अंतरराष्ट्रीय
डायचेवेले पर चारु कार्तिकेय का लिखा -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीरम इंस्टीट्यूट जाने के दो ही दिन बाद आई यह खबर वैक्सीन के लिए अच्छी नहीं है. शायद इसीलिए इंस्टीट्यूट ने भी तुरंत इसका विरोध किया और दावा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. मीडिया में आई खबरों के अनुसार दुष्प्रभाव का दावा करने वाला व्यक्ति चेनाई में रहने वाला एक बिजनेस कंसल्टेंट है.
वो वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे चरण में शामिल हुआ था और उसे एक अक्टूबर को चेन्नई के श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी. उसकी तरफ से उसके परिवार ने दावा किया है कि खुराक दिए जाने के 10 दिनों के बाद उसकी तबीयत काफी खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा.
वो लगभग 20 दिन अस्पताल में रहा जिस दौरान उसे भारी सिर दर्द, उल्टियां आना, लोगों को ना पहचान पाना और परिवर्तित मानसिक अवस्था में रहने जैसी शिकायतें रहीं. उसके परिवार का दावा है कि उसकी हालत अभी भी स्थिर नहीं है, उसे भारी मूड स्विंग होते हैं, चीजों को समझने और ध्यान लगाने में दिक्कत होती है और वो रोज के सरल से सरल काम भी नहीं कर पाते.
उस व्यक्ति और उसके परिवार ने एक लॉ फर्म के जरिए सीरम इंस्टीट्यूट को कानूनी नोटिस भेजा है और उसकी इस हालात के लिए वैक्सीन के ट्रायल को जिम्मेदार ठहराया है. कोवीशील्ड ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा साझेदारी में विकसित की जा रही है.
लिहाजा कानूनी नोटिस आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन, एस्ट्राजेनेका कंपनी के सीईओ, ट्रायल के मुख्य इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर एंड्रू पोलार्ड और श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट के उप-कुलपति को भी भेजा गया है.
नोटिस में हर्जाने के अलावा यह मांग भी की गई है कि वैक्सीन के ट्रायल, उत्पादन और वितरण पर तुरंत रोक लगा दी जाए. पीड़ित व्यक्ति ने यह भी आरोप लगाया है कि सीरम इंस्टिट्यूट, ऑक्सफोर्ड, आईसीएआर और ड्रग्स कंट्रोलर में से किसी ने भी खुराक देने के बाद उनकी हालत जानने की कोशिश नहीं की और उनके द्वारा सबको इन दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराने के बावजूद उन्होंने ना ट्रायल को रोका और ना इस जानकारी को सार्वजनिक किया.
ड्रग्स कंट्रोलर और आईसीएमआर अब इन दावों की जांच कर रहे हैं. कोवीशील्ड को कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन के उम्मीदवारों में से सबसे आशाजनक माना जा रहा है, लेकिन यह वैक्सीन दूसरी बार इस तरह के विवादों में फंसी है. इससे पहले सितंबर में ऐस्ट्राजेनेका ने कई देशों में हो रहे वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया था क्योंकि ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति में "रहस्मयी बीमारी" देखी गई थी.
उस समय भारत में भी ड्रग्स कंट्रोलर ने सीरम इंस्ट्यूट को ट्रायल को रोकने का आदेश दे दिया था, लेकिन कुछ ही दिनों में इस आदेश को हटा दिया गया और इंस्टीट्यूट ने ट्रायल फिर शुरू कर दिया.
(DW.COM)
आबी अहमद अलि लोकतंत्र, महिलाओं को आगे बढ़ाने और अपने विशाल देश में पेड़ लगाने के वादे के साथ इथियोपिया की सत्ता में आए थे. नोबेल पुरस्कार विजेता ने अपने ही देश के तिगराई में जंगी जहाज और सैनिकों को भेज कर जंग शुरू कर दी. विश्लेषकों का मानना है कि उनका यह कदम अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में लंबा गृहयुद्ध छेड़ सकता है.
44 साल के आबीस ने 4 नवंबर को जब सैन्य अभियान का एलान किया तो उनका कहना था कि यह तिगराई की सत्ताधारी पार्टी की ओर से इथियोपिया के दो सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों का जवाब है. तिगराई की सत्ताधारी पार्टी पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ने सैन्य ठिकानों पर हमले के आरोप से इनकार किया है.
इलाके में संचार पर फिलहाल पाबंदी है. ऐसे में दावों की स्वतंत्र पुष्टि भी संभव नहीं है. इसी बीच प्रधानमंत्री आबी ने फतह का भी एलान कर दिया है. अधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों लोग मारे गए हैं. इतना ही नहीं हजारों लोग पड़ोसी देश सूडान की सीमा की तरफ पलायन कर गए हैं और संयुक्त राष्ट्र मानवीय संकट की चेतावनी दे रहा है.
नोबेल शांति और जंग
दुनिया के नेता जंग को तुरंत रोकने और बातचीत शुरू करने की मांग कर रहे हैं. उधर आबी बार बार देश की "संप्रभुता और एकता" की रक्षा करने की जरूरत और "कानून व्यवस्था की फिर से बहाली" पर जोर दे रहे हैं. देश की रक्षा के लिए युद्ध को जरूरी बताने वाले आबी को एक साल पहले ही ओस्लो में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्हें पड़ोसी देश एरिट्रिया के साथ चली आ रही तनाव को खत्म करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला. 1998 से शुरू हुई इस खूनी जंग में 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए.
आबी ने पुरस्कार लेते वक्त अपने भाषण में कहा था, "जंग, उसमें शामिल सभी लोगों के लिए नारकीय स्थिति का चरम है." प्रधानमंत्री का दफ्तर आज भी यही कह रहा है कि वह अपने रुख पर अडिग हैं. उनके प्रेस सचिव ने तो यहां तक कहा कि वह तिगराई के विवाद को सुलझाने के लिए "दूसरे नोबेल पुरस्कार" के हकदार हैं.
गरीबी में बीता बचपन
पश्चिमी शहर बेशाशा में एक मुस्लिम पिता और ईसाई मां के बेटे आबी का बचपन फर्श पर सोते हुए बीता और उनके घर में पानी की सप्लाई भी नहीं थी. पिछले साल एक रेडियो स्टेशन को उन्होंने बताया था, "हम नदी से पानी ढो कर लाते थे." आबी ने यह भी बताया कि 12-13 साल की उम्र होने के बाद उन्होंने पहली बार पक्की सड़क और बिजली देखी थी.
इथियोपिया में सत्ताधारी गठबंधन पीपुल्स रिवोॉल्यूशनरी डेमोक्रैटिक फंड के बनाए सत्ता ढांचे में आबी ने तेजी से कदम बढ़ाए. 1991 में यह गठबंधन सत्ता में आया.
तकनीक से अभिभूत अबीस किशोरावस्था में ही रेडियो ऑपरेटर के रूप में सेना से जुड़ गए. नोबेल पुरस्कार लेने के दौरान दिए भाषण में उन्होंने एरिट्रिया के साथ चली खूनी जंग के बारे में अपने अनुभव बांटे. उन्होंने बताया कि उनकी पूरी यूनिट तोप के हमले में मारी गई लेकिन जिस वक्त हमला हुआ वह बेहतर एंटीना रिसेप्शन खोजने के लिए अपनी यूनीट से थोड़ी दूर गए थे.
सत्ता का सफर
वह तरक्की हासिल कर सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने और फिर उसके बाद सत्ता के गलियारे में इथियोपिया के साइबर गुप्तचर संस्था इंफॉर्मेसन नेटवर्क सिक्योरिटी एजेंसी के प्रमुख बन कर पहुंचे. 2010 में वो संसद के उपनेता बने और फिर 2015 में देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री.
आबी के प्रधानमंत्री बनने के पीछे 2015 के आखिरी महीनों में हुई कुछ घटनाओं का योगदान था. सरकार ने राजधानी की प्रशासनिक सीमा के पास के ओरोमिया इलाके में विस्तार करने की योजना बनाई. इस कदम को जमीन हड़पने की कोशिश के बारे में देखा गया और इलाके के सबसे बड़े जातीय समूह ओरोमो और अमाहारा ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए.
इसके बाद आपातकाल लगा और बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी से प्रदर्शन तो बंद हो गए लेकिन लोगों के मन में इसकी तकलीफ बची रह गई. जब मौजूदा प्रधानमंत्री हाइलेमरियम डासालेग्न ने इस्तीफा दिया तो गठबंधन में शामिल पार्टियों ने आबी को ओरोमो समुदाय से पहला प्रधानमंत्री बनवा दिया. यह साल था 2018. आबी ने जेल में बंद लोगों को रिहा कर दिया, सरकार की क्रूरता के लिए माफी मांगी और निर्वासन में रह रहे गुटों की वतन वापसी का स्वागत किया.
हालांकि इसके बाद भी चुनौतियां खत्म नहीं हुईं. खासतौर से उनके गृहइलाके ओरोमिया में जातीय हिंसा चलती रही. इसी बीच तिगराई के नेता आबी के उभार से पहले देश की राजनीति में दबदबा रखते थे. वो आबी के किए सुधारों से खुश नहीं थे और खुद को अलग थलग महसूस कर रहे थे. देश के इस ताकतवर इलाके में तनाव कई महीनों से पल रहा था. यही तनाव आज जंग के रूप में सामने आया है.
आबी ने जीनाश तायाचेव से शादी की है, जिनसे उनकी मुलाकात सेना में हुई थी. इन दोनों की तीन बेटियां हैं और 2018 में उन्होंने एक बेटे को गोद भी लिया.
घरेलू संघर्षों और समस्याओं की बजाय राजधानी को खुबसूरत बनाने और अंतरराष्ट्रीय मामलों में मध्यस्थता पर ध्यान देने के लिए बेहद महत्वाकांक्षी आबी की आलोचना होती है. समय गुजरने के साथ उन पर उन्हीं निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल करने के आरोप लग रहे हैं जिनकी उनसे मिटाने की उम्मीद की गई थी. बड़ी संख्या में गिरफ्तारी और सुरक्षाबलों के हाथों उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं.
तिगराई का विवाद आबी के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है. विश्लेषक और राजनयिक चेतावनी दे रहे हैं कि यह पूरे इथियोपिया को अस्थिर कर सकता है. हालांकि आबी ने एक तुरंत और निर्णायक जीत का वादा किया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपने सैन्य अभियान की जरूरत को समझने की अपील कर रहे हैं. उनका कहना है, "हम आश्वस्त हैं कि तुलनात्मक रूप से छोटे समय में अपने उद्देश्यों को पूरा कर लेंगे और तिगराई में हमारे नागरिकों के लिए सामान्य जिंदगी की वापसी के लिए सहायक वातावरण बनाने में सफल होंगे."
इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां इलाके में पहुंच कर मानवीय संकट की सही स्थिति का पता लगाने के इंतजार कर रही हैं.
लाहौर, 30 नवंबर | पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में से एक लाहौर ने एक बार फिर दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अव्वल स्थान हासिल किया है। अमेरिकी एयर क्वालिटी इंडेक्स की ओर से सोमवार को जारी प्रदूषण के डाटा से यह जानकारी मिली। जीओ टीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडेक्स के अनुसार, लाहौर में पीएम रेटिंग 423 दर्ज की गई है।
केवल लाहौर ही नहीं देश का एक अन्य शहर भी शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में शामिल है। करांची ने एक्यूआई में सातवां स्थान हासिल किया है।
स्मॉग पर काबू पाने के लिए प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) ने पंजाब में 613 ईंट भट्टों और 2148 उद्योगों को बंद कर दिया है। वहीं इस सिलसिले में 478 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इसके अलावा इस सूची में दिल्ली पीएम 229 के साथ दूसरे तो काठमांडू पीएम 178 के साथ तीसरे स्थान पर काबिज है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 30 नवंबर | अमेरिका कोरोनावायरस महामारी की मार झेल रहा है। यहां एक दिन में कोरोनावायरस के कुल 1 लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यह जानकरी दी। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान में कोरोना के 13,384,650 मामलों और 266,875 मौतों के साथ अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शीर्ष पर बना हुआ है।
इसी बीच, अमेरिका में कोरोनावायरस से 50 लाख से अधिक रोगियों को देश के विभिन्न अस्पतालों से ठीक कर छुट्टी दे दी गई है। (आईएएनएस)
एलेक्सी काल्मीकोव
एक साथ इतनी सारी वैक्सीन आने की ख़बरों से कोरोना की मार झेल रहे देशों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है.
वैक्सीन पुरानी सामान्य ज़िंदगी लौट आने का वादा लेकर आ रही है. लेकिन क्या ये दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी बचा पाएगी जो सदियों में पहली बार ऐसे संकट से जूझ रही है?
इतने बड़े संकट ने दुनिया की बढ़ती अर्थव्यवस्था को रोक दिया है और कई देश तो कई साल पीछे हो गए हैं. कम से कम 12 ख़रब डॉलर का नुक़सान हो चुका है.
संकट से उबरने के कदमों पर अब ज़्यादा ख़र्च करने की ज़रूरत होगी जबकि कमाई घट रही है.
आईएमएफ़ के अनुमान के मुताबिक़ दुनिया को अगले पाँच साल में 28 ख़रब डॉलर का नुक़सान होगा.
दुनिया की सालाना अर्थव्यवस्था
अब जीवन और विकास के लिए कम पैसा होगा लेकिन क़र्ज़ बढ़ेगा. साल 2020 में क़र्ज़ 20 ख़रब डॉलर बढ़ेगा और ये आँकड़ा दुनिया की सालाना अर्थव्यवस्था से साढ़े तीन गुना ज़्यादा है.
इस संकट का कारण सिर्फ़ एक वायरस था तो वैक्सीन पर काम होने की ख़बर से आर्थिक बाज़ारों में ख़ुशी पैदा हुई.
जिनके पास पैसा है वे तो बिज़नेस और घरेलू कमाई के भविष्य में बढ़ने का सोच कर पैसा लगा रहे हैं.
लेकिन अर्थशास्त्री, अधिकारी और बैंकर जिनकी वजह से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है और जो संकट में सहयोग देने का काम करते हैं, उन्होंने इस खबर के बाद भी नियंत्रित और संतुलित प्रतिक्रिया दी है.
अमेरिका के केंद्रीय बैंक के प्रमुख जेरोम पॉवेल जो दुनिया के एक जाने-माने और प्रभावशाली बैंकर हैं, जिनके एक शब्द से दुनिया के बाज़ार गिर सकते हैं.
उन्होंने वैक्सीन की ख़बर पर कहा कि "ये एक अच्छी ख़बर है जिसका इंतज़ार था. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि इसका असर निकट भविष्य में नहीं दिखेगा."
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यूरोपीय केंद्रीय बैंक
अमेरिका के बाद सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूरोप में भी उनके जैसे बैंकर अभी 'संकट का अंत' कहने में जल्दबाज़ी नहीं कर रहे.
आइरिश अर्थशास्त्री फ़िलिप लेन यूरोपीय केंद्रीय बैंक की परिषद में हैं.
वे कहते हैं, "वैक्सीन के आने से बस ये अनुमान मिल सकता है कि अगले साल के अंत में और साल 2022 में स्थिति क्या मोड़ लेगी, अगले छह महीने के बारे में इससे कुछ नहीं पता चलेगा."
आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा भी इनकी बात का समर्थन करती हैं.
जी20 देशों के नेताओं को अपने संदेश में उन्होंने कहा था कि समस्या का मेडिकल निवारण तो दिख रहा है लेकिन अर्थव्यवस्था की रिकवरी बहुत मुश्किल है और रुकावटों से भरी है.
रोशनी की किरण
तो क्या वैक्सीन वैश्विक अर्थव्यवस्था को नहीं बचा पाएगी जब तक कि बड़े स्तर पर टीकाकरण नहीं शुरू होता? अर्थशास्त्री कहते हैं ऐसा बिलकुल नहीं होगा.
यूरोपीय केंद्रीय बैंक के फ़ेबीओ पनेटा ने कहा, "वैक्सीन का आना एक अच्छी ख़बर है, उस हिसाब से ये अंधेरी सुरंग के अंत में दिखती रोशनी की तरह है."
अर्थशास्त्री इस बात से ख़ुश हैं कि वैक्सीन के आने से कम से कम समस्या का मुख्य कारण ख़त्म हो जाएगा. इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. वो कैसे?
दरअसल, इस संकट से व्यापारिक गतिविधियों और बाज़ार पर बुरा प्रभाव पड़ा क्योंकि लोगों का भविष्य में भरोसा कम हो गया और वे पैसा कम खर्च कर रहे हैं.
अथॉरिटी इस बात से डरी हुई थी कि वायरस अनियंत्रित तरीक़े से फैल जाएगा तो उन्होंने लॉकडाउन लगाए.
तो वैक्सीन के बड़े स्तर पर लोगों तक पहुँचने से पहले भी कम से कम ये दो डर तो ख़त्म हो जाएँगे.
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उत्पादन और व्यापार
वैक्सीन आने से लोगों और बिज़नेस जगत को एक उम्मीद मिलेगी कि अब नया लॉकडाउन नहीं होगा.
इस पूरे वक़्त में उन्होंने जो बचाया होगा किसी मुश्किल वक़्त के लिए, वे उसे खर्च करना शुरू करेंगे जिससे खपत बढ़ेगी.
वे भविष्य में पैसा लगाएँगे जैसे कि प्रॉपर्टी ख़रीदने में या अपने बिज़नेस को बढ़ाने में जिसका मतलब निवेश बढ़ेगा.
अर्थव्यवस्था के बढ़ने के लिए दो मुख्य चीज़ों की ज़रूरत है- खपत और निवेश. इस संकट में सबसे ज़्यादा प्रभाव इन्हीं पर पड़ा.
उत्पादन और व्यापार इतने कम नहीं हुए थे और गर्मियों के बाद वे बेहतर हुए थे.
आईएमएफ का अनुमान है कि वैक्सीन के आने से अगले पाँच साल में होने वाले नुक़सान को 9 ख़रब डॉलर कम कर लिया जाएगा.
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दुनिया की एक तिहाई सम्पत्ति
हालाँकि इस रोशनी के साथ-साथ दुनिया को इन सर्दियों में फिर से एक अंधेरी सुरंग का सामना करना है.
यूरोप में दूसरे लॉकडाउन और अमेरिका में महामारी की दूसरी लहर की वजह से. अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास दुनिया की एक तिहाई सम्पत्ति है.
माँग और निवेश के ये दो मुख्य स्रोत हैं. इसलिए दुनिया की अर्थव्यवस्था की सेहत उनकी सेहत पर निर्भर करती है.
इनके बिना वे देश भी अपना घाटा पूरा नहीं कर पाएँगे जिन्होंने कोरोना पर विजय पा ली है जैसे कि चीन.
दुनिया में इस बात की ख़ुशी मनायी जा रही है कि एक के बाद एक वैक्सीन आ गयी हैं लेकिन आर्थिक आँकड़े इस हफ़्ते उसी बात की पुष्टि कर रहे हैं जो आईएमएफ प्रमुख ने कही थी.
उन्होंने कहा था कि रिकवरी होगी लेकिन संकट भी वापस आता रहेगा. 19 यूरोपीय देशों में जहाँ यूरो मुद्रा है वहाँ नयी गिरावट के लक्षण दिख रहे हैं.
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क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
अमेरिका में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. जिस नवंबर में वृद्धि की संभावना थी, वहाँ अब आशंका है.
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि जो अर्थव्यवस्था अभी रिकवर भी नहीं हो पायी है, उसमें एक और मंदी का दौर आने वाला है.
उनका ये निष्कर्ष बिज़नेस और उपभोक्ता की गतिविधियों के डाटा विश्लेषण पर आधारित है.
एयरलाइन्स को अपने खर्च कम करने पड़े, फ़्लाइट्स घटानी पड़ी और इसलिए यहाँ नौकरी करने वाले लोग घाटा उठा रहे हैं.
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) ने इस साल और अगले साल के लिए इंडस्ट्री को 100 अरब डॉलर के नुक़सान का अनुमान लगाया था.
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भविष्य को लेकर आश्वस्त नहीं
लेकिन इस हफ़्ते आए अनुमानों के मुताबिक़ ये नुक़सान 150 अरब डॉलर का हो गया है. मुख्य समस्या है कि उपभोक्ता भविष्य को लेकर आश्वस्त नहीं है.
वैक्सीन की ख़बर के बावजूद ये चिंता बढ़ रही है क्योंकि आर्थिक संकट के देरी से दिखने वाले नतीजे सामने आने लगे हैं, जैसे कि बेरोज़गारी.
यूरोपीय संघ के देशों ने रोज़गार और बिज़नेस को अप्राकृतिक तरीक़े से संभाला हुआ है पैसे का सहयोग देकर.
लेकिन जैसे ही ये देश अपनी योजनाओं का पैसा कम करने लगेंगे तो हर कोई झेल नहीं पाएगा.
यूरोज़ोन में लगातार दूसरे महीने में रोज़गार इंडेक्स नीचे जा रहा हैं जिसका मतलब है बेरोज़गारी ज़्यादा तो खपत कम.
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संकट का एक और साल
महामारी की दूसरी लहर ने दूसरे आर्थिक संकट की आशंका बढ़ा दी है. लेकिन एक अच्छी ख़बर भी है. दूसरी बार का झटका थोड़ा धीरे लगेगा.
वो इसलिए क्योंकि सभी उद्योगों ने महामारी के साथ जीना सीख लिया है.
फ़ैक्टरियाँ अब पूरी तरह खुल रही हैं और जिन देशों में मैन्युफ़ैक्चरिंग एक अहम रोल निभाता है, वे सर्विस सेक्टर वाले देशों के मुक़ाबले संकट से जल्दी उबर रहे हैं, जैसे कि जर्मनी.
स्पेन और ग्रीस जैसे देश टूरिज़्म पर निर्भर करते हैं तो उनके लिए रास्ता अब भी कठिन है.
ये झटका ना सिर्फ़ हल्का होगा बल्कि कम वक्त के लिए होगा. यूरोप में संक्रमण के केस कम हो रहे हैं और लॉकडाउन ज़्यादातर जगहों से हटाया जा चुका है.
जीडीपी पर IMF के ताज़ा अनुमान से भारतीयों को क्यों चिंतित होना चाहिए?
पहले वाले ग्रोथ रेट पर
लेकिन तमाम उम्मीदों के साथ ये जानना भी ज़रूरी है कि इतनी जल्दी संकट से पहले वाले ग्रोथ रेट पर नहीं पहुँच पाएँगे.
संकट से पैदा हुए 28 ख़रब डॉलर के नुक़सान की भरपाई भी जल्दी शुरू नहीं हो सकेगी. फ़िलिप लेन का कहना है कि जीडीपी 2019 के स्तर पर 2022 के अंत तक तो नहीं पहुँच पाएगी.
"वैक्सीन की वजह से भरोसा, सेविंग और रोज़गार तो पैदा नहीं होगा."
फ़ेबीओ पनेटा कहते हैं, "लोगों को भरोसा होने में अभी लम्बा वक़्त लगेगा कि संकट अब ख़त्म हो गया. दूसरे शब्दों में कहूँ तो साल 2021 दूसरा 'महामारी का साल' होगा." (bbc.com)
ऑस्ट्रेलिया ने चीन से कहा है कि वो अपने सरकारी ट्विटर अकाउंट पर एक फ़ेक तस्वीर शेयर करने के लिए माफ़ी मांगे. इस तस्वीर में एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक को एक अफ़ग़ान बच्चे की हत्या करते हुए दिखाया गया है.
एक टीवी संबोधन में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि चीन को ये "घृणित" तस्वीर साझा करने के लिए शर्मिंदा होना चाहिए.
ये ऐसे वक़्त में हुआ है जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है.
इस तस्वीर को कुछ ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के कथित युद्ध अपराधों से जुड़ा बताया गया था.
चेतावनी: इस स्टोरी में शामिल तस्वीर कुछ लोगों को परेशान कर सकती है.
इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2009 से 2013 के बीच 25 ऑस्ट्रेलियाई सैनिक कथित तौर पर 39 अफ़ग़ानी आम नागरिकों और कैदियों की हत्या में शामिल थे.
ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स (एडीएफ़) की जांच की फाइंडिग्स की काफ़ी आलोचना हुई और अब पुलिस मामले की जांच कर रही है.
सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने एक छेड़छाड़ कर बनाई गई तस्वीर पोस्ट की, जिसमें एक बच्चे के बगल में एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक खून से सना चाकू लेकर बैठा दिखाता है. तस्वीर में बच्चे की गोद में मेमना है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने सोमवार को फ़ेक तस्वीर पोस्ट की.
ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस तस्वीर को उन निराधार अफ़वाहों से जोड़ कर दिखाया गया था कि ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने दो अफ़ग़ान किशोरों की हत्या के लिए चाकू का इस्तेमाल किया था.
हालांकि जांच में इन अफ़वाहों को साबित करने वाला कोई सबूत नहीं मिला.
ट्वीट में लिखा गया: "ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों द्वारा अफ़ग़ान नागरिकों और कैदियों की हत्या से हैरान हैं. हम इस तरह के कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं, और उनकी जवाबदेही तय करने की मांग करते हैं."
मॉरिसन ने पोस्ट को "बहुत ही घृणित और पूरी तरह अपमानजनक" बताया.
उन्होंने कहा, "चीनी सरकार को इस पोस्ट को लेकर पूरी तरह से शर्मिंदा होना चाहिए."
ऑस्ट्रेलिया ने ट्विटर से अपील की है कि वो इस पोस्ट को "दुष्प्रचार" बताते हुए अपने सभी प्लेटफॉर्म से हटा दे. (bbc.com)
सुमी खान
ढाका, 30 नवंबर| बांग्लादेश में धार्मिक मामलों के नव-नियुक्त राज्य मंत्री मोहम्मद फरीदुल हक खान ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता बांग्लादेश के संविधान के सिद्धांतों में से एक है और शेख हसीना की अगुवाई वाली सरकार सभी धर्मों के लोगों के समान अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
खान ने रविवार को एक बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "हम सभी यह जानते हैं कि हर समुदाय में कुछ बुरे लोग हैं जो अपने छोटे हितों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव के सुंदर वातावरण को बर्बाद करना चाहते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना की बांग्लादेश सरकार देश में सांप्रदायिक सौहार्द का एक सुंदर वातावरण बनाने में सक्षम रही है।"
मंत्री ने कहा कई देशों के सिक्कों पर चित्र हैं और बांग्लादेश में पैसे पर बंगबंधु का फोटो है। सभी देशों में मूर्तिकला और मूर्तियां रहीं हैं।
हिफाजत-ए-इस्लाम, इस्लामी एंडोलन बांग्लादेश और बांग्लादेश खिलाफत मजलिश समेत कई कट्टरपंथी समूह मांग कर रहे हैं कि सरकार राजधानी में राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति लगाने की अपनी योजना को रद्द करे।
फरीदुल ने कहा, "हम धार्मिक मामलों के मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री शेख हसीना के गतिशील और मजबूत नेतृत्व में एक नैतिक, गैर-सांप्रदायिक बांग्लादेश का निर्माण करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करते रहेंगे।" साथ ही लोगों से सहिष्णु होने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इस संकट को चर्चा के जरिए हल किया जा सकता है। बंगबंधु की मूर्तियों का विरोध करने वाले लोगों में इस मुद्दे को लेकर समझ नहीं है। (आईएएनएस)
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी सीनियर प्रेस टीम में सिर्फ़ महिलाओं को रखा है.
उनके दफ़्तर का दावा है कि अमेरिका के इतिहास में ये पहली बार हुआ है.
इस टीम का नेतृत्व केट बेडिंगफ़ील्ड करेंगी जो पूर्व में बाइडन के कैम्पेन की डिप्टी कम्युनिकेशन डायरेक्टर रही हैं.
वहीं, राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में व्हाइट हाउस की कम्युनिकेशन डायरेक्टर रहीं जेन साकी बाइडन की प्रेस सचिव होंगी.
बाइडन ने वादा किया है कि वो अपने प्रशासन को विविध बनाएँगे जो देश की विविधता को दर्शाएगा.
बाइडन ने अपने बयान में कहा, "'मुझे ये घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि व्हाइट हाउस की पहली सीनियर कम्युनिकेशन टीम में सब महिलाएँ होंगी.
"ये योग्य, अनुभवी कम्यूनिकेटर्ज़ काम में विविध नज़रिया लेकर आएँगी और इस देश को फिर से बनाने की हम सबकी साझा प्रतिबद्धता के साथ आएँगी."
निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की दो मुख्य प्रेस अधिकारी होंगी सिमोन सैंडर्स और ऐश्ली एटीन.
कैबिनेट के पदों की तरह प्रेस दफ़्तर को सीनेट की रज़ामंदी की ज़रूरत नहीं होती.
चुनाव जीतने के बाद से बाइडन प्रमुख कैबिनेट पदों के लिए अपनी 'पहली पसंद' के नाम सामने रख रहे हैं.
पिछले हफ़्ते उन्होंने कहा कि "उनका चुनाव एक ऐसी टीम होगी जो ये दर्शाएगा कि अमेरिका वापस आ गया है."
उन्होंने कहा कि उनकी टीम दुनिया का नेतृत्व करने के साथ-साथ अपने देश को सुरक्षित रखेगी.
इस बीच रविवार को बाइडन के पैर में हेयरलाइन फ़्रैक्चर हो गया जब वे अपने कुत्ते मेजर के साथ खेलते हुए फ़िसल गए.
उनके डॉक्टर केविन ओ कॉनर के मुताबिक़ बाइडन को कई हफ़्तों के लिए एक वॉकिंग बूट पहनना पड़ेगा.
आने वाली 20 जनवरी को उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी है.
सोमवार 30 नवंबर को राष्ट्रपति के तौर पर उन्हें पहली ब्रीफ़िंग दी जाएगी जिसमें उन्हें गोपनीय ख़ुफ़िया जानकारी दी जाएगी.
ऐसा इसलिए क्योंकि एक हफ़्ता पहले ही राष्ट्रपति के सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू होने की घोषणा हो चुकी है. (bbc.com)
वाशिंगटन, 30 नवंबर। अमेरिकी राष्ट्रपति-चुने गए जो बाइडेन विस्कॉन्सिन में भी जीत गए हैं। राज्य की 2 सबसे बड़ी काउंटियों में 3 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के मतपत्रों की फिर से गिनती पूरी होने के बाद उनकी जीत की पुष्टि हो गई है, हालांकि नतीजों में बहुत थोड़ा सा परिवर्तन पाया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, मिल्वौकी काउंटी में डेमोक्रेटिक पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडेन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 87 वोटों की बढ़त के साथ आगे रहे। राज्य के आंकड़े दिखाते हैं कि विस्कॉन्सिन को बाइडेन ने 20 हजार से ज्यादा मतों से जीत लिया है।
ट्रंप कैंपेन ने राज्य के कानून के अनुसार फिर से मतगणना के लिए 30 लाख डॉलर चुकाए हैं और अपनी स्पष्ट हार देखी है। नतीजों से एक दिन पहले ट्रंप ने शनिवार को ट्वीट किया था कि वह परिणामों को चुनौती देने के लिए सोमवार या मंगलवार को मुकदमा दायर करेंगे।
उन्होंने कहा, विस्कॉन्सिन का मामला गिनती में गलतियों को खोजने का नहीं बल्कि उनके लिए है जिन्होंने अवैध तरीके से मतदान किया है। हमने कई अवैध वोट देखे हैं।
विस्कॉन्सिन मंगलवार को परिणामों को प्रमाणित करेगा। कंजरवेटिव वोटर ग्रुप विस्कॉन्सिन वोटर्स एलायंस ने विस्कॉन्सिन चुनाव आयोग के खिलाफ मुकदमा दायर किया है और राज्य के सुप्रीम कोर्ट से प्रमाणीकरण को रोकने की मांग की है।
लेकिन विस्कॉन्सिन के गवर्नर टोनी एवर्स के वकीलों ने इसके खिलाफ मुकदमा दायर करते हुए समूह के प्रयास को लोकतंत्र पर हमला कहा और राज्य के सुप्रीम कोर्ट से इसे खारिज करने के लिए कहा।
डेमोक्रेटिक गवर्नर ने कहा है कि चुनाव परिणामों को प्रमाणित न करने पर राज्य भर में अन्य चुनाव परिणाम बदल जाएंगे, इससे अराजकता होगी।(आईएएनएस)
ओटावा, 30 नवंबर। कनाडा ने देश में कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर के बीच संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों को बढ़ाने की घोषणा की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, रविवार को जारी एक बयान में पब्लिक सेफ्टी एंड इमरजेंसी प्रिपेयर्डनेस मिनिस्टर बिल ब्लेयर ने घोषणा की कि अमेरिकी नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध 21 दिसंबर तक बढ़ा दिए जाएंगे और अन्य देशों से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध 21 जनवरी, 2021 तक के लिए बढ़ाया जाएगा। 16 मार्च से लगे इन प्रतिबंधों ने अधिकांश विदेशी नागरिकों को गैर-जरूरी यात्राओं के लिए कनाडा में प्रवेश करने से रोक दिया गया था।
इसमें नागरिक, आवश्यक श्रमिक, मौसमी श्रमिक, देखभाल करने वाल लोग और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के परिवार के सदस्य अपवाद हैं। इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हर माह के अंतिम दिन समाप्त होते थे जबकि कनाडा-अमेरिका सीमा प्रतिबंध 21 दिसंबर को समाप्त होने हैं।
मंत्री ने बयान में कहा, सरकार यात्रा प्रतिबंधों को लेकर लगातार मूल्यांकन कर रही है, ताकि कनाडाई स्वस्थ और सुरक्षित रहें। 21 जनवरी, 2021 से शुरू होने वाले अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए सरकार अनिवार्य आइसोलेशन, यात्रा विस्तार संबंधी अन्य बदलावों के बारे में भी सरकार निर्देशित कर रही है।
कनाडा में अब तक कुल 3,70,278 कोविड-19 मामले और 12,032 मौतें दर्ज हुईं हैं।
मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी थेरेसा टैम ने रविवार को पिछले दिन की चेतावनी को दोहराते हुए कहा कि यदि संक्रमण ऐसे ही बढ़ते रहे तो देश में दिसंबर के मध्य में रोजाना 10 हजार मामले तक देखे जा सकते हैं।(आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 30 नवंबर। निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शनिवार को अपने एक कुत्ते के साथ खेलते समय गिर गए जिससे उनके पैर में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया और अब कई हफ्तों तक उन्हें वॉकिंग बूट की जरूरत होगी। रविवार शाम को सीटी स्कैन रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हुई।
78 वर्षीय बाइडेन ने रविवार को अपना ज्यादातर समय डॉक्टरों के पास बिताया। पहले वे डेलावेयर के नेवार्क में आर्थोपेडिक विशेषज्ञ से मिले फिर सीटी स्कैन के लिए अलग स्थान पर गए।
जीडब्ल्यू मेडिकल फैकल्टी के डायरेक्टर एक्जिक्यूटिव मेडिसिन डॉ. केविन ओकॉनर के अनुसार, बाइडेन की प्रारंभिक एक्स-रे में कोई स्पष्ट फ्रैक्चर नहीं दिखा, लेकिन उनके क्लीनिकल एग्जॉमिनेशन के बाद सीटी स्कैन किया गया, जिसमें उनके पैर के बीच में क्यूनिफॉर्म हड्डियों में हेयरलाइन (छोटे) फ्रैक्चर की पुष्टि हुई। अनुमान है कि उन्हें कई हफ्तों तक वॉकिंग बूट की जरूरत होगी।
विलमिंगटन, डेलावेयर में व्हाइट हाउस के पूल पत्रकारों ने कहा कि उन्होंने देखा कि पत्रकारों को हाथ हिलाते वक्त बाइडेन को चलने में दिक्कत हो रही थी।
बाइडेन शनिवार को अपने दो कुत्तों में से एक मेजर के साथ खेलते हुए चोटिल हो गये थे। मेजर 2018 में बाइडेन परिवार में शामिल हुआ, वहीं दूसरा कुत्ता चैंपियन 2008 में आया था। परिवार व्हाइट हाउस में भी मेजर और चैंपियन को लाएंगे। उनकी एक बिल्ली को भी गोद लेने की योजना है।
जनवरी में शपथ लेते समय बाइडेन अमेरिका के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति होंगे। पहले एक रिपोर्ट में बाइडेन के डॉक्टर ने उन्हें स्वस्थ और फिट बताया था।(आईएएनएस)
अर्जेंटीना के जाने-माने फ़ुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना के निधन के चार दिनों बाद पुलिस ने उनके डॉक्टर लीयोपोल्डो लुके के क्लिनिक और घर पर छापा मारा है.
माराडोना दुनिया के सबसे चर्चित और महान खिलाड़ियों में से एक रहे हैं. पुलिस छापेमारी के ज़रिए यह तहक़ीक़ात कर रही है कि कहीं माराडोना के इलाज में कोई लापरवाही तो नहीं की गई थी.
60 साल की उम्र में माराडोना का 25 नवंबर को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आइरस स्थित उनके घर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
माराडोना की बेटियों ने मांग की है कि उनके पिता को कौन सी दवाई दी जा रही थी इसकी जाँच की जाए. नवंबर महीने की शुरुआत में ही माराडोना के मस्तिष्क से ब्लड क्लॉट निकालने के लिए सफल सर्जरी हुई थी. इसके अलावा शराब की लत छुड़ाने के लिए भी उनका इलाज चल रहा था.
डॉ लुके ने कहा है कि वो पुलिस को जाँच में मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि माराडोना के लिए आख़िर तक सब कुछ किया. क़रीब 30 पुलिसकर्मियों ने स्थानीय समय की हिसाब से रविवार की सुबह डॉ लुके के घर में रेड मारी और अन्य 30 ने ब्यूनस आइरस में उनके क्लिनिक में छापेमारी की.
यह रेड प्रॉसिक्युटर्स के आदेश पर मारी गई है जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि माराडोना के आख़िरी दिन क्या-क्या हुआ था. कहा जा रहा है कि जब माराडोना को घर स्वास्थ्यलाभ के लिए भेजा गया तब वो उस स्थिति में नहीं थे और उन्हें क्लिनिक में ही रखना चाहिए था.
अर्जेंटीना ने जब 1986 में विश्व कप जीता था तो माराडोना ही कप्तान थे. इस विश्व कप के क्वॉर्टर फ़ाइनल में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ माराडोना का 'हैंड ऑफ गॉड' गोल काफ़ी चर्चित हुआ था.
माराडोना ने बार्सीलोना और नापोली फ़ुटबॉल क्लब के लिए भी खेला था. उन्होंने इतालवी क्लब के लिए दो सिरीज़ और एक टाइटल में भी जीत दिलवाई थी. माराडोना ने अपने करियर की शुरुआत अर्जेंटीना की जूनियर्स टीमों से की थी.
उन्होंने सेविइया, बोका जूनियर्स और न्यूवल ओल्ड बॉयज के लिए भी खेला था. अर्जेंटीना के लिए 91 मैचों में उन्होंने 34 गोल किए थे. इनमें से माराडोना ने चार विश्व कप खेले थे.
माराडोना ने इटली में 1990 के विश्व कप फ़ाइनल में भी अर्जेंटीना की कप्तानी की थी लेकिन पश्चिम जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था. 1994 में अमेरिका के विश्व कप में माराडोना को ड्रग्स टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद वापस भेज दिया गया था.
अपने करियर के दूसरे हिस्से में माराडोना कोकीन की लत से जूझते रहे. 1991 में पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें 15 महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.
1997 में अपने 37वें जन्मदिन पर माराडोना ने पेशेवर फ़ुटबॉल से संन्यास ले लिया था. माराडोना को 2008 में अर्जेंटीना की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम का कोच नियुक्त किया गया था.
2010 के विश्व कप के बाद माराडोना ने कोच का काम भी छोड़ दिया था. 2010 के विश्व कप में अर्जेंटीना क्वॉर्टर फ़ाइनल में जर्मनी से हार गया था. इसके बाद माराडोना ने यूएई और मेक्सिको में फ़ुटबॉल टीम के लिए काम किया. जब माराडोना का निधन हुआ तो वो गिम्नासिया एजगरिमा क्लब के प्रभारी थे. (bbc)
न्यूयॉर्क, 29 नवंबर | नोवेल कोरोनावायरस संग लड़ाई के मद्देनजर शोधकर्ताओं ने एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्लेटफॉर्म का इजात किया है, जो फेफड़े के एक्स-रे की तस्वीरों से कोविड-19 का पता लगाने में सक्षम है। डीपकोविड-एक्सरे का निर्माण थोरैसिक रेडियोलॉजिस्ट की एक टीम ने किया है, जो एक्स-रे के माध्यम से कोविड-19 का पता दस गुना तेज और सटीक लगाने में सक्षम है।
जर्नल रेडियोलॉजी में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकतार्ओं की टीम का मानना है कि चिकित्सक उन मरीजों का जल्द से जल्द परीक्षण करने के लिए इस एआई सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं, जो कोविड-19 के अलावा किन्हीं अन्य वजहों से अस्पतालों में भर्ती हैं।
अत्यधिक संक्रामक वायरस का पता पहले लगने से स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य मरीजों की संभावित सुरक्षा हो सकती है, क्योंकि इस सिस्टम की मदद से कोविड रोगियों का तुरंत पता लगाकर ही उन्हें आइसोलेट किया जा सकता है।
अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से शोध के लेखक एग्गेलोस कात्सगेलोस ने कहा, "हम वास्तविक परीक्षण को बदलने का लक्ष्य नहीं बना रहे हैं। एक्स-रे नियमित तौर पर किए जाते हैं, ये सुरक्षित और किफायती भी हैं। हमारे सिस्टम की मदद से मरीज को स्क्रीन करने और उनमें कोविड का पता लगाने में चंद सेकेंड्स लगेंगे। इससे हम जान सकेंगे कि उस मरीज को आइसोलेट करने की आवश्यकता है भी या नहीं।"
इस नई परीक्षण पद्धति का विकास करने के लिए रिसर्चरों ने नॉर्थवेस्टर्न मेमोरियल हेल्थकेयर सिस्टम के साइटों से 17,002 चेस्ट एक्स-रे की तस्वीरों का उपयोग किया। इनमें से 5,445 मरीज कोविड पॉजिटिव आए।
इसके बाद टीम ने लेक फॉरेस्ट हॉस्पिटल से पांच अनुभवी कार्डियोथोरेसिक फेलोशिप-प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट के अंडर में 300 रेंडम तस्वीरों का परीक्षण किया। हर रेडियोलॉजिस्ट को इन तस्वीरों की जांच में ढाई से साढ़े तीन घंटे लगे, जबकि एआई सिस्टम को करीब-करीब 18 मिनट लगे।
जहां रेडियोलॉजिस्ट की एक्यूरिसी की सीमा 76-81 फीसदी रही। डीपकोविड-एक्सआर में यही सीमा 82 फीसदी रही। (आईएएनएस)
चीन ,29 नवम्बर | चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही रविवार को नेपाल की यात्रा पर पहुँचे हैं. बताया गया है कि इस यात्रा के दौरान वे नेपाल के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे.
चीन के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान स्टेट काउंसलर वेई राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से शिष्टाचार के नाते मुलाक़ात करेंगे.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘‘चीनी रक्षा मंत्री नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्ण चन्द्र थापा से भी मुलाक़ात करेंगे. वेई उसी शाम बीजिंग वापस लौट जायेंगे.’’
इससे पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला अपनी दो दिन की नेपाल यात्रा से भारत लौट चुके हैं.
नेपाल के नये राजनीतिक मानचित्र को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल और उनके बाद भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे की नेपाल यात्रा ने काफ़ी चर्चा बटोरी थी.
भारत के इन बड़े अधिकारियों से मुलाक़ात के बाद, नेपाल का शीर्ष नेतृत्व चीन के रक्षा मंत्री से वार्ता कर रहा है.
विश्लेषक नेपाल द्वारा अपने उत्तरी और दक्षिणी पड़ोसी देशों से आगामी उच्च-स्तरीय यात्रा को सार्थक मान रहे हैं.
नेपाल सेना के प्रवक्ता संतोष वल्लभ पौड्याल के अनुसार, नेपाल सरकार ने ही चीनी रक्षा मंत्री को आमंत्रण भेजा था.
नेपाल के सुरक्षा विश्लेषक इंद्र अधिकारी ने कहा है कि यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीनी अधिकारी किसी ठोस उद्देश्य के बिना यात्रा पर नहीं आते.
उनके अनुसार, ‘एक देश के मंत्री या सरकार का दूसरे देश से अपने समकक्ष को बुलाना एक कूटनीतिक अभ्यास है. लेकिन वो ऐसी मुलाक़ातों में यह तय करते हैं कि उन्हें आगे क्या करना है.’
विश्लेषकों के अनुसार, तीन चीज़ें हैं जो चीनी रक्षा मंत्री की इस यात्रा के पीछे की वजह हो सकती हैं.
एक तो यह कि नेपाल में चीनी राजदूत सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के नेतृत्व में सामयिक विवाद को सुलझाने की कोशिश में सक्रिय रहे हैं और चीन चाहेगा कि नेपाल का उस पर विश्वास बढ़े.
चीन के लिए यह दौरा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश का संयुक्त दौरा है. विश्लेषकों की राय है कि चीन भले ही क़रीब है, पर अब तक की स्थिति से पता चलता है कि भारत का दक्षिण एशियाई देशों पर अधिक प्रभाव है. वहीं चीन अपने प्रभाव को बनाये रखना या बढ़ाना चाहता है.
तीसरी बात यह है कि नेपाल की संसद ने अभी तक मिलेनियम चैलेंज समझौते की पुष्टि नहीं की है.
इस बीच, चीन अपनी महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड योजना का अनुसरण करता दिखाई दे रहा है.
इसी संबंध में चीन यह संदेश देना चाहता है कि वो आर्थिक योजनाओं और पिछले समझौतों के लिए प्रतिबद्ध है.
इस वर्ष अगस्त में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि उन्होंने चीन-नेपाल संबंधों को मज़बूत बनाने पर बहुत ज़ोर दिया और वह अपनी नेपाली समकक्ष भंडारी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं. (bbc.com/hindi)
लंदन, 29 नवंबर | शोधकर्ताओं ने अपने एक हालिया शोध में खुलासा किया है कि इनफ्लुएंजा के संक्रमण से बैक्टीरियल निमोनिया के खतरे की आशंका है, जिससे हर साल दुनियाभर में कई लोगों की जान जाती हैं। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित इस शोध का परीक्षण एक पशु मॉडल पर किया गया, जिसके नतीजे में मिला कि विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पोषक तत्वों सहित कोशिकाओं की आमतौर पर सुरक्षा करने वाले पदार्थों का रक्त से रिसाव होता है, जिनसे फेफड़ों में एक ऐसे वातावरण का निर्माण होता है, जहां बैक्टीरिया के पनपने के आसार रहते हैं।
ये बैक्टीरिया बैक्टीरियल एंजाइम एचटीआरए के उत्पादन को बढ़कार अपने रहने योग्य एक वातावरण का निर्माण कर लेते हैं। शरीर में एचटीआरए की उपस्थिति से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ने लगता है और यह इनफ्लुएंजा संक्रमित वायुमार्गों में बैक्टीरिया के विकास को भी बढ़ावा देता है। इस एंजाइम की कमी से बैटीरियल ग्रोथ रूक जाता है।
स्वीडन में स्थित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट से शोध के लेखक बिरगिट्टा हेनरिक्स नोर्मार्क ने कहा, "इनफ्लुएंजा के संक्रमण के दौरान निचले वायुमार्गों में न्यूमोकॉकस के पनपने की क्षमता अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ पोषक तत्वों की अधिकता वाले वातावरण पर निर्भर करती है, जैसा कि वायरल संक्रमण के दौरान होता है। साथ ही इस वातावरण में बैक्टीरिया के ढलने और इम्युन सिस्टम से खुद को मिटाए जाने से सुरक्षा करने की उसकी क्षमता भी बढ़ जाती है।"
शोध के परिणामों से पता चला है कि किस तरह से बैक्टीरिया फेफड़े में अपने अनुकूलित वातावरण के साथ एकीकृत होते जाते हैं और साथ ही इस शोध के नतीजे का इस्तेमाल इनफ्लुएंजा वायरस और न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया के बीच दोहरे संक्रमण के लिए नए थेरेपी को ढूढ़ने में भी किया जा सकता है।
शोध के एक अन्य लेखक विकी सेंडर ने कहा, "एचटीआरए एंजाइम एक प्रोटीज है, जो इम्युन सिस्टम को कमजोर बनाता है और न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया को वायुमार्गों के अंदर कोशिकाओं की सुरक्षात्मक परतों में पहुंचने में मदद देता है। इससे इस बात की संभावना बन सकती है कि फेफड़े में न्यूमोकॉकल के प्रसार को रोकने के लिए प्रोटीज अवरोधकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।"
हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या कोविड-19 के मरीज इस तरह के किसी और बैक्टीरियल संक्रमण के प्रति संवेदनशील है भी या नहीं, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है? कि इस तरह की प्रक्रिया कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार मरीजों में संभावित रूप से पाई जा सकती है।
हेनरिक्स नोमार्क ने कहा, "कारण चाहे कोई भी हो, लेकिन फेफड़े में सूजन के चलते पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट के रिसाव में वृद्धि होती है, जिससे बैक्टीरिया के रहने लायक वातावरण का विकास होता है।"
--आईएएनएस
दक्षिण कोरिया, 29 नवंबर | दक्षिण कोरिया की दिग्गज तकनीकी कंपनी सैमसंग की ओर से अपने आगामी गैलेक्सी एस21 सीरीज को बिक्सबी वॉयस के साथ पेश करने की बात कही जा रही है, जो कि एक बायोमेट्रिक वॉयस-अनलॉक फीचर है। सैममोबाइल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गैलेक्सी एस21 सीरीज में वन यूआई के रनिंग वर्जन 3.1 को लॉन्च किए जाने की उम्मीद है, जैसे कि गैलेक्सी एस20 और गैलेक्सी एस10 क्रमश: वन यूआई 2.1 और वन यूआई 1.1 पर रन करता है।
गैलेक्सी एस21 में विशेषतौर पर कुछ नए फीचर्स भी शामिल किए जाएंगे, जिसमें से एक होगा बिक्सबी वॉयस। यह डिवाइस को अनलॉक करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक बायोमेट्रिक पद्धति है।
इसके पिछले वर्जन में 'हाय बिक्सबी' कहकर यूजर्स अपने डिवाइस को अनलॉक कर सकते थे, तो हो सकता है कि यूजर्स नए संस्करण के साथ भी अपने डिवाइस को इसी तरह से अनलॉक करे। हालांकि फोन के लॉक स्क्रीन सिक्यूरिटी सेटिंग्स के बारे में अभी भी कुछ भी विस्तार से नहीं बताया गया है।
सैमसंग द्वारा गैलेक्सी एस21 सीरीज को अगले साल जनवरी में लॉन्च किए जाने की बात चल रही है, जिसकी बिक्री फरवरी से शुरू हो सकती है।
एस 21 के तीन मॉडल पेश किए जाएंगे - स्टैनडर्ड, प्लस और अल्ट्रा।
एस 21 में 6.2 इंच का डिस्प्ले होगा, प्लस में 6.7 इंच और अल्ट्रा में 6.8 इंच के डिस्प्ले दिए जाने की बात कही जा रही है।
गैलेक्सी एस 21 को फैंटम वॉयलेट, फैंटम ग्रे, फैंटम व्हाइट और फैंटम पिंक कलर में पेश किया जाएगा।
गैलेक्सी एस 21 प्लस को फैंटम सिल्वर, फैंटम ब्लैक और फैंटम वॉयलट में उपलब्ध कराए जाने की बात कही जा रही है, जबकि गैलेक्सी एस 21 अल्ट्रा को सिर्फ फैंटम सिल्वर और फैंटम ब्लैक कलर्स में लाने की बात कही गई है।
बेस मॉडल गैलेक्सी एस 21 में एक प्लास्टिक रियर कवर होगा, जबकि एस 21 अल्ट्रा में ग्लास का इस्तेमाल किया जाएगा।
--आईएएनएस
मसुमेह तोरफेह
शुक्रवार तक ज्यादातर ईरानी लोगों को अपने देश के परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह के बारे में जानकारी नहीं थी. शुक्रवार को फ़ख़रीज़ादेह की हत्या कर दी गई थी.
हालांकि, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने वाले उनके बारे में बखूबी जानते थे. पश्चिमी देशों के सुरक्षा जानकार उन्हें ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुख्य कर्ताधर्ता मानते हैं.
ईरानी मीडिया ने फ़ख़रीज़ादेह की अहमियत को कम करके पेश करने की कोशिश की है.
ईरानी मीडिया ने उन्हें एक वैज्ञानिक और शोधकर्ता बताया है जो कि हालिया हफ्तों में कोविड-19 की घरेलू टेस्ट किट विकसित करने के काम में लगे हुए थे.
लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एसोसिएट फैलो मार्क फिट्जपैट्रिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजदीकी से नजर रखते हैं.
उन्होंने ट्वीट किया है, "ईरान का परमाणु कार्यक्रम किसी एक शख्स पर टिके होने की स्थिति से काफी वक्त पहले ही आगे निकल चुका था."
हत्या का मक़सद
इसके बावजूद हमें यह मालूम है कि जिस वक्त फखरीजादेह पर हमला हुआ, उनके साथ कई अंगरक्षक मौजूद थे.
इससे यह जाहिर होता है कि ईरान उनकी सुरक्षा को लेकर कितना चिंतित था. ऐसे में उनकी हत्या की वजह ईरान की परमाणु गतिविधियों के मुकाबले राजनीतिक ज्यादा जान पड़ती है.
इस हत्या के दो संभावित मकसद हो सकते है. पहला, ईरान और अमरीका में नए आ रहे जो बाइडन प्रशासन के बीच रिश्तों में सुधार की गुंजाइश को खत्म करना.
दूसरा, ईरान को इसकी प्रतिक्रिया करने के लिए उकसाना.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस हत्या पर दी गई अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, "दुश्मनों को तनावपूर्ण हफ्तों का सामना करना पड़ रहा है."
उन्होंने कहा है, "उन्हें इस बात की फिक्र है कि वैश्विक हालात बदल रहे हैं और वे इस इलाके में अस्थिर हालात पैदा करने में अपना ज्यादातर वक्त लगा रहे हैं."
इसराइल और सऊदी अरब
जब रूहानी ईरान के दुश्मनों का जिक्र करते हैं तो उनका इशारा सीधे तौर पर ट्रंप प्रशासन, इसराइल और सऊदी अरब की ओर होता है.
इसराइल और सऊदी अरब दोनों ही अमरीका में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद मध्य पूर्व की राजनीति में होने वाले बदलावों और उन पर इसके होने वाले परिणाम को लेकर चिंतित हैं.
अपने चुनाव प्रचार के दौरान बाइडन यह साफ कर चुके हैं कि वे चाहते हैं कि ईरान फिर से परमाणु समझौते के साथ जुड़ जाए.
बराक ओबामा ने 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था और डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में इसे रद्द कर दिया था.
इसराइल के मीडिया के मुताबिक कथित तौर पर एक गोपनीय मीटिंग में इसराइल और सऊदी अरब ने ईरान को लेकर अपनी चिंताओं की चर्चा की थी.
इन खबरों में कहा गया है कि ये मीटिंग इसराइली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतन्याहू और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच नियोम में पिछले रविवार को हुई थी.
रणनीतिक कदम
सऊदी विदेश मंत्री ने ऐसी किसी भी बैठक के होने की खबरों को खारिज किया है.
माना जा रहा है कि इसी बैठक में नेतन्याहू सऊदी अरब और इसराइल के बीच रिश्ते बहाल करने के लिए क्राउन प्रिंस सलमान को राजी करने में भी नाकाम रहे थे.
सोमवार को, जब यमन में ईरानी समर्थन वाले हूथी विद्रोहियों ने जेद्दाह में सऊदी ऑइल कंपनी आरामको की इकाई पर हमला किया तो इसने ईरान को सऊदी अरब का मखौल उड़ाने का एक मौका दे दिया.
ईरान की कट्टरपंथी प्रेस ने हूथी ताकतों के "साहसिक कुद्स-2 बैलिस्टिक मिसाइल हमले" की जमकर तारीफ की.
मेहर न्यूज एजेंसी ने कहा है, "यह एक रणनीतिक कदम था. सऊदी-इसराइल की मीटिंग के वक्त में इसकी एक बेहतर टाइमिंग थी और इससे उन्हें यह भी चेतावनी दे दी गई कि उनके किसी भी गलत कदम के क्या परिणाम हो सकते हैं."
ईरान के मुख्य परमाणु ठिकाने
अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपनी किताब 'द रूम वेयर इट हैपेंड' किताब में बताया है कि किस तरह से ट्रंप प्रशासन ईरान के हूथी ताकतों को दिए जाने वाले समर्थन को "मध्य पूर्व में अमरीकी हितों के खिलाफ एक अभियान" के तौर पर देखता है.
माना जा रहा है कि नियोम में हुई कथित मीटिंग की व्यवस्था अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने की थी.
वे क़तर और युनाइटेड अरब अमीरात के दौरे पर थे और इस दौरान उनकी चर्चा का मुख्य मुद्दा ईरान था.
अमरीकी मीडिया के मुताबिक, दो हफ्ते पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने वरिष्ठ सलाहकारों से पूछा कि क्या उनके पास ईरान के मुख्य परमाणु ठिकाने कि खिलाफ सैन्य कार्रवाई का विकल्प है? माना जा रहा है कि वे सत्ता छोड़ने से पहले ईरान के साथ टक्कर चाहते हैं.
जनवरी में ट्रंप ने इराक़ में ईरान के टॉप मिलिटरी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की अमरीकी ड्रोन हमले में की गई हत्या की तारीफ की थी.
क़ासिम सुलेमानी की हत्या
ट्रंप ने कहा था कि उनके निर्देश पर यह हुआ था.हालांकि, बाद में यूएऩ के एक स्पेशल दूत ने इस "गैरकानूनी" करार दिया था.
ऐसे में यह तर्क दिया जा सकता है कि इन हत्याओं का राष्ट्रपति ने कोई विरोध नहीं किया था.
दूसरी ओर, ईरानी राष्ट्रपति ने फखरीजादेह की हत्या के पीछे इसराइल का हाथ बताया है.
कई रिपोर्ट्स में भी यह कहा गया है कि इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू दुनिया के उन चुनिंदा नेताओं में रहे हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर फखरीजादेह का नाम लिया था.
2018 में एक टीवी पर प्रसारित किए गए प्रेजेंटेशन में इसराइल के प्रधानमंत्री नतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में फखरीजादेह की अग्रणी भूमिका का जिक्र किया था और लोगों से कहा था कि वे "इस नाम को याद रखें."
इसराइल की फिक्र
हालांकि, इसराइल इस बात से निश्चिंत है कि बाइडन प्रशासन में भी अमरीका उसकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध रहेगा, लेकिन इसराइल नए विदेश मंत्री के तौर पर नामांकित किए गए एंटोनी ब्लिंकेन को लेकर जरूर चिंतित होगा.
ब्लिंकेन को ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते का जबरदस्त समर्थक माना जाता है.
मध्य पूर्व को लेकर ब्लिंकेन की सोच के चलते फलस्तीन के लोगों में भी उम्मीद पैदा हो सकती है.
ब्लिंकेन इसराइल में अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से हटाकर यरूशलम ले जाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले के आलोचक रहे हैं.
हालांकि, बाइडेन कह चुके हैं कि वे इस फैसले में बदलाव नहीं करेंगे.
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने फ़ख़रीज़ादेह की हत्या करने वालों को "निश्चित रूप से दंडित" करने का आह्वान किया है.
सुरक्षा और खुफिया चूक
ईरान की एक्सपीडिएंसी काउंसिल के हेड मोहसेन रेजाई ने इस घटना के पीछे सुरक्षा और खुफिया चूक की ओर इशारा किया है.
उन्होंने कहा है, "ईरान की खुफिया एजेंसियों को घुसपैठियों और विदेशी खुफिया सेवाओं के सूत्रों का पता लगाना चाहिए और हत्या करने वाली टीमों की कोशिशों को नाकाम करना चाहिए."
दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर मौजूद कई ईरानी यह पूछ रहे हैं कि ईरान के अपनी सैन्य और खुफिया श्रेष्ठता के दावे के बावजूद इतनी जबरदस्त सुरक्षा हासिल किसी शख्स की दिन-दहाड़े हत्या कैसे मुमकिन है.
इन लोगों की यह भी चिंता है कि इस हत्या के बहाने देश में गिरफ्तारियों का दौर फिर से शुरू किया जा सकता है.
अब जबकि ट्रंप प्रशासन जा रहा है और इसराइल और सऊदी अरब के पास उनका मुख्य सहयोगी नहीं होगा, ऐसे में ईरान बाइडन प्रशासन से प्रतिबंधों में राहत और अर्थव्यवस्था को फिर से खड़े करने का मौका मिलने की उम्मीद कर रहा है.
इस लिहाज से कोई प्रतिक्रिया करना अतार्किक होगा.
डॉ. मसुमेह तोरफेह लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (एलएसई) और स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (सोआस) में रिसर्च एसोसिएट हैं. उनकी विशेषज्ञता ईरान, अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया की राजनीति में है. वे अफगानिस्तान में स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस में यूएन डायरेक्टर रह चुकी हैं. (bbc.com)
लंदन, 29 नवंबर | ब्रिटेन सरकार ने इंग्लैंड में कोविड-19 वैक्सीन के विकास, निर्माण और वितरण के लिए एक नए स्वास्थ्य मंत्री नादिम जहावी को नियुक्त किया है। जहावी स्ट्रैटफोर्ड-ऑन-एवन के सांसद हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को एक बयान में डाउनिंग स्ट्रीट के हवाले से लिखा, "महारानी ने सांसद नाहिम जहावी की स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग में एक संसदीय अवर सचिव के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।"
जहावी ने अपनी नियुक्ति को लेकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए ट्वीट किया, "बहुत खुश हूं कि (प्रधानमंत्री) बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 वैक्सीन वितरण व्यवस्था के लिए मंत्री बनने के लिए कहा। यह एक बड़ी जिम्मेदारी और एक बड़ी परिचालन चुनौती है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि जीवन और आजीविका को बचाने वाले वैक्सीन को जल्दी से जल्दी तैयार कर सकें और उनके निर्माण में मदद कर सकें।"
बीबीसी के मुताबिक, अंतरिम व्यवस्था के तहत जहावी स्वास्थ्य विभाग और व्यापार विभाग के बीच एक संयुक्त मंत्री के रूप में काम करेंगे, क्योंकि वह व्यापार विभाग का काम पहले से कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता वैक्सीन वितरण की होगी।
जहावी केवल इंग्लैंड में वैक्सीन संबंधी पूरी व्यवस्था देखेंगे। साथ ही स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के प्रशासन अपने संबंधित देशों में वैक्सीन के वितरण की जिम्मेदारी संभालेंगे।
जहावी की नियुक्ति तब हुई, जब ब्रिटेन में शनिवार को 479 मौतें दर्ज हुईं और मौतों का आंकड़ा बढ़कर 58,030 हो गया है। इसके अलावा 15,871 नए मामले आने के बाद कुल मामले बढ़कर 16,09,141 हो गए।
अभी ब्रिटेन की सरकार ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के 10 करोड़ डोज, फाइजर-बायोएनटेक के 4 करोड़ और यूएस फर्म मॉडर्न से 50 लाख डोज के ऑर्डर दे चुकी है।(आईएएनएस)
काबुल, 29 नवंबर | अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में रविवार को एक सैन्य शिविर में हुए आत्मघाती कार बम विस्फोट में कम से कम 30 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई, जबकि 24 से अधिक लोग घायल हो गए। यह जानकारी शीर्ष अधिकारियों ने दी। इस हमले में मरने वालों और घायलों की पुष्टि करते हुए, गजनी सिविल अस्पताल के निदेशक बाज मोहम्मद हेमत ने सिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कुछ घायलों की स्थिति गंभीर हैं।
एक सुरक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि विस्फोट एक आत्मघाती हमलावर ने किया, जहां हमलावर ने गजनी शहर पास सेना के शिविर में विस्फोटक पदार्थ से लदी गाड़ी में विस्फोट कर दिया।
उन्होंने कहा, "इस हमले में मारे गए और घायल सैन्यकर्मी अफगान नेशनल आर्मी (एएनए) की एक बटालियन का हिस्सा हैं। यह सुविधा अतीत में पुलिस बलों से संबंधित थी, लेकिन अब यह एएनए की एक बटालियन में परिवर्तित हो गई है और सभी पीड़ित एएनए सैनिक थे।"
इससे पहले की रिपोर्टों में कहा गया था कि मारे गए और घायल लोग पुलिस के जवान थे।
इस हमले को लेकर अभी तक किसी भी समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने हमले के लिए तालिबान आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया है।(आईएएनएस)
वुहान, 29 नवंबर| चीनी शहर वुहान में प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि इम्पोर्ट किए गए फ्रोजन फूड के तीन पैकेटों में कोविड-19 के वायरस पाए गए। ज्ञात हो कि वुहान ही वह शहर है, जहां से नोवेल कोरोनावायरस के फैलने की बात कही गई है। यहां के म्युनिसिपल हेल्थ कमीशन के शनिवार को दिए बयान के हवाले से सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यहां के रेफ्रिजेरेटेड वेयरहाउस में ब्राजील से आयातित फ्रोजन बीफ के दो नमूने और एक अन्य वेयरहाउस में वियतनाम से आयातित रखे फ्रोजन बासा फिश से एक नमूने लिए गए।
स्थानीय अधिकारियों ने इन सभी उत्पादों को सील कर क्वॉरंटाइन कर दिया और इन खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने वाले कर्मियों पर न्यूक्लिक एसिड टेस्ट किया। फिलहाल अब तक सभी नतीजे नेगेटिव आए हैं।
जिन फ्रोजन फूड्स के नमूनों में वायरस पाए गए हैं, उन्हें बाजार में आने से फिलहाल के लिए रोक दिया गया है। चीन द्वारा आयातित भोजनों के माध्यम से कोविड-19 के संचरण को रोकने के प्रयासों तेजी लाया गया है। (आईएएनएस)
जकार्ता, 29 नवंबर| इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में इली लेवेतलो ज्वालामुखी रविवार को फूट पड़ा, जिससे आसमान में 4,000 मीटर की ऊंचाई तक धुएं व राख का गुबार देखा गया। एजेंसी फॉर वोल्कोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन के हवाले से
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ज्वालामुखी के फटने से आसमान में पूरब से पश्चिम की ओर राख और धुएं का गुबार पूरी तरह से छा गया।
सिस्मोग्राफ के रिकॉर्ड से पता चला है कि सुबह करीब 10.45 बजे दस मिनट के लिए हुए इस विस्फोट का आयाम 35 मिमी था।
एजेंसी ने यहां के निवासियों और पर्यटकों को खतरे के क्षेत्र से दो किलोमीटर के दायरे में किसी भी गतिविधि को अंजाम न देने का सुझाव दिया है।
समुद्र तल से 1,018 मीटर की ऊंचाई वाले इस ज्वालामुखी आसपास के इलाके को फिलहाल अलर्ट पर रखा गया है। (आईएएनएस)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का कहना है कि उनके ऊपर पाकिस्तानी सेना का कोई दबाव नहीं है और उन्होंने अपने घोषणापत्र के वादों को लागू किया है.
पाकिस्तान के एक प्राइवेट चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पत्रकार मंसूर अली ख़ान से कहा, "मैं फ़ौज का विरोध तो तब करूँ जब वो मुझ पर कोई दबाव डाले. आज तक ऐसी कोई एक भी चीज़ नहीं है जो मैं करना चाहता हूँ और फ़ौज मुझे करने से मना करती है."
प्रधानमंत्री का कहना है कि घोषणापत्र उठा कर देखें तो पता चलेगा कि उनकी सारी विदेश नीति तहरीक-ए-इंसाफ़ की ही है.
उन्होंने कहा, "जब नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी सरकार से निकल जाते हैं तो वो विदेश नीति में फ़ौज के दख़ल की बात करते हैं. वो कहते हैं कि वो हिंदुस्तान से दोस्ती करना चाहते थे लेकिन फ़ौज ऐसा नहीं चाहती. लेकिन उनका घोषणापत्र पढ़ कर देखना चाहिए कि उन्होंने उसे लागू किया है."
इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने अफ़ग़ान शांति वार्ता का उदाहरण पेश किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुसलमान देशों को इकट्ठा करने की बात की थी लेकिन इस्लामिक देशों के आपसी मुद्दों पर किसी का पक्ष नहीं लिया.
आसिम सलीम बाजवा का इस्तीफ़ा
प्रधानमंत्री से पूछा गया कि जब रिटायर्ड जनरल असीम बाजवा, पाक-चीन इकोनोमिक कॉरिडोर (सीपैक) के चेयरमैन थे उस दौरान उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था, उसे क्यों नहीं स्वीकार किया गया? लेकिन बाद में सूचना प्रसारण मामलों पर प्रधानमंत्री के स्पेशल असिस्टेंट के तौर पर जब उन्होंने इस्तीफ़ा दिया तो उसे क्यों मंज़ूर किया गया?
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जवाब दिया, "असीम सलीम बाजवा बलूचिस्तान में सदर्न कमांड के मुखिया थे. ग्वादर सीपैक का एक मुख्य केंद्र है. वह पहले से ही वहाँ काम कर रहे थे, चीनी लोगों के साथ काम करते रहे हैं, इसलिए हमने सोचा कि बेहतरीन विकल्प वही हैं और इसके लिए हम पर किसी का दबाव नहीं था."
स्पेशल असिस्टेंट के तौर पर असीम बाजवा का इस्तीफ़ा स्वीकार करने के बारे में इमरान ख़ान ने कहा कि "उस पोस्ट पर जनरल बाजवा को हम अस्थायी रूप से लाए थे."
उन्होंने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विभाग (आईएसपीआर) का भी उदाहरण दिया जिसके प्रमुख असीम बाजवा रहे हैं.
इमरान खान ने आसिम बाजवा के ख़िलाफ़ लगे आरोपों पर कहा कि इस मामले में उन्होंने विस्तृत जवाब दिया है. उन्होंने कहा, "अगर किसी को फिर भी शिकायत है तो उसे एनएबी में दर्ज करवाए और ये सब तो वो आरोप थे जो अख़बार या टीवी में आए थे."
मीडिया पर दबाव और पत्रकारों का ग़ायब होना
प्रधानमंत्री से पूछा गया कि हाल में कई पत्रकार ग़ायब कर दिए गए हैं जैसे मतिउल्लाह जान, अली इमरान सईद, एसईसीपी डायरेक्टर साजिद गोंडल.
उन्होंने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ."
जब पत्रकार ने पूछा कि किसे पता था कि उन्हें कौन ले गया है तो प्रधानमंत्री ने कहा उन्हें नहीं पता और उन्होंने "ये मसला गृह मंत्रालय पर छोड़ दिया था."
सेलेक्ट हुए या चुने हुए प्रधानमंत्री?
इमरान ख़ान से सवाल पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का बुरा लगता है जब उन्हें सेलेक्ट किया गया प्रधानमंत्री कहा जाता है?
इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने क्रिकेट मैच का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि मैच के दौरान जीतने की रणनीति लगातार बदलती रहती है. उन्होंने कहा कि अगर वेलफेयर स्टेट बनाने की उनकी एक रणनीति फेल हुई तो वह दूसरी रणनीति बनाएँगे.
उन्होंने कहा कि नवाज़ शरीफ़ को सेलेक्ट किया गया था जिन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा था. शरीफ़ पहले वित्त मंत्री बनाए गए और फिर मुख्यमंत्री. उन्होंने कहा कि ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो एक डिक्टेटर के साथ रहे और जब अयूब खान ने राजनीति को प्रतिबंध किया हुआ था तब भुट्टो ने पार्टी बनाई थी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज़ीरो से शुरुआत की और उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी.
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पाकिस्तानी फ़ौज के ख़िलाफ़ खड़े होने वाले और मुशर्रफ़ को सज़ा-ए-मौत देने वाले जज
'हमारी संस्थाएँ स्वतंत्र हैं'
विपक्ष के ख़िलाफ़ मुक़दमों को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि ज़्यादातर केस दोनों पार्टियों ने ही किए हुए हैं. उन्होंने कहा, "हमने संस्थाओं को स्वतंत्र रखा है."
प्रधानमंत्री ने कहा कि एनएबी उनके दायरे में नहीं है, जेल हैं.
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पीएमएल-एन नेता नवाज़ शरीफ़ के बारे में कहा की उनकी मेडिकल रिपोर्ट पढ़ कर उन्हें भरोसा नहीं हुआ कि किसी व्यक्ति को इतनी बीमारियाँ हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि शहबाज़ अंसारी ने लाहौर हाई कोर्ट में नवाज़ शरीफ़ के विदेश जाने को लेकर गारंटी दी थी.
'जहांगीर तरीन मेरे काफ़ी क़रीब थे'
जब पत्रकार मंसूर अली ख़ान ने उनसे पीटीआई नेता जहांगीर तरीन के बारे में पूछा कि क्या वे अब भी पार्टी का हिस्सा हैं तो प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी में उनके पास कोई पद नहीं है.
उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूँ कि मैं संस्थाओं के काम में दख़ल नहीं देना चाहता, जो भी अपराध में शामिल होगा उसको सज़ा मिलेगी."
जहांगीर तरीन के ख़िलाफ़ लगे आरोपों पर उन्होंने कहा कि वे इस पर शर्मिंदा हैं. "अभी तो केस चल रहा है. हाँ, लेकिन मुझे अफ़सोस होता है. जहांगीर मेरे काफ़ी क़रीब थे. वो कहते हैं कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं."
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही पार्टी सदस्यों या मंत्रियों के बारे में कोई ख़बर मिलती है तो वे आईबी के ज़रिए उसकी जाँच करते हैं.
हालाँकि प्रधानमंत्री ने उन पार्टी सदस्यों का नाम बताने से इनकार कर दिया जिन पर अब तक उन्होंने कार्रवाई की है.
पूर्व पंजाब सूचना मंत्री फ़याज़ उल हसन पर उन्होंने कहा कि उन्हें एक मज़बूत मंत्रालय चाहिए था तो उन्हें ये दिया गया लेकिन उन्होंने पहले कभी अल्पसंख्यकों को लेकर एक टिप्पणी की थी जिसकी वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया.
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विदेश नीति
यूएई वीज़ा को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पार बातचीत चल रही है और इसमें सिर्फ़ हम ही नहीं, दूसरे देश भी शामिल हैं.
जब सऊदी अरब के साथ बिगड़ते रिश्तों पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा, "मेरे मोहम्मद बिन सलमान के साथ अच्छे रिश्ते हैं. कोई समस्या नहीं है. तुर्की के भी हमसे अच्छे रिश्ते हैं और चीन के साथ ऐसे हैं जैसे पहले कभी नहीं थे. अफ़ग़ानिस्तान के साथ हमेशा से ज़्यादा बेहतर रिश्ते हैं.
उन्होंने कहा, "आज की तारीख़ में अमेरिका पाकिस्तान को लेकर कहता है कि हमने शांति वार्ता में जो भूमिका निभायी है वो पहले कभी किसी ने नहीं निभाई थी." (bbc.com/hindi)
काठमांडू, 29 नवंबर | भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला के सफल नेपाल दौरे के दो दिन बाद रविवार को चीनी रक्षा मंत्री और स्टेट काउंसलर वेई फेंगही काठमांडू पहुंचे। वेई के एजेंडे और नेपाल की उनकी यात्रा के उद्देश्यों को दोनों सरकारों में से किसी ने भी फिलहाल उजागर नहीं किया है।
वह अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हिमालयी राष्ट्र की यात्रा के बाद पिछले एक साल में नेपाल जाने वाले सबसे वरिष्ठ चीनी अधिकारी हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, नेपाल यात्रा पूरी करने के बाद वेई बांग्लादेश और पाकिस्तान के लिए रवाना हो जाएंगे।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने यात्रा को एक 'वर्किं ग विजिट' करार दिया और काठमांडू में अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान, वेई राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, जो रक्षा मंत्री भी हैं, और नेपाली सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात करेंगे।
वह रविवार शाम को काठमांडू से रवाना हो जाएंगे।
नेपाली विशेषज्ञों और विदेश नीति के पर्यवेक्षकों ने कहा है कि वेई की यात्रा एक ऐसे समय में बहुत सार्थक है जब सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में विवाद और कलह उच्च स्तर पर पहुंच गया है, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का धीमा कार्यान्वयन हो रहा है और जब बीजिंग, भारत-अमेरिका के बीच अन्य सामरिक पैक्ट को लेकर दक्षिण एशियाई राष्ट्रों का रुख जानना चाहता है। (आईएएनएस)
लंदन, 29 नवंबर | लंदन में चल रहे कोविड-19 लॉकडाउन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 150 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को यह विरोध मार्बल आर्क से शुरू हुआ था। इसे 'सेव आवर राइट्स यूके ग्रुप' ने आयोजित किया था। प्रदर्शनकारियों में से कुछ लोग क्रिसमस के कपड़े पहने थे और हाथ में तख्तियां रखे थे, जिनमें 'ऑल आई वांट फॉर क्रिसमस इज माय फ्रीडम बैक' (क्रिसमस पर मैं अपनी आजादी वापस चाहता हूं), 'डिच द फेस मास्क' (फेस मास्क हटाओ) और 'स्टॉप कंट्रोलिंग अस' (हमें नियंत्रित करना बंद करो) लिखा था।
अधिकांश प्रदर्शनकारी मास्क नहीं लगाए थे और उन्होंने पुलिस द्वारा वहां से जाने के आग्रहों को भी नजरअंदाज कर दिया। इससे पहले दिन में पुलिस ने ऐसे सार्वजनिक समारोह न करने को लेकर चेतावनी भी दी थी।
विरोध प्रदर्शन के कारण ऑक्सफोर्ड सर्कस, कानेर्बी स्ट्रीट और रीजेंट स्ट्रीट में पुलिस अधिकारी जब लोगों को हथकड़ी लगाने की कोशिश कर रहे थे तो यहां ट्रैफिक रोक दिया गया था।
मेट पुलिस ने एक बयान में कहा, "आज का दिन लंदन शहर की मेट पुलिस और ब्रिटिश ट्रांसपोर्ट पुलिस अधिकारियों के लिए चुनौतिपूर्ण रहा। पूरे दिन अपने पेशेवर कामों को अच्छे से करने के लिए हम उन्हें धन्यवाद देना चाहेंगे। आज की कार्रवाई उन लोगों के लिए सीधा नतीजा है जो जान-बूझकर कानून तोड़ रहे हैं और कई बार हमारे अधिकारियों से आक्रामकता से पेश आते हैं और सड़क नेटवर्क में रुकावट पैदा करते हैं।"
गृह सचिव प्रीति पटेल ने कहा कि हमने कोरोना वायरस को रोकने के लिए अपने पुलिस अधिकारियों को अविश्वसनीय काम करते देखा। उन्होंने आगे कहा -"हम सभी लोगों से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि ये उपाय हमने लोगों के जीवन को बचाने के लिए लागू किए हैं।"
बता दें कि ब्रिटेन में शनिवार को 479 मौतें होने के बाद भी महामारी को रोकने के उपायों का विरोध हो रहा है। यहां अब तक 58,030 मौतें और 16,09,141 मामले दर्ज हो चुके हैं। (आईएएनएस)
लाहौर, 29 नवंबर | पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान बाबर आजम पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान के चैनल 24 न्यूजएचडी पर दिखाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला ने दावा किया है कि बाबर ने 10 साल तक उसका शोषण किया और उन्हें गर्भवती भी कर दिया। महिला ने कहा है कि बाबर ने उनसे शादी का वादा किया था।
महिला ने कहा, "हम दोनों के संबंध तब से थे जब से आजम क्रिकेटर भी नहीं थे। वह मेरे साथ स्कूल में पढ़े हैं और हम एक ही मौहल्ले में रहते थे। 2010 में उन्होंने मुझे प्रपोज किया और मैंने उसे कबूल कर लिया।"
उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे समय बीतता गया, हमने शादी के बारे में सोचा। हमने अपने परिवारों से कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसलिए 2011 में हम भाग गए और वह लगातार मुझसे कहते रहे कि हम कोर्ट में शादी करेंगे। हम कई किराए के मकानों में रहे, लेकिन वह शादी के लिए मना करते रहे।"
महिला ने कहा कि वह जब आजम पाकिस्तान टीम में चुने नहीं गए थे तब वह उनका खर्चा उठाती थी और उसके बाद भी उठाया।
उन्होंने कहा, "2014 में जैसे ही वह पाकिस्तान टीम में चुने गए, उनका व्यवहार बदल गया। अगले साल, मैंने पूछा कि शादी करते हैं लेकिन उन्होंने मना कर दिया। 2016 में मैंने कहा कि मैं गर्भवती हूं, उन्होंने अजीब तरह का व्यवहार करना शुरू कर दिया और मुझे शारीरिक प्रताड़ना दी। मैंने अपने परिवार से यह सब नहीं कहा क्योंकि हम घर से भाग चुके थे।"
उन्होंने कहा कि आजम ने उनसे गर्भपात कराने को कहा। उन्होंने कहा, "2017 में, मैंने बाबर के खिलाफ नसीराबाद स्टेशन पुलिस में शिकायत की। उन्होंने 10 साल तक मेरा उत्पीड़न किया।"
महिला ने कहा कि आजम ने उन्हें मारने तक की धमकी दे दी है। (आईएएनएस)