अंतरराष्ट्रीय
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी राष्ट्रीय विकास और सुधार कमेटी, चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने 28 दिसंबर को विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने वाले उद्योगों की सूची (2020 संस्करण) सार्वजनिक की। यह सूची 27 जनवरी, 2021 से लागू होगी। इस सूची में वेंटिलेटर, ईसीएमओ, मॉनिटर, पीसीआर इंस्ट्रूमेंट विनिर्माण, ऑनलाइन शिक्षा, ऑनलाइन चिकित्सा उपचार, ऑनलाइन कार्यालय प्रणाली विकास एवं अनुप्रयोग सेवा, 5जी मोबाइल दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुप्रयोग आदि 65 प्रकार के नए विषय शामिल हैं और अन्य 51 विषय संशोधित किए गए हैं।
इस सूची के अनुसार चीन औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला में विदेशी पूंजी की सक्रिय भूमिका को आगे निभाएगा, उत्पादक सेवा उद्योगों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करेगा, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आगे प्रोत्साहित करेगा।
चीनी राष्ट्रीय विकास और सुधार कमेटी के संबंधित प्रमुख ने कहा कि विदेशी निवेश को और स्थिर करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी उद्योग और सूचनाकरण मंत्री श्यो याछिंग ने 28 दिसंबर को पेइचिंग में कहा कि चीन वर्ष 2021 में 5जी नेटवर्क के निर्माण और प्रयोग पर जोर देगा और मुख्य शहरों में 5जी के आवरण में तेजी लाएगा। चीन नये साल में 6 लाख से अधिक नये 5जी बेस स्टेशन स्थापित करेगा। उसी दिन आयोजित 2021 राष्ट्रीय उद्योग और सूचनाकरण कार्य बैठक में श्यो याछिंग ने कहा कि चीन दस मुख्य व्यवसायों और 20 बड़े औद्योगिक उपयोग में 5जी विशेष नेटवर्क का परीक्षात्मक कार्य करेगा।
इसके अलावा, चीनी उद्योग और सूचनाकरण मंत्रालय साइबर नेटवर्क को अपडेट करेगा और 20 करोड़ से अधिक ग्राहकों को गीगाबिट स्पीड उपलब्ध कराने की कोशिश करेगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 29 दिसंबर | सुबह उठने के बाद जब आप अपने दिन की शुरूआत एक कप कॉफी के साथ करते हैं, तो आप शायद कल्पना नहीं करते कि कॉफी की सुगंध चाय के जन्मस्थान चीन की है। और कॉफी का यह प्याला चीनी किसानों का भाग्य बदल रहा है। हाल में पश्चिमी सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हुए 'कॉफी के एक प्याले में गरीबी उन्मूलन की कहानी' नामक एक वीडियो में इसका वर्णन है। जैसे कि इस वीडियो में बताया गया कि 2020 में चीन के युन्नान प्रांत के छोटे शहर फूअर में करीब 6 लाख लोगों ने गरीबी से छुटकारा पाया है। यह संख्या यूरोप के लग्जमबर्ग की पूरी आबादी के बराबर है। इसमें युन्नान प्रांत में उत्पादित कॉफी का बड़ा योगदान है।
पानी की एक बूंद सूर्य की किरणों को अपवर्तित कर सकती है। 2020 में चीन ने कोविड-19 का मुकाबला कर समय पर अति गरीबी और क्षेत्रीय सामूहिक गरीबी की समस्या को खत्म किया और 10 साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के 2030 अनवरत विकास कार्यक्रम के गरीबी उन्मूलन लक्ष्य को साकार किया। विश्व के गरीबी उन्मूलन कार्य में चीन की योगदान दर 70 प्रतिशत से अधिक पहुंची है।
आम जनता को अच्छा जीवन मुहैया करवाना चीन सरकार के सभी कार्यों का मकसद है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीन में गरीबी उन्मूलन कार्य में प्राप्त अहम विजय को केंद्रीय प्रेरणा शक्ति बताया। यूएन महासचिव एंटोनिओ गुटरेस ने कहा कि गरीबी उन्मूलन की रणनीति अति गरीब आबादी को मदद देना है और 2030 अनवरत विकास कार्यक्रम इस महान लक्ष्य को साकार करने का एकमात्र तरीका है। चीन के अनुभव अन्य विकासशील देशों को लाभदायक सबक ले सकते हैं।
हाल में कोविड-19 की महामारी विश्व में फैल रही है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में विश्व में संभवत: और 10 करोड़ आबादी अति गरीबी में फंसेगी। इस कठिन वक्त पर चीन ने समय पर गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को साकार किया, जो मानव जाति के गरीबी उन्मूलन के कार्य में विश्वास और प्रेरणा शक्ति डाल सकता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा पेश की गयी बेल्ट एंड रोड पहल 76 लाख लोगों और 3.2 करोड़ लोगों को अति गरीबी और मध्यम गरीबी से छुटकारा पाने में मदद दे सकेगी।
गरीबी उन्मूलन का कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है, जबकि चीनी जनता द्वारा समान समृद्धि की ओर जाने की नयी शुरूआत है।
(अनिल आजाद पांडेय --- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
वीडियो गेम कंपनी यूजू के संस्थापक और चीनी अरबपति लिन छी की मौत गेम ऑफ थ्रोन्स के थ्रिलर से कम नहीं हैं. उन्हें जहर देकर मारे जाने का संदेह है. यह मौत अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई है.
चीन, 29 दिसंबर | लिन की मौत के बाद शंघाई में पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है. चीनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है उसका नाम शू याओ हो सकता है जो लिन की कंपनी यूजू की फिल्म निर्माण शाखा के प्रमुख हैं.
चीन के सरकारी अखबार पीपल्स डेली की साप्ताहिक पत्रिका चाइना इकोनॉमिक वीकली ने इस मौत के पीछे आपसी खींचतान होने की संभावना जताई है. पत्रिका का कहना है कि लिन ने शू का वेतन कम कर दिया था क्योंकि वह उन्हें कंपनी से निकलना चाहते थे.
लिन की मौत के बाद यूजू के नौ सदस्यीय बोर्ड में एक जगह खाली हो गई है. कंपनी का कहना है कि वह जल्द ही इस पद को भर लेगी और कंपनी का काम पहले की तरह ही चलता रहेगा.
क्या है यूजू
2009 में स्थापित यूजू कंपनी को चीन के बाहर सबसे ज्यादा 'गेम ऑफ थ्रोन्स: विंटर इज कमिंग' बनाने वाली कंपनी के तौर पर जाना जाता है. यह स्मार्टफोन और कंप्यूटरों के लिए एक स्ट्रैटजिक गेम है. यह गेम इतना मशहूर हुआ कि इस साल के शुरू के छह महीनों में कंपनी का लगभग आधा राजस्व चीन के बाहर से आया. यूजू चीन की उन चुनिंदा गेमिंग कंपनियों में शामिल है जिन्होंने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है.
खुद लिन एक अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक थे. वह कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर थे. उनके पास 23.99 प्रतिशत शेयर थे. 39 साल के लिन की मौत क्रिसमस वाले दिन हुई. इससे पहले उन्हें 17 दिसंबर को अस्पताल ले जाया गया. संभवतः उन्हें जहर दिया गया था. मीडिया में अटकलें लग रही हैं कि शायद उन्हें एक चीनी ड्रिंक में जहर मिलाकर दिया गया था.
थ्री बॉडी प्रॉब्लम
लिन एक साइंस फिक्शन सीरीज थ्री बॉडी प्रॉब्लम के फिल्म एडैप्शन पर काम कर रहे थे जिसे नेटफ्लिक्स के लिए बनाया जाना था. यूजू में फिल्म निर्माण शाखा का नेतृत्व शू के हाथ में है. बताया जाता है कि मार्च 2019 में अमेजन ने इस फिल्म के अधिकार एक अरब डॉलर में खरीदने के लिए यूजू से संपर्क किया. यूजू ने अमेजन की पेशकश ठुकरा दी और अधिकार नेटफ्लिक्स को बेच दिए गए. कितने में, यह नहीं बताया गया.
सितंबर में नेटफ्लिक्स ने कहा कि वह गेम ऑफ थ्रोन्स के क्रिएटर डेविडन बेनिहोफ और डीबी वाइस के साथ मिलकर थ्री बॉडी प्रॉब्लम सिरीज की बेस्ट सेलिंग किताबों पर अंग्रेजी में एक सीरीज बनाएगा. लिन एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे. जैसे जैसे कंपनी मोबाइल गेम की तरफ बढ़ती गई, उसके लिए फिल्म बनाना मुश्किल होता गया.
द हॉलीवुड रिपोर्टर का कहना है कि यूजू ने 2015 में जब अपनी प्रोडक्शन टीम के साथ थ्री बॉडी प्रॉब्लम सीरीज को डेवलप करने के अधिकार खरीदे तो कंपनी को कई तरह की दिक्कतें आईं. कंपनी के कई सीनियर कर्मचारी काम छोड़कर चले गए. कंपनी ने 2015 में कहा कि वह द थ्री बॉडी पार्ट प्रॉब्लम उपन्यास को छह अलग अलग फिल्मों में तब्दील करने पर 18.3 करोड़ डॉलर खर्च करेगी.
द थ्री बॉडी प्रॉब्लम के सामने उस समय भी समस्याएं आईं जब इसे लिखने वाले लियू सिशिन ने 2019 में शिनचियांग प्रांत में चीन सरकार के कदमों को सही ठहराया. वहां चीनी सरकार ने लाखों उइगुर मुसलमानों को शिविरों में कैद कर रखा है. विवाद बढ़ता गया और कई अमेरिकी सांसदों ने नेटफ्लिक्स ने कहा कि वह इस प्रोजेक्ट को छोड़ दे.
डेमोक्रैटिक पार्टी के बहुमत वाली संसद के निचले सदन ने रक्षा नीति बिल पर डॉनल्ड ट्रंप के वीटो के खिलाफ प्रस्ताव भारी मतों से पास कर दिया है. राष्ट्रपति ट्रंप के लिए यह पहला मौका है जब उनका वीटो संसद में खारिज होगा.
अमेरिका, 29 दिसंबर | निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में वीटो को खारिज करने का प्रस्ताव 87 के मुकाबले 322 मतों से पारित हुआ. राष्ट्रपति के वीटो को दरकिनार करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है लेकिन उससे कहीं ज्यादा वोट इस प्रस्ताव को हासिल हो गए. प्रस्ताव पर संसद के ऊपरी सदन सीनेट में भी इसी हफ्ते मतदान होगा और वहां से भी इसे दो तिहाई मतों से पारित कराना होगा.
क्या है डिफेंस बिल
डिफेंस बिल का नाम है नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट या एनडीएए. इसमें सैनिकों के लिए तीन प्रतिशत वेतन वृद्धि और 740 अरब डॉलर के सैन्य कार्यक्रमों और निर्माण को मंजूर दी गई है. डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते डिफेंस बिल को खारिज कर दिया था. उनका कहना था कि यह बिल सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम कसने में नाकाम है. ट्रंप सोशल मीडिया पर उनके चुनाव अभियान के दौरान भेदभाव वाला रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं. ट्रंप ने मित्र नेताओं के सम्मान में बाकी बचे सैन्य अड्डों को जारी रखने की बात कहने वाले प्रस्ताव की भाषा का भी विरोध किया था. बिल में अफगानिस्तान और जर्मनी से सैनिकों की वापसी के लिए कुछ शर्तें लगाई गई हैं.
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सभापति नेन्सी पेलोसी ने मतदान के बाद कहा कि सदन ने अपना हिस्से का काम कर दिया है ताकि "राष्ट्रपति की ओर से रुकावट डालने की खतरनाक कोशिशों के बावजूद" एनडीएए को कानून बनाना सुनश्चित किया जा सके. पेलोसी के मुताबिक ट्रंप का अंधाधुंध वीटो अमेरिकी सैनिकों को खतरनाक काम के भत्ते से वंचित कर देगा. उनका यह भी कहना है कि वीटो से वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए संरक्षण खत्म होगी और नस्लवाद को रोकने जैसे अमेरिकी मूल्य कमजोर होंगे.
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जिम इनहोफे सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं. उन्होने कहा कि यह बिल "हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के लिए बेहद जरूरी है. वर्दी पहनने के लिए आगे आने वाले हमारे मर्द और औरतों को उस चीज से वंचित नहीं किया जाना चाहिए जिसकी उन्हें हमेशा से जरूरत है."
आखिरी समय में कमजोर पड़े ट्रंप
डॉनल्ड ट्रंप ने चार साल के कार्यकाल के दौरान संसद में पार्टी के भीतर एक तरह का अनुशासन लागू किया है जिसमें सार्वजनिक रूप से उनके खिलाफ कम ही रिपब्लिकन सांसदों ने आवाज उठाई है. जिस तरह से दोनों पार्टियों के सांसदों ने इस लोकप्रिय डिफेंस बिल के पक्ष में वोट दिया है उससे व्हाइट हाउस से ट्रंप की विदाई के पहले आखिरी हफ्तों में उनके घटते असर का अंदाजा हो जाता है. इस बिल पर वोटिंग के कुछ ही मिनटों पहले 130 सांसदों ने ट्रंप की उस प्रस्ताव के खिलाफ भी वोट दिया जिसमें कोविड 19 के लिए 2000 डॉलर की रकम राहत के रूप में अमेरिकी लोगों को देने की योजना थी. निचले सदन ने बढ़ी रकम के प्रस्ताव को तो मंजूरी दे दी लेकिन रिपब्लिकन सांसदों के बहुमत वाले ऊपरी सदन से इसका पास होना मुश्किल है.
ट्रंप ने डिफेंस बिल को वीटो करने के पीछे कई कारण दिए. उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वो ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कुछ रोक लगाएं. ट्रंप का दावा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके साथ भेदभाव करते हैं. इसके साथ ही वो फोर्ट बेनिंग और फोर्ट हुड जैसे सैनिक अड्डों का मित्र नेताओं के सम्मान में नाम बदलने के प्रस्ताव को भी हटाना चाहते थे. ट्रंप ने बिना सबूतों के दावा किया कि डिफेंस बिल का सबसे बड़ा फायदा चीन को होगा. कई सासंदों ने चीन को लेकर ट्रंप की आशंकाओं से इनकार किया है और यह भी कहा है कि ट्रंप वीटो के पीछे अपने कारण बदल रहे हैं.
अफगानिस्तान और जर्मनी से सैनिक वापसी
ट्रंप ने अपने वीटो संदेश में यह भी कहा कि बिल विदेश नीति को चलाने में उनकी क्षमता को सीमित करेगा, "खासतौर से हमारे सैनिकों को घर वापस बुलाने में." ट्रंप बिल की उन बातों का जिक्र कर रहे थे जिनमें जर्मनी और अफगानिस्तान से हजारों की तादाद में सैनिकों को वापस बुलाने की उनकी योजना के लिए शर्तें रखी गईं थीं. ट्रंप सैनिकों की वापसी चाहते हैं लेकिन बिल में कहा गया है कि इसके लिए रक्षा विभाग को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी जिसमें इस बात की पुष्टि होगी कि सैनिकों की प्रस्तावित वापसी अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगी.
डिफेंस बिल पर वीटो का विरोध करने वालों में 212 डेमोक्रैट और 109 रिपब्लिकन के साथ एक निर्दलीय सांसद शामिल थे. डेमोक्रैटिक पार्टी के 20 और 66 रिपब्लिकन सांसद और एक निर्दलीय सांसद ने वीटो को जारी रखने के पक्ष में वोट दिया. डिफेंस बिल को सीनेट ने 13 के मुकाबले 84 मतों से इसी महीने मंजूरी दी थी.
ट्रंप ने आठ दूसरे बिलों को भी वीटो किया लेकिन उन बिलों के समर्थक दोनों सदनों में दो तिहाई वोट जुटाने में नाकाम रहे. दो तिहाई वोट मिलने के बाद ही किसी बिल को बिना राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ कानून में बदला जा सकता है.
इस्लामाबाद, 29 दिसंबर | पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश में चुनाव सुधारों पर राष्ट्रीय संवाद का समर्थन किया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ही यह तय करेंगे कि बातचीत कब और किसके साथ होगी। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पत्रकारों के साथ बैठक में ये विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रपति ने 11-पक्षीय विपक्षी गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की सरकार से इस्तीफे की मांग को अनुचित बताया और कहा कि पिछले दो वर्षो से राजनीतिक प्रणाली को अस्थिर किया जा रहा है।
राष्ट्रपति अल्वी ने कहा, "चुनावी सुधार पर एक राष्ट्रीय संवाद की आवश्यकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ही यह फैसला करेंगे कि यह कब और किसके साथ हो।"
विपक्ष ने हालांकि, खान के इस्तीफे की मांग की है और सरकार के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने से इनकार कर दिया।
--आईएएनएस
बीजिंग, 29 दिसम्बर | शाओमी ने चीन में स्नैपड्रैगन 888 प्रोसेसर और 120 हट्र्ज डिस्प्ले से लैस एमआई 11 को लॉन्च कर दिया है। एमआई 11 के 8जीबी प्लस 128 जीबी वेरिएंट की कीमत 3,999 युआन यानि कि 44932.85 रुपये रखी गई है, जबकि इसके अगले वेरिएंट 8जीबी प्लस 256 जीबी की कीमत 4,299 युआन यानि कि 48303.66 रुपये रखी गई है। 128जीबी प्लस 256 जीबी के साथ इसके तीसरे मॉडल को 4,699 युआन के साथ मार्केट में उतारा गया है, जिसकी कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से 52798.06 रुपये है।
जीएसएमएरिना की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी बिक्री 1 जनवरी से शुरू होने वाली है।
इस डिवाइस को छह अलग-अलग रंगों में पेश किया जाएगा, जिनमें ब्लैक, व्हाइट, ब्लू, खाकी वेगन लेदर, पर्पल लेदर सहित एक स्पेशल एडिशन शामिल है, जिसमें लेई जून का ऑटोग्राफ है।
शाओमी का यह नया मॉडल स्नैपड्रैगन 888 प्रोसेसर से लैस है, जिसमें 128जीबी रैम और 256जीबी यूएफएस 3.1 स्टोरेज दी गई है।
स्मार्टफोन को 6.81 इंच की डब्ल्यूक्यूएचडी (3200 1440 पिक्सल) रेजोल्यूशन एमोलेड स्क्रीन, एचडीआर10प्लस सपोर्ट, पी3 कलर स्पेकट्रू और कॉनिर्ंग गोरिल्ला ग्लास विक्टस के साथ पेश किया गया है।
इसमें 1/1.33 इंच के बड़े सेंसर, 7पी लेंस और एफ/1.85 अपर्चर के साथ एक 108एमपी का प्राइमरी रियर कैमरा है और साथ ही 13 मेगापिक्सल का एक वाइड-एंगल लेंस सेंसर भी शामिल है, जो 123-डिग्री फील्ड ऑफ व्यू और एफ/2.4 अपर्चर के साथ आता है।
इन कैमरों से आप 24/30एफपीएस पर 8के वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं। इसमें सामने की ओर एक 20एमपी का कैमरा भी है।
सॉफ्टवेयर की जहां तक बात है, तो शाओमी का यह नया मॉडल ऐसा पहला स्मार्टफोन है, जो एमआईयूआई 12.5 अपडेट से लैस है, जिसमें कई नए तरह के वॉलपेपर और नोटिफिकेशन साउंड शामिल होंगे।
डिवाइस में 55 वार्ट वायर्ड चाजिर्ंग, 50 वार्ट वायरलेस चाजिर्ंग और 10 वार्ट रिवर्स वायरलेस चाजिर्ंग सपोर्ट के साथ 4,600 एमएएच की बैटरी दी गई।
--आईएएनएस
तेल अवीव, 29 दिसंबर| इजरायली सेना ने मंगलवार को कहा कि गाजा पट्टी से दागा गया एक रॉकेट यहूदी देश तक पहुंचने में विफल रहा और फिलिस्तीनी क्षेत्र के भीतर ही गिर गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सोमवार आधी रात के ठीक बाद गाजा के पास किब्बुत्ज केरेम शालोम कम्युनिटी में सायरन बज गया।
एक सैन्य प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि "गाजा पट्टी से एक रॉकेट दागे जाने के बारे में पता चला जो इजरायली क्षेत्र में नहीं पहुंच सका।"
चार दिनों में यह दूसरी बार था कि गाजा के चरमपंथियों द्वारा इजरायल के लिए एक रॉकेट दागा गया।
25 दिसंबर की रात को गाजा से दो रॉकेट लॉन्च किए गए थे।
बाद में, इजरायल ने हवाई हमले शुरू किए और गाजा में कई साइटों पर हमला किया, जिसमें एक रॉकेट निर्माण सुविधा, भूमिगत बुनियादी ढांचा, और हमास से संबंधित एक मिलीट्री पोस्ट था।
हालांकि, गाजा से रॉकेट हमले पिछले कुछ महीनों में उग्र कोरोनोवायरस महामारी के बीच घटे हैं। (आईएएनएस)
कराची, 29 दिसंबर| पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ब्रिटेन में पाए गए नए कोरोनावायरस वेरिएंट की पहचान यात्रियों से लिए गए तीन नमूनों में की गई है जो हाल ही में ब्रिटेन से लौटे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह घोषणा की।
जियो न्यूज के मुताबिक, सिंध स्वास्थ्य विभाग ने जीनोटाइपिंग के लिए ब्रिटेन से लौटे 12 लोगों के नमूने लिए, जिनमें से छह कोवडि-19 पॉजिटिव पाए गए।
विभाग ने एक बयान में कहा, "तीन की रिपोर्ट में पहले चरण में कोविड-19 का नया वेरिएंट नजर आया।"
बयान में कहा गया है कि जीनोटाइपिंग ने नए स्ट्रेन का 95 प्रतिशत मैच होने का खुलासा किया, जो कि 70 प्रतिशत अधिक संक्रमणीय है।
विभाग के प्रवक्ता मीरान यूसुफ ने कहा, "ये नमूने जीनोटाइपिंग के दूसरे दौर की जांच से गुजरेंगे।"
पाकिस्तान में कोरोनावायरस के कुल मामलों की संख्या मंगलवार तक बढ़कर 475,085 हो गई है और अब तक 9,992 लोगों की मौत हो चुकी है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 29 दिसंबर | अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर का नाम हाल ही में न्यूयॉर्क पोस्ट की एक विवादास्पद रिपोर्ट में सामने आई थी। इसमें अपना नाम शामिल किए जाने के चलते यहां के एक कम्प्यूटर रिपेयर शॉप के मालिक ने ट्विटर पर 50 करोड़ डॉलर का मानहानि का मुकदमा किया है। अक्टूबर में आई इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डेलावेयर में स्थित मैक शॉप को हंटर बाइडन के लैपटॉप से डेटा रिकवरी के लिए भुगतान किया गया था। इसमें कथित तौर पर हार्ड ड्राइव की एक कॉपी से ईमेल और तस्वीरें भी प्रकाशित की गईं।
इस आर्टिकल के वायरल होने के बाद फेसबुक और ट्विटर दोनों ने ही इसके प्रदर्शन पर अपने प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दी थी और ट्विटर ने इसके लिए स्पष्टीकरण के रूप में हैक्ड मैटेरियल्स को पोस्ट करने के इसके बैन की ओर इशारा किया था।
अब द वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैक शॉप के मालिक रह चुके जॉन पॉल मैक आइजैक ने यह कहते हुए ट्विटर पर मुकदमा ठोका है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुनिया से मैक का परिचय एक हैकर के रूप में कराया गया है।
आइजैक ने कहा है कि ट्विटर की ही वजह से लोग अब उन्हें एक हैकर के रूप में जानते हैं। उन्होंने अब ट्विटर से 50 करोड़ डॉलर और सार्वजनिक रूप से अपने इस बयान की वापसी की मांग की है।
आईजैक ने अपनी शिकायत में कई नेगेटिव बिजनेस रिव्यूज का हवाला दिया है, जिसमें कहानी के इस तथ्य के आधार पर मैक की आलोचना की गई है, लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इन नकारात्मक समीक्षाओं के लिए ट्विटर को ही क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
ट्विटर ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। (आईएएनएस)
सऊदी अरब एक तरफ महिलाओं को ऐतिहासिक अधिकार दे रहा है जिनमें गाड़ी चलाने से लेकर मैच देखने और सिनेमा जैसी चीजें हैं तो दूसरी तरफ इन्हीं सब के लिए मांग करने वाली महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है.
महिला अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने वाली लुजान की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा है. 31 साल की हथलौल को मई 2018 में दर्जन भर दूसरी महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया. ये महिलाएं देश में ड्राइविंग और दूसरे महिला अधिकारों के लिए अभियान चला रही थीं. इन महिलाओं की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. ऐसे में इनकी गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विरोध हुआ.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनने के बाद हथलौल की आधी सजा को निलंबित करने का फैसला लिया गया. आंशिक रूप से सजा निलंबित होने के कारण उन्हें कुछ महीनों में रिहा कर दिए जाने की उम्मीद है. उनकी बहन ने ट्विटर पर लिखा है कि दो महीने में उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि यह निलंबन अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के अगले महीने पदभार संभालने को देखते हुए किया गया है. जो बाइडेन सऊदी अरब में मानवाधिकारों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की बात कह चुके हैं. बाइडेन का मानना है कि ट्रंप के शासन में मानवाधिकारों के मामले में सऊदी अरब को खुली छूट मिल गई.
आतंकवाद निरोधी अदालतद ने हथलौल को हुई पांच साल आठ महीने की सजा में से दो साल 10 महीने की सजा निलंबित की है, अगर वो अगले तीन साल में "कोई अपराध नहीं करतीं." सरकार समर्थक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सब्क और दूसरे मीडिया संस्थानों को इस मुकदमे की सुनवाई देखने की अनुमति मिली थी. उन्होंने ही यह जानकारी दी है.
महिला अधिकार कार्यकर्ता को सऊदी सरकार के आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत आपराधिक करार दिए गए संगठनों के साथ सहयोग करने का दोषी माना गया. यह भी कहा गया कि ये संगठन देश में सत्ता परिवर्तन की मांग करते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालते हैं. हिरासत में ली गई एक और महिला कार्यकर्ता माया अल जाहरानी को भी इसी तरह के आरोपों में इतनी ही सजा सुनाई गई है. हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्हें कब रिहा किया जाएगा. अदालत ने हथलौल को सऊदी अरब से बाहर जाने पर पांच साल की रोक लगा दी है.
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने हथलौल को तुरंत रिहा करने की मांग की है. जर्मनी की मानवाधिकार आयुक्त बार्बेल कोफलर ने भी यही मांग रखी है. जो बाइडेन के प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभालने जा रहे जेक सुलिवन ने ट्वीट किया है, "सऊदी अरब का लुजान अल हथलौल को सामान्य रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए सजा दिया जाना अनुचित और परेशान करने वाला है." इसके उलट ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया थोड़ी हल्की रही है. विदेश विभाग के उप प्रवक्ता केल पब्राहु ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका चिंतित है और हमें 2021 में उनकी संभावित जल्द रिहाई का इंतजार है.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन मानवाधिकार के मामलों में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नाकामियों पर दबाव बनाने की बात कह चुके हैं. माना जा रहा है कि पद संभालने के बाद वे अमेरिका -सऊदी अरब के दोहरे नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शाही परिवार के उन सदस्यों के रिहाई के लिए दबाव बनाएंगे जिन्हें बिना औपचारिक आरोपों के गिरफ्तार किया गया है.
रियाद की अपराध अलादत में सुनवाई के बाद पिछले महीने हथलौल का मामला विशेष अपराध अदालत या आतंकवाद निरोधी अदालत में सुनवाई के लिए लाया गया. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर आलोचना की आवाज दबाई जा रही है.
इसी महीने विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान ने कहा था कि हथलौल "अप्रिय" देशों के संपर्क में थीं और गुप्त सूचनाएं पहुंचा रही थीं. हालांकि हथलौल के परिवार का कहना है कि इन आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. कई महिला कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया लेकिन हथलौल और कुछ दूसरी महिलाएं को जेल में ही रखा गया.
सरकार समर्थक सऊदी मीडिया उन्हें "गद्दार" बताने में जुटा है. हथलौल के परिवार का कहना है कि उन्होंने हिरासत में यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का भी सामना किया है. सऊदी अदालत इन आरोपों से इनकार करती है.
महिला कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर सऊदी अरब की काफी आलोचना हुई है. 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी सरकार पहले ही आलोचनाएं झेल रही है.
एनआर/एके(एएफपी)
बर्लिन, 29 दिसंबर| ब्रिटेन में इस महीने की शुरूआत में पाए गए कोरोनावायरस के नए वेरिएंट के बारे में एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जर्मनी में नवंबर से ही मौजूद है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र डाई वेल्ट में सोमवार को प्रकाशित हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हनोवर मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने नवंबर के करीब कोरोनावायरस से संक्रमित हुए एक बुजुर्ग मरीज के नमूने में नए वेरिएंट का पता लगाया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी।
यहां दक्षिण-पश्चिमी राज्य बेडेन-वर्टेम्बर्ग के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जर्मनी में 24 दिसंबर को नए वेरिएंट के पहले मामले का पता लगा। इससे संक्रमित हुई यह महिला ब्रिटेन से लौटी थी।
जर्मनी में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या इस वक्त 16,72,643 है और अब तक 30,508 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 29 दिसंबर | पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को दोहराया कि प्रधानमंत्री इमरान खान 11 विपक्षी दलों वाले गठबंधन पीडीएम के कहने पर इस्तीफा नहीं देंगे। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, कुरैशी की टिप्पणी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी के उस धमकी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर खान 31 जनवरी तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो इस्लामाबाद तक एक लंबे मार्च की अगुवाई करेंगे।
कुरैशी ने कहा, "पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के विरोध, लंबे मार्च और रैलियों से सरकार कहीं नहीं जाएगी। मैं आज पीडीएम को बता रहा हूं कि प्रधानमंत्री इमरान खान 31 जनवरी को इस्तीफा नहीं देंगे।"
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, " वे 31 जनवरी का इंतजार क्यों कर रहे हैं?"
पिछले हफ्ते, जरदारी ने सरकार के खिलाफ लंबे मार्च शुरू करने के लिए अपना रुख दोहराया था, जिसमें जोर देकर कहा गया था कि बातचीत के लिए समय नहीं बचा है।
उन्होंने कहा था कि पीडीएम मार्च शुरू करने के लिए अंतिम कदम उठाएगा और इसमें गरीब, नौकरीपेशा, छात्र आदि हिस्सा लेंगे।
पीडीएम प्रधानमंत्री खान की सरकार के लिए एक बड़ा प्रतिरोध बन गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि विपक्षी आंदोलन का मुख्य एजेंडा भ्रष्टाचार के मामलों से अपने नेताओं को राहत दिलाना है।
खान ने हाल के एक बयान में कहा कि विपक्षी दल चाहे जितने मजबूत हो जाएं, लेकिन वह विपक्ष को कभी भी देश के लोगों के चुराए गए पैसों का लाभ नहीं लेने देंगे।(आईएएनएस)
पश्चिमी देशों का सैन्य संगठन नाटो नई उम्मीदों के साथ नए साल में प्रवेश कर रहा है. अमेरिका में सत्ता बदलने वाली है. डॉनल्ड ट्रंप की जगह जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से क्या कुछ बदलेगा?
डॉयचे वैले पर टेरी शुल्स का लिखा-
दिसंबर 2019 में नाटो के 70 साल पूरे हुए तो इस मौके पर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया, बल्कि लंदन में सादा सा समारोह किया गया, जिसे 'नेताओं की बैठक' का नाम दिया गया. इसकी एक वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी रहे जो ऐसे मौकों को अपनी बातों से अकसर हाइजैक करने में माहिर हैं और अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने की बजाय उन्हें निशाना बनाने लगते हैं.
हालिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने के बाद आम तौर पर तटस्थ माने जाने वाले नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग अपनी उत्सुकता को छिपा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को "नाटो और ट्रांस अटलांटिक (यूरोप-अमेरिका) संबंधों का मजबूत समर्थक बताया है." उन्होंने बाइडेन को प्रशासन की बागडोर संभालने के बाद ब्रसेल्स आने का न्यौता दिया है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप के स्थान पर बाइडेन का होना नाटो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. फ्रेंड्स ऑफ यूरोप संस्था में सीनियर फेलो पॉल टेलर कहते हैं, "वाकई बहुत मुश्किल समय रहा. लेकिन बड़ी बात यह है कि नाटो ने डॉनल्ड ट्रंप को झेल लिया, बिना टूटे फूटे और बिना बदले हुए."
पहले से बेहतर या बुरा
वैसे ट्रंप के रहते कुछ बातें अच्छी भी हुई. मिसाल के तौर पर सदस्यों देशों की तरफ से नाटो के लिए दिए जाने वाले योगदान में गिरावट नहीं आई. नाटो का लक्ष्य है कि सदस्य देश अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत सैन्य गठबंधन के लिए दें. इस दो प्रतिशत की मांग को देखते हुए सभी सदस्य देशों ने अपने रक्षा खर्च में इजाफा किया है ताकि ट्रंप की किसी भी सार्वजनिक फटकार से बचा जा सके.
टेलर कहते हैं, "उन्होंने सहयोगियों के बीच चीन के मुद्दे को भी लगातार गर्म रखा जबकि यह कभी नाटो के एजेंडे पर नहीं रहा. क्या कभी ना कभी इसे एजेंडे पर आना ही था? पता नहीं, लेकिन यह उनके रहते हुआ, उनकी जिद पर हुआ."
हालांकि इराक और अफगानिस्तान से एकतरफा तौर पर अमेरिकी सेनाओं को हटाने के उनके फैसले का अच्छा पहलू ढूंढना मुश्किल है. वहां नाटो सैनिक स्थानीय बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वे अपने देश की सुरक्षा जिम्मेदारी अपने हाथों में ले सकें. अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करते वक्त ट्रंप ने ना तो नाटो से सलाह मशविरा किया और ना ही उन सरकारों से जिनके सैनिक वहां तैनात हैं. अमेरिकी सैनिकों के ना होने के चलते अब इन देशों के सैनिकों को लिए वहां हालात पहले से मुश्किल होंगे.
नाटो में जर्मनी की भूमिका
आधिकारिक तौर पर पश्चिमी जर्मनी 1955 में ट्रांस-अटलांटिक सैनिक संधि में शामिल हुआ. लेकिन 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही जर्मन सेना को नाटो के नेतृत्व में "आउट ऑफ एरिया" मिशनों के लिए भेजा गया. नाटो के कई साथी देशों की मदद के लिए जर्मन सेना ने शांति स्थापना से लेकर शक्ति संतुलन बनाने तक के मिशन पूरे किए हैं.
ऐसे हालात में सत्ता संभाल रहे बाइडेन से नाटो को उम्मीद है कि वे मौजूदा और निकट भविष्य की सुरक्षा चिंताओं से निपटने में सामूहिक प्रयासों को मजबूत करेंगे. अब स्टोल्टेनबर्ग ऐसी चुनौतियों की प्राथमिकता सूची बना रहे हैं. नाटो के लिए मौजूद खतरों और क्षमताओं से जुड़ी "सामरिक अवधारणा" को 2010 से अपडेट नहीं किया गया है. नाटो में नई जान फूंकना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों कह चुके हैं कि इसकी "दिमागी मौत" हो चुकी है.
"नाटो रिफ्लेक्शन ग्रुप" की नई रिपोर्ट "नाटो 2030: नए युग के लिए एकजुट" कहती है कि लगातार आक्रामक बना हुआ रूस अगले दशक में भी सैन्य गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा, लेकिन निश्चित रूप से चीन से भी निटपना होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और पूर्व जर्मन विदेश मंत्री थॉमस दे मेजिएरे के साथ मिलकर नाटो के रिफ्लेशन समूह की साझा तौर पर अध्यक्षता करने वाले वेस मिचेल कहते हैं, "चीन का उदय नाटो के रणनीतिक परिदृश्य में अकेला और सबसे बड़ा बदलाव है और इस बदलाव को समझना होगा."
फिलहाल तो अफगानिस्तान में नाटो की सबसे बड़ी परीक्षा है. वहां अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता कछुए की चाल से चल रही है. नाटो महासचिव का कहना है कि फरवरी में इस बात का फैसला होगा कि अफगान बलों को ट्रेनिंग देने का काम जारी रखा जाए या फिर वहां दो दशक से जारी नाटो के अभियान को अब समेट लिया जाए.
मील का पत्थर, 2008
2008 में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से खस्ताहाल हो रही थी, तभी चीन अपने यहां भव्य तरीके ओलंपिक खेलों का आयोजन कर रहा था. ओलंपिक के जरिए बीजिंग ने दुनिया को दिखा दिया कि वह अपने बलबूते क्या क्या कर सकता है.
बीते चार साल में नाटो के लिए बजट योगदान को लेकर सबसे ज्यादा विवाद रहा है. "दो प्रतिशत" की कुख्यात मांग को लेकर अब भी तनाव होगा. थॉमस दे मेजिएरे ने सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस में कहा, "बाइडेन प्रशासन हमारे लिए कहीं ज्यादा सख्त होगा क्योंकि उनका अंदाज ज्यादा दोस्ताना हैं." वह कहते हैं कि ट्रंप के अक्खड़ रवैये के कारण चर्चा कभी इतनी गंभीरता से हुई ही नहीं. उन्होंने कहा, "इससे हमारे लिए यहां यूरोप में, जर्मनी में स्थिति ज्याादा मुश्किल होगी.. लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं."
पॉल टेलर भी कहते हैं कि यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि बाइडेन के प्रशासन में सब कुछ बहुत सहज होगा, लेकिन सहयोगी इतना तो उम्मीद कर ही सकते हैं कि मुश्किल वार्ताओं का मतलब लड़ाई करना नहीं होगा. वह कहते हैं, "इसका आधार कुछ तथ्य होंगे. इसका आधार कुछ बुनियादी अवधारणाएं होंगी कि हम मिलकर हालात का सामना कर रहे हैं, कि हम एक साथ ज्यादा मजबूत हैं, कि अमेरिका सिर्फ अकेला नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कहीं ज्यादा मजबूत है, और सहयोगी भी अकेले अकेले नहीं बल्कि अमेरिका के साथ मिलकर ज्यादा मजबूत हैं."
पश्चिमी देशों का सैन्य संगठन नाटो नई उम्मीदों के साथ नए साल में प्रवेश कर रहा है. अमेरिका में सत्ता बदलने वाली है. डॉनल्ड ट्रंप की जगह जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से क्या कुछ बदलेगा?
डॉयचे वैले पर टेरी शुल्स का लिखा-
दिसंबर 2019 में नाटो के 70 साल पूरे हुए तो इस मौके पर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया, बल्कि लंदन में सादा सा समारोह किया गया, जिसे 'नेताओं की बैठक' का नाम दिया गया. इसकी एक वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी रहे जो ऐसे मौकों को अपनी बातों से अकसर हाइजैक करने में माहिर हैं और अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने की बजाय उन्हें निशाना बनाने लगते हैं.
हालिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने के बाद आम तौर पर तटस्थ माने जाने वाले नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग अपनी उत्सुकता को छिपा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को "नाटो और ट्रांस अटलांटिक (यूरोप-अमेरिका) संबंधों का मजबूत समर्थक बताया है." उन्होंने बाइडेन को प्रशासन की बागडोर संभालने के बाद ब्रसेल्स आने का न्यौता दिया है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप के स्थान पर बाइडेन का होना नाटो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. फ्रेंड्स ऑफ यूरोप संस्था में सीनियर फेलो पॉल टेलर कहते हैं, "वाकई बहुत मुश्किल समय रहा. लेकिन बड़ी बात यह है कि नाटो ने डॉनल्ड ट्रंप को झेल लिया, बिना टूटे फूटे और बिना बदले हुए."
पहले से बेहतर या बुरा
वैसे ट्रंप के रहते कुछ बातें अच्छी भी हुई. मिसाल के तौर पर सदस्यों देशों की तरफ से नाटो के लिए दिए जाने वाले योगदान में गिरावट नहीं आई. नाटो का लक्ष्य है कि सदस्य देश अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत सैन्य गठबंधन के लिए दें. इस दो प्रतिशत की मांग को देखते हुए सभी सदस्य देशों ने अपने रक्षा खर्च में इजाफा किया है ताकि ट्रंप की किसी भी सार्वजनिक फटकार से बचा जा सके.
टेलर कहते हैं, "उन्होंने सहयोगियों के बीच चीन के मुद्दे को भी लगातार गर्म रखा जबकि यह कभी नाटो के एजेंडे पर नहीं रहा. क्या कभी ना कभी इसे एजेंडे पर आना ही था? पता नहीं, लेकिन यह उनके रहते हुआ, उनकी जिद पर हुआ."
हालांकि इराक और अफगानिस्तान से एकतरफा तौर पर अमेरिकी सेनाओं को हटाने के उनके फैसले का अच्छा पहलू ढूंढना मुश्किल है. वहां नाटो सैनिक स्थानीय बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वे अपने देश की सुरक्षा जिम्मेदारी अपने हाथों में ले सकें. अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करते वक्त ट्रंप ने ना तो नाटो से सलाह मशविरा किया और ना ही उन सरकारों से जिनके सैनिक वहां तैनात हैं. अमेरिकी सैनिकों के ना होने के चलते अब इन देशों के सैनिकों को लिए वहां हालात पहले से मुश्किल होंगे.
नाटो में जर्मनी की भूमिका
आधिकारिक तौर पर पश्चिमी जर्मनी 1955 में ट्रांस-अटलांटिक सैनिक संधि में शामिल हुआ. लेकिन 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही जर्मन सेना को नाटो के नेतृत्व में "आउट ऑफ एरिया" मिशनों के लिए भेजा गया. नाटो के कई साथी देशों की मदद के लिए जर्मन सेना ने शांति स्थापना से लेकर शक्ति संतुलन बनाने तक के मिशन पूरे किए हैं.
ऐसे हालात में सत्ता संभाल रहे बाइडेन से नाटो को उम्मीद है कि वे मौजूदा और निकट भविष्य की सुरक्षा चिंताओं से निपटने में सामूहिक प्रयासों को मजबूत करेंगे. अब स्टोल्टेनबर्ग ऐसी चुनौतियों की प्राथमिकता सूची बना रहे हैं. नाटो के लिए मौजूद खतरों और क्षमताओं से जुड़ी "सामरिक अवधारणा" को 2010 से अपडेट नहीं किया गया है. नाटो में नई जान फूंकना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों कह चुके हैं कि इसकी "दिमागी मौत" हो चुकी है.
"नाटो रिफ्लेक्शन ग्रुप" की नई रिपोर्ट "नाटो 2030: नए युग के लिए एकजुट" कहती है कि लगातार आक्रामक बना हुआ रूस अगले दशक में भी सैन्य गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा, लेकिन निश्चित रूप से चीन से भी निटपना होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और पूर्व जर्मन विदेश मंत्री थॉमस दे मेजिएरे के साथ मिलकर नाटो के रिफ्लेशन समूह की साझा तौर पर अध्यक्षता करने वाले वेस मिचेल कहते हैं, "चीन का उदय नाटो के रणनीतिक परिदृश्य में अकेला और सबसे बड़ा बदलाव है और इस बदलाव को समझना होगा."
फिलहाल तो अफगानिस्तान में नाटो की सबसे बड़ी परीक्षा है. वहां अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता कछुए की चाल से चल रही है. नाटो महासचिव का कहना है कि फरवरी में इस बात का फैसला होगा कि अफगान बलों को ट्रेनिंग देने का काम जारी रखा जाए या फिर वहां दो दशक से जारी नाटो के अभियान को अब समेट लिया जाए.
मील का पत्थर, 2008
2008 में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से खस्ताहाल हो रही थी, तभी चीन अपने यहां भव्य तरीके ओलंपिक खेलों का आयोजन कर रहा था. ओलंपिक के जरिए बीजिंग ने दुनिया को दिखा दिया कि वह अपने बलबूते क्या क्या कर सकता है.
बीते चार साल में नाटो के लिए बजट योगदान को लेकर सबसे ज्यादा विवाद रहा है. "दो प्रतिशत" की कुख्यात मांग को लेकर अब भी तनाव होगा. थॉमस दे मेजिएरे ने सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस में कहा, "बाइडेन प्रशासन हमारे लिए कहीं ज्यादा सख्त होगा क्योंकि उनका अंदाज ज्यादा दोस्ताना हैं." वह कहते हैं कि ट्रंप के अक्खड़ रवैये के कारण चर्चा कभी इतनी गंभीरता से हुई ही नहीं. उन्होंने कहा, "इससे हमारे लिए यहां यूरोप में, जर्मनी में स्थिति ज्याादा मुश्किल होगी.. लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं."
पॉल टेलर भी कहते हैं कि यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि बाइडेन के प्रशासन में सब कुछ बहुत सहज होगा, लेकिन सहयोगी इतना तो उम्मीद कर ही सकते हैं कि मुश्किल वार्ताओं का मतलब लड़ाई करना नहीं होगा. वह कहते हैं, "इसका आधार कुछ तथ्य होंगे. इसका आधार कुछ बुनियादी अवधारणाएं होंगी कि हम मिलकर हालात का सामना कर रहे हैं, कि हम एक साथ ज्यादा मजबूत हैं, कि अमेरिका सिर्फ अकेला नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कहीं ज्यादा मजबूत है, और सहयोगी भी अकेले अकेले नहीं बल्कि अमेरिका के साथ मिलकर ज्यादा मजबूत हैं."
वाशिंगटन, 29 दिसंबर | अमेरिका ने सोमवार को लॉन्ग-टर्म केयर फैसिलिटीज (एलटीसीएफ) में लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक देना शुरू कर दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार ऊटा, मैसाचुसेट्स, विस्कॉन्सिन, रोड आइलैंड और जॉर्जिया सहित राज्यों ने एलटीसीएफ रेजिडेंट और कर्मचारियों को कोविड-19 टीके देने शुरू किए।
सीवीसी और वालग्रीन जैसी अमेरिकी फामेर्सी चेन द्वारा एलटीसीएफ और नर्सिग होम रेजिडेंट और कर्मचारियों को वैक्सीन प्रदान करने की उम्मीद है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एलटीसीएफ हेल्थकेयर कर्मियों और रेजिडेंट को कोविड-19 टीकों की पहली आपूर्ति की पेशकश करने वालों में शामिल होने की सिफारिश की है।
इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रव्यापी दो कोविड-19 वैक्सीन को लॉन्च करने के बाद से फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स के टीकाकरण को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है।
सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "सुनिश्चित करते हुए कि एलटीसीएफ रेजिडेंट कोविड-19 टीका उपलब्ध होते ही प्राप्त कर सकें, उन लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी, जिन्हें कोविड-19 से मरने का सबसे अधिक खतरा है।"
(आईएएनएस)
सऊदी अरब की जानी-मानी महिला कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को पांच साल आठ महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई है.
लुजैन अल हथलौल सऊदी अरब की उन कुछ महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने महिलाओं को गाड़ी चलाने देने का अधिकार देने की मांग उठाई थी.
महिला अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली 31 वर्षीय हथलौल बीते क़रीब ढाई साल से कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में बंद हैं.
साल 2018 में हथलौल और उनके साथ कई अन्य कार्यकर्ताओं को सऊदी अरब के साथ दुश्मनी रखने वाले संगठनों के संपर्क में होने के आरोप के तहत हिरासत में ले लिया गया था.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने बार-बार उनकी रिहाई की बात दोहराई है.
लेकिन सोमवार को, आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए बनाए गए देश के विशेष आपराधिक न्यायालय ने हथलौल को राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने समेत कई अन्य आरोपों का दोषी बताया.
कोर्ट ने अपने आदेश में उन्हें पांच साल आठ महीने के जेल की सज़ा सुनाई. चूंकि हथलौल बीते ढाई साल से अधिक समय से जेल में हैं तो इस अवधि को उनकी कुल सज़ा में से कम किया जा सकता है.
वहीं दूसरी ओर हथलौल और उनके परिवार ने इन सभी आरोपों से इनक़ार किया है. उन्होंने यह भी कहा कि जेल में हथलौल को यातनाएं दी गईं लेकिन आरोपों को अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
हथलौल को साल 2018 में सऊदी में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार मिलने के कुछ सप्ताह पहले ही हिरासत में ले लिया गया था.
सउदी अधिकारियों का कहना है कि उनको हिरासत में लिए जाने का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
हथलौल के परिवार का कहना है कि हिरासत में लिये जाने के तीन महीने तक उन्हें किसी से बातचीत करने की अनुमति नहीं थी. उन्हें बिजली के झटके दिए गए, कोड़े मारे गए और उनका यौन शोषण भी किया गया. परिवार का यह भी आरोप है कि उन पर दबाव बनाया गया कि अगर वो यह कह देती हैं कि उनके साथ प्रताड़ना नहीं हुई है तो उन्हें आज़ाद कर दिया जाएगा.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि उनका ट्रायल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हुआ है.
नवंबर में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने स्पेशलाइज़्ड क्रिमिनल कोर्ट में उनके केस को रेफ़र करने पर सऊदी की निंदा की थी और कहा था कि यह सऊदी अधिकारियों की क्रूरता और पाखंड को दर्शाता है.
इस मामले को इस तौर पर भी देखा जाता है कि इससे सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा. हालांकि बाद में उन्होंने नए सुधारों के तहत एक बड़ा बदलाव करते हुए साल 2018 में महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति दे दी थी.
लेकिन कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों और इसके अलावा पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या में सऊदी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका को लेकर भी उनकी आलोचना होती रही है.
कौन हैं लुजैन अल हथलौल
सऊदी अरब सामाजिक कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को एक दिसम्बर 2014 में कार चलाने के आरोप में सऊदी अरब की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, लुजैन को कार चलाकर देश की सीमा में दाख़िल होते वक्त गिरफ़्तार किया गया था.
इसके विरोध में पेशे से पत्रकार मायसा अल अमौदी भी, हथलौल के समर्थन में गाड़ी चलाते हुए सीमा पर जा पहुंचीं और पुलिस ने उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया. दोनों को जेल में बंद कर दिया गया.
उस दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि इन महिलाओं पर रियाद की उस अदालत में मुकदमा चलाया जाए जो आतंकवादी मामलों को देखती है.
उसके बाद अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था, एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत पूरी दुनिया के मानवाधिकार संगठनों ने सउदी अरब की तीखी आलोचना की.
आख़िरकार 73 दिनों की क़ैद के बाद लुजैन को रिहा किया, लेकिन तब तक महिलाओं के अधिकार का मामला एक मुहिम बन चुकी थी. (bbc)
रियाद, 28 दिसम्बर | आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, सउदी अरब ने सोमवार को एक सप्ताह के लिए अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों के निलंबन के विस्तार की घोषणा की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, उड़ानों के अलावा, मंत्रालय ने इस अवधि के दौरान जमीन और समुद्र द्वारा प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को भी सप्ताह भर के लिए और बढ़ा दिया गया है।
दिसंबर में, सउदी अरब ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को निलंबित करने का फैसला किया था।
यह निर्णय कुछ देशों में वायरस के नए प्रकार को पाए जाने के बाद अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए लिया गया।
इस निर्णय में माल, वस्तुओं, और आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला को लागू प्रतिबंध से बाहर रखा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियाती उपायों के मद्देनजर कहा कि गैर-सउदी के लोग हवाई जहाजों के माध्यम से देश छोड़कर जा सकते हैं। (आईएएनएस)
सियोल, 28 दिसम्बर | दक्षिण कोरिया में सोमवार को ब्रिटेन से लौटने वाले तीन कोरोनावायरस से पॉजिटिव पाए गए। सभी पॉजिटिव रोगियों में कोरोना के नए प्रकार पाए गए हैं, जिससे देश में कोरोना के नए प्रकार का यह पहला मामला दर्ज किया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी (केडीसीए) ने एक बयान में कहा कि लंदन से 22 दिसंबर को लौटे तीन दक्षिण कोरियाई नागरिक की रिपोर्ट में कोरोना का नया प्रकार पाया गया है, उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है।
ब्रिटेन से 8 नवंबर और 13 दिसंबर को ब्रिटेन से लौटे चार अन्य नागरिक कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि, उनके पॉजिटिव सैंपलों की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनमें कोरोना के नए प्रकार हैं या नहीं।
ब्रिटेन में पाया गया कोरोना का नया प्रकार पुरानी वाले से 70 प्रतिशत तेजी से फैलने के लिए जाना जाता है।
दक्षिण कोरिया ने 23 से 31 दिसंबर तक ब्रिटेन से आने वाली सभी फ्लाईट्स को प्रतिबंधित कर दिया है।
देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में 808 नए मामले पाए गए, जिससे यहां मामलों की संख्या 57,680 पहुंच गई है।
देश में इस दौरान 11 अन्य लोग कोरोनावायरस के शिकार हो गए, जिससे यहां कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 819 हो गई है। (आईएएनएस)
हमजा अमीर
लाहौर, 28 दिसम्बर | पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कमोबेश एक नियमित मामला बनता जा रहा है।
एक तरफ तो प्रधानमंत्री इमरान खान दावा करते हैं कि पाकिस्तान में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके शासन में अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। खान के नेतृत्व वाली सरकार के शासन में मुख्य रूप से हिंदू और ईसाई धर्म से संबंध रखने वाली लड़कियों के जबरन धर्मातरण के मामले लगातार देखने को मिल रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है। एक 13 वर्षीय ईसाई लड़की आरजू राजा को कथित तौर पर जबरन अगवा किया गया और उसका धर्म परिवर्तन कराकर उसे इस्लाम कुबूल करा दिया गया। उस लड़की की एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर दी गई। जबरन धर्मातरण और बाल विवाह के इस मामले ने एक बार फिर पाकिस्तान के हालात बंया किए हैं।
आरजू के मामले ने मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया पर बहस को तेज कर दिया है और यह देश में वर्ष 2020 की शीर्ष और सबसे बड़ी घटनाओं में एक बन गई है, जिसने पाकिस्तान की झूठी धर्मनिरपेक्षता को बेनकाब कर दिया है। आरजू के मामले ने एक बार फिर से यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को अपने मौलिक अधिकारों के साथ ही धार्मिक आजादी से जीने का मौका कब मिलेगा।
आरजू का तो यह हालिया मामला है। इसके अलावा भी पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से युवा हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा करके उनका धर्म परिवर्तन और जबरन निकाह करने के काफी मामले सामने आ चुके हैं। आरजू के साथ ही ऐसी कई घटनाओं के मामले देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं।
28 अप्रैल 2019 को कराची के इत्तेहाद शहर में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। यहां नेहा परवेज नामक एक नाबालिग लड़की को अगवा करके उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और उसका मुस्लिम व्यक्ति इमरान से निकाह करा दिया गया। इसके अलावा भी ऐसे मामलों की लंबी सूची है, जिसमें अल्पसंख्यक लड़कियों के साथ नाइंसाफी हुई है।
कम उम्र की अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्मातरण की बढ़ती घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि आखिर देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को असुरक्षित क्यों महसूस हो रहा है।
पाकिस्तान में जबरन धर्मातरण अनियंत्रित जारी है। अपहरणकर्ता बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी से होते हैं और यही वजह है कि उन्हें सत्ताधारी नेताओं का आसानी से संरक्षण प्राप्त हो जाता है। यही नहीं, पाकिस्तान में आरोपियों को दोषी साबित करने और उन्हें सजा दिलाने की प्रक्रिया भी दम तोड़ रही है। (आईएएनएस)
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी पार्टी के अंदरूनी असंतोष को दबाने के लिए संसद को भंग नए चुनावों कराने का रास्ता साफ कर दिया है. लेकिन उनके इस कदम से देश में नया राजनीतिक संकट शुरू हो गया है.
डायचेवेले पर लेखानंद पाण्डेय, (काठमांडू से) की रिपोर्ट
नेपाल, 28 दिसम्बर | नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया और घोषणा की कि अप्रैल और मई में देश में नए चुनाव कराए जाएंगे, यानी निर्धारित समय से एक साल पहले.
प्रधानमंत्री के इस फैसले से सत्ताधारी पार्टी में ही विरोध शुरू हो गया है. नाराज कार्यकर्ताओं ने राजधानी काठमांडू की सड़कों पर उतरकर विरोध जताया. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से ओली का टकराव हुआ था. प्रचंड ने ही ओली को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में मदद की थी. दोनों नेताओं ने 2018 में अपनी पार्टियों का विलय किया था. हालांकि सत्ता में साझेदारी पर विवाद और आपसी विचार विमर्श की कमी के कारण दोनों नेताओं में मदभेद रहे हैं.
ओली अपनी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर भी समर्थन खो चुके हैं. पार्टी के कुछ सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि वह वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करके अहम फैसले ले रहे हैं और नियुक्तियां कर रहे हैं. ऐसे में ओली के इस्तीफे की मांग तेज हो रही है.
जब ओली ने संसद को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी, तो सत्ताधारी दल के 90 सांसदों ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की. संसद को भंग करने के विरोध में सात मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और उनका कहना है कि यह फैसला 2017 में मिले 'जनादेश' का उल्लंघन है.
ओली की सिफारिश पर तुरंत संसद को भंग करने के लिए राष्ट्रपति भंडारी की आलोचना हो रही है. वह सत्ताधारी पार्टी की सदस्य रही हैं और प्रधानमंत्री ओली की नजदीकी समझी जाती हैं.
असंवैधानिक कदम?
पर्यवेक्षक कहते हैं कि ओली के कदम से देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है क्योंकि जब तक वैकल्पिक सरकार बनाने की संभावनाएं मौजूद हों, तब तक प्रधानमंत्री संसद को भंग करने की सिफारिश नहीं कर सकते. उन्हें आशंका है कि हालिया घटनाक्रम के कारण नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का नया दौर शुरू हो सकता है.
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के एक वकील टीकाराम भट्टाराई ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "यह असंवैधानिक कदम है, जिसके कारण नेपाल में नई राजनीतिक व्यवस्था और लोकतंत्र के लिए जोखिम पैदा होंगे." नेपाली सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनावाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता भद्रकाली पोखरियाल ने बताया, "संसद को भंग करने के खिलाफ दायर 12 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है."
संवैधानिक कानून के विशेषज्ञ भीमार्जुन आचार्य की राय है कि संसद को भंग करने के कदम से नेपाल में संघीय और गणतांत्रिक ढांचा ध्वस्त हो सकता है जिसे सितंबर 2015 में लागू नए संविधान के तहत कायम किया गया. वह कहते हैं कि इस गलती को सुधारने का बस यही तरीका है कि संसद को बहाल किया जाए.
नेपाल में नए चुनाव 30 अप्रैल और 10 मई को निर्धारित हैं. लेकिन ओली के प्रेस सलाहकार कुंदन अरयाल ने राजनीतिक अस्थिरता और कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए इन तारीखों पर चुनाव कराने को लेकर संदेह जताया है.
नेपाल में ताजा राजनीतिक संकट ऐसे समय में शुरू हुआ है जब देश दूसरी राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना कर रहा है. खासकर शाही परिवार के समर्थक मांग कर रहे हैं कि 2008 में खत्म की गई राजशाही को फिर से बहाल किया जाए. वहीं पूर्व माओ विद्रोहियों के कुछ धड़ों की हिंसा भी लगातार बढ़ रही है. नेपाल में एक दशक तक चले गृहयुद्ध के बाद कुछ समय तक शांति रही. लेकिन ताजा घटनाक्रम फिर उसे महीनों के लिए राजनीतिक अनिश्चित्तता में झोंक सकता है.
ओली इस वादे के साथ सत्ता में आए थे कि वह एक स्थिर और अच्छी सरकार देने के साथ साथ देश का तेजी से आर्थिक विकास करेंगे. हालांकि वह अपने वादों को पूरा नहीं कर सके. भ्रष्टाचार के आरोपों और कई दूसरे राजनीतिक कांडों ने उनके नेतृत्व में जनता के भरोसे को तोड़ा है. कोरोना महामारी पर सरकार के रुख की भी आलोचना हो रही है और उनकी अपनी पार्टी के अलावा दूसरी पार्टियां से भी उनके इस्तीफे की मांग लगातार बढ़ रही है.
बाहरी कारक
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और चीन नेपाल के घटनाक्रम को नजदीक से देख रहे हैं. पिछले एक दशक में नेपाल और चीन के संबंधों में बहुत प्रगति हुई है, खासकर व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के क्षेत्र में. चीन से नेपाल की नजदीकियां भारत की चिंता को बढ़ा रही हैं.
मौजूदा वित्तीय वर्ष में नेपाल में लगभग 90 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चीन से आया. चीन ने बीते अक्टूबर में नेपाल को 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेपाल के दौरे में इस मदद का ऐलान किया गया.
इसके अलावा चीन ने नेपाल में इंफ्रास्ट्रक्चर और हाइड्रोपावर प्रोजेक्टों में करोड़ों युआन का निवेश किया है. दोनों देशों के करीबी व्यापारिक संबंध हैं. नेपाल चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट रोड पहल में भी शामिल है, जिनमें दुनिया के एक बड़े हिस्से को सड़क, रेल और जलमार्गों के जरिए जोड़ना है.
चीन ने प्रधानमंत्री ओली की सरकार के साथ भी अच्छे रिश्ते कायम किए हैं, वहीं हिमालयी क्षेत्र में जमीन के एक टुकड़े को लेकर भारत और नेपाल के बीच पिछले साल संबंधों में काफी खटास देखने को मिली. उस वक्त नेपाल ने भारत पर "धौंस" जमाने का आरोप लगाया था. प्रधानमंत्री ओली ने तो यहां तक कहा कि भारत उनकी पार्टी के नेताओं को भड़का कर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटवाना चाहता है. वहीं भारत सरकार और भारतीय मीडिया ने हमेशा ओली को चीन की कठपुतली की तरह पेश किया है.
संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत ने अपने सर्वोच्च राजनयिक को अक्टूबर और नवंबर में नेपाल भेजा. उनके साथ भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी के प्रमुख, सेना प्रमुख और विदेश सचिव भी थे.
नेपाली राजनीतिक विश्लेषक चंद्र देव भट्टा ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि नेपाल पर चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का बड़ा कारण है. लेकिन वह कहते हैं कि यह प्रभाव बढ़ता ही रहेगा चाहे नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार हो या फिर कोई और सरकार. उनके मुताबिक, "नेपाल में राजशाही को खत्म किए जाने के बाद से, चीन ने नेपाल की सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ अच्छे संबंध कायम किए हैं."dw.com
काबुल, 28 दिसंबर | अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हिंसक हमलों की एक श्रृंखला के मद्देनजर, देश के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सोमवार को कहा कि सरकार राजधानी में पुलिसकर्मियों की संख्या को दोगुना करेगी।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सालेह ने कहा कि एक अध्ययन से पता चला है कि इतनी बड़ी आबादी वाले शहर काबुल के लिए पुलिस की संख्या कम है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि काबुल माउंटेन की सुरक्षा चौकियां पुलिस से लेकर सेना को सौंपी जाएंगी।
सालेह की घोषणा काबुल के कोलोला पोश्ता क्षेत्र में एक चुंबकीय आईईडी विस्फोट से सुरक्षा बलों के वाहन को टक्कर मारने के कुछ घंटों बाद ही सामने आई है। पुलिस ने पुष्टि की कि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ।
किसी भी समूह ने अभी इस विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है।
टोलो न्यूज के निष्कर्ष बताते हैं कि पिछले 10 दिनों में काबुल में हुए हिंसक हमलों में 23 लोग मारे गए हैं और 70 अन्य घायल हुए हैं।
काबुल में पिछले 10 दिनों में सुरक्षा को भेदने वाली 15 घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें आत्मघाती हमले, कार बम हमले, चुंबकीय आईईडी विस्फोट और लक्षित हत्याएं शामिल हैं।
काबुल में 26 दिसंबर को चार धमाके हुए थे।
अधिकांश चुंबकीय आईईडी विस्फोटों में सुरक्षा वाहनों को निशाना बनाया गया और ऐसी घटनाओं को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में, खासकर पुलिस मुख्यालय की इमारतों के पास अंजाम दिया गया। (आईएएनएस)
चीन की एक अदालत ने सिटीजन जर्नलिस्ट को चार की साल सजा सुनाई है. महिला पत्रकार ने चीन के वुहान शहर से कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों पर रिपोर्टिंग की थी और वहां के तथ्य दुनिया के सामने रखे थे.
माना जाता है कि चीन के वुहान शहर से दुनिया भर में कोरोना महामारी फैली. वहां से संक्रमण के शुरुआती दिनों पर रिपोर्टिंग करने वाली सिटीजन जर्नलिस्ट को एक अदालत ने झगड़े के आरोप में चार साल की सजा सुनाई है. सिटीजन जर्नलिस्ट 37 वर्षीय झांग झान के वकील ने कहा कि कोर्ट ने उन्हें "झगड़ा करने" और "समस्या को भड़काने" का दोषी पाते हुए चार साल की सजा सुनाई है.
आधिकारिक बयानों के उलट झान ने महामारी के समय दुनिया के सामने जो तस्वीर पेश की वह बहुत ही भयानक थी. झान उन मुट्ठीभर लोगों में थीं जिन्होंने भीड़भाड़ वाले अस्पतालों और सुनसान सड़कों की भयावह तस्वीरें दुनिया के सामने रखीं.
सच दिखाने की सजा?
उनके वकील रेन क्वानियु ने कहा, "हम शायद अपील करेंगे." सोमवार को शंघाई के कोर्ट ने झांग को चार साल की सजा सुनवाई. कोर्ट के फैसले के पहले क्वानियु ने कहा, "झांग का मानना है कि उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करने के लिए सताया जा रहा है." चीन के कोरोना संकट से जल्द नहीं निपटने की आलोचना को वहां के अधिकारियों ने दबा दिया और व्हिसल ब्लोअर्स जैसे कि डॉक्टरों को इस बारे में चेतावनी भी दी गई थी.
चीन के वुहान से फैला वायरस एक साल में दुनियाभर में भारी तबाही मचा चुका है और कोरोना के कारण आठ करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 17 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
शंघाई के कोर्ट में झांग की सुनवाई शुरू होने के पहले सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. सात महीने तक झांग को चीन ने हिरासत में रखा और उसके बाद उन पर सुनवाई शुरू की. हालांकि झांग के कुछ समर्थक कोर्ट के बाहर इकट्ठा हुए और उनके समर्थन में नारेबाजी की. व्हीलचेयर पर आए एक व्यक्ति ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वह हेनान प्रांत से आया है और वह अपना समर्थन झांग को इसलिए दे रहा है क्योंकि वह भी ईसाई है. उसके हाथ में एक पोस्टर था जिस पर झांग का नाम लिखा था. बाद में पुलिस ने इस व्यक्ति को वहां से हटा दिया. कोर्ट के सुरक्षारकर्मियों का कहना था कि विदेशी पत्रकारों को "कोरोना वायरस महामारी की वजह" से अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई.
चीन का सच बाहर लाना कितना खतरनाक?
पूर्व वकील झांग 1 फरवरी को अपने शंघाई वाले घर से वुहान पहुंची थीं. उन्होंने यूट्यूब पर स्थानीय नागरिकों का इंटरव्यू, कमेंट्री के साथ साथ स्थानीय शवदाहगृह का वीडियो, ट्रेन स्टेशनों, अस्पतालों और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी का वीडियो अपलोड किया था. मध्य मई में उन्हें हिरासत में लिया गया था और उन्होंने इसके खिलाफ जून के आखिर में भूख हड़ताल की थी.
उनके वकीलों ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने उन्हें जबरन ट्यूब के जरिए खाना खिलाया. दिसंबर तक उनकी तबीयत और बिगड़ गई और उन्हें सिरदर्द, चक्कर आने, पेट दर्द, कम रक्त दबाव और गले के संक्रमण जैसी शिकायतें हो गईं.
उनके वकील ने बताया कि सुनवाई शुरू होने के पहले उन्हें जमानत देने और सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग पर कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया. अन्य सिटीजन जर्नलिस्ट फांग बिन, चेन कुईशी और ली जेहुआ को भी पत्रकारिता के लिए हिरासत में लिया गया था. फांग के बारे में कोई सूचना तो नहीं मिली लेकिन ली अप्रैल महीने में यूट्यूब वीडियो में नजर आए थे और कहा था कि उन्हें जबरदस्ती क्वारंटीन में भेज दिया गया था. चेन को बाद में रिहा कर दिया गया था लेकिन उन्होंने इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है.
एए/एके (रॉयटर्स)
चीनी गेम टाइकून जिनकी क्रिसमस के दिन मौत हो गई थी, उन्हें ज़हर दिया गया था. चीन की शंघाई पुलिस ने इसकी पुष्टि की है.
39 वर्षीय लिन ची, यूज़ू नाम की गेम डिवलेपर कंपनी के चेयरमेन और चीफ़ एग्जेक्युटिव थे. उन्हें गेम ऑफ थ्रोन्स: विंटर इज़ कमिंग स्ट्रैटिजी गेम बनाने के लिए जाना जाता था.
शंघाई पुलिस ने बयान जारी कर ची के एक अहम सहयोगी को मुख्य संदिग्ध बताया है. हालांकि पुलिस ने उस व्यक्ति का नाम उजागर नहीं किया और उसे सिर्फ़ उसके उपनाम जू से संबोधित किया.
हुरुन चाइना रिच लिस्ट के अनुसार, लिन की कुल संपत्ति क़रीब 6.8 अरब युआन यानी क़रीब एक अरब डॉलर थी.
शंघाई पुलिस के मुताबिक़ ची की कंपनी के कई कर्मचारी और पूर्व कर्मचारी शुक्रवार को शोक प्रकट करने के लिए उनके दफ़्तर के बाहर इकट्ठा हुए.
कंपनी ने अपने आधिकारिक वीबो माइक्रोब्लॉग पर एक भावनात्मक बयान भी जारी किया.
उन्होंने लिखा, “अलविदा युवा... हम एक साथ रहेंगे, दयालु बने रहेंगे, अच्छाई पर विश्वास करते रहेंगे और जो बुरा है, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखें.”
पोस्ट पर हज़ारों लोगों ने कॉमेन्ट किए और इसे वीबो पर 29 करोड़ से अधिक बार देखा गया.
गेम ऑफ थ्रोन्स से जुड़े गेम के अलावा यूज़ू ने ब्रॉल स्टार जैसे कई सुपर हिट गेम भी बनाए हैं.
थ्री-बॉडी प्रॉब्लम
कंपनी को चाइनीज साई-फाई उपन्यास थ्री-बॉडी प्रॉब्लम के साथ अपने कनेक्शन के लिए भी जाना जाता है और इस पर फिल्म बनाने के राइट्स उन्हीं के पास है.
लेकिन मोशन पिक्चर के क्षेत्र में कंपनी के बिज़नेस का विस्तार उम्मीद के मुताबिक सफ़ल नहीं रहा और किताब को छह फ़िल्मों में बदलने का प्रोजेक्ट कभी शुरू नहीं हो पाया.
सितंबर में, कंपनी ने नेटफ्लिक्स को इसपर टीवी प्रोग्राम बनाने का अधिकार दे दिया.
नेपाल में संकट के बीच काठमांडू क्यों पहुंची चीनी कम्युनिस्ट पार्टी
साल 2020 में मील का पत्थर साबित हुईं ये पाँच राजनीतिक घटनाएं
लेखक लिउ सिक्सिन की ये किताब रिमेंबरेंस ऑफ अर्थ्स पास्ट ट्राइलॉजी की पहली किस्त है. इसे आलोचकों से बहुत सराहना मिली है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी इसके प्रशंसक हैं. (bbc.com)
मॉस्को, 28 दिसंबर | बारेंट्स सागर में एक रूसी मछली पकड़ने वाली नाव के डूबने के बाद 17 लोग लापता हो गए, जबकि दो अन्य को बचा लिया गया है। इसकी जानकारी स्थानीय मीडिया ने सोमवार को दी। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के हवाले से बताया कि मछली पकड़ने की नाव वनेगा नोवोया जिम्लया द्वीपसमूह के पास डूब गई, जिसमें 19 लोग सवार थे।
मंत्रालय ने दुर्घटनास्थल पर बहुत अधिक बर्फ जमा होने के कारण को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया।
लापाता लोगों को खोजने के लिए बचाव अभियान चल रहा है, लेकिन खराब मौसम की स्थिति के मद्देनजर विमान को तैनात किया जाना बाकी है।(आईएएनएस)