अंतरराष्ट्रीय
लॉस एंजिल्स, 1 मार्च | कैलिफोर्निया की राजधानी सैक्रामेंटो में आर्डेन फेयर मॉल के पास एक चर्च में एक व्यक्ति ने गोलीबारी की, जिनमें 3 बच्चों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया कि जिस व्यक्ति ने गोलीबारी की, उसने बाद में अपनी भी जान ले ली। वह तीन बच्चों का पिता था। ये खूनखराबा शाम करीब साढ़े पांच बजे हुआ। ये हादसा सोमवार को घरेलू हिंसा की वजह से हुआ है।
सार्जेट सैक्रामेंटो काउंटी शेरिफ कार्यालय के प्रवक्ता रॉडनी ग्रासमैन ने सैक्रामेंटो बी अखबार के हवाले से कहा कि मारे गए तीन बच्चों की उम्र 15 साल से कम थी।
इस घटनास्थल पर एक वयस्क शख्स की भी मौत हुई है। ग्रासमैन ने कहा कि पीड़ित का बंदूकधारी से अभी संबंध स्पष्ट नहीं है, लेकिन सभी एक दूसरे को जानते थे।
सैक्रामेंटो सिटी काउंसिलमैन एरिक गुएरा ने एक संदेश में इस घटना को एक चर्च में बड़े पैमाने पर हताहत शूटिंग के रूप में संदर्भित किया और लोगों से क्षेत्र में सतर्क रहने का आग्रह किया। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 1 मार्च | टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने कहा कि सीईओ सत्या नडेला और उनकी पत्नी अनु नडेला के बेटे जैन नडेला का निधन हो गया है। ब्लूमबर्ग ने मंगलवार को इसकी सूचना दी। सॉफ्टवेयर निर्माता ने अपने कार्यकारी कर्मचारियों को एक ईमेल में बताया कि 26 वर्षीय जैन, जो 'सेरेब्रल पल्सी' के साथ पैदा हुआ था, उसका सोमवार सुबह निधन हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संदेश ने अधिकारियों से परिवार को अपने विचारों और प्रार्थना करने के लिए कहा।
अक्टूबर 2017 में, सीईओ ने एक ब्लॉगपोस्ट में अपने बेटे के जन्म के बारे में बात की थी।
नडेला ने कहा था, "एक रात, अपनी गर्भावस्था के छत्तीसवें सप्ताह के दौरान, अनु ने देखा कि बच्चा उतना हिल नहीं रहा था जितना वह आदी था। इसलिए हम बेलेव्यू के एक स्थानीय अस्पताल के इमरजेंसी रूम में गए।"
उन्होंने कहा, "हमने सोचा कि यह सिर्फ एक नियमित जांच होगी। वास्तव में, मुझे इमरजेंसी रूम में अनुभव किए गए प्रतीक्षा समय से नाराज महसूस करना स्पष्ट रूप से याद है। लेकिन जांच करने पर, डॉक्टर इमरजेंसी सिजेरियन सेक्शन का आदेश देने के लिए पर्याप्त चिंतित थे।"
सीईओ ने बताया कि जैन का जन्म 13 अगस्त 1996 को रात 11:29 बजे हुआ था, मगर वह रोया नहीं था।
नडेला ने कहा, "जैन को लेक वॉशिंगटन के बेलेव्यू अस्पताल से सिएटल चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसकी अत्याधुनिक नवजात गहन देखभाल इकाई थी। अनु ने मुश्किल जन्म से अपनी रिकवरी शुरू की। मैंने अस्पताल में और तुरंत उसके साथ रात बिताई। अगली सुबह जैन से मिलने गए। तब मुझे नहीं पता था कि हमारी जि़ंदगी कितनी गहराई से बदलेगी।"
उन्होंने कहा, "अगले कुछ वर्षों के दौरान, हमने यूटेरो एस्फीक्सिएशन में होने वाले नुकसान के बारे में और अधिक सीखा और कैसे जैन को व्हीलचेयर की आवश्यकता होगी और गंभीर सेरेब्रल पल्सी के कारण हम पर निर्भर रहना होगा। मैं तबाह हो गया था। लेकिन मैं अधिक दुखी था। मेरे और अनु के लिए चीजें काफी मुश्किल थीं। (आईएएनएस)
पिछले दो हफ्तों में दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक छोटे से शहर में परिवार की इज्जत की रक्षा के बहाने कम से कम एक दर्जन लोगों की उनके ही रिश्तेदारों द्वारा हत्या कर दी गई है.
पाकिस्तान में ऑनर किलिंग की ताजा घटनाएं बलूचिस्तान के डेरा मुराद जमाली इलाके में हुई हैं. स्थानीय पुलिस अधिकारी सोनहारा खान ने कहा कि सोमवार 28 फरवरी को एक 18 वर्षीय महिला की हत्या कर दी गई. खान के मुताबिक पीड़िता की उसके ससुर ने कथित तौर पर अफेयर के आरोप में हत्या कर दी.
इस बीच पुलिस ने जांच के दौरान एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया और पुलिस को बताया कि उसने इज्जत के नाम पर एक महिला और एक पुरुष की हत्या की है. आरोपी ने कहा कि उसे शक था कि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं.
पांच लाख की आबादी वाला डेरा मुराद जमाली बलूचिस्तान का एक ग्रामीण इलाका है, जहां कई सालों से ऑनर किलिंग होती आ रही है. हालांकि, हाल ही में हत्याओं में वृद्धि भी पुलिस के लिए चिंता का कारण है.
पाकिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था वीमेंस फाउंडेशन के प्रतिनिधि अलादीन खिलजी के मुताबिक, पिछले साल पाकिस्तान में 49 में से 27 ऑनर किलिंग बलूचिस्तान में हुई थीं. खिलजी ने समाचार एजेंसी डीपीए के साथ बातचीत में बलूचिस्तान में तथाकथित ऑनर किलिंग के मुख्य कारणों के रूप में पिछड़ा समाज, घटती सजा और खराब न्याय प्रणाली का हवाला दिया
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल करीब एक हजार महिलाओं और लड़कियों की उनके रिश्तेदारों द्वारा हत्या कर दी जाती है.
कंदील बलोच के हत्यारे भाई को मां ने किया माफ, कोर्ट ने रिहा किया
पिछले दिनों 2016 में मॉडल कंदील बलोच की हत्या करने वाले उनके भाई मोहम्मद वसीम को एक स्थानीय अदालत ने रिहा कर दिया था. बलोच की 2016 में गला घोंट कर हत्या कर दी गई थी. हाल के दिनों में पाकिस्तान में ऑनर किलिंग यानी इज्जत के नाम पर हत्या का यह सबसे चर्चित मामला रहा है.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
खराब अर्थव्यवस्था के कारण लेबनान में लोगों के लिए सेफ सेक्स मुश्किल हो गया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि हालात घातक और जानलेवा हो सकते हैं.
लेबनान में रहने वालीं 27 साल की लीना ने सालभर पहले गर्भनिरोधक गोलियां लेना बंद कर दिया क्योंकि वे बहुत महंगी हो गई थीं. आज वह पांच महीने की गर्भवती हैं और एक ऐसे बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रही हैं, जिसके लिए उन्होंने कोई योजना नहीं बनाई थी. इसलिए भविष्य को लेकर उनकी चिंताएं भी बढ़ गई हैं.
शादीशुदा लीना अपना असली नाम नहीं बताना चाहतीं. वह कहती हैं, "मेरे पास कोई करियर नहीं है. जीवन में स्थिरता भी नहीं है. मेरे पास कोई घर नहीं है जहां बच्चा सुरक्षित रहेगा.”
लेबनान आर्थिक संकट से गुजर रहा है. महंगाई बढ़ रही है और जरूरत की चीजें भी लोगों की पहुंच से बाहर हो रही हैं. इसका असर गर्भनिरोधकों, कंडोम और गर्भ जांच की कीमतों पर भी पड़ा है. कई युवाओं के लिए तो ये चीजें इतनी महंगी हो गई हैं कि वे इस्तेमाल ही बंद कर रहे हैं. लेकिन विशेषज्ञों को डर है कि ऐसा करने से अनचाहे गर्भ, यौन रोग और असुरक्षित गर्भपात बढ़ सकते हैं.
वायरस के कारण झेलनी पड़ सकती है कंडोम की कमी
देश के आर्थिक हालात ऐसे हैं कि लेबनान की 82 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जा चुकी है. वहां की मुद्रा लीरा की कीमत बहुत ज्यादा घटी है और हर चीज महंगी हो गई है. 2019 की शुरुआत में लीरा धड़ाम से गिरी थी. आज भारतीय मुद्रा में एक लीरा की कीमत पांच पैसे है.
2019 से पहले साल भर के लिए गर्भनिरोधक गोलियां 21,000 लीरा यानी करीब एक हजार रुपये में आ जाती थीं. आज इसके लिए लगभग दो लाख 10 हजार लीरा चाहिए, जो भारत के दस हजार रुपयों के बराबर होंगे. छह कंडोम का एक पैकेट तीन लाख लीरा में आता है, जो देश की औसत आबादी की आधे महीने की तन्ख्वाह है.
युवा सबसे ज्यादा प्रभावित
इस महंगाई ने सबसे ज्यादा प्रभावित युवाओं को किया है और उनके लिए कंडोम व गर्भनिरोधक बहुत महंगे हो चुके हैं. विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इसके परिणाम घातक हो सकते हैं. बेरूत स्थित अमेरिकन यूनिवर्सिटी में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. फैजल अल काक कहते हैं, "अनचाहे गर्भ की संभावित वृद्धि के और ज्यादा आर्थिक नुकसान होंगे. मांओं के स्वास्थ्य में परेशानियां और यहां तक कि मृत्यु भी बढ़ेंगी. और बेशक, असुरक्षित गर्भपात भी बढ़ेंगे.”
लेबनान में गर्भपात पूरी तरह अवैध है. बलात्कार और किसी परिजन द्वारा अवैध यौन संबंधों के परिणामस्वरूप ठहरे गर्भ की स्थिति में भी अबॉर्शन की इजाजत नहीं है. यदि कोई गर्भपात करता या करवाता पकड़ा जाएगा तो उसे जेल और जुर्माना भुगतना होगा.
असुरक्षित गर्भपात बड़ा खतरा इसलिए भी है क्योंकि रूढ़िवादी समाज में शादी के बिना बच्चा पैदा करना अच्छा नहीं माना जाता. अल काक कहते हैं कि इसका नतीजा यह होता है कि महिलाओं को अनचाहे गर्भ गिराने के लिए अक्सर अवैध साधन अपनाने पड़ते हैं, जो असुरक्षित होते हैं. डॉ. अल काक के मुताबिक अनुमानतः 25 प्रतिशत गर्भपात महिला की मौत के रूप में खत्म होते हैं.
महंगी हुई जांच
संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल बताया था कि कोविड महामारी के कारण गर्भनिरोधक उपाय गरीब देशों की करीब सवा करोड़ महिलाओं की पहुंच से बाहर हो गए. इसका परिणाम 14 लाख अनचाहे गर्भ के रूप में सामने आया.
लेबनान में यह समस्या देश की आर्थिक हालत के कारण कई गुना ज्यादा गंभीर हो गई. डॉ. अल काक बताते हैं कि शरणार्थी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग तो खासतौर पर परेशानी झेल रहे हैं क्योंकि उनके लिए यौन स्वास्थ्य सेवाएं दूभर हो गई हैं.
कोरोना के कोहराम के बीच सेक्स
वह कहते हैं कि एचआईवी और अन्य गंभीर यौन रोगों के लिए जांच कराना चाहने वालों को भी मुश्किल हो रही है क्योंकि किसी निजी क्लिनिक में एसटीआई टेस्ट कराने पर दो लाख लीरा यानी लगभग दस हजार भारतीय रुपये तक का खर्च आ सकता है. यूं भी देश में एसटीआई जांच सेवाओं को लंबे समय से नजरअंदाज किया जाता रहा है.
फंडिंग की कमी
नेशनल एड्स प्रोग्राम के मुताबिक पिछले साल नवंबर तक देश में 2,885 एचआईवी मरीज थे जिनमें से 1,941 को ही इलाज उपलब्ध हो पाया था. रूढ़िवादिता, प्रताड़ना और समलैंगिक सेक्स पर लगे प्रतिबंध के कारण एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय की हालत तो और ज्यादा खराब है. डॉ. अल काक कहते हैं कि ऐसे लोग तो जांच कराने तक सामने नहीं आते.
ऐसे में स्थानीय स्तर पर सामाजिक संस्थाओं द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे एसटीआई टेस्ट ही कुछ लोगों की मदद कर पा रहे हैं. मुफ्त एसटीआई टेस्टिंग उपलब्ध कराने वाली एक गैर सरकारी संस्था एसआईडीसी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 2021 में जितने लोगों को यौन रोग हुआ, उनमें से 70 प्रतिशत ने असुरक्षित सेक्स किया था.
एसआईडीसी की अध्यक्ष नादिया बदरान कहती हैं कि मांग बढ़ने से परेशानी भी बढ़ रही है क्योंकि सामाजिक संस्थाओं के पास इतना धन नहीं है. बदरान कहती हैं, "फंडिंग के लिए वे लोग भूख से मरते लोगों को एसटीआई से मरने वाले लोगों के ऊपर तरजीह दे रहे हैं.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की कार्रवाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे जर्मनी के उद्योग भी प्रतिबंधों की आंच को महसूस करेंगे. जर्मन उद्योग, ऊर्जा और कच्चे माल के लिए फिलहाल रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर है.
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
बीते सालों में जर्मनी और रूस के उद्योग जगत के बीच काफी करीबी संबंध रहे हैं. दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ मिल कर उद्योग और कारोबार को बढ़ाया है. यूक्रेन पर हमले के बाद जब जर्मनी रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है तो सवाल उठता है कि जर्मन उद्योग जगत पर इसका क्या असर होगा.
सबसे बड़ी समस्या तो ऊर्जा को लेकर है. जर्मनी अपनी ऊर्जा जरूरतों का 25 फीसदी हिस्सा प्राकृतिक गैस से पूरा करता है. नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन की तो बात ही छोड़िए फिलहाल यूक्रेन से हो कर जो पाइपलाइन गैस ला रही है, उससे जर्मनी की 55 फीसदी गैस की जरूरतें पूरी होती है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद फिलहाल इस पाइपलाइन से सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन हालात कभी भी बदल सकते हैं. बाल्टिक सागर से हो कर आने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बन कर तैयार है लेकिन अब इसके निकट भविष्य में चालू होने की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लग चुका है.
जर्मनी और रूस का कारोबारी रिश्ता
जर्मन सांख्यिकी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रूस के साथ जर्मनी का व्यापार 2021 में 34 फीसदी बढ़ गया. इसमें भी ज्यादा इजाफा आयात में हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 54 फीसदी बढ़ा. ऊर्जा की बढ़ी कीमतों का भी इसमें बड़ा योगदान है क्योंकि रूस से जर्मनी जो खरीदता है उसमें 59 फीसदी हिस्सा केवल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का है.
राजनीतिक तनाव बढ़ने के बावजूद रूस और जर्मनी के बीच कारोबार बढ़ता रहा और महामारी वाले साल 2020 में घटने के बाद 2021 में काफी तेजी से बढ़ा. दोनों देशों के बीच 2021 में कुल 59.8 अरब यूरो का कारोबार हुआ. इसमें से जर्मनी ने 33.1 अरब यूरो का सामान आयात किया.
जर्मनी और रूस के बीच जिन सामानों का व्यापार होता है उसमें मुख्य रूप से कच्चा माल, गाड़ियां और मशीनरी शामिल है. 2021 में जर्मनी ने 19.4 अरब यूरो का तेल और गैस रूस से खरीदा था. इसके साथ ही रूस ने 4.5 अरब यूरो के धातु, 2.8 अरब यूरो के कोक और रिफाइंड पेट्रोलियम प्रॉडक्ट और 2.2 अरब यूरो का कोयला जर्मनी को बेचा था.
जर्मन उद्योग पर असर
जर्मन खरीदारी की सूची बता रही है कि यूक्रेन युद्ध का असर जर्मन उद्योग जगत पर काफी ज्यादा पड़ेगा और राजनीतिक हालात जिस तरह से करवट ले रहे हैं उसमें इस संकट के खत्म होने की समय सीमा तय करना तो और मुश्किल है.
जर्मनी का उद्योग जगत पहले से ही कई चीजों की कमी झेल रहा है, खासतौर से ऑटोमोबाइल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सेक्टर में. जर्मन चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स एसोसिएशन के प्रमुख पीटर आड्रियान का कहना है कि पैलेडियम जैसे कच्चे माल की बड़ी कमी होगी जिसका इस्तेमाल कार के कैटेलिटिक कंवर्टर में होता है. दक्षिण अफ्रीका के बाद रूस पैलेडियम का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. आड्रियान का कहना है, "अगर इसकी रूस से सप्लाई नहीं आती है तो अर्थव्यवस्था के अलग अलग क्षेत्रों में इसकी वजह से बड़ी बाधा पैदा होगी." इसकी वजह से कारों की डिलीवरी में देर होगी.
जर्मन कंपनियां पहले से ही मुश्किल में
जर्मन ऑटोमोटिव कंपनियों की दिक्कत कई महीनों से चली आ रही है. म्युनिख के इफो इंस्टीट्यूट ने फरवरी में कंपनियों का सर्वे किया था. इनमें से तीन चौथाई कंपनियों ने कच्चे माल और इंटरमीडिएट सामानों को हासिल करने में हो रही दिक्कतों की शिकायत की थी. पिछले महीने की तुलना में फरवरी में स्थिति और ज्यादा खराब हो गई. इससे पहले के महीने में 2300 कंपनियों के सर्वे में 67.3 फीसदी लोगों ने ऐसी शिकायत की थी. इफो में सर्वे के प्रमुख क्लाउस वोह्लराबे का कहना है, "स्थिति बदलने की उम्मीद नाकाम हो गई." वोह्लराबे का कहना है कि कच्चे माल की कमी सारे सेक्टरों में फिर से बढ़ गई है.
इफो के मुताबिक ऑटोमोटिव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग उद्योग की 89 फीसदी कंपियों ने सप्लाई चेन की दिक्कतों की शिकायत की है. इसके बाद बारी आती है डाटा प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रिक सामान बनाने वाली कंपनियों की. इनमें से हरेक सेक्टर में 88 फीसदी कंपनियों का यही हाल है.
जर्मनी को विकल्प ढूंढना होगा
कार कंपनी फॉक्सवागेन ने रूस के हमले को देखते हुए उत्पादन बंद करने या कुछ समय के लिए स्थगित करने की योजना बनाई है.
अमेरिका ने रूस के खिलाफ गुरुवार को निर्यात से जुड़े प्रतिबंदों का एलान किया. इसमें कमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कंप्यूटर, सेमी कंडक्टर और विमान के पार्ट्स शामिल हैं. इसका असर कंपनियों के उत्पादन पर पड़ेगा और उन्हें सप्लाई का विकल्प ढूंढना पड़ेगा.
इस बीच जर्मन चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया है कि रूस को प्रतिबंधों के कारण जिन चीजों को यूरोप से खरीदने में दिक्कत होगी वह उसे चीन से खरीदने की कोशिश करेगा.
रूस, जर्मनी से गाड़ियां, ट्रेलर, सेमी ट्रेलर, रसायन और रासायनिक सामान खरीदता है. जर्मनी के कुल विदेश व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.3 फीसदी की है और यह 2021 में 15 सबसे बड़े कारोबारी साझीदारों में एक था. यूरोपीय संघ के बाहर के देशों में जर्मनी का सबसे ज्यादा व्यापार चीन से है जिसके बाद अमेरिका की बारी आती है.
रूस और जर्मनी का कारोबारी रिश्ता आयात निर्यात से आगे भी है. 2021 में रूस के 472 एंटरप्राइज का नियंत्रण 2019 में जर्मन निवेशकों के पास था. इसमें कुल मिला कर 129,000 लोग काम करते हैं और इनका सालाना टर्नओवर 38.1 अरब यूरो का है. यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का दायरा इन सब को अपनी चपेट में लेगा.
मुश्किलें बड़ी हैं और युद्ध लंबा खिंचा तो और बड़ी होंगी. जब प्रतिबंध लगाने वाले देशों की समस्या ऐसी है तो जिस पर प्रतिबंध लग रहा है उसका हाल क्या होगा. (dw.com)
यूरोपीय संघ यूक्रेन छोड़ कर आने वाले लोगों को तीन साल तक रहने और काम करने का अधिकार दे सकता है. अभी तक कम से कम 3,00,000 यूक्रेनी शरणार्थी ईयू जा चुके हैं और आने वाले दिनों में लाखों और जा सकते हैं.
27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के सदस्य देशों पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी की सीमाएं यूक्रेन से सटी हुई हैं. शरणार्थियों का स्वागत करने की जरूरत पर फ्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड दरमानी ने कहा, "युद्ध से बच कर आ रहे लोगों को स्वीकार करना हमारा कर्त्तव्य है."
उन्होंने यह बताया कि संघ के गृह मंत्रियों ने रविवार को यूरोपीय आयोग से कहा कि वो इन शरणार्थियों को संरक्षण देने के लिए प्रस्ताव के मसौदों पर काम करे. सभी मंत्री प्रस्ताव के बारीकियों पर विमर्श के लिए मंगलवार को फिर मिलेंगे.
बाल्कन युद्ध की विरासत
ईयू के अस्थायी संरक्षण दिशानिर्देशों को 1990 के दशक के बाल्कन युद्ध के बाद बनाया गया था लेकिन आज तक उनका इस्तेमाल नहीं किया गया. इनके तहत सभी सदस्य देशों में एक से ले कर तीन साल तक संरक्षण का प्रावधान है. इन प्रावधानों के तहत रहने की अनुमति, रोजगार के मौके, सरकारी मदद और इलाज की सुविधा मिल सकती है.
संघ के गृह मामलों की आयुक्त इलवा जोहान्सन ने कहा कि रविवार को अधिकांश मंत्रियों ने इस कदम को अपना समर्थन दिया था और सिर्फ कुछ ही मंत्रियों ने यह सवाल उठाया था कि इस कदम को उठाने का यही समय है या अभी थोड़ा और इंतजार करना ही सबसे सही कदम होगा.
लाखों शरणार्थी
उन्होंने एक समाचार वार्ता के दौरान बताया, "हम अभी से देख रहे हैं कि कई यूक्रेनी नागरिक अपना देश छोड़ कर सबसे पहले जिस ईयू सदस्य देश में घुसे थे वो वहां से दूसरे देशों में जा चुके हैं, विशेष रूप से ऐसे देशों में जहां पहले से बड़ी संख्या में यूक्रेन के लोग रहते हैं. इनमें पोलैंड, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, जर्मनी और चेक गणराज्य शामिल हैं."
जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेजर ने कहा, "सभी ईयू सदस्य देश यूक्रेन से शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. यह पुतिन के आपराधिक युद्ध की वजह से जन्मे भयानक कष्ट के प्रति यूरोप की मजबूत प्रतिक्रिया है. हम यूक्रेन के लोगों के साथ एकजुटता में खड़े हैं."
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान का हवाला देते हुए यूरोप के लोकोपकारी मदद और संकट प्रबंधन आयुक्त यनेज लेनारसिच ने कहा कि यूक्रेन से चालीस लाख शरणार्थी आ सकते हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स)
अमेरिका में यूक्रेन की राजदूत ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि सोमवार को युद्ध के पांचवें दिन रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध में एक प्रतिबंधित थर्मोबैरिक हथियार का इस्तेमाल किया.
यूक्रेन की राजदूत ने कहा, “रूस ने आज वैक्यूम बम का इस्तेमाल किया जो कि जेनेवा कंवेंशन के तहत प्रतिबंधित है.”
हालांकि बीबीसी इस दावे की पुष्टि नहीं करता है.
थर्मोबैरिक हथियारों में पारंपरिक गोला-बारूद का उपयोग नहीं होता है. ये एक उच्च-दाब वाले विस्फोटक से भरे होते हैं. ये शक्तिशाली विस्फोट करने के लिए आसपास के वातावरण से ऑक्सीजन सोखते हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, रूसी गणराज्य चेचन्या में पहले भी इसका इस्तेमाल देखा जा चुका है.
इससे पूर्व शनिवार को, सीएनएन ने रूस के शहर बेलगोरोड के पास थर्मोबैरिक रॉकेट लॉन्चर को देखने की सूचना दी थी.
इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने टेलीविजन पर अपने एक संबोधन में कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले को पांच दिन हो चुके हैं. इन पांच दिनों में रूस ने यूक्रेन पर 56 रॉकेट और 113 क्रूज़ मिसाइलें दागी हैं.
अपने संबोधन में ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन की लड़ाई में शामिल होने के इच्छुक विदेशियों के लिए एक मार्च से वीज़ा-मुफ़्त यात्रा की अनुमति होगी.
उन्होंने सोमवार को रूस पर ख़ारकीएव में युद्ध अपराध में शामिल होने का भी आरोप लगाया. सोमवार को दोपहर से पहले ली गयी सैटेलाइट तस्वीरों में देखा जा सकता है कि रूसी सेना का एक विशाल काफ़िला राजधानी कीएव की ओर आगे बढ़ रहा है. (bbc.com)
यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा (यूएनजीए) को संबोधित करते हुए यूएन प्रमुख एंटोनिओ गुटेरस ने कहा कि अब बहुत हो गया है.
इस प्रस्ताव में रूस की निंदा की गई है और तत्काल युद्धविराम के साथ यूक्रेन के क्षेत्र से रूसी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा गया है.
गुटेरस ने कहा कि यूक्रेन में लड़ाई बंद होनी चाहिए. यूएन प्रमुख ने कहा, ''हम यूक्रेन के लिए तो त्रासदी झेल ही रहे हैं, साथ में यह एक बड़ा क्षेत्रीय संकट है और इसका प्रभाव विनाशकारी है.''
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों को अलर्ट पर रखने का आदेश दिया है और बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको ने देश के ग़ैर-परमाणु हथियार वाले दर्जे को बदलने की घोषणा की है.
इस संदर्भ में गुटेरस ने कहा, ''परमाणु संघर्ष का विचार समझ से बाहर है. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता है.''
गुटेरस के बोलने के बाद संयुक्त राष्ट्र में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि आपस में उलझ गए. यूएनजीए की अध्यक्षता मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह शाहिद के पास है.
यूएन में यूक्रेन के राजदूत सेर्गेई किसलित्स्या ने कहा कि रूसी कार्रवाई और परमाणु हथियारों को लेकर घोषणा पागलपन है. उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन नहीं बचेगा तो संयुक्त राष्ट्र भी नहीं बचेगा.'
संयुक्त राष्ट्रमें रूसी राजदूत वैसिली नेबेन्ज़िया ने आरोप लगाया कि इस शत्रुता की शुरुआत रूस ने नहीं यूक्रेन ने की है. रूसी राजदूत ने दावा किया कि यूक्रेन की सरकार ने इस संकट की जड़ रोपी है और उसने 2015 के मिंस्क समझौते का पालन नहीं किया.
यूक्रेन पर प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र आम सभा के 11वें सत्र में सुना जा रहा है. इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भेजा है. सुरक्षा परिषद में अमेरिका के नेतृत्व में रूस के ख़िलाफ़ यह प्रस्ताव लाया गया था, जिसे रूस ने वीटो कर दिया था. इस प्रस्ताव में भारत, चीन और यूएई वोटिंग से बाहर रहे थे.
कहा जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र आम सभा में इस प्रस्ताव पर वोटिंग में भारत के शामिल नहीं होने की उम्मीद है. कई लोगों का कहना है कि भारत प्रस्ताव के टेक्स्ट देखने के बाद आख़िरी फ़ैसला लेगा. उम्मीद है कि यूएनजीए में रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर मंगलवार को किसी भी वक़्त वोटिंग हो सकती है. 100 से ज़्यादा सूचीबद्ध वक्ता बोलेंगे. भारत भी अपना बयान जारी करेगा.
बहस से पहले जो ड्राफ़्ट लोगों के बीच बाँटा गया है, उसमें रूस को हमलावर कहा गया है और उसे यूक्रेन से तत्काल सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही पूर्वी यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्र दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर दी गई रूसी मान्यता वापस लेने के लिए भी कहा गया है. इसके साथ ही तत्काल वार्ता शुरू करने की बात कही गई है. (bbc.com)
यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत के रुख़ की चर्चा पश्चिम के देशों में ख़ूब हो रही है. अमेरिका और यूरोप के देश चाहते है कि यूक्रेन पर हमले के मामले में रूस को अलग-थलग करने में भारत में संयुक्त राष्ट्र में साथ दे.
लेकिन भारत अब तक किसी पक्ष को लेकर दूरी बनाकर रखी है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर दो बार वोटिंग हुई और दोनों पर भारत वोटिंग से बाहर रहा है. भारत अलावा चीन और यूएई भी वोटिंग से बाहर रहे.
रूस के वीटो करने के बाद यह प्रस्ताव अब संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में लाया गया है. यहाँ बहुमत से प्रस्ताव पास हो सकता है. भारत यहाँ क्या करेगा, इसकी चर्चा गर्म है.
कहा जा रहा है कि भारत यहाँ भी वोटिंग में न तो अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रस्ताव के समर्थन में वोट करेगा और न ही विरोध में. लेकिन भारत को अपने खेमे में लाने की कोशिश पश्चिम के देश और रूस दोनों कर रहे हैं.
जर्मनी के विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को फ़ोन किया था और उनसे रूस को अलग-थलग करने की अपील की थी.
भारत में जर्मनी के राजदूत वॉल्टर लिंडर ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू से कहा है कि उन्हें अब भी उम्मीद है कि भारत यूएन में वोटिंग को लेकर अपना रुख़ बदलेगा.
रूस का कहना है कि पिछले दो दशकों में नेटो के पूर्वी यूरोप में विस्तार के कारण समस्याएं पैदा हुई हैं. 1997 से नेटो पूरब की तरफ़ 14 देशों तक पहुँचा और इन देशों से रूस बिल्कुल क़रीब है. रूस नेटों को अपनी सुरक्षा को लेकर ख़तरे के तौर पर देखता है.
इस सवाल के जवाब में जर्मन राजदूत ने कहा है, ''इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है. केवल झूठी बातें और झूठे नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं. ज़ाहिर है कि जब आप शांतिपूर्ण पड़ोसी पर हमला करते हैं तो इस तरह के बहाने बनाने पड़ते हैं. इन तर्कों में कोई सच्चाई नहीं है. यह किसी देश का फ़ैसला होता है कि वह नेटो में शामिल होना चाहता है या नहीं. यूक्रेन के मामले में तो इस तरह का कोई प्रस्ताव भी नहीं था. यह यूरोप की शांति पर हमला है.''
जर्मनी के विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री से बात की है. क्या यूक्रेन के मामले में भारत जर्मनी के रुख़ के साथ आने को तैयार है? इस सवाल के जवाब में जर्मन राजदूत ने कहा, ''मुझे लगता है कि इस सवाल का जवाब भारतीय डिप्लोमौट ज़्यादा ठीक से देंगे. उन्हें ही फ़ैसला करना है कि वे क्या चाहते हैं. लेकिन इतना तय है कि हम सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों की वकालत करते हैं और क्षेत्रीय अखंडता के साथ संप्रभुता के उल्लंघन का विरोध करते हैं. भारत भी इससे लेकर असहमत नहीं है. यूक्रेन भले भारत से दूर है लेकिन अन्याय की दस्तक एक जगह तक सीमित नहीं होती है.''
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के वोटिंग से बाहर रहने पर जर्मन राजदूत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति की रक्षा सबका कर्तव्य है. जर्मन राजदूत ने कहा कि जो अंतरराष्ट्रीय शांति को भंग करता है, उसकी आलोचना सबको करनी चाहिए.
क्या जर्मनी भारत के रुख़ से निराश है? इस पर जर्मन राजदूत ने कहा, ''अब भी वक़्त है. हम अब भी भारत से इसे लेकर संपर्क में हैं. अगर रूस को ऐसे जाने दिया गया, तो कल कोई और करेगा. मुझे उम्मीद है कि भारत का रुख़ बदलेगा.''
कहा जा रहा है कि पश्चिम के देशों के दोहरे मानदंड होते हैं क्योंकि अमेरिका ने 2003 में इराक़ पर हमला किया तो इस तरह की निंदा नहीं की गई. इस पर जर्मन राजदूत ने कहा, ''जर्मनी और फ़्रांस इराक़ पर हमले के पक्ष में नहीं थे. हम अमेरिका से सहमत नहीं थे.'' (bbc.com)
नई दिल्ली, 28 फरवरी| स्वीडन की ट्रक निर्माता कंपनी एबी वोल्वो ने यूक्रेन में मास्को के सैन्य अभियान पर प्रतिबंधों के कारण रूस में सभी उत्पादन और बिक्री बंद कर दी है। आरटी ने बताया कि कंपनी ने सोमवार को यह घोषणा की। प्रवक्ता क्लास एलियासन ने स्वीडिश राज्य प्रसारक एसवीटी को बताया कि लगाए गए प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए कंपनी के पास रूस में काम करने की शर्ते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्र के रूप में रूस का बहिष्कार नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस में उत्पादन बंद करने का निर्णय एबी वोल्वो के प्रमुख घटक उप-ठेकेदारों में से एक, नॉर्डिक द्वारा पिछले सप्ताह देश में डिलीवरी रोकने का फैसला लिए जाने के बाद आया है।
वोल्वो समूह रूस में अपनी बिक्री का लगभग 3 प्रतिशत उत्पादन करता है और देश में इसकी एक फैक्ट्री है।
सोमवार को जर्मन कार निर्माता वोक्सवैगन ने अस्थायी रूप से रूस में स्थानीय डीलरशिप के लिए कारों की डिलीवरी रोक दी, मीडिया ने कंपनी के बयान का हवाला देते हुए बताया। ऑटोमेकर को यूक्रेन से पुजरें की डिलीवरी में देरी के कारण इस सप्ताह अपने दो जर्मन कारखानों में उत्पादन को निलंबित करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा।
इस बीच, रूसी मीडिया की रिपोर्ट है कि यूक्रेन से संबंधित प्रतिबंधों के कारण रूसी रूबल की गिरावट के बाद कम से कम 20 कार निर्माताओं ने फरवरी में देश में कारों के लिए कीमतें बढ़ाई हैं।
आरटी के मुताबिक, एवोस्टैट विश्लेषणात्मक एजेंसी के प्रमुख, सर्गेई त्सेलिकोव ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि कई ब्रांड जल्द ही रूस से पूरी तरह से गायब हो जाएंगे, जबकि कार बाजार चीन और कोरिया की ओर फिर से उन्मुख होगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 मार्च| राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की ने यूक्रेन के यूरोपीय संघ सदस्यता आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं।
उक्रेन्स्का प्रावदा के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख, एंड्री सिबिगा ने कहा कि जेलेंस्की ने अभी-अभी एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने यूक्रेन का यूरोपीय संघ सदस्यता आवेदन पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने यूक्रेन के वेरखोव्ना राडा (संसद) के प्रमुख और प्रधानमंत्री दिमित्रो श्यामगल के साथ एक संयुक्त अनुरोध पर भी हस्ताक्षर किए।
जेलेंस्की ने कहा, "मैंने यूक्रेन के यूरोपीय संघ सदस्यता आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं। मुझे यकीन है कि हम इसे हासिल कर सकते हैं।"
यूरोपीय संघ की प्रक्रिया के अनुसार, सदस्यता आवेदन यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता में जमा किया जाना है। परिषद का नेतृत्व वर्तमान में फ्रांस कर रहा है।
यूक्रेन का आवेदन जेलेंस्की के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, यह देखते हुए कि इस मुद्दे का रूस के साथ वार्ता में संभावित रूप से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि यूरोपीय संघ शांति के आसपास बनाई गई एक परियोजना है और संघर्ष को हल करने के लिए संवाद का उपयोग कर रहा है।
सोमवार की सुबह जेलेंस्की ने एक विशेष प्रक्रिया के तहत यूक्रेन के परिग्रहण के संबंध में यूरोपीय संघ को संबोधित किया। जेलेंस्की के अनुसार, यूक्रेनी यूरोपीय संघ की सदस्यता के पात्र हैं।
रूस के आक्रमण के बाद यूरोपीय संघ के कई देशों ने यूरोपीय संघ से यूक्रेन को सदस्यता के लिए एक मार्ग देने का आह्वान किया और स्लोवाकिया ने यूरोपीय संघ में यूक्रेन के प्रवेश के लिए एक विशेष प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा। (आईएएनएस)
सुसिता फर्नाडो
कोलंबो, 1 मार्च| श्रीलंका के होटल व्यवसायियों ने मानक यूक्रेनी पर्यटकों की देखभाल करने का फैसला किया है, जबकि सरकार की योजना उनके वीजा को बढ़ाने की है।
दक्षिणी तटीय इलाकों से लेकर केंद्रीय पहाड़ियों तक कई होटल मालिकों ने, जहां यूक्रेनी पर्यटक अक्सर आते हैं, ने घोषणा की है कि वे यूक्रेन के नागरिकों को मुफ्त भोजन और आवास प्रदान करेंगे, जो रूसी आक्रमण के कारण घर वापस आ गए हैं।
गाले में एक होटल के मालिक रूपसेना कोस्वट्टा ने कहा, "ये पर्यटक यहां एक महीने से अधिक समय से हैं और कई के पास पैसे खत्म हो गए हैं, और उनके पास पैसे पाने का कोई रास्ता नहीं है। इसलिए उन्होंने हमसे पूछा कि हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि उन्हें पैसे की चिंता करने की जरूरत नहीं है और वे यहां रह सकते हैं और जब तक वे यहां हैं, हम उनकी देखभाल करेंगे।"
कैंडी के एक प्रमुख होटल के महाप्रबंधक रंजन पीरिस ने कहा, "हम अपने होटलों में यूक्रेन के पर्यटकों की देखभाल करके बहुत खुश हैं, जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण फंसे हुए हैं।"
यूक्रेन के लिए उड़ानें रद्द होने से करीब 4,000 यूक्रेनियाई पर्यटक श्रीलंका में फंसे हुए हैं।
इस बीच, श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि सरकार देश में यूक्रेनी पर्यटकों को वीजा विस्तार सहित हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
पर्यटन मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने सोमवार को घोषणा की कि देश में फंसे यूक्रेन के पर्यटकों के लिए वीजा 30 दिनों के लिए बढ़ाकर 60 दिन कर दिया जाएगा। अंतिम फैसला इसी हफ्ते होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाना है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 1 मार्च| अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार को रूस में मौजूद अमेरिकी नागरिकों को यूक्रेन में मॉस्को की चल रही सैन्य कार्रवाइयों का हवाला देते हुए देश छोड़ने पर विचार करने की सलाह दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश विभाग ने एक ताजा यात्रा सलाह में कहा कि रूस स्थित अमेरिकी नागरिकों की सहायता करने की अमेरिकी सरकार की क्षमता अब सीमित है, इसलिए अमेरिकियों को अभी भी उपलब्ध वाणिज्यिक विकल्पों के माध्यम से देश छोड़ने पर विचार करना चाहिए।
अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन द्वारा यूक्रेन और बेलारूस के पूरे क्षेत्रों के साथ-साथ रूस के पश्चिमी भाग को कवर करने के लिए 'नो-फ्लाई जोन' का विस्तार करने के तीन दिन बाद यूरोपीय संघ ने रविवार को रूसी विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया। एयरलाइनों की बढ़ती संख्या रूस में और बाहर उड़ानें रद्द कर रही है।
इस तरह और चल रहे सशस्त्र संघर्ष को देखते हुए विदेश विभाग ने अपनी सलाह में अमेरिकी नागरिकों को रूस से यूक्रेन की यात्रा करने के खिलाफ सलाह दी, और रूस-यूक्रेन सीमा के पास और वहां यात्रा करने की योजना बनाने वालों से जागरूक होने का आग्रह किया, क्योंकि सीमा पर स्थिति खतरनाक है।
यूक्रेनी और रूसी प्रतिनिधिमंडलों ने सोमवार को यूक्रेनी-बेलारूसी सीमा पर शांति वार्ता संपन्न की, रूसी प्रतिनिधिमंडल के अनुसार, बेलारूसी-पोलिश सीमा पर आने वाले दिनों के लिए अगले दौर की वार्ता निर्धारित है। (आईएएनएस)
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने रविवार को कहा कि उनके देश को लंबे समय से जारी एक वर्जना को तोड़ देना चाहिए और परमाणु हथियारों पर सक्रिय बहस शुरू करनी चाहिए.
आबे ने नेटो की तरह संभावित 'न्यूक्लियर-शेयरिंग' प्रोग्राम की बात कही है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच आबे की यह टिप्पणी काफ़ी अहम मानी जा रही है.
आबे ने टीवी प्रोग्राम में कहा, ''जापान ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया है और तीन ग़ैर-परमाणु सिद्धांत हैं, लेकिन इस पर बात करने के लिए कोई मनाही नहीं है कि दुनिया सुरक्षित कैसे रह सकती है.''
आबे ने 2020 में प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था, लेकिन सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में वे अब भी काफ़ी प्रभावी हैं. जापान टाइम्स के अनुसार, आबे ने कहा है कि यूक्रेन ने सोवियत यूनियन से अलग होते वक़्त सुरक्षा गारंटी के लिए कुछ परमाणु हथियार रखा होता तो शायद उसे, रूसी हमले का सामना नहीं करना पड़ता.
आबे ने कहा कि सरकार लगातार कहती है कि एशिया के सुरक्षा का वातावरण लगातार ख़राब हो रहा है. इनमें चीन की बढ़ती आक्रामकता और उत्तर कोरिया के परमाणु प्रोग्राम भी शामिल हैं. आबे ने कहा कि नेटो की न्यूक्लियर-शेयरिंग व्यवस्था एक मिसाल है कि जापान उन ख़तरों को कैसे कम कर सकता है.
नेटो वाली व्यवस्था
आबे ने फ़ूजी टेलीविज़न पर प्रसारित कार्यक्रम में कहा, ''जापान को भी कई विकल्पों पर विचार करना चाहिए. इनमें न्यूक्लियर शेयरिंग प्रोग्राम भी शामिल है.'' नेटो के तहत अमेरिका यूरोप में परमाणु हथियार रखता है. जापान दूसरे विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमले की त्रासदी झेल चुका है.
जापान के तीन ग़ैर-परमाणु सिद्धांत हैं. पहली बार इसे 1967 में निर्धारित किया गया. इसके तहत देश के भीतर परमाणु हथियार के उत्पादन और उसे रखने पर पाबंदी है. जापान के लोग भी परमाणु हथियारों के ख़िलाफ़ रहे हैं. लेकिन आबे ने नेटो की तर्ज़ पर शेयरिंग के विकल्प की बात की है. आबे ने कहा कि जापान के भीतर ज़्यादातर लोग इस व्यवस्था से अनजान हैं.
आबे ने कहा, ''परमाणु हथियारों को नष्ट करने का लक्ष्य अहम है, लेकिन जब जापान के लोगों की जान और मुल्क को बचाने की बात आएगी तो मैं सोचता हूँ कि हमें कई विकल्पों पर बात करनी चाहिए.''
वॉशिंगटन में सेंटर फ़ॉर अमेरिकन प्रोग्राम के सीनियर फ़ेलो और शिंज़ो आबे की जीवनी लिखने वाले तोबिअस हैरिस ने कहा है, ''पूर्व प्रधानमंत्री के इस बयान से जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री फ़ुमिओ किशिदा पर दबाव बढ़ गया है. पार्टी का दक्षिणपंथी खेमा उन पर जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और रक्षा से जुड़े अन्य मामलों की समीक्षा के लिए कहेगा.''
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, ''यह बहस अभी हो या नहीं, लेकिन पिछले 5-10 सालों में जापान में परमाणु हथियार के विकल्प पर बातचीत की वर्जना मद्धम पड़ी है.''
ताइवान पर अमेरिका क्या करेगा?
पड़ोसी ताइवान पर हमले की स्थिति में अमेरिका का क्या रुख़ होगा? क्या अमेरिका उसका बचाव करेगा? इस पर आबे ने कहा, ''यह दिखाना कि अमेरिका हस्तक्षेप कर सकता है, इससे चीन नियंत्रण में रहता है, लेकिन हस्तक्षेप करने की संभावनाओं को छोड़ देने से ताइवान की सेना के लिए मुश्किल स्थिति हो जाएगी. अब समय आ गया है कि इसे लेकर आशंका वाली नीति छोड़ देनी चाहिए. ताइवान के लोग हमारे साझा मूल्यों का हिस्सा हैं. ऐसे में मैं सोचता हूँ कि अमेरिका को इस मामले में स्पष्ट होना होगा.''
आबे ने कहा है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो जापान के लिए भी संकट आएगा. आबे ने कहा कि ताइवान से महज़ 110 किलोमीटर की दूरी पर योनागुनी का ओकिनावन द्वीप है. अगर चीन हमला करता है तो वह पहले समंदर और हवाई क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में लेगा और इसकी ज़द में जापानी जल के साथ हवाई क्षेत्र भी आएंगे.
चीन ताइवान को अहम मुद्दा बताता है और कहता है कि ज़रूरत पड़ने पर वह इसे बल प्रयोग करके भी मिला लेगा. हाल के वर्षों में ताइवान को लेकर चीन की सैन्य गतिविधि भी बढ़ी है. अमेरिका 1979 से ही वन चाइना पॉलिसी मानता आ रहा है. अमेरिका आधिकारिक रूप से ताइपेई के बदले बीजिंग को मान्यता देता है.
जापान का ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है और पारंपरिक रूप से जापान इस मुद्दे पर चुप रहता है ताकि चीन नाराज़ ना हो जाए. जापान के लिए चीन सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच आबे के बयान को काफ़ी अहम माना जा रहा है.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच ताइवान पर चीन का डर भी बढ़ गया है. कहा जा रहा है कि रूस का हमला सफल रहा तो चीन को ताइवान के मामले में बल मिलेगा.
आबे के इस बयान पर चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र माने जाने वाले अंग्रेज़ी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने आज यानी 28 फ़रवरी को संपादकीय लिखा है. अपने संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने रविवार को कहा कि जापान को परमाणु हथियार साझा करने के लिए अमेरिका से समझौता करना चाहिए. उन्होंने इसे लेकर नेटो देशों के बीच परमाणु हथियार साझा करने की व्यवस्था का भी उदाहरण दिया है.''
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि आबे के बयान से साफ़ है कि वह परमाणु हथियार की तरफ़ बढ़ना चाहते हैं. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, ''बात केवल आबे के बयान की नहीं है. लंबे समय से जापान के दक्षिणपंथी नेता इस तरह की बातें कर रहे हैं. ख़ुद आबे पहले भी ऐसी बातें कर चुके हैं.जापान के विपक्षी नेता इचिरो ओज़ावा ने भी कहा था कि जापान रातोंरात चीन को रोकने के लिए बड़ी संख्या में परमाणु हथियार बना सकता है.''
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''जापान के पास परमाणु हथियार तैयार करने की क्षमता है. जापान दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों में से एक है. जापानी मीडिया में रिपोर्ट छपी थी कि जापान के पास देश के भीतर और बाहर 47 टन प्लूटोनियम है. इतने में जापान 6000 परमाणु बम बना सकता है. 2016 में जब जो बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे तो उन्होंने भी कहा था कि जापान रातोंरात परमाणु हथियार हासिल करने की क्षमता रखता है.'' (bbc.com)
लंदन, 28 फरवरी (आईएएनएस)| दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज वासिली लोमाचेंको रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन की सेना में शामिल हो गए हैं। लोमाचेंको को दुनिया के शीर्ष मुक्केबाजों में से एक माना जाता है, उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें वह एक सैन्य वर्दी पहने हुए दिखाई दे रहे हैं और जाहिर तौर पर इस रविवार को युद्ध क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं। ईएसपीएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2008 और 2012 के ओलंपिक खेलों में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले लोमाचेंको हाल ही में अपने परिवार के साथ रहने के लिए ओडेसा के पास अपने घर लौटे हैं।
टॉक स्पोर्ट डॉट कॉम के ऑनलाइन बॉक्सिंग संपादक माइकल बेन्सन ने यूक्रेनी सेना की जर्सी पहने हुए लोमाचेंको की एक तस्वीर भी पोस्ट की।
लोमाचेंको एकमात्र प्रसिद्ध यूक्रेनी मुक्केबाज है जो अपने देश के सशस्त्र बलों में शामिल हो गए है, क्योंकि भाइयों व्लादिमीर और विटाली क्लिट्स्को ने भी इस संघर्ष में लड़ने का फैसला किया है।
हॉल ऑफ फेमर बॉक्सर क्लिट्स्को, जो अब यूक्रेनी राजधानी कीव के मेयर हैं, ने हाल ही में घोषणा की कि वह अपने देश की रक्षा में सहायता करेंगे। उनके भाई, साथी हॉल ऑफ फेमर और पूर्व हैवीवेट चैंपियन व्लादिमीर भी इस महीने की शुरुआत में देश की रिजर्व सेना में शामिल हुए।
क्लिट्स्को ने गुड मॉनिर्ंग ब्रिटेन से कहा, "मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं है, मुझे अपने देश को बचाने के लिए लड़ना होगा।"
डब्ल्यूबीसी यूक्रेन के अध्यक्ष निकोले कोवलचुक ने व्यक्त किया कि उन्हें उन मुक्केबाजों पर कितना गर्व है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने फैसले को चुना है।
कोवलचुक ने कोपिंगर के हवाले से कहा, "हमें अपने मुक्केबाजों, मुक्केबाजी में हमारे असली चैंपियन और इस युद्ध में चैंपियन पर बहुत गर्व है। हमें यूक्रेनियन होने पर गर्व है।"
लोमाचेंको अपना करियर शुरू करने से पहले दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता थे। उन्होंने बीजिंग 2008 और लंदन 2012 सीजन में पूर्व में फेदरवेट में और बाद में लाइटवेट में स्वर्ण पदक जीता। अपने पेशेवर करियर में, लोमाचेंको के नाम 16 जीत (नॉकआउट से 11) और 18 मुकाबलों में दो हार का रिकॉर्ड है।
लंदन, 28 फरवरी | इंग्लिश फुटबॉल एसोसिएशन (एफए) ने यूक्रेन के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए वादा किया है कि वे भविष्य में कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच रूस के साथ नहीं खेलेंगे। एफए द्वारा सोमवार सुबह जारी एक बयान में कहा गया है कि, "यूक्रेन के साथ एकजुटता और रूसी नेतृत्व द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की निंदा करने के लिए, एफए पुष्टि करता है कि हम रूस के खिलाफ भविष्य में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में नहीं खेलेंगे।"
एफए ने कहा कि न केवल सीनियर टीम, बल्कि यह नियम पैरा-फुटबॉल टीमों पर भी लागू होगा।
गोल डॉट कॉम ने बताया, अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) ने रविवार को पुष्टि की थी कि "उन मैचों में रूस के झंडे या गान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा जहां रूस के फुटबॉल संघ की टीमें भाग लेंगी।"
बयान में यह भी बताया गया कि, "फीफा यूक्रेन पर आक्रमण में रूस द्वारा बल के प्रयोग की अपनी निंदा दोहराना चाहता है। हिंसा कभी समाधान नहीं होती है और फीफा यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है उससे प्रभावित सभी लोगों के प्रति अपनी गहरी एकजुटता व्यक्त करता है।"
फीफा ने कहा कि खेल के लिए शासी निकाय अन्य शासी निकायों के साथ अपनी चल रही बातचीत जारी रखेगा।
पोलिश और स्वीडिश राष्ट्रीय फुटबॉल टीमों ने कहा है कि वे यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का विरोध करने के लिए मार्च में महत्वपूर्ण 2022 फीफा विश्व कप क्वालीफिकेशन प्लेऑफ मैचों में रूस से नहीं खेलेंगे। (आईएएनएस)
रूस के हमले के कारण यूक्रेन के करीब 70 लाख लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है. यूक्रेन पर हमले का सोमवार को पांचवां दिन है. हजारों लोग यूक्रेन की सीमा पार कर पोलैंड में दाखिल हो रहे हैं.
यूरोपीय संघ के संकट प्रबंधन आयुक्त ने रविवार को कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई 70 लाख से अधिक लोगों को विस्थापित कर सकती है. यूक्रेन से आते शरणार्थियों पर केंद्रित यूरोपीय संघ आंतरिक मंत्रियों की बैठक के बाद यानेज लेनार्सिच
ने पत्रकारों से कहा, "हम कई वर्षों में यूरोपीय महाद्वीप पर सबसे बड़ा मानवीय संकट देख रहे हैं."
उन्होंने कहा, "वर्तमान में विस्थापित यूक्रेनी नागरिकों की अपेक्षित संख्या 70 लाख से अधिक है." साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि वह संयुक्त राष्ट्र से हासिल केवल "मोटा अनुमान" दे रहे हैं क्योंकि लड़ाई ने सटीक गिनती को थाम दिया है.
यूरोपीय आयोग के एक अधिकारी ने बाद में स्पष्ट किया कि लेनार्सिक संयुक्त राष्ट्र की सूचना के आधार पर "हमला जारी रहने की स्थिति में अनुमान" दे रहे थे.
लेनार्सिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक युद्ध जारी रहा तो "लगभग 1.8 करोड़ यूक्रेनियन होंगे जो मानवीय दृष्टि से प्रभावित होंगे, चाहे वे यूक्रेन में उचित तरह से हो या पड़ोसी देशों में."
लेनार्सिक ने कहा कि "आंकड़े बड़े हैं और हमें इस तरह के आपातकाल के लिए तैयार रहना होगा." शनिवार देर रात जारी संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) की ताजा स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, "कथित तौर पर 1,60,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं."
यूएनएचसीआर के अनुमानों के आधार पर ओसीएचए ने कहा, "1,16,000 से अधिक लोगों को मजबूरी में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार पड़ोसी यूरोपीय देशों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है."
स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेनी सरकार का अनुमान है कि "सबसे खराब स्थिति में 50 लाख शरणार्थी हो सकते हैं." यूक्रेन से निकले लोगों ने पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया में शरण ली है.
संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियों का कहना है कि इस जंग की वजह से 50 लाख लोग देश के बाहर जाएंगे. इनमें से केवल पोलैंड में ही करीब 30 लाख लोगों के पहुंचने की आशंका है. एजेंसियों का कहना है कि यूक्रेन के कुछ हिस्सों में ईंधन, नगदी और दवाइयों की कमी हो रही है.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड प्रांत में हजारों लोगों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है. देश के पूर्वी तट पर भारी बारिश ने दर्जनों शहरों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं.
रविवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शहर और क्वींसलैंड प्रांत की राजधानी ब्रिसबेन समेत दर्जनों शहरों में भारी बाढ़ जैसे हालात थे. कई जगह तो पानी कई-कई फुट तक चढ़ गया था और लोगों को अपने घरों की छतों पर शरण लेनी पड़ी. मौसम विभाग ने बारिश के जारी रहने की चेतावनी जारी की है.
सोमवार को इस बारिश के कारण आठ लोगों की जान जा चुकी थी. आपातकालीन सेवाओं ने कहा कि रविवार को एक व्यक्ति पानी से भरी सड़क को पार करने की कोशिश में बह गया और उसकी मृत्यु हो गई.
15,000 घर खतरे में
ऑस्ट्रेलिया की तीसरी सबसे बड़ी ब्रिसबेन नदी उफान पर है और इसके सोमवार को चरम पर पहुंचने की आशंका ने 15 हजार से ज्यादा घरों को खतरा पैदा कर रखा है. इस वजह से राज्य के एक हजार से ज्यादा स्कूल बंद रखे गए हैं और बचावकर्मी लोगों को उनके घरों से बचाकर निकाल रहे हैं.
रविवार को देश के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भारी बारिश को ‘मौसमी बम' करार देते कहा कि बाढ़ पीड़ित इलाकों में बचाव कार्यों के लिए सेना को तैनात किया जाएगा. यह मौसम बम अब दक्षिण की ओर यानी देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स में प्रवेश कर गया है और वहां भी जनजीवन के प्रभावित होने की आशंका है.
क्वींसलैंड में सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण-पूर्वी हिस्से में हुआ है जहां एक हजार से ज्यादा स्कूल बंद करने पड़े और 50 हजार घर बिना बिजली-पानी के रह गए. कई जगहों पर बारिश ने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए और एक ही दिन में महीनेभर की बारिश झेली.
‘ऐसी बाढ़ नहीं देखी'
राज्य की मुख्यमंत्री अनस्तासिया पालाशे ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मेरे ख्याल से इस बात से सभी सहमत होंगे कि इतने कम समय में इतनी भारी बारिश किसी ने नहीं देखी होगी.” आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर गर्मियों में ला नीना प्रभाव के चलते बारिश होती है. दक्षिणी गोलार्ध में पड़ने वाले ऑस्ट्रेलिया में इस वक्त गर्मी का मौसम है.
भारी बारिश की आशंका के चलते न्यू साउथ वेल्स ने भी अपने कई शहरों में चेतावनी जारी करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है. सिडनी से लगभग 700 किलोमीटर दूर स्थित लिजमोर शहर के मेयर स्टीव क्रीग ने कहा, "मेरे पास बहुत सारे परेशान नागरिकों के फोन आ रहे हैं, जो अपने घरों की छतों पर बैठे हैं और मदद का इंतजार कर रहे हैं.”
समाचार चैनल एबीसी से बात करते हुए क्रीग ने बताया कि पानी इतनी तेज रफ्तार से आया कि लोग हैरान रह गए और उन्हें तैयारी करने या निकलने का वक्त ही नहीं मिला. लिजमोर के करीब 30 हजार लोगों से उन्होंने तुरंत घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा. उन्होंने कहा, "अब तक लिजमोर ने जितनी बाढ़ देखी हैं, यह उनमें से सबसे बड़ी है.”
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
यूक्रेन संकट के बीच में ही जर्मनी ने अपने लिए 100 अरब यूरो का एक विशेष रक्षा कोष बनाने का एलान किया है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार जर्मनी और यूरोपीय देश अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव कर रहे हैं.
जर्मनी ने एक विशेष सशस्त्र सेना कोष पर 100 अरब यूरो खर्च करने का एलान किया है. यूक्रेन संकट के दौर में इस खास घोषणा में जर्मनी ने अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के दो फीसदी से ऊपर रखने की भी बात कही है. अमेरिका लंबे समय से इसकी मांग करता रहा है. यूरोपीय सुरक्षा नीति में बीते कई दशकों में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव है. माना जा रहा है कि इसकी वजह यूक्रेन पर रूस का हमला है.
यूक्रेन संकट से यूरोप में हलचल
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की यह घोषणा यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई देने के फैसले के कुछ ही घंटे बाद हुई है. इससे पता चलता है कि यूक्रेन पर रूसी हमले ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप की सुरक्षा नीति को किस तरह प्रभावित किया है.
घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब इस्राएल ने युद्ध रोकने पर बातचीत के लिए खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया है. उसका कहना है कि रूस और यूक्रेन दोनों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं. उधर यूरोप की राजधानियों में युद्ध खत्म करने के लिए प्रदर्शनों का शोर बढ़ता जा रहा है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप की जमीन पर पहली बार इतनी बड़ी जंग छिड़ी है.
रविवार को बर्लिन के ब्रांडेनबुर्ग गेट पर जमा दसियों हजार लोग हाथों में नारे लिखी तख्तियों के जरिए कह रहे थे, " हैंड्स ऑफ यूक्रेन," "पुतिन अपना इलाज कराओ और यूक्रेन और दुनिया को शांति में छोड़ दो." वैटिकन में जब पोप फ्रांसिस अपना साप्ताहिक दर्शन दे रहे थे तब सेंट पीटर्स चौराहे पर यूक्रेन के झंडे लहरा रहे थे.
जर्मनी का नया रक्षा कोष
नए रक्षा कोष की शॉल्त्स की घोषणा जर्मनी के लिए अहम है. अमेरिका और दूसरे नाटो के सहयोगी रक्षा कोष में पर्याप्त खर्च नहीं करने के लिए जर्मनी की लगातार आलोचना करते रहे हैं. नाटो सदस्यों ने अपनी जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा पर खर्च करने का वादा किया था लेकिन जर्मनी लगातार इससे बहुत कम खर्च करता रहा है. शॉल्त्स ने बर्लिन में संसद के एक विशेष सत्र में कहा, "यह साफ है कि हमें हमारे देश की आजादी और लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए देश की सुरक्षा में और बहुत ज्यादा निवेश करना होगा."
जर्मनी बीते दशकों में अपने कम रक्षा खर्च के लिए आलोचना झेलता रहा है. जर्मन सेना के आधुनिकीकरण का काम बाकी देशों के मुकाबले बीते सालों में बहुत धीमा रहा है. जर्मनी अपनी सुरक्षा के लिए बहुत हद तक अमेरिकी सेना पर भी निर्भर है. हालांकि विश्वयुद्धों के बाद यूरोप में शांति के लिए प्रतिबद्ध इन देशों ने युद्ध को जितना हो सके अपने एजेंडे से बाहर रखने की कोशिश की है और जर्मनी ने तो खासतौर से. यूक्रेन पर रूस के हमले ने इन देशों को अपनी रक्षा नीति बदलने पर विवश कर दिया है.
जर्मन चांसलर ने कहा है कि 100 अरब यूरो का कोष फिलहाल 2022 के लिए एक बार का होगा. अभी यह साफ नहीं है कि आने वाले सालों के लिए भी इसी तरह से धन दिए जाएंगे. शॉल्त्स ने यह जरूर साफ कर दिया है कि जर्मनी अपनी जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा धन रक्षा पर खर्च करेगा. जाहिर है कि भविष्य में जर्मनी का रक्षा खर्च बढ़ जाएगा.
बदल रही है यूरोप की रक्षा नीति
जर्मनी की इस घोषणा से पहले इटली, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम ने दूसरे यूरोपीय देशों की तरह रूसी विमानों के लिए अपनी वायुसीमा को बंद करने की घोषणा की. उधर इस्राएल ने कहा कि वह 100 टन मानवीय सहायता यूक्रेन भेज रहा है. इसमें मेडिकल उपकरण, दवाइयां, टेंट, स्लीपिंग बैग, और कंबल हैं. यह सामान आम लोगों की मदद के लिए भेजा जा रहा है. इस्राएल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात भी की है.
इधर यूरोपीय संघ के गृह मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की रविवार को आपातकालीन बैठक हो रही है जिसमें संकट पर चर्चा होगी. गृह मंत्री इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि शरणार्थियों की भारी संख्या से कैसे निपटा जाए साथ ही यूरोपीय संघ की सीमाओं की सुरक्षा पर बातचीत की जा रही है.
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि वह मंत्रियों से आग्रह करेंगे कि वो "यूक्रेनी सेना की मदद के लिए आपातकालीन पैकेज पर सहमति बनाएं जिससे कि इस युद्ध में उन्हें सहायता दी जा सके."
सेना की ट्रेनिंग और दुनिया भर में शांति अभियानों को समर्थन देने के लिए यूरोपीय संघ ने एक यूरोपीयन पीस फैसिलिटी बनाने की घोषणा की है. यह एक कोष होगा जिसमें करीब 5.7 अरब यूरो की रकम होगी. इसमें से कुछ पैसा सहयोगी देशों को प्रशिक्षण और उन्हें घातक हथियार देने के लिए भी होगी.
जर्मनी ने एक दिन पहले अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए यूक्रेन को हथियार और दूसरी चीजों की सीधी सप्लाई देने का फैसला किया है. इनमें 500 स्टिंगर मिसाइल भी हैं जिनका इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, लड़ाकू विमान को मार गिराने के लिए हो सकता है इसके साथ ही यूक्रेन को 1000 टैंक रोधी हथियार भी दिए जाएंगे. यूरोपीय संघ के पैसे से यूक्रेन को हथियार देना एक ऐतिहासिक फैसला है.
एनआर/एडी(एपी, एएफपी, रॉयटर्स)
कोस्टा रिका के एक हाइड्रोपावर प्लांट को ग्रीन क्रिप्टो-माइनिंग ऑपरेशन में बदल दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि बहुत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत वाली बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी जलवायु लक्ष्यों के अनुकूल हो सकती है?
डॉयचे वैले पर सेबास्टियन रोड्रिग्वेज की रिपोर्ट-
2020 के अंत में, 30 वर्षों के संचालन के बाद एडुआर्डो कोपर को कोस्टा रिका के सेंट्रल वैली में अपने हाइड्रोपावर प्लांट पोअस आई के टरबाइनों को बंद करना पडा. देश की सरकारी बिजली कंपनी ‘कोस्टा रिका इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी' ने कोपर के हाइड्रोपावर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली को बेचने से मना कर दिया, क्योंकि देश में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन पहले से काफी ज्यादा हो गया है.
कोपर ने कहा, "इस मामले में हम कुछ नहीं कर सके. यह एक चिंताजनक स्थिति थी. हम कम से कम अपने कर्मचारियों को काम पर बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे.” तभी उन्हें बिटकॉइन के बारे में पता चला. बिटकॉइन एनर्जी कंजम्पशन इंडेक्स के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी ऊर्जा की बहुत बड़ी उपभोक्ता है.
बिटकॉइन माइनिंग के लिए अपने संयंत्र का इस्तेमाल करके, कोपर ने अपनी ग्रीन-एनर्जी को सीधे मुद्रा में बदलने की कोशिश की. तीन महीने तक संयंत्र बंद रहने के बाद, अप्रैल 2021 में पोअस आई का टरबाइन फिर से घूमने लगा. इसका इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए किया जाने लगा.
कोपर ऐसे अकेले उदाहरण नहीं हैं. पूरे अमेरिका में, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग करने वाले ‘ग्रीन बिटकॉइन' का लाभ ले रहे हैं. बड़ी अमेरिकी क्रिप्टो माइनिंग कंपनियां, जैसे कि बिटफार्म्स और नेप्च्यून डिजिटल एसेट्स अब अपनी करेंसी को ‘ग्रीन' बताकर मार्केटिंग कर रही हैं. इस बीच, ब्राजील के सांसद अक्षय ऊर्जा से होने वाली क्रिप्टो माइनिंग पर टैक्स में छूट देने के लिए बहस कर रहे हैं.
कीमती ऊर्जा की बर्बादी?
बिटकॉइन ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है, जिसमें काफी ज्यादा ऊर्जा की खपत होती है. बिटकॉइन माइनिंग का मतलब पजल को सॉल्व करके नई बिटकॉइन बनाना है. इसे ‘प्रूफ ऑफ वर्क' भी कहा जाता है. इसमें काफी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है.
ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने और पर्यावरण पर इसके प्रभाव को लेकर, 200 से अधिक कंपनियों और लोगों ने पिछले साल क्रिप्टो क्लाइमेट अकॉर्ड लॉन्च किया था. इसका मुख्य लक्ष्य यह था कि बिटकॉइन की माइनिंग के लिए, 2030 तक पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए.
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए ग्रीन-एनर्जी के इस्तेमाल को हर कोई फायदेमंद समाधान के रूप में नहीं देखता है. अर्थशास्त्री और बिटकॉइन विशेषज्ञ एलेक्स डी व्रीस ने कहा कि ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल ‘रैंडम कंप्यूटेशन' की जगह उन क्षेत्रों में करना चाहिए जिनसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बेहतर हो सके. साथ ही, रोजगार और दूसरे आर्थिक लाभ मिल सके.
दरअसल, हाल के समय में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा है, क्योंकि यह ऊर्जा का सबसे सस्ता स्रोत है. क्रिप्टोकरेंसी विश्लेषण फर्म कॉइनशेयर के एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि 2019 में पूरी दुनिया में बिटकॉइन की माइनिंग के लिए जितनी ऊर्जा की खपत की गई है उनमें से कम से कम 74 फीसदी ऊर्जा अक्षय स्रोत से आई है. इनमें इस्तेमाल की गई ज्यादातर ऊर्जा चीन के हाइड्रोपावर प्लांट की थी.
हालांकि, 2021 में चीनी सरकार ने काफी ज्यादा ऊर्जा खर्च होने की वजह से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया. इस बीच, स्वीडन ने यूरोपीय संघ से क्रिप्टो की माइनिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. स्वीडन ने तर्क दिया है कि इसमें उस अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है जिसकी मदद से कई क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज किया जा सकता है. ऐसे में क्रिप्टो के लिए अक्षय ऊर्जा के ज्यादा इस्तेमाल से जलवायु लक्ष्य खतरे में पड़ सकते हैं.
अपवाद है कोस्टा रिका
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में ऊर्जा के क्षेत्र में शोध करने वाले जोस डैनियल लारा कोस्टा रिका के रहने वाले हैं. वह मानते हैं कि देश में ऊर्जा का उत्पादन खपत से ज्यादा है. इस वजह से ग्रीन क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के पक्ष में तर्क दिए जा सकते हैं. आदर्श स्थिति यह है कि कोस्टा रिका को अपनी बची हुई ऊर्जा निर्यात करनी चाहिए, लेकिन फिलहाल यह संभव नहीं है. उदाहरण के लिए, पड़ोसी देश निकारागुआ में ऊर्जा की किल्लत है. यहां कोस्टा रिका अपनी ऊर्जा का निर्यात कर सकता है, लेकिन निकारागुआ के पास इसे आयात करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है.
बिटकॉइन माइनिंग की वजह से कोपर ने एक मेगावाट की क्षमता वाले अपने दो हाइड्रोपावर प्लांट को फिर से चालू कर दिया है. साथ ही, बिजली को किसी ऐसी चीज में बदलने की अनुमति दी है जिसे फिजिकल पावर ग्रिड की जरूरत के बिना निर्यात किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "यहां हमें ऊर्जा को डिजिटल टोकन में बदलने का मौका मिला.”
उन्होंने सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के लिए कंटेनर जैसा स्टोरेज रूम स्थापित किया है. इसे इस तरह बनाया गया कि यहां ना तो नमी का असर होता है और ना ही गर्मी का. अब विदेशों में माइनिंग करने वाली कंपनियों को सीपीयू रखने के लिए इसे किराए पर दिया जा रहा है. साथ ही, वह खुद भी बिटकॉइन की माइनिंग कर रहे हैं. इसका फायदा यह हुआ कि उन्हें अपने 25 कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकालना पड़ा. अब वे आने वाले महीनों में तीसरे प्लांट को भी फिर से चालू करने की योजना बना रहे हैं.
पोअस आई क्रिप्टो माइनिंग सेंटर कोस्टा रिका में अपनी तरह का पहला माइनिंग सेंटर है, लेकिन कोपर चाहते हैं कि देश में ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़े दूसरे कारोबारी भी इस कारोबार में शामिल हों. कई अन्य कंपनियों का भी दावा है कि क्रिप्टो माइनिंग से अक्षय ऊर्जा के उत्पादन से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है.
ग्रिड का संतुलन बनाए रखने के लिए क्रिप्टो माइनिंग
टेक्सास में, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की कंपनी लैंसियम अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल से चलने वाली बिटकॉइन माइनिंग सेंटर का निर्माण कर रही है. हालांकि, इसे पारंपरिक रूप से तैयार होने वाली बिजली की बचत बताने की जगह दूसरे तौर पर प्रचारित किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि यहां बिटकॉइन की माइनिंग के जरिए ग्रिड का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी.
अक्षय ऊर्जा की वजह से कई तरह की समस्याएं भी होती हैं. उदाहरण के लिए, टेक्सस में मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से विंड फॉर्म से कभी ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन होता है, तो कभी कम. ऐसे में ऊर्जा की ज्यादा आपूर्ति से ग्रिड पर असर पड़ता है, यहां तक कि कभी-कभी ब्लैकआउट भी हो सकता है. यही वजह है कि नवीकरणीय ऊर्जा के दबाव को संतुलित करने के लिए जीवाश्म ईंधन वाले बिजली स्टेशन का इस्तेमाल किया जाता है.
लैंसियम का कहना है कि हमारा मॉडल बिटकॉइन माइनिंग की जगह ग्रिड के संतुलन को बनाए रखने पर जोर देता है. वहीं, लारा कहते हैं कि लैंसियम जैसी परियोजनाएं वाकई में अक्षय ऊर्जा का विस्तार कर सकती हैं और जीवाश्म ईंधन की जरूरत को कम कर सकती हैं.
जीवाश्म ईंधन वाली अर्थव्यवस्थाओं की ओर पलायन
हालांकि, डी व्रीस का कहना है कि ग्रीन क्रिप्टोकरेंसी का ज्यादा असर कार्बन फुटप्रिंट पर नहीं पड़ रहा है. चीन में क्रिप्टो से जुड़ी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगने के बाद, माइनिंग करने वाले ज्यादातर लोग और कंपनियां जीवाश्म ईंधन से समृद्ध देश कजाखस्तान और अमेरिका जैसे देशों में चले गए.
अगस्त 2020 में, दुनिया भर में कुल बिटकॉइन के 5 फीसदी हिस्से की माइनिंग अमेरिका में हुई. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, एक साल बाद यह आंकड़ा बढ़कर 35 फीसदी तक पहुंच गया. टेक्सास खुद को क्रिप्टो कैपिटल के तौर पर विकसित कर रहा है. हालांकि, लैंसियम जैसी परियोजनाओं के बावजूद, राज्य की अधिकांश बिजली की आपूर्ति अभी भी कोयले और गैस से होती है.
ऊर्जा की कम लागत वाला क्रिप्टो मॉडल
कोपर जोर देकर कहते हैं कि पूरी दुनिया नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है. इसी के साथ ग्रीन-माइनिंग से बिटकॉइन के कार्बन फुटप्रिंट को खत्म करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा, "हम डर्टी बिटकॉइन को क्लीन बिटकॉइन से अलग करने का प्रयास कर रहे हैं. उपभोक्ताओं को इसे पहचानने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन यह समय की जरूरत है.”
वहीं, डी व्रीस का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को अधिक ऊर्जा-कुशल बनाना एक बेहतर समाधान होगा. कार्डानो और बीनेंस जैसे ब्लॉकचेन प्लैटफॉर्म पहले से ही अलग मॉडल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसे ‘प्रूफ ऑफ स्टेक' कहा जाता है. इसकी मदद से, माइनिंग करने वाले नए पजल को हल करने की जगह लेनदेन के लिए अपने पुराने कॉइन का ही इस्तेमाल करते हैं. इससे नए बिटकॉइन के निर्माण में खपत होने वाली ऊर्जा की बचत होती है.
डी व्रीस कहते हैं, "अगर आप प्रूफ ऑफ स्टेक का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको ज्यादा हार्डवेयर की जरूरत नहीं होती है. आपके पास सिर्फ इंटरनेट से कनेक्ट किया हुआ डिवाइस होना चाहिए.”
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी इस साल से प्रूफ ऑफ स्टेक पर स्विच करने की योजना बना रही है. डी व्रीस का कहना है कि यह एक नई तकनीक है, लेकिन अगर यह काम इथेरियम करती है, तो दूसरे क्रिप्टोकरेंसी भी इस रास्ते पर आगे बढ़ सकती है. (dw.com)
यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले लगातार जारी हैं लेकिन अपुष्ट खबरों में हमलावर सेना को भी भारी नुकसान होने की बात कही जा रही है. रूसी राष्ट्रपति ने परमाणु हथियारों को हमले के लिए तैयार रहने का भी हुक्म दिया है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी परमाणु हथियारों को लॉन्च के लिए तैयार रहने को कहा है. पुतिन ने इसके लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों को जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि नाटो शक्तियों ने रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने के साथ ही रूसी बैंकों को स्विफ्ट भुगतान तंत्र से बाहर कर दिया और "आक्रामक बयान" दे रहे हैं. पुतिन ने रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को परमाणु प्रतिरक्षा हथियारों को "युद्धक अभियान की विशेष स्थिति" में रखने का हुक्म दिया. अमेरिका ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए रूस पर युद्ध को फैलाने का आरोप लगाया है.
रूस और यूक्रेन एक प्रतिनिधिमंडल के जरिए आपस में बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं. यह बातचीत बेलारूस और यूक्रेन की सीमा पर होगी.
इस बीच रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर में भी घुस गई है. रूसी सेना ने यूक्रेन के तेल और गैस ठिकानों को निशाना बनाया है. रविवार सुबह भी कई जगहों पर भारी धमाकों की आवाज के साथ आग की लपटें और धुएं का बादल उठता नजर आया. यूक्रेन की सेना ने रूसी सैनिकों को राजधानी कीव में आगे बढ़ने से रोक रखा है. इस बीच रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में घुस गई है.
पूरी रात चलता रहा हमला
रूसी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को कहा कि बीती रात बहुत भयानक थी. रूसी गोलाबारी का निशाना नागरिक ठिकानों को बनाया गया. इनमें एक एंबुलेंस भी शामिल है. अब तक इस लड़ाई में कितने लोगों की जान गई है, इसका ठीक ठीक आंकड़ा नहीं मिल सका है. संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने 64 लोगों की जान जाने की बात कही, जबकि यूक्रेन का दावा है कि 3,500 रूसी सैनिक हताहत हुए हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ने कहा है कि करीब 3500 रूसी सैनिक या तो घायल हुए हैं या मारे गए हैं. पश्चिमी देशों के अधिकारी खुफिया जानकारी के आधार पर बता रहे हैं कि रूसी सेना को उम्मीद से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.
रूस ने आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. स्वतंत्र रूप से भी मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं हो सकी है.
रूस के मिसाइलों का हमला पूरी रात चलता रहा है. इसमें एक हमला वासिलकिव में एक तेल ठिकाने पर हुआ जो कीव के दक्षिणपश्चिम में है. यहां धमाके के बाद आग की भारी लपटें निकलने लगीं पूरा आसमान काले धुएं से भर गया. वासिलकीव की मेयर नतालिया बालासिनोविच का कहना है, "दुश्मन हर चीज को खत्म कर देना चाहता है."
यूुक्रेन के अधिकारियों ने लोगों को उनके घरों में और सुरक्षित ठिकानों पर रहने के लिए कहा है. कीव में सोमवार तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है.
उत्तर पूर्वी इलाके में मौजूद खारकीव में भारी लड़ाई चल रही है. यहां रूसी सैनिकों ने प्राकृतिक गैस की एक पाइपलाइन को उड़ा दिया है. धमाके ने आकाश को गहरे धुएं से ढंक दिया. हालांकि यूक्रेन के गैस पाइपलाइन ऑपरेटर का कहना है कि यूक्रेन से हो कर यूरोप जाने वाली रूसी गैस की सप्लाई सामान्य रूप से चालू है.
यूक्रेन के गृह मंत्रालय ने टेलिग्राम पर तस्वीरें डाली है जिनमें बहुत से सैन्य गाड़ियों को खारकीव की सड़कों पर देखा जा सकता है. एक जलते हुए टैंक की तस्वीर भी अलग से डाली गई है.
कीव में रह रह कर गोलियों और धमाकों की आवाज पूरी रात गूंजती रही. सुबह 9 बजे के करीब हवाई हमले का सायरन बजने के बाद तीन बड़े धमाकों की आवाज भी सुनाई दी है.
दृढ़ता से डटे हैं जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की काफी दृढ़ता के साथ डटे हुए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश डाला है जो कीव की सड़कों पर रिकॉर्ड किया गया है. संदेश में जेलेंस्की ने कहा है "हम दुश्मन के हमले के सामने डटे हुए हैं और उन्हें रोकने में सफल हुए हैं." एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी का कहना है कि यूक्रेन के सैनिक रूस को हवा, जमीन और सागर में कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
रूस ने बातचीत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल बेलारूस भेजा है जिसमें सेना के अफसर और राजनयिक हैं. इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बेलारूस में बात करने से मना कर दिया था. इसके पहले रूस ने कहा कि एक रूसी प्रतिनिधिमंडल बेलारूस चला गया है और बातचीत की प्रतीक्षा कर रहा है. बातचीत के समय और जगह की जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है. जेलेंस्की ने वारसॉ, ब्रातिस्लावा, बाकू, बुडापेस्ट या फिर इस्तांबुल में बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था. इस बीच इस्राएल के प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत में दोनों देशों के बीच मध्यस्थ बनने की पेशकश की है.
यूक्रेन को मदद
यूक्रेन को रूस के हमले का जवाब देने में दुनिया के कई देशों की मदद मिल रही है. हंगरी, पुर्तगाल, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई देश उसकी मदद के लिए आगे आए हैं. अब तक हथियार देने से इनकार करता रहा जर्मनी भी अब इसमें शामिल हो गया है. जर्मनी ने यूक्रेन शनिवार की शाम यूक्रेन को हथियार देने पर लगी रोक हटाने का फैसला किया है. हालांकि यूक्रेन का कहना है कि यह फैसला देर से लिया गया है. इस वक्त समस्या यह है कि ये हथियार वहां पहुंचे कैसे? जर्मनी ने कहा है कि वह जल्दी ही टैंकरोधी हथियार और मिसाइलें यूक्रेन भेजेगा.
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने कहा है कि उसने यूक्रेन को और अधिक हथियार देने की मंजूरी दे रहे हैं ताकि वह रूस के हमले से अपना बचाव कर सके. अमेरिका ने यूक्रेन को 35 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने का फैसला किया है. इनमें टैंक रोधी हथियार, कवच और छोटे हथियार शामिल हैं. इटली ने यूक्रेन को 11 करोड़ यूरो की तत्काल मदद देने का एलान किया है.
रूस पर प्रतिबंधों का आना जारी
शनिवार को इन देशों ने कुछ रूसी बैंकों के स्विफ्ट भुगतान तंत्र का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने का फैसला किया. ऐसे में रूस और उसकी कंपनियों के लिए व्यापार मुश्किल हो जाएगा. इन देशों का कहना है कि वे रूसी सेंट्रल बैंक पर भी इस तरह की पाबंदियां लगाएंगे कि रूसी मुद्रा रूबल की मदद करना मुश्किल हो जाएगा.
इन देशों ने उन बैंकों का नाम नहीं लिया जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा लेकिन यूरोपीय संघ के एक अधिकारी का कहना है कि 70 फीसदी रूसी बैंकिंग बाजार पर इसका असर होगा. पश्चिमी देश पहले स्विफ्ट का इस्तेमाल करने से बच रहे थे क्योंकि इसका असर उनकी अपनी अर्थव्यवस्था पर भी होगा. रूस के सेंट्रल बैंक पर पाबंदी से पुतिन के लिए विदेशी मुद्रा के भंडार का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा. रूस के पास करीब 640 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है और प्रतिबंधों का सामना करने में पुतिन के लिए इसे बड़ी मदद समझा जा रहा है.
इस बीच गूगल ने रूस के सरकारी टीवी चैनल आरटी और दूसरे चैनलों को उनके वेबसाइट से होने वाली कमाई रोक दी है. इसमें वेबसाइट, ऐप और यूट्यूब के वीडियो शामिल हैं. इसी तरह के कदम फेसबुक ने भी उठाए हैं.
रूसी विमानों के लिए रास्ता बंद
जर्मनी ने अपनी वायुसीमा से रूसी विमानों के गुजरने पर रोक लगा दी है. जर्मनी के अलावा अमेरिका, बेल्जियम, नीदरलैंड, इटली ने भी रूसी विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करने का फैसला किया है. इनके अलावा नॉर्डिक देशों में फिनलैंड, स्वीडन और डेनमार्क ने भी कहा है को अपनी वायुसीमा को रूसी विमानों के लिए बंद करने की तैयारी कर रहे हैं. पुर्तगाल, स्पेन, इटली, फ्रांस कनाडा और उत्तरी मैसेडोनिया ने भी रूसी विमानों के लिए वायुसीमा बंद करने का एलान कर दिया है.
इन देशों की कतार में ब्रिटेन, बुल्गारिया, पोलैंड, चेक, रोमानिया भी शामिल हो रहे हैं. बाल्टिक देशों में लिथुआनिया, लातविया और एस्तोनिया भी रूसी विमानों के लिए अपनी वायुसीमा बंद कर रहे हैं. आइसलैंड भी इन देशों में शामिल हो गया है. रूस ने भी इनमें से ज्यादातर देशों के लिए अपनी वायुसीमा बंद कर दी है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज एक और बैठक हो रही है जिसमें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोकने के लिए प्रस्ताव को आम सभा में भेजने के बारे में चर्चा की जाएगी. इससे पहले इस प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में रूस ने वीटो कर दिया था.
यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के नेताओं ने शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है, "हम रूस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराएंगे और सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि यह जंग पुतिन के लिए एक रणनीतिक हार बने."
विकसित देशों के संगठन जी7 के नेता रविवार शाम एक ऑनलाइन बैठक करेंगे जिसमें रूस के खिलाफ आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.
शरणार्थी संकट
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने रविवार को बताया कि रूस के हमले के बाद अब तक 368,000 लोग यूक्रेन से बाहर गए हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. इनमें से सबसे ज्यादा यानी करीब 156,000 लोग पोलैंड गए हैं. पोलैंड के बॉर्डर गार्ड का कहना है कि केवल शनिवार को ही करीब 77,300 लोगों ने सीमा पार की है.
इसके अलावा रोमेनिया, हंगरी, मोल्दोवा, स्लोवाकिया में भी लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. लाखों की संख्या में लोग यूक्रेन के भीतर भी विस्थापित हुए हैं. कोई पैदल, कोई कार में तो कोई किसी और जरिए जैसे भी संभव है यूक्रेन से निकलने की कोशिश कर रहा है. देश के बाहर जाने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और विदेशी हैं. इन्हें नहीं पता कि सीमा पार करने के बाद भी कहां जाएं. स्थानीय लोग और कुछ स्वयंसेवक इनके लिए खाना और दूसरी मदद का इंतजाम कर रहे हैं.
एनआर/एडी (एपी, रॉयटर्स, एएफपी,डीपीए)
काबुल, 28 फरवरी | अफगानिस्तान में घर घर तलाशी अभियान के नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं और इस दौरान भारी मात्रा में हथियार तथा गोला बारूद बरामद किया गया है। इसके अलावा इस अभियान में दाएश लड़ाकों, लुटेरों तथा अपहरणकर्ताओं को भी धर दबोचा गया है।
इस्लामिक अमीरात के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने रविवार को काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हाल ही में घर घर तलाशी अभियान का उद्देश्य अपराधियों को पकड़ना था, जिनमें से कुछ को सरकार बदलने के दौरान जेल से रिहा कर दिया गया था।
टोलोन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुजाहिद ने बताया कि इस्लामिक अमीरात के घरों की तलाशी लेने वाली सेना में महिलाएं थीं और केवल 'संदिग्ध क्षेत्रों' की तलाशी ली गई थी।
उन्होंने कहा कि इस दौरान 'नौ अपहरणकर्ता, दाएश से जुड़े छह लड़ाकों और 53 लुटेरों' को हिरासत में लिया गया है।
इस बीच काबुल के कुछ निवासियों ने कहा कि इस्लामिक अमीरात बलों ने उनके घरों पर छापा मारा था। काबुल निवासी अली यासर ने कहा, "उन्होंने कहा था कि परिवार को घर के अंदर रहना चाहिए और जिस कमरे में महिलाएं थीं उसे छोड़कर सभी कमरों की तलाशी ली गई थी। रविवार सुबह करीब 10:30 बजे तालिबानी सुरक्षा बल आए और उनमें एक महिला भी थी। उन्होंने घरों में तलाशी अभियान चलाया।"
राजधानी के निवासियों ने पहले भी इस्लामिक अमीरात द्वारा घर-घर तलाशी की शिकायत की थी।
मुजाहिद ने कहा कि अभियान के दौरान काबुल में एक घर में जंजीरों से बंधी दो लड़कियां मिलीं। उन्होंने कहा कि स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए जांच की जा रही है।
प्रवक्ता ने वित्तीय गतिविधियों की अनुमति देने वाले नए अमेरिकी लाइसेंस का स्वागत करते हुए अन्य प्रतिबंधों को हटाने तथा राजनयिक प्रयासों के विस्तार का आग्रह किया है। मुजाहिद ने कहा कि इस्लामिक अमीरात उन लोगों के खिलाफ है जो अपने परिवारों के साथ देश छोड़ कर जा रहे हैं, क्योंकि विदेशों में अफगानी गंभीर समस्याओं का सामना करते हैं।
उन्होंने कहा, "इस्लामिक मूल्यों के आधार पर महिलाओं को बिना पुरुष के यात्रा करने की अनुमति नहीं है और विदेशों में पढ़ रही छात्राओं के बारे में इस मामले में विचार किया जा रहा है।"
हिरासत में ली गई महिला प्रदर्शनकारियों के बारे में पूछे जाने पर मुजाहिद ने कहा कि इस बारे में कोई नई जानकारी नहीं है और अटॉर्नी जनरल का कार्यालय मामले की जांच कर रहा है।
सूचना और संस्कृति के उप मंत्री का पदभार संभाल रहे मुजाहिद ने डूरंड रेखा पार करने वाले लोगों के बारे में कहा कि यह स्थानीय विवाद है और इस्लामिक अमीरात पड़ोसियों के साथ विवादों को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 फरवरी | यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने बताया कि रूस ने पूरी रात उत्तरी शहर चेर्निहाइव में गोलाबारी की। यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया कि राजधानी कीव और दूसरे शहर खारकीव में तड़के से पहले धमाकों की आवाज सुनी गई।
चेर्निहाइव में पूरी रात गोले गिरे, हालांकि शहर में अब तक केवल एक के घायल होने की सूचना है। यूक्रेनी राज्य आपातकालीन सेवा के अनुसार, तोपखानों से हमला लगभग रात करीब 2.00 बजे शुरू हुआ।
एजेंसी के अनुसार, रॉकेटों ने एक किंडरगार्टन आवास वाली एक इमारत पर हमला किया, जिससे आग लग गई। केंद्रीय बाजार में एक दुकान के साथ-साथ पांच मंजिला आवासीय अपार्टमेंट की इमारत भी क्षतिग्रस्त हो गई। बीबीसी ने बताया कि एक महिला मामूली रूप से घायल हो गई।
यूक्रेन की राजधानी और देश भर के अन्य शहरों में रात में और विस्फोट होने की सूचना है।
यूक्रेन का दावा है कि उसके सैनिक राजधानी के बाहरी इलाके में रूसी सैनिकों द्वारा किए गए कई हमलों को विफल करने में कामयाब रहे। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सशस्त्र बलों के कमांडर कर्नल जनरल अलेक्जेंडर सिस्र्की ने एक बयान में कहा, "हमने दिखाया कि हम बिन बुलाए मेहमानों से अपने घर की रक्षा कर सकते हैं।"
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि अगले 24 घंटे रूसी आक्रमण का पांचवां दिन है, जो यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण होगा।
रूसी रूबल गंभीर प्रतिबंधों के मद्देनजर डॉलर के मुकाबले एक नए निचले स्तर पर आ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को हथियार भेजने का फैसला किया है। (आईएएनएस)
-जो टिडी
क्रिप्टो करेंसी विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन को युद्ध मदद के तौर पर अब तक अनाम बिटकॉइन दान के जरिए कम से कम 13.7 मिलियन डॉलर की रकम मिली है.
ब्लॉक चेन एनेलिसिस कंपनी एलिप्टिक के शोधकर्ताओं का कहना है कि यूक्रेन की सरकार, वहां काम कर रहे गैर सरकारी संगठन और स्वयंसेवक समूहों ने अपने बिटकॉइन वॉलेट के ऑनलाइन प्रचार के ज़रिए पैसा जुटाया है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक अब तक चार हज़ार से अधिक लोग यूक्रेन युद्ध में मदद के लिए दान कर चुके हैं. एक दानदाता ने अकेले ही एक एनजीओ को तीस लाख डॉलर क़ीमत का बिटकॉइन दिया है.
लोगों ने औसतन 95 डॉलर का दान किया है.
शनिवार दोपहर को यूक्रेन की सरकार के अधिकारिक अकाउंट से एक संदेश ट्वीट किया गया, "यूक्रेन के लोगों का साथ दीजिए, अब हम क्रिप्टो करेंसी में भी दान स्वीकार कर रहे हैं. बिटकॉइन, इथीरियम और अमेरिकी डॉलर में दान दीजिए."
सरकार की अपील पर दान
सरकार ने दो क्रिप्टो वॉलेट का पता पोस्ट किया जहां 54 लाख डॉलर का चंदा आ चुका है. आठ घंटों के भीतर ही बिटकॉइन, इथीरियम और दूसरी क्रिप्टो करेंसी में ये चंदा यूक्रेन को मिला.
यूक्रेन के डिजिटल मंत्रालय का कहना है कि ये दान यूक्रेन के युद्ध प्रयासों में मदद करने के लिए हैं. हालांकि मंत्रालय ने ये नहीं बताया है कि ये पैसा कैसे इस्तेमाल किया जाएगा.
एलिप्टिक के संस्थापक टॉम रोबिंसन के ने बीबीसी से कहा, "कुछ क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म और पेमेंट कंपनियों ने यूक्रेन का समर्थन करने वाल समूहों के लिए दान को रोक दिया है. ऐसे में बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टो करेंसी दान हासिल करने का सशक्त माध्यम बनी है."
शुक्रवार को पैसा जुटाने वाले प्लेटफॉर्म पेट्रियोन ने घोषणा की थी उसने कम बैक अलाइव अभियान के फंड को रोक दिया है. यूक्रेन का ये एनजीओ साल 2014 से यूक्रेन के सैन्यबलों के लिए फंड इकट्ठा कर रहा है.
पेट्रियोन ने अपने बयान में कहा है कि वो अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए फंड जुटाने के लिए नहीं होने देते हैं.
वीडियो कैप्शन,
रूस-यूक्रेन संकट: क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?
बदल रहा है तरीका
दुनियाभर में चल रहे संघर्षों में क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए फंड जुटाना एक लोकप्रिय तरीका बनता जा रहा है.
स्कैम करने वाले गिरोह भी यूक्रेन के मौजूदा संकट का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. वो लोगों को चाल में फंसाकर अपने वॉलेट में फंड देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
एलिप्टिक का कहना है कि कम से कम एक सोशल मीडिया पोस्ट में एक एनजीओ की दान देने की अपील को कॉपी करते हुए बिटकॉइन वॉलेट का पता बदल दिया गया था. हो सकता है उन्होंने अपने वॉलेट का पता डाल दिया हो.
अब तक क्या हुआ?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को यूक्रेन में 'विशेष सैन्य कार्रवाई' करने का एलान कर दिया. उनके इस एलान के बाद यूक्रेन की राजधानी कीएव सहित देश के अन्य हिस्सों में धमाके गूंजने लगे.
रूस की तरफ़ से हुई ये कार्रवाई पुतिन के 'मिंस्क शांति समझौते' को ख़त्म करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने के सोमवार के एलान के बाद हुई. रूस की तरफ़ से इन क्षेत्रों में सेना भेजने की वजह 'शांति कायम करना' बताया गया.
इससे पहले, रूस ने पिछले कुछ महीनों से यूक्रेन की सीमा पर हज़ारों सैनिकों को तैनात कर दिया था. उसके बाद से ही यूक्रेन पर हमले की अटकलें लगाई जा रही थीं.
रूस लंबे समय से यूरोपीय संगठनों ख़ासकर नेटो के साथ यूक्रेन के जुड़ाव का विरोध करता रहा है.
इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की लगातार दुनिया के अलग-अलग देशों से समर्थन जुटाने में जुटे हैं. अमेरिका समेत कुछ पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियार भेजने की बात कही है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 27 फरवरी | रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को देश के परमाणु प्रतिरोधी बलों को 'विशेष' अलर्ट पर रखा है। इस कदम की घोषणा रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीफ ऑफ स्टाफ वालेरी गेरासिमोव के साथ पुतिन की बैठक के दौरान की गई।
पुतिन ने कहा, "पश्चिमी देश न केवल आर्थिक क्षेत्र में हमारे देश के खिलाफ अमित्र कार्रवाई कर रहे हैं। मैं उन नाजायज प्रतिबंधों के बारे में बोल रहा हूं, जिनके बारे में सभी अच्छी तरह जानते हैं। हालांकि, प्रमुख नाटो देशों के शीर्ष अधिकारी भी हमारे देश के खिलाफ आक्रामक बयान देते हैं।"
आरटी के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह कदम नाटो के शीर्ष अधिकारियों द्वारा 'शत्रुतापूर्ण' बयानबाजी के जवाब में आया है।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने इससे पहले रविवार को एक नए टेलीविजन संबोधन में 'अपने सैन्य कर्तव्यों को वीरतापूर्वक निभाने' के लिए अपने विशेष बलों की प्रशंसा की।
रिपोर्ट में कहा गया है, पुतिन ने 'डोनबास के लोगों के गणराज्यों को सहायता प्रदान करने के लिए विशेष अभियान' में शामिल सैनिकों के लिए अपना 'विशेष आभार' दिया - क्रेमलिन की प्रचार लाइन का एक संदर्भ कि इसने यूक्रेन में रूसी समर्थक अलगाववादियों की मदद करने के लिए हस्तक्षेप किया, जो खतरे में थे।
पुतिन ने स्पेशल ऑपरेशंस फोर्सेज (एसओएफ) के वार्षिक दिवस को चिह्न्ति करने के लिए बात की, क्योंकि उनके विशाल बल बढ़ते रूसी नुकसान के बीच यूक्रेनी प्रतिरोध को कुचलने के लिए अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दिए।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने आज कहा कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, रूसी सेना रविवार को यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव में प्रवेश कर गई, क्योंकि वह राजधानी कीव शहर पर नियंत्रण करने के अपने रातभर के प्रयासों में विफल रहा। (आईएएनएस)