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(एलिजाबेथ वेस्ट्रुप और जेड शीन, डीकिन यूनिवर्सिटी)
जिलॉन्ग (ऑस्ट्रेलिया), 10 अक्टूबर। महामारी के दौरान स्कूलों, बच्चों की देखभाल करने वाले केन्द्रों और अन्य सामाजिक सहायता सेवाओं में व्यवधान के कारण बहुत से परिवारों को कोविड के साथ-साथ रोजगार और लॉकडाउन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह किसी के लिए तनावपूर्ण रहा है तो किसी के लिए दर्दनाक।
ऐसे में यह जानकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि महामारी के दौरान कई बच्चे चिंता या उद्विग्नता से प्रभावित हुए, खासकर लॉकडाउन के दौरान।
हमारे शोध से पता चलता है कि कुछ परिवारों पर इन परिस्थितियों का खास असर पड़ा। वह परिवार जिन्हें वित्तीय समस्याएं थीं, जिनके पास रहने के लिए अच्छे घर नहीं थे या वे लोग जो अकेले रहते थे या जिन्हें पहले से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, जो जोड़े आपस में लड़ते थे, उन्होंने समय के साथ अपने बच्चों और माता-पिता के मानसिक स्वास्थ्य को बदतर बताया।
महामारी के दौरान संघर्ष करने वाले परिवारों और बच्चों को कोविड के बाद सामान्य जीवन में वापस आने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
एक बच्चे में चिंता के लक्षण कैसे पहचानें और उससे उबरने में उसकी मदद कैसे कर सकते हैं?
बच्चे की चिंता को कैसे पहचानें
हालांकि बच्चों में उनके हालात और उम्र के अनुसार चिंता के लक्षण और प्रभाव अलग-अलग होते हैं, लेकिन इसमें शामिल हो सकते हैं: उन स्थितियों या गतिविधियों से बचना, जिनमें वह पहले भाग लेते थे (उदाहरण के लिए, कभी उनके प्रिय रहे नृत्य या खेल गतिविधि में जाने से इनकार करना)
भावनाओं में परिवर्तन (उदाहरण के लिए, बात-बात में गुस्सा करना या चिड़चिड़ापन)
असामान्य व्यवहार जैसे बिस्तर गीला करना, अपने नाखून चबाना, और/या असामान्य व्यवहार
शारीरिक लक्षण जैसे सिरदर्द, पेट में दर्द, और/या आलस
रोजमर्रा की जिंदगी में व्यवधान, जैसे कि खराब एकाग्रता, नींद और/या भूख में कमी।
चिकित्सकीय रूप से, हम विचार करेंगे:
प्रत्येक व्यवहार की आवृत्ति (आप इसे कितनी बार नोटिस करते हैं) गंभीरता (यह कितना हानिकारक या दुखदायी रहा है),
और आपने लक्षणों को कितने समय तक देखा है।
बहुत से बच्चों को किसी बदलाव या संक्रमण से परेशानी होती है, जैसे कि नये स्कूल में जाना। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो लगातार दो सप्ताह से अधिक समय तक विभिन्न तरह की चिंताओं का अनुभव करते हैं।
बच्चे की चिंता का इलाज
बातचीत शुरू करें: माता-पिता को डर हो सकता है कि उनके बच्चे की भावनाओं के बारे में बात करने से स्थिति और खराब हो जाएगी, लेकिन ऐसा कम ही होता है। भावनाओं के बारे में बात करने से आमतौर पर बच्चों को उनसे बाहर निकलने में मदद मिलती है। बात करने से बच्चों को उनकी भावनाओं को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
यदि आपका बच्चा परेशान है और उसमें चिंता के लक्षण हैं और आप उसकी इस हालत को लेकर चिंतित हैं, तो उनकी तत्काल सहायता के लिए जल्दी किसी पेशेवर से बात करना उचित है।
ऑस्ट्रेलिया में तीन रास्ते हैं।
सबसे पहले, आप अपने बच्चे को एक निजी मनोवैज्ञानिक को दिखाने के बारे में अपने डाक्टर से रेफरल के बारे में बात कर सकते हैं। आपका डाक्टर आपके बच्चे के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल योजना का सुझाव दे सकता है, जिससे आपको प्रति वर्ष दस सत्र की चिकित्सा पर शुल्क में छूट मिल सकती है। दूसरे शब्दों में, मनोवैज्ञानिक शुल्क का एक हिस्सा मेडिकेयर द्वारा कवर किया जाएगा।
दूसरा, आप अपने बच्चे के प्रारंभिक शिक्षा या स्कूल के शिक्षक से बात कर सकते हैं।
तीसरा, जब लक्षण गंभीर हों, तो आप सलाह और संभावित उपचार के लिए अपने स्थानीय बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य सेवा से संपर्क कर सकते हैं। (आपके क्षेत्र में क्या उपलब्ध है, यह जानने के लिए अपने राज्य या क्षेत्र के नाम पर क्लिक करें: विक्टोरिया, न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी क्षेत्र, क्वींसलैंड, तस्मानिया, ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र)।
महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डाला है, और मनोवैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों को दिखाने के लिए अक्सर लंबी प्रतीक्षा-सूचियाँ होती हैं।
जब आप प्रतीक्षा कर रहे हों, तो हम अनुशंसा करते हैं कि आप साक्ष्य-आधारित ऑनलाइन सहायता पर एक नज़र डालें, और सुनिश्चित करें कि लक्षण राहत के लिए मूल बातें मौजूद हैं। (द कन्वरसेशन)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद आज अस्पताल में निधन हो गया, बीते कुछ दिनों से उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। उनका दो अक्टूबर से मेदांता अस्पताल के आईसीयू में इलाज जारी था।
मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने जानकारी देते हुए कहा, "मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।"
रविवार रात तक मुलायम सिंह के चाहने वाले उनके प्रशंसक उनका हालचाल जानने मेदांता अस्पताल पहुंच रहे थे, वहीं बीते आठ दिनों से अखिलेश यादव और उनका परिवार मेदांता अस्पताल और दिल्ली में ही मौजूद है। इस दौरान वे सपा संरक्षक को देखने आने वाले लोगों से मुलाकात भी कर रहे थे। (आईएएनएस)|
तिरुवनंतपुरम, 10 अक्टूबर। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ब्रिटेन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि काम की तलाश में विदेश जाने वाले लोगों के रोजगार की सुरक्षा व कल्याण के लिए एक आव्रजन कानून की आवश्यकता है।
विजयन अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ यूरोप यात्रा पर हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, विजयन ने एक दिन पहले लंदन में आयोजित ‘यूरोप-यूके रीज़नल कॉन्फ्रेंस ऑफ द लोक केरल सभा’ में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद विजयन ने कहा कि काम की तलाश में विदेश जाने वालों के रोजगार की सुरक्षा व कल्याण के लिए आव्रजन कानून की आवश्यकता है।
बहरहाल, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीति सभी को विदेश भेजने की नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य यहां विकास के माध्यम से एक ‘‘नए केरल’’ का निर्माण करना है।
मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य राज्य में शिक्षा के क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाना और केरल को उच्च शिक्षा का केंद्र बनाना है।
बयान के अनुसार, केरल-ब्रिटेन परियोजना के पहले चरण में स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न पेशेवरों के लिए 3,000 से अधिक नौकरियों का सृजन होगा। प्रक्रिया पूरी होने के बाद नवंबर में एक सप्ताह के ‘यूके एम्प्लॉयमेंट फेस्ट’ (ब्रिटेन रोजगार कार्यक्रम) के आयोजन की भी योजना है। (भाषा)
ठाणे (महाराष्ट्र), 10 अक्टूबर। महाराष्ट्र में ठाणे जिले की एक अदालत ने अपनी नवजात बच्ची की हत्या की आरोपी 34 वर्षीय महिला को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
कल्याण की एक अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शौकत एस गोरवडे ने चार अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि अभियोजन भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत महिला के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा। यह आदेश सोमवार को उपलब्ध हुआ है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक एस आर कुलकर्णी ने अदालत से कहा कि महिला ने 15 अप्रैल 2018 को एक बच्ची को जन्म दिया था तथा उसे 17 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। उसकी पहले से दो बेटियां हैं।
उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल 2018 को कल्याण शहर के उंबर्डे गांव की रहने वाली महिला अपने पति तथा नवजात बच्ची के साथ सिविल अस्पताल गई, जहां चिकित्सकों ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्ची की मौत होने की पुष्टि की।
खड़कपाडा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोप लगाया कि महिला ने तीसरी लड़की होने पर बच्ची की गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस ने महिला के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि मृतक बच्ची के गर्दन पर मिले नाखून के निशान आरोपी महिला के थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कोई गवाह नहीं मिला जो यह साबित कर सके कि आरोपी ने बच्ची का मुंह और गला दबाया तथा उसकी हत्या की।’’
अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में महिला को बरी किया जाता है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा)। दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवेश वर्मा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में एक कार्यक्रम में एक खास समुदाय का पूरी तरह बहिष्कार करने का कथित तौर पर आह्वान किया।
मनीष (19) की एक अक्टूबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में कथित तौर पर चाकू घोंपकर हत्या कर दी गयी थी। पुलिस ने मामले में सभी आरोपियों आलम, बिलाल और फैजान को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पुरानी रंजिश को लेकर मनीष की हत्या की।
हिंदू युवक की हत्या के विरोध में रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम के कथित वीडियो में वर्मा को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘जहां कहीं भी वे आपसे मिले तो उन्हें सीधा करने का एक ही तरीका है - पूर्ण बहिष्कार। क्या आप मुझसे सहमत हैं?’’
दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन में हुए कार्यक्रम की जानकारियां जुटा रही है और इसके आयोजन की कोई अनुमति नहीं ली गयी थी।
यह कार्यक्रम मनीष की हत्या के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों ने आयोजित किया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। हालांकि, कार्यक्रम में भाषणों से संबंधित फुटेज खंगाली जाएगी।’’
पश्चिमी-दिल्ली से भाजपा सांसद वर्मा ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
इस कथित वीडियो में वर्मा को कार्यक्रम में मौजूद लोगों से एक समुदाय का ‘‘पूर्ण बहिष्कार’’ करने के बारे में पूछते हुए सुना जा सकता है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे हाथ उठाकर बताएं कि उनकी बात से सहमत हैं या नहीं।
उन्हें वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘हम उनकी दुकानों से कुछ नहीं खरीदेंगे या उन्हें कोई पैसा नहीं देंगे। उनके साथ यही सही सुलूक होगा।’’
गौरतलब है कि मनीष की हत्या की घटना सीसीटीवी में कैद हो गयी थी। कैमरे की फुटेज में तीन युवकों को मनीष को चाकू से गोदते हुए देखा गया।
इस बीच, विश्व हिंदू परिषद ने मनीष के परिजन को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की है।
विहिप की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन ने उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को छह सूत्री ज्ञापन सौंपते हुए युवक के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने तथा एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।
विहिप ने अपनी मांगों के पूरा न होने पर ‘‘बड़ा आंदोलन’’ शुरू करने की धमकी भी दी है।
नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के कथित आबकारी घोटाला मामले में अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आरोपी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अभिषेक बोइनपल्ली दक्षिणी भारत के कुछ शराब कारोबारियों के लिए कथित तौर पर काम करता था। उसे रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पाया कि वह कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने से बच रहा है, जिसके बाद उसे देर रात हिरासत में ले लिया गया।
उन्होंने बताया कि आबकारी मामले में यह दूसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले कारोबारी एवं आम आदमी पार्टी के नेता विजय नायर को गिरफ्तार किया गया था।
यह मामला राष्ट्रीय राजधानी में शराब के लाइसेंस देने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताते हुए सोमवार को कहा कि रक्षा मंत्री एवं सामाजिक न्याय के सशक्त पैरोकार के रूप में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘मुलायम सिंह यादव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत सरकार के रक्षा मंत्री व सामाजिक न्याय के सशक्त पैरोकार के रूप में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।"
उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव व अन्य सभी प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी शोक संवेदनाएं। ईश्वर श्री मुलायम सिंह यादव जी को श्रीचरणों में स्थान दें।"
मुलायम सिंह यादव का सोमवार को 82 साल की उम्र में निधन हो गया है। पिछले कुछ हफ्तों से उनकी तबीयत बहुत खराब थी। उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया था और उन्हें जीवन रक्षक दवाएं दी जा रही थी। (भाषा)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.
मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट किया, "मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा करती है. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा."
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शोक की इस घड़ी में उनके पुत्र अखिलेश यादव से दूरभाष पर वार्ता कर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की. (bbc.com/hindi)
लखनऊ, 10 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
यादव ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अनेक नेताओं ने यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
सपा के आधिकारिक हैंडल से किए गए ट्वीट में सपा अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव के हवाले से इसकी जानकारी दी गई।
अखिलेश ने ट्वीट में कहा, ‘‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।’’
मुलायम सिंह यादव अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें दो अक्टूबर को निम्न रक्तचाप और ऑक्सीजन की कमी की शिकायत पर अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था और तब से वह जीवन रक्षक दवाओं पर थे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर समाजवादी पार्टी में शोक की लहर है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी ट्वीट कर यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘श्री मुलायम सिंह यादव का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। साधारण परिवेश से आए मुलायम सिंह यादव जी की उपलब्धियां असाधारण थीं। ‘धरती पुत्र’ मुलायम जी जमीन से जुड़े दिग्गज नेता थे। उनका सम्मान सभी दलों के लोग करते थे। उनके परिवार-जन व समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘‘अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री रहते हुए मेरा मुलायम सिंह यादव जी से कई बार संवाद हुआ। यह करीबी रिश्ता जारी रहा और मैं हमेशा उनके विचारों को सुनने के लिए उत्सुक रहता था। उनके निधन से मुझे पीड़ा हुई है। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति मेरी संवेदना है। ओम शांति।’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सिलसिलेवार ट्वीट में मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘श्री मुलायम सिंह यादव जी जमीन से जुड़े एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कई दशकों तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई। अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अनेक पदों पर काम किया और देश, समाज एवं प्रदेश के विकास में अपना योगदान दिया। उनका निधन बेहद पीड़ादायक है।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘राजनीति में विरोधी होने के बावजूद मुलायम सिंह जी के सभी से अच्छे संबंध थे। जब भी उनसे भेंट होती तो वे बड़े खुले मन से अनेक विषयों पर बात करते। अनेक अवसरों पर उनसे हुई बातचीत मेरी स्मृति में सदैव तरोताजा रहेगी। दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों एवं समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी वटवृक्ष सपा संरक्षक आदरणीय मुलायम सिंह जी के निधन की खबर से मर्माहत हूं। देश की राजनीति में एवं वंचितों को अग्रिम पंक्ति में लाने में उनका अतुलनीय योगदान रहा। उनकी यादें जुड़ी रहेगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि।’’
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने ट्विटर पर अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी के संस्थापक व वरिष्ठ राजनेता एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका निधन राजनीतिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं परिजनों तथा समर्थकों को यह असीम दु:ख सहन करने की शक्ति दें।’’
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘सपा के संस्थापक व वरिष्ठ राजनेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका निधन राजनीतिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं परिजनों तथा समर्थकों को यह असीम दु:ख सहन करने की शक्ति दें।’’ (भाषा)
-रेहान फ़ज़ल
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. वे पिछले कई दिनों से बीमार थे और गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. उनकी जीवन यात्रा पर पढ़िए बीबीसी हिंदी का ये विशेष लेख.
कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की जवानी के दिनों में अगर उनका हाथ अपने प्रतिद्वंदी की कमर तक पहुँच जाता था, तो चाहे वो कितना ही लंबा या तगड़ा हो, उसकी मजाल नहीं थी कि वो अपने-आप को उनकी गिरफ़्त से छुड़ा ले.
आज भी उनके गाँव के लोग उनके 'चर्खा दाँव' को नहीं भूले हैं, जब वो बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए हुए पहलवान को चारों ख़ाने चित कर देते थे.
मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रोफ़ेसर राम गोपाल ने एक बार बीबीसी को बताया था, "अखाड़े में जब मुलायम की कुश्ती अपने अंतिम चरण में होती थी तो हम अपनी आंखें बंद कर लिया करते थे. हमारी आंखें तभी खुलती थीं जब भीड़ में से आवाज़ आती थी, 'हो गई, हो गई' और हमें लग जाता था कि हमारे भाई ने सामने के पहलवान को पटक दिया है."
अध्यापक बनने के बाद मुलायम ने पहलवानी करनी पूरी तरह से छोड़ दी थी. लेकिन अपने जीवन के आख़िरी समय तक वो अपने गाँव सैफई में दंगलों का आयोजन कराते रहे.
लेकिन उत्तर प्रदेश पर नज़र रखने वाले कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुश्ती के इस गुर की वजह से ही मुलायम राजनीति के अखाड़े में भी उतने ही सफल रहे, जबकि उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी.
मुलायम सिंह की प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना था प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के एक नेता नाथू सिंह ने, जिन्होंने 1967 के चुनाव में जसवंतनगर विधानसभा सीट का उन्हें टिकट दिलवाया था.
उस समय मुलायम की उम्र सिर्फ़ 28 साल थी और वो प्रदेश के इतिहास में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे. उन्होंने विधायक बनने के बाद अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की थी.
जब 1977 में उत्तर प्रदेश में रामनरेश यादव के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, तो मुलायम सिंह को सहकारिता मंत्री बनाया गया. उस समय उनकी उम्र थी सिर्फ़ 38 साल.
मुख्यमंत्री की दौड़ में अजीत सिंह को हराया
चौधरी चरण सिंह मुलायम सिंह को अपना राजनीतिक वारिस और अपने बेटे अजीत सिंह को अपना क़ानूनी वारिस कहा करते थे.
लेकिन जब अपने पिता के गंभीर रूप से बीमार होने के बाद अजीत सिंह अमरीका से वापस भारत लौटे, तो उनके समर्थकों ने उन पर ज़ोर डाला कि वो पार्टी के अध्यक्ष बन जाएँ.
इसके बाद मुलायम सिंह और अजीत सिंह में प्रतिद्वंद्विता बढ़ी. लेकिन उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मुलायम सिंह को मिला.
5 दिसंबर, 1989 को उन्हें लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और मुलायम ने रुँधे हुए गले से कहा था, "लोहिया का ग़रीब के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का पुराना सपना साकार हो गया है."
मुख्यमंत्री बनते ही मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में तेज़ी से उभर रही भारतीय जनता पार्टी का मज़बूती से सामना करने का फ़ैसला किया.
उस ज़माने में उनके कहे गए एक वाक्य "बाबरी मस्जिद पर एक परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा" ने उन्हें मुसलमानों के बहुत क़रीब ला दिया.
यही नहीं, जब दो नवंबर, 1990 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद की तरफ़ बढ़ने की कोशिश की, तो उन पर पहले लाठीचार्ज फिर गोलियाँ चली, जिसमें एक दर्जन से अधिक कार सेवक मारे गए. इस घटना के बाद से ही बीजेपी के समर्थक मुलायम सिंह यादव को 'मौलाना मुलायम' कह कर पुकारने लगे.
चार अक्तूबर, 1992 को उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. उन्हें लगा कि वो अकेले भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते हुए ग्राफ़ को नहीं रोक पाएँगे.
इसलिए उन्होंने कांशीराम की बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया. कांशीराम से उनकी मुलाक़ात दिल्ली के अशोक होटल में उद्योगपति जयंत मल्होत्रा ने करवाई थी.
1993 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 260 में से 109 और बहुजन समाज पार्टी को 163 में से 67 सीटें मिलीं थीं. भारतीय जनता पार्टी को 177 सीटों से संतोष करना पड़ा था और मुलायम सिंह ने कांग्रेस और बीएसपी के समर्थन से राज्य में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
- मुलामय सिंह यादव का राजनीतिक सफ़र
- 1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर से विधायक बने
- 1996 तक मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर से विधायक रहे
- पहली बार वे 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
- 1993 में वे दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने
- 1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा.
- 1996 से 1998 तक वे यूनाइटेड फ़्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री रहे
- उसके बाद मुलायम सिंह यादव ने संभल और कन्नौज से भी लोकसभा का चुनाव जीता
- 2003 में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
- मुलायम सिंह यादव 2007 तक यूपी के सीएम बने रहे
- इस बीच 2004 में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी जीता, लेकिन बाद में त्यागपत्र दे दिया
- 2009 में उन्होंने मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी
- 2014 में मुलायम सिंह यादव ने आज़मगढ़ और मैनपुरी दोनों जगह से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी.
- बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी.
- 2019 में उन्होंने एक बार फिर मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते
जब कांशीराम ने मुलायम को चार घंटे तक इंतज़ार करवाया
लेकिन यह गठबंधन बहुत दिनों तक नहीं चला, क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने अपने गठबंधन सहयोगी के सामने बहुत सारी माँगें रख दीं.
मायावती मुलायम के काम पर बारीक नज़र रखतीं और जब भी उन्हें मौक़ा मिलता, उन्हें सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने से नहीं चूकतीं. कुछ दिनों बाद कांशीराम ने भी मुलायम सिंह यादव की अवहेलना करनी शुरू कर दी.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे टीएस आर सुब्रमण्यम अपनी किताब 'जरनीज़ थ्रू बाबूडम एंड नेतालैंड' में लिखते हैं, "एक बार कांशीराम लखनऊ आए और सर्किट हाउस में ठहरे. उनसे पहले से समय लेकर मुलायम सिंह उनसे मिलने पहुँचे. उस समय कांशीराम अपने राजनीतिक सहयोगियों के साथ मंत्रणा कर रहे थे. उनके स्टाफ़ ने मुलायम से कहा कि वो बग़ल के कमरे में बैठ कर कांशीराम के काम से ख़ाली होने का इंतज़ार करें."
"कांशीराम की बैठक दो घंटे तक चली. जब कांशीराम के सहयोगी बाहर निकले तो मुलायम ने समझा कि अब उन्हें अंदर बुलाया जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. एक घंटे बाद जब मुलायम ने पूछा कि अंदर क्या हो रहा है तो उन्हें बताया गया कि कांशीराम दाढ़ी बना रहे हैं और इसके बाद वो स्नान करेंगे. मुलायम बाहर इंतज़ार करते रहे. इस बीच कांशीराम थोड़ा सो भी लिए. चार घंटे बाद वो मुलायम सिंह से मिलने बाहर आए."
"वहाँ मौजूद मेरे जानने वालों का कहना है कि इस बात का तो पता नहीं कि उस बैठक में क्या हुआ लेकिन ये साफ़ था कि जब मुलायम कमरे से बाहर निकले तो उनका चेहरा लाल था. कांशीराम ने ये भी मुनासिब नहीं समझा कि वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बाहर उनकी कार तक छोड़ने आते."
उसी शाम कांशीराम ने बीजेपी नेता लालजी टंडन से संपर्क किया और कुछ दिनों बाद बहुजन समाज पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.
इससे पहले दो जून को जब मायवती लखनऊ आईं, तो मुलायम के समर्थकों ने राज्य गेस्ट हाउस में मायवती पर हमला किया और उन्हें अपमानित करने की कोशिश की.
इसके बाद इन दोनों के बीच जो खाई पैदा हुई, उसे दो दशकों से भी अधिक समय तक पाटा नहीं जा सका.
मुलायम सिंह और अमर सिंह की दोस्ती
29 अगस्त 2003 को मुलायम सिंह यादव ने तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस बीच उनकी अमर सिंह से गहरी दोस्ती हो गई.
मुलायम ने अमर सिंह को राज्यसभा का टिकट दे दिया और बाद में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया. जिसकी वजह से पार्टी के कई बड़े नेताओं ने, जिनमें बेनीप्रसाद वर्मा भी शामिल थे, मुलायम सिंह यादव से दूरी बना ली.
एक बार बीबीसी से बात करते हुए बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा था, "मैं मुलायम सिंह को बहुत पसंद करता था. एक बार रामनरेश यादव के हटाए जाने के बाद मैंने चरण सिंह से मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की सिफ़ारिश की थी. लेकिन चरण सिंह मेरी सलाह पर हंसते हुए बोले थे इतने छोटे क़द के शख़्स को कौन अपना नेता मानेगा. तब मैंने उनसे कहा था, नेपोलियन और लाल बहादुर शास्त्री भी तो छोटे क़द के थे. जब वो नेता बन सकते हैं तो मुलायम क्यों नहीं. चरण सिंह ने मेरा तर्क स्वीकार नहीं किया था."
प्रधानमंत्री पद से चूके
मुलायम सिंह यादव 1996 में यूनाइटेड फ़्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री बने. प्रधानमंत्री के पद से देवेगौड़ा के इस्तीफ़ा देने के बाद वो भारत के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए.
शेखर गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस के 22 सितंबर, 2012 के अंक में'मुलायम इज़ द मोस्ट पॉलिटिकल' लेख में लिखा, "नेतृत्व के लिए हुए आंतरिक मतदान में मुलायम सिंह यादव ने जीके मूपनार को 120-20 के अंतर से हरा दिया था."
"लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी दो यादवों लालू और शरद ने उनकी राह में रोड़े अटकाए और इसमें चंद्रबाबू नायडू ने भी उनका साथ दिया, जिसकी वजह से मुलायम को प्रधानमंत्री का पद नहीं मिल सका. अगर उन्हें वो पद मिला होता तो वो गुजराल से कहीं अधिक समय तक गठबंधन को बचाए रखते."
विश्वस्नीयता पर सवाल
मुलायम सिंह भारतीय राजनीति में कभी भी विश्वसनीय सहयोगी नहीं माने गए. पूरी उम्र चंद्रशेखर उनके नेता रहे, लेकिन जब 1989 में प्रधानमंत्री चुनने की बात आई तो उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह का समर्थन किया.
थोड़े दिनों बाद जब उनका वीपी सिंह से मोह भंग हो गया, तो उन्होंने फिर चंद्रशेखर का दामन थाम लिया.
वर्ष 2002 में जब एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आगे किया, तो वामपंथी दलों ने उसका विरोध करते हुए कैप्टेन लक्ष्मी सहगल को उनके ख़िलाफ़ उतारा.
मुलायम ने आख़िरी समय पर वामपंथियों का समर्थन छोड़ते हुए कलाम की उम्मीदवारी पर अपनी मोहर लगा दी.
वर्ष 2008 में भी जब परमाणु समझौते के मुद्दे पर लेफ़्ट ने सरकार से समर्थन वापस लिया, तो मुलायम ने उनका साथ न देते हुए सरकार के समर्थन का फ़ैसला किया जिसकी वजह से मनमोहन सिंह की सरकार बच गई.
2019 के आम चुनाव में भी उन्होंने कई राजनीतिक विश्लेषकों को आश्चर्यचकित कर दिया, जब उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनें.
सोनिया गांधी को मना करने के पीछे की कहानी
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के गिरने के बाद मुलायम सिंह ने कांग्रेस से कहा कि वो उनका समर्थन करेंगे.
उनके इस आश्वासन के बाद ही सोनिया गांधी ने कहा था कि उनके पास 272 लोगों का समर्थन है. लेकिन बाद में वो इससे मुकर गए और सोनिया गांधी की काफ़ी फ़ज़ीहत हुई.
लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा 'माई कंट्री, माई लाइफ़' में इस प्रकरण का ज़िक्र करते हुए लिखा है, "22 अप्रैल की देर रात मेरे पास जॉर्ज फ़र्नांडीस का फ़ोन आया. उन्होंने मुझसे कहा, लालजी मेरे पास आपके लिए अच्छी ख़बर है. सोनिया गांधी सरकार नहीं बना पाएंगी. उन्होंने कहा कि विपक्ष का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है. लेकिन ये बैठक न तो आपके घर पर हो सकती है और न मेरे घर पर. ये बैठक जया जेटली के सुजान सिंह पार्क के घर में होगी. जया आपको अपनी कार में लेने आएंगीं."
आडवाणी आगे लिखते हैं, "जब मैं जया जेटली के घर पहुँचा तो वहाँ फ़र्नांडीस और मुलायम सिंह यादव पहले से ही मौजूद थे. फ़र्नांडीस ने कहा, 'हमारे दोस्त का वादा है कि उनकी पार्टी के 20 सदस्य किसी भी हालत में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की मुहिम को समर्थन नहीं देंगे.' मुलायम सिंह यादव ने फ़र्नांडीस की कही बात दोहराते हुए कहा कि 'आपको भी मुझसे एक वादा करना होगा कि आप दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. मैं चाहता हूँ कि चुनाव दोबारा हों.' मैं इसके लिए फ़ौरन राज़ी हो गया."
दो शादियाँ की थीं मुलायम सिंह यादव ने
1957 में मुलायम सिंह यादव का विवाह मालती देवी से हुआ. 2003 में उनके देहावसान के बाद मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से दूसरी शादी की. इस संबंध को बहुत दिनों तक छिपा कर रखा गया और शादी में भी बहुत नज़दीकी लोग ही सम्मिलित हुए.
इस शादी के बारे में लोगों को पहली बार तब पता चला जब मुलायम सिंह यादव ने आय से अधिक धन मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर कहा कि उनकी एक पत्नी और हैं.
जब मुलायम ने 2003 में साधना गुप्ता से शादी की तो पहली पत्नी से उनके पुत्र अखिलेश यादव की न सिर्फ़ शादी हो चुकी थी बल्कि उनको एक बच्चा भी हो चुका था.
परिवारवाद बढ़ाने के आरोप
मुलायम सिंह यादव पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में कुल पाँच सीटें मिली और ये पाँचों सांसद यादव परिवार के सदस्य थे.
2012 का विधानसभा जीतने के बाद उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को अपना उत्तराधिकारी बनाया. लेकिन मुलायम द्वारा सरकार को 'रिमोट कंट्रोल' से चलाने के आरोपों के बीच अखिलेश 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए.
चुनाव से कुछ दिनों पहले अखिलेश ने उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया. मुलायम ने चुनाव प्रचार में भाग नहीं लिया और हार का ठीकरा अपने बेटे पर फोड़ते हुए कहा कि "अखिलेश ने मुझे अपमानित किया है. अगर बेटा बाप के प्रति वफ़ादार नहीं है तो वो किसी का भी नहीं हो सकता."
मुलायम की इच्छा के ख़िलाफ़ अखिलेश ने मायावती के साथ मिल कर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा. एक साल पहले तक इस गठबंधन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.
ये अलग बात है कि इस गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी और कुछ दिनों के भीतर ये गठबंधन भी टूट गया. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 10 अक्टूबर। यूपी के पूर्व सीएम और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद अब से थोड़ी देर पहले मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव में निधन हो गया। सीएम भूपेश बघेल ने अपनी श्रद्धांजलि में कहा कि भारतीय लोकतान्त्रिक नींव का एक पत्थर ढह गया। पढ़ें बघेल का ट्वीट
लखनऊ, 10 अक्टूबर । समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
सपा अध्यक्ष और मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली।
अखिलेश ने ट्वीट में कहा, ‘‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।’’
मुलायम सिंह यादव को पिछली दो अक्टूबर को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर समाजवादी पार्टी में शोक की लहर है। (भाषा)
चुनाव आयोग ने शनिवार को शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-तीर और नाम पर रोक लगा दी. इसके बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने पार्टी के तीन नाम और एक चुनाव चिन्ह के लिए आयोग के फ़ैसले को चुनौती देते हुए पत्र लिखा है.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने नाम के लिए तीन विकल्प दिए हैं-
शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
शिवसेना (बालासाहेब प्रबोधंकर ठाकरे)
इसके साथ ही उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए भी तीन प्रस्ताव दिए गए हैं-
त्रिशूल
उगता सूरज
मशाल
इन में से एक भी चिन्ह चुनाव आयोग की सूची में शामिल नहीं है.
उद्धव ठाकरे ने रविवार को फ़ेसबुक लाइव के जरिए कार्यकर्ताओं और समर्थकों से बात की. इसी दौरान उन्होंने बताया कि पार्टी ने आयोग से मशाल, त्रिशूल और उगता सूरज, इन तीन चिन्हों की मांग की है.
फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि आयोग की सूची में इन चिन्हों के न होने पर आगे क्या होगा और क्या चुनाव आयोग इन्हीं में से एक चिन्ह उद्धव ठाकरे गुट को दे सकता है या नहीं.
शनिवार को चुनाव आयोग के फैसले के बाद रविवार को शिवसेना नेताओं की एक बैठक मातोश्री में हुई. उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक में शिवसेना की अगली रणनीति को लेकर चर्चा हुई.
बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर चुनाव आयोग ने शिवसेना को उनकी पसंद का चुनाव चिन्ह नहीं दिया तो मामला हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है.
ठाकरे ने कहा कि उन्होंने ये तीन सुझाव इसलिए दिए हैं क्योंकि ये पार्टी की विचारधारा से मिलते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास जो चिन्ह हैं वो पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाते.
उधर, आगे के विकल्पों और रणनीति को लेकर शिंदे गुट ने भी रविवार को बैठक की. शिंदे सरकार में मंत्री उदय सामंत ने कहा, ‘‘असल अन्याय हमारे साथ हुआ है. हम असली शिवसेना हैं क्योंकि हमारे पास बहुमत है. हमें इसकी उम्मीद नहीं थी इसलिए हम इसके लिए तैयार भी नहीं थे. एकनाथ शिंदे पार्टी के नाम और चिन्ह को लेकर फैसला करेंगे.’’ (bbc.com/hindi)
अब तक 34 विधानसभा क्षेत्र में हो चुका है भेंट-मुलाकात कार्यक्रम
रायपुर, 10 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल अपने भेंट-मुलाकात दौरे में आज कबीरधाम जिले के कवर्धा विधानसभा क्षेत्र जा रहे हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल आमजनों से भेंट-मुलाकात कर शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी लेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल का प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात कार्यक्रम इसी वर्ष 4 मई से शुरू हुआ है। उन्होंने इसकी शुरुआत सरगुजा संभाग से की। मुख्यमंत्री अब तक राज्य के 16 जिलों के 34 विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए पहुंच चुके हैं।
इसी कड़ी में मुख्यमंत्री 10 अक्टूबर को रायपुर पुलिस ग्राउण्ड हेलीपेड से सुबह 11.30 बजे प्रस्थान कर सुबह 11.55 बजे कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड बोड़ला के ग्राम झलमला पहुंचेंगे और वहां दोपहर 12 बजे से उनका भेंट-मुलाकात कार्यक्रम प्रारंभ होगा। फिर दोपहर 2 बजे ग्राम झलमला से हेलीकॉप्टर द्वारा प्रस्थान कर दोपहर 2.15 बजे सहसपुर-लोहारा पहुंचेंगे और वहां उनका भेंट-मुलाकात कार्यक्रम दोपहर 2.55 बजे से प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री सहसपुर-लोहारा कॉलेज मैदान से हेलीकॉप्टर द्वारा शाम 4.45 बजे प्रस्थान कर 4.55 बजे न्यू पुलिस लाइन हेलीपेड कवर्धा पहुंचेंगे और वहां शाम 5 बजे नवीन पुल (शबरी नदी) का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री शाम 6.30 बजे कवर्धा नगर के पीजी कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित सामाजिक सम्मेलन में शामिल होंगे। इसके पश्चात् विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से भेंट करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यक्रम पश्चात् कवर्धा में रात्रि विश्राम करेंगे।
-दीपक मंडल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौजूदा वित्त वर्ष (2022-23) का बजट पेश करते हुए कहा था कि आरबीआई की डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल रुपया या ई-रुपी देश की डिजिटल इकोनॉमी को मज़बूत बनाएगा.
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल रुपये में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकता है. शुक्रवार को आरबीआई ने इस बात के संकेत दिए कि वह कुछ ख़ास इस्तेमालों के लिए जल्दी ही ई-रूपी या सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) लॉन्च करेगा. ये रिटेल और होलसेल ट्रांज़ैक्शन के लिए इस्तेमाल होगा.
कहा जा रहा है कि ई-रुपी देश में पेमेंट सिस्टम को नई ऊंचाई पर ले जाएगा. आम लोग और कारोबारी ई-रुपी से कई तरह के लेनदेन के लिए डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कर सकेंगे. आइए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी यानी आरबीआई का ई-रुपी क्या है, ये कैसे काम करेगा और इसके क्या फ़ायदे हैं?
आरबीआई की योजना क्या है?
आरबीआई ने कहा है कि सीबीडीसी यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लोगों को वित्तीय लेनदेन के लिए एक रिस्क फ़्री वर्चुअल करेंसी मुहैया कराएगी.
सीबीडीसी के दो मक़सद हैं.
पहला डिजिटल रुपया तैयार करना और दूसरा इसे बग़ैर किसी अड़चन के लॉन्च करना.
आरबीआई का यह भी मानना है कि सीबीडीसी ऐसा ऑफ़लाइन मोड भी विकसित करे, जिसमें डिजिटल रुपये से लेनदेन हो सके. इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कर सकेंगे.
यह पेपर करेंसी के समान है, जिसकी सॉवरेन वैल्यू होती है.
डिजिटल करेंसी फ़िज़िकल करेंसी का ही इलेक्ट्रॉनिक रूप है.
डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी और यह उसी तरह स्वीकार्य भी होगी. सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में लाइबिलिटी के तौर पर दिखाई देगी.
आरबीआई डिजिटल करेंसी क्यों लॉन्च करना चाहता है?
आरबीआई के कॉन्सेप्ट पेपर के मुताबिक़ आरबीआई देश में फ़िज़िकल कैश के प्रबंधन में आने वाली भारी-भरकम लागत कम करना चाहता है.
यानी नोटों को छापने, इन्हें सर्कुलेट करने और इसके ड्रिस्टीब्यूशन की लागतें कम करना चाहता है.
वह पेमेंट सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ाना चाहता है और इसमें इनोवेशन भी करना चाहता है.
इससे क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट स्पेस में नए तरीक़े अपनाए जा सकेंगे.
डिजिटल करेंसी ऐसी वर्चुअल करेंसी होगी जो किसी भी तरह के जोखिम से मुक्त होगी और लोग पूरे भरोसे के साथ इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
डिजिटल करेंसी अपने ऑफ़लाइन फ़ीचर की बदौलत ऐसे इलाक़ों में भी काम करेगी, जहां बिजली और मोबाइल नेटवर्क नहीं है.
डिजिटल करेंसी कैसी होगी?
आरबीआई के मुताबिक़ इसकी डिजिटल करेंसी ई-रुपी के दो स्वरूप होंगे.
पहला टोकन आधारित और दूसरा अकाउंट आधारित.
टोकन आधारित डिजिटल करेंसी का मतलब ये बैंक नोट की तरह बियरर इंस्ट्रूमेंट होगा.
यानी जिसके पास ये टोकन होगा वो उसके मूल्य का हक़दार होगा.
टोकन आधारित डिजिटल करेंसी वाले मॉडल में टोकन हासिल करने वाले व्यक्ति को यह वेरिफ़ाई करना होगा कि उसके टोकन पर उसी का मालिकाना हक़ है.
अकाउंट आधारित सिस्टम में डिजिटल करेंसी होल्डर को बैलेंस और ट्रांज़ैक्शन का रिकार्ड रखना होगा.
दरअसल ई-रुपी भारतीय रुपये का डिजिटल वर्जन होगा.
आरबीआई इसके दो वर्जन जारी करेगा. इंटरबैंक सेटलमेंट के लिए होलसेल वर्जन और आम लोगों के लिए रिटेल वर्जन.
आरबीआई के इनडायरेक्ट मॉडल के मुताबिक़ डिजिटल रुपी ऐसे वॉलेट में मौजूद होगा जो किसी बैंक या सर्विस प्रोवाइडर से जुड़ा होगा.
क्या ई- रुपी क्रिप्टोकरेंसी है?
क्रिप्टोकरेंसी में जिस टेक्नोलॉजी (ड्रिस्टीब्यूटेड लेज़र) का इस्तेमाल होता है, उसे डिजिटल रुपी सिस्टम में इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन अभी आरबीआई ने यह नहीं बताया है कि ई-रुपी में इसका इस्तेमाल होगा.
बिटक्वाइन और इथेरियम जैसे बिटक्वाइन निजी क्रिप्टोकरेंसी हैं लेकिन डिजिटल रुपी आरबीआई के नियंत्रण में होगा.
बिटक्वाइन की तरह इसकी माइनिंग नहीं हो सकती है. इसका मतलब ये है कि ज़्यादा एनर्जी इस्तेमाल और पर्यावरण के नुक़सान के लिए जिस तरह से बिटक्वाइन की आलोचना की जा रही, उससे आरबीआई का ई-रुपी बचा रहेगा.
इसे कौन जारी करेगा और ये कैसे ट्रांसफ़र होगा?
आरबीआई ई-रुपी जारी करेगा लेकिन कॉमर्शियल बैंक इसे डिस्ट्रीब्यूट करेंगे. डिजिटल रुपये का रिटेल वर्जन टोकन आधारित होगा. आपको ई-मेल जैसा लिंक मिलेगा, इस पर आप अपने पासवर्ड का इस्तेमाल कर पैसा भेज सकेंगे.
क्या ई-रुपी पर ब्याज मिलेगा?
आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक़ वह लोगों के वॉलेट में रखे ई-रुपी पर ब्याज देने के हक़ में नहीं है. क्योंकि लोग बैंकों से पैसा निकाल कर इसे डिजिटल रुपी के तौर पर रखने लगेंगे. इससे बैंकों के फ़ेल होने का ख़तरा हो सकता है.
क्या ई-रुपी दूसरे डिजिटल पेमेंट्स से बेहतर साबित होगा?
अगर आप सीबीडीसी प्लेटफ़ॉर्म या यानी ई-रुपी का इस्तेमाल करेंगे तो इंटरबैंक सेटलमेंट की ज़रूरत नहीं होगी.
इससे लेनदेन ज़्यादा रियल टाइम में और कम लागत में होगा.
इससे आयातकों को काफ़ी फ़ायदा होगा. वे इंटमीडियरी के बगै़र भी अमेरिकी निर्यातक को रियल टाइम में डिजिटल डॉलर के ज़रिये भुगतान कर सकेंगे.
आम लोगों को क्या फ़ायदा होगा?
विदेश में काम करने वाले और डिजिटल मनी के रूप में सैलेरी हासिल करने वालों को इसे कम फ़ीस में अपने रिश्तेदारों या दूसरे देशों में रह रहे लोगों को ट्रांसफ़र करने की सुविधा दी जा सकती है.
माना जा रहा है कि बाहर पैसा भेजने की लागत इससे आधे से भी कम हो जाएगी.
कितने देश लाने जा रहे हैं डिजिटल करेंसी?
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अटलांटिक काउंसिल्स सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ट्रैकर का हवाले से बताया है कि 100 से ज़्यादा देश सीबीडीसी लाने की योजना बना रहे हैं.
फ़िलहाल नाइजीरिया और जमैका समेत दस देश डिजिटल करेंसी लॉन्च कर चुके हैं.
चीन 2023 में डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा. जी-20 समूह के उन्नीस देश सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं.
डिजिटल करेंसी कितनी सुरक्षित?
यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिस्क फ़्री मनी है, जिसकी गारंटी राज्य (देश) देता है.
जल्द ही यूरोपीय यूनियन अपने 27 सदस्य देशों में डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा.
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व ने कहा है कि अगर उसने डिजिटल करेंसी लॉन्च की तो यह लोगों के लिए सबसे सुरक्षित डिजिटल करेंसी होगी. इसमें कोई क्रेडिट और लिक्विडिटी रिस्क नहीं होगा. (bbc.com/hindi)
- दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दिया इस्तीफ़ा
- 5 अक्टूबर को हुए एक कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर विवादों में घिरे थे राजेंद्र पाल गौतम
- भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि कार्यक्रम में हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया.
- राजेंद्र पाल गौतम ने बीजेपी के आरोपों को ख़ारिज करते हुए उन्हें ग़लत बताया
- राजेंद्र पाल ने कहा कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल को घसीटे जाने से आहत हो कर उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है
दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया है. अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम के बीते दिनों बौद्ध धर्म के एक कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर काफ़ी विवाद हो रहा था.
राजेंद्र पाल गौतम जिस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, उसका आयोजन इसी हफ़्ते (बुधवार, 5 अक्टूबर) को दिल्ली के डॉक्टर अंबेडकर भवन में किया गया था.
कार्यक्रम में शिरकत करने वाले करीब 10 हज़ार लोगों के साथ मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने वहां कुछ प्रतिज्ञाएं दोहराई थीं. कथित तौर पर इनमें 'हिंदू देवी-देवताओं की पूजा न करने' की शपथ शामिल थी.
इसे लेकर विवाद छिड़ गया. विपक्ष उनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी घेरने लगा. ख़ासकर भारतीय जनता पार्टी उन पर बहुत हमलावर हो गई.
इस विवाद का असर दिल्ली से लेकर गुजरात तक नज़र आया. गुजरात बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल 'हिंदू विरोधी' है. इसे लेकर कई ट्वीट भी किए गए. वहीं अरविंद केजरीवाल ने भी भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार किया.
केजरीवाल ने एक बयान में कहा, "जिस दिन मेरा जन्म हुआ उस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी. और मैं... मुझे भगवान ने एक स्पेशल काम देकर भेजा है. वो है इन 'कंस की औलादों' का नाश करने के लिए."
कई लोगों ने केजरीवाल के इस बयान को भी विवाद से ही जोड़कर देखा. इस बयान पर भी विवाद शुरू हो गया और बीजेपी नेता केजरीवाल को घेरने लगे.
आज बंधन मुक़्त: राजेंद्र पाल
इसी बीच राजेंद्र पाल गौतम आरोप लगाते रहे कि बीजेपी 'अफ़वाह' फैला रही है. हालांकि, राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने अपना इस्तीफ़ा ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, "आज महर्षि वाल्मीकि जी का प्रकटोत्सव दिवस है एवं दूसरी ओर मान्यवर कांशीराम साहेब की पुण्यतिथि भी है. ऐसे संयोग में आज मैं कई बंधनों से मुक्त हुआ और आज मेरा नया जन्म हुआ है. अब मैं और अधिक मज़बूती से समाज पर होने वाले अत्याचारों व अधिकारों की लड़ाई को बिना किसी बंधन के जारी रखूँगा."
गुजरात चुनाव के दबाव में इस्तीफ़ा?
राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफ़े के बाद सवाल उठा कि क्या आम आमदी पार्टी ने उन्हें 'डैमेज कंट्रोल' करने के लिए इस्तीफ़ा देने को कहा? दरअसल, बीजेपी की दिल्ली इकाई के साथ गुजरात इकाई भी इस मुद्दे को ज़ोरशोर से उठा रही थी.
कई विश्लेषकों की राय थी कि इस मामले से गुजरात में आम आदमी पार्टी को नुक़सान हो सकता है.
गौतम के इस्तीफ़े पर बीजेपी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनाव के दबाव में राजेंद्र गौतम से इस्तीफ़ा लिया है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल का दबाव में आकर राजेंद्र गौतम से इस्तीफ़ा लेना निश्चित तौर पर बीजेपी की जीत है. उन्होंने कहा, "केजरीवाल ने राजेंद्र पाल गौतम से इस्तीफ़ा गुजरात चुनाव की वजह से लिया है."
उन्होंने ये भी कहा कि "गुजरात की जनता के सामने अरविंद केजरीवाल का हिंदू विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है."
आदेश गुप्ता ने कहा कि राजेंद्र पाल गौतम का इस्तीफ़ा 'निश्चित ही बीजेपी की जीत है लेकिन उन्होंने हिंदुओं से माफ़ी नहीं मांगी है. उन्हें और केजरीवाल, दोनों को माफ़ी मांगनी चाहिए.'
'धूल झोंक रही है आप'
दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रमुख विजेंदर गुप्ता ने ट्वीट किया, "मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम का इस्तीफ़ा देना लोगों की आँख में मात्र धूल झोंकना है,क्योंकि अभी तक हिंदू देवी देवताओं को कहे गये अपशब्द ना तो वापस लिए गए हैं और न ही @ArvindKejriwal जी ने अभी तक माफ़ी माँगी."
विजेंदर गुप्ता ने दो दिन पहले अपने ट्वीटिर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया था और लिखा था कि, "AAP सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम हिंदुओं के विरूद्ध घृणा फैला रहे थे, पकड़े गये तो पूरी @AamAadmiParty बिल में घुस गई. CM केजरीवाल सहित सभी नेताओं को साँप सूँघ गया है."
कांग्रेस ने कहा- आप बीजेपी की 'बी' टीम
उधर पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा ने राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफ़े पर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों को घेरे में लिया.
उन्होंने ट्वीट किया, "बीजेपी ने प्रस्ताव का आप ने अनुमोदन किया. आम आदमी पार्टी अपनी मदर पार्टी बीजेपी के दबाव में आ कर दिल्ली के अपने मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को बर्खास्त कर दिया. क्या आम आदमी पार्टी बीजेपी की 'बी' टीम है इसे लेकर आपको कोई और सबूत चाहिए?"
केजरीवाल गुजरात में क्या हिन्दुत्व की नाव पर ही सवार होना चाहते हैं?
गुजरात में केजरीवाल ने जिस ऑटो वाले के घर खाना खाया वो असल में किसके फ़ैन हैं?
इस्तीफ़े में क्या लिखा राजेंद्र पाल ने?
राजेंद्र गौतम ने ट्विटर पर उस बौद्ध दीक्षा समारोह के बारे में बताया है जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है.
राजेंद्र पाल गौतम ने अपने इस्तीफ़े में लिखा कि वो एक अंबेडकरवादी हैं.
उन्होंने अपने इस्तीफ़े में लिखा, "वो आयोजन दीक्षा दिवस पर पूरे देश में हज़ारों जगहों पर होता है और उसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं. जिस तरह 14 अक्टूबर 1956 को जिस तरह डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने इस जातिगत उत्पीड़न और छुआछूत के ख़िलाफ़ जो दीक्षा ली थी बुद्ध के धर्म की, वहां 22 प्रतिज्ञाएं अपने अनुयायियों की दी थी. 14 अक्टूबर 1956 से लेकर आज तक पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हर साल हज़ारों जगह आयोजन होता है जहां करोड़ों लोग ये दीक्षा लेते वक़्त उन 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हैं."
राजेंद्र पाल गौतम ने लिखा, "बाबासाहेब द्वारा दिलाई वो 22 प्रतिज्ञाएं जिन्हें भाजपा सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग श्री थावर चंद गहलोत ने 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरः राइटिंग्स एंड स्पीचेज़, वॉल्यूम-17' में भी छपवाया था. ये प्रतिज्ञाएं हर साल देश के कोने-कोने में आयोजित हज़ारों स्थान पर करोड़ों लोगों द्वारा दोहराई जाती हैं."
"बाबासाहेब एवं उनके द्वारा दिलाई गई इन 22 प्रतिज्ञाओं से भाजपा को आपत्ति है, जिसका इस्तेमाल करके भाजपा गंदी राजनीति कर रही है. और इससे आहत होकर मैं अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे रहा हूं."
क्या है मामला, क्यों हुआ बवाल?
5 अक्टूबर यानी विजयदशमी के दिन राजधानी दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में राजेंद्र पाल गौतम के शामिल होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. राजेंद्र पाल गौतम ने इस बारे में ट्वीट करके जानकारी दी थी.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, "चलो बुद्ध की ओर मिशन जय भीम बुलाता है. आज 'मिशन जय भीम' के तत्वाधान में अशोका विजयदशमी पर डॉ. आंबेडकर भवन रानी झांसी रोड पर 10,000 से ज़्यादा बुद्धिजीवियों ने तथागत गौतम बुद्ध के धम्म में घर वापसी कर जातिविहीन व छुआछूत मुक्त भारत बनाने की शपथ ली. नमो बुद्धाय, जय भीम!"
लेकिन बीजेपी ने आरोप लगाया था कि इस कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के नेता राजेंद्र पाल गौतम ने 'हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया था.'
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को 'हिंदू विरोधी' बताया था. हालांकि राजेंद्र पाल गौतम ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था.
इस बाबत वायरल एक वीडियो में दिख रहा है कि भीड़ में मंच से भगवा कपड़ों में एक शख़्स कुछ बोल रहे हैं, वे जो बोल रहे हैं उसे लोग हाथ उठाकर दोहरा रहे हैं.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस बारे में कहा था, "अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री का बहुत ही नफ़रत फैलाने वाला बयान है. जिस तरह उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के प्रति अपमान का भाव दिखाया है और जिस तरह से नफरत फैलाने वाला काम किया है वो सिर्फ निंदा योग्य ही नहीं बल्कि उन्हें इसके लिए सज़ा मिलनी चाहिए."
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राजेंद्र पाल गौतम को मंत्री पद से बर्ख़ास्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसके लिए माफ़ी मांगें.
उन्होंने कहा कि हिंदू देवताओं और धर्म के ख़िलाफ़ कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी का शपथ लेना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुमति पर हुआ है.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस मामले को लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी.
उनका कहना था कि "यह कोई एक अलग घटना नहीं है. आप के चरित्र में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना है. हमारी मांग है कि केजरीवाल को गौतम को तुरंत बर्ख़ास्त करना चाहिए."
इस्तीफ़े के बाद क्या बोले राजेंद्र पाल गौतम?
राजेंद्र पाल गौतम ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में ये भी बताया कि इस तरह के दीक्षा समारोह में नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस जैसे बीजेपी के शीर्ष नेता भी शामिल होते रहे हैं. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि इस साल के समारोह के दौरान दो केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए.
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, "उन 22 प्रतिज्ञाओं को मोदी जी की सरकार ने 2017 में इन प्रतिज्ञाओं को छपवाया भी है. नागपुर की दीक्षा भूमि में शिलापट्ट पर वो 22 प्रतिज्ञाएं लिखवा कर लगवाई हुई हैं. उसमें गडकरी जी भी जाते हैं, उसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस जी भी गए हैं. उसमें आज की तारीख़ में भारत सरकार में दो केंद्रीय मंत्री वो इस बार के आयोजन में गए हैं."
"मेरे नेता अरविंद केजरीवाल जी ने मुझे इतना सम्मान दिया और सहयोग दिया (अच्छी योजनाएं बनाने में), उनको जिस तरह घसीटा गया इस मामले में, जिन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी उनका इस मामले से कुछ लेना देना ही नहीं है, मेरी पार्टी का दीक्षा दिवस समारोह से लेना देना ही नहीं है.
जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने इसे मुद्दा बना कर इसमें अरविंद केजरीवाल जी को घसीटा गया और इतना बवाल मचाया गया, इससे आहत हो कर मैंने इस्तीफ़ा दिया है."
दिल्ली सरकार में राजेंद्र पाल गौतम गुरुद्वारा चुनाव मंत्री भी थे. (bbc.com/hindi)
नोएडा (उप्र), 10 अक्टूबर। उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश के कारण उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद जिलों में आज यानी सोमवार को सभी स्कूल बंद रहे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बारिश के चलते पहली से बारहवीं कक्षा तक के सभी स्कूल बंद करने का आदेश जारी किया है। जिले में बीते चार दिन से लगातार बारिश हो रही है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार सोमवार को भी तेज बारिश होने की संभावना है। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बताया कि सोमवार को सभी स्कूल बंद रहे।
वहीं गाजियाबाद में भी लगातार हो रही बारिश को देखते हुए जिला प्रशासन ने 10 अक्टूबर (सोमवार) को पहली से बारहवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों के बंद रहने की घोषणा की।
इस संबंध में रविवार को जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ने भी एक आदेश जारी किया था। आदेशानुसार, 11 अक्टूबर को सभी स्कूल अपने निर्धारित समयानुसार खुलेंगे।(भाषा)
श्रीनगर, 10 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में हुई मुठभेड़ में सोमवार सुबह दो आतंकवादी मारे गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी की विशिष्ट जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के इस जिले के तांगपावा इलाके में रविवार रात घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू किया था।
उन्होंने बताया कि तलाश अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलियां चला दीं, जिसके बाद बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ शुरू हो गई।
अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ में सोमवार सुबह दो आतंकवादी मारे गए। आतंकवादियों एवं उनके संगठन की पहचान अभी नहीं हो पाई है। (भाषा)
मुंबई, 10 अक्टूबर। कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने रविवार को कहा कि गांधी परिवार चुनाव में उनका और दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे का समर्थन कर रहा है और दोनों में से किसी के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपना रहा है।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात के बाद थरूर ने संवाददाताओं से कहा कि उनका उद्देश्य 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस को मजबूत बनाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘गांधी परिवार मुझे और खरगे जी को अपना आशीर्वाद दे रहा है। क्योंकि, हम कांग्रेस को मजबूत करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।’’
थरूर ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि खरगे और उनके बीच चुनावी मुकाबला एक ‘‘आधिकारिक उम्मीदवार’’ (खरगे) और एक ‘‘अनाधिकारिक उम्मीदवार’’ (थरूर) के बीच है, जैसा कि कुछ नेता दावा कर रहे हैं।
थरूर ने कहा, ‘‘गांधी परिवार के साथ संवाद के बाद मैं आश्वस्त हुआ कि उनकी तरफ से मेरे या खरगे के प्रति कोई पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा को विपक्ष का हिस्सा बनने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि 2024 के चुनाव के बाद उन्हें वहीं बैठना होगा।
थरूर ने कहा, ‘‘ हमारी पार्टी को बदलाव की जरूरत है और मेरा मानना है कि मैं वह व्यक्ति हूं जो बदलाव का उत्प्रेरक बनूंगा ।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश को ठीक से ढंग से चलाया है और पार्टी में अनुभवी लोग हैं।
थरूर ने मुंबई में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में निर्वाचक मंडल के सदस्यों से संपर्क के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘ हमें मतदाताओं के भरोसे को जीतने की जरूरत है। इस मौके पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले मौजूद नहीं थे।
जब पटोले की अनुपस्थिति के बारे में पूछा गया तो थरूर ने कहा, ‘‘मेरी पटोले से बातचीत हुई थी और उन्होंने मुझे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की जानकारी दी। मैं इसकी शिकायत बिल्कुल नहीं कर रहा हूं।’’
कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय तिलक भवन में ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के सदस्यों ने थरूर का स्वागत किया। इस मौके पर पूर्व लोकसभा सदस्य प्रिया दत्त और पूर्व राज्य सभा सदस्य बालचंद्र मुंगेकर भी मौजूद थे। (भाषा)
नासिक, 10 अक्टूबर। महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक निजी बस और एक ट्रेलर ट्रक की टक्कर में मारे गए 12 लोगों में से 11 की पहचान कर ली गयी है जबकि एक की अब तक पहचान नहीं हो पायी है । पुलिस ने इसकी जानकारी दी ।
पुलिस ने बताया कि मरने वालों में नौ पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं जिनमें 15 साल का किशोर और एक तीन साल की बच्ची शामिल है।
इस बीच, पुलिस ने ट्रक चालक रामजी उर्फ लवकुश जाधीर यादव को गिरफ्तार कर लिया है, जो दुर्घटना के बाद मौके से फरार हो गया था।
उल्लेखनीय है कि नासिक शहर में शनिवार को एक निजी बस के ट्रेलर ट्रक से टकराने और उसमें आग लगने से कम से कम 12 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 43 अन्य घायल हो गए थे। (भाषा)
रांची, 9 अक्टूबर | श्रेयस अय्यर (113 नाबाद) और ईशान किशन (93) की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की बदौलत जेएससीए इंटरनेशनल स्टेडियम कॉम्प्लेक्स में रविवार को खेले गए दूसरे वनडे में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 7 विकेट से हराया, जिससे तीन मैचों की वनडे सीरीज को 1-1 से बराबरी की। प्रोटियाज के 50 ओवर में 278 रनों के जवाव में भारतीय टीम ने 3 विकेट पर 282 रन बनाकर लक्ष्य को हासिल कर लिया। दक्षिण अफ्रीका की ओर से वेन पार्नेल, कगिसो रबाडा और ब्योर्न फॉरटुइन ने एक-एक विकेट लिया।
लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय ने पावरप्ले में दो विकेट खोकर 55 रन बनाए। इस दौरान, सलामी बल्लेबाज शिखर धवन (13) और शुभमन गिल (28) ने एक बार फिर नाकाम साबित हुए। इसके बाद, तीसरे और चौथे नंबर पर आए ईशान किशन और श्रेयस अय्यर ने ताबड़तोड़ शॉट लगाकर अफ्रीकी गेंदबाज पर लगाम लगाने की कोशिश की, जिससे भारत को स्कोर 22 ओवर के बाद 100 के पार पहुंच गया।
इसके साथ ही ईशान ने 60 गेंदों और श्रेयस ने 48 गेंदों में अपना-अपना अर्धशतक पूरा किया। दोनों ने मिलकर 30 ओवर में भारत के स्कोर को दो विकेट के नुकसान पर 177 रन पर पहुंचा दिया। अब भारतीय टीम को 120 गेंदों में 102 रनों जरूरत थी। ईशान ने 32वें ओवर में एनरिक नॉर्टजे को दो छक्के और एक चौका लगाकर तेजी से रन बटोरना शुरू किया।
लेकिन 34.3 ओवर में फॉरटुइन ने ईशान (चार चौके और सात छक्कों की मदद से 84 गेंदों में 93 रन) को कैच आउट कराया, जिससे उनके और श्रेयस के बीच 155 गेंदों में 161 रनों की साझेदारी का अंत हो गया। वहीं, भारत ने 209 रनों पर तीसरा विकेट गंवाया। पांचवें नंबर पर आए संजू सैमसन ने श्रेयस का लक्ष्य का पीछा करने में साथ दिया।
वहीं, श्रेयस ने शानदार पारी खेलते हुए 102 गेंदों में चौका मारकर अपने करियर का दूसरा शतक लगाया। श्रेयस ने सैमसन के साथ 69 गेंदों में 73 रनों की अटूट साझेदारी कर भारत को सीरीज में 1-1 से बराबरी करने में मदद की। भारत ने 45.5 ओवर में तीन विकेट पर 282 रन बनाकर लक्ष्य को हासिल किया। श्रेयस 15 चौके की मदद से 111 गेंदों में 113 रन और सैमसन एक चौका और एक छक्के की मदद से 36 गेंदों में 30 रन बनाकर नाबाद रहे।
इससे पहले, टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी दक्षिण अफ्रीका टीम की शुरुआत ठीक-ठाक रही, क्योंकि उन्होंने दो विकेट गंवाकर 40 रन बनाए। इस दौरान, दोनों सलामी बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक (5) और जेनमैन मलान (25) पवेलियन लौट गए। इसके बाद, रीजा हेंड्रिक्स और एडेन मार्करम ने कुछ अच्छे शॉट लगाकर टीम को 21 ओवर के बाद 100 के पार पहुंचा दिया। इस बीच, हेंड्रिक्स ने 58 और मार्करम ने 64 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया।
31.2 ओवर में सिराज ने हेंड्रिक्स (74) को शाहबाज के हाथों कैच कराकर प्रोटियाज को 169 रनों पर तीसरा झटका दिया, जिससे उनके और मार्करम के बीच 129 गेंदों में 129 रनों की साझेदारी का अंत हो गया। वहीं, बैक टू बैक ओवर में सुंदर और कुलदीप ने क्लासेन (30) और मार्करम (79) को आउट कर दिया। 39वें ओवर में प्रोटियाज की आधी टीम 215 रनों पर सिमट गई।
इसके बाद, 46.2वें ओवर में शार्दुल ने पार्नेल (16) को श्रेयस अय्यर के हाथों कैच आउट कराया। 49वें ओवर में मिलर ने शार्दुल की गेंदों पर लगातार चौके लगाए। इसके बाद 50वें ओवर में सिराज ने केशव महाराज (5) को बोल्ड कर महज तीन रन दिए, जिससे प्रोटियाज ने सात विकेट खोकर 278 रन बनाए। मिलर चार चौके की मदद से 34 गेंदों में 35 रन बनाकर नाबाद रहे।
भारत की ओर से मोहम्मद सिराज ने तीन विकेट चटकाए। वहीं शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव और शार्दुल ठाकुर ने एक-एक विकेट लिया। (आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 अक्टूबर। राज्य में आज रात 09.00 बजे तक 17 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 6 बिलासपुर जिले से है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक किसी भी जिले में 10 से अधिक कोरोना पॉजिटिव नहीं मिले हैं। आज 21 जिलों में एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं।
आज कोई मौत नहीं हुई है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 0, राजनांदगांव 0, बालोद 0 बेमेतरा 0, कबीरधाम 0, रायपुर 3, धमतरी 2, बलौदाबाजार 1, महासमुंद 0, गरियाबंद 0, बिलासपुर 6, रायगढ़ 1, कोरबा 0, जांजगीर-चांपा 0, मुंगेली 0, जीपीएम 0, सरगुजा 2, कोरिया 0, सूरजपुर 0, बलरामपुर 0, जशपुर 0, बस्तर 0, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 0, सुकमा 0, कांकेर 2, नारायणपुर 0, बीजापुर 0, अन्य राज्य 0 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
एक बाईक पर चार थे सवार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 9 अक्टूबर। आज गादीरास तहसील मुख्यालय से 5 किमी दूर दो बाइकों के बीच आपस में टक्कर हो गई। इस सडक़ दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं दूसरे घायल की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई । दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल तीन का इलाज जिला अस्पताल में जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को चिंतागुफा थाना क्षेत्र के तेमेलवाडा निवासी पोडियामी सुक्का, अपने दो बच्चों को गोरली आश्रम छोडऩे के लिए एक बाइक पर चार सवार होकर जा रहे थे। बाइक चालक वेक्को भीमा (निवासी मिनपा) गादीरास से पांच किमी दूर मिचिपारा से कुछ दूरी पर विपरीत दिशा से आ रहे बाइक चालक सोड़ी रामा नियानार निवासी जो रविवार को लगने वाले गादीरास साप्ताहिक बाजार में रोजमर्रा के जरूत के सामना लेने गादीरास बाजार आ रहा था, तभी दोनों बाईकों के आमने-सामने से जबरदस्त टक्कर होने से मिनपा निवासी बाइक चालक वेक्को भीमा की मौके पर ही मौत हो गई।
जैसे ही इस घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग को मिली तो तत्काल गादीरास अस्पताल से डॉ. लिलिन कुमार घटना स्थल पहुंचे। सभी घायलों को एम्बुलेंस की मदद से गादीरास प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र लाया गया। जिसमें से बाइक चालक नियानार निवासी सोड़ी रामा को बेहतर इलाज के किए जिला अस्पताल लाया गया।
सोड़ी रामा की इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं घायल राकेश 10 वर्ष, नरेश 8 वर्ष इनके पिता पोडियामी सुक्का 32 वर्ष, गंभीर रूप से घायल है। इन सभी घायल को गादीरास प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र में इलाज के बाद जिला अस्पताल में भेज गया। जहां सभी घायलों का इलाज जारी है।
सभी के खाते में डेढ़-डेढ़ लाख रूपए हस्तांतरित
रायपुर, 9 अक्टूबर। सीएम भूपेश बघेल ने आज वर्ष 2022 की वार्षिक परीक्षा में कक्षा 10वीं और 12वीं प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री निवास परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा कक्षा 12वीं की टॉपर रायगढ़ की कुन्ती साव को स्वर्ण पदक और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली बिलासपुर की खुशबू वाधवानी को रजत पदक से सम्मानित किया। इसी प्रकार कक्षा 10वीं की प्रावीण्य सूची में संयुक्त रूप से टॉपर रायगढ़ की सुमन पटेल और कांकेर की सुनाली बाला को स्वर्ण पदक तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कवर्धा के पंकज कुमार साहू को रजत पदक प्रदान किया। समारोह में सभी मेधावी छात्र-छात्राओं को डेढ़-डेढ़ लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। श्री बघेल ने राशि को मेधावी छात्र-छात्राओं के बैंक खाते आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किया।
मुख्यमंत्री बघेल ने हेलीकॉप्टर जॉय राइडिंग पर पूछा कि हेलीकॉप्टर में बैठने से किसी को डर तो नहीं लगा, सभी बच्चों ने सामूहिक रूप से कहा कि बिल्कुल भी डर नहीं लगा। मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों की प्रशंसा करते हुए बताया कि अधिकारियों ने सभी बच्चों को एक साथ हवाई जहाज में सफर कराने की सलाह दी थी, लेकिन मैंने बच्चों की जिद को ध्यान में रखते हुए हेलीकॉप्टर में ही जॉय राइडिंग कराने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में कई बच्चों को हवाई जहाज पर चढ़ने का अवसर मिलेगा, लेकिन सरकार के हेलीकॉप्टर में कुछ गिन-चुने लोगों को ही सफर करने का अवसर मिलता है। मुख्यमंत्री ने बच्चों से पूछा, हेलीकॉप्टर से रायपुर शहर कैसा दिखा ? इस पर बच्चों ने एक स्वर में कहा, ‘बहुत सुंदर’। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आर्थिक रूप से पिछड़े व कमजोर वर्ग को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पिछड़ी जनजातियों-अबूझमाड़िया, बैंगा, बिरहोर, कमार और पहाड़ी कोरवा के हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया जा रहा है। इन सभी विद्यार्थियों को भी डेढ़-डेढ़ लाख रूपये प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री द्वारा समारोह में हायर सेकेण्डरी परीक्षा में टॉपर रायगढ़ जिले की कुन्ती साव को स्वर्गीय अंकित सिंह परिहार स्मृति पुरस्कार 11 हजार रूपये की राशि का चेक भी प्रदान किया गया।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर पूरे देश में पहली बार मेधावी छात्र-छात्राओं को हेलीकॉप्टर जॉय रायडिंग का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री की यह पहल पूरे देश के लिए अनुकरणीय है। डॉ टेकाम ने बताया कि स्वामी आत्मानंद मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के तहत माशिमं की वर्ष 2022 की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले 125 छात्र-छात्राओं में से कक्षा 10वीं के 90 और कक्षा 12वीं के 35 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने स्वामी आत्मानंद मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना अंतर्गत प्रतिभा सम्मान समारोह के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
फासीवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के रूप “ पर लेखकों -एक्टिविस्ट बोले
रायपुर, 9 अक्टूबर। जन संस्कृति मंच के सोलहवें राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन ' फासीवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के रूप' विषय पर केंद्रित विचार सत्र का आयोजित किया गया।
प्रसिद्ध कवि और चिंतक देवी प्रसाद मिश्र ने इस अवसर पर अपने लिखित पर्चे का पाठ किया । उसके माध्यम से उन्होंने कहा कि भले ही भारत घोषित तौर पर हिन्दू राष्ट्र नहीं है लेकिन अब यह कहा जा सकता है कि वह एक हिन्दू राष्ट्र है। फासीवाद अन्यकरण को रेखांकित करता है। भारत में आर्य भी उन्हीं स्थानों से आये जहां से मुसलमान आये लेकिन इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
कवि और वैज्ञानिक लाल्टू ने कहा कि अलग-अलग संगठनों की वजह से हम ठीक से सांप्रदायिक माहौल से लड़ नहीं पाए। फ़ौज तत्व पर आधारित राष्ट्रवाद के खिलाफ हमें बोलना चाहिए।हम लोगों में कहीं ना कहीं राष्ट्रवाद रह गया है।रचनाकारों के साथ रास्ता बनाना चाहिए जिनके पास विभाजन की त्रासदी से जुड़े हुए तमाम अनुभव हैं।लेखक संगठन के रूप में हमारी यह पहल होनी चाहिए। प्रोसेस जैसी पहल कदमी लेखक संगठन को भी करनी चाहिए।
प्रसिद्ध कथाकार रणेन्द्र ने कहा कि फासीवाद में व्यक्ति की महत्ता को राष्ट्र के सामने कुछ भी महत्व नहीं दिया जाता। अहिंसा को एक यूटोपिया की तरह बताया जाता है। विवेक वाद को महत्व नहीं दिया जाता।यह सब हमारे यहां भी हो रहा है।नस्ल को केंद्र में लाया जाता है। कारपोरेट पूंजीवाद ने पूरी दुनिया में फासीवाद को उभारा।
गुजरात के प्रसिद्ध सांस्कृतिक चिंतक भरत मेहता ने कहा कि हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि फासीवाद का प्रतिरोध कैसे करें। हमें फासीवाद से लड़ने के लिए संस्कृति के विभिन्न मोर्चों पर सचेत होकर कर काम करना चाहिए।
इस परिचर्चा में उड़ीसा के राधाकांत सेठी ने कहा के गैर हिंदी भाषी राज्यों में चलने वाले सांस्कृतिक आंदोलन से विचार साझा करना चाहिए और हमें अपने सांस्कृतिक आंदोलन को मजबूत करना चाहिए
आदिवासी प्रतिरोध की पर्याय बन चुकीं सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने अपने आप बीती के हवाले से फासीवाद के स्वरूप को सामने रखा और उन्होंने कहा कि हम आदिवासियों को आप लेखकों कलाकारों से बड़ी उम्मीद है।आपके लेखन से हमारी लड़ाई को मजबूती मिलती है। पूरे भारत के आदिवासियों के साथ हिंसक उत्पीड़न होता है। हमें हिंदू राष्ट्रवाद के बदले मानव राष्ट्र की जरूरत है।
इस सत्र की अध्यक्षता समकालीन जनमत के प्रधान सम्पादक रामजी राय ने किया।सत्र का संचालन युवा आलोचक अवधेश त्रिपाठी ने किया।