राष्ट्रीय
चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए तीन स्थानों पर मतदान के विशेष इंतजाम किए हैं. घने जंगल के बीच हो या समुद्र के बीच टापू पर, चुनाव आयोग के लिए हर मतदाता जरूरी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
भारतीय चुनाव आयोग को अक्सर सुदूर और दुर्गम स्थानों पर भी मतदान की व्यवस्था करने के लिए जाना जाता है ताकि देश का कोई भी पंजीकृत मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न रह जाए.
आने वाले गुजरात विधान सभा चुनावों के लिए भी आयोग ने ऐसे ही विशेष इंतजाम किए हैं, जिनकी जानकारी खुद मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने दी. इनमें से शायद सबसे अनूठा मामला ऊना विधान सभा क्षेत्र का है, जहां गिर के जंगलों के बीच भी एक मतदान केंद्र स्थापित किया जाता है.
जंगल में मतदान
इतना ही नहीं, इस मतदान केंद्र की इससे भी खास बात यह है कि इसे सिर्फ एक मतदाता के लिए बनाया जाता है. एशियाई शेर के एकलौते प्राकृतिक ठिकाने के रूप में जाने जाने वाले गिर के जंगलों के बीचोबीच बनेज में एक शिव मंदिर है जहां के महंत यहां के एकलौते मतदाता हैं.
यहां रोजाना कई श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने आते जरूर हैं, लेकिन महंत हरिदासजी उदासीन यहां अकेले रहते हैं और मंदिर की देखभाल करते हैं. इस बार महंत बनेज में पहली बार अपना वोट डालेंगे. उनसे पहले महंत भरतदास दर्शनदास के लिए मतदान की यह विशेष व्यवस्था की जाती थी. 2019 में उनका देहांत हो गया और उसके बाद महंत हरिदासजी यहां आए.
चुनाव नियमों के तहत चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि हर मतदान क्षेत्र वहां के पंजीकृत मतदाताओं के आवास के दो किलोमीटर के दायरे के अंदर होना चाहिए, इसलिए आयोग को जंगलों के बीच यहां मतदान की व्यवस्था करनी पड़ती है.
हर जगह पहुंचता चुनाव आयोग
इसके अलावा चुनाव नियम ये भी कहते हैं कि मतदान केंद्र किसी धार्मिक स्थल या किसी निजी परिसर में नहीं बनाया जा सकता है. इसलिए आयोग मंदिर के पास ही स्थित वन विभाग की एक बिल्डिंग में मतदान केंद्र स्थापित करता है. इस बार यहां महंत हरिदासजी के एक वोट के लिए यहां आयोग की 15 सदस्यीय टीम जाएगी.
यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर अमरेली जिले में एक और अनूठा मतदान केंद्र है. यहां चारों तरफ से अरब सागर से घिरा शियालबेत नाम का एक टापू है, जहां सिर्फ नाव से ही जाया जा सकता है. लिहाजा चुनाव आयोग के अधिकारी भी यहां समुद्र में नाव से करीब 15 किलोमीटर की यात्रा तय कर टापू पर जाएंगे और मतदान करवाएंगे.
यहां से करीब 400 किलोमीटर दूर भरुच जिले में आलियाबेट नाम का एक और टापू है. यहां के करीब 200 मतदाताओं के लिए मतदान का आयोजन करने में आयोग के सामने एक अलग समस्या आ रही थी - यहां कोई भी सरकारी बिल्डिंग नहीं है.
तो इस समस्या को हल करने के लिए आयोग ने यहां एक बड़े से कंटेनर में अस्थायी मतदान केंद्र बनाया है. केंद्र में पीने के पानी जैसी मूल सुविधाओं का भी इंतजाम किया गया है.
गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए एक और पांच दिसंबर को दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. मतों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ ही आठ दिसंबर को होगी. गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. 2017 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटें जीती थीं. (dw.com)
शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में कोविड-19 महामारी को देखते हुए शिक्षा प्रणाली ने ऑनलाइन तरीके से काम किया.
भारत में स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई-प्लस) की 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 14,89,115 स्कूलों में से कम से कम 55.5 फीसदी में कंप्यूटर की सुविधा नहीं थी. 2021-22 के शैक्षणिक वर्ष में 66 फीसदी स्कूल इंटरनेट के बिना थे. उस दौरान कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षा प्रणाली ऑनलाइन थी.
गुरूवार को जारी यूडीआईएसई-प्लस की रिपोर्ट सरकारी और निजी स्कूलों के स्वैच्छिक आंकड़ों पर आधारित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में केवल 6,82,566 स्कूलों में कंप्यूटर थे, जबकि उनमें से 5,04,989 में इंटरनेट की सुविधा थी.
रिपोर्ट ने स्कूलों के बीच डिजिटल दरार पर प्रकाश डाला है. रिपोर्ट के मुताबिक केवल 2.2 फीसदी स्कूलों में डिजिटल पुस्तकालय थे और उनमें से केवल 14.9 प्रतिशत के पास "स्मार्ट क्लासरूम" थे, जिनका इस्तेमाल डिजिटल बोर्ड, स्मार्ट बोर्ड और स्मार्ट टीवी के साथ पढ़ाने के लिए किया जाता है.
यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 10.6 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं थी और 23.04 फीसदी स्कूलों में खेल के मैदान नहीं थे. जबकि 12.7 प्रतिशत के पास पुस्तकालय और पढ़ने के कमरे नहीं थे.
वहीं देश भर में 2020-21 के दौरान 20 हजार से अधिक स्कूल बंद हो गए. जबकि शिक्षकों की संख्या में भी पिछले साल की तुलना में 1.95 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में स्कूलों की कुल संख्या 14.89 लाख है जबकि 2020-21 में इनकी संख्या 15.09 लाख थी. रिपोर्ट के मुताबिक, "स्कूलों की संख्या में गिरावट मुख्य रूप से निजी और अन्य प्रबंधन के तहत आने वाले विद्यालयों के बंद होने के कारण है."
आंकड़ों की पड़ताल करने पर पता चला कि बंद किए गए 20,021 स्कूलों में से 9,663 सरकारी, 1,815 सरकारी सहायता प्राप्त, 4,909 निजी और 3,634 "अन्य प्रबंधन" श्रेणियों के अंतर्गत थे. (dw.com)
प्लास्टिक कचरा भारत में प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत बन गया है. लेकिन देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प की तलाश नहीं हो पा रही है और न ही कचरे के प्रबंधन के लिए कोई प्रभावी हल निकल पा रहा है.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन की रिपोर्ट-
भारत में तीन महीने पहले सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ताकि प्लास्टिक कचरे और बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लग सके लेकिन देश भर में अभी भी प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. ये प्रतिबंध एसयूपी से बनी 21 चीजों पर लगाए गए थे जिनमें प्लेट्स, बर्तन, स्ट्रॉ, पैकेजिंग फिल्म और सिगरेट के पैकेट शामिल हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में पर्यावरण आधारित एनजीओ टॉक्सिक्स लिंक के डायरेक्टर रवि अग्रवाल कहते हैं, "हालांकि ये प्रतिबंध केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए हैं, लेकिन इन्हें लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और उनके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स की होती है. राज्य समुचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू कराने के लिए राज्यों के पास कोई प्रभावी रणनीति नहीं है.”
भारत ने प्रतिबंध तो लागू कर दिए हैं लेकिन एसयूपी को रोकने के लिए कोई एडवाइजरी नहीं जारी की है और न ही कोई जुर्माना लगाया गया है. इसीलिए एसयूपी के उत्पाद प्रतिबंधों के बावजूद देश भर में मिल रहे हैं. भारत हर साल करीब 14 मिलियन टन प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन तन्मय कुमार ने हाल ही में एक बातचीत में इस बात पर जोर डाला कि प्रतिबंध के बावजूद, एसयूपी से बनी वस्तुओं, खासकर थैलों का उपयोग छोटे दुकानदारों द्वारा बहुतायत से हो रहा है.
‘सस्ते विकल्पों' की जरूरत
पिछले साल एक सरकारी समिति ने एसयूपी से बनी चीजों को उनकी उपयोगिता और उनके पर्यावरणीय प्रभाव के सूचकांक के आधार पर चिह्नित किया जिन्हें प्रतिबंधित किया जाना था. इस तरह के प्लास्टिक, भारत में निकलने वाले कुल प्लास्टिक कचरे का महज 2-3 फीसद ही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया था कि उनकी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में प्लास्टिक को खत्म करने की दिशा में सक्रियतापूर्वक कार्य करेगी.
लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि भारत में हर रोज करीब 26 हजार टन कचरा निकलता है, जिसमें से करीब दस हजार टन कचरा इकट्ठा ही नहीं किया जा पाता.
टॉक्सिक्स लिंक से जुड़े अग्रवाल इस बात पर जोर देते हैं कि एसयूपी के विकल्पों की जरूरत है.
वो कहते हैं, "इन प्रतिबंधित वस्तुओं की मांग को पूरा करने के लिए सस्ते विकल्पों की उपलब्धता बहुत बड़ी चुनौती है जिन पर नजर रखने की जरूरत है.”
चिंतन एनवॉयरनमेंटल रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप की संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी कहती हैं कि इसके लिए पर्याप्त मात्रा में निवेश भी नहीं हुआ है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "इस बदलाव के लिए प्रोत्साहन की जरूरत है...निर्माताओं को अनिश्चित शर्तों के बारे में बताना होगा. प्लास्टिक उद्योग के समर्थन से बन रहे प्लस्टिक को सुनामी की तरह जमकर मथने की जरूरत है.”
छोटी और मझोली इकाइयां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे
भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 11 किलो ग्राम प्रति वर्ष है और यह दुनिया में अभी भी सबसे सबसे कम है. दुनिया भर में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 28 किलो है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020-21 में भारत में करीब 35 लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ. ये आंकड़े देश के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के दिए आंकड़ों के आधार पर जुटाए गए थे.
भारत में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन महाराष्ट्र में 13 फीसद और उसके बाद तमिलनाडु और पंजाब 12 फीसद प्लास्टिक का उत्पादन करते हैं. दूसरी ओर, भारत में प्लास्टिक को रीसाक्लिंग करने की क्षमता महज 15.6 लाख टन प्रति वर्ष है जो कि प्लास्टिक उत्पादन की तुलना में आधी है.
भारत में एक संगठित प्लास्टिक कचरा प्रबंधन तंत्र का अभाव है जिसकी वजह से ये इधर-उधर बिखरा मिलता है. प्लास्टिक्स को लोग नदियों, समुद्र और गड्ढों में फेंक देते हैं जिसकी वजह से वन्यजीवों के जीवन के लिए नुकसानदायक होता हैं.
इसके अलावा, प्रतिबंध का सबसे ज्यादा प्रभाव समाज और अर्थव्यवस्था के सबसे कमजोर तबके पर पड़ता है, खासकर प्लास्टिक उद्योग की छोटी और मध्यम औद्योगिक इकाइयों पर. इसका मतलब, सिर्फ प्रतिबंध के जरिए बड़ी संख्या में नौकरियों के जाने की भी अनदेखी की जा रही है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, हमने प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू करने के लिए निर्देशित किया है. इसके तहत सड़क किनारे दुकानदारों, सब्जी विक्रेताओं और स्थानीय बाजारों के साथ-साथ सीमाओं पर भी निगरानी रखी जा रही है और प्लास्टिक से संबंधित उद्योगों की भी जांच की जा रही है.”
प्रतिबंध लागू करने का राजनीतिक विरोध
एसयूपी पर प्रतिबंधों को सफल बनाने के लिए, औद्योगिक जगत के जानकार सरकार से आह्वान कर रहे हैं कि आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ-लागत विश्लेषण के साथ-साथ इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए एक योजना तैयार की जाए.
आल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIPMA) के महानिदेशक दीपक बलानी कहते हैं, "हम लोग एक स्वच्छ भारत चाहते हैं और बदलाव के लिए तैयार भी हैं. लेकिन हम समस्या की जड़ पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं- मतलब प्लास्टिक कचरा. हमें कचरे को अलग-अलग करने के तरीके में सुधार की जरूरत है....और कचरों को रीसाइक्लिंग करने संबंधी आधारभूत ढांचे को बढ़ाने की जरूरत है.”
AIPMA प्लास्टिक उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं में से एक है. संस्था ने सरकार से अपील की है कि कोविड महामारी से विनिर्माण इकाइयों को हुए आर्थिक नुकसान के मद्देनजर एसयूपी उत्पादों को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की समय सीमा एक साल यानी 2023 तक के लिए बढ़ा दी जाए.
लेकिन प्रतिबंध को सफल बनाने में सभी संबंधित पक्षों को साथ आना होगा. मसलन, कच्चे माल का उत्पादन करने वाले, प्लास्टिक बनाने वाले, उपभोक्ता वस्तुओं का निर्माण करने वाले बड़े उद्योग और सरकारी तंत्र को भी.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के प्रोग्राम डायरेक्टर अतिन बिस्वास डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "कई चुनौतियां हैं. कुछ राज्यों में राजनीतिक प्रतिरोध है और प्रतिबंधों को लागू करने के लिए सरकारी स्तर पर कोई ऐसी योजना भी नहीं है.”
इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी के सीईओ चंद्रा भूषण इस बात पर आशंका जताती हैं कि सिर्फ प्रतिबंधों की घोषणा से एसयूपी को खत्म नहीं किया जा सकता है. वो कहती हैं, "अच्छे परिणाम के लिए सस्ते विकल्पों के प्रसार के साथ-साथ कचरा प्रबंधन में सुधार की भी जरूरत है.” (dw.com)
बाइबिल की कथाओं का ऐतिहासिक साक्ष्यों से मिलान करना एक मुश्किल काम है. नए शोध से पता चलता है कि भूचुंबकीय यानी जियोमैग्नेटिक आंकड़े बाइबिल के सैन्य अभियानों की तारीखों को बताने में मदद कर सकते हैं.
डॉयचे वैले पर फ्रेड श्वॉलर की रिपोर्ट-
यादें अस्थाई होती हैं. हो सकता है कि आपको अपनी वह यात्रा याद हो जब परिवार के साथ आप किसी समुद्र के किनारे गये हों या फिर बचपन में जब आपने तैरना सीखा हो. क्या आपको इन घटनाओं की सही तारीख या सही वर्ष याद है? अगर आपने ये सब बातें कहीं लिखी नहीं हैं तो इनका सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं, वास्तविक तारीख याद कर पाना संभव नहीं है.
बिल्कुल यही दिक्कत सांस्कृतिक स्मृतियों और इतिहास के संबंध में आती हैं. और आप जितना पीछे जाते हैं, यह जानना उतना ही मुश्किल होने लगता है कि कोई घटना वास्तव में कब हुई थी.
1200-500 ईसा पूर्व में लौह युग लेवंट अस्पष्ट कालक्रम की ऐतिहासिक अवधि का एक अहम उदाहरण है. यह वही समय था जब निकट पूर्व, उत्तर अफ्रीका और यूरोप में कई संस्कृतियों ने जन्म लिया जो मूल रूप से हिब्रू बाइबिल की कहानियों के माध्यम से सामने आईं.
पवित्र ग्रंथों में उल्लिखित घटनाओं का वास्तविक इतिहास से मिलान करना शोधकर्ताओं के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में यरुशलम के तेल अवीव विश्वविद्यालय और हिब्रू विश्वविद्यालय में पुरातत्वविद योआव वाकनिन कहते हैं, "इसे लौह युग कालक्रम बहस कहा जाता है. बाइबिल में उल्लिखित घटनाओं के कालक्रम के बारे में यह बड़ा तर्क है.”
वाकनिन का अपने सहयोगियों के साथ हाल ही में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है. इस शोध में उन लोगों ने ‘जियोमैग्नेटिक डेटिंग' नाम के एक नये तरीके का प्रयोग किया है जिसके तहत आयरन एज लेवंट के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं को जोड़कर देखा जाता है.
इतिहास को एक साथ कैसे जोड़ा जाता है
कोई ऐतिहासिक घटना कब और कहां हुई, यह जानने के लिए इतिहासकार और पुरातत्वविद प्रमुख रूप से सूचनाओं के दो स्रोत का इस्तेमाल करते हैं.
बर्लिन स्थित पेर्गेमॉन म्यूजियम में क्यूरेटर हेलेन ग्रीज कहती हैं, "हम लोगों को हिब्रू बाइबिल के अलावा असीरियन और मिस्र के ग्रंथों के माध्यम से प्राचीन लेवंट युग के कालक्रम के बारे में काफी कुछ पता है.”
हालांकि जिन लिखित स्रोतों से इनके बारे में जानकारी मिली है वो उन घटनाओं के हजारों या सैकड़ों वर्ष बाद लिखे गये हैं जब ये घटनाई घटी होंगी. इस वजह से इनकी प्रामाणिकता को सत्यापित करना बड़ा मुश्किल हो जाता है.
उदाहरण के लिए कुछ ग्रंथ, जैसे मिस्र में कर्नाक मंदिर स्थित ट्राइंफल रिलीफ जिसमें फराओ शोशेंक प्रथम द्वारा 900 ईसापूर्व में यहूदी भूमि की विजय गाथा को दर्शाया गया है, एक अहंकारी राजा के अहंकारी दावों से थोड़ा ज्यादा हो सकता है.
शोधकर्ता पुरातात्विक स्थलों से मिले मिट्टी के बर्तनों के अवशेषों से भी घटनाओं की तिथियों का आकलन कर सकते हैं. इन बर्तनों के अवशेषों और अन्य पुरावशेषों की कई पर्तें होती हैं और जितना इनकी गहराई में जाएंगे, उतने ही पुराने इतिहास की जानकारी मिलेगी.
डीडब्ल्यू से बातचीत में ग्रीज कहती हैं, "लेकिन दिक्कत यह है कि यह सापेक्षिक कालक्रम होता है. इससे हम यह तो जान सकते हैं कि कौन सी घटना पहले की है और कौन सी बाद की लेकिन इससे घटना की वास्तविक तिथि का पता नहीं चलता कि यह घटना कब हुई.”
चुंबकत्व और आग के सहारे तिथियों की जानकारी
वाकनिन और उनके साथियों का शोध पिछले हफ्ते पीएनएएस में प्रकाशित हुआ है जिसमें उन लोगों ने घटनाओं की तिथि पता लगाने के लिए एक नये वैज्ञानिक तरीके का विवरण दिया है, खासकर आग से जुड़े तरीके का.
शोधकर्ताओं ने आर्कियोमैग्नेटिक डेटिंग नाम की एक प्रक्रिया का जिक्र किया है जो चुंबकत्व का प्रयोग करने वाली एक विधि है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, पुरावशेषों के तिथि निर्धारण में यह तरीका किसी भी अन्य तरीके से कहीं ज्यादा सटीक परिणाम देता है.
आर्कियोमैग्नेटिक विधि कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता रहता है. दूसरे, जब ये पुरावशेष सैकड़ों डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किए जाते हैं तो इनमें मिट्टी जैसे छोटे चुंबकीय यौगिक पृथ्वी के बदलते चुंबकीय क्षेत्र से संरेखित हो जाते हैं यानी एक पंक्ति में आ जाते हैं.
वाकनिन कहते हैं, "उस जमाने में शहरों का निर्माण कच्ची ईंटों से हुआ था जिन्हें धूप में सुखाया गया था. जब उन्हें तेज आग में गरम किया जाता है, तो ईंटों में मौजूद फेरोमैग्नेटिक खनिज कंपास की सुइयों जैसे चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित हो जाते हैं. जब यह ठंडे होते हैं, तो उनसे चिपक जाते हैं. यह आग लगने के समय का सूचक होता है.”
इसी ‘टाइम लॉक' के परीक्षण के जरिए शोधकर्ता किसी ऐतिहासिक घटना के सही समय की पहचाने करने में सक्षम हुए.
लगता है फराओ शोशेंक झांसा नहीं दे रहे थे
मूल रूप से, इतिहासकारों को इस बात पर संदेह था कि क्या फराओ शोशेंक प्रथम ने 900 ईसापूर्व के आस-पास वास्तव में लेवंट को बलपूर्वक जीत लिया था.
वाकनिन कहते हैं, "ज्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि शोशेंक ने लेवंट पर आक्रमण के दौरान किसी भी चीज को नष्ट नहीं किया. बल्कि यहूदी शहरों ने बिना कुछ नष्ट किए वापस जाने के एवज में शोशेंक को दौलत दी.”
बहरहाल, विकनिन कहते हैं कि नई आर्कियोमैग्नेटिक डेटिंग विधि की मदद से हो सकता है कि फराओ अपनी विनाशकारी प्रवृत्ति के बारे में सही बता रहे हों.
वाकनिन ने अपने शोध के दौरान यहूदी शहर टेल बेथ-शीन के विनाश के प्रमाण का भी अध्ययन किया. उस जगह की खुदाई करने वालों के मुताबिक शहर को 830 ईसापूर्व के आस-पास नष्ट कर दिया गया था. बाइबिल में इसी से मेल खाती हुई एक घटना का जिक्र है जिसमें अराम दमिश्क के राजा हजाएल के नेतृत्व में यहूदी शहर की राजधानी पर सैन्य हमला किया गया था.
वाकनिन ने टेल बेथ-शीन शहर की ईंटों के नमूने लिये जो किसी तरह की आग में जल गए थे. इन नमूनों से उन्होंने जो जियोमैग्नेटिक डेटा इकट्ठा किया, उसके मुताबिक, यह शहर इस घटना के करीब अस्सी साल पहले नष्ट किया गया था. इस हिसाब से यह तिथि 900 ईसापूर्व के आस-पास ठहरती है.
वाकनिन कहते हैं, "इस हिसाब से यह बात खारिज हो जाती है कि शहर का विनाश राजा हजाएल ने किया था. बल्कि आग लगने का समय शोशेंक के अभियान से मेल खाता है.”
वाकनिन और उनके सह-लेखक कहते हैं कि उनके शोध कार्य से यह नहीं साबित होता कि शोशेंक ने निश्चित तौर पर बेथ-शीन शहर को नष्ट किया था, बल्कि इससे यह पता चलता है कि आर्कियोमैग्नेटिक डेटिंग ऐतिहासिक घटनाओं के कालक्रम निर्धारण में किस तरह सहायक हो सकती है. साथ ही, इस्राएल और यहूदी शासकों के कालक्रम को लेकर चल रही बहस से भी पर्दा उठ सकता है.
ऐतिहासिक पहेली का एक और हिस्सा
जर्मन प्रोटेस्टेंट इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजी के डायरेक्टर डाइटर वीगर कहते हैं कि हालांकि जियोमैग्नेटिक डेटा हमें यह बताने में मददगार हो सकता है कि विनाश कब हुआ लेकिन इस विधि की कुछ कमजोरियां भी हैं. वो कहते हैं, "समस्या इनकी व्याख्या को लेकर है. जी हां, हम आग लगने और शहर के विनाश की तिथि तय कर रहे हैं, लेकिन यह डेटा हमें यह नहीं बताता कि यह घटना युद्ध के कारण हुई थी या आग किसी भूकंप जैसी आपदा की वजह से लगी थी.”
विनाश के वास्तविक कारणों को समझने के लिए इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को अभी भी ऐतिहासिक ग्रंथों और पुरातात्विक निष्कर्षों के साथ-साथ आर्कियोमैग्नेटिक डेटिंग से मिली जानकारी को भी शामिल करना होगा.
वीगर कहते हैं कि जियोमैग्नेटिक डेटा इतिहास की तारीख की समस्या को नहीं सुलझा पाएगा लेकिन ऐतिहासिक पहेली को हल करने में एक और रास्ता निकाल सकता है.
अब आगे क्या?
वाकनिन उस समय का जिक्र करते हुए कहते हैं जब इस्राएलियों ने कनान की भूमि को बसाया था, "अगली परियोजना यह जानने की है कि कुछ सौ साल पहले क्या हुआ था. इस संबंध में बहस कहीं ज्यादा गर्म हैं.”
ग्रीज के मुताबिक, यह इतिहास और पुरातत्व का मामला है.
उनके मुताबिक, "हम निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि पहले क्या हुआ, लेकिन अतीत में जो कुछ भी हुआ होगा, उसकी संभावनाओं का पता तो लगा ही सकते हैं.” (dw.com)
नई दिल्ली, 4 नवंबर | सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों की जानबूझ कर अवज्ञा किये जाने पर कड़ाई से संज्ञान लेते हुए भारतीय मूल के एक केन्याई नागरिक को एक साल की कैद की सजा सुनाई और 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। केन्याई नागरिक (पेरी कंसाग्रा) को अपने बेटे का संरक्षण खुद से दूर रह रही पत्नी (स्मृति मदन) से प्राप्त करने में धोखाधड़ी कर दीवानी एवं आपराधिक मानहानि करने को लेकर यह सजा सुनाई। बच्चा, जिसे केन्या और यूनाइटेड किंगडम की दोहरी नागरिकता प्राप्त है, भारत का एक प्रवासी नागरिक (ओसीआई) है।
2020 में, पिता को बच्चे की स्थायी कस्टडी देते हुए, जिसके पास केन्याई पासपोर्ट है, शीर्ष अदालत ने पेरी कंसाग्रा को बच्चे को केन्या ले जाने के लिए दो सप्ताह के भीतर केन्याई अदालत से मिरर ऑर्डर प्राप्त करने के लिए कहा था। एक बच्चे के हितों की रक्षा के लिए मिरर आदेश पारित किए जाते हैं जो एक क्षेत्राधिकार से दूसरे क्षेत्र में पारगमन में है।
बाद में, स्मृति कंसाग्रा ने एक आवेदन दायर किया जिसमें कहा गया कि केन्याई उच्च न्यायालय से कथित रूप से जाली या गलत दर्पण आदेश लिया गया। यह भी आरोप लगाया गया था कि उसने न केवल मां को मिलने के अधिकार देने के निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया, बल्कि भारतीय अधिकार क्षेत्र की अमान्यता की घोषणा के लिए केन्याई अदालत का रुख किया।
मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने देखा कि पेरी कंसाग्रा ने जानबूझकर और स्पष्ट इरादे से अवमानना के गंभीर कार्य किए। पिछले साल पेरी की धोखाधड़ी के सामने आने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को बच्चे को केन्या से वापस लाने और पिता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। पिता को अवमानना का नोटिस भी दिया।
पेरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए 12,50,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह महीने की कारावास की सजा दी गई है और न्याय के प्रशासन में बाधा डालने और अदालत के अधिकार को कम करने के लिए अदालत की आपराधिक अवमानना के लिए भी छह महीने की सजा और 12,50,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। यानी दीवानी और आपराधिक अवमानना, प्रत्येक के लिए 12.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए प्रत्येक अपराध के लिए छह महीने की कैद की सजा सुनाई।
लाइव लॉ के मुताबिक- अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि इन सजाओं को लगातार पूरा किया जाएगा और कुल जुर्माना यानी 25,00,000 (पच्चीस लाख) रुपए चार सप्ताह के भीतर न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमाननाकर्ता द्वारा जमा किया जाना है और स्मृति कंसाग्रा को उसके द्वारा दायर एक आवेदन पर जारी किया जाएगा। गृह मंत्रालय, भारत सरकार को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। (आईएएनएस)|
कैनबरा, 5 नवंबर | लंबे और नाटकीय क्वालीफाइंग अभियान के बाद ऑस्ट्रेलिया को झटका लगने की उम्मीद में फीफा विश्व कप की ओर बढ़ रहा है। सॉकरोस फीफा विश्व कप कतर के लिए क्वालीफाई करने वाली 32 टीमों में से अंतिम थी। सितंबर 2019 में कुवैत पर 3-0 से जीत के साथ क्वालिफिकेशन अभियान शुरू करने के लगभग 1008 दिन बाद इंटर-कॉन्फेडरेशन प्ले-ऑफ में पेनल्टी पर पेरू को हराया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक अभियान था जो कोविड-19 महामारी से काफी बाधित हुआ था, जिसमें सॉकरोस ने घर पर 20 में से केवल चार गेम खेले थे और शीर्ष विपक्ष के खिलाफ गोल करने के लिए संघर्ष किया था।
योग्यता के शुरूआती दौर के माध्यम से, सॉकरोस ने 11 सीधे गेम जीते। अगले सात मैचों में, ऑस्ट्रेलिया ने पर्याप्त गोल नहीं किए, एक बार जीत हासिल की और सीधे विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने का मौका गंवा दिया।
स्वचालित क्वालीफायर सऊदी अरब और जापान के खिलाफ चार मैचों में, सॉकरोस तीन बार हारे और एक बार ड्रॉ हुआ।
कुलीन विरोधियों के खिलाफ गोल करने में असमर्थता एक ऐसी समस्या है, जिसने एक पीढ़ी के लिए सॉकरोस को त्रस्त कर दिया है।
2010, 2014 और 2018 विश्व कप में, ऑस्ट्रेलिया हर बार ग्रुप चरण में बाहर हो गया था।
कतर में, सॉकरोस लक्ष्य लाने के लिए मार्टिन बॉयल, मिशेल ड्यूक, एवर माबिल और जेमी मैकलारेन पर निर्भर होंगे।
स्कॉटिश-आधारित बॉयल ऑस्ट्रेलिया का सबसे सीधा आक्रमण करने वाला खिलाड़ी है और संभावित रूप से कोच ग्राहम अर्नोल्ड के पसंदीदा 4-2-3-1 फॉर्मेशन के विंग में अनुभवी मैथ्यू लेकी के साथी होंगे।
ड्यूक पहली पसंद के स्ट्राइकरों में से एक के रूप में कतर जाते हैं, लेकिन मैकलारेन से प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकते हैं, जिन्होंने इस सीजन में मेलबर्न सिटी के लिए चार मैचों में पांच गोल किए हैं।
विश्व कप के लिए अपनी टीम की घोषणा करने से पहले मिडफील्ड में रचनात्मकता अर्नोल्ड की सबसे बड़ी समस्या है।
इंटरकांटिनेंटल प्ले-ऑफ के लिए टीम से हटने के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे प्रतिभाशाली नाटककार टॉम रोगिक का अंतर्राष्ट्रीय करियर संदेह में है।
यदि दोनों उपलब्ध नहीं हैं, तो अर्नोल्ड गारंग कुओल और क्रिस्टियन वोल्पाटो में दो किशोर संवेदनाओं की ओर रुख कर सकते हैं।
18 वर्षीय कुओल जनवरी में प्रीमियर लीग के दिग्गज न्यूकैसल यूनाइटेड में ए-लीग के सेंट्रल कोस्ट मेरिनर्स के साथ ²श्य पर फटने के बाद शामिल होंगे।
उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ सितंबर के एक दोस्ताना मैच में अपना सॉकरोस डेब्यू किया और टिम काहिल और हैरी केवेल की स्वर्णिम पीढ़ी के बाद से ऑस्ट्रेलिया की सबसे होनहार प्रतिभा मानी जाती है।
क्रिस्टियन वोल्पाटो के लिए मिडफील्ड में शून्य को भरने का मामला अधिक जटिल है।
वोल्पाटो ने अपना जूनियर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल इटली के लिए खेला लेकिन वह ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने के योग्य भी है।
18 वर्षीय ने किसी भी देश के लिए घोषणा नहीं की है, लेकिन सॉकरोस विश्व कप के विवाद में फंस गए, जब वह वेरोना के खिलाफ इतालवी दिग्गज रोमा की 3-1 से जीत में सहायता करने के लिए बेंच से बाहर आए।
हमलावरों के पीछे वह जगह है जहां सॉकरोस ज्यादातर बसे हुए हैं, आरोन मूय ने मिडफील्ड के आधार पर जैक्सन इरविन को पार्टनर बनाया है।
उनके बगल में क्रमश: बाएं और दाएं पीछे अजीज बेहिच और नथानिएल एटकिंसन होंगे।
जून में पेरू के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट वीरता के बावजूद, गोलकीपर एंड्रयू रेडमायने को कप्तान मैट रयान के लिए बेंच दिया जा सकता है।
रक्षा के बीच में, हालांकि, महत्वपूर्ण चयन समस्याएं बनी हुई हैं।
हैरी सॉटर और ट्रेंट सेन्सबरी दोनों - अर्नोल्ड की पहली पसंद रक्षात्मक जोड़ी है।
यदि दोनों में से किसी को भी विश्व कप में खेलने के लिए अनुपयुक्त माना जाता है, तो 30 वर्षीय बेली राइट और युवा खिलाड़ी काय रॉल्स सबसे अधिक संभावित प्रतिस्थापन हैं।
एक उथल-पुथल अभियान के बाद लगातार पांचवें विश्व कप के लिए क्वालीफाई करना ऑस्ट्रेलिया में कई लोगों द्वारा सॉकरोस के लिए एक पास मार्क माना जाता था।
अर्नोल्ड के लिए, हालांकि, कतर में टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कोचों में से एक के रूप में अपनी विरासत को मजबूत करने का अवसर प्रस्तुत करता है।
कई बार ए-लीग चैंपियनशिप जीतने के बाद, 59 वर्षीय अर्नोल्ड ने 2018 से सॉकरोस का प्रबंधन किया है, जो पहले सहायक और कार्यवाहक के रूप में काम कर चुके हैं।
फ्ऱांस, डेनमार्क और ट्यूनीशिया के खिलाफ ग्रुप डी में शामिल, सॉकरोस को 16 के दौर के लिए क्वालीफाइंग के देश के सर्वश्रेष्ठ विश्व कप परिणाम की बराबरी करने के लिए एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जिसे उन्होंने 2006 में हासिल किया था।
यदि वे प्रगति करते हैं, तो अर्नोल्ड कथित तौर पर एक स्वचालित चार साल के अनुबंध विस्तार को ट्रिगर करेगा।
हालांकि, सॉकरोस के लिए एक अधिक यथार्थवादी लक्ष्य 2010 के बाद से विश्व कप में पहली जीत हासिल करना हो सकता है। (आईएएनएस)|
नोएडा, 5 नवंबर | दिल्ली एनसीआर की हवा और भी ज्यादा प्रदूषित और खतरनाक होती जा रही है। शनिवार को एक्यूआई 400 के पास पहुंच गया है जो कि प्रदूषण का खतरनाक स्तर माना जाता है। इस दौरान अब लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत जैसी अन्य समस्याएं भी हो रही हैं। पोलूशन का स्तर लगातार बढ़ रहा है और राजधानी दिल्ली से सटे हुए इलाके यानी नोएडा में लोगो का जीना दूभर हो चला है। लगातार बढ़ते हुए दमघोंटू हवा के चलते अस्थमा और आंखों में चुभन जैसी शिकायतें लेकर लोग अस्पतालों में आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों का इस धुंध भरी जहरीली हवा में घर से बाहर निकल पाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
नोएडा में एक्यूआई 404 के स्तर पर दर्ज किया गया है जो कि खतरनाक श्रेणी में बना हुआ है। बढ़ते क्यूआई को देखते हुए ग्रेप के 4 चरण के नियम भी लागू कर दिए गए हैं। साथ ही साथ जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है। इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन पर पूरी तरीके से रोक लगा दी गई है और किसी तरीके का प्राइवेट और कमर्शियल कंस्ट्रक्शन नहीं किया जाएगा। खुले में रखी सामग्री को अगर ढक कर नहीं रखा गया तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। (आईएएनएस)|
कलबुर्गी (कर्नाटक), 5 नवंबर | कर्नाटक के कलबुर्गी में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की हालिया घटना ने केरल की तर्ज पर लैंगिक समानता शिक्षा की मांग को उठाया है। पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे मशहूर अभिनेता और कार्यकर्ता चेतन कुमार ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि स्कूल के पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के पाठों को शामिल कर इस तरह की अमानवीय घटनाओं को रोकना संभव है।
उन्होंने जोर देकर कहा, केरल में, लैंगिक समानता पर कक्षाएं ली जाती हैं और छात्रों को पढ़ाया जाता है और मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाता है। केरल राज्य की तर्ज पर, मैं कर्नाटक राज्य सरकार से भी स्कूली पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के पाठों को शामिल करने की मांग करता हूं।
उन्होंने कहा, हम लैंगिक समानता की मांग करते हुए एक अभियान भी शुरू करेंगे। चेतन ने आगे कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज तक शौचालयों की कमी है, जिससे महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। स्वच्छ भारत का उद्देश्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, 14 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई। इस घटना ने राज्य के सभी लोगों को आहत किया है। वह न केवल अपने परिवार की बेटी थी, बल्कि राज्य की बेटी थी।
चेतन ने कहा, जब इस तरह की घटनाएं होंगी तो मामले को जाति के रंग में रंगने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, इस घटना में सभी पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं।
बता दें, नाबालिग लड़की मंगलवार दोपहर तीन बजे शौच के लिए घर से बाहर गई थी। काफी देर तक जब वह नहीं लौटी तो उसके परिजनों और ग्रामीणों ने तलाश शुरू कर दी। गांव वालों को उसकी सैंडल गन्ने के खेत के पास पड़ी मिली और अंदर उसका शव मिला।
कलबुर्गी की पुलिस अधीक्षक ईशा पंत ने एक विशेष टीम का गठन किया, जिसने 24 घंटे में मामले का खुलासा किया और तीन नाबालिगों को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि 16 वर्षीय आरोपी नाबालिग ने वारदात को अंजाम दिया है।
आरोपी लड़का पोर्न एडिक्ट है और उसकी लत ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। आरोपी लगातार मोबाइल से जुड़ा रहता था और हर समय इंटरनेट पर अश्लील वीडियो देखता रहता था। (आईएएनएस)
अमृतसर, 5 नवंबर । पंजाब के अमृतसर में हिंदूवादी नेता सुधीर सूरी की हत्या के बाद शहर की क़ानून-व्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी के विधायक ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाया है.
विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि अमृतसर में क़ानून-व्यवस्था पूरी तरह बिखर चुकी है.
उन्होंने मीडिया से कहा, ''ये शर्मनाक घटना थी. मैं वहां सबसे पहले गया था. जो सच्चाई है वो सच्चाई है. अगर पुलिस सिस्टम बिखर गया है तो बिखर गया है. मैंने बार-बार कहा है कि यहां एक विशेषज्ञ टीम भेजो और अमृतसर की केस स्टडी करवाओ. यहां मॉकड्रिल करने से कुछ नहीं होने वाला.''
''मैंने डीजीपी, गृह सचिव और मुख्यमंत्री से बात की थी. सबसे ज़्यादा शर्मिंदगी ये है कि ये सबकुछ अमृतसर उत्तर में हो रहा है. मैं ख़ुद परेशान हो गया हूं. हम कुछ और वादा करके जनता के बीच आए थे. जनता ने तुम्हें जिताया था. ये सबकुछ हमारे सामने हो रहा है तो हमें भी शर्म आती है. क़ानून-व्यवस्था की पूरी तरह असफलता है. पुलिस कमिश्नर को डिसमिस करना चाहिए.''
पंजाब के अमृतसर में शुक्रवार को गोपाल मंदिर के बाहर हिंदूवादी नेता सुधीर सूरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
शिवसेना नेता सुधीर सूरी अपने साथियों के साथ मजिठा रोड पर गोपाल मंदिर के बाहर धरना दे रहे थे, तभी उनका किसी से विवाद हो गया और उन्हें गोली मार दी गई.
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि सुधीर सूरी पर गोली चलाने वाला शख़्स एक स्थानीय दुकानदार था जिनकी विरोध प्रदर्शन वाली जगह के पास ही दुकान है. उनका नाम संदीप सन्नी है.
अहमदाबाद, 5 नवंबर | गुजरात के पूर्व मंत्री जय नारायण व्यास ने शनिवार को घोषणा की, कि उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक पार्टी से जुड़े रहने के बाद भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। व्यास ने कहा कि वह अगले महीने राज्य विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अपने विकल्प खुले रखे हुए हैं।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यास ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया।
उन्होंने आगे कहा कि वह पाटन जिला भाजपा कमेटी, उसके कामकाज और लगातार हो रहे अपमान से नाखुश हैं।
व्यास ने दावा किया कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाया था।
उन्होंने कहा कि वह आगामी चुनाव पाटन जिले के सिद्धपुर निर्वाचन क्षेत्र से लड़ेंगे, लेकिन निर्दलीय के रूप में नहीं।
व्यास ने यह भी कहा कि वह अपने समर्थकों से चर्चा करने के बाद ही कोई पार्टी तय करेंगे, जिसके लिए उन्होंने बैठक बुलाई है। (आईएएनएस)|
हैदराबाद, 5 नवंबर | तेलंगाना की मुनुगोड़े विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में मतगणना की तैयारी पूरी कर ली गई है। मतगणना रविवार सुबह 8 बजे से शुरू होगी और दोपहर बाद 3 बजे तक पूरी होने की संभावना है। इसके लिए नलगोंडा जिले के अर्जलबवी में व्यापक इंतजाम किया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने बताया कि मतगणना के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। 15 राउंड की मतगणना होगी। प्रत्येक राउंड में 21 मतदान केंद्रों पर पड़े मतों की गिनती की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) खोलने से पहले अधिकारी डाक मतपत्रों की गिनती करेंगे। कुल 686 डाक मतपत्र प्राप्त हुए हैं।
गुरुवार को हुए उपचुनाव में 93.13 प्रतिशत मतदान हुआ। यह 2018 के चुनावों में निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज 91.31 प्रतिशत मतदान को पार कर गया।
कुल 2,41,805 मतदाताओं में से 2,25,192 मतदाताओं ने मतदान किया। इसमें पोस्टल बैलेट शामिल नहीं है।
चुनाव में 47 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसलिए चुनाव अधिकारियों ने मतगणना केंद्रों पर सभी मतगणना एजेंटों को समायोजित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। माइक्रो ऑब्जर्वर भी होंगे और पूरी प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी कराई जाएगी।
मुख्य मुकाबला टीआरएस, भाजपा और कांग्रेस के बीच है।
मौजूदा विधायक कोमातीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने अगस्त में भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद उपचुनाव कराना पड़ा। रेड्डी ने इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। (आईएएनएस)|
हरेश झाला
दमन, 5 नवंबर (आईएएनएस)| हाल ही में मोरबी पुल के गिरने से 141 लोगों की जान चली गई, यह घटना 28 अक्टूबर, 2003 की दमन में हुई त्रासदी को याद दिलाती है, जिसमें लोगों ने अपनों को भारी संख्या में खो दिया था। इस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई थी।
दमन की भयावह घटना को याद करते हुए, केशवभाई बटाक, जिन्होंने हादसे में दो बेटों को खोया था, ने कहा, दमन त्रासदी हमेशा मेरे जीवन का सबसे काला दिन रहेगा, क्योंकि इसने मेरी दुनिया को उजाड़ दिया। मोरबी पुल ढहने से दमन त्रासदी की भयावह यादें फिर से ताजा हो गईं। सबसे दुखद बात यह है कि गुजरात सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया। अगर जरा भी पछतावा है, तो भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए, हर पीड़ित के घर जाकर माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दमन की घटना के बाद पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए 19 साल तक इंतजार करना पड़ा। एक ऐसा इंतजार, जिसका कोई अंत ही न हो। जिला सत्र अदालत का फैसला संतोषजनक नहीं था। लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई ने पीड़ित परिवारों को 'दमन ब्रिज पतन पीड़ित समिति' बनाने के लिए मजबूर किया।
जब जांच और फिर मुकदमा की गति बेहद धीमी हो गई, तो समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय का रुख किया। इसके हस्तक्षेप के बाद ही मुकदमे ने रफ्तार पकड़ी।
दादरानगर हवेली के लोकसभा सदस्य स्वर्गीय मोहन देलकर ने संसद में इस मुद्दे को उठाया था और केंद्र सरकार ने मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरजे कोचर जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने देखा कि पुल में रेट्रोफिटिंग की समस्या थी, जो बेस्ट इंजीनियर प्रैक्टिस के साथ 'अनुरूपता की कमी' थी। लापरवाही और कमियों के लिए आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया।
अगस्त 2022 में जिला सत्र न्यायाधीश अदालत ने तीन अधिकारियों को दो साल कैद की सजा सुनाई। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एक अन्य पीड़िता के पिता धनसुख राठौड़ ने इस सजा को बहुत कम बताया। मुकदमे को दुर्घटना के दस साल के भीतर पूरा किया जाना चाहिए था और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी। इस हादसे में उनके दो बेटे विनीत (12) और चिराग (9) की जान चली गई थी।
बटाकने कहा कि पीड़ित समिति सत्र अदालत के फैसले को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रही है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 5 नवंबर | उत्तरप्रदेश में दुर्घटनाएं, चाहे वे पुल, सड़क या आग से संबंधित हों, का जीवन बेहद छोटा होता है। प्रदेश में जब भी कोई दुर्घटना होती है, पूछताछ, जांच और ऑडिट का आदेश दिया जाता है और कुछ दिनों के बाद मामले को दबा दिया जाता है। गुजरात के मोरबी में करीब 100 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज के गिरने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सभी तरह के पुलों के निरीक्षण और जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने लोक निर्माण विभाग और उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों को सभी झूला पुलों का ऑडिट करने के लिए कहा। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी समीक्षा मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पिछले साल नवंबर में पुल गिरने की आखिरी घटना सामने आई थी।
शाहजहांपुर और बदायूं को जोड़ने वाला कोलाघाट पुल तीन टुकड़ों में टूट कर ढह गया था, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ था।
दुर्घटना को हुए एक साल हो गया है और अब तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, मामले की जांच की जा रही है।
मई 2018 में वाराणसी में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। घटना वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के सामने हुई थी।
इस घटना में कई कारें मलबे के नीचे दब गईं और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। दुर्घटनाग्रस्त ढांचे से तीन लोगों को जिंदा निकाला गया। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक टीम को मलबे को हटाने और घायलों को मलबे से बाहर निकालने के लिए तैनात किया गया था। उत्तरप्रदेश राज्य पुल निगम द्वारा चौका घाट बस स्टैंड और लहरतारा के बीच फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को 48 घंटे के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को के लिए कहा गया था।
बाद में परियोजना में शामिल आधा दर्जन इंजीनियरों को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई की भी घोषणा की गई। लेकिन घटना के चार साल बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हाल ही में 31 अक्टूबर को छठ पूजा के दौरान चंदौली जिले के सरैया गांव के पास एक पुरानी पुलिया का एक हिस्सा गिर गया और कई श्रद्धालु कर्मनाशा नहर में गिर गए। हालांकि कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिया काफी पुरानी थी और इसका निर्माण 1993 के आसपास किया गया था। पुलिया का स्लैब टूटने के कारण यह उपयोग में नहीं था। छठ पूजा समारोह के दौरान स्थानीय लोग पुलिया की एक पटिया पर खड़े हो गए और अधिक वजन के कारण ये ढह गई।
मामले में जांच के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) लगभग 2.9 लाख किमी सड़कों का रखरखाव करता है। इसके पास नहरों, नदियों और नालों पर बने हजारों पुलों को सुरक्षित बनाए रखने का भी काम है।
ब्रिज कॉरपोरेशन के पास रेलवे क्रॉसिंग और चौड़ी नदियों और सहायक नदियों और मेट्रो कॉरिडोर के आसपास बनाई जा रही बड़ी परियोजनाओं की जिम्मेदारी होती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, दोनों एजेंसियों ने संरचनाओं के सर्वेक्षण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 5 नवंबर | चुनाव आयोग ने शनिवार को ओडिशा, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पांच विधानसभा सीटों और उत्तर प्रदेश में एक संसदीय सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा की। आयोग के कार्यक्रम के अनुसार उपचुनाव 5 दिसंबर को होंगे और नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
विधानसभा की सीटें पदमपुर (ओडिशा), सरदारशहर (राजस्थान), कुरहनी (बिहार), भानुप्रतापपुर (छ.ग.) और रामपुर (उत्तर प्रदेश) हैं जहां उपचुनाव होने हैं।
संसदीय सीट मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) है जो मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है।
पोल पैनल के मुताबिक इन उपचुनावों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है।
18 नवंबर को नामांकनों की जांच की जाएगी, जबकि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है। (आईएएनएस)|
हरीश झाला
गांधीनगर, 5 नवंबर | 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में पुल के गिरने से 141 लोगों की मौत हो गई, जिसने इस बात को उजागर कर दिया है कि नगरपालिका समितियां या तो अपर्याप्त रूप से रखरखाव के लिए फिट नहीं हैं, कर्मचारियों की कमी है, या कोई वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है जो उन्हें तीसरे पक्ष के निरीक्षण जैसे नगर निगमों, या शहरी विकास प्राधिकरणों या सड़क और भवन विभागों द्वारा परियोजना प्रबंधन सलाहकारों को नियुक्त नहीं करने देता।
अहमदाबाद के सीईपीटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवांशु पंडित कहते हैं कि नगरपालिका समितियों के बजट बहुत छोटे हैं, उनके अधिकारियों को परियोजना के आकार और कार्यान्वयन के बारे में बहुत कम जानकारी या समझ है और उम्मीद है कि पूरी परियोजना सीमित बजट के भीतर लागू की जाएंगी और यह चिंताजनक है क्योंकि गुणवत्ता दांव पर लगी होती है।
उनका सुझाव है कि गुणवत्ता के मुद्दों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि राज्य सरकार को राज्य के सड़क और भवन विभाग के इंजीनियरों या गुजरात इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान या किसी तीसरे पक्ष द्वारा निरीक्षण करवाना चाहिए जो नगर पालिकाओं द्वारा निष्पादित पुलों और सड़कों की परियोजनाओं के लिए अनिवार्य है।
राज्य सड़क और भवन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1,518 प्रमुख पुल, 5,404 छोटे पुल और सेतु और 1,06,994 क्रॉस-ड्रेन संरचनाएं, या जल मार्ग पर कुल 1,13,916 संरचनाएं हैं।
गुजरात सरकार के पुलों, सड़कों एवं भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, पंचायत प्रमंडल, वाई.एम. चावड़ा ने आईएएनएस को बताया कि प्री और पोस्ट-मानसून निरीक्षण के बारे में एक रजिस्टर रखा जाता है।
विभाग के मुख्य अभियंता राज्य राजमार्ग पीआर पटेलिया ने कहा कि यदि कोई स्थिरता समस्या उत्पन्न होती है या पुलों या खंभों में तनाव पाया जाता है, तो इसकी सूचना उच्चतम अधिकारियों को दी जाती है और मरम्मत प्राथमिकता के स्तर पर की जाती है। जहां पुल कमजोर हो गया है और लोड नहीं ले सकता, स्थानीय समाचार पत्र में एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाता है जिसमें लोगों को सूचित किया जाता है कि पुल मरम्मत या नए पुल के निर्माण के लिए बंद है।
अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार के स्वामित्व, संचालित और रखरखाव वाले पुलों का क्षेत्रीय और विभाजन के अनुसार बार-बार निरीक्षण किया जाता है।
एग्जिक्युटिव इंजीनियर, पंचायत प्रमंडल, भावनगर एस.डी. चौधरी ने कहा कि सड़क और भवन विभाग, नगर निगम और शहरी विकास प्राधिकरण संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए, डिजाइनिंग से लेकर निष्पादन तक परियोजना प्रबंधन सलाहकारों को काम पर रखते हैं और इसीलिए मानकों को बनाए रखा जाता है।
उन्होंने कहा कि जैसे विभाग के इंजीनियरों को प्रतिनियुक्ति पर पंचायतों, यहां तक कि शहरी विकास प्राधिकरणों, या कभी-कभी, यहां तक कि नगर निगमों में भी भेजा जाता है, वैसे ही यह नगर पालिकाओं में किया जा सकता है, क्योंकि यह एक नीतिगत निर्णय है। (आईएएनएस)|
हरेश झाला
दमन, 5 नवंबर | हाल ही में मोरबी पुल के गिरने से 141 लोगों की जान चली गई, यह घटना 28 अक्टूबर, 2003 की दमन में हुई त्रासदी को याद दिलाती है, जिसमें लोगों ने अपनों को भारी संख्या में खो दिया था। इस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई थी।
दमन की भयावह घटना को याद करते हुए, केशवभाई बटाक, जिन्होंने हादसे में दो बेटों को खोया था, ने कहा, दमन त्रासदी हमेशा मेरे जीवन का सबसे काला दिन रहेगा, क्योंकि इसने मेरी दुनिया को उजाड़ दिया। मोरबी पुल ढहने से दमन त्रासदी की भयावह यादें फिर से ताजा हो गईं। सबसे दुखद बात यह है कि गुजरात सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया। अगर जरा भी पछतावा है, तो भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए, हर पीड़ित के घर जाकर माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दमन की घटना के बाद पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए 19 साल तक इंतजार करना पड़ा। एक ऐसा इंतजार, जिसका कोई अंत ही न हो। जिला सत्र अदालत का फैसला संतोषजनक नहीं था। लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई ने पीड़ित परिवारों को 'दमन ब्रिज पतन पीड़ित समिति' बनाने के लिए मजबूर किया।
जब जांच और फिर मुकदमा की गति बेहद धीमी हो गई, तो समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय का रुख किया। इसके हस्तक्षेप के बाद ही मुकदमे ने रफ्तार पकड़ी।
दादरानगर हवेली के लोकसभा सदस्य स्वर्गीय मोहन देलकर ने संसद में इस मुद्दे को उठाया था और केंद्र सरकार ने मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरजे कोचर जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने देखा कि पुल में रेट्रोफिटिंग की समस्या थी, जो बेस्ट इंजीनियर प्रैक्टिस के साथ 'अनुरूपता की कमी' थी। लापरवाही और कमियों के लिए आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया।
अगस्त 2022 में जिला सत्र न्यायाधीश अदालत ने तीन अधिकारियों को दो साल कैद की सजा सुनाई। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एक अन्य पीड़िता के पिता धनसुख राठौड़ ने इस सजा को बहुत कम बताया। मुकदमे को दुर्घटना के दस साल के भीतर पूरा किया जाना चाहिए था और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी। इस हादसे में उनके दो बेटे विनीत (12) और चिराग (9) की जान चली गई थी।
बटाकने कहा कि पीड़ित समिति सत्र अदालत के फैसले को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रही है।
पटना, 5 नवंबर | बिहार के बक्सर में सात से 15 नवंबर को होने वाले सनातन संस्कृति समागम में संतों का जमावड़ा होगा। इसके आलावा इस समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ संचालक मोहन भागवत तथा कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी भाग लेंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कर्मभूमि बक्सर में इस दौरान श्रीराम कर्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महाकुंभ व अंतरराष्ट्रीय संत समागम भी होगा। सनातन संस्कृति समागम के मुख्य सलाहकार और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बताया कि आठ नवंबर को सर संघ संचालक मोहन भागवत मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे।
इस कार्यक्रम का आयोजन बक्सर के अहिरौली में होगा, इस कार्यक्रम में देश के बड़े संतों का आगमन भी होगा। इसके अलावा जीयर स्वामी के मार्गदर्शन में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के साथ 5 तरह के यज्ञ यहां आयोजित होंगे, जिसमें बड़े-बड़े संत भाग लेंगे।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड, हरियाणा, सिक्किम, मणिपुर, गोवा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, केरल, सिक्किम, राजस्थान, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के अलावा देश के नामी साधु-संतों का आगमन होगा।
बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री व राज्यपाल को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है। कार्यक्रम का उद्देश्य भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या के बाद श्रीराम की पहली कर्मभूमि बक्सर को देश दुनिया के सामने लाने के साथ देश में रामराज की कल्पना को साकार करना है।
उन्होंने बताया कि नौ दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, राम व श्रीमद्भागवत कथा, अंतरराष्ट्रीय संत सम्मेलन, लक्ष्मीनारायण महायज्ञ समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित होंगे।
कार्यक्रम के दौरान हर दिन देश के नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुति करेंगे।
वाराणसी के प्रसिद्ध पंडितों द्वारा प्रतिदिन गंगा महाआरती की जाएगी। मुंगेर के योग विश्वविद्यालय का योग शिविर लगेगा, जिसमें स्वामी निरंजन भाग लेंगे। रामभक्तों के लिए हर दिन भंडारे की व्यवस्था होगी।
उन्होंने बताया कि नौ से 15 नवंबर तक आयोजन स्थल पर प्रतिदिन सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक रामकथा व श्रीमद्भागवत कथा होगी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 4 नवंबर । नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी पूरी दुनिया के लिए चुनौती हैं. ये समस्याएँ हमारे भविष्य को खराब करेंगी.
भारत में ग्रामीण समुदाय के पास पानी से जुड़ी चुनौतियों और इसके समाधान के बारे में काफी ज्ञान है. उन्होंने कहा, ‘’मैं पानी के बारे इस समुदाय के नजरियों को जानना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि ये पानी की समस्या खत्म करने के लिए उनके ज्ञान का इस्तेमाल हो."
प्रोफेसर बनर्जी और मोहम्मद जलील ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत की और उनकी क्षमता की तारीफ की.
विद्या भवन ऑडिटोरियम में सेवामंदिर की और से आयोजित बेयॉन्ड पॉवर्टी एक्शन में अभिजीत बनर्जी ने बताया की कि गरीबी के मायने क्या हैं.
नयी दिल्ली, 4 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को 25 हजार रुपये की लागत के साथ खारिज कर दिया जिसमें नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर ट्विटर के एक उपयोगकर्ता के खाते को निलंबित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका में ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क को पक्ष बनाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने याचिका को “पूरी तरह से गलत” करार दिया।
न्यायाधीश ने कहा, “याचिका पूरी तरह गलत है। इस तरह के आवेदन को दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। तदनुसार, इसे 25,000 रुपये की लागत के साथ खारिज कर दिया जाता है।”
सुनवाई की शुरुआत में अदालत ने कहा, “क्या हमें इसे देखने की जरूरत है?” और याचिकाकर्ता के वकील से पूछा क्या वह मुकदमा चलाने को लेकर गंभीर हैं।
इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता राघव अवस्थी ने कहा कि उन्हें याचिका को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि मस्क न केवल निदेशक हैं, बल्कि ट्विटर में भी उनकी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है और वह इस मामले में एक आवश्यक पक्ष हैं।
याचिका में कहा गया है कि मस्क का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक बहुत अलग दृष्टिकोण है और इसलिए, उनके विचारों को सुनना महत्वपूर्ण था।
उच्च न्यायालय डिंपल कौल की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि उनके ट्विटर खाते के 2,55,000 से अधिक ‘फॉलोअर’ थे और वह इस खाते का उपयोग इतिहास, साहित्य, राजनीति, पुरातत्व, भारतीय संस्कृति, अहिंसा, महिला अधिकार की समानता आदि के संबंध में शैक्षिक सामग्री पोस्ट करने के लिए किया करती थीं। (भाषा)
गोंडा (उप्र) 4 नवम्बर उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक युवक के विरुद्ध अपनी विधवा चाची को चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर दुष्कर्म करने और घटना का वीडियो बनाने एवं उसे सोशल मीडिया पर डालने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि यह मामला छपिया थाने में दर्ज कराया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, 42 वर्षीय महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि जब वह बुधवार को बाजार जा रही थी तो रास्ते में रिश्ते में उनका भजीता लगने वाला गांव का युवक उन्हें मिला जिसने उन्हें बाइक से बाजार छोड़ने की बात कहकर उन्हें गाड़ी पर बैठा लिया।
पुलिस के मुताबिक, शिकायत में महिला ने आरोप लगाया कि रास्ते में जब वे चाय पीने रूके तो युवक ने उनकी चाय में नशीला पदार्थ मिला दिया जिससे वह बेहोश हो गईं और इसके बाद युवक ने कथित रूप से उनके साथ बलात्कार किया और घटना का वीडियो बना लिया।
महिला का आरोप है कि आरोपी ने उन्हें घटना के बारे में किसी को नहीं बताने को कहा और उसकी बात नहीं मानने पर वीडियो को सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी।
पुलिस के मुताबिक, महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह नहीं मानी और पुलिस में शिकायत करने की बात कही तो आरोपी ने वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया लेकिन थोड़ी ही देर में इसे वहां से हटा दिया।
महिला का दावा है कि इस बीच कुछ लोगों ने वीडियो डाउनलोड कर लिया।
महिला की शिकायत पर बृहस्पतिवार देर रात पुलिस ने सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कर लिया और महिला को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला महिला चिकित्सालय भेजा है।
मनकापुर के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) संजय तलवार ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है और उसकी तलाश की जा रही है। (भाषा)
मुंबई, 4 नवंबर उद्योगपति साइरस मिस्त्री की जान लेने वाले कार हादसे में जीवित बचे डेरियस पंडोले ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी डॉ. अनाहिता मर्सिडीज बेंज कार तीसरी लेन में चला रही थीं और जब सड़क संकरी हुई तो वह कार को तीसरी लेन से दूसरे लेन में नहीं ले जा सकीं
एक अधिकारी के मुताबिक पंडोले ने बताया कि महाराष्ट्र के पालघर में सूर्य नदी पुल के निकट जब सड़क संकरी हुई तो उनकी पत्नी कार को तीसरी लेन से दूसरे लेन में नहीं ले जा सकीं।
पालघर के कासा पुलिस थाने के अधिकारियों ने मंगलवार को डेरियस पंडोले (60) का बयान दर्ज किया। इसी थाना क्षेत्र में चार सितंबर को यह हादसा हुआ था।
‘टाटा संस’ के पूर्व अध्यक्ष मिस्री (54) और उनके मित्र जहांगीर पंडोले कार के पुल की रेलिंग से टकराने के चलते हुई दुर्घटना में मारे गए थे। प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अनाहिता (55) गाड़ी चला रही थीं। इस हादसे में वह और उनके पति डेरियस गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती डेरियस पंडोले को पिछले हफ्ते अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
अधिकारी ने शुक्रवार को बताया, “उनके दक्षिण मुंबई स्थित आवास पर करीब डेढ़ घंटे तक बयान दर्ज किया गया। इस दौरान उन्होंने घटना से जुड़े विवरण दिए।”
उन्होंने कहा कि पंडोले चार सितंबर की घटना तुरंत याद नहीं कर सके, जिसमें उनके भाई जहांगीर पंडोले और साइरस मिस्त्री की मौत हो गई थी।
अधिकारी ने कहा, “अपने बयान में डेरियस पंडोले ने कहा कि उनकी पत्नी अनाहिता मर्सिडीज बेंज कार चला रही थीं जब वे मुंबई जा रहे थे। उनके वाहन के आगे चल रही एक अन्य कार तीसरी लेन से दूसरी लेन में गई और अनाहिता ने भी वैसा ही करने का प्रयास किया।”
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने तीसरी लेन से दूसरी लेन में गाड़ी ले जाने की कोशिश की तो देखा की दाहिनी तरफ (दूसरी लेन में) एक ट्रक है जिसके कारण वह दूसरी लेन में कार नहीं ले जा सकीं। उन्होंने कहा कि सूर्य नदी के पुल पर यह सड़क संकरी हो जाती है।
पालघर के पुलिस अधीक्षक बालासाहेब पाटिल ने इबात की पुष्टि की कि उन्होंने डेरियस पंडोले का बयान दर्ज कर लिया है।
उन्होंने कहा, “लेकिन उनकी पत्नी अनाहिता पंडोले का बयान अभी दर्ज नहीं किया गया है क्योंकि अभी उनका उपचार चल रहा है।” उन्होंने कहा कि मर्सिडीज बेंज की अंतिम रिपोर्ट की भी प्रतीक्षा है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 4 नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार पर ‘फर्जी’ निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण करने और उनके लिए आवंटित धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया। पार्टी ने दावा किया कि इस धन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी (आप) से संबंधित कामों में किया गया।
भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी के साथ संयुक्त रूप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की नियत में ही खोट है।
पात्रा ने निर्माण श्रमिकों से संबंधित इसे भारत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला बताया।
उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों के लिए काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने फर्जीवाड़े के माध्यम से उनके पंजीकरण में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ‘‘फर्जी’’ निर्माण श्रमिकों के लिए 3,000 करोड़ रुपये जारी किए।
संबंधित आंकड़ों का ब्योरा देते हुए पात्रा ने कहा कि 2006 से 2021 के बीच दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत 13 लाख से अधिक निर्माण श्रमिक पंजीकृत थे। इनमें से 9 लाख से अधिक 2018 से 2021 के बीच पंजीकृत किए गए थे।
उन्होंने कहा कि जांच में दिल्ली में दो लाख फर्जी पंजीकरण का खुलासा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि 65,000 श्रमिकों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, जबकि 15,700 के पास दिल्ली में एक ही आवासीय पता था और शेष 4,370 का एक ही स्थायी पता था।
उन्होंने कहा कि हालांकि, एक ही अस्थायी या स्थायी पते को साझा करने वाला इनमें से कोई भी श्रमिक एक-दूसरे से जुड़ा नहीं है।
पात्रा ने दिल्ली सरकार पर निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए निर्धारित राशि में हेराफेरी का आरोप लगाया और कहा कि इससे प्राप्त रकम को आम आदमी पार्टी से जुड़े कामकाज में लगाया गया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 4 नवंबर ठग सुकेश चंद्रशेखर द्वारा जेल में संरक्षण के ऐवज में 10 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के आरोप लगाए जाने के कुछ दिन बाद तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल का तबादला कर दिया गया।
शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, 1989 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी गोयल का तिहाड़ जेल से तबादला किया गया है और उन्हें आगे के आदेशों के लिए पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करने को कहा गया है।
आदेश के मुताबिक, 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी संजय बेनीवाल को नया महानिदेशक (जेल) बनाया गया है।
जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन ने जेल में उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2019 में 10 करोड़ रुपये वसूले थे। (भाषा)
रांची/कोलकाता, 4 नवंबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को भारतीय सेना की भूमि की बिक्री के लिए जाली कागज़ातों के कथित इस्तेमाल में धनशोधन मामले की जांच के तहत झारखंड और पश्चिम बंगाल में एक दर्जन स्थानों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
केंद्रीय एजेंसी गिरफ्तार कारोबारी अमित अग्रवाल से जुड़े परिसरों समेत रांची और आसपास के इलाकों में करीब आठ जगहों और कोलकाता में चार जगहों पर छापेमारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि ईडी के संयुक्त दलों द्वारा कुछ रियल एस्टेट डीलर, निजी व्यक्तियों और संबंधित संस्थाओं पर छापेमारी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जांच झारखंड पुलिस द्वारा भारतीय सेना की भूमि की बिक्री और खरीद में जाली कागज़ातों के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए दायर प्राथमिकी से उपजी है।
अग्रवाल को ईडी ने पिछले महीने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं में एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राजीव कुमार को “फंसाने” की कथित साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इस मामले का संबंध ईडी द्वारा जांच के दायरे में शामिल कथित अवैध खनन मामले से भी है, जिसमें हाल ही में सोरेन को तलब किया गया था और उनके एक सहयोगी और दो अन्य को गिरफ्तार किया था। (भाषा)
मोरबी, 4 नवंबर गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना के मद्देनजर मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि मच्छु नदी के ऊपर ब्रिटिश कालीन इस पुल के रविवार को गिरने की घटना में अभी तक 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हादसे में मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
मोरबी के जिला अधिकारी जी. टी. पंड्या ने कहा, 'राज्य शहरी विकास विभाग ने मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है।'
उन्होंने बताया कि मोरबी के रेजिडेंट अपर कलेक्टर को अगले आदेश तक मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ओरेवा समूह को पुल की मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिया था। पुल गिरने की घटना के सिलसिले में पुलिस अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। (भाषा)