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नयी दिल्ली, 12 मार्च। उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध से संबंधित याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों में संतुलन प्रभावित होगा।
उच्चतम न्यायालय में सोमवार को इस मामले पर सुनवाई होगी। उच्चतम न्यायालय के समक्ष दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के जरिये इसे वैध करार दिये जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह के लिए मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।
उसने कहा, ‘‘विवाह, कानून की एक संस्था के रूप में, विभिन्न विधायी अधिनियमों के तहत कई वैधानिक परिणाम हैं। इसलिए, ऐसे मानवीय संबंधों की किसी भी औपचारिक मान्यता को दो वयस्कों के बीच केवल गोपनीयता का मुद्दा नहीं माना जा सकता है।’’
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि भारतीय लोकाचार के आधार पर ऐसी सामाजिक नैतिकता और सार्वजनिक स्वीकृति का न्याय करना और उसे लागू करना विधायिका का काम है। केंद्र ने कहा कि भारतीय संवैधानिक कानून न्यायशास्त्र में किसी भी आधार के बिना पश्चिमी निर्णयों को इस संदर्भ में आयात नहीं किया जा सकता है।
केंद्र ने कहा कि समलैंगिक व्यक्तियों के बीच विवाह को न तो किसी असंहिताबद्ध कानूनों या किसी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों में मान्यता दी जाती है और न ही इसे स्वीकार किया जाता है।
केंद्र ने कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।’’
केंद्र का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अधीन है और इसे देश के कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त करने के वास्ते समलैंगिक विवाह के मौलिक अधिकार को शामिल करने के लिए विस्तारित नहीं किया जा सकता है, जो वास्तव में इसके विपरीत है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने छह जनवरी को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। (भाषा)
तिरुवनंतपुरम, 12 मार्च। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मध्य प्रदेश स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (आईजीएनटीयू) में राज्य के चार छात्रों पर कथित रूप से हमला किए जाने की रविवार को निंदा करते हुए इसे भयावह कृत्य करार दिया। उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ उनकी पहचान पर आधारित बढ़ती शत्रुता को रोका जाना चाहिए।
कुछ समाचार रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश स्थित इस विश्वविद्यालय के अमरकंटक परिसर में 10 मार्च को सुरक्षाकर्मियों ने केरल के चार छात्रों को कथित रूप से पीटा।
विजयन ने इन खबरों के मद्देनजर ट्वीट किया, ‘‘आईजीएनटीयू में केरल के छात्रों पर हमले की घटना भयावह है और हमारे देश में व्यक्तियों की पहचान के आधार पर उनके प्रति बढ़ती शत्रुता का विरोध करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। विश्वविद्यालय को दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और परिसर में सभी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
राज्यसभा के सदस्य और वाम नेता जॉन ब्रिटास ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की और इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। (भाषा)
धारवाड़ (कर्नाटक), 12 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां श्री सिद्धारूढ़ा स्वामीजी हुब्बल्लि स्टेशन पर “दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म” राष्ट्र को समर्पित किया।
अधिकारियों ने कहा कि इस उपलब्धि को हाल ही में ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ द्वारा मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा कि 1,507 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने के लिए होसपेटे-हुब्बल्लि-तिनाईघाट खंड के विद्युतीकरण और उन्नत होसपेटे स्टेशन को भी राष्ट्र को समर्पित किया।
अधिकारियों ने बताया कि 530 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित, विद्युतीकरण परियोजना विद्युत कर्षण पर निर्बाध ट्रेन संचालन प्रदान करती है। पुनर्विकसित होसपेटे स्टेशन यात्रियों को सुविधाजनक और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा। स्टेशन को हम्पी स्मारकों के समान डिजाइन किया गया है।
प्रधानमंत्री ने हुब्बल्लि-धारवाड़ स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 520 करोड़ रुपये है।
मोदी ने जयदेव अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की भी आधारशिला रखी। इसे 250 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। इसके अलावा क्षेत्र में जल आपूर्ति को और बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री ने धारवाड़ बहु ग्राम जलापूर्ति योजना की आधारशिला रखी जिसे 1,040 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाएगा।
उन्होंने तकरीबन 150 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाली तुप्पारीहल्ला बाढ़ क्षति नियंत्रण परियोजना की आधारशिला भी रखी। परियोजना का मकसद बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 मार्च। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत और नए भारत के निर्माण का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब हमारी बेटियां आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की भावना के साथ आगे बढ़ेंगी।
‘भुला दे डर, जी बेफिकर’ थीम पर दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स द्वारा कनॉट प्लेस में आयोजित ऑल वुमेन बाइक रैली को राष्ट्रपति मुर्मू ने ऑनलाइन झंडा दिखाने के दौरान वीडियो संदेश में कहा कि ‘मैं चाहूंगी कि प्रत्येक मां और बहन अपने बेटे और भाई को सभी महिलाओं को सम्मान देने के संस्कार दें तभी हमारी बेटियां बेहतर वातावरण में आगे बढ़ सकेंगी।’
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत और नए भारत के निर्माण का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब हमारी बेटियां आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की भावना के साथ आगे बढ़ेंगी और पूरी उम्मीद है कि ऐसे आयोजनों का संदेश हमारे देश के गांव-गांव और नगर- नगर तक पहुंचेगा। दूर-सुदूर गांवों में रहने वाली हमारी बेटियां सदैव निडर महसूस करें तथा आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहूंगी कि प्रत्येक मां और बहन अपने बेटे और भाई को सभी महिलाओं को सम्मान देने के संस्कार दें तब हमारी बेटियां बेहतर वातावरण में आगे बढ़ सकेंगी तथा देश और समाज को और अधिक योगदान देने में समर्थ बन पाएंगी।’’
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइक रैली के आयोजन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए शुभकामना संदेश में कहा कि ‘नारी निर्णय शक्ति, निश्चय, निष्ठा और नेतृत्व की प्रतिबिंब है। सेना में अपने शौर्य और पराक्रम से महिलाएं देश का मान बढ़ा रही हैं।’
रैली में महिलाएं अलग-अलग थीम की पोशाक में तैयार होकर समूहों में पहुंची। इस दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, केंद्रीय राज्यमंत्री दर्शना जरदोश, फिल्म अभिनेत्री सानिया मल्होत्रा बतौर खास मेहमान शामिल हुए।
रैली में दो हजार से ज्यादा महिलाओं के अलावा बीएसएफ की महिला बाइकर्स टीम ‘‘सीमा भवानी’’ और दिल्ली पुलिस की महिला बाइकर्स टीम ने भी शिरकत की। केंद्रीय राज्यमंत्री दर्शना ने भी रैली में बाइक चलाई। कार्यक्रम में 18 से 95 साल तक की उम्र की महिलाओं ने हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति ने बाइक रैली में भाग लेने वाली महिलाओं की सराहना की।
उन्होंने साथ ही कहा कि मीडिया से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने विज्ञापनों, समाचारों और कार्यक्रमों में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूरी संवेदनशीलता रखें और संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह ऐसी प्रथाओं को छोड़े जो महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मीडिया से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने विज्ञापनों, समाचारों और कार्यक्रमों में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूरी संवेदनशीलता रखें।’’
उन्होंने कहा कि इस मौलिक कर्तव्य को निभाने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक की सोच नारी के प्रति सम्मानपूर्ण हो।
मुर्मू ने कहा कि महिलाओं के प्रति सम्मानपूर्ण आचरण की नींव परिवार में ही रखी जा सकती है। (भाषा)
(सुमीर कौल)
श्रीनगर/नयी दिल्ली, 12 मार्च। जम्मू-कश्मीर पुलिस की कड़ी कार्रवाई ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कश्मीरी युवकों को पासपोर्ट के जरिए पड़ोसी देश में ले जाकर आतंकवादी प्रशिक्षण देने और बाद में भाड़े के सैनिकों के साथ घाटी में घुसपैठ कराने के तरीके पर रोक लगाई है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
केंद्र शासित प्रदेश में घुसपैठ के बाद गिरफ्तार किए गए कुछ युवकों की पूछताछ रिपोर्ट का हवाला देते हुए अधिकारियों ने बताया कि आईएसआई आतंकवादियों पर किसी भी तरह से घाटी से युवाओं को लाने लिए दबाव डाल रही है, चाहे वह शैक्षिक और धार्मिक उद्देश्य के लिए हो या सामाजिक समारोह के वास्ते।
उन्होंने बताया कि अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कानूनी माध्यमों से पाकिस्तान जाने वाले कुछ कश्मीरी युवकों को भी लक्षित किया गया और यहां तक कि विस्फोटकों को संभालने और करीब से गोलीबारी करने का दो सप्ताह का प्रशिक्षण भी कराया गया।
अधिकारियों ने बताया कि हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा अतिरिक्त जांच-पड़ताल के साथ एक नई व्यवस्था लागू करने के बाद आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए वैध यात्रा दस्तावेज पर किसी के पाकिस्तान जाने की कोई सूचना नहीं मिली है।
उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था के तहत, पासपोर्ट के लिए जिन पुलिस अधिकारियों को पृष्ठभूमि सत्यापन की प्रक्रिया सौंपी गई है, उन्हें यह जांचने के लिए कहा गया है कि क्या कोई व्यक्ति पथराव जैसी किसी कानून व्यवस्था से जुड़ी घटना में शामिल रहा है।
इसके अलावा, वे पुलिस थानों के रिकॉर्ड में उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज, फोटोग्राफ, वीडियो और ऑडियो क्लिप तथा ‘क्वाडकॉप्टर’ से ली गई तस्वीरों जैसे डिजिटल साक्ष्यों की भी मदद ले रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि चाहे वह “सवारी” की अवधारणा हो, जिसमें समझौता एक्सप्रेस के असंदिग्ध यात्रियों का इस्तेमाल आईएसआई द्वारा आतंकी समूहों के लिए धन भेजने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए नकली भारतीय मुद्रा नोटों के लिए किया गया था या फिर नियंत्रण रेखा के आर-पार होने वाले व्यापार के जरिये मादक द्रव्य, हथियार व गोला-बारुद की आपूर्ति हो, पाकिस्तानी एजेंसी भारत में आतंकवाद की आग को भड़काए रखने के लिये हर संभव प्रयास कर रही हैं।
पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों ने उन युवाओं को भी नहीं बख्शा जो उच्च अध्ययन के लिए पाकिस्तान गए थे। ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को पिछले साल अप्रैल में घोषणा करनी पड़ी कि पाकिस्तानी डिग्री रखने वाले छात्र भारत में उच्च अध्ययन या रोजगार के लिए पात्र नहीं होंगे।
सुरक्षा एजेंसियों ने उन युवाओं की पहचान करने का व्यापक अभियान चलाया जो पासपोर्ट का उपयोग कर पाकिस्तान चले गए थे और उत्तरी कश्मीर में करनाह से जम्मू क्षेत्र में पुंछ तक फैली 724 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में वापस आ गए थे।
अधिकारियों ने कहा कि 2015 और 2018 की शुरुआत के बीच जारी किए गए पासपोर्ट की जांच की गई और यह पाया गया कि लगभग 60 कश्मीरी युवक, जो बाद में आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय पाए गए थे, ने पाकिस्तान जाने के लिए यात्रा दस्तावेज का इस्तेमाल किया था और बाद में आतंकी संगठनों में शामिल हो गए थे।
उनमें से एक श्रीनगर निवासी सज्जाद अहमद शेख उर्फ सज्जाद गुल था, जो 2018 में एक स्थानीय दैनिक के प्रधान संपादक शुजात बुखारी की हत्या में शामिल था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शेख को “आतंकवादी” के रूप में नामित किया है और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उसकी गिरफ्तारी की सूचना देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
शुरुआती खतरे की पहचान तब हुई जब सुरक्षा बलों ने 2019 में एक मुठभेड़ के दौरान एक आतंकवादी की पहचान शाकिर अल्ताफ भट के रूप में की, जो 2018 में पाकिस्तान में पढ़ाई के लिए वैध पासपोर्ट पर देश छोड़कर गया था और एक आतंकी समूह में शामिल होकर लौटा था।
उसके अलावा, कई कश्मीरी युवा ऐसे थे जो कम अवधि के लिए वैध पासपोर्ट पर पाकिस्तान गए थे लेकिन या तो वापस नहीं आए हैं या अपनी वापसी के बाद पिछले तीन वर्षों गायब हो गए हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 मार्च। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि राष्ट्रीय फिल्म धरोहर मिशन (एनएफएचएम) के तहत अभी तक 1293 फीचर और 1062 लघु फिल्मों तथा वृत्तचित्रों का डिजिटलीकरण किया गया है और यह मिशन भारतीय सिनेमा को नया जीवन दे रहा है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, ठाकुर ने शनिवार को पुणे में एनएफडीसी- भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) का दौरा किया था तथा राष्ट्रीय फिल्म धरोहर मिशन के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की थी।
ठाकुर ने कहा कि एनएफएचएम भारतीय सिनेमा की धरोहर को एक नया जीवन दे रहा है, जहां कई फिल्में पहले बिल्कुल पहुंच से परे थीं, वहीं अब उन्हें विश्वभर के दर्शकों के लिए सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह अगले 100 वर्षों और अधिक समय के लिए भारतीय सिनेमा के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करेगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि अभी तक, 1293 फीचर और 1062 लघु व वृत्तचित्रों का डिजिटलीकरण किया गया है। इसके अलावा 2500 फीचर और लघु फिल्म एवं वृत्तचित्र डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के अधीन हैं।
ठाकुर ने एनएफडीसी-एनएफएआई के परिसर में नव स्थापित फिल्म संरक्षण प्रयोगशाला का दौरा किया जहां सेल्युलाइड रीलों के संरक्षण का कार्य हो रहा है।
बयान के अनुसार, एनएफडीसी-एनएफएआई ने हाल ही में जीर्णोद्धार परियोजना भी आरंभ की है, जहां 21 फिल्मों को डिजिटल रूप में सहेजने की प्रक्रिया जारी है। अगले तीन वर्षों में कई फीचर और लघु फिल्मों और वृत्तचित्रों को डिजिटल रूप में सहेज कर रखा जाएगा। (भाषा)
मद्दुर (कर्नाटक), 12 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे उनकी कब्र खोदने में लगे हैं, जबकि वह देश के विकास और गरीबों के कल्याण के लिए प्रयासरत हैं और लोगों का आशीर्वाद उनका सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
इस साल कर्नाटक के छठे दौरे पर आए मोदी ने कहा कि राज्य के तेजी से विकास के लिए ‘‘डबल इंजन’’ सरकार जरूरी है।
कर्नाटक में इस साल मई में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
मोदी ने मांड्या जिले में यहां 118 किलोमीटर लंबी बेंगलुरु-मैसूरु एक्सप्रेसवे परियोजना का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘देश के विकास और उसके लोगों की प्रगति के लिए ‘डबल इंजन’ सरकार के प्रयासों के बीच कांग्रेस और उसके साथी क्या कर रहे हैं?...कांग्रेस मोदी की कब्र खोदने का सपना देख रही है।’’
यहां एक जनसभा में मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस मेरी कब्र खोदने में लगी हुई है जबकि मोदी बेंगलुरु-मैसूरु एक्सप्रेस बनाने में लगा है। कांग्रेस मोदी की कब्र खोदने में लगी है जबकि मोदी गरीबों की जिंदगी बेहतर बनाने में लगा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के जो लोग मोदी की कब्र खोदने का सपना देख रहे हैं उन्हें यह नहीं पता कि करोड़ों माताओं, बहनों, बेटियों और लोगों की दुआएं मोदी के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।’’
अधिकारियों के अनुसार, 8,480 करोड़ रुपये की लागत वाले एक्सप्रेसवे, जिसमें एनएच-275 के बेंगलुरु-निदाघट्टा-मैसूरु खंड को छह लेन का बनाना शामिल है, के जरिये दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय कम हो जायेगा और यह समय तीन घंटे से घटाकर अब लगभग 75 मिनट हो जायेगा।
मोदी ने कहा कि 2014 से पहले ‘‘केंद्र में एक गठबंधन सरकार विभिन्न प्रकार के लोगों के समर्थन से चल रही थी।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘उसने गरीब लोगों और गरीब परिवारों को बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जो पैसा गरीबों के विकास के लिए था, कांग्रेस सरकार ने उसमें से हजारों करोड़ रुपये लूटे।’’
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी गरीबों की परेशानियों और तकलीफ की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा, ‘‘2014 में जब आप लोगों ने मुझे आपकी सेवा करने का मौका दिया तो इससे देश में गरीबों के लिए एक सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ, ऐसी सरकार जो गरीबों का दुख और तकलीफ समझती हो।’’
मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने गरीबों की सेवा करने तथा उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए।
इस कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, फिल्मी दुनिया से राजनीति में आईं मांड्या की लोकसभा सदस्य सुमलता अंबरीश भी मौजूद थीं।
अंबरीश ने हाल में भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी।
इससे पहले मोदी का मांड्या शहर में एक विशाल रोडशो के दौरान गर्मजोशी से स्वागत किया गया और उन्होंने भी भीड़ में शामिल लोगों पर वापस फूलों की पंखुड़ियां फेंककर अपने भाव जाहिर किये।
मोदी ने रास्ते के दोनों ओर कतारबद्ध खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। उन्हें अपनी कार की बोनट पर एकत्रित फूलों की पंखुड़ियों को उठाकर भीड़ पर फेंकते देखा गया। वह अपनी कार से उतरे और उनके स्वागत में प्रस्तुति देने वाले लोक कलाकारों से मिले।
मोदी ने कहा कि ‘डबल इंजन’ सरकार का लगातार प्रयास तेजी से विकास के माध्यम से लोगों के प्यार को ब्याज के साथ लौटाना है। उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं का आज उद्घाटन किया गया या जिनकी नींव रखी गई, वह उसी दिशा में एक प्रयास है।
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे को लेकर देशभर में, खासकर सोशल मीडिया पर हो रही चर्चाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश के लोगों खासकर युवाओं की इच्छा है कि ऐसे शानदार और आधुनिक एक्सप्रेस-वे पूरे देश में बनें। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवाओं को इस परियोजना पर गर्व है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासन के दौरान गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ता था। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में गरीबों के घर तक लाभ पहुंचता है। (भाषा)
रायपुर, 12 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रेल मंडल में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
शनिवार को डीआरएम संजीव कुमार के हाथों 23 महिलाओं को कार्य मे उनकी उत्कृष्टता के लिए पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मेघा एस कुमार थी । कार्यक्रम में रायपुर मंडल कार्यालय की सभी महिला कर्मचारियों को उपहार भी प्रदान किये गए। एडीआरएम आशीष मिश्रा की अध्यक्षता में प्राथमिक स्वास्थ्य जांच में 75 महिला रेल कर्मियों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिसे डॉक्टर प्रियंका व डॉक्टर मल्लिका के नेतृत्व में सम्पन्न किया गया। इसके पश्चात कार्यस्थल पर महिलाओं की नई चुनोतियाँ इस विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें सहायक कार्मिक अधिकारी रुहिना तुफैल खान व निकिता अग्रवाल के मार्गदर्शन में महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इसी दिन तनावमुक्त जीवनशैली तथा योग पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 48 महिलाओं को योग व मेडीटेशन गुरु पूजा गोयल ने प्रशिक्षित किया । 6 मार्च को एडीआरएम लोकेश विशनोई की अध्यक्षता में केक काटा गया तथा सेल्फ डिफेंस कार्यशाला में हर्षा साहू ने 56 महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी । इसी दिन इन महिलाओं द्वारा महिला जागरूकता पर वाकेथन भी की गई। इन सभी कार्यक्रमो की परिकल्पना सीनियर डीपीओ उदय कुमार भारती ने की थी तथा उसे इन आयोजनों में तब्दील किया एपीओ निकिता अग्रवाल ने और संचालन प्रीति राजवैद्य द्वारा किया गया। इस अवसर पर डीआरएम कार्यालय में भी महिला सफाई कर्मचारियों को भी उपहार दिये गए।
- कोरोना काल के बाद से देश में बढ़ा है संघ का कार्य
- साढ़े पांच लाख स्वयंसेवकों ने कोरोना काल में की लोगों की सेवा
- 109 स्थानों पर होंगे संघ के शिक्षा वर्ग, 20000 स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण लेने का अनुमान
पानीपत, 12 मार्च। समालखा के पट्टीकल्याणा स्थित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्पित कर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अ. भा. प्र. सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रतिनिधि सभा के शुभारंभ के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है। वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थी। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि सारे भारत का सारा समाज एक है, सब समान हैं, सब मेरे अपने हैं, मुझे समाज के लिए कुछ देना है, ऐसे विचारों की अनुभूति व संस्कार संघ की शाखा से आते हैं। संघ के स्वयंसेवक अपने दैनिक कार्यों में से समय निकालकर तथा अपनी जेब से पैसा खर्च कर समाज परिवर्तन में योगदान देते हुए संघ कार्य का विस्तार करते हैं। संघ की शाखा से व्यक्ति निर्माण होता है, जो आगे चलकर समाज में राष्ट्रीय विचारों का जागरण व समाज को साथ लेकर समाज परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। लोग संघ को ढूंढ़ते हुए डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है। उन्होंने संघ के शिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संघ के प्रथम वर्ष में 15 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक, द्वितीय वर्ष में 17 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक तथा तृतीय वर्ष में 25 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 40 से अधिक आयु के स्वयंसेवकों के लिए विशेष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए जाते हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि यह भगवान महावीर निर्वाण का 2550 महोत्सव वर्ष हैं, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्म के 200 वर्ष तथा शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन तीनों के संदर्भ में भी प्रतिनिधि सभा में वक्तव्य पारित होंगे।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल को ध्यान में रखकर एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 12 मार्च। रविवार दोपहर को एनएमडीसी बचेली परियेाजना के निक्षेप क्रं. 5 के लोडिंग प्लांट में आगजनी की घटना हुई। फाइनओर लोडर मशीन में आग लगने से कन्वेयर बेल्ट को नुकसान पहुंचा है।
घटना रविवार के दोपहर करीब 12 बजे की है। बताया जा रहा है कि फाइनओर मशीन के बूम में मरम्मत कार्य चल रहा था, तभी आगजनी की घटना हुई है। एनएमडीसी को इससे करोड़ों का नुकसान की आशंका है। लौह अयस्क का प्रेषण कार्य बंद है।
घटना की सूचना लगते ही सीआईएसएफ की दमकल टीम घटना स्थल पर पहुंच कर करीब दो घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। राहत की बात यह है कि कोई कर्मचारी हताहत नहीं हुए। घटना की जानकारी लगते ही प्रबंधन के उच्चाधिकारी व श्रमिक संघ के पदाधिकारी भी स्थल पर पहुंचे तथा स्थिति का जायजा लिया।
इंटक के राष्ट्रीय सचिव आशीष यादव ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि आग किस प्रकार लगी, इसकी सही जानकारी अभी बता पाना संभव नहीं है, लेकिन पता चला है कि मालगाड़ी की बोगियां लौह अयस्क भरने के लिए लगी हुई थी, साथ ही लोडर में ठेकेदार द्वारा मरम्मत कार्य चल रहा था। प्रबंधन द्वारा सुरक्षा जांच कमेटी बनाई है जो जांच उपरांत ही पता चल पाएगा कि आग किस प्रकार लगी।
अहमदाबाद, 12 मार्च । स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने टेस्ट शतक के सूखे को खत्म करने के अलावा अक्षर पटेल के साथ शतकीय साझेदारी की जिससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के चौथे दिन पहली पारी में 571 रन बनाकर 91 रन की बढ़त हासिल की।
ऑस्ट्रेलिया ने इसके जवाब में दिन का खेल खत्म होने तक दूसरी पारी में बिना विकेट खोए तीन रन बनाए। मेहमान टीम ने ट्रेविस हेड (नाबाद 03) के साथ पारी का आगाज करने के लिए मैथ्यू कुहनेमैन (नाबाद 00) को भेजा।
कुहनेमैन हालांकि पांचवें ओवर में भाग्यशाली रहे जब रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर विकेटकीपर श्रीकर भरत उनका कैच नहीं पकड़ पाए।
पहली पारी में 480 रन बनाने वाला ऑस्ट्रेलिया अभी भारत से 88 रन से पीछे है।
तीन साल से भी अधिक समय बाद टेस्ट शतक जड़ने वाले कोहली ने 364 गेंद में 15 चौकों से 186 रन की पारी खेली जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका सर्वोच्च स्कोर है। उन्होंने अक्षर पटेल (79) के साथ छठे विकेट के लिए 162, श्रीकर भरत (44) के साथ पांचवें विकेट के लिए 84 और रविंद्र जडेजा (28) के साथ चौथे विकेट के लिए 64 रन की साझेदारी भी की।
ऑस्ट्रेलिया की ओर से टॉड मर्फी ने 113 जबकि नाथन लियोन ने 151 रन देकर तीन-तीन विकेट चटकाए।
भारत की शुरुआती सभी छह विकेटों की साझेदारी 50 रन से अधिक की रही।
स्टेडियम में मौजूद लगभग 15 हजार दर्शकों के लिए रविवार का दिन यादगार बन गया जब कोहली ने ऑफ स्पिनर लियोन की गेंद को मिड विकेट पर एक रन के लिए खेलकर नवंबर 2019 के बाद अपना पहला टेस्ट शतक पूरा किया। कोहली का यह टेस्ट क्रिकेट में 28वां और कुल 75वां अंतरराष्ट्रीय शतक है। उन्होंने 241 गेंद में शतक पूरा किया।
कोहली ने शतक पूरा करने के बाद तेज गति से रन जुटाए। इससे पहले सुबह के सत्र में उन्होंने एक भी बाउंड्री नहीं लगाई थी। लंच के बाद उन्होंने अक्षर के साथ मिलकर रन गति में इजाफा किया। (भाषा)
सुबह के सत्र में भारतीय टीम रविंद्र जडेजा (28) के रूप में एकमात्र विकेट गंवाने के बावजूद सिर्फ 73 रन ही जोड़ सकी थी।
श्रृंखला में अब तक बल्ले से नाकाम रहे भरत ने लंच के बाद कैमरन ग्रीन पर पुल और हुक करके लगातार दो छक्के लगाए। वह हालांकि लियोन की गेंद पर शॉर्ट लेग पर पीटर हैंड्सकॉम्ब को कैच देकर अपने पहले अर्धशतक से चूक गए। उन्होंने 88 गेंद का सामना करते हुए दो चौके और तीन छक्के मारे।
भरत के आउट होने के बाद कोहली ने शतक पूरा किया और फिर कुछ आकर्षक शॉट लगाए। अक्षर ने भी कुछ अच्छे शॉट खेले। वह मर्फी की गेंद पर भाग्यशाली रहे जब लांग ऑफ पर उस्मान ख्वाजा ने उनका कैच छोड़ दिया और गेंद छह रन के लिए चली गई।
चाय के विश्राम के बाद भारतीय बल्लेबाजों ने और तेजी दिखाई। अक्षर को 43 रन के स्कोर पर दूसरा जीवनदान मिला जब स्लिप में कप्तान स्टीव स्मिथ उनका कैच लपकने में नाकाम रहे। इस बार दुर्भाग्यशाली गेंदबाज लियोन थे।
कोहली ने ग्रीन पर लगातार दो चौकों के साथ 313 गेंद में 150 रन पूरे किए और फिर लियोन पर भी दो चौके मारे।
अक्षर ने मर्फी की गेंद पर एक रन के साथ 95 गेंद में श्रृंखला का अपना तीसरा अर्धशतक पूरा किया।
अक्षर ने इसके बाद कुहनेमैन के दो ओवर में तीन छक्के मारे। वह हालांकि मिशेल स्टार्क की गेंद को विकेटों पर खेलकर पवेलियन लौटे। उन्होंने 113 गेंद की अपनी परी में पांच चौके और चार छक्के मारे।
अश्विन भी सात रन बनाने के बाद लियोन की गेंद पर स्लॉग स्वीप खेलने की कोशिश में डीप मिडविकेट पर कुहनेमैन को कैच दे बैठे।
उमेश यादव एक भी गेंद खेले बिना हैंड्सकॉम्ब के सटीक निशाने का शिकार होकर रन आउट हुए।
हैंड्सकॉम्ब इसके बाद लियोन की गेंद पर कोहली का मुश्किल कैच लपकने में नाकाम रहे। कोहली इस समय 185 रन पर खेल रहे थे।
कोहली हालांकि इस जीवनदान का फायदा नहीं उठा पाए और मर्फी की गेंद पर मार्नस लाबुशेन को कैच देकर पवेलियन लौट गए।
कमर की चोट के उभरने के कारण श्रेयस अय्यर बल्लेबाजी के लिए नहीं उतरे।
जडेजा को सुबह के सत्र में भी रन बनाने के लिए जूझना पड़ा और वह अंतत: मर्फी की गेंद पर मिड ऑन पर ख्वाजा को कैच दे बैठे।
कोहली ने सुबह के सत्र में रक्षात्मक रुख अपनाया जिससे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज धीमी पिच पर नियंत्रण के साथ गेंदबाजी करने में सफल रहे।
भरत सपाट पिच पर अधिक आत्मविश्वास के साथ खेले और उनका डिफेंस भी अधिक मजबूत रहा। उन्होंने स्पिनरों के खिलाफ पैर आगे निकालकर अच्छा रक्षात्मक खेल दिखाया। भरत ने सुबह के सत्र में लियोन पर स्लॉग स्वीप से छक्का भी जड़ा।
रायपुर, 12 मार्च। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की बैठक 14 मार्च, दिन मंगलवार को शाम 5.00 बजे से प्रांतीय कार्यालय शंकर नगर, रायपुर में रखी गई है। बैठक में अश्वासन नहीं समाधान आंदोलन के द्वितीय चरण प्रांतव्यापी आंदोलन जो कि 18 मार्च को रायपुर में प्रस्तावित है, के संबंध में चर्चा कर आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। फेडरेशन से जुड़े संगठनों का बेमुद्दत हड़ताल जैसे बड़े आंदोलन करने को लेकर दबाव है। संयोजक कमल वर्मा ने फेडरेशन से संबद्ध समस्त प्रांत अध्यक्ष/महामंत्री या जिम्मेदार प्रतिनिधि आमंत्रित है। बैठक में जिला संयोजक रायपुर अपने पदाधिकारियों के साथ विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।
ताकतवर सोहन पोटाई का सफर
जुझारू आदिवासी नेता सोहन पोटाई होली के अगले दिन गुजर गए। कांकेर से चार बार के सांसद पोटाई भाजपा से अलग होने के बाद सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले सामाजिक, और राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे। पोटाई की हैसियत का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पार्टी छोडऩे के बाद से विशेषकर कांकेर जिले की विधानसभा सीटों पर भाजपा लगातार हारती चली गई।
पोटाई सक्रिय राजनीति में आने से पहले कांकेर के कोरर इलाके के डाकघर में सहायक पोस्टमास्टर थे। तब बस्तर के संगठन मंत्री की पहल पर नौकरी छोड़ दी, और भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया। पहला चुनाव तो हार गए, लेकिन वर्ष-1998 में दिग्गज पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम को हराकर पहली बार सांसद बने। फिर उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा, और भाजपा की टिकट पर लगातार चार बार सांसद बने।
उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि पोटाई की पार्टी से कोई नाराजगी नहीं थी। उनका गुस्सा आईपीएस मुकेश गुप्ता को लेकर रहा जो कि रमन राज में बेहद पावरफुल थे। जोगी सरकार में भाजपाईयों पर लाठी चार्ज कराने वाले मुकेश गुप्ता को महत्व मिलने से काफी खफा थे। उन्होंने नंदकुमार साय के साथ कई बार पार्टी फोरम में अपनी बात रखी। धीरे-धीरे वो सौदान सिंह से भी खफा हो चले थे। पार्टी ने उनकी टिकट काटकर विक्रम उसेंडी को प्रत्याशी बनाया, तो भी वो खामोश रहे। बाद के अंतागढ़ उपचुनाव में भोजराज नाग को जीताने में भरपूर योगदान दिया।
उपचुनाव के बाद सोहन पोटाई धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए, और फिर पार्टी नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी पर निलंबित कर दिए गए। फिर उन्होंने खुद होकर पार्टी छोड़ दी । पोटाई के पार्टी छोडऩे का नुकसान इतना ज्यादा हुआ कि कांकेर जिले की तीनों विधानसभा सीट भाजपा हार गई। यद्यपि उन्हें पार्टी में लाने की कोशिशें भी हुई। बताते हैं कि छह साल पहले आरएसएस के प्रांत प्रमुख बिसरा राम यादव भी गुपचुप तौर पर उनसे मिले थे, और उन्हें भाजपा में शामिल होने का न्यौता दिया था। लेकिन पोटाई तैयार नहीं हुए, और फिर वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ी, और आदिवासी मामलों को लेकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला। इसका सीधे-सीधे फायदा कांग्रेस को मिला।
कांकेर लोकसभा की सभी 8 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उनके आदिवासियों के मुद्दों को लेकर मौजूदा भूपेश सरकार से भी ठन गई, और उन्होंने सर्व आदिवासी के बैनर तले लड़ाई जारी रखी। कुछ समय पहले उनके नेतृत्व वाले सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने भानुप्रतापपुर उपचुनाव में 23 हजार वोट बंटोरकर सबको हैरत में डाल दिया था। भाजपा को तो भारी नुकसान हुआ। इस दौरान सोहन पोटाई कैंसर से पीडि़त हो गए। उन्हें देखने के लिए तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके कई बार एम्स भी गई थीं। और फिर होली के अगले दिन उनकी सांसें थम गई। उनके गुजरने से सर्व आदिवासी समाज को भी नुकसान हुआ है।
नफा-नुकसान का गणित
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपने इस कार्यकाल का आखिरी बजट पिछले दिनों पेश किया। चुनावी साल में बजट पर सभी निगाहें थी। लोगों को उम्मीद थी कि बजट लोकलुभावन होगा, लेकिन चुनावी बजट की अपेक्षा पाल रहे लोगों को निराशा हुई। आमतौर पर चुनावी साल के बजट में हर वर्ग के लिए दिल खोलकर प्रावधान करने की संभावना रहती है, लेकिन मुख्यमंत्री ने आर्थिक संतुलन पर जोर दिया है।
विपक्ष के नेता आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने घोषणापत्र के कई बिंदुओं को बजट में छुआ तक नहीं है। ऐसे में वे वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। खैर, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप तो चलता ही है और चुनावी साल में तो इसकी झड़ी लग जाती है, लेकिन जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री जिस तरह विपक्षी पार्टी बीजेपी से उनके मुद्दे छीनने जा रहे हैं, वैसे ही आने वाले दिनों में वे बची-कुछी कसर भी पूरा कर सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि चुनाव से चंद महीने पहले मुख्यमंत्री अपना पिटारा खोल सकते हैं । सत्तारूढ़ पार्टी की योजना है कि पहले से सब कुछ करने से सियासी लाभ अपेक्षाकृत कम मिलता है। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले ऐसी घोषणाएं की जाए, ताकि उसका पूरा सियासी लाभ मिले। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने ऐसे ही वादों की झड़ी लगाकर बंपर जीत हासिल की थी। अब देखना होगा कि जनता वादों की झड़ी पर भरोसा करती है या काम पर।
नाकाम, बेबस दिखी होली पर पुलिस
होली पर्व पर रंगों के साथ साथ खून भी खूब बहा। रायपुर महासमुंद, भिलाई, बिलासपुर आदि से इन 2 दिनों में मर्डर के 6 मामले सामने आए हैं। छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों का आंकड़ा सामने आएगा तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है। चाकूबाजी की भी अनेक घटनाएं हुई है। इसी तरह सडक़ दुर्घटनाओं में 1 दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई है जिनमें से ज्यादातर बाइक सवार हैं। जो हत्याएं हुई है उनमें पुरानी रंजिश के मामले शामिल है। इनमें वे भी मामले हैं जिनमें हत्या का प्रयास का केस पुलिस ने दर्ज किया और आरोपी जमानत लेकर बाहर हैं। हर शहर से पिछले 8-10 दिन तक पुलिस असामाजिक तत्वों की धरपकड़ कर प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत गिरफ्तारी की खबरें देती रही। मगर पुलिस उन लोगों की पहचान नहीं कर पाई जो मर्डर और चाकूबाजी जैसे अपराधों को अंजाम दे सकते थे। प्राय: सभी सडक़ दुर्घटनाओं में शराब पीकर अनियंत्रित रफ्तार से बाइक चलाने की बात सामने आई है। बाकी दिनों में पुलिस नशे में वाहन चलाने वालों के खिलाफ चौक-चौराहे पर चेकिंग अभियान चलाती है लेकिन होली के दिन ऐसा लग रहा था मानो लोगों को पूरी तरह छूट दे दी गई है। इतनी ज्यादा सडक़ दुर्घटनाएं एक ही दिन हुई और सख्ती नहीं बरतने के कारण बाइक सवारों को अपनी जान गंवा देनी पड़ी। हो सकता है कि पुलिस ने होली की खुशी में खलल नहीं डालने के मकसद से कार्रवाई नहीं की, लेकिन इस शिथिलता से कई परिवार उजड़ गए।
ईडी दफ्तर के बाहर रंग-गुलाल
ईडी और सीबीआई जिस तरह से रोज-रोज विपक्षी दलों के नेताओं को पूछताछ के लिए बुलाने लगी है, उससे इनका खौफ लोगों के दिमाग से हटता जा रहा है। शायद आने वाले वक्त में ईडी और लोकल पुलिस के बुलावे के बीच कोई फर्क नजर नहीं आएगा। कुछ लोग तो मानसिक रूप से इस बात के लिए भी तैयार है कि दो 4 महीने के लिए जेल ही जाना पड़ेगा और क्या होगा? भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को ईडी ने रायपुर स्थित कार्यालय में बयान दर्ज करने के लिए मंगलवार को बुलाया था। पूछताछ के बाद जब विधायक दफ्तर से बाहर आए तो उनके समर्थक रंग गुलाल लेकर खड़े थे। विधायक ने वहीं उनके साथ होली खेली और गाना गाया-रंग बरसे भीगे चुनरवाली...।
राहुल के लिए आवास की मांग
रायपुर के कांग्रेस अधिवेशन में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने जिक्र किया था कि उनके पास अपना एक मकान भी नहीं है। बीजेपी राहुल गांधी का जनाधार नहीं मानती, उसके बावजूद वह उनके एक-एक बयान की चीरफाड़ करने में लगी रहती है। दिल्ली या रायपुर नहीं, अब गांव-कस्बे के कार्यकर्ता भी यही काम कर रहे हैं। ताजा मामला नवागढ़ के एक भाजपा नेता का है। उन्होंने एसडीएम को लिखी एक चिट्ठी वायरल की है, जिसमें कहा है कि गरीब राहुल गांधी के पास अपना मकान नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनको शासकीय जमीन आवंटित किया जाए। यह चिट्ठी खुद को चर्चा में लाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं लगती। कुछ लोगों का दावा है कि यह टिकट के लिए दावेदारी का एक तरीका है। दरअसल, प्रधानमंत्री आवास के लिए छत्तीसगढ़ का निवासी होना और बीपीएल कार्डधारक होना जरूरी है। दोनों ही क्राइटेरिया में राहुल नहीं आते हैं। उन्होंने खुद कोई आवेदन भी नहीं दिया, जो जरूरी है। एक ने तो यह प्रतिक्रिया भी दी है कि देना है तो अपनी खुद की जमीन क्यों नहीं दे देते। सरकारी जमीन क्यों दिलाना चाहते हैं? एक दूसरी प्रतिक्रिया है कि गैस सिलेंडर का दाम 1200 रुपये कर दिया गया है। ऐसे ही जरूरी सवालों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बातें की जा रही है। जो भी हो, छत्तीसगढ़ भाजपा ने इस चिट्ठी को बड़ी गंभीरता से लिया है। अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसे उसने शेयर किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सीएम भूपेश बघेल की मुलाकात की तस्वीरों की मीम बनाकर भी डाली गई है, जिसमें बघेल मोदी से राहुल गांधी के लिए आवास मांग रहे हैं और मोदी कह रहे हैं-मिल जाएगा।
कर्नाटक में अभी वहां के लोकायुक्त के छापे में एक भाजपा विधायक के बेटे को 40 लाख रूपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया तो उसके पास से 8 करोड़ रूपये और मिले। यह विधायक कर्नाटक सरकार के एक निगम का अध्यक्ष भी था जो कि वहां मैसूर ब्रांड की चंदन वाले साबुन-अगरबत्ती बनाने का काम करता है, और इसी के कारखानों के लिए कच्चे माल की खरीदी के लिए विधायक का यह बेटा रिश्वत ले रहा था। इसके बाद विधायक ने कहा कि उनका विधानसभा क्षेत्र ऐसे संपन्न लोगों का है कि वहां घर-घर में 5-10 करोड़ रूपये नगद पड़े रहते हैं। देश भर में भाजपा की विरोधी पार्टियों और उनकी सरकारों के लोगों पर लगातार ईडी, आईटी, और सीबीआई के छापे पड़ रहे हैं, इस बीच भाजपा विरोधी पार्टियों को कर्नाटक के विधायक के बेटे का यह रिश्वतकांड जवाबी हमले के लिए एकदम तैयार मामला मिला। फर्क यही था कि केन्द्र सरकार की एजेंसियां सरकार के मातहत काम करती हैं, और कर्नाटक का लोकायुक्त एक अलग संवैधानिक संस्था है, जो कि सरकार से परे काम करता है। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि केन्द्र सरकार की एजेंसियां भाजपा नेता के खिलाफ भी कार्रवाई करती हैं।
लेकिन आज चर्चा का मुद्दा कुछ और है। किसी सत्तारूढ़ विधायक के बेटे को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडऩा, और उसके घर से करोड़ों की नगदी निकलना छोटा मामला नहीं था, देश भर के लोगों के लिए 8 करोड़ की रकम सपने में देखने के लिए भी बहुत बड़ी होती है। जब चारों तरफ इस मामले की तस्वीरें छपने लगीं, इसके वीडियो सामने आए, तो इतने संपन्न नेता होने के नाते यह भाजपा विधायक एक अदालत गया। और बेंगलुरू की इस जिला अदालत में पिटीशन में गिनाए गए 46 मीडिया संस्थानों पर यह रोक लगा दी कि वे इस विधायक और उसके बेटे के खिलाफ या अपमानजनक कोई भी बात न छापेंगे, न टीवी पर दिखाएंगे, और न ही उस पर कोई बहस आयोजित करेंगे। यह रोक अगली सुनवाई तक के लिए लगाई गई है, और इस लिस्ट में टाईम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दू, एनडीटीवी, आजतक, जैसे प्रमुख और बड़े मीडिया संस्थान हैं। इस विधायक ने अदालत से अपील की थी कि ये सारे मीडिया संस्थान जिस तरह ये खबरें दिखा रहे हैं, वह उसकी चरित्र-हत्या के अलावा और कुछ नहीं है। अदालत ने भी इन खबरों को दिखाने के बाद इन पर होने वाली बहसों को विधायक और बेटे की चरित्र-हत्या मान लिया, और कहा कि चूंकि गरिमा के साथ जीवन एक बुनियादी हक है, इसलिए छापने और प्रसारण पर यह रोक लगाई जा रही है। इसके साथ ही अगली सुनवाई सात हफ्ते बाद तय की गई है।
अभी हमारी नजरों के सामने यह नहीं आया है कि इन बड़े मीडिया संस्थानों ने निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ किसी बड़ी अदालत मेें अपील की है या नहीं, लेकिन सवाल यह उठता है कि जाहिर तौर पर 40 लाख रिश्वत लेते हुए पकड़ाने के बाद विधायक-पुत्र से 8 करोड़ की और नगदी बरामद होना क्या जुर्म के प्रारंभिक सुबूतों से कम है? अगर एक संवैधानिक संस्था की ऐसी कार्रवाई और इतनी रकम के बाद भी अगर इन बाप-बेटे को पहली नजर में दोषी नहीं माना जाएगा, तो फिर देश में किसी भी आरोपी को देश की आखिरी अदालत से सजा मिल जाने के पहले तक संदेह का लाभ देना होगा। यह हैरानी की बात है कि एक हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक भूतपूर्व अफसर के मामले में 42 पेज लंबा एक फैसला लिखा जिसमें उसने भ्रष्टाचार से देश और लोकतंत्र को होने वाले खतरों के बारे में बहुत खुलासे से लिखा। और उस फैसले के आने के बाद अब अगर एक जिला अदालत ऐसे खुले भ्रष्टाचार के मामले की खबरों पर रोक लगा रही है, तो यह रोक ऊपर की किसी अदालत में टिकने वाली नहीं दिखती है। इसका मतलब तो यह हो गया कि जो लोग कोई बड़ा वकील करके अदालत तक जा सकते हैं, वहां से अपनी मर्जी का कोई आदेश पा सकते हैं, उनके खिलाफ कुछ छापा या दिखाया नहीं जा सकता। हिन्दुस्तान जैसे लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहुत सारे अदालती फैसले आने के बाद अगर आज कोई एक जिला अदालत एक साथ 46 अलग-अलग मालिकाना हकों वाले मीडिया संस्थानों पर एकमुश्त ऐसी रोक लगाती है, तो कानून की ऐसी समझ हक्का-बक्का करती है। कोई एक मीडिया संस्थान तो किसी के खिलाफ दुर्भावना से कोई अभियान चलाए, और उस पर कोई अदालत ऐसी रोक लगाए, वह तो फिर भी समझा जा सकता है, लेकिन चार दर्जन मीडिया संस्थानों पर ऐसी रोक लगाना लोकतंत्र के मखौल के अलावा कुछ नहीं है।
हिन्दुस्तान में यह मानकर चलना चाहिए कि कई किस्म के सत्तारूढ़ भ्रष्टाचार किसी न किसी मीडिया की मेहरबानी से ही उजागर होते हैं, लेकिन सत्ता या पैसों की ताकत वाले लोग लगातार मीडिया पर रोक लगाने के लिए अदालती और गैरकानूनी दबाव बनाते ही रहते हैं। लोगों को याद होगा कि देश की एक सबसे बड़ी पत्रिका के संपादक के लिखे हुए के खिलाफ अडानी ने सौ-सौ करोड़ रूपये के मानहानि के मुकदमे किए थे, और फिर उस पत्रिका को अपने संपादक को हटाना ही पड़ गया, और अडानी के वकीलों ने अदालतों से यह आदेश भी हासिल कर लिया कि यह संपादक (जो कि भूतपूर्व हो चुका था) अडानी के बारे में कुछ न लिखे। दुनिया के जिस लोकतंत्र में मीडिया पर इस किस्म की रोक लगाई जाती है, वहां पर सरकार और कारोबार की संगठित भ्रष्ट भागीदारी बढ़ती ही चली जाती है। यह सिलसिला न सिर्फ थमना चाहिए, बल्कि जिस अदालत ने मीडिया पर ऐसी रोक लगाई है, उसके फैसले का विश्लेषण भी किसी बड़ी अदालत को करना चाहिए। अगर इसी तरह की रोक लोगों को मिलती रही, तो फिर इस देश में किसी ताकतवर के खिलाफ कोई खबर बन ही नहीं सकेगी।
अमरीका के एक थिंक टैंक प्यूव रिसर्च सेंटर की एक शोध रिपोर्ट यह कहती है कि 2020 में दुनिया के अलग-अलग देशों में धर्म आधारित सामाजिक तनाव के मामले में हिन्दुस्तान पहले नंबर पर था। कुछ महीने पहले की इस रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण से गुजरते हुए 2020 के दौर के माहौल को देखा गया था। इस रिपोर्ट में सर्वाधिक धार्मिक-सामाजिक तनाव के पैमाने पर 10 नंबर में से हिन्दुस्तान को 9.4 नंबर मिले थे, अफ्रीकी देश नाइजीरिया को 8.5, अफगानिस्तान को 8, इजराइल 8, माली 7.9, सोमालिया 7.6, पाकिस्तान 7.5, इजिप्ट 7.4, लीबिया 7.4, और सीरिया 7.4। दुनिया के ये दस देश सबसे अधिक धर्म-आधारित सामाजिक तनाव वाले पाए गए थे, जिनमें हिन्दुस्तान किसी भी और देश से बहुत ऊपर था। अब आज इस पर चर्चा की एक जरूरत इसलिए भी है कि अभी दो दिन पहले ही बिहार में एक मुस्लिम आदमी को पीट-पीटकर मार डाला गया क्योंकि किसी ने उस पर बीफ रखने का आरोप लगाया था। मारने वालों में गांव के सरपंच की अगुवाई में दूसरे हिन्दू लोगों की भीड़ थी, और मांस ले जा रहे मुस्लिम पर बीफ ले जाने का आरोप लगाते हुए उसे मार डाला गया।
प्यूव रिसर्च सेंटर की इस रिपोर्ट में 198 देशों का अध्ययन किया गया था, इनमें से धार्मिक आधार पर सबसे अधिक तनाव वाले 10 देशों में भारत सबसे ऊपर था। अब अभी दो दिन पहले भारत आए हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से बातचीत में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऑस्ट्रेलिया में हिन्दू मंदिरों पर हमलों की चर्चा करते हुए फिक्र जाहिर की। अब दो देशों के बीच प्रधानमंत्रियों की बातचीत में तोहमतें तो नहीं लगाई जा सकती लेकिन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के मन में यह बात जरूर आई होगी कि आज भारत में धार्मिक आधार पर तनाव और बगावती तेवरों का हाल पड़ोस के पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी अधिक खराब क्यों हैं? इस पर चर्चा की जरूरत आज इसलिए है कि देश में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसक बातें बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं, और तथाकथित हिन्दुत्ववादियों का एक मुखर तबका किसी को मुस्लिम हो जाने भर से मुजरिम करार देने पर आमादा रहता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस बात पर फिक्र जाहिर की है कि किस तरह हिन्दुस्तानी मीडिया ने सनसनी फैलाने का काम किया है, और अपनी जिम्मेदारी खो दी है। यह मीडिया बार-बार किसी जुर्म में मुजरिम के शामिल होने पर उसका नाम सुर्खियों में बड़ा-बड़ा छापता है, और अगर वह हिन्दू है तो हैडिंग में न उसका नाम रहता, न उसका धर्म रहता। यह लगातार चल रहा सिलसिला है, और देश की एक सबसे बड़ी समाचार एजेंसी की ऐसी कई खबरों की तस्वीरें लगाकर लोगों ने यह साबित किया है कि मुस्लिम-मुजरिम का नाम किस तरह से बढ़ा-चढ़ाकर उसके धर्म को दिखाने के लिए खबरों में इस्तेमाल किया जाता है।
आज देश में हिन्दुओं की आबादी बहुसंख्यक है, और बहुत से लोग लगातार यह सार्वजनिक मांग करते हैं कि इसे हिन्दूराष्ट्र घोषित किया जाए। आरएसएस जैसे संगठन शब्दों को घुमा-फिराकर बार-बार यह कहते हैं कि भारत हमेशा से एक हिन्दू राष्ट्र रहा है, यह आज भी हिन्दू राष्ट्र है, और सिक्ख, बौद्ध, जैन ये सब हिन्दू धर्म की शाखाएं हैं। फिर बार-बार आज के मुस्लिमों को सैकड़ों बरस पहले के हमलावर मुगलों की औलाद साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता, और भाजपा के एक चर्चित नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अभी बड़े कड़े तेवरों के साथ उन्हें यह समझाया था कि इतिहास को लेकर वर्तमान को तबाह नहीं किया जा सकता।
ऐसे माहौल में अगर कोई तटस्थ और ईमानदार शोध संस्थान सामाजिक अध्ययन करे, तो उसे सतह पर तैरती हुई नफरत तो दिखेगी ही, लोगों की हड्डियों के भीतर तक पहुंच चुकी नफरत भी दिखेगी। इसलिए सिर्फ अमरीकी होने के नाते इस रिसर्च के नतीजे को खारिज कर देना ठीक नहीं है, हिन्दुस्तान में जो लोग हिंसक धार्मिक नफरत के खतरे समझते हैं, कम से कम उन्हें इस पर चर्चा करनी चाहिए।
लोगों को यह याद रखना चाहिए कि किसी धर्म या समुदाय के लोगों को इस कदर घेरकर अगर उनकी भीड़त्या की जाएगी, तो उस समुदाय के बाकी लोग भी इस खतरे से घिरे हुए जाने कब तक अहिंसक रह पाएंगे। और बहुसंख्यक आबादी को भी इस खतरे को समझना चाहिए कि धार्मिक या राजनीतिक आधार पर असहमत कोई छोटा तबका भी, उस तबके के गिने-चुने दो-चार लोग भी देश के भीतर या बाहर की किसी मदद से एक बड़ी तबाही ला सकते हैं। लोगों को याद रखना चाहिए कि अभी कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान में पुलिस के महफूज इलाके की एक मस्जिद में एक आतंकी ने आत्मघाती धमाका करके किस तरह एक साथ 60 या अधिक लोगों को मार डाला था। ऐसे कई आत्मघाती हमले पहले भी पाकिस्तान में हुए हैं, अफगानिस्तान में हो ही रहे हैं, और हिन्दुस्तान में भी श्रीलंका के आतंकी संगठन लिट्टे के लोगों ने दक्षिण भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या उसी तरह धमाके से की थी जिसमें और भी बहुत से लोग मारे गए थे। इसलिए बहुसंख्यक हो जाना किसी तरह की हिफाजत की गारंटी नहीं होती, और अल्पसंख्यक हो जाना किसी कमजोरी का सुबूत नहीं होता।
अगर अल्पसंख्यक तबका अपने आपको लगातार खतरे में पाएगा, उसके लोगों को यह लगेगा कि वे हिन्दुस्तान में दूसरे दर्जे के नागरिक माने जा रहे हैं, तो उसके कुछ लोग राह से भटककर घरेलू या बाहरी आतंकियों के झांसे में आ सकते हैं, और उनके हाथ के औजार बन सकते हैं। जब कभी किसी देश में कोई तबका आत्मघाती आतंकी हमलों पर उतारू हो जाता है, तो फिर नुकसान करने की उसकी क्षमता अपार रहती है। हिन्दुस्तान में ऐसे एक दर्जन आत्मघाती जत्थे भी पूरे देश के अमन-चैन को खत्म कर सकते हैं। देश को हिंसा से बचाने की सबसे बड़ी गारंटी देश के लोगों के साथ बराबरी का सुलूक ही हो सकता है। देश के भीतर के लोग किसी भी जायज या नाजायज वजह से जब हिंसा पर उतारू हो जाते हैं, तो उसका नतीजा हम हिन्दुस्तान में भी देख चुके हैं, और पड़ोस के देशों में तो हर कुछ हफ्तों में देखते ही हैं।
इसलिए जो लोग आज सोशल मीडिया पर मुस्लिम होने को गाली की तरह इस्तेमाल करते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि हिन्दुस्तान की कोई सी भी सरकार, कितने भी बड़े संसदीय बाहुबल से देश के 20 करोड़ मुसलमानों की हकीकत को मिटा नहीं सकती। इसलिए किसी एक धर्म के लोगों को कुचलकर रखने से नुकसान पूरे देश को होगा, और जब खतरा होगा, तो वह खतरा आबादी के अनुपात में बहुसंख्यक तबके को अधिक होगा। आज अगर दुनिया की कोई संस्था भारत की साम्प्रदायिक हकीकत को आईना दिखा रही है, तो उसे कोसने से कुछ हासिल नहीं होना है। देश के भीतर यह नफरत एक हकीकत है, और इसे फैलाने वाली ताकतें पूरी तरह से उजागर भी हैं। देश में बहुत कड़ा कानून भी मौजूद है, लेकिन अगर केन्द्र और अधिकतर राज्यों की सरकारें कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं, तो वे मुस्लिमों को नहीं कुचल रही हैं, वे हिन्दुओं के लिए, बहुसंख्यक तबके के लिए खतरा बढ़ा रही हैं। लोगों को हसरत से अधिक हकीकत पर भरोसा करना चाहिए। बीस करोड़ जख्मी दिल-दिमाग के बीच बाकी सौ करोड़ से अधिक लोग भी सुख से नहीं जी सकेंगे। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
नई दिल्ली, 12 मार्च । 'द बंधन फाइनेंशियल होल्डिंग्स' की अगुवाई वाली कंसोर्शियम ने आईडीएफ़सी म्यूचुअल फंड का नाम बदलने का फ़ैसला किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नया नाम 13 मार्च से लागू होगा.
अब आईडीएफ़सी म्यूचुअल फंड की सभी स्कीम में 'आईडीएफ़सी' की जगह पर 'बंधन' शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा.
म्यूचुअल फंड कंपनी का लोगो भी बदला जाएगा जो बंधन बैंक के लोगों से मिलता-जुलता होगा.
आईडीएफ़सी असेट मैनेजमेंट कंपनी का द बंधन फिनांशियल होल्डिंग्स लिमिटेड, जीआईसी और क्रिसकैपिटल के कंसोर्शियम ने अधिग्रहण कर लिया था.
इस कंसोर्शियम में बंधन होल्डिंग्स की 60 फ़ीसदी हिस्सेदारी है.
(bbc.com/hindi)
चौथी बार लगाया डेढ़ शतक, केवल 2 कोल कम्पनियां ही इस क्लब में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 मार्च। एसईसीएल ने कोयला उत्पादन में 150 मिलियन टन का लक्ष्य पार कर लिया है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति से 3 हफ्ते पूर्व ही इस महत्वपूर्ण माईल स्टोन को हासिल कर लेने से अधिकारी-कर्मचारियों में उत्साह है। यह अब एसईसीएल की नजर अब तक के सर्वाधिक कोयला उत्पादन के कीर्तिमान की ओर है।
कम्पनी ने गत वर्ष समान अवधि की तुलना में कोयला उत्पादन में लगभग 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। अगर पिछले 5 वर्षों के एसईसीएल के कोयला उत्पादन पर नजर डालें तो एसईसीएल ने वर्ष 2021-22 में 142.52 मिलियन टन, वर्ष 2020-21 में 150.61 मिलियन टन, 2019-20 में 150.55 मिलियन टन, 2018-19 में 157.35 मिलियन टन तथा 2017-18 में 144.71 मिलियन टन का कोयला उत्पादन दर्ज किया है। इस प्रकार एसईसीएल ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक चौथी बार 150 मिलियन टन कोयला उत्पादन का आँकड़ा पार किया है।
उत्पादित 150 मिलियन टन कोयले में से लगभग 130 मिलियन टन कोयला पावर संयंत्रों को प्रेषित किया गया है जो कि गत वर्ष समान अवधि की तुलना में लगभग 10 मिलियन टन अधिक है। ज्ञात हो कि आने वाले गर्मी के मौसम को देखते हुए विद्युत संयंत्रों तक अधिकाधिक कोयला प्रेषित किया जा रहा है। कम्पनी ने कोयले के प्रेषण में गत वर्ष की तुलना में लगभग ढाई प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
कोयला निष्कासन से पूर्व की प्रक्रिया-ओबीआर में एसईसीएल ने इस वर्ष ऐतिहासिक नतीजे दिए हैं तथा गत वर्ष की तुलना में 34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ स्थापना से अब तक के सर्वाधिक वार्षिक ओबीआर की तरफ बढ़ रही है।
इस अवसर पर सीएमडी एसईसीएल डा. प्रेम सागर मिश्रा व निदेशक मण्डल ने एसईसीएल टीम को बधाई दी।
-सुचित्र मोहंती
नई दिल्ली, 12 मार्च । दिल्ली उच्च न्यायालय ने पटियाला हाउस कोर्ट में आयोजित किए गए 'होली मिलन' समारोह के दौरान हुई कुछ डांस परफॉर्मेंस की निंदा की है.
ये कार्यक्रम 6 मार्च को दिल्ली की निचली अदालतों में से एक पटियाला हाउस के परिसर में नई दिल्ली बार एसोसिएशन (एनडीबीए) ने आयोजित किया गया था.
इस कार्यक्रम के दौरान कुछ डांसर 'आईटम नंबर' पर परफॉर्म करते दिखे थे.
इसके बाद कई वकीलों ने एनडीबीए को चिट्ठी लिखकर आयोजन पर आपत्ति जताई थी और डांस को अभद्र बताया, जो बार एसोसिएशन के लिए अशोभनीय था.
इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी जजों की मौजूदगी में इस कार्यक्रम पर आपत्ति जताई और कहा कि ये कानूनी पेशे के सिद्धांतों और उच्च नैतिक मूल्यों से मेल नहीं खाता.
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे न्यायिक संस्था की छवि खराब हुई है.
उच्च न्यायालय ने इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट और नई दिल्ली ज़िले के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्टर, सेशन जजों से कहा है कि वो एनडीबीए को तीन दिनों के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी करे और उपयुक्त कार्रवाई कर के हाई कोर्ट को रिपोर्ट भेजे. (bbc.com/hindi)
छत्तीसगढ़ के खेल मैदानों के खेलों से परे के इस्तेमाल का सिलसिला लगातार बढ़ते ही जा रहा है. राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज के सबसे बड़े मैदान पर रात-दिन किसी न किसी तरह की सरकारी प्रदर्शनी लगी रहती है, या कोई धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं. और तो और बड़े-बड़े लोगों के शादी के कार्यक्रम भी इस मैदान पर होते हैं। जब ये कार्यक्रम नहीं होते हैं, तब यहाँ एक-एक दिन में दर्जनों टीमें खेलती हैं. लेकिन इन कार्यक्रमों की तैयारी में, और इनके हो जाने के बाद, सामान हटाने के बाद मैदानों पर जो गड्ढे बच जाते हैं, उनके बीच खेलना आसानी से मुमकिन नहीं रह जाता। प्रदेश के खेल मैदानों के गैरखेल उपयोग का विरोध होना ज़रूरी है, और आज की यह जनहित याचिका इसी मुद्दे पर है। सुनिए 'छत्तीसगढ़' अख़बार के संपादक सुनील कुमार को.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 मार्च। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा आयोजित विधिक जागरूकता प्रशिक्षण शिविर सह कार्यशाला का छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन एवं राज्यगीत के साथ शुभारंभ किया।इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया एवं आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेजकुंवर नेताम भी उपस्थित हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल का स्वागत राजकीय गमछे और औषधीय महत्व वाले सीता अशोक के पौधे से किया गया। बघेल ने कहा कि महिलाओं से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे लोगों की कार्यकुशलता इस कार्यशाला से और अधिक निखरेगी। साथ ही बेहतर तालमेल और सहयोग से लक्ष्यों को और अधिक तेजी से हासिल किया जा सकेगा।
इस कार्यशाला में जो मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जाएंगे, वे महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएंगे।मानव तस्करी, साइबर अपराध और कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ जैसे अत्यंत संवेदनशील विषयों पर यह कार्यशाला केंद्रित है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 मार्च। सीएम भूपेश बघेल ने आज राजभवन जाकर राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात की। यह मुलाकात अनौपचारिक बताई गई है। सीएम के साथ सीएस अमिताभ जैन भी थे। डीडीयू सभागार में एक कार्यक्रम में शामिल होने से पहले सीएम बघेल राजभवन गये।
पीसीसी चीफ के बदलाव के बीच मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी अटकलें चल रही हैं ऐसे समय में यह मुलाकात अनौपचारिक कही जा रही है। वैसे सरकारी सूत्र इसे, सीएम की पीएम मोदी से मुलाकात में राज्य हित के मुद्दों पर चर्चा की ब्रीफिंग के लिए जाना भी बता रहे हैं।
-अमन द्विवेदी
कानपुर, 12 मार्च । कानपुर देहात में एक झोपड़ी में आग लगने से पति-पत्नी व तीन बच्चों की जलकर मौत हो गई.
आग की वजह शॉट सर्किट को माना जा रहा है. हादसा उस समय हुआ जब परिवार के सभी सदस्य सो रहे थे. मामला कानपुर देहात के रूरा थाना क्षेत्र में रात करीब एक बजे की है.
परिवार में सात सदस्य थे. एक बुजुर्ग महिला और एक नवजात को बाहर निकाल लिया गया लेकिन वो दोनों भी आग में बुरी तरह झुलस चुके हैं. फिलहाल दोनों का ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है.
इस हादसे की सूचना मिलने पर ज़िले के कलेक्टर और एसपी घटनास्थल पर पहुंचे और निरीक्षण किया.
हादसे में मरने वालों में 30 वर्षीय सतीश, 25 वर्षीय काजल और उनके तीन बच्चे शामिल हैं.
शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और आग लगने के कारणों का भी पता किया जा रहा है.
पुलिस विभाग के साथ-साथ मौके पर डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक टीम भी मौजूद रही जो घटना के साक्ष्य इकट्ठा करने में जुटी है. (bbc.com/hindi)