राष्ट्रीय
पटना, 12 अप्रैल (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार जहां दिल्ली में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मिल रहे हैं, वहीं बिहार की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में राहुल को 25 अप्रैल को हाजिर होने का आदेश दिया है।
पटना एमपी एमएलए अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में बुधवार को हाजिर होने का आदेश दिया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। अदालत ने इस दिन राहुल को पेश होने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि पटना की एमपी-एमएलए अदालत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 2019 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। आरोप है कि राहुल गांधी ने कर्नाटक की जनसभा में मोदी सरनेम वालों को चोर कहा था।
मोदी के अधिवक्ता एस.डी. संजय ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को कहा कि गांधी जान बूझकर मामले को लम्बा खींचने को लेकर अदालत में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने अदालत से उनकी जमानत को रद्द करते हुए उनके विरुद्ध गैरजमानतीय अधिपत्र जारी किये जाने का अनुरोध किया।
इधर, राहुल गांधी के अधिवक्ता ने इस मामले में राहुल की पेशी की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी।
गुरुग्राम, 12 अप्रैल | गुरुग्राम में बुधवार दोपहर एक निजी स्कूल के परिसर में खड़ी दो स्कूल बसों में आग लग गई। दमकल अधिकारियों के मुताबिक, दोपहर करीब 1.15 बजे सूचना मिली कि शहर के सेक्टर-45 स्थित यूरो इंटरनेशनल स्कूल के परिसर में खड़ी दो बसों में अचानक आग लग गई है।
हालांकि, घटना के समय बसों के अंदर कोई बच्चा मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा कि बस में चिंगारी से कथित तौर पर आग लगी जो दूसरी बस में भी फैल गई।
देखते ही देखते दोनों बसें धू-धू कर जलने लगीं। आग बुझाने के लिए दमकल की चार गाड़ियाों को मौके पर भेजा गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अप्रैल | दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि होटल और रेस्त्रां में सेवा शुल्क पर रोक लगाने वाले केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशा-निर्देशों पर अदालत के अंतरिम स्थगन आदेश को होटल और रेस्टोरेंट मालिक अपने मेन्यू कार्ड या डिस्प्ले बोर्ड पर लगाकर उपभोक्ताओं को भ्रमित न करें कि सेवा शुल्क को अदालत की मान्यता मिल गई है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएश ऑफ इंडिया और नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सीसीपीए के दिशा-निर्देशों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सीसीपीए ने पिछले साल 4 जुलाई को नए दिशा-निर्देश जारी किए थे जिस पर अदालत ने पिछले महीने स्थगन आदेश दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने यह कहते हुए दिशा-निर्देशों पर स्थगन आदेश दिया था कि सेवा शुल्क तथा अन्य भुगतान जो ग्राहक को करने हैं उनके बारे में मेनू कार्ड या किसी अन्य स्थान पर अच्छी तरह इसे डिस्प्ले किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, यह स्पष्ट किया जाता है कि अंतरिम आदेश को डिस्प्ले बोर्ड या मेनू कार्ड पर इस तरह नहीं दिखाया जाना चाहिए कि ग्राहक भ्रमित हों कि इस अदालत ने सेवा शुल्क को मान्यता दे दी है।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जेनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि कई रेस्त्रां सेवा शुल्क को वैध बताने के लिए अंतरिम आदेश की गलत व्याख्या कर रहे हैं।
याचिका दायर करने वाले दोनों एसोसिएशन से अदालत ने एक शपथपत्र देने के लिए कहा जिसमें वे यह बताएंगे कि उनके कितने सदस्यों को खाने के बिल के साथ सेवा शुल्क लगाने की जरूरत है। उनसे यह भी पूछा गया है कि यदि सेवा शुल्क की जगह कर्मचारी कल्याण कोष, कर्मचारी कल्याण योगदान या कर्मचारी शुल्क का प्रयोग किया जाता है जिससे यह न लगे कि यह शुल्क सरकार द्वारा लगाया गया है, तो क्या उनके सदस्यों को कोई आपत्ति होगी।
अदालत ने कहा, शपथपत्र में यह उल्लेख होना चाहिए कि कितने प्रतिशत सदस्य खुद ही ग्राहकों को यह बताने के लिए तैयार हैं कि सेवा शुल्क अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक रूप से दिया जाना वाला योगदान है।
मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।
अदालत ने कहा, लंबे समय तक हममें से अधिकतर लोग यह सोच रहे थे कि सेवा शुल्क सरकार लगाती है। समस्या यहीं पर है कि लोग सोचते हैं कि सेवा शुल्क सेवा कर जैसा है। आम उपभोक्ता को सेवा कर, जीएसटी आदि में अंतर नहीं मालूम क्योंकि लोग सोचते हैं कि यह सरकार द्वारा लिया जाता है। मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूं जो इस तरह सोचते हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि ये दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं के हित के लिए सर्वोत्तम हैं। उसने अदालत से इस बात का ध्यान रखते हुए स्थगन आदेश वापस लेने का अनुरोध किया।
उसने अदालत को यह भी बताया कि कुछ रेस्त्रां अदालत के अंतरिम आदेश का इस्तेमाल यह जताने के लिए कर रहे हैं कि उन्हें सेवा शुल्क लगाने की अनुमति मिल गई है।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों को सुने बिना अंतरिम आदेश में बदलाव नहीं किया जा सकता। यदि अगली तारीख पर मुख्य याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी तो स्थगन आदेश रद्द करने विचार किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि सेवा शुल्क कई सालों से अस्तित्व में है। यह एक पारंपरिक शुल्क है और उन कर्मचारियों में बांटा जाता है जो उपभोक्ताओं के सामने नहीं होते हैं। रेस्त्रां अपने मेनू कार्ड और परिसर में इसके बारे में जानकारी डिस्प्ले करने के बाद यह शुल्क लगाते हैं। उन्होंने सीसीपए के आदेश को बेढ़ंगा और अव्यावहारिक बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की। (आईएएनएस)
बिजनौर (उप्र) 12 अप्रैल उत्तर प्रदेश में पिछले साल पुलिस हिरासत से फरार हुए प्रदेश स्तरीय माफिया आदित्य राणा को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया है। उसपर ढाई लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की तरफ से की गई गोलीबारी में पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बुधवार को बताया, “ 11-12 अप्रैल की रात बिजनौर पुलिस की आदित्य राणा गिरोह के साथ मुठभेड़ हुई जिसमें राणा को घायल अवस्था में पुलिस ने हिरासत में लिया और उसकी अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई है।”
उन्होंने बताया कि सूचना के आधार पर मंगलवार देर रात को स्योहारा थाना पुलिस ने बुढनपुर में आदित्य राणा के ठिकाने की घेराबंदी की तो बदमाशों ने पुलिस पर गोलीबारी कर दी।
जादौन ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गिरोह का सरगना राणा गोली लगने से घायल हो गया जबकि बाकी बदमाश जंगल की ओर भाग गये। पुलिस फरार बदमाशों की तलाश कर रही है।
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है।
पुलिस अधीक्षक के अनुसार, राणा 2022 में अदालत में पेशी के दौरान पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था। उन्होंने बताया कि 23 अगस्त 2022 को जब लखनऊ पुलिस उसे बिजनौर अदालत में पेश कर वापस ले जा रही थी तभी शाहजहांपुर के थाना रामकिशन मिशन क्षेत्र में एक ढाबे से राणा पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था।
उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने राणा को प्रदेश स्तरीय माफिया घोषित करते हुए इस पर ढाई लाख रुपये के इनाम का ऐलान किया था।
पुलिस अधीक्षक जादौन ने बताया कि राणा के खिलाफ संगीन धाराओं में 43 मुकदमे दर्ज थे जिनमें छह मामले हत्या और 13 मुकदमे लूट के थे।
राणा बिजनौर के साथ-साथ लखनऊ, शाहजहांपुर, अमरोहा और संभल में भी वांछित अपराधी था।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि राणा गिरोह के 48 सदस्यों की पहचान की गई है जिनमें छह गिरफ्तार हो चुके हैं। (भाषा)
मुंबई, 12 अप्रैल अलायंस एयर के पायलटों की हड़ताल समाप्त हो गई है और वे काम पर लौट आए हैं। अलायंस एयर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। एयरलाइन के पायलटों का एक वर्ग दो दिन से हड़ताल पर था।
सोमवार और मंगलवार को अलायंस एयर के करीब 70-80 पायलट हड़ताल पर चले गए थे। ये पायलट कोविड-पूर्व के वेतन को बहाल नहीं करने और भत्तों का भुगतान नहीं होने के विरोध में हड़ताल पर गए थे।
अलायंस एयर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनीत सूद ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पायलट काम पर लौट आए हैं।
उन्होंने कहा कि पायलटों के साथ उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बातचीत चल रही है। सूत्रों ने मंगलवार कहा था कि एयरलाइन ने इन पायलटों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की अलायंस एयर पहले एयर इंडिया का हिस्सा थी, जिसका अब निजीकरण हो गया है। अलायंस एयर में लगभग 200 पायलट हैं और यह प्रतिदिन लगभग 130 उड़ानें संचालित करती हैं।
सूत्रों में से एक ने कहा कि मंगलवार को पायलटों की हड़ताल के कारण कम से कम 70 उड़ानें प्रभावित हुई थीं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल यूक्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री एमिन जापारोवा ने अपने भारतीय वार्ताकारों को कीव की नयी दिल्ली के साथ मजबूत एवं करीबी संबंध बनाने की इच्छा से अवगत कराया।
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
जापारोवा ने मंगलवार को एक बैठक के दौरान विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को यह पत्र सौंपा।
मंत्रालय ने कहा कि अगले दौर की विदेश कार्यालय स्तर की विचार विमर्श बैठक आपसी सहूलियत के अनुसार किसी तिथि को कीव में आयोजित की जायेगी।
यूक्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री जापारोवा की तीन दिवसीय यात्रा बुधवार को समाप्त हो गई। पिछले वर्ष 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन से किसी नेता की यह पहली भारत यात्रा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन ने दवाओं, चिकित्सा उपकरणों सहित अतिरिक्त मानवीय आपूर्ति का आग्रह किया है।
वहीं, विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा के साथ बैठक के दौरान यू्क्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री ने प्रस्ताव किया कि यूक्रेन में आधारभूत ढांचे का पुनर्निर्माण भारतीय कंपनियों के लिए एक अवसर हो सकता है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, अपनी यात्रा के दौरान जापारोवा ने भारत के साथ मजबूत और करीबी संबंध बनाने की यूक्रेन की इच्छा को रेखांकित किया।
इसमें कहा गया है कि जापारोवा की यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगी।
लेखी-जापारोवा की बैठक के बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘ आपसी हितों से जुड़े विविध द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम राष्ट्रपति जेलेंस्की का पत्र उन्हें सौंपा।’’
वहीं, वर्मा और जापारोवा के बीच बातचीत के बारे में मंत्रालय ने कहा कि आर्थिक, रक्षा, मानवीय सहायता, आपसी हितों से जुड़े वैश्विक मुद्दों सहित द्विपक्षीय एजेंडा शामिल रहा।
बयान के अनुसार, उन्होंने (जापारोवा) यू्क्रेन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी और आपसी सहूलियत के अनुसार किसी तिथि को कीव में अगली विदेश कार्यालय स्तर की विचार विमर्श बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। (भाषा)
शिवपुरी, 12 अप्रैल गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने बुधवार को दावा किया कि गुजरात के साबरमती केंद्रीय कारागर में उसका उत्पीड़न किया जा रहा है।
उसने यह भी दावा किया कि उसका परिवार तो बर्बाद हो गया, लेकिन मीडिया की वजह से वह सुरक्षित है।
उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में अतीक को गुजरात के अहमदाबाद शहर में उच्च सुरक्षा वाली साबरमती सेंट्रल जेल से साथ लेकर मंगलवार को सड़क मार्ग से प्रयागराज के लिए रवाना हुई।
टीम सुबह पौने सात बजे के आसपास मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सुरवाया पुलिस थाने में करीब 20 मिनट के लिए रुकी, जहां मीडियाकर्मियों ने अतीक से सवाल पूछे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और लोकसभा सदस्य अतीक (60) ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा परिवार बर्बाद हो गया है। मैं आपकी वजह से सुरक्षित हूं।’’
उसने कहा, ‘‘मैंने वहां (जेल के अंदर) से किसी को फोन नहीं किया, क्योंकि वहां जैमर लगाए गए हैं। मैंने कोई साजिश नहीं रची और पिछले छह साल से सलाखों के पीछे हूं।’’
जब पत्रकारों ने उससे पूछा कि सरकार ने कहा है कि उसे तबाह कर दिया जाएगा, तो अतीक ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे पहले ही तबाह कर दिया है। मुझे साबरमती जेल में भी परेशान किया जा रहा है।’’
इससे पहले, अहमद को 26 मार्च को भी इसी रास्ते से प्रयागराज ले जाया गया था और उस समय भी पुलिस का काफिला शिवपुरी जिले में रुका था।
उस समय जब मीडियाकर्मियों ने अतीक से सवाल किया था कि क्या उसे अपनी जान का डर है, तो उसने कहा था, ‘‘काहे का डर।’’
बुधवार को अहमद को प्रयागराज ले जा रहा पुलिस का काफिला सुबह पौने आठ बजे के आसपास झांसी से उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल हुआ।
उमेश पाल और उसके दो पुलिस सुरक्षा गार्डों की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उसके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों-गुड्डू मुस्लिम और गुलाम तथा नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस 26 मार्च को भी अतीक को अदालत में पेश करने के लिए साबरमती जेल से प्रयागराज ले गई थी। 28 मार्च को वहां की अदालत ने 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक और दो अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
प्रयागराज से लगभग 24 घंटे की सड़क यात्रा के बाद, अतीक को 29 मार्च को पुलिस वैन में गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली जेल में वापस लाया गया था।
अतीक और उसके सहयोगियों ने 2006 में उमेश पाल का अपहरण कर लिया था और उसे अदालत में अपने पक्ष में बयान देने के लिए मजबूर किया था। उमेश पाल ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
उच्चतम न्यायालय के अप्रैल 2019 के निर्देश पर जेल में रहने के दौरान एक रियल एस्टेट व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट के आरोप में अतीक को गुजरात की एक उच्च-सुरक्षा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
पुलिस ने कहा कि अतीक पर उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
सबसे सनसनीखेज हत्या, जिसमें अतीक का नाम सामने आया है, उसमें 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या शामिल है। इस हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज स्थित उसके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई।
अतीक ने पिछले महीने सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। उसने दावा किया गया था कि उसे और उसके परिवार को प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड में झूठा फंसाया गया है और उत्तर प्रदेश पुलिस उसे फर्जी मुठभेड़ में मार गिरा सकती है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने हाल में सुर्खियों में आए एक सारस पक्षी को अभयारण्य से रिहा करने पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि इस पक्षी को आरिफ खान के साथ ही रहने देना चाहिए जिसने करीब एक साल पहले घायल अवस्था में इस सारस के मिलने के बाद उसे बचाया तथा उसकी देखभाल की थी।
यह सारस स्वस्थ होने के बाद आरिफ के साथ ही रहता था। पिछले दिनों वन विभाग ने कानून का हवाला दे कर सारस को कानपुर के चिड़ियाघर में पहुंचा दिया।
अमेठी जिले के मंडका गांव के निवासी आरिफ कुछ दिन पहले अपने ‘‘मित्र’’ से मिलने के लिए कानपुर चिड़ियाघर पहुंचे। आरिफ को देखकर अपने बाड़े में खुशी से पंख फड़फड़ाते सारस के वीडियो के साथ वरुण गांधी ने ट्वीट किया कि सारस और आरिफ की कहानी खास है।
पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने कहा कि एक दूसरे को सामने पा कर इन दोनों दोस्तों की खुशी बता रही है कि इनका प्रेम कितना निश्छल और पवित्र है। उन्होंने कहा कि यह खूबसूरत जीव स्वच्छंद आकाश में उड़ने के लिए बना है, पिंजरे में रहने के लिए नहीं।
वरुण गांधी ने कहा, ‘‘उसे (पक्षी को) उसका आसमान, उसकी आजादी और उसका मित्र वापिस लौटा दीजिए।’’
सारस पक्षी और उसे बचाने वाले आरिफ के दिलचस्प वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया था और सारस को यह कहकर अपने साथ ले गए थे कि पक्षी को अपने कब्जे में रखना गैरकानूनी है। आरिफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी गई थी।
कहानी ने तब राजनीतिक मोड़ ले लिया जब विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरिफ खान का समर्थन किया SARUS CRANEऔर सरकार की कार्रवाई की आलोचना की। (भाषा)
कन्नूर (केरल), 12 अप्रैल केरल के इस जिले में कथित तौर पर बम बनाते समय हुए विस्फोट में एक युवक अपना एक हाथ गंवा बैठा। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
यह घटना मंगलवार रात करीब साढ़े 11 बजे थालास्सेरी के एरंजोलीपालम इलाके के पास हुई।
पुलिस ने बताया कि विस्फोट कथित तौर पर बम बनाते समय हुआ। विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि घायल व्यक्ति कि पहचान विष्णु के तौर पर हुई है, जिससे पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अभी वह इलाज के लिए कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। (भाषा)
कोलकाता, 12 अप्रैल | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पश्चिम बंगाल में कोयले की तस्करी, मवेशियों की तस्करी और सरकारी स्कूलों में भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित तीन हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर रही टीमों में अतिरिक्त अधिकारियों की तैनाती कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक अजय भटनागर ने मंगलवार शाम इन मामलों की जांच कर रही अलग-अलग टीमों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान इस संबंध में संकेत दिया। भटनागर तीनों मामलों में केंद्रीय एजेंसी की जांच की प्रगति की विशेष समीक्षा करने, प्रक्रिया में कमियों की पहचान करने और जांच की गति को तेज करने के तरीके सुझाने के लिए एक दिन के लिए कोलकाता में थे।
पश्चिम बंगाल में टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारियों की भर्ती में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष जांच दल में इस सप्ताह सात अतिरिक्त अधिकारियों को शामिल किए से यह स्पष्ट हो गया था कि सीबीआई के शीर्ष अधिकारी पश्चिम बंगाल से संबंधित मामलों को गंभीरता से ले रहे हैं। उस एसआईटी में एक अधीक्षक, तीन उपाधीक्षक, दो निरीक्षक और एक उपनिरीक्षक को शामिल किया गया है। ये वर्तमान में दिल्ली, भुवनेश्वर, धनबाद, भोपाल और विशाखापत्तनम में सीबीआई के कार्यालयों में तैनात हैं।
केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त निदेशक द्वारा दिए गए संकेतों के अनुसार, शीर्ष अधिकारी कोयला तस्करी और मवेशी तस्करी घोटालों की जांच करने वाली टीमों के लिए भी अतिरिक्त जनशक्ति की तैनाती करने में संकोच नहीं करेंगे, ताकि इन हाई-प्रोफाइल मामलों में जांच की गति तेज हो सके।
हाल ही में सीबीआई को कई मामलों में अपनी धीमी गति से जांच के लिए न्यायाधीशों के रोष का सामना करना पड़ा था, विशेष रूप से शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में घोटाले से संबंधित मामले में। दरअसल, घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीमें भी जांच के दौरान अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम सामने आने के मद्देनजर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही थीं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अप्रैल | बैकएंड तकनीक की कमी के कारण 1 अप्रैल की पहली समय सीमा के बाद, एलन मस्क ने गुरुवार को सभी लीगेसी ब्लू चेक मार्क को हटाने के लिए 20 अप्रैल की एक और समय सीमा दी है। रिपोटरें के अनुसार, बड़े पैमाने पर तथाकथित ब्लू टिक को जल्दी से हटाने की तकनीकी चुनौतियां थीं और वर्तमान में इसे करने का एकमात्र तरीका मैन्युअल था।
मस्क ने एक ट्वीट में कहा कि 'लीगेसी ब्लू चेक को हटाने की अंतिम तिथि 4/20 है।'
विवरण पहले सामने आया था कि मस्क द्वारा संचालित कंपनी के पास एक बार में ब्लू टिक वाले लगभग 4.2 लाख पुराने खातों को हटाने के लिए बैकएंड तकनीक नहीं है।
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि वेरिफिकेशन बैज को हटाना एक बड़े पैमाने पर मैन्युअल प्रक्रिया है, जो हटाने की संभावना वाली प्रणाली से संचालित होती है, जो एक बड़े आंतरिक डेटाबेस पर आधारित है (एक्सेल स्प्रेडशीट के समान) जिसमें वेरिफिकेशन डेटा संग्रहीत होता है।
मस्क ने पहले ब्लू वेरिफिकेशन वाले सभी लीगेसी अकाउंट्स को हटाने के लिए 1 अप्रैल की डेडलाइन दी थी। कंपनी ने अब तक केवल न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए ब्लू टिक हटा दिया है।
मशहूर हस्तियों को गलत पहचान से बचाने के लिए ट्विटर ने 2009 में अपना वेरिफिकेशन सिस्टम शुरू किया था, लेकिन अब मस्क चाहते हैं कि हर कोई ब्लू बैज के लिए हर महीने 8 डॉलर का भुगतान करे।
व्हाइट हाउस और द न्यूयॉर्क टाइम्स ने सदस्यता सेवा के साथ वेरिफाइड ब्लू के लिए भुगतान करने से इनकार कर दिया है।
अब तक के सबसे अधिक वेतन पाने वाले एनबीए खिलाड़ी और प्रति वर्ष 40 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करने वाले लेब्रोन जेम्स ने भी ट्विटर को भुगतान करने से इनकार कर दिया है। (आईएएनएस)
इंदौर, 12 अप्रैल | मध्य प्रदेश में शराब की तस्करी और अवैध बिक्री के खिलाफ मुहिम जारी है। इसी क्रम में इंदौर में बड़ी मात्रा में शराब पकड़ी गई है। इंदौर जिले में मदिरा के अवैध रूप से निर्माण, विक्रय, परिवहन एवं अवैध रूप से भंडारण करने वालों के विरूद्ध कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के निर्देशन में आबकारी विभाग के अमले द्वारा अभियान चलाकर निरंतर कार्रवाई की जा रही है। इस अभियान के तहत एक आरोपी को गिरफ्तार कर बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त की गई।
नियंत्रण कक्ष प्रभारी राजीव मुद्गल एवं सहायक जिला आबकारी अधिकारी अनिल माथुर उडन दस्ता प्रभारी के निर्देशन में आबकारी वृत्त आंतरिक दो की प्रभारी शालिनी सिंह द्वारा बड़ी कलमेर हातौद स्थान पर अवैध मदिरा के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की गई। इसमें देशी मदिरा प्लेन की 14 पेटी कुल 126 बल्क लीटर अवैध शराब जब्त की गई। मौके पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी के विरुद्ध आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34(1) (2) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। जब्त मदिरा का मूल्य 45 हजार 500 रुपए है।
नई दिल्ली, 12 अप्रैल | भारत में बुधवार को बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 7,830 नए मामले सामने आए जिससे देश में कुल मामलों की संख्या 40,215 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बुधवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़ों के मुताबिक, डेली और वीकली पॉजिटिविटी रेट वर्तमान में क्रमश: 3.65 प्रतिशत और 3.83 प्रतिशत है।
वहीं, इसी अवधि में महामारी से 4,692 मरीज ठीक भी हुए हैं। जिससे कोविड से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 4,42,04,771 हो गई।
इसके अलावा, इसी अवधि में, 2,14,242 टेस्ट किए गए, जिससे कुल संख्या बढ़कर 92.32 करोड़ हो गई।
साथ ही पिछले 24 घंटे में 441 डोज दी गई। देश में अब तक 220.66 करोड़ वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है।
सक्रिय मामले 0.09 प्रतिशत और रिकवरी दर 98.72 प्रतिशत है। (आईएएनएस)
मुंबई, 12 अप्रैल | दिग्गज उद्योगपति और महिंद्रा समूह के पूर्व चेयरमैन केशब महिंद्रा का बुधवार सुबह उनके आवास पर निधन हो गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वह 99 साल के थे।
केशब उद्योगपति आनंद महिंद्रा के रिश्ते में चाचा थे। (आईएएनएस)
शेख कयूम
श्रीनगर, 12 अप्रैल | केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची के अंतिम पुनरीक्षण का काम 10 मई तक पूरा हो जाएगा, लेकिन ज्यादातर राजनीतिक दलों को लगता लगता है कि यहां विधानसभा चुनाव में और देर लगेगी।
मुख्यधारा के सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों और कांग्रेस ने हाल ही में चुनाव आयोग से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने का अनुरोध किया था।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के दौरान कहा कि एक निर्वाचित सरकार की अनुपस्थिति के कारण जम्मू-कश्मीर पिछड़ रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 19 जून 2018 को गठबंधन से हटने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पिछली निर्वाचित सरकार गिर गई थी। इसके बाद 21 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया था।
संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के संघ शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया जिसमें जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा की व्यवस्था भी की गई है। इसके बाद संसद द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया गया।
20 जून, 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।
क्षेत्रीय नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस और आवामी नेशनल कांफ्रेंस (एएनसी) जैसे राजनीतिक दलों के नेता और मध्यमार्गी कांग्रेस और माकपा के नेता भी केंद्र की भाजपा सरकार पर विधानसभा चुनाव में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाते रहे हैं।
नेकां के नेता इन चुनावों में देरी के लिए केंद्र को दोषी ठहराने के लिए विपक्ष के अभियान में सबसे आगे रहे हैं।
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी स्थानीय राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखा गया था।
सौभाग्य से, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कोई अशांति नहीं हुई। अधिकारियों ने 2019 में कहा कि राजनीतिक नेताओं को सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने से रोकने के लिए हिरासत में लिया गया था।
आम तौर पर देखा जाए तो अगस्त 2019 के बाद जमीनी स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। जनता में अशांति, पथराव, अलगाववादी द्वारा आहूत बंद, आदि रुक गए हैं।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी, दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा था कि उग्रवाद में कमी आई है, हालांकि अभी तक इसका पूरी तरह से सफाया नहीं हुआ है।
पिछले साल कश्मीर में पर्यटन सीजन काफी अच्छा रहा। इस साल भी पहले साढ़े तीन महीनों में पर्यटन की शुरुआत बहुत उत्साहजनक रही है। डल और नगीन झीलों पर होटल व्यवसायी, टूर और ट्रैवल ऑपरेटर, हाउसबोट मालिक और शिकारावाले अच्छा कारोबार कर रहे हैं।
इस वर्ष की वार्षिक अमरनाथ यात्रा जून के अंतिम सप्ताह में शुरू होगी और अगस्त के अंत तक दो महीने तक चलेगी।
विश्वसनीय सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि गर्मी में पर्यटन सीजन और आगामी अमरनाथ यात्रा दो बड़े कारण हैं जिनकी वजह से विधानसभा चुनाव सर्दियों तक नहीं हो सकते। इस तरह दौरान विधानसभा चुनाव के लिए साल की आखिरी तिमाही ही बचती है।
नगरपालिका और पंचायत चुनाव भी साल के अंत तक होने वाले हैं क्योंकि निर्वाचित शहरी और ग्रामीण निकायों का कार्यकाल जनवरी 2024 तक समाप्त हो रहा है।
इन तथ्यों और इस अहसास को देखते हुए कि देश में अप्रैल-मई 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, जम्मू-कश्मीर के अधिकांश राजनीतिक नेताओं का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव बिल्कुल नहीं हो सकते। ये 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ आयोजित किए जा सकते हैं।
इस तथ्य के बावजूद भाजपा सहित हर राजनीतिक दल अपने कैडर से कह रहा है कि वह विधानसभा चुनावों की प्रत्याशा में सुरक्षा कम न करे और जमीनी स्तर की गतिविधियां शुरू करे। (आईएएनएस)
काठमांडू, 12 अप्रैल | नेपाल के सिंधुली जिले में एक कार दुर्घटना में चार भारतीय नागरिकों की मौत हो गई। पुलिस ने ये जानकारी दी है। जिला पुलिस कार्यालय के अनुसार, हादसा मंगलवार देर रात बीपी हाईवे के सिंधुलीमाडी-खुरकोट खंड के कमलामाई नगर पालिका-3 के सोलभंजयांग के पास हुआ।
दुर्घटनास्थल काठमांडू से करीब 100 किमी दूर है।
पुलिस अधीक्षक राज कुमार सिलवाल ने कहा कि कार का भारतीय रजिस्ट्रेशन नंबर था और यह काठमांडू की ओर जा रही थी।
वाहन सड़क से करीब 500 मीटर दूर जा गिरा।
तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक ने स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
पांचवें घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जिला पुलिस कार्यालय सिंधुली ने इसकी जानकारी दी।
सिलवाल ने कहा कि वर्तमान में पांच भारतीय नागरिकों की पहचान स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। (आईएएनएस)
सुप्रीम कोर्ट ने माहवारी स्वच्छता को अहम मुद्दा बताते हुए केंद्र सरकार को इसे लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल बनाने का निर्देश दिया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने माहवारी स्वच्छता के तहत केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मिशन मोड में बालिका स्कूलों में सैनिटरी पैड्स मुहैया कराएं. सोमवार को एक अहम निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों से वहां पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड्स देने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते सभी राज्य सरकारों से कहा कि माहवारी के दौरान स्वच्छता को लेकर अपनी योजनाएं बताएं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से छात्राओं की सुरक्षा और साफ-सफाई का इंतजाम करने के लिए भी कहा है.
माहवारी स्वच्छता पर जोर
साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों से शिक्षण संस्थानों में वेंडिंग मशीन से मिलने वाले पैड्स की गुणवत्ता और कम कीमत वाले सैनिटरी पैड्स को लेकर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. कोर्ट ने रेसिडेंशियल और नॉन रेसिडेंशियल शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के लिए शौचालयों के अनुपात के बारे में भी पूछा है.
चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त सहित सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए माहवारी के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए मानक आदर्श प्रक्रिया और प्रबंधन का राष्ट्रीय मॉडल विकसित करने को भी कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जया ठाकुर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं.
लड़कियों के पास माहवारी की जानकारी की कमी
भारत सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि केंद्र ने इस उद्देश्य के लिए 197 करोड़ रुपये राज्यों को आवंटित किए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा राज्यों का विषय है लेकिन 2011 से इसके लिए केंद्र की योजनाएं भी हैं.
बेंच ने कहा, "सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि सैनिटरी पैड्स के सुरक्षित निस्तारण के लिए अपर प्राइमरी/ सेकंडरी/हायर सेकंडरी की कक्षाओं में लड़कियों के नामांकन वाले स्कूलों/स्कूल परिसरों के लिए निपटान तंत्र उपलब्ध हों." बेंच ने केंद्र सरकार को जुलाई 2023 के आखिर तक एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया.
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की बाल सुरक्षा के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ ने एक अध्ययन में बताया था कि भारत में 71 फीसदी किशोरियों को माहवारी के बारे में जानकारी नहीं है. उन्हें पहली बार माहवारी होने पर इसका पता चलता है. और ऐसा होते ही उन्हें स्कूल भेजना बंद कर दिया जाता है.
एक सामाजिक संस्था दसरा ने 2019 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि 2.3 करोड़ लड़कियां हर साल स्कूल छोड़ देती हैं क्योंकि माहवारी के दौरान स्वच्छता के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इनमें सैनिटरी पैड्स की उपलब्धता और पीरियड्स के बारे में समुचित जानकारी शामिल है. (dw.com)
राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को लेकर चुनाव आयोग के नए फैसलों से उथल-पुथल मची हुई है. एक तरफ तो "आप" पहली बार यह दर्जा पाने का जश्न मना रही है, लेकिन दूसरी तरफ सीपीएम, टीएमसी और एनसीपी में दर्जे को गंवा देने की मायूसी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
चुनाव आयोग की नई घोषणा के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया है, जबकि आम आदमी पार्टी पहली बार राष्ट्रीय पार्टी बन गई है. अभी तक देश में आठ राष्ट्रीय पार्टियां थीं - बीजेपी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, तृणमूल, एनपीपी और बीएसपी. नए फैसले के बाद देश में अब सिर्फ छह राष्ट्रीय पार्टियां रह गई हैं.
आयोग का फैसला 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2014 के बाद हुए 21 विधान सभा चुनावों में इन पार्टियों के प्रदर्शन पर आधारित है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के नियम इलेक्शन सिम्बल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) आर्डर, 1968 में दिए हुए हैं.
कैसे मिलता है दर्जा
इन नियमों के मुताबिक यह दर्जा हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को तीन शर्तों में से एक पूरी करनी होती है - या तो पिछले लोक सभा या विधान सभा चुनावों में कम से कम चार राज्यों में पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट शेयर मिला हो और उसके पास कम से कम चार सांसद हों.
अगर पार्टी यह शर्त पूरी नहीं कर पा रही हो तो उसके पास लोकसभा में कम से कम दो प्रतिशत सीटें हों और उसके सांसद कम से कम तीन राज्यों से हों. अगर पार्टी इस कसौटी पर भी खरी न उतर सके तो उसके पास कम से कम चार राज्यों में राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा हो.
राष्ट्रीय पार्टी दर्जा मिलने से पार्टियों को कुछ फायदे मिलते हैं, जिनमें दो प्रमुख हैं - पहला,पूरे देश में कहीं पर भी पार्टी के सभी उम्मीदवार पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ पाते हैं और दूसरा, पार्टी को दिल्ली में अपना दफ्तर खोलने के लिए जमीन मिल जाती है.
चुनाव आयोग ने बताया कि तृणमूल से यह दर्जा इसलिए वापस ले लिया गया क्योंकि अब वो मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तर की पार्टी नहीं रही. अब वो बस पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय में राज्य स्तर की पार्टी रह गई है. एनसीपी ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा गंवा दिया. अब वो सिर्फ महाराष्ट्र और नागालैंड में राज्य स्तर की पार्टी है.
"आप" की उपलब्धि
सीपीआई अब पश्चिम बंगाल और ओडिशा में राज्य स्तर की पार्टी नहीं रही. अब उसके पास यह दर्जा सिर्फ केरल, तमिलनाडु और मणिपुर में उपलब्ध है. जहां तक "आप" का सवाल है, तो उसका इस दर्जे को हासिल कर लेना तय माना जा रहा था. पार्टी दो राज्यों - दिल्ली और पंजाब में भारी बहुमत के साथ सत्ता में है.
लेकिन इसके अलावा गोवा में भी पार्टी के पास 6.77 प्रतिशत वोट शेयर है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने गुजरात में 12.92 प्रतिशत वोट हासिल किए और वहां भी राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया. चार राज्यों में राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल कर "आप" अब एक राष्ट्रीय पार्टीबन गई है.
दर्जा गंवा चुकी पार्टियों ने अभी तक आयोग के इस फैसले पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन "आप" के नेता और कार्यकर्ता अपनी उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं. 2013 में शुरू की गई "आप" के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि "इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी" बन जाना "किसी चमत्कार से कम नहीं" है.
बदल सकते हैं समीकरण
राष्ट्रीय पार्टी दर्जे के मिलने और छिन जाने के इस फेरबदल से देश की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं. जैसे जैसे 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, एनडीए के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा यह सवाल और जटिल होता जा रहा है. विपक्ष में सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है लेकिन कई विपक्षी पार्टियां कांग्रेस को चुनावी रणनीति में आगे बढ़ने देने के लिए तैयार नहीं हैं.
तृणमूल की मुखिया ममता बनर्जी, "आप" के अरविंद केजरीवाल, सपा के अखिलेश यादव और बीआरएस के चंद्रशेखर राव ऐसे नेताओं में शामिल हैं. एनसीपी मुखिया शरद पवार ने भी हाल ही में अदाणी समूह के खिलाफ विपक्ष के अभियान का विरोध कर विशेष रूप से कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी.
बीआरएस और सपा तो पहले से ही राष्ट्रीय पार्टियां नहीं हैं लेकिन दर्जा खो जाने के बाद ममता बनर्जी और शरद पवार दोनों के लिए कांग्रेस से आगे निकलना मुश्किल हो सकता है. लेकिन "आप" को विपक्षी खेमे के अंदर कांग्रेस के खिलाफ लड़ने में बल मिल सकता है. ऐसे में देखना होगा कि इन पार्टियों और बाकी विपक्षी पार्टियों का अगला कदम क्या होता है. (dw.com)
नई दिल्ली, 11 अप्रैल | केंद्र ने राज्य सरकारों से पूर्व सैनिकों के साथ-साथ सेवारत सैन्यकर्मियों के भूमि विवादों को सुलझाने में उच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अनेक राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए नौकरियों में आरक्षण है, जिसका पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए।
दरअसल भारतीय सशस्त्र बलों को युवा रखने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक 35-40 वर्ष की आयु में सम्मानपूर्वक सेवा मुक्त हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप वर्तमान 34 लाख पूर्व सैनिकों की संख्या में प्रति वर्ष लगभग 60,000 सैनिक जुड़ जाते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में केंद्रीय सैनिक बोर्ड की कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लगभग 3.16 लाख लाभार्थियों को लगभग 800 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। पिछले वित्त वर्ष में एक लाख लाभार्थियों को लगभग 240 करोड़ रुपए दिए गए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच अनेक विषयों पर मतभेद हैं। यह सब लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब बात सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण की आती है तो सभी एक साथ आ जाते हैं। हमारे सैनिकों को लेकर हमेशा सामाजिक और राजनीतिक सहमति रही है। सशस्त्र बल समान रूप से पूरे देश की रक्षा करते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में वापस जाने वाले हमारे सैनिक सम्मानित जीवन जीएं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 अप्रैल को नई दिल्ली में केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की। केएसबी केंद्र सरकार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की शीर्ष संस्था है। इसे पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के कल्याण और पुनर्वास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पैराप्लैजिक पुनर्वास केंद्र, किर्की, चेशर होम, मोहाली तथा देहरादून, लखनऊ और दिल्ली सहित देश के 36 युद्ध स्मारक अस्पतालों को संस्थागत अनुदान दिए गए हैं। उन्होंने दोहराया कि पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) सुविधाओं की नियमित आधार पर समीक्षा की जा रही है।
वर्तमान में 30 क्षेत्रीय केंद्र तथा 427 पोलीक्लीनिक कार्यरत हैं। 75 टाइप-सी और डी पोलीक्लीनिकों की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है और पहुंच बढ़ाने के लिए वीडियो प्लेटफॉर्म, सेहत ओपीडी लॉन्च किया गया। विभिन्न स्थानों पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे नए गुणवत्ता संपन्न अस्पतालों को पैनल में शामिल किया जा रहा है। लाभार्थियों को दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दवा खरीदने की प्रक्रिया आसान बनाई जा रही है।
रक्षा मंत्री ने सीमा की सुरक्षा और समय पर, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, कार्य करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त होने के बाद मातृभूमि की सेवा करने का भाव बनाए रखने के लिए पूर्व सैनिकों की सराहना की। उन्होंने अनेक अवसरों, विशेषकर कोविड-19 महामारी के विरुद्ध देश की लड़ाई के दौरान, पूर्व सैनिकों द्वारा किए गए मूल्यवान योगदान को रेखांकित किया। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 11 अप्रैल| एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर निशाना साधा, सीतारमण ने कहा था कि, भारत में मुसलमान पाकिस्तान से बेहतर कर रहे हैं। हैदराबाद के सांसद ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और विकास पर चर्चा के दौरान पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (पीआईआईई) में अमेरिका में की गई सीतारमण की टिप्पणियों का खंडन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
ओवैसी ने लिखा, विश्वगुरु के वित्त मंत्री के लिए, बेंचमार्क पाकिस्तान है! संघ परिवार की संविधान विरोधी विचारधारा के बावजूद भारत में मुसलमान फले-फूले हैं। मुसलमान कब तक पाकिस्तान से जुड़े रहेंगे? हम पाकिस्तान के खिलाफ बंधक या मैस्कॉट्स नहीं हैं। हम नागरिक हैं। हम सम्मान और न्याय के साथ व्यवहार करना चाहते हैं।
ओवैसी से पूछा- यदि हिंदुओं का एक वर्ग बेहतर जीवन स्तर की मांग करता है, तो क्या आप उन्हें चुप रहने के लिए कहेंगे क्योंकि सोमालिया में अधिकांश लोग बदतर स्थिति में हैं?। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल का लोकसभा में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। यह हानिकारक है। लेकिन भाजपा इसे सम्मान समझती है।
उन्होंने आगे ट्वीट किया- आबादी जनसांख्यिकीय कारकों के आधार पर बढ़ती या घटती है, न कि किसी सरकार के परोपकार या द्वेष पर। हालांकि मान लें कि सरकार की भूमिका है, तो जनगणना के बाद होने वाली जनगणना भारत में मुस्लिम आबादी के विकास में गिरावट दर्शाती है। क्या इसका मतलब यह होगा कि सरकार पुरुषवादी है?
ओवैसी ने लिखा, जनसंख्या वृद्धि या गिरावट ही अल्पसंख्यकों के इलाज का एकमात्र पैमाना नहीं है। आज के भारत में नरसंहार धर्म संसद को सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जाता है; सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया और लोगों से 'हथियार' रखने के लिए कहा, अकेले महाराष्ट्र के एक राज्य में 50 मुस्लिम विरोधी घृणा रैलियां हुईं। जब मुस्लिम लिंचिंग और हिंसा का सामना करते हैं तो राज्य दूर दिखता है। इसके बजाय, मुसलमानों को बुलडोजर और सरकार से झूठे कारावास का सामना करना पड़ता है।
सरकारी डेटा का हर टुकड़ा मुस्लिम शिक्षा की दयनीय स्थिति की ओर इशारा करता है। मुस्लिम खतरनाक गरीबी के कारण शिक्षा में पिछड़ जाते हैं। यह एक क्रूर मजाक है कि जब सरकार ने मौलाना आजाद फेलोशिप बंद कर दी और गरीब अल्पसंख्यकों के लिए प्री और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति प्रतिबंधित कर दी, तो वित्त मंत्री ने फेलोशिप का उल्लेख किया। अल्पसंख्यक मामलों के बजट में 40 प्रतिशत की कटौती की गई है! कर्नाटक में, आपकी पार्टी की सरकार ने हिजाब का विरोध करने के लिए एक अभियान चलाया है, शिक्षा और रोजगार में गरीब मुसलमानों के आरक्षण को हटा दिया है। मुसलमानों के व्यवसायों को सरकारी नीतियों और भीड़ शासन द्वारा लक्षित किया गया है।
उन्होंने लिखा- वित्त मंत्री का कहना है कि कानून और व्यवस्था एक राज्य का मुद्दा है लेकिन जिन राज्यों में मुसलमानों ने सबसे खराब हिंसा और भेदभाव का सामना किया है, वह भाजपा शासित हैं। गैर-बीजेपी राज्यों में, हिंसा के मुख्य दोषी सभी संघ परिवार के सहयोगी हैं।
ओवैसी ने कहा कि असम में, मुसलमानों को अतिक्रमण के नाम पर बड़े पैमाने पर विस्थापन का सामना करना पड़ रहा है और यहां तक कि राजधानी शहर में भी मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार के नारे लगाए गए हैं। बिहार से गुजरात तक, मुसलमानों ने भयानक आगजनी और हिंसा का सामना किया है। यह छोटा-मोटा कानून और व्यवस्थाका मुद्दा नहीं है। आप नाराज हो गए और तेलंगाना में किसी राशन की दुकान पर मोदी की तस्वीर की मांग की। मोदी की तस्वीर की तुलना में मुस्लिम विरोधी हिंसा निश्चित रूप से आपके ध्यान का अधिक हकदार है। (आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल भारत में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 5,676 नए मामले आने के बाद देश में अभी तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 4,47,68,172 हो गई है। वहीं उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 37,093 पर पहुंच गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, पंजाब तथा राजस्थान में तीन-तीन, कर्नाटक में दो और गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु में एक-एक मरीज की मौत होने से देश में संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 5,31,000 हो गई। साथ ही, संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए केरल ने वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले मरीजों की सूची में छह नाम और जोड़े हैं।
अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी 37,093 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 0.8 प्रतिशत है। मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.73 प्रतिशत है। अभी तक कुल 4,42,00,079 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं, जबकि कोविड-19 से मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, भारत में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक कोविड-19 रोधी टीकों की 220.66 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी हैं।
गौरतलब है कि भारत में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे।
देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। चार मई 2021 को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। पिछले साल 25 जनवरी को संक्रमण के कुल मामले चार करोड़ के पार चले गए थे। (भाषा)
वॉशिंगटन, 11 अप्रैल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश के सारे लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के अपने लक्ष्य को भारत ने लगभग पा लिया है और अब ध्यान उन्हें कुशल बनाने और डिजिटलीकरण पर है जिससे जीवनयापन में सुगमता तथा पारदर्शिता आ सके।
सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में कहा कि सरकार गरीब लोगों को मूलभूत सुविधाएं देकर सशक्त बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी सुविधाएं देने के लिहाज से हमने अपने लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार देश के गरीबों को अनेक सुविधाएं देना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि उन्हें रहने के लिए पक्के घर दिए जाएं, पाइप के जरिए पेयजल उन तक पहुंचे, बिजली हो, अच्छी सड़कें हो...सिर्फ गांव तक ही नहीं बल्कि गांवों की गलियों तक भी अच्छी सड़कें हों जो नजदीकी राजमार्ग से जोड़ी जा सकें, अच्छी परिवहन सुविधा तक पहुंच हो, वित्तीय समावेशन हो जिससे घर के प्रत्येक सदस्य का बैंक में खाता खुले और उन्हें हर लाभ सीधे उनके खाते में मिल सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस लिहाज से हम परिपूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि अब ध्यान लोगों को कुशल बनाने पर है। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम लोगों को कुशल बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। कौशल केंद्र अब देशभर में हैं। कौशल का स्तर हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। इससे व्यापारों और निजी क्षेत्र के उद्यमियों को भी जोड़ा जा रहा है ताकि जो लोग प्रशिक्षण पा रहे हैं और व्यवसाय जिस तरह के प्रशिक्षित लोग चाहते हैं उनके बीच संपर्क बन सके।’’
सीतारमण ने कहा कि भारत का डिजिटलीकरण का कार्यक्रम भी तेजी से चल रहा है, इसके दायरे में स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय लेनदेन आ गए हैं। अब हम अन्य क्षेत्रों का डिजिटलीकरण भी करना चाहते हैं जिससे जीवनयापन में आसानी हो और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ सके।’’ (भाषा)
मुजफ्फरनगर (उप्र), 11 अप्रैल उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना क्षेत्र में मंगलवार तड़के बड़ौत मार्ग पर एक वाहन (जीप) के पेड़ से टकरा जाने से तीन लोगों की मौत हो गयी जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गये।
थाना प्रभारी बुढाना बृजेश शर्मा ने बताया कि मृतकों की पहचान वाजिस कुमार (60), पूनम (55) और विनीत कुमार के रूप में हुई है।
उन्होंने कहा कि घायल व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
एसएचओ ने कहा कि हादसा उस समय हुआ जब ये लोग मेरठ से मुजफ्फरनगर अपने गांव लौट रहे थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को प्रख्यात समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि नारी शिक्षा व समानता के लिए समर्पित उनका जीवन राष्ट्र के लिए सदैव प्रेरणा का केंद्र रहेगा।
शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें नमन। महात्मा फुले जी महिलाओं व वंचितों के अधिकारों की आवाज बने और उन्होंने कुरीतियों के खिलाफ समाज को संगठित कर आंदोलन चलाया। नारी शिक्षा व समानता के लिए समर्पित उनका जीवन राष्ट्र के लिए सदैव प्रेरणा का केंद्र रहेगा।’’
महाराष्ट्र में 1827 में अत्यधिक पिछड़ी जाति में जन्मे फुले ने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सबसे वंचित समुदायों के बीच शिक्षा का प्रचार करने का प्रयास किया। उन्हें और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को महिलाओं के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। (भाषा)
जयपुर, 11 अप्रैल पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई चेतावनी को दरकिनार करते हुए मंगलवार को यहां पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर एक दिवसीय 'अनशन' शुरू किया।
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पायलट समर्थक मौजूद हैं हालांकि पार्टी का कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया।
इस अनशन के लिए शहीद स्मारक के पास एक तंबू लगाया गया। वहां बनाए गए छोटे मंच पर केवल पायलट बैठे। उनके समर्थक व अन्य कार्यकर्ता आसपास नीचे बैठे। मंच के पास महात्मा गांधी व ज्योतिबा फुले की तस्वीरें रखी गईं। मंच के पीछे केवल महात्मा गांधी की फोटो के साथ 'वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन' लिखा गया।
शहीद स्मारक पर पहुंचने से पहले पायलट अपने आवास से 22 गोदाम सर्किल पहुंचे और वहां समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। पायलट ने इस दौरान संवाददाताओं से कोई बात नहीं की।
उल्लेखनीय है कि पायलट ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार द्वारा कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर एक दिवसीय अनशन करने की घोषणा की थी। वहीं कांग्रेस पार्टी ने पायलट के इस कदम को 'पार्टी विरोधी' करार दिया है। पार्टी के स्थानीय मीडिया ग्रुप में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का एक बयान सोमवार देर रात जारी किया गया जिसके अनुसार ‘‘पायलट का अनशन पार्टी के हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है।’’ /वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘राजस्थान कांग्रेस में घमासान सड़कों पर आया। गहलोत सरकार में महिलाओं पर अत्याचार, दलित शोषण, खान घोटालों और पेपर लीक घोटाले में कांग्रेस जन मौन क्यों हैं? पुजारी और संतों की मौत का जिम्मेदार कौन, तुष्टिकरण के मामलों से बहुसंख्यकों की विरोधी सरकार की दुर्गति निश्चित है।’’ (भाषा)