अंतरराष्ट्रीय
ढाका, 18 मार्च : बांग्लादेश में हिंदुओं के एक गावं पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला किया है. ये हमला बांग्लादेश में एक मौलाना के खिलाफ पोस्ट से नाराज़ मुस्लिम लोगों ने किया है. हेफज़ात-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव मावलाना मुफ्ती मामुनुल हक ने बंग बंधु की मूर्ति का विरोध किया था. इसलिए मौलाना के खिलाफ पोस्ट लिखी गई थी.
हमला करने के साथ लूटपाट भी हुई
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, कि इस्लामी संगठन हेफाजत-ए-इस्लाम के समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने सुनामगन जिले के शल्ला अपजिला में हिंदू गांव पर हमला करने के साथ-साथ वहां लूटपाट भी की. इससे पहले मौलाना के खिलाफ पोस्ट को धार्मिक हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए क्षेत्र के हेफज़ात नेताओं ने मंगलवार रात को भी विरोध प्रदर्शन किया था.
पोस्ट लिखने वाला युवक गिरफ्तार
हालांकि तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद पोस्ट करने वाले युवक को पुलिस ने मंगलवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया था. बताया जा रहा है कि मौलाना के समर्थन में काशीपुर, नचनी, चांदीपुर और कुछ अन्य मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के लोग नोआगांव में इकट्ठे हुए और फिर हिंदुओं के घरों पर हमला कर दिया. इस हमले में 70 से 80 घरों को नुकसान पहुंचा है. वहीं, कई स्थानीय हिंदू खुद को बचाने के लिए मौके से भाग गए.
हज़रत-ए-इस्लाम ने पिछले साल सितंबर में बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान की 100वीं जयंती पर उनकी मूर्ति लगाने का विरोध किया था और मूर्ति को लेकर मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किए थे. इतना ही नहीं उनकी मूर्ति भी तोड़ दी गई थी. उस वक्त भी तनाव काफी बढ़ गया था. (abplive.com)
अमेरिका और रूस के रिश्ते एक बार फिर रसातल पर पहुंचते दिख रहे हैं. 2020 में अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल पर खुफिया रिपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति गरम हो गई है. ट्रंप की तुलना में बाइडेन अलग तेवर अपना रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए कीमत चुकानी होगी. बुधवार को प्रसारित इंटरव्यू में बाइडेन ने कहा कि पुतिन को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने की कोशिश के लिए खामियाजा भुगतना पड़ेगा. बाइडेन ने कहा, "उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी और आप बहुत जल्द इसे देखेंगे." दरअसल अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की ओर से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी.
बाइडेन का यह बयान नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के कार्यालय की रिपोर्ट के बाद आया है, जिसके मुताबिक पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डॉनल्ड ट्रंप के समर्थन में प्रचार अभियान चलाने में मदद का आदेश दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया में विश्वास कम करने की कोशिश की गई और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन की उम्मीदवारी को कमजोर करने का प्रयास किया गया.
"बाइडने बोले पुतिन हत्यारा"
बाइडेन ने कहा कि वह पुतिन को "अच्छी तरह से जानते हैं" और जनवरी में दोनों के बीच "लंबी बातचीत" हुई थी. यह पूछे जाने पर कि क्या वे पुतिन को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को जहर देने के लिए "हत्यारा" मानते हैं, बाइडेन ने कहा, "हां." बाइडेन की प्रतिक्रिया पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बिल्कुल अलग है, जिन्होंने 2017 में न केवल एक समान प्रश्न को टाल दिया, बल्कि अपनी गलतियों के लिए देश के इतिहास को दोषी ठहराया था. ट्रंप ने फॉक्स न्यूज में एक इंटरव्यू को कहा था, "बहुत सारे हत्यारे हैं, क्या आपको लगता है कि हमारा देश इतना निर्दोष है?"
रूस ने रिपोर्ट को निराधार बताया
बाइडेन की टिप्पणी के बाद रूस ने बुधवार को अपने अमेरिकी राजदूत को मॉस्को वापस "सलाह" के लिए बुला लिया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों को "बिल्कुल निराधार और अपुष्ट" कहा और आरोपों को मॉस्को के खिलाफ नए प्रतिबंधों को "सही ठहराने" का प्रयास बताया. बाइडेन ने कहा कि पुतिन पर उनके व्यक्तिगत विचारों के बावजूद वे "ऐसे क्षेत्र में एक साथ काम करना चाहते हैं जहां जो हमारे पारस्परिक हित में है. इसलिए मैंने शस्त्र नियंत्रण संधि को पुनर्जीवित किया. क्योंकि यह मानवता के हित में है."
हैकिंग और चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों पर वॉशिंगटन और मॉस्को के बीच हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है. यही नहीं अमेरिकी क्रेमलिन आलोचक एलेक्सी नावाल्नी को जेल से रिहा करने की मांग भी करता आया है.
एए/सीके (डीपीए, रॉयटर्स)
वॉशिंगटन. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका में पिछले साल नवंबर में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में जो बाइडन के खिलाफ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने के अभियानों को मंजूरी दी थी. एक खुफिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि रूस और ईरान ने चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की व्यापक कोशिशें की थीं, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि किसी विदेशी दखल से मतों या मतदान प्रक्रिया पर कोई असर पड़ा हो.
राष्ट्रीय खुफिया कार्यालय के निदेशक के कार्यालय से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में अमेरिका में 2020 में हुए चुनावों में विदेशी दखल का विस्तृत आकलन दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने मतदान पर विश्वास कम करने और ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें की.
इन कोशिशों के बावजूद खुफिया अधिकारियों को मतदान प्रक्रिया के किसी तकनीकी पहलू से छेड़छाड़ कर 2020 के अमेरिकी चुनाव में किसी विदेशी दखल के कोई सबूत नहीं मिले. मंगलवार को आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने चुनाव में दखल नहीं दिया.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उनका मानना है कि चीन अमेरिका के साथ स्थिर संबंध को अहमियत देता है और उसने चुनाव में हस्तक्षेप करके इसमें पकड़े जाने का किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया. रूस ने हालांकि रिपोर्ट को निराधार बताते हुए इसे खारिज किया है.
राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को एबीसी के कार्यक्रम ‘गुड मार्निंग अमेरिका’ पर प्रसारित एक साक्षात्कार में कहा कि पुतिन के गलत कामों के नतीजे सामने आएंगे और ‘वह जो कीमत अदा करने जा रहे है, आप जल्द ही देखेंगे.’ पिछले महीने पुतिन के साथ अपनी पहली कॉल को याद करते हुए जिसमें उन्होंने पुतिन से कहा था, ‘हम एक दूसरे को समझते हैं.’
क्रेमलिन ने बुधवार को रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज किया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पत्रकारों से कहा, ‘हम अपने देश के बारे में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों से असहमत हैं.’ उन्होंने कहा कि रूस का ‘किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ अभियानों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने रिपोर्ट को ‘निराधार’ बताया है. (एजेंसी इनपुट) (news18.com)
इस्लामाबाद. पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को एयर मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू को पाकिस्तानी वायुसेना का नया प्रमुख नियुक्त किया. पाकिस्तानी वायुसेना के लिए डायरेक्टोरेट जनरल पब्लिक रिलेशन्ल तरफ से आए आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई. वर्तमान वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल मुजाहिद अनवर खान 19 मार्च को सेवानिवृत्त होंगे जिसके बाद सिद्धू यह जिम्मेदारी संभालेंगे.
पाकिस्तान के अखबार द डॉन के मुताबिक, एयर मार्शल सिद्धू प्रशासनिक मामलों के डिप्टी चीफ रह चुके हैं. उन्होंने फाइटर पायलट के तौर पर 1986 में वायुसेना की GD शाखा जॉइन की थी. उन्होंने अपनी सेवा के दौरान एक लड़ाकू स्क्वाड्रन, परिचालन एयरबेस और रीजनल कमांड की कमान भी संभाली है. इसके अलावा उन्हें कई अहम पदों पर काम करने का अनुभव है. वायुसेना के इस्लामाबाद स्थित मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसी मौके पर रिटायर हो रहे वायुसेना प्रमुख नए अधिकारी को कमान सौंपेंगे.
उन्होंने एयर स्टाफ के असिस्टेंट चीफ (संचालन अनुसंधान और विकास), एयर स्टाफ के असिस्टेंट चीफ (ट्रेनिंग ऑफिसर) और वायु मुख्यालय इस्लामाबाद में महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी काम किया. एयर मार्शल सिद्धू ने ब्रिटेन के कॉम्बेट कमांडर्स स्कूल, एयर वॉर कॉलेज और रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से शिक्षा प्राप्त की है. कार्यकाल के दौरान उन्हें सितारा-ए इम्तियाज और तमगा-ए-इम्तियाज से नवाजा जा चुका है. सिद्धू मशहूर धार्मिक स्कॉलर हकीम गुलाम मुहम्मद के बेटे हैं.
द डॉन ने रेडियो पाकिस्तान के हवाल से लिखा कि इससे पहले दिन में राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी ने रिटायर होने जा रहे चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान को निशान-ए-इम्तियाज दिया. (news18.com)
-ख़ुदा-ए नूर नासिर
"आज मेरी शादी की रात, मेरे बेडरूम और दूसरे कमरे में बहुत सारी किताबें पड़ी हैं. ये वो किताबें हैं जो मैंने हक़ मेहर (वो निर्धारित राशी जो मुस्लिम मर्द अपने निकाह के बदले में अपनी पत्नी को देता है या देने का वादा करता है) में अपने पति से मांगी थीं.''
''कुछ हमने ऊपर अलमारियों में रख दी हैं. लेकिन बहुत सारी अभी भी कार्टुन (पेटियों) में बंद पड़ी हुई हैं. मैं शादी की रस्मों को पूरा करने के बाद इन किताबों को ठीक तरह से रखूंगी.''
14 मार्च को ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मर्दान जिले में शादी करने वाली दुल्हन, नायला शुमाल साफ़ी ने, बीबीसी से फ़ोन पर बात की. उन्होंने बताया, कि जब निकाहनामा (विवाह प्रमाणपत्र) उनके सामने रखा गया था और उनसे पूछा गया था, कि हक़ मेहर में क्या और कितना चाहिए. तब उन्होंने हक़ मेहर में एक लाख पाकिस्तानी रुपए की किताबें मांगी.
"मुझे दस से पंद्रह मिनट का समय दिया गया कि सोच लो फिर बताना. मैंने इसके बारे में सोचा और इससे अच्छा कोई हक़ मेहर दिमाग़ में नहीं आया."
नायला शुमाल साफी चरसड्डा के तंगी इलाक़े की निवासी हैं जबकि उनके पति डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून मर्दान के भाई ख़ान इलाक़े के निवासी हैं. सज्जाद ज़ोनदून ने पश्तो में अपनी पीएचडी पूरी कर ली है जबकि नायला शुमाल साफी इस समय अपनी पीएचडी कर रही हैं.
बीबीसी से बात करते हुए, डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून ने कहा कि जब उन्होंने अपनी मंगेतर के हक़ मेहर के बारे में सुना तो उन्हें ख़ुशी हुई कि इससे हक़ मेहर में बहुत ज़्यादा रक़म मांगने की प्रथा ख़त्म हो जाएगी.
SAJJAD JWANDUN
इस नए जोड़े के निकाहनामे (विवाह प्रमाण पत्र) में, मेहर की रक़म के सामने बॉक्स में लिखा है कि वर्तमान में पाकिस्तान में प्रचलित एक लाख रुपये की किताबें. किसी निकाहनामे में शायद ही ऐसा कोई उल्लेख हो.
सज्जाद ज़ोनदून के अनुसार, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में, लड़के वालों से हक़ मेहर में अक्सर 10 से 20 लाख रुपये मांगे जाते हैं. और दहेज में कई तरह की डिमांड की जाती हैं. इस जोड़े के अनुसार, किसी को तो इन परंपराओं को समाप्त करने की पहल करनी होगी, इसलिए ये शुरुआत उन्होंने कर दी.
"समाज में प्रचलित रस्मों और परंपराओं के ख़िलाफ़ जब पहला क़दम उठाया जाता है, तो निश्चित रूप से उनकी आलोचना की जाती है. लेकिन हमारे इस काम को अभी तक सभी ने सराहा है, और मैं समझता हूँ, कि दुनिया अब बहुत आगे जा चुकी है, इसलिए हमें भी आगे बढ़ना चाहिए."
नायला शुमाल साफ़ी के अनुसार, उन्होंने ज़ोनदून के साथ साथ किताबों से भी रिश्ता जोड़ लिया है. यह पूछे जाने पर, कि क्या इस हक़ मेहर के बारे में उनकी सहेलियों या रिश्तेदारों ने कुछ कहा या नहीं? नायला शुमाल ने जवाब दिया, "सभी ने हमारे क़दम की सराहना की है. आज हमारे वलीमे की दावत थी, मेरे माता-पिता सहित सभी रिश्तेदार आए और सभी लोग ख़ुश थे.
SAJJAD JWANDUN
शादी के निमंत्रण पर दुल्हन का नाम और फ़ोटो
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा सहित पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के कई हिस्सों में, शादी के निमंत्रण पर केवल दूल्हे का नाम और दुल्हन के पिता का नाम लिखा जाता है. डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून ने अपनी शादी के निमंत्रण पर न केवल दुल्हन का नाम लिखा था, बल्कि निमंत्रण पर दोनों की तस्वीरें भी लगी हुई थीं.
निमंत्रण पर इन तस्वीरों में, यहां तक कि दुल्हन की तस्वीर थोड़ी बड़ी भी दिखाई दे रही है. "पति पत्नी की सहमति से विवाह होता है और ऐसा बिलकुल नहीं है कि पत्नी पति की संपत्ति होती है."
इमरान आशना डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून के क़रीबी दोस्त हैं और वो उनकी शादी में भी गए थे. उन्होंने कहा, कि इस शादी ने एक बार फिर इस धारणा को दूर कर दिया, कि किताबों को चाहने वाले नहीं हैं. "इससे यह संदेश भी जाता है, कि किताबों के लिए अभी भी प्यार है और यह प्यार ख़त्म नहीं हुआ है."
सोशल मीडिया पर कई पाठकों ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के इस दंपति के हक़ मेहर पर उठाये गए इस कदम को सरहाया है. डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून के अनुसार, जहाँ कई लोग एक अच्छे काम की सराहना करते हैं, वहाँ विरोधी भी होंगे, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनके इस कदम का विरोध नहीं किया है. (bbc.com)
सैन फ्रांसिस्को, 17 मार्च| पिछले साल जुलाई में अभूतपूर्व ट्विटर हैकिंग मामले में दोषी पाए गए किशोर (टीनेजर) ग्राहम इवान क्लार्क को तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया है। क्लार्क पिछले साल बड़े पैमाने पर हुई उस ट्विटर हैकिंग से जुड़ा है, जिसमें बड़े उद्योगपति एलन मस्क, बिल गेट्स, जेफ बेजोस के अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित अन्य कई बड़ी हस्तियों के ट्विटर अकाउंट हैक कर लिए गए थे। हाई-प्रोफाइल अकाउंट्स के साथ छेड़खानी के दोषी ठहराए गए क्लार्क को उसकी याचिका डील के तहत तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है।
द टैम्पा बे टाइम्स के अनुसार, किशोर ने सेलिब्रिटी अकाउंट्स को अपने कंट्रोल में ले लिया था। उसने बिटकॉइन में 100,000 डॉलर से अधिक हासिल करने के लिए इनका उपयोग किया।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अभियोजकों के साथ एक समझौते में, क्लार्क ने तीन साल तक जेल में रखने में रखने और तीन साल की परिवीक्षा (परख अवधि) पर सहमति व्यक्त की है।"
क्लार्क उस समय 17 साल का था, जब उस पर ट्विटर हैकिंग के मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा था।
फिलहाल क्लार्क 18 साल का हो चुका है और उसे एक युवा अपराधी के तौर पर ही सजा सुनाई गई है। अगर वह वयस्क के रूप में दोषी ठहराया जाता तो उसे न्यूनतम 10 साल की सजा भुगतनी पड़ती।
हिल्सबोरो स्टेट अटॉर्नी एंड्रयू वारेन ने एक बयान में कहा, "ग्राहम क्लार्क को उस अपराध के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और अन्य संभावित स्कैमर्स को भी यह परिणाम देखने की जरूरत है।"
वारेन ने इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों खासकर बच्चों व किशोरों से इस मामले से सबक लेने की सलाह भी दी है। उन्होंने कहा है कि बच्चों को अपना भविष्य नष्ट किए बिना सबक सीखना होगा।
कुल मिलाकर 130 अकाउंट्स को हमलावरों द्वारा लक्षित किया गया था, 45 खातों में हमलावरों द्वारा भेजे गए ट्वीट्स थे, 36 खातों में डीएम इनबॉक्स एक्सेस था और आठ खातों में 'आपका ट्विटर डेटा' डाउनलोड का संग्रह था। (आईएएनएस)
बीजिंग, 17 मार्च | चीनी स्मार्टफोन निर्माता ओप्पो ने अपने नए स्मार्टफोन 'ओप्पो रेनो5 एफ' को क्वाड-कैमरा सेटअप और मीडियाटेक चिपसेट के साथ लॉन्च किया है। जीएसएमएरेना की रिपोर्ट के अनुसार, यह फोन फिलहाल 31,499 केईएस में केन्या में खुदरा बिक्री के लिए उपलब्ध है और यह जल्द ही इसे और अधिक बाजारों में उतारा जाएगा।
ओप्पो रेनो5 एफ 6.43-इंच एफएचडी प्लस 60 हाट्र्ज एएमओएलईडी डिस्प्ले के साथ 135 हॉर्ट्ज टच सैंपलिंग रेट से लैस है और इसे गेम मोड के दौरान 180 हॉर्ट्ज सैंपलिंग तक बढ़ाया जा सकता है।
इसमें एक क्वाड-कैमरा सेटअप दिया गया है, जिसमें एक 32 मेगापिक्सल सेल्फी स्नैपर के साथ 48 मेगापिक्सल का मुख्य कैमरा, 8 मेगापिक्सल अल्ट्रावाइड एंगल लेंस, 2 मेगापिक्सल मैक्रो और 2 मेगापिक्सल मोनो लेंस दिया गया है।
स्मार्टफोन मीडियाटेक के हेलियो पी95 चिपसेट द्वारा संचालित है, जिसमें 2.2 गीगाहट्र्ज ऑक्टा-कोर सीपीयू है। यह 8 जीबी रैम और 128 जीबी इंटरनल स्टोरेज के साथ आता है।
इस स्मार्टफोन में 4310 एमएएच की दमदार बैटरी दी गई है, जो कि 30 वॉट सुपरवोक फास्ट चाजिर्ंग को सपोर्ट करती है। यह कलरओएस 11 आउट ऑफ द बॉक्स के साथ एंड्रॉएड 11 से संचालित है। इस स्मार्टफोन का वजन 172 ग्राम है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 17 मार्च | 'लीग ऑफ लीजेंड्स' और 'वेलोरेंट' जैसे लोकप्रिय वीडियो गेम देने वाले 'रॉयट गेम्स' ने अपने सीईओ निकोलस लॉरेंट को एक महिला कर्मचारी का यौन उत्पीड़न करने के मामले में क्लीन चिट दे दी है। द वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, रॉयट गेम्स द्वारा कराई गई थर्ड पार्टी जांच में लॉरेंट के खिलाफ ना तो कोई सबूत मिला और ना ही कंपनी की ओर से उन पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई। वॉशिंगटन पोस्ट को मिले लॉरेंट के एक इंटरनल मेल में लिखा गया है, "यह महत्वपूर्ण है कि आप इस बारे में मुझसे सीधे यह सुन पा रहे हैं कि मुझ पर लगे उत्पीड़न, भेदभाव के आरोप सच नहीं हैं। ऐसा कुछ भी कभी भी न करीब से और ना दूर से हुआ है।"
जनवरी में रॉयट की पूर्व कार्यकारी सहायक शेरोन ओडॉनेल ने मुकदमा दायर करके आरोप लगाया था कि लॉरेंट ने "काम करने के माहौल को शत्रुतापूर्ण बनाया और ओडॉनेल से उसकी नौकरी के बदले में अवांछित सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए कहा।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा न करने के कारण सीईओ ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था।
इन आरोपों के बाद रॉयट ने एक विशेष समिति द्वारा मामले की थर्ड पार्टी जांच कराई। समिति ने कहा है, "इस प्रकृति के अधिकांश मामले सिर्फ काले या सफेद (सही या गलत) नहीं होते हैं, बल्कि वे अस्पष्ट होते हैं। हालांकि, यह उन मामलों में से एक नहीं था। इस मामले में हमें ऐसे कोई भी सबूत नहीं मिले जो लॉरेंट के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही ठहराएं।"
खबरों के मुताबिक लॉरेंट के खिलाफ किए गए ऐसे दावे नए नहीं हैं, इससे पहले भी कई कर्मचारियों ने लॉरेंट को लेकर भेदभाव और उत्पीड़न करने की कहानियां बताईं हैं। (आईएएनएस)
ढाका, 17 मार्च | बांग्लादेश के ढाका में बुधवार सुबह एक अस्पताल में आग लगने से कोविड-19 के तीन मरीजों की मौत हो गई। वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ये मरीज अस्पताल के आईसीयू वार्ड में एडमिट थे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निदेशक नजमुल हक के हवाले से लिखा है कि जब हाई प्रेशर ऑक्सीजन डिवाइस फटा उस समय आईसीयू वार्ड में 14 मरीज थे। यह घटना सुबह 8.00 बजे (स्थानीय समयानुसार) हुई। हक ने कहा, "आईसीयू में भर्ती 3 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि आग लगने के बाद उन्हें अस्पताल की एक अन्य आईसीयू यूनिट में स्थानांतरित कर दिया गया था।" हक ने आगे कहा कि पीड़ितों की हालत गंभीर थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट थे।
बता दें कि पिछले साल मई में ढाका में यूनाइटेड हॉस्पिटल की कोविड-19 यूनिट में भीषण आग लगने से 5 मरीजों की मौत हो गई थी। (आईएएनएस)
लंदन. ओप्रा विन्फ्रे के साथ इंटरव्यू के बाद प्रिंस हैरी और शाही परिवार के बीच नया विवाद पैदा होता नजर आ रहा था. इसी बीच खबर है कि हैरी ने अपने पिता प्रिंस चार्ल्स और और भाई प्रिंस विलियम से बातचीत की है. हालांकि, यह मुलाकात कोई खास असरदार नहीं रही, लेकिन बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष इस बात को लेकर खुश हैं कि बातचीत दोबारा शुरू हो चुकी है. यह खुलासा हैरी और मेगन मर्केल की दोस्त ने एक कार्यक्रम के दौरान किया है.
अमेरिकी टीवी प्रेजेंटर गेल किंग ने बताया 'मैंने वाकई उन्हें यह जानने के लिए कॉल किया था कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं. यह सच है कि हैरी ने अपने भाई से बात की है और उन्होंने पिता से भी बातचीत की है.' किंग ने कहा 'मुझे बताया है कि ये चर्चा खासी असरदार नहीं रही, लेकिन वे खुश हैं कि उन्होंने बातचीत शुरू की.' उन्होंने कहा कि कपल इस बात से काफी 'निराश' था कि 7 मार्च को इंटरव्यू के बाद से ही शाही परिवार में नस्लभेद के आरोप खबरों में बने हुए हैं.
इंटरव्यू के दौरान हैरी ने कहा था कि प्रिंस चार्ल्स ने उनकी आर्थिक मदद बंद कर दी है. उन्होंने दावा किया था कि एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने हैरी के फोन उठाने बंद कर दिए थे. इस दौरान उन्होंने प्रिंस विलियम के साथ बिगड़े रिश्तों पर भी बात की थी. हैरी और मेगन ने शाही दायित्वों को छोड़ दिया था. वे फिलहाल कैलिफोर्निया में रह रहे हैं. इंटरव्यू के दौरान कपल ने आरोप लगाया था कि शाही परिवार में उनसे किसी ने उनके जन्म लेने वाले बच्चे की त्वचा के रंग को लेकर सवाल किया था.
यह भी पढ़ें: शाही खानदान से अलग होकर कितनी अलग होगी प्रिंस हैरी और मेगन की जिंदगी
हैरी ने विनफ्रे को बताया कि वह शाही जिंदगी में एक कैदी की तरह महसूस कर रहे थे. पिछले साल वित्तीय रूप से अलग किए जाने और अपनी सुरक्षा खोने के बाद उन्हें एक बड़ा झटका लगा. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि उनके परिवार ने मेगन का साथ नहीं दिया. वहीं, दो नस्लों से ताल्लुक रखने वाली मेगन ने बताया कि वह जब पहली बार गर्भवती हुईं तो, ‘इस बात को लेकर काफी चिंता व्यक्त की गई कि उनके बेटे का रंग कैसा होगा.’ मेगन ने दावा किया था कि उन्हें आत्महत्या करने जैसे ख्याल आने लगे थे. (news18.com)
---------
कैनबरा. ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में पुलिस के सामने एक अजीब मामला आया है. पुलिस को यहां एक ऐसा शख्स मिला है, जिसने अपने घर में 6 महिलाओं को सेक्स स्लेव बनाकर रखा था. इतना ही नहीं, वो उनके गले में स्टीक का पट्टा पहनाकर पिंजरे में बंद रखता था. यह दावा एक पीड़ित ने किया है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पुलिस की पकड़ में आया ये शख्स डिफेंस फोर्स का सदस्य भी रह चुका है. पुलिस को आरोपी के घर से कई आपत्तिजनक चीजें मिली हैं.
40 साल से जेम्स रॉबर्ड डेविस पर इंसानों को गुलाम बनाने का आरोप है. ऑस्ट्रेलिया की फेडरल पुलिस ने इसके खिलाफ छापामार कार्रवाई की. इस दौरान कई हैरान करने वाली बातें सामने आईं हैं. डेविस एक ग्रामीण इलाके में रहता है. उसकी संपत्ति काफी बड़े इलाके में फैली हुई है. हालात यह थे कि छापा मारने पहुंची पुलिस इलाके की जांच करने में लगभग 15 घंटों का समय लगा. उन्होंने आरोपी के घर की कुछ तस्वीरें जारी की हैं.
क्या हैं आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने कहा है कि डेविस ने महिलाओं को गुमराह किया और उन्हें शारीरिक, मानसिक और यौन रूप से प्रताड़ित किया. पुलिस ने आरोप लगाए हैं कि आरोपी ने महिलाओं से सेक्स वर्क भी कराता था. यह काम उसकी देखरेख में होता था.
पुलिस ने बताया है कि डेविस महिलाओं को डराता था और जान से मारने की धमकी देता था. बताया जा रहा है कि आरोपी ने महिलाओं से एक कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत पर भी करा रखे थे. इन दस्तावेजों में लिखा होता था कि महिलाएं अपनी मर्जी से खुद को डेविस के हवाले कर रहीं हैं. पुलिस ने जानकारी दी है कि अब तक डेविस के खिलाफ औपचारिक तौर पर केवल एक महिला का बयान आया है. उसपर दूसरे आरोप भी साबित हो सकते हैं.
पुलिस के हाथ क्या लगा
छापेमारी के दौरान पुलिस के हाथ कई चीजें लगीं. कार्रवाई में पुलिस को चार बॉक्स मिले हैं. खास बात है कि इनपर महिलाओं के नाम लिखे हुए थे. इसके अलावा पुलिस को सेक्स संबंधी चीजें भी मिली हैं. जांच कर रही पुलिस ने आरोपी के घर से फोन, कैमरा और कंप्यूटर जब्त किए हैं. आरोप है कि डेविस घर से जाने वाली महिलाओं को धमकी देता था.(news18.com)
संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में कहा कि लोकतंत्र का स्तर मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर निर्भर करता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया से उन्हें बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि ‘‘लोकतंत्र में खामी'' है. हैरिस ने महिलाओं के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र में अपने संबोधन में दुनियाभर में लोकतंत्र और आजादी में गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि आज लोकतंत्र पर दबाव बढ़ रहा है. हमने देखा है कि 15 वर्षों में दुनियाभर में आजादी में कमी आई है. यहां तक कि विशेषज्ञों का मानना है कि बीता साल विश्वभर में लोकतंत्र और आजादी की बिगड़ती स्थिति के लिहाज से सबसे बुरा था.''
हैरिस ने कहा, ‘‘लोकतंत्र की स्थिति मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी निर्भर करती है।क्योंकि निर्णय लेने की प्रक्रिया से महिलाओं को बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि लोकतंत्र में खामी है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत बनाती है.'' संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश, सहयोगी संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन 15 से 26 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में वर्चुअल तरीके से भाग ले रहे हैं.
अमेरिका की पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई मूल की उपराष्ट्रपति हैरिस ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनियाभर में आर्थिक सुरक्षा, शारीरिक सुरक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को इस सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि महामारी ने महिलाओं और लड़कियों पर बहुत खराब असर डाला है. हैरिस ने कहा कि महिलाओं की स्थिति लोकतंत्र की स्थिति है और अमेरिका दोनों को बेहतर बनाने के लिए काम करेगा. (ndtv.in)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत से बातचीत की वकालत की है. इस्लामाबाद सिक्योरिटी डायलॉग के उद्घाटन में पीएम इमरान खान ने कहा कि बातचीत दोनों मुल्कों के लिए फायदेमंद है. लेकिन इमरान ने ये शर्त भी जोड़ दी है कि पहल भारत की तरफ़ से होनी चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय मंचों से पाकिस्तान की घेराबंदी जारी
पाकिस्तान कई बार कई मंचों से भारत से बातचीत करने की गुहार लगा चुका है. ये अंतरराष्ट्रीय मंचों से घेराबंदी और चौतरफा कूटनीतिक दबाव का नतीजा है कि अशांति फैलाने वाला पाकिस्तान अब सीमा पर शांति की बात करने लगा है. काफी समय बाद पाकिस्तान ने अपने रिश्तों को भारत के साथ सुधारने की बात कही है.
इससे पहले श्रीलंका के दौरे पर गए इमरान खान ने कहा था, ''मैंने साल 2018 में प्रधानमंत्री निर्वाचित होने पर भारत को शांति वार्ता आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ.'' उन्होंने कहा, ''हमारा विवाद केवल कश्मीर को लेकर है और इसे वार्ता के जरिए सुलझाया जा सकता है.''
पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह संबंध बनाए रखना चाहता हैं- भारत
वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था, ''भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह संबंध बनाए रखना चाहता है. हम सभी लंबित मुद्दों का शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं. सभी प्रमुख मुद्दों पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.'' हालांकि भारत कई बार यह बात भी साफ कर चुका है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. (abplive.com)
अटलांटा, 17 मार्च| अमेरिका के अटलांटा शहर में तीन स्पा में गोलीबारी की घटनाओं में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, और एक व्यक्ति घायल हुआ है। मृतकों में से अधिकांश एशियाई महिलाएं हैं। पुलिस ने यह जानकारी दी। डब्ल्यूएसबी टीवी के मुताबिक, मंगलवार को हुई गोलीबारी की घटनाओं के संबंध में एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है। चेरोकी काउंटी शेरिफ ने कहा कि रॉबर्ट आरोन लॉन्ग (21) को रात के लगभग 8.30 (स्थानीय समयानुसार) बजे गिरफ्तार कर लिया गया।
गोलीबारी की दो घटनाएं उत्तरपूर्व अटलांटा के स्पा में और तीसरी घटना चेरोकी काउंटी में हुई।
अटलांटा पुलिस ने एक बयान में कहा, "हमारे वीडियो इंटीग्रेशन सेंटर के वीडियो फुटेज में पीडमोंट रोड गोलीबारी के समय के आसपास क्षेत्र में चेरोकी काउंटी संदिग्ध के वाहन को देखा गया।"
उन्होंने कहा कि जांचकर्ताओं द्वारा देखे गए वीडियो से ये पता चलता है कि ऐसी संभावना है कि हमारा संदिग्ध वहीं है जो चेरोकी काउंटी का है, जो हिरासत में है। इस वजह से, अटलांटा पुलिस का एक जांचकर्ता चेरोकी काउंटी में है और हम उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं।"
अधिकारियों ने कहा कि घटना के पीछे का मकसद फिलहाल अज्ञात है और यह स्पष्ट नहीं है कि क्या गोलीबारी की तीनों घटनाएं एक-दूसरे से संबंधित हैं।
एफबीआई के प्रवक्ता केविन रोसन ने कहा कि एजेंसी जांच में अटलांटा और चेरोकी काउंटी जांच अधिकारियों की सहायता कर रही है। (आईएएनएस)
वॉशिंगटन. अमेरिकी वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना ने अब बच्चों पर टीके का ट्रायल शुरू कर दिया है. कंपनी 6 महीने से लेकर 12 साल की उम्र तक के बच्चों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल करेगी. कंपनी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है. इस ट्रायल में मॉडर्ना अमेरिका और कनाडा से 6750 बच्चों को शामिल करेगी. खास बात है कि वैक्सीन को अमेरिका में 18 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है.
मॉडर्ना के सीईओ स्टेफनी बैंसल ने बताया 'हम स्वस्थ बच्चों पर mRNA-1273 के 2/3 चरण के ट्रायल के शुरू होने को लेकर काफी खश हैं.' उन्होंने कहा 'हम NIAID और BARDA का उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं.' इस स्टडी के जरिए mRNA-1273 वैक्सीन के दो डोज की सुरक्षा और प्रभावकारिता का पता लगाया जाएगा.
इस स्टडी में शामिल हर बच्चे को 28 दिनों में दो डोज दिए जाएंगे. इस स्टडी के दो हिस्से होंगे. पहले हिस्से में 2 साल और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को 50 या 100 माइक्रोग्राम के दो डोज दिए जा सकते हैं. वहीं, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को 25,50 या 100 माइक्रोग्राम के दो शॉट मिल सकते हैं. हर समूह में बच्चों को कम खुराक के डोज दिए जाएंगे और स्टडी में शामिल दूसरे बच्चों को उच्च खुराक देने से पहले रिएक्शन की निगरानी की जाएगी.
दूसरे पार्ट में किस डोज का इस्तेमाल किया जाएगा, यह पता करने के लिए एक अंतरिम विश्लेषण किया जाएगा. दिसंबर में शुरू हो चुकी एक अलग स्टडी में मॉडर्ना 12 से 18 साल के बच्चों पर mRNA-1273 टेस्ट कर रही है. कंपनी की तरफ से शुरू की गई टेस्टिंग में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज और बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी सहयोगी हैं.
अमेरिका में जारी टीकाकरण अभियान में अब तक व्यस्कों को सुरक्षित करने पर ध्यान दिया जा रहा है. मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 18 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों पर इस्तेमाल करने की अनुमति है. जबकि, फाइजर और बायोटेक की वैक्सीन को 16 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को दिया जा सकता है. (news18.com)
अटलांटा. अमेरिका के अटलांटा में गोलीबारी की घटना हुई है. 3 मसाज पार्लर पर हुए इस हमले में 4 महिलाओं समेत 8 लोगों की मौत हो गई है. खास बात है कि इस दौरान मरने वाली ज्यादातर महिलाएं एशियाई मूल की हैं. मामले की जांच कर रही पुलिस ने कुछ ही घंटों के भीतर जॉर्जिया से एक 21 साल के लड़के को हिरासत में लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जांचकर्ता तीनों मसाज पार्लर पर गोलीबारी के बीच तार जुड़े होने की जांच कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है.
क्या है मामला
एपी के अनुसार, अधिकारियों ने मंगलवार को जानकारी दी है कि गोलीबारी की ये घटनाएं अटलांटा स्थित दो और उपनगरीय इलाके में मौजूद एक मसाज पार्लर पर हुई है. अटलांटा पुलिस प्रमुख रॉडनी ब्रायंट ने बताया कि उत्तर-पश्चिमी अटलांटा स्थित पार्लर में 3 लोग मारे गए. जबकि, एक अन्य की मौत सड़की के दूसरी ओर मौजूद दूसरे पार्लर पर हुई. उन्होंने जानकारी दी है कि चारों मृतक महिलाएं हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चार लोगों की मौत चेरोकी काउंटी स्पा पर हुई है.
यह भी पढ़ें: अमेरिका: शिकागो में पार्टी के दौरान गोलीबारी, 2 की मौत, 13 घायल
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कैप्टन जे बेकर ने बताया कि अधिकारियों के गोलीबारी में जख्मी हुए 5 लोग मिले. इनमें से दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. जबकि, तीन को अस्पताल ले जाया गया. यहां पहुंचकर एक और व्यक्ति की मौत हो गई. एजेंसी ने सीएनएन के हवाले से लिखा कि अटलांटा पुलिस ने बताया कि वे अलटालंटा में पिडमॉन्ट रोड स्थित चोरी की सूचना पर काम कर रहे थे. यहां उन्हें तीन लोग मृत मिले. ब्रायंट ने जानकारी दी कि पुलिस को गोलीबारी को लेकर अरोमा थैरेपी स्पा से एक और कॉल आया. जहां उन्हें एक और मृत व्यक्ति मिला.
घटना की जांच कर रहे बेकर ने जानकारी दी है कि अटलांटा के उत्तर पश्चिमी इलाके में चेरोकी काउंटी मसाज पार्लर पर शाम 5 बजे हुई गोलीबारी के एक संदिग्ध रॉबर्ट एरॉन लॉन्ग को गिरफ्तार किया गया है. लॉन्ग को क्रिस्प काउंटी से पकड़ा गया. अभी तक इस हमले के पीछे मकसद का पता नहीं चल पाया है. बेकर ने कहा कि जांचकर्ता इस बात को लेकर 'बहुत आश्वस्त' थे कि एक ही संदिग्ध तीनों गोलीबारी में शामिल था. उन्होंने कहा है कि हम जांच कर रहे हैं. (news18.com)
लंदन. ब्रिटेन को अपने आप को दुनिया में हुए बड़े बदलावों के अनुकूल ढालने के लिए और कदम उठाना चाहिए तथा अपनी विदेश नीति में भारत, जापान और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ हिंद-प्रशांत पर जोर देना चाहिए. मंगलवार को सामने आये देश के ब्रैक्जिट के बाद के ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ दृष्टिपत्र में यह बात कही गयी है.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अगले महीने भारत की यात्रा पर जाने की पुष्टि करते हुए इस तथाकथित हिंद प्रशांत झुकाव को सामने रखा. यह दक्षिणपूर्व एशियाई देश संघ (आसियान) के साझेदार दर्जा तथा इस क्षेत्र में रॉयल नेवी के जंगी विमान क्वीन एलिजाबेथ की तैनाती के लिए आवेदन है.
'अगले महीने भारत आएंगे बोरिस जॉनसन'
जॉनसन ने ही हाउस ऑफ कॉमंस में औपचारिक रूप से ‘ग्लोबल ब्रिटेन इन कम्पीटिव एज: द इंटीग्रेटेड रिव्यू ऑफ सेक्युरिटी, डिफेंस, डेवलपमेंट एंड फोरेन पॉलिसी’ दस्तावेज की औपचारिक शुरुआत की. प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कामंस में अपने बयान में कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करने के लिए अगले महीने भारत की यात्रा करूंगा.’
'सेफ है ऑक्सफोर्ड वैक्सीन'
इस दौरान बोरिस जॉनसन ने ये भी कहा कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन पूरी तरह सेफ पाई गई है. गौरतलब है कि ब्लड क्लॉटिंग की शिकायतों के बाद कई यूरोपीय देशों ने अपने यहां ऑक्सफोर्ड वैक्सीन से वैक्सीनेशन को बंद करवा दिया था. मंगलवार को यूरोपियन यूनियन के एक्सपर्ट्स से हरी झंडी मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि इस वैक्सीन के जरिए वैक्सीनेशन दोबारा शुरू किया जा सकता है. (news18.com)
नई दिल्ली. कोरोना वायरस के चलते चीन में विदेश के लोगों को फिलहाल जाने की इजाजत नहीं है. लेकिन अब जल्द ही ये पाबंदियां खत्म होने वाली है. चीन ने कहा है कि जल्द ही वो भारत, अमेरिका और पकिस्तान जैसे देशों के लोगों को अपने देश में एंट्री देगा. हालांकि चीन ने इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं. इसके मुताबिक चीन ने कहा है कि ऐसे लोगों को आसानी से वीज़ा दिया जाएगा जो उनके यहां बनी वैक्सीन लगवा कर आएंगे.
चीन के दूतावास ने कई देशों में वीजा को लेकर नोटिस जारी किया है. इसमें साफ-साफ लिखा है कि अगर कोई चीन की बनी वैक्सीन लगवा कर आएगा तो उन्हें वीज़ा देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अमेरिका में भी चीन के दूतावास ने एक ऐसा ही बयान जारी किया है. नियमों के मुताबिक वीज़ा अप्लाई करने से 14 दिन पहले लोगों को वैक्सीन लेनी होगी. बता दें कि चीन ने अपने यहां 4 वैक्सीन को हरी झंडी दी है.
बता दें कि चीन ने अपनी यहां बने वैक्सीन को तुर्की, इंडोनेशिया और कंबोडिया जैसे देशों को भेजा है. संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत ने कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की तीन लाख खुराक देगा. लेकिन भारत जैसे देश में ये वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.
चीन ने इस साल के आखिर तक या 2022 के मध्य तक अपनी 70-80 प्रतिशत आबादी को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए टीका लगाने का लक्ष्य रखा है. देश के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के प्रमुख ने शनिवार को यह बात कही. सीडीसी के प्रमुख गाओ फू ने शनिवार को चीनी सरकारी प्रसारणकर्ता सीजीटीएन को बताया कि चार टीकों को मंजूरी मिलने के साथ ही चीन 90 करोड़ से लेकर एक अरब लोगों का टीकाकरण करेगा. (news18.com)
काठमांडू. नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने देश में जारी राजनीतिक संकट के बीच समकालीन मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. ‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति कर्यालाय के वरिष्ठ संचार विशेषज्ञ टीका ढकल ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को समकालीन राजनीति पर चर्चा के लिए बुलाया है.
प्रधानमंत्री ओली की नेकपा एमाले, माधव कुमार नेपाल और झल्ला नाथ खनाल नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली नेकपा (माओवादी केन्द्र), जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल मज़दूर लिसा पार्टी के नेता इस बैठक में शामिल होंगे.
पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव
इससे पहले, ‘हिमालयन टाइम्स’ की खबर के अनुसार नेकपा-माओवादी केन्द्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से ‘माओवादी केन्द्र’ हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है.
पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब नेकपा-माओवादी केन्द्र थोड़ी मुश्किलों में है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेकपा-एमाले का नेकपा-माओवादी केन्द्र में विलय को खारिज कर दिया है. इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी जहां प्रधानमंत्री ओली पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत होने के रूप में देखते हैं. उन्हें केंद्रीय समिति और संसदीय दल में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है.
गौरतलब है कि 2017 के आम चुनाव में नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र के गठबंधन की जीत के बाद दोनों ही दलों ने मई, 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में आपस में विलय कर लिया था. दिसंबर, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनसीपी में विभाजन हो गया था. अपने ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था. (news18.com)
इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 16 मार्च | पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि वह देश चलाने या फैसले लेने में अक्षम है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय निकायों के मामले की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति सरदार तारिक के साथ ही न्यायमूर्ति काजी फैज ईसा की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने पंजाब सरकार द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अध्यादेश जारी करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इस मामले को प्रधान न्यायाधीश के पास भेज दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि जनगणना के संबंध में काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) द्वारा निर्णय नहीं लिया गया। न्यायाधीश ईसा ने अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, "कॉमन इंटरेस्ट काउंसिल की बैठक दो महीने में क्यों नहीं हुई।"
उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा, "क्या जनगणना के परिणाम जारी करना सरकार की प्राथमिकता नहीं है।"
न्यायाधीश ने कहा कि सरकार और उसके सहयोगियों ने तीन प्रांतों में शासन किया और अभी तक सीसीआई द्वारा एक भी निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, "सरकार देश चलाने या निर्णय लेने में असमर्थ है।"
उन्होंने कोर्ट के आदेश के बावजूद सीसीआई की बैठक को स्थगित करने को लेकर अपनी नाराजगी जताई और इसे संवैधानिक संस्था का अपमान करार दिया।
अदालत ने कहा कि ऐसी कोई युद्ध की स्थिति नहीं थी, जिससे सीसीआई को अपनी बैठक करने से रोक सकती थी। न्यायमूर्ति ईसा ने कहा कि 2017 में जनगणना किए जाने के चार साल बीत चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल आमिर रहमान ने अदालत को सूचित किया कि सीसीआई की बैठक 24 मार्च को होगी। उन्होंने दलील दी कि चूंकि यह एक संवेदनशील मामला है, इसलिए सरकार सर्वसम्मति से निर्णय लेना चाहती है।
इस पर, न्यायमूर्ति ईसा ने पूछा कि सीसीआई की रिपोर्ट को गुप्त क्यों रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर अच्छे कामों को गुप्त रखा जाता है, तो इससे लोगों के मन में संदेह पैदा होता है। उन्होंने आगे कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि प्रांत क्या कर रहे हैं और केंद्र क्या कर रहा है।
न्यायाधीश ने पंजाब के राज्यपाल द्वारा नए सिरे से परिसीमन के अध्यादेश की घोषणा पर नाराजगी व्यक्त की। चुनाव आयोग के अनुसार, अध्यादेश ने जटिलताएं पैदा की हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार नहीं चाहती कि स्थानीय चुनाव हों। (आईएएनएस)
वे अपने माथे पर "अत्याचार से पैदा हुए बच्चे" का दाग लेकर बड़े हुए. समाज ने उन्हें दुत्कारा, अपनों ने त्यागा. अफ्रीकी देश रवांडा में नरसंहार के दौरान हुए बलात्कार से जन्मे बच्चे अब भी अपनी पहचान के लिए जूझ रहे हैं.
रवांडा में 1994 में हुए नरसंहार को लगभग 27 साल हो गए हैं जब सौ दिन के भीतर आठ लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. मरने वालों में ज्यादातर अल्पसंख्यक तुत्सी कबीले के लोग थे. उनके साथ बहुसंख्यक हुतु कबीले के उदार लोगों की भी हत्याएं की गई. उस वक्त रवांडा पर चरमपंथी हुतु सरकार थी, जिसने तुत्सियों के साथ अपने समुदाय में मौजूद अपने विरोधियों का सफाया करने के लिए खास मुहिम चलाई.
इस दौरान बलात्कार को भी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया. उस दौरान ठहरे गर्भों से जो बच्चे पैदा हुए, वे आज जवान हो गए हैं. लेकिन अब भी उनके लिए जिंदगी आसान नहीं है. 26 साल के पैट्रिक कहते हैं, "मेरे दिल में बहुत सारे जख्म हैं. मुझे नहीं पता है कि मेरा पिता कौन है. मेरा भविष्य हमेशा जटिल रहेगा क्योंकि मुझे अपने अतीत के बारे में जानकारी नहीं है."
योजनाबद्ध तरीके से चलाई गई मुहिम में हुतु सरकार के सैनिकों और उनसे जुड़ी मिलिशिया के लोगों ने ढाई लाख महिलाओं का बलात्कार किया. इस व्यापक यौन हिंसा के नतीजे में कई हजार बच्चे पैदा हुए. इस बच्चों को समाज पर दाग माना गया क्योंकि उनके पिताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पैट्रिक भी इन्हीं में से एक हैं. यह उनका असली नाम नहीं है. वह रवांडा के दक्षिणी शहर न्यांजा में रहते हैं और अकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएफपी के साथ बातचीत के दौरान जब वह अपने बचपन के बारे में बताते हैं कि तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं. वह कहते हैं कि स्कूल में कभी वह बाकी बच्चों के साथ घुलमिल ही नहीं पाए. पैट्रिक इतने अकेले थे कि उन्होंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश भी की, एक बार 12 साल की उम्र में और दूसरी बार 22 साल की उम्र में. वह कहते हैं, "अभी कुछ साल पहले तक भी समाज मुझे मेरे अतीत की वजह से अपनाने को तैयार नहीं था. ना तो तुत्सियों को मेरी परवाह थी और ना ही हुतुओं को."
सोचे समझे बलात्कार
इतिहासकार कहते हैं कि नरसंहार के दौरान बहुत सी महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाकर भी रखा गया और कुछ महिलाओं को तो जानबूझ कर एचआईवी से संक्रमित किया गया. बहुत ही महिलाओं ने तो अपने बच्चों को बताया ही नहीं है कि वे बलात्कार से पैदा हुए हैं. उन्होंने बाद में अपने पतियों को भी यह नहीं बताया कि उन पर क्या गुजरी. उन्हें डर था कि उनके पति कहीं उन्हें छोड़ ना दें.
कई ऐसी महिलाओं ने हिम्मत जुटाकर एएफपी से बात की. हालांकि वे अपनी पहचान को गोपनीय रखना चाहती हैं. मुहांगा शहर में एक थेरेपिस्ट एमिलिएने मुकानसोरो ऐसी महिलाओं के लिए वर्कशॉप चलाती हैं. मुकानसोरो की उम्र 53 साल है. उन्होंने नरसंहार में अपने पिता, आठ भाई-बहनों और परिवार के दूसरे सदस्यों को खोया है. वह बीते 18 साल से बलात्कार पीड़ितों के साथ काम कर रही हैं. उन्होंने देश भर में ऐसी महिलाओं के थेरेपी ग्रुप बनाए हैं.
इन समूहों में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिनके परिवार या समुदाय के सामने उनका बलात्कार किया गया या उनके यौन अंगों को नुकसान पहुंचाया गया. इतिहासकार हेलेने दुमास कहती हैं, "तुत्सी समुदाय और उसकी नस्ल को खत्म करने के लिए बलात्कार का इस्तेमाल किया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे तुत्सी बच्चों को जन्म ना दे पाएं. ये बलात्कार बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत किए गए और ये नरसंहार मुहिम का हिस्सा थे. "
"हत्यारे का बेटा"
पैट्रिक की मां होनोरिने कहती हैं कि उन्हें चार दिन तक एक जेल में रखा गया. वहां कई और महिलाएं भी थीं. हुतु चरमपंथी हर दिन लोगों को मार काटने के बाद जब वापस लौटते थे, तो उनका सब महिलाओं का बलात्कार करते थे. 48 साल की होनोरिने रोती हुई अपनी खौफनाक अनुभवों को बताती हैं, "वे कहते थे कि उन्हें मिठाई चाहिए और मिठाई थी मैं, क्योंकि मेरी उम्र उनमें सबसे कम थी."
होनोरिने बताती हैं कि एक बार एक लड़ाका वहां से भाग निकला, तो उन्होंने भी उसके साथ भागने की कोशिश की. रास्ते में भी होनोरिने का बलात्कार किया गया. वह कहती हैं कि इसी दौरान वह गर्भवती हुईं. उन्होंने अपने गर्भ को गिराने के बारे में भी सोचा. लेकिन फिर बच्चे को जन्म दिया, लेकिन वह उसे अपना प्यार नहीं दे पाईं और इसका उन्हें आज तक मलाल है. बाद में उनकी शादी हो गई लेकिन उनके पति ने पैट्रिक को नहीं अपनाया और उन्हें "हत्यारे के बेटे" का नाम दिया.
ऐसी ही कहानी रवांडा में नरसंहार के दौरान बलात्कार का शिकार बनी दूसरी महिलाओं की भी है. पहले इन महिलाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया. लेकिन हाल में ऐसी महिलाओं की मदद के लिए कदम उठाए गए हैं, ताकि उनके दुख और पीड़ा को कुछ हद तक कम किया जा सके. इसके लिए पीड़ितों के संघ और कई गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं. सेवोता नाम के एक एनजीओ की संस्थापक 64 वर्षीय गोडेलीव मुकासारासी कहती हैं, "इसकी वजह से सबसे बुरी मानवीय त्रासदियों में से एक त्रासदी से तबाह देश और समाज को उबरने में मदद मिली है."
भविष्य के सपने
बलात्कार की शिकार महिलाओं के लिए कई कदम उठाए गए. लेकिन इनसे पैदा बच्चों को नरसंहार का पीड़ित नहीं माना गया. इसलिए उन्हें कोई खास मदद नहीं दी गई. नरसंहार की विरासत से लड़ रहे और पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के संघ इबूका के कार्यकारी सचवि नफताल अहिशाकिए कहते हैं कि बच्चों को अपनी मांओं के जरिए कोई अप्रत्यक्ष मदद नहीं मिली. मुकानसोरो का कहना है कि बलात्कार से पैदा बच्चों को अपनी मांओं से विरासत में जो दर्ज मिला है, उससे निजात पाने का कई बार यही तरीका है कि सबके रिश्ते तोड़ लिए जाएं.
वैसे पैट्रिक कहते हैं कि उन्होंने धीरे धीरे अपने अतीत को स्वीकारना शुरू कर दिया. अब उन्हें अपने दोस्तों और साथियों के साथ अपनी कहानी साझा करने में भी उतनी तकलीफ नहीं होती. वह कहते हैं, "धीरे, धीरे लोग मुझे और मेरे अतीत को स्वीकार कर रहे हैं." पैट्रिक के मुताबिक उनके लिए रवांडा के "समाज में घुलना मिलना" लगातार जारी रहने की प्रक्रिया है.
और उनके सपने? वह चाहते हैं कि इतना पैसा कमा पाएं कि उनका अपना परिवार हो और वे अपनी मां की मदद कर पाएं. वह चुपके कहते हैं, "वह मेरी महारानी है, मेरा सब कुछ है."
एके/आईबी (एएफपी)
श्रीलंका में बुर्के पर बैन लगाने की मांग उठ रही है. लेकिन सरकार का कहना है कि वह इस बारे में कोई भी फैसला सोच समझकर ही लेगी. सैकड़ों इस्लामी मदरसों को भी सरकार बंद करने की योजना बना रही है.
श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वीरासेकरा का कहना है कि वह बुर्के पर बैन लगाने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूर हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके मुताबिक यह ऐसा विषय है जिसका "राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा असर होगा". उन्होंने कहा, "पहले हमारे बहुत सारे मुस्लिम दोस्त होते थे लेकिन मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने कभी बुर्का नहीं पहना. यह चरमपंथ की निशानी है, जो हाल ही में शुरू हुई है. हम निश्चित रूप से इस पर प्रतिबंध लगाएंगे."
दूसरी तरफ, सरकार के प्रवक्ता केहेलिया रामबुकेवेला का कहना है कि बुर्के पर प्रतिबंध लगाना एक गंभीर विषय है और इस पर सबसे बात करके आम राय बनानी होगी. वह कहते हैं, "इसके लिए विचार विमर्श करना होगा, तो इसमें समय लगेगा."
इससे पहले, एक पाकिस्तानी राजनयिक और संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने संभावित प्रतिबंध को लेकर चिंता जताई. पाकिस्तानी राजदूत साद खटक ने ट्वीट कर कहा कि बैन लगाने से मुसलमानों की भावनाओं को ठेस लगेगी. वहीं धार्मिक आजादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि अहमद शहीद ने ट्वीट किया कि प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून और धार्मिक अधिकारियों की आजादी और अभियव्यक्ति के मुताबिक नहीं है.
बढ़ता तनाव
इससे पहले श्रीलंका में 2019 में कुछ समय के लिए बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. यह फैसला ईस्टर के मौके पर चर्चों और होटलों पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद लिया गया था. इन हमलों में 260 लोग मारे गए थे. कुल छह जगहों पर हुए हमलों के लिए दो इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों को जिम्मेदार माना गया जो खुद को इस्लामिक स्टेट से जुड़ा बताते थे.
हमलों के दौरान दो रोमन कैथोलिक चर्च और एक प्रोटेस्टेंट चर्च के साथ साथ तीन बड़े होटलों को निशाना बनाया गया था. इन बम धमाकों ने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया जिसकी अर्थव्यवस्था बहुत हद तक पर्यटन पर टिकी है. 2019 के बम धमाकों के बाद बहुसंख्यक बौद्धों और अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच लगातार तनाव बढ़ा है. कई सुरक्षा अधिकारी बढ़ते इस्लामी चरमपंथी से निपटने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं.
श्रीलंका की सरकार देश भर में एक हजार से ज्यादा मदरसों को बंद करने की योजना भी बना रही है. अधिकारियों का कहना है कि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और वहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मान्य पाठ्यक्रम को नहीं पढ़ाया जा रहा है. 2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका में सिर्फ नौ प्रतिशत मुसलमान हैं. इसीलिए बुर्के पहने हुए महिलाएं श्रीलंका में ज्यादा नहीं दिखाई देती हैं. वहीं बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी 70 प्रतिशत से ज्यादा है. देश में 15 प्रतिशत आबादी तमिलों की है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. एके/आईबी (एएफपी, एपी)
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है. हालांकि, ट्रंप प्रशासन के दौरान जरूर उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार करने की कोशिश की गई थी. लेकिन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की आलोचना करते हुए उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बहन ने अमेरिका की नई बाइडेन सरकार को कड़ी चेतावनी दी है. किम जोंग की बहन किम यो जोंग ने अमेरिका के बाइडेन प्रशासन को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वे अगर 4 साल शांति के साथ रहना चाहता है तो नया विवाद ना खड़ा करे.
किम की बहन ने अमेरिका को चेताया
किम जोंग की बहन ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच ज्वाइंट मिलिट्री प्रैक्टिस को लेकर एक इंटव्यू के दौरान कहा कि अमेरिका के नए प्रशासन को हमारी ओर से एक सलाह है कि वे हमारी जमीन पर बारूद की दुर्गंध ना फैलाएं. किम की बहन ने आगे कहा- “अगर वे 4 साल तक चैन की नींद सोना चाहते हैं तो यह बेहतर होगा कि वे इस बारूद की दुर्गंध से दूर रहें.”
कौन है किम यो जोंग की बहन
दरअसल, किम यो जोंग उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन की छोटी बहन है. उन्हें नॉर्थ कोरिया के तानाशाह का सबसे भरोसेमंद और मुख्य सलाहकार माना जाता है. किम यो जोंग पहली बार अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में उस वक्त आई जब साल 2018 में वह दक्षिण कोरिया जानेवाली किम वंश की मेंबर बनी थी. उसी वर्ष किम यो जोंग के अपने भाई और नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ कूटनीतिक रणनीतियां बनाते हुए भी देखा गया था.
किम जो जोंग का पॉलिटिकल कद उस वक्त साल 2017 के अक्टूबर में बढ़ा जब वे पोलित ब्यूरो की सदस्य बनी थीं. उससे पहले किम जो योंग उस महकमे की उप-निदेशक थी जो किम जोंग की पब्लिक इमेज और पॉलिसी के प्रचार-प्रसार की जम्मेदारी संभालता है.
क्यों भड़कीं हैं किम जोंग की बहन?
अमेरिका ने इससे पहले कहा था कि वे कुछ ही हफ्तों में उत्तर कोरिया से संपर्क स्थापित करेगा. अमेरिका ने कहा कि आने वाले समय में वह उत्तर कोरिया से बातचीत कर परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर चल रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश करेगा. साथ ही कहा कि यदि कोई मसला है तो इसे एक दूसरे से बातचीत कर सुलझाने की कोशिश की जाएगी.
इधर, उत्तर कोरिया ने कहा है कि वे जो बाइडेन को अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं मानते हैं. साथ ही कहा कि दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर वह हमपर हमला करने की साजिश रच रहे हैं लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे. किम यो जोंग ने ऐसे समय में यह बयान दिया है जब अमेरिका के विदेश मंत्री पहली बार जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर जाने वाले हैं.(abplive.com)
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने दुनिया भर के नेताओं से इस बात की अपील की है कि वह समाज में महिलाओं की समान भागीदारी को और अधिक बढ़ाएं.
एंटोनियो गुटेरेश ने महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र के उदघाटन पर कहा, "कोविड-19 से उबरने की यह अवधि हमारे लिए एक मौका है कि हम पुरुष और महिला दोनों के समान भविष्य के लिए एक रास्ते का निर्धारण करें."
गुटेरेश ने वैश्विक नेताओं से पांच मुख्य बिंदुओं का निर्धारण करने को कहा है- भेदभावपूर्ण कानूनों को निरस्त कर और सकारात्मक उपायों को लागू करते हुए महिलाओं के समान अधिकारों की सुनिश्चितता, कोटा सहित विशेष उपायों के माध्यम से दोनों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना, अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा की बात को ध्यान में रखते हुए समान वेतन, समान ऋण, समान नौकरी और महत्वपूर्ण निवेश के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक समावेशन को आगे बढ़ाना, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को दूर करने के लिए हर देश में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना को लागू करना.
कोरोना काल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में तेज वृद्धि देखने को मिली है. गुटेरेश ने कहा, "महिलाओं की समान भागीदारी एक ऐसा बदलाव है, जिसकी हमें जरूरत है. ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि महिलाओं की भागीदारी से आर्थिक क्षेत्र, सामाजिक संरक्षण, जलवायु में सुधार आया है."
महिलाओं के खिलाफ हिंसा
सोमवार से न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महिलाओं की स्थिति और पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने और निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का 65वां सत्र शुरू हुआ. कोरोना की वजह से सत्र ऑनलाइन हो रहा है.
वहीं गुटेरेश ने कहा कि महामारी के दौरान महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा हानिकारक परिणामों का सामना करना पड़ा, जैसे कि नौकरी का जाना, यौन शोषण और बाल विवाह. गुटेरेश के मुताबिक सिर्फ 22 देश में ही महिलाएं सरकार की प्रमुख हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी ने "पुरुषों को निर्णय लेने के लिए हावी होने का और एक मौका दे दिया है."
उन्होंने कहा कि हम हथियारों की खरीद में खरबों खर्च करते हैं जो हमें सुरक्षित बनाने में विफल रहते हैं, जबकि हम लोग महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को नजरअंदाज कर देते हैं. यूएन की ही रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की हर तीन में से एक महिला ने अपने जीवन में यौन हिंसा का सामना किया है.
एए/सीके (एएफपी)
जर्मनी ने एहतियात के तौर पर ऐस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जिसके तुरंत बाद इटली, फ्रांस और स्पेन ने भी ऐसा ही फैसला लिया. वहीं डब्ल्यूएचओ ने टीके को सुरक्षित बताया है.
जर्मनी ने सोमवार को ऐस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को रोक दिया. इसकी घोषणा जर्मन स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में की है, इसके बाद इटली, फ्रांस और स्पेन ने भी इसके इस्तेमाल को रोकने का ऐलान किया है. कई अन्य यूरोपीय संघ देश भी रक्त के थक्कों की संभावना के कारण वैक्सीन का उपयोग बंद कर चुके हैं.
जर्मन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कदम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक, पॉल एर्लिच इंस्टीट्यूट (पीईआई) की सलाह के आधार पर एक "एहतियात" के रूप में कदम बताया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) यह तय करेगी कि "कैसे नई जानकारी वैक्सीन के मंजूरी को प्रभावित करेगी" जिसको लेकर एक जांच लंबित है. मंत्रालय के मुताबिक, "जर्मनी और यूरोप में टीकाकरण के बाद दिमाग में खून के थक्के जमने की रिपोर्ट के बाद पीईआई आगे की जांच को आवश्यक मानता है."
जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री येन्स श्पान के मुताबिक यह फैसला पीईआई की सलाह के बाद लिया गया है. उन्होंने कहा, "निर्णय पेशेवर है, राजनीतिक नहीं." श्पान ने कहा कि ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन से रक्त के थक्कों का जोखिम कम है, लेकिन इसे खारिज नहीं किया जा सकता है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "आत्मविश्वास के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात पारदर्शिता है."
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा है कि उनका देश भी वैक्सीन के इस्तेमाल को निलंबित करेगा. यह निलंबन ईएमए द्वारा समीक्षा तक जारी रहेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निलंबन संक्षिप्त हो सकता है. इस बीच ईएमए ने ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर विशेषज्ञों के निष्कर्षों की समीक्षा करने और यह तय करने के लिए गुरुवार को एक बैठक बुलाई है कि क्या कार्रवाई करने की जरूरत है.
और कहां रोकी गई ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन
जर्मनी, इटली, फ्रांस और स्पेन के अलावा यूरोप और विश्व के कई देश इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा चुके हैं. पिछले हफ्ते डेनमार्क ने इस पर रोक लगाई थी जिसके बाद आयरलैंड, बुल्गारिया, और नार्वे ने खून के थक्के बनने को लेकर चिंताएं सामने आने के बाद एहतियात के तौर पर इस टीके पर रोक लगा दी थी. रोक यूरोप तक सीमित नहीं है, इंडोनेशिया ने भी इस वैक्सीन के टीकाकरण के लिए इस्तेमाल को आगे बढ़ा दिया है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी भी कुछ लोगों में रक्त के थक्कों के बारे में चिंता के बावजूद ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उपयोग जारी रखा जा सकता है.
"वैक्सीन से खून के थक्कों के जमने का सबूत नहीं"
कई यूरोपीय देशों द्वारा ऐस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने के बाद कंपनी ने कहा है कि उनकी वैक्सीन के कारण खून के थक्के जमने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. कंपनी ने बयान में कहा, "सुरक्षा सबसे पहले है और कंपनी द्वारा अपने वैक्सीन की सुरक्षा पर लगातार निगरानी की जा रही है." कंपनी का कहना है, "यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में टीकाकरण कराए गए 1.7 करोड़ से अधिक लोगों के सुरक्षा से संबंधित उपलब्ध सभी आंकड़ों की गहराई से समीक्षा की गई, जिसमें किसी भी आयु वर्ग और लिंग या किसी विशेष देश के निवासियों में खून का थक्का जमने, खून में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी के होने के खतरे का कोई सबूत नहीं मिला है."
एए/सीके (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)