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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 जुलाई। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 25 अगस्त से शुरू हो रहा है। यह सत्र 28 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 4 बैठकें होंगी। इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है। सत्र के पहले दिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इस सत्र में वित्तीय कार्य के साथ-साथ अन्य कार्य संपादित किए जाएंगे।
-तामेश्वर सिन्हा
सुकमा जिले के एक गांव की 20 वर्षीय युवती से सीआरपीएफ 150वीं वाहनी के जवान पर बलात्कार करने का आरोप है। आरोपी जवान के खिलाफ दोरनापाल थाना में युवती ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसके बाद पुलिस ने सीआरपीएफ जवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपी जवान को छुटटी से लौटने के बाद दुब्बाटोटा स्थित हाईस्कूल भवन में 21 दिनों के लिए क्वारंटीन किया गया था।
पीडि़ता समेत एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण दोरनापाल थाने पहुंचे। पीडि़ता ने दुब्बाटोटा स्थित सीआरपीएफ 150वीं वाहिनी के क्वारंटीन सेंटर में रखे जवान पर बलात्कार की रिर्पोट दर्ज कराई है। पीडि़त युवती के मुताबिक सोमवार 27 जुलाई की दोपहर को युवती और उसकी बहन रोज की तरह जानवर चराने हाईस्कूल भवन के पीछे नदी के पास गए थे। इस दौरान क्वॉरंटीन सेंटर में रह रहे जवान दुलीचंद पांचे पहुंचा और जबरन हाथ पकडऩे लगा। जवान की हरकत को देखकर छोटी बहन मौके से भाग गई। जवान पीडि़ता का मुंह दबाकर उसे पास के जंगल में ले गया और दुष्कर्म किया।
सीआरपीएफ जवान पर आदिवासी युवती के साथ बलात्कार की रिर्पोट दर्ज होने के बाद ही पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने एएसपी सुनील शर्मा को दोरनापाल रवाना किया। दोरनापाल पहुंचने के बाद एएसपी ने पीडि़ता और ग्रामीणों की शिकायत सुनी। इसके बाद सीआरपीएफ जवान की पहचान पीडि़ता से कराई गई।
पीडि़ता की पहचान के बाद जवान को गिरफ्तार कर लिया गया। गुरुवार को पीडि़ता और आरोपी जवान का मुलाहिजा कराया गया। दोपहर को पीडि़ता को सुकमा न्यायालय के समक्ष पेश कर धारा 164 के तहत बयान दर्ज कर आरोपी जवान को जेल भेज दिया गया।
युवती को प्रलोभन देने का भी प्रयास
ग्रामीणों ने बताया कि जवान ने युवती के साथ बलात्कार करने के बाद मामले को दबाने के लिए पैसों का प्रलोभन भी दिया। 27 तारीख को युवती के साथ बलात्कार की घटना के बाद जवान ने दोबारा 29 जुलाई को भी एक दूसरी युवती के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। युवती द्वारा मना करने पर पैसों का प्रलोभन दिया गया। युवती मौके से भागने में कामयाब हो गई। इसके बाद उसने पूरी जानकारी परिजनों को दी।
कैंप प्रभारी पर भी हो कार्रवाई
पूर्व विधायक और आदिवासी नेता मनीष कुंजाम ने मामले की निंदा करते हुए जवान के साथ कैंप प्रभारी पर भी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जवानों के महिलाओं के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले लंबे समय से सामने आ रहे हैं। महिलाएं लोकलाज के डर से थाने तक नहीं पहुंचती हैं। बलात्कार के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन छेड़छाड़ करने वाले अन्य जवानों पर कार्रवाई नहीं की गई है। आदिवासी महासभा उक्त दोषी जवानों की गिरफ्तारी की मांग करती है।
मनीष कुंजाम ने कहा कि यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इसके बावजूद सीआरपीएफ जवानों द्वारा महिलाओं और युवतियों के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनाएं होती रहती हैं। अंदरूनी इलाकों में क्या होता होगा इसे सहज ही समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि दोषी जवानों पर कार्रवाई नहीं होने की दिशा में आदिवासी महासभा उग्र प्रदर्शन करेगी।
सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने बताया कि पीडि़ता ने सीआरपीएफ जवान के खिलाफ बलात्कार करने की रिर्पोट दर्ज कराई है। युवती की शिकायत के बाद मामले की पड़ताल की गई और आरोपी जवान को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ने युवती के साथ बलात्कार करना कबूल कर लिया है। आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला पंजीबद्ध कर उसे जेल भेज दिया गया है। (janchowk.com)
(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
विवेक त्रिपाठी
गोण्डा, 31 जुलाई (आईएएनएस)| रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहनों के प्रेम और सुरक्षा की कसमें खाने के पर्व के रूप में जाना जाता है लेकिन गोंडा जिले के वजीरगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत डुमरियाडीह के भीखमपुर जगतपुरवा में पर्व मनाना तो दूर कोई इसका जिक्र करना भी पसंद नहीं करता है। ऐसा करने पर सभी लोगों की आंखों के सामने पूर्व घटित हुई घटनाएं जैसे नाचने लगतीं हैं और उन्हें इस पर्व से दूरी बनाए रखने को आगाह करती हैं।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के जगतपुरवा में 20 ऐसे घर हैं, जिनमें करीब 200 बच्चे, बूढ़े व नौजवान भाई रक्षासूत्र का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं। ग्राम पंचायत डुमरियाडीह की राजस्व गांव भीखमपुर जगतपुरवा घरों में आजादी के 8 सालों के बाद करीब पांच दशक से अधिक बीत जाने के बाद बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र नहीं बांधा है।
यहां तक कि आसपास के गांव पहुंचे, यहां के बाशिंदे रक्षाबंधन के दिन जब सिर्फ अपने गांव का नाम बताते हैं और वहां की बहनें उन्हें रखी बांधने से खुद माना कर देतीं हैं।
इधर, जगतपुरवा के नौजवानों के मन मे इस त्योहार को लेकर उल्लास तो रहता है लेकिन पूर्वजों की बनाई परंपरा को न तोडना ही ही इनका मकसद बन चुका है।
जगतपुरवा निवासी डुमरियाडीह ग्राम पंचायत की मुखिया ऊषा मिश्रा के पति सूर्यनारायण मिश्र के अलावा ग्रामीण सत्यनारायण मिश्र, सिद्घनारायन मिश्र, अयोध्या प्रसाद, दीप नारायण मिश्र, बाल गोविंद मिश्र, संतोष मिश्र, देवनारायण मिश्र, धुव्र नारायण मिश्रा और स्वामीनाथ मिश्र ने बताया कि बहनों ने जब कभी हमारे घरों में अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे, तब-तब इस गांव में अनहोनी हुई।
बकौल सूर्यनारायण मिश्रा वर्ष ने बताया कि आजादी के आठ साल बाद करीब 5 दशक पहले (1955) में रक्षाबंधन के दिन सुबह हमारे परिवार के पूर्वज में एक नौजवान की मौत हो गई थी। तब से इस गांव में बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र नहीं बांधतीं हैं। एक दशक पूर्व रक्षाबंधन के दिन बहनों के आग्रह पर रक्षासूत्र बंधवाने का निर्णय लिया गया था, लेकर उस दिन भी कुछ अनहोनी हुई थी। इसके बाद ऐसा करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। आज भी यही भय, बहनों को अपने भाइयों को कलाई पर रक्षासूत्र बांधने से रोकती है।
सूर्य नारायण ने बताया कि रक्षा बंधन वाले दिन अगर इस कुल में कोई बच्चा जन्म लेगा, तभी त्यौहार मनाया जाएगा। इसका इंतजार करीब तीन पीढ़ियों से चल रहा है। अभी तक यह अवसर आया नहीं है।
उन्होंने बताया कि जगतपुरवा गांव में भले ही रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है, लेकिन आसपास के गांवों की बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। बावजूद इसके जगतपुरवा गांव के भाई-बहनों में जरा भी निराशा नहीं है। कहते हैं कि जो बड़ो ने बताया, उसी पर अमल करते हैं। अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा को नहीं तोड़ेंगे। परंपरा को निभाते रहेंगे।
सूर्यनरायण मिश्रा ने बताया कि रक्षा सूत्र के बंधन सिर्फ सुनते हैं, लेकिन उसका आनन्द नहीं उठा पाते हैं। रक्षाबंधन के दिन अगर यह 20 घर के लोग आसपास के किसी दूसरे गांव में जाते हैं तो सिर्फ जगतपुरवा निवासी कहने पर बहनें रक्षासूत्र नहीं बांधती।
दूसरे को देखकर रक्षा सूत्र में बंधे रहने का मन हर किसी को करता है। लेकिन, गांव की परंपरा की जब याद आती है तो लोग स्वत: ही रक्षा सूत्र नहीं बंधवाते।
ग्रामीणों ने बताया कि रक्षा सूत्र के दिन इस गांव के अधिकांश लोग गांव से बाहर नहीं जाते। जगतपुरवा गांव रक्षा सूत्र के दिन सन्नाटा रहता है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 जुलाई। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे एडीजी आरके विज का प्रभार एडीजी हिमांशु गुप्ता को सौंपा गया है। विज के पास योजना प्रबंध और तकनीकी सेवा का प्रभार था। इसी तरह डीआईजी आरपी साय को लेखा व कल्याण शाखा का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
भापुसे के 88 बैच के अफसर आरके विज कोरोना से पीडि़त हैं और वे क्वारंटीन पर हैं। इस अवधि में एडीजी (प्रशासन) श्री गुप्ता अपने कार्यों के साथ-साथ विज का भी प्रभार देखेंगे।
वाशिंगटन, 31 जुलाई (आईएएनएस)| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को स्थगित करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि मतदान के लिए पोस्टल प्रक्रिया से धोखाधड़ी बढ़ सकती है और परिणाम में ऊंच-नीच हो सकती है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने चुनाव को तब तक स्थगित करने की बात कही, जब तक लोग 'ठीक से, सुरक्षित रूप से' वोट देने की हालत में नहीं आ जाते।
हालांकि ट्रंप के दावों का समर्थन करने के लिए बहुत कम सबूत हैं, लेकिन वह लंबे समय से मेल के माध्यम से वोटिंग करने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि इसमें धोखाधड़ी होने की संभावना है और यह अतिसंवेदनशील प्रक्रिया है।
अमेरिकी राज्य कोरोनोवायरस महामारी के दौरान लोगों के स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण पोस्टल वोटिंग की प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं, जिससे लोगों को मतदान करने में आसानी होगी।
हालांकि अमेरिकी संविधान के तहत ट्रंप के पास चुनाव स्थगित करने का अधिकार नहीं है। किसी भी तरह का स्थगन या विलंब के लिए कांग्रेस की अनुमति आवश्यक है। राष्ट्रपति के पास कांग्रेस के दो सदनों से परे प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है।
कई ट्वीट्स में ट्रंप ने कहा, यूनिवर्सल मेल-इन वोटिंग 'नवंबर के मतदान को' इतिहास का सबसे गलत और फर्जी चुनाव और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बड़ी शमिर्ंदगी की वजह बनेगी।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा, "बिना सबूत उपलब्ध कराए, अमेरिका में मेल-इन वोटिंग विदेशी हस्तक्षेप के लिए अतिसंवेदनशील होगा।"
उन्होंने कहा, "मतदान में विदेशी प्रभाव की बात की जाती हैं, लेकिन वे यह भी जानते हैं कि मेल-इन वोटिंग के माध्यमस से विदेशी देश इस दौड़ में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।"
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के संकट काल में गांवों में दिहाड़ी मजदूरों के लिए मनरेगा एक बड़ा सहारा बन गया है। केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में मनरेगा के तहत लोगों को पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगाद्ध) के तहत गांवों में लोगों को मिल रहे काम के इस आंकड़े में मई से लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित रोजगार की इस स्कीम के तहत बीते महीने मई में पिछले साल के मुकाबले लोगों को 73 फीसदी ज्यादा काम मिला जबकि जून में 92 फीसदी और जुलाई में 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है।
दरअसल, कोरोना काल में महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद गांवों में उनके लिए रोजी-रोटी का साधन मुहैया करवाने के मकसद से सरकार ने भी मनरेगा पर विशेष जोर दिया और पहले इस योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये रोजाना कर दी और बाद में इसका बजट भी 40,000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा का बजटीय आवंटन 61,500 करोड़ रुपये था और कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया।
मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसारए मनरेगा के तहत चालू महीने जुलाई में देशभर में औसतन 2.26 करोड़ लोगों को काम मिला जोकि पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी अधिक है जबकि इसी महीने में औसतन 1.05 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला था।
इससे पहले जून में औसतन 3.35 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के 1.74 करोड़ के मुकाबले 92 फीसदी अधिक है। वहीं, इस साल मई में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के आंकड़े 1.45 करोड़ से 73 फीसदी अधिक है।
आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा के तहत 1.86 लाख ग्राम पंचायतों में 30 जुलाई तक लोगों को काम मिला है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, मनरेगा के तहत 30 जुलाई तक 9.24 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं और 29 जुलाई तक इस स्कीम के तहत कुल 50,780 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 30 जुलाई तक 157.89 करोड़ मानव दिवस यानी पर्सन डेज सृजित हुए हैं जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 265.35 पर्सन डेज सृजित हुए थे।
मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (नरेगा) नाम से 2006 में कांग्रेस के शासन काल में शुरू हुई इस योजना का नाम 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया।
-शुभनीत कौशिक
वर्ष 1932 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई. पोरबंदर के महाराजा की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने इस दौरे में कुल 37 मैच खेले. इनमें से 26 प्रथम श्रेणी के मैच थे. प्रथम श्रेणी के नौ मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम ने जीत हासिल की. उसकी इस सफलता का श्रेय दिग्गज बल्लेबाज सी.के. नायडू और दो तेज गेंदबाजों अमर सिंह और मोहम्मद निसार को दिया गया. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने क्रिकेट के इतिहास पर लिखी गई अपनी चर्चित किताब ‘अ कॉर्नर ऑफ अ फॉरेन फ़ील्ड’ में भारतीय क्रिकेट टीम के इस इंग्लैंड दौरे के बारे में विस्तार से लिखा है. साथ ही, रामचंद्र गुहा ने सी.के. नायडू को ‘पहला महान भारतीय क्रिकेटर’ भी कहा है.
इसी संदर्भ में, उल्लेखनीय है कि प्रेमचंद ने भी 12 अक्तूबर 1932 को ‘जागरण’ में छपे एक संपादकीय में भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्लैंड दौरे का विवरण लिखा था. प्रेमचंद ने इसमें लिखा कि भारतीय क्रिकेट टीम को भारतीय हॉकी टीम जितनी सफलता भले ही न मिली हो, लेकिन फिर भी उसकी सफलता महत्त्वपूर्ण है. भारतीय क्रिकेट टीम की सफलता पर ख़ुशी जाहिर करते हुए प्रेमचंद ने लिखा था : ‘भारतीय क्रिकेट टीम दिग्विजय करके लौट आयी. यद्यपि उसे उतनी शानदार कामयाबी हासिल नहीं हुई, फिर भी इसने इंग्लैंड को दिखा दिया कि भारत खेल के मैदान में भी नगण्य नहीं है. सच तो यह है कि अवसर मिलने पर भारत वाले दुनिया को मात दे सकते हैं, जीवन के हरेक क्षेत्र में. क्रिकेट में इंग्लैंड वालों को गर्व है. इस गर्व को अबकी बड़ा धक्का लगा होगा. हर्ष की बात है कि वाइसराय ने टीम को स्वागत का तार देकर सज्जनता का परिचय दिया.’
जैसे आज भारत में आईपीएल का क्रेज बना हुआ है, बीसवीं सदी के तीसरे दशक में मार्लेबन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के क्रिकेट मैचों की धूम थी. उस समय एक ओर भारत की ब्रितानी हुकूमत द्वारा आर्थिक मंदी का रोना रोया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर एमसीसी के मैचों का पूरे धूम-धाम से आयोजन हो रहा था. इस पर टिप्पणी करते हुए प्रेमचंद ने ‘जागरण’ में लिखा था कि क्रिकेट मैचों के लिए ‘रेल ने कन्सेशन दे दिए, एक्सप्रेस गाड़ियां दौड़ रही हैं, तमाशाई लोग थैलियां लिए कलकत्ता भागे जा रहे हैं. और इधर गुल मचाया जा रहा है कि मंदी है और सुस्ती है. मंदी और सुस्ती है मजदूरी घटाने के लिए, नौकरों का वेतन काटने के लिए, ऐसे मुआमिलों में हमेशा तेजी रहती है.’
प्रेमचंद ने 15 जनवरी 1934 को ‘जागरण’ में ही लिखे एक संपादकीय में इस भयावह स्थिति की तुलना फ्रेंच क्रांति के समय के फ्रांस से की. उन्होंने लिखा : ‘कहते हैं कि फ्रेंच क्रांति के पहले जनता तो भूखों मरती थी और उनके शासक और जमींदार और महाजन नाटक और नृत्य में रत रहते थे, वही दृश्य आज हम भारत में देख रहे हैं. देहातों में हाहाकार मचा हुआ है. शहरों में गुलछर्रे उड़ रहे हैं. कहीं एमसीसी की धूम है, कहीं हवाई जहाज़ों के मेले की. बड़ी बेदर्दी से रुपए उड़ रहे हैं.’
क्रिकेट खिलाड़ियों के चयन में आज भारत में चयनकर्ताओं द्वारा जो मनमानी की जाती है, ठीक वैसी ही स्थिति तब भी थी. प्रेमचंद ने ‘जागरण’ में 1 जनवरी 1934 को लिखे संपादकीय में खिलाड़ियों के चयन पर टिप्पणी करते हुए लिखा : ‘यहां जिस पर अधिकारियों की कृपा है, वह इलेविन में लिया जाता है. यहां तो पक्का खिलाड़ी वह है, जिसे अधिकारी लोग नामजद करें. भारत की ओर से वाइसराय बधाई देते हैं, भारत का प्रतिनिधित्व अधिकारियों ही के हाथ में है. फिर क्रिकेट के क्षेत्र में क्यों न निर्वाचन अधिकार उनके हाथ में रहे.’
संपत्तिशाली वर्ग, राजे-महाराजों द्वारा क्रिकेट में दिखाई जा रही रुचि का कारण भी प्रेमचंद बख़ूबी समझते थे. वे लिखते हैं : ‘सुना है वाइसराय साहब को क्रिकेट से बड़ा प्रेम है. जवानी में अच्छे क्रिकेटर थे. अब खेल तो नहीं सकते मगर आंखों से देख तो सकते हैं. और जिस चीज में हुज़ूर वाइसराय को दिलचस्पी हो उसमें हमारे राजों, महाराजों, नवाबों और धनवानों को नशा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं.’ उसी दौरान बनारस में हुए एक क्रिकेट मैच में पांच हजार दर्शक जमा हुए थे, जिनसे टिकट के रूप में पच्चीस हजार रुपए वसूले गए थे. इस पर टिप्पणी करते हुए प्रेमचंद ने लिखा कि ‘कम-से-कम पच्चीस हजार रुपए केवल टिकटों से वसूल हुए और दिया किसने, उन्हीं बाबुओं और अमीरों ने जिनसे शायद किसी राष्ट्रीय काम के लिए कौड़ी न मिल सके.’
उल्लेखनीय है कि प्रेमचंद ने अपनी साहित्यिक कृतियों में भी क्रिकेट के बारे में लिखा है. उपन्यास ‘वरदान’ में प्रेमचंद ने अलीगढ़ और प्रयाग के छात्रों के बीच हुए क्रिकेट मैच का जीवंत वर्णन किया है. ‘वरदान’ का एक अहम किरदार प्रतापचंद्र हरफ़नमौला क्रिकेटर है. अलीगढ़ की टीम द्वारा रनों का अंबार खड़ा किए जाने के बाद प्रयाग की टीम प्रतापचंद्र की बल्लेबाजी पर पूरी तरह निर्भर हो जाती है.
प्रेमचंद ने ‘वरदान’ में उल्लिखित इस मैच में प्रतापचंद्र की बल्लेबाजी का जो रोमांचक वर्णन किया है, उसे पढ़ें : ‘तीसरा गेंद आया. एक पड़ाके की ध्वनि हुई और गेंद लू की भांति गगन भेदन करता हुआ हिट पर खड़े होने वाले खिलाड़ी से सौ गज आगे गिरा. लोगों ने तालियां बजाईं. सूखे धान में पानी पड़ा. जाने वाले ठिठक गए. निराशों को आशा बंधी. चौथा गेंद आया और पहिले गेंद से 10 गज आगे गिरा. फील्डर चौंके, हिट पर मदद पहुंचाई. पांचवां गेंद आया और कट पर गया. इतने में ओवर हुआ. बॉलर बदले, नए बॉलर पूरे वधिक थे. घातक गेंद फेंकते थे. पर उनके पहिले ही गेंद को प्रताप ने आकाश में भेजकर सूर्य से स्पर्श करा दिया. फिर तो गेंद और उसकी थापी में मैत्री-सी हो गई. गेंद आता और थापी से पार्श्व ग्रहण करके कभी पूर्व का मार्ग लेता, कभी पश्चिम का, कभी उत्तर का और कभी दक्षिण का. दौड़ते-दौड़ते फील्डरों की सांसें फूल गईं.’
इसी तरह प्रेमचंद ने क्रिकेट पर एक कहानी भी लिखी थी, जिसका शीर्षक ही है ‘क्रिकेट मैच’. यह कहानी प्रेमचंद के निधन के बाद कानपुर से छपने वाले उर्दू पत्र ‘ज़माना’ में जुलाई 1937 में छपी थी. डायरी शैली में लिखी गई यह कहानी जनवरी 1935 से शुरू होती है. इस कहानी के मुख्य पात्र हैं भारतीय क्रिकेटर जफर और इंग्लैंड से डॉक्टरी की पढ़ाई कर भारत लौटी हेलेन मुखर्जी. जफर को भारतीय टीम के मैच हारने का दुख है और वह इसका कारण भी जानता है – चयनकर्ताओं की मनमानी. जफर अपनी डायरी में दर्ज करता है ‘हमारी टीम दुश्मनों से कहीं ज़्यादा मजबूत थी मगर हमें हार हुई और वे लोग जीत का डंका बजाते हुए ट्रॉफी उड़ा ले गए. क्यों? सिर्फ़ इसलिए कि हमारे यहां नेतृत्व के लिए योग्यता शर्त नहीं. हम नेतृत्व के लिए धन-दौलत ज़रूरी समझते हैं. हिज़ हाइनेस कप्तान चुने गए, क्रिकेट बोर्ड का फैसला सबको मानना पड़ा.’
इस कहानी में प्रेमचंद ने औपनिवेशिक काल में भारतीय क्रिकेट की दशा को बिलकुल स्पष्टता से अभिव्यक्त कर दिया है. यह वह समय था, जब योग्य क्रिकेटरों की उपेक्षा होती थी और राजा-महाराजा अपनी अयोग्यता के बावजूद क्रिकेट टीम का नेतृत्व करते थे. ऐसी ही हालत में जफर की मुलाक़ात हेलेन मुखर्जी से होती है, जो योग्यता और कौशल के आधार पर हिंदुस्तानी क्रिकेटरों की एक टीम बनाना चाहती है. जफर के साथ मिलकर हेलेन लखनऊ, अलीगढ़, दिल्ली, लाहौर और अजमेर से खिलाड़ियों को चुनती है और एक क्रिकेट टीम तैयार करती है. कहानी में यह क्रिकेट टीम जफर के नेतृत्व में बंबई में आस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम से एक मैच खेलती है और उसे पराजित भी करती है.(satyagrah)
भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 55,079 मामले सामने आए हैं और 779 मौतें हुई हैं। कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 16,38,871 हो गई है, जिसमें 5,45,318 सक्रिय मामले, 10,57,806 ठीक / डिस्चार्ज और 35,747 मौतें शामिल हैं: स्वास्थ्य मंत्रालय
इटली पीछे
कैच ब्यूरो
भारत में अब तक के सबसे ज्यादा 54,900 नए कोरोना वायरस मामले दर्ज किये गए हैं. देश में अब कुल मामलों की संख्या 1,639,350 तक पहुंच गई है. 48 घंटों में भारत में 100,000 से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं. देश में अब मरने वालों की कुल संख्या अब 35,786 हो गई है. कोरोना वायरस मौतों के मामले में भारत ने इटली को भी पीछे छोड़ दिया है. भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में 11,147 नए दिवसीय मामलों के बाद कुल संख्या अब 4,11,798 हो गई है.
दुनियाभर में पिछले 24 घंटों में 277,972 नए मामले दर्ज किए गए हैं. दुनिया भर में कुल 17,454,129 लोगों कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है जबकि 675,764 की मौत हो चुकी है. भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में हर्ड इम्युनिटी एक रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा ''टीकाकरण के माध्यम से ही प्रतिरक्षा हासिल की जा सकती है और तब हमें बचाव के माध्यमों का सहारा लेना चाहिए.
गुरुवार को 786 मौतें दर्ज होने के साथ भारत में मरने वालों की संख्या 35,800 तक पहुंच गई. गुरुवार को महाराष्ट्र (266 मौतें), तमिलनाडु (100), कर्नाटक (83), आंध्र प्रदेश (68) और उत्तर प्रदेश (57) मौतें दर्ज की गई.स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा ''24 घंटे में 6 लाख से ज़्यादा टेस्ट किए गए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने महामारी से निपटने के लिए व्यापक परीक्षण, ट्रैकिंग और उपचार की रणनीति को लागू करना जारी रखा है. इसका उद्देश्य मध्यम अवधि में प्रति दिन 10 लाख टेस्ट करना है.''
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जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार अमेरिका में दुनिया की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, जहां 4,634,985 मामलों के साथ 155,285 मौतें हुई हैं. भारत अब दुनिया में पांचवां सबसे ज्यादा मौतों वाला देश है. भारत ने इटली को पीछे छोड़ दिया है, जहां 35,132 मौतें हैं. ब्राज़ील में 2,613,789 मामले और 91,377 मौतें हुई हैं. भारत में वर्तमान में मृत्यु दर 2.18 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे कम है. गुरुवार को देश भर में 54,660 पुष्ट मामले दर्ज किए गए.(catch)
कोरोना से उपजे आर्थिक संकट में बदहाली
आईएएनएस
कोरोना महामारी में मौजूदा संकट के दौरान आर्थिक तंगी की वजह से 21 फीसदी परिवार अपने बच्चों को बाल मजदूरी में झोंकने को मजबूर हैं। यह बात नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में लॉकडाउन के बाद बच्चों की तस्करी बढ़ने की भी आशंका जताई गई है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) की एक स्टडी रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान कुछ राज्यों में श्रम कानूनों के कमजोर पड़ने की समीक्षा की जानी चाहिए और उन्हें तत्काल रद्द कर दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में तर्क पेश किया गया है कि श्रम कानूनों के कमजोर पड़ने से बच्चों की सुरक्षा प्रभावित होगी, जिससे बाल श्रम में वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कोरोना महामारी की वजह से उपजे आर्थिक संकट की वजह से 21 फीसदी परिवार आर्थिक तंगी में आकर अपने बच्चों को बाल श्रम करवाने को मजबूर हैं। केएससीएफ की यह स्टडी रिपोर्ट भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट और मजदूरों के पलायन आदि से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर तैयार की गई है।
'स्टडी ऑन इम्पैक्ट ऑफ लॉकडाउन एंड इकोनॉमिक डिस्रप्शन ऑन लो-इनकम हाउसहोल्डस विद स्पेशल रेफरेंस टू चिल्ड्रेन' के नाम से केएससीएफ की यह स्टडी रिपोर्ट र्दुव्यापार (ट्रैफिकिंग) प्रभावित राज्यों के 50 से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं और 250 परिवारों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है।
रिपोर्ट में 89 फीसदी से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने सर्वे में यह आशंका जाहिर की है कि लॉकडाउन के बाद श्रम के उद्देश्य से वयस्कों और बच्चों, दोनों के र्दुव्यापार की अधिक संभावना है। जबकि 76 प्रतिशत से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने लॉकडाउन के बाद वेश्यावृत्ति आदि की आशंका से मानव तस्करी बढ़ने की आशंका जाहिर की है और यौन शोषण की आशंका से बाल तस्करी बढ़ने की आशंका जताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे र्दुव्यापार यानी तस्करी के स्रोत क्षेत्रों में दलालों के खतरों और उनके तौर-तरीकों से लोगों को जागरुक करने के लिए सघन अभियान चलाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि केएससीएफ द्वारा बच्चों को शोषण मुक्त बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानव र्दुव्यापार विरोधी दिवस 30 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर 'जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड'अभियान की शुरुआत की जा रही है। इस दिन '100 मिलियन फॉर 100 मिलियन' नामक कैम्पेन के माध्यम से तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और भारत में सभी बच्चों को 12वीं तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मांग की जाएगी।(navjivan)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आगे देखने का समय
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की नजरबंदी मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने उनकी सशर्त रिहाई पर सहमति जताई है। वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल कयूम की रिहाई के लिए शर्त रखी गई है कि वह छूटने के बाद धारा 370 पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे, दिल्ली में ही रहेंगे और सात अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे।
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने इस दौरान कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि यह भविष्य के लिए रास्ता बनाने का समय है। यह भविष्य की ओर देखने का समय है। अतीत में न रहें, आगे देखें। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की बहुत बड़ी संभावना है, जो अप्रयुक्त है।
इसस पहले केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि वह कयूम की नजरबंदी को आगे नहीं बढ़ाने के लिए सहमत हैं। मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें तुरंत रिहा कर दिया जाएगा। मेहता ने शीर्ष अदालत के सुझावों को स्वीकार कर लिया कि कयूम दिल्ली में ही रहेंगे और सात अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे। साथ ही वह धारा 370 पर कोई बयान भी नहीं देंगे।
बता दें कि पिछले साल पांच अगस्त को धारा 370 को निरस्त कर दिया गया था। उसके फौरन बाद अगस्त 2019 में ही कयूम को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में ले लिया गया था। तब से वह नजरबंदी में हैं। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने उनकी कथित अलगाववादी विचारधारा का हवाला देते हुए उनकी नजरबंदी को बरकरार रखा था।
अब्दुल कयूम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गुरुवार को उनकी रिहाई के लिए शीर्ष अदालत से आग्रह किया था, ताकि वह अपने परिवार के पास जा सकें। दवे की दलील थी कि वह 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और हृदय की बीमारियों से पीड़ित हैं। दवे ने सरकार के इस शर्त को भी स्वीकार कर लिया कि उनके मुवक्किल रिहाई के बाद धारा 370 पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे।
दोनों पक्षों में सहमति के बाद कयूम की रिहाई का रास्ता साफ हो गया और पीठ ने इसके बाद मेहता और दवे दोनों के प्रयासों की सराहना की, जो बिना किसी प्रतिकूल स्थिति के इस मामले को हल करने में सक्षम रहे।(navjivan)
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
-प्रशांत चाहल
बीबीसी संवाददाता
प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक ने दो हज़ार 892 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज़ नहीं चुकाने पर अनिल अंबानी समूह के मुख्यालय को अपने कब्ज़े में ले लिया है.
साथ ही बैंक ने अख़बार में नोटिस जारी कर यह बताया कि अनिल अंबानी की कंपनी 'रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर' के कर्ज़ का भुगतान नहीं करने के कारण दक्षिण मुंबई स्थित उनके दो फ्लैट भी कब्ज़े में लिए गए हैं.
अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) की लगभग सभी कंपनियाँ मुंबई के सांताक्रूज़ कार्यालय 'रिलायंस सेंटर' से चलती हैं. हालांकि, पिछले कुछ साल के दौरान समूह की कंपनियों की वित्तीय स्थिति काफ़ी ख़राब हो गई है. कुछ कंपनियाँ दिवालिया हो गई हैं, जबकि कुछ को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी है.
यस बैंक के अनुसार अनिल अंबानी को 6 मई 2020 को नोटिस दिया गया था, लेकिन 60 दिन के नोटिस के बावजूद समूह बकाया नहीं चुका पाया जिसके बाद 22 जुलाई को उसने तीनों संपत्तियों को कब्ज़े में ले लिया.
बैंक ने आम जनता को भी आगाह किया है कि वो इन संपत्तियों को लेकर किसी तरह का लेनदेन ना करे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अनिल अंबानी की कंपनी 21,432 वर्ग मीटर में बने अपने इस मुख्यालय को पिछले साल पट्टे पर देना चाहती थी ताकि वो कर्ज़ चुकाने के लिए संसाधन जुटा सके.
सोशल मीडिया पर बहुत से लोग इस ख़बर को भारत के रफ़ाल सौदे और इसमें अनिल अंबानी की कंपनी की भूमिका से जोड़कर देख रहे हैं.
पारिवारिक बँटवारे के बाद अनिल अंबानी का कोई भी धंधा पनप नहीं पाया, उनके ऊपर भारी कर्ज़ है, अब वे कुछ नया शुरू करने की हालत में नहीं हैं, वे अपने ज़्यादातर कारोबार या तो बेच रहे हैं या फिर समेट रहे हैं, रफ़ाल के रूप में उन्हें जो नया ठेका मिला, वो भी कई वजहों से विवादों में घिरा रहा और अब यस बैंक के रूप में ये नई समस्या आई.
ग़ौरतलब है कि रफ़ाल को बनाने वाली फ़्रांसीसी कंपनी डसॉ एविएशन ने अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड को अपना ऑफ़सेट पार्टनर बनाया है जिसे लेकर सवाल उठते रहे हैं. विपक्ष सवाल उठाता रहा है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की जगह पर अंबानी की दिवालिया कंपनी के साथ 30,000 करोड़ रुपए का क़रार क्यों किया गया.
ऐसे में इस 'डिफ़ेंस डील से जुड़े वायदे' निभा पाना अनिल अंबानी के लिए कितना आसान होगा?
इस पर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी कहते हैं कि 'ये सवाल पहले भी उठा है जो अब और गंभीर होता जा रहा है.'
उन्होंने कहा, "लंदन की एक अदालत में अनिल अंबानी का ये कहना कि उनके पास देने को अब कुछ नहीं है, अपने आप में यह सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है कि अनिल को भारत के इस महत्वपूर्ण रक्षा सौदे में साझेदार क्यों होना चाहिए? वैसे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, दिवालिया हो चुके लोगों के कई तरह की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई जाती है."
डिफ़ेंस क्षेत्र में लगभग ना के बराबर अनुभव वाली अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस के इस रक्षा सौदे में शामिल होने पर भी काफ़ी हंगामा हुआ था. विपक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि 'ये भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला सौदा है.'
आलोक जोशी कहते हैं, "पहले बात सिर्फ़ अंबानी की कंपनी के तजुर्बे तक थी, जिस पर भारत सरकार ने कहा कि फ़्रांसीसी डिफ़ेंस कंपनी 'डसॉ एविएशन' ने सिर्फ़ अंबानी को नहीं चुना, बल्कि उसने भारत की कई और कंपनियों को भी पार्टनर बनाया है. जबकि अंबानी की कंपनी यह दावा करती है कि 'वो इस सौदे में असली निर्णायक साझेदार है.' इस पूरे बिज़नेस में भारत सरकार की क्या भूमिका है, इस पर टीम-मोदी कुछ नहीं बोलती. सवाल पूछे जाने पर इसे 'एक पवित्र मुद्दा' बताया जाता है और कहा जाता है कि 'देश की रक्षा से जुड़े मामले पर कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया जायेगा.' फिर सवाल उठता है कि 'अगर ये वाक़ई इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है' तो क्यों ऐसी डूबती हुए कंपनी को साथ लिया जा रहा है."
भारत के लिए रफ़ाल क्यों है इतना ज़रूरी?
आलोक जोशी इस बात पर हैरानी व्यक्त करते हैं कि जब पीएम मोदी सफ़र करते हैं तो कुछ व्यापारी उनके साथ जाते हैं, वो वहाँ होने वाले इवेंट्स में दिखते हैं, उनमें जिंदल, अडानी और अंबानी भी होते हैं, फिर सरकार यह भी कहती है कि ऐसे सौदों में उनका कोई मत नहीं रहा.
पिछले दो वर्षों में विपक्ष ने इस बात को भी ख़ूब उठाया कि 'डिफ़ेंस के मामले में अंबानी की 'अनाड़ी कंपनी' को एचएएल से ज़्यादा तरजीह क्यों दी गई?'
आलोक जोशी बताते हैं, "अंबानी की जिस बिल्डिंग को यस बैंक ने कब्ज़े में लिया है, वो जगह असल में बिजली सप्लायर बीएसईएस की थी. अंबानी ने इस जगह को उनसे ख़रीदा था. मुंबई में बेस्ट और टाटा के अलावा रिलायंस पावर बिजली सप्लाई करते थे जिसे अब अडानी ख़रीद चुके हैं. ये उद्योगपति वही हैं जो सरकार के साथ दिखाई पड़ते हैं. इन्हीं के बीच सौदे होते रहते हैं. तो ये कह पाना कि अंदर-खाने क्या हो रहा है, थोड़ा मुश्किल है. पर रफ़ाल के मामले में कल को सरकार के सामने दोबारा सवाल उठते हैं तो वो कह सकती है कि अंबानी मुसीबत में हैं तो डसॉ एविएशन इसकी चिंता करे या अंबानी वो सौदा किसी अन्य को बेच दें."
कभी अनिल अंबानी की मुकेश से ज़्यादा शोहरत थी
मुकेश और अनिल अंबानी में बँटवारे के दो साल बाद तक, यानी वर्ष 2007 की फ़ोर्ब्स लिस्ट में भी दोनों भाई 'मालदारों की लिस्ट' में काफ़ी ऊपर थे.
बड़े भाई मुकेश, अनिल अंबानी से थोड़े ज़्यादा अमीर थे. उस साल की सूची के मुताबिक़ अनिल अंबानी 45 अरब डॉलर के मालिक थे, और मुकेश 49 अरब डॉलर के.
साल 2008 में कई लोगों का मानना था कि 'छोटा भाई अपने बड़े भाई से आगे निकल जाएगा', ख़ासतौर पर रिलायंस पावर के पब्लिक इश्यू के आने से पहले.
माना जा रहा था कि 'उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना के एक शेयर की क़ीमत एक हज़ार रुपये तक पहुँच सकती है.' अगर ऐसा हुआ होता तो अनिल वाक़ई मुकेश से आगे निकल जाते.
एक दशक पहले अनिल अंबानी सबसे अमीर भारतीय बनने के कगार पर थे. उनके तब के कारोबार और नए वेंचरों (उद्यमों) के बारे में कहा जा रहा था कि 'वे सारे धंधे आगे बढ़ा रहे हैं और अनिल उनका पूरा फ़ायदा उठाने के लिए तैयार हैं.'
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ मानते रहे कि 'अनिल के पास दूरदर्शिता और जोश है, वे 21वीं सदी के उद्यमी हैं और उनके नेतृत्व में भारत से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी उभरेगी.' ज़्यादातर लोगों को ऐसा लगता था कि अनिल अपने आलोचकों और बड़े भाई को ग़लत साबित करने जा रहे हैं. मगर ऐसा नहीं हो सका.
जब धीरूभाई जीवित थे तो अनिल अंबानी को वित्त बाज़ार का स्मार्ट खिलाड़ी माना जाता था, उन्हें मार्केट वैल्यूएशन की आर्ट और साइंस दोनों का माहिर माना जाता था. उस दौर में बड़े भाई के मुकाबले उनकी शोहरत ज़्यादा थी.
क़र्ज़ का बढ़ता बोझ
साल 2002 में अनिल अंबानी के पिता, धीरू भाई अंबानी का निधन हुआ. उनके वक़्त में कंपनी के तेज़ गति से बढ़ने के चार अहम कारण थे- बड़ी परियोजनाओं का सफल प्रबंधन, सरकारों के साथ अच्छा तालमेल, मीडिया का प्रबंधन और निवेशकों की उम्मीदों को पूरा करना.
इन चार चीज़ों पर पूरा नियंत्रण करके कंपनी धीरू भाई के ज़माने में और उसके कुछ समय बाद भी तेज़ी से आगे बढ़ती रही. मुकेश अंबानी ने इन चारों बातों को ध्यान में रखा, लेकिन किसी ना किसी वजह से अनिल फिसलते चले गए.
1980 और 1990 के बीच धीरू भाई रिलायंस ग्रुप के लिए बाज़ार से लगातार पैसा उठाते रहे, उनके शेयर की कीमतें हमेशा अच्छी रही और निवेशकों का भरोसा लगातार बना रहा.
मुकेश अंबानी ने मुनाफ़े से पिछले दशक में धुंधाधार तरीक़े से विस्तार किया. दूसरी ओर, साल 2010 में गैस वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला अनिल अंबानी के पक्ष में ना आने और रिलायंस पावर के शेयर्स के भाव गिरने से अनिल की राह मुश्किल होती गई.
ऐसी हालत में अनिल अंबानी के पास देसी और विदेशी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से कर्ज़ लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह गया.
बीते एक दशक में जहाँ बड़ा भाई कारोबार में आगे बढ़ता गया, छोटे भाई की कंपनियों पर कर्ज़ चढ़ता गया. फ़ोर्ब्स के अनुसार बीते क़रीब दस वर्षों से मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर आदमी हैं.
'अनिल अंबानी का डूबना कोई मामूली दुर्घटना नहीं'
आज हालत ये है कि उनकी कुछ कंपनियों ने दिवालिया घोषित किये जाने की अर्ज़ी लगा रखी है.
कभी 'दुनिया के छठे सबसे अमीर आदमी' रहे 61 वर्षीय अनिल अंबानी ने इसी साल फ़रवरी में कहा कि 'उनका नेट वर्थ शून्य हो गया है.'
आर्थिक मामलों के विश्लेषक मानते हैं कि कुछ समय पहले तक शक्तिशाली और राजनीतिक दलों से संबंध रखने वाले कॉर्पोरेट घराने भारी कर्ज़ होने पर भी भुगतान के लिए थोड़े मोहलत ले लेते थे, लेकिन एनपीए अब एक राजनीतिक मामला बन चुका है. बैंकों की हालत वाक़ई बुरी है. साथ ही कानूनों में भी बदलाव आया है.
अब देनदार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के ज़रिए कंपनियों को इन्सॉल्वेंट घोषित कराके लेनदार को रकम चुकता करने के लिए अदालत में घसीट सकते हैं. यही वजह है कि अनिल अंबानी के पास अपनी कंपनियों को बेचने या दिवालिया घोषित करने के सिवा कोई और विकल्प नहीं रह गया है.
रिलायंस घराने पर मशहूर क़िताब 'अंबानी वर्सेज़ अंबानी: स्टॉर्म्स इन द सी विंड' लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार आलम श्रीनिवास कहते हैं, "एक दौर था जब दोनों भाइयों में ये साबित करने की होड़ थी कि धीरूभाई के सच्चे वारिस वही हैं. पर अब ये होड़ ख़त्म हो गई है और अनिल अपने बड़े भाई मुकेश से बहुत पीछे रह गए हैं. अनिल अंबानी अगर चमत्कारिक ढंग से नहीं उबरे तो दुर्भाग्यवश उन्हें भारत के कारोबारी इतिहास के सबसे नाकाम लोगों में गिना जाएगा क्योंकि सिर्फ़ एक दशक में 45 अरब डॉलर की दौलत का डूब जाना कोई मामूली दुर्घटना नहीं है."
वे कहते हैं, "बँटवारे की लड़ाई में दोनों भाइयों ने एक-दूसरे पर हर तरह के हमले किए, सरकार और मीडिया में कुछ समय तक दो खेमे हो गए, लेकिन धीरे-धीरे मुकेश अंबानी ने मीडिया शासन तंत्र से जुड़े लोगों को अपने पक्ष में कर लिया. इस लड़ाई में अनिल अंबानी ने कुछ नए दोस्त बनाए और कुछ दुश्मन भी. कुल मिलाकर, ज़्यादातर प्रभावशाली नेताओं, अफ़सरों और संपादकों ने अनिल के मुक़ाबले ज़्यादा सौम्य और शांत मुकेश का साथ देने का फ़ैसला किया और 'एक्सटर्नल एलीमेंट' यानी अपने नियंत्रण से बाहर की चीज़ों को प्रभावित करने का जो काम बँटवारे से पहले अनिल किया करते थे, वे उसमें कुछ ख़ास कामयाब साबित नहीं हुए."(bbc)
अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र अध्यक्ष पहली बार स्वीकार किया
बीजिंग, 30 जुलाई (आईएएनएस)| अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र के अध्यक्ष रॉबर्ट रेडफील्ड ने एबीसी के साथ इंटरव्यू में पहली बार यह स्वीकार किया कि ट्रम्प सरकार यूरोप से नए कोरोना वायरस के खतरे को पहचानने में धीमी रही है, जिससे अमेरिका में व्यापक प्रकोप फैला। उन्होंने कहा कि अमेरिका की समस्या का एहसास होने से पहले ही यूरोप में नया कोरोनोवायरस अमेरिका में फैल गया था। यह स्थिति अमेरिका में कोविड-19 महामारी फैलने का मुख्य कारक है।
अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र द्वारा हाल ही में जारी एक विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने इस साल 13 मार्च को यूरोपीय देशों में यात्रा प्रतिबंधों को लागू करना शुरू कर दिया था, लेकिन 8 मार्च तक न्यूयॉर्क राज्य में कई समुदायों में नया कोरोना वायरस फैल गया था। 15 मार्च तक, वाशिंगटन राज्य सहित अमेरिका भर में कई समुदायों में नया कोरोना वायरस फैलना शुरू हो गया था।
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अप्रैल की शुरूआत में, सीएनएन ने कहा था कि दो स्वतंत्र अनुसंधान रिपोर्टों के अनुसार, न्यूयॉर्क में पहली बार फैलने वाला नया कोरोना वायरस यूरोप या अमेरिका के अन्य हिस्सों से आया हो, एशिया से नहीं। लेकिन इस स्थिति में, ट्रम्प सरकार यूरोपीय देशों के यात्रियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने के लिए प्रारंभिक उपाय करने में विफल रहा।
इटंरव्यू में रॉबर्ट रेडफील्ड ने यह भी स्वीकार किया कि संघीय सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा महामारी का मुकाबला किये जाने के दौरान कई समस्याएं हुईं और उन्होंने कई गलतियां की हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में संक्रमण से बचाव के लिए मास्क पहनना सबसे अच्छा तरीका है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| स्मार्टफोन निर्माता वीवो ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने बेंगलुरु स्थित आईटी स्टार्ट-अप अकुली लैब्स के साथ साझेदारी में कोविड-19 संक्रमण का तेजी से पता लगाने और इसके जोखिमों के बारे में जानकारी के लिए एक मोबाइल एप विकसित किया है। वीवो के कैमरा का उपयोग करके अकुली लैब्स ने 'लयफस' नामक एक एप्लिकेशन बनाने में प्रभावी रूप से काम किया है, जो एक कोरोना के लक्षणों वाले व्यक्ति के जोखिम मूल्यांकन में मदद कर सकती है।
अकुली लैब्स के संस्थापक सीईओ रूपम दास ने एक बयान में कहा, "हम वीवो इंडिया के आभारी हैं कि उन्होंने हमारे पायलट चरण के दौरान अपने स्मार्टफोन वीवो वाई 11 और वाई 91 मुहैया कराए, जिसने इस एप को बनाने में हमारी मदद की।"
यह तकनीक शारीरिक संकेतों को पकड़ने के लिए वीवो स्मार्टफोन प्रोसेसर और सेंसर की शक्ति का उपयोग करती है, जो कोविड-19 की तीव्रता का पता लगाता है।
कोविड-19 ने दुनियाभर में तकनीकी नवाचार (इनोवेशन) की सीमाओं को विस्तारित किया है, क्योंकि हर कोई इस महामारी से निजात पाना चाहता है और अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहा है।
वीवो इंडिया में ब्रांड रणनीति के निदेशक निपुण मेरी ने आने वाले समय में कोरोना महामारी के बीच इस एप के सहायक होने का भरोसा जताया है।
बीजिंग, 30 जुलाई (आईएएनएस)| प्रकृति सूक्ष्मजीवविज्ञान पत्रिका ने ऑनलाइन कोविड-19 के स्रोत के बारे में एक अंतरराष्ट्रीय दल के अनुसंधान का परिणाम जारी किया। इस अध्ययन से पता चला है कि नोवेल कोरोना वायरस 40 से 70 साल पहले के वायरस से परिवर्तित हुआ है। वास्तव में इस तरह का वायरस चमगादड़ में कई दशकों से फैल चुके थे। अध्ययनकर्ताओं के विचार में वायरस के स्रोत का पता लगाना महामारी के नियंत्रण के लिए नाजुक है। अध्ययनकर्ताओं ने अनुसंधान में पाया गया है कि चमगादड़ इन वायरसों का मुख्य माध्यम है। इस अध्ययन दल के सदस्य अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, ब्रिटिश एडिनबर्ग युनिवर्सिटी, हांगकांग विश्वविद्यालय से आये हैं।
वहीं, बीबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इस अध्ययन के परिणाम से ऐसे कथन निराधार बन गये हैं, जैसे वायरस लैब से निकला है या फिर इसे बनाया गया है।
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देखें आज किस-किस इलाके में निकले कोरोना पॉजिटिव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जुलाई। रायपुर जिले में आज मिले कोरोना पॉजिटिव लोगों की लिस्ट में 92 नाम हैं, लेकिन इसमें बड़ी संख्या में पुलिसवाले भी पॉजिटिव मिले हैं। करीब 15 पुलिसवाले एक साथ कतार से कोरोनाग्रस्त पाए गए हैं। इनके अलावा भी लिस्ट में कई और सिपाही पॉजिटिव हैं।
आज मिले कोरोना पॉजिटिव में सुंदरनगर, टाटीबंध, आमानाका, एकता नगर-गुढिय़ारी, आजाद चौक, कुकुरबेड़ा-आमानाका, लाखेनगर, मंगलबाजार, अटल नगर, एम्स (नर्स), ईश्वर नगर, पुलिस लाईन, कटोरा तालाब, काठाडीह, गायत्री नगर, हर्षित विहार, श्रीराम लोट्स कॉलोनी, गोल्डन स्काई, भनपुरी, टैगोरनगर, पीजी हॉस्टल मेकाहारा, हीरापुर, पहाड़ी चौक गुढिय़ारी, चंदनीडीह-टाटीबंध, कुशालपुर, कैलाशपुरी, खमतराई, कृष्ण नगर, डीके हॉस्टिपल (डॉक्टर), नेहरू नगर, शीतला पारा-रामनगर, रामकुंड, रोहिणीपुरम, मठपुरैना, महामाया पारा, बैजनाथ पारा, जिला अस्पताल के पीछे, कैलाश नगर। जो पुलिसवाले पॉजिटिव मिले हैं उनमें से अधिकतर पुलिस लाईन के हैं।
कल 132 पॉजिटिव निकले थे जिसमें बड़ी संख्या में शदाणी दरबार के लोग थे, और कल भी पुलिस लाईन के, सेंट्रल जेल के कई लोग कोरोनाग्रस्त मिले थे।
सोनीपत (हरियाणा), 30 जुलाई (आईएएनएस)| ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) ने गुरुवार को कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के 10 प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अनुबद्ध प्रोफेसरों और कानूनी प्रैक्टिस के प्रतिष्ठित प्रोफेसरों के रूप में नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता लीड (एलईएडी) कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो कि वकालत की पढ़ाई को विकसित करने और कानून की उत्कृष्टता के लिए संस्थान द्वारा शुरू की गई एक नई पहल है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिष्ठित कानूनी विशेषज्ञों के नेतृत्व में शिक्षा प्रदान करते हुए उत्कृष्ट कानून के छात्रों को प्रेरित करना है, जो उन्हें बार और बेंच में शामिल होने के ²ष्टिकोण के साथ मुकदमेबाजी पर विशेष ध्यान देने में सहायक है। इस कार्यक्रम के जरिए छात्रों को कानूनी पेशे की बारीकियों को समझने में मदद मिलेगी।
लीड कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं में गौराब बनर्जी, सिद्धार्थ लूथरा, गौरव पचनंदा, मोहन परासरन, साजन पूवय्या, रितिन राय, सूरत सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी, पराग त्रिपाठी और आर वेंकटरमणि शामिल हैं।
ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति और ओ. पी. जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के डीन सी. राजकुमार ने कहा, "लीड कार्यक्रम का उद्देश्य कानूनी पेशे के कुछ सबसे उत्कृष्ट सदस्यों की पहचान करना है, जो कानून के वरिष्ठ छात्रों को शिक्षित करने और उन्हें प्रेरित करने के उद्देश्य से एक कोर्स पढ़ा सकें।"
प्रत्येक मानद सहायक प्रोफेसर कानून और कानूनी अभ्यास के एक उन्नत क्षेत्र पर 1-क्रेडिट पाठ्यक्रम सिखाएगा। पाठ्यक्रम पांच सितंबर से शुरू होगा, जो कि आठ सप्ताह तक चलेगा।
छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल प्रथम बटालियन भिलाई के बैंड की 1 अगस्त को प्रस्तुति
रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वतन्त्रता दिवस महोत्सव का आयोजन
रायपुर, 30 जुलाई। राजधानी रायपुर 1 अगस्त को देशभक्ति की धुनों से गूंज उठेगी। पुलिस लाईन ग्राउंड में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की प्रथम बटालियन भिलाई के बैंड द्वारा देशभक्ति गीतों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए धुनों को बजाया जाएगा। नागरिक घर बैठे लाईव बैंड कन्सर्ट देख सकें इसके लिए कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शाम साढ़े चार से साढ़े छह बजे तक छत्तीसगढ़ दूरदर्शन के रायपुर केंद्र द्वारा किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सूचना प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से 1 अगस्त से 13 अगस्त तक स्वतन्त्रता दिवस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देशभर के 33 शहरों में सैन्य और पुलिस बल द्वारा लाईव बैंड कन्सर्ट की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। कार्यक्रम के आयोजन के लिए ऐतिहासिक और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए देशभर के विभिन्न स्थलों को चुना गया है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का बड़ा केंद्र रहा है। इसलिए रायपुर को लाईव बैंड कन्सर्ट के लिये चयनित किया गया है। पुलिस लाइन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बैंड द्वारा देशभक्ति की धुनों पर प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत ‘अरपा पैरी के धार’ की धुन बजाकर की जाएगी। इसके साथ ही ऐ मेरे वतन के लोगों, संदेशे आते हैं, ये देश है वीर जवानों का , ऐ मेरे प्यारे वतन जैसे देशभक्ति गीतों की धुनों पर प्रस्तुति दी जाएगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जुलाई। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रात 8.30 बजे तक 175 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें रायपुर जिले से 93, नांदगांव 21, दुर्ग 13, कोंडागांव 9, बिलासपुर 8, जांजगीर-चांपा, और बलौदाबाजार 4-4, कांकेर, नारायणपुर 3-3, मुंगेली, कोरिया, सूरजपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा 2-2, बेमेतरा, कबीरधाम, गरियाबंद, कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर, और जशपुर 1-1 मरीज मिले हैं।
रायपुर, 30 जुलाई। प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा सत्र 2019-20 के अंतिम वर्ष एवं अंतिम सेमेस्टर की सभी विषयों की परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी। इस संबंध में आज यहां राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है। इसके तहत यूजीसी द्वारा जारी निर्देश के पालन में विद्यार्थियों को प्रश्न प्रत्र ऑनलाइन (ई-मेल आदि) पर भेजने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय कोविड-19 की महामारी के संक्रमण को देखते हुए राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है।
निर्णय लिया गया है कि प्रश्नों के उत्तर घर पर ही लिखने की समय-सीमा के साथ उत्तर भेजने की अंतिम तिथि निर्धारित की जाए। निर्धारित अंतिम तिथि तक विद्यार्थियों को उत्तर पुस्तिका ऑनलाइन (निर्धारित ई-मेल आदि) अथवा परीक्षा केन्द्र पर स्पीड पोस्ट से पोस्ट करने का विकल्प दिया जाए। प्रेषित उत्तर पुस्तिका की पावती विद्यार्थी अपने पास सुरक्षित रखेंगे। किसी भी कारण से परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित अथवा जारी परीक्षाफल से असंतुष्ट विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का एक अतिरिक्त अवसर दिया जाए। (इसके लिए स्थितियां सामान्य होने पर विश्वविद्यालयों द्वारा विशेष परीक्षा के आयोजन की व्यवस्था की जाए।)
इसके तहत स्वाध्यायी विद्यार्थियों के लिए प्रथम, द्वितीय एवं अंतिम तीनों वर्ष की परीक्षाएं उपरोक्त पद्धति से आयोजित की जाएं। परीक्षा आयोजन के पूर्व सभी विद्यार्थियों के ई-मेल आदि की अधिकृत जानकारी संकलित कर ली जाए। परीक्षा आयोजन तिथि की सूचना पर्याप्त समय पूर्व दी जाए। व्यक्तिगत ई-मेल आदि के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों की वेबसाइट एवं स्थानीय समाचार पत्रों में सूचना जारी की जाए। प्रथमत: स्वशासी महाविद्यालयों में परीक्षा आयोजित की जाए तथा परीक्षा के आयोजन में कठिनाई हो तो उनका निराकरण करते हुए शेष महाविद्यालयों के लिए परीक्षा आयोजित की जाए। यथा संभव उपरोक्त परीक्षाओं का आयोजन माह सितम्बर 2020 तक पूर्ण किया जाए।
कोविड-19 के कारण विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया एवं क्लास रूम टीचिंग के बारे भी आवश्यक निर्णय लिया गया है। इसके तहत कक्षा 12वीं का स्टेट बोर्ड तथा सीबीएसई का परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका है। अतएव यू.जी. प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया एक अगस्त 2020 से प्रारंभ की जाए तथा अन्य कक्षाओं में प्रवेश पूर्ववर्ती कक्षाओं के परीक्षा परिणाम घोषित होने के पश्चात् 15 दिवस में पूर्ण किए जाएं। माह सितम्बर से चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन शिक्षण प्रारंभ करते हुए कोविड-19 के संक्रमण की स्थितियां सामान्य होने की स्थिति में क्लासरूम शिक्षण प्रारंभ करने पर विचार किया जाए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर 30 जुलाई। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डॉ. एस भारतीदासन ने आदेश जारी कर कहा है कि शुक्रवार और शनिवार को किराना दुकान सुबह 6 से 10 बजे तक खोली जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए नगर निगम रायपुर और बिरगांव में आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य गतिविधिया प्रतिबंधित किया गया है। आमजनों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 31 जुलाई और 1 अगस्त को लॉकडाउन के दौरान किराना दुकान सुबह 6 से 10 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई है। इस दौरान शासन द्वारा लॉकडाउन में निर्धारित नियमों का पालन सभी को करना अनिवार्य है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जुलाई। सरकार ने तीन अफसरों की नवीन पदस्थापना की है। इस कड़ी में प्रमुख सचिव डॉ मनिंदर कौर द्विवेदी को ग्रामोद्योग का प्रभार दिया गया है। उन्हें प्रमुख सचिव वाणिज्यकर (आबकारी एवं पंजीयन छोडक़र) का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। उन्हें यह प्रभार डॉ. एम. गीता और गौरव द्विवेदी के वर्तमान प्रभारों में से मिल रहा है।
पंचायत सचिव त्रिलोकचंद्र महावर को दुर्ग कमिश्नर बनाया गया है।
मोहम्मद कैसर अब्दुल हक को ऊर्जा विभाग से पंचायत विभाग में विशेष सचिव बनाया गया है और आयुक्त मनरेगा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जुलाई। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग में जिलों से पहुंचे आंकड़ों के मुताबिक शाम 7.30 बजे तक 153 कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इनमें सर्वाधिक 85 रायपुर जिले में, राजनांदगांव 18, दुर्ग 9, कोंडागांव 9, बलौदाबाजार 4, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कांकेर, नारायणपुर 3-3 मिले हैं। इनके अलावा मुंगेली, कोरिया, सूरजपुर बस्तर और दंतेवाड़ा में 2-2 पॉजिटिव मिले हैं। बेमेतरा, कबीरधाम, गरियाबंद, सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर में 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। अभी आंकड़ों का आना जारी है।
इसके पहले के समाचार में हमने दिया था-
केन्द्र सरकार की एक एजेंसी ने शाम 6.20 तक राज्य में शाम तक 95 पॉजिटिव मिलना बताया है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के जो आंकड़े बताए हैं उनमें, रायपुर जिले से 41, राजनांदगांव 14, दुर्ग 9, बिलासपुर और महासमुंद 6-6, जांजगीर-चांपा और कांकेर 5-5, नारायणपुर 3, और बलरामपुर, बेमेतरा, बीजापुर, गरियाबंद, जशपुर, कबीरधाम से 1-1 पॉजिटिव मिले हैं। राज्य में कुल 95 पॉजिटिव मिले हैं, लेकिन ये आंकड़े रात तक कम-ज्यादा होते रहते हैं क्योंकि आज पॉजिटिव मिले लोगों में से कुछ जांच नतीजे पुराने मरीजों के भी जुड़ जाते हैं जिनकी बारीकी से जांच राज्य सरकार करती है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने शाम 6.30 बजे तक 46 कोरोना पॉजिटिव बताए हैं जिनमें दुर्ग 7, बलौदाबाजार 4, बेमेतरा व कवर्धा 1-1, मरीज मिले हैं। एक मरीज की मृत्यु हुई है। यह मरीज अंबेडकर अस्पताल में भर्ती था और वह टिकरापारा का रहवासी था।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी/कुरुद, 30 जुलाई। आज नगरी क्षेत्र के बोराई थाना के बहीगांव व आमगांव वन के बीच 2 बाइक की आमने-सामने भिडं़त हो गई, जिसमें 3 की मौके पर मौत हो गई, 4 अन्य घायल हो गए। जिन्हें एंबुलेस से नगरी अस्पताल लाया गया।
बताया जा रहा है कि एक बाइक में 4 लोग सवार थे, जो नगरी से बोरई की ओर जा रहे थे। बाइक में अजय नेताम (45), मंगल नेताम (14) घायल हुए। बाइक चालक पुरूषोत्तम नेताम (30) के साथ लक्ष्मण नेताम (55) की मौत हो गई।
वहीं दूसरे बाईक में 3 लोग सवार थे, जो बहीगांव से आमगांव की ओर जा रहे थे। जिसमें कांशीराम यादव (32) और घनश्याम मरकाम (25) घायल हुए, जबकि बाइक चालक सुभाष मरकाम (32) की मौत हुई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जुलाई। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग में जिलों से पहुंचे आंकड़ों के मुताबिक शाम 7 बजे तक 153 कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इनमें सर्वाधिक 85 रायपुर जिले में, राजनांदगांव 18, दुर्ग 9, कोंडागांव 9, बलौदाबाजार 4, जांजगीर-चांपा, कांकेर, नारायणपुर 3-3 मिले हैं। इनके अलावा मुंगेली, कोरिया, सूरजपुर बस्तर और दंतेवाड़ा में 2-2 पॉजिटिव मिले हैं। बेमेतरा, कबीरधाम, गरियाबंद, सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर में 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। अभी आंकड़ों का आना जारी है।
इसके पहले के समाचार में हमने दिया था-
केन्द्र सरकार की एक एजेंसी ने शाम 6.20 तक राज्य में शाम तक 95 पॉजिटिव मिलना बताया है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के जो आंकड़े बताए हैं उनमें, रायपुर जिले से 41, राजनांदगांव 14, दुर्ग 9, बिलासपुर और महासमुंद 6-6, जांजगीर-चांपा और कांकेर 5-5, नारायणपुर 3, और बलरामपुर, बेमेतरा, बीजापुर, गरियाबंद, जशपुर, कबीरधाम से 1-1 पॉजिटिव मिले हैं। राज्य में कुल 95 पॉजिटिव मिले हैं, लेकिन ये आंकड़े रात तक कम-ज्यादा होते रहते हैं क्योंकि आज पॉजिटिव मिले लोगों में से कुछ जांच नतीजे पुराने मरीजों के भी जुड़ जाते हैं जिनकी बारीकी से जांच राज्य सरकार करती है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने शाम 6.30 बजे तक 46 कोरोना पॉजिटिव बताए हैं जिनमें दुर्ग 7, बलौदाबाजार 4, बेमेतरा व कवर्धा 1-1, मरीज मिले हैं। एक मरीज की मृत्यु हुई है। यह मरीज अंबेडकर अस्पताल में भर्ती था और वह टिकरापारा का रहवासी था।