ताजा खबर
मथुरा (उत्तर प्रदेश), 13 सितम्बर (आईएएनएस)| राजस्थान पुलिस के 82 वर्षीय पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) कान सिंह भाटी की मौत हो गई है। उन्हें भरतपुर के शाही वंशज राजा मान सिंह के '35 साल पहले किए गए एनकाउंटर' के लिए हाल ही में 10 अन्य पुलिसकर्मियों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। भाटी की मौत जयपुर के एक अस्पताल में हुई। मथुरा जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक शैलेंद्र मैत्रेय ने संवाददाताओं से कहा कि कान सिंह भाटी को पेट से जुड़ी समस्या होने के बाद 8 सितंबर को मथुरा के जिला अस्पताल में रेफर किया गया था। फिर उन्हें आगरा के एस.एन.मेडिकल कॉलेज भेजा गया। इसके बाद भी जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में भेजा गया। वहां शनिवार तड़के उनकी मौत हो गई।
मैत्रेय ने बताया कि जिला अस्पताल भेजे जाने से पहले उनका कोविड परीक्षण किया गया था और वह निगेटिव आया था। जयपुर में पोस्टमार्टम होने के बाद उनका शव परिजनों को दे दिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि एसएमएस अस्पताल में हुई एमआरआई में उनके शरीर में खून के थक्के पाए गए थे।
भाटी को मथुरा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी द्वारा 22 जुलाई को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद मथुरा की जिला जेल में रखा गया था।
इस मामले में न्यायाधीश ने तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी और एसएचओ वीरेंद्र सिंह को आईपीसी की धारा 302 और 148 के तहत दोषी माना था। वहीं तीन अन्य पुलिसकर्मी हरि किशन, कान सिंह सिरवी और गोविंद राम पर आईपीसी की धारा 218 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बता दें कि राजा मान सिंह को 1985 में तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री शिव चरण माथुर के हेलीकॉप्टर को अपनी जीप से दुर्घटनाग्रस्त करने के एक दिन बाद मुठभेड़ में मार दिया गया था।
माथुर भरतपुर में सेवानिवृत्त नौकरशाह विजेंद्र सिंह के प्रचार के लिए गए थे। सिंह को कांग्रेस पार्टी ने 7 बार के निर्दलीय विधायक मान सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था।
राजा मान सिंह इस बात से नाराज थे कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ बैठक से पहले कांग्रेस कार्यकतार्ओं ने उनके पोस्टर फाड़ दिए थे।
मैनपुरी (यूपी), 13 सितंबर (आईएएनएस)| मैनपुरी के नगला कोंडर गांव में 15 साल के लड़के की उसके चचेरे भाई ने कुल्हाड़ी से हमला कर बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के पीछे की वजह सिर्फ इतनी है कि नाबालिग ने आरोपी के पंप का उपयोग कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है।
खबरों के मुताबिक, 11 वीं कक्षा का छात्र रॉबिन यादव अपने खेत पर जुताई करने गया था, तभी उसके चचेरे भाई राहुल यादव (26) ने उस पर हमला कर दिया।
पुलिस ने बताया कि उन दोनों के परिवारों के बीच सिंचाई के लिए पंप सेट के उपयोग को लेकर विवाद था। हालांकि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि उस पंप का मालिक उन दोनों में से किसका परिवार है।
दिलचस्प बात यह है कि विवाद के बावजूद दोनों के परिवार एक ही घर में एक साथ रह रहे थे। वहीं मृतक के पिता विनोद यादव की पहले मौत हो चुकी है।
मृतक के परिवार के सदस्यों ने दन्नाहार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी राहुल यादव समेत 3 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
मैनपुरी के एसपी अजय कुमार ने कहा कि उनके बीच दो दिन पहले भी झड़प हुई थी। पुलिस भी मौके पर पहुंची थी और उनके परिवार के सदस्यों के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ भी गया था।
शनिवार को रॉबिन जब खेत पर जुताई करने जा रहा था तो उस पर पीछे से हमला किया गया। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
वाशिंगटन, 13 सितंबर (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 2.86 करोड़ हो गई है, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 918,000 हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों से रविवार को मिली। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि रविवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 28,650,588 हो गई है, वहीं इससे हुई मृत्यु की संख्या 918,796 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका कोविड-19 के 6,482,503 मामलों के साथ दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश है, वहीं यहां 193,670 मौतें दर्ज की गई हैं।
वहीं भारत 4,659,984 मामलों के साथ वर्तमान में दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में मरने वालों की संख्या 77,472 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से ब्राजील (4,315,687) तीसरे स्थान पर है, और उसके बाद रूस (1,053,663), पेरू (716,670), कोलम्बिया (702,088), मेक्सिको (663,973), दक्षिण अफ्रीका (648,214), स्पेन (566,326), अर्जेंटीना (546,481), चिली (432,666), फ्रांस (402,811), ईरान (399,940), ब्रिटेन (367,592), बांग्लादेश (336,044), सऊदी अरब (325,050), पाकिस्तान (300,955), तुर्की (289,635), इराक (286,778), इटली (286,297), जर्मनी (260,817), फिलीपींस (257,863), इंडोनेशिया (214,746), यूक्रेन (155,558), इजरायल (152,722), कनाडा (138,163), बोलिविया (125,172), कतर (121,523), इक्वाडोर (116,451), कजाकिस्तान (106,729), डोमिनिकन गणराज्य (103,092), रोमानिया (102,386), पनामा (101,041) और मिस्र (100,856) हैं।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश ब्राजील (131,210), मेक्सिको (70,604), ब्रिटेन (41,712), इटली (35,603), फ्रांस (30,902), पेरू (30,470), स्पेन (29,747), ईरान (23,029), कोलंबिया (22,734), रूस (18,426), दक्षिण अफ्रीका (15,427), चिली (11,895), अर्जेंटीना (11,263) और इक्वाडोर (10,864) है।
सुनें : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकवाणी, विषय - 'समावेशी विकास, आपकी आस,' इस लिंक पर क्लिक करें -
#लोकवाणी
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) September 13, 2020
समावेशी विकास, आपकी आस pic.twitter.com/RQR1bE5Rai
दिल्ली पुलिस ने शनिवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को ख़ारिज किया है, जिनमें बताया गया था कि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, डीयू के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और डॉक्युमेंट्री फ़िल्ममेकर राहुल रॉय के नाम दिल्ली दंगों की पूरक चार्जशीट में सह-साज़िशकर्ता के तौर पर हैं.
हालांकि शनिवार शाम समाचार एजेंसी पीटीआई के एक ट्वीट को लेकर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया आने लगी थी, जिसमें बताया गया था कि इनके नाम सह-साज़िशकर्ता के तौर पर पूरक आरोपपत्र में हैं.
क़रीब दो घंटे बाद पीटीआई ने एक और ट्वीट किया, जिसमें दिल्ली पुलिस का हवाला देते हुए बताया कि इन सबका नाम एक अभियुक्त के बयान में लिया गया है और इस बयान के आधार पर किसी के ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता. यानी आरोपपत्र में इनका नाम किसी अभियुक्त के तौर पर नहीं है.
Delhi riots chargesheet: Police say, "Names are part of disclosure statement of one of accused in connection with organising and addressing Anti-CAA protests. Disclosure statement truthfully recorded. A person is not arraigned as accused only on basis of disclosure statement."
— Press Trust of India (@PTI_News) September 12, 2020
योगेंद्र यादव ने भी किया था खंडन
पीटीआई के पहले ट्वीट के बाद सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने चार्जशीट में सह-साज़िशकर्ता के तौर पर नामज़द होने का खंडन किया था.
उन्होंने पीटीआई के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा था, "यह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और उम्मीद है कि पीटीआई इसे वापस ले लेगा. पूरक चार्जशीट में मुझे सह-षड्यंत्रकारी या अभियुक्त के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है. पुलिस की अपुष्ट बयान में एक अभियुक्त के बयान के आधार पर मेरे और येचुरी के बारे में उल्लेख किया गया है जो अदालत में स्वीकार्य नहीं होगा."
This is factually incorrect report, hope @PTI_News withdraws it.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) September 12, 2020
Supplementary chargesheet does NOT mention me as co-conspirator, or even as accused. One passing reference to me and Yechury, in an unauthenticated police statement (not admissible in court) by one accused. https://t.co/QurXmQdOr2
बीबीसी से योगेंद्र यादव ने कहा, "मेरा नाम डिस्क्लोज़र बयान में है जिसमें बयान देने वाले का हस्ताक्षर भी नहीं है. सबसे पहले जो भी मैंने रैलियों में कहा है उसका वीडियो मेरे फ़ेसबुक पर उपलब्ध है. पुलिस मेरे बयान को क्यों नहीं लिख देती कि मैंने क्या कहा था. मैंने जो कहा वो गांधी और संविधान की बात ही की. रही बात सीलमपुर की तो जब हमें ये जानकारी मिली थी कि वहां ये सब कुछ हो रहा है तो हम लोग वहां गए थे और हमने लोगों को समझाया था कि वे रास्ता खाली कर दें. यहां तक कि मैंने मंच से लाउडस्पीकर पर भी ये बोला था कि रास्ता खाली करें, जो रहा है वो सही नहीं है. अपूर्वानंद ने भी यही कहा था कि लोगों को रास्ता खाली कर देना चाहिए."
योगेंद्र यादव कहते हैं, "देखिए पुलिस बहुत कोशिश कर रही हैं लेकिन उसे कुछ मिल नहीं रहा है तो वो बस नामज़द ही करके रह जा रही है. गृहमंत्री जी ने तो पहले ही साज़िश की बात कह दी थी जब ये जांच शुरू हुई उससे पहले अब पुलिस उनके कहे को पूरा करने में लगी है."
पीटीआई के ट्वीट पर सीताराम येचुरी ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखा था - ज़हरीले भाषणों का वीडियो है, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेत्रत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं, और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं। https://t.co/8wrbN0URUO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 12, 2020
इसके साथ ही उन्होंने कई और ट्वीट भी किए और सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने लिखा "हमारा संविधान हमें न सिर्फ़ सीएए जैसे हर प्रकार के भेदभाव वाले क़ानून के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार देता है बल्कि यह हमारी ज़िम्मेदारी भी है. हम विपक्ष का काम जारी रखेंगे. बीजेपी अपनी हरकतों से बाज़ आए."
उन्होंने लिखा,"दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है. उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र को दर्शाती हैं. वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं."
दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेत्रत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं, और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं। https://t.co/8wrbN0URUO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 12, 2020
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने अपनी प्रतिक्रिया में बीबीसी से कहा, "ये काफ़ी तकलीफ़ की बात है कि दिल्ली पुलिस के संसाधनों का इस्तेमाल एक विचारात्मक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है."
उन्होंने कहा, "दिल्ली पुलिस से ये उम्मीद थी कि वो फ़रवरी की हिंसा के पीछे की साज़िश की जांच करेगी और उसके सच का पता लगाएगी. ऐसा न करके उसने अपनी पूरी ताक़त सीएए के ख़िलाफ़ किए गए आंदोलन को बदनाम करने और उसका अपराधीकरण करने और उसमें शामिल और उसका समर्थन कर रहे लोगों का अपराधीकरण करने में लगा दिया है.''
दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये अवैध और ग़ैर-क़ानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेत्रत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं, और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं। https://t.co/8wrbN0URUO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 12, 2020
''सरकार की किसी भी क़दम की चाहे वो क़ानून ही क्यों न हो, आलोचना करने और उसका विरोध करके उसे बदलवाने की कोशिश करने का संवैधानिक अधिकार नागरिकों के पास है और उसे किसी भी तरह देश विरोधी नहीं कहा जा सकता. हम अभी भी उम्मीद करेंगे कि दिल्ली पुलिस फ़रवरी की हिंसा के पीछे की असली साज़िश का पता करे जिससे मारे गए लोगों और जिनका नुकसान हुआ उन्हें और पूरी दिल्ली को इंसाफ़ मिल सके."
वहीं सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा, "यह दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस की दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को साबित करता है. सीताराम येचुरी, योगेन्द्र यादव, जयति घोष और प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद पर दंगे भड़काने का आरोप लगाना हास्यास्पद के अलावा और कुछ नहीं है. उनके भाषण के वीडियो उपलब्ध हैं. कपिल मिश्रा और उनके सहयोगियों को छोड़ दिया गया है."
This proves the malafide nature of Delhi police inv into the Delhi riots. Nothing could be more absurd than to accuse Sitaram Yechury, Yogendra Yadav, Jayati Ghosh&Prof Apoorvanand for instigating riots. Their speeches are available on video.This while Kapil Mishra&Co are let off https://t.co/DizUgGhPBc
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 12, 2020
वहीं ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की नेता और लोक सभा सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर लिखा, "दिल्ली दंगों की चार्जशीट में कपिल मिश्रा पर चुप्पी है लेकिन इसमें येचुरी और योगेंद्र यादव का नाम शामिल किया गया है. अब मुझे पक्का विश्वास है कि बीजेपी सरकार इतिहास की किताबों को फिर से लिखेगी जिसमें नेहरू को गुजरात दंगे भड़काने वाला मुख्य व्यक्ति बताया जाएगा."(bbc)
नयी दिल्ली 13 सितंबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामलोें में लगातार हो रही वृद्धि से शनिवार देर रात तक इस महामारी के सक्रिय मामले 14 हजार से अधिक बढ़कर 9.72 लाख के पार पहुंच गये हैं।
देश में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 9,72,444 हो गये हैं और इनमें से 75 फीसदी से अधिक मामले नौ सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से हैं। कुल सक्रिय मामलों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का योगदान 50 फीसदी है।
महाराष्ट्र इस सूची में 2,79,768 मामलों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद कर्नाटक में 97,815 मामले और आंध्र प्रदेश में 95,733 सक्रिय मामले हैं।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार देर रात तक संक्रमण के 77,817 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 47,35,196 हो गयी है। इस दौरान कोरोना मुक्त लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है और 62,238 मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त लोगों की संख्या 36,83,676 हो गयी है। इसी अवधि में 919 मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 78,422 हो गयी है।
विश्व में कोरोना की स्थिति की बात करें तो अमेरिका में इस वायरस के संक्रमितों की सबसे अधिक संख्या 64.46 लाख के पार पहुंच गयी है और अब तक 1.93 लाख से अधिक लोगों की इससे जान जा चुकी है। इसके बाद भारत का स्थान है।
अब तीसरे नंबर पर स्थित ब्राजील में अब तक 42.82 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं जबकि 1.30 लाख से अधिक के लोगों की मौत हो गयी है। मौत के मामले में ब्राजील अब भी दूसरे स्थान पर है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार स्वस्थ होने वाले मरीजों की तुलना में नये मामलों में वृद्धि होने से सक्रिय मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है।
देश में सक्रिय मामले 20.52 प्रतिशत और रोग मुक्त होने वालों की दर 77.80 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.65 फीसदी है।
महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 22,084 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 10,37,765 हो गयी है। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज की गयी तथा इस दौरान 13,489 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 7,28,512 हो गयी है। राज्य में 391 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 29,115 हो गयी है।
चिंता की बात यह है कि राज्य में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों की संख्या आज 8,202 बढ़कर 2,79,768 हो गयी है।
अगले 20 साल में भारत के 140 करोड़ लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है
- Lalit Maurya
हाल ही में जारी इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर 2020 के अनुसार भारत में करीब 60 करोड़ लोग आज पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। भविष्य में यह आंकड़ा बढ़कर 140 करोड़ पर पहुंच जाएगी, जोकि आबादी के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के करीब 260 करोड़ लोग गंभीर जल संकट का सामना करने को मजबूर हैं। जबकि अगले 20 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 540 करोड़ पर पहुंच जाएगा। जिसका सबसे ज्यादा असर एशिया-पैसिफिक क्षेत्र पर पड़ेगा।
इस रिपोर्ट ने उन 19 देशों की पहचान की है जो सबसे ज्यादा पर्यावरण से जुड़े संकटों का सामना कर रहे हैं। जिसमें भारत भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 135 करोड़ की आबादी वाला भारत, पर्यावरण से जुड़े चार अलग-अलग तरह के संकटों का सामना कर रहा है। जिसमें सूखा, चक्रवात और जल संकट शामिल हैं। यदि आंकड़ों को देखें तो आज भी देश की करीब 40 फीसदी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जो बारिश की कमी और सूखे की समस्या से त्रस्त हैं।
2010 से 2018 के बीच पानी को लेकर 270 फीसदी झड़पें बढ़ी
पानी की यह समस्या न केवल आपसी विवादों को जन्म दे रहे हैं साथ ही इनके चलते कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ रहा है। जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट ने इस समस्या के लिए देश की बढ़ती आबादी को भी जिम्मेवार माना है। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत और चीन दुनिया की सबसे आबादी वाले देश होंगे। जहां चीन के बारे में अनुमान है कि उसकी जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ जाएगी, इसमें हर साल 0.07 की दर से कमी आ रही है। वहीं दूसरी ओर भारत में यह हर साल 0.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है जिसका परिणामस्वरूप अनुमान है कि 2026 तक भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी। बढ़ती आबादी का असर संसाधनों पर भी पड़ेगा जिससे पानी जैसे अमूल्य संसाधन की भारी किल्लत पैदा हो जाएगी।
भारत को ग्लोबल पीस इंडेक्स में 139 वां स्थान दिया गया है जो दर्शाता है कि देश पहले ही तनाव की स्थिति है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में मौजूद पानी की उपलब्धता घट रही है उससे तनाव की स्थिति और बढ़ रही है। यही वजह है कि आने वाले वक्त में इस क्षेत्र में स्थिति बद से बदतर हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 2010 से 2018 के बीच पानी को लेकर हुए टकरावों में करीब 270 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसमें भी सबसे ज्यादा मामले यमन, इराक और भारत में सामने आए हैं। जहां यमन में 134 और इराक में 64 मामले सामने आए हैं वहीं भारत में भी 40 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
यदि पानी का सबसे ज्यादा उपभोग करने वाले देशों की बात करें तो उसमें भी भारत शामिल है। जोकि हर साल 40,000 करोड़ क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा पानी का उपभोग कर रहा है। जबकि हाल ही में एक्वाडक्ट वाटर रिस्क एटलस में भी जल संकट का सबसे ज्यादा सामना कर रहे 17 देशों की लिस्ट में भारत को 13वां स्थान दिया है। जो देश में बढ़ते जल संकट को दर्शाता है। कुछ समय पहले जिस तरह चेन्नई में डे जीरो की स्थिति बनी थी, वो देश में इस समस्या को उजागर करती है। केवल चेन्नई ही नहीं दिल्ली सहित देश के कई अन्य शहरों में भी पानी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है।
इससे निपटने के लिए देश में न केवल नवीन तकनीकी ज्ञान की जरुरत पड़ेगी बल्कि साथ ही जल समस्या से निपटने के लिए अपनी पारम्परिक विरासत और पुरखों के ज्ञान की भी मदद लेनी होगी। देश में जितना जल बरसता है वो ऐसे ही बर्बाद चला जाता है अब समय आ गया है कि जिस तरह हमारे पुरखों ने इस जल को संजोया था हम भी उसी तरह इसको संरक्षित करें। पानी की जो बर्बादी हो रही है उसे कम किया जाए । साथ ही उसके प्रबंधन से जुड़ी नीतियों में भी सुधार करने की जरुरत है। यह न केवल सरकार की जिम्मेदारी है इसमें हर किसी को अपनी भूमिका समझनी होगी। जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इसे बचाया जा सके।(downtoearth)
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड पॉइंट के बदले उपहार देने के बहाने पूरे भारत में ठगी करने का काम करते थे। इस मामले से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, आरोपियों की पहचान मनीष गुप्ता, अभिषेक और आशिष के रूप में हुई।
पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों के खातों से 6 लाख रुपये भी जब्त किए हैं, इसके अलावा पांच मोबाइल फोन, दो कॉर्डलेस टेलीफोन, 4 लैपटॉप, 12 फर्जी सिम कार्ड, 6 एटीएम कार्ड और आठ फर्जी बैंक खातों का विवरण भी बरामद किया।
दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी अतुल ठाकुर ने कहा, "मनीष कॉल सेंटर में काम करता था, जहां से उसके दिमाग में टेली-कॉलिंग के माध्यम से मासूस लोगों को ठगने का विचार आया। 2017 में वह अन्य दो लोगों के संपर्क में आया, जो वेबसाइट डिजाइनिंग का काम करते थे और दोनो के पास मौजूदा ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड डेटा भी थे। फिर सभी ने मिलकर मासूम लोगों के साथ धोखाधड़ी की साजिश रची।"
मुंबई, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| अभिनेत्री कंगना रनौत का एक वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनका कहना है कि उन्हें एक बार ड्रग्स की लत लग गई थी। अभिनेत्री ने मार्च में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो में कंगना कहती हैं, "जैसी ही मैं घर से भागी, डेढ़-दो साल में एक फिल्म स्टार थी, एक ड्रग एडिक्ट थी। मेरी जिंदगी में इतने सारे कांड चल रहे थे कि मैं ऐसे लोगों के हाथ लग चुकी थी, जहां इतना सब खतरनाक हो चुका था मेरे जीवन में"
कंगना ने यह वीडियो तब पोस्ट की थी, जब वह मनाली में अपने घर में वक्त बिता रही थीं।
बता दें कि इससे पहले कंगना ने एक साक्षात्कार में बताया था कि किस तरह से वह ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों के बीच फंस गई थीं। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि फिल्म उद्योग के 99 प्रतिशत लोग ड्रग्स या कोकीन लेने के आदी हैं। वह इस बात पर भी सहमत हुई थीं कि शीर्ष बॉलीवुड स्टार रनवीर सिंह, रणबीर कपूर और विक्की कौशल और फिल्म निर्माता अयान मुखर्जी को अपने खून की जांच कराके यह साबित करना चाहिए कि वह पाक साफ हैं।
कंगना ने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में गिरफ्तार अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को सोशल मीडिया पर "छोटे समय की ड्रग्स एडिक्ट" करार दिया था।
कुछ दिनों पहले किए गए एक ट्वीट में कंगना ने मुंबई पुलिस और राकांपा नेता अनिल देशमुख को टैग करते हुए लिखा था, "कृपया मेरा ड्रग टेस्ट कीजिए, मेरे कॉल रिकॉर्डस की जांच कीजिए। अगर आपको ड्रग्स पेडलर्स को लेकर मुझसे कोई भी लिंक मिलता है तो मैं अपनी गलती मान लूंगी और हमेशा के लिए मुंबई छोड़ दूंगी, आपसे मिलने के लिए इच्छुक हूं।"
गाजीपुर,13 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मुख्तार अंसारी और उसके परिजनों पर लगातार शिकंजा कस रहा है। करोड़ों रुपये की जमीन से कब्जा हटवाने के बाद प्रशासन ने अब उनकी पत्नी और सालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है। पुलिस ने मुख्तार की पत्नी आफसा अंसारी और साले सरजील रजा और अनवर शहजाद पर गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस अधीक्षक डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि मुख्तार अंसारी की पत्नी और दो सालों के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है। इसमें मुख्तार अंसारी की पत्नी आफसा अंसारी व उनके साले सरजील रजा और अनवर शहजाद को नामजद किया है। शहर कोतवाली में एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शहर कोतवाली के छावनी लाइन स्थित भूमि गाटा संख्या 162 जो कि जिलाधिकारी गाजीपुर के आदेशानुसार कुर्क शुदा जमीन है, इन लोगों ने उस पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। इसके अलावा थाना कोतवाली मौजा बवेरी में भूमि आराजी नंबर 598 कुर्क शुदा जमीन पर अवैध कब्जा किया है। साथ ही आरोपी सरजील रजा और अनवर शहजाद ने सरकारी ठेका हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| दागी छवि के उम्मीदवारों की ओर से अखबारों और टीवी चैनलों पर अपने आपराधिक ब्यौरे का विज्ञापन देने से जुड़े चुनाव आयोग के नए दिशा-निदेर्शो पर सवाल उठे हैं। इस मामले के याचिकाकर्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने शनिवार को चुनाव आयोग को मेल भेजकर दिशा-निदेर्शो में कई तरह की खामियां बताई हैं। कहा है कि जिस तरह से चुनाव आयोग ने शुक्रवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उससे दागी उम्मीदवार और उन्हें चुनाव मैदान में उतारने वाले राजनीतिक दल काट खोज लेंगे। जिससे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की ओर से 2018 में दिए गए निर्णय की मंशा प्रभावित होगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि विज्ञापन प्रकाशित कराने का अधिकार संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को दिया जाए, क्योंकि उम्मीदवार इसमें चालाकी दिखाएंगे।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस को बताया कि, " चुनाव आयोग ने नामांकन के बाद तीन-तीन बार टीवी चैनलों और अखबारों में उम्मीदवारों की ओर से अपने आपराधिक ब्यौरे का विज्ञापन देने की जो गाइडलाइंस जारी की है, उसमें कई चीजें अस्पष्ट हैं। मसलन, आयोग के निर्देश में अखबारों की प्रसार संख्या और टीवी चैनल की दर्शक संख्या के बारे में कोई शर्त नहीं लगाई गई है। इसके अलावा टीवी चैनलों पर किस समय विज्ञापन चलना चाहिए, इसका भी समय नहीं दिया गया है। ऐसे में दागी उम्मीदवार चालाकी दिखाते हुए बेहद कम प्रसार संख्या वाले उन अखबारों में विज्ञापन छपवाएंगे, जिसे कोई जानता भी नहीं होगा। टीवी चैनलों पर देर रात विज्ञापन चलवाएंगे, जिस वक्त अधिकांश लोग टीवी नहीं देखते। जिससे प्रत्याशियों की छवि के बारे में जनता जागरूक नहीं हो सकेगी। "
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि, " 25 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चुनाव आयोग को उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे के प्रकाशन का आदेश दिया था। जिस पर 10 अक्टूबर 2018 को चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों के प्रकाशन के लिए कहा था। लेकिन चौंकाने वाली बात रही कि चुनाव चिन्ह और आदर्श आचार संहिता के नियमों में परिवर्तन किए बगैर जारी इस निर्देश की कोई कानूनी वैधता नहीं रही। "
"स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में अक्टूबर 2018 के बाद से अब तक हुए चुनावों में प्रत्याशियों ने कम प्रसार वाले अखबारों और कम दर्शक वाले टीवी चैनलों में विज्ञापन चलवाए। वहीं अखबारों में बहुत बारीक अक्षरों में अपने ऊपर दर्ज मुकदमों की जानकारी दी। वहीं राजनीतिक दलों ने कोर्ट और आयोग के निर्देशों के बावजूद आपराधिक छवि वाले अपने प्रत्याशियों की जानकारी वेबसाइट पर नहीं उपलब्ध कराई। बावजूद इसके आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। "
भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा के अनुरूप कई कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को सुझाव दिए हैं। कहा है कि, "प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को क्षेत्र में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले अखबारों और अधिक दर्शक वाले टीवी चैनलों पर ही विज्ञापन देने की शर्त लगाई जाए। शाम पांच से नौ बजे के बीच सबसे ज्यादा टीवी चैनल लोग देखते हैं। ऐसे में टीवी चैनलों पर इसी समय विज्ञापनों को देना अनिवार्य किया जाए। प्रत्याशियों की ओर से दिए गए अखबारों के विज्ञापन मोटे अक्षरों में हैं, जिसमें सिर्फ धाराएं ही नहीं बल्कि हत्या, लूट, बलात्कार आदि अपराध का भी जिक्र हो। प्रत्याशी की ओर से नामांकन दाखिल करने के दौरान दिए गए आपराधिक ब्यौरे को 24 घंटे के अंदर संबंधित राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उपलब्ध कराएं।"
बता दें कि दागी उम्मीदवारों के मीडिया में विज्ञापन जारी कराने संबंधी याचिका अश्विनी उपाध्याय ने ही दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था।
कोलकाता, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आई बांग्लादेशी सेना के निर्वासित पूर्व मेजर डेलवर हुसैन की ऑनलाइन लाइव वीडियो फुटेज ने हंगामा मचा दिया है। लोगों ने उनकी हिंदू विरोधी बात पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हुसैन ने इस्लामिक कट्टरपंथी की तरह बांग्लादेश में रहने वाली हिंदू आबादी को खुले तौर पर धमकी दी है। उन्होने मुस्लिम युवाओं को और अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बांग्लादेश की धरती से 15 से 20 लाख हिंदुओं को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है।
अल्लाह के नाम पर शपथ लेते हुए उन्होने कहा है कि देश से लक्षित लोगों को बेदखल किए जाने के बाद 15 से 20 लाख नौकरी खाली हो जाएंगी।
रिपोर्टों के अनुसार, हुसैन विदेश में रहते हैं और विपक्षी बीएनपी-जेईएल (जमात-ए-इस्लामी) गठबंधन के साथ संबंध रखते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में पूर्व मेजर के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वह बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में प्रवेश करने के लिए हिंदू विरोधी भावनाओं को भुनाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व मेजर ने अपनी 33 मिनट की वीडियो में हिंदुओं के प्रति जहर उगलते हुए कहा, "मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि 'बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय' या 'भारत-प्रेमी बांग्लादेशियों' की सूची तैयार करें। मैं जल्द ही एक वेबसाइट विकसित करूंगा जहां आप सभी चुपके से उन नामों को भेज सकेंगे। मैं पुलिस और बांग्लादेश सेना को नामों की सूची सौंपूंगा। जल्द ही ऐसा समय आएगा, जब इन हिंदुओं को वापस भारत भेज दिया जाएगा।"
हुसैन की इस वीडियो पर अकेले फेसबुक पर ही हजारों टिप्पणियां की गई हैं और साथ ही इसे 1,700 से अधिक बार शेयर भी किया गया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उन्होंने भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश का असली दुश्मन करार देते हुए बांग्लादेशी उद्योगपतियों के बारे में भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उद्योगपति विनम्र हैं, जो भारतीयों का सम्मान करते हैं और उन्हें नौकरी देते हैं।
कट्टरपंथी इस्लामी भावनाओं को प्रोत्साहित करते हुए हुसैन ने सवाल करते हुए पूछा, "इन उद्योगपतियों का मानना है कि भारतीयों के बिना वे बांग्लादेश में व्यापार करने में सक्षम नहीं होंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या भारतीयों ने अपना व्यवसाय विकसित किया है? क्या उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय विकसित किया है। फिर भारतीयों के प्रति यह नरम रवैया क्यों?"
हुसैन ने कहा कि अगर इन व्यवसायियों ने अपना रवैया नहीं बदला तो उसे अपने ऑपरेशन को हवा देनी होगी। उन्होने कहा, "बहुत हुआ। बांग्लादेश के गरीब लोगों को क्रोध से भर दिया गया है। उनके पास उपभोग करने के लिए भोजन नहीं है। इसलिए, इन भारतीयों को वापस भेजें और शिक्षित बांग्लादेशियों को उन पदों पर नियुक्त करें।"
हुसैन ने मीडिया संगठनों के एक हिस्से को 'राष्ट्र-विरोधी' करार देते हुए उन्हें 'खतरनाक' बताया।
हुसैन ने कहा कि कई 'देशभक्त' पत्रकारों ने अपने इस्लामी झुकाव के कारण देश छोड़ दिया है। उन्होने कुछ बांग्लादेशियों के नाम भी रखे। हुसैन ने बांग्लादेश मीडिया के उस हिस्से को निशाना बनाया, जो पड़ोसी राष्ट्र की सकारात्मक छवि रखता है। उन्होने मांग की कि निर्वासन में रहे सभी पत्रकारों को बांग्लादेश वापस लाया जाए और उन्हें देश में मीडिया का काम देखने की जिम्मेदारी दी जाए।
इसके अलावा हुसैन ने बांग्लादेश के लोगों से उदार मीडिया संगठनों का बहिष्कार करने का आग्रह भी किया।
नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस संगठन का पुनर्गठन करने के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल गांधी के साथ इलाज के लिए अमेरिका रवाना हो गई हैं।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख एवं नवनियुक्त महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि श्रीमती गांधी स्वास्थ्य के नियमित परीक्षण के लिए अमेरिका गयी है।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज रूटीन मेडिकल चेकअप कराने के लिए अमेरिका रवाना हुई हैं। उनकी यात्रा को महामारी की वजह से पहले स्थगित किया गया था। उनकी यात्रा में उनके साथ राहुल गांधी भी हैं। हम सभी उनकी चिंता करने और शुभकामनाएं देने के लिए आपका आभार व्यक्त करते है।"
श्रीमती गांधी और राहुल गांधी लोकसभा के सदस्य हैं और सोमवार से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। यह सत्र एक अक्टूबर तक चलेगा और कांग्रेस के इन दोनों शीर्ष नेताओं के इस सत्र में शामिल होने की संभावना कम है।
नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी जूलियो रिबेरो ने दिल्ली दंगे की जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए शनिवार को कहा कि पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रही है।
श्री रिबेरो ने इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक ईमेल किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि श्री रिबेरो के नाम से पुलिस आयुक्त को एक ईमेल आया जिसकी सत्यता की जांच की जा रही है।
मुम्बई के पूर्व पुलिस आयुक्त श्री रिबेरो ने दिल्ली पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव से दिल्ली दंगों के मामले में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज 753 प्राथमिकी की निष्पक्ष जांच करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस नफरत फैलाने के लिए भाषण देने वालों के खिलाफ आपराधिक संज्ञान लेने में जानबूझकर विफल रही है जबकि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है।
पद्मभूषण से सम्मानित श्री रिबेरो ने कहा भाजपा के नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ कार्रवाई न करना उनके जैसे लोगों के लिए हैरान करने वाला है। दूसरी तरफ धर्म के आधार पर भेदभाव करने का विरोध करने वाली महिलाओं को बहुत अपमानित किया गया और महीनों तक जेल में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और प्रो. अपूर्वानंद जैसे सच्चे देशभक्तों को आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए दिल्ली पुलिस का इतना सूक्ष्म प्रयास चिंतनीय है। हम भारतीय पुलिस सेवा के लोगों से यह उम्मीद है संविधान का सम्मान और कानून की रक्षा जाति, पंथ और राजनीतिक संबद्धता से ऊपर उठकर करें।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एक याचिका दायर करते हुए मांग की कि आपराधिक अवमानना मामलों में सजा के खिलाफ उन्हें अपील का अधिकार मिले और मामले की सुनवाई एक बड़ी व अलग पीठ करे। यह याचिका उनकी वकील कामिनी जायसवाल के माध्यम से याचिका दायर की गई है। भूषण ने शीर्ष अदालत से निर्देश जारी करने का आग्रह किया है कि याचिकाकर्ता सहित आपराधिक अवमानना के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को एक बड़ी और अलग पीठ द्वारा सुनवाई के लिए अंतर-अदालत में अपील का अधिकार होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत को मूल आपराधिक अवमानना मामलों में सजा के खिलाफ अंतर-अदालत में अपील के लिए नियम और दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।
इस याचिका में कहा गया है कि अपील का अधिकार संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इसकी गारंटी भी है।
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराया था और उन पर एक रुपये का जुर्माना लगाया था।
फैसले के अनुसार, 15 सितंबर तक जुर्माना नहीं दिए जाने की स्थिति में भूषण को तीन महीने की जेल हो सकती है और तीन साल के लिए उन्हें वकालत से निलंबित भी किया जा सकता है।
भूषण ने यह कहते हुए पीछे हटने या माफी मांगने से इनकार कर दिया था कि यह उनकी अंतरात्मा और न्यायालय की अवमानना होगी।
मुंबई, 13 सितंबर (वार्ता) बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा सिल्वर स्क्रीन पर सीता का किरदार निभाती नजर आ सकती हैं।
अजय देवगन को लेकर तान्हा जी-द अनसंग वॉरियर जैसी सुपरहिट फिल्म बना चुके निर्देशक ओम राउत अब फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ बनाने जा रहे हैं। इस फिल्म में बाहुबली फेम प्रभास की मुख्य भूमिका है। फिल्म में सैफ अली खान लंकेश का किरदार निभा रहे हैं, जो कथित तौर पर रावण पर आधारित है। अब कहा जा रहा है कि अनुष्का शर्मा 'आदिपुरुष' में सीता के रोल में नजर आ सकती हैं। फिल्म में सीता के रोल के लिए अनुष्का शर्मा मेकर्स की पसंद बनी हैं और अनुष्का जल्द ही इस फिल्म को साइन कर सकती हैं।
बताया जा रहा है कि यह फिल्म एक थ्रीडी एक्शन ड्रामा होगी। फिल्म को हिंदी, तेलुगू, तमिल, मलयालम और कन्नड़ में रिलीज किया जाएगा। फिल्म में रामायण का भी एक हिस्सा होगा। फिल्म की शूटिंग 2021 में शुरू होने की सम्भावना है और 2022 में रिलीज हो सकती है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 सितंबर। छत्तीसगढ़ में आज 11 सितंबर रात 10. 30 बजे तक 3120 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें सर्वाधिक रायपुर जिले से 764 हैं। इनके अलावा
आज के आंकड़ों में रायपुर के 764 के अलावा 8 जिलों में सौ से अधिक पॉजिटिव मिले हैं. दुर्ग 263 , और राजनांदगांव 273 , बलौदाबाजार 39 , सरगुजा 65 , बिलासपुर 128 , कबीरधाम 150 , सुकमा 63, बीजापुर 56 और धमतरी 91 , जांजगीर-चांपा 150, बालोद 52 , रायगढ़ 180 , बस्तर 125 , दंतेवाड़ा 22 , महासमुंद 84 , सूरजपुर 38 , कोरिया 72 और बलरामपुर 22 , कांकेर 66 , बेमेतरा 65 , मुंगेली 106 , गरियाबंद 73 , जीपीएम 53 , कोंडागांव 58 , कोरबा 27 , जशपुर 12 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। बाकी जिलों की संख्या लिस्ट में देखें
नई दिल्ली,12 सितम्बर: कांग्रेस पार्टी के संगठन में बदलाव की ख़बर जैसे ही आई, सबसे ज़्यादा चर्चा गुलाम नबी आज़ाद की रही. उनके बाद आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं की यानी वो सारे वरिष्ठ नेता जिन्होंने तीन हफ़्ते पहले कांग्रेस में मज़बूत नेतृत्व और संगठन में चुनाव की माँग की थी.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी संगठन में बड़ा फ़ेरबदल करते हुए गुलाम नबी आज़ाद समेत चार वरिष्ठ नेताओं को महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्लूसी) का भी पुनर्गठन किया.
इसके अलावा उन्होंने एक समिति का भी गठन किया है जो पार्टी के संगठन और कामकाज से जुड़े मामलों में सोनिया गांधी का सहयोग करेगी.
ध्यान देने वाली बात ये है कि कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम ना तो सोनिया गांधी को सलाह देने वाली समिति में है और ना ही पार्टी संगठन में उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद दिया गया है. और तो और किसी राज्य की ज़िम्मेदारी भी नहीं सौंपी गई.
लेकिन अगर ध्यान से देखें तो ये सारे बदलाव आने वाले दिनों में उनकी ताजपोशी की ओर इशारा कर रहे हैं.
कांग्रेस कार्यसमिति में राहुल गांधी का क़द अब भी ऊपर है. सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बाद अब वो तीसरे स्थान पर आ गए.
गांधी परिवार के चहेते
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष को सलाह देने के लिए विशेष समिति में एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं. ये वो लोग हैं जो पूरी तरह से गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं.
इन लोगों ने कभी दबे रूप से भी राहुल गांधी के नेतृत्व की आलोचना नहीं की है. रणदीप सिंह सुरजेवाला तो राहुल गांधी की ख़ास पसंद हैं.
राहुल गांधी को उन पर पूरा भरोसा है और यही वजह है कि वो पार्टी के मुख्य प्रवक्ता, फिर पार्टी के महासचिव, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और अब अध्यक्ष को परामर्श देने वाली समिति के सदस्य भी बन गए हैं.
सुरजेवाला अकेले ऐसे नेता हैं जिन्हें एक साथ इतने पद मिले हैं.
इसके साथ ही पार्टी ने मधुसूदन मिस्त्री को केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की वडोदरा सीट से मधुसूदन मिस्त्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था. उस दौरान वो काफ़ी विवादों में भी रहे.
गुजरात के मिस्त्री की भूमिका 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी काफी अहम थी. वह राहुल गांधी के भी ख़ास हैं.
प्रियंका गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई. इसके अलावा राहुल गांधी के चहेते दिनेश गुंडूराव, मणिकम और एच के पाटिल जैसे नेताओं का क़द पार्टी में बढ़ा है.
राज्यों के प्रभारी बनाने में भी राहुल गांधी के वफ़ादारों को प्राथमिकता दी गई है. इनमें शक्तिकांत गोहिल और राजीव साटव जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं.
बागियों को संदेश
पिछले दिनों कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी और उसके बाद हंगामेदार कार्यसमिति की बैठक हुई. यह फ़ेरबदल इस घटना के 20 दिनों के अंदर हुआ है.
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने कार्यसमिति का चुनाव कराए जाने की माँग की थी, लेकिन सोनिया गांधी ने कार्यसमिति पुनर्गठित कर दी.
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, ए के एंटनी, अम्बिका सोनी समेत कुल 22 नेता कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए हैं.
गुलाम नबी आज़ाद कार्यसमिति के सदस्य बनाये गए हैं लेकिन उन्हें महासचिव के पद से हटा दिया गया है.
अम्बिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे को भी महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है. हालांकि दोनों को ही कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है.
आनंद शर्मा भी कार्यसमिति के सदस्य बनाये गए हैं. मुकुल वासनिक को महासचिव के पद पर बरक़रार रखा गया है और उन्हें सोनिया गांधी की मदद करने वाली समिति में भी जगह दी गई है.
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी का नाम किसी भी लिस्ट में नहीं है.
सचिन पायलट को भी नजरअंदाज़ किया गया है. राजस्थान में उनके सारे पद पहले ही छीने जा चुके हैं. यानी बाग़ियों को भी पार्टी कोई संदेश दे रही है.
राहुल की वापसी की तैयारी
कांग्रेस वैसे भी राहुल गांधी को वापस लाने की तैयारी में थी. लॉकडाउन से पहले राहुल गांधी ने अर्थव्यस्था को लेकर मोदी सरकार पर चोट करनी शुरू कर दी थी.
उन्होंने दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों से मंदी पर बात की और छोटे-छोटे वीडियो जारी किए थे.
आम लोगों की समस्याओं को उठाने के लिए उन्होंने बक़ायदा हिन्दी में ये वीडियो जारी किए थे.
पलायन करने वाले मजदूरों से राहुल गांधी मिलने गए थे. यानी कांग्रेस की रणनीति थी कि आम लोगों की बात करने वाले नेता के रूप में राहुल गांधी की छवि बनाई जाए.
हालांकि वो कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ चुके थे और दोबारा इस पद पर आने के लिए मना कर रहे थे लेकिन कांग्रेस पार्टी उन्हीं को चेहरा बनाकर आगे बढ़ रही है.
कांग्रेस में दबी ज़बान में ये भी कहा जा रहा है कि इस फ़ेरबदल में सबसे ज़्यादा उन नेताओं को नज़रअंदाज़ किया गया है जो कांग्रेस मुख्यालय में बैठकर ही राहुल गांधी की आलोचना करते थे. यानी अब आर या पार का संदेश दिया जा रहा है.
पार्टी की सोच है कि राहुल गांधी का नेतृत्व स्थापित किया जाये और ये संदेश भी दिया जाये कि अनुशासन ज़रूरी है. साथ ही जनाधार वाले नेताओं को तरजीह देने की बात की गई है.
हालांकि ज़रूरी नहीं है कि राहुल गांधी की ताजपोशी अभी की जाये. कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी संभलकर राहुल गांधी को रीलॉन्च करेगी.
लोकसभा चुनाव में पूरे चार साल बाकी हैं, ऐसे में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की पार्टी को कोई जल्दी नहीं है.
कुल मिलाकर सोनिया गांधी की नई टीम में उनके पुराने वफ़ादारों के साथ-साथ राहुल गांधी के भरोसेमंद नेताओं को जगह मिली है और शांत बैठकर पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान ना उठाने वाले नेताओं को इनाम दिया गया है. जबकि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को महत्वपूर्ण पदों से दूर कर अनुशासन बनाये रखने का संदेश देने की कोशिश भी गई है.(BBCNEWS)
नई दिल्ली,12 सितम्बर: कांग्रेस पार्टी के संगठन में बदलाव की ख़बर जैसे ही आई, सबसे ज़्यादा चर्चा गुलाम नबी आज़ाद की रही. उनके बाद आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं की यानी वो सारे वरिष्ठ नेता जिन्होंने तीन हफ़्ते पहले कांग्रेस में मज़बूत नेतृत्व और संगठन में चुनाव की माँग की थी.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी संगठन में बड़ा फ़ेरबदल करते हुए गुलाम नबी आज़ाद समेत चार वरिष्ठ नेताओं को महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्लूसी) का भी पुनर्गठन किया.
इसके अलावा उन्होंने एक समिति का भी गठन किया है जो पार्टी के संगठन और कामकाज से जुड़े मामलों में सोनिया गांधी का सहयोग करेगी.
ध्यान देने वाली बात ये है कि कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम ना तो सोनिया गांधी को सलाह देने वाली समिति में है और ना ही पार्टी संगठन में उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद दिया गया है. और तो और किसी राज्य की ज़िम्मेदारी भी नहीं सौंपी गई.
लेकिन अगर ध्यान से देखें तो ये सारे बदलाव आने वाले दिनों में उनकी ताजपोशी की ओर इशारा कर रहे हैं.
कांग्रेस कार्यसमिति में राहुल गांधी का क़द अब भी ऊपर है. सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बाद अब वो तीसरे स्थान पर आ गए.
गांधी परिवार के चहेते
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष को सलाह देने के लिए विशेष समिति में एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं. ये वो लोग हैं जो पूरी तरह से गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं.
इन लोगों ने कभी दबे रूप से भी राहुल गांधी के नेतृत्व की आलोचना नहीं की है. रणदीप सिंह सुरजेवाला तो राहुल गांधी की ख़ास पसंद हैं.
राहुल गांधी को उन पर पूरा भरोसा है और यही वजह है कि वो पार्टी के मुख्य प्रवक्ता, फिर पार्टी के महासचिव, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और अब अध्यक्ष को परामर्श देने वाली समिति के सदस्य भी बन गए हैं.
सुरजेवाला अकेले ऐसे नेता हैं जिन्हें एक साथ इतने पद मिले हैं.
इसके साथ ही पार्टी ने मधुसूदन मिस्त्री को केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की वडोदरा सीट से मधुसूदन मिस्त्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था. उस दौरान वो काफ़ी विवादों में भी रहे.
गुजरात के मिस्त्री की भूमिका 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी काफी अहम थी. वह राहुल गांधी के भी ख़ास हैं.
प्रियंका गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई. इसके अलावा राहुल गांधी के चहेते दिनेश गुंडूराव, मणिकम और एच के पाटिल जैसे नेताओं का क़द पार्टी में बढ़ा है.
राज्यों के प्रभारी बनाने में भी राहुल गांधी के वफ़ादारों को प्राथमिकता दी गई है. इनमें शक्तिकांत गोहिल और राजीव साटव जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं.
बागियों को संदेश
पिछले दिनों कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी और उसके बाद हंगामेदार कार्यसमिति की बैठक हुई. यह फ़ेरबदल इस घटना के 20 दिनों के अंदर हुआ है.
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने कार्यसमिति का चुनाव कराए जाने की माँग की थी, लेकिन सोनिया गांधी ने कार्यसमिति पुनर्गठित कर दी.
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, ए के एंटनी, अम्बिका सोनी समेत कुल 22 नेता कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए हैं.
गुलाम नबी आज़ाद कार्यसमिति के सदस्य बनाये गए हैं लेकिन उन्हें महासचिव के पद से हटा दिया गया है.
अम्बिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे को भी महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है. हालांकि दोनों को ही कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है.
आनंद शर्मा भी कार्यसमिति के सदस्य बनाये गए हैं. मुकुल वासनिक को महासचिव के पद पर बरक़रार रखा गया है और उन्हें सोनिया गांधी की मदद करने वाली समिति में भी जगह दी गई है.
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी का नाम किसी भी लिस्ट में नहीं है.
सचिन पायलट को भी नजरअंदाज़ किया गया है. राजस्थान में उनके सारे पद पहले ही छीने जा चुके हैं. यानी बाग़ियों को भी पार्टी कोई संदेश दे रही है.
राहुल की वापसी की तैयारी
कांग्रेस वैसे भी राहुल गांधी को वापस लाने की तैयारी में थी. लॉकडाउन से पहले राहुल गांधी ने अर्थव्यस्था को लेकर मोदी सरकार पर चोट करनी शुरू कर दी थी.
उन्होंने दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों से मंदी पर बात की और छोटे-छोटे वीडियो जारी किए थे.
आम लोगों की समस्याओं को उठाने के लिए उन्होंने बक़ायदा हिन्दी में ये वीडियो जारी किए थे.
पलायन करने वाले मजदूरों से राहुल गांधी मिलने गए थे. यानी कांग्रेस की रणनीति थी कि आम लोगों की बात करने वाले नेता के रूप में राहुल गांधी की छवि बनाई जाए.
हालांकि वो कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ चुके थे और दोबारा इस पद पर आने के लिए मना कर रहे थे लेकिन कांग्रेस पार्टी उन्हीं को चेहरा बनाकर आगे बढ़ रही है.
कांग्रेस में दबी ज़बान में ये भी कहा जा रहा है कि इस फ़ेरबदल में सबसे ज़्यादा उन नेताओं को नज़रअंदाज़ किया गया है जो कांग्रेस मुख्यालय में बैठकर ही राहुल गांधी की आलोचना करते थे. यानी अब आर या पार का संदेश दिया जा रहा है.
पार्टी की सोच है कि राहुल गांधी का नेतृत्व स्थापित किया जाये और ये संदेश भी दिया जाये कि अनुशासन ज़रूरी है. साथ ही जनाधार वाले नेताओं को तरजीह देने की बात की गई है.
हालांकि ज़रूरी नहीं है कि राहुल गांधी की ताजपोशी अभी की जाये. कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी संभलकर राहुल गांधी को रीलॉन्च करेगी.
लोकसभा चुनाव में पूरे चार साल बाकी हैं, ऐसे में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की पार्टी को कोई जल्दी नहीं है.
कुल मिलाकर सोनिया गांधी की नई टीम में उनके पुराने वफ़ादारों के साथ-साथ राहुल गांधी के भरोसेमंद नेताओं को जगह मिली है और शांत बैठकर पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान ना उठाने वाले नेताओं को इनाम दिया गया है. जबकि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को महत्वपूर्ण पदों से दूर कर अनुशासन बनाये रखने का संदेश देने की कोशिश भी गई है.(BBCNEWS)
-तथागत भट्टाचार्य
अमेरिका के 31वें राष्ट्रपति हर्बर्ट क्लार्क हूवर और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अजब समानता है। हूवर का पूरा कार्यकाल मंदी की चपेट में रहा। इसी दौरान 1929-1933 की भयानक मंदी आई, जिसने अमेरिका के समाज और अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाया था। मोदी के कार्यकाल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था का क्रमिक पतन देखा गया है, जो अब पूरी तरह मंदी की गिरफ्त में है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब केवल छह साल पहले दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहे किसी देश की ऐसी हालत हो गई हो। इसमें संदेह नहीं कि कोविड की मार पूरी दुनिया पर पड़ी है, लेकिन हमारे यहां स्थिति कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा हाल ही में आए आंकड़ों से लग जाता है। इसमें शक नहीं कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के मैराथन उपाय करने होंगे, अब सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि सरकार क्या करती है।
वापस हूवर और मोदी पर आते हैं। डराने वाली बात तो यह है कि इन दोनों की समानता यहीं खत्म नहीं होती। जिस तरह हूवर वास्तविकता को स्वीकार करने से इनकार करते रहे, वैसा ही हाल मोदी का है। हूवर के वित्तमंत्री एंड्रयू मेलन ने सितंबर, 1929 में कहा था, “चिंता का कोई कारण नहीं है। समृद्धि का यह सिलसिला जारी रहेगा।” हूवर शासन के तमाम ओहदेदार इसी तरह की बातें करते रहे। इस दौड़ में सबसे आगे खुद हूवर रहे जिन्होंने मई, 1930 में कहा था, “अर्थव्यवस्था को नीचे आए अभी छह माह हुए हैं और मैं भरोसे के साथ कह सकता हूं कि हम सबसे बुरे वक्त से निकल चुके हैं और एक साथ कोशिश करके हम तेजी से स्थिति पर काबू पा सकेंगे।”
उस महामंदी के दौर के तथ्यों और घटनाओं पर गौर करना दिलचस्प है क्योंकि निर्मला सीतारमण, अनुराग ठाकुर -जैसे मोदी सरकार के मंत्रियों से लेकर सरकार की हां में हां मिलाने वाले उद्योगपति जो कुछ भी कह रहे हैं, वह महामंदी के उसी दौर की याद दिला रहा है। ऐसे समय में जब 2020 की पहली तिमाही -अप्रैल से जून- की जीडीपी में 23.9 फीसद की गिरावट आई है और यह अर्थव्यवस्था में 40 प्रतिशत से अधिक के कुल संकुचन की ओर इशारा कर रहा है। फिर भी, सरकार है कि वास्तविकता को मानने को तैयार नहीं। करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है और उनके परिवारों के पास बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का भी साधन नहीं।
जेएनयू के सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग (सीईएसपी) के सहायक प्रोफेसर सुरजीत दास कहते हैं, “यह मानते हुए कि अगली दो तिमाहियों के दौरान विकास दर नकारात्मक रहेगी और अंतिम तिमाही में यह सुधरकर शून्य के स्तर पर आएगी, मुझे लगता है कि वार्षिक आधार पर अर्थव्यवस्था में कम-से-कम 20 फीसदी की कमी रहेगी। फिलहाल लगभग तीन करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं और 2020-21 वित्तीय वर्ष के अंत तक कम-से-कम 20 फीसदी कार्यबल, यानी लगभग 9 करोड़ और लोग बेरोजगारों में शामिल हो जाएंगे।”
जेएनयू प्रोफेसर सुरजीत दास ने आगे कहा, “साफ है, यह समय राजकोषीय रूढ़िवाद का नहीं है। जब तक ग्रामीण और शहरी गरीबों के हाथ में पैसा नहीं डाला जाता, मांग नहीं बढ़ेगी। अभी सरकार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से उधार लेकर उसे अर्थव्यवस्था में डालना चाहिए।”
केंद्र के पास ऐसा नहीं करने का कोई तर्क नहीं है। राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पहले ही पूरा नहीं किया जा सका है और जब मांग में जबर्दस्त मंदी की स्थिति हो तो ऐसे में आरबीआई से पैसे उधार लेने से मुद्रास्फीति पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आरबीआई के पास जीडीपी के 18 प्रतिशत के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है। उसमें से कम-से-कम आठ प्रतिशत तो अर्थव्यवस्था में डाला ही जा सकता है जो मांग को बढ़ाने में मदद करेगा और इससे निवेश बढ़ेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा अगर भारत की शीर्ष दस कंपनियों की बैलेंस शीट पर नजर डालें तो पता चलता है कि उन्होंने लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का भंडार बना रखा है। इसके एक हिस्से को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में लगाकर अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की जा सकती है।
जाने-माने अर्थशास्त्री अरुण कुमार का मानना है कि आगे के लिए ऐसी व्यवस्था बेहतर होगी जिसमें नकदी का सीधे हस्तांतरण हो और लोगों को उनके घर तक अनाज और अन्य बुनियादी जरूरत की चीजें मुहैया कराई जाएं। वह कहते हैं, “चूंकि कीमतें बढ़ रही हैं और लोगों ने रोजगार खो दिए हैं, चिल्लर हस्तांतरण से काम नहीं चलने वाला। लॉकडाउन के शुरू में नौकरशाही और सरकारी मशीनरी को सक्रिय किया जाना चाहिए था। परिवहन विभाग की बसों से लोगों तक अनाज और अन्य जरूरी सामान पहुंचाए जाने चाहिए थे।”
जेएनयू के सीईएसपी में एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु कहते हैं, “मनरेगा का विस्तार समय की जरूरत है। इसके तहत मजदूरी को भी बढ़ाकर दोगुना किया जाना चाहिए, नहीं तो यह असंगठित क्षेत्र में बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार देने में मददगार नहीं हो सकेगा।” सुरजीत दास भी मनरेगा के विस्तार के पक्ष में हैं। वह कहते हैं, “50 करोड़ से अधिक भारतीय अब शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। आप उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते। आय हानि के मुआवजे के लिए मांग को बढ़ाना होगा। इसका मतलब है कि हर जन-धन खाते में हर माह 7,000-8,000 रुपये आएं, ना कि 500-1000 रुपये।’’
इसके साथ ही, ग्रामीण और शहरी गरीबों को प्रतिदिन 350 रुपये और 450 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से भुगतान किया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी सरकार की दिक्कत यह है कि कोविड-19 से पहले ही उसकी नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया था, बल्कि यह कहना बेहतर होगा कि पतन शुरू हो गया था और सरकार ने हालात को सुधारने के गंभीर प्रयास नहीं किए। बाद में, जब कोरोना का संकट छाया तो जहां दुनिया के तमाम देशों ने अपने जीडीपी के 10-20 फीसदी के बराबर प्रोत्साहन पैकेज दिए, मोदी सरकार ने महज 63,000 करोड़ रुपये यानी जीडीपी का केवल एक प्रतिशत निकाला।
कॉर्पोरेट्स को छूट और कर राहत से हालात नहीं सुधर सकते। कम दरों पर ऋण की सुविधा का इस्तेमाल कॉरपोरेट अपनी महंगी पुरानी देनदारियों को चुकाने में करते हैं और अर्थव्यवस्था की स्थिति वैसी ही रहती है। इस स्थिति का नुकसान दूसरी तरह से होता है। उपभोक्ता मांग गिरती है, तो उत्पादन स्तर अपने आप नीचे आ जाता है और जब उत्पादन कम हो जाता है तो लोगों का रोजगार जाता है।
चूंकि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में राज्य सबसे आगे रहे हैं और स्वास्थ्य और शिक्षा- जैसे सामाजिक क्षेत्र राज्यों की जिम्मेदारी हैं, केंद्र को चाहिए कि वह राज्यों को उनके बकाये का भुगतान जल्द से जल्द करे। आरबीआई से उधार लेकर अर्थव्यवस्था में डालने से नई पूंजी का मार्ग प्रशस्त होगा। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए उनके जीएसटी बकाये के भुगतान की स्थिति में नहीं है, जबकि केंद्र सरकार तो जीएसटी का बकाया देने को बाध्य है। अर्थव्यवस्था के सुस्त पड़ने के साथ ही जीएसटी संग्रह और गिरने जा रहा है। नौकरियों और रोजगार में कमी होने से आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष कर संग्रह में भी काफी कमी आएगी। सरकार को यह समझते हुए अर्थव्यवस्था में धन डालना चाहिए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच लगभग 1.9 करोड़ वतेनभोगी लोगों की नौकरी चली गई। ऐसे में असंगठित क्षेत्र की स्थिति की सहज ही कल्पना की जा सकती है। जरूरत है कि चार-पांच वर्षों के नियोजित व्यय को अगले दो वर्षों में खर्च करें। सार्वजनिक निवेश को बढ़ाकर और आरबीआई से अल्पकालिक उधार लेकर अर्थव्यवस्था को दो साल के भीतर पटरी पर लाया जा सकता है। इसके लिए ठोस योजना होनी चाहिए। हमें मांग को बढ़ाना होगा, बड़े पैमाने पर सरकारी निवेश करना होगा। मोदी सरकार को समझना चाहिए कि यह समय राजकोषीय रूढ़िवाद का नहीं है। दास कहते हैं, “क्रेडिट रेटिंग अब मायने नहीं रखती। जीवन और आजीविका अहम हैं।”(NAVJIVAN)
पटना, 12 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। इन सबके बीच जनता दल (सेक्युलर) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच़ डी़ देवगौड़ा इसी महीने पटना में एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर अपने मुद्दों को जनता के समक्ष रखेंगे।
पार्टी ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, "बिहार को एक नये विचार और दिशा की जरूरत है। कोरोना और बाढ़ ने बिहार सरकार की नाकामियों को उजागर किया है। लोगों को बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। महामारी और बाढ़ की दोहरी मार झेल रही बिहार की जनता के प्रति मेरी पूरी संवेदना व सहानुभूति है।"
देवगौड़ा ने दावा करते हुए कहा कि बिहार के कई नेता उनके संपर्क में हैं और वे चुनाव में अपनी भूमिका निभाने के लिए जद (एस) में शामिल होंगे।
इस बीच, पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित सिंह ने कहा कि तीन ज्वलंत मुद्दों के साथ पार्टी बिहार चुनाव में उतरी है, किसान, मजदूर और छात्र। नीतीश सरकार पर हमलावर होते हुए कहा, "बिहार सरकार ने कोरोना काल में मजदूरों के साथ जो अन्याय किया है उसका जवाब देने का वक्त आ गया है। क्वारंटाइन केंद्रों के नाम पर बिहार में लूट मचाई गई।"
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एच डी कुमारस्वामी ने कहा, "बिहार में विकास की कोई गति नहीं है। इतने वर्षो तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद नीतीश सरकार रोजगार पैदा करने में असफल रही है।"
बिहार जेडीएस के अध्यक्ष हलधर कांत मिश्रा ने कहा कि, "कुछ समय पहले नीतीश कुमार केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा करते थे, अब वो विशेष राज्य का नाम तक नहीं लेते। बिहार में अपराध का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। ऐसे में राज्य की जनता का भरोसा नीतीश सरकार से उठ चुका है। "
--आईएएनएस
रांची, 12 सितंबर (आईएएनएस)| झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव से आगामी बिहार चुनाव के लेकर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आरआईएमएस) के निदेशक के आधिकारिक आवास पर हुई।
लालू को कोरोनावायरस के चलते रिम्स अस्पताल में पेइंग वार्ड में रखा गया है।
सोरेन ने बिहार के पूर्व सीएम से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, "लालू से लंबे समय बाद मुलाकात हुई। हमारी पार्टी राजद के साथ गठबंधन कर बिहार चुनाव लड़ना चाहती है। कौन किस तरह कि भूमिका निभाएगा इसकी जानकारी बाद में दी जाएगी।"
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है, लेकिन पार्टी का फिलहाल बिहार में कोई विधायक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास एक सीट थी।
--आईएएनएस
लाहौर, 12 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक महिला के साथ उसके दो नाबालिग बच्चों के सामने सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर लोगों का व्यापक रोष देखने को मिल रहा है। महिलाओं ने पाकिस्तान में अपनी सुरक्षा के पर्याप्त उपायों की मांग की है और साथ ही देश में दोषियों की सार्वजनिक फांसी की मांग भी उठ रही है।
यह घटना बुधवार को गुज्जरपुर इलाके के पास घटित हुई। महिला की कार बंद हो गई थी और वह सड़क पर मदद का इंतजार कर रही थी। उसी वक्त वहां दो लोग पहुंचे और उन्होंने बंदूक की नोक पर महिला के के साथ दुष्कर्म किया।
महिला ने लाहौर-सियालकोट मार्ग पर टोल प्लाजा को पार कर लिया था कि तभी ईंधन की कमी के कारण उनकी कार रुक गई।
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने गुजरांवाला में अपने रिश्तेदार को फोन किया था, जिसने उसे मदद के लिए पुलिस को फोन करने के लिए कहा और वह खुद भी उस तक पहुंचने के लिए घर से चल दिया था।
हालांकि जब तक वह घटनास्थल पर पहुंचा तो उसने पाया कि महिला खून से लथपथ हालत में थी।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कम से कम दो हथियारबंद लोगों ने महिला को अकेले पाया तो वह उसे और बच्चों को बंदूक की नोक पर पास के खेत में ले गए और महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
पंजाब सरकार के प्रवक्ता मुसरत चीमा ने कहा, "अब तक 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और अभी भी तलाश जारी है।"
पंजाब पुलिस ने कहा, "पीड़िता और उसके परिवार को तत्काल न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।"
पंजाब पुलिस ने बयान में कहा, "पुलिस की टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। आरोपी की पहचान के लिए डीएनए सबूत, जियो-फेंसिंग, सीसीटीवी फुटेज और एनएडीआरए रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।"
हालिया जानकारी के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को सूचित किया है कि मामले में संदिग्ध में से एक की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने कहा, "संदिग्ध में से एक का नाम आबिद अली है। उसके पास 2013 से ही लूट और दुष्कर्म के मामलों का आपराधिक रिकॉर्ड है। महिला की कार से लिए गए नमूनों के आधार पर डीएनए परीक्षण के जरिए उसकी पहचान की गई है।"
इस घटना के बाद से पूरे पाकिस्तान में महिला अधिकार कार्यकर्ता और सिविल सोसायटी की बीच गुस्सा उत्पन्न हुआ है। लोगों ने क्रूर घटना के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, जो उनके गुस्से और निंदा को व्यक्त करता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता आमना अमीर ने कहा कि यह राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह अपने लोगों के जीवन की रक्षा और सुरक्षा करे।
लाहौर के लिबर्टी स्क्वायर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आमना आमिर ने कहा, "हमारे जीवन की रक्षा और सुरक्षा के लिए राष्ट्र की जिम्मेदारी है। मैं आज पूछती हूं कि राज्य कहां है? अपने दो मासूम छोटे बच्चों के साथ खड़ी एक महिला के साथ क्रूरता से दुष्कर्म किया जाता है और राज्य उसके सम्मान की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं कर सकता है।"
उन्होंने कहा, "हमें महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत है और जब तक राष्ट्र पीड़ितों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए न्याय सुनिश्चित नहीं करता है, तब तक हम इस अन्याय के खिलाफ विरोध करने के लिए हर रोज यहां आते रहेंगे।"
प्रधानमंत्री इमरान खान ने महिलाओं, लड़कियों और छोटे बच्चों पर यौन उत्पीड़न की चल रही घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं हमारे सामाजिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता और जिम्मेदारी है। किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की बर्बरता की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसी घटनाएं हमारे सामाजिक मूल्यों और हमारे समाज पर एक बदसूरत दाग हैं।"
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध करने वाला चाहे कोई भी हो उसे पीड़िता को यातना देने के लिए सख्त सजा भुगतनी होगी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| अगली बार आप जब भी विमान, हवाईअड्डे में फोटो लें या फिर विमान के लैंडिंग और टेक-ऑफ के समय शानदार तस्वीर अपने फोन में उतारना चाहें, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि एयरलाइन के अधिकारी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, जो इस बाबत नियम तोड़ेंगे। डीजीसीए ने एक नया आदेश पारित किया है, जिसके अंतर्गत इस बाबत नियम का उल्लंघन करने और इसपर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए, एयरलाइनों को उक्त मार्गो पर दो हफ्ते का निलंबन झेलना पड़ सकता है।
डीजीसीए के अनुसार, विमान को संचालित करने की तभी इजाजत दी जाएगी,जब उक्त एयरलाइन कंपनी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करेगा।
डीजीसीए ने इस मामले में लोगों की ओर से उल्लंघन के चलते दिशानिर्देशों को कड़ा किया है। इस लापरवाही से एयरलाइन संचालन में सुरक्षा खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यह भी देखा गया कि एयरलाइन क्रू मेंबर भी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। क्रू मेंबरों को परिवार के साथ कॉकपिट में फैमिली पिक्चर लेते देखा गया।
डीजीसीए ने सभी एयरलाइनों, एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एएआई को जारी अपने आदेश में कहा, "नियमों के बावजूद, यह देखा गया था कि कई बार, एयलाइंस अपनी तरफ से सतर्कता के आभाव में इन नियमों का पालन करवाने में विफल हो जाते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की लापरवाही से सुरक्षा के लिए बनाए गए उच्चतम स्तर के मानकों से समझौता करना पड़ता है। इसलिए अब इसकी इजाजत नहीं होगी।"
--आईएएनएस
जयपुर, 12 सितंबर (आईएएनएस)| राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को नौकरियों में कमी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पार्टी के नेता राहुल गांधी की विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि तमाम उद्योगों पर ताला लग जाने से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने जो कहा, वह बिल्कुल सही है। केंद्र में सत्ता में आने पर भाजपा ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि इसके विपरीत पिछले कुछ महीनों में करोड़ों नौकरियां चली गई हैं। वेतन में कटौती की जा रही है, चीन लद्दाख में हमारे सीमा क्षेत्रों में घुस आया है। हालांकि, लोगों का ध्यान इन मुद्दों से हटाने के लिए अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।"
उन्होंने कहा कि अगर इन मुद्दों पर कोई कार्रवाई की गई तो पूरा देश भारत सरकार के साथ खड़ा होगा।
राहुल गांधी पहले भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना द्वारा घुसपैठ कर कब्जा जमाए जाने, नौकरी में कटौती, बढ़ती बेरोजगारी और सकल घरेलू उत्पाद भारी गिरावट के साथ कई मुद्दों पर ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साध चुके हैं।
--आईएएनएस