राष्ट्रीय
भुवनेश्वर, 14 जनवरी | ओडिशा के बारीपाड़ा शहर में गुरुवार को मकर संक्रांति के मौके पर नदी में स्नान करने जाते समय 19 वर्षीय एक युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। पीड़िता द्वारा इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद बारीपाड़ा शहर पुलिस ने एक नाबालिग सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया।
घटना गुरुवार तड़के मयूरभंज जिले के बारीपाड़ा टाउन पुलिस थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई।
बारीपाड़ा के प्रभारी इंस्पेक्टर बीरेंद्र सेनापति ने कहा कि युवती मकर संक्रांति पर नदी में डुबकी लगाने के लिए जा रही थी, उसी दौरान मोहल्ले के दो युवकों ने उसे जबरन उठा लिया और नदी के किनारे एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
बाद में, युवती बदमाशों के चंगुल छूटकर भागने में सफल रही। घर जाकर उसने अपनी बड़ी बहन को आपबीती सुनाई, जिसके बाद पुलिस थाने में पीड़िता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई 3.0) के तीसरे चरण का शुक्रवार को देश के सभी राज्यों के 600 जिलों में शुभारंभ किया जाएगा। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की अगुआई वाले इस चरण में नए-युग और कोविड से संबंधित कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
स्किल इंडिया मिशन पीएमकेवीवाई 3.0 में 948.90 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2020-2021 की योजना अवधि के दौरान आठ लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देने की परिकल्पना की गई है।
729 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके), स्किल इंडिया के तहत सूची में शामिल गैर-पीएमकेके प्रशिक्षण केंद्र और 200 से अधिक आईटीआई कुशल पेशेवरों का एक मजबूत पूल बनाने के लिए पीएमकेवीवाई 3.0 प्रशिक्षण शुरू करेंगे।
पीएमकेवीवाई 1.0 और पीएमकेवीवाई 2.0 से प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर मंत्रालय ने मौजूदा नीति सिद्धांत के अनुरूप और कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए कौशल इकोसिस्टम को ऊर्जा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण के इस नए संस्करण में सुधार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 जुलाई, 2015 को स्किल इंडिया मिशन का शुभारंभ किया गया था। इस मिशन को भारत को विश्व की स्किल कैपिटल बनाने के ²ष्टिकोण से एक प्रमुख योजना पीएमकेवीवाई के शुभारंभ से जबरदस्त गति प्राप्त हुई है।
इस चरण की शुरुआत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय करेंगे। इस अवसर पर राज्यमंत्री राज कुमार सिंह भी उपस्थित रहेंगे। इस आयोजन को कौशल विकास राज्यमंत्री और संसद सदस्य भी संबोधित करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार सुबह दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 14 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें डिप्टी रैंक के एजेंसी के अधिकारी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि अधीक्षक और इंस्पेक्टर पर कुछ मामलों में जांच में समझौता करने का आरोप है। सीबीआई के एक अधिकारी ने यहां कहा कि एजेंसी ने 14 स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें गाजियाबाद के शिवालिक अपार्टमेंट में उसके चार अधिकारियों के परिसर शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने अपने डिप्टी एसपी, इंस्पेक्टर और कुछ निजी व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी ली।
एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तब की गई है, जब सीबीआई ने अपने अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और अन्य लोगों के खिलाफ कुछ मामलों में जांच से समझौता करने के आरोपों के तहत आईपीसी के संबंधित धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
अधिकारी ने कहा कि दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव, मेरठ और कानपुर सहित 14 स्थानों पर छापेमारी की गई।
हालांकि, सूत्रों ने भ्रष्टाचार के मामलों में कथित रूप से संलिप्त अधिकारियों के नाम साझा करने से इनकार कर दिया। (आईएएनएस)
गुरुग्राम, 14 जनवरी | गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग को गुरुवार को गुरुग्राम सहित पांच जिलों के लिए कोविड -19 वैक्सीन की 85,400 खुराक प्राप्त हुई। गुरुग्राम के सिविल सर्जन वीरेंद्र यादव ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले से खुराक प्राप्त की। सिविल सर्जन की देखरेख में, टीकों को पटौदी में एक कोल्ड-चेन केंद्र में रखा गया था। स्वास्थ्य विभाग 16 जनवरी को टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
गुरुग्राम से, टीकों की आपूर्ति फरीदाबाद, नूंह, रेवाड़ी और पलवल सहित अन्य जिलों में की जाएगी।
यादव ने बताया कि वैक्सीन की खेप को कोल्ड चेन पॉइंट्स में सुरक्षित रूप से रखा गया है और टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से सरकार के निर्देशानुसार चलाया जाएगा।
यादव ने कहा, "85,400 खुराक में से, लगभग 44,950 खुराक गुरुग्राम जिले के लिए, 22,620 फरीदाबाद के लिए, 7,120 नूंह के लिए, 5,090 पलवल के लिए और 5,700 रेवाड़ी के लिए हैं। गुरुवार रात इन जिलों में वैक्सीन की खुराक की आपूर्ति कर दी जाएगी।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है. इसके तहत, पांच वर्ष तक के आयुवर्ग के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाती है. राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (एनआईडी) की शुरुआत देशभर में 17 जनवरी से होने वाली थी. इसे आम तौर पर पल्स पोलियो टीकाकरण (पीपीआई) कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को नौ जनवरी को भेजे गए एक पत्र में उन्हें पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम स्थगित किए जाने की जानकारी दी.
सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख सचिव को भेजे गए इस पत्र में कहा गया, 'अप्रत्याशित गतिविधियों के कारण 17 जनवरी 2021 से शुरू हो रहे राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (एनआईडी) को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है.'
वहीं केंद्र ने एक बयान में कहा 'दुनिया के सबसे बड़े कोविड -19 टीकाकरण अभ्यास के मद्देनजर, यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय के परामर्श से पोलियो टीकाकरण दिवस को रविवार 31 जनवरी, 2021 तक के लिए स्थगित किया जा रहा है.
16 जनवरी से शुरू हो रहा है कोविड वैक्सीनेशन
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने आठ जनवरी को कहा था कि 17 जनवरी से देश में पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा. हर्षवर्धन ने कहा था, 'हमने 17 जनवरी से तीन दिवसीय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है. यह दो या तीन चलेगा.'
गौरतलब है कि 16 जनवरी से कोरोना संक्रमण के मद्देनजर शुरू हो रहे वैक्सीनेशन में सरकार को उम्मीद है कि अगले दो महीनों में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की कम से कम पहली खुराक दी जाएगी. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने कहा, 'हमें अगले तीन महीनों में तीन करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीनेट कर लेना चाहिए.' (भाषा इनपुट के साथ)
गुरुग्राम, 14 जनवरी (आईएएनएस)| गुरुग्राम के भोंडसी में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) परिसर में तैनात एक बीएसएफ के जवान ने गुरुवार को पंखे से लटककर आत्महत्या करने की कोशिश की। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक, सोनू कुमार (38) हरियाणा के भिवानी जिले के हैं। उन्हें पहले कैंपस अस्पताल ले जाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि कांस्टेबल शराब का आदी है और उसे यहां बटालियन में उसकी इच्छाओं के खिलाफ तैनात किया गया था, क्योंकि वह बीएसएफ के दिल्ली कार्यालय में शामिल होना चाहता था और इसके कारण उसने बुधवार को यह घातक कदम उठाया।
बीएसएफ ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। भोंडसी पुलिस स्टेशन में इस संबंध में एक मामला दर्ज किया गया है।
संदीप पौराणिक
भोपाल, 14 जनवरी | मध्यप्रदेश में आखिरकार भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर ही दिया गया। इस कार्यकारिणी में क्षेत्रीय संतुलन का खास ध्यान रखा गया है, मगर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को कम ही जगह मिल पाई है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले विष्णु दत्त शर्मा को लगभग 10 माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और अरसे से इस बात की प्रतीक्षा की जा रही थी कि जल्दी ही कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर दिया जाएगा। भाजपा की मार्च 2020 में सत्ता में हुई वापसी और उसके बाद विधानसभा के उपचुनाव के कारण पुनर्गठन की प्रक्रिया थमी हुई थी। उप चुनाव से पहले पांच प्रदेश महामंत्री की नियुक्ति कर दी गई थी और उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कार्यकारिणी के विस्तार की चर्चाएं जोरों पर थी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा की टीम में 12 उपाध्यक्ष और 12 प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं, वहीं कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष, कार्यालय मंत्री और मीडिया प्रभारी की भी नियुक्ति की गई है।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तार पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इसमें प्रदेश के लगभग हर हिस्से के साथ तमाम नेताओं के करीबियों को भी जगह देने की हर संभव कोशिश की गई है। इस कार्यकारिणी में ग्वालियर चंबल, विंध्य क्षेत्र, मध्य, बुंदेलखंड व महाकौशल से चार-चार प्रतिनिधियों को मौका दिया गया है। इसके अलावा मालवा-निमाड़ इलाके से आठ लोगों को प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वही मोर्चा में मध्य क्षेत्र का दबदबा है। यहां से महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा और पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि युवा मोर्चा का अध्यक्ष महाकौशल से, अनुसूचित जनजाति मोर्चा का अध्यक्ष निमाड़ से और अल्पसंख्यक मोर्चा का अध्यक्ष चंबल से बनाया गया है। वहीं राज्य के दिग्गज नेताओं की समर्थकों पर गौर किया जाए तो एक बात साफ हो जाती है, इस कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबियों का दबदबा है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के करीबियों को तो स्थान दिया ही है इसके अलावा संघ की पसंद का भी ध्यान रखा गया है।
भाजपा की नई कार्यकारिणी युवा चेहरों से भरी नजर आती है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिर्फ एक करीबी को ही कार्यकारिणी में जगह मिल सकी है।
पार्टी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि दल-बदल करने वालों को संगठन में स्थान देने से हमेशा परहेज किया गया है और यही कारण है कि सिंधिया के समर्थकों को कार्यकारिणी में ज्यादा जगह नहीं मिली है, हां सत्ता में जरूर सिंधिया समर्थकों की हिस्सेदारी रहेगी। मंत्रिमंडल में उनके पर्याप्त समर्थक हैं वहीं निगम मंडलों में भी उनकी पसंद का ख्याल रखा जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि भाजपा संगठन में अपनी टीम अपने खांटी लोगों को मिलाकर बनाती है और विष्णु दत्त शर्मा की जो नई टीम है उसमें भी यही बात साफ नजर आ रही है। सिंधिया के समर्थकों को ज्यादा महत्व ना दिए जाने से बात साफ हो गई है कि भाजपा के लिए सिंधिया की कितनी उपयोगिता है। पुराने अनुभव बताते हैं कि भाजपा सत्ता में तो हिस्सेदारी दूसरे दल और दल बदल करने वालों के साथ कर सकती है मगर संगठन में हिस्सेदारी देने से उसने हमेशा परहेज किया है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 जनवरी | उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त आईएएस अफसर अरविंद शर्मा गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का करीबी बताया जाता है। इस दौरान उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर, गोविंद शुक्ला, कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान भी उपस्थित रहे। अरविंद कुमार मूल रूप से यूपी के मऊ जिले के निवासी हैं।
शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनकी अनुपस्थिति में आभार जताते हुए कहा कि वह मऊ जिले के पिछड़े गांव से ताल्लुक रखते हैं। वह राष्ट्रवाद और पार्टी की सेवा के लिए राजनीति में आए हैं। पार्टी जो जिम्मेदारी सौंपेगी उसे स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा, मुझ जैसे साधारण व्यक्ति को जिसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, उसे भाजपा ही इतना बड़ा मुकाम दे सकती है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। मैं प्रधानमंत्री और भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। अन्य सवालों का जवाब देने के बजाय शर्मा हाथ जोड़कर चले गए।
उन्होंने 20 वर्षों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात और पीएमओ में काम किया है। उन्होंने आईएएस की सेवा से दो साल पहले ही वीआरएस लिया है।
अरविंद शर्मा की गिनती भारत सरकार के चुनिंदा अफसरों में होती है। लो प्रोफाइल रहते हुए पीएमओ और फिर एमएसएमई में बेहतरीन काम के लिए चर्चा में रहे हैं।
1998 कैडर के गुजरात के चर्चित आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है। दो वर्ष की नौकरी बाकी रहने के बाद भी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वाले शर्मा को एक व्यापक ²ष्टिकोण वाला परिश्रमी अधिकारी माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात के साथ पीएम ऑफिस, दिल्ली में भी काम करने का उनका लम्बा अनुभव है। वह उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद से बहुत पिछड़े से इलाके से आते हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अरविंद कुमार शर्मा को भाजपा यूपी से विधान परिषद सदस्य बना सकती है। विधान परिषद की 12 सीट में से भाजपा का दस पर कब्जा बिल्कुल तय माना जा रहा है। (आईएएनएस)
फातोर्दा (गोवा), 14 जनवरी (आईएएनएस)| एफसी गोवा हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के सातवें सीजन की अंकतालिका में 15 अंकों के साथ चौथे नंबर पर है। लेकिन टीम अभी भी टेबल टॉपर मुंबई सिटी एफसी से 10 अंक पीछे है और उसे अभी 10 मैच और खेलने हैं। गोवा के कोच जुआन फेरांडो एक समय में एक ही मैच पर ध्यान देना चाहते हैं और इसी क्रम में अब टीम को अपना अगला मुकाबला आज यहां फातोर्दा के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में जमशेदपुर एफसी के खिलाफ खेलना है।
गोवा ने पिछले सीजन में टॉप पर रहते हुए सीजन का समापन किया था। लेकिन इस साल कई मैचों में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद टीम अपनी इच्छानुसार परिणाम हासिल करने के संघर्ष कर रही है।
जमशेदपुर के नेरिजुस व्लास्किस ने इस सीजन में टीम के 12 गोल में से आठ गोल खुद ही किए हैं। लेकिन फेरांडो केवल एक ही खिलाड़ी पर ध्यान देने के बजाय पूरी टीम के खिलाफ प्लान बनाना चाहते हैं।
जमशेदपुर के कोच ओवेन कॉयले इस बात से अच्छी तरह से अवगत हैं कि वे एफसी गोवा के खिलाफ कोई गलती नहीं कर सकते हैं।
चेन्नई, 14 जनवरी | कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को उन लोगों को चेतावनी दी जो तमिल संस्कृति के बारे में आलोचना करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि तमिल कल्चर खत्म हो जाएगा, वो गलत हैं। राहुल गांधी मदुरै के अवनियापुरम में थे जहां वो पोंगल के फसल उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले पारंपरिक खेल 'जल्लीकट्टू' देखने आए थे।
कार्यक्रम स्थल पर एक संक्षिप्त भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि वह उन लोगों को एक संदेश देने आए थे जो कहते हैं कि तमिल संस्कृति खत्म हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि तमिल संस्कृति और इतिहास को देखना एक प्यारा अनुभव है। उन्होंने कार्यक्रम को व्यवस्थित तरीके से आयोजित करने के लिए जल्लीकट्टू आयोजकों की सराहना की ताकि ये खेल सुरक्षित तरीके से हो।
उन्होंने कहा कि उन्हें तमिलनाडु के लोगों से बहुत प्यार और स्नेह मिला है। तमिल इतिहास और संस्कृति की रक्षा की जाएगी और वो इसके बारे में जानने आए थे।
उन्होंने लोगों को 'हैप्पी पोंगल' कह कर शुभकामनाएं दी।
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के.एस. अलागिरी और डीएमके यूथ विंग के सचिव उदयनिधि स्टालिन ने भी राहुल गांधी के साथ 'जल्लीकट्टू' कार्यक्रम देखा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार सुबह गाजियाबाद में अपने ही अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे। हालांकि, सीबीआई के अधिकारी घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए हैं।
एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में गाजियाबाद के शिवालिक अपार्टमेंट्स में दो से तीन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी चल रही है।
हालांकि, सूत्रों ने अधिकारियों की पहचान का खुलासा नहीं किया है, क्योंकि एजेंसी ने छापा मारा।
उन्होंने बताया कि जिन अधिकारियों पर छापा मारा जा रहा है उनमें से एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रैंक का अधिकारी है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र), 14 जनवरी | किसान आंदोलन के 50वें दिन गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा कि जब सरकार पांच साल चल सकती है तो आंदोलन क्यों नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रम के लिए तिरंगा आना भी शुरू हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को देशभर में किसान परेड निकालने समेत आंदोलन तेज करने को लेकर अन्य सभी पूर्व घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला लिया है। गणतंत्र दिवस की तैयारियों पर टिकैत ने कहा, 26 जनवरी को लेकर हमारी तैयारियां पूरी हैं। हम एक बैठक कर देखेंगे कि दिल्ली में कहां परेड कर सकते हैं। 26 जनवरी को लेकर हमारे पास तिरंगे भी आना शुरू हो गए हैं।
कब तक करेंगे आंदोलन? इस सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, जब सरकार 5 साल चल सकती है तो आंदोलन क्यों नहीं चल सकता। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते है लेकिन कमेटी से खुश नहीं हैं। जब तक सरकार नये कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन 50वें दिन जारी है।
सरकार के साथ किसान नेताओं की इस मसले को लेकर आठ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और शीर्ष अदालत ने मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, जिसमें चार सदस्य हैं।
लेकिन आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में जाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि इस कमेटी में शामिल सदस्य नये कानून के पैरोकार रहे हैं। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 14 जनवरी | श्रीनगर शहर में गुरुवार को न्यूनतम तापमान माइनस 8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शहर के इतने कम तापमान ने पिछले 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 1995 में शहर का न्यूनतम तापमान माइनस 8.3 डिग्री दर्ज किया गया था। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "आज का तापमान माइनस 8.4 डिग्री रहा। यह रात श्रीनगर में 25 सालों में सबसे ठंडी रात रही। वैसे आने वाले दिनों में हमें न्यूनतम तापमान में और गिरावट होने की उम्मीद नहीं है।"
बता दें कि प्रदेश में 40 दिनों की भीषण ठंड की अवधि 'चिल्लई कलां' चल रही है, जो कि 31 जनवरी को खत्म होगी।
गुरुवार को पहलगाम में न्यूनतम तापमान माइनस 11.1 डिग्री और गुलमर्ग में माइनस 7.0 डिग्री दर्ज किया गया।
वहीं लद्दाख के लेह शहर का तापमान माइनस 16.8 डिग्री, कारगिल में माइनस 19.6 डिग्री और द्रास में माइनस 28.3 डिग्री रहा।
जम्मू शहर का न्यूनतम तापमान 5.9 डिग्री, कटरा में 4.8 डिग्री, बटोटे में 6.1 डिग्री, बेनिहाल में 6.2 डिग्री और भद्रवाह में 0.3 डिग्री रहा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मकर संक्रांति के पर्व पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह त्योहार भारत में परंपराओं की जीवंतता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, मकर संक्रांति पर देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई। मैं उत्तरायण सूर्यदेव से नई ऊर्जा और नया उत्साह लाने की कामना करता हूं।
यह देखते हुए कि मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह के साथ मनाया जाता है, मोदी ने कहा कि शुभ त्योहार भारत की विविधता और परंपराओं की जीवंतता को दर्शाता है।
यह त्योहार प्रकृति के प्रति सम्मान के महत्व को भी दिखाता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | ट्विटर के सीईओ जैक डोरसे ने गुरुवार को मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगाए गए प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह ऑनलाइन भाषण के कारण ऑफलाइन नुकसान से बचाने के लिए सही कदम था। बता दें कि ट्विटर ने पिछले हफ्ते हिंसा को और भड़काने के जोखिम का हवाला देते हुए ट्रंप को अपने मंच से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। ट्रंप ने अपने समर्थकों की एक भीड़ को संबोधित किया था, जिसने अमेरिकी कैपिटल पर हमला करके जो बाइडेन की बतौर राष्ट्रपति जीत की पुष्टि करने की प्रक्रिया में बाधा डाली थी।
डोरसे ने अपने एक ट्वीट में कहा, "मैं एट द रेट रियलडोनाल्डट्रंप पर ट्विटर के प्रतिबंध लगाने पर जश्न नहीं मना रहा हूं और ना गर्व महसूस कर रहा हूं। एक स्पष्ट चेतावनी देने के बाद हम यह कार्रवाई करेंगे, हमने एक बेहतर जानकारी के साथ उस चीज पर निर्णय लिया जो ट्विटर पर और बाहर दोनों ही जगह शारीरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।"
उन्होंने स्वस्थ बातचीत को बढ़ावा देने की ट्विटर की विफलता को दोषी ठहराया और स्वीकार किया कि ट्विटर को हमारी नीतियों और उन्हें लागू करने की विसंगतियों को गंभीरता से देखने की जरूरत है।
उन्होंने जोर देकर कहा, "ट्विटर जैसी सेवा इंटरनेट पर बड़ी सार्वजनिक बातचीत का एक छोटा सा हिस्सा है। यदि लोग हमारे नियमों और प्रवर्तन से सहमत नहीं हैं, तो वे इंटरनेट की दूसरी सेवाओं पर जा सकते हैं।"
ट्विटर के अनुसार, वॉशिंगटन डीसी में हुई हिंसा और इसके प्रयासों के बाद उसने 70 हजार से ज्यादा अकाउंट को निलंबित कर दिया है। ये अकाउंट बड़े पैमाने पर हानिकारक सामग्री साझा कर रहे थे।
ट्विटर के सीईओ ने इसके बाद बिटक्वॉइन के बारे में बात की, जो एक क्रिप्टोक्यूरेंसी है और नए रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तैयार है। इसे लेकर उन्होंने कहा, "बिटक्वॉइन को लेकर बहुत अधिक जुनून का कारण मोटे तौर पर उस मॉडल के कारण है जो यह प्रदर्शित करता है कि यह एक मूलभूत इंटरनेट टेक्नॉलॉजी है जो किसी एक व्यक्ति या इकाई द्वारा नियंत्रित या प्रभावित नहीं होती है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी | केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान के आंदोलन का गुरुवार को 50वां दिन है। उत्तर भारत में सर्दी के सितम और घने कोहरे के बीच आंदोलनकारी किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक नये कृषि काननू वापस नहीं होंगे तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा। दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता पाल माजरा ने आईएएनएस को बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल कोहरे की चादर में रात से ही लिपटा हुआ है और कड़ाके की ठंड पड़ रही है लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों के जज्बे में कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि अपने ट्रैक्टरों की ट्रॉलियों में किसान यहां डेढ़ महीने से ज्यादा दिनों से रात गुजार रहे हैं लेकिन वे यहां से हटना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा, जब तक सरकार नये कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
पंजाब के लुधियाना जिले के एक और किसान नेता अवतार सिंह मेहलोन ने कहा कि किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहा है और जब तक उनको उनका हक नहीं दिया जाएगा तब तक उनका उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
सरकार के साथ किसान नेताओं के बीच इस मसले को लेकर आठ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और शीर्ष अदालत ने मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया जिसमें चार सदस्य हैं।
लेकिन आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में जाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि इस कमेटी में शामिल सदस्य नये कानून के पैरोकार रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को देशभर में किसान परेड निकालने समेत आंदोलन तेज करने को लेकर अन्य सभी पूर्व घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला लिया है। इसी के तहत बुधवार को आंदोलनकारी किसानों ने लोहड़ी पर्व पर नये कानूनों की प्रतियां जलाईं।
दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी भारतीय हैं. लेकिन भारत में रहने वाले प्रवासियों को संदेह और भय की नजर से देखा जाता है. माइग्रेशन पर जारी वैश्विक रैंकिंग में भारत को प्रवासियों के लिए सबसे बुरा देश पाया गया है.
डॉयचे वैले पर शिवप्रसाद जोशी का लिखा -
दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी भेजने वाले भारत में जब बात आती है आने वाले प्रवासियों की तो इस मामले में उसका रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं है. माइग्रेशन इंटीग्रेशन पॉलिसी इंडेक्स (माइपेक्स) के एक ताजा अध्ययन में भारत को 100 में से 24 अंक ही मिले हैं. यह पाया गया है कि भारत आने वाले प्रवासी समाज में एकीकृत नहीं हो पाते हैं. वे अलग-थलग रहने को विवश होते हैं. यूरोप के दो बड़े थिंक टैंकों- बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स स्थित माइग्रेशन पॉलिसी ग्रुप और स्पेन के बार्सीलोना स्थित सेंटर फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स ने 2004 में इस रैंकिंग को जारी करने की शुरुआत की थी. तबसे इसने संयुक्त राष्ट्र, विषय विशेषज्ञों और दुनिया की सरकारों और नीति निर्माताओं के बीच अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है. प्रवासियों की एकीकरण या समन्वय नीति से जुड़े जिन तीन मुख्य आयामों पर यह इंडेक्स काम करता है वे हैं- बुनियादी अधिकार, समान अवसर और सुरक्षित भविष्य. इन तीन आयामों के दायरे में फिर देशों की माइग्रेशन इंटीग्रेशन की पद्धतियों का मूल्यांकन किया जाता है.
10वें नंबर पर है अमेरिका
ऐसी चार पद्धतियां बनायी गई हैं- समग्र एकीकरण की पद्धति यानी प्रवासियों को समान अधिकार, अवसर और सुरक्षा की गारंटी मिलती है. कागजी समानता की पद्धति यानी प्रवासियों को समान अधिकार और लंबी अवधि की सुरक्षा तो हासिल होती है लेकिन समान अवसर नहीं मिल पाते. अस्थाई एकीकरण पद्धति का अर्थ है कि प्रवासियों को बुनियादी अधिकार और समान अवसर तो मिलते हैं लेकिन समान सुरक्षा नहीं दी जाती और उन्हें लंबी अवधि का प्रवास हासिल करने में अवरोधों का सामना करना पड़ता है. चौथी पद्धति है- एकीकरणविहीन प्रवास जिसके तहत प्रवासियों को बुनियादी अधिकारों और समान अवसर मुहैया नहीं होते हैं, भले ही वे लंबे समय से देश में रहते हों.
माइपेक्स की ताजा रैंकिंग में माइग्रेशन के लिए टॉप पांच देशो में कनाडा, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्वीडन शामिल हैं. टॉप टेन में एशिया का कोई देश नहीं है. अमेरिका 10वें नंबर पर है जबकि सबसे ज्यादा प्रवासियों को खपाने वाला देश वही है. प्रवासियों और शरणार्थियों को लेकर उदार रहा जर्मनी भी कई कारणों से टॉप टेन से बाहर है. भारत का नाम उन पांच देशों में शामिल है जहां प्रवासियों का एकीकरण नहीं हो पाता है यानी प्रवास से जुड़ी नीतियां ऐसी किसी व्यवस्था की इजाजत नहीं देती हैं लिहाजा लंबे समय तक रह भी जाएं, तो इन देशों में प्रवासियों को समान अधिकार, अवसर या समाज में भागीदारी कभी हासिल नहीं हो पाती है. इसीलिए इन देशों को प्रवासियों के लिए सबसे प्रतिकूल आंका गया है.
भारतका सबसे बुरा हाल
सबसे नीचे के पांच देशों में साइप्रस, चीन, रूस, इंडोनेशिया और भारत हैं. 24 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर भारत है. जानकारों के मुताबिक भारत की इस रैंकिंग का मतलब ये भी है कि प्रवासियों के लिए देश के दरवाजे थोड़ा बहुत ही खुले हैं. ये रवैया नीतियों से लेकर समाज के व्यवहार तक झलकता है. ध्यान देने वाली बात है कि दुनिया में सबसे अधिक प्रवासियों की संख्या भारतीयों की है. संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवास संगठन (आईओएम) की 2020 की माइग्रेशन रिपोर्ट के मुताबिक एक करोड़ 75 लाख भारतीय विभिन्न देशों में प्रवासी हैं, उसके बाद चीन और मेक्सिको का नंबर आता है. विदेशों से सबसे ज्यादा धन स्वदेश भेजने वाले प्रवासियों में भारतीयों का नंबर पहला है. 27 करोड़ से अधिक लोग यानी दुनिया की साढ़े तीन प्रतिशत आबादी बतौर प्रवासी विभिन्न देशों में रहती है.
और भारत में कितने प्रवासी रहते हैं? 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत पचास लाख प्रवासियों का ठिकाना है. संयुक्त राष्ट्र के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रवासियों की संख्या में गिरावट आई है. 1990 में उनकी संख्या साढ़े सतर लाख से ज्यादा थी और 2019 में घटकर पचास लाख से कुछ अधिक रह गई थी. दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी आयोग के जनवरी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पनाह चाहने वालों की संख्या दो लाख से कुछ अधिक ही बताई है.
नियमित और अनियमित अंतरक्षेत्रीय आवाजाही का संबंध मजबूत और एक समान ऐतिहासिक जड़ों, भौगोलिक निकटताओं और सांस्कृतिक और पारिवारिक रिश्तों के अलावा प्राकृतिक विपदाओं, हिंसा और सत्ता के दमन और राजनीतिक अस्थिरता से भी है. 2019 में दक्षिण एशिया में करीब डेढ़ करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में से 80 प्रतिशत लोग इसी उपक्षेत्र में एक देश से अन्य देश को माइग्रेट हुए हैं. भारत इस इलाके में प्रमुख माइग्रेशन ठिकाने के रूप में रहा है. 1947 के बंटवारे के समय पाकिस्तान से आने वाली आबादी और 1960 के दशक में तिब्बती शरणार्थियों का बसेरा बना भारत- नेपालियों, बांग्लादेशियों, श्रीलंकाई तमिलों से लेकर रोहिंग्या मुसलमानों तक के लिए भी आश्रयस्थल बना है या माइग्रेशन का कॉरीडोर.
छोटेमोटे रोजगार से ही जुड़े हैं प्रवासी
भारत के असंगठित क्षेत्र में लाखों बांग्लादेशी और नेपाली प्रवासी, निर्माण सेक्टर में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं, कुछ टैक्सी या ऑटो रिक्शा चलाते हैं, कोई दुकान लगाता है तो कोई सड़क पर फल और सब्जी की रेहड़ी लगाता है. कुछ लोग घरों में काम करते हैं तो कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों में. अधिकांश प्रवासी छोटेमोटे रोजगार से ही जुड़े हैं. लेकिन असंगठित क्षेत्र में उनकी मेहनत और योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
जाहिर है जीडीपी में कुछ मामूली अंश की ही सही लेकिन योगदान उनका भी है. अनियमित प्रवासियों की निश्चित संख्या नहीं है लेकिन उनकी संख्या भी कम नहीं होगी, ऐसा माना जाता है. लेकिन ये प्रवासी समाज और राजनीति में सक्रिय भागीदारी से दूर ही रखे गए हैं. वे समाज में घुलनामिलना भी चाहें तो इसके आगे राजनीतिक और सामाजिक अवरोध हैं. उन्हें अक्सर सवाल, संदेह और भय से देखने की प्रवृत्ति भी रही है. उनके काम और पहचान को लेकर भी समाज में एक टैबू लंबे समय से रहा है.
भारत में ठोस रोजगार और श्रम बाजार में प्रवासियों के लिए, समग्र रूप से देखें तो आशाजनक स्थितियों का अभाव है. स्वास्थ्य के लिहाज से कुछ राहतें जरूर हैं. जैसे समन्वित बाल विकास सेवाओं के तहत पूरक पोषण, अनौपचारिक शिक्षा, टीकाकरण और छोटे बच्चों के हेल्थ चेकअप जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी सेवाएं प्रवासी समुदायों और शरणार्थियों के लिए भी खुली हैं.
इसी तरह तिब्बती और श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के लिए भी स्वास्थ्य योजनाएं हैं. जो उन्हें केंद्रीय स्तर की इंटीग्रेशन नीतियों के जरिए हासिल हैं. लेकिन भारत की कुल प्रवासी आबादी के ये चार प्रतिशत ही हैं. मुख्य समाज की उदासीनता, भीड़ की हिंसा और सरकारों के रवैये के अलावा इधर कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने गरीबों के साथ साथ शरणार्थियों और प्रवासी वंचितों को और मुश्किल में धकेल दिया है. आंकड़े भी बताते हैं कि ये स्थिति कमोबेश पूरी दुनिया में बनी है.
निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के नासिक और नंदूरबार जिलों के दो गांवों में पंचायत चुनाव रद्द कर दिया है. आयोग को पंचायत सीटों की नीलामी की शिकायत और वीडियो मिले थे जिसके बाद 15 जनवरी को होने वाले चुनाव को रद्द कर दिया गया.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा -
महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को नासिक के उमराने और नंदूरबार के खोंडामली की ग्राम पंचायतों के सरपंच पद और पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए बोली लगने की शिकायतें मिली थीं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शिकायतों के बाद निर्वाचन आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए बुधवार को चुनाव रद्द करने का फैसला किया. रिपोर्टों के मुताबिक नासिक के उमराने गांव में बोली दो करोड़ रुपये तक लगाई गई वहीं नंदूरबार के खोंडामली में नीलामी की रकम 42 लाख रुपये तक पहुंची. गांव की आबादी के हिसाब से ग्राम पंचायत में 9 से लेकर 18 सदस्य होते हैं.
राज्य निर्वाचन आयुक्त यूपीएस मदान ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव के पहले दो गांवों में चुनाव रद्द करने की घोषणा की है. आधिकारिक बयान के मुताबिक, "आयोग ने जिला अधिकारियों, चुनाव पर्यवेक्षकों और तहसीलदारों से मिली रिपोर्ट का अध्ययन करने और दस्तावेजों और वीडियो देखने के बाद चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने का फैसला किया है."
चौंकाने वाली बात यह है कि बोली की पूरी प्रक्रिया को किसी भी तरह से गुप्त नहीं रखा गया था और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद आयोग ने इसे संज्ञान में लिया था. राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (सी) के मुताबिक संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें.
4 जनवरी को राज्य निर्वाचन आयोग ने नीलामी के वीडियो का संज्ञान लिया था और विस्तृत जांच के आदेश दिए गए थे और प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों से इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा था. आरोप है कि कुछ उम्मीदवारों ने कथित रूप से वादा किया था कि अगर वे सरपंच पद के लिए निर्विरोध चुने जाते हैं तो वे बड़े पैमाने पर गांव के विकास के लिए अपना धन खर्च करेंगे.
चेन्नई: देश में आज (गुरुवार) मकर संक्रांति, बिहू, उत्तरायणी पर्व, घुघुतिया और पोंगल त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. दक्षिण भारतीय राज्यों खासकर तमिलनाडु में पोंगल सबसे खास त्योहार होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व आज से शुरू होता है. अगले कुछ महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, ऐसे में कई राजनेता व राजनीति की परिधि में आने वाले संगठनों के नेता आज या तो तमिलनाडु का दौरा कर रहे हैं या फिर सोशल मीडिया के माध्यम से तमिलनाडु की जनता को शुभकामनाएं दे रहे हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पहले से चेन्नई में हैं. वह दो दिवसीय दौरे पर चेन्नई गए हैं. आज सुबह उन्होंने पोन्नियमानेडु स्थित श्री कादुंबड़ी चिन्नामन मंदिर में पोंगल प्रार्थना की. इस हफ्ते की शुरुआत में RSS की ओर से जारी प्रेस रिलीज में जानकारी दी गई थी कि भागवत अपने दौरे पर पोंगल त्योहार मनाएंगे. वह युवा प्रोफेशनल्स, स्टार्ट-अप मालिकों व अन्य लोगों से मुलाकात करेंगे. भागवत स्थानीय स्तर पर संगठन के कार्यों की भी समीक्षा करेंगे.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पोंगल मनाने के लिए मदुरई रवाना हो चुके हैं. बताया जा रहा है कि राहुल मदुरई जिले में जलीकट्टू कार्यक्रम में शामिल होंगे. करीब एक हफ्ते पहले तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष केएस अलागिरी ने राहुल के दौरे की जानकारी दी थी. आगामी चुनाव में कांग्रेस और DMK एक साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. DMK राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी है.
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आज तमिलनाडु के दौरे पर हैं. इस दौरान वह चेन्नई में नम्मा ओरू पोंगल (हमारा गांव पोंगल) कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. यह राज्य सरकार का कार्यक्रम है. दरअसल बीजेपी इस चुनाव में पूरी मजबूती से ताल ठोकना चाहती है ताकि वह राज्य की सत्ता पर काबिज हो सके. फिलहाल बीजेपी ने चुनाव में अपनी राजनैतिक साझेदारी के बारे में अभी कोई ऐलान नहीं किया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने AIADMK के साथ गठबंधन किया था. ये भी सच है कि यह पहला चुनाव होगा जब DMK और AIADMK अपनी-अपनी पार्टी के सबसे बड़े राजनेताओं एम करुणानिधि और जे जयललिता के बगैर चुनाव में आमने-सामने होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तमिलनाडु की जनता को पोंगल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह त्योहार तमिल संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ झलक प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा, 'यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर जीने की प्रेरणा देता रहे और हर किसी में करुणा एवं दया का भाव मजबूत करता रहे.' (इनपुट एजेंसियों से भी)
प्रयागराज, 14 जनवरी| मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला आस्था का मेला 'माघ मेला' कोरोना महामारी के बीच गुरुवार से संगम की रेती पर शुरू हो गया। संक्रमण और ठंड व कोहरे पर आस्था भारी पड़ रही है। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पुण्य डुबकी लगाती नजर आ रही है। माघ मेला के पहले स्नान पर्व यानी मकर संक्रांति पर संगम सहित गंगा तथा यमुना के सभी स्नान घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह के समय संगम व आसपास के घाटों पर श्रद्धालु कम नजर आए। लेकिन सुबह सात बजे के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
संगम के अलावा गंगा के अक्षयवट, काली घाट, दारागंज, फाफामऊ घाट पर भी स्नान चल रहा है।
माघ मेले के दौरान छह प्रमुख स्नान होंगे। इसकी शुरूआत मकर संक्रांति से होती है।
श्रद्धालु कोरोना संक्रमण से बेफिक्र नजर आ रहे हैं। आधी-अधूरी तैयारी के बीच पहले स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक है। मेला क्षेत्र में साधु संतों के पंडाल में भजन पूजन का दौर भी शुरू हो गया है। वैसे माघ मेला 27 जनवरी के आसपास रंग में आएगा। 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा है और इस दिन से एक महीने का कल्पवास शुरू हो जाता है।
प्रशासन का अनुमान है कि इस बार साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे। मेला क्षेत्र में कोरोना की गाइडलाइन को पूरा कराने के लिए सभी तैयारियां की हुई हैं। सभी तीर्थ पुरोहितों से आने वाले कल्पवासियों का ब्योरा लेकर इसे वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
माघ मेला में कोविड-19 गाइडलाइन के चलते इनकी संख्या पिछले स्नान पर्व से कम है पर, आस्था में कहीं कोई कमी नहीं दिखी। उधर, इसी तरह कानपुर, वाराणसी, फरुर्खाबाद और गढ़मुक्तेश्वर में भी श्रद्धालु सुबह से ही पुण्य की डुबकी लगाने स्नान घाटों पर पहुंचने लगे।
हर-हर गंगे, जय मां गंगे के जय घोष के साथ मकर संक्रांति पर्व का पुण्य प्राप्त करने को गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। इस दौरान कई स्नान घाटों पर स्नान के मद्देनजर कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन होता नजर नहीं आ रहा है।
मेले में हर साल की तरह इस बार 5 पांटून ब्रिज, 70 किमी चेकर्ड प्लेटें बिछाई गई है। कोरोना को देखते हुए 16 पॉइंट्स बनाये गए है। हर जगह पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात है। मेले में बिजली, पानी और स्वच्छता के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मेलाधिकारी विवेक चतुवेर्दी के अनुसार, मेले में हर तरह से तैयारी पूरी है। सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम हैं। कोविड संक्रमण को देखते हुए तैयारी और बेहतर की गई है। सभी को गाइडलाइन जारी की गई है।
उधर 14 जनवरी के बाद मलमास के कारण रूके हुए मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस बार गुरु शुक्र अस्त के चलते विवाह आदि मांगलिक कार्य अप्रैल से होंगे। सूर्य सुबह 8.30 बजे उत्तरायण हुआ और मकर राशि में प्रवेश कर गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जनवरी| भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 16,946 नए मामले सामने आए, जिसके बाद कुल मामलों की संख्या 1,05,12,093 हो गई। इसी दौरान देश में कोविड-19 से 198 लोगों की मौत हुई, जिसके बाद कुल मौतों का आंकड़ा 1,51,727 हो गया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ये जानकारी गुरुवार को दी। इससे पहले मंगलवार को भारत में 7 महीनों में सबसे कम 12,584 मामले दर्ज किए गए थे।
भारत में रिकवरी रेट 96.51 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, देश में बुधवार को 7,43,191 नमूनों की जांच की गई, जिसके बाद कुल नमूनों की जांच की संख्या 18,42,32,305 हो गई।
देश में 70 फीसदी से ज्यादा मामले 7 राज्यों से आ रहे हैं जिनमें केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
इस बीच वैक्सीन विभिन्न गंतव्यों पर वैक्सीन पहुंचाने का काम जोरों पर है। देश में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू हो रहा है। (आईएएनएस)
मुंबई, 14 जनवरी| महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के दामाद समीर खान को गिरफ्तार करने के एक दिन बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने गुरुवार को उनके घर समेत कई ठिकानों की तलाशी ली। एजेंसी ने यह कार्रवाई ड्रग्स से संबंधित मामले में की है। सूत्रों के अनुसार, एनसीबी की कई टीमें गुरुवार सुबह से ही सक्रिय हो गई थीं और इन टीमों ने खान के आवास समेत कई और ठिकानों पर छापे मारे। अधिकारी ने कहा कि यह कार्रवाई पिछले सप्ताह मुंबई से जब्त की गई 200 किलो ड्रग्स के संबंध में की गई है।
बता दें कि बुधवार की रात को एनसीबी ने खान को गिरफ्तार किया था। इसे लेकर एनसीबी जोनल के निदेशक समीर वानखेड़े ने एक बयान में कहा था कि खान से पूरे दिन विस्तार से पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार किया गया था। यह पूछताछ और गिरफ्तारी पिछले हफ्ते बांद्रा पश्चिम में एक कुरियर से 200 किलोग्राम गांजा जब्त होने के बाद हुई थी। जब्ती के बाद खार में रहने वाले करन सजनानी के घर से गांजे के कई प्रकारों का इंपोर्टेड ढेर बरामद हुआ था।
सजनानी और उसकी 2 बहनों - राहिला फर्नीचरवाला, शाइस्ता फर्नीचरवाला और रामकुमार तिवारी को एनडीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। इन्हीं से पूछताछ और जांच में बांद्रा निवासी समीर खान की भूमिका भी सामने आई, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
वानखेड़े ने कहा है कि आगे की कार्रवाई और जांच जारी है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 जनवरी| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का 65वां जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। कोरोना महामारी के चलते जन्मदिन को सादगी ढंग से मनाने का एलान किया गया है। बसपा मुखिया मायावती ने अपने जन्मदिन के आयोजन को लेकर गुरुवार को दो ट्वीट किए। उन्होंने लिखा कि, 15 जनवरी सन 2021 को मेरा 65वां जन्मदिन है जिसे पार्टी के लोग कोरोना महामारी के चलते व इसके नियमों का पालन करते हुए पूरी सादगी से तथा इससे पीड़ित अति-गरीबों व असहायों आदि की अपने सामर्थ के अनुसार मदद करके 'जनकल्याणकारी दिवस' के रूप में मनाएं तो बेहतर।
उन्होंने आगे कहा कि जन्मदिन पर स्वलिखित पुस्तक मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, भाग-16 व इसका अंग्रेजी संस्करण वेबसाइट पर जारी होगा, जिसे पढ़कर आत्म-सम्मान व स्वाभिमानी मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। (आईएएनएस)
भोपाल, 14 जनवरी| स्वास्थ्य रिपोटिर्ंग में सनसनी फैलाने की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर पत्रकारिता जगत के लोग चिंतित हैं। भोपाल में माखनलाल चतुवेर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय एवं यूनिसेफ द्वारा आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पत्रकारों से इस गंभीर विषय पर संतुलित रिपोर्टिंग का आह्वान किया है। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाने के मकसद से फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत जनस्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता पर आधारित कार्यशाला विष्वविद्यालय और यूनिसेफ ने आयोजन किया। इस मौके पर कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय अनावश्यक सनसनी नहीं फैलानी चाहिए। पत्रकार को इस गंभीर विषय पर संतुलित रिपोटिर्ंग करनी चाहिए।
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य संचार बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, विश्वविद्यालय के पत्रकारिता पाठ्यक्रम में इस विषय को जल्द ही शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। स्वास्थ्य पत्रकारिता में विषय विशेषज्ञता का होना बहुत जरूरी है। यह सीधे-सीधे जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़ा विषय है, इसलिए इसमें लापरवाही नहीं बरती जा सकती। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता की जिम्मेदारी सिर्फ पत्रकार की ही नहीं बल्कि सरकार एवं एनजीओ की भी है। इसीलिए सभी को अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति निभाना चाहिए।
यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि साक्ष्य आधारित पत्रकारिता आज के समय में बहुत आवश्यक है। कोविड-19 में बिना डाटा के बहुत रिपोटिर्ंग हुई है और बिना साक्ष्य के तथ्य सोशल मीडिया में भी पहुंचे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार संजय देव ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय पत्रकार को पूर्वाग्रहों से बाहर निकलकर पत्रकारिता करनी चाहिए। चूंकि स्वास्थ्य पत्रकारिता मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा विषय है, इसलिए इसे समझने की जरूरत है। पत्रकारों को सजग रहते हुए रिपोटिर्ंग करनी चाहिए।
कार्यशाला में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य सच के लिए एवं जीवन के लिए लिखना है यदि ऐसा नहीं किया गया तो लोग विष को अमृत समझ लेंगे। इसलिए स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय पाठकों को संशय में नहीं रहने देना चाहिए। (आईएएनएस)
बदायूं (उप्र), 14 जनवरी| बदायूं में जिस 50 वर्षीय महिला को सामूहिक दुष्कर्म के बाद मार डाला गया था, उसका पति इस घटना से इतना आहत हो गया है कि अब उसे इलाज के लिए बरेली के मानसिक अस्पताल में दाखिल करना पड़ा। उनके दामाद ने संवाददाताओं से कहा, दो दिन पहले, वो चिल्ला रहे थे और अपनी पत्नी के बारे में पूछ रहे थे। वो उसकी तलाश में इस कमरे से उस कमरे में भटक रहे थे। जब वह नहीं मिली तो उसने घर में रखा एक बर्तन उठाया और बाहर भाग गए। हम उन्हें वापस लाने में कामयाब रहे। लेकिन फिर उन्होंने दीवार पर अपना सिर पीटना शुरू कर दिया।
3 जनवरी को 50 वर्षीय महिला मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए घर से निकली थी लेकिन तीन घंटे बाद तीन लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी और लाश घर पर फेंक दी।
उनके दामाद ने कहा, वह (उनके पति) सदमे में हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी का खून से लथपथ शरीर देखा है।
बदायूं के एसएसपी संकल्प शर्मा ने कहा कि महिला के पति का परिवार मदद के लिए पहुंचा जिसके बाद पुलिस टीम के साथ एंबुलेंस भेजी गई।
एसएसपी ने कहा, उन्हें पहले जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां कोई मनोचिकित्सक नहीं था। उन्हें फिर बरेली ले जाया गया।
बरेली के मानसिक अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि पति मानसिक आघात से सफर कर रहा है और उन्हें इलाज की जरूरत है।
डॉ. सी.पी. मल्ल ने कहा, उनका इलाज शुरू कर दिया गया है। पुलिस ने मानसिक स्वास्थ्य सहायता देने के बारे में परिवार से बात की है। (आईएएनएस)