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वाशिंगटन, 18 सितंबर (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 3 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 944,000 से अधिक हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नए अपडेट में खुलासा किया कि शुक्रवार की सुबह तक, कुल मामलों की संख्या 30,065,728 हो गई और मृत्यु दर बढ़कर 944,604 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण के मामलों 6,674,070 और इससे हुई 197,615 मौतों के साथ अमेरिका सबसे खराब स्थिति वाला देश है।
वहीं भारत 5,118,253 मामलों के साथ वर्तमान में दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में संक्रमण से कुल मृत्यु 83,198 हुई है।
सीएसएसई के अनुसार, तीसरे स्थान पर ब्राजील (4,455,386) है और उसके बाद रूस (1,081,152), पेरू (744,400), कोलम्बिया (736,377), मैक्सिको (684,113), दक्षिण अफ्रीका (655,572), स्पेन (625,651), अर्जेंटीना (601,713), फ्रांस (454,266), चिली (441,150), ईरान (413,149), ब्रिटेन (384,083), बांग्लादेश (344,264), सऊदी अरब (328,144), इराक (307,385), पाकिस्तान (303,634), तुर्की (298,039), इटली (293,025), फिलीपींस (276,289), जर्मनी (269,048), इंडोनेशिया (232,628), इजरायल (175,256), यूक्रेन (170,373), कनाडा (142,879), बोलिविया (128,872), कतर (122,693), इक्वाडोर (122,257), रोमानिया (108,690), कजाकिस्तान (107,056), डोमिनिकन गणराज्य (106,136), पनामा (104,138) और मिस्र (101,641) हैं।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश ब्राजील (134,935), मैक्सिको (72,179), ब्रिटेन (41,794), इटली (35,658), फ्रांस (31,103), पेरू (31,051), स्पेन (30,405), ईरान (23,808), कोलंबिया (23,478), रूस (18,996), दक्षिण अफ्रीका (15,772), अर्जेंटीना (12,460), चिली (12,142) और इक्वाडोर (10,996) हैं।
मुंबई, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत के बधिर समुदाय ने अभिनेता रणवीर सिंह द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा(इंडियन साइन लैंग्वेज) को आधिकारिक भाषा बनाने के प्रयास की सराहना की है।
रणवीर अधिकारियों से भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को भारत की 23वीं आधिकारिक भाषा के रूप में चिह्न्ति करने और घोषित करने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में इस कार्य के लिए जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक याचिका पर हस्ताक्षर किए।
नवजर ईरानी के साथ मिलकर बनाया उनका स्वतंत्र रिकॉर्ड लेबल इंकइंक ने साइन लैंग्वेज म्यूजि़क वीडियो भी जारी किए हैं। ऐसे में भारत में बधिर समुदाय के 25 सदस्यों ने उनके लिए धन्यवाद वीडियो बनाकर, उसके माध्यम से सराहना की।
सदस्यों ने कहा, "आईएसएल को भारत की 23वीं आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता रणवीर सिंह के प्रयास के बारे में सुनकर हम बहुत खुश हुए। हमें बहुत खुशी है कि वह इसका समर्थन करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "भारतीय सांकेतिक भाषा एक सुंदर भाषा है। हम बधिर समुदाय के प्रति समर्थन दिखाने के लिए रणवीर को धन्यवाद देना चाहते हैं।"
अभिभूत रणवीर ने कहा कि उनका स्वतंत्र संगीत लेबल समावेशिता को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है।
रणवीर ने कहा, "इंकइंक को कला के माध्यम से समावेशिता को प्रोत्साहित करने के लिए एक मंच के रूप में बनाया गया है और हम भारतीय साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को भारत की 23वीं आधिकारिक भाषा बनाने के लिए गंभीरता से प्रतिबद्ध हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "यह प्रगतिशील कदम शिक्षा से लेकर रोजगार तक, मनोरंजन से लेकर भारत में 1 करोड़ से अधिक बधिर लोगों तक सभी क्षेत्रों में समान पहुंच प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करेगा।"
- राम पुनियानी
दिनदहाड़े बाबरी मस्जिद ध्वस्त किए जाते समय एक नारा बार-बार लगाया जा रहा था “यह तो केवल झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है”।
सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद की भूमि उन्हीं लोगों को सौंपते हुए, जिन्होंने उसे ध्वस्त किया था, यह कहा था कि वह एक गंभीर अपराध था। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद राम मंदिर का उपयोग सत्ता पाने के लिए और समाज को धार्मिक आधार पर बांटने के लिए किया गया। बार-बार यह दावा किया गया कि भगवान राम ने ठीक उसी स्थान पर जन्म लिया था। यही आस्था राजनीति का आधार बन गई और अदालत के फैसले का भी। यह धार्मिक राष्ट्रवाद देश की राजनीति में मील का पत्थर बना। परंतु अब क्या?
वैसे तो ऐसे मुद्दों की कोई कमी नहीं है, जिनसे धार्मिक आधार पर समाज को बांटा जाता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों को हाशिये पर लाने के लिए जिनका उपयोग होता है। इनमें से कुछ तो विघटनकारी राजनीति करने वालों के एजेंडे में स्थायी रूप से शामिल कर लिए गए हैं। जैसे, लव जिहाद (अब इसमें भूमि जिहाद, कोरोना जिहाद, सिविल सर्विसेस जिहाद आदि भी जुड़ गए हैं), पवित्र गाय, बड़ा परिवार, समान नागरिक संहिता आदि। इसके अलावा इस तरह के नए-नए मुद्दे खोज कर भी सूची में जोड़े जाते हैं। इन मुद्दों को इस तरह पेश किया जाता है जैसे बहुसंख्यक, अल्पसंख्यकों की राजनीति से पीड़ित हैं।
इसी इरादे से उठाए गए दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं- काशी और मथुरा। काशी में विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई ज्ञानव्यापी मस्जिद है। कुछ लोगों का कहना है कि यह मस्जिद अकबर के शासनकाल में बनाई गई थी। तो कुछ अन्य मानते हैं कि इसका निर्माण औरंगजेब के राज में किया गया था। इसी तरह मथुरा के बारे में कहा जाता है कि शाही ईदगाह, कृष्ण जन्मभूमि के नजदीक बनी हुई है। हिन्दुओं की आस्था के अनुसार राम, शिव और कृष्ण सबसे प्रमुख देवता हैं। इस तरह धार्मिक दृष्टि से अयोध्या (राम), वाराणसी (शिव) और मथुरा (कृष्ण) आस्था के तीन केन्द्र हैं और इन्हें मुक्त कराना आवश्यक है।
यह कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने सैकड़ों मंदिर ध्वस्त किए। परंतु हिन्दू राष्ट्रवादियों के अनुसार कम से कम इन तीन को तो पुनः प्रतिष्ठापित किया ही जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह भी प्रचारित किया जाता है कि दिल्ली की जामा मस्जिद और अहमदाबाद की जामा मस्जिद भी हिन्दुओं के पूजास्थलों को तोड़कर बनाई गईं हैं।
मंदिरों को ध्वस्त किए जाने की घटनाओं का इतिहास और पुरातत्व के विद्वानों ने विश्लेषण किया है। यह कहा जाता है कि मंदिर तोड़े जाने का प्रमुख कारण राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता थी। इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है कि अपनी सत्ता का सिक्का जमाने के लिए या संपत्ति हड़पने के लिए मंदिर तोड़े गए।
एक पक्ष यह भी है कि जहां मुस्लिम राजाओं ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा वहीं उनमें से कुछ ने हिन्दू मंदिरों को उदारतापूर्वक दान भी दिया। ऐसे कुछ फरमान मिले हैं, जिनमें इस बात का उल्लेख है कि औरंगजेब ने अनेक हिन्दू मंदिरों को दान दिया। इनमें गुवाहाटी का कामाख्या देवी मंदिर, उज्जैन का महाकाल और वृंदावन का कृष्ण मंदिर शामिल है। यह दावा भी किया जाता है कि औरंगजेब ने गोलकुंडा में एक मस्जिद को भी ध्वस्त किया, क्योंकि गोलकुंडा का शासक तीन वर्षों से लगातार बादशाह को शुक्राना नहीं चुका रहा था।
प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता डी. डी. कोशाम्बी ने अपनी पुस्तक (रिलिजियस नेशनलिज्म, मीडिया हाउस, 2020, पृष्ठ 107) में लिखा है कि “11वीं सदी में कश्मीर के राजा हर्षदेव ने दोवोत्वपतन नायक पदनाम के अधिकारी की नियुक्ति की थी। इस अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह ऐसी मूर्तियों पर कब्जा करे, जिनमें हीरे, मोती और कीमती पत्थर जड़े हों।”
एक अन्य प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता रिचर्ड ईटन बताते हैं कि विजयी हिन्दू राजा पराजित होने वाले राजाओें के कुलदेवता के मंदिरों को ध्वस्त करते थे और उनके स्थान पर अपने कुलदेवता के मंदिरों की स्थापना करते थे। श्रीरंगपट्टनम में मराठा फौजों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा और बाद में टीपू सुलतान ने उनकी मरम्मत करवाई।
कुछ चुनिंदा साम्प्रदायिक इतिहासज्ञों ने मंदिरों के ध्वस्त होने की घटनाओं को देश में विभाजनकारी राजनीति को मजबूती देने के लिए प्रमुख हथियार बनाया है। इतिहास का एक पहलू यह भी है कि बौद्धों और हिन्दुओं के बीच टकराव में सैकड़ों बौद्ध विहार तोड़े गए। अभी हाल में राममंदिर की नींव तैयार करने के दौरान बौद्ध विहारों के अवषेष पाए गए।
इतिहासवेत्ता डॉ एमएस जयप्रकाश के अनुसार, 830 और 966 ईसवी के बीच हिन्दू धर्म के पुनरूद्धार के इरादे से सैकड़ों की संख्या में बुद्ध की मूर्तियां, स्तूप और विहार नष्ट किए गए। भारतीय और विदेशी साहित्यिक और पुरातात्विक स्त्रोतों से यह पता लगता है कि हिन्दू अतिवादियों ने बौद्ध धर्म को नष्ट करने के लिए कितने क्रूर अत्याचार किए। अनेक हिन्दू शासकों को गर्व था कि उन्होंने बौद्ध धर्म और संस्कृति को पूर्ण रूप से तबाह करने में भूमिका अदा की।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने घोषणा की है कि वह शीघ्र ही काशी और मथुरा को मुक्त करने के लिए अभियान प्रारंभ करेगी। परिषद ने यह इरादा भी जाहिर किया है कि इस अभियान में वह संघ से जुड़े संगठनों की सहायता भी लेगी। इस समय तो आरएसएस यह कह रहा है कि इस मुद्दे में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। परंतु जैसा पूर्व में हो चुका है- ज्योंही अखाड़ा परिषद का अभियान जोर पकड़ेगा संघ उससे जुड़ जाएगा- इसकी भरपूर संभावना है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि मस्जिदों को गुलामी का प्रतीक बताया जाता है। कर्नाटक के बीजेपी नेता और ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री के एस ईष्वरप्पा ने 5 अगस्त को यह दावा किया कि गुलामी के ये प्रतीक बराबर हमारा ध्यान खींचते हैं और हम से यह कहते हैं कि “तुम गुलाम हो”। उन्होंने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा, “विश्व के सभी हिन्दुओं का एक स्वप्न है कि गुलामी के इन प्रतीकों को वैसे ही नष्ट किया जाए, जैसे अयोध्या में किया गया था। मथुरा और काशी की मस्जिदों को निश्चित ही ध्वस्त किया जाएगा और वहां मंदिर का पुनर्निर्माण होगा।”
ऐसी बातें इस तथ्य के बावजूद कही जा रही हैं कि इस संबंध में कानूनी स्थिति यह है कि “किसी भी धार्मिक स्थान में कोई ऐसा परिवर्तन नहीं किया जाएगा, जिससे उसके धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन हो और उसमें वही स्थिति कायम रखी जाएगी जो 15 अगस्त 1947 को थी।”
इस पृष्ठभूमि में हमारा आगे का रास्ता क्या होना चाहिए? हम अयोध्या के राम मंदिर को लेकर हुए उपद्रव को देख चुके हैं। इसके सामाजिक और राजनीतिक परिणामों ने हमारे लोकतंत्र को कई दशकों पीछे धकेल दिया है। नतीजे में धार्मिक अल्पसंख्यक लगभग दूसरे दर्जे के नागरिक बन गए हैं।
मंदिरों की यह राजनीति हमारे बहुवादी लोकतांत्रिक संस्कारों के विपरीत है। राम मंदिर आंदोलन के माध्यम से दक्षिणपंथी ताकतें अपना प्रभुत्व बढ़ाने में सफल हुई हैं और इस सफलता से उत्साहित होकर वे इसे दोहराना चाहेंगीं, जो देश की प्रगति और विकास में बाधक सिद्ध होगा। हम केवल यह आशा कर सकते हैं कि बहुसंख्यक समुदाय ऐसे मुद्दों को दुबारा उठाए जाने के खिलाफ उठ खड़ा होगा।
(लेख का हिंदी रूपांतरणःअमरीश हरदेनिया द्वारा)(navjivan)
बैंकिंग धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए SBI ने ATM से कैश निकालने का नियम बदल दिया है। यह नियम आज यानी 18 सितंबर से लागू हो गया है। अब हर बार ATM से कैश निकालते हुए आपको अपने साथ मोबाइल फोन रखना होगा। ATM कार्ड और पिन डालते ही आपके फोन पर एक OTP आएगा। ATM पिन के साथ यह OTP डालने पर ही अब ATM से पैसा निकल पाएगा।
SBI के नए नियम का फायदा ये होगा कि अगर आपका डेबिट कार्ड और पिन किसी को पता चल भी जाता है तो वह तब तक आपके खाते से पैसे नहीं निकाल सकता जब तक उसके पास आपका मोबाइल फोन ना हो।
OTP बेस्ट सिस्टम 24 घंटे करेगा काम
ATM पर होने वाले अनऑथाराइज्ड लेनदेन पर रोक लगाने के लिए SBI ने ओटीपी बेस्ड सुविधा (OTP based system) को 24 घंटे के लिए शुरू कर दिया है। यह सुविधा 24X7 सातों दिन काम करेगी। पहले बैंक ने यह सुविधा केवल 10 हजार रुपए से ज्यादा की निकासी पर लागू किया था जिसका समय रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक रखा गया था। SBI ने अपने बयान में कहा कि OTP based withdrawal 24 घंटे लागू होने से ग्राहक कार्ड क्लोनिंग, कार्ड स्कीमिंग, अनऑथाराइज्ड ट्रांजेक्शन और फ्रॉड जैसी समस्याओं से बच सकेंगे।
कैसे काम करेगा नया नियम
18 सिंतबर से अगर 10 हजार या इससे अधिक पैसे ATM से निकालने जाते हैं तो कार्ड एंटर करने और अमाउंट डालने के बाद SBI की तरफ से रजिस्टर्ड मोबाइल पर एक OTP आएगा। इस OTP को डेबिट कार्ड की पिन के साथ डालना होगा, तभी आप SBI के ATM से पैसे निकाल सकेंगे। SBI देश की सबसे बड़ी बैंक है जिसके बैंकिंग नेटवर्क में करीब 22,000 शाखाएं देशभर में मौजूद हैं। SBI के 6.6 करोड़ से ज्यादा ग्राहक मोबाइल बैंकिग और ATM की सुविधा का इस्तेमाल करते हैं।(moneycontrol)
चंडीगढ़, 18 सितंबर (आईएएनएस)| पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोदी कैबिनेट से अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह सब अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा किसानों की चिंता के लिए नहीं है, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए है और किसानों के लिए यह बहुत देर बाद किया गया बहुत कम काम है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बने रहने के शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का इस्तीफा भी पंजाब के किसानों के साथ खिलवाड़ करने से ज्यादा कुछ नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये इस्तीफा राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए है। हरसिमरत कौर का इस्तीफा नाटक है।
उन्होंने कहा कि हरसिमरत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन नहीं छोड़ा है। सिंह ने कहा कि ये किसानों की चिंता के लिए नहीं, बल्कि खुद की घटती राजनीतिक जमीन को बचाने से प्रेरित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा पंजाब और उसके किसानों को किसी भी तरह की मदद के लिए देर से आया है।
दरअसल, भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने किसानों से जुड़े नए विधेयक के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।
पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, "मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।"
बता दें कि किसानों से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं, इसलिए सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भी विधेयकों के खिलाफ मुखर हैं।
वाराणसी, 18 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का पूवरेत्तर रेलवे के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम अब बनारस हो गया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नाम बदलने की अनुमति दे दी है। 18 अगस्त को मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस रखने का गृह मंत्रालय से आदेश पत्र जारी हो गया था। इसके बाद से अन्य कागजी तैयारियों ने जोर पकड़ लिया था। बनारस स्टेशन नामकरण को अब राज्यपाल ने भी हरी झंडी दे दी है।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जाएगा। उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापत्ति पत्र के आधार पर, इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दी गई।"
इससे पहले 17 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी दे दी थी। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर कुल आठ प्लेटर्फार्म हैं। वाराणसी-नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस, ग्वालियर के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस, आधा दर्जन प्रमुख ट्रेनों का संचालन होता है।
इस्लामाबाद, 18 सितंबर (आईएएनएस)| इमरान खान सरकार अवैध रूप से कब्जा किए गए गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को देश का पांचवां प्रांत बनाकर जल्द ही एकीकृत करने की तैयारी कर रही है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन गंडापुर ने बुधवार को यह बात कही है।
अली अमीन ने पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान जल्द ही क्षेत्र का दौरा करेंगे और इसका औपचारिक ऐलान करेंगे।
उन्होंने कहा है कि क्षेत्र को नेशनल असेंबली और सीनेट समेत हर संवैधानिक निकाय में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। अमीन ने कहा कि नवंबर में यहां चुनाव कराए जाएंगे।
वहीं भारत का इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख है और इसने इसे लेकर साफ कहा है कि गिलगित-बल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र उसके अंतर्गत आता है।
गंडापुर ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान को नेशनल असेंबली और सीनेट समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं में पर्याप्त नुमाइंदगी दी जाएगी। मंत्री ने कहा, "सभी पक्षकारों से विचार-विमर्श के बाद संघीय सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को संवैधानिक अधिकार देने पर सैद्धांतिक सहमति जताई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीसीई) के तहत मोकपोंदास विशेष आर्थिक क्षेत्र पर भी काम शुरू किया जाएगा।
मंत्री ने कहा, "हमारी सरकार ने वहां के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने का फैसला किया है।"
उन्होंने कहा कि क्षेत्र को दिए जाने वाले गेहं पर सब्सिडी और कर छूट तब तक जारी रहेगी, जब तक वहां के लोग अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते। गंडापुर ने कहा कि पिछले 73 वर्षों से गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों को वंचित रहना पड़ा है।
क्षेत्र के आगामी चुनावों के बारे में गंडापुर ने कहा कि मतदान नवंबर के मध्य में होगा और उम्मीदवारों को पार्टी टिकटों का वितरण जल्द ही शुरू होगा। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) किसी भी स्थानीय पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन में प्रवेश कर सकती है, लेकिन वह पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ किसी प्रकार का कोई गठबंधन नहीं करेगी।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) भारत के खिलाफ जिहाद को बढ़ावा देने के लिए बच्चों एवं युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए गेमिंग एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा है। आतंकी संगठन ऐप्स के जरिए पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं का ढोंग और युवाओं को शिक्षित करने का दावा करते हुए ऐसे कदम उठा रहा है।
जेयूडी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़ा हुआ है। एक सूत्र ने कहा, "जेयूडी के गेमिंग ऐप्स के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में जिहाद फैलाने की साजिश रची है।"
भारत में 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद ने पाकिस्तान में 45 स्थानों पर कार्यालय खोले हैं। सूत्र ने कहा, "युवाओं को गेम्स के बारे में अवगत कराया जाता है और इन केंद्रों में स्थापित कंप्यूटरों का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है।"
जेयूडी ने गेम और मोबाइल फोन ऐप विकसित करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामर से मदद मांगी है। गेम और एप्स को विकसित करने के लिए जेयूडी की ऐसी योजनाओं के बारे में पहला संकेत जेयूडी ऑफिशियल के अकाउंट से माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर किए गए कुछ ट्वीट्स के रूप में 2018 में सामने आया था।
तब आतंकी समूह ने कहा था कि वे गेम और एप विकसित करने की योजना बना रहे हैं, जो जाहिर तौर पर पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं से प्रेरित हैं।
हाल के महीनों में भारत में अशांति फैलाने के उद्देश्य से फंड जुटाने और प्रसार के लिए जेयूडी ने ट्विटर और फेसबुक सहित सोशल मीडिया के उपयोग को आगे बढ़ाया है।
भारत के खिलाफ हजारों नकली प्रचार सामग्री और देश में दंगे फैलाने की साजिश के साथ, जेयूडी की सोशल मीडिया टीम ने हैशटैग के माध्यम से भारत के खिलाफ नफरत फैलाई।
सईद की सोशल मीडिया टीम को 'जेयूडी साइबर टीम' के रूप में भी जाना जाता है।
इस साल दिल्ली में हुई हिंसा के संदर्भ में जेयूडी के एक साइबर सेल ने ट्विटर और फेसबुक पर भारत के खिलाफ बड़ी संख्या में आपत्तिजनक पोस्ट साझा किए।
विभिन्न हैशटैग के माध्यम से, भारत में मुसलमानों पर अत्याचार की झूठी खबरों के तहत कई पोस्ट साझा किए गए।
भारतीय एजेंसियों ने दावा किया कि पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने भारत के खिलाफ खाड़ी देशों को आगे बढ़ाने के लिए जेयूडी के साथ एक बड़ी भूमिका निभाई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध लगाए हैं और इसके प्रमुख चार नेताओं को आतंकवादी घोषित किया था, जिसमें जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी शामिल हैं।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि उसने पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद वाले मंसूबों को खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा कि पाकिस्तान को अपने क्षेत्र के बारे में ऐसे दावे नहीं करने चाहिए, जिनकी कोई कानूनी मान्यता और अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता न हो। राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने पाकिस्तान के उस राजनीतिक मानचित्र के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही, जिसमें उसने गुजरात, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों पर अपना अनर्गल दावा किया है। मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार, पाकिस्तान की इस कार्रवाई और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जम्मू-कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर उसके दुष्प्रचार का यथोचित जवाब दे रही है।
राज्यसभा में इस मुद्दे पर एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए मुरलीधरन ने यह बात कही।
पाकिस्तान ने चार अगस्त को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही गुजरात के कुछ हिस्सों में अपना दावा पेश करते हुए नया नक्शा जारी किया था। मंत्री ने लिखित जवाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से नक्शा जारी करने को बेतुका कदम करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध चाहता है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे को आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में द्विपक्षीय तथा शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए।
मुरलीधरन ने कहा कि सीमापार से भारत के विरुद्ध किसी भी तरह के आतंकवाद पर नियंत्रण लगाना चाहिए तथा किसी तरह की आतंकवादी गतिविधि के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सीमापार आतंकवाद और आतंकवादियों की घुसपैठ को पाकिस्तान की ओर से समर्थन दिए जाने का मुद्दा निरंतर उठाया है। इसके फलस्वरूप आतंकी गुटों और आतंकवादियों की गतिविधियां निरंतर जारी रहने सहित पाकिस्तान से आतंकवाद फैलाए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ी है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेशनल यूनिट की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा का मानना है हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है। हालांकि, भाजपा को अब भी उम्मीद है कि वह इस मसले पर सहयोगी दल से बातचीत कर मामले को सुलझा लेगी।
भाजपा में आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, " तीनों कृषि बिलों से किसानों को ही फायदा पहुंचने वाला है। लेकिन पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस ने झूठ फैलाया है, उससे मुझे लगता है कि शिरोमणि अकाली दल भी स्थानीय राजनीति के दबाव में आ गई। जिसकी वजह से हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिलाया गया। जबकि तीनों बिलों से किसानों को होने वाले फायदे से शिरोमणि अकाली दल भी वाकिफ है।"
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भाजपा तीनों बिलों को लेकर फैलाए जाने वाले झूठ का लगातार पदार्फाश कर रही है। कांग्रेस आदि विरोधी राजनीति दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाने का झूठ फैला रहे हैं। जबकि तीनों बिलों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी ही नहीं एपीएमसी भी नहीं हट रहा है।"
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, उसी तरह से कृषि सुधारों से जुड़े इन तीनों बिलों पर भी विपक्ष झूठ फैला रहा है। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि वर्षों से किसानों की चली आ रही मांगों को ही इन तीनों बिलों के जरिए सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है।
दरअसल, मौजूदा संसद सत्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन प्रमुख बिल लेकर आई है। जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है। पहला बिल है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम का। दूसरा, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिटेशन) नाम का बिल है। इसके जरिये हर किसी को कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देने की मंशा है।
तीसरा बिल है फार्मर (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज का। इसके जरिये अनुबंध आधारित खेती को वैधता प्रदान होगी। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि ये बिल किसानों को नहीं बल्कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| कृषि से जुड़े विधेयकों का पंजाब में काफी विरोध हो रहा है क्योंकि किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां समाप्त होने की आशंका है। यही कारण है कि प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कृषि विधेयकों का विरोध किया है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को लोकसभा में कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 का विरोध किया। इसके बाद मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बादल के आवास से उनके इस्तीफा देने की पुष्टि हुई।
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं। पंजाब में यह शुल्क करीब 4.5 फीसदी है। लिहाजा, आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा। वहीं, पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर गेहूं और धान की सरकारी खरीद की जाती है। किसानों को डर है नये कानून के बाद एमएसपी पर खरीद नहीं होगी क्योंकि विधेयक में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस पहले से ही विधेयक का विरोध कर रही है। किसानों, आढ़तियों और कारोबारियों की आशंका को लेकर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहते हैं कि, जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो फिर मंडी में कोई शुल्क देना क्यों चाहेगा। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में बासमती निर्यातकों और कॉटन स्पिनिंग और जिनिंग मिल एसोसिएशनों ने मंडी शुल्क समाप्त करने की मांग की है।
पंजाब और हरियाणा में विरोध होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में एपीएमसी मंडियों का अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्च र है और एमएसपी पर गेहूं और धान की ज्यादा खरीद होती है। शर्मा ने बताया कि पंजाब में मंडियों और खरीद केंद्रों की संख्या करीब 1,840 हैं और ऐसी मंडी व्यवस्था दूसरी जगह नहीं है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक शिअद ने कृषि से जुड़े विधेयकों को किसान विरोघी बताया है। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, "देश के कुछ राज्यों ने आईटी सेक्टर का विकास किया तो कुछ ने पर्यटन का विकास किया, लेकिन पंजाब ने कृषि का बुनियादी ढांचा तैयार किया है। इस विधेयक से पंजाब के किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मंडी में काम करने वाले मजदूरों से लेकर खेतिहर मजदूरों को नुकसान होगा।"
बादल ने विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए कहा, "मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करता हूं।"
शिअद प्रमुख ने कहा कि पंजाब ने देश को अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि एक किलो चावल के उत्पादन में 5,000 लीटर पानी की जरूरत होती है और पंजाब के किसान अपना पानी त्याग कर देश के लिए अनाज पैदा करता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में पूरी दुनिया में सबसे अच्छी मंडी व्यवस्था है, इस विधेयक के पारित होने के बाद चरमरा जाएगी।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, शिअद के राजग से अलग होने के बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| देश में कृषि सुधार के लिए दो अहम विधेयकों को लोकसभा ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों के विरोधों के बीच कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 संसद के निम्न सदन में ध्वनिमत से पारित हो गए हैं। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन को आश्वस्त किया कि इन दोनों विधेयकों से फसलों के एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू किया और फसलों का एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। तोमर ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक कृषि बाजार की बात पूर्व प्रधानमं़ी मनमोहन सिंह ने 2005 में ही की थी। उन्होंने यह बात कांग्रेस सदस्यों द्वारा विधेयकों के विरोध पर कही।
भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधेयक को किसान विरोधी बताया। विधेयक लोकसभा में पारित होने के पहले शिअद कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
तोमर ने कहा कि किसानों को इन विधेयकों के माध्यम से अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिलेगी। तोमर ने स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। खेती में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सु²ढ़ होगी।
ये दोनों विधेयक कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे। चालू मानसून सत्र के पहले ही दिन 14 सितंबर को केंद्रीय मंत्री तोमर ने ये दोनों विधेयक लोकसभा में पेश किए थे जिन पर चर्चा के बाद लोकसभा ने अपनी मुहर लगा दी।
तोमर ने कहा कि विधेयक से किसानों को विपणन के विकल्प मिलेंगे, जिससे वे सशक्त बनेंगे। स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट अपने शासनकाल में लागू नहीं करने वाली कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि एमएसपी पर उपार्जन खत्म हो जाएगा,जो पूर्णत: असत्य है।
उन्होंने कहा, "किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, तय समयावधि में विवाद का निपटारा एवं किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा।"
तोमर ने कहा कि कृषक उपज व्योपार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी।
उन्होंने कहा कि किसानों के पास फसल बेचने के लिए वैकल्पिक चैनल उपलब्ध होगा जिससे उनको उपज का लाभकारी मूल्य मिल पाएगा।
कांग्रेस, डीएमके, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने विधेयकों को किसान विरोध करार दिया और देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध बताया। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे कठोर विधेयक बताया और कहा कि इस विधेयक का पास होना संसद के इतिहास में काला दिन होगा। बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय ने देश के 86 फीसदी छोटे किसानों को धन्नासेठों और कॉरपोरेट के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के मानसून सत्र में लाए गए कृषि से जुड़े विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए शिरोमणि अकाली दल कोटे से मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया। मोदी सरकार 2.0 में यह पहला इस्तीफा है। हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री मोदी को सौंपे इस्तीफे में अपनी पार्टी और किसानों को एक दूसरे का पर्याय बताया है। कहा है कि, किसानों के हितों से उनकी पार्टी किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती। हरसिमरत कौर और उनकी पार्टी को मनाने के लिए भाजपा लगातार प्रयासरत थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शिरोमणि अकाली दल से कृषि बिलों के मसले पर बातचीत चलने की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था कि कृषि बिलों पर भ्रम फैलाया जा रहा है। सहयोगी अकाली दल से पार्टी की बातचीत चल रही है। अकाली दल की जल्द ही बिलों को लेकर गलतफहमी दूर होगी। हालांकि, नड्डा के दावे के अनुरूप ऐसा नहीं हो सका। कृषि बिलों को किसान विरोधी बताते हुए हरसिमरत कौर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
दरअसल, कृषि सुधारों से जुड़े तीनों बिलों पर शिरोमणि अकाली दल के तेवर शुरूआत से ही तल्ख थे। राज्यसभा के चीफ व्हिप नरेश गुजराल ने बुधवार को पार्टी सांसदों को बिल के खिलाफ वोटिंग का निर्देश दिया था। भाजपा सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को मनाने के लिए बीजेपी के रणनीतिकारों की ओर से बातचीत चल रही थी। पार्टी ने अपने तीन प्रमुख सांसदों के साथ पंजाब की प्रदेश इकाई के एक नेता को बातचीत के मोर्चे पर लगाया था। भाजपा को उम्मीद थी कि बातचीत के जरिए वह शिरोमणि अकाली दल को कृषि बिलों के पक्ष में रजामंद कर सकती है। लेकिन, भाजपा की कई दफा की बातचीत के कारण भी शिरोमणि अकाली दल की नाराजगी दूर नहीं हो सकी।
आखिरकार गुरुवार को लोकसभा में अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे की बात कह दी। वहीं बाद में हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर आधिकारिक तौर पर बयान भी जारी कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के खिलाफ केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।"
गुरुग्राम, 18 सितंबर (आईएएनएस)| आईपीएल का 13वां सीजन शनिवार से शुरू हो रहा है और इसी के साथ सट्टेबाजी का बाजार भी शुरू होने की पूरी संभावना है। शहर के आसपास मौजूद सट्टेबाजों की मानी जाए तो मौजूदा विजेता मुंबई इंडियंस सट्टेबाजों की पहली पसंद है और उस पर 4.90 रुपये का भाव है जबकि मुंबई के बाद सनराइजर्स हैदराबाद है जिस पर 5.60 रुपये का भाव है। यूएई में होने वाले आईपीएल के शुरू होने से कुछ दिन पहले ही गुरुग्राम पुलिस ने अपनी इंटेलिजेंट विंग, क्राइम ब्रांच यूनिट और सभी जिलों के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को सट्टेबाजों पर नजर रखने के लिए कह दिया है और अपराधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने को कह दिया है।
वहीं दूसरी तरफ सट्टेबाजों ने पुलिस की नजर से दूर रहते हुए काम शुरू कर दिया है। मुंबई इंडियंस की पिछले प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने रोहित शर्मा को अपना पसंदीदा खिलाड़ी चुना है।
नाम न छापने की शर्त पर एक सट्टेबाज ने बताया, "आईपीएल में मुंबई इंडियंस की मौजूदा कीमत 4.90 रुपये है। उनके बाद सनराइजर्स हैदराबाद हैं जिसकी कीमत 5.60 रुपये है। इसके बाद चेन्नई सुपर किंग्स पांच रुपये, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को 6.20 रुपये, दिल्ली कैपिटल्स 6.40 रुपये, कोलकाता नाइट राइडर्स 7.80 रुपये, किंग्स इलेवन पंजाब 9.50 रुपये और राजस्थान रॉयल्स 10 रुपये के हिसाब से है।"
उन्होंने कहा, "जिस टीम की कीमत सबसे कम होती है उसे काफी मजबूत माना जाता है। अगर कोई मुंबई इंडियंस पर 1000 रुपये लगाता है कि मुंबई जीतेगी और मुंबई जीत जाती है तो उसे 4,900 रुपये मिलेंगे। मैच रेट ऊपर-नीचे हो सकती हैं।"
सट्टेबाज ने उनके लिए आईपीएल के महत्व को समझाते हुए कहा, "आईपीएल हमारे लिए और हमारे क्लाइंट के लिए बड़ा टूर्नामेंट है और इसका रद्द होना बड़ा झटका लगता है। कई लोग इन मैचों के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं ताकि वो उधार चुका सकें और यह पैसा व्यवसाय में लगा सकें।"
मेट्रोपोलिटन सिटी और छोटे शहर जैसे गुरुग्राम में सट्टेबाजी के बड़े गढ़ बन चुके हैं। आईपीएल में करोड़ों रुपये का सट्टा लगता है, लेकिन पुलिस इन लोगों पर लगाम लगाए रखने के लिए काफी सख्त है।
सूत्रों की मानें तो कई सट्टेबाजों जिनमें आगरा के श्याम वोहरा और उनके पिता वत्सल वोहरा का नाम शामिल है, ने गुरुग्राम में शरण ले ली है, क्योंकि दिल्ली और नोएडा में पुलिस की ज्यादा सख्ती है।
इंफॉर्मेशन ब्यूरो (आईबी) के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "सट्टेबाज श्याम वोहरा का नेटवर्क उत्तर प्रदेश और राजस्थान में है। यह बाप-बेटों का जोड़ा अपना सट्टेबाजी का कारोबार चलाने के लिए शहर में छुपा हुआ है। इसके अलावा कई राज्यों के सट्टेबाज शहर के बाहरी इलाकों में छुपे होंगे। आईपीएल मैचों में 40 हजार का सट्टा लगाए जाने का अनुमान है।"
इसी तरह के इनपुट के दम पर गुरुग्राम की पुलिस हाई अलर्ट है और इंटेलिजेंट यूनिट के पुलिस इन चार्ज को एरिया में निगरानी बढ़ाने को कहा है।
आधिकारिक डाटा के मुताबिक, "गैम्बलिंग एक्ट में कुल 148 मामले दर्ज हुए हैं और अभी तक इस साल में कुल 235 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पिछले साल, 446 मामले पंजीकृत हुए थे और 700 लोग गैम्बलिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए थे।"
गुरुग्राम पुलिस की डीसीपी (हेडक्वाटर्स) ने कहा कि पुलिस इस समय कोविड-19 में व्यस्त है लेकिन उनकी यूनिट गैरकानूनी नेटवर्क पर नजर बनाए हुए हैं।
उन्होंने कहा, "हमने अपनी पुलिस को गैरकानूनी काम करने वाले सिंडीकेट पर नजर रखने को कह दिया है। हमारी टीम सभी तरह के साइबर ऑपरेशन पर नजर रखे हुए हैं। साथ ही लोगों को एक जगह पर इकट्टा न होने के संबंध में निर्देश भी दे दिए गए हैं।"
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया पुलिस अपने सूत्रों के नेटवर्क से सट्टेबाजों की जानकारियां इकट्ठा करती हैं, क्योंकि सट्टेबाजों की हरकतों पर नजर बनाए रखना काफी मुश्किल होता है।
आईपीएल की शुरुआत 29 मार्च से होनी थी, लेकिन कोविड-19 के कारण इसे सितंबर में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कराया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सट्टेबाज बेसब्री से कर रहे थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 सितंबर। राज्य में आज रात 10.50 बजे तक 3809 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 1109 रायपुर जिले से हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 322, राजनांदगांव 58, बालोद 112, बेमेतरा 71, कबीरधाम 47, रायपुर 1109, धमतरी 166, बलौदाबाजार 145, महासमुंद 72, गरियाबंद 80, बिलासपुर 247, रायगढ़ 329, कोरबा 82, जांजगीर-चांपा 100, मुंगेली 65, जीपीएम 20, सरगुजा 51, कोरिया 74, सूरजपुर 45, बलरामपुर 27, जशपुर 21, बस्तर 225, कोंडागांव 44, दंतेवाड़ा 76, सुकमा 74, कांकेर 47, नारायणपुर 76, बीजापुर 23, अन्य राज्य 1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 सितंबर। रविवि से जुड़े कॉलेजों में आज से उत्तरपुस्तिकाओं का वितरण शुरू कर दिया गया, जिसे लेने छात्र-छात्राओं की दिनभर भारी भीड़ लगी रही। उक्त वितरण को रविवि ने आज रात स्थगित करने का आदेश जारी किया। कई कॉलेजों में भीड़ इतनी रही कि यहां सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं हो पाया। कॉलेजों की परीक्षाएं 25 सितंबर से शुरू हो रही है।
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेशनल यूनिट की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा का मानना है हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है। हालांकि, भाजपा को अब भी उम्मीद है कि वह इस मसले पर सहयोगी दल से बातचीत कर मामले को सुलझा लेगी।
भाजपा में आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, " तीनों कृषि बिलों से किसानों को ही फायदा पहुंचने वाला है। लेकिन पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस ने झूठ फैलाया है, उससे मुझे लगता है कि शिरोमणि अकाली दल भी स्थानीय राजनीति के दबाव में आ गई। जिसकी वजह से हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिलाया गया। जबकि तीनों बिलों से किसानों को होने वाले फायदे से शिरोमणि अकाली दल भी वाकिफ है।"
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भाजपा तीनों बिलों को लेकर फैलाए जाने वाले झूठ का लगातार पदार्फाश कर रही है। कांग्रेस आदि विरोधी राजनीति दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाने का झूठ फैला रहे हैं। जबकि तीनों बिलों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी ही नहीं एपीएमसी भी नहीं हट रहा है।"
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, उसी तरह से कृषि सुधारों से जुड़े इन तीनों बिलों पर भी विपक्ष झूठ फैला रहा है। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि वर्षों से किसानों की चली आ रही मांगों को ही इन तीनों बिलों के जरिए सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है।
दरअसल, मौजूदा संसद सत्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन प्रमुख बिल लेकर आई है। जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है। पहला बिल है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम का। दूसरा, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिटेशन) नाम का बिल है। इसके जरिये हर किसी को कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देने की मंशा है।
तीसरा बिल है फार्मर (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज का। इसके जरिये अनुबंध आधारित खेती को वैधता प्रदान होगी। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि ये बिल किसानों को नहीं बल्कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।
छत्तीसगढ़' संवाददाता
अंबिकापुर,17 सितंबर। बीती रात अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फार्मासिस्ट राजेंद्र राजवाड़े ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। फार्मासिस्ट युवक ने जहां फांसी लगाई है, वहीं पास पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें लिखा है कि उसकी जीने की इच्छा नहीं है, इसलिए वह मरना चाहता है। वह अपनी मौत का जिम्मेदार स्वयं है। युवक की मौत से परिवार सदमे में है।
पुलिस के अनुसार दरिमा थाना क्षेत्र के ग्राम कुनकुरी निवासी राजेंद्र राजवाड़े पिता ईश्वर राजवाड़े (41) मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में फार्मासिस्ट के पद पर पदस्थ था। वह अम्बिकापुर नगर के नमनाकला स्थित वसुंधरा सन सिटी में किराया का घर लेकर अपनी पत्नी व 10 वर्षीय बेटे के साथ रहता था। बुधवार की दोपहर वह ड्यूटी से लौटा और पत्नी व बेटे के साथ अपने गांव दरिमा पितृपक्ष कार्यक्रम में गया था। गांव से शाम 6 बजे वह अपनी पत्नी और बेटे को लेकर वापस अम्बिकापुर आ गया था। रात लगभग 10 बजे वह लैपटॉप में अपने बेटे के साथ बैठकर कुछ फोटोग्राफ्स देख रहा था। कुछ देर बाद पत्नी व बेटा सोने लगे। इसी बीच वह अचानक कमरे से बाहर बरामदे में निकला और पत्नी के दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा लिया।
रात करीब 12 बजे उसकी पत्नी उठी तो अपने पति को कमरे में ना देख कमरे से बाहर निकली तो बरामदे में पति का शव फांसी के फंदे से लटकते देखा। सूचना पर गांधीनगर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरु की। गुरुवार सुबह पुलिस ने शव को फंदे से उतरवाकर पीएम पश्चात परिजन को सौंप दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 सितंबर। रविवि से जुड़े कॉलेजों में आज से उत्तरपुस्तिकाओं का वितरण शुरू कर दिया गया है, जिसे लेने छात्र-छात्राओं की दिनभर भारी भीड़ लगी रही। कई कॉलेजों में भीड़ इतनी रही कि यहां सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं हो पाया। कॉलेजों की परीक्षाएं 25 सितंबर से शुरू हो रही है।
जानकारी के मुताबिक राजधानी रायपुर के दुर्गा कॉलेज, डिग्री गल्र्स कॉलेज, महंत कॉलेज, राधाबाई कॉलेज समेत कई कॉलेजों के सामने आज सुबह से मेले जैसी स्थिति बनी हुई थी। सैकड़ों छात्र-छात्राएं प्रवेश पत्र दिखाकर उत्तरपुस्तिका लेने के लिए यहां पहुंचते रहे, लेकिन इन सभी को गेट पर ही रोक दिया गया। ऐसे में धीरे-धीरे छात्र-छात्राओं की भीड़ बढ़ती चली गई।
रविवि प्रशासन ने कॉलेज की अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी पूरी कर ली है। 25 सितंबर से शुरू होने वाली परीक्षाओं के लिए 23 सितंबर तक उत्तरपुस्तिकाएं वितरित किए जाएंगे। उत्तरपुस्तिकाओं से संबंधित दिशा-निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं।
नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)| ट्रक पर पिता के साथ मौजूद श्यामानंद ने बताया कि जब उन्होंने फाइनेंसर के एजेंट को कोरोना महामारी के दौरान किस्त भुगतान में सरकार द्वारा दी गई छूट के प्रावधान का उल्लेख किया, तो एजेंटों ने जाने की अनुमति दे दी। लेकिन आगे जाकर ट्रक को फिर से रोक दिया।
उत्तर प्रदेश में एक ट्रक मालिक को किस्त न जमा करने पर आग के हवाले किये जाने की घटना सामने आई है। घटना घनश्यामपुर की है, जहां जौनपुर जिले के एक फाइनांसर के गुर्गों ने ट्रक मालिक सत्य प्रकाश राय (51) द्वारा किस्तों का भुगतान नहीं किये जाने पर उसे आग के हवाले कर दिया। मौके पर मौजूद लोगों ने दो आरोपियों को खदेड़ कर पकड़ लिया, जबकि बाकी आरोपी भाग खड़े हुए। वहीं पीड़ित को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना के बारे में बदलापुर के थाना प्रभारी (एसओ) श्रीजेश यादव ने बताया कि दो हमलावरों को पुलिस हिरासत में लिया गया है, वहीं राय को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बदलापुर एसओ ने कहा कि दोनों आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और मामले में आगे की जांच उनके पूछताछ के आधार पर की जा रही है।
ट्रक पर पिता के साथ मौजूद राय के बेटे श्यामानंद ने बताया कि वे मध्य प्रदेश के रीवा से कंक्रीट लोड करके आजमगढ़ लौट रहे थे। जब उनका ट्रक बदलापुर से गुजर रहा था, तो कुछ कार सवार लोगों ने उन्हें रोका और खुद को फाइनेंसर का एजेंट बताने के बाद उन्होंने ट्रक खरीदने के लिए राय द्वारा बीते पांच महीने पहले लिए गए ऋण की मासिक किस्त का भुगतान नहीं करने का कारण जानना चाहा।
श्यामानंद ने आगे बताया कि जब उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान किस्तों को चुकाने में सरकार द्वारा दी गई छूट के प्रावधान का उल्लेख किया, तो एजेंटों ने पहले उन्हें जाने की अनुमति दे दी। हालांकि, उन्होंने घनश्यामपुर क्षेत्र से गुजरने पर ट्रक को फिर से रोक दिया। श्यामानंद ने कहा कि वह केबिन में बैठा था और उसके पिता एजेंटों से बात करने के लिए नीचे उतरे, तभी उन्होंने अचानक अपने पिता की चीखने की आवाज सुनी।
श्यामानंद ने कहा, "मैंने देखा कि मेरे पिता आग की लपटों से घिरे हुए थे और मैं उनको बचाने के लिए ट्रक के केबिन से एक कंबल लेकर भागा, जबकि स्थानीय लोग उन एजेंटों का पीछा करने लगे। उनमें से दो को स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया, जबकि अन्य दो अपनी कार में भागने में सफल रहे।" राय को पहले नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
नई दिल्ली, 17 सितम्बर | सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम 'बिंदास बोल' के लिए बने 'यूपीएससी जिहाद' नामक एपिसोड के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका पर केंद्र सरकार ने अपना हलफ़नामा दायर किया है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 'पहले डिजिटल मीडिया का नियमन होना चाहिए, क्योंकि उसकी पहुँच टीवी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ज़्यादा है.'
बारह पन्ने के हलफ़नामे में केंद्र सरकार की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अवर सचिव विजय कौशिक ने लिखा है कि 'सुप्रीम कोर्ट को न्याय-मित्र (एमिकस क्यूरे) या न्याय-मित्रों की एक कमेटी को नियुक्त किये बिना मीडिया में हेट स्पीच के नियमन को लेकर और कोई दिशा-निर्देश नहीं देने चाहिए.'
मंत्रालय ने कहा है कि 'अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा करने का निर्णय लेता है, तो कोर्ट को पहले डिजिटल मीडिया के नियमन से जुड़े दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के संबंध में पहले से ही पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं.'
'डिजिटल मीडिया की चीज़ें होती हैं वायरल'
मंत्रालय ने हलफ़नामे में लिखा है कि "मुख्यधारा की मीडिया में, चाहे इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट, किसी चीज़ का प्रकाशन या टेलीकास्ट एक बार का काम होता है, जबकि डिजिटल मीडिया दर्शकों या पाठकों के एक बड़े समूह तक बहुत तेज़ी से पहुँचता है और वॉट्सऐप, फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया माध्यमों से इसके वायरल होने की संभावना बढ़ती है. इसलिए प्रभाव और क्षमता को देखते हुए यह ज़रूरी है कि माननीय न्यायालय अगर नियमन का निर्णय ले, तो पहले डिजिटल मीडिया के संबंध में ऐसा किया जाये, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के संबंध में पहले से पर्याप्त रूपरेखा मौजूद है."
केंद्रीय मंत्रालय ने अपने हलफ़नामे में दो पुराने मामलों और साल 2014 और 2018 में आये उनके निर्णयों का ज़िक्र करते हुए यह बताने की कोशिश की है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के मामले में हेट स्पीच को लेकर काफ़ी स्पष्टता से उल्लेख मिलता है, मगर डिजिटल मीडिया के मामले में इसकी कमी है.
केंद्रीय मंत्रालय ने कहा है कि 'यह देखते हुए कि इस मुद्दे ने संसद और सुप्रीम कोर्ट, दोनों का ध्यान आकर्षित किया, इसलिए वर्तमान याचिका को केवल एक चैनल अर्थात सुदर्शन टीवी तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को न्याय-मित्र (एमिकस क्यूरे) या न्याय-मित्रों की एक कमेटी को नियुक्त किये बिना मीडिया में हेट स्पीच के नियमन को लेकर और कोई दिशा-निर्देश नहीं देने चाहिए.'
'नियमन हो तो सब के लिए'
हलफ़नामे में विजय कौशिक ने लिखा है कि "अगर कोर्ट नियमन के लिए आगे बढ़ता है और कुछ नये दिशा-निर्देश जारी करने का निर्णय लेता है, तो कोई वजह नहीं बनती कि इसे सिर्फ़ मुख्यधारा के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक ही सीमित रखा जाये. मीडिया में तो मुख्यधारा का प्रिंट मीडिया, एक समानांतर मीडिया अर्थात डिजिटल मीडिया, वेब आधारित न्यूज़ पोर्टल, यूट्यूब चैनल और ओटीटी यानी ओवर द टॉप प्लेफ़ॉर्म भी शामिल हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुदर्शन टीवी द्वारा मुसलमानों के सिविल सेवा में चुने जाने को लेकर दिखाये जा रहे कार्यक्रम पर सख़्त एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि यह एपिसोड मुसलमानों को बदनाम करता है.
इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अगली सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने किया एपिसोड बैन
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि इस चैनल की ओर से किये जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है. क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है. ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है."
उन्होंने कहा कि "हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है."
हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक, सूचना मंत्रालय ने दी थी इजाज़त
सुदर्शन न्यूज़ के जिस कार्यक्रम को लेकर विवाद था उसमें 'नौकरशाही में एक ख़ास समुदाय की बढ़ती घुसपैठ के पीछे कोई षडयंत्र होने' का दावा किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर 28 अगस्त को रोक लगा दी थी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला ने इस कार्यक्रम के प्रसारण के ख़िलाफ़ स्टे ऑर्डर जारी किया था.
मगर 10 सितंबर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को ये कार्यक्रम प्रसारित करने की इजाज़त दे दी.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि उन्हें सुदर्शन न्यूज़ के इस प्रोग्राम के ख़िलाफ़ कई शिकायतें मिली हैं और मंत्रालय ने न्यूज़ चैनल को नोटिस जारी कर इस पर जवाब माँगा है.
10 सितंबर को मंत्रालय ने अपने आदेश में लिखा कि सुदर्शन चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने 31 अगस्त को आधिकारिक रूप से अपना जवाब दे दिया था जिसके बाद मंत्रालय ने निर्णय लिया कि अगर कार्यक्रम के कंटेंट से किसी तरह नियम-क़ानून का उल्लंघन होता है तो चैनल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जायेगी.
मंत्रालय ने ये भी कहा है कि कार्यक्रम प्रसारित होने से पहले कार्यक्रम की स्क्रिप्ट नहीं माँगी जा सकती और ना ही उसके प्रसारण पर रोक लगायी जा सकती है.
इस आदेश के अनुसार, सुदर्शन चैनल ने दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यक्रम में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और कहा है कि 'इस तरह की रोक टीवी प्रोग्रामों पर प्रसारण से पहले ही सेंसरशिप लागू करने जैसी है.'
मंत्रालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार टीवी कार्यक्रमों की प्री-सेंसरशिप नहीं की जाती. प्री-सेंसरशिप की ज़रूरत फ़िल्म, फ़िल्मी गाने, फ़िल्मों के प्रोमो, ट्रेलर आदि के लिए होती है जिन्हें सीबीएफ़सी से सर्टिफ़िकेट लेना होता है.
मंत्रालय ने सुदर्शन चैनल को यह हिदायत दी थी कि वो इस बात का ध्यान रखे कि किसी तरह से प्रोग्राम कोड का उल्लंघन ना हो, अन्यथा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 25 अगस्त को एक टीज़र जारी किया था जिसमें चैनल के संपादक ने यह दावा किया था कि 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले उनके कार्यक्रम 'बिंदास बोल' में 'कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश' किया जाएगा.
टीज़र सामने आते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर आलोचना शुरू हो गई थी.
इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन ने इसकी निंदा करते हुए इसे 'ग़ैर-ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता' क़रार दिया.
पुलिस सुधार को लेकर काम करने वाले एक स्वतंत्र थिंक टैंक इंडियन पुलिस फ़ाउंडेशन ने भी इसे 'अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के आईएएस और आईपीएस बनने के बारे में एक हेट स्टोरी' क़रार देते हुए उम्मीद जताई थी कि ब्रॉडस्काटिंग स्टैंडर्ड ऑथोरिटी, यूपी पुलिस और संबंद्ध सरकारी संस्थाएँ इसके विरूद्ध सख़्त कार्रवाई करेंगे.
हालाँकि, सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हानके ने आईपीएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया पर अफ़सोस जताते हुए कहा था कि 'उन्होंने बिना मुद्दे को समझे इसे कुछ और रूप दे दिया है.' उन्होंने संगठन को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया था.
राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने इस कार्यक्रम के बारे में दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
पूनावाला ने साथ ही इस बारे में न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा को एक पत्र लिख उनसे इस कार्यक्रम का प्रसारण रुकवाने और सुदर्शन न्यूज़ तथा इसके संपादक के विरूद्ध क़ानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के संगठन ने भी एक बयान जारी कर यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस बारे में अवमानना का मामला दायर करवाने का अनुरोध किया था.
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने की आलोचना
छत्तीसगढ़ के आईपीएस अधिकारी आरके विज ने इस कार्यक्रम के टीज़र पर प्रतिक्रिया करते हुए इसे 'घृणित' और 'निंदनीय' बताया था और कहा था कि वो इस बारे में 'क़ानूनी विकल्पों पर ग़ौर कर रहे हैं'.
छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने भी इस शो पर प्रतिक्रिया करते हुए लिखा था कि 'इसे बनाने वाले से इस कथित पर्दाफ़ाश के स्रोत और उसकी विश्वसनीयता के बारे में पूछा जाना चाहिए'.
पुड्डुचेरी में तैनान आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने लिखा था कि "धर्म के आधार पर अफ़सरों की निष्ठा पर सवाल उठाना ना केवल हास्यापस्द है बल्कि इसपर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. हम सब पहले भारतीय हैं."
हरियाणा के आईएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह ने लिखा था कि "पुलिस इस शख़्स को गिरफ़्तार क्यों नहीं करती और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट या अल्पसंख्यक आयोग या यूपीएससी इस पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लेते? ट्विटर इंडिया कृपया कार्रवाई करे और इस एकाउंट को सस्पेंड करे. ये हेट स्पीच है."
बिहार में पूर्णिया के ज़िलाधिकारी राहुल कुमार ने लिखा था कि "ये बोलने की आज़ादी नहीं है. ये ज़हर है और संवैधानिक संस्थाओं की आत्मा के विरूद्ध है. मैं ट्विटर इंडिया से इस एकाउंट के विरूद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूँ."
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी एनआईए में कार्यरत आईपीएस अधिकारी राकेश बलवल ने लिखा था, "हम सिविल सेवा अधिकारियों के लिए एकमात्र पहचान जो कोई अर्थ रखती है, वो है भारत का राष्ट्र ध्वज." (bbc)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 सितंबर। राज्य शासन ने प्रदेश की नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायतों में पार्षदों को मनोनीत किया है।
सरगुजा संभाग में कोरिया जिला
चिरमिरी नगर निगम में राजेन्द्र बेदी, शिवराम प्रधान, दिनेश यादव, बलदेव दास, शैल कुमारी, शहाबुद्दीन, उमाशंकर अल गमकर, कुमारी निर्मला (पिताश्री हीरालाल),
मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका
कृष्ण मुरारी तिवारी, अभय तेज बड़ा, रोमा चटर्जी, गिरधर जायसवाल, ज्योति मजूमदार
झगराखंड नगर पंचायत
मो. रहमतुल्ला, दीपक श्रीवास्तव, गोपाल यादव
खोंगापानी नगर पंचायत
शांतिशंकर दास, पिन्टू भास्कर, राजा पांडेय
नई लेदरी नगर पंचायत
कोणिका घोष, लक्ष्मी दास, प्रमोद आईन
सीतापुर नगर पंचायत
मनीष गुप्ता, प्रेम दान, हरकिरत सिंह बेदी,
बिलासपुर संभाग जिला रायगढ़
रायगढ़ नगर निगम
दयाराम धुर्वे, राजेन्द्र पांडेय, चन्द्रशेखर चौधरी, विजय टंडन, बिरजू ठाकुर, राजेश शुक्ला, वसीम खान,
लैलूंगा नगर पंचायत
श्रीमती भारती राज डगला, सुंदरलाल निगानिया, वीरेन्द्र कुमार साहू,
कोरबा नगर निगम
कुरान दास महंत, ठाकुर प्रसाद अकेला, संगीता सक्सेना, बच्चूलाल मखवानी, रूपा मिश्रा, गीता गभेल, आशीष अग्रवाल, मनीराम साहू, एस.मूर्ति, आरिफ खान, परमानंद सिंह बांकी,
जिला मुंगेली पथरिया नगर पंचायत
संतोष पाली, कमलनारायण द्विवेदी, तुलसी सोनवानी
सरगांव नगर पंचायत
सुनील यादव, इस्माइल मेमन,
जिला बिलासपुर बिलासपुर नगर निगम
श्यामलाल चंदानी, सुभाष ठाकुर, दीपांशु श्रीवास्तव, अखिलेश गुप्ता, शैलेन्द्र जायसवाल, काशी रात्रे, अजरा खान, सुबोध केसरी, सुधा गोपाल सिंह, सुरेश सोनकर , यतीश गोयल,
बिल्हा नगर पंचायत
बैसाखू मार्को, बिमलेश केडिय़ा, श्यामलाल कोसले,
गौरेला नगर पंचायत
प्रकाश अग्रवाल, घनश्याम सिंह ठाकुर, मो. नसीफ खान,
पेण्ड्रा नगर पंचायत
जयलेश सिंह, हर छावरिया, मदन सोनी,
मल्हार नगर पंचायत
नवीन अग्रवाल, अमित पांडेय, किरण पाटले,
जांजगीर चांपा नगर पालिका
राजकुमार सोनी, ओमप्रकाश देवांगन, लता श्रीवास, अनिल गुप्ता, श्याम लाल कुर्रे,
जांजगीर-नैला नगर पंचायत
हेमलता राठौर, रफीक सिद्दिकी, शेषनाग टंडन, दीपक आसना, मनोज कुमार अग्रवाल,
सक्ती नगर पालिका
घनश्याम देवांगन, अनिल राठौर, सूरज सोना, आजीरा बेगम, सुकमत डेन्सल
नयाबाराद्वार नगर पंचायत
रामअवतार अग्रवाल, कल्पना साहू, नरेश कुमार राठौर,
बलौदा नगर पंचायत
केवलचंद जैन, हसीना परवीन,
खरौद नगर पंचायत
तुलसी आदित्य, राजेश व्यास यादव, सत्या चतुर्वेदी,
शिवरीनारायण नगर पंचायत
ओमप्रकाश सुल्तानिया, रामचरण कर्ष, पुर्णेन्द्र तिवारी,
अडभरा नगर पंचायत
नौधा मौरे, राजेन्द्र देवांगन, हरिराम बरेठ
जैजैपुर नगर पंचायत
साजिद मोमिन, अमृत चंद्रा, कीर्तन साहू,
डभरा नगर पंचायत
एकनाथ बरेठ, गोपाल नारायण यादव, लक्ष्मी माली,
चन्द्रपुर नगर पंचायत
हसीम मोहम्मद खान, लखनलाल देवांगन, आयुष अग्रवाल,
सारागांव नगर पंचायत
रविशंकर पांडेय, सुनहरण लाल राठौर, प्रमोदिनी राठौर,
नवागढ़ नगर पंचायत
रामविलास वैष्णव, मूलचंद श्रीवास, संतोष साहू
राहौद नगर पंचायत
लोमन गुप्ता, प्रकाश चंदेल, मनोज देवांगन,
रायपुर संभाग- महासमुंद, सरायपाली नगर पालिका
दीपक शर्मा, सुभाष प्रधान, सरोजनी पाणिग्राही, गोपाल अग्रवाल, बबलू चौहान
बागबाहर नगर पंचायत
राहुल सलूजा, सिकंदर सिंह ठाकुर, नवनीत सलूजा, विष्णु महानंद,
रायपुर नगर निगम
सुरेन्द्र पप्पू बांधे, लक्ष्मीनाथ वर्मा, रवि राव, देवेन्द्र यादव, सुनील ग्वाल, सुनील छतवानी, अफरोज अंजुम, देवदीवान कुर्रे, छत्रपाल सिंह ठाकुर, इन्द्रजीत गहलोत,
तिल्दा-नेवरा नगर पालिका
स्वेजा परवीन, राहुल तेजवानी, दिलीप देवांगन, संजय दुबे, शरद वर्मा
आरंग नगर पालिका
गणेश बांधे,
दुर्ग संभाग-दुर्ग नगर निगम
अजय गुप्ता, रत्ना नामदेव, अंशुल पांडेय, राकेश ठाकुर, देव सिन्हा, जगमोहर ढीमर,
रिसाली नगर निगम
संगीता सिंह, तरूण बंजारे, फकीर राम ठाकुर, विलासराव बोरकर, प्रेमचंद साहू, अनूप डे, डोमार देशमुख,
उतई नगर पंचायत
भोलाराम कोसरिया, पदुम साहू, चन्द्रहास वर्मा,
बेमेतरा-नवागढ़ नगर पंचायत
अमित जैन, वीरेन्द्र जायसवाल, रूपप्रकाश यादव
कवर्धा नगर पालिका
दलजीत पाहुजा, कौशल कौशिक, जाकीर चौहान, कृष्ण कुमार सोनी, देवराज पाली,
बोड़ला नगर पंचायत
दीपक मांगे्र, भागवत पटेल, भरत सोनकर,
सहसपुर-लोहारा नगर पंचायत
कैलाश दुबे, चन्द्रशेखर नागराज, हुलास डडसेना,
पिपरिया नगर पंचायत
रम्मन केसरी, गीताराम झारिया, सुभाष कुमार दानी,
राजनांदगांव अंबागढ़ चौकी नगर पंचायत
शहाबुद्दीन कुरैशी, रजिया बेगम, प्रमोद ठलाल,
छुरिया नगर पंचायत
शकील कुरैशी, घनश्याम भास्कर, परमेश्वर ठाकुर,
नई दिल्ली/जम्मू, 17 सितम्बर (आईएएनएस)| विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रमुख संगठनों ने केंद्र सरकार से कश्मीर घाटी में 10 जिलों के बजाय एक ही स्थान पर निर्वासित समुदाय की वापसी और उनकी मांग पर विचार करने का आग्रह किया है। रूट्स इन कश्मीर (आरआईके), जेकेवीएम और यूथ फॉर पनुन कश्मीर (वाई4पीके) जैसे प्रमुख कश्मीरी पंडित संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया है कि सरकार कश्मीर के विभिन्न जिलों में कश्मीरी पंडितों को विस्थापित करने की योजना बना रही है।
संगठनों ने सरकार से घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए 10-जिला निपटान योजनाओं पर विचार नहीं करने का आग्रह किया और समुदाय के सम्मानजनक वापसी के लिए 'न्याय और एक स्थान निपटान' की मांग की। आरआईके के प्रवक्ता अमित रैना ने कहा कि संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर सभी की मांगों को लेकर एक ज्ञापन प्रस्तुत करेगा।
केंद्र की आलोचना करते हुए रैना ने कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों के पलायन के कारणों का विश्लेषण करने में विफल रही है। उन्होंने कहा, "विभिन्न जिलों में उनके पुनर्वास के लिए योजनाओं को तैयार करने के बजाय, उन्हें पहले पलायन के कारणों को स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए और फिर समिति के निष्कर्षों के आधार पर योजना तैयार करनी चाहिए।"
जेकेवीएम के अध्यक्ष दिलीप मट्टो ने कहा कि हालांकि अब तक 1,800 से अधिक कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने मार दिया है, लेकिन एक भी दोषी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने राज्य की खराब न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि न्याय और एक ही जगह पर उन्हें बसाए जाने के बिना कश्मीरी पंडितों की वापसी संभव नहीं है।
इसके साथ ही वाईपीके के राष्ट्रीय समन्वयक विट्ठल चौधरी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 1990 में कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न जनसंहार से कम नहीं था। उन्होंने कहा, "सरकार ने नरसंहार पीड़ितों की चिंताओं को दूर करने के बजाय हमसे उन मवेशियों की तरह व्यवहार कर रही है, जिन्हें किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकता है।"
एआईकेएस के पूर्व उपाध्यक्ष संजय सप्रू ने कहा कि सरकार को समुदाय की आकांक्षाओं को ध्यान में रखना चाहिए और उन्हें एक ही जगह पर बसाया जाना चाहिए।
सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से नरसंहार के कारणों की पहचान करने और त्वरित न्याय के लिए विशेष जांच दल या न्यायाधिकरण की स्थापना की मांग की है।
इसके अलावा उन्होंने मांग की कि सरकार मंदिरों और कश्मीर में हिंदुओं की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों की रक्षा के लिए प्रस्तावित मंदिर और तीर्थ विधेयक के अनुसार एक 'मंदिर और तीर्थ संरक्षण अध्यादेश' जारी करे।
कश्मीर के मूल निवासी करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को 1990 में पाकिस्तान द्वारा समर्थित इस्लामी आतंकवादियों द्वारा अपनी मातृभूमि से बाहर निकाल दिए गया था।
नई दिल्ली, 17 सितम्बर |कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद विश्वभर में 15 करोड़ बच्चे गरीबी के दलदल में फंस गए हैं। इससे दुनियाभर में गरीबी में रह रहे बच्चों की संख्या करीब 1.2 अरब हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और बच्चों के अधिकारों पर काम कर रहे संगठन सेव दी चिल्ड्रन की एक विश्लेषण रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट 17 सितंबर को जारी की गई है। इस विश्लेषण के मुताबिक अलग-अलग प्रकार की गरीबी में रह रहे ऐसे बच्चे, जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, पोषण, साफ-सफाई और पानी तक तक पहुंच नहीं है, कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से उनकी संख्या 15 फीसदी बढ़ गई है।
यूनिसेफ ने एक बयान में कहा कि विविध प्रकार की गरीबी के आकलन में 70 देशों के शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, पोषण, स्वच्छता और पानी के उपयोग के आंकड़े शामिल हैं। इसमें पता चला कि इनमें से करीब 45 फीसदी बच्चे इन जरूरतों में से कम से कम एक से वंचित हैं।
यूनिसेफ का कहना है कि आने वाले महीनों में यह स्थिति और बदतर हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक अधिक संख्या में बच्चे गरीबी का सामना कर रहे हैं, इसके अलावा जो पहले से गरीब हैं, वे बच्चे और अधिक गरीब हो रहे हैं।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे का कहना है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण लाखों बच्चे और अधिक गरीबी की स्थिति में चले गए। अधिक चिंता की बात यह है कि अभी इस संकट की शुरुआत हुई है।
सेव दी चिल्ड्रन की सीईओ इंगर एशिंग ने कहा कि अब और अधिक बच्चे स्कूल, दवा, भोजन, जल और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों से वंचित न हों इसके लिए देशों को तत्काल कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 आपदा के दौरान शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जो एक बड़ी चिंता का कारण है। (downtoearth)