राष्ट्रीय
पुणे, 2 अक्टूबर । महाराष्ट्र के पुणे के पिंपरी चिंचवड शहर के बावधन बुद्रुक गांव के पास बुधवार को एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। स्थानीय ग्रामीणों ने हेलीकॉप्टर क्रैश होकर गिरने की सूचना हिंजेवाडी पुलिस कंट्रोल रूम को दी। कंट्रोल रूम को बताया गया कि हेलीकॉप्टर में सवार तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सूचना मिलते ही पुलिस और मेडिकल टीम घटनास्थल की ओर रवाना हुई। हालांकि, ताजा जानकारी के अनुसार, हेलीकॉप्टर में सवार तीनों व्यक्तियों की मौत हो गई है।
जब यह हादसा हुआ, तब यह हेलीकॉप्टर ऑक्सफोर्ड गोल्फ रिसोर्ट से मुंबई की दिशा में जा रहा था। पिंपरी चिंचवड पुलिस आयुक्तालय के हिंजेवडी पुलिस हद्द के बावधन इलाके में पहाड़ पर हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की यह घटना घटी। स्थानीय प्रशासन और पुलिस मामले की जांच कर रहे हैं। इस दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। जिस स्थान पर हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वहां स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। दुर्घटना का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। राघव चड्ढा ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि यह सोचकर सीना चौड़ा हो जाता है कि महात्मा गांधी भारत में पैदा हुए थे। हम गांधी के वंशज हैं यह हमारा सौभाग्य है। कितने खुशनसीब थे वह लोग जिन्होंने गांधी को देखा होगा। वह जितने मन से साहसी थे उतने ही मुलायम भी थे। अपनों के लिए लड़ते हुए भी दुश्मनों के प्रति नफरत ना रखने वाले गांधी का दिल इतना बड़ा था कि उन्होंने उसे भी माफ कर दिया जिसने उनको यातनाएं दीं, मारने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की सत्य और हिंसा की ताकत ने दुनिया की सारी ताकतों को बौना कर दिया। गांधी के बारे में अल्बर्ट आइंस्टीन कहा करते थे कि आने वाली नस्लें इस बात पर यकीन नहीं कर पाएंगी कि हाड़ मांस का कोई पुतला ऐसा भी था जिसके करिश्मे के सामने दुनिया की सारी शक्तियां नतमस्तक हो गई। दक्षिण अफ़्रीका में पिछड़ों, शोषितों और अन्य वर्गों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने वाले गांधी अपने देश के लोगों की गरीबी से अधीर होकर आधी धोती में पूरा जीवन गुजारने वाले थे। उन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश क्राउन की आंख में आंख डालकर उसकी तानाशाही का विरोध किया। गांधी केवल व्यक्तित्व नहीं थे, वह स्वयं में एक युग हैं। ऐसा युग जिसमें न्याय की लड़ाई है, ऐसा युग जिसमें अधिकारों के लिए संघर्ष है, ऐसा युग जिसमें इंसानियत और दूसरे का दुख महसूस करने का साहस है।
उन्होंने कहा कि ऐसा युग जिसमें राम सिर्फ नाम नहीं, मर्यादा और कर्तव्य हैं। शायद यही कारण है कि गांधी के जाने के 76 साल बाद भी अमेरिका से लेकर यूरोप तक, अफ्रीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया की गलियों तक आपको गांधी दिख जाएंगे। उनका कद कितना बड़ा है, उनका ओहदा कितना ऊंचा है। यह उनकी मूर्ति के सामने झुके हुए लोगों से पता चलता है। आज जब कोई हिंदुस्तानी भारत से बाहर किसी दूसरे देश में जाता है, तो वहां उसकी इज्जत इसलिए भी होती है क्योंकि वह गांधी के देश से आया है। रंगभेद से लड़ने वाले नेल्सन मंडेला जेल में लगभग तीन दशक गुजारने के बाद जब जेल से बाहर निकले तो मुस्कुराए, जिस पर पत्रकारों ने उनसे पूछा इतनी मुश्किल के बावजूद भी आप मुस्कुरा रहे हैं, तो मंडेला ने कहा, 'मैंने गांधी को पढ़ा है।' यह है गांधी की ताकत। सारी दुनिया में अहिंसात्मक आंदोलनों के प्रेरणा स्रोत हैं गांधी।
राघव चड्ढा ने आगे कहा कि देश की आजादी के लिए गोली बंदूक, तोप और गोलों के खतरनाक अंजाम से बेफिक्र होकर गांधी निहत्थे लड़ते रहे। मार्टिन लूथर किंग ने गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर अपने देश में अफ्रीकी अमेरिकी को समानता का अधिकार दिलाया। जिस चार्ली चैपलिन के पीछे दुनिया दीवानी थी, वह चार्ली चैपलिन गांधी से मिलने के लिए बेताब रहते थे। आज दुनिया के सैकड़ों देशों में अनगिनत शहरों में आपको पतले दुबले लाठी टेके गांधी की प्रतिमा दिख जाएगी। जहां दुनिया की नामचीन विभूतियां झुक-झुक कर फूल अर्पित करती, फूल चढ़ाती नजर आएंगी। आज जब हम गांधी को याद करते हैं तो अपने इतिहास के गौरव को जिंदा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब बापू का नाम लेते हैं तो हिंदुस्तान की असली ताकत का एहसास करते हैं। गांधी भले इस दुनिया में नहीं, मगर दुनिया के दिलों में गांधी हैं। गांधी मोहब्बत की परंपरा बनकर हिंदुस्तान के सीने में धड़कते हैं। आज भी सत्य की पगडंडियों पर चलते हुए गांधी मिल जाएंगे आप बस उनको दिल से याद तो कीजिए। --(आईएएनएस)
वाराणसी, 2 अक्टूबर । देश भर में गांधी जयंती के अवसर पर बुधवार को लोग महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इसके साथ ही, देश भर में स्वच्छता अभियान के तहत झाड़ू लगाई जा रही है। इस अवसर पर वाराणसी पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने टाउनहाल स्थित गांधी प्रतिमा का माल्यार्पण किया। इस दौरान उन्होंने स्वच्छता अभियान के तहत झाड़ू लगाकर अपनी सहभागिता दिखाई। अरुण सिंह ने मैदागिन क्षेत्र में भी झाड़ू लगाकर स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया। अरुण सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही के दिन दस वर्ष पहले स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद झाड़ू लेकर पूरे देश को स्वच्छ रखने का संदेश दिया था।
स्वच्छता ही सबसे बड़ी सेवा है। आज यदि हम पूरे देश में स्वच्छता का दृष्टिकोण देखें, तो स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। लोग केवल 2 अक्टूबर को ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष इस अभियान में भाग लेते हैं और स्वच्छता को अपने हाथ में लेते हैं।" महात्मा गांधी के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "गांधी जी के सिद्धांत जैसे स्वराज, स्वदेशी, सादगी और अहिंसा को अपनाते हुए लोग उनके जीवन से प्रेरणा लेकर कार्य कर रहे हैं। आज का दिन केवल चुनाव की बात करने का नहीं, बल्कि स्वच्छता और स्वच्छ भारत अभियान की बात करने का है।
यदि हम स्वच्छता बनाए रखेंगे, तो बीमारियों में कमी आएगी, जिससे देश का विकास तेज गति से होगा और जीडीपी भी बढ़ेगी।" उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान को भी लोगों द्वारा अपनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह जन आंदोलन बन चुका है, जिसमें हर कोई भाग ले रहा है। तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद पर भी अरुण सिंह ने अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय आया है, उसके अनुसार इस मामले में किसी को भी बोलने की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह जांच का विषय है और इसकी जांच चल रही है। -- (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । सितंबर खत्म हो गया है और अक्टूबर का आगाज हो गया। ऐसे में नए महीने की शुरुआत होते ही सुकन्या समृद्धि योजना में बड़ा बदलाव हुआ है। नए नियम के मुताबिक, सुकन्या समृद्धि योजना के खातों का संचालन बेटी के कानूनी अभिभावक या उसके माता-पिता ही कर सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने साल 2015 में की थी। पीएम मोदी ने बेटियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस योजना को शुरू करने का निर्णय लिया था, ताकि माता-पिता को कम उम्र से ही अपनी बेटी के लिए बचत शुरू करने को प्रोत्साहित किया जा सके। एक बेटी के नाम पर केवल एक ही सुकन्या समृद्धि खाता खोला जा सकता है। इस योजना में महज 250 रुपये से अकाउंट को ओपन कराया जा सकता है। सरकार की ओर से इस योजना में लगभग आठ फीसद से अधिक ब्याज मिलता है।
इस खाते को बेटी के जन्म के समय या फिर 10 साल की उम्र तक ही खोला जा सकता है। अगर आपको सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खुलवाना हो, तो आप अपने घर के पास स्थित डाकघर या इस योजना के तहत पंजीकृत बैंक के कार्यालय जा सकते हैं। इस खाते में एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की राशि जमा की जा सकती है। बेटी के बालिग होने तक खाता अभिभावक द्वारा ही संचालित किया जा सकता है। नए नियम के तहत सुकन्या समृद्धि योजना में एक अक्टूबर से बेटियों के कानूनी अभिभावक ही, उनके खातों का संचालन कर सकेंगे। नए नियम के मुताबिक, अगर किसी शख्स द्वारा बेटी का सुकन्या समृद्धि योजना खाता खोला गया है और वह कानूनी तौर पर उसका अभिभावक नहीं है, ऐसे में उन्हें यह अकाउंट बेटी के कानूनी अभिभावक या माता-पिता को ट्रांसफर करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो खाता बंद हो सकता है। --(आईएएनएस)
पटना, 1 अक्टूबर । बिहार में प्रीपेड मीटर को लेकर सियासत गरमा गई है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ओर से उठाए गए सवाल का जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने जवाब दिया है। नीरज कुमार ने कहा कि, प्रीपेड मीटर लगाने वाला बिहार न पहला राज्य है और न अंतिम। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव दुबई प्रवास कर हैं। दुबई में भी प्रीपेड मीटर लगा हुआ है। उसे उखाड़ कर ले आइए और कार्यकर्ताओं को दिखाइए और बताइए कि वहां भी लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि, केरल में 100 प्रतिशत घरों में प्रीपेड मीटर लगा हुआ है। वहीं तमिलनाडु में 93 प्रतिशत घरों में, पंजाब में 76 प्रतिशत घरों में प्रीपेड मीटर लगा हुआ है। इसमें बिहारी लोगों के घर भी शामिल हैं।
इन राज्यों में जो बिहार के रहने वाले लोग प्रीपेड मीटर के आर्थिक मार को झेल रहे हैं, ऐसे में आप कब इन राज्यों में प्रतिकार के लिए जाइएगा। जब ये प्रकिया तैयार की जा रही थी, तो आप सत्ता के साझेदार थे। उस समय आपकी जुबान खामोश क्यों रहती थी। गौरतलब है कि पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सवाल उठाते हुए कहा था कि, बिहार में स्मार्ट मीटर नहीं, स्मार्ट चीटर लगा दिया गया है। स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी हो रही है और इसकी वजह से उपभोक्ताओं को अधिक बिजली बिलों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं राजद के बिहार प्रमुख जगदानंद सिंह ने बिजली बिल विवाद पर भाजपा और जदयू की आलोचना करते हुए दावा किया कि वह केवल एक कमरे में रहते हैं, यही वजह है कि उनका बिजली बिल कम आता है। मेरा जीवन साधारण है। मैं दो कमरों का बिजली बिल नहीं चुका सकता। मैं एक कमरे में रहता हूं। मैं केवल एक कमरे का खर्च ही उठा सकता हूं। इससे पहले, भाजपा और जदयू ने कहा था कि स्मार्ट मीटर के कारण सिंह के बिजली बिल में 17 प्रतिशत की कमी आई है। -
लखनऊ, 1 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को मंगलवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सम्मानित किया। मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित होकर खिलाड़ी अभिभूत हुए। यूपी की नई खेल नीति की भी सभी ने सराहना की। खिलाड़ियों ने कहा कि 2017 के बाद से पूरे यूपी के परिदृश्य में परिवर्तन आया है। अब मुख्यमंत्री मंच पर बुलाकर खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं, पहले ऐसा नहीं था। अपने प्रदेश में सम्मान मिलने से बेहतर करने के प्रति हमारा उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है।
2016 पैरालंपिक में आए मेडल में से एक पदक यूपी से भी था, लेकिन उस समय इतना सम्मान नहीं मिला। 2020 पैरालंपिक में दो पदक आए तो सम्मान मिला। तब और अब में यही अंतर आया। एशियन गेम्स में मेडल आया तो भी सम्मान मिला। 2024 में भी मिल रहा सम्मान सबके सामने है। सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी में खेल के क्षेत्र में भी काफी काम हो रहा है। बहुत सारे परिवर्तन भी हुए हैं। योगी सरकार ने ना सिर्फ खेल नीति बनाई, बल्कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित भी कर रही है। हॉकी के कांस्य पदक विजेता ललित कुमार उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने खिलाड़ियों को बुलाकर मंच पर सम्मानित किया। इतनी बड़ी पुरस्कार राशि भी दी। अपने प्रदेश में सम्मान पाने से एक तरफ गौरव की अनुभूति होती है तो दूसरी तरफ यह जिम्मेदारी भी होती है कि हम पिछली बार से और बेहतर करें।
प्रदेश सरकार जो सम्मान, पद व पुरस्कार राशि देती है, उससे करियर भी सफल होता है और नई पहचान भी बनती है। कांस्य पदक विजेता हॉकी प्लेयर राजकुमार पाल ने उत्तर प्रदेश की खेल नीति की तारीफ करते हुए कहा कि खिलाड़ी प्रोत्साहित हैं। मेडल पाने वाले खिलाड़ियों के लिए पहले इतना प्रोत्साहन नहीं था, लेकिन सीएम योगी के निर्देशन में प्रदेश सरकार खिलाड़ियों के लिए काफी कुछ कर रही है। ऐसे प्रोत्साहन से खेल में आने वाले युवाओं को अच्छा प्लेटफॉर्म मिलता है। शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेडियम बनने से प्रतिभाओं को मंच मिलेगा। पैरालंपिक गेम्स-2024 के प्रतिभागी दीपेश कुमार ने कहा कि खिलाड़ियों के सम्मान के लिए योगी सरकार का धन्यवाद। दिव्यांगों का सम्मान बड़ा काम है, क्योंकि बाहर की दुनिया में इतना सम्मान नहीं मिल पाता। खेल में सम्मान के साथ प्रोत्साहन राशि भी मिल रही है। सीएम योगी के नेतृत्व में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए मिनी स्टेडियम, स्टेडियम, सिंथेटिक ग्राउंड आदि का निर्माण हो रहा है।
'एकलव्य क्रीड़ा कोष' से भी बहुत लाभ मिल रहा है। लक्ष्मण व रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार भी खिलाड़ियों को दिया जा रहा है। पैरालंपिक गेम्स-2024 के प्रतिभागी यश कुमार ने सीएम योगी का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी व्यस्तता के बीच खिलाड़ियों के लिए समय दिया। हमारे साथ सेल्फी ली। यह उनकी सहृदयता है। पहले पैरा एशियन गेम्स और अब पैरालंपिक गेम्स के बाद उन्होंने हमें सम्मानित किया। ओलंपिक-2024 की प्रतिभागी प्राची चौधरी ने कहा कि सीएम योगी ने खेल की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। उनके आने के बाद से उत्तर प्रदेश में खेल तेजी से बढ़ रहा है। हमारे लिए सम्मान समारोह का आयोजन करने के लिए सीएम योगी का धन्यवाद। टोक्यो और पेरिस ओलंपिक खेल चुकी एक अन्य प्रतिभागी प्रियंका गोस्वामी ने कहा कि मुझे यूपी सरकार से सम्मान मिला है। खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि और नौकरी मिलना ही बहुत बड़ा सम्मान है। -(आईएएनएस)
कैथल, 1 अक्टूबर । दुष्कर्म के आरोप में जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पैरोल मिल गई है। वह 20 दिन के लिए जेल से बाहर आएंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और अलवर से कांग्रेस विधायक टीकाराम जूली ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी पर निशाना साधा। वह हरियाणा चुनाव की वजह से राज्य के दौरे पर हैं।
उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी हरियाणा में चुनाव होते हैं, तो चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल दे दी जाती है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हरियाणा में कांग्रेस का माहौल है। बच्चा-बच्चा कांग्रेस की सरकार बनने की बात कह रहा है। पूरे देश में इस समय एक बात जोरों पर कही जा रही है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार आ रही है। राज्य में दो तिहाई से अधिक बहुमत कांग्रेस को आ रहा है। हमारे उम्मीदवारों की बड़े अंतर से एकतरफा जीत निश्चित है। राज्य में पिछले 10 सालों में कुशासन रहा है। भाजपा ने हमारी सरकार के खिलाफ नकारात्मक भाव फैलाकर सत्ता में प्रवेश किया, लेकिन उनकी सरकार कोई काम नहीं कर पाई। उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए विधायकों के टिकट काटे, मंत्रियों को बदला, डिप्टी सीएम को हटाया और फिर सीएम को भी हटा दिया। जनता अब इन सब चीजों को मानने वाली नहीं है। जनता सरकार बदलकर ही दम लेगी। भाजपा चेहरे बदल रही है, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा।” इसके बाद, उन्होंने राम रहीम को पैरोल मिलने के मामले में कहा, “मैं राजस्थान का रहने वाला हूं। मैं यह बात जरूर सुनता हूं कि जब भी हरियाणा में चुनाव होते हैं, तो चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल दे दी जाती है।
बाकी कोर्ट के निर्देशानुसार सब काम हो रहा है, और कोर्ट ही देखेगा।” साथ ही उन्होंने कैथल में मुख्यमंत्री की एक रैली में स्थानीय विधायक के बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि "हमसे बड़ा गुंडा कोई नहीं है," पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सब हम देख ही रहे हैं। यह उनका काम है। इससे पहले भी मनोहर लाल खट्टर को किसी ने फरसा भेंट किया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि “गला काट दूंगा।” वह वीडियो खूब वायरल हुआ था। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित जिन नेताओं पर बड़े-बड़े आरोप लगे हों, उनसे ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है। --(आईएएनएस)
रांची, 1 अक्टूबर । असम के मुख्यमंत्री और झारखंड के चुनाव सह-प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस किसी भी स्थिति में सूबे में सरकार नहीं बना पाएगी। सरमा ने कहा कि ये लोग बार-बार पूछ रहे हैं कि आपने (बीजेपी) क्या दिया? साहब, सत्ता में आप हैं, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आप बैठे हैं, और पूछते हमसे हैं कि आपने सूबे की जनता को क्या दिया। उन्होंने कहा, “सूबे की जनता को देना हमारा नहीं, बल्कि आपका (जेएमएम) काम है।
सत्ता में आप हैं, ना की हम, तो देने की जिम्मेदारी आपकी है, ना की हमारी। एक बार आप हमें सत्ता में बैठाकर तो देखिए, फिर बताते हैं कि हम सूबे की जनता को क्या दे सकते हैं।” उन्होंने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा, “यह जानकर हैरानी होती है कि आप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के बावजूद भी दूसरों से मांग रहे हैं। यानी की आप यह बात खुद ही स्वीकार कर चुके हैं कि आप में लोगों को देने की क्षमता नहीं है। आप में यह क्षमता नहीं है कि प्रदेश के लोगों का विकास कर सकें। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बावजूद भी आप यह सवाल करेंगे कि आपने (बीजेपी) दिया क्या?, तो इससे साफ जाहिर होता है कि आप लोगों में प्रदेश के लोगों के लिए कुछ भी करने की इच्छा नहीं है। आप सिर्फ शासन करने की औपचारिकताएं ही निभा रहे हैं।”
हिमंता बिस्वा सरमा ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पर निशाना साधते हुए कहा, “ये दोनों ही दल फिर से सरकार बनाने के ख्वाब देख रहे हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इनके ये ख्वाब कभी-भी पूरे नहीं होंगे। ये दल किसी भी कीमत पर सरकार नहीं बना सकते हैं। मुझे लगता है कि इस विषय पर चर्चा करना ही निरर्थक है।” उन्होंने कहा, “हमारे विरोधी कह रहे हैं कि यूं तो कई राज्यों में चुनाव हैं, लेकिन भाजपा के सभी कद्दावर नेता झारखंड में ही डेरा डाले हुए हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हम सभी राज्यों को समान महत्व दे रहे हैं। हमारी पार्टी के लिए हिंदुस्तान का हर सूबा राजनीतिक दृष्टि से अहम है। हम हर सूबे में जीत का परचम लहराएंगे।“ (आईएएनएस)
मथुरा, 1 अक्टूबर । देशभर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़ा चल रहा है। ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़ा के तहत यूपी के मथुरा न्यायालय में सफाई अभियान चलाया गया। इस अभियान में न्यायाधीश ने शिरकत की और उन्होंने स्वच्छता का संदेश दिया। जस्टिस आशीष गर्ग ने कहा कि हमारी संस्कृति में स्वच्छता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हमारी हमेशा ही यही कोशिश रहती है कि घर या उसके आसपास की सफाई करनी चाहिए। इसलिए मथुरा न्यायालय में भी सालभर साफ-सफाई से संबंधित कार्यक्रम भी चलता है। लेकिन, इस बार 15 दिन से चल रहे ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़े के तहत कोर्ट परिसर में एक अभियान चलाया गया है।
हमारा प्रयास है कि कोर्ट परिसर को साफ-सुथरा रखा जाए, जिससे गंदगी और बीमारियों का खात्मा भी किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, "मैं आज मथुरा जनपद और कोर्ट परिसर में आने वाले सभी लोगों से अपील करूंगा कि वह कहीं भी गंदगी ना करें और इधर-उधर कूड़ा ना फैलाएं। मैंने आमतौर पर देखा है कि लोग पानी पीने के बाद खाली बोतलों को रास्ते में फेंक देते हैं। बहुत सारे लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं और उसके पैकेट को रास्ते में फेंक देते हैं, जिससे गंदगी बढ़ जाती है।" जस्टिस आशीष गर्ग ने कहा, "मथुरा में देश और विदेश से पर्यटक आते हैं और इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इस जिले को साफ रखना है। पर्यटकों के सामने साफ-सुथरे मथुरा की छवि पहुंचनी चाहिए।"
बता दें कि पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच देशभर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़ा मनाया जा रहा है। 2 अक्टूबर 2024 को स्वच्छ भारत अभियान के भी 10 साल पूरे हो रहे हैं। इसकी शुरुआत पीएम मोदी ने साल 2014 में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर की थी। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । शल्य चिकित्सक वाइस एडमिरल आरती सरीन, सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस) की पहली महिला महानिदेशक बनी हैं। वाइस एडमिरल आरती सरीन ने 1 अक्टूबर को सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा की महानिदेशक का पदभार संभाला। वह यह पदभार संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों और प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए हाल ही में आरती सरीन को राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया गया है। वाइस एडमिरल आरती सरीन को भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं में सेवाएं देने का दुर्लभ गौरव प्राप्त है।
उन्हें भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट से कैप्टन तक, भारतीय नौसेना में सर्जन लेफ्टिनेंट से सर्जन वाइस एडमिरल तक तथा भारतीय वायु सेना में एयर मार्शल के रूप में कार्य करने का अनुभव है। 46वें डीजीएएफएमएस के रूप में पदभार संभालने से पहले, वाइस एडमिरल आरती सरीन ने डीजी मेडिकल सर्विसेज (नौसेना), डीजी मेडिकल सर्विसेज (वायु) और पुणे स्थित सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय के निदेशक और कमांडेंट के पदों पर कार्य किया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक वाइस एडमिरल आरती सरीन, एएफएमसी, पुणे की पूर्व छात्रा हैं। उन्होंने दिसंबर 1985 में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में कार्यभार संभाला था।
वह एएफएमसी, पुणे से रेडियो डायग्नोसिस में एमडी हैं। मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल से रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड होने के साथ ही उन्होंने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से गामा नाइफ सर्जरी में प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। अपने 38 वर्षों के कार्यकाल में वाइस एडमिरल आरती सरीन, ने प्रोफेसर और प्रमुख, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, आर्मी हॉस्पिटल में काम किया है। वह कमांड हॉस्पिटल पुणे में कमांडिंग ऑफिसर रह चुकी हैं। उन्होंने दक्षिणी और पश्चिमी नौसेना कमान में कमांड मेडिकल ऑफिसर के पदों पर कार्य किया है। वाइस एडमिरल आरती सरीन को वर्ष 2024 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें वर्ष 2021 में विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ प्रशस्ति (2017), चीफ ऑफ नेवल स्टाफ प्रशस्ति (2001) और जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ प्रशस्ति (2013) से भी सम्मानित किया गया है। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । मोहनदास करमचंद गांधी भारत ही नहीं दुनिया के लिए दिव्य पुरुष के समान हैं। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से भी लोकप्रिय हैं और उन्हें प्यार से बापू भी कहा जाता है। महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने मान्यता दी और आज के उथल-पुथल भरे विश्व में महात्मा गांधी के सिद्धांत को अपनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। महात्मा गांधी की नई दिल्ली के पुराने बिड़ला भवन से भी अनूठी यादें जुड़ी हैं। इस भवन में स्थित गांधी स्मृति वह पवित्र स्थल है, जहां महात्मा गांधी ने 30 जनवरी 1948 को अपने नश्वर शरीर को त्यागा था। इस घर में महात्मा गांधी 9 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 तक रहे थे।
महात्मा गांधी के अंतिम 144 दिनों की स्मृतियां संजोकर रखी गई हैं, जिसे आप भी देख सकते हैं। गांधी स्मृति वेबसाइट के मुताबिक, पुराने बिड़ला भवन को भारत सरकार ने 1971 में अधिग्रहित कर लिया। फिर, इस भवन को राष्ट्रपिता के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसे 15 अगस्त 1973 को आम जनता के लिए खोल दिया गया। भवन में उस कमरे को भी संरक्षित करके रखा गया है, जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहते थे। इसके अलावा प्रार्थना मैदान भी है, जिसमें आम सभा होती थी। इसी स्थान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। भवन को उसी तरह से संरक्षित करके रखा गया है, जैसे महात्मा गांधी के समय था। प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने इस भवन को 1928 में बनवाया था। जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानी ठहरने आते थे। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इस जगह पर महात्मा गांधी पहली बार 15 मार्च 1939 को आए थे। उनका तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। इस स्मारक की संरचना में महात्मा गांधी और उनकी यादों को सहेजा गया है। इसके अलावा उनके जीवन के खास मूल्यों के साथ ही महात्मा गांधी से संबंधित सेवा गतिविधियों को भी स्थान दिया गया है। गांधी स्मृति वेबसाइट में जिक्र किया गया है कि, संग्रहालय में जो चीजें प्रदर्शित की गई हैं, उनमें गांधी जी ने जितने वर्ष यहां व्यतीत किए हैं, उनसे संबंधित तस्वीरें, वस्तु शिल्प, चित्र, भित्तिचित्र, शिलालेख और स्मृति चिन्ह शामिल हैं। गांधी जी की कुछ व्यक्तिगत जरूरत की चीजों को भी बहुत संभाल कर यहां पर रखा गया है। इसका प्रवेश द्वार भी बहुत ऐतिहासिक महत्व का है। इसी द्वार के शीर्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को महात्मा गांधी की मृत्यु की सूचना दी थी। उन्होंने कहा था, "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और हर जगह अंधेरा छा गया है।" जिस जगह पर राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी, वहां पर एक शहीद स्तंभ बनाया गया है।
यह महात्मा गांधी की शहादत की याद दिलाता है। स्तंभ के चारों तरफ श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ है। प्रार्थना स्थल के केंद्र में एक मंडप है, जिसकी दीवारों पर भारत की सांस्कृतिक यात्रा की अनवरतता, दुनिया के साथ उसके संबंध एवं एक ‘सार्वभौमिक व्यक्ति’ के रूप में महात्मा गांधी के उद्भव और उनके मूल्यों को जगह दी गई है। महात्मा गांधी ने भी खुद कई बार कहा था, "मेरी भौतिक आवश्यकताओं के लिए मेरा गांव मेरी दुनिया है। लेकिन, मेरी आध्यात्मिक जरूरतों के लिए संपूर्ण दुनिया मेरा गांव है।" गांधी स्मृति में गांधी जी के कमरे को ठीक उसी प्रकार रखा गया है, जैसा यह उनकी हत्या के दिन था। उनकी सारी चीजें, उनका चश्मा, टहलने की छड़ी, एक चाकू, कांटा और चम्मच, खुरदुरा पत्थर जिसका इस्तेमाल वह साबुन की जगह करते थे, प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। उनका बिस्तर फर्श पर बिछी एक चटाई पर था। भगवद् गीता की एक पुरानी और उनके उपयोग में आ चुकी एक प्रति भी रखी हुई है। 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में एक महान यात्रा तय की। उनसे जुड़े इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण भवन में कई ऐसी चीजें हैं, जिसके जरिए आप महात्मा गांधी के महामानव और राष्ट्रपिता बनने की यात्रा के गवाह बन सकते हैं। आप उनके संदेश के जरिए समझ सकते हैं कि मानवता को महात्मा गांधी के विचार और व्यक्तित्व की हर सदी में क्यों जरूरत पड़ती है। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । मोहनदास करमचंद गांधी भारत ही नहीं दुनिया के लिए दिव्य पुरुष के समान हैं। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से भी लोकप्रिय हैं और उन्हें प्यार से बापू भी कहा जाता है। महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने मान्यता दी और आज के उथल-पुथल भरे विश्व में महात्मा गांधी के सिद्धांत को अपनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। महात्मा गांधी की नई दिल्ली के पुराने बिड़ला भवन से भी अनूठी यादें जुड़ी हैं। इस भवन में स्थित गांधी स्मृति वह पवित्र स्थल है, जहां महात्मा गांधी ने 30 जनवरी 1948 को अपने नश्वर शरीर को त्यागा था। इस घर में महात्मा गांधी 9 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 तक रहे थे।
महात्मा गांधी के अंतिम 144 दिनों की स्मृतियां संजोकर रखी गई हैं, जिसे आप भी देख सकते हैं। गांधी स्मृति वेबसाइट के मुताबिक, पुराने बिड़ला भवन को भारत सरकार ने 1971 में अधिग्रहित कर लिया। फिर, इस भवन को राष्ट्रपिता के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसे 15 अगस्त 1973 को आम जनता के लिए खोल दिया गया। भवन में उस कमरे को भी संरक्षित करके रखा गया है, जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहते थे। इसके अलावा प्रार्थना मैदान भी है, जिसमें आम सभा होती थी। इसी स्थान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। भवन को उसी तरह से संरक्षित करके रखा गया है, जैसे महात्मा गांधी के समय था। प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने इस भवन को 1928 में बनवाया था। जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानी ठहरने आते थे। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इस जगह पर महात्मा गांधी पहली बार 15 मार्च 1939 को आए थे। उनका तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। इस स्मारक की संरचना में महात्मा गांधी और उनकी यादों को सहेजा गया है। इसके अलावा उनके जीवन के खास मूल्यों के साथ ही महात्मा गांधी से संबंधित सेवा गतिविधियों को भी स्थान दिया गया है। गांधी स्मृति वेबसाइट में जिक्र किया गया है कि, संग्रहालय में जो चीजें प्रदर्शित की गई हैं, उनमें गांधी जी ने जितने वर्ष यहां व्यतीत किए हैं, उनसे संबंधित तस्वीरें, वस्तु शिल्प, चित्र, भित्तिचित्र, शिलालेख और स्मृति चिन्ह शामिल हैं। गांधी जी की कुछ व्यक्तिगत जरूरत की चीजों को भी बहुत संभाल कर यहां पर रखा गया है। इसका प्रवेश द्वार भी बहुत ऐतिहासिक महत्व का है। इसी द्वार के शीर्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को महात्मा गांधी की मृत्यु की सूचना दी थी। उन्होंने कहा था, "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और हर जगह अंधेरा छा गया है।" जिस जगह पर राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी, वहां पर एक शहीद स्तंभ बनाया गया है।
यह महात्मा गांधी की शहादत की याद दिलाता है। स्तंभ के चारों तरफ श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ है। प्रार्थना स्थल के केंद्र में एक मंडप है, जिसकी दीवारों पर भारत की सांस्कृतिक यात्रा की अनवरतता, दुनिया के साथ उसके संबंध एवं एक ‘सार्वभौमिक व्यक्ति’ के रूप में महात्मा गांधी के उद्भव और उनके मूल्यों को जगह दी गई है। महात्मा गांधी ने भी खुद कई बार कहा था, "मेरी भौतिक आवश्यकताओं के लिए मेरा गांव मेरी दुनिया है। लेकिन, मेरी आध्यात्मिक जरूरतों के लिए संपूर्ण दुनिया मेरा गांव है।" गांधी स्मृति में गांधी जी के कमरे को ठीक उसी प्रकार रखा गया है, जैसा यह उनकी हत्या के दिन था। उनकी सारी चीजें, उनका चश्मा, टहलने की छड़ी, एक चाकू, कांटा और चम्मच, खुरदुरा पत्थर जिसका इस्तेमाल वह साबुन की जगह करते थे, प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। उनका बिस्तर फर्श पर बिछी एक चटाई पर था। भगवद् गीता की एक पुरानी और उनके उपयोग में आ चुकी एक प्रति भी रखी हुई है। 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में एक महान यात्रा तय की। उनसे जुड़े इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण भवन में कई ऐसी चीजें हैं, जिसके जरिए आप महात्मा गांधी के महामानव और राष्ट्रपिता बनने की यात्रा के गवाह बन सकते हैं। आप उनके संदेश के जरिए समझ सकते हैं कि मानवता को महात्मा गांधी के विचार और व्यक्तित्व की हर सदी में क्यों जरूरत पड़ती है। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । मोहनदास करमचंद गांधी भारत ही नहीं दुनिया के लिए दिव्य पुरुष के समान हैं। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से भी लोकप्रिय हैं और उन्हें प्यार से बापू भी कहा जाता है। महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने मान्यता दी और आज के उथल-पुथल भरे विश्व में महात्मा गांधी के सिद्धांत को अपनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। महात्मा गांधी की नई दिल्ली के पुराने बिड़ला भवन से भी अनूठी यादें जुड़ी हैं। इस भवन में स्थित गांधी स्मृति वह पवित्र स्थल है, जहां महात्मा गांधी ने 30 जनवरी 1948 को अपने नश्वर शरीर को त्यागा था। इस घर में महात्मा गांधी 9 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 तक रहे थे।
महात्मा गांधी के अंतिम 144 दिनों की स्मृतियां संजोकर रखी गई हैं, जिसे आप भी देख सकते हैं। गांधी स्मृति वेबसाइट के मुताबिक, पुराने बिड़ला भवन को भारत सरकार ने 1971 में अधिग्रहित कर लिया। फिर, इस भवन को राष्ट्रपिता के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसे 15 अगस्त 1973 को आम जनता के लिए खोल दिया गया। भवन में उस कमरे को भी संरक्षित करके रखा गया है, जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहते थे। इसके अलावा प्रार्थना मैदान भी है, जिसमें आम सभा होती थी। इसी स्थान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। भवन को उसी तरह से संरक्षित करके रखा गया है, जैसे महात्मा गांधी के समय था। प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने इस भवन को 1928 में बनवाया था। जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानी ठहरने आते थे। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इस जगह पर महात्मा गांधी पहली बार 15 मार्च 1939 को आए थे। उनका तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। इस स्मारक की संरचना में महात्मा गांधी और उनकी यादों को सहेजा गया है। इसके अलावा उनके जीवन के खास मूल्यों के साथ ही महात्मा गांधी से संबंधित सेवा गतिविधियों को भी स्थान दिया गया है। गांधी स्मृति वेबसाइट में जिक्र किया गया है कि, संग्रहालय में जो चीजें प्रदर्शित की गई हैं, उनमें गांधी जी ने जितने वर्ष यहां व्यतीत किए हैं, उनसे संबंधित तस्वीरें, वस्तु शिल्प, चित्र, भित्तिचित्र, शिलालेख और स्मृति चिन्ह शामिल हैं। गांधी जी की कुछ व्यक्तिगत जरूरत की चीजों को भी बहुत संभाल कर यहां पर रखा गया है। इसका प्रवेश द्वार भी बहुत ऐतिहासिक महत्व का है। इसी द्वार के शीर्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को महात्मा गांधी की मृत्यु की सूचना दी थी। उन्होंने कहा था, "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और हर जगह अंधेरा छा गया है।" जिस जगह पर राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी, वहां पर एक शहीद स्तंभ बनाया गया है।
यह महात्मा गांधी की शहादत की याद दिलाता है। स्तंभ के चारों तरफ श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ है। प्रार्थना स्थल के केंद्र में एक मंडप है, जिसकी दीवारों पर भारत की सांस्कृतिक यात्रा की अनवरतता, दुनिया के साथ उसके संबंध एवं एक ‘सार्वभौमिक व्यक्ति’ के रूप में महात्मा गांधी के उद्भव और उनके मूल्यों को जगह दी गई है। महात्मा गांधी ने भी खुद कई बार कहा था, "मेरी भौतिक आवश्यकताओं के लिए मेरा गांव मेरी दुनिया है। लेकिन, मेरी आध्यात्मिक जरूरतों के लिए संपूर्ण दुनिया मेरा गांव है।" गांधी स्मृति में गांधी जी के कमरे को ठीक उसी प्रकार रखा गया है, जैसा यह उनकी हत्या के दिन था। उनकी सारी चीजें, उनका चश्मा, टहलने की छड़ी, एक चाकू, कांटा और चम्मच, खुरदुरा पत्थर जिसका इस्तेमाल वह साबुन की जगह करते थे, प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। उनका बिस्तर फर्श पर बिछी एक चटाई पर था। भगवद् गीता की एक पुरानी और उनके उपयोग में आ चुकी एक प्रति भी रखी हुई है। 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में एक महान यात्रा तय की। उनसे जुड़े इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण भवन में कई ऐसी चीजें हैं, जिसके जरिए आप महात्मा गांधी के महामानव और राष्ट्रपिता बनने की यात्रा के गवाह बन सकते हैं। आप उनके संदेश के जरिए समझ सकते हैं कि मानवता को महात्मा गांधी के विचार और व्यक्तित्व की हर सदी में क्यों जरूरत पड़ती है। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । मोहनदास करमचंद गांधी भारत ही नहीं दुनिया के लिए दिव्य पुरुष के समान हैं। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से भी लोकप्रिय हैं और उन्हें प्यार से बापू भी कहा जाता है। महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने मान्यता दी और आज के उथल-पुथल भरे विश्व में महात्मा गांधी के सिद्धांत को अपनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। महात्मा गांधी की नई दिल्ली के पुराने बिड़ला भवन से भी अनूठी यादें जुड़ी हैं। इस भवन में स्थित गांधी स्मृति वह पवित्र स्थल है, जहां महात्मा गांधी ने 30 जनवरी 1948 को अपने नश्वर शरीर को त्यागा था। इस घर में महात्मा गांधी 9 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 तक रहे थे।
महात्मा गांधी के अंतिम 144 दिनों की स्मृतियां संजोकर रखी गई हैं, जिसे आप भी देख सकते हैं। गांधी स्मृति वेबसाइट के मुताबिक, पुराने बिड़ला भवन को भारत सरकार ने 1971 में अधिग्रहित कर लिया। फिर, इस भवन को राष्ट्रपिता के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसे 15 अगस्त 1973 को आम जनता के लिए खोल दिया गया। भवन में उस कमरे को भी संरक्षित करके रखा गया है, जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहते थे। इसके अलावा प्रार्थना मैदान भी है, जिसमें आम सभा होती थी। इसी स्थान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। भवन को उसी तरह से संरक्षित करके रखा गया है, जैसे महात्मा गांधी के समय था। प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने इस भवन को 1928 में बनवाया था। जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानी ठहरने आते थे। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इस जगह पर महात्मा गांधी पहली बार 15 मार्च 1939 को आए थे। उनका तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। इस स्मारक की संरचना में महात्मा गांधी और उनकी यादों को सहेजा गया है। इसके अलावा उनके जीवन के खास मूल्यों के साथ ही महात्मा गांधी से संबंधित सेवा गतिविधियों को भी स्थान दिया गया है। गांधी स्मृति वेबसाइट में जिक्र किया गया है कि, संग्रहालय में जो चीजें प्रदर्शित की गई हैं, उनमें गांधी जी ने जितने वर्ष यहां व्यतीत किए हैं, उनसे संबंधित तस्वीरें, वस्तु शिल्प, चित्र, भित्तिचित्र, शिलालेख और स्मृति चिन्ह शामिल हैं। गांधी जी की कुछ व्यक्तिगत जरूरत की चीजों को भी बहुत संभाल कर यहां पर रखा गया है। इसका प्रवेश द्वार भी बहुत ऐतिहासिक महत्व का है। इसी द्वार के शीर्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को महात्मा गांधी की मृत्यु की सूचना दी थी। उन्होंने कहा था, "हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और हर जगह अंधेरा छा गया है।" जिस जगह पर राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी, वहां पर एक शहीद स्तंभ बनाया गया है।
यह महात्मा गांधी की शहादत की याद दिलाता है। स्तंभ के चारों तरफ श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ है। प्रार्थना स्थल के केंद्र में एक मंडप है, जिसकी दीवारों पर भारत की सांस्कृतिक यात्रा की अनवरतता, दुनिया के साथ उसके संबंध एवं एक ‘सार्वभौमिक व्यक्ति’ के रूप में महात्मा गांधी के उद्भव और उनके मूल्यों को जगह दी गई है। महात्मा गांधी ने भी खुद कई बार कहा था, "मेरी भौतिक आवश्यकताओं के लिए मेरा गांव मेरी दुनिया है। लेकिन, मेरी आध्यात्मिक जरूरतों के लिए संपूर्ण दुनिया मेरा गांव है।" गांधी स्मृति में गांधी जी के कमरे को ठीक उसी प्रकार रखा गया है, जैसा यह उनकी हत्या के दिन था। उनकी सारी चीजें, उनका चश्मा, टहलने की छड़ी, एक चाकू, कांटा और चम्मच, खुरदुरा पत्थर जिसका इस्तेमाल वह साबुन की जगह करते थे, प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। उनका बिस्तर फर्श पर बिछी एक चटाई पर था। भगवद् गीता की एक पुरानी और उनके उपयोग में आ चुकी एक प्रति भी रखी हुई है। 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में एक महान यात्रा तय की। उनसे जुड़े इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण भवन में कई ऐसी चीजें हैं, जिसके जरिए आप महात्मा गांधी के महामानव और राष्ट्रपिता बनने की यात्रा के गवाह बन सकते हैं। आप उनके संदेश के जरिए समझ सकते हैं कि मानवता को महात्मा गांधी के विचार और व्यक्तित्व की हर सदी में क्यों जरूरत पड़ती है। -(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 1 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जमैका की विकास यात्रा में भारत एक ‘भरोसेमंद साझेदार’ रहा है और वह इस कैरेबियाई देश के साथ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, जैव ईंधन, नवाचार और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता साझा करने के लिए तैयार है।
मोदी ने जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस के साथ व्यापक बातचीत के बाद यह टिप्पणी की।
मीडिया को जारी बयान में मोदी ने कहा कि उन्होंने और होलनेस ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की और इस बात पर सहमति जताई कि सभी तनावों और विवादों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वैश्विक शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक साथ काम करना जारी रखेंगे।
मोदी ने कहा कि भारत और जमैका इस बात पर एकमत हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित सभी वैश्विक संस्थानों में सुधार आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत जमैका की विकास यात्रा में एक ‘विश्वसनीय और प्रतिबद्ध’ विकास भागीदार रहा है और आगे भी ऐसा ही रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, जैव ईंधन, नवाचार, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि के क्षेत्रों में जमैका के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा क्षेत्र में, हम जमैका के सशस्त्र बलों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर आगे बढ़ेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद को दोनों देशों के सामने साझा चुनौतियां बताया।
उन्होंने कहा कि भारत-जमैका संबंध साझा इतिहास, लोकतांत्रिक मूल्यों और लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर आधारित हैं।
होलनेस सोमवार को भारत पहुंचे। यह जमैका के किसी प्रधानमंत्री की भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। (भाषा)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के तीसरे और अंतिम चरण के लिए वोटिंग जारी है। लोग लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इस बीच जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खड़गे ने युवा वोटर्स से खास अपील की है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मतदाताओं से लोकतंत्र के इस उत्सव में भागीदारी की अपील कर चुके हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "जम्मू-कश्मीर चुनाव के तीसरे चरण के लिए मतदान शुरू होने के साथ, मैं इन 40 विधानसभा सीटों के लोगों से बड़ी संख्या में अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने का आग्रह करता हूं। जम्मू-कश्मीर के लोगों से राज्य का दर्जा छीनने वालों को सबक सिखाने का यह आखिरी मौका है। याद रखें, एक वोट- जो आपके संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित करता है, आपकी किस्मत बदल सकता है और एक उज्जवल भविष्य की शुरुआत कर सकता है।"
उन्होंने आगे लिखा, "युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने, भ्रष्टाचारियों से निपटने, आपके भूमि अधिकारों की रक्षा करने और प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक वोट काफी मूल्यवान है। हम पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं का स्वागत करते हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर का भविष्य उनकी भागीदारी से तय होगा। एक बार फिर, मैं आपसे मतदान की कतार में शामिल होने का अनुरोध करता हूं। जय हिंद।"
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा, "आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए वोट कर रहे समस्त मतदाताओं विशेषकर युवा साथियों से अत्यधिक संख्या में मतदान कर सुरक्षित, सुशासन युक्त व प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील करता हूं। जम्मू-कश्मीर में परिपक्व और समावेशी हो रहा लोकतंत्र यहां जन-जन के बेहतर भाग्य व भविष्य का निर्माण करेगा। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और अराजकता से मुक्त जम्मू-कश्मीर का निर्माण सभी के सक्रिय सहभागिता से साकार होगा।"
तीसरे चरण का मतदान जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों के साथ-साथ घाटी के बारामुला और कुपवाड़ा जिलों में हो रहा है। जम्मू जिले में 11, सांबा में 3, कठुआ में 6 और उधमपुर में 4 विधानसभा सीटें हैं। वहीं, बारामुला में 7, बांदीपोरा में 3 और कुपवाड़ा जिले में 6 विधानसभा सीटें हैं। चुनाव आयोग ने तीसरे चरण के लिए कुल 5,030 मतदान केंद्र बनाए हैं। इससे पहले, विधानसभा चुनाव के पहले दो चरण 18 और 25 सितंबर को संपन्न हुए थे। मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के तीसरे और अंतिम चरण के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं से लोकतंत्र के इस उत्सव में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पोस्ट में लिखा, "जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में आज तीसरे और आखिरी दौर का मतदान है। सभी मतदाताओं से मेरा अनुरोध है कि वे लोकतंत्र के उत्सव को सफल बनाने के लिए आगे आएं और अपना वोट जरूर डालें। मुझे विश्वास है कि पहली बार वोट देने जा रहे युवा साथियों के अलावा नारी शक्ति की मतदान में बढ़-चढ़कर भागीदारी होगी।"
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मतदाताओं को संबोधित करते हुए लिखा, "जम्मू-कश्मीर को एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जो विजनरी भी हो और यहां की सुरक्षा, शांति व स्थिरता के लिए मजबूत निर्णय भी ले सके। आज यहां अंतिम चरण में मतदान करने वाली जनता अपनी वोट की शक्ति से एक ऐसी सरकार बनाएं, जो जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार से दूर रखे और हर वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हो। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन, शिक्षा, रोजगार व चहुंमुखी विकास के लिए ऐतिहासिक मतदान करें"
बता दें कि अंतिम चरण में 39.18 लाख मतदाता 40 निर्वाचन क्षेत्रों में 415 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे। जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों तथा घाटी के बारामुला और कुपवाड़ा जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। जम्मू जिले में 11, सांबा में तीन, कठुआ में छह और उधमपुर में चार विधानसभा सीटें हैं, जबकि बारामुला में सात, बांदीपोरा में तीन और कुपवाड़ा जिले में छह सीटें हैं।
चुनाव आयोग ने तीसरे चरण के लिए 5,030 मतदान केंद्र बनाए हैं। पहले दो चरण के चुनाव 18 और 25 सितंबर को हुए थे। मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। (आईएएनएस)
श्रीनगर/जम्मू, 1 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर की 40 विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार को मतदान शुरू हो गया। 5,060 मतदान केंद्रों पर चुनाव कराए जा रहे हैं। मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतार में खड़े लोग अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।
घाटी के पट्टन, संग्रामा, क्रेरी, तंगमर्ग, कुंजर, उरी शहर और अन्य स्थानों पर मतदान केंद्रों पर पुरुषों की कतारें लगनी शुरू हो गईं, जबकि जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, उधमपुर, आरएस पुरा और अन्य मतदान केंद्रों पर पारंपरिक डोगरी पोशाक पहने मतदाता उत्सव के मूड में बाहर निकले।
सांबा, कठुआ और जम्मू जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बलों के जवान तैनात हैं। बीमार और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में 40 विधानसभा क्षेत्रों में 39.18 लाख मतदाता 415 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।
जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों और घाटी के बारामूला तथा कुपवाड़ा जिलों में 40 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान हो रहा है।
जम्मू जिले में 11, सांबा में तीन, कठुआ में छह और उधमपुर में चार विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में 16 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनके लिए अभी मतदान चल रहा है।
चुनाव आयोग ने तीसरे चरण के मतदान के लिए 5,030 पोलिंग स्टेशन बनाए हैं।
कश्मीरी प्रवासी (माइग्रेंट) मतदाताओं के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 11 जम्मू में, चार दिल्ली में और एक उधमपुर जिले में है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को मतदान ठीक से संपन्न कराने के लिए सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षाकर्मियों को पर्याप्त संख्या में तैनात किया गया है।
मतदान केंद्रों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है। मतदान कर्मचारियों और आम लोगों के लिए सड़कों और राजमार्गों पर आने-जाने की सुरक्षा का काम सोमवार को किया गया था। सेक्टर अधिकारियों, मतदान पर्यवेक्षकों, उम्मीदवारों और मतदान प्रक्रिया से जुड़े अन्य अधिकारियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंगलवार को सुबह होते ही सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई।
सुबह सात बजे शुरू हुआ मतदान शाम छह बजे समाप्त होगा जबकि मतगणना आठ अक्टूबर को होगी। (आईएएनएस)
मिर्जापुर, 1अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर निषाद पार्टी अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। इसी कड़ी में सोमवार को निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने कार्यकर्ता सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए उपचुनाव में एनडीए की जीत का दावा किया।
उन्होंने कहा कि, सपा, बसपा, कांग्रेस का गठबंधन छह महीने का होता है, जबकि एनडीए का गठबंधन 25 साल का होता है। एनडीए पूरी मजबूती के साथ विधानसभा उपचुनाव लड़ेगी और बड़ी जीत दर्ज करेगी। मिर्जापुर से फूलन देवी सांसद हुआ करती थीं। सपा ने उनकी उपेक्षा की, उनकी हत्या कर दी गई। उनकी संपत्ति को कब्जा कर लिया गया। ऐसे में निषाद समुदाय को तय करना होगा कि उन्हें किसके साथ रहना है।
उन्होंने कहा कि, मेरा मानना है कि झूठ की खेती एक बार हो सकती है, लोग एक बार धोखा खा सकते हैं, बार-बार नहीं। सपा पिछड़े और अनुसूचित जातियों के बीच भ्रम फैलाकर उनके वोटों का सौदा करती है, ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है।
उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर उन्होंने कहा कि, भगवान राम ने निषाद राज को गले लगाया था, तो केवल रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए नहीं। वैसे ही आज योगी और मोदी ने डॉक्टर संजय निषाद को गले लगाया है, तो जीत के लिए लगाया है, सीट के झगड़ा के लिए नहीं। वे हमें सीट भी देते हैं और जीत भी देते हैं। 2018 में हम सपा के साथ थे तब एक भी सीट नहीं मिली थी, लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हमें 15 सीट दिया था। हम बड़े अंतर विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करने जा रहे हैं।
ज्ञात हो कि गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, करहल, कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ, मझवां और फूलपुर सीट पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से नौ सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं। एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के कारण रिक्त हुई है। (आईएएनएस)
हजारीबाग, 1 अक्टूबर । हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र स्थित एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) की कोल माइन्स से ट्रांसपोर्ट करने वाली पीएनएम कंपनी के सेंटर पर सोमवार-मंगलवार की रात हथियारबंद लोगों ने हमला कर पांच गाड़ियों में आग लगा दी।
प्रधानमंत्री के 2 अक्टूबर को हजारीबाग में प्रस्तावित दौरे के ठीक एक दिन पहले हुई वारदात ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि हमले और आगजनी के पीछे किसी नक्सली संगठन का हाथ है या स्थानीय आपराधिक गिरोह का। बताया गया कि रात करीब 2:30 बजे एक दर्जन हथियारबंद लोग मौके पर पहुंचे और फायरिंग कर दहशत फैला दी।
उन्होंने मौके पर मौजूद वाहन चालकों की पिटाई भी की। इसके बाद उन्होंने वाहनों पर पेट्रोल-डीजल उड़ेलकर आग लगा दी। इलाके में ट्रांसपोर्ट करने वाली कंपनियों से रंगदारी और लेवी वसूली के लिए नक्सली एवं आपराधिक संगठन अक्सर इस तरह की घटनाएं अंजाम देते हैं।
चार दिन पहले भी इसी इलाके में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के कार्यालय में घुसकर अपराधियों ने गोलीबारी की थी। वारदात की जानकारी मिलने के बाद मंगलवार सुबह फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग बुझाई गई। हालांकि सभी गाड़ियां जलकर राख हो गई हैं। जिस सेंटर पर हमला हुआ है, वह हजारीबाग के केरेडारी और टंडवा को जोड़ने वाली सड़क के किनारे स्थित है।
हजारीबाग के एसपी अरविंद कुमार सिंह और डीएसपी कुलदीप कुमार भी मौके पर पहुंचे हैं। पुलिस ने मौके से गोलियों के कुछ खोखे पर बरामद किए हैं। ( आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर । केंद्र सरकार की ओर से अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के लिए छोटी बचत योजनाओं जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं गया है।
सरकार के इस फैसले के बाद छोटी बचत योजनाओं पर जुलाई से सितंबर की अवधि में मिल रही ब्याज दर ही जारी रहेगी।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया कि वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही यानी 1 अक्टूबर, 2024 से लेकर 31 दिसंबर 2024 तक की अवधि के लिए सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस दौरान वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (1 जुलाई, 2024 से 30 सितंबर, 2024) के लिए अधिसूचित की गई ब्याज दरें ही लागू रहेंगी।
छोटी बचत योजनाओं में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (एससीएसएस), सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी), पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (पीओटीडी), महिला सम्मान सेविंग्स सर्टिफिकेट (एमएसएससी) किसान विकास पत्र (केवीपी) और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (पीओएमआईएस) को शामिल किया जाता है।
छोटी बचत योजनाओं में सबसे अधिक 8.2 प्रतिशत का ब्याज सुकन्या समृद्धि योजना और सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम पर मिल रहा है। इसके बाद नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट पर 7.7 प्रतिशत, किसान विकास पत्र और महिला सम्मान सेविंग्स सर्टिफिकेट पर 7.5 प्रतिशत, मंथली इनकम स्कीम पर 7.4 प्रतिशत और पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर 7.1 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है।
पोस्ट ऑफिस में बचत खाते पर 4 प्रतिशत, एक साल के टर्म डिपॉजिट पर 6.9 प्रतिशत, दो साल के टर्म डिपाजिट पर 7 प्रतिशत, तीन साल के टर्म डिपाजिट पर 7.1 प्रतिशत, पांच साल के टर्म डिपाजिट पर 7.5 प्रतिशत और पांच साल की आरडी पर 6.7 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है। (आईएएनएस)
जम्मू, 1 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण का मतदान हो रहा है। इस दौरान वाल्मीकि समाज ने पहली बार किया मतदान किया है। यह कई दशकों में पहली बार है, जब इस समाज के लोगों को मतदान का अधिकार मिला है। वर्षों से हाशिये पर रहे इस समाज के लोगों ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी का धन्यवाद अदा किया।
तीसरे चरण के तहत जम्मू संभाग की 24 सीटों पर हो रहे मतदान के दौरान वाल्मीकि समाज के लोग गदगद नजर आए। इस दौरान इस समाज के कुछ वोटर्स ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए अपना अनुभव शेयर किया।
वाल्मीकि समाज के एक 85 वर्षीय सदस्य ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "आज पहली बार वोट डाला है। बहुत खुशी हुई है। हमारे लिए यही मुद्दें हैं कि हमारे बच्चे कई साल पढ़ाई करने के बाद भी घर पर खाली बैठे हैं। गरीबों की सुनी जाए।"
वाल्मीकि समाज की एक युवा वोटर ने कहा, "हर एक सरकार के वोट बैंक होते हैं। हमें जब वोटिंग का अधिकार नहीं था तो कोई कैसे हमारी सुध बुध लेता। हमारा दर्द सिर्फ मोदी सरकार ने समझा है। इसके लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं। उन्होंने आर्टिकल 370 को हटाया, जिसके बाद हमारे लिए तरक्की के रास्ते खुल गए हैं। हमारे बच्चे बिजनेस, अच्छी नौकरी के जो सपने देखते थे, वह साकार हो रहे हैं। हमारे समाज का एक लड़का जेई बना है। मैं भी पढ़ाई में आगे बढ़ पाई हूं। मैं यही अपील करूंगी कि ऐसी सरकार को चुनें जो विकास को बढ़ावा दे। न की ऐसे लोगों को चुनें जो आतंकवाद और गलत कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं।"
45 साल के एक वोटर ने कहा, "काफी उत्सुकता है। 45 साल में मैं पहली बार वोट दे रहा हूं। मेरे साथ 84 साल के सज्जन खड़े हैं। भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन जम्मू-कश्मीर में कुछ काले कानूनों, आर्टिकल 370 के चलते हमारे अधिकारों का हनन हुआ था। आर्टिकल 370 हटने के बाद केंद्र सरकार ने हमें वोटिंग का अधिकार दिया, हमें शेड्यूल कास्ट में डाला। ये वो समाज है जिसने जम्मू-कश्मीर को स्वच्छता प्रदान दी, लेकिन खुद एक बीमारी से ग्रस्त था- गुलामी और बंधुआ मजदूरी की।"
उन्होंने कहा कि वोटिंग के दौरान मुख्य मुद्दे यही हैं कि वाल्मीकि समाज की कॉलोनी का नियमन हो। हमारे जिन बच्चों की उम्र ज्यादा हो गई है उनको नौकरी दी जाए, जो बिजनेस करना चाहते हैं उनको सस्ते लोन दिए जाएं। इसके अलावा हमारे पास रहने की जगह की काफी कमी है। तो सरकार पुनर्वास योजना के तहत हमें बसाएं। हमें भी अच्छे व स्वच्छ वातावरण में रहने का मौका मिले।
जम्मू में इस समाज के करीब 6-7 हजार वोटर हैं। क्या नई सरकार के गठन के बाद इन लोगों की आवाज कहीं दबकर रह जाएगी? इस पर उन्होंने आगे कहा, "केंद्र में हमारी प्रिय सरकार है। पीएम मोदी ने चार पांच दिन पहले भी वाल्मीकि समाज का जिक्र किया था। इससे हमारा दिल गदगद हो जाता है। वह हमारे मुखिया हैं जिन्होंने हमारे वंचित समाज का ध्यान रखा है। इसलिए इस बात की कोई संभावना नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में जो सरकार आएगी, वह हमें नजरअंदाज करेगी।" (आईएएनएस)
भारत में साइबर ठगी बहुत आम हो चली है लेकिन एक अरबपति व्यापारी को ठगे जाने का मामला पहली बार सामने आया है. ओसवाल समूह के प्रमुख से करीब सात करोड़ रुपये ठग लिए गए.
भारतीय पुलिस ठगी के एक मामले की जांच कर रही है, जिसमें भारत के एक बड़े कपड़ा व्यापारी से लगभग 6.9 करोड़ रुपये की ठगी की गई. ठगों ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की एक नकली ऑनलाइन सुनवाई में बुलाया और जेल भेजने की धमकी देकर उनसे यह रकम ट्रांसफर करवा ली.
हालांकि भारत में डिजिटल और ऑनलाइन धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन पंजाब राज्य के एक पुलिस अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का नाटक कर किसी को ठगना पहले कभी नहीं सुना गया था.
यह मामला तब सामने आया जब पुलिस ने बीते रविवार को भारत के वर्धमान ग्रुप के 82 वर्षीय चेयरमैन एसपी ओसवाल की शिकायत पर दो लोगों को गिरफ्तार किया.
कैसे फंसे ओसवाल
ओसवाल ने बताया कि ठगों ने खुद को केंद्रीय जांचकर्ता बताकर उनसे संपर्क किया और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संदिग्ध बताया. उन्होंने एक ऑनलाइन कोर्ट सुनवाई का भी आयोजन किया, जिसमें एक व्यक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ का रूप धारण करके पेश हुआ. इसके बाद उनसे कहा गया कि वे जांच के हिस्से के रूप में अपनी सारी रकम एक खाते में जमा कर दें.
ओसवाल ने पुलिस को बताया, "उन्होंने कोर्ट सुनवाई के बारे में स्काइप कॉल की. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मुझे अपनी सारी रकम एक गोपनीय निगरानी खाते में जमा करने का निर्देश दिया गया."
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार और चंद्रचूड़ के कार्यालय ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया. ओसवाल ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
पुलिस ने सोमवार को कहा कि उन्होंने आरोपियों से 6 लाख डॉलर (लगभग 5 करोड़ रुपये) बरामद किए हैं, जिसे भारत में इस तरह के मामलों में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी माना जा रहा है.
ओसवाल के मामले के दस्तावेजों में कहा गया कि उन्हें 'डिजिटल गिरफ्तारी' की धमकी दी गई थी, जो भारत में एक बढ़ती हुई समस्या है. यहां ठग वीडियो कॉल पर लोगों से पूछताछ कर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं और उनसे ऐसे अपराधों के लिए भुगतान करवाते हैं जो उन्होंने कभी किए ही नहीं होते.
चेता चुकी है सरकार
भारत सरकार ने मई में चेतावनी जारी की थी कि 'डिजिटल गिरफ्तारियों' के मामलों की संख्या बढ़ रही है. इन मामलों में साइबर अपराधी कभी-कभी पुलिस की वर्दी पहनकर या पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तरों जैसे स्टूडियो से काम करते हैं. ऐसे 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक किया गया है.
चेतावनी में गृह मंत्रालय ने कहा था कि संभव है इसे सीमा पार स्थित आपराधिक गिरोह अंजाम दे रहे हैं. गृह मंत्रालय के मुताबिक ये ठग आमतौर पर संभावित पीड़ित से फोन पर संपर्क करते हैं और कहते हैं कि वे किसी अवैध गतिविधि में शामिल पाए गए हैं. मसलन, उन्होंने कोई पार्सल भेजा है या हासिल किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित चीज है. या फिर वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में संदिग्ध हैं.
ऐसे कथित मामले में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में पीड़ितों को 'डिजिटल अरेस्ट' का सामना करना पड़ता है. कई मामलों में मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन मौजूद रहने पर मजबूर किया जाता है.
ओसवाल इस प्रकार की ठगी में फंसे सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं. वह पांच दशक पुरानी कपड़ा कंपनी के प्रमुख हैं, जिसका कारोबार 1.1 अरब डॉलर का है और 75 से अधिक देशों में उपस्थिति है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2021 में भारत में साइबर अपराध के कुल 52,974 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2022 में ये लगभग 24 फीसदी बढ़कर 65,893 हो गए.
साइबर अपराधों का केंद्र भारत
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ताओं ने इसी साल दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स जारी किया था जिसमें भारत को खास जगह मिली थी. ‘मैपिंग ग्लोबल जियोग्राफी ऑफ साइबर क्राइम विद द वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स' शीर्षक से जारी एक शोध में विशेषज्ञों ने बताया है कि कहां-कहां साइबर अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं. इस सूची में 15 देशों के नाम हैं.
इंडेक्स में रूस को साइबर क्राइम का सबसे बड़ा गढ़ बताया गया. यूक्रेन इंडेक्स में दूसरे और चीन तीसरे नंबर पर है. रूस के साथ मिलकर ये दोनों देश साइबर क्राइम के सबसे बड़े अड्डे बताए गए हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि सूची में शामिल रूस, यूक्रेन, चीन, अमेरिका, रोमानिया और नाइजीरिया ऐसे देश हैं, जो हर तरह के साइबर क्राइम की सूची में टॉप 10 में शामिल हैं. सूची में भारत दसवें नंबर पर है. विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में तकनीकी साइबर अपराधों का खतरा तो ज्यादा नहीं है लेकिन वह स्कैम या धोखाधड़ी का केंद्र है. 2022 में अमेरिका ने कहा था कि भारतीय ठगों ने अमेरिकी नागरिकों से आठ खरब रुपये ठगे.
सूची कहती है कि दुनिया के 15 देशों से साइबर अपराध होने का खतरा बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है लेकिन अन्य देश भी अछूते नहीं हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
उत्तर प्रदेश के एक दलित परिवार से आने वाले अतुल कुमार का आईआईटी में पढ़ने का सपना दाखिला फीस समय पर ना भर पाने के कारण टूट गया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनका सपना साकार होने जा रहा है.
18 साल के अतुल कुमार का आईआईटी में पढ़ने का सपना 17,500 रुपये की दाखिला फीस समय पर ना भर पाने के कारण टूट गया था. अतुल ने आईआईटी जेईई 2024 की परीक्षा में अनुसूचित जाति श्रेणी में 1,455 रैंक हासिल किया था.
इस रैंक पर उन्हें आईआईटी धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सीट मिल गई. लेकिन अतुल के पिता फीस भरने की आखिरी तारीख तक पूरे पैसों का इंतजाम नहीं कर पाए. वह दिहाड़ी मजदूर हैं और दिन भर में मात्र 450 रुपए कमा पाते हैं. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अतुल कुमार आईआईटी धनबाद में पढ़ पाएंगे.
क्यों नहीं मिला था दाखिला
दरअसल, जेईई परीक्षा में सीट आबंटित होने पर विद्यार्थियों को तय समयसीमा के भीतर फीस जमा करके अपना दाखिला सुनिश्चित करना होता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, अतुल कुमार समयसीमा के भीतर फीस नहीं भर पाए और कुछ मिनटों के अंतर से चूक गए. ऐसे में उन्हें सीट नहीं मिली.
लेकिन अतुल ने अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ा. उन्होंने पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटाया. साथ ही झारखंड कानूनी सेवा प्राधिकरण से भी मदद की गुहार की.
लेकिन अतुल ने अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ा. उन्होंने पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटाया. साथ ही झारखंड कानूनी सेवा प्राधिकरण से भी मदद की गुहार की.
वहां से उन्हें इस साल जेईई परीक्षा करवाने वाले संस्थान मद्रास हाई कोर्ट जाने की सलाह मिली. हाईकोर्ट ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया. फिर अतुल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
सुप्रीम कोर्ट ने अतुल को निराश नहीं किया. "कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें हम कानून को थोड़ा किनारे रख देते हैं." यह कहते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आईआईटी धनबाद को आदेश दिया कि वह नई सीट बनाकर अतुल को दाखिला दे.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
पीठ ने इस आदेश में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को दी गई विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया. पीठ ने कहा, "हम इतने प्रतिभावान युवा लड़के को जाने नहीं दे सकते." सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने अतुल की फीस देने का भी प्रस्ताव दिया.
दरअसल अनुच्छेद 142 संविधान में एक ऐसा प्रावधान है जो सुप्रीम कोर्ट "पूर्ण न्याय" करने के लिए आदेश देने की शक्ति देता है. इसका इस्तेमाल पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने कई तरह के मामलों में किया है.
2021 में इसी तरह के एक मामले में मुख्य न्यायाधीश के ही नेतृत्व वाली एक पीठ ने एक अन्य दलित छात्र प्रिंस जसबीर सिंह की मदद की थी. सिंह ने आईआटी बॉम्बे में दाखिला फीस भरने में देर कर दी थी, लेकिन अदालत के आदेश पर उन्हें दाखिला मिल गया था.
अतुल के मामले में फैसला देने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने खुद उनसे बात की और कहा, "ऑल द बेस्ट. अच्छा करिए." इंडियन एक्सप्रेस वेबसाइट के मुताबिक, अतुल के दो बड़े भाई भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.
एक भाई एनआईटी हमीरपुर का छात्र है और दूसरा आईआईटी खड़गपुर का. अतुल का तीसरा भाई मुजफ्फरनगर के श्री कुंद कुंद जैन इंटर कॉलेज से हिंदी की पढ़ाई कर रहा है.
सीके/आरएस
भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. औसत से बेहतर मॉनसून के बाद अच्छी फसल की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. 2022 में दुनिया में चावल का जितना भी निर्यात हुआ उसका 40 फीसदी भारत से आया और उसने कुल 2.22 करोड़ मीट्रिक टन चावल दुनिया के 140 से ज्यादा देशों को निर्यात किया. लेकिन 2023 में सरकार ने चावल के निर्यात पर कई पाबंदियां लगा दीं ताकि सामान्य कम बारिश के बाद घरेलू बाजार में चावल के दामों को नियंत्रण में रखा जा सके. ये पाबंदियां इस साल हुए आम चुनावों के नतीजे आने तक जारी रहीं.
अब सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को हरी झंडी दिखा दी है क्योंकि उसके भंडार बढ़ रहे हैं और किसान आने वाले हफ्तों में नई फसल काटने की तैयार कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि भारत की तरफ से बड़े पैमाने पर निर्यात से दुनिया भर में चावल की आपूर्ति बेहतर होगी और ये इसके अन्य बड़े उत्पादकों जैसे पकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम को दाम कम करने के लिए मजबूर करेगा. भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के लिए प्रति मीट्रिक टन 490 डॉलर का न्यूनतम दाम तय किया है. इससे पहले सरकार ने सफेद चावल पर निर्यात टैक्स को घटाकर शून्य कर दिया.
किसानों की आय बढ़ेगी
व्यापारियों को गैर-बासमती सफेद चावल बेचने की अनुमति देना भारत सरकार की तरफ से उन कदमों का हिस्सा है जो प्रीमियम, सुगंधित बासमती और परबोइल्ड यानी उसना चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियों में ढील देने के लिए उठाए गए हैं. शुक्रवार को भारत ने उसना चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया.
इसी महीने सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लागू न्यूनतम मूल्य को भी हटा दिया, ताकि उन हजारों किसानों की मदद की जा सके जो अपना चावल यूरोप, मध्य पूर्वण और अमेरिका जैसे आकर्षक बाजारों में नहीं बेच पा रहे थे.
2023 में चावल के निर्यात पर बैन लगने के बाद घरेलू आपूर्ति मजबूत हुई और सरकारी गोदामों में चावलों का ढेर बढ़ने लगा. आंकड़े बताते हैं कि भारतीय खाद्य निगम के भंडारों में एक सितंबर तक 3.23 करोड़ मीट्रिक टन चावल मौजूद था जो इसके एक साल पहले के मुकाबले 38.6 प्रतिशत ज्यादा है. इस स्थिति में सरकार के पास निर्यात पर लगी पाबंदियों में छूट देने के पर्याप्त कारण हैं.
इस साल मॉनसून की अच्छी बारिश को देखते हुए भारतीय किसानों ने 4.135 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर चावल लगाया है जबकि पिछले साल 4.045 करोड़ हेक्टेयर पर चावल की फसल लगी थी.
चावल का बाजार
भारत ने 2022 में चावल का जितना निर्यात किया, वो उसके बाद चार सबसे बड़े चावल निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा था. भारत के गैर-बासमती चावल के सबसे बड़े खरीददारों में बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल शामिल हैं. वहीं ईरान, इराक और सऊदी अरब ज्यादातर भारत से प्रीमियम बासमती खरीदते हैं.
चावल के निर्यात पर 2023 में लगाई गई पाबंदियों के कारण भारत के निर्यात में 20 फीसदी की गिरावट आई जबकि 2024 के पहले सात महीनों में हुआ निर्यात इसके एक साल पहले के मुकाबले 25 फीसदी कम रहा. भारत की तरफ से निर्यात घटने के बाद एशियाई और अफ्रीकी खरीददारों ने थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार से चावल खरीदा. एकदम से मांग बढ़ने के कारण इन देशों में निर्यात के दाम 15 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए.
नई दिल्ली में चावल के एक व्यापारी राजेश पहाड़िया कहते हैं कि गैर-बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी देने से ग्रामीण किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और भारत को विश्व बाजार में अपनी स्थिति वापस हासिल करने में मदद मिलेगी. वहीं, चावल निर्यात संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव कहते हैं कि परबॉइल्ड चावल में 10 प्रतिशत निर्यात टैक्स और 490 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के न्यूनतम दाम के बावजूद भारत के सफेद चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबला करना होगा.
एके/एसके (रॉयटर्स)