अंतरराष्ट्रीय
नई दिल्ली, 4 मार्च | यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मायखायलो पोडोलयक ने ट्वीट किया है कि उन्होंने और अन्य अधिकारियों ने बेलारूस में रूसी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। उन्होंने एजेंडे में प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया है - तत्काल युद्धविराम और लगातार गोलाबारी झेल रहे गांवों और शहरों से नागरिकों की सुरक्षित निकासी।
सीएनएन मुताबिक, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, "बातचीत चलेगी।"
लावरोव ने दावा किया कि यूक्रेनी पक्ष ने जानबूझकर आने में देरी की और कहा कि यूक्रेन संयुक्त राज्य की कठपुतली है।
साथ ही गुरुवार को क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि एक रूसी प्रतिनिधिमंडल बेलारूस में अपने यूक्रेनी समकक्षों की प्रतीक्षा कर रहा है।
उन्होंने कहा, "हमारा प्रतिनिधिमंडल बीती रात वहां मौजूद था। यह यूक्रेन के वातार्कारों का पूरी रात और फिर सुबह इंतजार कर रहा था। वे अभी भी इंतजार कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि वे आज पहुंचेंगे।"
दूसरे दौर की वार्ता के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल बुधवार को मिलने वाले थे।
सोमवार को पहले दौर की वार्ता पांच घंटे तक चली और बिना किसी सफलता के खत्म हो गई।(आईएएनएस)
कोलंबो, 4 मार्च| श्रीलंका की जलसीमा में भारतीय मछुआरों के प्रवेश के खिलाफ उत्तरी मछुआरा संघ और एक पर्यावरण कार्रवाई समूह की याचिका पर श्रीलंका की अपील अदालत सुनवाई करेगी। भारतीय मछुआरों के श्रीलंकाई समुद्र में प्रवेश करने के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक को आदेश देने की मांग वाली रिट याचिका पर 5 मई को सुनवाई होनी है।
अपनी याचिका में उत्तरी प्रांत के मछुआरा संघ और पर्यावरण न्याय केंद्र ने दावा किया कि श्रीलंकाई जल में भारतीय ट्रॉलरों का प्रवेश श्रीलंका के मछुआरों की आजीविका, राष्ट्रीय मछली उत्पादन, मछली पकड़ने की निर्यात आय और श्रीलंका के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र से वंचित करता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि श्रीलंका के ऐतिहासिक जल और प्रादेशिक समुद्र में पिछले कुछ महीनों में भारतीय ट्रॉलरों द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ने की सूचना में अचानक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह नौसेना और पुलिस की उन विदेशी मछुआरों को गिरफ्तार करने में विफलता का परिणाम है जो अवैध रूप से श्रीलंकाई जलक्षेत्र में प्रवेश करते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि भारत और श्रीलंका के बीच समझौतों का उल्लंघन करते हुए भारतीय मछुआरे नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) को पार करते हैं और मछली पकड़ने के संचालन के लिए श्रीलंका के ऐतिहासिक जल और क्षेत्रीय समुद्र में प्रवेश करते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/कीव, 2 मार्च| रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच 'डीपफेक' वीडियो की संख्या में अचानक उछाल ने अमेरिकी अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। बताया जा रहा है कि इनका इस्तेमाल यूक्रेन विरोधी गलत सूचनाएं फैलाने के लिए किया जा रहा है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'यूक्रेन टुडे' नाम के एक रूसी प्रचार अभियान में युद्ध के इर्द-गिर्द फर्जी खबरों को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फर्जी अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अमेरिकी खुफिया अधिकारी वीडियो और ऑडियो में हेराफेरी पर नजर रखे हुए हैं, क्योंकि गलत सूचना के कई मामले सामने आ सकते हैं।
फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, एफबीआई अवैध डीपफेक के खिलाफ अभियान जारी रखे हुए है, क्योंकि तकनीक में सुधार जारी है।
एफबीआई साइबर डिवीजन यूनिट के प्रमुख प्रणव शाह ने रिपोर्ट में कहा, "ऑडियो, वीडियो, टेक्स्ट और छवियां जो कुछ ऐसा दिखाने के लिए बनाई गई हैं, जो जरूरी नहीं थीं।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फेसबुक और ट्विटर ने सप्ताहांत में रूस समर्थक यूक्रेनी होने का दिखावा करने वाले कई फर्जी प्रोफाइलों को हटा दिया है।
यूक्रेन विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने के लिए डीपफेक का उपयोग करते हुए रूस और बेलारूस के साथ संबंधों को प्रभावित करने वाले ऑपरेशन चलते पाए गए हैं।
'डीपफेक' वीडियो फर्जीवाड़ा है, जो लोगों को ऐसा कुछ कहते हुए दिखाते हैं जो उन्होंने कभी नहीं किया, जैसे कि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के लोकप्रिय जाली वीडियो, जो वायरल हो गए।
हाल के वर्षो में 'डीपफेक' इतने विश्वसनीय हो गए हैं कि वास्तविक छवियों के अलावा उन्हें बताना मुश्किल हो सकता है।
फेसबुक और ट्विटर ने सप्ताहांत में दो यूक्रेन विरोधी 'गुप्त प्रभाव संचालन' को बंद कर दिया। एक का संबंध रूस से था, तो दूसरे का बेलारूस से।
पिछले हफ्ते, एआई न्यूज ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि मनुष्य अब वास्तविक और एआई-जनित 'डीपफेक' चेहरों के बीच अंतर नहीं कर सकते। (आईएएनएस)
-सिमोना क्रालोवा और सैंड्रो वेत्सको
एक मार्च यानी मंगलवार की रात (भारतीय समयानुसार) साढ़े दस बजे रूस के टेलीविज़न पर सरकारी मीडिया जो पेश कर रहा था वो वास्तविकता से परे कवरेज़ का एक बेहतरीन उदाहरण था.
जब बीबीसी वर्ल्ड टीवी ने अपने बुलेटिन की शुरुआत कीएव में एक टीवी टावर पर हुए हमले से की तो रूसी टीवी इस बात की घोषणा कर रहा था कि अपने शहरों पर हमलों के लिए यूक्रेन ही ज़िम्मेदार है.
अब सवाल ये उठता है कि रूस में टेलीविज़न देखने वाले लोग इस युद्ध के बारे में क्या देख रहे हैं? समाचारों के माध्यम से वो क्या सुन रहे हैं?
इस लेख में हम वो बताने जा रहे हैं, जो 01 मार्च 2022 को रूस की आम जनता ने वहां की सरकार या उसके कॉरर्पोरेट सहयोगियों के नियंत्रण वाले विभिन्न टीवी चैनलों पर देखा.
रूस में सरकारी नियंत्रण वाले मशहूर चैनलों में से एक चैनल वन पर ब्रेकफास्ट न्यूज़ अन्य देशों की ही तरह सामान्य ख़बरों, संस्कृति और हल्के फुल्के मनोरंजन के मिले-जुले स्वरूप से अलग नहीं होता है. लेकिन मंगलवार की सुबह मॉस्को के समय के मुताबिक 05:30 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे) प्रसारण का ये क्रम बाधित हुआ.
एंकर ने कहा कि टीवी कार्यक्रम ताज़ा ख़बरों की वजह से बदला जा रहा है और आगे इस प्रोग्राम में समाचार ही प्रसारित होंगे. अनुभवहीन दर्शकों को गुमराह करने के लिए तैयार किए गए न्यूज़ बुलेटिन में बताया गया कि यूक्रेन की सेना के रूसी सेना को पहुंचाए गए नुकसान की ख़बरें ग़लत हैं.
एंकर दर्शकों को ये बताते हैं कि "इंटरनेट पर वो फ़ुटेज फ़ैलाई जा रही हैं जिसे फ़ेक के अलावा कुछ और नहीं कहा जा सकता." इसके बाद एक तस्वीर के माध्यम से उसे 'मामूली वर्चुअल हेरफेर' बताया जाता है.
फिर (मॉस्को के समयानुसार) सुबह 8 बजे हमने एनटीवी का सुबह का बुलेटिन देखा, जो कि क्रेमलिन के नियंत्रण वाले गज़प्रोम की एक सहायक कंपनी का है.
उस पर अधिकांश ख़बरें डोनबास की घटनाओं पर केंद्रित थीं, 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर हमले से पहले, पुतिन ने कहा था कि वो यूक्रेन को नाज़ियों से मुक्त कराने के लिए सैन्य अभियान छेड़ रहे हैं.
हैरानगी की बात है कि कई मील लंबे उस सैन्य काफ़िले की किसी भी समाचार में चर्चा तक नहीं थी जो बेलारूस से यूक्रेन की राजधानी कीएव की तरफ़ बढ़ रही थी. जबकि आधे घंटे बाद ही बीबीसी रेडियो-4 के न्यूज़ बुलेटिन में उसके बारे में बताया जा रहा था.
एनटीवी के प्रस्तुतकर्ता ने कहा, "हम डोनबास की ताज़ा ख़बरों से शुरुआत कर रहे हैं. लुहान्स्क पीपल्स रिपब्लिक (एलएनआर) के लड़ाके अपना आक्रमण जारी रख रहे हैं और तीन किलोमीटर आगे बढ़ गए हैं, जबकि दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक (डीएनआर) की यूनिट 16 किलोमीटर बढ़ चुकी है."
प्रस्तुतकर्ता रूस समर्थित विद्रोहियों का ज़िक्र कर रहे थे जो 2014 यानी आठ साल पहले यूक्रेन में रूस के हस्तक्षेप के बाद से लुहान्स्क और दोनेत्स्क में मौजूद हैं.
रूस से दो सबसे अधिक लोकप्रिय चैनल रोसिया 1 और चैनल वन पर डोनबास क्षेत्र में यूक्रेन की सेना पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया जा रहा है.
रोसिया 1 के प्रस्तुतकर्ता कहते हैं, "यूक्रेनियों को ख़तरा रूसी सेना से नहीं बल्कि ख़ुद उनके अपने राष्ट्रवादियों से है."
"वो नागरिकों को मानव ढाल के रूप में उपयोग कर रहे हैं, जानबूझ कर रिहाइशी इलाकों को हमले का निशाना बनवा रहे हैं जिससे डोनबास के शहरों में गोलीबारी बढ़ रही है."
चैनल 1 के प्रस्तुतकर्ता बता रहे हैं कि यूक्रेन की सेना अपने नागरिकों और रूस की सेना को उकसा रहे हैं.
रूस के चैनलों पर यूक्रेन की घटनाओं को युद्ध नहीं बताया जा रहा है. इसे वो यूक्रेन का सैन्यीकरण बंद करने और एक गणराज्य की रक्षा करने के लिए चलाया गया अभियान बता रहे हैं.
चैनल बार-बार बता रहा है कि यूक्रेन में सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया जा रहा है.
सरकारी नियंत्रण वाले टीवी पर प्रस्तुतकर्ता और संवाददाता भावनात्मक भाषा और तस्वीरें दिखा रहे हैं, इसे जर्मनी के ख़िलाफ़ सोवियत संघ की लड़ाई या यूक्रेन में रूस के विशेष अभियान से जोड़ते हुए दिखाया जा रहा है.
रोसिया 1 के चैनल रोसिया 24 पर सुबह के एक बुलेटिन में बताया गया कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद उन राष्ट्रवादियों ने अपनी चाल नहीं बदली है जो बच्चों को अपना ढाल बनाया करते थे.
एक संवाददाता टीवी प्रसारण में कहते हैं, "वे फासीवादियों की तरह व्यवहार करते हैं. नियो नाज़ियों ने न केवल अपने सैन्य उपकरणों को रिहाइश के पास रखा है बल्कि बेसमेंट में बच्चों के पास भी रखा है."
यूक्रेन पर आरोप
रूसी टीवी चैनल, देश के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन अपुष्ट दावों को दोहरा रहा है जिनमें बीते हफ़्ते उन्होंने कहा था कि यूक्रेन महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों को मानव ढाल बना रहा है.
पश्चिम में मीडिया कह रहा है कि पुतिन की सेना को तेज़ी से आगे बढ़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन रूसी टीवी पर रूस के अभियान को बहुत सफल बताया जा रहा है.
लगातार यूक्रेन के हथियार और हार्डवेयर नष्ट को किए जाने के बारे में ख़बरें दी जा रही हैं. बताया जा रहा है कि 1,100 से अधिक सैन्य ढांचों को और सैकड़ों की संख्या में हार्डवेयर को नष्ट किया जा चुका है.
किसी भी चैनल पर ये नहीं बताया जा रहा कि अभियान में रूसी सेना के कितने लोग हताहत हुए हैं.
रूसी चैनलों पर सुबह की ख़बरों में यूक्रेन के अन्य हिस्सों में उसकी सेना की कार्रवाई के बारे में बताया जा रहा है. सरकारी टीवी संवादताता कीएव या ख़ारकीएव से ग्राउंड रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं. बल्कि वो अपनी सेना के साथ डोनबास से रिपोर्ट कर रहे हैं.
आखिर दोपहर के समाचार में एनटीवी ने उस बात का ज़िक्र किया कि जो बीबीसी ने अपने घंटों के कवरेज़ में बताया था, कि ख़ारकीएव के शहर पर गोलाबारी की गई है.
हालांकि रूसी चैनल ये ख़बर चला रहे हैं कि इस हमले के लिए रूसी सेना को ज़िम्मेदार ठहराना एक फ़ेक न्यूज़ है. चार घंटे बाद रोसिया 1 ने बताया कि यूक्रेन की सेना ख़ुद उसके लिए ज़िम्मेदार है.
चैनल ने सवाल उठाया कि "ख़ारकीएव पर हमला करके ये कहना कि रूस ने किया, गलत है. यूक्रेन ख़ुद पर प्रहार कर रहा है और पश्चिम के देशों को झूठ बोल रहा है. लेकिन क्या लोगों को गुमराह करना इतना आसान है?"
शाम पांच बजे के बुलेटिन में रोसिया-1 ने बताया कि यूक्रेन में रूस का मुख्य उद्देश्य क्या है, "पश्चिम के ख़तरे के ख़िलाफ़ रूस की रक्षा करना, जो मॉस्को के साथ अपने गतिरोध में यूक्रेन के लोगों का उपयोग कर रहा है."
यूक्रेन को लेकर रूस में जो तथाकथित फ़ेक न्यूज़ और अफ़वाहें बताई जा रही हैं उससे मुक़ाबला करने के लिए रूसी सरकार एक नई वेबसाइट शुरू कर रही है जहां केवल "सही सूचनाएं" ही पब्लिश किए जाने का दावा किया जा रहा है.
टीवी चैनलों को आधिकारिक वर्ज़न के लिए मीडिया वॉचडॉग रोसकोम्नाज़ॉर की ज़रूरत होती है.
लेकिन ऐसा भी नहीं कहा जा सकता की मंगलवार को वहां के प्रसारण में कोई विविधता नहीं थी. न्यूज़ बुलेटिन में जहां यूक्रेन में युद्ध अपराधों की बात की गई वहीं चैनल वन टीवी करेंट अफेयर्स टॉक शो द ग्रेट गे में क्रेमलिन समर्थक व्याचेस्लाव निकोनोव ने कार्यक्रम ख़त्म करने से पहले यूक्रेन के प्रति अपनी मोहब्बत के बारे में बताया.
"मैं यूक्रेन से बहुत प्यार करता हूं, मैं यूक्रेन वासियों से बहुत प्यार करता हूं. मैं कई बार वहां जा चुका हूं. ये वाकई एक शानदार देश है. और मुझे लगता है कि रूस निश्चित रूप से उसे समृद्ध और मित्र राष्ट्र बनाना चाहेगा... हम जीतेंगे."
रोसकोम्नाज़ॉर ने टिक टॉक से नाबालिगों के लिए सैन्य और राजनैतिक कंटेंट को हटाने का सुझाव दिया है.
आरोप है कि इनमें अधिकतर रूस विरोधी कंटेंट हैं. संस्था ने गूगल से रूसी सेना को पहुंचाए गए नुकसान के बारे में रॉयटर्स की तथाकथित ग़लत जानकारी को हटाने की मांग भी की है. साथ ही उसने रूस के ख़ास सैन्य अभियान को लेकर फ़ेक न्यूज़ की आड़ में ट्विटर के लोडिंग स्पीड को भी घटा दिया है और फ़ेसबुक की पहुंच को भी सीमित किया है.
इसने मीडिया संस्थानों से रूस के हमले पर रिपोर्ट करते समय केवल आधिकारिक रूसी स्रोतों का उपयोग करने का निर्देश भी जारी किया है.
साथ ही यह भी मांग की है कि "युद्ध की घोषणा" या "आक्रमण" जैसे शब्दों का उल्लेख न करें उसे हटा दें. इस आदेश पर कार्रवाई नहीं करने की सूरत में उन पर जुर्माना और ब्लॉक तक करने की धमकी दी गई है. एक स्वतंत्र टीवी चैनल Dozhd और लोकप्रिय रेडियो स्टेशन Ekho Moskvy पर तथाकथित ग़लत ख़बरों के प्रसारण को लेकर प्रतिबंध लगा भी दिया गया है.
इस कहानी में फ़्रांसिस स्कार ने भी सहयोग दिया है (bbc.com)
नई दिल्ली, 3 मार्च| रूस के प्रमुख स्टेट बैंक ने यूक्रेन पर मास्को के हमले के मद्देनजर कर्मचारियों और उसकी शाखाओं की सुरक्षा के लिए खतरों का हवाला देते हुए यूरोपीय संघ के वित्तीय बाजारों से बाहर निकलने का खुलासा किया है। आरटी के मुताबिक, स्बरबैंक ने बुधवार को एक बयान में घोषणा की कि यह निर्णय उसके सहायक बैंकों के 'धन के असामान्य आउटफ्लो' का सामना करने के परिणामस्वरूप लिया गया। वित्तीय दिग्गज ने यह भी दावा किया कि उसके कर्मचारी और शाखाएं खतरे में थीं।
संस्था ने अपनी विदेशी मुद्रा को संरक्षित करने के उपाय किए जाने के बाद एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है, "रूस के सेंट्रल बैंक के निर्देश के कारण स्बरबैंक (रूस) अपनी यूरोपीय सहायक कंपनियों को तरलता की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होगा।"
हालांकि, इसने आश्वासन दिया कि इसके सहायक बैंकों के पास उच्च स्तर की पूंजी और संपत्ति की गुणवत्ता थी और ग्राहक जमा स्थानीय कानून के अनुरूप बीमाकृत थे।
आरटी ने बताया कि यूरोपीय संघ से रूस के सबसे बड़े ऋणदाता के जाने से स्विट्जरलैंड में उसके व्यवसाय पर कोई असर नहीं पड़ता है, जो उसने कहा कि सामान्य रूप से काम करना जारी है, क्योंकि उसके पास अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए पर्याप्त स्तर की पूंजी और संपत्ति है।
जर्मनी, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और हंगरी सहित कई यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में स्बरबैंक चालू था और 2020 के अंत में इसने 14.4 अरब डॉलर से अधिक की यूरोपीय संपत्ति का दावा किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 मार्च | रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख रोस्कोस्मोस ने देश के उपग्रहों के संचालन को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैकर्स को चेतावनी दी है कि उनके कार्यो को 'कैसस बेली, यानी एक ऐसी घटना जो युद्ध को सही ठहराती है' के रूप में समझा जा सकता है। आरटी के मुताबिक, रूस के आरकेए मिशन कंट्रोल सेंटर पर साइबर हमले के तुरंत बाद दिमित्री रोगोजि़न की टिप्पणी आई। बुधवार को एक समाचार चैनल से बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि जो लोग ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि यह एक अपराध है, जिसके लिए बहुत कड़ी सजा की जरूरत होती है।
रोगोजिन ने जोर देकर कहा कि किसी भी देश के अंतरिक्ष बलों के संचालन में व्यवधान एक तथाकथित कैसस बेली है, जो एक ऐसी घटना का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक लैटिन शब्द है जो या तो युद्ध की शुरुआत की को सही ठहराता है।
रोस्कोस्मोस के प्रमुख ने जिम्मेदार लोगों को भी धमकी दी कि उनका निगम उनकी पहचान करेगा, और डेटा को रूसी सुरक्षा सेवाओं को सौंप देगा, ताकि वे हैकर्स के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू कर सकें।
इससे पहले, कई टेलीग्राम समूहों ने दावा किया था कि एनबी65 हैकर समूह, जो कथित तौर पर बेनामी से जुड़ा हुआ है, ने रूस के उपग्रहों के साथ रोस्कोसमोस के संचार को सफलतापूर्वक भंग कर दिया था।(आईएएनएस)
यूक्रेन पर जारी संकट के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सेना को अपनी प्रतिरोधी शक्तियों को "स्पेशल अलर्ट" पर रखने का आदेश दिया है जिनमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं. पुतिन ने अपने रक्षा प्रमुखों से कहा कि पश्चिम के आक्रामक बयानों की वजह से ऐसा करना ज़रूरी हो गया है.
वैसे, उनकी इस घोषणा का मतलब ये कतई नहीं है कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करना चाहता है. मगर उनके इस एलान ने दुनिया में परमाणु हथियारों की चर्चा छेड़ दी है.
हालाँकि, शीत युद्ध के दौर के बाद से परमाणु हथियारों के भंडार में बहुत कमी आई है, मगर अभी भी दुनिया में सैकड़ों परमाणु हथियार हैं जिन्हें बहुत कम समय के भीतर दाग़ा जा सकता है.
क्या होते हैं परमाणु हथियार
ये बेहद शक्तिशाली विस्फोटक या बम हैं.
इन बमों को ताक़त या तो परमाणु के नाभिकीय या न्यूक्लियर कणों को तोड़ने या फिर उन्हें जोड़ने से मिलती है जिसे विज्ञान की भाषा में संलयन या विखंडन कहा जाता है.
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रेडिएशन या विकिरण निलकता है और इसलिए इनका असर धमाके बाद बहुत लंबे समय तक रहता है.
क्या परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ है
दुनिया में अब तक दो बार परमाणु बमों से हमला किया गया है जिनसे भयंकर नुक़सान हुआ.
आज से 77 साल पहले ये दोनों हमले अमेरिका ने किए थे जब उसने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए.
6 अगस्त अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे.
ऐसा माना जाता है कि हिरोशिमा में 80,000 और नागासाकी में 70,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
कितनी संख्या है इनकी
वैसे परमाणु हथियारों के बारे में कोई भी देश खुलकर नहीं बनाता मगर ऐसा समझा जाता है कि परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सेना के पास 9,000 से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं.
स्वीडन स्थित संस्था थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने पिछले वर्ष अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2020 के आरंभ में इन नौ देशों के पास लगभग 13,400 परमाणु हथियार थे जिनमें से 3,720 उनकी सेनाओं के पास तैनात थे.
सिप्री के अनुसार इनमें से लगभग 1800 हथियार हाई अलर्ट पर रहते हैं यानी उन्हें कम समय के भीतर दाग़ा जा सकता है.
इन हथियारों में अधिकांश अमेरिका और रूस के पास हैं. सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के पास 2020 तक अमेरिका के पास 5,800 और रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार थे.
भारत के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु हथियारों के मामले में भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान उससे कहीं आगे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार 2021 तक भारत के पास जहाँ 150 परमाणु हथियार थे, वहीं पाकिस्तान के पास 160 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार थे.
परमाणु शक्ति संपन्न देश
इन्हीं नौ देशों के पास परमाणु हथियार क्यों हैं
1970 में 190 देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करने के लिए एक संधि लागू हुई जिसका नाम है परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी.
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और चीन भी इसमें शामिल हैं. मगर भारत, पाकिस्तान और इसराइल ने इसपर कभी हस्ताक्षर नहीं किया और उत्तर कोरिया 2003 में इससे अलग हो गया.
इस संधि के तहत केवल पाँच देशों को परमाणु हथियार संपन्न देश माना गया जिन्होंने संधि के अस्तित्व में आने के लिए तय किए गए वर्ष 1967 से पहले ही परमाणु हथियारों का परीक्षण कर लिया था.
ये देश थे - अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन.
संधि में कहा गया कि ये देश हमेशा के लिए अपने हथियारों का संग्रह नहीं रख सकते यानी उन्हें इन्हें कम करते जाना होगा.
साथ ही इन देशों के अलावा जितने भी देश हैं उनपर परमाणु हथियारों के बनाने पर रोक भी लगा दी गई.
इस संधि के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने अपने हथियारों की संख्या में कटौती की.
मगर बताया जाता है कि फ़्रांस और इसराइल के हथियारों की संख्या लगभग जस की तस रही.
वहीं भारत, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया के बारे में फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन सांइस्टिस्ट्स ने कहा कि ये देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं. (bbc.com)
नयी दिल्ली , 2 मार्च | रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बुधवार को कहा कि उनका देश यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के लिये सुरक्षित मार्ग बना रहा है। यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को किसी भी हालत में तत्काल खारकीव और कीव छोड़ने की चेतावनी जारी की है।
अलीपोव ने कहा, हम सुरक्षित मार्ग बनाने के लिये तेजी से काम कर रहे हैं ताकि उन इलाकों में फंसे भारतीय नागरिक सुरक्षित उसके जरिये रूस जा सकें।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के जिन इलाकों में संघर्ष गंभीर है, वहां से भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिये रूस हरसंभव प्रयास करेगा।
उन्होंने साथ ही यूक्रेन में मंगलवार की सुबह मारे गये भारतीय छात्र नवीन के परिजनों के प्रति संवेदना जतायी और कहा कि उसकी मौत की जांच होगी।
कर्नाटक का 21 साल का नवीन खारकिव शहर में स्थित खारकिव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष का छात्र था। वह राशन लेने के लिये एक कतार में खड़ा था जब हमले में वह मारा गया।
राजदूत ने कहा कि खारकिव, सुमी और पूर्वोत्तर के अन्य क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों को लेकर भारतीय प्रशासन से लगातार संपर्क बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि रूस कुछ सुरक्षित गलियारा बनाने की तैयारी कर रहा है, जिससे लोग सुरक्षित तरीके से रूस में आ सकें।
राजदूत ने साथ ही कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के तटस्थ और संतुलित रूख अपनाने से हम उसके प्रति कृतज्ञ हैं। भारत मौजूदा संकट को समझता है। वह इस संकट की गहराई, इसके कारण और पूरी स्थिति को बाखूबी समझता है। हमें उम्मीद है कि भारत आगे भी यही रूख रखेगा।
उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच के रक्षा सौदे में देर नहीं होगी और जमीन से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल एस400 की डिलीवरी में कोई बाधा नहीं आयेगी।
राजदूत ने कहा कि प्रतिबंधों से सौदे में कोई दिक्कत नहीं आयेगी। (आईएएनएस)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की ने राजधानी कीएव में एक होलोकॉस्ट मेमोरियल पर रूस के मिसाइल हमले की आलोचना की है और इसे मानवता से परे बताया है. बेबीन यार मेमोरियल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कीएव में मारे गए 33 हज़ार से अधिक यहूदियों की याद में बना है. इन्हें नाज़ी सैनिकों ने मारा था.
ज़ेलेंस्की ने कहा- इस तरह का मिसाइल हमला ये दिखाता है कि रूस के कई लोगों के लिए हमारा कीएव पूरी तरह विदेश है. वे हमारी राजधानी के बारे में, हमारे इतिहास के कुछ भी नहीं जानते उन्होंने कहा- उनके पास हमारे इतिहास को मिटाने का आदेश है, हमारे देश को मिटाने का, हम सबको मिटाने का.
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से भी बात की. उन्होंने सुरक्षा सहायता सुनिश्चित कराने के लिए जॉनसन को धन्यवाद किया और कहा कि रूसी सैनिकों को रोकने के लिए ये बहुत ज़रूरी है. दोनों नेता इस पर सहमत थे कि पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए और पाबंदियाँ लगाने की आवश्यकता है. बोरिस जॉनसन ने रूस के हमलों की निंदा की और कहा कि उनकी प्रार्थना यूक्रेन के लोगों के साथ है. (bbc.com)
रूस यूक्रेन के दूसरे बड़े शहर खारकीएव पर लगातार हमले कर रहा है. यहाँ के कई सरकारी भवनों को निशाना बनाया जा रहा है. अब खारकीएव में नगर परिषद भवन पर रूस ने क्रूज मिसाइल दागी है.
खारकीएव के डिप्टी गवर्नर ने यह जानकारी दी है. खारकीएव रूसी सीमा से महज 30 मील दूर है. पिछले दो दिनों से रूसी सेना यहाँ जम कर बमबारी कर रही है. शहर की सड़कों पर रूसी और यूक्रेनी सेना के बीच आमने-सामने की लड़ाई की खबरें हैं. पिछली रात रूस ने यहाँ विमान से सैनिक उतारे थे. इसके बाद लड़ाई और तेज हो गई.
मंगलवार को एक मिसाइल सरकारी मुख्यालय पर भी दागी गई थी. जिससे आसपास आग का गोला फैल गया था. इसने इमारत और आसपास की कारों को भारी नुकसान पहुँचाया. इस हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा था कि रूस रिहायशी इलाकों पर हमला कर युद्ध अपराध को अंजाम दे रहा है.
विज़ुअल जर्नलिज़्म टीम
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश की न्यूक्लियर फ़ोर्सज़ को 'स्पेशल अलर्ट' पर रखा है. उनके इस क़दम से दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है.
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन का ये क़दम शायद यूक्रेन के साथ उनकी जंग में अन्य किसी देश को शामिल होने से रोकने के लिए है. इसे परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की इच्छा का संकेत नहीं माना जाना चाहिए.
दुनिया में 80 साल से परमाणु हथियार मौजूद रहे हैं. बहुत से देश उन्हें एक हथियार के तौर पर देखते हैं जो उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी देते हैं.
रूस के पास कितने परमाणु हथियार?
परमाणु हथियार की संख्या के आंकड़े अनुमान ही होते हैं लेकिन फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स नामक संस्था के मुताबिक रूस के पास दुनिया भर में 5,977 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,500 एक्सपायर होने वाले हैं या पुराने हो जाने के कारण जल्द ही उन्हें तबाह कर दिया जाएगा.
बाक़ी के 4,500 हथियारों को स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर वेपन (रणनीतिक परमाणु हथियार) माना जाता है. इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें और रॉकेट्स शामिल हैं जो लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं. यही हथियार हैं जिन्हें परमाणु युद्ध के साथ जोड़कर देखा जाता है.
रूस के परमाणु हथियार
बाक़ी के हथियार काफ़ी छोटे और कम तबाही करने वाले हैं जिनका प्रयोग ज़मीन या पानी से कम दूरी के लक्ष्यों के लिए किया जा सकता है.
लेकिन इसका ये भी अर्थ नहीं है कि रूस के पास हज़ारों लंबी दूरी तक मार करने वाले परमाणु हथियार हैं जो किसी भी वक्त दाग़े जा सकते हैं
विश्लेषकों का अनुमान है कि रूस ने क़रीब 1,500 परमाणु हथियार तैनात कर रखे हैं. इसका अर्थ है कि इतने हथियार मिसाइल और एयर फ़ोर्स के अड्डों पर या पन्नडुब्बियों पर तैनात किए हुए हैं.
बाक़ी दुनिया की तुलना में कहां ठहरता है रूस?
दुनिया में नौ देशों - चीन, फ़्रांस, भारत, इसराइल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान,रूस, अमेरिका और ब्रिटेन - के पास परमाणु हथियार हैं.
परमाणु हथियार
चीन, फ़्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन उन 191 देशों में शामिल हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हुए हैं.
इस संधि के अंतर्गत उन्हें अपने परमाणु हथियारों के जख़ीरे को कम करना है और सैद्धांतिक तौर पर पूरी तरह से ख़त्म करना है.
1970 और 1980 के दशक में इन देशों ने अपने हथियारों की संख्या में बड़ी कटौती की है.
भारत, इसराइल और पाकिस्तान ने कभी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए. उत्तर कोरिया ने 2003 में ख़ुद को इस संधि से अलग कर लिया था.
विश्व की नौ परमाणु शक्तियों में से मात्र इसराइल ही ऐसा है जिसने आजतक कभी औपचारिक रूस से खुद के पास परमाणु हथियार होने की बात नहीं कही है.
लेकिन माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं.
यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आरोपों के बावजूद आजतक इस बात का सबूत नहीं मिला है कि यूक्रेन पर परमणु हथियार जुटाने का प्रयास कर रहा है.
परमाणु हथियारों से कितनी तबाही?
परमाणु हथियारों का मकसद ही है अधिकतक तबाही. लेकिन तबाही का स्तर नीचे दी गई चीज़ों पर निर्भर करती है -
परमाणु हथियार का साइज़
ज़मीन से कितने ऊपर इसका विस्फोट हुआ
स्थानीय वातावरण
लेकिन छोटे से छोटा परमाणु हथियार में बड़ी संख्या में लोगों की जान ले सकता है और आने वाली पीढ़ियों पर भी असर डाल सकता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराया गया अमेरिका परमाणु बम 15 किलोटन था.
परमाणु हथियार
आजकल के परमाणु बम एक हज़ार किलोटन तक के हो सकते हैं.
जैसे ही किसी इतने बड़े परमाणु हथियार के इस्तेमाल के बाद विस्फोट होगा, इसके आस-पास कुछ नहीं बचेगा.
परमाणु विस्फोट के दौरान, एक आँखे चौंधिया देने वाली रोशनी के बाद एक आग का गोला निकलता है जो अपने आस-पास कई किलोमीटर तक इमारतों और अन्य ढांचे को नेस्तनाबूद करते जाता है.
परमाणु हमला प्रतिरोधक क्या है और क्या ये कारगर रहा है?
न्यक्लियर डेटेरेंट यानी परमाणु हमला प्रतिरोधक का अर्थ है कि आप इतनी बड़ी संख्या में परमाणु हथियार तैयार रखें जो आपके दुश्मन को पूरी तरह से तबाह करने के काबिल हों. अगर ऐसा होगा तो आपका विरोधी कभी आप पर हमला नहीं करेगा.
इसके लिए अंग्रेज़ी में एक मुहावरा गढ़ा गया था जिसे MAD कहते हैं यानी म्यूचुअली एश्योरड डिस्ट्रक्शन.
रूस यूक्रेन संकट: दुनिया में किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं
1945 के बाद न्यूक्लियर हथियारों की तकनीक और तबाही करने की क्षमता में बेतहाशा वृद्धि हुई है लेकिन राहत की बात है कि उसके बाद से उनका इस्तेमाल नहीं हुआ है.
रूस की परमाणु नीति भी अपने हथियार को डेटेरेंट के रूप में स्वीकारती है. रूस का कहना है कि वो नीचे दी गई चार सूरतों में ही परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.
रूसी फ़ेडरेशन या उसके सहयोगियों पर बैलिस्टिक मिसाइल का हमला
रूसी फ़ेडरेशन या उसके सहयोगियों पर परमाणु हमला
रूस की ऐसी मिलिट्री और सरकारी जगह पर हमला जिससे उसकी परमाणु क्षमता को ख़तरा हो
रूसी फ़ेडरेशन के ख़िलाफ़ आम हथियारों से ऐसा हमला की राज्य का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ जाए.
यहां तक कि पुतिन की धमकी भी एक चेतावनी है. ये उनके परमाणु हथियारों को इस्तेमाल करने की इच्छा को नहीं दिखाता. लेकिन युद्ध के दौरान अपने दुश्मन से होने वाले रिस्क के ग़लत आंकलन से चीज़ें कई बार हाथ से निकल जाती हैं.
तो क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
ब्रिटेन के विदेश मंत्री बेन वैलेस ने बीबीसी न्यूज़ को बताया है कि ब्रिटेन ने अब तक रूसी परमाणु हथियारों को वास्तविक स्थान से हरकत करते नहीं देखा है.
ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक इस पर बारीक़ी से नज़र रखी जा रही है. (bbc.com)
एक फूटे हुए रॉकेट के अवशेष 9,300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह से टकराने वाले हैं. तीन टन वजन वाले इस कचरे से इतना बड़ा गड्ढा हो सकता है जिसमें ट्रैक्टर जितने बड़े कई वाहन समा जाएंगे.
चांद की सतह के जिस तरफ यह कचरा टकराएगा वो सुदूर ऐसी जगह है जहां तक धरती की दूरबीनों की नजर नहीं पहुंचती है. सैटेलाइट चित्रों की मदद से टक्कर की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने भी लग सकते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रॉकेट चीन का है जिसने इसे करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में छोड़ा था. यह तबसे अंतरिक्ष में इधर उधर भटक रहा है. लेकिन चीन के अधिकारियों ने इस रॉकेट के चीनी होने पर संदेह व्यक्त किया है.
निजी पर्यवेक्षक ने लगाया पता
बहरहाल, रॉकेट हो किसी का भी वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी टक्कर से चांद की सतह पर 10 से 20 मीटर गहरा गड्ढा हो जाएगा और चांद की धूल उड़ कर सतह पर सैकड़ों किलोमीटर तक फैल जाएगी.
पृथ्वी के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है. गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना कम ही होती है और उन्हें अक्सर जल्दी ही भुला भी दिया जाता है.
सिर्फ शौकिया तौर पर खगोलीय जासूस की भूमिका निभा रहे मुट्ठीभर अंतरिक्ष पर्यवेक्षक उन पर नजर रखते हैं. इसी तरह के एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट के चांद से टकराने के मार्ग का पता लगाया था. ग्रे एक गणितज्ञ और एक भौतिकशास्त्री हैं.
चीन का इनकार, संदेह बरकरार
शुरू में उन्होंने स्पेसएक्स को इसका जिम्मेदार बताया था जिसके बाद कंपनी की आलोचना भी हुई थी. लेकिन ग्रे ने एक महीने बाद बताया कि शुरू में वो गलत थे और अब उन्हें पता चला है कि वो "रहस्मयी" चीज स्पेसएक्स का रॉकेट नहीं है.
उन्होंने बताया कि संभव है कि वो एक चीनी रॉकेट का तीसरा चरण है जिसने 2014 में चांद पर एक टेस्ट सैंपल कैप्सूल भेजा था. कैप्सूल फिर वापस आ गया था लेकिन रॉकेट उसके बाद भटकता ही रहा.
चीनी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि वो रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लौट आने के बाद जल गया था. लेकिन एक जैसे नाम वाले दो चीनी मिशन थे जिनमें एक थी यह टेस्ट उड़ान और दूसरी थी 2020 का चांद की सतह से पत्थरों के सैंपल ले कर वापस आने वाला मिशन.
क्यों होती है टक्कर
अमेरिकी पर्यवेक्षकों का मानना है कि दोनों मिशनों की जानकारी को मिलाया जा रहा है. धरती के पास अंतरिक्ष कचरे पर नजर रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष कमांड ने मंगलवार को बताया कि 2014 वाले मिशन का चीनी रॉकेट कभी धरती के वायुमंडल में कभी वापस आया ही नहीं.
लेकिन कमांड इस बात की पुष्टि नहीं कर पाया कि अभी चांद से टकराने वाली चीज किस देश की है. ग्रे का कहना है उन्हें पूरा विश्वास है कि यह चीन का ही रॉकेट है. चांद पर पहले से ही कई गड्ढे हैं. चांद का वायुमंडल लगभग न के बराबर है जिसकी वजह से वो लगातार गिरने वाले उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों से अपना बचाव नहीं कर पाता है.
बीच बीच में अंतरिक्ष यान भी उससे टकराते रहते हैं. इनमें ऐसे यान भी हैं जिन्हें वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए जानबूझकर टकराया जाता है. चांद पर कोई मौसम भी नहीं है जिसकी वजह से उसकी सतह का घिसाव भी नहीं होता और ये गड्ढे हमेशा के लिए रह जाते हैं.
सीके/एए (एपी)
मंगलवार को यूक्रेन पर रूस की तरफ से बड़ा हमला किया गया. इस हमले में कई नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है जिसमें आम लोगों की जानें गई हैं. युद्ध रोकने की कोशिशों में कोई खास प्रगति नहीं हुई.
रूसी सैनिकों की गोलीबारी ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव के मुख्य चौराहे और दूसरे नागरिक इलाकों पर भारी प्रहार किया है. हमले के बाद खारकीव का मुख्य चौराहा धूल और मलबे से भर गया है. रूसी सैनिकों का हमला सूरज निकलने के कुछ देर बाद ही शुरू हो गया. हमले के बाद एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, "आप इसे रोए बिना नहीं देख सकते." एक आपातकालीन अधिकारी ने बताया कि मलबे में से कम से कम 6 लोगों के शव निकाले जा चुके है. 20 दूसरे लोग भी इसमें घायल हुए हैं. यह साफ नहीं है कि हमला किस हथियार से किया गया या कुल कितने लोग इसके शिकार हुए हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने आरोप लगाया है कि रूस यूरोप की जमीन पर कई पीढ़ियों बाद हो रही सबसे बड़ी जंग में दबाव बनाने के लिए आतंकवादी तरीकों का सहारा ले रहा है. रणनीतिक रूप से यूक्रेन के लिए अहम खारकीव में सोवियत जमाने की प्रशासनिक और रिहायशी इमारतों को निशाना बनाया गया है. सोशल मीडिया पर आ रही तस्वीरों और वीडियो में यह देखा जा सकता है. गोलीबारी में एक मैटर्निटी वार्ड भी ध्वस्त हो गया है. जेलेंस्की ने खराकीव के मुख्य चौराहे पर हमले को "साफ तौर पर आतंकवाद" माना है और इसके लिए रूसी मिसाइल को जिम्मेदार बताते हुए युद्ध अपराध कहा है.
शहर के केंद्र पर हमला
यह पहली बार है जब रूसी सेना ने शहर के केंद्र को निशाना बनाया है. खारकीव के बाहरी इलाके में कई दिनों से हमले चल रहे हैं. यूक्रेन के आपातकालीन सेवा का कहना है कि गोलाबारी के बाद 24 जगहों पर आग बुझाई है और 69 विस्फोटकों को बेकार किया गया है. बहुत सारे स्वयंसेवक और गार्डों ने इन प्रशासनिक इमारतों को अपना ठिकाना बनाया था. आशंका है कि कुछ स्वयंसेवक भी इस गोलीबारी के शिकार हुए हैं.
उधर रूसी सेना ने नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने के आरोप से इनकार किया है. रक्षा मंत्री सर्गेइ शोइगो का कहना है कि सेना, "नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए सारे कदम उठा रही है. मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हमले केवल सैन्य ठिकानों पर किए जा रहे हैं और बेहद सटीक हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है."ऐसी खबरें आ रही हैं कि रूस ने आबादी वाले तीन इलाकों में क्लस्टर बमों का प्रयोग किया है. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि उसने एक क्लस्टर बम का इस्तेमाल पूर्वी यूक्रेन के अस्पताल पर हुए हमले में दर्ज किया है. स्कूल, अस्पताल और रिहायशी इमारतें हमले की चपेट में आई हैं लेकिन रूस इसे मानने से इनकार कर रहा है.
पश्चिमी देशों के तमाम उपायों के बावजूद रूसी अधिकारी लगातार धमकियां दे रहे है यहां तक कि रूसी राष्ट्रपति ने परामणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का आदेश दे दिया है.
रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पुतिन के करीबी दमित्री मेदवेदेव ने तो यहां तक कह दिया है कि रूस के खिलाफ चल रही "आर्थिक जंग असल जंग में भी" बदल सकती है. मेदवेदेव रुस की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख हैं. फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायर ने कहा था कि यूरोपीय संघ रूस के खिलाफ आर्थिक जंग छेड़ने जा रहा है. इसी के जवाब में मेदवेदेव ने कहा, "अपनी जबान पर ध्यान दीजिए जेंटलमैन और यह मत भूलिए कि मानव इतिहास में आर्थिक जंग कई बार सचमुच की जंग में बदल गई है."
दूसरे दौर की बातचीत
रूस और यूक्रेन के प्रतिनधियों के बीच पहले दौर की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला हालांकि दोनों पक्ष दूसरे दौर की बातचीत पर तैयार हो गए हैं. रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने खबर दी है कि दोनों पक्षों की 2 मार्च को दूसरे दौर की बातचीत होगी.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विभाग का कहना है कि उसने अब तक 136 आम लोगों की मौत दर्ज की है. इनमें 13 बच्चे भी हैं. जंग में मरने वालों की असल संख्या इससे बहुत ज्यादा हो सकती है. इस बीच खारकीव से एक भारतीय छात्र के मौत की भी खबर आई है. छात्र की उम्र 21 साल बताई गई है. भारत के विदेश विभाग ने इस बात की पुष्टि की है कि और कहा है कि कर्नाटक का एक छात्र यूक्रेन में मारा गया है और सरकार पीड़ित परिवार के संपर्क में है. बीते दिनों में करीब 8 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन से वापस आए हैं. इनमें से 1,400 छात्रों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों से छह खास उड़ानों में वापस लाया गया है. अनुमान है कि अब भी करीब 12,000 छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं और मदद का इंतजार कर रहे हैं. भारत सरकार ने उन्हें निकालने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है.
पूरे यूक्रेन में बहुत सारे लोगों ने सोमवार को एक और रात शेल्टरों, तहखानों या फिर कॉरिडोर में बिताई है. खारकीव के एक तहखाने में कई पड़ोसियों के साथ पांच रातों से रह रही एकातेरिना बाबेंको ने कहा, "यह भयानक अनुभव है, और आपको बहुत अंदर तक मजबूती से जकड़ ले रहा है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. हमारे साथ छोटे बच्चे हैं, बुजुर्ग लोग हैं और साफ कहूं तो यह बहुत डरावना है."
यूक्रेन सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को चेर्निहीव इलाके में बेलारूस के सैनिक भी जंग में शामिल हो गए हैं. यूक्रेनी अधिकारी ने ज्यादा ब्यौरा नहीं दिया. इससे कुछ ही पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको ने कहा था कि उनके देश की युद्ध में शामिल होने की कोई योजना नहीं है.
खारकीव के केंद्र को निशाना बनाने का उद्देश्य फिलहाल समझ में नहीं आ रहा है. पश्चिमी अधिकारियों का अनुमान है कि रूस चाहता है कि यूक्रेन के सैनिक खारकीव की सुरक्षा में लग जाएं इस बीच वह कीव को घेर ले. उनका मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का लक्ष्य यूक्रेन की सरकार को सत्ता से हटा कर वहां अपने मनपसंद लोगों को बिठाना है.
कीव को घेरने की को कोशिश
रूसी सेना मंगलवार सुबह भारी हथियारों और सैनिक साजो सामान के साथ करीब 60 किलोमीटर लंबा काफिला लेकर राजधानी कीव की तरफ बढ़ी. फिलहाल यह काफिला कीव से 25 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है. रूसी सेना को यूक्रेन की तरफ से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है साथ ही वह आसमान में भी अभी पूरी तरह से अपना दबदबा नहीं बना सकी है.
यूक्रेन के लोग रूसी सेना का रास्ता रोकने के लिए हर संभव तरीके अपना रहे हैं. दक्षिणी यूक्रेन में ओडेसा और मिकोलाइव के बीच एक हाइवे को स्थानीय लोगों ने ट्रैक्टर के टायरों में रेत भर कर जाम कर दिया. इसके ऊपर रेत की बोरियां रख कर उन्होंने रूसी सैनिक काफिले के रास्ते में बाधा खड़ी कर दी. कीव में सिटी हॉल के दरवाजे और खिड़कियों पर रेत से भरे बोरियों का अंबार लगा है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक यूक्रेन से बाहर जाने वाले लोगों की संख्या 6,60,000 को पार कर गई है एक दिन पहले यह संख्या 5,00,000 बताई गई थी. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी आयुक्त की प्रवक्ता शाबिया मंटू का कहना है कि जिस दर से शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही है उससे लग रहा है कि यह "इस शताब्दी में यूरोप की सबसे बड़ी शरणार्थी समस्या होगी." एजेंसी ने ज्यादा से ज्यादा देशों से शरणार्थियों को अपने देश में आने देने का अनुरोध किया है. इसके साथ ही मंटू ने कहा, "हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि किसी इंसान या समूह के साथ भेदभाव ना हो.
युद्ध अपराध
अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के मुख्य अभियोजक ने कहा है कि उसने यूक्रेन में जांच शुरू करने की योजना बनाई है और वह युद्ध पर नजर रख रहे हैं. यूक्रेन और कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में इस बात की शिकायत करने की घोषणा की है. इस बीच पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई बढ़ा दी है. हालांकि ये देश सैनिक भेजने से अब तक इंकार कर रहे हैं.
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लेयन ने बताया है कि मंगलवार को यूरोपीय संघ ने एक खास सत्र में यूक्रेन के लिए 56 करोड़ यूरो का बजट तय किया है. इस धन का इस्तेमाल के अंदर चल रहे संकट से निपटने और लाखों शरणार्थियों को मदद देने में किया जाएगा. यूक्रेन को यूरोपीय संघ में शामिल करने के सवाल पर उर्सुला फॉन डेय लेयन ने कहा "इसके लिए लंबा रास्ता तय करना होगा. हमें इस युद्ध को खत्म करना है उसके बाद अगले कदम उठाए जाएंगे." यूरोपीय संघ में शामिल होने की प्रक्रिया में सालों का वक्त लगता है. इसके लिए देशों को कारोबार, न्यायिक स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार रोकने की कठोर शर्तों का पालन करना होता है.
एनआर/आरपी (एपी, एफपी, रॉयटर्स)
रूस के बैंकों से लेकर रईसों और वोदका से लेकर खिलाड़ियों तक, जिस तरह के प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं उसने भविष्य के लिए दुनिया की नई तस्वीर बना दी है. जल्दबाजी में लगे प्रतिबंधों की आंच क्या रूस को लंबे समय तक महसूस होगी?
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
दुनिया अब आपस में इतनी ज्यादा जुड़ चुकी है कि वुहान के मांस बाजार से निकला एक वायरस सुदूर, विशाल, ताकतवर देशों को एक साथ एक झटके में घुटने के बल बैठा सकता है. आपस में गुंथे सप्लाई चेन, बैंकिंग, खेल ऐसी असंख्य चीजें हैं जो पृथ्वी के कोने कोने में मौजूद देशों का संपर्क जोड़ रही हैं. एक दूसरे में गहराई तक धंसे संबंधों के इन तारों के टूटने का असर क्या होता है इसकी बानगी फिलहाल रूस में दिखनी शुरू हो चुकी है.
रूस पर हर तरह के प्रतिबंध
रूस ने यूक्रेन पर हमले के लिए कई हफ्तों, महीनों या फिर सालों तैयारी की लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों के एलान में जरा भी वक्त नहीं लिया. इस हफ्ते रूस की अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग क्षमता में बड़े पैमाने पर कटौती हुई है. अंतरराष्ट्रीय खेल मुकाबलों से उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. उसके विमान अब यूरोप और अमेरिकी वायुसीमा में नहीं जा सकेंगे. अमेरिका के कई राज्यों में अब मेहमानों का स्वागत वोदका से नहीं होगा. यहां तक कि विश्वयुद्धों के दौर में तटस्थ रहने वाले स्विट्जरलैंड ने भी व्लादिमीर पुतिन को पीठ दिखा दी है.
यूक्रेन पर हमला करने की वजह से बीते तीन दिनों में ही रूस अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में एक तरह से बाहरी नजर आने लगा है. पुतिन के दोस्तों की तादाद तेजी से घटने लगी है. बड़ी बात यह है कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में हर तरह के रंग नजर आ रहे हैं, यह रूसी लोगों के जीवन पर कई तरह से असर डालेंगे जिनकी शुरुआत हो चुकी है.
मैकलेस्टर कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय संबंध पढ़ाने वाले और भूराजनीति के विशेषज्ञ प्रोफेसर एंड्रयू लाथम कहते हैं, "यहां कुछ हुआ है. यह किसी झरने के समान जिस तरह आगे बढ़ा है, उसकी तो चार दिन पहले तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी."
ईरान और उत्तर कोरिया से ज्यादा कड़े प्रतिबंध
पिछले तीन दिनों में प्रतिबंधों ने रूस को जंगल की आग की तरह अपने घेरे में लिया है. सरकारों, गठबंधनों, संगठनों और लोगों को जहां भी गुंजाइश दिखी है वहां प्रतिबंध ठोक दिए गए हैं. कुल मिला कर देखें तो कई मामलों में यह ईरान और उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों से भी आगे निकल गए हैं.
यूरोपीय देश इस मामले में खासतौर से बहुत एकजुट हैं. इन देशों ने रूसी जहाजों के लिए वायुसीमा बंद कर दी है. 11,000 बैंकों और दूसरे संगठनों के साथ काम करने वाले स्विफ्ट भुगतान तंत्र से रूस के प्रमुख बैंकों को बाहर कर दिया गया है. रूस के रईसों यानी ओलिगार्कों की संपत्तियां जब्त करने की तैयारी हो रही है और उन पर अनेक तरह से घेरा डाला जा रहा है.
सोमवार को दुनिया और यूरोप की फुटबॉल संस्थाओं ने रूसी टीमों को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से बाहर कर दिया इनमें 2022 के वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाइंग मैच भी शामिल हैं. इससे पहले अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक संघ ने खेल संगठनों को रूसी एथलीटों और अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों से बाहर करने को कहा. जूडो और ताइक्वांडों के अंतरराष्ट्रीय खेल संघों ने ना सिर्फ पुतिन को दी मानद उपाधियां छीन ली है बल्कि रूस पर प्रतिबंध लगाने की भी बात कही है.
जब अंतरराष्ट्रीय आईस हॉकी फेडरेशन और नेशनल हॉकी लीग ने रूस के खिलाफ अपने कदमों का एलान किया तो यह साफ हो गया कि रूस के खिलाफ शुरू हुआ अभियान इतना बड़ा है जिसकी तपिश खेलों की दुनिया कई दशकों तक महसूस करेगी.
बैंक से लेकर वोदका तक
जर्मनी ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से चली आ रही अपनी विदेश नीति बदल दी है और यूक्रेन को हथियार देने का फैसला किया है. जर्मन चांसलर ने इस कदम को "नई सच्चाई" कहा है. फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश जो बड़ी मुश्किल से ही इस तरह के मामलों में सामने आते हैं, वो भी रूस के खिलाफ चले गए हैं और यूक्रेन को हथियार भेज रहे हैं. स्विट्जरलैंड अपनी सुरक्षित बैंकिंग के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. अब उसने भी "रूस के मामले में सख्त रवैया" अपनाने की बात कही है.
अमेरिका के कई राज्यों ने भी रूस के खिलाफ कदम उठाने की शुरूआत की है. भले ही ये कदम रूस को सीधे प्रभावित ना करें लेकिन इन कोशिशों का असर होगा. पेन्सिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, वेरमोंट, वेस्ट वर्जीनिया और माइन जैसे अमेरिकी राज्यों ने रूसी वोदका और दूसरे सामान को दुकानों से हटाने का फैसला किया है. पेन्सिल्वेनिया ने तो एक कदम और आगे जा कर कंपनियों में रूसी हिस्सेदारियों का विनिवेश भी शुरू कर दिया है.
फिलाडेल्फिया के स्टेट सीनेटर शरीफ स्ट्रीट ने लिखा है, "अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सहयोग का उल्लंघन करने के लिए रूस गंभीर नतीजे भुगते यह सुनिश्चित करने के लिए हमें अपनी आर्थिक ताकत का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए."
सोशल मीडिया का असर
आनन फानन में उठाए गए इस तरह के कदमों को अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस की सराहना भी मिल रही है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन प्साकी का कहना है, "राष्ट्रपति पुतिन आधुनिक इतिहास में नाटो को एकजुट करने वाले सबसे बड़े कारक साबित हुए हैं. मुझे लगता है कि इस एक चीज के लिए हम उनका आभार मान सकते हैं."
जितनी तेजी से इस बार सब कुछ हुआ है उसने 9/11 के हमले के बाद हुए प्रतिबंधों को भी पीछे छोड़ दिया है. इसमें एक बड़ी भूमिका सोशल मीडिया और इंटरनेट की भी है. यूक्रेन और इससे बाहर क्या हो रहा है इस बारे में पर्यवेक्षकों को सीधे जानकारी मिल रही है और इसका असर तुरंत और कई गुना ज्यादा हो रहा है. माइने के गवर्नर ने वोदका से जुड़े कदम उठाने का फैसला एकदम से कर लिया.
लाथम कहते हैं, "एक पीढ़ी पहले यह सब विदेश मंत्रालयों और 6 बजे के समाचार में सुनाई देता है, उसमें आज जितनी तेजी और एक दूसरे से जुड़ाव नहीं दिखते थे. मुझे लगता है कि यह इसके असर को और तेज कर रहा है." जर्मन राजधानी में यूक्रेन पर हमले के विरोध में एक लाख सेज्यादा लोगों का जमा होना और कोलोन के कार्निवाल का यूक्रेनी रंग में रंग जाना अनायास नहीं है. सोशल मीडिया की इसमें बड़ी भूमिका है और अब तो सरकारों को लामबंद करने में भी यह कारगर हो रहा है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की खुद इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.
रूस के मददगार भी हैं
ऐसा भी नहीं है कि हर कोई रूस को अलग थलग करने की होड़ में है. चीन ने इस मामले में खुद को बाकी दुनिया के साथ नहीं रखा है और इसमें कोई हैरानी भी नहीं है. हालांकि चीन लंबे समय से यह कहता रहा है कि देशों को दूसरे की संप्रभुता को सबसे ऊपर रखना चाहिए और इस मामले में उसकी स्थिति आने वाले दिनों में कमजोर होगी. वैसे भी ताइवान, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर के मामले में उसका रुख उसकी नीतियों से मेल नहीं खाता.
बहरहाल सजा की कार्रवाइयों में चीन के शामिल नहीं होने से दूसरे देशों पर बहुत असर नहीं पड़ा है. अगर चीन इसे कमजोर करने की कोशिश करता है तो मुमकिन है कि उस पर भी प्रतिबंध लगें. बेलारूस ने यूक्रेन पर हमले के लिए जमीन दी है और यूएई के साथ भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई से अलग रह कर रूस को मदद पहुंचाई है. कुछ और देश भी हैं जो रूस के साथ सहयोग कर सकते हैं जाहिर है कि वो एकदम अकेला भी नहीं है.
इस हफ्ते दुनिया ने जो कदम उठाए हैं वो बहुत जल्दबाजी में लिए फैसलों का नतीजा हैं लेकिन क्या ये लंबे समय तक टिके रहेंगे? पुराने गठबंधन तेजी से साथ तो आ गए लेकिन हफ्ते गुजरने के साथ उनमें टकराव भी शुरू होगा. इसके अलावा इसी वैश्विक संबंधों के ताने बाने और संपर्कों में जितनी ताकत किसी देश को अलग थलग करने देने की है उतनी ही सुविधा इनके असर को कम करने की भी है.
इसके बाद भी देशों को नए जमाने के तरीकों से पुराने जमाने की हरकत, यानी किसी और की जमीन पर ताकत से कब्जा करने वाले देश को सबक सिखाने की ताकत तो मिल ही गई है. वास्तव में प्रतिबंधों ने वैश्विक तंत्र को इस तरह से एकजुट कर दिया है कि विश्लेषक भी हैरान हैं. प्रतिबंध वैश्विक दुनिया में कितने कारगर हो सकते हैं रूस पर यूक्रेन के हमले ने इसे परखने का अच्छा मौका दिया है. (dw.com)
बाइडेन द्वारा भेजे गए पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल ताइवान की राजधानी ताइपेई पहुंच गया है. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद ही ताइवान ने कहा था कि चीन भी ऐसे समय में उस पर हमला कर सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा भेजे गए इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व अमेरिकी सेना के पूर्व जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ माइक मलेन कर रहे हैं. चीन ने इस दल के दौरे की निंदा की है. चीन ताइवान को अपना इलाका मानता है और उसे अपने अधीन लाने का प्रण ले चुका है.
अमेरिकी दल में मलेन के अलावा पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेघन ओ'सलिवन और पूर्व रक्षा अवर सचिव मिशेल फ्लोरनॉय, राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल में एशिया के लिए पूर्व वरिष्ठ निदेशक माइक ग्रीन और एवन मेदेरोस शामिल हैं.
दौरे से नाराज चीन
एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार इस दल के दौरे का उद्देश्य "यह दिखाना है कि ताइवान के लिए हमारा मजबूत समर्थन बरकरार है."
दल एक निजी जेट में ताइपेई के सोंगशान हवाई अड्डे पर पहुंचा जहां उसके सदस्यों का स्वागत ताइवान के विदेश मंत्री जोसफ वू ने किया. दल के सदस्य बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन से मिलेंगे. उसी दिन वहां अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी पहुंचेंगे, हालांकि वो अलग से और अपनी निजी क्षमता में वहां जा रहे हैं.
चीन ताइवान को अमेरिका के साथ अपने रिश्तों में सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा मानता है और कोई भी उच्च स्तरीय बातचीत या दौरा उसे परेशान करता है.
इस दल के दौरे को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने कहा, "हमारे देश की संप्रभुता और अखंडता के बचाव में खड़े रहने की हमारे लोगों की इच्छाशक्ति अडिग है. अमेरिका जिसे भी ताइवान के समर्थन के लिए भेजेगा वो असफल ही होगा."
जंगी जहाज पर विवाद
ताइवान के प्रीमियर सू सेंग-चांग ने पत्रकारों को बताया कि यह दौरा "ताइवान-अमेरिका रिश्तों और ताइवान के रुख दोनों की अहमियत" को और ताइवान के प्रति अमेरिका के पक्के समर्थन को दिखाता है. उन्होंने कहा, "यह एक बहुत अच्छी बात है."
हालांकि इस दल ने ताइवान पहुंचने के लिए सामान्य रास्ता नहीं लिया. सामान्य रूप से पूर्वी चीनी सागर के ऊपर से ताइवान पहुंचा जाता है लेकिन इस बार इस दल का जहाज ताइवान के उत्तर पूर्वी तट की तरफ से देश में घुसा और चीनी मार्ग से पूरी तरह से दूर रहा. यह जानकारी उड़ानों को ट्रैक करने वाली वेबसाइट फ्लाइटराडार24 से मिली.
इसके पहले शनिवार को एक अमेरिकी जंगी जहाज संवेदनशील ताइवान स्ट्रेट से होकर गुजरा था. अमेरिकी सेना से इसे सामान्य गतिविधि बताया लेकिन चीन ने इसे उकसाने वाला बताया. मंगलवार को वांग ने और आगे बढ़ कर और कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका ऐसा करके चीन को धमकाने और उस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है तो हमें उन्हें यह बता देने की जरूरत है कि 1.4 अरब चीनी लोगों की इस्पात की महान दीवार के आगे कोई भी सैन्य शक्ति कबाड़ से ज्यादा कुछ नहीं है. ताइवान स्ट्रेट से अमेरिकी जंगी जहाज के गुजरने हथकंडा उन्हीं को मुबारक को जो मूर्खों की तरह आधिपत्य में विश्वास करते हैं."
सीके/एए (रॉयटर्स)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को "तानाशाह" बताते हुए कहा है कि दुनिया में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच जंग छिड़ी है. उधर रूस ने अपना आक्रामक रवैया जारी रखा है.
बाइडेन ने ये बातें अपने पहले 'स्टेट ऑफ द यूनियन' भाषण में कहीं. उन्होंने पुतिन को एक ऐसा 'तानाशाह' बताया जिसे यूक्रेन पर हमला करने की वजह से इस तरह से आर्थिक और कूटनीतिक रूप से अलग थलग किया जा रहा है जिससे वो बर्बाद हो जाएगा.
अमेरिकी संसद के दोनों सदनों और अमेरिकी जनता को संबोधित करते हुए बाइडेन ने रूसी हमले के खिलाफ अपनी रक्षा करने वाले यूक्रेन की "शक्ति की दीवार" की सराहना की. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन युद्ध में अमेरिका अपने सैनिक बिलकुल भी नहीं भेजेगा.
रूस के करोड़पतियों, नेताओं को चेतावनी
बाइडेन ने कहा, "मैं स्पष्ट कह रहा हूं: हमारी सेना यूक्रेन में रूसी सेना के खिलाफ इस संघर्ष में न शामिल है और न होगी." लेकिन उन्होंने पुतिन की तीखी आलोचना करते हुए कहा, "एक रूसी तानाशाह ने एक दूसरे देश पर हमला कर दिया है और अब उसे पूरी दुनिया में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी."
उन्होंने आगे कहा, "लोकतंत्र और तानाशाही के बीच जंग में लोकतांत्रिक देशों का पलड़ा भारी हो रहा है और दुनिया स्पष्ट रूप से शांति और सुरक्षा का पक्ष चुन रही है." बाइडेन ने रूस के करोड़पतियों और "भ्रष्ट नेताओं" को भी चेतावनी देते हुए कहा कि पश्चिमी देश "उनकी नौकाएं, उनके विलासमय मकान, उनके निजी जेट जब्त कर लेंगे."
यूक्रेन की सराहना
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बाइडेन ने कहा, "हम तुम्हारी काली कमाई तुमसे ले लेने आ रहे हैं." उन्होंने यूक्रेन के साहस की भी सराहना की. बल्कि डेमोक्रैट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के सांसदों ने मिल कर यूक्रेन की सराहना की. सांसदों ने खड़े हो कर अमेरिका में यूक्रेन की राजदूत ओक्साना मारकरोवा की तरफ मुड़ कर तालियां बजाईं.
मारकरोवा को राष्ट्रपति की पत्नी जिल बाइडेन के वीआईपी बॉक्स में बिठाया गया था. उधर रूस ने यूक्रेन पर हमला जारी रखा है. यूक्रेन का कहना है कि उसके दूसरे सबसे बड़े शहर खरकीव पर अब रूसी सेना के विमान हमला कर रहे हैं. इसी बीच रूस ने बेरेंट्स सागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियों के साथ एक ड्रिल शुरू कर दी है.
सीके/एए (एपी, एएफपी)
वाशिंगटन, 2 मार्च| रूस से जारी युद्ध के बीच यूक्रेन की आर्थिक मदद के लिये विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सामने आये हैं। चीन की संवाद समिति शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार दोनों अंतराष्ट्रीय संगठन वित्तीय और नीतिगत मोर्चे पर यूक्रेन की सहायता करेंगे।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टैलीना जॉर्जिवा और विश्व बैंक के समूह अध्यक्ष डेविड मैल्पस ने संयुक्त बयान जारी करते हुये कहा है कि युद्ध के कारण जिंसों के दाम बढ़ गये हैं और अभी महंगाई के अधिक बढ़ने की संभावना है। इससे गरीबों को सबसे अधिक परेशानी होगी।
उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच की स्थिति अगर जारी रहती है तो इससे वित्तीय बाजार में अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। इसके अलावा गत कुछ दिनों में घोषित प्रतिबंधों का भी आर्थिक परिदृश्य पर प्रभाव दिखेगा।
दोनों संगठन फिलहाल स्थिति का आंकलन कर रहे हैं और मौजूदा स्थिति से निपटने के नीतिगत पहलू पर अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से चर्चा कर रहे हैं।
यूक्रेन ने आईएमएफ से मांग की थी कि वह आपात वित्तीय सहायता प्रदान करे। आईएमएफ बोर्ड इसके बारे में अगले सप्ताह विचार कर सकता है।
विश्व बैंक आने वाले महीनों में यूक्रेन को तीन अरब डॉलर का पैकेज देने की तैयारी कर रहा है। इस पैकेज के तहत 35 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का अनुमोदन विश्व बैंक बोर्ड संभवत: इसी सप्ताह कर देगा। इसके बाद 20 करोड़ डॉलर का पैकेज स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के लिये जारी किया जायेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 मार्च | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आक्रमण की निंदा की है और रूस को दंडित करने के लिए और उपायों की चेतावनी दी है। सीएनएन ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। बाइडेन ने मंगलवार को अपने स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन के दौरान अमेरिकी न्याय विभाग के तहत एक नए टास्क फोर्स की घोषणा करते हुए कहा, "आज रात, मैं रूसी कुलीन वर्गों और भ्रष्ट नेताओं से कहता हूं, जिन्होंने इस हिंसक शासन से रूसी कुलीन वर्गों की जांच करने के लिए अरबों डॉलर कमाए हैं, बस अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, "हम अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ उनकी नौकाओं, उनके लक्जरी अपार्टमेंट और उनके निजी जेट विमानों को खोजने और जब्त करने के लिए शामिल हो रहे हैं।"
बाइडेन ने कहा कि अमेरिका भी रूसी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर रहा है, कई देशों में शामिल हो रहा है जिन्होंने पिछले सप्ताह इसी तरह के उपाय किए, 'रूस को और अलग कर दिया।'
फिर उन्होंने पुतिन का जिक्र करते हुए कहा, "उन्हें नहीं पता कि क्या होने वाला है।"
बाइडेन ने कहा, "पुतिन ने हिंसा और अराजकता फैलाई है। लेकिन जब वह युद्ध के मैदान में लाभ कमा सकते हैं तो वह लंबे समय तक निरंतर उच्च कीमत चुकाएंगे।"
बाइडेन ने कहा कि पुतिन की आक्रामकता ने दुनिया के लोकतंत्रों को बढ़ती निरंकुशता का मुकाबला करने के उनके संकल्प को मजबूत किया है।
बाइडेन ने कहा, "छह दिन पहले, रूस के व्लादिमीर पुतिन ने मुक्त दुनिया की नींव को हिला देने की कोशिश की, यह सोचकर कि वह इसे अपने खतरनाक तरीकों से मोड़ सकते हैं। लेकिन उन्होंने बुरी तरह से गलत अनुमान लगाया।" (आईएएनएस)
बर्लिन, 2 मार्च| उत्तरी सागर में अकार्बनिक और जैविक प्रदूषकों से प्रदूषण 1980 के दशक के बाद से काफी कम हो गया है। ये जानकारी जर्मनी की फेडरल मैरीटाइम एंड हाइड्रोग्राफिक एजेंसी (बीएसएच) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से सामने आई है। बीएसएच ने मंगलवार को कहा, "समुद्री पर्यावरण की निगरानी से पता चलता है कि कुछ प्रदूषकों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनी नियम किस हद तक हानिकारक पदार्थो को समुद्र में प्रवेश करने से रोकते हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सरकारी एजेंसी के हवाले से बताया कि हालांकि, अध्ययन में ऐसे नए पदार्थ भी मिले जो समुद्री पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। प्रतिबंधित पदार्थो की रासायनिक संरचना में छोटे बदलाव भी उन्हें फिर से वैध बनाने के लिए पर्याप्त हो सकते हैं।
यह अध्ययन बीएसएच, हेल्महोल्ट्ज-जेंट्रम हिरॉन और विश्वविद्यालयों एचएडब्ल्यू हैम्बर्ग और आरडब्ल्यूटीएच आचेन के एक शोध समूह द्वारा आयोजित किया गया। इसने उत्तरी सागर से कोर में 90 अकार्बनिक और कार्बनिक प्रदूषकों का विश्लेषण किया।
बीएसएच ने कहा कि सैंपल के आधार पर, "पिछले 100 सालों में परतों में विभिन्न प्रदूषकों की उच्च सांद्रता के साथ कई प्रदूषण का पता लगाया जा सकता है। इनमें पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल (पीसीबी) का एक समूह शामिल है, जिसे 1979 में प्रतिबंधित कर दिया गया था।"
अध्ययन के अनुसार, साल 1929 से प्रतिबंध तक पीसीबी, जहरीले कार्बनिक क्लोरीन यौगिकों का उपयोग पेंट और सीलेंट में सॉफ्टनर के रूप में किया गया। प्रतिबंध से ठीक पहले की अवधि में पीसीबी का भार सबसे अधिक था। (आईएएनएस)
तेलिन, 2 मार्च| उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के दौरे पर आए महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने मौजूदा यूक्रेन संकट को हल करने के लिए राजनयिक प्रयासों पर जोर दिया है। स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को एस्टोनियाई प्रधानमंत्री काजा कैलास और उत्तरी एस्टोनिया में तापा आर्मी बेस में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यूक्रेन में युद्ध को तत्काल रोकने रूसी सेना की वापसी और राजनयिक प्रयासों को शामिल करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "पिछले हफ्तों में यूक्रेन पर रूस के हमलों के जवाब में हमने हवा में जमीन पर और समुद्र में अपनी रक्षात्मक उपस्थिति बढ़ा दी है।"
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, "30 अलग-अलग स्थानों से 100 से अधिक जेट हाई अलर्ट पर हैं और बाल्टिक सागर से भूमध्य सागर तक 120 से अधिक जहाज हैं। साथ ही ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य सहयोगी पूर्वी हिस्से में हजारों और सैनिकों को तैनात कर रहे हैं।"
नाटो प्रमुख ने कहा, "इतिहास में पहली बार हम नाटो प्रतिक्रिया बल की तैनाती कर रहे हैं।"
तास समाचार एजेंसी ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता का दूसरा दौर बुधवार को हो सकता है।
वार्ता का पहला दौर लगभग पांच घंटे तक चला, जो सोमवार को बेलारूस के गोमेल क्षेत्र में संपन्न हुआ, जिसमें कोई स्पष्ट सफलता नहीं मिली।
एस्टोनियाई पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग ने मंगलवार को बताया कि ब्रिटिश सेना की रॉयल वेल्श इन्फैंट्री रेजिमेंट के 900 से अधिक सदस्य और लगभग 200 डेनिश सैनिक अपने वाहनों और उपकरणों के साथ नाटो बैटलग्रुप एस्टोनिया में तापा आर्मी बेस में शामिल होंगे।
एस्टोनिया के राष्ट्रपति एलार केरिस ने पहले दिन तेलिन हवाई अड्डे पर स्टोलटेनबर्ग से मुलाकात की।
स्टोलटेनबर्ग ने भी मंगलवार को लास्क एयरबेस के दौरे के साथ पोलैंड की यात्रा की। (आईएएनएस)
एप्पल ने अपने सभी उत्पादों की रूस में बिक्री पर रोक लगा दी है. यूक्रेन पर हमले के कारण ऐसा फ़ैसला लेने वाली एप्पल सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.
एप्पल के अलावा ऊर्जा कंपनी एक्सॉनमॉबिल ने भी रूस में अपना काम बंद करने और निवेश रोकने की घोषणा की है.
आईफ़ोन निर्माता कंपनी ने कहा है कि वो रूस के हमले से ‘बेहद चिंतित’है और उनके साथ खड़ी है जो ‘हिंसा से पीड़ित’ हैं.
इसके साथ ही रूस में एप्पल पे और एप्पल मैप जैसी सेवाओं को भी सीमित कर दिया गया है.
गूगल ने रूस के सरकारी सहायता प्राप्त मीडिया आरटी को भी अपने फ़ीचर्स से हटा दिया है.
समाचार एजेंसी आरआईए के मुताबिक़, रूस के वीटीबी बैंक जैसे ऐप अब एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में रूसी भाषा में नहीं चल पाएंगे.
एप्पल ने अपने बयान में बताया है कि उसने यूक्रेन में एप्पल मैप्स में ‘यूक्रेनी नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज़ से’ट्रैफ़िक और लाइव इंसिडेंट्स को डिसेबल्ड कर दिया है. (bbc.com)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संसद को संबोधित करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि रूस की सभी उड़ानें अब अमेरिकी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी.
उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि इन रूसी उड़ानों में सभी प्रकार की कमर्शियल और प्राइवेट उड़ानें शामिल हैं.
इसी तरह का क़दम पहले ही यूरोपीय राष्ट्र और कनाडा उठा चुके हैं.
बाइडन ने कहा है कि यह प्रतिबंध रूस को और अलग-थलग करेगा और उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा.
उन्होंने यह भी बताया कि रूसी मुद्रा रूबल और स्टॉक मार्केट पहले ही अपनी वैल्यू 30 से 40 फ़ीसदी गंवा चुके हैं.
राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिकियों से यूक्रेनी लोगों से प्रेरणा लेने को भी कहा.
उन्होंने कहा,“पुतिन टैंक्स से कीएव को ज़रूर घेर सकते हैं लेकिन वो कभी भी यूक्रेनी लोगों के दिलों को नहीं जीत पाएंगे.” (bbc.com)
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मंगलवार की रात अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका के फ़ैसलों से देश और संसद को अवगत कराया.
उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत अपनी और अन्य देशों की विदेश नीति से की.
यूक्रेन पर रूस के हमले को सात दिन हो चुके हैं. आइये जानते हैं इस दौरान यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका ने क्या कुछ किया है:
35 करोड़ डॉलर के हथियार यूक्रेन को दिए
5.4 करोड़ डॉलर की मानवीय सहायता जारी की
चुनिंदा रूसी बैंकों को वैश्विक स्विफ़्ट मैसेजिंग सिस्टम से हटाया
रूसी केंद्रीय बैंक को रूबल को बचाने से रोका
ओलिगार्क (रूस के कुलीन तंत्र के सदस्य या समर्थक) की संपत्ति को ज़ब्त करने के लिए ट्रांस-अटलांटिक टास्क फ़ोर्स में शामिल
रूसी विमानों और रूस से संचालित विमानों के लिए अमेरिकी हवाई क्षेत्र को बंद किया
व्हाइट हाउस ने संसद से अगले कुछ महीनों के लिए आपातकालीन सहायता के लिए अतिरिक्त 6.4 अरब डॉलर की मांग की.
हालांकि बाइडन ने यह भी बताया कि यूक्रेन में रूस से लड़ाई के लिए अमेरिका अपनी सेना नहीं भेजेगा. (bbc.com)
यूरोपीय संघ के देशों समेत 22 देशों के शीर्ष राजनयिकों ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वो संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के हमले की निंदा प्रस्ताव का समर्थन करे.
बीते सप्ताह रूस की सेना जिस दिन यूक्रेन में दाख़िल हुई तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मॉस्को में थे और उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी.
पाकिस्तान ने इस हमले को लेकर चिंता जताई थी लेकिन उसने इसकी निंदा नहीं की थी.
22 देशों के राजनयिकों ने एक साझा बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान में मिशन के प्रमुख होने के नाते हम मांग करते हैं कि रूस की कार्रवाई की निंदा में पाकिस्तान में हमारे साथ आए.”
इस साझा बयान में यूरोपीय संघ के सदस्य देश फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम समेत ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, नॉर्वे और ब्रिटेन भी शामिल हैं.
193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस सप्ताह मॉस्को की कार्रवाई के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया जाएगा.
इससे पहले शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में पेश किए गए प्रस्ताव के ख़िलाफ़ रूस ने वीटो का प्रयोग किया था. (bbc.com)
यूक्रेन की सेना ने पुष्टि की है कि रूसी पैराट्रूपर्स खारकीएव में उतरे हैं. इस शहर को पहले ही रूसी सेना ने घेर रखा है.
यूक्रेनी सेना के मुताबिक़, खारकीएव और इसके आसपास के इलाक़ों में एयर रेड सायरन्स के बाद हवाई हमले शुरू हुए हैं.
इस बयान में बताया गया है कि रूसी सैनिकों ने क्षेत्रीय सैन्य अस्पताल पर हमला किया है और लड़ाई जारी है.
इस शहर में अधिकतर रूसी भाषा बोली जाती है और हालिया दिनों में यूक्रेन में सबसे अधिक हिंसा खारकीएव में ही देखी गई है.
मंगलवार को एक सरकारी इमारत पर मिसाइल हमला हुआ था जिसमें कारों और आसपास की इमारतों को नुक़सान पहुंचा था.
मंगलवार को ही दूसरा हमला एक रिहाइशी इमारत पर हुआ था. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने इस हमले को युद्ध अपराध बताया था.
मंगलवार को खारकीएव में हुए हमलों में 17 लोगों की मौत हुई थी जिनमें एक भारतीय छात्र भी शामिल था.
कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि रूस ने रिहाइशी जगह पर इसलिए हमले किए हैं ताकि यूक्रेनियों को रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई में कमज़ोर किया जा सके.
खारकीएव, सूमी और मारियुपोल शहर में रूसी हमले का जवाब यूक्रेनी जवान मुस्तैदी से दे रहे हैं.
खारकीएव में भारी लड़ाई हो रही है और यूक्रेनी जवान रूसी सेना से लड़ रहे हैं. (bbc.com)