि 2019 के आम चुनावों में माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ को कांग्रेस के हाथों करारी हार मिली थी। इन चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को 20 में से 19 सीटें मिली थीं। इसका कारण माकपा और पिनरायी विजयन के खिलाफ हिंदू समुदाय का गुस्सा बताया जाता है, क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। सबरीमाला मंदिर को बहुत ही पवित्र माना जाता है, क्योंकि यहां विराजमान भगवान अय्यप्पा को 'ब्रह्मचारी' माना जाता है।
इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति प्रदान की थी।
विपक्षी पार्टियों - यूडीएफ और भाजपा ने आरोप लगाया था कि एलडीएफ ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया था, उसी के परिणामस्वरूप शीर्ष अदालत ने ऐसा फैसला सुनाया।
बहरहाल, कांग्रेस के इस विधेयक वाले मसौदे से माकपा और भाजपा में हड़कंप मच गया है। माकपा नेताओं ने कहा है कि यह केवल एक चुनावी स्टंट है। कांग्रेस इस तरह का कानून नहीं ला सकती। इसमें कई रुकावटें हैं।
भाजपा के प्रदेश महासचिव एमटी रमेश ने आईएएनएस को बताया कि यह एक मिथ्या है। सबरीमला को लेकर कांग्रेस कभी भी गंभीर नहीं रही। जब प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे तो उस वक्त कांग्रेस कहां थी? उस वक्त उन्होंने ऐसी घोषणा क्यों नहीं की? कांग्रेस केवल इसके माध्यम से कुछ वोट हासिल करना चाहती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी | केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश के 383 रिहायशी स्कूलों एवं 680 हॉस्टलों का नाम बदल कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेजिडेंशियल स्कूल रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी को समावेशी एवं गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से लिया गया है। यह सभी विद्यालय शिक्षा मंत्रालय की समग्र शिक्षा योजना के तहत वित्तपोषित हैं। मंत्रालय के इस निर्णय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "शिक्षा मंत्रालय ने कम आबादी वाले खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां स्कूल खोलना मुश्किल है और उन शहरी बच्चों, जिन्हें देखभाल की विशेष आवश्यकता है के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को आर्थिक सहायता इसलिए प्रदान की गई है, ताकि वो रिहायशी स्कूल एवं हॉस्टल खोल सकें। हमनें नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया है। इन रिहायशी स्कूलों एवं हॉस्टलों का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेजिडेंशियल स्कूल रखा जाएगा।"
उन्होंने कहा कि देश भर में कुल 383 स्कूल एवं 680 हॉस्टलों का नाम बदला जाएगा। इसके अलावा यह सभी संस्थान कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करेंगे और उनके जैसी गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयास करेंगे।
डॉ. निशंक ने कहा, "नेताजी का नाम न सिर्फ छात्रों बल्कि शिक्षकों, अन्य स्टाफ के सदस्यों को और स्कूलों के प्रशासन को गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।"
इन सभी स्कूलों में नियमित करिकुलम के अलावा विशिष्ट कौशल प्रशिक्षण, सेल्फ-डिफेन्स, इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। (आईएएनएस)
-अमरीश कुमार त्रिवेदी
नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चक्काजाम का असर देश भर में देखने को मिला. पंजाब-हरियाणा, राजस्थान ही नहीं तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में भी किसानों और उनका समर्थन कर रहे संगठनों ने राजमार्ग जाम कर यह दिखाया कि किसान आंदोलन सिर्फ एक-दो राज्यों तक सीमित नहीं है. किसानों का यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा.
यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली में किसानों ने चक्काजाम नहीं करने का ऐलान किया था, दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे 50 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. चक्काजाम के आह्वान को लेकर राजधानी दिल्ली, यूपी समेत तमाम राज्यों में अभूतपूर्व सुरक्षा बंदोबस्त देखे गए. दिल्ली-एनसीआर में 50,000 के करीब जवानों की तैनाती की गई और लाल किले को छावनी में तब्दील कर दिया गया था.
हरियाणा में किसानों ने अतोहन चौक के पास पलवल-आगरा हाईवे को ब्लॉक कर दिया. हरियाणा के फ़तेहाबाद में किसानों ने वाहनों के हॉर्न बजाकर चक्का जाम का कार्यक्रम समाप्त किया.पंजाब के अमृतसर में दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे समेत कई इलाकों में राजमार्ग पूरी तरह जाम रहे.
दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डरपर पुलिस के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स की टीमें किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए मुस्तैद रहीं. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 50 हजार से पुलिसकर्मियों, अर्धसैनिक बल और रिजर्व फोर्स की तैनाती रही.तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हाईवे पर किसानों ने चक्काजाम कर धरना दिया. वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हुए.
बेंगलुरु के येलाहांका इलाके में किसानों ने दो घंटे से ज्यादा वक्त तक हाईवे पर वाहनों का आवागमन नहीं होने दिया. पुलिस ने किसान नेता के शांताकुमार समेत तमाम लोगों को हिरासत में लिया. मैसुरु, कोलार, कोप्पल, बागलकोट, तुमकुर, देवानगिरि, मंगलुरु में भी ऐसे प्रदर्शन देखने को मिले..
ट्रैक्टर-ट्रक लगाकर बंद किया ईस्टर्न पेरिफ़ेरेल एक्सप्रेसवे
किसानों ने सोनीपत में अपने ट्रैक्टर और बड़े ट्रक लगाकर ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफ़ेरेल एक्सप्रेसवे बंद किया. किसान एंबुलेंस और अन्य आपात सेवा के वाहनों को जाने दे रहे थे. किसानों ने सोनीपत में कुंडली बॉर्डर के पास केजीपी-केएमपी पर जाम लगाया.
इन राजमार्गों को भी ठप किया
किसान संगठनों का आह्वान पर बुलाये गये चक्का जाम के दौरान, किसानों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे, अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे, शाहजहांपुर (राजस्थान-हरियाणा) बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम किया.
सरकार को दो अक्टूबर तक मोहलत : टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आज चक्का जाम हर जगह शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा है. अगर कोई भी अप्रिय घटना होती है तो दंड दिया जाएगा. हमने सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दो अक्टूबर तक की मोहलत दी है.
दिल्ली में नारे लगा रहे SFI के लोग हिरासत में
ITO से लाल किला की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित शहीदी पार्क के सामने दोपहर एक बजकर 27 मिनट पर फिर से JNU से जुड़े SFI के करीब 8-10 लोग अचानक पोस्टर, बैनर लेकर अचानक नारेबाजी करने लगे. पुलिस ने नारेबाजी कर रहे उन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
पणजी, 6 फरवरी | केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कहा कि वामपंथी और 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृषि क्षेत्र में उपलब्धियों को धूमिल, बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के राज्य मुख्यालय में यहां मीडिया को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि पिछले यूपीए के शासनकाल की तुलना में एनडीए के शासनकाल के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
सिंह ने कहा, "वामपंथी और 'टुकड़े-टुकड़े गिरोह' कृषि क्षेत्र में मोदी की उपलब्धियों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।"
सिंह ने कहा, "2009-2014 (यूपीए के शासन) में कृषि बजट लगभग 88,000 करोड़ रुपये था। 2014-2020 में बजटीय खर्च बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह बजटीय खर्च में 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।"
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली के पास चल रहे किसानों के विरोध के बावजूद, केंद्र ने मौसमी रबी फसलों की खरीद में वृद्धि की उम्मीद जताई है। (आईएएनएस)
अमरावती, 6 फरवरी | आंध्र प्रदेश में चार चरण के पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के लिए नामांकन शनिवार से शुरू हो गया। हालांकि पंचायत चुनाव गैर-राजनीतिक आधार पर होने वाले हैं, लेकिन इन चुनावों में हर कदम राजनीतिक दलों के निर्देश पर ही उठाए जा रहे हैं। चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए लाखों रुपये कथित रूप से खर्च किए जाते हैं।
उम्मीदवार खुलेआम जनसेना, वाईएसआरसीपी और तेलुगू देशम पार्टी जैसे राजनीतिक दलों के झंडे और प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले नामांकन भरने की प्रक्रिया के लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे के बीच नामांकन स्वीकार किए जाएंगे।
नामांकन के लिए केवल दो व्यक्तियों को उम्मीदवारों के साथ जाने की अनुमति होगी।
प्रत्याशी और उनके समर्थक वोट मांगने के लिए गांवों के एक-एक घर का दौरा कर रहे हैं।
पंचायत चुनाव मूल रूप से 2018 में होने थे, जब स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया था, लेकिन राज्य निर्वाचन आयुक्त निम्मगड्डा रमेश कुमार ने उस समय चुनाव नहीं करवाए।
मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी मार्च 2020 में चुनाव करवाना चाहते थे, लेकिन कुमार ने कोरोनोवायरस महामारी का हवाला देते हुए इसे हरी झंडी देने से इनकार कर दिया था, जिससे दोनों के बीच एक बड़ा गतिरोध पैदा हो गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी | केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने नक्सलियों से लोहा लेने के लिए अपनी प्रतिष्ठित कोबरा यूनिट में शामिल करने को महिला कमांडो की पहली बैच का चयन किया है। सीआरपीएफ की सभी छह महिला बटालियनों से कुल 34 महिला कमांडो का चयन किया गया है। प्रतिष्ठित कोबरा (कमांडो बटालियन्स फॉर रिसॉल्यूट एक्शन) यूनिट में शामिल किए जाने से पूर्व इन्हें तीन महीने तक सख्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि तीन महीने के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें आधुनिक हथियार चलाना सिखाया जाएगा। इसके अलावा शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि करने के साथ-साथ प्लानिंग, फिल्ड क्राफ्ट व विस्फोटकों के इस्तेमाल का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। जंगल में नक्सलियों से मोर्चा लेते समय घिर जाने के बाद खुद को बचाने के गुर भी उन्हें सिखाए जाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद इन महिला कमांडो को पुरुष कमांडो के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने नक्सलियों से मुकाबला करने के उद्देश्य से गुरिल्ला और जंगल में लड़ाई करने जैसी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कोबरा की 10 बटालियन गठित करने की मंजूरी दी थी।
कोबरा के दो बटालियनों का गठन 2008-2009 में किया गया था। साल 2009-10 में बटालियन की संख्या बढ़ाकर चार कर दी गई। इसके बाद 2010-2011 में चार और बटालियन का गठन किया गया। फिलहाल सीआरपीएफ के पास 246 बटालियन हैं। इनमें 208 एग्जिक्यूटिव, छह महिला, 15 आरएएफ, 10 कोबरा, पांच सिग्नल, एक स्पेशल ड्यूटी ग्रुप और एक पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप शामिल हैं।
सीआरपीएफ के डीआईजी एम. दिनाकरन ने आईएएनएस को बताया कि जिन 34 महिला कमांडो का चयन किया गया है, उन्होंने स्वेच्छा से कोबरा यूनिट में शामिल होने के लिए अपने नाम सुझाए थे। इनके अलावा 200 और महिला कमांडो ने भी सीआरपीएफ की इस प्रतिष्ठित यूनिट में शामिल होने के लिए अपने नाम दिए हैं। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 6 फरवरी | केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने यह कहते हुए सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआई-एम पर हमला किया है कि वह केरल को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है। साथ ही कहा कि यूडीएफ की प्रमुख प्रतिनिधि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के खिलाफ हमला करना इसी दिशा में एक कदम था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चेन्निथला ने अपनी ऐश्वर्या केरल यात्रा के दौरान मीडिया से यह बात कही। उन्होंने कहा कि सीपीआई-एम के राज्य सचिव ए.विजयराघवन द्वारा आईयूएमएल की तुलना इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन से करने के पीछे एक स्पष्ट एजेंडा है।
विजयराघवन ने 4 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि चेन्निथला और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चंडी, आईयूएमएल के प्रदेश अध्यक्ष हैदर अली शिहाब थंगल और पार्टी के अन्य नेता मिलकर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना की जा रही है क्योंकि आईयूएमएल की छवि राज्य में धर्मनिरपेक्ष मुस्लिम संगठन की है। इसने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राज्य में सांप्रदायिक नरसंहार को रोकने के लिए काफी काम किया था।
चेन्निथला ने कहा कि सीपीआई-एम राज्य को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है, ताकि वह हिंदू वोट बैंक पा सके। उसने ऐसा खेल 1987 के विधानसभा चुनावों में भी सफलतापूर्वक खेला था। लेकिन अब उनका यह एजेंडा सफल नहीं होगा।
चेन्निथला ने आईएएनएस से कहा, "सीपीआई-एम के नेताओं ने सार्वजनिक सेवा आयोग को किनारे करके सरकारी विभागों में अपने रिश्तेदारों को भर्ती किया है। पूर्व सांसद एमबी राजेश की पत्नी को श्री शंकरा यूनिवर्सिटी में मलयालम में सहायक प्रोफेसर के रूप में पहली रैंक मिली है। जबकि उनका इंटरव्यू लेने वाले पैनल में शामिल 3 विशेषज्ञों ने आरोप लगाया है कि रैंक लिस्ट में उनका नाम काफी नीचे था। साफ है कि राज्य में सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है।" (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 6 फरवरी | पंजाब और हरियाणा में किसानों ने शनिवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की अपनी मांग को लेकर देशव्यापी 'चक्का जाम' किए जाने के एक हिस्से के रूप में राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गो पर जाम लगाए रखा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एम्बुलेंस और स्कूल बस जैसी आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं पर रोक नहीं लगाई जाएगी। दोनों राज्यों में से कहीं से भी हिंसा की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा देशव्यापी दोपहर 12 बजे से लेकर शाम के तीन बजे तक 'चक्का जाम' का आह्वान किया है।
विभिन्न संगठनों से संबंधित प्रदर्शनकारी किसान राजमार्गो पर जमा होने लगे हैं। ऐसा खासकर दोनों राज्यों के टोल प्लाजाओं के समक्ष किया जा रहा है ताकि 'चक्का जाम' को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
किसानों के विरोध को देखते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब के विभिन्न स्थानों पर पुलिस की भारी तैनाती की गई है।
एहतियात के तौर पर पुलिस ने कई स्थानों पर ट्रैफिक को डायवर्ट किया है। कई किसान संघों के कार्यकर्ता कांग्रेस शासित पंजाब में कई जगहों पर व्यापारियों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों से दुकान बंद रखने की अपील कर रहे हैं ताकि इसके माध्यम से इस विरोध प्रदर्शन में उनकी सहभागिता को दर्शाया जा सके। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी | सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध के कारण पिछले 65 दिनों में जीरो कारोबार के साथ, दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) ने कहा है कि उनके लिए गुजारा करना मुश्किल है क्योंकि उन्हें सरकार को वेतन और करों का भुगतान करना होगा। यह भी कहा गया कि किसान दो पेट्रोल पंपों के पास 'लंगर' का खाना पका रहे हैं जो विस्फोटक नियमों के खिलाफ है। डीपीडीए प्रबंध समिति के सदस्य राजीव जैन ने कहा, "सिंघु बॉर्डर पर सभी छह पेट्रोल पंप और टिकरी बॉर्डर पर पांच पेट्रोल पंप किसानों के विरोध के कारण अवरुद्ध है।"
जैन ने कहा कि पिछले 65 दिनों से डीजल, पेट्रोल और सीएनजी की बिक्री नहीं हुई है।
जैन ने कहा, "दिल्ली की सीमाओं के आसपास फैक्ट्री, कार शोरूम और दुकानों में भी पिछले दो महीनों से कारोबार में कमी आई है और उन्हें वेतन, बिजली के फिक्स चार्ज, बैंक ब्याज ईएमआई, पीएफ, ईएसआई आदि जैसे सभी खर्च उठाने पड़ रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "ऐसे हालात में ज्यादा दिनों तक टिके रहना मुश्किल है।"
जैन ने कहा, "किसान दो पेट्रोल पंपों के अंदर बैठे हैं और 'लंगर' पका रहे हैं। यह विस्फोटक नियमों के खिलाफ है। दिल्ली पुलिस को इस बारे में लिखित रूप से सूचित किया गया है, लेकिन उन्हें हटाया नहीं गया है।"
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
सरकार के साथ किसानों की बातचीत के ग्यारह दौर अनिर्णायक रहे हैं, जबकि किसानों की 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में शहर के कई स्थानों पर हिंसक झड़पें देखी गईं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 फरवरी | कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों ने आज (शनिवार) को देशव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया गया है। इसी क्रम में दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर स्थिति शांतिपूर्ण है, वहीं अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए यहां की इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "यहां स्थिति शांतिपूर्ण है, हालांकि, सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। किसी को भी विरोध स्थल की ओर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।"
सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन स्थल से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर (सिंघोला गांव में) बैरिकेड्स लगा दिए हैं। 500 मीटर आगे बैरिकेड्स की दूसरी लाइन लगाई गई है। सिंघु सीमा पर विरोध स्थल से 300 मीटर की दूरी पर अधिक बैरिकेड्स लगाए गए हैं।
सीमावर्ती इलाकों में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी को रोक दिया गया है। मीडिया कर्मियों को भी विरोध स्थल में प्रवेश की अनुमति नहीं है। (आईएएनएस)