अंतरराष्ट्रीय
काबुल, 29 अगस्त | संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने अनुमान लगाया है कि तालिबान के कब्जे के मद्देनजर अगले चार महीनों में करीब 5,00,000 अफगानों के युद्धग्रस्त देश छोड़ने की संभावना है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जारी एक बयान में यूएनएचसीआर ने कहा कि अगस्त के मध्य में तालिबान के हाथों पूर्व सरकार के पतन के बाद राजनीतिक अनिश्चितता लोगों को बड़े पैमाने पर प्रवास शुरू करने के लिए मजबूर करेगी।
उप उच्चायुक्त केली टी. क्लेमेंट्स ने कहा, "हालांकि हमने इस समय बड़ी संख्या में अफगानों का पलायन नहीं देखा है, लेकिन अफगानिस्तान के अंदर की स्थिति किसी भी उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से विकसित हुई है।"
यूएनएचसीआर ने पड़ोसी देशों से अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखने को कहा।
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह जरूरतमंद अफगानों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए संगठन को 12 मिलियन डॉलर प्रदान करे।
कई निवासियों का कहना है कि राजनीतिक अनिश्चितता, बेरोजगारी और सुरक्षा के मुद्दों ने उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।
हबीबुल्लाह का परिवार उन हजारों परिवारों में से एक है जो काबुल हवाईअड्डे के बाहर इंतजार कर रहे हैं और देश छोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
हबीबुल्ला ने टोलो न्यूज को बताया, "मैंने विदेशियों के साथ चार साल तक काम किया, लेकिन अब मैं बेरोजगार हूं। मैंने अफवाहें सुनीं कि तालिबान विदेशियों के साथ काम करने वाले लोगों को खोज रहे हैं और उन्हें मार रहे हैं। मुझे देश छोड़ना होगा।"
हबीबुल्लाह के बेटे एजातुल्लाह ने कहा, "बेरोजगारी और सुरक्षा खतरों ने हमें अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।"
कई अफगान महिलाओं का कहना है कि वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पढ़ाई की है और खूब मेहनत की है लेकिन पता नहीं उनका क्या होने वाला है।
काबुल निवासी रहीला ने कहा, "हमने चुनौतियों को स्वीकार किया और अफगानिस्तान में पढ़ाई की। अब हमें नहीं पता कि हमारा क्या होगा। मुझे देश में लड़कियों के भविष्य की चिंता है।" (आईएएनएस)
काबुल, 29 अगस्त | अमेरिका और गठबंधन बलों ने काबुल हवाईअड्डे के सैन्य खंड के प्रवेश द्वार सहित तीन फाटकों का नियंत्रण तालिबान को सौंप दिया है। समूह के एक अधिकारी ने रविवार को स्थानीय मीडिया को इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अधिकारी इनहामुल्लाह सामानगनी ने टोलो न्यूज से कहा, "अमेरिकी सैनिकों का हवाई अड्डे के एक छोटे से हिस्से पर नियंत्रण है, जिसमें एक ऐसा क्षेत्र भी शामिल है, जहां हवाई अड्डे का रडार सिस्टम स्थित है।"
तालिबान ने करीब दो हफ्ते पहले हवाईअड्डे के मुख्य द्वार पर विशेष बलों की एक यूनिट तैनात की थी।
उन्होंने कहा, हम हवाईअड्डे की सुरक्षा और तकनीकी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं।
अमेरिका ने तालिबान को हवाईअड्डे के फाटक का नियंत्रण ऐसे समय सौंपा है, जब कुछ दिन पहले 26 अगस्त को आईएस-के आतंकवादियों ने सुविधा के पूर्वी द्वार आत्मघाती हमला किया था, जिसमें 170 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
इससे पहले तालिबान के एक अधिकारी ने कथित तौर पर कहा था कि समूह के विशेष बल, और तकनीकी पेशेवरों और योग्य इंजीनियरों की एक टीम अमेरिकी बलों के जाने के बाद हवाई अड्डे के सभी प्रभार लेने के लिए तैयार हैं।
सैन्य विमानों समेत दर्जनों विमानों ने शनिवार देर रात से हवाईअड्डे से उड़ान भरी।
राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुसार, सभी अमेरिकी और गठबंधन बलों के 31 अगस्त को देश छोड़ने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
जकर्ता, 29 अगस्त | स्थानीय आपदा शमन एजेंसी के एक बयान में कहा गया है कि इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा प्रांत के एक गांव में भूस्खलन के कारण कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई। कारो क्षेत्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में प्रांत के कारो जिले के लौबावांग गांव में चार लोग घायल हो गए और सात घर क्षतिग्रस्त हो गए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बयान में कहा कि घायलों का एक स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है और पांचों शवों को उनके परिवारों को वापस कर दिए गए हैं।
भारी बारिश के बाद देश में अक्सर बाढ़ और भूस्खलन होते रहते हैं। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 28 अगस्त| एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों का वजन अधिक बढ़ गया, खासकर 5 से 11 साल की उम्र के बच्चों का। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित निष्कर्षों ने संकेत दिया कि कोविड -19 महामारी के दौरान शरीर के वजन में वृद्धि और मोटापे की व्यापकता थी, खासकर 5 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए।
यह निर्धारित करने के लिए कि क्या महामारी के दौरान बच्चों ने अतिरिक्त वजन उठाया, शोधकर्ताओं ने 1,91,509 बच्चों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, जिनकी आयु 1 मार्च, 2019 से 31 जनवरी, 2021 तक 5 से 17 वर्ष थी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 5 से 11 साल के बच्चों ने कोविड -19 से पहले की समान अवधि की तुलना में कोविड -19 के दौरान 5.07 पाउंड अधिक प्राप्त किए, जबकि 12 से 15 वर्ष के बच्चों और 16 से 17 वर्ष के बच्चों ने 5.1 पाउंड और 2.26 पाउंड से अधिक प्राप्त किया।
5 से 11 साल के बच्चों में, वजन बढ़ने के कारण लगभग 9 प्रतिशत अधिक बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे हो गए, जबकि 12 से 15 साल के युवाओं में 5 प्रतिशत और 16 से 17 साल की उम्र में 3 प्रतिशत बच्चे थे।
5-11 और 12-15 वर्ष के समूहों में अधिकांश वृद्धि मोटापे में वृद्धि के कारण हुई।
कोएबनिक ने कहा, हमें बिगड़ते मोटापे की महामारी की निगरानी में तुरंत निवेश करना शुरू करना होगा और बच्चों को स्वस्थ वजन हासिल करने और बनाए रखने में मदद करने के लिए आहार और गतिविधि हस्तक्षेप विकसित करना होगा। (आईएएनएस)
शनिवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेंटागन के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों का कम होना शुरू हो गया है.
एक सवाल के उत्तर में उन्होने कहा कि, "हां हम हट रहे हैं." हालांकि उन्होंने सैनिकों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
उन्होंने कहा कि अमेरिका निश्चित समयसीमा के भीतर अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है लेकिन वो अख़िरी घड़ी तक अफ़ग़ान लोगों को वहां से निकालने की पूरी कोशिश करेगा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी सेना के मेजर जनरल विलियम टेलर ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शुक्रवार को किए गए ड्रोन हमले में आईएसआईएस-के के दो साजिशकर्ता मारे गए हैं जबकि उनका एक मददगार घायल हुआ है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये पूछे जाने पर कि क्या गुरुवार को हुए हमले के बाद अमेरिकी सैनिकों की गोलियों से कुछ अफ़ग़ानियों की मौत हुई, पेंटागन के अधिकारी ने जवाब दिया कि वो इसकी पुष्टि नहीं कर सकते.
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा, “लेकिन हम पूरी तरह से इसे नकारने की स्थिति में भी नहीं है.”
इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्वीट कर कहा है कि काबुल एयरपोर्ट के कुछ हिस्सों में तालिबान के लड़ाके प्रवेश कर रहे हैं. शनिवार को तालिबान के लड़ाकों को एयरपोर्ट के परिसर में बनी इमारतों में देखा गया था.
हालांकि पेंटागन ने कहा है कि एयरपोर्ट के गेट और उड़ानपट्टी पर जारी गतिविधियां फिलहाल अमेरिकी सेना की निगरानी में हो रही हैं.
पेंटागन के मुताबिक़ अमेरिकी सेना ने अब तक 117,000 लोगों को काबुल से बाहर निकाल लिया है, जिनमें ज़्यादातर अफ़ग़ानी हैं.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में और हमलों की आशंका है.
अफ़ग़ानिस्तान से पश्चिमी देशों की सेना के बाहर जाने की समयसीमा 31 अगस्त को ख़त्म होने वाली है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार शनिवार को 5,000 से अधिक लोग काबुल एयरपोर्ट पर देश से निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
इधर तालिबान के लड़ाकों ने एयरपोर्ट की तरफ आने वाली सड़कों को बंद कर दिया है और केवल उन्हीं लोगों को भीतर आने की इजाज़त दी जा रही है जिसके पास वैध दस्तावेज़ हैं.
तालिबान के एक अधिकारी ने एएफ़पी को बताया कि उनके पास अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमेरिकी नागरिकों की सूची है और जिनके नाम इसमें हैं उन्हें जाने की इजाज़त दी जा रही है.
इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रवक्ता जेन साकी ने कहा था कि अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिन "अब तक के सबसे मुश्किल दिन हो सकते हैं". (bbc.com)
वाशिंगटन, 29 अगस्त| पेंटागन ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के एक स्थानीय सहयोगी आईएसआईएस-के के दो हाई-प्रोफाइल लक्ष्य शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना के मेजर जनरल हैंक टेलर ने पेंटागन ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, आईएसआईएस के दो हाई-प्रोफाइल लक्ष्य मारे गए, एक घायल हो गया, और हम शून्य नागरिक हताहतों के बारे में जानते हैं।
यूएस सेंट्रल कमांड ने शुरू में शुक्रवार को आकलन किया कि पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में हुए ड्रोन हमले में आईएसआईएस-के के एक योजनाकार की मौत हो गई।
यह हमला गुरुवार को काबुल हवाईअड्डे के बाहर एक आत्मघाती बम विस्फोट के बाद हुआ, जिसमें अमेरिकी सेवा के 13 सदस्य और करीब 170 अफगान मारे गए थे। आईएसआईएस-के ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने ब्रीफिंग में कहा कि निकासी का समर्थन करने वाली अमेरिकी सेना ने काबुल हवाईअड्डे से अपनी वापसी शुरू कर दी है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन को समाप्त करने की समय सीमा 31 अगस्त निर्धारित की।
15 अगस्त को तालिबान के काबुल में प्रवेश करने के बाद से अमेरिका अमेरिकियों और उसके अफगान सहयोगियों को देश से निकालने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। व्हाइट हाउस ने शनिवार को कहा कि 14 अगस्त से लगभग 111,900 लोग अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। (आईएएनएस)
टोक्यो, 29 अगस्त| जापानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि मॉडर्न इंक के कोविड-19 वैक्सीन के दो शॉट मिलने के बाद दो लोगों की मौत हो गई। मंत्रालय के अनुसार, 30 और 38 वर्ष की आयु के दो पुरुषों की क्रमश: 22 और 15 अगस्त को दूसरा इंजेक्शन लगने के कुछ दिनों के भीतर ही मृत्यु हो गई, और दोनों पुरुषों पर इस्तेमाल किए गए टीके की किसी भी शीशी में कोई विदेशी पदार्थ नहीं पाया गया। एजेंसी ने यह सूचना दी।
मंत्रालय ने कहा कि यह अज्ञात है कि क्या टीकाकरण और उनकी मृत्यु के बीच एक कारण संबंध है, यह कहते हुए कि उनमें से किसी की भी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति या एलर्जी का इतिहास नहीं था।
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पांच प्रांतों में आठ टीकाकरण स्थलों पर 39 अप्रयुक्त शीशियों में विदेशी पदार्थ पाए गए हैं। उसी दिन, एक स्पेनिश कारखाने की एक ही उत्पादन लाइन से आने वाली लगभग 16.3 लाख खुराक को एहतियात के तौर पर उपयोग करने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
जापान के टीकाकरण प्रभारी मंत्री तारो कोनो ने कहा, "हालांकि, संभावित दूषित बैचों से 500,000 से अधिक शॉट्स पहले ही प्रशासित किए जा चुके हैं।"
हालांकि 16 अगस्त से विदेशी पदार्थो की पुष्टि की गई थी, जापानी दवा निर्माता टेकेडा फार्मास्युटिकल कंपनी, जो जापान में मॉडर्न वैक्सीन की बिक्री और वितरण के प्रभारी हैं, ने मंत्रालय को समस्या की रिपोर्ट करने के लिए बुधवार तक इंतजार किया।
मॉडर्ना और टाकेडा ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि वे दो मौतों की जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ काम कर रहे हैं।
दोनों कंपनियों ने कहा कि इस समय, उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि ये मौतें मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन के कारण हुईं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अगस्त| अफगानिस्तान में हक्कानी कमांडरों को पिछले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपे जाने के बाद से विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान तालिबान सरकार चलाना चाहता है और करेगा। आने वाले दिनों में अफगान मिलिशिया द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों में प्रमुख भूमिका निभाएं। खलील-उल-रहमान हक्कानी जैसे नेताओं को काबुल का नया सुरक्षा प्रमुख नियुक्त किया गया है, जबकि हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे अब्दुल अजीज अब्बासिन को तालिबान सैनिकों को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति के प्रबंधन का प्रभार दिया गया है, जो पंजशीर घाटी पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं।
हक्कानी नेटवर्क के महत्वपूर्ण कमांडरों को दी गई नई जिम्मेदारियों की श्रृंखला का जिक्र करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान युद्धग्रस्त देश में अहम फैसलों पर हावी होने की कोशिश करेगा।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस समय तालिबान अल कायदा सहित क्षेत्र में सक्रिय किसी भी अन्य आतंकवादी समूह के साथ टकराव का मार्ग नहीं खोलेगा।
यह देखते हुए कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान सामान्य रूप से 1980 के दशक के अंत से पाकिस्तानी सेना और इसकी इंटेलिजेंस विंग करक का डोमेन रहा है, पूर्व राजनयिक अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि उन्होंने अतीत में अमेरिका, सऊदी अरब और सोवियत संघ के साथ लड़ाई लड़ी थी। फिर, वे पाकिस्तानी डिजाइन के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
त्रिगुणायत ने कहा, "हक्कानी नेटवर्क वास्तव में तालिबान को पकड़ने के लिए पाकिस्तान की कुंजी है। यह भी उन समूहों में से एक है जो भारत के खिलाफ है और पूरी तरह से पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। यह पाकिस्तान के इशारे पर ज्यादातर फैसले लेता है।"
उन्होंने कहा कि हक्कानी नेटवर्क एक शक्तिशाली समूह है जो तालिबान का हिस्सा है, लेकिन इस्लामाबाद से निर्देश लेता है और तालिबान उन्हें रोकने की स्थिति में नहीं है।
उन्होंने कहा, इसी तरह के विचार रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त) ने व्यक्त किए, जिन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को नष्ट करने के लिए हक्कानी समूह, तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों का उपयोग कर रहा है। अब जबकि नए तालिबान ने वहां सत्ता पर कब्जा कर लिया है, पाकिस्तान अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है।
बख्शी ने कहा, पाकिस्तान चतुराई से खेलने की कोशिश कर रहा है और वह हक्कानी नेटवर्क के माध्यम से नए प्रशासनिक ढांचे पर अप्रत्यक्ष रूप से अफगानिस्तान के शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दबाव डालेगा। (आईएएनएस)
बीजिंग, 28 अगस्त | स्थानीय समयानुसार 27 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने कोविड-19 वायरस ट्रैसेबिलिटी रिपोर्ट का गैर-गोपनीय मूल्यांकन सारांश जारी किया। खुफिया तंत्र की शाखाएं अभी भी वायरस की उत्पत्ति की दो मुख्य-धाराओं के विचारों- प्रयोगशाला रिसाव सिद्धांत और प्राकृतिक उत्पत्ति सिद्धांत पर सहमत नहीं हो सकी हैं। रिपोर्ट में कोविड-19 वायरस के स्रोत पर कोई निश्चित बात नहीं की गयी। पर रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जांच-पड़ताल के परिणाम से यह जाहिर हुआ है कि कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार के रूप में नहीं बनाया गया था। साथ ही आनुवंशिक इंजीनियरिंग के माध्यम से कोरोना वायरस को तैयार करना लगभग असंभव है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी अधिकारियों को कोविड-19 महामारी के प्रकोप से पहले इस वायरस के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसी को कोविड-19 वायरस ट्रैसेबिलिटी की जांच करने और 90 दिन में परिणाम बताने का आदेश दिया था।(आईएएनएस)
चीन ने इंटरनेट कंपनियों के लिए एल्गोरिदम बनाने से संबंधित दिशा निर्देश जारी किए हैं. कंपनियों को कहा गया है कि वो ऐसे एल्गोरिदम ना बनाएं जिनसे लोग ऐसी चीजों पर खर्च करने के लिए आकर्षित हों जिनसे जन व्यवस्था पर असर पड़े.
ये दिशा निर्देश विशेष रूप से उन एल्गोरिदम के लिए हैं जो यूजर को क्लिक करने के लिए सुझाव देते हैं. चीन के इंटरनेट नियामक ने कहा है कि ये कदम यूजरों की निजता और डाटा की सुरक्षा के लिए उठाए गए हैं. नियामक ने कहा कि इंटरनेट कंपनियों को व्यापार में नैतिक आचरण और निष्पक्षता के सिद्धांत मानने चाहिए.
नियामक के अनुसार कंपनियों को ऐसे एल्गोरिदम मॉडल नहीं बनाने चाहिएं जो यूजरों को बहुत सारा पैसा खर्च करने का प्रलोभन दें. इसके अलावा ऐसे एल्गोरिदम का इस्तेमाल नकली अकाउंट बनाने के लिए भी नहीं होना चाहिए. यूजरों को यह विकल्प भी दिया जाना चाहिए कि वो एल्गोरिदम सुझाने के फीचर को आसानी से बंद कर सकें.
इंटरनेट कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई
नियामक ने कहा कि दिशा निर्देशों के इस मसौदे पर 26 सितंबर तक फीडबैक दिया जा सकता है. यह कदम ऐसे समय पर आया है जब चीन अपने देश की इंटरनेट कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है. सरकार ने एकाधिकार संबंधी गतिविधियों से लेकर उपभोक्ताओं की निजता जैसे मुद्दों पर कंपनियों को निशाना बना कर उन्हें सजा दी है.
कुछ महीनों पहले चीनी उपभोक्ता एसोसिएशन ने लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग करने और लोगों को जबरन खरीदारी करने पर मजबूर करने के लिए इंटरनेट कंपनियों की आलोचना की थी. तब से सरकारी मीडिया ने इस तरह के एल्गोरिदम के नियंत्रण की कई बार मांग की है.
पूरी दुनिया में इंटरनेट कंपनियां यूजरों की पसंद पहचानने और उन्हें सुझाव देने के लिए एल्गोरिदम का इस्तेमाल करती हैं. चीन में इस तरह की कंपनियों में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा, टैक्सी एग्रीगेटर दीदी और टिकटॉक की मालिकाना कंपनी बाइटडांस शामिल हैं.
चीन में टेक नियामन
इस कदम से चीन की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा. हांग कांग में अलीबाबा समूह के शेयरों में 5.2 प्रतिशत तक की गिरावट आई. कंपनी ने तुरंत इस पर कोई टिप्पणी नहीं की. बीजिंग स्थित कंसल्टेंसी कंपनी ट्रिवियम चाइना में टेक पॉलिसी रिसर्च के मुखिया केंड्रा शैफर कहते हैं, "जहां तक मेरा सोचना है, यह नीति यह दिखाती है कि चीन में टेक नियामन उस स्तर पर नहीं है जिस पर यूरोपीय संघ के डाटा नियम हैं, बल्कि उनसे आगे निकल गया है."
चीन ने हाल ही में एक डाटा सुरक्षा कानून भी पास किया था जो एक सितंबर से लागू होगा. सरकार के मुताबिक इसका उद्देश्य साइबरस्पेस में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों के अधिकारों की सुरक्षा करना और तेजी से बढ़ते देश के इंटरनेट उद्योग पर लगाम लगाना है.
सीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
दशकों से हमने ग्रहों और चंद्रमाओं की टोह लेने के लिए सैटेलाइट और अंतरिक्ष यान रवाना किए हैं. कुछ तो इतना दूर निकल जाते हैं कि उनसे सौरमंडल ही छूट चुका होता है. लेकिन ये मिशन आखिर किसलिए?
डॉयचे वेले पर जुल्फिकार अबानी की रिपोर्ट
फ्लाईबाई -यानी अंतरिक्ष में किसी ग्रह का चक्कर लगाना. वैसे तो ये कोई नयी बात नहीं है. लेकिन एक दिन के अंतराल में एक ही ग्रह की दो फ्लाईबाई? ये तो खास है. अंतरिक्ष में पहली बार, अगस्त में दो यान शुक्र ग्रह के पास से गुजरे- बेपीकोलम्बो ने बुध का रुख किया और सोलर ऑरबिटर, सूरज के सफर पर है.
फ्लाईबाई न करें तो अपने लक्ष्य तक पहुंचना उनके लिए मुमकिन नहीं, ग्रैविटी भी मददगार होती है. लेकिन अफसोस, दोनों एक-दूसरे की फोटो नहीं उतार पाए. वे थे भी तो पांच लाख 75 हजार किलोमीटर दूर!
अंतरिक्ष यान की मदद करता है गुरुत्व
बेपीकोलम्बो अंतरिक्षयान शुक्र के पास से इसलिए गुजरा कि अपनी रफ्तार को धीमी करने में उससे मदद मिल सके. उसे अपनी "कक्षीय ऊर्जा” का बुध की कक्षीय ऊर्जा से मिलान कराना होता है. तभी वो बुध की कक्षा में दाखिल हो पाएगा.
बेपी चला था, धरती की कक्षीय ऊर्जा लेकर, जो काफी ज्यादा होती है. लेकिन अब उसे इतनी तेजी नहीं चाहिए. सीधी सी बात ये कि अपनी ऊर्जा वो शुक्र को दे रहा है और ग्रैविटी यानी गुरुत्व से उसे मदद मिल रही है- गुलेल जैसा खिंचाव और बदला हुआ रास्ता.
शुक्र पर शीत युद्ध
शीत युद्ध का दौर था जब अंतरिक्ष यात्रा की होड़ शुरू हुई थी. सबसे पहले सोवियत संघ ने 1961 में शुक्र ग्रह के पास अंतरिक्ष यान उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहा. उसे चुभा तो होगा लेकिन एक साल बाद ही अमेरिका अपना अंतरिक्ष यान, मैरीनर 2 भेजने में सफल रहा.
सोवियत संघ को अपनी पहली कामयाबी 1978 में मिली. तब तक अमेरिकियों ने बुध, मंगल और बृहस्पति की परिक्रमा कर डाली थी. लेकिन चांद पर सबसे पहले पहुंचने वाले थे- सोवियत अंतरिक्ष यात्री. यहां पर सोवियतों ने लंबा हाथ मारा.
छोर को भी छोड़ते वोयेजर
1977 में लॉन्च किए गए वोयेजर 1 और वोयेजर 2 अंतरिक्षयानों को बाहरी सौरमंडल को खंगालने के लिए भेजा गया था. दोनों धरती की समस्त ध्वनियों के गोल्डन रिकॉर्ड से लैस थेः एलियन्स को सुनाने के लिए हमारी दास्तान. दोनों यानों ने बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून का चक्कर लगाया.
वी 1 ने तो बृहस्पति पर सैकड़ों वर्षो से जमा तूफान- ग्रेट रेड स्पॉट की फोटो भी खींची थी. वी 1 और वी 2 अब हमारे सौरमंडल से बाहर तारों के बीच किसी स्पेस में मंडरा रहे होंगे. उन्हें ही कहा जाता है "सबसे दूर स्थित मानव-निर्मित वस्तुएं.”
बृहस्पति के उन्यासी चंद्रमा
लोग अक्सर इस अकेले, बोदे चंद्रमा को मोहब्बत और ताज्जुब से देखते हैं. और देखें भी क्यों ना, वो मज़ा कहां आता अगर हमारे पास बृहस्पति जैसे ढेर सारे, 79 चंद्रमा होते. वोयेजर 2 ने उनमें से एक खोज निकाला था (नेपच्युन के पांच चंद्रमा भी उसी ने खोजे थे).
और ये पता लगाने वाला वही था कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में धरती से इतर जीवन का कोई रूप मौजूद हो सकता है. हमें इसके खारे महासागरों के बारे में जानने की इच्छा होती है. अपने अंतरिक्षयान यूरोपा क्लिपर के जरिए नासा इसके बारे में और जानना चाहता है.
टूट जाना और जल उठना...गर्व से
अगर आप सोचते हैं कि 79 चंद्रमा तो बहुत हैं तो जरा 82 का सोचिए. शनि महाराज के पास इतने ही हैं. शनि और उसके चंद्रमाओं की खोज में निकला कैसिनी अंतरिक्ष यान अमेरिका और यूरोप का साझा मिशन था. उसने शनि के चंद्रमाओं के 162 चक्कर लगाए.
इनमें टाइटन और एनसिलाडस चंद्रमा भी शामिल थे जहां उसे महासागर मिले. सौरमंडल को 13 साल तक खंगालते हुए एक रोज कैसिनी ने अपनी आखिरी डुबकी शनि पर लगाई. आखिरी समय तक वो अपनी रिपोर्ट जुटाता रहा.
प्लूटो जैसे अदना ग्रह का दौरा भी
वोयेजर 1 और 2 को हमारे सौरमंडल के छोर पर साथ मिल गया, नासा के न्यू होराइजन का. ग्रैविटी का धक्का लेने के लिए बृहस्पति के पास से गुज़रते हुए, छह महीने वो अदना से ग्रह प्लूटो के आसपास मंडराता रहा था.
उसके बाद उसने कुइपर बेल्ट का रास्ता लिया जहां उसने वोयेजर 1 को कैमरे में कैद किया. अंतरिक्ष यान पायनियर 10 और पायनियर 11 ही अब तक उतना दूर जा पाए थे. ये अभियान अंतरिक्ष के भूगर्भ और जीवन से जुड़े सवालों का जवाब देने में हमारी मदद करते हैं.
कभी नहीं खत्म होता अंतरिक्ष
और भी बहुत से नामचीन फ्लाईबाई मिशन सक्रिय हैं- अंतरिक्ष यान रोजेटा ने धरती और मंगल के चक्कर लगाए थे और फिर चुरी धूमकेतु का रुख किया था. हेली धूमकेतु को बारीकी से टटोलने वाला गियोटो भी था.
नासा का डीप स्पेस 1 मिशन, और उसी का डीप इम्पैक्ट मिशन, किसी धूमकेतु से सैंपल के साथ वापसी का पहला मिशन, स्टारडस्ट... और भविष्य में और भी बहुत कुछः धरती से पहली बार सुदूर अंतरिक्ष में दुर्लभ एस्टेरॉयड जोड़े- डिडीमोस से मिलने निकलेगा यूरोप का अंतरिक्ष यान, हेरा. क्यों? बात सारी ये जानने की है कि हम इस ब्रह्मांड में हैं कौन, और कहां पर हैं यानी हमारी हैसियत क्या है. (dw.com)
इसराइली प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट के साथ मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अगर कूटनीति से ईरान के परमाणु संकट का समाधान नहीं होता है तो अमेरिका 'अन्य विकल्प अपनाने के लिए तैयार हैं.'
वॉशिंगटन में नए अमेरिकी राष्ट्रपति और नए इसराइली प्रधानमंत्री के बीच शुक्रवार को ये पहली मुलाक़ात हुई.
बेनेट ने राष्ट्रपति बाइडन के बयान की प्रशंसा की और कहा कि इसराइल कभी भी ईरान को परमाणु हथियार नहीं हासिल करने देगा.
काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाकर किए गए घातक हमले की वजह से बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात 24 घंटों के लिए टल गई थी.
बेनेट इस साल जून में ही इसराइल के प्रधानमंत्री बने हैं. उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उनके एजेंडे के शीर्ष पर रहेगा.
ईरान कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है लेकिन पश्चिमी देश मानते हैं कि ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है.
बेनेट के साथ क़रीब पचास मिनट चली बैठक के बाद बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि हम सबसे पहले कूटनीति से ईरान के परमाणु मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
परमाणु समझौते पर अंतिम फ़ैसला बाक़ी
बाइडन ने कहा कि यदि कूटनीति नाकाम हो जाती है तो हम फिर दूसरे विकल्प भी अपनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये विकल्प क्या होंगे.
ईरान ने 2015 में पश्चिमी देशों के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर समझौता किया था लेकिन साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया था.
ईरान के साथ हुए समझौते को फिर से जीवित करने के लिए वियना में वार्ता चल रही है, लेकिन कुछ महीनों से इसमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है.
ट्रंप ने अमेरिका को समझौते से अलग करते हुए ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिनके जवाब में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ कर दिया है.
हालांकि ईरान ये कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है लेकिन अब ईरान हथियार बनाने के स्तर तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि वो ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा लेंगे और फिर से समझौते में शामिल हो जाएंगे बशर्ते ईरान समझौते की शर्तों का सख़्ती से पालन करे.
लगी रहीं इसराइली मीडिया की नज़रें
इसराइल के मीडिया की नज़रें बाइडन और बेनेट की इस पहली मुलाक़ात पर टिकी रहीं. प्रधानमंत्री बेनेट को व्हाइट हाउस में दाखिल होते हुए और फिर बाहर निकलते हुए दिखाया गया.
इसराइली अख़बार हॉरेत्ज़ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि बाइडन और बेनेट के बयान दर्शाते हैं कि भले ही खिलाड़ी बदल गए हैं लेकिन खेल चलता रहेगा.
इसराइली मीडिया में ये भी ज़ोर देकर बताया गया है कि बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात तय समय से अधिक चली है जिससे पता चलता है कि ये बैठक कितनी अहम थी.
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के बीच गहरे और क़रीबी रिश्ते थे. ट्रंप के कार्यकाल में यरूशलम को इसराइली राजधानी के रूप में मान्यता मिली थी. इसे इसराइल की एक बड़ी कूटनीतिक जीत और अमेरिका से मिली बड़ी राहत के तौर पर देखा गया था.
अब बाइडन ने भी बेनेट को दोस्त कहा है, जिससे ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और भाईचारा मज़बूत बना रहेगा.
बाइडन ने ये भी कहा है कि अमेरिका इसराइल के आईरन डोम मिसाइल सिस्टम का समर्थन करता रहेगा. बाइडन ने कहा कि अमेरिका इसराइल की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.
हालांकि, दोनों के बीच मतभेद तब नज़र आए जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हम इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच शांति, सुरक्षा और सद्भावना बढ़ाने को लेकर भी चर्चा करने जा रहे हैं."
बेनेट ने अपने बयान की शुरुआत से पहले काबुल में मारे गए अमेरिकी जवानों को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि "मैं यरूशलम से सद्भावना का एक नया साहस लेकर आया हूं."
हॉरेत्ज़ के लेख के मुताबिक़ जब बाइडन ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी मध्य-पूर्व में अमेरिका की नीति निर्धारित करने के लिए शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए तो बेनेट उस समय गहरी सांस ले रहे थे.
मीडिया को दिए अपने बयान में बेनेट ने पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के सख़्त लहजे को ही दोहराया.
उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा सबसे क़रीबी दोस्त है, यरूशलम हमारी ऐतिहासिक राजधानी है और हम ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे.
इसराइल ये कहता रहा है कि वह दुश्मन देशों से घिरा एक छोटा सा देश है और इसलिए इसराइल की सैन्य शक्ति को बनाए रखना ज़रूरी है.
इसराइल को फिर मिल रहा है अमेरिकी समर्थन?
अमेरिका में इस समय डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में है. हाल के सालों में इसराइल के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कम हुआ है.
बिन्यामिन नेतन्याहू ने जब राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था तो डेमोक्रेटिक पार्टी और इसराइल के बीच दूरियां और बढ़ गई थीं.
शुक्रवार को हुई मुलाक़ात में बेनेट और बाइडन ने ये दिखाने की कोशिश भी कि वो द्विपक्षीय समर्थन को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
ईरान के लिए क्या है संदेश?
बाइडन ने ईरान के परमाणु मुद्दे पर कहा कि यदि कूटनीति फेल होती है तो अमेरिका अन्य विकल्पों पर भी विचार करेगा.
राष्ट्रपति बाइडन के इस बयान ने ही सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा है और माना जा रहा है कि उन्होंने ईरान को संदेश देने की कोशिश की है.
बेनेट ने राष्ट्रपति के स्पष्ट स्टैंड पर उनका शुक्रिया भी किया और तारीफ़ भी की.
हालांकि राष्ट्रपति ने ये स्पष्ट नहीं किया कि ये विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं लेकिन इसे ईरान के लिए एक स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
हाल के महीनों में ईरान और इसराइल के बीच तनाव बढ़ा है और दोनों ने एक दूसरे के जहाज़ों पर हमले करने के आरोप लगाए हैं.
इसराइल ने ये दर्शाने की कोशिश भी की है कि वो अपनी सुरक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेगा और ख़ुद एक्शन लेने के लिए तैयार रहेगा.
अब बाइडन और बेनेट की मुलाक़ात से ये संदेश भी दिया गया है कि अमेरिका इसराइल के साथ मज़बूती से खड़ा है. (bbc.com)
अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसने अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के सदस्यों पर हवाई हमला किया है.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि इस्लामी समूह के योजनाकर्ता को निशाना बनाया गया, जिसने गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट पर बड़े हमले को अंजाम दिया था. इन हमलों में 170 लोगों की मौत की बात कही जा रही है, जिनमें कम से कम 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं.
इन हमलों की ज़िम्मेदारी अफ़ग़ानिस्तान में आईएस के धड़े इस्लामिक स्टेट-ख़ुरासान (IS-K) ने ली थी.
अमेरिका ने कहा है कि उसने नांगाहार प्रांत में ड्रोन से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है और इसमें आईएस के जिस लक्ष्य को निशाना बनाया गया था, उसके मारे जाने की संभावना है.
बाइडन ने बदला लेने का किया था वादा
गुरुवार को धमाकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कहा था कि इस घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों को ढूंढ निकाला जाएगा.
अमेरिकी अधिकारियों ने संभावित हमलों को देखते हुए काबुल में अपने नागरिकों को नई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे एयरपोर्ट के मुख्य रास्तों से दूर रहें.
वहीं, वरिष्ठ तालिबान अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने काबुल एयरपोर्ट के अंदर पोज़िशन ले ली है और अमेरिकियों के जाते ही वो नियंत्रण संभालने को तैयार हैं.
दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि वो आख़िरी लम्हों तक अफ़ग़ान लोगों को निकालेगा और उसकी सेना के पास अब भी जगह का नियंत्रण है. (bbc.com)
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया है कि अमेरिका ने पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह के ख़िलाफ़ एक ड्रोन हमला किया है जिसमें समूह का एक सदस्य मारा गया है.
इस अभियान में नांगाहार प्रांत में इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान समूह के 'साज़िशकर्ता' को निशाना बनाया गया था.
ISIS-K का कहना है कि गुरुवार को उसने काबुल में हमले किए थे. इन हमलों में कम से कम 170 लोगों की मौत हुई है, वहीं मरने वालों में 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में भरा पड़ा है सोना और तांबा, तालिबान के राज में किसे मिलेगा ये ख़ज़ाना
अफ़ग़ानिस्तान के वीगर मुसलमान, जिन्हें तालिबान ही नहीं चीन का भी डर
अमेरिका का कहना है कि 'शुरुआती संकेत' बताते हैं कि इस हमले में आईएस के जिस सदस्य को निशाना बनाया गया था वो मारा गया है और किसी आम नागरिक की मौत नहीं हुई है.
इस महीने राजधानी काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला जाना जारी है.
बीते दो हफ़्तों में 1,00,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है. मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के सुरक्षाबलों के चले जाने की डेडलाइन पूरी हो रही है.
IS-K या इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान प्रांत ने हमले की ज़िम्मेदारी ली थी जो कि इस्लामिक स्टेट समूह की एक ब्रांच है. अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद जिहादी उग्रवादी समूहों में ये सबसे हिंसक माना जाता है.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ के बीच यह धमाका हुआ था.
अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की उम्मीद में इकट्ठा दर्जनों लोग इसमें मारे गए. अमेरिकी सैनिकों के अलावा ब्रिटेन के दो नागरिक और एक ब्रितानी नागरिक का बच्चा भी इस हमले में मारा गया.
बाइडन ने शुक्रवार को इस हमले के साज़िशकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा था, "हम माफ़ नहीं करेंगे, हम नहीं भूलेंगे. हम ढूंढ निकालेंगे और नतीजा भुगतना होगा."
5,000 अमेरिकी सुरक्षाबल तैनात
काबुल एयरपोर्ट पर तक़रीबन 5,000 अमेरिकी सुरक्षाबल तैनात हैं जो कि देश छोड़ रहे अफ़ग़ान लोगों की मदद में लगे हुए हैं.
एक सैन्य अधिकारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से कहा, "अगले 48 घंटों में अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए हम हर विदेशी नागरिक को एक रास्ता मुहैया करा रहे हैं."
तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने एयरपोर्ट के हिस्सों का नियंत्रण ले लिया है लेकिन अमेरिका ने कहा है कि उसके सुरक्षाबलों ने अब भी नियंत्रण ले रखा है.
काबुल में मौजूद बीबीसी की मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवादददाता लिज़ डूसे सूत्रों के हवाले से बताती हैं कि अमेरिका और ब्रिटिश सैनिक एयरपोर्ट पर अपना अभियान 'समेट रहे हैं' और तालिबान 'कुछ घंटों के बाद' नियंत्रण ले लेगा.
अधिकतर नेटो देशों ने अपनी आपातकालीन उड़ानों को समाप्त कर दिया है. फ्रांस ने शुक्रवार को ही अपना निकासी अभियान समाप्त कर दिया था. उनका आरोप था कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है.
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, फ़्रांस के अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि सुरक्षा में कमी 'अमेरिकी बलों के तेज़ी से पीछे हटने के कारण हुई है.'
गुरुवार को हुए धमाके के बाद अफ़ग़ानिस्तान में यह अमेरिका का पहला ड्रोन हमला है.
सेंट्रल कमांड के कैप्टन बिल अर्बन ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के नांगाहार प्रांत में एक मानव रहित हवाई हमला किया गया. शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि हमने अपने लक्ष्य को मार दिया है. हमें पता चला है कि आम नागरिकों को कोई नुक़सान नहीं हुआ है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि ये हमला आईएस के एक सदस्य को निशाना बनाकर किया गया था.
उन्होंने बताया कि इस हमले को मध्य पूर्व से रीपर ड्रोन से अंजाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक अन्य आईएस सदस्य के साथ वो सदस्य एक कार में था जब उसे निशाना बनाया गया और इस हमले मे दोनों लोग मारे गए हैं.
ऐसा माना जाता है कि IS-K के हज़ारों लड़ाके नांगाहार प्रांत में छिपे हुए हैं. यह प्रांत काबुल के पूर्व में है.
अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिकी नागरिकों को नई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि संभावित हमलों के मद्देनज़र वे एयरपोर्ट के दरवाज़ों से दूर रहें.
'हमारे जवान अब भी ख़तरे में हैं'
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने शुक्रवार की दोपहर कहा था कि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि 'काबुल में एक और आतंकी हमला हो सकता है. ख़तरा जारी है और हमारे जवान अभी भी ख़तरे में हैं.'
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका का मानना है कि एयरपोर्ट के ऊपर अब भी 'विश्वसनीय' ख़तरा बना हुआ है.
उन्होंने कहा, "हम निश्चित रूप से तैयार हैं और भविष्य में किसी भी तरह की कोशिश की उम्मीद रखते हैं."
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि तालिबान लड़ाके राइफ़लों के साथ एयरपोर्ट के बाहर हैं और वो एयरपोर्ट के दरवाज़े पर भीड़ को जाने से रोक रहे हैं, चेक पॉइंट्स पर ट्रक और बख़्तरबंद गाड़ियों के साथ भी वे तैनात हैं.
व्हाइट हाउस अधिकारियों ने कहा है कि बीते 24 घंटों में उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से 12,500 लोगों को निकाला है.
एयरपोर्ट के बाहर बसों में और बाहर लोग अपने बैग के साथ खड़े हैं, इनकी संख्या सैकड़ों में है जबकि एक दिन पहले यहाँ हज़ारों की तादाद में लोग थे. अभी भी लाखों लोग देश छोड़ना चाहते हैं लेकिन शुक्रवार को एयरपोर्ट गेट पर कुछ ही लोग पहुंच पाए थे.
बाइडन की रेटिंग में आ रही गिरावट
शुक्रवार को अमेरिकी सेना के मेजर जनरल विलियम टेलर ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए धमाके पर कहा था कि 'हमें नहीं लगता है कि दूसरा धमाका हुआ था या बेरन होटल के पास कोई धमाका हुआ था. केवल एक आत्मघाती हमलावर था.'
बम धमाके के बाद शुक्रवार को स्वास्थ्य अधिकारियों ने मरने वालों का आँकड़ा बढ़ा दिया था. इसके बाद कुल मौतों का आंकड़ा 170 हो गया जबकि कम से कम 200 लोग घायल हुए हैं. अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि मारे गए कुछ लोगों में अफ़ग़ान-अमेरिकी लोग भी शामिल हैं.
अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से इस तरह से निकलने के बाद राष्ट्रपति बाइडन की अप्रूवल रेटिंग में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. गुरुवार को हुए धमाके के बाद उन्हें राजनीतिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि, यह अभी तक साफ़ नहीं है कि भविष्य में इससे उनके राष्ट्रपति कार्यकाल को नुक़सान पहुंचेगा या नहीं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 27 अगस्त | इस्लामिक स्टेट-खुरासान ने भले ही गुरुवार को काबुल में हुए आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी ली हो, जिसमें कम से कम 90 लोग मारे गए थे, लेकिन तालिबान गुट का काबुल में पिछले कई दिनों से आंशिक रूप से नियंत्रण है और इस लिहाज से हक्कानी नेटवर्क की भी जांच होनी चाहिए। जर्नल फॉरेन पॉलिसी में सज्जन एम. गोहेल ने हक्कानी नेटवर्क पर संदेह जताते हुए यह बात कही है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर) होने के अलावा, गोहेल लंदन स्थित एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक भी हैं।
उन्होंने लिखा है कि कुल मिलाकर हमले से हक्कानी नेटवर्क को रणनीतिक रूप से लाभ हुआ है, क्योंकि यह संभवत: विदेशी प्रस्थान को गति देगा और आगे निकासी की संभावना को रोक देगा।
उन्होंने आगे कहा, "इस्लामिक स्टेट-खुरासान के हक्कानी नेटवर्क के साथ-साथ पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों की अस्पष्ट प्रकृति कई आतंकवादी संगठनों के बीच मौन सहयोग की एक जटिल व्यवस्था प्रस्तुत करती है।"
लेख में कहा गया है, "पाकिस्तानी सेना और खुफिया समुदाय के साथ इसके गहन संबंध हैं। इसका अफगान और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए तालिबान को मान्यता देने और वैध बनाने के लिए उत्सुक है।"
गोहेल ने कहा कि यह अक्सर कहा जाता है कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान और तालिबान के बीच एक स्पष्ट विभाजन है, लेकिन अफगानिस्तान में आतंकवाद और राजनीति की कठोर वास्तविकता यह है कि स्थिति कभी भी श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) नहीं होती है।
साथ में शपथ ग्रहण करने वाले शत्रु एक दिन आपस में लड़ सकते हैं और दूसरे दिन आपसी लाभ के लिए सहयोग भी कर सकते हैं। ये समूह आपस में जुड़े हुए हैं और परस्पर जुड़े हुए हैं। उनके रहन-सहन और विवाह संबंध यह सुनिश्चित करते हैं कि वैचारिक अलगाव स्थायी न बने।
हक्कानी नेटवर्क ने पाकिस्तान की शक्तिशाली लेकिन कुख्यात इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किए हैं, जिसने उसे हथियार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की है।
आईएसआई ने क्वेटा शूरा गुट सहित, अब अफगानिस्तान में लौट आए अधिकांश तालिबान नेतृत्व को भी आश्रय प्रदान किया है। गोहेल ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से हक्कानी के सक्षम होने का प्राथमिक कारण यह था कि उसे पाकिस्तान के भीतर सुरक्षित पनाहगाहों से लाभ हुआ है, जिससे उनके लड़ाकों को सीमा पार से हमले शुरू करने और आवश्यकता पड़ने पर वापस आने की क्षमता मिली है।
गोहेल ने कहा कि वास्तव में, इस्लामिक स्टेट-खुरासान और हक्कानी के बीच एक सामरिक और रणनीतिक अभिसरण रहा है।
हक्कानी नेटवर्क एक परिवार-कबीले के उद्यम की तरह है और इसमें विवाह के माध्यम से भाई-बहन, चचेरे भाई और अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
गोहेल ने कहा कि जो भी गुट निकासी सुरक्षा का प्रभारी था, उससे पूछा जाना चाहिए कि परिधि को ठीक से नियंत्रित क्यों नहीं किया गया था और तालिबान की चौकियों ने कई अफगानों को हवाई अड्डे तक पहुंचने से क्यों रोक दिया था, फिर भी हमलावरों को रोकने में विफल रहे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अगस्त | काबुल एयरपोर्ट में हमला हुआ, लेकिन कौन है जिम्मेदार.. ? अल जजीरा के अनुसार, बम विस्फोटों में मारे गए लोगों में 28 तालिबान सदस्यों सहित 70 से अधिक अफगान शामिल थे।
एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया, "काबुल विस्फोटों के साथ, उनके (बाइडेन) हाथ में एक कठिन काम होगा (स्थिति को स्थिर करने में), खासकर जब उनके लोगों से उम्मीदें अधिक थीं (पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराने के बाद)। अफगानिस्तान की हार से पता चलता है कि ना तो उनके पास अपने घरेलू मोर्चे हैं और ना ही वैश्विक समुदाय को खुश रखने में कामयाब रहे।"
नई दिल्ली, जो अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रही थी, हाल की घटनाओं के मद्देनजर अपनी वाशिंगटन नीति को 'धीरे-धीरे फिर से शुरू' कर सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भयानक हमलों के बाद एक प्रेस वार्ता में आतंकवादियों से बदला लेने का वादा किया। उन्होंने बम विस्फोटों के बाद व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, "मैं अपने हितों और अपने लोगों की हर उपाय के साथ रक्षा करूंगा।"
विश्लेषक ने कहा, "हालांकि इस पर अमेरिकी शायद उनके शब्दों पर भरोसा करने को भी तैयार नहीं हैं।"
अफगानिस्तान से बाहर निकलने का फैसला करने वाले बाइडेन को अमेरिकियों का पूरा समर्थन प्राप्त था, लेकिन 'उस फैसले का असफल होना क्षमा ना करने योग्य है।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में राजनीति और पत्रकारिता पढ़ाने वाले स्टीवन रॉबर्ट्स ने ब्रूकिंग्स द्वारा प्रकाशित एक लेख में लिखा, "अब समय आ गया है कि बाइडेन ईमानदार हो जाएं। वह हमारे सैनिकों, हमारे सहयोगियों और अमेरिकी लोगों के लिए ऋणी हैं।"
इस बीच ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने कहा कि दुनिया भर में सुरक्षा के गारंटर के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता और विश्वसनीयता को लेकर चिंता है।
ओआरएफ पेपर में कहा गया है, "बाहरी प्रतिबद्धताओं पर अमेरिकी विश्वसनीयता को एक दिए गए रूप में लेना मूर्खता होगी। यूरोप और नाटो के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धताओं के बारे में कम संदेह है, लेकिन इंडो-पैसिफिक में ढीली व्यवस्था कई सवाल खड़े करती है।" (आईएएनएस)
काबुल एयरपोर्ट के नज़दीक़ गुरुवार को दो बम धमाकों के बाद बीती रात से डॉक्टर और नर्सें 150 घायल लोगों के इलाज में लगेहुए हैं.
तालिबान के नियंत्रण के बाद अस्पतालों में स्टाफ़ की कमी है और वहां पर मरीज़ों की भीड़ लगी हुई है.
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल चैरिटी संस्था ‘इमर्जेंसी’, दकाबुल सर्जिकल सेंटर चलाती है. उसका कहना है कि उनके यहां दो घंटे के अंदर 60 घायल पहुंचे थे जिनमें से 16 की वहां आते ही मौत हो गई थी.
संस्था की अध्यक्ष रॉसेला मिचियो जो कि अफ़ग़ानिस्तान में नहीं हैं. उनका कहना है कि जो स्टाफ़ अपनी शिफ़्ट ख़त्म करके चले गए थे वो तुरंत मदद के लिए वहां पहुंचे.
बीबीसी के टुडे प्रोग्राम से उन्होंने कहा, “पूरी रात अस्पताल के तीन ऑपरेशन थिएटर में काम जारी रहा. अंतिम मरीज़ का ऑपरेशन सुबह 4 बजे किया गया था.”
उन्होंने बताया कि कुछ मरीज़ आईसीयू में हैं तो ‘स्थिति अभी भी कुछ गंभीर बनी हुई है.’
अस्पताल के मेडिकल कॉर्डिनेटर ने ट्विटर पर अपनी पोस्ट में लिखा है कि मरीज़ ‘डरे हुए हैं, उनकी आंखें एकदम सूनी हो चुकी हैं. हमने बहुत कम ही ऐसी स्थिति देखी है.’ (bbc.com)
25 अगस्त 1989 को सुबह क़रीब 7:30 बजे गिलगित से इस्लामाबाद जा रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की फ़्लाइट नंबर 404 में यात्रियों और चालक दल के सदस्यों सहित कुल 54 लोग सवार थे. इनमे पांच दुधमुंहे बच्चे भी शामिल थे.
इस फ़्लाइट को गिलगित से रवाना हुए 32 साल बीत चुके हैं, लेकिन यह अभी तक लापता है.
पाकिस्तान के अधिकारियों के अनुरोध पर, भारतीय वायु सेना ने भी अपने क्षेत्र में विमान के मलबे को खोजने के लिए एक अभियान चलाया था. (bbc.com)
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस का कहना है कि लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने वाला ब्रितानी मिशन अगले चंद घंटों में पूरा हो जाएगा.
वॉलेस ने स्काई न्यूज़ से बात करते हुए कहा- "दुखी करने वाली बात ये है कि हर एक को हम बाहर नहीं निकाल पाएंगे."
ब्रिटेन की ओर से अब किसी को एयरपोर्ट पर बुलाया नहीं जाएगा.
उन्होंने बताया कि "ब्रिटेन ने काबुल एयरपोर्ट के पास स्थित बैरन होटल बंद कर दिया है.’’
ब्रिटेन जाने वाले लोगों को यहीं रोका जा रहा था. पश्चिमी देशों की सेना अब काबुल छोड़ने के करीब है और ऐसे में "एयरपोर्ट पर हमलों का ख़तरा और बढ़ गया है.’’
वह कहते हैं,“जैसे ही हम लोग देश छोड़ेंगे कुछ ग्रुप जैसे इस्लामिक स्टेट ये दावा करेंगे कि अमेरिका और ब्रिटेन को बाहर निकालने में उनकी भूमिका थी. आने वाले वक्त में ये नैरेटिव होगा.”
अफ़ग़ानिस्तान में पश्चिमी देशों की भूमिका को इतिहास कैसे याद करेगा? इस सवाल के जवाब में वॉलेस कहते हैं-“जैसे अफ़ग़ानिस्तान की परेशानी दूर की गई वैसी कभी ना की जाए. पश्चिमी देश को लगता है कि वह कुछ चीज़ें करेगा और सबकुछ ठीक हो जाएगा.”
‘’अफ़ग़ानिस्तान में जिस तरह से परेशानी दूर करने की कोशिश की गई वैसी कोशिश नहीं होनी चाहिए- हज़ारों सालों से चली आ रही जनजातीयलड़ाई, युद्धजिसका आप प्रबंधन करते हैं.”
“आप राष्ट्र निर्माण में शामिल होनाचाहते हैं या किसी राष्ट्र का समर्थन करना चाहते हैं, तो एक अंतरराष्ट्रीय निकाय के रूप में आपने काफी अच्छा काम भी किया है. लेकिन आपको वहां लंबे वक़्त तक ठहरना होगा.’’ (bbc.com)
डेनमार्क में रहने वाली अफगानिस्तान की पूर्व फुटबॉलर अपनी टीम की लड़कियों को देश से निकालने की कोशिशों में जुटी हैं. वह किसी भी तरह ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को बचा लेना चाहती हैं.
खालिदा पोपल कई रातों से सोई नहीं हैं. डेनमार्क में रहने वालीं अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान पोपल दिन रात बस एक ही काम कर रही हैं. अपनी टीम की खिलाड़ियों को अफगानिस्तान से निकालने की कोशिश.
34 साल की पोपल 10 साल पहले एक शरणार्थी के तौर पर डेनमार्क आई थीं. वह बताती हैं, "हमने 75 लोगों को अफगानिस्तान से निकाल लिया है, जिसमें खिलाड़ियों के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं.” ये 75 लोग ऑस्ट्रेलिया गए हैं.
नाउम्मीद हैं खिलाड़ी
डेनमार्क की फर्स्ट डिविजन टीम एफसी नोर्डशाएलांड में कोऑर्डिनेटर की नौकरी कर रहीं पोपल कहती हैं कि कि अभी उनकी मुहिम खत्म नहीं हुई है और वह और खिलाड़ियों को देश से सुरक्षित निकालना चाहती हैं.
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, पोपल का फोन लगातार घनघना रहा है. पेशेवर खिलाड़ियों की यूनियन एफआईएफपीआरओ व अन्य संगठनो के साथ मिलकर वह मदद पहुंचा भी रही हैं. उनके फोन पर दर्जनों वॉइसमेल हैं, जिनमें मदद की गुहार सुनी जा सकती है.
अफगानिस्तान की बिखर चुकी फुटबॉल टीम की मैनेजर के तौर पर वही हैं, जो सदमे और डर में जी रहीं खिलाड़ियों की पुकार सुन और समझ सकती हैं. कुछ को धमकियां मिली हैं तो कइयों को पीटा भी जा चुका है. पोपल कहती हैं, "अपनी टीम के साथ मिलकर मुझे इस काम के लिए आगे आना ही पड़ा. वे खिलाड़ी रो रही थीं. नाउम्मीदी में वे मदद मांग रही थीं.”
सुरक्षा कारणों से पोपल यह नहीं बतातीं कि कितनी खिलाड़ी अफगानिस्तान में कहां कहां हैं जिन्हें मदद की जरूरत है. फुटबॉल उनके लिए दीवानगी का सबब है लेकिन इसे वह अफगान महिलाओं को मजबूत करने का एक जरिया भी मानती हैं. बतौर फुटबॉल खिलाड़ी उन्होंने जो कुछ भी सीखा है, टीम भावना, जज्बा, हिम्मत ना हारना और आखरी पल तक कोशिश करना, ये सारे गुण पिछले कुछ दिन में उनके काम आए हैं.
देश गया, टीम गई
अफगानिस्तान में अपना बचपन याद करते हुए वह कहती हैं कि उन्हें एक बार तालिबान चुराकर ले गए थे. वह बताती हैं, "मैं स्कूल नहीं जा सकती थी. मैं किसी गतिविधि में हिस्सी नहीं ले सकती है. फुटबॉल के जरिए हम बदला लेना चाहते थे. हम कहते थे कि तालिबान हमारा दुश्मन है और फुटबॉल के जरिए हम बदला लेंगी.”
करीब 15 साल पहले अफगानिस्तान में पहली बार महिला फुटबॉल टीम बनाई गई थी. तब से टीम ने जोरदार तरक्की की है. लेकिन काबुल के तालिबान के कब्जे में चले जाने के बाद यह सब रातोरात गायब हो गया है.
पोपल कहती हैं, "हमारे पास तीन से चार हजार लड़िकया थीं जिन्होंने अलग-अलग स्तरों पर फुटबॉल फेडरेशन में रजिस्ट्रेशन कराया था. हमारे पास रेफरी, कोच और महिला कोच सब थे.”
पोपल बताती हैं कि काबुल के साथ सब चला गया है. भर्रायी हुई आवाज में वह कहती हैं कि खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में है. वह कहती हैं, "हो सकता है वे फुटबॉल खेलें, लेकिन वे अब अफगानिस्तान के लिए फुटबॉल नहीं खेल पाएंगी. क्योंकि उनके पास कोई देश नहीं होगा, और राष्ट्रीय टीम भी नहीं होगी.”
पोपल को डर है कि अमेरिकी फौजों के देश से चले जाने के साथ ही अफगानिस्तान को भुला दिया जाएगा. वह कहती हैं कि तालिबान ने देश का वो झंडा बदल दिया है, जिसके तले टीम खेलती थी. वह कहती हैं, "हमसे हमारा गर्व छीन लिया गया है.”
वीके/सीके (एएफपी)
काबुल में गुरुवार को एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती बम हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत कम से कम 60 लोग मारे गए हैं.
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट पर हमला किया, जहां से दसियों हजार लोग अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश में जमा थे. काबुल के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक 60 आम नागरिकों की जान गई है.
अफगान पत्रकारों द्वारा साझा किए गए वीडियो में नहर किनारे दर्जनों शवों को देखा जा सकता है. एक चश्मदीद के मुताबिक कम से कम दो धमाके हुए. इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उसके आत्मघाती हमलावरों ने ‘अमेरिकी सेना के साथ रहे अनुवादकों और साझीदारों' को निशाना बनाया.
पहले से आशंका थी
इस्लामिक स्टेट द्वारा काबुल में हमले की आशंका एक दिन पहले से जताई जा रही थी. इस कारण कई देशों ने चेतावनी भी जारी की थी और अपने नागरिकों से कहा था कि वे एयरपोर्ट के आसपास न जाएं.
बुधवार को अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने चेतावनी जारी कर कहा था कि एयरपोर्ट के करीब न जाएं और अगर वहां हैं तो फौरन उस इलाके को छोड़ दें. न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक उच्च पदस्थ अधिकारी के हवाले से लिखा था कि अमेरिका के पास बहुत सटीक और विश्वसनीय जानकारी है कि आईएसआईएस-के काबुल एयरपोर्ट पर हमला कर सकता है.
हमले के बाद सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकिंजी ने कहा कि अमेरिकी सैनिक ऐसे और हमलों के लिए भी तैयार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि रॉकेट या वाहन-बम आदि के जरिए एयरपोर्ट को निशाना बनाया जा सकता है. जनरल मैंकिजी ने कहा, "तैयारी के लिए जो संभव है, हम कर रहे हैं.”
अमेरिका का बड़ा नुकसान
हमले में अब तक 13 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. 2011 के बाद एक ही घटना में मारे गए अमेरिकी सैनिकों की यह सबसे अधिक संख्या है. इससे पहले अगस्त 2011 में तालिबान ने एक हेलिकॉप्टर को गिरा दिया था जिसमें 30 सैनिक मारे गए थे.
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय को आईएसआईएस-के आतंकी संगठन पर हमले की योजना बनाने का आदेश दे दिया गया है.
व्हाइट हाउस से एक टीवी संबोधन में बाइडेन ने कहा, "हम माफ नहीं करेंगे. हम भूलेंगे नहीं. हम तुम्हें खोजकर मारेंगे. तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी."
अफगानिस्तान में 18 महीनों में पहली बार किसी अमेरिकी सैनिक की जान गई है.
तालिबान ने की निंदा
काबुल के धमाकों की अफगानिस्तान पर हाल ही में नियंत्रण करने वाले तालिबान ने भी निंदा की है. एक तालिबान प्रवक्ता ने इस हमले को "शैतानी लोगों" का किया-धरा बताया और कहा कि पश्चिमी सेनाओं के जाने के बाद ऐसी ताकतों को कुचल दिया जाएगा.
इस्लामिक स्टेट तालिबान के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है, जो अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का वादा करके सत्ता पर काबिज हुए हैं. पश्चिमी देशों को आशंका है कि ओसामा बिन लादेन के संगठन अल कायदा को पनाह देने वाला तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान को उग्रवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना सकता है. तालिबान का कहना है कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.
इस्लामिक स्टेट का समर्थन करने वाले लड़ाके 2014 से ही पूर्वी अफगानिस्तान में नजर आने लगे थे और अपनी क्रूरता के लिए चर्चित हो चुके हैं. उन्होंने कई नागरिक और सरकारी ठिकानों पर आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी ली है.
लोगों को निकालने में मुश्किल
एयरपोर्ट पर हुए धमाके ने लोगों को निकालने के काम को प्रभावित किया है. जनरल फ्रैंक मैकिंजी ने कहा है कि वह लोगों को निकालने पर ध्यान देंगे. उनके मुताबिक अफगानिस्तान में अब भी एक हजार से ज्यादा अमेरिकी नागरिक मौजूद हैं.
कई देशों ने अब लोगों की निकासी का काम बंद कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने कहा कि अब लोगों को निकालने का काम बंद किया जा रहा है क्योंकि उनके सैनिकों के लिए वहां होना खतरनाक है और वह किसी ऑस्ट्रेलियाई नागरिक की जान खतरे में नहीं डालना चाहते.
अमेरिका के सहयोगी देशों द्वारा लोगों को निकालने का काम बंद करने का अर्थ है कि दसियों हजार ऐसे लोग अफगानिस्तान में ही छूट जाएंगे जो तालिबान के डर से देश छोड़ना चाहते थे. पिछले 12 दिन में अफगानिस्तान से लगभग एक लाख लोगों को निकाला गया है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
भूमि अधिकार से जुड़े खास फैसले से पहले हजारों आदिवासियों ने ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया की सड़कों पर प्रदर्शन किया. खदान मालिक और बड़े कृषि-व्यापारी चाहते हैं कि आदिवासियों का जमीन पर संवैधानिक संरक्षण खत्म किया जाए.
डॉयचे वेले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
भूमि अधिकार से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले से पहले कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए कई हजार आदिवासी ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया की सड़कों पर उतर आए. ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई चल रही है, जिसमें आदिवासियों के उनकी जमीनों पर अधिकार खत्म होने का डर है. करीब 170 अलग-अलग आदिवासी समूह इस सुनवाई के खिलाफ साथ आए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के प्रशासन पर हर तरह से उत्पीड़न करने का आरोप भी लगाया.
विरोध प्रदर्शन में करीब 6 हजार लोग अपने धनुष और तीर के साथ शामिल हुए. उन्होंने पारंपरिक पोशाकें और मुकुट पहन रखे थे. इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन बता रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
यह मामला आदिवासियों की जमीन के संवैधानिक संरक्षण का है. कृषि-व्यापारियों ने तर्क दिया है कि सिर्फ उन आदिवासियों को संवैधानिक संरक्षण मिलना चाहिए, जो यह साबित कर सकें कि वे उस इलाके में 1988 में रह रहे थे. इसी साल ब्राजील के संविधान को स्वीकार किया गया था. यह एक कानूनी तर्क है, जिसे 'मार्को टेम्पोरल' कहते हैं.
इस तर्क का विरोध करने वाले आदिवासियों ने प्रदर्शन के दौरान जो बैनर थाम रखा था, उस पर लिख था, 'मार्को टेम्पोरल नो'. आदिवासी समूहों का तर्क है कि संविधान में ऐसी किसी तारीख को निर्धारित नहीं किया गया है और आदिवासियों को कई बार अपनी पुश्तैनी जमीनों से बेदखल भी किया गया है, जिससे यह तर्क सही नहीं ठहरता.
आदिवासी या खेतिहर?
सांता कैटरीना की सरकार ने इबिरामा-ला क्लानो के आदिवासी इलाकों को खाली कराने के लिए नोटिस जारी कर दिया है. इन इलाकों में झोकलेंग आदिवासियों के अलावा गुआरानी और काईनगांग आदिवासी समुदाय के लोग भी रहते हैं. इस मामले में निचली अदालत की ओर से आदिवासियों के अधिकारों के खिलाफ फैसला दिया जा चुका है. ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी यह कहते रहे हैं कि संख्या में बहुत कम आदिवासी, बहुत ज्यादा जमीन पर रह रहे हैं और खेती के प्रसार को रोक रहे हैं.
झोकलेंग समुदाय के लोगों को उनके शिकार के इलाकों से एक शताब्दी पहले यूरोपीय लोगों को बसाने के लिए निकाल दिया गया था. इनमें से ज्यादातर जर्मन थे, जो अपने देश में आर्थिक और राजनीतिक उठा-पटक के चलते निर्वासित होकर यहां पहुंचे थे. अगर इस मामले में झोकलेंग लोगों की जीत होती है तो 830 किसानों को उनके छोटे जोत से बेदखल होना पड़ेगा, जहां उनके परिवार दशकों से रहते आ रहे हैं.
बोल्सोनारो की धमकी
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जो मामला है, वह दक्षिणी राज्य सांता कैटरीना के एक आरक्षण मामले से जुड़ा है लेकिन इस मामले में कोर्ट जो फैसला करेगा, उसका असर ऐसे ही 230 अन्य लंबित मामलों पर भी पड़ेगा, जिनके चलते फिलहाल अमेजन वर्षावन कटने से बचे हुए हैं.
बोल्सोनारो ने इसी हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट साल 1988 को संरक्षण का आधार मानने के खिलाफ फैसला देता है तो 'अफरा-तफरी' मच जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा होता है तो तुरंत ही हमारे सामने ऐसे सैकड़ों और नए इलाकों के मामले आ जाएंगे, जो इस तरह का सीमांकन चाहते होंगे.
कितनी खास है जमीन?
व्यापारिक समूह इन जमीनों का इस्तेमाल खदानों और औद्योगिक खेती के लिए करना चाहते हैं. राष्ट्रपति बोल्सोनारो लंबे समय से अमेजन इलाके के आर्थिक उपयोग की बात कहते आ रहे हैं. 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि उनके शासन के दौरान इस इलाके की एक इंच जमीन भी संरक्षित नहीं रहेगी.
पूर्वोत्तर राज्य बहिया के पटाक्सो आदिवासी समूह के 32 साल के प्रमुख स्यराटा पटाक्सो ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि सरकार आदिवासी लोगों को निशाना बना रही है. उन्होंने कहा, "आज पूरी मानवता अमेजन वर्षावनों को संरक्षित करने की मांग कर रही है. लेकिन सरकार दुनिया के फेफड़े, हमारे वर्षावनों को सोयाबीन के खेतों और सोने की खदानों में बदल देना चाहती है."
नतीजा जो भी हो, ब्राजील के भविष्य का फैसला करने वाले मामले पर वहां के लोगों की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं. एक ओर अमेजन वर्षा वनों के संरक्षण का सवाल है तो दूसरी ओर जंगलों में सदियों से रह रहे आदिवासियों के परंपरागत तरीके से जीने के अधिकारों का. (dw.com)
दमिश्क, 27 अगस्त | सीरिया के दक्षिणी प्रांत डारा से स्थानीय हथियारबंद लोगों के एक जत्थे को रूस की मध्यस्थता से हुए एक समझौते के तहत देश के उत्तरी हिस्से में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में पहुंचाया गया, ताकि महीनों से चल रहे तनाव को कम किया जा सके। इसकी रिपोर्ट स्थानीय मीडिया ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि कुल 45 हथियारबंद लोग और उनके परिवार के कुछ सदस्य गुरुवार को उत्तरी सीरिया के लिए बसों से रवाना हुए, जब उन्होंने डारा में सीरियाई अधिकारियों के साथ सुलह करने से इनकार कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निकासी डारा में सुरक्षा बहाल करने के सौदे का हिस्सा है।
इस बीच, सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि गुरुवार को जिन सशस्त्र लोगों को निकाला गया, वे दूसरे जत्थे से थे।
इसमें कहा गया है कि सीरियाई अधिकारी चाहते हैं कि 100 हथियारबंद लोग उत्तरी सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों के लिए डारा छोड़ दें।
24 अगस्त को, डारा में हथियारबंद लोगों को निकालने की तैयारी के लिए 48 घंटे का संघर्ष विराम लागू हुआ।
रूसी सैन्य पुलिस ने निकासी की तैयारी के लिए डारा अल-बलाद इलाके में पड़ोस में प्रवेश किया।
इस वापसी के बाद, सीरियाई सरकार के संस्थान क्षेत्र से भागे हजारों लोगों की वापसी की सुविधा के प्रयासों के बीच डारा लौट आएंगे।
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने हाल ही में डारा के अल-बलाद क्षेत्र और प्रांत के आसपास के क्षेत्रों में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या 38,600 रखी है, जिसमें लगभग 15,000 महिलाएं और 20,400 से अधिक बच्चे शामिल हैं।
सीरियाई सेना ने 2018 में डारा में प्रवेश किया था, जब विद्रोहियों को इदलिब के उत्तर-पश्चिमी प्रांत में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में विस्थापित कर दिया गया था।
हालांकि, डारा में तनाव जारी है और कभी-कभार हमले हो रहे हैं। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 27 अगस्त| पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए और तीन अन्य घायल हो गए। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता लियाकत शाहवानी ने मीडिया को बताया कि यह घटना गुरुवार को जियारत जिले के मांगी बांध इलाके में हुई जब अर्धसैनिक पाकिस्तान लेवीज बल का एक वाहन ने बारूदी सुरंग की चपेट में आ गया।
सुरक्षाबल नियमित गश्त पर थे।
विस्फोट के बाद, बचाव दल, पुलिस और सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंचे और शवों और घायलों को पास के अस्पताल में पहुंचाया।
पुलिस और सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
अभी तक किसी भी समूह या व्यक्ति ने हमले का दावा नहीं किया है। (आईएएनएस)
वॉशिंगटन, 27 अगस्त| अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वह काबुल हवाई अड्डे पर हुए दोहरे बम विस्फोटों का बदला लेंगे, जिसमें 13 अमेरिकी सेवा सदस्य सहित कम से कम 103 लोग मारे गए हैं। यूएस सेंट्रल कमांड के पब्लिक अफेयर्स ऑफिसर बिल अर्बन के नवीनतम अपडेट के अनुसार, हमलों में मारे गए अमेरिकी सेवा सदस्यों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है, वर्तमान में 18 और घायल सैनिकों को देश से बाहर निकालने की प्रक्रिया चल रही है।
गुरुवार को हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हुए बम विस्फोटों के बाद गुरुवार देर रात व्हाइट हाउस से टिप्पणी करते हुए बाइडेन ने कहा कि हम अपने समय में बल और सटीकता के साथ जवाब देंगे।
हवाई अड्डे पर विस्फोट के बाद बगल के बैरन होटल में एक और विस्फोट हुआ, जिसका विवरण अमेरिकी सेना द्वारा पता लगाया जा रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक वरिष्ठ अफगान स्वास्थ्य अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि विस्फोटों में कम से कम 90 अफगान नागरिक मारे गए।
अफगान लोक स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले पुष्टि की थी कि हमलों में 60 से अधिक मौतें और 140 लोग घायल हुए थे।
बाइडेन ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सैन्य कमांडरों को आईएसआईएस-के की संपत्ति, नेतृत्व और सुविधाओं पर हमला करने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि आईएस आतंकवादी नहीं जीतेंगे। हम अमेरिकियों को बचाएंगे। हम अपने अफगान सहयोगियों को बाहर निकालेंगे, और हमारा मिशन जारी रहेगा।
एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कि क्या वह हमलों के मद्देनजर अफगानिस्तान में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करेंगे, बिडेन ने कहा कि अगर सेना को अतिरिक्त बल की जरूरत है, तो मैं इसकी अनुमति दूंगा। (आईएएनएस)