राष्ट्रीय
मुंबई, 19 जुलाई । मुंबई के मुलुंड इलाके में एक जिम ट्रेनर ने युवक के सिर पर मुदगल से हमला कर दिया। पीड़ित की शिकायत पर आरोपी ट्रेनर को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिम में खड़े 20 वर्षीय युवक पर अचानक मुदगल से हमला करते जिम ट्रेनर की पूरी हरकत सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।वीडियो क्लिप में काले रंग की पोशाक में खड़ा शख्स खाकी रंग के कपड़े पहने युवक पर व्यायाम के लिए इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के मुदगल से वार करता देखा जा सकता है।
घटना 17 जुलाई की है। जो मुलुंड के फिटनेस इंटेलिजेंट जिम में घटी। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि युवक जिम में अन्य लोगों से साथ बात करते हुए वर्कआउट कर रहा है वहीं उससे कुछ दूरी पर जिम ट्रेनर उसको लगातार घूर रहा है। कुछ ही देर बाद ट्रेनर उसकी ओर एक मुदगल ले कर बढ़ता है और सिर पर दे मारता है। उसकी इस हरकत से आस पास के लोग हैरान रह जाते हैं। आनन फानन में उसको और हिंसक होने से रोकते दिखते हैं।
इस दौरान 20 साल का युवक अपना सिर पकड़ कर बैठता दिख रहा है। इस फुटेज में जिम ट्रेनर अपनी हरकत के लिए शर्मिंदा होने की बजाय लोगों से खुद को छुड़ा उसे फिर मारने के लिए आगे बढ़ने की कोशिश करता दिख रहा है। इस दौरान शॉर्ट्स पहना शख्स उसे खींच कर वहां से दूर ले जाता दिख रहा है। इस मामले में युवक युगेश की शिकायत पर नवघर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी ट्रेनर को गिरफ्तार कर लिया। कथित तौर पर पूछताछ में जिम ट्रेनर ने बताया कि युवक वर्क आउट के दौरान उसे घूर रहा था जो उसे पसंद नहीं आया। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली,19 जुलाई । भाजपा ने टीएमसी शासित राज्य पश्चिम बंगाल से लेकर कांग्रेस शासित तेलंगाना तक में महिला उत्पीड़न को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। पार्टी ने लोकसभा सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर दिनाजपुर, चोपड़ा की तालिबानी कृत्य के बाद एक और ऐसे कृत्य की तालिबानी तस्वीर सामने आई है। इस बार यह तस्वीर बंगाल के हावड़ा से आई है,जहां एक परिवार को पीटा जा रहा है,एक महिला के बाल काटे जा रहे हैं।
उन्होंने इस मामले के अपराधियों के संबंध तृणमूल कांग्रेस के साथ होने का दावा करते हुए कहा कि यह दिखाता है कि आज मां-माटी-मानुष नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल में आज टीएमसी यानी तालिबानी मानसिकता और कल्चर छा चुका है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में इस तरह की अनेकों घटनाएं हो रही है लेकिन कांग्रेस पार्टी के दिग्गज राहुल गांधी , प्रियंका गांधी वाड्रा और 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' ब्रिगेड,ये सभी चुप है। ये सभी चुप रहेंगे भी क्योंकि इनके अपने राज्य तेलंगाना में भी इस तरह की घटनाएं हो रही है।
उन्होंने आगे लिखा, तेलंगाना में एक गरीब महिला को इलेक्ट्रिक पोल से बांधकर पीटा गया और पूरे देश में भ्रमण करने वाले ये नेता तेलंगाना, पश्चिम बंगाल , संदेशखाली और इस तरह की घटनाओं पर चुप्पी साधे रहते हैं। कुछ सेलेक्टिव जगह के मुद्दों को ही उठाते हैं इससे यह साफ जाहिर होता है कि उन्हें महिलाओं की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है बल्कि उनकी चिंता सिर्फ उनकी राजनीति और सियासत ही है। --(आईएएनएस)
रांची, 19 जुलाई । केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह शनिवार को रांची आ रहे हैं। वह झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के अभियान का शंखनाद करेंगे। पार्टी ने रांची के प्रभात तारा मैदान में प्रदेश की विस्तारित कार्यसमिति की सभा बुलाई है, जिसे वह मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करेंगे। इस सभा में प्रदेश, जिला, मंडल स्तर की कार्यसमिति और पार्टी के विभिन्न मोर्चों-प्रकोष्ठों के 26 हजार से ज्यादा पदाधिकारी और सदस्य शामिल होंगे। अमित शाह शनिवार को लगभग छह घंटे तक रांची में रहेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, वह अपराह्न डेढ़ बजे रांची आएंगे और इसके बाद प्रभात तारा मैदान पहुंचकर प्रदेश भाजपा की विस्तारित कार्यसमिति की सभा में नेताओं-कार्यकर्ताओं में चुनावी समर को लेकर उत्साह भरेंगे।
बाद में शाह प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर पार्टी के प्रमुख नेताओं और प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ चुनावी रणनीति पर विमर्श करेंगे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणाम के तुरंत बाद राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने की मुहिम शुरू कर दी है। 18 जून को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की थी, जिसमें तय हुआ था कि अगले पांच महीने के चुनावी अभियान के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया जाए। इसके लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य में चुनाव प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी नियुक्त किया गया।
इन्हें टास्क सौंपा गया है कि लोकसभा चुनाव में जहां भी कमी रही गई, वहां डैमेज कंट्रोल की प्रभावी योजना बनाई जाए। एक-एक बूथ पर मिले वोट को ध्यान में रखकर काम हो। पिछले तीन हफ्तों के दौरान शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा ने तीन बार झारखंड के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर कार्यकर्ताओं से संवाद किया। पार्टी की ओर से पिछले 5 जुलाई से लेकर 16 जुलाई तक सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में विजय संकल्प सभाओं का आयोजन किया गया और बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। --(आईएएनएस)
कर्नाटक सरकार ने नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत तक का कोटा लागू करने के एक बिल को हरी झंडी दे दी थी. लेकिन कंपनियों ने और नैसकॉम ने इस बिल की कड़ी आलोचना की है.
डॉयचे वैले पर प्रचारु कार्तिकेय रिपोर्ट-
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने 16 जुलाई को इस बिल को मंजूरी दी थी. इसी दिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बारे में जानकारी भी दी. लेकिन कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु को भारत की 'सिलिकॉन वैली' बनाने वाली कई बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने इस प्रस्ताव का स्वागत नहीं किया.
कई जानकारों का मानना है कि कंपनियों के रुख को देखते हुए ही राज्य सरकार ने अपने पांव पीछे किए और सिद्धारमैया ने अपना ट्वीट भी हटा दिया. राज्य सरकार के मंत्रियों ने पत्रकारों से बातचीत में पुष्टि करते हुए कहा है कि बिल को फिलहाल नहीं लाया जाएगा.
क्या कहता है बिल
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 'द कर्नाटका स्टेट एम्प्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स इन द इंडस्ट्रीज, फैक्ट्रीज एंड अदर एस्टैब्लिशमेंट्स बिल 2024' का उद्देश्य राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में कन्नडिगा लोगों के लिए सीटें आरक्षित करना है.
इसके तहत प्रबंधकीय (मैनेजरियल) स्तर की नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण और गैर-प्रबंधकीय (नॉन-मैनेजरियल) नौकरियों में कन्नडिगा लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.
अगर किसी नौकरी के लिए स्थानीय लोगों में पर्याप्त योग्य उम्मीदवार ना मिलें, तो बिल कहता है कि उस उद्योग को राज्य सरकार के साथ मिलकर तीन सालों के अंदर स्थानीय उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देना चाहिए और फिर नौकरी देनी चाहिए. राज्य सरकार इन नियमों को लागू करवाने के लिए एक नोडल एजेंसी भी नियुक्त करेगी.
बिल के मुताबिक, "स्थानीय" उम्मीदवार उसे माना जाएगा जिसका जन्म कर्नाटक में हुआ हो और वह 15 सालों से राज्य में रह रहा हो. इसके अलावा उसे कन्नड़ बोलना, पढ़ना और लिखना आना चाहिए.
उनके पास माध्यमिक स्कूल में कन्नड़ की पढ़ाई करने का सर्टिफिकेट होना भी चाहिए. अगर यह सर्टिफिकेट नहीं हो, तो नोडल एजेंसी एक परीक्षा करवाएगी जिसे पास करना होगा. बिल में इन नियमों के उल्लंघन के लिए 10,000 से लेकर एक लाख रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान है.
कंपनियों की नाराजगी
कई कंपनियों ने इस बिल को लेकर असंतोष और नाराजगी व्यक्त की है. बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी बायोकॉन की संस्थापक और अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने एक्स पर लिखा कि इस कदम से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कर्नाटक के अग्रणी स्थान पर असर पड़ सकता है.
टेक्नोलॉजी कंपनी इंफोसिस के पूर्व सीएफओ और वेंचर कैपिटलिस्ट टीवी मोहनदास पाई ने बिल की कड़ी आलोचना करते हुए इसे "असंवैधानिक, अनावश्यक, ड्रेकौनियन" और भेदभाव करने वाला बताया.
डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे के सीईओ समीर निगम ने एक्स पर लिखा कि वह कभी किसी राज्य में 15 साल नहीं रहे, लेकिन क्या इसका मतलब है कि बेंगलुरु में पले-बढ़े उनके बच्चे अपने ही शहर में नौकरी मिलने के योग्य नहीं हैं?
भारत की टेक्नोलॉजी कंपनियों के समूह नैसकॉम ने भी इस बिल का आधिकारिक रूप से विरोध किया. समूह ने एक बयान में कहा कि इस तरह के आरक्षण से टेक्नोलॉजी उद्योग के विकास को नुकसान पहुंचेगा, नौकरियों पर असर पड़ेगा और यह कंपनियों को राज्य छोड़ने पर मजबूर करेगा.
इतने विरोध के बाद राज्य सरकार एक कदम पीछे हट गई. सिद्धारमैया ने अपना ट्वीट हटा दिया. बाद में राज्य के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने जानकारी दी कि बिल पर और विमर्श किया जाएगा और तब तक इसे वापस ले लिया गया है.
दूसरे राज्य भी कर चुके हैं कोशिश
उन्होंने यह भी कहा कि "उद्योग के नेताओं को घबराने की जरूरत नहीं है." आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी टेक्नोलॉजी उद्योग के नेताओं को आश्वासन दिलाया कि बिल को पारित करने से पहले "और ज्यादा विमर्श" किया जाएगा.
हालांकि कर्नाटक ऐसा बिल लाने वाला पहला राज्य नहीं है. बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए कई राज्य सरकारें स्थानीय लोगों को लुभाने के लिए अपने-अपने राज्य में निजी नौकरियों में स्थानीय कोटा बनाने की कोशिश कर चुकी हैं.
2019 में आंध्र प्रदेश में भी ऐसा ही बिल लाया गया था, जिसे प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. अदालत ने कहा कि यह असंवैधानिक हो सकता है. कानून को अभी तक प्रदेश में लागू नहीं किया गया है. 2020 में हरियाणा सरकार भी ऐसा ही एक कानून लेकर आई. इसे भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया. (dw.com)
उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेताओं - योगी बनाम केशव - के उस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है जिसकी शुरुआत साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के पहली बार मुख्यमंत्री बनने के पहले शुरू हुई थी. क्या होंगे इसके नतीजे?
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
लोकसभा चुनाव में 303 सीटों से खिसक कर 240 सीटों पर पहुंचने के बाद पार्टी की हार की समीक्षा हो रही है लेकिन इन समीक्षा बैठकों के दौरान जो कुछ भी हो रहा है, उसे देखते हुए बीजेपी के भविष्य को लेकर आशंकाएं सामने आने लगी हैं.
बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा झटका उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लगा. यूपी में 62 सीटों से घटकर वो 33 पर आ गई तो हार की जिम्मेदारी किस पर डाली जाए, इसे लेकर सवाल उठने लगे. दबे स्वर में सीधे तौर पर केंद्रीय नेतृत्व को भी घेरे में लेने की कोशिश हो रही है क्योंकि चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वाराणसी सीट से महज डेढ़ लाख वोटों के मार्जिन से जीते हैं और बनारस से लगी तमाम सीटों पर बीजेपी हार गई.
आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर
तमाम लोग इसके पीछे यूपी सरकार की नीतियों को दोष दे रहे हैं. खासकर, कथित तौर पर बढ़ते भ्रष्टाचार और राज्य में नौकरशाही के हावी होने और यहां तक कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के उत्पीड़न की वजह से. रविवार को लखनऊ में हुई बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक के दौरान ये आरोप-प्रत्यारोप सतह पर आ गए. यहां तक कि सहयोगी दलों के नेताओं ने भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं.
अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने नौकरियों में ओबीसी आरक्षण को नजरअंदाज करने का सवाल उठाया तो राज्य सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने ‘बुलडोजर नीति' को हार का प्रमुख कारण बताया. यही नहीं, कार्यसमिति की बैठक के दौरान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान खूब छाया रहा कि ‘संगठन सरकार से बड़ा होता है.' लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कहकर उनके इस बयान की हवा निकाल दी कि ‘सरकार है तभी सब का सम्मान है.'
उम्मीदों पर चल गया 'बुलडोजर'
जहां तक बुलडोजर के इस्तेमाल की बात है तो बहुत से ऐसे लोग भी धीरे-धीरे इसकी चपेट में आने लगे जो पहले इसके इस्तेमाल पर तालियां बजाया करते थे. पहले कई मामलों में ज्यादातर बुलडोजर कार्रवाई मुसलमानों के मामलों में हुई तो इसे राजनीतिक तुष्टीकरण से देखा गया लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार होता गया.
हाल ही में लखनऊ में अकबरनगर के पूरे इलाके में बुलडोजर चला दिया गया और सैकड़ों घर जमींदोज कर दिए गए. इससे पहले भी कई लोगों के घरों पर बुलडोजर चले हैं. किसी अपराध में नाम आ जाने पर भी कथित अवैध निर्माण के नाम पर घर ढहा दिए गए. यहां तक कि अदालत की टिप्पणियों के बावजूद इसका इस्तेमाल जारी रहा. बीजेपी समर्थक बुलडोजर को सरकार की ताकत के प्रतीक के तौर पर प्रचारित करते रहे लेकिन चुनावी हार और खराब प्रदर्शन के बाद अब इसे भी हार के प्रमुख कारणों में गिना जा रहा है.
यही नहीं, शायद अब सरकार को भी यह पता चल रहा है कि विध्वंसक कार्रवाइयां ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली हैं. हाल ही में लखनऊ में कुकरैल नदी के किनारे रिवर फ्रंट से जुड़ी योजना को लेकर सैकड़ों घरों को फिर चिह्नित किया गया और ढहाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों को आश्वासन दिया निजी जमीनों पर बने घर नहीं गिराए जाएंगे और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. चूंकि बड़ी संख्या में गिराए जा रहे घरों के मामले में यह बड़ा सवाल भी आया कि आखिर सालों से ये घर बनते कैसे चले गए.
नतीजों ने बदला मुख्यमंत्री का नजरिया?
मुख्यमंत्री के रुख में आए इस बदलाव को भी चुनावी नतीजों से ही जोड़कर देखा जा रहा है. लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ल कहते हैं, "निश्चित तौर पर इस तरह के फैसले सरकार के खिलाफ जाते हैं. मकान वैध-अवैध कैसे हैं, ये तय करने का काम किसका है. तमाम विभागों में फैले भ्रष्टाचार के चलते सालों-साल ऐसे मकान बनते रहे तो इन्हें देखने की, जांच करने की जिम्मेदारी किसकी है? और अब अचानक बुलडोजर चलाकर गिरा देंगे तो लोग कहां जाएंगे?" शुक्ल का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी ने इस खतरे को भांप लिया है कि सरकार को राजनीतिक फायदा और लोगों की नजरों में सहानुभूति तब बढ़ेगी जब ऐसी कॉलोनियों को बनने देने के दोषियों को पकड़कर सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करती है.
लोकसभा चुनाव तो केंद्र सरकार के काम-काज की परीक्षा थी, जबकि यूपी सरकार के काम की परीक्षा तो 2027 में होगी जब विधान सभा चुनाव होंगे. ऐसे में डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बयान को जिस तरह आम कार्यकर्ताओं की आवाज के तौर पर प्रचारित किया गया और फिर उनका दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष और दूसरे नेताओं से मुलाकात को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि यूपी में योगी बनाम मोदी-शाह की लड़ाई एक बार फिर सतह पर आ गई है. चुनाव से पहले भी टिकट वितरण को लेकर योगी की नाराजगी की काफी चर्चा थी.
केशव मौर्य जो भी बयान दे रहे हैं या जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके पीछे केंद्रीय नेतृत्व की सहमति बताई जा रही है. ज्ञानेंद्र शुक्ल कहते हैं, "खेमेबाजी और खींचतान बीजेपी में चलती रहती है. कल्याण सिंह के समय में भी ऐसा होता था. हालांकि इन चीजों के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे हैं और यदि इस समय भी ऐसा हो रहा है तो जाहिर है यह पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है लेकिन वो स्थिति दोहराती हुई दिखाई दे रही है.”
उत्तर प्रदेश में 2017 से चल रही है खींचतान
ज्ञानेंद्र शुक्ल आगे कहते हैं, "केशव की नाराजगी तो पहले से ही थी. 2017 के चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष थे. उनके समर्थक मानते थे कि उनकी बड़ी भूमिका थी पार्टी को जिताने और सरकार बनवाने में. हालांकि उससे पहले लक्ष्मीकांत वाजपेयी की भी बड़ी भूमिका रही थी 2014 में लोकसभा में 72 सीटें दिलाने में. लेकिन दोनों ही नेता नेपथ्य में डाल दिए गए.
2017 से 2022 तक भी खींचतान दिखाई दे रही थी. पार्टी के सौ से ज्यादा विधायक धरने पर बैठ गए थे. लेकिन 2022 में जब योगी के नेतृत्व में दोबारा सरकार बन गई, केशव प्रसाद मौर्य चुनाव भी हार गए तो स्थितियां बदल गईं. हालांकि केशव के समर्थक सीधे तौर पर आरोप लगाते रहे कि उन्हें हराया गया. योगी की भूमिका पर भी सवाल उठे लेकिन नेताओं-कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बावजूद नतीजे अच्छे आ रहे थे तो योगी का दबदबा बना रहा. पर अब जबकि 2024 में नतीजे ठीक नहीं आए हैं तो सवाल योगी पर भी उठ रहे हैं.”
यूपी में बीजेपी सरकार पर जो सबसे बड़े सवाल उठ रहे हैं और जिसे हार के प्रमुख कारणों में से एक गिना जा रहा है वो है- बेलगाम नौकरशाही. पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों से लेकर एमपी और एमएलए तक ये आरोप लगा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में कई नेताओं ने तो खुले तौर पर ये बातें कही हैं. ज्ञानेंद्र शुक्ल भी इसे हार के प्रमुख कारणों में बताते हैं, "इसमें कोई दो राय नहीं है कि अफसरों से पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी है. और देखा जाए तो ये बीजेपी की सरकारों का तरीका भी रहा है- नौकरशाही पर निर्भरता. एक तरह से इसे गुजरात मॉडल भी कह सकते हैं. पहले भी लोग शिकायत करते थे. कोई अभी की बात नहीं है. विधायक जब धरने पर बैठे थे तब भी सबसे बड़ा आरोप यही था कि नौकरशाही हावी है.”
लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थक हार का ठीकरा सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय नेतृत्व के सिर पर फोड़ने के मूड में हैं. बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के पीछे संघ परिवार भी है. योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा है कि ‘अति आत्मविश्वास' हार के प्रमुख कारणों में से रहा है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, यह अति आत्म विश्वास सीधे तौर पर उस जगह निशाना लगा रहा है जहां से एक ही चेहरे पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनी और जिस एक चेहरे पर लड़ने का फैसला हुआ.
ऐसी स्थिति में यूपी में योगी आदित्यनाथ को हटाकर किसी दूसरे को मुख्यमंत्री बनाना तो फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है लेकिन सरकार और संगठन में बदलाव के संकेत जरूर मिल रहे हैं. ज्ञानेंद्र शुक्ल के मुताबिक, "कोई बड़े बदलाव की उम्मीद तो नहीं है. क्योंकि बीजेपी के पक्ष में लोकसभा चुनाव के नतीजे होते तो कुछ हो भी सकता था लेकिन इस समय तो केंद्र में भी मजबूत सरकार नहीं है. इसलिए सरकार के स्तर पर तो नहीं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर शायद बदलाव हो. दूसरे, बीजेपी के पास संघ और सहयोगियों के चहेते के रूप में फिलहाल योगी आदित्यनाथ का कोई विकल्प भी नहीं है.” (dw.com)
पश्चिम बंगाल के चोपड़ा से हाल ही में वायरल हुए वीडियो के बाद से पुलिस और प्रशासन की सख्ती बढ़ी है. इसके बावजूद सवाल ये उठता है कि राज्य में सालिसी सभा यानी कंगारू अदालतों पर पूरी तरह अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारीकी रिपोर्ट-
पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में तालिबानी तर्ज पर आयोजित की जाने वाली इन अदालतों में तमाम विवादों की सुनवाई कर मौके पर ही सजा दी जाती है. राज्य के ग्रामीण इलाकों में संपत्ति से पारिवारिक विवाद तक सबकुछ इन स्थानीय अदालतों में ही निपटाया जाता है.
ऐसी तमाम अदालतें टीएमसी के स्थानीय नेताओं की पहल पर ही आयोजित की जाती हैं. कुछ मामलों में गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन ऐसे बाहुबली नेताओं के आतंक के कारण कुछ लोग या तो इलाका छोड़ देते हैं या फिर अपना बयान बदल देते हैं. एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आने के बाद विपक्ष ममता बनर्जी सरकार और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ हमलावर हो गया है.
सालिसी सभा के वायरल वीडियो से सामने आया मामला
भारत भर में कानून सबके लिए बराबर और सर्वोपरि है. लेकिन आज भी पश्चिम बंगाल के कुछ ग्रामीण इलाकों में सालिसी सभा यानी कंगारू अदालतें चलती हैं. इसके फैसले को किसी भी अदालत में नहीं पहुंचते. यह अदालत खुद फैसला करती है और खुद ही मौके पर सजा भी दे देती है. उत्तर दिनाजपुर जिले में इस्लामपुर सब-डिवीजन के चोपड़ा में बीते 30 जून को वायरल वीडियो इलाके में तेजी से फली-फूली इसी अदालत की ताकत की कहानी है. उसके बाद से कई इलाकों से ऐसे कम से कम आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से एक में तो अपमान सहन नहीं कर पाने के कारण दोषी करार दी गई महिला ने आत्महत्या कर ली.
उत्तर दिनाजपुर की घटना में आतंक का पर्याय बने टीएमसी नेता ताजिमूल हुसैन उर्फ जेसीबी की पार्टी के स्थानीय विधायक हमीदुल रहमान से नजदीकी की खबरें आने के बाद पार्टी ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया था. लेकिन अब यह मामला दब गया है. माना जाता है कि सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण के कारण ही हत्या और अपहरण समेत दर्जन भर संगीन मामलों में नामजद होने के बावजूद पुलिस कभी जेसीबी पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी. अनानास व चाय की खेती के लिए मशहूर यह इलाका अब आतंक के कारण चर्चा में है.
जेसीबी के आतंक का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस कंगारू अदालत में प्रेमी युगल की पिटाई का वीडियो सामने आने के बावजूद पीड़ितों ने उनके खिलाफ पुलिस में कोई शिकायत नहीं की थी. बल्कि तीन दिन बाद पीड़ितों ने उल्टे अपना बयान बदलते हुए वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ थाने में शिकायत करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की.
क्या कर रहा है राज्य प्रशासन
उत्तर दिनाजपुर की उस घटना पर राजनीतिक और प्रशासनिक सक्रियता के बावजूद राज्य के विभिन्न इलाकों से लगातार ऐसी अदालतों के आयोजन की खबरें सामने आती रही हैं. इसी महीने मुर्शिदाबाद जिले की एक अन्य सालिसी सभा में स्थानीय नेताओं ने अशीफुल शेख उर्फ टोनी नामक एक युवक पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. उसके इंकार करने पर उसके साथ मारपीट की गई. उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. पुलिस ने इस मामले के मुख्य अभियुक्त अब्दुल रकीब को झारखंड के पाकुड़ से गिरफ्तार किया है.
बीते सप्ताह कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के सांकराइल में भी ऐसी ही एक घटना घटी. यहां एक व्यापारी शहाबुद्दीन और उनकी पत्नी के बीच कुछ दिनों से जारी विवाद को निपटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने एक सालिसी सभा बुलाई थी. उसमें उन दोनों के साथ मारपीट की गई. लेकिन पुलिस ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है. हावड़ा जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम नहीं छापने पर कहते हैं कि जब तक कोई शिकायत नहीं मिले, पुलिस कुछ नहीं कर सकती.
इसी सप्ताह कोलकाता से सटे दक्षिण 24-परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता पर एक कथित दोषी महिला को घर में जंजीरों से बांध कर रखने और शारीरिक अत्याचार करने का मामला सामने आया था. फिलहाल अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त में हैं. जलपाईगुड़ी जिले में ऐसे ही एक मामले में अपने प्रेमी के साथ फरार होने वाली महिला के गांव लौटने पर एक सालिसी सभा आयोजित की गई थी. उसमें महिला के साथ मारपीट की गई. अपमान नहीं सह पाने की वजह से उसने अगले दिन ही कीटनाशक पीकर जान दे दी. इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की एक महिला पंचायत प्रमुख और उसके पति को गिरफ्तार किया गया है.
पुरानी परंपरा का हवाला
पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में विवादों के निपटारे के लिए सालिसी सभा के आयोजन की परंपरा बहुत पुरानी है. लेकिन हाल के वर्षों में इसके फैसलों के बेहद क्रूर होने की वजह से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चिंता बढ़ती जा रही है. वैसे, ज्यादातर मामलों में पुलिस या सत्तारूढ़ पार्टी के नेता ऐसे फैसलों को सालिसी सभा के फैसलों की बजाय गांव वालों का आपसी विवाद बता कर पल्ला झाड़ते रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष डीडब्ल्यू से कहते हैं, "यह समस्या राजनीतिक नहीं है. इसके पीछे इलाके पर वर्चस्व कायम करने की मंशा काम करती है. इसे पार्टी का समर्थन नहीं है. स्थानीय नेता शीर्ष नेताओं की सहमति के बिना ही अपनी ताकत दिखाते रहे हैं. सामने आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती रही है."
कैसे बदला सालिसी सभा का रूप
तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि सालिसी सभाओं का आयोजन वाममोर्चा के शासनकाल के समय से ही होता रहा है. सीपीएम ने पंचायतों को राजनीतिक रंग दे दिया था. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार भी इस बात से सहमत हैं. वो डीडब्ल्यू से कहते हैं, "अब तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में सालिसी सभा का चेहरा बदल गया है. अब दोषियों को बचाने के लिए भी ऐसी सभाएं आयोजित की जाती हैं. पुलिस व प्रशासन की सहायता से पीड़ितों को ही क्रूर सजा दी जाती है."
लेकिन सीपीएम के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम इन आरोपों को निराधार बताते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "जो लोग वाममोर्चा को सालिसी सभा की शुरुआत का जिम्मेदार बता रहे हैं वो इतिहास को विकृत कर रहे हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान यहां कर्ज सालिसी बोर्ड था. इसमें महाजन से कर्ज लेकर उसे नहीं चुकाने संबंधित तमाम विवाद गांव के गणमान्य लोग आपस में बैठ कर निपटाते थे. वाममोर्चा के दौर में तो पंचायती व्यवस्था के जरिए लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने की कवायद शुरू की गई थी. पार्टी ने इस गैरकानूनी गतिविधि को कभी प्रश्रय नहीं दिया."
मौके पर ही त्वरित न्याय देने वाली इन अदालतों के क्रूर फैसलों ने समाजशास्त्रियों को भी चिंता में डाल दिया है. जलपाईगुड़ी के एक कॉलेज में समाजशास्त्र के प्रोफेसर रहे डा. अनिर्वाण चटर्जी कहते हैं, "किसी दौर में बंगाल में छोटे-मोटे विवादों को निपटाने के लिए सालिसी सभा की शुरुआत हुई थी. इसका मकसद कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाए बिना वादी-प्रतिवादी दोनों को साथ बिठा कर ऐसा फैसला करना था जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो. लेकिन अब इसका चेहरा बदल गया है." उनका कहना था कि अब सत्तारूढ़ नेताओं के संरक्षण के कारण इस सालिसी सभा ने तालिबानी अदालतों का रूप ले लिया है. यह सभाएं ग्रामीण इलाको में आतंक का पर्याय बनती जा रही हैं. समाज के हित में सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून बनाना होगा.(dw.com)
देहरादून, 18 जुलाई । उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि मानसून के बाद एक माह में प्रदेश के सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाया जाए। मानसून अवधि के बाद सभी निर्माण कार्यों में तेजी लाई जाए और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कांवड़ मेले के दृष्टिगत सुरक्षात्मक रूप से सभी तैयारियां पूर्ण करने के साथ ही सफाई, पेयजल, स्वास्थ्य सबंधी सभी सुविधाएं बेहतर रखने और घाटों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने के भी निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में धारण क्षमता के अनुसार ही निर्माण कार्य किए जाएं।
पर्यटन स्थलों पर पार्किंग व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए रिक्त स्थानों को चिंहित कर पर्याप्त पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन सरकारी गेस्ट हाउस की स्थिति सही नहीं है, उनका सही तरीके से मेंटेनेंस कराया जाए। अतिथि गृह में ठहरने वालों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाय। साथ ही जीएसटी कलेक्शन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि राज्य में किसी तरह की जीएसटी चोरी ना हो, जरूरत पड़ने पर इसके लिए अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि जीएसटी पंजीकरण के लिए व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को जागरूक किया जाए। डिजिटल पेंमेट को बढ़ावा देने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए। बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आरके. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पांडेय, एडीजीपी एपी. अंशुमन एवं आईजी कृष्ण कुमार वीके. उपस्थित थे। -(आईएएनएस)
रांची, 18 जुलाई । ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने झारखंड में बाबा बैद्यनाथ, बाबा बासुकीनाथ और फौजदारी बाबा के दर्शन किये। राज्यपाल रघुवर दास ने बैद्यनाथ धाम मंदिर में दर्शन-पूजन किया और झारखंड, ओडिशा समेत पूरे देश के लोगों के लिए सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की मंगलकामना की। उन्होंने कहा, "बाबा के दर्शन के लिए पूरे सावन में देश-दुनिया के काफी भक्त आते हैं। उसको ध्यान में रखते हुए मैं सावन के पहले ही बाबा बैद्यनाथ और फौजदारी बाबा दोनों से आर्शीवाद लेने आया था। उनका आर्शीवाद मिला। दोनों से मैंने प्रार्थना की कि सावन के महीने में जो भी भक्त दर्शन के लिए आएं, उन सभी की मनोकामना को पूर्ण करें।
झारखंड, ओडिशा समेत पूरे देश में सुख समृद्धि आए।" उन्होंने आगे कहा, "माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ओडिशा की जनता से वादा करते हुए जो घोषणा की थी उसके अनुरूप जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का हिसाब जनता को दिया जाएगा।" रघुवर दास ने ओडिशा के पुरी स्थित मंदिर के रत्न भंडार को लेकर कहा, "राज्य की वर्तमान सरकार ने रत्न भंडार को खोलने का जो निर्णय लिया, उसके लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य के पूरे मंत्रिमंडल को बहुत-बहुत साधुवाद और धन्यवाद। उन्होंने ओडिशा की जनता की 46 साल की मांग सुनी।" -- (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जुलाई । दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबेरॉय का कहना है कि नगर निगम और दिल्ली सरकार दोनों मिलकर अपने-अपने अधीन आने वाले स्कूलों का कायाकल्प करने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि नगर निगम के अंतर्गत 1,500 प्राथमिक स्कूल आते हैं। इन स्कूलों में बच्चे की नींव मजबूत होती है और उसकी पहली शुरुआत होती है। नगर निगम की मेयर शैली ओबेरॉय के मुताबिक पिछले साल दो स्कूलों का उद्घाटन हुआ था और इस साल आने वाले 10 दिनों के अंदर ही एक और स्कूल का उद्घाटन करने की तैयारी कर ली गई है। उन्होंने बताया कि एक स्कूल जो विष्णु गार्डन में है, उसका उद्घाटन पिछले साल हुआ था।
दूसरा स्कूल बवाना में बना है, जिसका उद्घाटन हो चुका है और अब तीसरा स्कूल जो अशोक विहार में बन रहा है, उसका उद्घाटन होना है। इस नए स्कूल में 14 क्लासरूम, दो नर्सरी रूम, एक कंप्यूटर रूम, एक ऑफिस, एक लाइब्रेरी, एक साइंस रूम, एक मेडिकल रूम, एक स्टाफ रूम, एक स्पोर्ट्स रूम और एक हॉल होगा, ताकि बच्चे किसी भी सुविधा से वंचित ना रहें।
शैली ओबेरॉय ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल का यह मानना है कि बच्चों की अगर नींव मजबूत हो जाती है तो आगे चलकर वह बड़े-बड़े संस्थानों में जाकर पढ़ाई करते हैं। एमसीडी में नेता सदन मुकेश गोयल ने भी बताया कि नगर निगम के अंदर आने वाले प्राथमिक विद्यालयों में जो विद्यालय बिल्कुल जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं, उनको फिर से बनाकर तैयार किया जा रहा है। इन्हीं विद्यालयों से ना जाने कितने आईएएस, आईपीएस और बड़े-बड़े संस्थानों में काम करने वाले उच्च पदों पर बैठे अफसर पढ़ाई करके निकले हैं। इन स्कूलों की दशा और दिशा दोनों बदल जाएगी तो यह दिल्ली की जनता के लिए बेहद ही अच्छा काम होगा। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जुलाई । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोंडा में हुए रेल हादसे पर दुख जताया है। साथ ही अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के गुरुवार को 10 से ज्यादा डिब्बे पटरी से उतर गए। ट्रेन हादसा गोंडा के पास झिलाही रेलवे स्टेशन के नजदीक हुआ। रेल यात्रियों की मदद और अन्य जानकारी के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''जनपद गोंडा में हुई ट्रेन दुर्घटना अत्यंत दुःखद है।
जिला प्रशासन के अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य संचालित करने और घायलों को शीर्ष प्राथमिकता के साथ अस्पताल पहुंचाकर उनके समुचित उपचार के लिए निर्देश दिए हैं। प्रभु श्रीराम से घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रार्थना है।'' इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि सीएम योगी ने जनपद गोंडा में ट्रेन हादसे का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। साथ ही, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने गोंडा हादसे पर दुख जताते हुए एक्स पर लिखा, ''जनपद गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे पटरी से उतरने से हुए हादसे में कई लोगों के निधन होने की अत्यंत दुःखद सूचना प्राप्त हुई है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि हादसे में घायलों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें और दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। प्रदेश सरकार ने जिला प्रशासनिक अधिकारियों को त्वरित गति से बचाव एवं राहत कार्य करने के निर्देश दिए हैं।'' रेल यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है। रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''पूर्वोत्तर रेलवे के बाराबंकी-गोरखपुर रेल खंड पर मोतीगंज-झिलाहीं स्टेशनों के मध्य डाउन लाइन पर 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के अवपथन के फलस्वरूप रेल यात्रियों की सहायता हेतु हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, लखनऊ- 8957409292, गोंडा- 8957400965'' उधर, गोंडा रेल हादसे के बाद कई गाड़ियों का रूट डायवर्ट कर दिया गया है। 15707 कटिहार-अमृतसर एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है। 15653 गुवाहाटी-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है। --(आईएएनएस)
जयपुर, 18 जुलाई । राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए अल्पसंख्यकों का मुद्दा चर्चा का विषय रहा। सदन शुरू होने पर निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने पूरक प्रश्न के माध्यम से विस्थापितों को नागरिकता देने का मुद्दा उठाया। सदन खत्म होने के बाद आईएएनएस से बात करते हुए उन्होने कहा, “आज पाकिस्तान से विस्थापितों का मामला सदन में रहा। वो लोग जो पराया देश छोड़ कर अपने देश में आये और आज अपने देश के अंदर ही वो लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। वो लोग जिनको अभी तक पिछले 10 सालों में नागरिकता नहीं मिल पाई, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा विस्थापित लोग हैं।
आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनके रिश्तेदारों से लेकर आधे परिवार के लोग यहां रहते हैं। वह नागरिकता की उम्मीद लेकर यहां आये थे। इस देश में अपने लोगों के बीच वह रहेंगे।” उन्होने आगे कहा, “यह हम सभी लोगों के लिए दुख का विषय है कि उनमें से किसी को भी नागरिकता नहीं मिल पाई है। अभी तक बाड़मेर, जैसलमेर और बहलोत्रा जिले में आवेदकों के सिर्फ 22 प्रतिशत लोगों को ही नागरिकता मिल पाई है। यह वाकई गंभीर विषय है। हम सभी को इस पर सोचना चाहिये। मैंने आज सदन के पूरक प्रश्न में माननीय मंत्री महोदय से यह पूछा कि क्या आप पाकिस्तान से आए विस्थापितों पर कोई नोडल अधिकारी रखने का विचार रखते हैं?”
इसके बाद वह कहते हैं, “जितने भी लोग विस्थापित होकर यहां आ रहे हैं, उनको यहां की भाषा न समझने की वजह से दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है। उन्हे परेशान न कर उन्हें नागरिकता देनी चाहिये।” गौरतलब है कि आजादी के बाद पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों का भारत में विस्थापन लगातार जारी रहा। समय-समय पर भारत में इन सभी विस्थापितों को नागरिकता देने की मांग होती रही है। सरकार ने विस्थापितों के एक बड़े समूह को नागरिकता दी भी है। बीते कुछ साल पहले नागरिकता संशोधन कानून का आना भी बाहर से आए लोगों को नागरिकता देने का हिस्सा था। - (आईएएनएस)
मुरादाबाद, 18 जुलाई । समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के मानसून ऑफर वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। अखिलेश यादव के इस ऑफर को लेकर सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन का कहना है कि इससे पहले भी वो इस तरह का ऑफर दे चुके हैं। सपा की कोशिश सांप्रदायिकता फैलाने वाले शख्स को प्रदेश के शीर्ष पद से हटाने और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति को लाने की है। कावड़ यात्रा के दौरान रेहड़ी ठेले वाले दुकानदारों के नाम सार्वजनिक किये जाने के आदेश को लेकर उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह समाज को बांटने की दूसरी साजिश है। ऐसा ही एक ट्रेंड जर्मनी में चला था जिसमें एक कम्युनिटी को बॉयकॉट करने का संदेश था।
हमें ऐसा लगता है कि हिंदू-मुसलमान कर भाजपा सरकार समाज को बांटना चाहती है। उन्होंने कहा कि जो कांवड़ वाले होते हैं, उनमें से 5 या 10 फीसदी ऐसे लोग होते हैं, जो मुसलमान से कुछ भी लेना पसंद नहीं करते। आप एक संदेश दे रहे कि मुसलमान की दुकान से कुछ भी खरीदना बंद कर दें। देश में बड़े-बड़े मीट एक्सपोर्टर हैं। अल कबीर के मालिक हिन्दू भाई हैं, अल नूर के मालिक हिन्दू हैं, अरेबियन एक्सपोर्ट के मालिक भी हिन्दू भाई हैं। अगर आज कोई मुसलमान होटल चला रहा है, फल बेच रहा है, दुकान चला रहा है तो इसमें परेशानी किस बात की है।
देश को बांटने की कोशिश भाजपा बंद करे। गरीब मुसलमानों को बेरोजगार करना मुनासिब नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सबका साथ और सबका विकास एक नारा है, ये जमीन पर उतरा नहीं है। सिर्फ नारे लगाकर मुस्लिम वोट भाजपा नहीं ले सकती। इस नारे की जमीनी हकीकत कुछ और है। भाजपा में ऐसे तमाम नेताओं की बड़ी जमात है जो यह चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं में मुसलमानों को लाभ नहीं मिले। मेरा मानना है कि बिना मजहब देखे हर गरीब की मदद की जानी चाहिए। --(आईएएनएस)
गोंडा, 18 जुलाई । उत्तर प्रदेश के गोंडा में गुरुवार को बड़ा रेल हादसा हो गया। यहां गोरखपुर होते हुए चंडीगढ़ से असम जा रही डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में दो यात्री की मौत हो गई। जबकि, कई लोगों के घायल होने की जानकारी है। राहत विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रेल हादसे में अब तक दो यात्रियों की मौत हो गई है। जबकि, 20 लोग घायल हैं। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लिया है। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने और घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं।
सीएम योगी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को हरसंभव सहायता पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश पर आसपास के जिलों के सभी अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी को अलर्ट मोड पर रखा गया है। एसडीआरएफ की टीम को मौके पर पहुंच कर राहत कार्यों में तेजी लाने के भी निर्देश दिए गए हैं। रेलवे अधिकारियों के अलावा पुलिस प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंची है। मेडिकल टीम को भी बुलाया गया है और डिब्बों में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। हादसे के बाद रूट पर आने वाली ट्रेनें बाधित हो गई हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के बाराबंकी-गोरखपुर रेल खंड पर मोतीगंज-झिलाहीं स्टेशन के मध्य डाउन लाइन पर 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद राहत चिकित्सा यान पहुंच गई है। राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इस खंड पर चलने वाली 15707 कटिहार-अमृतसर एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है। वहीं, 15653 गुवाहाटी-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है। रेल यात्रियों की मदद एवं अन्य जानकारी के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। गोंडा - 8957400965 लखनऊ - 8957409292 सीवान - 9026624251 छपरा - 8303979217 देवरिया सदर - 8303098950 --(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 18 जुलाई । केरल में बीते कई दिनों से भारी बारिश हो रही है। इसके कारण राज्य में जानमाल का भी काफी नुकसान हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केरल के हालात को लेकर चिंता व्यक्त की है। साथ ही उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पीड़ितों की मदद करने की अपील की है। राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “केरल में भारी बारिश बेहद चिंताजनक है। मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।
मैं राज्य के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से आग्रह करता हूं कि वे राहत और बचाव कार्यों में हर संभव मदद करें।” भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, केरल में अगले पांच दिनों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके साथ ही आईएमडी ने ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है। आईएमडी ने केरल के कासरगोड, कन्नूर, कोझिकोड, मलप्पुरम, पलक्कड़, त्रिशूर, एर्नाकुलम, इडुक्की वायनाड और कोट्टायम जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आईएमडी के मुताबिक, अलप्पुझा, पथानामथिट्टा, कोल्लम और तिरुवनंतपुरम में भारी बारिश की संभावना है। इन जिलों के लिए येलो अलर्ट घोषित किया है।
केरल सरकार ने राज्य में हो रही भारी बारिश के मद्देनजर कुछ जिलों में शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया है। यही नहीं, जलभराव के कारण सड़कों को भी काफी नुकसान पहुंचा है और रेल यातायात भी बारिश के चलते बाधित हुआ है। भारी बारिश की स्थिति को देखते हुए कई फ्लाइटों को भी डायवर्ट किया गया है। इस बीच केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) ने भारी बारिश के बाद अलर्ट घोषित कर दिया है। खराब मौसम के कारण कई हाई-टेंशन तार भी टूट गए हैं। इस वजह से लोगों को बिजली की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल केरल सरकार ने अधिकारियों को प्रभावितों तक हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया है। -(आईएएनएस)
नालंदा, 18 जुलाई । नालंदा जिले के एक आंगनबाड़ी केंद्र में गुरुवार को खाने में छिपकली मिली। खाना खाने के बाद 20 बच्चे बीमार पड़ गए। यह मामला नालंदा जिले के रहुई थाना क्षेत्र के शेखपुरा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का है। परिजनों ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र देकपूरा में छोटे बच्चों को पढ़ने के बाद दोपहर के भोजन में रसिया परोसा गया था। बच्चे ने खाने के बाद उल्टी करना शुरू कर दिया। इतने में एक बच्चे की थाली में मृत छिपकली पाई गई।
इस घटना के बाद बच्चे डर गए और उन्होंने अपने परिजनों को इसकी सूचना दी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई में उपस्थित एक डॉक्टर ने बताया कि सभी बच्चे अब खतरे से बाहर हैं और उनकी स्थिति ठीक है। फिलहाल इलाज के लिए बच्चे को यहीं रखा जाएगा। बता दें कि यह खबर सुनते ही स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। गुस्साए परिजन आंगनवाड़ी केंद्र पहुंचे और वहां मौजूद रसोइया और अन्य कर्मचारियों को बंधक बना लिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। --(आईएएनएस)
कोलकाता, 18 जुलाई । कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ दर्ज सभी 26 मामलों की केस डायरी अगले महीने तक जमा करने का निर्देश दिया। पुलिस को आठ अगस्त तक केस डायरी जमा करने का निर्देश देते हुए, न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने अधिकारी को गिरफ्तारी सहित अन्य किसी भी पुलिस कार्रवाई से पहले से प्राप्त संरक्षण बरकरार रखा।
अधिकारी को यह संरक्षण न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की पीठ ने प्रदान किया था। न्यायमूर्ति मंथा को हाल ही में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ का प्रमुख नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति मंथा ने अधिकारी की अपील पर उन्हें सभी 26 मामलों में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ संरक्षण प्रदान किया था। अधिकारी ने अपनी अपील में कहा था कि राजनीतिक प्रतिशोध के चलते उसके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद न्यायमूर्ति मंथा ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह विपक्ष के नेता के खिलाफ कोई भी नई एफआईआर करने से पहले अदालत से अनुमति ले।
पुलिस कार्रवाई के खिलाफ संरक्षण प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि अधिकारी जनता द्वारा निर्वाचित विपक्ष के नेता हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज कर मतदाताओं के प्रति उनकी जवाबदेही को बाधित नहीं किया जा सकता। अब, न्यायमूर्ति सेनगुप्ता की पीठ ने भी अधिकारी को प्राप्त वही संरक्षण बरकरार रखा है। --(आईएएनएस)
रांची, 18 जुलाई । रांची के मैकलुस्कीगंज में गुरुवार दोपहर नक्सलियों ने रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की साइट पर अंधाधुंध फायरिंग की। इस दौरान गोली लगने से कंपनी का एक कर्मी भूपेंद्र यादव बुरी तरह जख्मी हो गया, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई। वारदात के बाद इलाके में दहशत है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस सर्च ऑपरेशन में जुटी है। मैकलुस्कीगंज रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर है। करीब डेढ़ माह पहले 28 मई को भी नक्सलियों ने मैकलुस्कीगंज-खलारी रोड पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का काम करा रही कंपनी के एक मालवाहक कंटेनर के साथ एक मजदूर को जिंदा जला दिया था।
माना जा रहा है कि नक्सलियों ने लेवी (रंगदारी) की मांग को लेकर हमला किया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मियों के अनुसार, बीते मंगलवार को भी नक्सलियों ने मजदूरों के साथ मारपीट की थी। उन्होंने लेवी दिए बगैर काम चालू रखने पर गंभीर परिणाम की धमकी दी थी। इसके बाद कंपनी की ओर से पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी। इस घटना के दो दिन बाद गुरुवार दोपहर नक्सलियों का हथियारबंद दस्ता साइट पर पहुंचा और अंधाधुंध तरीके से फायरिंग करने लगा। इससे साइट पर भगदड़ मच गई। मजदूर और कर्मी इधर-उधर भागे। इसी दौरान कंपनी के मुंशी भूपेंद्र यादव को गोली लगी और वह गिर पड़े। नक्सलियों के जाने के बाद उन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए रिम्स रांची भेजा गया। लेकिन, उन्हें बचाया नहीं जा सका। -(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 18 जुलाई । लोकसभा चुनाव के बाद अब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है। दो राज्यों में हमारी सरकार है। गुजरात में पांच और गोवा में हमारे दो विधायक हैं। हमारी पार्टी से कई सांसद हैं। पूरे देश के लोग अब हमारी पार्टी को पसंद कर रहे हैं। इसलिए हमारी पार्टी ने फैसला किया है कि हरियाणा में हम पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब में हमारी सरकार है।
आधा हरियाणा पंजाब से और आधा हरियाणा दिल्ली से टच करता है। हरियाणा के लोगों ने हमसे कहा था कि आप हरियाणा में क्यों नहीं आते हैं। हरियाणा के लोग भी बदलाव चाहते हैं, वहां के लोगों ने सभी पार्टी को समय दिया। लेकिन, किसी ने भी हरियाणा के लोगों के साथ वफा नहीं की। हरियाणा में सरकार बनाने वाली तमाम पार्टियों ने लूटने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा के लोग इस बार बदलाव चाहते हैं। सीएम केजरीवाल भी हरियाणा से आते हैं, इसलिए हरियाणा के लोगों को इस बात का भी गर्व है कि उनके यहां के अरविंद केजरीवाल दिल्ली जाकर चुनाव लड़ते हैं और पूरे देश की राजनीति को बदल देते हैं। वहीं, संदीप पाठक ने कहा कि हमारी पार्टी हरियाणा में जबरदस्त तरीके से सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ेगी। हरियाणा में गांव-गांव जाकर हमने जनसंवाद कार्यक्रम किया है।
इस दौरान जनता ने बदलाव करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि पूरी ताकत से हम हर बूथ स्तर पर लड़ेंगे। --हरियाणा में आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ेगी : भगवंत मान चंडीगढ़, 18 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के बाद अब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है। दो राज्यों में हमारी सरकार है। गुजरात में पांच और गोवा में हमारे दो विधायक हैं। हमारी पार्टी से कई सांसद हैं। पूरे देश के लोग अब हमारी पार्टी को पसंद कर रहे हैं। इसलिए हमारी पार्टी ने फैसला किया है कि हरियाणा में हम पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब में हमारी सरकार है। आधा हरियाणा पंजाब से और आधा हरियाणा दिल्ली से टच करता है। हरियाणा के लोगों ने हमसे कहा था कि आप हरियाणा में क्यों नहीं आते हैं।
हरियाणा के लोग भी बदलाव चाहते हैं, वहां के लोगों ने सभी पार्टी को समय दिया। लेकिन, किसी ने भी हरियाणा के लोगों के साथ वफा नहीं की। हरियाणा में सरकार बनाने वाली तमाम पार्टियों ने लूटने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा के लोग इस बार बदलाव चाहते हैं। सीएम केजरीवाल भी हरियाणा से आते हैं, इसलिए हरियाणा के लोगों को इस बात का भी गर्व है कि उनके यहां के अरविंद केजरीवाल दिल्ली जाकर चुनाव लड़ते हैं और पूरे देश की राजनीति को बदल देते हैं। वहीं, संदीप पाठक ने कहा कि हमारी पार्टी हरियाणा में जबरदस्त तरीके से सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ेगी। हरियाणा में गांव-गांव जाकर हमने जनसंवाद कार्यक्रम किया है। इस दौरान जनता ने बदलाव करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि पूरी ताकत से हम हर बूथ स्तर पर लड़ेंगे। --(आईएएनएस )
बेंगलुरु, 18 जुलाई । कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा नेताओं का प्रदर्शन तेज हो गया है। पार्टी ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का इस्तीफा मांगा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने बताया, "सिद्दारमैया सरकार का सच पूरी तरह सामने आ चुका है। वे सभी पैसों की लूट कर रहे हैं। प्रदेश में हुए एमयूडीए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिए और मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।"
कर्नाटक भाजपा ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासित कर्नाटक सरकार पर भाजपा ने भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं। राज्य में सबसे ज्यादा गंभीर मुद्दा महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जाति विकास निगम के पैसों की अनियमितताओं का बना हुआ है। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह घोटाला मुख्यमंत्री के जानकारी में हुआ है, इसलिए उनको तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
भाजपा इस मुद्दे को सदन के बाहर और अंदर मजबूती से उठा रही है। इसी सिलसिले में प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र के नेतृत्व में भाजपा ने फ्रीडम पार्क के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन शुरू होने के बाद भाजपा नेता राज्य की विधानसभा का घेराव करने के लिए आगे बढ़े, लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दूसरी तरफ, कर्नाटक कांग्रेस के चार मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग कर राज्य के विकास को धीमा करने करने की साजिश का आरोप लगाया है। --(आईएएनएस)
अलीगढ़, 18 जुलाई उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में बृहस्पतिवार सुबह पशु तस्करी के आरोपियों की तलाश में दबिश के दौरान एसओजी के एक कांस्टेबल की उस समय मौत हो गई, जब कथित तौर पर जाम पड़ी पिस्तौल को खोलते समय उससे अचानक चली गोली उसके सिर में जा लगी।
घटना में एक उप-निरीक्षक के घायल होने की भी खबर है।
पुलिस के मुताबिक, विशेष अभियान समूह (एसओजी) और दो थानों की पुलिस की संयुक्त टीम पशु तस्करों को पकड़ने के लिए बुलंदशहर जिले की सीमा से लगे एक गांव में दबिश डाल रही थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजीव सुमन ने बताया, “दबिश के दौरान निरीक्षक अजहर हुसैन की पिस्तौल जाम हो गई थी और वह उसे खोल नहीं पा रहे थे। हुसैन की मदद करने के लिए उप-निरीक्षक राजीव कुमार ने पिस्तौल पकड़ी, तभी अचानक उससे गोली चल गई। गोली कुमार को छूती हुई कांस्टेबल याकूब के सिरे में जा लगी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए।”
सुमन के अनुसार, दोनों पुलिसकर्मियों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन याकूब ने वहां पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि घटना में घायल कुमार की हालत स्थिर है और उनका इलाज किया जा रहा है। सुमन ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। (भाषा)
दुमका, 18 जुलाई । झारखंड के दुमका जिला अंतर्गत मसलिया थाना क्षेत्र के गुमरो पहाड़ पर गुरुवार को एक युवती का अधजला शव बरामद किया गया। शव की शिनाख्त हो गई है। युवती बिहार के बांका जिला अंतर्गत बौंसी थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। इस मामले में पुलिस ने मसलिया के एक युवक जयप्रकाश सिंह को गिरफ्तार किया है। अब तक की तफ्तीश में खुलासा हुआ है कि युवती के साथ जयप्रकाश सिंह का प्रेम प्रसंग चल रहा था।
वह शादी के लिए दबाव डाल रही थी, लेकिन जयप्रकाश इनकार कर रहा था। उसने युवती की हत्या कर शव जलाने की कोशिश की और उसे पहाड़ पर फेंक दिया। बताया गया कि कुछ ग्रामीणों ने गुरुवार को पहाड़ पर युवती का अधजला शव देखकर पुलिस को सूचना दी। बाद में शव की शिनाख्त हुई तो पता चला कि वह मसलिया में अपने एक रिश्तेदार के घर आती थी और उसकी मित्रता जयप्रकाश सिंह से थी।
पुलिस ने जयप्रकाश सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। मृतका के परिजनों को घटना की सूचना दी गई है। दुमका के एसपी पीतांबर सिंह खेरवार ने बताया कि अब तक की जांच में हत्या के इस मामले के पीछे प्रेम प्रसंग की बात सामने आई है। युवती के परिजनों के आने के बाद इस मामले में और जानकारी मिल सकती है। लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। -(आईएएनएस)
लखनऊ, 18 जुलाई । उत्तर प्रदेश में इस साल भी 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ अभियान' के अंतर्गत 36 करोड़ से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। इसी क्रम में प्रदेश के एक्सप्रेसवे को भी हरा-भरा करने की कवायद शुरू हो गई है। योगी सरकार प्रदेश के चार एक्सप्रेसवे पर दो लाख से अधिक पौधे लगाएगी। यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में भी एक लाख पौधे रोपे जाएंगे। इसके लिए यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने पहल शुरू कर दी है।
इसके अलावा निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे भी बड़े स्तर पर पौधरोपण की तैयारी है। यूपीडा के अधिकारियों के अनुसार गंगा एक्सप्रेसवे के कैरिज-वे और सर्विस रोड के बीच दोनों तरफ 500 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण एवं उनके 10 वर्षीय देख-रेख करने के लिए विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश वन विभाग को 36 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ अभियान 2024' के अंतर्गत यूपीडा की ओर से संचालित चार अन्य एक्सप्रेसवे पर भी 2 लाख 37 हजार से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। इनमें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 15 हजार, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर 1 लाख 6 हजार, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर 25 हजार, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर 91,600 पौधे रोपे जाएंगे। इसके साथ ही यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में भी 1 लाख पौधे रोपे जाएंगे।
इनमें पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर और नीम के 66,700 पौधे रोपे जाएंगे। इसके अलावा बड़ी संख्या में फलदार वृक्षों के पौधे भी रोपे जाएंगे। वहीं, यूपीडा की ओर से गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के अंतर्गत गंगा नदी में डॉल्फिन संरक्षण योजना के लिए वन विभाग को 16 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि प्रदान की जा रही है। वहीं, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अंतर्गत माला नदी के पुनरुद्धार एवं जैव विविधता के संरक्षण के लिए यूपीडा द्वारा वन विभाग को 5 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उत्तर प्रदेश में 20 जुलाई को 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ जन अभियान-2024' महापर्व के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष 36.46 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य तय किया गया है, जिसके सापेक्ष वन विभाग की ओर से 36.50 करोड़ पौधरोपण और उनके संरक्षण की तैयारी है। प्रदेश के हरित क्षेत्र को 9 से बढ़ाकर 2026-27 तक 15 फीसदी तक ले जाना है। -(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 जुलाई कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है तथा ऐसे में अब न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन किए जाने की जरूरत है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कुछ सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि आज श्रमिकों की क्रय शक्ति (ख़रीदारी करने की क्षमता) 10 साल पहले की तुलना में कम है।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों सहित डेटा के कई स्रोतों में एक तथ्य समान रूप से सामने आ रहा है कि आज श्रमिकों की क्रय शक्ति 10 साल पहले की तुलना में कम है। धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण वास्तविक मजदूरी में अभूतपूर्व गिरावट आई है।’’
उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो के वेतन दर सूचकांक (सरकारी डेटा) के मुताबिक, 2014 और 2023 के बीच श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर हो गई है और 2019 से 24 के बीच तो कम भी हो गई है।
रमेश ने दावा किया कि ‘कृषि मंत्रालय की कृषि सांख्यिकी एक नज़र में’ (सरकारी डेटा) के अनुसार, डॉक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल में खेतिहर मज़दूरों की वास्तविक मज़दूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में वास्तविक मजदूरी में हर साल1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण श्रृंखला (सरकारी डेटा) के मुताबिक, समय के साथ औसत वास्तविक कमाई 2017 और 2022 के बीच सभी तरह के रोज़गारों में स्थिर हो गई।
रमेश ने‘सेंटर फ़ॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि 2014 और 2022 के बीच ईंट भट्ठों के श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर हो गई है या घट गई है। ईंट भट्टे का काम अत्यधिक शारीरिक श्रम और कम वेतन वाला काम है जो सबसे ग़रीब लोगों का अंतिम विकल्प है।’’
रमेश का कहना था, ‘‘हमारे श्रमिकों को न्याय दिलाने और स्थिर मजदूरी के इस चक्र को तोड़ने के लिए, कांग्रेस पार्टी ने अपने न्याय पत्र में हर महीने 400 रुपये न्यूनतम मजदूरी देने की गारंटी दी थी। ‘‘स्वयंभू नॉनबायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ के लोकसभा में 400 पार पहुंचने के प्रयासों को मतदाताओं ने सिरे से ख़ारिज़ कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट उन्हें वह प्राप्त करने करने का मौका देता है जिसे कांग्रेस ने असली 400 पार कहा है। राष्ट्रव्यापी स्तर पर प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये करना एक ऐसा विचार है जिस पर काम करने का समय आ गया है।’’ (भाषा)
जयपुर, 18 जुलाई । राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार को अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए। डोटासरा ने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “इस सरकार का शिक्षा क्षेत्र पर तनिक भी ध्यान नहीं है। जब हम सत्ता में थे, तब हमने स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू करने के लिए इस क्षेत्र में विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया था, ताकि बच्चों को कंप्यूटर का व्यापक ज्ञान मिल सके। लेकिन राज्य सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए बजट में शिक्षा के क्षेत्र में तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि बजट से साफ जाहिर हो रहा है कि राज्य सरकार के पास करने के लिए कुछ भी नया नहीं है। अगर होता तो आज प्रदेश की ऐसी स्थिति नहीं होती। वे हमारी ही कार्यशैली को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे इन्हें ज्यादा दिन तक कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं एक बात दावे के साथ कहना चाहता हूं कि इन लोगों ने जो वादे अपने बजट में किए थे, उसे कभी पूरा नहीं कर पाएंगे।" कांग्रेस ने अग्निपथ योजना को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह योजना पूरे देश के युवाओं के साथ छलावा है। इसमें जनता का बिल्कुल भी हित नहीं है। अगर होता तो आज देश के युवा सड़कों पर विरोध करने के लिए बाध्य नहीं होते।” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “हमारे शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि हम आगामी दिनों में नई शिक्षा नीति लागू करेंगे। यदि नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई, तो सभी सरकारी भर्ती संविदा पर होगी। इसके बाद शिक्षा विभाग में स्थायी भर्ती पूरी तरह से रुक जाएगी।” कांग्रेस ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “इन लोगों की कथनी और करनी में अंतर है।
इन लोगों की बात पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। इन लोगों पर भरोसा करने का मतलब हुआ कि 'आ बैल मुझे मार'। इनके मंत्री अपने विभागों और मंत्रालयों को समझ नहीं पा रहे हैं। तो ऐसी स्थिति में आखिर वे जनता के हित में क्या काम करेंगे।" उन्होंने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि उसके मंत्री 18 घंटे काम करेंगे, लेकिन एक भी मंत्री महीने में 10 दिन से ज्यादा ऑफिस नहीं जा रहा है। इनका विभागों के अन्य अधिकारियों के साथ कोई तालमेल नहीं है। उन्हें प्रदेश के विकास और जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, कांग्रेस जब भी सत्ता में रही है, आम लोगों का हित को सर्वोपरि रखा है।
इन लोगों पास जनता के हित के लिए काम करने की दिशा में कोई विजन नहीं है। उन्होंने आगे कहा, “भाजपा मौजूदा समय में अंतर्कलह से जूझ रही है। उसके नेता दिन रात हिंदू-मुस्लिम को लेकर बयान देते रहते हैं। हमेशा ही नफरत बढ़ाने वाले बयान देते रहते हैं। उन्हें न तो प्रदेश के विकास से कोई लेना-देना है और न ही देश के विकास से। वे सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त रहते हैं, लेकिन उन्हें इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है।” --(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 18 जुलाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अक्सर हिंसा भड़काने वाले बयानों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि भाषणों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए ‘हत्या’ और ‘हिंसा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बयानबाजी कई बार हिंसा को उकसाती है। इस क्रम में उन्होंने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास का जिक्र किया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने कहा कि उसके नेता राहुल गांधी ने संसद में हिंसा और हत्या जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था और चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के काफिले पर कुछ फेंके जाने की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि अब मोदी से कोई नहीं डरता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी जबकि उस समय वहां कांग्रेस की सरकार थी। त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब कश्मीर और मणिपुर जैसे संवेदनशील स्थानों पर गए थे तो उनकी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम साफ शब्दों में कहना चाहेंगे कि मौत और हिंसा जैसे शब्दों का प्रयोग बयानों में नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने मोदी जी के लिए इस प्रकार की मौत और उस प्रकार की मौत जैसे शब्दों का प्रयोग किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के नेताओं ने कब्र खुदेगी, मर जा, सर फोड़ देंगे जैसे शब्दों का प्रयोग किया और ये बात आज की नहीं है, ये विगत कई वर्षों से की जा रही है।’’
त्रिवेदी ने कहा कि ‘मोदी के टुकड़े’ करने की बात करने वाले एक नेता अब कांग्रेस के सांसद हैं और वह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ही हैं जिन्होंने 2007 में मोदी के खिलाफ ‘मौत का सौदागर’ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था। मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर गांधी को अपने भाषणों में परिपक्वता दिखानी चाहिए और जो ऐसा नहीं कर रहा है वह राजनीति के लिए उपयुक्त नहीं है।
इस संदर्भ में त्रिवेदी ने इशरत जहां मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई, जो केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है, उसने उस पहले हलफनामे को बदल दिया था जिसमें उसे मोदी को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी कहा गया था ।
इशरत जहां अपने साथियों के साथ एक मुठभेड़ में मारी गई थी। (भाषा)