अंतरराष्ट्रीय
चीन के जुंग सानसान भारत के मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते हुए एशिया के सबसे धनी व्यक्ति बन गए हैं.
ब्लूमबर्ग बिलिनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक़ वर्ष 2020 में शानशन की संपत्ति में सात अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है.
उन्होंने भारत के मुकेश अंबानी के अलावा अपने ही देश के जैक मा को भी पीछे छोड़ दिया है.
और ऐसा हुआ है उनकी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी और बोतलबंद पानी की कंपनी के कारण.
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 77.8 अरब डॉलर की हो गई है और वे अब दुनिया के 11वें सबसे धनी व्यक्ति बन गए हैं.
जुंग को लोन वूल्फ़ के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने पत्रकारिता, मशरूम की खेती और हेल्थकेयर के क्षेत्र में भी अपनी क़िस्मत आज़माई है.
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जुंग ने इस साल अप्रैल में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बीजिंग वान्टई बॉयोलॉजिकल को चीन के शेयर बाज़ार में लिस्ट कराया था.
इसी तरह तीन महीने बाद जुंग ने अपनी बोतलबंद पानी की कंपनी नॉन्गफ़ू स्प्रिंग को हॉन्गकॉन्ग शेयर बाज़ार में लिस्ट किया.
इसी समय इस फ़ैसले ने उन्हें अलीबाबा के संस्थापक जैक मा के ऊपर पहुँचा दिया. जैक मा पहले चीन और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति थे.
हॉन्गकॉन्ग शेयर बाज़ार में लिस्ट होने के बाद ज़ॉन्ग की बोतलबंद पानी की कंपनी शेयर बाज़ार में सबसे अधिक मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनियों में शामिल हो गई. शेयर बाज़ार में लिस्ट होने के बाद इस कंपनी के शेयर में 155 फ़ीसदी की उछाल आई.
बीजिंग वॉन्टई बॉयोलॉजिकल के भी शेयर 2000 प्रतिशत से भी ज़्यादा बढ़ गए. ये कंपनी चीन की उन कंपनियों में शामिल है, जो कोरोना की वैक्सीन बना रही है.
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जुंग के नाटकीय उत्थान ने उन्हें एशिया का सबसे धनी व्यक्ति बना दिया है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक़ ज़ॉन्ग ने इतिहास में सबसे तेज़ी से अपनी संपत्ति में इज़ाफ़ा करने वालों की सूची में जगह बना ली है.
दुनिया के कई धनी व्यक्तियों की क़िस्मत कोरोना काल में और चमकी है और इनमें अमेज़ॉन के संस्थापक जेफ़ बेज़ोस भी शामिल हैं.
भारत में मुकेश अंबानी की संपत्ति में 18.3 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है और उनकी कुल संपत्ति बढ़कर 76.9 अरब डॉलर हो गई है. मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को तकनीक और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में लाने के लिए कई सौदे किए.
इस साल के शुरू में फ़ेसबुक ने कहा था कि वो इंटरनेट कंपनी रिलायंस जियो में 5.7 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है. रिलायंस जियो के मालिक मुकेश अंबानी ही हैं.
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हालाँकि जैक मा की संपत्ति में इस साल गिरावट देखी गई है. अक्तूबर में उनकी संपत्ति 61.7 अरब डॉलर तक गई थी, लेकिन अब ये गिरकर 51.2 अरब डॉलर रह गई है.
उनकी कंपनी अलीबाबा को चीन के अधिकारियों की कई निगरानी से होकर गुज़रना पड़ रहा है.
अलीबाबा के ख़िलाफ़ अपना एकाधिकार स्थापित करने के लिए ग़लत व्यवहार के आरोपों की जाँच हो रही है, जबकि इसकी सहायक कंपनी एंट ग्रुप की शेयर बाज़ार में लिस्टिंग को नवंबर में रोक दिया गया था.
चीन के ज़्यादातर अरबपति टेक इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं. लेकिन ख़्वावे, टिकटॉक और वी चैट को लेकर चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण चीनी टेक कंपनियों की क़ीमत शेयर बाज़ार में गिरी है.
वाशिंगटन, 31 दिसंबर। वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 8.26 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि संक्रमण से होने वाली मौतें 18 लाख से अधिक हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने गुरुवार को दी।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने गुरुवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामले और मृत्यु दर क्रमश: 82,625,514 और 1,802,560 हैं।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया का सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश अमेरिका है, जहां मामलों की कुल संख्या 19,722,442 और मौतें 341,964 हैं।
संक्रमण के मामलों के हिसाब से भारत 10,244,852 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में कोविड से मरने वालों की संख्या 148,439 हो गई है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, दस लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (7,619,200), रूस (3,100,018), फ्रांस (2,657,624), ब्रिटेन (2,440,202), तुर्की (2,194,272), इटली (2,083,689), स्पेन (1,910,218), जर्मनी (1,719,912), कोलंबिया (1,626,461), अर्जेंटीना (1,613,928), मैक्सिको (1,401,529), पोलैंड (1,281,414), ईरान (1,218,753), यूक्रेन (1,076,880), दक्षिण अफ्रीका (1,039,161), और पेरू (1,010,496) हैं।
कोविड मौतों के मामले में वर्तमान में ब्राजील 193,875 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मृत्यु वाले देश मेक्सिको (148,439), इटली (148,439), ब्रिटेन (72,657), फ्रांस (64,508), रूस (55,692), ईरान (55,095), स्पेन (50,689), अर्जेंटीना (43,163), कोलंबिया (42,909), पेरू (37,574), जर्मनी (32,665), दक्षिण अफ्रीका (28,033), पोलैंड (28,019), इंडोनेशिया (21,944) और तुर्की (20,642) हैं।
--आईएएनएस
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले में हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि को स्थानीय लोगों की एक नाराज़ भीड़ ने ढहा दिया है.
पुलिस ने बताया कि करक ज़िले के एक छोटे से गांव टेरी में भीड़ इस बात को लेकर नाराज़ थी कि एक हिंदू नेता घर बनवा रहे थे और वो घर एक इस समाधि से लगा हुआ था.
करक के ज़िला पुलिस अधिकारी इरफानुल्लाह मारवात ने बीबीसी के स्थानीय प्रतिनिधि सिराजुद्दीन को बताया कि उस इलाके में कोई हिंदू आबादी नहीं रहती है. स्थानीय लोग इस बात से नाराज़ थे कि जिस जगह पर ये निर्माण कार्य हो रहा था, वो उसे इस समाधि स्थल का ही हिस्सा समझते थे.
उन्होंने बताया कि पुलिस को लोगों के विरोध की जानकारी दी गई थी और वहां पर सुरक्षा इंतज़ाम भी किए गए थे.
इरफानुल्लाह मारवात ने बताया, "हमें विरोध प्रदर्शन की जानकारी थी लेकिन हमें बताया गया था कि ये शांतिपूर्ण रहेगा. हालांकि एक मौलवी ने हालात को भड़काऊ भाषण देकर वहां हालात बिगाड़ दिए. भीड़ इतनी बड़ी थी कि वहां हालात बेकाबू हो गए. हालांकि इस घटना में वहां किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ है."
ज़िला पुलिस अधिकारी ने कहा कि वहां हालात नियंत्रण में हैं लेकिन क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण है. अभी तक कोई केस नहीं दर्ज किया गया लेकिन जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा, उसके ख़िलाफ़ जल्द ही एफ़आईआर दर्ज किया जाएगा.
ऐसे हालात क्यों पैदा हुए?
हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की समाधि पर विवाद कोई नई बात नहीं है. इलाके के रूढ़िवादी लोग इस समाधि स्थल का शुरू से ही विरोध करते रहे थे. साल 1997 में इस समाधि पर पहली बार स्थानीय लोगों ने हमला किया था.
हालांकि बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह की प्रांतीय सरकार ने इसका पुनर्निमाण कराया.
सरकार के समर्थन और कोर्ट के फ़ैसले के बावजूद टेरी में हालात तनावपूर्ण बने रहे. समाधि के पुनर्निमाण शुरू करने से पहले स्थानीय प्रशासन ने टेरी कट्टरपंथी लोगों से लंबी बातचीत की थी.
साल 2015 में ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के एडिशनल एडवोकेट जनरल वक़ार अहमद ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट में इस सिलसिले में एक रिपोर्ट पेश की थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग जब पांच शर्तों पर तैयार हो गए थे, उसके बाद ही समाधि के पुनर्निमाण की इजाजत दी गई.
ऐसा कहा जाता है कि समझौते की एक शर्त ये भी थी कि हिंदू समुदाय के लोग टेरी में अपने धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं करेंगे. वे वहां पर केवल अपनी धार्मिक प्रार्थनाएं कर सकेंगे.
समाधि पर उन्हें न तो बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा करने की इजाजत होगी और न ही समाधि स्थल पर किसी बड़े निर्माण कार्य की मंज़ूरी दी जाएगी. इसके अलावा क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लोग क्षेत्र में ज़मीन भी नहीं खरीद सकेंगे और उनका दायरा केवल समाधि स्थल तक ही सीमित रहेगा.
ये समाधि एक सरकारी ट्रस्ट की संपत्ति है. इसका निर्माण उस जगह कराया गया था जहां हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज का निधन हुआ था और साल 1919 में यहीं पर उनकी अंत्येष्टि की गई थी. उनके अनुयायी यहां पूजा-पाठ के लिए साल आते रहे थे. साल 1997 में ये सिलसिला उस वक़्त रुक गया जब ये मंदिर ढहा दिया गया.
इसके बाद हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज के अनुयायियों ने मंदिर के पुननिर्माण की कोशिशें शुरू कीं. हिंदू समुदाय के लोगों का आरोप था कि एक स्थानीय मौलवी ने सरकारी ट्रस्ट की प्रोपर्टी होने के बावजूद इस पर कब्ज़ा कर लिया था.
ज़िला पुलिस अधिकारी इरफानुल्लाह मारवात का कहना है कि हिंदू समुदाय के लोग भी पाकिस्तान के नागरिक हैं और उन्हें भी देश के दूसरे लोगों की तरह कहीं भी संपत्ति खरीदने का अधिकार है. चूंकि ज़िले में कोई हिंदू आबादी नहीं रहती है इसलिए स्थानीय लोगों का इस मंदिर के विस्तार को लेकर कुछ आशंकाएं थीं. (bbc)
न्यूयॉर्क, 31 दिसंबर | अमेरिका में कोविड -19 से होने वाली मौतें बुधवार दोपहर 340,000 से अधिक हो गई। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सीएसएसई के आंकड़ों से जानकारी मिली कि अमेरिका में कोविड-19 के मामले 1.96 करोड़ तक पहुंच गए हैं और मृत्यु दर बढ़कर 340,586 हो गई है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, न्यूयॉर्क राज्य में 37,687 मौतें दर्ज हुई, जो अमेरिकी राज्य-स्तर की मृत्यु की सूची में सबसे ऊपर है। टेक्सास में 27,298 मौतें दर्ज की गईं। कैलिफोर्निया राज्य और फ्लोरिडा दोनों जगहों पर 21,000 से अधिक मौतों की पुष्टि की गई।
वहीं 10,000 से अधिक मौतें दर्ज करने वाले राज्यों में न्यू जर्सी, इलिनोइस, पेंसिल्वेनिया, मिशिगन, मैसाचुसेट्स और जॉर्जिया भी शामिल हैं।
अमेरिका दुनिया भर में सबसे ज्यादा मामलों और मौतों के साथ महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। देश ने वैश्विक मौत में 18 प्रतिशत से अधिक योगदान दिया है।
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, कोविड -19 से जुड़ी अमेरिकी दैनिक मौतें मंगलवार को बढ़कर 3,725 हो गईं, जो कि मरने वालों की संख्या में सबसे ज्यादा एकदिवसीय वृद्धि है।
इसके अलावा, कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के अस्पतालों में मंगलवार को 124,686 सर्वाधिक मरीजों को भर्ती किया गया।
ब्रिटेन में पाया गया कोविड -19 का एक वेरिएंट मंगलवार को अमेरिकी राज्य कोलोराडो में पाया गया था।
--आईएएनएस
इस्लामाबाद, 31 दिसंबर | अमेरिका ने कड़े शब्दों में कहा है कि अगर अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के मामले में पाकिस्तान के न्यायालय न्याय नहीं कर पा रहे हैं तो वह इसके आरोपियों को हिरासत में लेने के लिए तैयार है।
दरअसल, पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट ने हाल ही में अमेरिकी पत्रकार की हत्या के आरोपियों को रिहा करने का आदेश दे दिया था। इसके बाद जब इस मामले में पाकिस्तान को अमेरिका ने चेताया तो उस चेतावनी से सहमे इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारों की रिहाई पर रोक लगा दी थी।
बता दें कि पाकिस्तानी कोर्ट के आदेश पर ट्रंप प्रशासन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे चिंताजनक करार दिया था।
वहीं अब अमेरिका के कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल जेफरी रोसेन ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में दो टूक कह दिया है कि अगर पाकिस्तान से मामला नहीं संभल रहा तो वह इसके आरोपियों को हिरासत में लेने को तैयार हैं।
रोसेन ने एक बयान में दोहराया है कि अगर पाकिस्तानी अधिकारी न्याय करने में विफल रहते हैं, तो अमेरिका अपने यहां पर मुकदमा चलाने के लिए प्रमुख दोषी उमर शेख को हिरासत में लेना चाहेगा।
उन्होंने कहा, "उसकी सजा को खत्म करने और उसे रिहा करने का न्यायिक आदेश आतंकवाद के सभी पीड़ितों के लिए बड़ा आघात है।"
पाकिस्तानी सरकार और न्यायिक प्रणाली पर अविश्वास जाहिर करते हुए रोसेन ने कहा, "यदि ये प्रयास सफल नहीं होते हैं, तो अमेरिका उमर शेख को हिरासत में लेने के लिए तैयार है। डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में हम उसे कानून की पकड़ से भागने नहीं दे सकते हैं।"
अमेरिका का मजबूत बयान सिंध हाईकोर्ट द्वारा हिरासत से आरोपियों को रिहा करने के फैसले के मद्देनजर आया है।
गौरतलब है कि सिंध हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले सप्ताह सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे शेख और अन्य आरोपियों को किसी भी प्रकार की हिरासत में ना रखें और उनकी हिरासत से जुड़ी सिंध सरकार की सभी अधिसूचनाओं को अमान्य घोषित कर दिया था।
--आईएएनएस
यमन के दक्षिणी शहर अदन के हवाई अड्डे पर हुए ज़ोरदार धमाके में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल हो गए हैं.
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि नयी सरकार के सदस्यों को लेकर आने वाला विमान पड़ोसी देश सऊदी अरब से जैसे ही एयरपोर्ट पर पहुंचा वहां एक धमाका हुआ.
मारे गए लोगों में सहायक कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने कहा है कि वो और उनका मंत्रीमंडल ठीक है.
सूचना मंत्री ने हूती विद्रोहियों पर आरोप लगाते हुए इस हमले को एक कायरतापूर्ण चरमपंथी हमला कहा है.
मंत्री इरियानी ने ट्वीट किया, "हम अपने लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सभी कैबिनेट मिनिस्टर सुरक्षित हैं और हवाई अड्डे पर इरान समर्थित हूती विद्रोहियों के कायरतापूर्ण चरमपंथी हमले हमें हमारी ज़िम्मेदारियों से भटका नहीं पाएंगे और हमारा जीवन अन्य यमनियों की तुलना में अधिक मूल्यवान नहीं है. अल्लाह मारे गए लोगों को शांति दे और मैं घायलों के जल्दी ठीक होने की दुआ करता हूं. "
यमन 2015 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है.
हूती विद्रोहियों के देश के अधिकतर पश्चिमी हिस्सों पर नियंत्रण करने और सऊदी अरब समर्थित राष्ट्रपति अब्दूरब्बू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागने पर मजबूर करने के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने यमन के युद्ध में हस्तक्षेप किया था. इसके बाद से यमन के हालात और बिगड़ते होते चले गए.
इस लड़ाई के कारण अब तक 110,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
इसके अलावा दसियों हज़ार नागरिकों की मौत ऐसे कारणों से हुई है जिन्हें रोका जा सकता था. इनमें कुपोषण, बीमारी और भुखमरी शामिल हैं.
बुधवार को हुई घटना का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें एक घातक धमाके को साफ़ देखा जा सकता है. इस धमाके से महज़ कुछ पल पहले नई कैबिनेट के सदस्य हवाई जहाज़ से उतरे थे.
मंत्रियों के स्वागत के लिए काफी संख्या में भीड़ भी जुटी हुई थी. लेकिन जैसे ही विस्फ़ोट का गुबार उठा लोगों में अफ़रा-तफ़री मच गई. कुछ देर बाद गोलियां चलने की भी आवाज़ सुनाई दी.
एएफ़पी समाचार एजेंसी के संवाददाता ने बताया कि उन्होंने कम से कम दो विस्फोटों की आवाज़ सुनी.
हालांकि विस्फोट के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है. सऊदी टेलीविज़न चैनल अल-हदथ ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि एक मिसाइल ने टरमैक को हिट किया और विस्फोट हुआ.
इससे पूर्व अगस्त साल 2019 में अदन में एक सैन्य परेड पर हूती विद्रोहियों के मिसाइल हमले में 36 लोगों की मौत हो गई थी.
आईसीआरसी (इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ द रेड क्रॉस) ने कहा है कि बुधवार को हुए हमले में उनका एक सदस्य मारा गया. जबकि तीन लोग घायल हैं.
यमन की न्यूज़ वेबसाइट अल-मसदर ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक़, श्रम मंत्रालय के एक अंडरसेक्रेटरी यास्मीन अल अवधी मारे गए हैं. साथ ही युवा और खेल मंत्रालय के उप-मंत्री मोनेर अल-वज़ीह और उप-परिवहन मंत्री नासिर शरीफ़ हमले में घायल हुए हैं.
हमले के बाद प्रधानमंत्री मइन अब्दुलमलिक सईद और उनके मंत्रीमंडल को सुरक्षा घेरे में बाहर ले जाया गया.
पीएम सईद ने ट्वीट किया, "हम और सरकार के अन्य सदस्य अदन में हैं और हम सुरक्षित हैं."
उन्होंने लिखा, "कायर चरमपंथियों ने अदन हवाई अड्डे को निशाना बनाया जोकि यमन के लोगों और यमन के ख़िलाफ़ छेड़े गए युद्ध का ही हिस्सा है." (bbc)
न्यूयॉर्क, 30 दिसंबर | अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक कंपाउंडर (पुरुष नर्स) देश में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित फाइजर वैक्सीन की पहली खुराक प्राप्त करने के आठ दिन बाद कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मैथ्यू डब्ल्यू (45) ने एक फेसबुक पोस्ट में 18 दिसंबर को वैक्सीन प्राप्त करने के बारे में बात कही है।
उन्होंने एबीसी 10 न्यूज को बताया कि उन्हें केवल उनके हाथ में एक दिन कुछ दर्द हुआ मगर इसके अलावा कोई अन्य साइड इफेक्ट नहीं हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैक्सीन मिलने के आठ दिन बाद वह कोविड-19 इकाई में काम करते हुए अस्वस्थ महसूस करने लगे।
मैथ्यू ने क्रिसमस के बाद खुद का परीक्षण कराया और इसके परिणामों से पता चला कि वह कोविड-19 पॉजिटिव हैं।
सैन डिएगो के फैमिली हेल्थ सेंटर्स के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ क्रिश्चियन रेमरस ने एबीसी न्यूज को बताया कि पहली खुराक के बाद भी अगर कोई वायरस के संपर्क में आया है तो उसका पॉजिटिव परीक्षण करना अप्रत्याशित नहीं है।
उन्होंने कहा, हम वैक्सीन नैदानिक परीक्षणों से जानते हैं कि वैक्सीन से सुरक्षा विकसित करने के लिए आपको लगभग 10 से 14 दिन तो लगने ही वाले हैं।
बता दें कि फाइजर के तीसरे चरण के आंकड़ों से पता चला है कि यह वैक्सीन 95 प्रतिशत प्रभावशाली है। (आईएएनएस)
जर्मनी में कोरोना वायरस की चपेट में आ कर 24 घंटे के भीतर मरने वालों की तादाद मंगलवार को 1129 पर चली गई. कोरोना वायरस से एक दिन में जर्मनी में हुई यह मौत की सबसे बड़ी संख्या है.
जर्मनी, 30 दिसंबर | जर्मनी में रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को जर्मनी में 22,459 और लोग कोरोना की चपेट में आए हैं. इससे पहले सबसे ज्यादा लोगों की मौत पिछले बुधवार को हुई थी. तब 962 लोगों की मौत हुई थी और 24,740 लोग संक्रमित हुए. बीते कुछ हफ्तों में जर्मनी ने संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या रोकने के लिए सख्त पाबंदियां लागू कर रखी हैं. संक्रमित होने और मरने वाले लोगों की बढ़ती तादाद से देश के स्वास्थ्य सेवा पर भारी दबाव पैदा हो गया है.
बुधवार को मौत की नई संख्या देखने के बाद जर्मन स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने कहा कि वह मौजूदा तालाबंदी के तुरंत बंद होने के आसार नहीं देख रहे हैं. उन्होंने कहा, "इन आंकड़ों से साबित हो रहा है कि वायरस कितनी क्रूरता से अब भी हमें मार रहा है. इस बार नए साल पर 1,129 परिवार शोक मना रहे होंगे." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति की बहाली अभी बहुत दूर है.
सख्त लॉकडाउन
जर्मनी ने मध्य दिसंबर से देश भर में पहले से लागू आंशिक तालाबंदी को सख्त कर दिया. हालांकि इसके बाद भी देश में संक्रमण की बढ़ती संख्या पर अभी तक लगाम नहीं लग सकी है. चांसलर अंगेला मैर्केल और सभी 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच सहमति के बाद सख्त तालाबंदी फिलहाल 10 जनवरी तक लगाई गई है. पांच जनवरी को मैर्केल के साथ इन नेताओं की फिर बैठक होगी जिसमें आगे के लिए तालाबंदी की रुपरेखा तय की जाएगी.
रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने जर्मनी में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित 16 लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों की संख्या दर्ज की है और कुल 32,107 लोगों की मौत हुई है. अब तक कोरोना के 13 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं.
वैक्सीन लगाना शुरू
शनिवार से जर्मनी में वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई. फिलहाल यहां फाइजर और बायोन्टेक के तैयार किए वैक्सीन की डोज दी जा रही है. मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 42 हजार लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है. इस बीच ब्रिटेन में फाइजर बायोन्टेक के बाद दूसरे वैक्सीन ऑक्सफोर्ड एस्ट्रोजेनेका को भी मंजूरी दे दी गई है.
यूरोपीय संघ में इस वैक्सीन को अभी मंजूरी नहीं मिली है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों के मुताबिक इस वैक्सीन की मंजूरी के लिए आधिकारिक आवेदन बुधवार सुबह तक नहीं की गई है. अधिकारियों का कहना है कि आवेदन मिलने के बाद यूरोपीय संघ इस पर जल्दी ही फैसला ले लेगा. जर्मन स्वास्थ्य मंत्री ने ऑक्सफोर्ड एस्ट्रोजेनेका के साथ ही अमेरिका की मॉडेर्ना वैक्सीन को भी यूरोपीय संघ की मेडिकल एजेंसी से जल्दी और संपूर्ण जांच का अनुरोध किया है.
एनआर/एमजे (डीपीए, एएफपी)
बीजिंग, 30 दिसंबर | 30 दिसंबर को एनपीसी की विदेशी मामला समिति ने अमेरिका के वर्ष 2021 वित्तीय वर्ष में व्यापक विनियोग अधिनियम को लेकर बयान जारी कर कहा कि अमेरिका ने चीन के विरोध की उपेक्षा कर शीत युद्ध विचार, शून्य राशि खेल अवधारणा और चीन के प्रति पक्षपात पर कायम रहकर इस अधिनियम में तिब्बत, ताईवान, हांगकांग, शिनच्यांग से जुड़े कई नकारात्मक धाराएं शामिल कीं। संबंधित विषयों और धाराओं ने गंभीर रूप से चीन के राष्ट्रीय हितों को बर्बाद किया है और चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप भी किया है। एनपीसी इसकी कड़ी निंदा और विरोध करती है।
बयान में यह कहा गया है कि केंद्र सरकार और पूरे देश की जनता के समर्थन से तिब्बत की विभिन्न जातीय जनता की कोशिश से तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक विकास में बड़ी सफलता मिली है। जनता का जीवन स्तर व्यापक हद तक उन्नत हुआ है। पारिस्थितिक सभ्यता का निर्माण निरंतर रूप से मजबूत हो रहा है। शिक्षा, संस्कृति व स्वास्थ्य आदि कार्यो में बड़ा विकास हुआ है लेकिन अमेरिकी संसद के कुछ राजनीतिज्ञों ने वास्तविकता की उपेक्षा कर चीन को बदनाम किया। इससे जाहिर हुआ है कि अमेरिका तिब्बत मामले के बहाने से चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के साथ-साथ चीन के विकास को बाधित करना चाहता है।
(साभार - चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 30 दिसंबर | 29 दिसंबर को आयोजित चीन के चौथे राष्ट्रीय रसद उद्योग उन्नत प्रशस्ति सम्मेलन में चीनी रसद और खरीद संघ के अध्यक्ष ह लीमिंग ने कहा कि रसद उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास का समर्थन करने वाला एक बुनियादी, रणनीतिक और अग्रणी उद्योग है। इधर के 5 वर्षो में चीन में सामाजिक रसद की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से अधिक रही है, रसद उद्योग की कुल आय 100 खरब युआन से अधिक पहुंची है। बताया जाता है कि अब तक चीन में जीडीपी के अनुपात के रूप में सामाजिक रसद की कुल लागत 15 प्रतिशत से नीचे गिर चुकी है। कार्गो परिवहन और एक्सप्रेस वितरण व्यवसाय की मात्रा कई वर्षो से दुनिया में पहले स्थान पर है।
ह लीमिंग ने कहा कि चीनी रसद और खरीद संघ आधुनिक रसद और अन्य सेवा उद्योगों के विकास में तेजी लाने में मदद करेगा, व्यापक परिवहन चैनलों, व्यापक परिवहन केन्द्रों और रसद नेटवर्क के सुधार को बढ़ावा देगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
कोलंबो, 30 दिसंबर | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आश्वासन दिया है कि मार्च 2021 तक श्रीलंका के लिए कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराया जा सकता है, क्योंकि देश के स्वास्थ्य अधिकारियों ने खुराक के स्टोरेज के लिए कोल्ड चेन संबंधी जरूरतों में सुधार के प्रयास तेज कर दिए हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचारपत्र डेली मिरर ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कोवैक्स के तहत सहयोग पर सरकारी अधिकारियों और डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों के बीच कोविड-19 टीकों की तेजी से पहुंच सुनिश्चित करने की वैश्विक पहल के बीच मंगलवार को शीर्ष स्तरीय बैठक हुई।
अधिकारी ने डेली मिरर को बताया कि श्रीलंका मुख्य रूप से वैक्सीन के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर संग्रहित करने की तैयारी कर रहा है।
अधिकारी ने कहा, "हम माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहित होने वाले टीके के लिए भी तैयार रहेंगे।"
दुनिया में कई डब्ल्यूएचओ-प्रीक्वालिफाइड वैक्सीन कैंडीडेट हैं।
डब्ल्यूएचओ श्रीलंका को वैक्सीन की आवश्यकता का 20 प्रतिशत मुफ्त में प्रदान करेगा।
श्रीलंका को अभी तक यह तय नहीं करना है कि जनसंख्या के किस समूह को सबसे पहले टीका लगाया जाएगा।
श्रीलंका में कोरोना के अब तक कुल 42,056 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 195 की मौत हुई है।
--आईएएनएस
दुबई, 30 दिसंबर | संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले एक प्रवासी भारतीय ने अपने नियोक्ता के फर्जी हस्ताक्षर किए। उसे दुबई में छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। आरोप है कि प्रवासी भारतीय ने दो साल के दौरान कम से कम 47 बार अपने मालिक के हस्ताक्षर कर 447,000 दिरहम अपने व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित कर लिए। मीडिया ने यह जानकारी दी। गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेल अवधि के अलावा, मूल रूप से गुजरात के रहने वाले आरोपी को 471,202 दिरहम का जुर्माना भी भरने के लिए कहा गया है।
व्यक्ति पर उसके नियोक्ता की चेकबुक चुराने का भी आरोप है।
नियोक्ता किशनचंद भाटिया के अनुसार, आरोपी पिछले आठ वर्षो से एक प्रशासनिक कर्मचारी के रूप में उनकी दुबई स्थित कंपनी, ट्रांसकॉन्टिनेंटल इंडेंटिंग में काम कर रहा था और कंपनी की चेकबुक तक उसने पहुंच बना ली थी।
अदालत के रिकॉर्ड से पता चला है कि आरोपी ने दुबई में एक बैंक के व्यक्तिगत बचत खाते में व्यवस्थित रूप से धन स्थानांतरित करने के लिए 47 बार खाता-भुगतान चेक पर हस्ताक्षर किए थे।
यूएई में पांच दशकों से अधिक समय से रह रहे भाटिया ने कहा कि इस साल अक्टूबर में उसे इस चोरी का पता चला था। (आईएएनएस)
ढाका, 30 दिसंबर | एक बांग्लादेशी फिल्म निर्देशक को कथित तौर पर अपनी नई फिल्म में दुष्कर्म पीड़िता से पूछताछ के दृश्य को लेकर गिरफ्तार किया गया है। इस दृश्य को लेकर पुलिस बल में भारी नाराजगी है। शाकिब खान अभिनीत 'नबाब एलएलबी' का पहला भाग, एक फिक्शनल कोर्टरूम ड्रामा है जो दुष्कर्म के बारे में और पीड़िताओं के साथ कैसा सलूक किया जाता है, किस तरह से पूछताछ की जाती है, इस बारे में है। इसे दिसंबर के मध्य में एक स्थानीय स्ट्रीमिंग सर्विस पर जारी किया गया था।
अनोन्नो मामून द्वारा निर्देशित फिल्म का दृश्य पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। केस को संभालने को लेकर पुलिस की आलोचना हुई।
'वियोन्यूज डॉट कॉम' के मुताबिक, फिल्म के दृश्य को लेकर पुलिस महकमा नाराज हो गया। फिल्म में पुलिसकर्मियों की भूमिका निभाने वाले कलाकारों मामून और शाहीन मृदा को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने अपने न्यूज पोर्टल पर कहा, "फिल्म के दृश्य में अधिकारी पीड़िता से बहुत ही आक्रामक तेवर और आपत्तिजनक भाषा में पूछताछ कर रहा था जो स्वस्थ मनोरंजन के विपरीत है और जनता के बीच पुलिस के बारे में नकारात्मक धारणा पैदा करेगा।"
बयान में आगे कहा गया कि दोनों को ऐसी अपमानजनक और आपत्तिजनक बातचीत वाली फिल्म में अभिनय करने के लिए गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया और उन पर पोर्नोग्राफिक कंटेंट के साथ फिल्म बनाने का आरोप लगाया गया, जिसमें यौन उत्पीड़न को दर्शाया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि वे दुष्कर्म पीड़िता की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री अर्चिता स्पर्शिया को भी गिरफ्तार करने की जुगत में हैं।
--आईएएनएस
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने नौशेरा में तैनाती के दौरान पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ने में बड़ी भूमिका निभाई थी. आजादी के समय उनके पास पाकिस्तान जाकर सेना प्रमुख बनने का विकल्प था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
डॉयचे वैले पर जावेद अख्तर, आमिर अंसारी का लिखा-
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कब्र है, उनकी कब्र पर पिछले दिनों तोड़फोड़ हुई थी. कब्र पर लगा सफेद संगमरमर का आधा हिस्सा टूट चुका है और सिर्फ उनका नाम ही नजर आ रहा है. बलोच रेजीमेंट के अधिकारी ब्रिगेडियर उस्मान ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की ओर से लड़ाई में हिस्सा लिया और जम के वीरता दिखाई. उनके सिर पर पाकिस्तान ने पचास हजार रुपये का इनाम रखा था.
ब्रिगेडियर उस्मान की युद्ध में निभाई भूमिका को देखते हुए भारत में उन्हें "राष्ट्रीय नायक" भी कहा जाता है. हालांकि दिल्ली में उनकी कब्र की हालत देख सेना भी निराश है. ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र कब्रिस्तान के वीआईपी सेक्शन में मौजूद है लेकिन वह खुला हुआ है, जिस वजह से बच्चे वहां क्रिकेट खेलते हैं, पास रहने वाले लोग कब्रिस्तान में ही कपड़ा सुखाते हैं. कब्रिस्तान जिस जगह पर मौजूद है उसी के पास से दिल्ली मेट्रो गुजरती है और बगल वाली सड़क बटला हाउस की तरफ जाती है. पर्याप्त सुरक्षा और चहारदीवारी की कमी के कारण कब्रिस्तान में कई बार नशा करने वाले भी दाखिल हो जाते हैं. ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र को देखने पर ऐसा लगता है कि उन्हें इतिहास के पन्नों में भुला दिया गया है, उनकी कब्र पर लगा पत्थर तो टूटा ही है बल्कि आसपास कचरा भी महीनों से जमा है.
"नौशेरा का शेर"
सैन्य इतिहासकारों का कहना है कि अगर वे कुछ दिन और जिंदा रहे होते तो भारत के पहले मुस्लिम सेना प्रमुख बन सकते थे. पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें देश की सेना का प्रमुख बनने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि भारत में ही रहना स्वीकार किया. जामिया मिल्लिया के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, "जामिया कब्रिस्तान में कई महत्वपूर्ण भारतीय हस्तियों की कब्रें हैं, लेकिन उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उनके जीवित रिश्तेदारों के पास है. उन कब्रों की देखरेख जामिया मिल्लिया नहीं करता है."
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के इस्लामी अध्ययन विभाग के प्रोफेसर डॉ. इकदार मोहम्मद खान इस पर कहते हैं, "असली समस्या यह है कि विश्वविद्यालय के आसपास की चीजें भी विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई हैं. जब भारत सरकार ने विश्वविद्यालय के वीआईपी कब्रिस्तान में ब्रिगेडियर उस्मान को दफनाने की अनुमति मांगी, तो विश्वविद्यालय ने अनुमति दी लेकिन कब्र की देखभाल का जिम्मा सेना के पास था क्योंकि वे सैन्यकर्मी थे. हालांकि पिछले दो साल से कोई भी यहां नहीं आया है."
प्रोफेसर खान कहते हैं कि विश्वविद्यालय को ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र की देखभाल के लिए सरकार या सेना से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है. यूनिवर्सिटी ने ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र में तोड़फोड़ की सूचना सेना को दे दी है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय सेना ने कहा है कि वह राष्ट्रीय नायक की कब्र की देखभाल करने में पूरी तरह सक्षम है.
ब्रिगेडियर उस्मान पर पाकिस्तान ने रखा इनाम
ब्रिगेडियर उस्मान 1947-1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मारे गए थे, उस वक्त वे जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में तैनात थे. उस दौरान उन्होंने झंगड़ क्षेत्र से कबायली घुसपैठियों को खदेड़ा और दोबारा उस इलाके पर भारत का कब्जा बहाल किया. 3 जुलाई 1948 को पाकिस्तान सेना की गोलीबारी के दौरान वे नौशेरा में ही मारे गए. मरणोपरांत उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. जब उनका शव जम्मू-कश्मीर से दिल्ली लाया गया, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सभी प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करते हुए ताबूत लेने खुद गए. उनके अंतिम संस्कार में देश के जाने माने लोग शामिल हुए थे, जिनमें सेना प्रमुख और कई कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे. उनके लिए देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जनाजे की नमाज पढ़ी थी.
15 जुलाई 1912 को आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में जन्मे मोहम्मद उस्मान 1932 में इंग्लैंड में सैंडहर्स्ट रॉयल मिलिट्री अकादमी में दाखिला लेने वाले भारतीय बैच के अंतिम दस युवाओं में से एक थे. 1935 में उन्हें 23 साल की उम्र में बलोच रेजीमेंट में कमीशन दिया गया. आजादी के समय मुस्लिम होने के नाते उन्हें पाकिस्तानी सेना में शामिल होने का बहुत दबाव डाला गया, उन्हें भविष्य में पाकिस्तानी सेना प्रमुख का पद का भी वादा किया गया था लेकिन उन्होंने इससे इनकार किया. जब बलोच रेजीमेंट पाकिस्तानी सेना का हिस्सा बन गई तो वे डोगरा रेजीमेंट में शामिल हो गए.
उनकी कब्र के पास लगे शिलालेख पर लिखा है, "भारत के एक बहादुर सपूत ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का शव यहां दफनाया गया है. दशक और पीढ़ियां बीतेंगी, लेकिन उनका मकबरा मातृभूमि के सच्चे और वीर पुत्र के साहस के एक वसीयतनामे के रूप में रहेगा. यह मकबरा आज और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा देता रहेगा."
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
सुमी खान
ढाका, 30 दिसंबर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच 51वें महानिदेशक-स्तरीय सीमा समन्वय सम्मेलन के समापन के कुछ दिन बाद ही बीजीबी के सदस्यों के साथ कथित गोलीबारी में एक भारतीय व्यक्ति की मौत हो गई।
एक बयान में, बीजीबी मयमेनसिंह सेक्टर 39 के बटालियन कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल तौहीद महमूद ने कहा, "मृतक की पहचान 48 वर्षीय डेबिट मोमीन के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि वह भारत के गारो हिल्स का निवासी है।"
बीजीबी ने पुष्टि करते हुए आईएएनएस को बताया कि यह घटना सोमवार देर रात सूर्यपुर दुमलीकुरा सीमा के 1129-4एस के समीप नो मैन्स लैंड के पास हुई।
लेफ्टिनेंट कर्नल महमूद ने दावा किया कि तस्करों के एक समूह ने रात में हलुआघाट उपजिला सीमा में प्रवेश करने की कोशिश की।
जब बीजीबी ने उनकी पहचान पूछी, तो उन्होंने भागने की कोशिश की।
उसके बाद बीजीबी के सदस्यों ने उनका पीछा किया, तो उन्होंने तेजधार हथियारों से उनपर हमला किया।
आत्मरक्षा में, बीजीबी सदस्यों ने उन पर गोलीबारी की, जिससे भारतीय तस्कर की मौके पर ही मौत हो गई।
घटना में बीजीबी का एक सदस्य भी घायल हो गया।
बीजीबी ने यह भी दावा किया है कि गोलीबारी तब हुई, जब तस्करी करने वाले गिरोह के सदस्य भारत से बांग्लादेश में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मृतक के शव को बरामद कर मयमेनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल मुर्दाघर भेज दिया गया। (आईएएनएस)
लंदन, 30 दिसंबर ब्रिटेन ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन को देश के दवा नियामक द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी। मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने पाया कि वैक्सीन ने सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावशीलता के अपने सख्त मानकों को पूरा किया है।
ब्रिटेन में नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी/ एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लागू करने के लिए अपनी व्यापक तैयारी शुरू कर दी है।
ब्रिटेन में फाइजर के बाद ये दूसरी वैक्सीन है जिसे सरकार की मंजूरी मिली है। (आईएएनएस)
104 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश के कारण प्रदेश नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है. उन्होंने इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
एक सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने ऐसे समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को खत लिखा है जब प्रदेश में कथित "लव जिहाद" पर बने अध्यादेश को एक महीना पूरा हो गया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने लिखा है कि विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को "घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है." उन्होंने इस अध्यादेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
इस खुले पत्र पर 104 से अधिक पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर शामिल हैं. उन्होंने इस पत्र में लिखा, "उत्तर प्रदेश कभी गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने को लेकर जाना जाता था, वह अब नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है. और शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई है."
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस खुले पत्र पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
अध्यादेश वापस लेने की मांग
इस पत्र में कथित तौर पर अल्पसंख्यकों का निशाना बनाने के मामलों का जिक्र है. पत्र में मुरादाबाद की उस घटना का जिक्र है जिसमें दो लोगों को कथित तौर पर बजरंग दल के सदस्य पुलिस स्टेशन तक घसीटकर ले गए थे. पुलिस ने दोनों को जबरन दबाव बनाकर हिंदू महिला से शादी के आरोप में गिरफ्तार किया था.
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में लिखा है, "यह अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं." पत्र के मुताबिक "धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश का इस्तेमाल एक छड़ी के रूप में किया जा रहा है, खासतौर पर उन भारतीय पुरुषों को पीड़ित करने के लिए जो मुस्लिम हैं और महिलाएं हैं जो अपनी आजादी का इस्तेमाल करने की हिम्मत रखती हैं."
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों का कहना है, "इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत अलग-अलग उच्च न्यायालयों ने इस बात पर फैसला सुनाया है कि किसी के जीवनसाथी का चयन करना एक मौलिक अधिकार है. जिसकी गारंटी संविधान के तहत उत्तर प्रदेश को है."
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता ख्वाजा आसिफ को आय से अधिक संपत्ति के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है. आसिफ की गिरफ्तारी की विपक्षी दलों ने आलोचना की है.
मंगलवार को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने विपक्ष के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया. एनएबी आसिफ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही है और उसी के तहत यह गिरफ्तारी हुई है. आसिफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक हैं, एनएबी ने उन्हें इस्लामाबाद में पार्टी की बैठक के बाद गिरफ्तार किया. एनएबी ने एक बयान में कहा है, "ख्वाजा आसिफ ने कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति बनाई है. उन्होंने संपत्ति बनाने की प्रकृति, साधन और हस्तांतरण को छिपाया."
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक एनएबी ने कहा है कि आसिफ को जांच के लिए समन किया गया था लेकिन वे जरूरी सबूतों को उपलब्ध कराने में नाकाम रहे थे. 1991 में जब आसिफ ने सरकारी पद संभाला था तब उनकी कुल संपत्ति 51 लाख पाकिस्तानी रुपये थी लेकिन साल 2018 में यह बढ़कर 22 करोड़ पाकिस्तानी रुपये हो गई. स्थानीय मीडिया में एनएबी के हवाले से कहा गया है कि "उनकी आय के ज्ञात स्रोतों के साथ बढ़ी हुई संपत्ति न्यायोचित नहीं है."
एनएबी ने यह भी कहा कि आसिफ ने यूएई में एक कंपनी के लिए काम करके इतनी बड़ी धनराशि अर्जित करने का दावा किया था. हालांकि, "जांच से पता चला कि वे उस समय पाकिस्तान में थे और उन्होंने अपने रोजगार के सिलसिले में जो दस्तावेज उपलब्ध कराए थे वे आय के फर्जी स्रोतों का सबूत हैं."
विपक्ष ने गिरफ्तारी की आलोचना की
पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने ख्वाजा आसिफ की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "आसिफ की गिरफ्तारी चयनकर्ताओं और चयनित साठगांठ के बीच एक बेहद निंदनीय घटना है. इस तरह की घिनौनी कार्रवाई से सरकार की घबराहट का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन वे अपने अंत को करीब ला रहे हैं." नवाज शरीफ पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं और हाल ही में अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया है.
आसिफ भी पीएमएल-एन के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्हें पार्टी में प्रधानमंत्री इमरान खान की कड़ी आलोचना के लिए जाना जाता है और नवाज शरीफ की तरह उन्हें भी भ्रष्टाचार जैसे कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. आसिफ की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब विपक्ष इमरान खान के चुनावी धोखाधड़ी और राजनीतिक मामलों में सैन्य हस्तक्षेप के आरोपों पर इस्तीफे की मांग कर रहा है. विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है.
एए/एनआर (एपी)
न्यूयॉर्क, 30 दिसंबर | एक संघीय अदालत ने अमेरिका स्थित एक कंप्यूटर स्कैम को स्थायी रूप से बंद कर दिया है, जो भारत में कॉल सेंटर ऑपरेटरों द्वारा बुजुर्ग अमेरिकियों को निशाना बनाने से संबंधित है। इसके चलते हजारों डॉलर का नुकसान होता था।
न्याय विभाग ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि अदालत ने माइकल ब्रायन कॉटर और चार कंपनियों के खिलाफ स्थाई रोक का आदेश दिया और उनके टेलीमार्केटिंग और वेब साइटों के माध्यम से तकनीकी सहायता देने की पर भी रोक लगा दी। अमेरिकी अधिकारियों और भारत के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के संयुक्त अभियान के बाद ऐसा किया गया।
विभाग ने कहा कि कुछ मामलों में कथित धोखाधड़ी करने वालों ने माइक्रोसॉफ्ट की आड़ लेकर ऐसा किया जिससे मामलों को ट्रांसनेशनल एल्डर फ्रॉड स्ट्राइक फोर्स के संज्ञान में लाया गया।
विभाग ने अक्टूबर में कोटर और कंपनियों के खिलाफ मयामी, फ्लोरिडा में अदालत के समक्ष इंजंक्शन का अनुरोध किया था, और एक अस्थायी रोक लगाने का आदेश तुरंत दिया गया था और अब इसे स्थायी बना दिया गया है।
भारत के सहयोग की सराहना करते हुए, कार्यवाहक सहायक अटॉर्नी जनरल जेफरी बॉसर्ट क्लार्क ने कहा, तकनीकी सहायता धोखाधड़ी योजनाओं और विदेशों में बनाई गई अन्य योजनाओं की जांच करने, मुकदमा चलाने में भारत की सीबीआई सहित विदेशी कानून प्रवर्तन के सहयोग के लिए विभाग आभारी है।
शिकायत में कहा गया कि कोटर ने कथित तौर पर भारत में साजिशकर्ताओं के साथ काम किया।
शिकायत में उल्लिखित कंपनियों में से एक सिंगापुर में पंजीकृत है। (आईएएनएस)
जाग्रेब, 30 दिसंबर | क्रोएशिया में आए भूकंप में करीब पांच लोगों के मारे जाने और 20 लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मंगलवार को यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर (ईएमएससी) के हवाले से बताया, यह भूकंप क्रोएशिया की राजधानी जाग्रेब से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में दोपहर 12.19 बजे छोटे से शहर पेट्रींजा में आया।
घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बचाव दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं।
मीडिया रिपोटरें से पता चला है कि प्रभावित क्षेत्र में मकानों की छतें ढह गई हैं, वहीं कई इमारतें और कार भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।
पेट्रींजा के मेयर डारिन्को डंबोविक ने संवाददाताओं को बताया, "मेरा शहर पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। हमारे पास एक मृत बच्चा है। इसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। यह हिरोशिमा जैसा है।"
प्रधानमंत्री एंड्रेज प्लेनकोविच , राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच और अन्य मंत्रियों ने घटना के एक दिन बाद शहर का दौरा किया।
प्लेंकोविच ने पेट्रींजा में संवाददाताओं से कहा, हम दुखी हैं। यह एक त्रासदी है। सेना यहां है और पुलिस, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं पहुंच रही हैं। वहीं भूकंप क्षेत्र में सोमवार की सुबह भी 5.2 तीव्रता के झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।
वहीं मंगलवार को आया भूकंप पूरे देश में महसूस किया गया।
सरकार ने हाल ही में कोरोनावायरस प्रकोप के कारण शुरू की गई काउंटियों के बीच यात्रा पर प्रतिबंध को समाप्त कर दिया है।
भूकंप से राजधानी जाग्रेब को भी नुकसान हुआ।
जाग्रेब में मार्च में भी 5.3 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 30 घायल हो गए थे।
हालिया भूकंप के मद्देनजर पड़ोसी स्लोवेनिया में क्रैस्को परमाणु ऊर्जा संयंत्र को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है।
यह संयंत्र पेट्रींजा से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
संयंत्र के एक प्रवक्ता ने स्थानीय मीडिया को बताया कि इस तरह के एक मजबूत भूकंप के दौरान यह एक सामान्य प्रक्रिया थी।
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) क्रोएशिया का समर्थन करेगा।
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, "हम समर्थन के लिए तैयार हैं .. हम क्रोएशिया के साथ खड़े हैं।" (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 30 दिसंबर | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 8.19 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि मौतें 17.8 लाख से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने बुधवार को दी।
यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बुधवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामले और मृत्यु क्रमश: 81,960,614 और 1,788,731 हैं।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया का सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश अमेरिका है, जहां 19,548,706 मामले और 338,544 मौतें दर्ज की गई हैं।
संक्रमण के मामलों के हिसाब से अमेरिका के बाद भारत 10,224,303 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में कोविड से मरने वालों की संख्या 148,153 है।
सीएसएसई के अनुसार, दस लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (7,563,551), रूस (3,073,923), फ्रांस (2,631,110), ब्रिटेन (2,389,963), तुर्की (2,178,580), इटली (2,067,487), स्पेन (1,893,502), जर्मनी (1,692,109), कोलम्बिया (1,614,822), अर्जेंटीना (1,602,163), मैक्सिको (1,401,529), पोलैंड (1,268,634), ईरान (1,212,481), यूक्रेन (1,068,476), दक्षिण अफ्रीका (1,021,451) और पेरू (1,008,908) हैं।
कोविड से हुई मौतों के मामले में अमेरिका के बाद ब्राजील 192,681 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मृत्यु दर्ज करने वाले देश मेक्सिको (123,845), इटली (73,029), ब्रिटेन (71,675), फ्रांस (64,204), रूस (55,107), ईरान (54,946), स्पेन (50,442), अर्जेंटीना (43,018), कोलंबिया (42,620), पेरू (37,525), जर्मनी (31,655), दक्षिण अफ्रीका (27,568), पोलैंड (27,454), इंडोनेशिया (21,703) और तुर्की (20,388) है। आईएएनएस
जब से इंटरनेट हमारे घरों में दाख़िल हुआ है, एक छोटी सी बात कई घरों में बहुत से परिवारों के साथ हो रही है. कैथलीन मैंगन वैल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उनके पति इंटरनेट पर वक़्त गुज़ारा करते थे और ये बात कैथलीन को कहीं खटक रही थी. एक रोज़ कैथलीन का कम्प्यूटर ख़राब हो गया तो वो अपने पति का सिस्टम इस्तेमाल करने लगीं.
कैथलीन को लगता था कि उनके पति का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है. अपने इस शक को दूर करने के लिए कैथलीन ने अपने पति के कम्प्यूटर में एक ऐसा सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल कर दिया जिससे वे उन पर नज़र रख सकती थीं. लेकिन इस जासूसी की वजह से जो बात उनके सामने आने वाली थी, इसका उन्हें दूर-दूर तक अंदाज़ा नहीं था.
कैथलीन के पति इंटरनेट पर यंत्रणा और यौन हमले का शिकार होती महिलाओं की तस्वीरें खोज रहे थे. इतना ही नहीं, वो शख़्स जिसे कैथलीन अपना पति मानती थीं, वो इंटरनेट पर 'किसी महिला को किडनैप करने', 'इंसानी गोश्त को पकाने की रेसिपी' और 'गोरे लोगों की ग़ुलामी' खोज रहा था.
अजीब तरह की यौन इच्छाओं को स्पेस देने वाले एक वेब फ़ोरम पर कैथलीन के पति ने 'गर्लमीट हंटर' यूज़रनेम से इंसानी गोश्त खाने और किसी पर यौन हमला करने से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में बहुत विस्तार से पोस्ट किए थे.
इससे भी बदतर बात ये थी कि उनके पति अन्य पुरुषों के साथ इंटरनेट पर चैट करते थे कि अपने जानने वाली औरतों को वो कब, कहां और कैसे किडनैप करेंगे, उसका क़त्ल करेंगे और फिर उसे खा लेंगे. इन औरतों में कैथलिन के ज़िक्र के साथ-साथ उसके कॉलेज की दोस्तों से लेकर पास में रहने वाली एक किशोर उम्र की लड़की तक शामिल थी.
गिलबर्टो वैले की कहानी
आख़िरकार, अक्टूबर 2012 में उनके पति को गिरफ़्तार कर लिया गया. फ़रवरी, 2013 में जब कैथलीन के पति पर मुक़दमे की सुनवाई हो रही थी तो उन्होंने अपनी गवाही में रोते हुए कहा, "वो मेरा पैर बांध कर मेरा गला काट देना चाहते थे ताकि जब ख़ून का फ़व्वारा फूटे तो वो इसका मज़ा उठा सके."
इन लोगों पर पागलपन की हद तक एक तरह का यौन जुनून छाया हुआ था, जिनमें कैथलिन के पति भी शामिल थे. वे इंटरनेट पर दो महिलाओं का एक-दूसरे के सामने ही रेप करने की बात कर रहे थे ताकि दोनों का डर ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ जाए. इतना ही नहीं, उनका इरादा दोनों महिलाओं को 'तंदूर में 30 मिनट तक पकाने' का भी था ताकि उनका दर्द लंबे समय तक बना रहे.
कैथलिन की गवाही सुनने के बाद उनके पति गिलबर्टो वैले भी रो पड़े. लेकिन इस कहानी के दुनिया के सामने आने और खेल ख़त्म होने से पहले तक गिलबर्टो वैले न्यूयॉर्क पुलिस के एक ऐसे अधिकारी थे जिनके पास मनोविज्ञान की डिग्री थी. 28 साल के गिलबर्टो के घर कुछ महीने पहले ही बेटी ने जन्म लिया था.
गिलबर्टो पर इंटरनेट पर महिलाओं के अपहरण, बलात्कार, हत्या और इंसानी गोश्त खाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था. उन पर कई महिलाओं के पते और फ़ोन नंबर प्राप्त करने के लिए सरकारी डेटाबेस के इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था. सबूत इतने मज़बूत थे कि उन्हें नकारा नहीं जा सकता था.
गिलबर्टो की हक़ीक़त जानने के बाद कैथलिन डर कर अपने अपने माता-पिता के घर भाग गईं, जहां से उन्होंने एफ़बीआई से संपर्क किया और फिर उन्हें अपने लैपटॉप और घर के दूसरे कंप्यूटर तक एक्सेस दी. अभियोजन पक्ष ने कई दलीलें दीं. प्रॉसीक्यूशन जब अपनी बात रख रहा था तो रैंडल डब्ल्यू जैक्सन नाम के एक वकील का हवाला दिया गया.
मुक़दमा और सबूत
इस वकील से गिलबर्टो ने एक बातचीत में एक जानने वाली महिला के बारे में कहा था कि वो उसे ओवन में रखने की योजना बना रहा है. डार्क वेब पर गिलबर्टो की गतिविधियों का ज़िक्र आया तो ये बात सामने आई कि उसने अपराध के हर बारीक ब्योरे के बारे में वहां पर ज़िक्र कर रखा है.
बचाव पक्ष के वकील ने गिलबर्टो के ख़िलाफ़ पेश किए गए सबूतों की वास्तविकता पर एतराज़ नहीं जताया. इसके विपरीत, उन्होंने स्वीकार किया कि ये बातें किसी डरावनी फ़िल्म की तरह ही चौंकाने वाली और भयानक थीं.
हालांकि गिलबर्टो की पैरवी कर रहीं वकील जूलिया एल. गैटो ने कहा कि उनके मुवक्किल और हॉरर फ़िल्म में एक चीज़ कॉमन है, "वे विशुद्ध रूप से कपोल कल्पना है, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही है. ये दहला देने वाली फ़ैंटसी है."
एटॉर्नी जूलिया ने गिलबर्टो के मुक़दमे को मौलिक अधिकारों से जोड़ते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को सोचने का अधिकार है, अपनी बात कहने का हक़ है और यहां तक कि कल्पनाओं में आने वाली अंधकारपूर्ण विचारों को लिखने का भी अधिकार है.
इस मुक़दमे का एक दूसरा पहलू ये भी था कि गिलबर्टो के ख़िलाफ़ जो भी सबूत सामने रखे गए थे, उन सब के बावजूद एक भी ऐसा साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिससे ये साबित होता हो कि उन्होंने उन महिलाओं को ज़रा सा भी नुक़सान पहुँचाया हो.
'आदमख़ोर पुलिसवाला'
मीडिया ने गिलबर्टो को 'आदमख़ोर पुलिसवाला' क़रार दिया था. ये मुक़दमा लॉ स्कूल में अब केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाता है. कौन से विचार 'सामान्य' हैं और कौन से 'ख़तरनाक'? इसकी क़ानूनी हद क्या है? गिलबर्टो के केस में ये सारे हैरान कर देने वाले सवाल सामने आए.
अपराध की रोकथाम के नाम पर दख़ल देने का सही समय कब है? क्या इच्छाएँ और फ़ैटेसी अपराध हो सकती हैं? गिलबर्टो का मुक़दमा देख रहे जूरी के मुताबिक़, इसका जवाब हां था. गिलबर्टो को 'अपहरण की साज़िश' और 'सरकारी डेटाबेस के बेजा इस्तेमाल' का दोषी पाया गया था.
उन्होंने इंटरनेट पर जो कुछ भी लिखा, उसमें से उन्होंने कुछ भी नहीं किया था, लेकिन इसके बावजूद ये सब लिखने के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. लेकिन क्या ये उन लेखकों पर लागू नहीं होती हैं, जो ऐसी किताबें, फ़िल्में और टीवी शो की स्क्रिप्ट लिखते हैं और जो बेहद कामयाब भी होती हैं.
ये सच है कि इन लेखकों के विपरीत गिलबर्टो और जिन लोगों के साथ उन्होंने ये विचार व्यक्त किए थे, उनकी स्थिति अलग थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि गिलबर्टो इस तरह की यौन उत्तेजना की स्थिति में थे, जिस वजह से उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना की थी.
लेकिन गिलबर्टो को दोषी पाया गया, न केवल अपने विचारों को लिखने के लिए, बल्कि अन्य लोगों के साथ अपराध की साज़िश रचने और उसे ईमेल पर दूसरे लोगों के साथ शेयर करने के लिए. उन्होंने जो किया वो 'अपराध की शुरुआती अवस्था' थी.
'होमिसाइडल आइडिएशन'
अमेरिका में जहां उन पर मुक़दमा चला, ये वो अपराध होते हैं जो दरअसल हुए ही नहीं होते हैं या जिन्हें अंजाम नहीं दिया गया होता है. लेकिन क्या वे वास्तव में ऐसा करते? जो करने की वे योजना बना रहे थे? क्या इससे कोई फ़र्क़ पड़ता है? ये बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि नरभक्षी इच्छाएं इतनी सामान्य नहीं हैं जितना किसी के क़त्ल करने की ख्वाहिश होती है.
मनोविज्ञान में इसे 'होमिसाइडल आइडिएशन' कहा जाता है और कई वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया है. एक रिसर्च में पाया गया कि 73 फ़ीसद पुरुषों और 66 फ़ीसद महिलाओं के मन में किसी की जान लेने का विचार आया. नतीजों की पुष्टि के लिए जब ये प्रयोग दोहराया गया तो लगभग वही नतीजे रहे. 79 फ़ीसद पुरुषों और 58 फ़ीसद महिलाओं ने ये बात मानी.
इस स्टडी में भाग लेने वाले प्रतिभागी किसको मारना चाहते थे? पुरुषों के मन में अपने सहकर्मियों या अजनबियों को मारने का ख़्याल अधिक आया था जबकि महिलाएं किन्हीं वजहों से परिवार के किसी सदस्य को लेकर ज़्यादा आशंकित थीं.
लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्रिमिनल साइकोलॉजी की जानकार जूलिया शॉ कहती हैं, "कुछ विकासवादी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह के विचार अलग-अलग रूप ले सकते हैं. ऐसी इच्छाएं वास्तव में काल्पनिक योजना बनाने की हमारी क्षमता से पैदा होती हैं. ये हमें ख़ुद से सवाल पूछने की अनुमति देता है. अगर मैंने कुछ बहुत ग़लत किया तो क्या होगा?"
"जब हम मानसिक रूप से इस स्थिति का पूर्वाभ्यास करते हैं, तो हम महसूस करते हैं कि किसी को मारना शायद ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम वास्तव में करना चाहते हैं या जिसके परिणाम को हम जी सकते हैं."
फ़ैसले के ख़िलाफ़ फ़ैसला
ये अच्छे विचार नहीं हैं, लेकिन 'डुइंग ईविल' नाम की किताब की लेखक जूलिया शॉ कहती हैं, "जो लोग आने वाले कल के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होते, उनके भावनात्मक होने की अधिक संभावना होती है और फिर वे इस पर जीवन भर पछतावा करते हैं."
इसलिए बुरी इच्छाओं के बारे में सोचते रहना अच्छा हो सकता है. लेकिन इसकी लक्ष्मण रेखा क्या होनी चाहिए? गिलबर्टो की अपील की सुनवाई करने वाले एक जज ने कहा, "गिलबर्टो जहां पाए गए, यक़ीनन वो जगह तो उसकी लक्ष्मण रेखा नहीं हो सकती." ट्रायल कोर्ट के जजमेंट के 21 महीने बाद अपील कोर्ट में पिछले फ़ैसले को पलट दिया गया.
जज पॉल गार्डेफ़ ने फ़ैसला सुनाया, "गिलबर्टो अपनी पत्नी, यूनिवर्सिटी के पुराने दोस्तों और परिचितों के बारे में जिस तरह के विचार रखते थे, वो उनके वास्तव में एक बीमार दिमाग़ को दिखलाते हैं लेकिन ये उन्हें दोषी ठहराने का ठोस आधार नहीं हो सकता."
गिलबर्टो के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के जितने पुख़्ता सबूत थे, उसके बावजूद जज पॉल गार्डेफ़ ने ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को ग़लत ठहराया. अपने फैसले में उन्होंने एक स्थिति का हवाला दिया जिसमें गिलबर्टो ने कथित तौर पर साल 2012 की शुरुआत में एक ही सोमवार को तीन महिलाओं का अपहरण करने के लिए अपने ऑनलाइन दोस्तों के साथ 'सहमति' जताई थी.
इनमें एक महिला न्यूयॉर्क शहर में, एक पाकिस्तान में और एक ओहियो में थी. जज पॉल गार्डेफ़ ने कहा, "कोई जूरी ये निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है कि गिलबर्टो वास्तव में एक ही तारीख़ पर ये सब कुछ कैसे अंजाम दे सकता है."
गिलबर्टो की वकील जूलिया साल 2014 की जुलाई के महीने में ये मुक़दमा जीतने के बाद अदालत से ये कहते हुए बाहर निकलीं कि "गिलबर्टो केवल अपनी अपरंपरागत सोच के लिए दोषी हैं. हम किसी के विचारों की पुलिसिंग नहीं कर सकते. सरकार को हमारे दिमाग़ों में नहीं झांकना चाहिए."
साल 2016 में आई किताब 'रॉ डील, द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ एनवाईपीडीस कैनिबल कॉप' को गिलबर्टो ने ब्रायन व्हाइटनी के साथ मिल कर लिखा था. किताब के प्रकाशक 'वाइल्ड ब्लू प्रेस' ने किताब छापने की वजह बताई. इसमें लिखा गया कि लेखक की कल्पना में महिलाओं के साथ जैसा बर्ताव होता है, जनता के बहुमत की तरह, वो भी इस बात को नापसंद करते हैं.
किताब के अग्रलेख में लिखा गया है, "लेकिन यह सोचना भी महत्वपूर्ण है कि जब कोई विचार अपनी हद को पार करता है और अपराध बन जाता है? तो इसके बारे में सोचा जाना चाहिए...."
इस किताब के बाद गिलबर्टो ने चार उपन्यास लिखे हैं और अब वह उन चीज़ों को बेचकर पैसा कमा रहा है जो वह गुप्त रूप से लिखा करते थे. (bbc)
लैटिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना में गर्भपात को वैध बनाने की तैयारी हो रही है. देश की सीनेट मंगलवार को इससे जुड़े बिल पर वोटिंग करेगी. हालांकि ईसाई बहुल देश में कई हल्के इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं.
अर्जेंटीना, 29 दिसंबर | गर्भपात के मुद्दे पर दो फाड़ हुई सीनेट मंगलवार को मतदान के जरिए तय करेगी कि अर्जेंटीना में गर्भपात को वैध होना चाहिए या नहीं. विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला किसी भी तरफ जा सकता है.
राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने इस बिल का प्रस्ताव रखा था. कैथोलिक चर्च और इवैंजेलिक ईसाइयों के कड़े विरोध के बावजूद संसद के निचले सदन चैंबर ऑफ डेप्युटीज ने 11 दिसंबर को इस बिल को मंजूरी दे दी.
फर्नांडीज का कहना है, "मैं कैथोलिक हूं, लेकिन मुझे सभी के लिए कानून बनाना है. हर साल लगभग 38,000 महिलाओं को (गुप्त रूप से) गर्भपात कराने के लिए अस्पताल जाना पड़ता है और (1983 में) लोकतंत्र बहाली के बाद से 3,000 से अधिक महिलाएं इस कारण मारी गई हैं."
जन्म और मृत्यु
सरकार का कहना है कि तकरीबन 4.4 करोड़ की आबादी वाले देश अर्जेंटीना में एक साल में 3.7 लाख से 5.2 लाख अवैध गर्भपात होते हैं. दो साल पहले इसी तरह का बिल निचले सदन में पारित हुआ, लेकिन सीनेट में इसे मंजूरी नहीं मिली. मौजूदा बिल का लक्ष्य है 14 सप्ताह तक स्वैच्छिक गर्भपात को वैध बनाना. फिलहाल सिर्फ दो मामलों में गर्भपात की अनुमति है. पहला बलात्कार और दूसरा जब मां के जीवन को खतरा हो.
कोरोना महामारी को रोकने के उपायों के बावजूद, गर्भपात के समर्थक और विरोधी, दोनों ही ने संसद के सामने प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. कैथोलिक चर्च और इवैंजेलिक चर्चों के नेताओं ने अपने समर्थकों से कहा है, "अजन्मे जीवन के सम्मान और देखभाल के लिए एकजुट हों." ईसाई नेताओं का कहना है, "जन्म और मृत्यु का समय सिर्फ भगवान तय करता है और इस मामले में वह इंसान के हस्तक्षेप को रोकता है."
अहम परीक्षा
फर्नांडीज के सत्ताधारी गठबंधन के पास 72 सदस्यों वाली सीनेट में 41 सीटें हैं. फिर भी यह मतदान उनके लिए कड़ी परीक्षा है. सत्ताधारी गठबंधन में भी हर कोई इस बिल के समर्थन में नहीं है, जबकि ज्यादातर दक्षिणपंथी नव-उदारवादी विपक्ष इसके विरोध में है.
सत्ताधारी गठबंधन की एक सीनेटर नैन्सी गोंजालेज का कहना है, "सीनेट में कई वोट ऐसे हैं जिनका फैसला अभी तक नहीं हुआ है. उनका पता अंत में ही चलेगा."
परिणाम दो गर्भपात विरोधी सीनेटरों की अनुपस्थिति के कारण प्रभावित हो सकता है. एक यौन शोषण का आरोप लगने के कारण वोटिंग के समय मौजूद नहीं रह सकेंगे, जबकि 90 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति कार्लोस मेनम अस्पताल में भर्ती हैं जहां उनके हृदय और गुर्दे के दर्द का इलाज चल रहा है.
अगर मतदान में कोई निर्णय नहीं हुआ तो फैसला सीनेट अध्यक्ष क्रिस्टीना किर्शनर लेंगी. किर्शनर देश की पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान उप-राष्ट्रपति हैं. दो साल पहले गर्भपात विरोधी अपना नजरिया बदलकर वह इसके समर्थकों में शामिल हो गईं.
बहुत हुआ
कॉर्डोबा विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजिकल म्यूजियम के निदेशक फाबियोला हेरेडिया ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह (गर्भपात) कानून को आखिरकार मंजूरी देने का मौका है. बहुत हो चुका. आपराधीकरण, कलंक और ऐतिहासिक रूप से गर्भवती महिलाओं की स्वतंत्रता को दबाने वाली रणनीति बंद होनी चाहिए." गर्भपात समर्थक कई वर्षों से गर्भपात कानूनों को बदलने के लिए अभियान चला रहे हैं, जो 1921 से देश में चले आ रहे हैं.
लैटिन अमेरिका में सिर्फ क्यूबा, उरुग्वे, गुयाना और मेक्सिको सिटी में गर्भपात कानूनी है. अल सल्वाडोर, होंडुरास और निकारागुआ में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है और यहां महिलाओं को गर्भपात के लिए जेल की सजा हो भी सुनाई जा सकती है.
एसएस/एके (एएफपी)
ब्राजील के स्टार फुटबॉल खिलाड़ी एक नए विवाद के केंद्र में आ गए हैं. ब्राजील की मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि वो नए साल के मौके पर एक बड़ी पार्टी दे रहे हैं. महामारी के दौर में पार्टी की बात से नेमार की आलोचना हो रही है.
ब्राजील, 29 दिसंबर | ब्राजील के ओ ग्लोबो अखबार के कॉलमनिस्ट अकेलमो गोज ने लिखा है कि पेरिस सेंट जर्मन के फॉरवर्ड प्लेयर रियो डे जनेरो के पास समंदर किनारे आलीशान बंगले में 500 लोगों की पार्टी की मेजबानी कर रहे हैं. शनिवार को शुरू हुई यह पार्टी नए साल के पहले दिन तक चलेगी.
मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी अपनी पार्टियों से जुड़े विवादों के लिए भी खासे चर्चित रहे हैं. खबर ये आ रही है कि पड़ोसियों को उनकी पार्टी से दिक्कत ना हो इसके लिए उन्होंने साउंडप्रूफ उपकरण भी लगवाए हैं. चर्चित हस्तियों के बारे में सनसनीखेज खबरें लाने वाले मेट्रोपोल्स के कॉलमनिस्ट लियो डियास ने तो उन कलाकारों के नाम भी बताए हैं जो कथित रुप से नेमार की पार्टी में परफॉर्म करेंगे. इसमें लुडमिला और वेस्ले साफादाओ का नाम लिया गया है. पार्टी में शामिल मेहमानों के मोबाइल फोन कथित रूप दरवाजे पर ही जमा करा लेने की कबात भी कही जा रही है. ये इसलिए ताकि पार्टी से जुड़ा कोई सबूत सोशल मीडिया तक ना पहुंचे.
कोरोना के कारण सबसे ज्यादा लोगों की मौत वाले देशों की सूची में ब्राजील दूसरे नंबर पर है. करीब 74 लाख लोग यहां संक्रमित हुए हैं और 191,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
इवेंट आयोजित करने वाली एजेंसी एजेंसिया फाब्रिका ने एक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि नए साल के मौके पर कोस्टा वेर्डे में 150 लोगों की एक पार्टी के लिए उससे संपर्क किया गया है. नेमार का विला इसी इलाके में है. एजेंसिया फाब्रिका का कहना है कि पार्टी में सार्वजिक संस्थाओं के तय किए सारे नियमों का पालन किया जाएगा. एजेंसी का कहना है कि पार्टी के लिए जरूरी सभी मंजूरियां हासिल कर ली गई हैं.
हालांकि नेमार के वकील ने किसी पार्टी की योजना या फाब्रिका की पार्टी से नेमार के जुड़े होने से इनकार किया है. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "नहीं यह एक फाब्रिका इवेंट है. यह नेमार से जुड़ा नहीं है."
नेमार का विला कोस्टा वेर्दे के मांगारातिबा म्युनिसिपल इलाके में है. स्थानीय नगरपालिका ने इलाके में रहने वाले 41000 लोगों से कहा है कि वो कोई पार्टी आयोजित ना करें और बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होने से रोकने कि लिए जगह जगह बैरियर भी लगाए गए हैं. नगरपालिका ने भी ऐसी किसी पार्टी की जानकारी होने से इनकार किया है.
नेमार ने 13 दिसंबर को टखने में चोट लगने के बाद से कोई मैच नहीं खेला है. उन्होंने पार्टी की खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और हाल के दिनों में वो सोशल मीडिया पर बस अपने परिवार की तस्वीरें डालते रहे हैं.
उनका मांगारातिबा मैनसन 10,000 वर्गमीटर जमीन पर बना है. इसमें हेपीपोर्ट, स्पोर्ट पिच, स्पा, सटन, मसाज पार्लर, जिम और डाइनिंग एरिया शामिल है. इससे पहले वो यहां अपनी चोट से उबरने के लिए आते रहे हैं. जब फ्रांस में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण मार्च से जून तक पेशेवर फुटबॉल बंद था तब भी वो यहीं रह रहे थे.
एनआर/ओएसजे(एएफपी)
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 28 दिसंबर की रात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने एक दूसरे और दोनों देशों की जनता को नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। शी चिनफिंग ने कहा कि वर्ष 2020 चीन और रूस समेत पूरे विश्व के लिए एक अत्यंत असाधारण साल रहा है। संकट के समय चीन-रूस संबंधों का विशिष्ट लाभ और अनमोल मूल्य अधिक स्पष्ट दिखता है। दोनों देशों ने एक दूसरे को मदद देकर साथ-साथ कठिन समय काटा और एक दूसरे के केंद्रीय हितों से जुड़े सवालों पर पारस्परिक समर्थन बनाए रखा, जिसने दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय विश्वास और मित्रता जाहिर की है।
शी चिनफिंग ने बल दिया कि चीन रूस मैत्रीपूर्ण सहयोग समझौते में निर्धारित पीढ़ी दर पीढ़ी मित्रता अवधारण और नयी किस्म वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में एक महान पहल है। अगले साल दोनों पक्षों को इस समझौते की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर अधिक बड़े दायरे में अधिक गहराई से द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाना चाहिए।
शी चिनफिंग ने कहा कि चीन और रूस रणनीतिक समन्वय मजबूत करने से दोनों देशों का दमन करने वाली किसी भी कुचेष्टा की कारगर रोकथाम कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की सुरक्षा के लिए मजबूत आवरण स्थापित करेंगे। चीन रूस के साथ नये युग में सर्वांगीण रणनीतिक समन्वय साझेदारी का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद रूस-चीन संबंधों का स्थिर विकास हो रहा है। दोनों देश महामारी के मुकाबले में एक दूसरे का समर्थन करते हैं और विभिन्न क्षेत्रों का सहयोग आगे बढ़ा रहे हैं। रूस ²ढ़ता के साथ दोनों देशों की सर्वांगीण रणनीतिक समन्वय साझेदारी को अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाने में संलग्न रहेगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)