राष्ट्रीय
मनोज पाठक
पटना, 9 फरवरी | बिहार में पिछले साल नवंबर में बनी नीतीश सरकार का मंगलवार को मंत्रिमंडल विस्तार हो गया। मंत्रिमंडल विस्तार में 17 नए मंत्री बनाए गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (युनाइटेड) ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है।
भाजपा और जदयू ने शाहनवाज हुसैन और जमां खान को मंत्री बनाकर जहां अल्पसंख्यकों को खुश करने की कोशिश की है, वहीं भाजपा ने नितिन नवीन को मंत्री का दायित्व देकर कायस्थ वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि दोनों दलों में से एक भी मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा नहीं पहुंचा था। शाहनवाज हुसैन को विधान पार्षद पहुंचाया गया तथा जमां खान बहुजन समाज पार्टी से जदयू में शामिल हुए हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में ऐसे तो सभी जाति से आने वाले नेताओं को मंत्री बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन सबसे अधिक राजपूत जाति को तवज्जो दी गई है। राजपूत जाति से आने वाले चार लोगों को मंत्री बनाया गया है। भाजपा और जदयू ने दो-दो राजपूत नेताओं को मंत्री बनाकर सवर्णो पर भी विश्वास जताया है।
भाजपा ने जहां नीरज कुमार बबलू व सुभास सिंह को मंत्री बनाया, वहीं जदयू ने लेसी सिंह और जमुई से निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को मंत्री बनाया है। दोनों दलों ने ब्राम्हण जाति से आने वाले एक-एक नेता को मंत्री बनाया गया है। भाजपा ने जहां आलोक रंजन को मंत्री बनाया है, वहीं जदयू ने संजय कुमार झा पर एकबार फिर विश्वास जताया है।
भाजपा ने अपने वैश्य वोटबैंक पर भी विश्वास जताया है। भाजपा ने विधायक प्रमोद कुमार को तथा नारायण प्रसाद को मंत्री बानकार वैश्य जातियों के वोटबैंक को साधने की कोशिश की है।
इसी तरह, जदयू ने अपने वोटबैंक कोइरी, कुर्मी पर विश्वास जताया है। जदयू ने कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश कुमार के विश्वासपात्र श्रवण कुमार को तथा कुशवाहा जाति से आने वाले जयंत राज को मंत्री बनाया है। जदयू ने मल्लाह समाज से आने वाले मदन सहनी को भी मंत्री बनाया गया है।
भाजपा ने दलित समुदाय से आने वाले पूर्व सांसद जनक राम को मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जबकि जदयू ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे गोपालगंज के भोरे के विधायक सुनील कुमार को मंत्रिमंडल में स्थान देकर दलित कॉर्ड भी खेलने की कोशिश की है।
बहरहाल, मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए दोनों दलों ने अपने-अपने तरीके से जहां अपने वोटबैंक को खुश करने की कोशिश की है, साथ ही नए सियासी समीकरण साधने की भी कोशिश की है। वैसे अब देखने वाली बात होगी कि दोनों दल इसमें कितना सफल हो पाते हैं। वैसे, मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही भाजपा में बगावती सुर भी सुनाई देने लगे हैं।
भाजपा से बाढ़ विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानु ने नए मंत्रियों के चेहरों पर पार्टी के निर्णय को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि अनुभवी लोगों को दरकिनार कर दिया है तथा सवर्णों की उपेक्षा की गई है।
ज्ञानु ने मंगलवार को कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में ना अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है और नाही क्षेत्र में सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कई जिलों से तीन-तीन मंत्री बन गए हैं, जबकि कई जिलों को छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा कि दिग्गज नेता जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र और अनुभवी नेता नीतीश मिश्रा को भी मंत्री बनाने लायक नहीं समझा गया। उन्होंने कहा कि विस्तार में भाजपा ने जाति, क्षेत्र और छवि का ख्याल भी नहीं रखा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के पार्टी सांसदों ने नए केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने का फैसला किया है। आनंदपुर साहिब से सांसद तिवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कृषि कानूनों पर बात की, लेकिन कोई भी किसान उन पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए हमने इस रास्ते को अपनाने का फैसला किया।"
कांग्रेस सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि वे लोकसभा सचिवालय को सौंपे गए विधेयकों पर चर्चा की अनुमति दें।
कांग्रेस नेता ने कहा कि वे इस मुद्दे पर राज्यसभा के सभापति से भी मुलाकात करेंगे।
एक अन्य कांग्रेस सांसद परनीत कौर, जो पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं, ने कहा कि वे इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग के साथ खड़ी हैं।
पंजाब के सांसदों ने संसद के अन्य सदस्यों से अपील की कि वे कृषि कानूनों पर ऐसे विधेयकों की शुरुआत करें।
कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने कहा, "जिन सांसदों ने कृषि के तौर पर अपना पेशा बताया है, उन्हें प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने चाहिए।"
कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, "लोकसभा में 203 और राज्यसभा में 64 सांसद हैं, जिन्होंने कृषि को अपना पेशा दिखाया है। इसलिए, हम उनसे पक्षपातपूर्ण राजनीति से बाहर निकलकर इन प्राइवेट मेंबर्स बिल में मदद करने की अपील करते हैं।"
तिवारी ने कहा कि संसदीय इतिहास में इस तरह के 14 विधेयकों को कानूनों में बदला गया है।
मोदी ने सोमवार को किसानों से अपील की थी कि वे इस मुद्दे पर आंदोलन खत्म करके इसका हल निकालने के लिए केंद्र के साथ फिर से बातचीत शुरू करें।
बता दें कि मंत्री द्वारा लाए गए विधेयक (बिल) को सरकारी बिल कहा जाता है, जिसका समर्थन सरकार करती है। वहीं प्राइवेट मेंबर बिल उन सांसदों द्वारा पेश किया जाता है, जो मंत्री नहीं होते।
दरअसल, इसका मुख्य उद्देश्य सरकार का ध्यान उन मुद्दों की तरफ दिलाना होता है, जो महत्वपूर्ण होते हैं और जिन पर कानूनी हस्तक्षेप की जरूरत होती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | बीते करीब 10 महीने से अधिकांश स्कूलों में कोई नियमित कक्षाएं नहीं थीं, लेकिन फिर भी 10 वीं और 12 वीं कक्षा के छात्र बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे। कुछ छात्र परीक्षा से डरे हुए हैं, कई छात्र दबाव में भी हैं। छात्रों की मनोदशा को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी, छात्र छात्राओं के साथ बोर्ड परीक्षाओं पर चर्चा करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी छात्रों की विभिन्न समस्याओं और परेशानियों पर चर्चा करेंगे। साथ ही आगामी बोर्ड परीक्षा के लिए पीएम उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस वर्ष प्रधानमंत्री द्वारा की जाने वाली 'परीक्षा पर चर्चा' ऑनलाइन माध्यमों पर आयोजित की जा सकती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा, "छात्रों, आप सभी के लिए खुशखबरी है। परीक्षा पर चर्चा वापस आ रही है, आपके लिए पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करने का सुनहरा अवसर है। हम परीक्षा पर चर्चा 2021 के बारे में अधिक जानकारी साझा करेंगे।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष भी छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा की थी। इस कार्यक्रम में इस बार खास तौर पर दिव्यांग छात्रों को प्रधानमंत्री से अपने मन की बात कहने व प्रश्न पूछने का अवसर मिला था। छात्रों के बीच प्रधानमंत्री की यह चर्चा काफी लोकप्रिय रही है। बीते अन्य वर्षों के मुकाबले पिछले वर्ष 250 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने परीक्षा पर चर्चा के लिए अपना पंजीकरण करवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परीक्षा पर चर्चा के कार्यक्रम में पिछली बार भारतीय छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे छात्र भी जुड़े।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि छात्रों की परीक्षाएं तनावमुक्त हों, ताकि सभी विद्यार्थी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। शिक्षा मंत्रालय देशभर के सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों से परीक्षा पर चर्चा 2021 कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान करेगा।
बीते वर्ष परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के मद्देनजर ओडिशा, असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल जाकर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने वहां छात्रों के साथ विशेष मुलाकाते कीं। उन्होंने स्कूल में छात्रों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की। (आईएएनएस)
रांची, 9 फरवरी | उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद झारखंड के पंद्रह लोग लापता हैं, एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, उत्तराखंड में जोशीमठ के पास बाढ़ के बाद अब तक 26 शव बरामद किए गए हैं। शाह ने मंगलवार को कहा कि एक भूस्खलन के बाद हिमस्खलन की यह दर्दनाक घटना हुई।
उत्तराखंड में लापता हुए लोगों के परिजनों ने झारखंड सरकार से सहायता की गुहार लगाई है।
राज्य मुख्यालय के एक अधिकारी के अनुसार, लोहरदग्गा जिले के नौ लोग और रामगढ़ जिले के छह लोग रविवार से लापता हैं।
वे 23 जनवरी को एनटीपीसी परियोजना के काम के लिए उत्तराखंड में थे। लापता लोगों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ हैं और परिवार के सदस्य उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना में लापता हुए लोगों के परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
सोरेन ने कहा कि यदि उन्हें किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो उन्हें उन हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करना चाहिए, जो श्रम विभाग द्वारा संचालित राज्य नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी किए गए हैं।
झारखंड सरकार ने कुल 11 हेल्पलाइन और कुछ व्हाट्सएप नंबर जारी किए हैं, जिन पर लोग जानकारी और सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
कंट्रोल रूम के नंबरों में 06512490055, 06512490083, 06512490036, 06512490058, 06512490052 और 06512490152 नंबर शामिल हैं। जरूरतमंदों के लिए व्हाट्सएप नंबर 9470132591, 9431336427, 9431336398, 9431336472 और 9431337272 जारी किए गए हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | उत्तराखंड में जोशीमठ के पास आए सैलाब के बाद अब तक 26 शव बरामद किए जा चुके हैं। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्य में हुई त्रासदी के पीछे भूस्खलन को प्रमुख वजह बताते हुए कहा कि भूस्खलन से ही हिमस्खलन शुरू हुआ था। गृहमंत्री ने कहा कि भूस्खलन से लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ और उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई।
शाह ने कहा कि उपग्रह डेटा के अनुसार, ऋषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्र तल से 5600 मीटर ऊपर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जितना बड़ा था, जिससे ऋषि गंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ्लड की स्थिति बन गई।
उन्होंने कहा कि इस घटना को 5,600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर के टर्मिनस पर ऋषि गंगा नदी के कैचमेंट में 7 फरवरी, 2021 (रविवार) के उपग्रह डेटा (प्लेनेट लैब) से देखा गया है।
रविवार की सुबह 10 बजे हुई त्रासदी पर राज्यसभा में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि ऋषिगंगा में जल स्तर के बढ़ने पर फ्लैश फ्लड के कारण 13.2 मेगावाट की एक कार्यात्मक ऋषिगंगा छोटी पनबिजली परियोजना (स्मॉल हाइड्रो प्रोजेक्ट) को नुकसान पहुंचा है।
शाह ने आगे कहा, "बाढ़ की वजह से धौली गंगा नदी पर तपोवन में निर्माणाधीन 520-मेगावॉट एनटीपीसी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ है।"
उत्तराखंड सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी का हवाला देते हुए, मंत्री ने कहा कि नीचे की ओर बाढ़ का कोई खतरा नहीं है।
शाह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार उस स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही है।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री स्वयं स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, जिससे राज्य को संभव मदद मिल सके।"
उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपना नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और सभी आवश्यक उपकरणों के साथ 450 आईटीबीपी कर्मी बचाव और राहत कार्यो में लगे हुए हैं।
पांच राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और बचाव और राहत कार्यो में लगी हुई हैं। मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना की आठ टीमें, जिनमें एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) शामिल हैं, बचाव कार्य कर रही हैं।
शाह ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं और जोशीमठ में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
घटनास्थल पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, मंत्री ने कहा कि तलाशी और बचाव अभियान लगातार चलाया जा रहा है।
उत्तराखंड सरकार से सोमवार शाम तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंत्री ने कहा कि कुल 197 लोग लापता हैं। लापता व्यक्तियों में एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 व्यक्ति, कार्यात्मक ऋषिगंगा परियोजना के 46 व्यक्ति और 12 ग्रामीण शामिल हैं।
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने विभिन्न स्रोतों से यह जानकारी एकत्र की है और इसमें बदलाव भी संभव है।
मंत्री ने कहा कि लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान युद्ध स्तर पर जारी है और लापता व्यक्तियों की तलाश के लिए एक साथ सभी प्रयास किए जा रहे हैं। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 9 फरवरी | कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान अब अगली रणनीति के तहत गाजीपुर बॉर्डर पर किसान क्रांति पार्क बनाने की योजना बना रहे हैं। यूपी गेट पर आंदोलन में जान गवाने वाले किसानों की याद में ये स्मारक बनेगा, जिसके लिए किसान तैयारी कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर (यूपी गेट) पर इस स्मारक के लिए जगह को तलाशा जा रहा है, फिलहाल एक जगह सफाई कराई गई है, लेकिन अभी तक ये तय नहीं हो सका है कि इस स्मारक स्थल को कहां बनाया जाएगा।
इस स्मारक में एक बेंच लगवाई जाएगी, जिसपर लोग बैठ सकेंगे, वहीं एक तिरंगे का स्टैंड लगवाया जाएगा, जिसपर राष्ट्रीय ध्वज के साथ साथ किसान संगठन का तिरंगा लगेगा।
इस स्मारक में देश विदेश से आए जल का इस्तेमाल किया जाएगा। दरअसल 28 जनवरी को राकेश टिकैत ने मंच से एक भावुक अपील की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि, "मैं पानी तब पियूंगा जब आप अपने अपने गांव से पानी लेकर आएंगे।" उसके बाद से देशभर के विभिन्न जगहों से किसान पानी लेकर आए थे।
भाकियू की तरफ से मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मालिक ने आईएएनएस को बताया कि, "जल्द निर्माण की शुरूआत करेंगे, इसमें विभिन्न जगहों से आया जल और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा।"
"फिलहाल जगह को तलाश रहे हैं और उसकी सफाई करा उसपर काम शुरू कराएंगे, स्मारक पर एक पत्थर लगवाया जाएगा, जिसपर आंदोलन में शहीद हुए किसानों के नाम चिन्हित होंगे।"
इस स्मारक को बनाने की बात चल रही है, वहीं अगले एक दो दिन में इसके निर्माण की शुरूआत के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि इस स्मारक को बनाने की सूचना किसानों ने प्रशासन को नहीं दी है।
इस स्मारक को बनाने के पीछे का संदेश किसान ये देना चाहते हैं कि, मौजूदा वक्त में जो आंदोलन चल रहा है वो हमेशा लोगों को याद रहे और किसानों के मुद्दों पर संघर्ष करने के लिए प्रेरित करे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा गाजीपुर बॉर्डर से सोमवार को इसकी घोषणा की गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को संबोधित कर कहा कि, "आंदोलन स्थल पर एक स्मारक तैयार किया जाएगा। यह स्मारक आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के लिए बनाया जाएगा। आने वाले समय में जब भी देश में किसान क्रांति होगी तो इस जगह को हमेशा याद रखा जाएगा।" (आईएएनएस)
-सलमान रावी
पश्चिम बंगाल और असम के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के ‘योग और चाय’ के ख़िलाफ़ ‘अंतरराष्ट्रीय साज़िश’ चल रही है. उनका कहना था कि, “षड्यंत्रकारी, असम के चाय बग़ान के कामग़ारों और योग को निशाना बना रहे हैं.”
इस दौरान उन्होंने असम के सोनितपुर ज़िले के ढेकियाजूली में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास समारोह और पश्चिम बंगाल के हल्दिया में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
असम के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “भारत को बदनाम करने के लिए वो चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने की बात कर रहे हैं. टी-वर्कर्स की कड़ी मेहनत पर हमला करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. योग जैसी भारत की विरासत पर हमला किया जा रहा है.”
उनका यह भी कहना था, “आप समाचारों में देख रहे होंगे, आजकल किस तरह के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र सामने आ रहे हैं. अब तो इस बात की प्लानिंग की जा रही है कि कैसे भारत को बदनाम करना है. कैसे भारत की छवि को बिगाड़ना है.”
ज़ाहिर है प्रधानमंत्री का इशारा स्वीडन की युवा पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग की तरफ था जिन्होंने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था. सबसे पहले ग्रेटा ने जो ट्वीट किया था उसमें उन्होंने ‘टूलकिट’ की एक प्रति संलग्न की थी जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया था.
इस टूलकिट में और भी चीज़ों के अलावा ये भी कहा गया था कि “विश्व में भारत की जो छवि जो योग और चाय को लेकर बनी है उसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.”
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलकर इसका उल्लेख तो नहीं किया मगर वो इशारों-इशारों में जो कह रहे थे उससे समझ में आ रहा था कि वो क्या कहना चाह रहे हैं. हालांकि मोदी के कार्यक्रम के बाद असम के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने उस डिलीट किए गए ‘टूलकिट’ की इमेज़ ट्विटर पर शेयर की जिससे साफ़ हो गया कि प्रधानमंत्री क्या कहना चाह रहे थे.
चूँकि ‘टूलकिट’ में चाय का ज़िक्र था और मोदी असम में थे, उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज़ सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि कुछ विदेशी ताक़तें चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने का षड्यंत्र कर रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का कहना था, “मैं असम की ज़मीन से इन षड्यंत्रकारियों को कहना चाहता हूँ कि वो जितनी भी कोशिश कर लें, ये देश उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देगा. मेरे चाय बग़ान के मज़दूर इस जंग को जीतेंगे. ये हमले इतने मज़बूत नहीं हैं कि वो चाय बग़ान के मज़दूरों की कड़ी मेहनत का मुक़ाबला कर सकें.”
मोदी ने कहा कि जो कोई इस षड्यंत्र में शामिल है उसे “जवाबदेह” बनाया जाएगा.
कहा जा रहा है कि इस रैली से मोदी ने अपनी पार्टी के लिए चुनावी प्रचार का औपचारिक शुरुआत कर दी. उनका ये बयान इसलिए भी गंभीरता से लिया जा रहा है क्योंकि राज्य में विधानसभा की जिन 126 सीटों पर चुनाव होंगे उसमे 35 ऐसी सीटें हैं जिनपर चाय बग़ान के मज़दूरों का वोट निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री ने भी असम में सभाओं को संबोधित किया लेकिन इस बार उन्होंने ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स’ की कोई चर्चा नहीं की जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था.
चूँकि समारोह सोनितपुर में हो रहा था. उन्होंने कहा, “सोनितपुर की लाल चाय अपने अलग स्वाद के लिए जानी जाती है. मुझसे बेहतर भला ये कौन बता सकता है कि सोनितपुर और असम की चाय का स्वाद इतना ख़ास और अलग क्यों है.”
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, “कोई चाय को कैसे बदनाम कर सकता है? क्या अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ चाय अवमानना का मामला दायर किया जाएगा? मैं समझता हूँ दिल्ली पुलिस ने अब तक अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ विश्व भर में प्राथमिकियां दर्ज कर दी होंगी.”
भारत में चाय उत्पादन के मुख्य केंद्र
भारत में चाय का सबसे ज़्यादा उत्पादन मुख्य तौर पर उत्तरी बंगाल के दार्जीलिंग और दोआर के इलाक़ों के अलावा पूर्वोत्तर राज्य असम में होता है. दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु के ऊटी और कोडाईकनाल यानी निलगिरी के इलाक़ों में भी भारी मात्रा में चाय का उत्पादन होता है. मगर पूरे देश में पूर्व और पूर्वोत्तर राज्य ही ऐसे हैं जहाँ इसका उत्पादन सबसे ज़्यादा है.
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स और चाय बोर्ड इंडिया की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि भारत की चाय की गुणवत्ता पूरे विश्व में चाय उत्पादन करने वाले देशों में सबसे अच्छी है.
इसका कारण भारत का मौसम बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इसी वजह से साल दर साल भारत में चाय के उत्पादन में काफ़ी निवेश देखने को मिला है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में पैदा होने वाली चाय का तीन-चौथाई हिस्सा देश में ही खप जाता है. आबादी के हिसाब से चाय पीने वालों की ये संख्या पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा है.
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स और चाय बोर्ड इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 830.90 अरब अमेरिकी डॉलर तक की चाय का निर्यात किया था जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 826.47 अरब अमेरिकी डॉलर की चाय का निर्यात भारत से किया गया.
चाय का सबसे ज़्यादा निर्यात करने वाले देशों में भारत चौथे स्थान पर है. केन्या, चीन और श्रीलंका इस मामले में भारत से आगे हैं.
चाय के निर्यात में भले ही भारत चौथे स्थान पर हो मगर इसके उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. चाय की सबसे ज़्यादा खपत भारत में ही होती है.
कहा जाता है कि चीन ने ही पूरी दुनिया को सबसे पहले चाय पीना सिखाया था इसलिए ज़ाहिर है कि अभी भी चाय के उत्पादन में उसका दबदबा बरक़रार है. आंकड़ों की अगर बात की जाए तो पूरे विश्व में चाय के उत्पादन का 38 प्रतिशत उत्पादन सिर्फ़ चीन में होता है जो कि 1.9 अरब टन तक आंका गया है.
टी बोर्ड इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में कुल 1339.70 अरब किलो चाय का उत्पादन हुआ था. पिछले साल जनवरी से फरवरी माह तक में 30.54 अरब किलो तक चाय का उत्पादन दर्ज हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी अप्रैल और नवंबर के बीच भारत ने 572.72 अरब अमेरिकी डॉलर की चाय का निर्यात किया था.
टी बोर्ड के अनुसार असम में बाढ़ के तांडव और कोरोना वायरस महामारी की वजह से 2020 में चाय के उत्पादन में दस प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से चाय की पत्ती की क़ीमतों में उछाल भी देखने को मिला है.
हालांकि भारतीय चाय संघ के सुजीत पात्रा के अनुसार इस बार चाय की अच्छी पैदावार का अनुमान लगाया गया है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में काफी अच्छी वर्षा हुई है. संघ का कहना है कि वर्ष 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से ही निर्यात पर कई तरह के प्रतिबंध रहे जिससे नुकसान का सामना करना पड़ा.
सबसे महंगी चाय
बाज़ार में बिकने वाली सबसे महंगी चाय का उत्पादन दार्जीलिंग और असम में होता है और वो इसी ब्रांड के नाम के साथ बिकती हैं यानी ‘दार्जीलिंग टी’ और ‘असम टी’.
इसके अलावा ‘ग्रीन टी’ की भी बहुत ज़्यादा मांग है और ये भी काफी महंगी बिकती है. इन तीनों चाय की अलग-अलग किस्में हैं.
भारत से जिस तरह की चाय का सबसे ज़्यादा निर्यात होता है वो है सीटीसी यानी ‘क्रश-टीयर-कर्ल’ है जिसे ‘प्रोसेस्ड’ चाय भी कहते हैं. इस तरह की चाय का सबसे बड़ा बाज़ार भारत के अलावा मिस्र और ब्रिटेन है. जबकि रूस, इराक और ईरान को भारत पारंपारिक चाय निर्यात करता है. (bbc.com)
-अरुण सिंह
नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते 75 दिनों से ज्यादा वक्त से चल रहा है. कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए देश के अन्नदाता दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं. अब दुनिया भर से लोग किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं. जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पॉप सिंगर रिहाना समेत कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने किसानों का सपोर्ट किया है. इनमें एक नाम अमांडा सर्नी का भी है. आइए एनडीटीवी के अरुण सिंह से जानते हैं कि कौन है अमांडा सर्नी?
अमांडा सर्नी कैलिफॉर्निया बेस्ड एक्ट्रेस, मॉडल और डिजिटल कंटेट क्रिएटर हैं. इनका सब्सक्रिप्शन बेस्ड वीडियो प्लेटफॉर्म भी है. सोशल मीडिया पर इनकी मौजूदगी की बात करें तो इंस्टग्राम पर इनके 2.5 करोड़ फॉलोवर्स, ट्विटर पर 10 लाख फॉलोवर्स और यू-ट्यूब पर 28 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. 2018 में इन्होंने भुवन बाम, जो कि भारत में काफी लोकप्रिय यू-ट्यूबर हैं, उनके साथ वीडियो किया था, जिसके बाद भारत में इन्हें काफी सर्च भी किया गया.
क्यों और कैसी करने लगीं किसान आंदोलन की बात
अमांडा सर्नी ने दो फरवरी को इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की और लिखा कि, "दुनिया आपको देख रही है. इस मुद्दे को समझने के लिए आपको भारतीय, पंजाबी या दक्षिण एशियाई होने की जरूरत नहीं है. आपको सिर्फ इंसानियत की फिक्र करने की जरूरत है. हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी, प्रेस की आजादी, बुनियादी मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों की सामनता और श्रमिकों की गरिमा की मांग कीजिए."
कहां से शुरू हुआ पेड प्रमोशन का मजाक
किसानों के समर्थन में खड़े होने के बाद भारत में यह कहा जाने लगा कि अंतरराष्ट्रीय हस्तियां पैसे लेकर इस मुद्दे पर बात कर रही हैं. वहां से शुरू हुआ अमांडा सर्नी का पेड प्रमोशन वाला मजाक. इसके बाद अमांडा सर्नी ने एक ट्वीट किया. इस मजाक को आगे बढ़ाते हुए मिया खलीफा भी इसमें टूट पड़ीं और दोनों के बीच कई मजाक हुए.
अमांडा ने अपनी दस साल की niece (भतीजी या भांजी) द्वारा बनाया गया कॉन्ट्रैक्ट भी शेयर किया. जिसके बाद कई लोगों ने इनके ट्वीट की प्रशंसा भी की. इसके बाद से अमांडा आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में कई ट्वीट कर चुकी हैं.
-सुकृति द्विवेदी
नई दिल्ली: देश में कोरोना की रफ्तार पर काफी हद तक ब्रेक लगा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 15 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से किसी के मरने की सूचना नहीं है, वहीं सात राज्यों-केन्द्र शासित प्रदेशों में पिछले तीन सप्ताह में महामारी से कोई मौत नहीं हुई है. पिछले पांच सप्ताह में देखें तो कोविड-19 से होने वाली मौतों में औसतन 55 प्रतिशत की कमी आई है.स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 9 फरवरी सुबह आठ बजे तक 62.6 लाख लोगों को कोविड-19 का टीका दिया जा चुका है, इनमें से 5,482,102 स्वास्थ्य कर्मी हैं और 7,76,906 अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मी हैं. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि पिछले 24 घंटों में दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कारण कोई मौत नहीं हुई है. यह एक अच्छी खबर है लेकिन ऐहतियात जारी रहनी चाहिए. सीरो सर्वे ने बताया है कि हमारी 70 फीसदी से अधिक आबादी अभी भी अति संवेदनशील है.
क्या कोरोना वैक्सीन लोगों के लिए व्यावसायिक स्तर पर उपलब्ध होगी, इस सवाल पर डॉ. पॉल ने कहा कि हमारा लक्ष्य, सबसे पहले 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना है. इसके बाद की स्थिति में दूसरे विकल्प खुले हुए हैं. दक्षिण अफ्रीका के वेरिएंट पर वैक्सीन के कम प्रभावी होने की खबरों पर कमेंट करते हुए उन्होंने कहा कि हम इस पर नजर जमाए हैं. यह अधिक संक्रामक है. एक स्टडी में इस बात के संकेत है कि कोविशील्ड, कोरोना संक्रमण के हल्के रूपों पर प्रभावी नहीं है, हालांकि यह संक्रमण के गंभीर रूप पर काम करता है. वैसे भी दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेन के देश में अब तक कोई मामला नहीं है.
मंत्रालय के अनुसार, देश के पांच राज्यों में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की कुल संख्या का 81 फीसदी है. केरल और महाराष्ट्र में ही पूरे देश में संक्रमण का इलाज करा रहे लोगों के 70 फीसदी मामले हैं. मंत्रालय ने बताया कि 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इलाज करा रहे रोगियों की संख्या पांच हजार से कम है.देश में कोविड-19 से होने वाली मौत की संख्या भी घट रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जनवरी के दूसरे सप्ताह में रोजाना मौतों का औसत 211 था और फरवरी के दूसरे सप्ताह में इसमें 55 प्रतिशत की कमी आई और यह 96 रह गई है. भारत में उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी घटकर 1.43 लाख रह गई है जो संक्रमण के कुल मामलों का महज 1.32 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 14,016 मरीज ठीक हुए, अब तक कोविड-19 के कुल 1,05,48,521 मरीज ठीक हो चुकेहैं. मंत्रालय के अनुसार, “ठीक होने वाले और उपचाराधीन मरीजों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है. यह आज 1,04,04,896 हो गया.”भारत में ठीक होने वाले मरीजों की दर 97.25 प्रतिशत हो गई है, जिस विश्व में स्वस्थ होने वाली सर्वाधिक दर में से एक है.मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, रूस, ब्राजील और जर्मनी में ठीक होने की दर भारत से कम है. (भाषा से भी इनपुट)
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद ग़ुलाम नबी आज़ाद का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इस मौक़े पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई सांसदों ने राज्यसभा में विदाई भाषण दिया. ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ अपने रिश्तों का ज़िक्र करते हुए मोदी सदन में भावुक भी हो गए.
इसके बाद जब ग़ुलाम नबी आज़ाद की बारी आई, तो वे भी भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि वे ख़ुशकिस्मत हैं कि वे पाकिस्तान नहीं गए. उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर फ़ख़्र है.
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "मैं उन ख़ुशकिस्मत लोगों में से हूँ, जो पाकिस्तान कभी नहीं गया, लेकिन जब मैं पढ़ता हूँ कि पाकिस्तान के अंदर कैसे हालात हैं, तो मुझे हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व है. इस देश के मुसलमान सबसे ज़्यादा ख़ुशनसीब हैं."
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश के मुसलमानों में बुराइयाँ नहीं हैं. लेकिन यहाँ बहुसंख्यक समुदाय को भी दो क़दम आगे आने की ज़रूरत है."
उन्होंने उनके जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहते आतंकवादी हमले का ज़िक्र किया, जिसका उल्लेख पीएम मोदी ने भी किया था. ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा- "मैं अल्लाह से, भगवान से दुआ करता हूँ कि इस देश से आतंकवाद का ख़ात्मा हो."
इस मौक़े पर ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया. उन्होंने कहा, "मुझे अवसर मिला मंत्री के रूप में इंदिरा जी और राजीव जी के साथ काम करने का. सोनिया जी और राहुल जी के समय पार्टी को रिप्रेजेंट करने का भी मौक़ा मिला. हमारी माइनॉरिटी की सरकार थी और अटल जी विपक्ष के नेता थे, उनके कार्यकाल में हाउस चलना सबसे आसान रहा. कई मसलों का समाधान करना कैसे आसान होता है, ये अटल जी से सीखा था."
पीएम मोदी को आई रुलाई
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग़ुलाम नबी आज़ाद की सराहना की और बहुत सारी यादें साझा कीं और भावुक भी हुए.
जम्मू-कश्मीर में गुजरात के पर्यटकों पर हुए हमले का ज़िक्र करते हुए मोदी ने कहा, "जब आप मुख्यमंत्री थे, मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था. हमारी बहुत गहरी निकटता रही है. शायद ही ऐसी कोई घटना हो, जब हम दोनों के बीच में कोई संपर्क सेतु न रहा हो."
"एक बार जम्मू-कश्मीर गए टूरिस्टों में गुजरात के भी यात्री थे. वहाँ जाने वाले गुजराती यात्रियों की काफ़ी संख्या रहती है. आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया. शायद 8 लोग मारे गए. सबसे पहले मेरे पास ग़ुलाम नबी जी का फ़ोन आया और वो फ़ोन सिर्फ सूचना देने के लिए नहीं था. फ़ोन पर उनके आँसू रुक नहीं रहे थे."
इस घटना का ज़िक्र करते हुए बार-बार पीएम मोदी भावुक हुए और ग़ुलाम नबी आज़ाद को सैल्यूट भी किया.
उन्होंने कहा, "एक मित्र के रूप में मैं ग़ुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभवों के आधार पर आदर करता हूँ. मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, उनकी नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुज़रने की कामना, वो कभी उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी. मुझे विश्वास है जो भी दायित्व वो संभालेंगे, वो जरूर वैल्यू एडिशन करेंगे, कंट्रिब्यूशन करेंगे और देश उनसे लाभान्वित होगा, ऐसा मेरा पक्का विश्वास है."
राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद का कार्यकाल 15 फरवरी को ख़त्म हो रहा है. पीएम मोदी ने कहा, "मैं आपको रिटायर नहीं होने दूँगा. मैं आपसे सलाह मशविरा करता रहूँगा. मेरे दरवाज़े आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे."
आज़ाद का राजनीतिक करियर
7 मार्च 1949 को जन्मे ग़ुलाम नबी आज़ाद राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उस समय आए, जब 1980 में उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. 1980 में ही वे महाराष्ट्र के वाशिम लोकसभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार संसद पहुँचे और 1982 में उन्हें इंदिरा गांधी की सरकार में विधि, न्याय और कंपनी मामलों का उप मंत्री बनाया गया.
1984 में भी वे संसद के लिए चुने गए. 1990-96 तक वे राज्य सभा में रहे. नरसिम्हा राव की सरकार में वे संसदीय कार्य और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे.
2 नवंबर 2005 को वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने. 2008 में सरकार में सहयोगी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और उसी साल जुलाई में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इस्तीफ़ा दे दिया.
बाद में वो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने. 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए को जीत मिली, तो उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया. 2015 में ग़ुलाम नबी आज़ाद एक बार फिर कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए और अब उनका कार्यकाल ख़त्म हो रहा है.
एक समय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के क़रीबी रहे ग़ुलाम नबी आज़ाद पिछले साल उस समय चर्चा में आए, जब कुछ पार्टी नेताओं की चिट्ठी लीक हुई, जिसमें कांग्रेस में नेतृत्व के लिए चुनाव करने की मांग थी. चिट्ठी लिखने वालों में ग़ुलाम नबी आज़ाद का भी नाम था.
बाद में ग़ुलाम नबी आज़ाद खुलकर सामने आए और एक इंटरव्यू में कहा कि अगर कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हुआ तो पार्टी अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहेगी.
उस समय चिट्ठी लीक होने पर उन्होंने कहा था- हमारी मंशा कांग्रेस को मज़बूत करने की थी. अगर चिट्ठी लीक हो गई, तो इतना विवाद खड़ा करने की आवश्यकता क्या. पार्टी को मज़बूत बनाने के लिए कहना और चुनाव की मांग करना कोई राज़ तो नहीं है.
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन नेताओं की आलोचना की गई और बाद में ग़ुलाम नबी आज़ाद से कांग्रेस का महासचिव पद भी छीन लिया गया. (bbc.com)
सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नए शब्द "आंदोलनजीवी" का ज़िक्र किया.
राज्यसभा में मोदी ने कहा, "हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, श्रमजीवी, बुद्धिजीवी- ये सारे शब्दों से परिचित हैं. लेकिन, मैं देख रहा हूँ कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो है आंदोलनजीवी."
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माना जा रहा है कि पीएम मोदी का इशारा किसान आंदोलन से जुड़े लोगों पर था.
उन्होंने आगे कहा, "ये जमात आप देखेंगे, वकीलों का आंदोलन है, वहाँ नज़र आएँगे, स्टूडेंट्स का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे, मज़दूरों का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे. कभी पर्दे के पीछे, कभी पर्दे के आगे. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं. और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूँढते रहते हैं."
प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों पर दूसरों के चलाए जा रहे आंदोलनों को हाइजैक करने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग अपने बूते आंदोलन खड़े नहीं कर सकते, बल्कि दूसरों के आंदोलनों में शामिल हो जाते हैं और उसे हथिया लेते हैं.
उन्होंने कहा, "हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा, जो सब जगह पहुँचते हैं और आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं, गुमराह कर देते हैं नए-नए तरीक़े बता देते हैं. देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे. इसके लिए हम सबको...ये उनकी ताक़त है, उनका क्या है, ख़ुद खड़ी नहीं कर सकते चीज़ें, किसी की चल रही है उसमें जाकर बैठ जाते हैं,,,,ऐसे लोगों को पहचानने की आवश्यकता है..ये सब आंदोलनजीवी हैं."
'परजीवी'
उन्होंने आगे कहा कि राज्यों में सरकार चलाने वाले दूसरी पार्टियाँ भी इसे महसूस करती होंगी. मोदी ने कहा, "यहाँ पर सब लोगों को मेरी बात से आनंद इसलिए होगा क्योंकि आप जहाँ-जहाँ सरकार चलाते होंगे, वहाँ आपको भी ऐसे आंदोलनजीवी, परजीवियों का अनुभव होता होगा."
उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भी एक नए शब्द का ज़िक्र अपने भाषण में किया. मोदी ने कहा, "देश प्रगति कर रहा है, हम एफ़डीआई की बात कर रहे हैं. लेकिन, इन दिनों एक नया एफ़डीआई नज़र आया है, इससे बचना होगा. ये नया एफ़डीआई है- फ़ॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी, इससे बचने के लिए हमें और जागरूक रहने की ज़रूरत है."
हालाँकि, पीएम मोदी के "आंदोलनजीवी" वाले बयान पर विरोधी दलों के नेताओं और कई आंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया आई है. सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर सरगर्मी पैदा हो गई है और तमाम लोग इस पर अपनी टिप्पणियाँ दे रहे हैं.
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स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष और किसानों के आंदोलन से जुड़े हुए योगेंद्र यादव ने इस पर तल्ख टिप्पणी की है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "हाँ, मैं "आंदोलनजीवी" हूँ मोदी जी!" उन्होंने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा है, "जो दूसरे की बीमारी पर पलता है उसे परजीवी कहते हैं."
प्रतिक्रियाएँ
उन्होंने आगे कहा, "वैसे आपको याद दिला दूँ कुछ दिन पहले आप ही ट्वीट करते थे कि इस देश को जन आंदोलन की ज़रूरत है."
प्रशांत भूषण ने पूछा है, "मोदी की आंदोलनजीवी टिप्पणी के दोहरेपन और अपनी आरामदायक ज़िंदगी छोड़कर किसानों के हक़ के लिए प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों, अल्पसंख्यकों, ग़रीबों और कमज़ोर लोगों को बदनाम करने की कोशिशों से इतर आप उसे क्या कहेंगे जो विपक्ष की कमज़ोरी पर ज़िंदा रहता है? परजीवी?"
उन्होंने इसके साथ एक तस्वीर भी साझा की है जिसमें मोदी के जन आंदोलन के समर्थन में दिए गए पिछले ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स लगे हैं.
शिवसेना की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा है, "देश को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता भी एक आंदोलन से ही मिली थी. गर्व है उन सभी 'आंदोलनजीवी' स्वतंत्रता सेनानियों का जो देश के लिए समर्पित रहे."
कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, "मोदी जी, आपकी विचारधारा चाहे जो भी हो कम से कम अपने पद की मर्यादा का ही ख्याल रख लेते, ऐसी बातों से देश के सम्मान पर चोट पहुँचती है."
दूसरी ओर, 41 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी प्रधानमंत्री के इस बयान की आलोचना की है और कहा है कि वे "इस अपमान की निंदा करते हैं."
सीपीआई नेता सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट में लिखा है, "आंदोलनजीवी? लोग अपनी ज़िंदगियाँ बचाने और सुरक्षा के लिए, ज़्यादा अवसरों और बेहतर आजीविका के लिए विरोध-प्रदर्शन करते हैं. आंदोलनकारी देशभक्त हैं, परजीवी नहीं. जो लोग प्रदर्शनों की ताक़त से सत्ता हथिया लेते हैं, वे परजीवी होते हैं."
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, "आंदोलनों से स्वतंत्रता पाने वाले देश में आंदोलनरत किसानों-नागरिकों को 'आंदोलनजीवी' जैसे आपत्तिजनक शब्द से संबोधित करना हमारे देश के क्रांतिकारियों एवं शहीदों का अपमान है. आज़ादी के आंदोलन में दोलन करने वाले आंदोलन का अर्थ क्या जाने. भाजपा शहीद स्मारक पर जाकर माफ़ी माँगे!"
सीपीआई(एम-एल) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी इस संबंध में ट्वीट किया है
पीएम की टिप्पणी पर कई लोगों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स में नाम के आगे 'आंदोलनजीवी' जोड़ लिया है.
एक यूजर ने भगत सिंह की जेल की तस्वीर लगाई है और लिखा है, "मेरा पसंदीदा आंदोलनजीवी."
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के राष्ट्रीय संयोजक सरल पटेल ने लिखा है, "आप आंदोलनजीवी हैं या सावरकरजीवी?" (bbc.com)
-ध्रुव मिश्रा
उत्तराखंड में हुए हादसे में बारह लोगों की टीम तपोवन की अपर स्ट्रीम सुरंग में फंसी थी. उन सभी को आईटीबीपी ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया था. इनमें तीन लोगों ने बीबीसी से अपने अनुभव साझा किए.
बसंत बहादुर तपोवन जल विद्युत परियोजना में मजदूर हैं ये यहाँ आउट फॉल में काम करते थे. ये नेपाल के रहने वाले हैं. जब सैलाब आया था तो ये भी यहां टनल में फस गए थे. घटना के समय ये 300 मीटर अंदर टनल में फस गए थे करीब 7 घँटे तक ये फंसे रहे इन्होंने बीबीसी से बात की है अंदर कितना डरावना मंज़र था उसके बारे में बताया है.
बसंत बहादुर हम भी टनल में काम कर रहे थे वही फंस गए. हम टनल की डाउन साइड में थे. हम वहाँ से निर्माण कार्य के लिए लगाए गए सरिये के सहारे धीरे-धीरे बाहर निकले.
बसंत ने बीबीसी को बताया कि वो और उनके साथी सुरंग के करीब 300 मीटर अंदर थे. उन्होंने बाहर से लोगों को आवाज़ें सुनी जो उन्हें बाहर आने के लिए प्रेरित कर रहे थे.
बसंत ने कहा कि लोग ज़ोर ज़ोर से पुकारकर उनकी हिम्मत बढ़ाते हुए, बाहर आने को कह रहे थे.
लेकिन मज़दूरों को डर था कि कहीं अगर वो बाहर की ओर गए तो कहीं और मुसीबत में न पड़ जाएं. उन्हें अब तक भी ये पता नहीं था कि दरअसल हुआ क्या है.
उन्हें लगा कि सिलेंडर वग़ैरह फटने की वजह से कोई ब्लास्ट हुआ है और अगर उन्होंने बाहर निकलने की कोशिश की तो सकता है कि उन्हें करंट न लग जाए.
हादसे के तुरंत बाद बसंत बहादुर और उसके साथियों ने क्या महसूस किया है, ये बताते हुए बसंत कहते हैं, "हमने अपने काम करने की जगह से पीछे की तरफ देखा तो भयंकर धुंआ नजर आया और हमारे कान एक दम सुन्न हो गये. हमें अहसास हो गया था कि कुछ तो गड़बड़ है. इसके बाद अचानक पानी का रेला हमारी तरफ आया. हम बुरी तरह डर गए. इसके बाद हम सभी ने पास खड़ी जेसीबी पर छलांग लगाई और उसके ऊपर बैठ गए."
बसंत ने बताया कि सुरंग पर काम सुबह 8 बजे से शुरू होता है और वो लोग 12.30 बजे ही लंच के लिए टनल से निकलते थे.
लेकिन उस दिन मज़दूर नौ घंटे बाद बाहर आए. करीब 10.30 बजे बाढ़ आने से लेकर शाम 5.30 बजे तक बसंत और उसके साथी वहीं फंसे रहे.
बसंत का कहना है कि उसके बाद जो भी कैश या बाकी सामान था सब बेकार गया है.
बीबीसी से बातचीत में बसंत ने कहा, "सुरंग में 7 घंटे गुजारना बेहद मुश्किल था. लेकिन हम लोगों ने हार नहीं मानी और एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे."
बसंत और उनके साथियों को आईटीबीपी के जवानों ने रेस्क्यू किया.
आईटीबीपी के जवान इन मज़दूरों तक कैसे पहुंचे?
बसंत ने बताया, "इस मुश्किल घड़ी में मेरा साथ मोबाइल फोन ने दिया. मैं लगातार एनटीपीसी के अधिकारियों को फोन करता रहा. इन्हीं अधिकारियों ने इसकी सूचना आइटीबीपी को दी. इसके बाद हम सभी के सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. "
श्रीनिवास रेड्डी एक जियोलॉजिस्ट हैं जो एनटीपीसी के साथ काम करते हैं.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में रेड्डी ने घटना के बारे में बताया, " जिस वक्त आपदा आई थी तब में टनल के अंदर ही था. हम कोई 350 मीटर काम कर रहे थे. तभी बाहर से एक आदमी आया वह चिल्लाते हुए बोला कि सभी बाहर चलो क्योंकि नदी में तेजी से पानी बढ़ रहा था."
जिससे पहले की रेड्डी और उनके साथी संभल पाते, हालात तेज़ी से बिगड़ने लगे.
रेड्डी ने कहा, "अचानक से पानी टनल के अंदर आ गया. जैसे ही पानी अंदर आया हम लोग ऊपर लगी लोहे की रॉड पकड़कर, थोड़ा ऊपर की तरफ चले गए. रॉड के सहारे हम लोग ऊपर की तरफ सरकते रहे. हम ऐसे ही इंतजार करते रहे. फिर थोड़ी देर के बाद पानी रुक गया."
लेकिन टनल के अंदर घुप अंधेरा होने की वजह से उनकी कोशिश काफ़ी धीमी थी क्योंकि अचानक आई बाढ़ ने बिजली की सप्लाई काट दी थी.
कुछ लोगों को अंदर सांस लेने में भी मुश्किल आ रही थी. लेकिन फिर अचानक, टनल के ऊपर से थोड़ी मिट्टी गिरी और बाहर की रोशनी अंदर आने लगी. इसके बाद लोगों को आस-पास दिखने लगा और सांस लेने की दिक्कत का भी समाधान हो गया.
रेड्डी बताते हैं कि मुसीबतें और भी थी, "हम ठंडे पानी में थे. हमारे पैर जम रहे थे. लोगों के जूतों में पानी और मलबा घुस गया था जिसकी वजह से पैरों का वजन काफी बढ़ गया था. पैर धीरे-धीरे सूजना शुरु हो रहे थे."
तमाम मुसीबतों के बीच लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए रेड्डी ने खूब गाने गाए.
वो बताते हैं, "मैं गाने गा रहा था शायरी सुना रहा था. बीच-बीच में कसरत भी करवा रहा था. मैं चाहता था कि सबका मन बहलता रहे और वो थोड़ा चुस्त भी रहें ताकि निकलने की कोशिश की जा सके."
इसी बीच फोन से लगातार बाहर संपर्क करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन सुरंग में नेटवर्क ठीक से नहीं मिल रहा था.
और आखिर में नेटवर्क मिला और आईटीबीपी के दल ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया.
वीरेंद्र कुमार गौतम
DHRUV MISHRA
जो बाहर लोग टनल में एक साथ फंसे थे, उनमें से सबसे आखिर में बाहर निकलने वाले विरेंद्र कुमार गौतम ही थे.
उन्होंने बाहर निकलकर अपनी खुशी का जो इज़हार किया था, उसका वीडियो भी वायरल हुआ था.
विरेंद्र गौतम बताते हैं, "जैसे ही पानी अंदर घुसा, बिजली कट गई और सब जगह अंधेरा छा गया था. बाहर दूर से काफी तेज आवाजें आ रही थीं. घुप अंधेरे में सुरंग काफ़ी भयानक लग रही थी.
गौतम ने सोचा कि कहीं कोई बादल फटा है और उसी का पानी टनल में घुस रहा है. करीब पंद्रह मिनट तक पानी का लेवल लगातार बढ़ता रहा. फिर रुक गया.
गौतम बताते हैं, "जैसे-जैसे पानी का बहाव धीमा पड़ता गया, हमें अहसास होने लगा कि मुसीबत टल रही है. मैंने अपने सभी साथियों को धैर्य दिया कहा कि अब हम लोग बच कर निकल सकते हैं."
उसके बाद गौतम और उनके साथी टनल के किनारों पर लगे सरिया की मदद से बाहर की तरफ जाने लगे.
काफी देर तक प्रयास करने के बाद इनके एक साथी को बीएसएनएल का नेटवर्क मिला.
गौतम ने बीबीसी को बताया, "मैंने अपने साथी को अपने प्रोजेक्ट डायरेक्टर का नंबर दिया फिर उसने उन्हें फोन किया और उसके बाद हम मेरे प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने आइटीबीपी को फोन किया फिर उसके बाद आईटीबीपी की मदद से हम लोग यहां से निकल पाए." (bbc.com)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि मैं गर्व से भरा एक भारतीय मुसलमान हूं। मुस्लिमों को इस देश पर गर्व होना चाहिए लेकिन बहुसंख्यक समुदाय को भी अल्पसंख्यक समुदाय की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। आजाद का राज्यसभा कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है। आजाद ने कहा, "मैं कभी पाकिस्तान नहीं गया, लेकिन मुझे उस देश की समस्याओं और परिस्थितियों का पता है और मुझे उम्मीद है कि उन समस्याओं को भारत के मुसलमानों को सामना नहीं करना पड़ेगा और कई देशों में मुसलमानों की स्थिति को देखने के बाद मुझे एक हिंदुस्तानी मुस्लिम होने पर गर्व महसूस होता है।"
उन्होंने कहा, "मैं 41 साल से संसद और राज्य विधानसभा में हूं और पार्टी अध्यक्ष के रूप में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम करने का मौका मिला है।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें ज्योति बसु सहित कई बड़े नेताओं के साथ संवाद करने का मौका दिया।
जम्मू और कश्मीर से सेवानिवृत्त हो रहे राज्यसभा सदस्यों ने सदन से आग्रह किया कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर विचार किया जाना चाहिए और राज्य के लोगों के लाभ के लिए जल्द ही राज्य की बहाली की जानी चाहिए।
आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके भावपूर्ण शब्दों के लिए धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि वह संजय गांधी, फिर इंदिरा गांधी और बाद में राजीव गांधी की असमय मृत्यु के बाद रोये थे और ओडिशा में चक्रवात के बाद भी उनके आंसू निकल गए थे।
प्रधानमंत्री मोदी भी आजाद की विदाई करते हुए भावुक हो गए और राज्यसभा में उन्हें सलामी दी। आजाद इस महीने उच्च सदन से सेवानिवृत्त होने वाले चार सदस्यों में से एक हैं।
प्रधानमंत्री ने राजनीति और सदन में आजाद के योगदान की चर्चा करते हुए कहा, "आप सदन से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन मैं आपको सेवानिवृत्त नहीं होने दूंगा और मेरे दरवाजे आपके लिए खुले हैं और मुझे आपके योगदान और सलाह की आवश्यकता होगी।"
मोदी ने कहा कि जो भी व्यक्ति आजाद की जगह लेगा, उसके योगदान के बराबर काम करना उनके लिए एक कठिन काम होगा। मोदी ने कहा, "वह अपनी पार्टी के बारे में चिंतित रहते हैं, लेकिन सदन और देश के बारे में ज्यादा चिंतित हैं।"
मोदी ने कांग्रेस नेता के साथ अपने संबंधों को भी याद किया जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
मोदी ने कहा, "जब कश्मीर में गुजराती पर्यटकों पर हमला हुआ था, तो आजाद ने मुझे सूचित किया था और लगभग रो रहे थे।" अपने भाषण के दौरान आजाद भी इस घटना का उल्लेख करते समय भावुक हो गए और कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि देश में आतंकवाद समाप्त हो।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी कहा कि आजाद सदन से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक सेवा से नहीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि 'वह जल्द ही सदन के लिए फिर से चुने जाएंगे।'
इस अवसर पर बोलते हुए, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि आजाद देश के सबसे अनुभवी नेता हैं और उन्होंने कई मंत्रालयों को संभाला। उन्होंने यह भी कहा कि आजाद ने सदन में विपक्ष के नेता के कद को बढ़ाया।
पवार ने कहा, "जब वह संसदीय मामलों के मंत्री थे, तो विपक्ष और अन्य सभी राजनीतिक दलों के साथ उनके अच्छे संबंध थे।" (आईएएनएस)
कोलकाता, 9 फरवरी | चंदननगर के पूर्व पुलिस आयुक्त हुमायूं कबीर मंगलवार को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। कुछ 'व्यक्तिगत' कारणों का हवाला देते हुए, कबीर ने पिछले महीने अपनी सेवानिवृत्ति के मुश्किल से तीन महीने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह गौरव शर्मा को नियुक्त किया गया है, जो कोलकाता पुलिस में संयुक्त आयुक्त (प्रतिष्ठान) थे।
2003-बैच के आईपीएस अधिकारी पूर्वी बर्दवान में एक राजनीतिक रैली के दौरान तृणमूल सुप्रीमो बनर्जी की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हो गए।
इससे पहले, कबीर की पत्नी अनिंदिता दास कबीर बंगाल में सत्तारूढ़ गठन में शामिल हो गई थीं।
चंदननगर पुलिस आयुक्त के रूप में कबीर की भूमिका पिछले सप्ताह सुर्खियों में तब आई ,जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक इन कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से 20 जनवरी को एक रैली में 'गोली मारो' के नारे लगाए थे।
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में एक रोड शो में यह नारे लगाए गए थे, जो पिछले साल दिसंबर में तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | दिल्ली पुलिस ने कहा है कि पंजाबी अभिनेता से एक्टिविस्ट बने दीप सिद्धू गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपे होने के दौरान भी अपने भड़काऊ भाषण से युवाओं को भड़का रहा था। उसे बाद में दिन में अदालत में पेश किया जाएगा और 26 जनवरी के लाल किले हिंसा मामले की जांच करने वाली दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दिया जाएगा।
डीसीपी स्पेशल सेल के संजीव कुमार यादव ने कहा, "वह गणतंत्र दिवस की हिंसा के पीछे एक प्रमुख खिलाड़ी था। अपने भड़काऊ भाषणों और स्टारडम से युवाओं को भड़का रहा था। यहां तक की कानून से बचने के दौरान भी उसने युवाओं को उकसाना नहीं छोड़ा।"
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सिद्धू को करनाल के पास से गिरफ्तार किया है।
26 जनवरी के लाल किला हिंसा मामले में वांटेड सिद्धू तब से फरार है, क्योंकि पुलिस ने पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर उसकी तलाश की और उस पर 1 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया।
दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंत सिंह के बारे में जानकारी के लिए 1 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी। साथ ही जजबीर सिंह, बूटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह की जानकारी बताने वालों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की है। गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
पुलिस अब जांच करेगी कि उसे 26 जनवरी के बाद कहां से आश्रय मिला और किसने प्रदान किया। जिनलोगों ने सिद्धू को आश्रय प्रदान किया, उसे कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
एक अन्य सह-आरोपी सुखदेव सिंह को पहले चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया था।
31 जनवरी को सिद्धू ने अपने सत्यापित फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो अपलोड किया था और कहा था कि उसे बदनाम किया जा रहा है। (आईएएनएस)
अमरावती, 9 फरवरी | आंध्र प्रदेश में पंचायत चुनाव का पहला चरण मंगलवार को शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हो गया। मतदान 18 राजस्व प्रभागों में सुबह 6.30 बजे शुरू हुआ। जिन राजस्व प्रभागों में चुनाव पहले चार चरणों में होंगे, उनमें श्रीकाकुलम, टेक्कली, पलकोंडा, अनकापल्ली, काकीनाडा, पेद्दापुरम, नरसापुरम, विजयवाड़ा, तेनाली, अंगोले, कवाली, नांदयाल, कुरनूल, कडिरी, जम्मालमाडुगू, कडप्पा, राजामपेटा, चित्तूर शामिल हैं।
विजयनगरम को छोड़कर, पहले चरण में सभी जिलों में चुनाव निर्धारित किए गए हैं।
32,504 वाडरें के साथ 3,249 गांवों में चुनाव होंगे।
कादिरी राजस्व मंडल के 12 मंडलों में से 169 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें छह पंचायतों ने सर्वसम्मति से चुनाव का विकल्प चुना है। शेष 163 गांवों के लिए, 462 उम्मीदवार मैदान में हैं।
इसी तरह, 1,714 वाडरें में से 715 वार्डो में सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुना गया है। शेष 984 वार्डो के लिए 2,030 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा।
सुबह 9.30 बजे तक कादिरी डिवीजन में 27 फीसदी मतदान हुआ।
इसी तरह कुरनूल जिले में सुबह 10.30 बजे तक 45.86 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
मतदान अपराह्न् 3.30 बजे समाप्त होगा, मतों की गिनती मंगलवार शाम 4 बजे शुरू होगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 फरवरी | देश में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच कुछ अकाउंट्स को ब्लॉक किए जाने के मामले के मद्देनजर एक औपचारिक बातचीत के लिए ट्विटर ने केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का रूख किया है। दरअसल, भारत सरकार ने एक नया नोटिस जारी कर ट्विटर को 1,178 खातों को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है क्योंकि इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ये अकाउंट्स या तो खालिस्तान से सहानुभूति रखने वालों के हैं या पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं।
ट्विटर के एक प्रवक्ता ने अपने एक बयान में कहा, "ट्विटर पर हमारे लिए हमारे कर्मियों की सुरक्षा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है। हम भारत सरकार का सम्मान करते हैं और एक औपचारिक बातचीत के लिए हमने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माननीय मंत्री का रूख किया है।"
सूत्रों के मुताबिक, बीते हफ्ते गुरुवार को ट्विटर को यह नया नोटिस भेजा गया था, लेकिन कंपनी की तरफ से इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इस गैर-अनुपालन नोटिस के बारे में बात करते हुए प्रवक्ता ने आगे कहा, "हम सरकार से प्राप्त होने वाली हर रिपोर्ट की समीक्षा जितनी जल्दी हो सके करते हैं। सार्वजनिक बातचीत को सुरक्षा प्रदान किए जाने के अपने मौलिक मूल्यों और प्रतिबद्धताओं के प्रति दृढ़ बने रहने की सुनिश्चितता के साथ हम इस तरह की रिपोर्टों के बारे में उचित कार्रवाई भी करते हैं।"
अपने पहले नोटिस में सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत हैशटैगमोदीप्लैनिंगफार्मरजेनोसाइड का इस्तेमाल कर रहे 257 खातों को ट्विटर पर ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 9 फरवरी | पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री की बहन वाई.एस. शर्मिला ने मंगलवार को अपने दिवंगत पिता के समर्थकों के साथ परामर्श शुरू किया। ऐसी चर्चा है कि वह तेलंगाना में एक नई पार्टी की योजना बना रही हैं। लोटस पॉन्ड, पॉश जुबली हिल्स में वाईएसआर परिवार के निवास में सुबह चहलपहल देखी गई क्योंकि राज्य के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में उनके समर्थक वहां पहुंचे थे।
ढोल-नगाड़ों की थाप और पटाखे छुड़ाने के बीच लोटस पॉन्ड में जश्न का माहौल देखने को मिला। पिता के साथ शर्मिला की एक विशाल तस्वीर को उनके निवास पर लगाया गया था।
सोमवार रात बेंगलुरु से अपने पति अनिल कुमार के साथ पहुंची शर्मिला, संयुक्त नलगोंडा जिले के वाईएसआर वफादारों के साथ बैठक कर रही थीं, जिसे अब तीन जिलों में विभाजित किया गया है।
यह अगले कुछ दिनों में तेलंगाना के वाईएसआर वफादारों के साथ शर्मिला द्वारा होने वाली बैठकों की श्रृंखला में पहली बार होगा। अपना अगला कदम उठाने से पहले वह उनके विचारों को जान लेगी।
हालांकि पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे हैं कि शर्मिला तेलंगाना में नई पार्टी बनाएंगी, वाईएसआर परिवार की ओर से कोई पुष्टि या इनकार नहीं किया गया है।
वारंगल जिले से आए एक वाईएसआर समर्थक ने कहा, "हमें नहीं पता कि इसका उद्देश्य तेलंगाना में नई पार्टी बनाने के लिए है या वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए है। शर्मिला या जगन जो भी फैसला लेंगे, हम उसे मानेंगे।"
शर्मिला, जिन्होंने 2014 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और 2019 में आंध्र प्रदेश में चुनावों के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था, उनके बारे में कहा जाता है कि तेलंगाना में उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का अच्छा-खासा समर्थन प्राप्त है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 9 फरवरी | केरल में कोई भी सरकार लगातार चुनाव जीत कर नहीं आई है, लेकिन मौजूदा पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार अब स्थानीय निकाय चुनावों में शानदार प्रदर्शन के बाद इसे बदलने का लक्ष्य लेकर चल रही है। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष इसका मुकाबला करने के लिए कमर कस चुका है और राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा को अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपने स्टार प्रचारकों के रूप में तैयार किया है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि पार्टी हाईकमान के लिए केरल विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण है।
शीर्ष नेता ने कहा, "दोनों शीर्ष नेताओं ने केरल में बड़े पैमाने पर अभियान चलाने पर सहमति व्यक्त की है और इसके लिए पहले कदम के तहत राज्य की राजधानी में राहुल का आगमन होगा। राहुल कुछ महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं।"
वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य राहुल जब भी अपने क्षेत्र का दौरा करते हैं, लोगों की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ती है।
नेता ने कहा, "हालांकि, अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राज्य में प्रचार करने की संभावना नहीं है, प्रियंका के चुनाव अभियान के हिस्से के रूप में राज्य में आने की उम्मीद है और वह राज्य भर में यात्रा करेंगी। निश्चित रूप से दोनों भाई-बहनों की यात्रा से मतदाताओं में बहुत अधिक रूचि पैदा होगी।"
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी एक संक्षिप्त चुनाव अभियान के लिए यहां आ सकते हैं। (आईएएनएस)
नांदेड़ (महाराष्ट्र), 9 फरवरी | एक कथित खालिस्तानी एक्टिविस्ट को महाराष्ट्र के नांदेड़ से पकड़ने के बाद पंजाब भेज दिया गया, जहां वह कुछ मामलों में राज्य पुलिस द्वारा वांछित था। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सरबजीत सिंह कीरत के रूप में पहचाने गए आरोपी को 7 फरवरी की देर रात नांदेड़ पुलिस की स्थानीय अपराध शाखा और पंजाब अपराध जांच विभाग द्वारा एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था।
नांदेड़ पुलिस अपराध शाखा के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया कि गिरफ्तारी के बाद, लुधियाना के रहने वाले कीरत को ट्रांजिट रिमांड के लिए स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया था और सोमवार को उसे पंजाब भेज दिया गया।
अन्य बातों के अलावा, कीरत पंजाब पुलिस द्वारा कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने, सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के मामले में वांछित था। (आईएएनएस)
भोपाल, 9 फरवरी | मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर अपने तेवर तल्ख दिखाए हैं और वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रशासनिक अमले के कामकाज की समीक्षा की। इतना ही नहीं उन्होंने कामकाज से संतुष्ट न होने पर दो जिलाधिकारियों और दो पुलिस अधीक्षकों को पद से हटा दिया है। वहीं इन तबादलों पर कांग्रेस ने तंज कसा है। मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य में प्रशासनिक कामकाज का फीडबैक लेने के लिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग का सिलसिला शुरु किया है। बीते माह हुई जिलों के कलेक्टर्स और सभी कमिश्नर्स, आई.जी. और एस.पी स्तर के अधिकारियों की कॉफ्रेंसिंग के बाद गाज गिरी थी, इस बार फिर पांच अफसरों पर गाज गिरी है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कांफ्रेंस में कहा कि निर्धारित एजेंडा के अनुसार मासिक समीक्षा होगी। माह में 29 दिवस काम और एक दिन समीक्षा होगी। यह मासिक समीक्षा सु-शासन का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने मिलावटियों और माफियाओं के विरूद्ध पूरी ताकत से अभियान जारी रखने को कहा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद दो कलेक्टर, दो पुलिस अधीक्षक और एक नगर पुलिस अधीक्षक को हटाने के आदेश जारी हो गए। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में नीमच कलेक्टर जितेन्द्र सिंह राजे को अपर सचिव, मध्यप्रदेश शासन पदस्थ किया है। वहीं बैतूल कलेक्टर राकेश सिंह को उप सचिव, मध्यप्रदेश शासन पदस्थ किया है।
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में गुना के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह और निवाड़ी की पुलिस अधीक्षक वाहनी सिंह को सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, भोपाल पदस्थ किया है। एक अन्य आदेश में गुना की नगर पुलिस अधीक्षक नेहा पच्चीसिया को उप पुलिस अधीक्षक, पुलिस मुख्यालय, भोपाल के पद पर स्थानांतरित कर पदस्थ किया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अफसरों से कहा है कि अधिकारी-कर्मचारी पूरी क्षमता, समर्पण, ईमानदारी और परिश्रम से कार्य कर प्रदेश की जनता के कल्याण को सुनिश्चित करें। कलेक्टर्स, विभागीय अधिकारी और उनका अमला प्रदेश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ दें। विकास के लिए हम सब एक हैं। यदि हमारे प्रयासों में कोई कमी रह जाती है, तो यह प्रदेश का अहित होने का पाप भी होगा।
इन तबादलों पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने तंज कसा है और ट्वीट कर कहा है, "कलेक्टर-कमिश्नर विडिओ कांफ्रेंसिंग के नाम पर भी शिवराज सरकार का ट्रांसफर उद्योग चालू आहे...पूरे घर को बदल डालूंगा..सुबह-शाम बदलेंगे, हर बहाने से बदलेंगे।" (आईएएनएस)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार उनसे फोन पर बात की. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय मुद्दों और साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की है. जलवायु परिवर्तन के संबंध में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात को फोन पर बात की. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा जलवायु परिवर्तन, कोरोना महामारी और म्यांमार पर भी चर्चा की. दोनों नेताओं ने कहा है कि म्यांमार में लोकतंत्र बहाल होना चाहिए. मोदी ने बाइडेन को चुनाव में कामयाबी के लिए भी शुभकामनाएं दी है. मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, "जो बाइडेन से बात की और उन्हें सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं. हमने क्षेत्रीय मुद्दों, साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की. हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपने सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमत हुए."
मोदी ने ट्वीट में आगे लिखा, "राष्ट्रपति जो बाइडेन और मैं एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं." दूसरी ओर व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, "नेताओं ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए घनिष्ठ सहयोग जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें नेविगेशन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और क्वाड के माध्यम से एक मजबूत क्षेत्रीय वास्तुकला का समर्थन शामिल है."
हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने क्वाड नाम से समूह बनाया है. क्वाड सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन और युद्ध अभ्यास होते आए हैं. दोनों नेताओं ने कहा कि वे "वैश्विक आतंकवाद के संकट के खिलाफ एक साथ खड़े होंगे."
बाइडेन और मोदी रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं
भारत और अमेरिका ने पिछले दशकों में ज्यादातर मैत्रीपूर्ण संबंधों को बनाए रखा है, दोनों देशों ने हाल के सालों में दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए रणनीतिक साझेदारी के तहत आपसी संबंधों को और गहरा किया है. उप राष्ट्रपति कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं और बाइडेन प्रशासन में 20 से अधिक भारतीय अमेरिकी अहम पदों पर हैं. ऐसे में भारत एक महत्वपूर्ण आर्थिक, सुरक्षा और रक्षा द्विपक्षीय साझेदारी बनाए रखने के लिए उम्मीद लगाए हुए है.
मोदी और बाइडेन की बातचीत से पहले ही दोनों देशों के अहम मंत्रियों के बीच बातचीत हो चुकी है. पिछले महीने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समकक्ष एंटनी जे ब्लिकेन और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नए रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से बात की थी. मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन और उप राष्ट्रपति हैरिस को जनवरी महीने शपथ ग्रहण के बाद बधाई दी थी.
पिछले साल फरवरी में डॉनल्ड ट्रंप ने भारत का दौरा किया था और उस वक्त दोनों देशों के बीच संबंध नई ऊंचाइयों पर गए थे. इसी के साथ सुरक्षा सहयोग भी बढ़ा था. भारत और अमेरिका मजबूत व्यापारिक साझेदार हैं. साल 2019 में दोनों के बीच 146 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी)
उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक आई बाढ़ से हुई तबाही की पूरी तस्वीर धीरे-धीरे सामने आ रही है. अभी तक 26 लाशें बरामद की जा चुकी हैं, लेकिन कम से कम 170 लापता लोगों को जीवित बचा लेने का समय खत्म होता जा रहा है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
बाढ़ को आए लगभग दो दिन बीत चुके हैं लेकिन सेना, अर्धसैनिक बल और आपदा प्रबंधन बल के जवान अभी भी लापता लोगों को खोजने में लगे हुए हैं. 170 लापता लोगों में अधिकतर श्रमिक हैं जो इलाके की दो बिजली परियोजनाओं में काम कर रहे थे. इनमें तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना एनटीपीसी की है और ऋषिगंगा परियोजना निजी है.
राज्य के इमरजेंसी कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों स्थलों से अभी तक 26 लाशें मिली हैं. आगे का बचाव कार्य एनटीपीसी की परियोजना के आस पास केंद्रित है, जहां 1900 मीटर लंबी एक सुरंग में कम से कम 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है. बाढ़ का पानी सुरंग के अंदर घुस गया था और फिर बाढ़ के साथ आए मलबे ने सुरंगे के मुंह को बंद कर दिया था.
परियोजना पर काम कर रहे लोगों के अलावा वहां बसे रैनी गांव के कई निवासी भी बाढ़ में बह गए थे. वो भी अभी तक लापता हैं. संभव है कि उनमें से भी कुछ लोग इसी सुरंग में फंसे हों. बाढ़ में इलाके के कई पुल भी टूट गए थे जिसकी वजह से कुछ गांवों से संपर्क टूट गया था. प्रशासन उन गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाने में लगा हुआ है. वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी ने इलाके से एक वीडियो ट्वीट कर बताया कि ऐसे इलाकों में सेना और एजेंसियों के जवान मौजूद हैं.
बाढ़ का कारण कुछ और भी हो सकता है
इसी के साथ बाढ़ के अचानक आने के कारणों के बारे में भी अध्ययन चल रहा है. वैज्ञानिकों की टीमें घटना स्थल भेजी जा चुकी हैं लेकिन उनके निष्कर्ष गहन अध्ययन के बाद ही सामने आएंगे. तब तक अलग अलग सैटलाइटों से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर स्थिति को समझने की कोशिश की जा रही है.
पहले अनुमान लगाया जा रहा है था कि बाढ़ नंदा देवी ग्लेशियर में किसी बड़ी झील के प्राकृतिक बांध के टूटने की वजह से आई होगी, जिसे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लो (जीएलओएफ) कहा जाता है. लेकिन ताजा सैटलाइट तस्वीरें दिखा रही हैं कि घटना के दिन ही रैनी गांव के पास एक पहाड़ से ताजा बर्फ पिघल कर नीचे की तरफ गिरी थी.
अनुमान लगाया जा रहा है कि यही गिरती हुई बर्फ अवलांच यानी बर्फ एक बड़े ढेर में बदल गई हो और 30-40 लाख क्यूबिक मीटर पानी लिए नीचे की नदियों में गिर गई हो. सही नतीजा वैज्ञानिक अध्ययन पूरा होने के बाद ही सामने आएगा.
नई दिल्ली, 9 फरवरी| भारत में कोरोनावायरस के मामलों की दैनिक संख्या घटती जा रही है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को देश में संक्रमण के 9,110 नए मामले दर्ज हुए और 78 लोगों की मौत हुई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि देश में अब कोविड मामलों की कुल संख्या 1,08,47,304 और मरने वालों की संख्या 1,55,158 हो गई है। इससे पहले पिछले साल 2 जून को सबसे कम 8,821 मामले दर्ज हुए थे और 30 अप्रैल, 2020 को सबसे कम 75 मौतें दर्ज की गईं थीं। 2021 में अब तक के सबसे कम 10,064 मामले 19 जनवरी को दर्ज किए गए थे।
पिछले 2 हफ्तों से देश में रोजाना 15 हजार से कम मामले दर्ज हो रहे हैं। वहीं मौतों का आंकड़ा भी एक महीने से 200 से नीचे रहा है।
देश में वर्तमान में 1,43,625 सक्रिय मामले हैं। अब तक कुल 1,05,48,521 व्यक्ति ठीक हो चुके हैं। रिकवरी दर 97.25 प्रतिशत है और मृत्यु दर घटकर 1.43 प्रतिशत हो गई है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक 8 फरवरी तक कुल 20,25,87,752 नमूनों का परीक्षण हो चुका है।
बता दें कि कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद 16 जनवरी से देश में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है और अब तक 62,59,008 कोरोना वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दुनिया में सबसे तेजी से टीकाकरण भारत में किया जा रहा है। (आईएएनएस)
पटना, 9 फरवरी | बिहार में मंगलवार को नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार होना है। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राजभवन में तैयारी अंतिम चरण में हैं, लेकिन इससे पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में बगावत के स्वर सुनाई देने लगे हैं। भाजपा से बाढ़ विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानु ने नए मंत्रियों के चेहरों पर पार्टी के निर्णय को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि अनुभवी लोगों को दरकिनार कर दिया है तथा सवर्णो की उपेक्षा की गई है।
ज्ञानु ने मंगलवार को कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में ना अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है और नाही क्षेत्र में सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कई जिलों से तीन-तीन मंत्री बन गए हैं, जबकि कई जिलों को छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा कि दिग्गज नेता जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र और अनुभवी नेता नीतीश मिश्रा को भी मंत्री बनाने लायक नहीं समझा गया। उन्होंने कहा कि विस्तार में भाजपा ने जाति, क्षेत्र और छवि का ख्याल भी नहीं रखा।
उन्होंने सवणोर्ं की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सवर्ण भाजपा को वोट देते हैं, लेकिन मंत्रिमंडल में उनकी ही उपेक्षा की गई।
बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल का मंगलवार को विस्तार होगा। मंगलवार को 17 मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है, इसमें भाजपा के नौ तथा उसकी सहयोगी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के आठ लोगों के शामिल होने की संभावना है।
पिछले साल नवंबर में बिहार में फिर से मुख्यमंत्री पद संभालने वाले नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का यह पहला विस्तार है। मंत्रिमंडल को लेकर भाजपा और जदयू में बहुत दिनों तक पेंच फंसा रहा, अंत में सोमवार की शाम दोनों दलों में सहमति बन गई। (आईएएनएस)