राष्ट्रीय
पटना, 18 मई | जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी पर एंबुलेंस के बेकार खड़ा रखने के आरोपों पर मंगलवार को रूडी ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस घर में नहीं बल्कि सामुदायिक केंद्र परिसर में लगाए गए थे। उन्होंने कहा कि अपराधी से लड़ना आसान है लेकिन राजनीतिक अपराधी से लड़ाई करना आसान नहीं है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान सांसद रूडी ने कहा कि उन्हें किसी से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं करनी है, लेकिन आज जो हालात बने हैं उसमें हमें सफाई देनी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि आरोप लगाया गया कि एंबुलेंस मेरे घर में खड़ी थीं, जबकि हकीकत है कि यह किसी के घर में नहीं बल्कि सामुदायिक केंद्र परिसर में थीं और उस केंद्र में चाहरदीवारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस जमीन का जिक्र हो रहा है वह भी सरकार के नाम से निबंधित है।
उन्होंने कहा, "राजनीतिक अपराधी से लड़ना बेहद मुश्किल है। बड़े ही दुखी मन के साथ आज प्रेस वार्ता कर रहा हूं।"
रूडी ने बताया कि पप्पू यादव के खिलाफ 32 मामले दर्ज हैं। ऐसे में अपराधी यदि मंदिर में बैठ जाए तो संत नहीं हो सकता।
भाजपा नेता ने कहा कि कई एंबुलेंस चालक कोरोना काल में छोड़कर चले गए। कई के बीमा और फिटनेस फेल थे, ऐसे में तो एंबुलेंस नहीं चलवाई जा सकती।
उन्होंने गर्व के साथ कहा, "एम्बुलेंस परिचालन में सारण बिहार ही नहीं देश का पहला ऐसा जिला है, जहां इतनी संख्या में सांसद निधि की एम्बुलेंस पिछले कई वर्षों से संचालित की जा रही हैं और इसका मुझे गर्व है।"
उन्होंने कहा कि इसके लिए एक केंद्रीकृत कंट्रोल रूम है। उन्होंने बताया कि जिला एम्बुलेंस संचालन समिति के तहत एम्बुलेंस संचालित होती हैं, जिसके अध्यक्ष डीडीसी होते हैं। पंचायतों में मुखिया की यह जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुखिया पर भी प्रश्न उठाए जा रहे हैं, वे भी जनप्रतिनिधि हैं।
रूडी ने कहा कि जब हमने ड्राइवर के नहीं रहने के कारण एम्बुलेंस खड़े होने की बात कही तब पप्पू यादव ने 40 ड्राइवर भेजे जाने की बात कही थी, लेकिन हकीकत यह है कि कोई हमारे पास नहीं आया। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर एम्बुलेंस ड्राइवर की मांग की थी।
रूडी ने पप्पू के आरोपों के जवाब में कहा कि वे किसी को जेल नहीं भेज सकते। उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा एक मामले में वारंट जारी किया गया था, जिसमें पूर्व सांसद की गिरफ्तारी हुई।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले पूर्व सांसद पप्पू यादव ने रूडी के क्षेत्र का दौरा करने के क्रम में कई एंबुलेंस की तस्वीर जारी कर कहा था कि सांसद मद की राशि से खरीदी गई कई एंबुलेंस छिपाकर रखी गई हैं।
(आईएएनएस)
मुंबई, 18 मई | जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने साइबर सेल में एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें सलमान खान स्टारर 'राधे योर मोस्ट वांटेड भाई' के पायरेटेड संस्करणों को व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर जारी किया गया है। जी के बयान में कहा गया है, "अधिकारी सक्रिय रूप से चोरी के कृत्य में शामिल फोन नंबरों को ट्रैक कर रहे हैं और आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।"
जी ने न केवल फिल्म 'राधे' के लिए, बल्कि किसी भी तरह की सामग्री के लिए, पायरेसी को समाप्त करने में उनके समर्थन की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर जनता से अपील की है। "फिल्में लाखों लोगों के लिए आजीविका, रोजगार और आय का स्रोत होती हैं। पायरेसी मनोरंजन उद्योग के लिए सबसे बड़ा खतरा है, आजीविका के इस स्रोत पर अंकुश लगाता है। सरकार को भुगतान किए गए करों के साथ फिल्में भी अर्थव्यवस्था में योगदान करती हैं। फिल्म के अवैध संस्करण को फैलाने में लगे लोग उद्योग के विकास और चौबीसों घंटे काम करने वाले लोगों की आजीविका पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।"
बयान में कहा गया, "सभी जिम्मेदार नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे पायरेसी को ना कहें और केवल आधिकारिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से मनोरंजन या सूचना सामग्री का उपभोग करें।"
'राधे' ईद 2021 पर सलमान की रिलीज है, प्रभुदेवा के निर्देशन में दिशा पटानी, जैकी श्रॉफ और रणदीप हुड्डा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 2017 के कोरियाई एक्शन ड्रामा 'द आउटलॉज' पर आधारित है।(आईएएनएस)
कानपुर (उप्र), 18 मई | एक अजीबोगरीब घटना में दूल्हे के रहस्यमय तरीके से विवाह स्थल से गायब हो जाने के बाद दुल्हन ने बारातियों में से एक से शादी कर ली। यह घटना दो दिन पहले महाराजपुर इलाके में हुई।
खबरों के मुताबिक, जयमाला (मालाओं का आदान-प्रदान) की रस्म हो चुकी थी और दोनों परिवार विवाह के मुख्य समारोह की तैयारी कर रहे थे, तभी दूल्हा अचानक गायब हो गया।
दोनों परिवारों ने दूल्हे की तलाश शुरू कर दी और घटनाक्रम में आए मोड़ से दुल्हन घबरा गई।
कुछ देर तलाश करने के बाद दुल्हन के परिवार के सदस्यों को पता चला कि दूल्हा यूं ही गायब नहीं हुआ, बल्कि जान-बूझकर मौके से भाग गया था और इसका कारण उसे ही अच्छी तरह से पता था।
दुल्हन के परिवार को परेशान देखकर, दूल्हे की तरफ के एक मेहमान ने सुझाव दिया कि शादी बारात में आए किसी दूसरे योग्य लड़के के साथ की जानी चाहिए।
दुल्हन के परिवार ने बारात में आए लड़कों में से एक को चुना और संबंधित परिवारों ने परामर्श के बाद गठबंधन की रस्म पूरी करने पर सहमति जताई।
शादी उसी समारोह स्थल पर संपन्न हुई।
बाद में, दुल्हन के परिवार ने भागे हुए दूल्हे और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
नरवाल थाना क्षेत्र के इंस्पेक्टर शेष नारायण पांडे ने कहा, "हमें दूल्हा और दुल्हन दोनों पक्षों से शिकायत मिली है। दुल्हन पक्ष ने दूल्हे और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है। वहीं, भागे हुए दूल्हे के पिता धर्मपाल ने अपनी शिकायत में अपने लापता बेटे का पता लगाने के लिए पुलिस से मदद मांगी है। इस संबंध में जांच जारी है।" (आईएएनएस)
श्रीनगर, 18 मई । जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निदेशरें के मद्देनजर जेल के कैदियों को 90 दिनों की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का फैसला किया है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने मार्च में शीर्ष अदालत के निदेशरें के अनुसार सभी जेल कैदियों को रिहा करने का फैसला किया।
"जस्टिस माग्रे ने जम्मू-कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण (जेकेएलएसए) को समिति के अन्य दो सदस्यों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया जिससे दोषियों की श्रेणी और विचाराधीन लोगों के बारे में जान सकें, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय के निदेशरें के अनुसार रिहा भी किया जा सकता है।"
प्रवक्ता ने कहा, "इस अभ्यास के पूरा होने के बाद, एक रिपोर्ट समिति के समक्ष रखी जाएगी।"
न्यायमूर्ति माग्रे ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जेल को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित करने और कैदियों और जेल कर्मचारियों के टीकाकरण को प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
इसके अलावा, समिति ने जेल अधिकारियों को रसोई, स्नानघर आदि जैसे अक्सर जाने वाले क्षेत्रों को स्वच्छ रखने और कैदियों और कर्मचारियों को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।
उन्होंने यूटी भर में कानूनी सेवा संस्थानों को कैदियों को पैनल वकीलों की सेवाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया, जो उनकी ओर से आवेदन लेकर हिरासत से रिहा होने के योग्य हैं।
समिति ने पैरोल पर कैदियों की अतिरिक्त रिहाई या अंतरिम जमानत के आदेशों का भी आह्वान किया, जिसके लिए डीजीपी और जेकेएलएसए सदस्य सचिव को निर्धारित समय के अंदर तौर-तरीकों पर काम करने के लिए कहा गया था।
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए जेल परिसरों के अंदर या बाहर अतिरिक्त या अस्थायी आवास बनाने का सुझाव दिया गया है।(आईएएनएस)
साइबर ठग कम कीमत पर जरूरी चीजें उपलब्ध कराने का भरोसा दिला कर बतौर एडवांस कुछ धनराशि खाते में जमा करने को कहते हैं और जैसे ही पैसा ट्रांसफर होता है, उनका फोन स्विच ऑफ हो जाता है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार तिवारी की रिपोर्ट
कोरोना की दूसरी लहर के बीच बिहार समेत देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड, प्लाज्मा व रेमडेसिविर इंजेक्शन जैसी जीवनरक्षक दवाओं की मारामारी से परेशान कोविड के मरीज या उनके परिजन सोशल मीडिया पर अपना पता व टेलीफोन नंबर सार्वजनिक कर लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
इस गुहार का कई मामलों में फायदा होता है और उनकी जरूरतें पूरी भी हो जातीं हैं. किंतु, सोशल मीडिया पर ऐसे शातिरों के गैंग सक्रिय हैं जो विपदा की इस घड़ी में ठगी को अंजाम दे रहे हैं. ये शातिर बतौर कोरोना वॉरियर अपना नंबर फेसबुक, ट्विटर या व्हाट्सऐप पर भी वायरल करते हैं या फिर सोशल मीडिया में दिए गए मरीजों को कॉल करते हैं और फिर कांफ्रेंस में बातचीत कर उचित मदद का आश्वासन देते हैं, बतौर एडवांस पंद्रह सौ से लेकर पचास हजार की राशि ट्रांसफर करने को कहते हैं. जैसे ही पैसा उनके खाते में चला जाता है, वे फोन बंद कर लेते हैं या पीड़ित का नंबर ब्लॉक कर देते हैं.
बिहार में बैठ कई राज्यों में कर रहे ठगी
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, बंगाल, असम व बिहार के सैकड़ों लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार हो चुके हैं. अधिकतर मामलों में इनके तार बिहार से जुड़े हैं. केवल दिल्ली में ऐसे तीन सौ से अधिक मामले दर्ज किए जा गए हैं.
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) तथा दिल्ली पुलिस के संयुक्त अभियान में ऐसे करीब सौ शातिरों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पिछले कई दिनों से दिल्ली पुलिस की टीम बिहार में डेरा डाले हुई है. दिल्ली पुलिस ने करीब 900 से ज्यादा फोन नंबरों ट्रेस किए हैं जिनका इस्तेमाल दिल्ली में करीब चार सौ लोगों से ठगी में किया गया.
ट्रू-कॉलर में इनके कई फोन नंबर कोविड हेल्पलाइन से सेव किए गए हैं, जो प्रथमदृष्टया काफी हद तक लोगों को यह भरोसा दिलाते हैं कि वे सही जगह पर कॉल कर रहे हैं. करीब साढ़े तीन सौ से अधिक फोन नंबरों को ब्लॉक कर दिया गया है. इनके अधिकतर सिम पश्चिम बंगाल से लिए गए हैं.
ऐसे 300 से अधिक बैंक खातों का पता चला है जिनमें ठगी के पैसे कोविड पीड़ितों या उनके परिजनों से जमा कराए गए. अधिकतर अकाउंट पटना, महाराष्ट्र तथा दिल्ली की शाखाओं के हैं. इनमें कई खातों को फ्रीज कर दिया गया है.
नालंदा-नवादा बना ठगी का ठिकाना
साइबर क्राइम खासकर बैंक फ्रॉड का अड्डा रहे झारखंड के जामताड़ा के बाद कोरोना की दूसरी लहर में बिहार का नालंदा-नवादा जिला शातिरों का नया ठिकाना बन गया है. इसके अलावा पटना के दानापुर व बख्तियारपुर तथा शेखपुरा से भी ठगी के तार जुड़े हैं. नालंदा-नवादा से एक दर्जन से ज्यादा लोग पकड़े गए हैं. इनके करीब ढाई सौ बैंक खातों का पता चला है.
स्थानीय पुलिस की मदद से ईओयू व दिल्ली पुलिस की टीम पिछले कई दिनों से इन इलाकों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. हालांकि मास्टरमाइंड अभी गिरफ्त से बाहर है.
मजबूर लोगों से ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर पचास हजार से एक लाख तक की वसूली करने के आरोप में बीते दिनों चार ठगों को गिरफ्तार किया गया. इनके कब्जे से तेरह एटीएम कार्ड, 19,500 रुपये नकद, लैपटॉप व नौ मोबाइल फोन जब्त किए गए. नालंदा के एसपी एस हरि प्रसाथ कहते हैं, "‘कोविड काल में भी कुछ बदमाश परेशान लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर मदद के नाम मैसेज वायरल किए जा रहे हैं. लोग मदद की उम्मीद में पैसे भेजकर ठगी का शिकार हो जा रहे हैं."
इसी तरह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ईओयू के सहयोग से पटना से विजय बेनेडिक्ट नामक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया. इसके पास से चेक बुक, कई एटीएम कार्ड व पासबुक जब्त किए गए. इसके अकाउंट में 16 लाख रुपये पाए गए. विजय ने खाता खोलते समय अपनी बहन का फोन नंबर दिया था. इसी फोन नंबर के आधार पर बहन से पूछताछ पर पुलिस ने विजय बेनेडिक्ट को गिरफ्तार किया.
नकली दवा बेचने वाले भी सक्रिय
इनके साथ-साथ कालाबाजारी करने वाले भी सक्रिय हैं. पुलिस ने पटना के एसपी वर्मा रोड से रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के आरोप में रेनबो अस्पताल के निदेशक अशफाक अहमद, एजेंट अल्ताफ अहमद व मेडिकल रिप्रजेंटेटिव राजू कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पटना में ऐसे कई कालाबाजारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
पड़ोसी देश नेपाल में पुलिस ने एक सूचना के आधार पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किए. बताया गया कि स्टॉसेफ नामक एंटीबॉयोटिक इंजेक्शन की शीशी के ऊपर रेमडेसिविर का लेबल लगाकर उसे बाजार में बेचा जा रहा है. दोनों की शीशी की साइज एक होने का फायदा धंधेबाज उठा रहे थे. रेमडेसिविर के नाम पर 40 से 50 हजार रुपये तक की वसूली की जा रही थी.
ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया में जारी सभी नंबरों पर गलत ही हो रहा है. कई लोग वाकई आगे बढ़-चढ़कर मदद कर भी रहे हैं. विपदा की इस घड़ी में जरूरत है आपदा के अवसर समझने वालों को बेनकाब करने की. (dw.com)
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पत्रकारों के उत्पीड़न और दमन के मामले तेजी से बढ़े हैं. सरकार को ऐसा कोई पत्रकार पसंद नहीं है जो सोशल मीडिया के जरिए भी उस पर अंगुली उठा रहा हो.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
ताजा मामले में एक पत्रकार और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया है कि उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि गोमूत्र और गोबर कोरोना का इलाज नहीं है. उन्होंने यह पोस्ट कोरोना संक्रमण से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष टिकेंद्र सिंह के निधन के बाद लिखी थी. पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगा दिया गया है. तमाम पत्रकार संगठनों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की है.
बीते सप्ताह मणिपुर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सैखोम टिकेंद्र सिंह की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी. उसके बाद पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "गोबर और गोमूत्र काम नहीं आया. यह दलील निराधार है. कल मैं मछली खाऊंगा." इसी तरह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता एरेंड्रो लिचोम्बम ने लिखा था, "गोबर और गोमूत्र से कोरोना का इलाज नहीं होता है. विज्ञान से ही इलाज संभव है और यह सामान्य ज्ञान की बात है. प्रोफेसर जी आरआईपी."
इसके बाद प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष उषाम देबन और महासचिव पी प्रेमानंद मीतेई ने इन दोनों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत उनको गिरफ्तार कर लिया.
वैसे, पत्रकार किशोर चंद्र और लिचोम्बम से सरकार की परेशानी कोई नई नहीं है. इससे पहले भी उनको दो बार फेसबुक के कथित आपत्तिजनक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया जा चुका है. किशोर चंद्र को तो मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि रानी लक्ष्मीबाई का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था.
उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए उनको केंद्र की कठपुतली करार दिया था. वांगखेम ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि क्या झांसी की रानी ने मणिपुर के उत्थान में कोई भूमिका निभाई थी? उस समय तो मणिपुर भारत का हिस्सा भी नहीं था. वांगखेम ने अपनी पोस्ट में कहा था कि वे मुख्यमंत्री को यह याद दिलाना चाहते हैं कि रानी का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था, "अगर आप उनकी जयंती मना रहे हैं, तो आप केंद्र के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं."
इसके बाद उनको देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तब उनको लगभग छह महीने जेल में रहना पड़ा और मणिपुर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वे अप्रैल 2019 में जेल से रिहा हो सके. इसके बाद उनको फेसबुक की एक पोस्ट की वजह से बीते साल 29 सितंबर को ही दोबारा गिरफ्तार किया गया था.
लिचोम्बम ने कुछ साल पहले पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया था. मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भी इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
किशोर चंद्र और लिचोम्बम की गिरफ्तारी पर स्थानीय पत्रकारों और पत्रकार संगठनों में तो रहस्यमय चुप्पी है. लेकिन इसके खिलाफ देश के कई मानवाधिकार और पत्रकार संगठनों ने आवाज उठाई है.
कई संगठनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. मुंबई प्रेस क्लब ने रविवार को अपने एक ट्वीट में इन गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा करते हुए उन दोनों को शीघ्र रिहा करने की मांग की है.
मणिपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "बीजेपी के सत्ता में आने के बाद राज्य में पत्रकारों के खिलाफ उत्पीड़न के मामले लगातार तेज हो रहे हैं. कब किस पोस्ट या रिपोर्ट के आधार पर हमें राजद्रोह का आरोप लगा कर जेल भेज दिया जाएगा, यह कहना मुश्किल है. सरकार अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाती." उनका कहना है कि यहां होने वाले उत्पीड़न की खबरें अमूमन देश के दूसरे हिस्से में नहीं पहुंच पाती. (dw.com)
एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मौसम में एक विशेष बदलाव की वजह से ग्रीनलैंड में गर्मी और अंधेरा बढ़ रहा है. इसके लिए बर्फबारी में बदलाव जिम्मेदार है. ताजा बर्फ ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से दूर गिर रही है.
अध्ययन में कहा गया है कि ताजा, हलके रंग की बर्फ की मात्रा कम होने से ज्यादा पुरानी और गहरे रंग की बर्फ सतह पर आ जाती है. ऐसा होने से बर्फ की चादर और ज्यादा गर्मी सोखती है और ज्यादा जल्दी पिघलती है. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे इस अध्ययन के सह-लेखक एरिक ऑस्टरबर्ग कहते हैं, "जैसे जैसे बर्फ घंटों और दिनों पुरानी होती जाती है उसकी परावर्तन (रिफ्लेक्शन) करने की क्षमता घटती जाती है और इसी वजह से ताजा बर्फ बहुत जरूरी होती है."
ऑस्टरबर्ग डार्टमाउथ कॉलेज में पृथ्वी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने बर्फबारी में गिरावट के लिए "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" नाम की एक मौसमीय घटना को जिम्मेदार बताया, जिसमें कई बार बर्फ की चादरों पर हवा का ज्यादा दबाव हफ्तों तक बना रहता है. इस तरह के हालात इस इलाके में 1990 के दशक की बाद से ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.
इनसे पश्चिमी ग्रीनलैंड के ऊपर गर्म हवा रुक जाती है, रोशनी को रोकने वाले बादलों का घनत्व कम हो जाता है और बर्फीले तूफान उत्तर की तरफ धकेल दिए जाते हैं. ऑस्टरबर्ग कहते हैं कि इसका नतीजा होता है एक "तिहरी मार. ये सब मिल कर ग्रीनलैंड के और तेजी से पिघलने में योगदान देते हैं." कुछ शोधों में इन घटनाओं का इंसानी गतिविधियों की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन से संबंध बताया गया है, लेकिन ऑस्टरबर्ग ने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है यह जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है.
नई बर्फ बनाम पुरानी बर्फ
उन्होंने एक ईमेल में बताया, "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" ग्रीनलैंड के लिए कितनी जरूरी है इस बात को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि इस पर शोध जरूरी है ताकि हम भविष्य में समुद्र स्तर के बढ़ने को लेकर अपने पूर्वानुमान को और सुधार सकें." अध्ययन के सह-लेखक गेब्रियल लुईस ने इसमें यह भी जोड़ा कि तापमान के बढ़ने की वजह सिर्फ बर्फबारी में कमी होना ही नहीं है, बल्कि दूसरे किस्म की बर्फ का बाकी रह जाना भी है.
उन्होंने कहा, "एक बार बर्फ जब गिरने के बाद धूप में बर्फ की चादर पर बैठ जाती है, तब उसका आकार बदलने लगता है और समय के साथ बर्फ के दाने और बड़े होते जाते हैं."यह बर्फ नई, क्रिस्टल के आकार की बर्फ के मुकाबले और गोल और कम परावर्तन करने वाली बन जाती है. इस टीम के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर की परावर्तन की क्षमता में अगर एक प्रतिशत का भी बदलाव आया तो उससे तीन सालों में 25 गीगाटन अतिरिक्त बर्फ नष्ट हो जाएगी.
इस अध्ययन में हवाला दिए गए शोध के मुताबिक 1982 से ले कर आज तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई है और यह महाद्वीप कम से कम पिछले 450 सालों में बर्फ के पिघलने की सबसे तेज दरों का सामना कर रहा है. (dw.com)
सीके/एए (एएफपी)
नई दिल्ली, 18 मई 2021: भाजपा ने मंगलवार को कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘‘गिद्धों की राजनीति'' उजागर हुई है. एक ‘‘टूलकिट'' का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘‘अपमानित और बदनाम'' करने की कोशिश की है. कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर ‘‘फर्जी टूलकिट'' को प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह इस मामले में सत्ताधारी दल के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएगी.
‘‘टूलकिट'' एक प्रकार का दस्तावेज होता है जिसमें अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बिंदुवार मुद्दे होते हैं. अपने अभियान को धार देने के लिए इन्हीं मुद्दों पर विरोधियों को घेरने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है. हाल ही में किसान आंदोलन के दौरान भी एक टूलकिट सामने आया था जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी. पात्रा ने दावा किया कि कांग्रेस ने महामारी के समय ऐसे ही ‘‘टूलकिट'' के जरिए सरकार के घेरने के लिए विभिन्न माध्यमों से देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) ने महामारी को प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल करने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कोरोना के नये स्ट्रेन को मोदी स्ट्रेन का नाम देने का निर्देश दिया. विदेश पत्रकारों की मदद से भारत को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई.''
पात्रा ने कहा कि कोरोना का जो नया स्ट्रेन आया है और उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारतीय स्ट्रेन कहने से मना कर दिया है लेकिन कांग्रेस इसे ‘‘इंडियन स्ट्रेन'' और उससे भी आगे बढ़कर ‘‘मोदी स्ट्रेन'' के नाम से प्रसारित करने में लगी है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह बहुत ही दुखद है. कहीं न कहीं देश को पूरे विश्व में अपमानित और बदनाम करने के लिए एक वायरस को भारत के नाम, प्रधानमंत्री के नाम पर प्रतिपादित करने की चेष्टा है. मुझे लगता है यह कांग्रेस पार्टी के असली चेहरे को दर्शाता है.'' भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आज वह दस्तावेज उनके हाथ आया है जिसके सहारे राहुल गांधी रोज सुबह उठकर रोज ट्वीट करते थे. उन्होंने दावा किया, ‘‘इस टूलकिट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी को बार बार पत्र लिखें. आपने देखा होगा, कभी सोनिया जी चिट्ठी लिख रही हैं कभी कोई और लिख रहा है. ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा है. सब कुछ एक डिजायन के तहत हो रहा है, जिसका ब्योरा इस टूलकिट में है.''
पात्रा ने दावा किया कि इस टूलकिट के जरिए पीएम केयर्स के वेटिलेटर्स पर सवाल उठाने और सेंट्रल विस्टा परियोजना को ‘‘मोदी के निजी घर और महल'' के रूप में प्रचारित करने का जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि कुंभ को सुप्रर स्प्रेडर के रूप में प्रचारित करने की बात की गई है. ईद और कुंभ की तुलना कर धर्म को बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस ने की है. आप कुंभ को बदनाम करिए और ईद के विषय में कुछ मत कहिए. इस प्रकार की सोच भी हो सकती है क्या किसी की.''
उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी जो ट्वीट करते हैं, आज उसका स्रोत सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘‘वेंटिलेटर्स, टीकों कोविड प्रबंधन को लेकर जो नकारात्मक राजनीति आप फैलाते हैं, आज उसका स्रोत हमारे पास है. बहुत दुख के साथ हमें यह कहना पड़ रहा है कि यह जो कांग्रेस की गिद्धों की राजनीति है आज वह संपूर्ण रूप से उजागर हो गई है. हमें सोनिया जी से और राहुल जी से जवाब चाहिए.''
कांग्रेस के शोध विभाग के प्रमुख और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव गौड़ा ने भाजपा के दावे को लेकर पलटवार करते हुए केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी पर ‘फर्जी टूलकिट' को प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ ‘जालसाजी' की प्राथमिकी दर्ज करवाई जाएगी. गौड़ा ने ट्वीट किया, ‘‘ भाजपा ‘कोविड कुप्रबंधन' पर फर्जी टूलकिट का दुष्प्रचार कर रही है और इसे कांग्रेस के शोध विभाग से जोड़ रही है. हम जालसाजी को लेकर जेपी नड्डा और संबित पात्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं.'' उन्होंने दावा किया, ‘‘हमारा देश कोविड की तबाही का सामना कर रहा है, ऐसे समय लोगों को राहत प्रदान करने की बजाय भाजपा बेशर्मी के साथ फर्जीवाड़ा कर रही है.''
उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे एक के बाद एक कर कई स्थानों पर दफनाए हुए शव मिल रहे हैं. यह शव कोविड-19 से संक्रमित लोगों के हैं या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन शवों का इस तरह नदी किनारे दफना दिया जाना जारी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में तैरती और उसके किनारे पर रेत में दफनाए गए शवों पर कई मीडिया रिपोर्टों के सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन इसकी जांच और रोकथाम में लग गए हैं. जीपों और नावों में पुलिस लाउडस्पीकरों पर घोषणा करवा रही है कि शवों को नदियों में नहीं डालना है. पुलिस कह रही है, "हम अंतिम संस्कार करने में आपकी मदद करने के लिए तत्पर हैं." लेकिन शवों के मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है.
स्थानीय मीडिया में आई कई खबरों के मुताबिक प्रयागराज में एक बड़े घाट पर रेत में दफनाए हुए करीब 5,000 शव मिले हैं. बारिश और तेज हवा की वजह से शवों के ऊपर डाली गई मिट्टी हट गई. अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो नदी किनारे इस तरह शवों को दशकों से दफनाया जा रहा है, पर इस बार महामारी की छाया में इतनी बड़ी संख्या में शवों के मिलने से इस समस्या पर लोगों का ज्यादा ध्यान जा रहा है.
प्रशासन का इनकार
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता नवनीत सहगल ने नदियों में इतनी बड़ी संख्या में शवों के मिलने की खबरों को खारिज करते हुए कहा, "मैं शर्त लगा कर कह सकता हूं कि इन शवों का कोविड-19 से कोई लेना देना नहीं है." उनका कहना है कि कुछ गांवों में लोगों के बीच साल में कभी कभी कुछ धार्मिक कारणों की वजह से मृतकों का दाह संस्कार करने की जगह उनके शवों को नदियों में बहा देने या नदी किनारे दफना देने की परंपरा है.
दाह संस्कार करने में लोगों की मदद करने वाली परोपकारी संस्था बंधु महल समिति के सदस्य रमेश कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में इस समय मृत्यु दर बहुत बढ़ी हुई है. उन्होंने बताया कि लकड़ी की कमी भी हो गई है और अंतिम संस्कार करने का खर्च बहुत बढ़ गया है, इसलिए गरीब लोग शवों को नदी में बहा दे रहे हैं. अंतिम संस्कार का खर्च तीन गुना बढ़ कर 15,000 रुपयों तक पहुंच गया है.
गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था
ग्रामीण इलाकों में कोविड जांच की व्यवस्था ही नहीं है, इसलिए इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है कि इतने लोग महामारी की वजह से मरे या किसी और वजह से. कई गांवों में पत्रकारों को मरने वालों के परिवार के सदस्यों ने बताया कि मृतक को कुछ दिनों तक बुखार रहा, फिर सांस फूलने लगी और उसके बाद मृत्यु हो गई. इस तरह के बयानों से इस अनुमान को बल मिल रहा है कि ग्रामीण इलाकों में महामारी का प्रसार प्रशासन की पकड़ में नहीं आ रहा है, लेकिन जब तक इन गांवों में पर्याप्त जांच ना हो तब तक इसकी पुष्टि होना मुश्किल है.
इसी स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, उप-केंद्र और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में रैपिड एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था की जाए. आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी गांवों में स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है. थर्मामीटरों और ऑक्सीमीटरों का भी इंतजाम करने को कहा गया है और जिला स्तर पर कम से कम 30 बिस्तरों के कोविड केंद्र बनाने को कहा गया है. अब देखना यह है कि यह सारे इंतजाम कितनी जल्दी शुरू हो पाते हैं. (एपी)
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देख लॉकडाउन लगा है. इसी बीच सोमवार सुबह नारदा स्टिंग मामले में राज्य के दो मंत्रियों समेत चार नेताओं की गिरफ्तारी से राज्य में राजनीतिक बवंडर पैदा हो गया है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके खिलाफ सीबीआई दफ्तर में धरने पर बैठ गईं तो उनकी पार्टी टीएमसी ने इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है. इन गिरफ्तारियों के खिलाफ राज्य में टीएमसी समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. सीबीआई दफ्तर के सामने तो पुलिस वालों से उनकी भिड़ंत हुई और स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा.
क्यों मचा है बवाल
दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव के समय से ही टीएमसी और बीजेपी में टकराव चल रहा है. चुनावी नतीजों के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में इन दोनों दलों के करीब डेढ़ दर्जन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. उसके बाद बीजेपी के तमाम नेताओं ने संदिग्ध वीडियो और तस्वीरों के जरिए सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया. हाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कथित हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और सरकार पर लगातार हमले करते रहे.
उसके बाद सीबीआई ने सोमवार को सुबह अचानक नारदा स्टिंग मामले में ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्री और एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. अब सीबीआई मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता शोभन चटर्जी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रही है.
अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट
सीबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि जांच एजेंसी को नारदा स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करना था. इसलिए अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई की एक टीम सुबह भारी तादाद में केंद्रीय बलों के साथ ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और टीएमसी विधायक मदन मित्र के अलावा टीएमसी नेता व पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी के घर पहुंची और उनको अपने दफ्तर ले आई. वहां उन चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हाल में इन नेताओं के खिलाफ सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति दी थी. पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गईं. ममता की दलील थी कि इन नेताओं की गिरफ्तारी गैरकानूनी है. इसकी वजह यह है कि इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी से अनुमति नहीं ली गई है.
टीएमसी ने भी इन गिरफ्तारियों को गैरकानूनी और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बिना किसी नोटिस के इनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है. उनका सवाल था कि इसी मामले में अभियुक्त बीजेपी नेता मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? घोष के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने की वजह से ही इन दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
उधर, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने भी गिरफ्तारियों को अवैध बताते हुए कहा है कि उनसे इसकी अनुमति नहीं ली गई है. विमान बनर्जी कहते हैं, "एक एडवोकेट के तौर पर मैं कह सकता हूं कि यह गिरफ्तारियां गैरकानूनी हैं. किसी विधायक को गिरफ्तार करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है. लेकिन सीबीआई ने इस मामले में महज राज्यपाल से अनुमति ली है.” उनका कहना था कि राज्यपाल को इन नेताओं की गिरफ्तारी को हरी झंडी देने का अधिकार नहीं है. टीएमसी के लोकसभा सदस्य सौगत राय कहते हैं, "यह सीधे तौर पर राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई है. बीजेपी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है. इसलिए उसने सीबीआई के जरिए नेताओं और मंत्रियों को गिरफ्तार कराया है.”
क्या है नारदा मामला
पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सामने आने से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी. तब दावा किया गया था कि यह स्टिंग वर्ष 2014 में किया गया था और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदों से नकदी लेते दिखाया गया था. उक्त स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था. इस टेप के सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा. बीजेपी ने इसे पिछले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा.
इस बार चुनावों में तो यह मुद्दा गायब ही रहा. अब ममता बनर्जी के तीसरी बार चुनाव जीतकर सत्ता में आते ही यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस मामले के सामने आने के बाद टीएमसी ने इस टेप को फर्जी बताया था. लेकिन जांच में उसके सही पाए जाने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक याचिका के आधार पर इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी इसे राजनीतिक साजिश करार देती रही हैं. उनका आरोप है कि इस स्टिंग वीडियो को बीजेपी के दफ्तर से जारी किया गया था.
तनातनी बढ़ने का अंदेशा
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च, 2017 में कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी. नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजकर संबंधित कागजात मांगे थे. इनमें मंत्री फरहाद हाकिम, हावड़ा सांसद प्रसून बंदोपाध्याय और पूर्व मंत्री मदन मित्रा की आय और खर्च का ब्योरा मांगा गया था. ईडी ने सीबीआई की शिकायत के आधार पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग में 12 नेताओं और एक आईपीएस के अलावा 14 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि टीएमसी पहले से ही बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के आरोप लगाती रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी इन एजेंसियों की सक्रियता जारी रही थी. उसी दौरान ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से कोयला खनन घोटाले में पूछताछ की गई थी. अब ताजा मामले के बाद टीएमसी और बीजेपी में तनाव बढ़ने का अंदेशा है. राजनीतिक पर्यवेक्षक समीरन पाल कहते हैं, सीबीआई की मंशा भले सही हो, लेकिन जिस तरह मंत्री स्तर के नेताओं को घर से ले आकर गिरफ्तार किया गया उससे पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. इसकी टाइमिंग भी कई सवाल खड़े करती है. बंगाल की राजनीति पर इसका दूरगामी असर होने का अंदेशा है.
(dw.com)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैलते संक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है. एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा राज्य के गांवों और छोटे शहरों में चिकित्सा व्यवस्था "राम भरोसे" है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
मेरठ के जिला अस्पताल से लापता हुए 64 साल के बुजुर्ग से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की. अप्रैल के महीने में बुजुर्ग संतोष कुमार की मौत हो गई थी और उनके शव की शिनाख्त डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों द्वारा नहीं की गई, जिसके बाद शव को लावारिस मान कर निस्तारित कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय प्रभारी डॉक्टर ड्यूटी पर उपस्थित नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक सुबह की ड्यूटी पर आए डॉक्टर ने शव को उस स्थान से हटवाया लेकिन व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी. इसी घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा जब मेडिकल कॉलेज वाले शहर मेरठ का यह हाल है तो समझा जा सकता है कि छोटे शहरों और गांवों के हालात "राम भरोसे" ही हैं.
इस मामले में कोर्ट ने कहा, "अगर डॉक्टरों और पैरा मेडिकल कर्मचारी इस तरह का रवैया अपनाते हैं और ड्यूटी करने में घोर लापरवाही दिखाते हैं तो यह गंभीर दुराचार का मामला है क्योंकि यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जैसा है." कोर्ट ने राज्य सरकार से इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने को कहा है.
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कई अहम सुझाव भी दिए हैं. इस याचिका में कोरोना मरीजों के लिए बेहतर इलाज की मांग की गई है.
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जहां तक चिकित्सा के बुनियादी ढांचे का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह स्थिति है वह बहुत नाजुक और कमजोर है."
ग्रामीण इलाकों का हाल
बीते कुछ हफ्तों से उत्तर प्रदेश के गांवों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और कोरोना जांच केंद्रों की गैरमौजूदगी से गांव वालों को कई बार कोरोना पॉजिटिव या निगेटिव होने के बारे में भी पता नहीं चल पाता है. हाई कोर्ट ने ग्रामीण आबादी की जांच बढ़ाने और उसमें सुधार लाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया और साथ ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है. हाई कोर्ट में पांच जिलों के जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की. कोर्ट ने राज्य सरकार को पांच सुझाव दिए हैं, जिनमें टीकाकरण पर जोर, पांच शहरों में उच्च सुविधा वाले मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, हर गांव के लिए दो आईसीयू एंबुलेंस और जीवन रक्षक दवाओं की कमी को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं.
16 मई को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है और यूपी तीसरी लहर के लिए तैयार है अगर वह आती है. उन्होंने गांवों में कोरोना जांच किट, मेडिकल किट भेजने के बारे में बताया था साथ ही जांच और मौतों में पारदर्शिता का जिक्र किया था. मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि राज्य के पास पर्याप्त बुनियादी ढांचा है, जो महामारी से लड़ने के लिए अच्छी तरह से मुस्तैद है.
राज्य और केंद्र की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि महामारी से जुड़ी शिकायतों के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. उत्तर प्रदेश में 1 लाख 49 हजार से अधिक कोरोना के सक्रिय मामले हैं. राज्य में 17 हजार से अधिक मौतें इस महामारी के कारण हुई हैं. (dw.com)
नई दिल्ली, 18 मई| कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार की तैयारियों और योजनाओं पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि विशेषज्ञों ने कोविड की संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए घातक साबित होने वाला बताया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, आने वाले समय में बच्चों को कोरोना से सुरक्षा की जरूरत होगी। बाल चिकित्सा सेवाएं और वैक्सीन उपचार प्रोटोकॉल पहले से ही तैयार होना चाहिए। भारत के भविष्य के लिए जरूरत है कि वर्तमान में मोदी सिस्टम नींद से जाग जाए।
उनकी टिप्पणी कई देशों द्वारा 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में उपयोग के लिए एक कोविड 19 वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद आई है।
कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने भी ट्वीट किया, "ईमानदारी से भारत के बच्चों के लिए आशा है कि भाजपा सरकार डार्क चॉकलेट खाने और गोमूत्र पीने की सलाह देने से परे प्रत्याशित तीसरी कोविड लहर की तैयारी कर रही है ।"
शेरगिल का मजाक उड़ाया, "क्या भारत सरकार ने बाल रोग विशेषज्ञों की एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है? या योजना सामान्य असहाय कार्ड खेलने की है?"
कोविड 19 महामारी संकट की दूसरी लहर में युवा बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
मंगलवार को, भारत ने 24 घंटों में 4,329 मौतें दर्ज कीं, जो एक दिन में सबसे अधिक है, वहीं कोरोना के 2.63 लाख ताजा मामले सामने आए। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 मई| उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नदियों में शव न फेंकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न धर्मगुरुओं की मदद लेने का फैसला किया है। इस तरह की घटनाओं पर बढ़ती आलोचना के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इस मुद्दे पर धार्मिक नेताओं के साथ बातचीत शुरू करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों में शवों को फेंकने के पर्यावरणीय और सामाजिक परिणामों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने में धार्मिक नेता सरकार की मदद कर सकते हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने राज्य आपदा मोचन बल और प्रांतीय सशस्त्र बल की जल पुलिस को राज्य की सभी नदियों के आसपास गश्त जारी रखने को कहा और यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी हालत में शवों को पानी में नहीं फेंका जाए।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक किया जाना चाहिए और इसके लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शवों को लावारिस छोड़ जाने की स्थिति में भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए।
राज्य के कई जिलों में बड़ी संख्या में शव नदियों में तैरते मिले हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली. अरब सागर में उत्पन्न शक्तिशाली चक्रवाती तूफान टाउते सोमवार की रात गुजरात के तट से टकरा गया है. इसके कारण बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है. इस दौरान हवाएं भी 190 किमी प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से चलीं. इससे पेड़ उखड़ गए, बिजली के खंबे टूटे और कुछ घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. इस तूफान का असर राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी देखने को मिल रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश होने की संभावना जताई है.
मौसम विभाग के अनुसार होडल, औरंगाबाद, महम, भिवानी, लोहारू, बावल (हरियाणा), बयाना, मेहंदीपुर, महवा, दौसा, कोटपुतली, लक्ष्मणगढ़, रायगढ़, अलवर, नागौर, नदबई और उसके आसपास के इलाकों में अगले कुछ घंटे में बारिश हो सकती है.
वहीं ग्रेटर नोएडा, फिरोजाबाद, हाथरस, नरोरा, राया, इगलस, अलीगढ़, अतरौली, कासगंज, मथुरा, सहसवान, एटा, नंदगांव, बरसाना, जहांगीराबाद, खुर्जा, पहासु, टूंडला, आगरा, जतारी, जजाऊ में भी मंगलवार को बारिश होगी.
आईएमडी के अनुसार टाउते के चलते मध्य प्रदेश में नमी आ रही है, जिसके कारण प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बारिश होने के साथ-साथ तेज हवाएं चल रही हैं. बताया गया है कि अगले दो दिनों तक मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों में कहीं-कहीं पर गरज के साथ बारिश एवं 45 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं.
वहीं चक्रवात का सर्वाधिक असर राजस्थान में 18 और 19 मई को रहेगा और इस दौरान उदयपुर संभाग के एक दो जिलों में 200 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज हो सकती है. 19 मई को इस चक्रवात का असर अजमेर, जयपुर, भरतपुर, कोटा संभाग के जिलो में भी देखने मिलेगा जिससे गरज के साथ कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश होने का अनुमान है.
नई दिल्ली, 17 मई| एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि रेमेडिसविर के सभी सात घरेलू लाइसेंस प्राप्त निमार्ताओं ने सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए प्रतिमाह 38 लाख शीशियों से उत्पादन बढ़ाकर लगभग 119 लाख शीशी प्रतिमाह कर दिया है। 38 अतिरिक्त निर्माण स्थलों की त्वरित स्वीकृति से देश में रेमडेसिविर के स्वीकृत विनिर्माण स्थलों की संख्या 22 से बढ़कर 60 हो गई है। विदेश मंत्रालय की सहायता से विनिर्माताओं को विदेशों से अपेक्षित कच्चे माल की आपूर्ति और उपकरण प्राप्त करने में सुविधा हो रही है।
इस बीच, फार्मास्युटिकल विभाग ने अप्रैल की शुरुआत में कोविड-19 उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की उपलब्धता, उत्पादन और आपूर्ति की निगरानी तेज कर दी, क्योंकि कोविड-19 के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है।
रेमेडिसविर एक पेटेंट दवा है, जो भारत में पेटेंट धारक गिलियड लाइफ साइंसेज यूएस द्वारा सात भारतीय दवा कंपनियों, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लैब, हेटेरो, जुबिलेंट फार्मा, माइलान, सिनजीन और जायडस कैडिला को दिए गए स्वैच्छिक लाइसेंस के तहत निर्मित है।
बयान के अनुसार, आयात के साथ साथ संवर्धित घरेलू उत्पादन दोनों के माध्यम से दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। रेमडेसिवर का निर्यात 11 अप्रैल से प्रतिबंधित है, जबकि 20 अप्रैल से इसके निर्माण में प्रयुक्त रेमडेसिविर इंजेक्शन, रेमेडिसविर एपीआई और बीटा साइक्लोडेक्सट्रिन (एसबीईबीसीडी) पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है।
मांग बढ़ने के बाद केंद्र सरकार अप्रैल के तीसरे सप्ताह से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटन कर रही है। 21 अप्रैल को उच्च मांग वाले 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 30 अप्रैल तक की अवधि के लिए 11 लाख शीशियों का अंतरिम आवंटन किया गया था। अधिक आपूर्ति उपलब्ध होने पर 24 अप्रैल को यह आवंटन बढ़ाकर 16 लाख शीशियों तक कर दिया गया था। बाद में जारी किए गए आवंटन की एक श्रृंखला में, 16 मई को नवीनतम के साथ, 23 मई तक की अवधि के लिए राज्यों के बीच कुल 76 लाख शीशियों का आवंटन किया गया है।
राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को अपने अधिकार क्षेत्र में उचित वितरण की निगरानी करने के लिए कहा गया है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों को शामिल किया गया है, और वयस्क कोविड 19 रोगियों के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नैदानिक मार्गदर्शन में सलाह के अनुसार विवेकपूर्ण उपयोग के अनुरूप है। एम्स और आईसीएमआर कोविड 19 नेशनल टास्क फोर्स और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त निगरानी समूह द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया।
सभी सात भारतीय निर्माता राज्यों को सरकारी खरीद आदेशों के खिलाफ और राज्यों में अपने निजी वितरण चैनलों के माध्यम से आवंटन के अनुसार आपूर्ति कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि दवा कंपनियों द्वारा 21 अप्रैल से 15 मई के दौरान देश भर में रेमडेसिविर की कुल 54.15 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 मई | बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट घोषित किया जाना अभी बाकी है। इस बीच देशभर के अधिकांश राज्यों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं के निर्णय में राज्य सरकारों को भी साथ लिया जाए। दरअसल कोविड की दूसरी लहर के कारण देशभर में सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी हैं।
वहीं ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के लिए विभिन्न राज्यों ने सुझाव दिया है कि सभी छात्रों को टेबलेट और इंटरनेट का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग की। इस मीटिंग में कोरोना जैसी महामारी से निपटने एवं इस महामारी के दौरान की गई पहल पर विस्तृत चर्चा की गई।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक राज्यों की तरफ से सुझाव दिया गया कि सभी छात्रों को टैबलेट एवं नेट कनेक्शन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। यह भी सुझाव आया कि बोर्ड परीक्षाएं करवाने के लिए राज्यों के साथ निर्णय लिए जाने चाहिए। अधिकारियों ने छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहयोग देने के लिए मनोदर्पण एप के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "कोविड-19 की दूसरी लहर ने हमें लंबी अवधि के लिए स्कूलों को बंद करने हेतु मजबूर कर दिया है। हालांकि हम सबने पाठ्यपुस्तकों, असाइनमेंट, डिजिटल एक्सेस आदि के माध्यम से बच्चों की घर पर ही शिक्षा सुनिश्चित की है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को पाठ्यपुस्तकें, असाइनमेंट, वर्कशीट आदि उपलब्ध होते रहें। हमें आकांक्षी जिलों और दूरदराज के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां प्राय: डिजिटल मोड या शिक्षक सुलभ नहीं हैं। इसलिए हमें स्थानीय स्वयंसेवकों और माता-पिता को ई-सामग्री की व्याख्या करने और बच्चों को आगे मार्गदर्शन करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए।"
निशंक ने कहा कि डिजिटल शिक्षा सूचना का एकतरफा प्रवाह है, इसलिए हमें प्रत्येक कक्षा के लिए एक आकर्षक डिजिटल सामग्री बनाने की दिशा में काम करना चाहिए ताकि छात्रों का जुड़ाव डिजिटल शिक्षा से बना रहे।
उन्होनें सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे एक ऐसी व्यवस्था बनाएं, जिसमें इस महामारी के दौरान राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मध्य स्कूली शिक्षा की उत्तम पद्धतियों का समय-समय पर मिलान, तुलना और प्रसार हो सके।
निशंक ने कहा कि निरंतर प्रयासों के कारण, हमने अपने स्कूलों में नामांकित देश के 240 मिलियन बच्चों को शिक्षा प्रदान की है। यह केवल हमारी कड़ी मेहनत और सुनियोजित ²ष्टिकोण के कारण ही संभव हुआ है कि हमने घरों को कक्षाओं में बदला और नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए समग्र शिक्षा के तहत कुल 5784.05 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है।
डॉ. निशंक ने सभी अधिकारियों को कोरोना योद्धा बताते हुए उनसे आग्रह किया कि वे सभी एनईपी-2020 के कार्यान्वयन पर और विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल लनिर्ंग फ्रेमवर्क के संबंध में अपने बहुमूल्य सुझाव साझा करें।
उन्होनें कहा कि सभी शिक्षा अधिकारियों को कोविड-19 के कारण आने वाली बाधाओं को कम करने वाले समाधानों की पहचान करनी चाहिए।(आईएएनएस)
जयपुर, 17 मई | राजस्थान में चक्रवात तौकते का असर 10-12 साल के तीन बच्चों समेत चार लोगों पर पड़ा और रविवार रात को बिजली गिरने से तीन बच्चों के अलावा एक 46 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि ये लोग पेड़ों से गिरे आम बटोर रहे थे। चक्रवात तौकते के कारण रविवार रात आई तेज आंधी ने शहर को तबाह कर दिया। कई पेड़ उखड़ गए थे और बिजली के तार टूट गए।
राज्य सरकार ने प्रत्येक पीड़ित परिवार के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। डूंगरपुर के जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने शहर के निवासियों से राज्य में आए चक्रवात और भारी बारिश के पूवार्नुमान के मद्देनजर घर के अंदर रहने की अपील की है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रविवार शाम तक डूंगरपुर में मौसम बदल गया और भारी बारिश के साथ शहर में तेज आंधी चली।
मौसम विभाग ने कहा कि पिछले 24 घंटों में उदयपुर और कोटा संभाग में भी भारी बारिश दर्ज की गई, जबकि सबसे भारी बारिश डूंगरपुर जिले में 21 मिमी दर्ज की गई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट कर शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 मई | सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021, 22 में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए 15 राज्यों को 5,968 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस वित्तीय वर्ष में जारी होने वाली चारों में से यह पहली किश्त है। अन्य 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फंड जारी करने के लिए अपने प्रस्ताव राष्ट्रीय जल जीवन मिशन को भेजने के लिए कहा गया है।
जल जीवन मिशन के तहत आवंटित केंद्रीय निधियों में से 93 प्रतिशत जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के विकास पर, 5 प्रतिशत समर्थन गतिविधियों पर और 2 प्रतिशत जल गुणवत्ता निगरानी पर उपयोग किया जाना है।
राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में उपलब्ध कराए गए नल के पानी के कनेक्शन और उपलब्ध केंद्रीय निधियों के उपयोग और राज्य के हिस्से के मिलान के आधार पर सरकार द्वारा केंद्रीय निधि जारी की जाती है।
राज्यों को केंद्रीय निधि जारी होने के 15 दिनों के भीतर राज्य के हिस्से के साथ जारी की गई केंद्रीय निधि को एकल नोडल खाते में स्थानांतरित करना होगा।
सरकार द्वारा दी जा रही सर्वोच्च प्राथमिकता के हिस्से के रूप में, जल जीवन मिशन का बजटीय आवंटन 2021, 22 में 50,011 करोड़ रुपये तक बढ़ गया है।
इसके अलावा 15वें वित्त आयोग की ओर से पंचायती राज संस्थाओं को 'पानी और स्वच्छता' सेवाओं के लिए 26,940 करोड़ रुपये का बंधा अनुदान भी उपलब्ध होगा। 2021, 22 में ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना है। उम्मीद है कि 'हर घर जल' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले तीन साल तक इस तरह का निवेश जारी रहेगा। (आईएएनएस)
कोलकाता, 17 मई | नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों की रिहाई की मांग को लेकर शहर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़कने के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि वह 'संवैधानिक मानदंड' और 'कानून के शासन' पालन करें। धनखड़ ने कोलकाता पुलिस को शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भी कहा।
राज्यपाल ने सोमवार सुबह निजाम पैलेस में सीबीआई क्षेत्रीय कार्यालय के गेट के सामने हिंसा भड़कने के बाद ट्वीट किया, "खतरनाक स्थिति के बारे में चिंतित हूं। ममता के अधिकारियों से संवैधानिक मानदंडों और कानून के शासन का पालन करने के लिए आह्वान करें। पश्चिम बंगाल पुलिस, कोलकाता पुलिस, होम बंगाल को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए। दुखद! अधिकारियों द्वारा स्थिति को बिना किसी ठोस कार्रवाई के बिगड़ने दिया जा रहा है।"
राज्यपाल मुख्यमंत्री की ओर इशारा कर रहे थे जो नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में दो मंत्रियों फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी, एक विधायक मदन मित्रा और पूर्व पूर्व महापौर सोवन चटर्जी की गिरफ्तारी के कुछ मिनट बाद सीबीआई दफ्तर पहुंच गई थीं। स्टिंग ऑपरेशन में चार टीएमसी नेताओं के साथ और एक पुलिस अधिकारी पैसे लेते दिखा था।
साल 2016 में पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रिश्वत मामले ने राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया था।
शहर की सड़कों पर भड़की हिंसा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल समर्थक केंद्रीय बलों के साथ भिड़ गए। राज्यपाल ने लिखा, "ममता के अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करता हूं कि चैनलों पर और सार्वजनिक डोमेन में मैंने सीबीआई कार्यालय में आगजनी और पथराव देखा। दयनीय है कि कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस सिर्फ दर्शक बनी रही। आपसे अपील है कि कार्रवाई करें और कानून-व्यवस्था बहाल करें।"
उन्होंने कहा, "पूरी तरह से अराजकता और अराजकता। पुलिस और प्रशासन मौन मोड में है। आशा है कि आप इस तरह की अराजकता और संवैधानिक तंत्र की विफलता के नतीजों को महसूस करेंगे। इस विस्फोटक स्थिति को प्रतिबिंबित करने और उस पर काबू पाने का समय है। स्थिति मिनट दर मिनट बिगड़ती जा रही है।"
सीबीआई ने 2016 के नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को सोमवार को गिरफ्तार किया। टीएमसी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि ममता बनर्जी निजाम पैलेस स्थित सीबीआई के कार्यालय पहुंचीं, जहां चारों को रखा गया था और उन्हें भी गिरफ्तार करने की मांग की गई थी। गिरफ्तारी के विरोध में टीएमसी कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर उतर आए।
नारदा स्टिंग मामला 2016 का है और इसमें कई हाई-प्रोफाइल टीएमसी नेताओं को फर्जी कंपनियों के लिए कैमरे के सामने पैसे लेते हुए दिखाया गया है। स्टिंग ऑपरेशन करवाने वाले शख्स मैथ्यू सैमुअल ने गिरफ्तार किए गए लोगों के अलावा, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेता मुकुल रॉय का नाम भी दर्ज कराया था।
हाकिम और मुखर्जी दोनों ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। शारदा कांड में कथित भूमिका के लिए विधानसभा के सदस्य मित्रा को पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। सोवन चटर्जी भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के टिकट से वंचित होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया।(आईएएनएस)
चक्रवात ताउते ने इस ट्रेंड पर मुहर लगाई है कि कम शक्तिशाली तूफान समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण शीघ्र ही ताकतवर चक्रवात बन जाते हैं. मौसम विज्ञानी कहते हैं कि सबसे ताकतवर तूफानों की ताकत दस साल पर 8 प्रतिशत बढ़ रही है.
डॉयचे वैले पर हृदयेश जोशी की रिपोर्ट
अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान ताउते अनुकूल मौसमी कारकों की वजह से लगातार मजबूत हो रहा है और मंगलवार सुबह यह गुजरात के द्वारिका के पास तट से टकराएगा. हालांकि गुजरात में कई जगह इसका स्पष्ट प्रभाव सोमवार शाम से ही दिखने लगेगा. ताउते के कारण पिछले कुछ दिनों से भारत के पश्चिमी तट पर तेज हवाएं चल रही हैं और मूसलाधार बारिश हो रही है. इसके कारण केरल, कर्नाटक गोवा और महाराष्ट्र में कई जगह पेड़ उखड़ गए हैं और कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है.
बढ़ रहे हैं चक्रवाती तूफान
भारत में चक्रवाती तूफान अमूमन मई और अक्टूबर के बीच आते हैं. ज्यादातर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उठते हैं और पूर्वी तटरेखा पर उनका असर दिखता है. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के अलावा तमिलनाडु में इन चक्रवातों की मार दिखती रही है. साल 1999 में उड़ीसा में आए सुपर साइक्लोन के अलावा आइला, पाइलिन, हुदहुद, गज, तितली और फानी जैसे तूफान पिछले 20 साल में बंगाल की खाड़ी में उठे.
लेकिन अब अरब सागर में भी लगातार चक्रवाती तूफानों का सिलसिला बढ़ रहा है. उनकी संख्या और ताकत अधिक हो रही है. अभी एक अति शक्तिशाली तूफान बन रहा ताउते पिछले दो दशकों के सबसे ताकतवर तूफानों में है. राहत की बात है कि यह तट से अपनी दूरी बनाए हुए है. इससे पहले 2007 में दोनू और 2019 में क्यार नाम के दो सुपर साइक्लोन अरब सागर में ही उठे थे लेकिन दोनों ही समुद्र तट से दूर ही रहे. इसी तरह 2017 में ओखी साइक्लोन समंदर के भीतर ही रहा पर इससे करीब 250 लोगों की मौत हुई.
पुणे स्थित भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले एक दशक में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में 11 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि 2014 और 2019 के बीच चक्रवातों में 32 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है.
जलवायु परिवर्तन से बदलता चक्रवातों का स्वभाव
चक्रवातों की संख्या और उनकी मारक क्षमता बढ़ने के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग एक स्पष्ट वजह है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान पूरी दुनिया में बढ़ रहा है. समुद्र सतह का तापमान बढ़ने से चक्रवात अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं. मिसाल के तौर पर अरब सागर में समुद्र सतह का तापमान 28-29 डिग्री तक रहता है लेकिन अभी ताउते तूफान के वक्त यह 31 डिग्री है.
जलवायु विज्ञानियों के मुताबिक जैसे जैसे समुद्र गर्म होते जाएंगे वहां उठे कमजोर चक्रवात तेजी से शक्तिशाली और विनाशकारी रूप लेंगे. अम्फन, फानी और ओखी तूफानों से यह बात साबित हुई है. चक्रवात ताउते ने इस ट्रेंड पर मुहर लगाई है कि कम शक्तिशाली तूफान समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण शीघ्र ही ताकतवर चक्रवात बन जाते हैं. सबसे शक्तिशाली तूफानों की ताकत हर दशक में करीब 8 प्रतिशत बढ़ रही है.
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र सतह (सी-लेवल) में हो रही बढ़ोतरी भी साइक्लोन की मार बढ़ाती है क्योंकि इससे पानी अधिक भीतर तक आता है अधिक तटीय इलाके डूबते हैं. आईपीसीसी से जुड़े और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कॉल के मुताबिक, "साइक्लोन ताउते के रूप में हम देख रहे हैं कि लगातार चौथे साल मॉनसून से पहले अरब सागर में साइक्लोन उठा है. लगातार तीसरे साल साइक्लोन पश्चिमी तट के बहुत करीब आया है. पिछली एक सदी में अरब सागर के तापमान में वृद्धि हुई है और इससे यहां चक्रवातों की संख्या और मारक क्षमता बढ़ी है.”
अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहा है संकट
चक्रवातों का अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ता है. विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) के मुताबिक पिछले साल मई में भारत और बांग्लादेश सीमा पर आए अम्फन तूफान के कारण दोनों देशों में करीब 130 लोगों की जान गई थी और कुल 50 लाख लोगों को विस्थापित करना पड़ा था. डब्लूएमओ का आकलन है कि इससे कुल 1,400 करोड़ डॉलर यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ.
भारत की तटरेखा करीब 7,500 किलोमीटर लम्बी है और देश में करीब 70 तटीय जिले हैं. यहां रह रही करीब 25 करोड़ की आबादी पर चक्रवातों की मार पड़ती है. बेहतर टेक्नोलॉजी और पूर्व चेतावनी प्रणाली के होने से तटरेखा पर लोगों की जान तो बचाई जा सकती है लेकिन यहां रह रही आबादी की आर्थिक क्षति बड़े पैमाने पर होती है. यह डर विशेष रूप से पश्चिमी तट पर अधिक है जहां तटरेखा पर सघन बसावट है. केरल, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात में लोगों के घर और काम धन्धे तट रेखा पर ही हैं. मछुआरों और किसानों के अलावा पर्यटन से जुड़े कारोबारियों पर संकट बढ़ता रहा तो देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ी चोट होगी. (dw.com)
अरब सागर से उठे समुद्री तूफान तौकते ने केरल, कर्नाटक और गोवा के तटीय इलाकों में रविवार को कहर बरपाया. अब यह गुजरात की ओर बढ़ गया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
अरब सागर से उठा समुद्री तूफान तौकते केरल, कर्नाटक और गोवा के तटीय इलाकों में रविवार को तबाही मचाने के बाद आगे बढ़ गया है. भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण प्रभावित राज्यों के हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और सैकड़ों मकान तबाह हो गए.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान तौकते और तीव्र हो सकता है और आज या मंगलवार तड़के गुजरात के समुद्री तट से टकरा सकता है. आईएमडी ने चेतावनी दी है कि यह चक्रवात अगले 24 घंटों में और भी खतरनाक हो सकता है. रविवार को चक्रवात तूफान के कारण केरल, कर्नाटक और गोवा के तटीय इलाकों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हुई.
अरब सागर में बना यह चक्रवात अपने साथ भारी बारिश और हवाओं को साथ लेकर आया है, जिससे पश्चिमी और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में घरों को नुकसान पहुंचा और कई पेड़ उखड़ गए. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक तूफान से जुड़े हादसों में प्रभावित इलाकों में अब तक छह लोगों की मौत हो गई, सैकड़ों पेड़ उखड़ गए और कच्चे मकानों को भी नुकसान पहुंचा. मरने वाले लोगों में चार कर्नाटक के और दो गोवा के थे. गोवा में तेज हवाओं के साथ हुई भारी बारिश के कारण सैकड़ों पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए. कई इलाकों में बिजली की आपूर्ति बाधित हुई. इससे पहले, तूफान ने कर्नाटक के तटीय इलाकों में जमकर कहर बरपाया. तटीय इलाकों में 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली और भारी बारिश हुई.
आईएमडी के मुताबिक चक्रवात मंगलवार तड़के पोरबंदर और भावनगर जिले में महुवा के बीच राज्य के तट को पार कर सकता है. इस दौरान 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं और भारी बारिश की आशंका है. मौसम विभाग ने गुजरात और दमन-दीव के लिए यलो अलर्ट जारी किया है. गुजरात के तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
महामारी के बीच मुसीबत
चक्रवाती तूफान के कारण कोरोना महामारी से निपटने की कोशिशों पर भी असर पड़ा है. महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने कोविड केयर सेंटर से मरीजों को निकालकर सरकारी अस्पतालों में भर्ती करा दिया है. रविवार देर शाम तक 603 कोरोना मरीजों को तीन केंद्रों से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया. बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से 243, दहिसर से 183 और मुलुंड से 154 मरीजों को निकाला गया. कुछ मरीजों को केंद्र से ही छुट्टी दे दी गई.
केंद्र सरकार ने तूफान को लेकर शनिवार से ही तैयारी शुरू कर दी थी. वायुसेना के 16 मालवाहक विमान और 18 हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया है. तूफान के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उच्च स्तरीय बैठक की थी और तैयारियों का जायजा लिया था. (dw.com)
जयपुर, 16 मई| एक वायरल वीडियो में दो युवक सड़क पर नागिन डांस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्हें डांस करने की सजा राजस्थान पुलिस ने कथित तौर पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में दी। सूत्रों ने बताया कि वीडियो झालावाड़ जिले का है और पुलिस कथित तौर पर ऐसे युवकों को बिना वजह घर से बाहर निकलने पर सजा दे रही है।
वायरल वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी वीडियो शूट करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि अन्य दोनों को अपना नृत्य जारी रखने के लिए कह रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 मई| अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने पंजाब सरकार की ओर से पंथ के आधार पर नए जिले मलेरकोटला की घोषणा करने का विरोध किया है। एबीवीपी के मुताबिक, यह निर्णय संविधान की भावना एवं मूल्यों के विरुद्ध है। राज्य सरकार को बेहतर प्रशासन तंत्र और आम जनता को बेहतर सुविधाएं पहुंचाने के लिए नये जिले बनाने का अधिकार है, परंतु सम्प्रदाय विशेष को खुश करने एवं राजनैतिक हितों को साधने के उद्देश्य से नए जिले की घोषणा करना संविधान के विरुद्ध एवं समाज को बांटने वाला कदम है। एबीवीपी ने इस कदम को शर्मनाक बताते हुए कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने पांथिक आधार पर नया जिला बनाते हुये इसे ईद के दिन यह मुस्लिम समुदाय को भेंट बताया। अभाविप की पंजाब प्रांत मंत्री कुदरत जोत कौर ने कहा कि, "पंजाब सरकार पंथ के आधार पर लोगों को विभाजित करने का काम कर रही है। प्रदेश में स्वास्थ एवं शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है पर पंजाब सरकार अपने राजनैतिक हित को साधने में लगी है।"
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति को हमेशा से बढ़ावा देती आयी है। साम्प्रदायिक आधार पर जिले की घोषणा करके कैप्टन अमरिंदर ने संविधान के साथ छलावा किया है। जिले की रचना कभी भी एक सम्प्रदाय बहुल शहरों को साथ जोड़ने से नहीं होती बल्कि सभी नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो एवं समस्याओं का त्वरित निवारण हो इस आधार पर की जाती रही है। कैप्टन सरकार का यह निर्णय सामाजिक सौहार्द की भावना को धूमिल करता है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 16 मई| दक्षिण भारत में इजरायल के उप महावाणिज्य दूत एरियल सीडमैन ने रविवार को कहा कि केरल की देखभाल करने वाली सौम्या संतोष, जो फिलिस्तीनी इस्लामिक समूह हमास द्वारा कथित तौर पर रॉकेट हमले में अपनी जान गंवा चुकी है, वह एक देवदूत थी जो इजरायल में आतंकी हमले में मारी गई।
टेलीफोन पर आईएएनएस से बात करते हुए, सीडमैन ने कहा कि उनके परिवार को वे सभी लाभ मिलेंगे, जो इजरायल सरकार द्वारा एक आतंकी पीड़ित के लिए हकदार हैं, और इजरायल के लोग दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं।
कॉन्सल जनरल, जोनाथन जडका ने परिवार के निवास पर एक संक्षिप्त भाषण में कहा कि इजराइली सरकार सौम्या के परिवार, विशेषकर उनके बेटे को अपना पूरा समर्थन देगी।
सौम्या का अंतिम संस्कार रविवार दोपहर इडुक्की के कीरीथोडु के निथ्या सहया मठ चर्च में किया गया। वरिष्ठ फादर जोस प्लाचिकल के अनुसार, इडुक्की के बिशप, मार जॉन नेल्लिककुनेल ने अंतिम संस्कार की प्रार्थना का नेतृत्व किया, जबकि सिरो मालाबार चर्च के प्रमुख, कार्डिनल जॉर्ज अलंचेरी का संदेश अंतिम संस्कार में पढ़ा गया।
समारोह को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित किया गया, जिसमें केवल 20 लोग मौजूद थे, जिनमें इडुक्की के सांसद, डीन कुरियाकोस शामिल थे।
सौम्या गाजा पट्टी की सीमा से लगे दक्षिणी इजराइल के अशकलोन में एक घर में एक बुजुर्ग महिला की देखभाल करने वाली के रूप में काम कर रही थी। केरल के बहुत से लोग इस्राइल में देखभाल करने वाले और नर्स और तकनीशियन के रूप में भी काम कर रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 मई | दिल्ली में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जमाखोरी और कालाबाजारी के केस में चर्चित खान चाचा रेस्टोरेंट के मालिक नवनीत कालरा को रविवार की देर रात दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह जानकारी दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दी है। बताया जाता है कि साउथ दिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम से नवनीत कालरा को गिरफ्तार कर दिल्ली क्राइम ब्रांच के सुपुर्द कर दिया। नवनीत कालरा 7 मई से फरार चल रहा था। इस मामले को लेकर दिल्ली में राजनीति भी काफी गरमाती रही। भाजपा ने नवनीत कालरा पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का करीबी होने का आरोप लगाया था।
गिरफ्तारी की आशंका पर नवनीत कालरा अग्रिम जमानत की मांग के लिए हाई कोर्ट भी गया था। याचिका में उसने दावा किया कि उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। हालांकि कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।
दरअसल, दिल्ली पुलिस को बीते छह मई को कुछ रेस्टोरेंट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी की सूचना मिली थी। साउथ दिल्ली पुलिस ने छह मई को लोधी रोड सेंट्रल मार्केट स्थित नेगे एंड जू बार में छापेमारी की तो यहां से तीन दर्जन कंसंट्रेटर बरामद हुए थे। रेस्टोरेंट में मौजूद चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि कालाबाजारी का यह मामला काफी बड़ा है और इसके कनेक्शन खान चाचा रेस्टोंरेट के मालिक नवनीत कालरा से भी जुड़े हैं। अगले दिन 7 मई 2021 को पुलिस ने दिल्ली की खान मार्केट में स्थित मशहूर खान चाचा रेस्टोरेंट में छापेमारी की।
यह रेस्टोरेंट नवनीत कालरा का है। छापा की खबर मिलते ही नवनीत कालरा ने मोबाइल नंबर बंद कर लिए। दिल्ली पुलिस ने नवनीत कालरा की गिरफ्तारी के लिए उसके छतरपुर फार्म हाउस पर भी छापेमारी की, लेकिन वह फरार हो गया। तब से दिल्ली पुलिस को उसकी तलाश थी।
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की कालाबाजारी के तार लंदन से भी जुड़े रहे। लंदन में बैठकर मैट्रिक्स सेल्युलर कंपनी का मालिक गगन दुग्गल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की कालाबाजारी का प्लान बनाता था। वह चीन से 20 हजार रुपये में भारत कंसंट्रेटर भेजता था और यहां दिल्ली में 50 से 70 हजार रुपये में बेचे जाते थे। इस पूरे खेल में गगन दुग्गल की कंपनी का भारत में सीईओ गौरव खन्ना भी शामिल रहा। पुलिस गौरव खन्ना को पहले ही गुरुग्राम से गिरफ्तार कर चुकी है।(आईएएनएस)