राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 25 मई | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और प्रदेश के कानून मंत्री द्वारा कोलकाता में सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी और समर्थकों के साथ निचली अदालत के पास धरने को मंजूरी नहीं दी थी। शीर्ष अदालत ने नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं के नजरबंदी आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
हालांकि, इस दौरान सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली शीर्ष अदालत में दायर की गई अपनी अपील वापस ले ली। सीबीआई ने नजरबंदी के आदेश के खिलाफ सभी दलीलों को लेकर उच्च न्यायालय में वापस जाने का विकल्प चुना।
इस मामले में रोजाना नया मोड़ आता जा रहा है। सीबीआई ने मंगलवार को नारद स्कैम मामले में 4 नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील को वापस ले ली। बता दें कि सीबीआई ने एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के धरने के कारण आरोपी व्यक्तियों को पीड़ित क्यों बनाया जाए?
अदालत ने कहा कि आप उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे बढ़ सकते हैं जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया है। पीठ ने कहा कि वह एजेंसी पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के धरने की सराहना नहीं करती।
पीठ ने कहा, हम नागरिकों की स्वतंत्रता को राजनेताओं के किसी भी अवैध कृत्य के साथ मिलाना पसंद नहीं करते हैं। हम ऐसा नहीं करेंगे।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है और इसे देखते हुए शीर्ष अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या वह उच्च न्यायालय के खिलाफ अपील वापस लेना चाहेगी।
मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि सीबीआई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेगी, जिसमें टीएमसी नेताओं को नजरबंद करने का आदेश दिया गया था।
2016 के नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई के अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी के साथ ही वर्तमान विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर सोवन चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार करने के बाद राजनीति गर्मा चुकी है। कोलकाता में 17 मई को गिरफ्तारी के बाद से इस मामले में भारी ड्रामा देखने को मिला है। इस कथित टेप में कई राजनेता और एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी कथित रूप से एक फर्जी कंपनी को अनौपचारिक लाभ प्रदान करने के लिए नकदी स्वीकार करते पाए गए थे।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 25 मई | पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में शिकायत दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कहा कि पीड़िता ने शिकायत के साथ पुलिस स्टेशन मीरबाजार से संपर्क किया कि उसे गलत तरीके से रोका गया और एक पेट्रोल पंप के पास निपोरा गांव में श्रीनगर जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक ट्रक में उसके साथ बलात्कार किया गया।
आरोपी की पहचान मुदासिर अहमद के रूप में हुई, जिसकी मदद एक अन्य व्यक्ति मंजूर अहमद ने की थी।
शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू की गई।
पुलिस ने कहा, "सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करते हुए जांच दल ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उस वाहन को भी जब्त कर लिया जिसमें अपराध किया गया था।"(आईएएनएस)
कोलकाता, 25 मई | प्रतिबंधित मणिपुरी अलगाववादी समूह पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलीपाक के तीन शीर्ष नेताओं की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है, जिसमें इसके कार्यकारी अध्यक्ष खुमुजाम रतन भी शामिल हैं। मणिपुर के मोस्ट वांटेड विद्रोही 58 वर्षीय रतन के पुलिस रिकॉर्ड में तीन और उपनाम थे साथी, हेरा और अवांगबा मैतेई।
मारे गए दो अन्य विद्रोही नेता मायेंगबाम जॉयचंद (3 उपनाम जॉय लुवांग, चंबा और माइकल) थे, जो संगठन के सचिव थे और 'जनरल स्टाफ ऑफिसर 1' आर.के. रामानंद (उर्फ बसन, रोजर और बिजॉय गोबिंदा)।
एक पीआरईपीएके प्रेस नोट में कहा गया है कि तीन कैडरों के असामयिक निधन से संगठन को एक अपूरणीय क्षति हुई है।
लेकिन इसने सटीक जगह और दुर्घटना के कारणों का खुलासा नहीं किया।
पीआरईपीएके के बयान में कहा गया है कि रतन मार्च 1982 में संगठन में शामिल हुआ था और नवंबर 2014 में इसके कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह मणिपुर के तीन समूह विद्रोही मंच, कोरकॉम के कोषाध्यक्ष थे।
पीआरईपीएके के अनुसार, मायांगबाम और रामानंद क्रमश 1994 और 1996 में संगठन में शामिल हुए।
मायेंगबाम कोरकॉम की गृह समिति के स्थायी सदस्य थे।
संगठन ने कहा कि माइकल और आरके रोजर ने क्रमश जून 2011 और नवंबर 2014 में पार्टी के संगठन सचिव और जीएसओ 1 का कार्यभार संभाला।
इसके बयान में कहा गया है कि अहीबा अंगोम को सर्वसम्मति से 5 सदस्यीय अंतरिम परिषद (आईसी) का अध्यक्ष और वित्त सचिव नियुक्त किया गया है।
साथ ही अंतरिम परिषद नई केंद्रीय समिति के गठन तक पार्टी के कामकाज की निगरानी करेगी। (आईएएनएस)
लंदन, 25 मई | एक अध्ययन के अनुसार, सामान्य आबादी की तुलना में कोविड 19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के संक्रमित होने की संभावना तीन गुना अधिक है। संक्रमित होने वाले पांच श्रमिकों में से लगभग एक स्पशरेन्मुख था और इस बात से अनजान था कि उनके पास कोविड 19 था।
ईआरजे ओपन रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में कुल 2,063 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी शामिल थे, जिनका मई और सितंबर 2020 के बीच कोविड 19 के खिलाफ एंटीबॉडी के लिए परीक्षण किया गया था। इनमे एंटीबॉडी की उपस्थिति एक बहुत ही सटीक संकेत था कि कोई व्यक्ति कोविड 19 संक्रमित है।
रक्त परीक्षण से पता चला कि 14.5 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल कर्मी संक्रमित थे। यह स्थानीय आबादी में संक्रमित लोगों के अनुपात से तीन गुना अधिक है।
श्रमिकों में संक्रमण की उच्चतम दर दंत चिकित्सा (26 प्रतिशत), स्वास्थ्य देखभाल सहायक (23.3 प्रतिशत) और अस्पताल के कुलियों (22.2 प्रतिशत) में थी। प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच दर डॉक्टरों (21.1 प्रतिशत) के समान थी।
लगभग 18.7 प्रतिशत ने नहीं सोचा था कि उनके पास कभी कोविड 19 था और वे पूरी तरह से स्पशरेन्मुख थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बिना लक्षणों वाले लोगों के काम पर जाने की संभावना है और वे संभावित रूप से अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जेम्स चल्मर्स, एक सलाहकार श्वसन चिकित्सक डंडी विश्वविद्यालय, यूके ने कहा कि महामारी के दौरान डॉक्टरों और नर्सों के लिए पीपीई से बहुत अधिक ध्यान दिया गया है, लेकिन हमने पाया कि इसमें दंत चिकित्सक, स्वास्थ्य देखभाल सहायक और पोर्टर्स सकारात्मक परीक्षण करने वाले कर्मचारी थे।
अध्ययन से पता चला कि स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता जो संक्रमित हो गए थे, उनके अगले छह महीनों में दूसरी बार कोविड 19 को अनुबंधित करने की बहुत संभावना नहीं थी।
अपने रक्त परीक्षण के बाद के महीनों में, 39 श्रमिकों ने एक रोगसूचक कोविड 19 संक्रमण विकसित किया, लेकिन इनमें से केवल एक कार्यकर्ता था जिसने पहले सकारात्मक परीक्षण किया था। यह जोखिम में 85 प्रतिशत की कमी के बराबर है, जो कि कोविड 19 टीकों द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा के समान है।
चल्मर्स ने कहा कि यह वास्तव में उन लोगों के लिए अच्छी खबर है जिनके पास पहले से ही कोविड 19 है, क्योंकि इसका मतलब है कि दूसरे संक्रमण की संभावना बहुत कम है। टीम यह देखने के लिए अनुसंधान जारी रखने की उम्मीद करती है कि प्रतिरक्षा कितने समय तक चलती है और टीकाकरण स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के बीच संक्रमण को कैसे प्रभावित करता है।(आईएएनएस)
हैदराबाद, 25 मई | तेलंगाना सरकार ने मंगलवार को राज्य के सभी नामित निजी अस्पतालों को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोविड के टीके लगाने की अनुमति दे दी। निजी अस्पताल, जिन्हें तेलंगाना में निजी कोविड टीकाकरण केंद्र (पीसीवीसी) नामित किया गया है, अब पात्र व्यक्तियों को कोविड वैक्सीन की खुराक दे सकते हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ जी श्रीनिवास राव ने मंगलवार को पीसीवीसी के रूप में नामित निजी अस्पतालों को टीकाकरण करने की अनुमति देने के आदेश जारी किया। वे कार्यस्थलों पर या संस्थानों/कंपनियों/गेटेड समुदायों आदि द्वारा किए गए अनुरोध पर भी टीकाकरण कर सकते हैं।
हालांकि, व्यक्तियों को कोविन पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। पीसीवीसी को कोविड टीकाकरण दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
1 मई को देश भर में 18 से 44 वर्ष के बीच के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू किया गया था। हालांकि, तेलंगाना सरकार ने टीकों की कमी के कारण इस समूह के लिए रोलआउट को रोक दिया था।
केंद्र से स्टॉक ना मिलने के कारण, राज्य ने इस महीने की शुरूआत से केवल 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के उन लाभार्थियों को टीकाकरण सीमित कर दिया है, जिन्हें दूसरी खुराक दी जानी थी।
वैक्सीन की कमी ने अधिकारियों को दूसरी खुराक को भी स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया। 10 दिन के अंतराल के बाद मंगलवार को फिर से प्रक्रिया शुरू हुई है।
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पिछले महीने राज्य में सभी पात्र लाभार्थियों के लिए मुफ्त कोविड टीकाकरण की घोषणा की थी। इससे राज्य के खजाने पर 2,500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी लगभग 4 करोड़ है, जिसमें विभिन्न राज्यों के लोग शामिल हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करने आए हैं।
राज्य में 56 लाख से अधिक लोगों को पहले ही टीका लगाया जा चुका है।
18-44 आयु वर्ग में राज्य की आबादी 1.72 करोड़ है और इसे कार्यक्रम को पूरा करने के लिए लगभग 3.6 करोड़ वैक्सीन की खुराक की आवश्यकता है। अधिकारियों का कहना है कि तेलंगाना में 10 लाख लोगों की रोजाना टीकाकरण क्षमता है, लेकिन केंद्र से पर्याप्त आपूर्ति की कमी टीकाकरण में बाधा बन रही है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 25 मई | उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब प्रयागराज में नदियों के किनारे रेत में दबे शवों से भगवा कफन हटाने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। एक वीडियो क्लिप साझा करते हुए, जिसमें कार्यकर्ताओं को रेत में दबे शवों से भगवा कफन खींचते हुए दिखाया गया है, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर लिखा, उन्हें जीवित रहते हुए इलाज नहीं दिया गया, उनकी मृत्यु में उन्हें सम्मान नहीं मिला और ना ही सरकारी आंकड़ों में जगह उन्हें मिली।
प्रियंका ने कहा, अब उनके शरीर से कफन फाड़े जा रहे हैं। यह कैसा स्वच्छता अभियान है। यह मृतकों, धर्म और मानवता के प्रति अनादर दिख रहा है।
राज्य में बड़ी संख्या में रेत की कब्रों में दफन या गंगा नदी के किनारे पर बहे हुए शव मिलने के बाद राज्य सरकार की कड़ी आलोचना हुई है क्योंकि लोगों को इस तरह के दाह संस्कार का खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है।
प्रयागराज में, तस्वीरों में गंगा के किनारे रेत में दबे सैकड़ों शवों को दिखाया गया है। इसके बाद आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई क्योंकि कई लोगों ने शिकायत की कि कुत्ते कब्र खोद रहे थे और नदी के किनारे शवों को खा रहे थे।
एक विदेशी समाचार एजेंसी द्वारा शूट किए गए एक ड्रोन फुटेज में सैकड़ों शवों को दिखाया गया है, जिन्हें बांस की छड़ियों से अलग किया गया है और भगवा कपड़े से ढका हुआ है, जो प्रयागराज में किनारे पर दफन हैं।
आदित्यनाथ ने अधिकारियों से राज्य की सभी नदियों के आसपास राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी की जल पुलिस द्वारा गश्त जारी रखने के लिए कहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसी भी हालत में शवों को पानी में नहीं डाला जाए।
इस मुद्दे को हल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वह नदियों में शव न फेंकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए धार्मिक नेताओं की मदद लेगी। (आईएएनएस)
भोपाल, 25 मई| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य में एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरु होगी, इस प्रक्रिया के लिए मंत्रियों की टीम बनाई जाएगी। मुख्यमं˜ाी चौहान ने कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में हम एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे, लेकिन टेस्टिंग भी चलती रहेगी, ताकि कोई संक्रमित व्यक्ति स्प्रेडर न बन पाये।
उन्होंने आगे कहा कि तीसरी लहर को रोकने के लिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा। चिकित्सा व्यवस्था के साथ कोविड के अनुरूप हमें व्यवहार करना और करवाना होगा। अनलॉक की प्रक्रिया का निर्धारण करने वाले मंत्रियों की टीम बनाएंगे। यह टीम वैज्ञानिकों से संपर्क कर यह तय करेगी कि हम लॉकडाउन को किस प्रकार खोलेंगे।
चौहान ने वैक्सीन के हो रहे विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि कई जगह वैक्सीन का विरोध है, इसलिए जनता को जागरुक करने के लिए टीकाकरण अभियान समिति बनाई जाएगी। सरकार के साथ जब तक जनता का सहयोग नहीं होगा, हम कोरोना को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते। इसलिए निचले स्तर तक की क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी अनलॉक की प्रक्रिया निर्धारित करने में शामिल रहें।
चौहान ने आगे कहा कि सभी मंत्री अपने प्रभार के जिलों में एक-एक दिन जाएं और ब्लॉक स्तर पर कंसंट्रेट करें। हर गांव और वॉर्ड की क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक हो और वो तय करें की हमें अनलॉक कैसे करना है। इससे जनता पूरी तरह से इन्वॉल्व हो जाएगी और कोरोना के अनुरूप व्यवहार भी जनता अपने आप करेगी।
ज्ञात हो कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए 31 मई तक के लिए जनता कर्फ्यू लगाया गया है, पांच जिलों में जनता कर्फ्यू से कुछ छूट जरुर दी गई है, वहीं सभी जिलों में ढील की शुरुआत एक जून से होगी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 मई | देश में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। बिहार, हरियाणा, गाजियाबाद में अब वाइट और यलो फंगस के मामले सामने आए हैं। इसी बीच डॉक्टरों की इन सभी फंगस पर अलग - अलग राय देखने को मिल रही हैं।
हाल ही में गाजियाबाद में एक मरीज मे येलो फंगस का मामला सामने आया। येलो फंगस (म्यूकर स्पेक्टिक्स) कहे जाने वाले इस फंगस पर कुछ डॉक्टर का कहना है कि इसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, कुछ डॉक्टर ने साफ किया कि मेडिकल लिटरेचर में येलो फंगस नाम का कोई शब्द ही नहीं हैं।
राजस्थान जोधपुर एम्स अस्पताल के डॉ अमित गोयल ने आईएएनएस को बताया कि, येलो फंगस का एक मामला सामने आया है और इसका कोई ऑथेंटिक सोर्स नहीं है। जिधर ये रिपोर्ट हुआ है, इसको और देखना होगा। इसलिए इसपर कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी।
दिल्ली एम्स अस्पताल के डॉकटर नीरज निश्छल ने आईएएनएस को बताया कि, येलो फंगस के नाम से कुछ साफ बयान नहीं होता कि किस बारे में बात हो रही है। मेडिकल लिटरेचर में येलो फंगस नाम का कोई शब्द होता नहीं हैं, इसपर कुछ भी कहना ठीक नहीं।
रंग के आधार पर कोई फंगस तय नहीं होता। इस तरह की बातें होना लोगों में डर पैदा करता है। जिससे परेशानियां होती है।
उनका कहना है, ब्लैक फंगस का मतलब (म्यूकरमाइकोसिस) है। व्हाइट फंगस में अभी तक लोगों में दुविधा है कि एस्परगिलोसिस या कैंडिडिआसिस दोनों में किस की बात हो रही है? पटना के डॉक्टर की डिस्क्रिप्शन के आधार पर हम मान सकते है कि कैन्डिडा की बात कही है, कुछ डॉक्टर कहे रहे है एसपरगिलोसिस की बात की होगी।
हमें ये भी सोचना होगा कि हम किस फंगस की बात कर रहें हैं ? बिना जांच कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। क्योंकि जिधर भी गंदगी होगी उधर फंगस आएगा। फंगस बीमारी बहुत साधरण है, यह मरीजों में पहले भी नजर आती थी। लेकिन सभी फंगस को कोविड़ से जोड़ना ठीक नहीं है।
हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां वाले मरीजों को या वो मरीज जो लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे होते हैं, उनकी इम्युनिटी वीक होती है। जिसके कारण मरीजों को फंगल डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
दिल्ली के एलएनजी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को जानकारी देते हुए बताया कि, इन सभी फंगस से थ्रेट हो सकता है। लेकिन समस्या ये है कि हम फंगस को अलग अलग नाम दे रहे हैं। ब्लैक फंगस तो अब मरीजों में दिख रहा है, लेकिन ये पहले भी होते थे।
एचआईवी मरीजों में, किसी को लंबे वक्त मरीज में टीवी हो, आईसीयू में लंबे समय तक रहकर ठीक होने वाले मरीज, उनमें भी ये फंगस होते हैं।
जिस तरह से बैक्टीरिया होते है उसी तरह फंगस के भी कई टाइप्स होते हैं। येलो फंगस की अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है। इसपर जांच हो तभी पता चलेगा।
जानकारी के अनुसार, देश में ऑक्सीजन शॉर्टेज होने पर कोरोना मरीजों को इंडस्ट्रीज को दी जाने वाली ऑक्सीजन दी गई इसकी वजह से भी फंगल इन्फेक्शन बढ़ाने की बात सामने आई। कोरोना मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर होते हैं उन्हें भी ब्लैक और वाइट फंगस होने का खतरा रहता है।
इसपर डॉ ऋतु ने कहा कि, इस बार ऑक्सिजन हाइजीन का प्रॉब्लम था, कुछ ऑक्सिजन जो इस्तेमाल की गई उसमें काफी दिक्कत आई। क्योंकि इंडस्ट्रियल ऑक्सिजन इस्तेमाल हुई है।
डॉक्टरों के अनुसार कोरोना के इलाज में जिंक का इस्तेमाल म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का कारण हो सकता है। इसके अलावा फंगल इंफेक्शन के पीछे का अहम कारण स्टेरॉयड को भी बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, जिंक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ इसके कारण भी इंफेक्शन बढ़ गए हैं। फंगस से ग्रहसित मरीज अब आईसीयू में भर्ती होने लगे है इसलिए इसे थोड़ा गंभीरता से लेना होगा।
स्टेरॉयड का सही इस्तेमाल, ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपकरण विशेषकर ट्यूब जीवाणु मुक्त होने चाहिए। इसके अलावा कोविड से ठीक होने वाले मरीजों के आस पास साफ सफाई रखी जाए, यही इसका बचाव है।(आईएएनएस)
कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने का बड़ा हथियार वैक्सीनेशन माना जा रहा है, इसके लिए जरूरी है कि आमजन में जागृति आए और वे वैक्सीन लगवाने को तैयार हों. ग्रामीण इलाकों में युवा टीके को लेकर अभियान चला रहे हैं.
भारत के ग्रामीण इलाकों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, इसे दूर करने के लिए धार जिले में यूथ फॉर चिल्ड्रन द्वारा गांव-गांव और खेत-खेत तक पहुंचकर अभियान चलाया जा रहा है. धार जिले का नालछा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और यहां के लोगों में कोरोना को लेकर डर है, वे वैक्सीनेशन के लिए आसानी से तैयार नहीं हो रहे हैं. यहां लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, वे यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कोरोना को वैक्सीन से कैसे रोका जा सकता है. आदिवासी वैक्सीनेशन के लिए तैयार हों, इसके लिए यहां के गांव तक यूथ फॉर चिल्ड्रन के वालंटियर पहुंच रहे हैं.
टीके को लेकर भ्रांतियां दूर करने की कोशिश
यूथ फॉर चिल्ड्रन के वालंटियर गांव-गांव जाकर लोगों का ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे हैं, लोगों को मास्क वितरण कर रहे हैं साथ ही लोगों को साबुन से हाथ धोने के फायदे गिना रहे हैं. वालंटियर्स लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसका असर भी दिख रहा है, लोग टीकाकरण सेंटर पर जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. गांव वालों को सलाह दी जा रही है कि बुखार आने पर या सर्दी खांसी होने पर घबराए नहीं, एएनएम या डॉक्टर से सलाह लें. उचित दवा सही समय पर लें. टीकाकरण के दोनों डोज बताए गए समय के मुताबिक लगवाएं और अपने खानपान के साथ अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें.
युवाओं की इस टीम की एक सदस्य गायत्री परमार ने बताया कि धार प्रशासन और यूनिसेफ की मदद से वे लोग इस काम को कर रहे हैं. सेवा भारती और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ यूथ फॉर चिल्ड्रन युवा वालंटियर भी लोगों के नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. डॉ. महेश यादव का कहना है कि लोग वैक्सीनेशन के लिए आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी का लक्ष्य कोरोना को मात देने का है और इसके लिए सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं. जनजागृति अभियान के चलते लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर आकर्षण भी बढ़ा है और यही कारण है कि टीकाकरण केंद्र तक पहुंचने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. (dw.com)
दिल्ली पुलिस के अफसर सोमवार को सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर के दफ्तरों पर पहुंचे. एक बयान में पुलिस ने बताया है कि उसके अफसर भारत में कंपनी के महाप्रबंधक को नोटिस जारी करने के लिए वहां गए थे.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के गुरुग्राम और दिल्ली स्थित दफ्तरों पर दस्तक दी. ट्विटर द्वारा भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' यानी ऐसी बात घोषित किया था जिसमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है. पात्रा और अन्य कई बीजेपी नेताओं ने कुछ दस्तावेजों को कांग्रेस पार्टी की ‘टूल किट' बताते हुए सोशल मीडिया पर साझा किया था और दावा किया था कि पार्टी मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रही है.
कांग्रेस ने इस बारे में ट्विटर से शिकायत की थी और दावा किया था कि ये दस्तावेज फर्जी हैं. इसके बाद ट्विटर ने इस पोस्ट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग कर दिया था. दिल्ली पुलिस को इस बारे में सोमवार को ट्विटर के खिलाफ एक शिकायत मिली जिस पर उसने फौरन जांच शुरू कर दी और ट्विटर के दफ्तरों में जाकर नोटिस थमा दिया. एक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा, "यह बहुत जरूरी था क्योंकि हम सुनिश्चित करना चाहते थे कि सही व्यक्ति कौन है जिसे नोटिस दिया जाए चूंकि ट्वटिर के जवाब ‘ट्विटर इंडिया एमडी' के हवाले से आ रहे थे जो अस्पष्ट थे.”
सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर का कहना है कि वह ऐसे वीडियो, ऑडियो और तस्वीरों समेत किसी भी पोस्ट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग करता है, जिनके साथ छेड़छाड़ की गई है और तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया हो. हालांकि मौजूदा मसले पर ट्विटर ने कोई टिप्पणी नहीं की है. बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा ने एक ट्वीट कर कहा कि ट्विटर को किसी ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड' बताने का अधिकार किसने दिया. उन्होंने लिखा, "ट्विटर के छल पर मेरी प्रतिक्रिया यह है कि वे शरजील उस्मानी के नफरती संदेशों पर तो कोर्रवाई करने से इनकार करते हैं और दक्षिणपंथ को रद्द करने का दुस्साहस करते हैं. ट्विटर को किसी ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड' टैग करने का हक किसने दिया? क्या ट्विटर दोषी नहीं है?”
ट्विटर से तनाव पुराना
ट्विटर और भारत सरकार के बीच तनाव नया नहीं है. बल्कि ऐसा कहा जा सकता है कि कई महीनों से यह तनाव धीरे धीरे बढ़ रहा है. एक से ज्यादा बार भारत सरकार ट्विटर से कई ट्वीट हटाने को कह चुकी है. पिछले महीने से भारत सरकार ने ट्विटर से ऐसे दर्जनों ट्वीट हटाने को कहा था जिनमें कथित तौर पर इसकी आलोचना की गई थी. हालांकि भारत सरकार का कहना था कि ये पोस्ट इसिलए हटवाई गईं क्योंकि ये कोरोना वायरस के बारे में गलत सूचनाएं फैला रही थीं.
फरवरी में भारत ने कुछ नियम न मानने की बात कहते हुए ट्विटर की आलोचना भी की थी. तब ट्विटर ने किसान आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों के अकाउंट अनब्लॉक कर दिए थे. इसके बाद भारत ने ट्विटर को जुर्माने और सात साल तक की जेल की चेतावनी दी थी. तब सरकार के कहने पर 250 से ज्यादा सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं, एक फिल्म स्टार, और खोजी पत्रिका कैरावन के ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिए थे. इनमें से ज्यादातर अकाउंट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक थे. हालांकि छह घंटे बाद ही अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए ये अकाउंट फिर से शुरू कर दिए गए थे जिसके बाद आईटी मंत्रालय ने कंपनी को नोटिस भेज कर अकाउंट फिर से ब्लॉक करने को कहा था. इस नोटिस में जेल और जुर्माने की चेतावनी भी दी गई थी.
भारत ने ट्विटर को जिन ट्वीट्स को हटाने का आदेश दिया था उनमें कई सांसदों और राजनीतिक दलों के नेताओं के ट्वीट भी थे. हार्वर्ड यूनिवर्सटी के एक प्रोजेक्ट लूमन पर यह जानकारी सामने आई थी. 23 अप्रैल को लूमन पर 23 ऐसे ट्वीट नजर आए थे जिन्हें भारत के लिए हटा दिया गया था. इनमें पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री मोलोय घटक, सांसद रेवनाथ रेड्डी और फिल्मकार अविनाश दास के ट्वीट भी शामिल थे. लूमन के मुताबिक इन ट्वीट्स को हटाने के आदेश का आधार सरकार ने सूचना प्रद्योगिकी कानून 2000 को बताया था.
कार्रवाई की आलोचना
सरकार की ट्विटर पर ताजा कार्रवाई को लेकर कई हल्कों में आलोचना हो रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार दुनियाभर में देश का नाम खराब कर रही है. उन्होंने लिखा, "सत्ता की खातिर चुनाव प्रचार और महामारी संभालने में आपराधिक लापरवाही के जरिए ब्रैंड इंडिया को दुनिया के सामने खराब करने के बाद सरकार अब ट्विटर इंडिया पर छापे मारकर अपना मुंह काला कर रही है. यह शर्मनाक है.”
उधर मणिपुर सरकार के सलाहकार रजत सेठी ने इसे भारत का बड़ी तकनीकी कंपनियों के सामने खड़ा होना बताया. सेठी ने लिखा, "आखिरकार भारत बड़ी तकनीकी कंपनियों के सामने खड़ा हुआ और उन्हें बताया कि बॉस कौन है.” (dw.com)
गंगटोक, 24 मई| सिक्किम में दो मठों के 99 बौद्ध भिक्षु कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। गंगटोक में अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी सिक्किम में प्रत्येक बौद्ध मठ की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और संक्रामक रोग से संक्रमित भिक्षुओं को सभी प्रकार की एहतियाती और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
अधिकारियों के अनुसार, गंगटोक से 30 किलोमीटर दूर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, रुमटेक मठ में धर्मचक्र केंद्र के 37 बौद्ध भिक्षुओं ने रविवार को आई जांच रिपोर्ट में जानलेवा वायरस से संक्रमित पाए गए।
उन्होंने कहा कि शनिवार को गंगटोक के गुंजांग मठ में 62 भिक्षु कोविड-19 से संक्रमित पाए गए। इस मठ को एक नियंत्रण क्षेत्र घोषित किया गया।
रुमटेक मठ और गुंजांग मठ, दोनों पर्वत श्रृंखलाओं के मनोहारी दृश्य सहित विभिन्न कारणों से पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं।
कोविड पॉजिटिव भिक्षुओं को आइसोलेशन सेंटर बनाने के लिए सरमसा गार्डन में स्थानांतरित कर दिया गया है। गंगटोक के अनुमंडल दंडाधिकारी रॉबिन सेवा ने कहा कि जो साधु कोविड पॉजिटिव प्रचारकों के संपर्क में आए हैं, उनका भी पता लगाया जा रहा है और उनका परीक्षण किया जा रहा है।
हिमालयी राज्य में जैसे ही कोविड के मामले बढ़ने लगे, सिक्किम सरकार ने चल रही तालाबंदी को और एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।
पहाड़ी राज्य में सोमवार को 3,317 सक्रिय मामलों का पता चला। अब तक 13,132 मामले दर्ज किए गए हैं।
राज्य में इस बीमारी से अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है, मृत्यु अनुपात 1.71 प्रतिशत है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 मई | सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सिविल और पुलिस सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, राजदूतों और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के एक मंच ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पश्चिम बंगाल में हालिया राजनीतिक हिंसा को लेकर एक पत्र लिखा है। बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसकी जांच की मांग करते हुए ज्ञापन या पत्र लिखा गया है।
इस ज्ञापन पर 146 सेवानिवृत्त व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें 17 न्यायाधीश, 63 नौकरशाह, 10 राजदूत और 56 सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।
पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राजनीतिक हिंसा से होने वाली नागरिक मौतें राज्य के कानून व व्यवस्था प्रवर्तन तंत्र की गंभीर चूक के परिणाम के रूप में समझा जाना चाहिए। राजनीतिक हिंसा लोकतांत्रिक मूल्यों का अभिशाप है। उन्होंने राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा को भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ों पर प्रहार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
ज्ञापन में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने की मांग की गई है, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और तुरंत न्याय मिल सके। यह भी कहा गया है कि चूंकि पश्चिम बंगाल एक सीमावर्ती राज्य है इसलिए मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि देश की संस्कृति और एकता पर देशविरोधी हमले की छानबीन हो सके।
ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। सबसे पहले उन सरकारी कर्मचारियों की पहचान की जानी चाहिए, जो कोई भी कार्रवाई करने में विफल रहे। इसके बाद राजनीतिक रूप से उकसाने वालों की पहचान की जानी चाहिए। साथ ही हिंसा के मद्देनजर सभी अपराधों के संबंध में मामले दर्ज किए जाने चाहिए और अंत में वास्तविक अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए उनके खिलाफ प्रभावी ढंग से कार्रवाई की जानी चाहिए।(आईएएनएस)
कोच्चि, 24 मई (आईएएनएस)| केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि लोगों को वैक्सीन मुफ्त में क्यों नहीं दिए जा रहे हैं। न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने यह टिप्पणी तब की जब उनके सहयोगी न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने 7 मई को टीकाकरण के संबंध में इस मुद्दे को स्वत: उठाया था।
कोर्ट ने बताया कि भले ही इस पर 34,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन केंद्र के पास भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश के रूप में 54,000 करोड़ रुपये हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फेडरल्जिम को देखने का वक्त नहीं है।
हालांकि, केंद्र के वकील ने बताया कि नीतिगत मुद्दा होने के कारण उन्हें कुछ और समय की जरूरत है। अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए मामले को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हाल ही में कहा था कि खुले बाजार से टीके खरीदने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। केरल में कराए गए वैक्सीनेशन के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 20 लाख से अधिक लोगों ने टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं, जबकि 63 लाख से अधिक लोगों ने टीके का सिर्फ पहला डोज ही लिया है।
सोमवार को केंद्र ने इससे संबंधित एक मुद्दे पर कहा कि इसने अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 21.80 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराकें (21,80,51,890) प्रदान की हैं। इनमें मुफ्त और राज्यों द्वारा प्रत्यक्ष खरीद दोनों ही शामिल हैं।
हैदराबाद, 24 मई | तेलंगाना के मंचेरियल जिले में चल रहे लॉकडाउन के बीच मोटरसाइकिल पर सवार एक युवक की उस समय मौत हो गई, जब बाइक पर सवार उसके दोस्त ने वन विभाग के चेकपोस्ट से बचने की कोशिश की। बाइक चला रहे युवक ने रफ्तार तेज कर दी और एक जगह पोल से बचने के लिए बाइक को मोड़ा तो पीछे बैठे युवक वेंकटेश गौड़ (30) का सिर एक गेट की लोहे की रॉड से टकरा गया। वह बाइक से गिर गया और उसकी तत्काल मौत हो गई।
बाइक चला रहा युवक बंदी चंद्रशेखर दोस्त के गिरने के बावजूद नहीं रुका और न ही मुड़कर पीछे देखा। यह घटना 22 मई की है लेकिन सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में सामने आई।
पुलिस के अनुसार, घटना जनाराम मंडल के गांव टपलपुर में मुख्य मार्ग पर वन विभाग की जांच चौकी पर हुई।
बाद में पुलिस ने चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया, जो काफी नशे में था। उस पर लापरवाही से बाइक चलाने के कारण उसके दोस्त की मौत होने का मामला दर्ज किया गया है।
मंचेरियल के सहायक पुलिस आयुक्त अखिल महाजन के मुताबिक, आरोपी ने 131 मिलीग्राम शराब पी रखी थी।
अधिकारी ने ट्वीट किया, "वन रक्षकों की कोई गलती नहीं है। अधिकांश लोगों का कहना है कि इस हादसे में पुलिस की कोई गलती नहीं है। संबंधित थाने में बाइक चलाने वाले के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।"
सीसीटीवी फुटेज में एक फॉरेस्ट गार्ड को चेकपोस्ट पर खड़ा देखा गया है। उसने बाइक को रोकने का इशारा किया। हालांकि, जाहिर तौर पर इस डर से कि लॉकडाउन मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए उसकी बाइक जब्त की जा सकती है, बाइक सवार नहीं रुका और तेज गति से चेकपोस्ट के पास पहुंचा।
जबकि बाइक चला रहा युवक पोल से टकराने से बचने के लिए हैंडिल को गेट की ओर मोड़ दिया। उसी वक्त पीछे बैठे युवक का सिर गेट की लोहे की रॉड से टकरा गया और वह गिर गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि गेट टूटकर गिर गया। हालांकि गार्ड को अंतिम समय में गेट को ऊपर उठाने की कोशिश करते देखा गया।
इस हादसे में जिले के लक्सेटिपेट मंडल के कोठा कोम्मुगुडेम निवासी वेंकटेश गौड़ के सिर में चोट लगने से मौके पर ही मौत हो गई।(आईएएनएस)
गाजियाबाद, 24 मई | देश में कोरोनावायरस की स्थिति अभी संभली नहीं है कि ब्लैक और व्हाइट फंगस के बाद अब येलो फंगस ने भी अपनी दस्तक दे दी है। गाजियाबाद में येलो फंगस के एक मरीज की पुष्टि की गई है। ईएनटी विशेषज्ञ बी.पी. त्यागी ने दावा किया है कि उनके अस्पताल में येलो फंगस का एक मरीज है, जिसका इलाज चल रहा है।
गाजियाबाद के हर्ष हॉस्पिटल में इस वक्त संजय नगर निवासी 45 वर्षीय एक मरीज एडमिट हैं, जो ब्लैक और व्हाइट फंगस के साथ ही साथ येलो फंगस से भी ग्रस्त है।
प्रोफेसर त्यागी ने कहा, "मेरे पास एक मरीज आया, जो शुरूआती जांच के बाद भले ही नॉर्मल लगा, लेकिन दूसरी बार टेस्ट किए जाने के बाद पता चला कि मरीज ब्लैक, व्हाइट के साथ-साथ येलो फंगस भी ग्रस्त है।"
डॉक्टर ने बताया, "यह फंगस रेप्टाइल्स में पाया जाता है। मैंने यह बीमारी पहली बार इंसानों में देखा है। इस बीमारी के इलाज में एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। इसे ठीक होने में लंबा वक्त लगता है। मरीज की स्थिति अब काफी अच्छी तो नहीं बताई जा सकती है, लेकिन उनका इलाज जारी है।"
त्यागी के मुताबिक, '' जहां तक बात बीमारी के लक्षणों की है, तो भूख कम लगती है, शरीर में सुस्ती बनी रहती है, वजन घटने लगता है। शरीर में लगे घाव भी धीरे-धीरे ठीक होते हैं। ''
इस बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि गंदगी से संक्रमण का प्रसार होता है। आप अपने आस-पास जितनी सफाई रखेंगे उतना ही आप इस बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
मरीज के बेटे अभिषेक ने कहा, '' मेरे पिता का कोरोना का इलाज चल रहा था और वह अच्छे से ठीक भी हो रहे थे। पिछले दो-तीन दिनों में उनकी आंखों में सूजन आने लगी थी और अचानक से वे पूरी तरह से बंद हो गए थे, नाक से खून बह रहा था और पेशाब का रिसाव होने लगा था।'' (आईएएनएस)
मुंबई, 24 मई | जी द्वारा दायर एक मुकदमे के आधार पर, दिल्ली हाईकोर्ट ने सलमान खान की फिल्म राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई को गैरकानूनी तरीके से सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित करने पर रोक लगा दी है।
दरअसल फिल्म को ब्रॉडकास्टर जी ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए आरोप लगाया था कि फिल्म की कई पायरेटेड (गैरकानूनी तरीके से सामग्री की चोरी) कॉपी और विभिन्न वीडियो क्लिप अनधिकृत रूप से देखने, डाउनलोड और स्टोरेज करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों के बीच सर्कुलेट की जा रही है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म को गैरकानूनी तरीके से सर्कुलेट करने पर रोक लगाई है।
हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप को उन नंबरों की सेवाओं को निलंबित करने का निर्देश दिया है, जिनका उपयोग फिल्म की पायरेटेड प्रतियां बेचने के लिए किया जा रहा है।
अदालत ने देश के प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों - एयरटेल, जियो और वोडाफोन को भी अपराधियों के ग्राहकों के विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया है, ताकि उनके खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सके।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वादी ने फिल्म राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई में लाइसेंस और अन्य अधिकारों के उल्लंघन के लिए स्थायी निषेधाज्ञा, अकाउंट्स की प्रस्तुति और नुकसान के लिए तत्काल मुकदमा दायर किया है।
दिल्ली हाईकोर्टने सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि अनधिकृत रूप से स्टोरेज, पुनरुत्पादन, संचार, प्रसार, सकुर्लेट करना, कॉपी करना, बेचना या बेचने की पेशकश करना, व्हाट्सएप या किसी अन्य तरीके से फिल्म की उपलब्ध कॉपी या इसके किसी हिस्से को उपलब्ध कराना जी के कॉपीराइट का उल्लंघन हो सकता है।
बता दें कि जी ने सलमान खान फिल्म के प्रसारण अधिकार खरीदे हुए हैं। फिल्म 13 मई को दुनियाभर के विभिन्न जगहों पर सिनेमाघरों, ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई थी।(आईएएनएस)
झांसी, 24 मई | एक शख्स ने आत्महत्या करने से पहले कथित तौर पर अपने दोनों को मौत के घाट उतार दिया है। पुलिस ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। यह घटना जिले के मौरानीपुर इलाके की है, जिसमें पीड़ितों की पहचान रईस यादव और उनके बेटे हर्ष 12 व अंश 8 के रूप में हुई है।
सर्कल अधिकारी अनुज कुमार सिंह ने कहा कि एक मंदिर के समीप स्थित कुएं से इन शवों की बरामदगी हुई है और मौके से एक शेविंग ब्लेड और ईंट को भी बरामद किया गया है, जिन पर खून के धब्बे लगे हैं।
जहां बच्चों के सिर पर चोट के निशान मिले, वहीं यादव के सिर व गर्दन पर भी चोट के निशान पाए गए हैं।
शुरूआती जांच के मुताबिक, यादव एक शराबी था। उसकी पत्नी को उसकी इसी आदत से परेशानी थी, जिससे दोनों के बीच अनबन होती रहती थी।
बाद में कथित तौर पर वह अपने बच्चों को लेकर शॉपिंग पर गया और उनकी हत्या करने का फैसला कर लिया। इन सभी तीन शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 मई | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुझाव दिया कि कोविड-19 से संक्रमित होकर मरे लोगों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में एक समान नीति अपनाई जानी चाहिए और इसके लिए कुछ दिशानिर्देश भी होने चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि कई बार मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण दिल का दौरा या फेफड़े का विफल हो जाना लिखा हो सकता है, लेकिन ऐसा कोविड-19 के कारण हुआ, यह लिखा जा सकता है।
पीठ ने सरकार के वकील से पूछा, "तो, मृत्यु प्रमाणपत्र कैसे जारी किए जा रहे हैं?"
शीर्ष अदालत के अधिवक्ता रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) की धारा 12 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि किसी अधिसूचित आपदा के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि (मुआवजा) देने का प्रावधान है।
कंसल की याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 से मरे लोगोंके मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण कोविड-19 लिखा जाना चाहिए, न कि वायरल संक्रमण से जुड़ी जटिलताओं का उल्लेख किया जाना चाहिए।
बंसल की याचिका में कोविड-19 से मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है।
शीर्ष अदालत ने दोनों याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति शाह ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा : "क्या मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई समान नीति है?"
पीठ ने कहा कि अगर डीएमए की धारा 12 के तहत लाभ दिया जाना है तो एक समान दिशानिर्देश होने चाहिए।
अदालत ने केंद्र और आईसीएमआर को अधिनियम के संबंध में नीति बताने के लिए कहा, और यह भी पूछा कि इस नीति का कार्यान्वयन, मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये के भुगतान के लिए, कोविड-19 को अधिनियम के तहत महामारी घोषित किए जाने के बाद किस तरह काम करेगा।
केंद्र के वकील ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए जब तीन सप्ताह का समय मांगा, तब शीर्ष अदालत ने उन्हें 10 दिनों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा।
बंसल की याचिका में कहा गया है : "यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 के अनुसार, आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का मौलिक कर्तव्य है। धारा 12 (3) आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अनुसार, एनडीएमए आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को हुए नुकसान के लिए अनुग्रह सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य है।"
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 (3) का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि एनडीएमए ने 8 अप्रैल, 2015 को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से सहायता के आइटम और मानदंड जारी किए।
हालांकि, यह अधिसूचना 2015-20 की अवधि के लिए लागू थी। 14 मार्च, 2020 को केंद्र ने एक अधिसूचना के माध्यम से कोविड-19 को डीएमए के तहत एक अधिसूचित आपदा घोषित किया था।
बंसल की याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या 01 (केंद्र) के अनुसार, प्रति मृतक को 4 लाख रुपये अनुग्रह राशि के रूप में भुगतान करने का निर्णय लिया गया है।
याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्र और राज्य सरकारों को कोविड-19 पीड़ितों को सामाजिक सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने के निर्देश जारी करने का आग्रह भी किया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 मई | आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से वैक्सीन की खरीद में कथित देरी के लिए जमकर आलोचना की। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को एक डिजिटल ब्रीफिंग के दौरान कहा कि कोविड के टीके बनाने वाली अमेरिकी दवा कंपनियों - फाइजर और मॉडर्ना ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रत्यक्ष रूप से यानी सीधे तौर पर दिल्ली को वैक्सीन नहीं बेचेंगे।
सिसोदिया, जो दिल्ली में कोविड प्रबंधन के नोडल मंत्री भी हैं, उन्होंने कहा, हमने टीकों के लिए फाइजर और मॉडर्ना से बात की है और दोनों ही प्रोड्यूसर्स ने हमें सीधे तौर पर टीके बेचने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वे केंद्र सरकार के साथ ही डील करेंगे। हम केंद्र से टीके आयात करने और राज्यों को वितरित करने की अपील करते हैं।
यह घटनाक्रम एक दिन बाद आया है, जब पंजाब ने कहा था कि मॉडर्ना ने सीधे तौर पर राज्य को टीके बेचने से इनकार कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, सीधी खरीद की तलाश में अमरिंदर सिंह सरकार ने ऐसे सभी प्रोड्यूरसर्स तक पहुंच सुनिश्चित की थी।
मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली में 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए सभी 400 टीकाकरण केंद्र वैक्सीन की कमी के कारण बंद हो गए हैं। वहीं, 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए कोवैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से कई सेंटरों को बंद करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन सबसे कारगर और अंतिम हथियार है। सारी दुनिया में वैक्सीन को लेकर पॉजिटिव माहौल है और बहुत सिद्दत से वहां की सरकारें वैक्सीन बनवाने, खरीदने में जुटी हुई है। दिल्ली सरकार ने भी अपने सभी नागरिकों को वैक्सीन लगवाने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी शुरू की थी। इसके लिए दिल्ली में 400 सेंटर युवाओं के लिए बनाए गए और 650 सेंटर 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए बनाए गए।
सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार की बदइंतजामी ही वजह से युवाओं के सारे सेंटर बंद हो गए। कोवैक्सीन वाले 45 साल से ऊपर के लोगों के सेंटर भी बंद हुए। वैक्सीन की उपलब्धता के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है। आज देश जो कोरोना की मार झेल रहा है तो इसकी जिम्मेदार केंद्र सरकार है। केंद्र ने वैक्सीन की उपलब्धता पर कभी भी काम नहीं किया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को वैक्सीन के लिए वैश्विक टेंडर निकालने को कहा। हमारी सरकार ने जब जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना और फाइजर से बात की तो मॉडर्ना और फाइजर ने कहा कि वह केवल केंद्र सरकार से बात करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी दुनिया ने इन कंपनियों को अपने यहां मंजूरी दे दी है और भारत सरकार ने इन कंपनियों को अपने यहां मंजूरी नहीं दी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, टीकाकरण ही एकमात्र विकल्प है जो लोगों को कोविड-19 के प्रसार से बचा सकता है और मैं केंद्र से टीके की खरीद में देरी नहीं करने का आग्रह करना चाहता हूं।(आईएएनएस)
मनोज पाठक
रांची, 24 मई| झारखंड में जब कोरोना संक्रमितों के लिए अस्पतालों में बेडों की कमी और उसके बाद जब लोगों की परेशानी बढ़ी तब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने इसके लिए तकनीक का सहारा लिया और पोर्टल और एप बनाकर लोगों की मदद प्रारंभ की। अब यह पोर्टल संक्रमितों और उनके परिजनों के लिए मददगार बन गया है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सात मई को अमृत वाहिनी वेब पोर्टल और एप लांच किया था। इस पोर्टल और एप से कोविड के मरीजों को राज्य के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की जानकारी और बुकिंग कराने की सुविधा दी गई है। ऐसे में सरकार की इस नई पहल से मरीजों एवं उनके परिजनों को काफी राहत मिली है।
अमृत वाहिनी पोर्टल पर अभी तक कुल 80,858 लोगों ने विजिट किया है। इसके जरिये 585 मरीजों ने अस्पतालों में बेड की बुकिंग कराई है।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने बताया कि चैट बॉक्स पर लोग चैट के जरिए भी जरूरी जानकारियां हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीज कोविड से संबंधित चिकित्सीय परामर्श, प्लाज्मा दान, आहार चार्ट से संबंधित जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने बताया, '' राज्य में रोजाना आने वाले संक्रमितों की संख्या में धीरे-धीरे कमी आ रही है। कोविड की वजह से होने वाली मौतों की संख्या भी घटी है। अस्पतालों के चक्कर काटने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। मरीजों को घर बैठे ही समुचित जानकारी मिल रही है। जिन्हें बेड चाहिए वे घर बैठे ही बुकिंग करा पा रहे हैं। ऑक्सीजन की उपलब्धता सहित अन्य जानकारियां भी मिल रही है।''
अमृतवाहिनी एवं चैटबोट का अभी तक 50 हजार से अधिक लोगों ने फायदा उठाते हुए आवश्यक जानकारियां हासिल की हैं।
उन्होंने बताया, '' इस वेब पोर्टल और मोबाइल एप्प तथा चैटबोट के माध्यम से अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर युक्त आईसीयू की उपलब्धता और उसकी ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है। इसके अलावा, व्हाट्सएप्प चैटबोट के माध्यम से चिकित्सीय परामर्श के साथ कोविड से संबंधित सभी जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध कराई जा रही है।''
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि इस वेबसाइट और एप पर राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड सामान्य बेड, ऑक्सीजन युक्त बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेडों के उपलब्धता की रियल टाइम जानकारी मिल रही है।
संक्रमित आइसोलेशन में हैं वे भी इसके जरिए कोरोना मेडिकल किट प्राप्त कर रहे हैं तथा व्हाट्सएप चैटबोट पर ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श ले रहे हैं। (आईएएनएस)
पटना, 24 मई| राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) 9 वीं बटालियन की 5 टीमें संभावित चक्रवाती तूफान यास से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गई। कमांडेंट विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को बताया कि रविवार को हरविंदर सिंह, द्वितीय कमानअधिकारी, 9 वीं बटालियन, एनडीआरएफ के नेतृत्व में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट से एयरफोर्स के स्पेशल विमान से पश्चिम बंगाल राज्य के विभिन्न जिलों के लिए रवाना हुई। सभी 5 टीमें अत्याधुनिक आपदा प्रबंधन तथा संचार उपकरणों से लैस है।
सिन्हा ने बताया कि एनडीआरएफ बल मुख्यालय नई दिल्ली के आदेशानुसार इन टीमों को पश्चिम बंगाल के कोलकाता, उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना जिलों में तैनात किया जाएगा। इन टीमों में कुल 145 बचावकर्मी शामिल है जो चक्रवाती तूफान यास के दौरान हर चुनौती का सामना करने को तैयार है। ये टीम आपदा के इस घड़ी में स्थानीय लोगों को हरसंभव मदद करेगी।
सिन्हा ने बताया कि चक्रवाती तूफान यास को लेकर पहले से ही आंध्र प्रदेश, ओडीशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर बंगाल और ओडिशा पर पड़ने की संभावना है।
ऑपेरशन के दौरान एनडीआरएफ के कार्मिक कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं और इस संक्रमण से बचाव के सभी दिशा-निदेशरें का पालन कर रहे हैं। (आईएएनएस)
अयोध्या, 24 मई | अयोध्या में पुलिस ने कुचेरा के जंगलों में एक संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। मुठभेड़ के दौरान आरोपी पवन ने गोली चला दी जिससे एक कांस्टेबल घायल हो गया, लेकिन बाद में वह झाड़ी में गिर गया और जवाबी गोलीबारी में उसके पैर में तीन बार गोली लगने से वह काबू में आ पाया।
पवन और उसके तीन साथियों ने रविवार तड़के इनायतपुर थाना क्षेत्र के होरीलाल के घर पर धावा बोल दिया था और धारदार हथियार से उनका रेत दिया था।
पीड़ितों में होरीलाल और उनकी पत्नी के अलावा तीन बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 10 साल से कम है।
पुलिस के अनुसार हमलावर परिवार के परिचित थे।
अयोध्या एसएसपी शैलेश पांडे ने कहा "हमने हत्या के एक घंटे के अंदर आरोपियों को पकड़ने के लिए कई टीमों का गठन किया, जिन्हें पवन के नेतृत्व में चार लोगों ने अंजाम दिया। जबकि तीन को अपराध के कुछ घंटों में ही पकड़ लिया गया था, हमने मास्टरमाइंड के ऊपर 25000 रुपये का इनाम घोषित किया, जो आखिरकार 30 मिनट की मुठभेड़ के बाद कुचेरा वन क्षेत्र में पकड़ा गया।" (आईएएनएस)
अलीगढ़, 23 मई| देश का उत्तर प्रदेश राज्य कोविड-19 महामारी के साथ-साथ ब्लैक फंगस के मामलों से भी उबरने की कोशिश में भी लगा हुआ है, ऐसे में टिड्डियों के हमले की संभावना भी बड़ी मुसीबत बनकर उभरी है। अलीगढ़ जिला प्रशासन ने टिड्डी दल के संभावित हमले को लेकर अब अलर्ट जारी कर दिया है। राजस्थान के जैसलमेर शहर में टिड्डियों के झुंड को देखे जाने के बाद अधिकारियों ने एडवाइजरी जारी की है।
राज्य में कृषि विभाग भी इसे लेकर अपनी तैयारियों में जुट गई है। किसानों को भी चेतावनी दे दी गई है। ये रेगिस्तानी टिड्डे झुंड बनाकर चलते हैं और हर दिन अपने वजन तक के फसलों को खा जाते हैं।
जब लाखों की संख्या में ये खेतों पर हमला बोलते हैं, तो वे सबकुछ बर्बाद कर देते हैं। रेगिस्तानी टिड्डे को दुनिया में सबसे विनाशकारी प्रवासी कीट माना जाता है। इसमें एक वर्ग किलोमीटर में फैले एक झुंड में आठ करोड़ तक टिड्डियां हो सकती हैं।
पिछले साल जब पाकिस्तान से आए टिड्डियों के झुंड ने भारत पर हमला बोला था, तब उत्तर प्रदेश में लगभग 17 जिलों को अलर्ट पर रखा गया था।
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह के अनुसार, "संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी एडवाइजरी के आधार पर राजस्थान ने संभावित टिड्डियों के हमले के लिए अलर्ट जारी किया है और अधिकारियों को इसे खदेड़ने की रणनीति पर योजना बनाने का निर्देश दिया गया है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 मई| केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि 23 से 30 मई की अवधि के लिए सभी राज्यों को रेमडेसिविर की अतिरिक्त 22.17 लाख शीशियां आवंटित की गई हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पहले 23 मई तक सभी राज्यों को रेमडेसिविर की 76.70 लाख शीशियां उपलब्ध कराई गई थीं। इस प्रकार अब तक देशभर में कुल 98.87 लाख वॉयल देशभर में आवंटित की जा चुकी हैं। (आईएएनएस)
नवनीत सिंह
नई दिल्ली, 23 मई | ओलंपिक में दो बार पदक जीत चुके पहलवान सुशील कुमार की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां वह हत्या के एक मामले में आरोपी होने के नाते पुलिस हिरासत में हैं वहीं दिल्ली सरकार ने उनका डेप्यूटेशन बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है।
दिल्ली सरकार ने उनका आवेदन खारिज कर उत्तर रेलवे विभाग को भेज दिया है जहां वह कार्यरत हैं। सुशील दिल्ली सरकार में 2015 से प्रतिनियुक्ति पर थे और उनका कार्यकाल 2020 तक बढ़ा दिया गया था लेकिन वह इसे 2021 में भी बढ़वाना चाहते थे।
उत्तर रेलवे के एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, "पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने सुशील की फाइल भेजी थी जिसमें कहा था कि उन्होंने सुशील के प्रतिनियुक्ति बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है।"
सूत्र ने कहा, "राज्य सरकार ने सुशील के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी भी अटैच की है जिसमें उनका नाम चार मई को छत्रसाल स्टेडियम में 23 वर्षीय पहलवान की मौत के मामले जुड़ा है। चूंकि सुशील को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है इसके कारण वह उत्तर रेलवे की अपनी नौकरी गंवा सकते हैं।"
उत्तर रेलवे में सीनियर वाणिज्यिक मैनेजर के तौर पर कार्यरत सुशील को दिल्ली सरकार ने छत्रसाल स्टेडियम में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) के तौर पर तैनात किया था।
दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा, "सुशील ने पिछले महीने एक बार फिर एक साल के लिए प्रतिनियुक्ति बढ़ाने की मांग की थी लेकिन इस बारे अनुमोदन लंबित पड़ा है।"
उत्तर रेलवे के अधिकारी ने कहा, "यह विकट स्थिति है क्योंकि वह दफ्तर में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं है। दिल्ली सरकार की ओर से सिर्फ उनकी फाइल हमारे पास है। उसमें लिखा है कि सुशील अब उनके साथ नहीं है। चंकि वह दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं तो हमें नियमों को देखकर भविष्य के बारे में फैसला लेना होगा।"
सुशील को पहलवान की हत्या के मामले में जालंधर से गिरफ्तार किया गया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस बात से इंकार किया था और कहा कि सुशील को दिल्ली के बाहरी इलाके से ही गिरफ्तार किया गया है।(आईएएनएस)