राष्ट्रीय
लखनऊ, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सोमवार को एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक प्रशिक्षु पायलट की मौत हो गई। हेलीकॉप्टर में 4 लोग सवार थे। पुलिस और स्थानीय अधिकारी मौके पर हैं और बचाव अभियान जारी है। सराय मीर में यह घटना एक खेत में हुई। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, हेलीकॉप्टर पूर्वाह्न लगभग 11.20 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया, जबकि दो अन्य पैराशूट की मदद से हेलीकॉप्टर से कूद गए।
मृतक की पहचान प्रशिक्षु पायलट कोणार्क सरन के रूप में हुई है। अमेठी के जिलाधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि हेलीकॉप्टर ने अमेठी के फुर्सतगंज एयरफील्ड स्थित एक पायलट प्रशिक्षण संस्थान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से उड़ान भरी थी। हेलीकॉप्टर अकादमी का था।
अधिकारी दुर्घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं।
मुजफ्फरनगर, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए तीन महीने की जेल की कैद के साथ अदालती लड़ाई में 24 साल लग गए। अब उस व्यक्ति राम रतन की उम्र 65 साल है। आखिरकार मुजफ्फरनगर की एक लोकल कोर्ट ने उन्हें पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कोई सबूत पेश करने में विफल रहने पर बरी कर दिया।
करीब 24 साल पहले उन पर एक अवैध बन्दूक रखने को लेकर मामला दर्ज किया गया था। इसके लिए वह तीन महीने जेल में भी काट चुके हैं।
उनके परिवार ने दावा किया कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे थे और उन्हें पंचायत चुनावों के दौरान चुनावी दुश्मनी के कारण फंसाया गया था।
उनके वकील धरम सिंह गुज्जर ने कहा, "राम रतन को पिछले 24 सालों के दौरान 500 से अधिक तारीखों पर अदालत में उपस्थित होना पड़ा। उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।"
मुज़फ्फरनगर के रोहाना खुर्द गांव के निवासी राम रतन को 1996 में शहर कोतवाली थाने की एक पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनके कब्जे से दो गोलियों के साथ एक देसी पिस्तौल बरामद की गई है।
उन पर आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। तीन महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई।
साल 2006 में लोकल कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय किए और पुलिस को सबूत और बरामद हथियार पेश करने को कहा।
वहीं सबूत के लिए 14 साल के इंतजार के बाद सीजेएम कोर्ट ने राम रतन को बरी कर दिया, क्योंकि इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
उनके वकील ने कहा, "कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को सबूत देने के लिए कहा और उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन वे मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत पेश करने में विफल रहे। सबूतों की कमी के कारण अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।"
राम रतन ने संवाददाताओं से कहा, "जब उन्होंने मुझे गिरफ्तार किया और आरोप लगाया, तब मैं 41 साल का था। यह वास्तव में लंबे समय की तरह लगता है। मैं आखिरकार राहत की सांस ले सकता हूं। लेकिन मुझे नहीं पता कि मैंने जो यातना और उत्पीड़न इतने सालों तक सहा, उसके लिए मुझे कौन मुआवजा देगा।"
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
एक फिल्म अभिनेत्री द्वारा फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप के खिलाफ शोषण का आरोप लगाए जाने पर अनुराग की दोनों भूतपूर्व पत्नियों ने सार्वजनिक रूप से सामने आकर उनकी तारीफ की है, उनके महिलाओं के प्रति सम्मान को लिखा है।
उनकी पहली पत्नी आरती बजाज ने अपनी बेटी आलिया कश्यप के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट करते हुए अनुराग की तारीफ में कई बातें लिखी हैं। अनुराग की दूसरी पत्नी अभिनेत्री कल्की ने एक अलग ट्विटर पोस्ट में अनुराग का बचाव किया है, और उनकी तारीफ लिखी है।
अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप और उनकी पहली पत्नी आरती बजाज
अनुराग की पहली पत्नी ने किया सपोर्ट, कहा-तुम रॉकस्टार हो, आवाज उठाते रहो
आरती बजाज ने लिखा-मैं अनुराग की पहली पत्नी हूं। तुम एक रॉकस्टार हो अनुराग कश्यप। तुम महिलाओं का सशक्तिकरण करते रहो और ऐसे ही महिलाओं के लिए सेफ स्पेस बनाते रहो। दुनिया में किसी तरह की ईमानदारी नहीं बची है। दुनिया में बेवकूफ और लूजर लोग भरे पड़े हैं जिनमें रत्ती भर भी दिमाग नहीं है और ये हर उस आवाज के खून के प्यासे हो जाते हैं जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है।
अनुराग कश्यप पर एक्ट्रेस पायल घोष पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं लेकिन डायरेक्टर के सपोर्ट में कई महिलाएं सामने आ रही हैं। सुरवीन चावला, तापसी पन्नू, अंजना सुखानी के अलावा अनुराग कश्यप की पहली पत्नी आरती बजाज ने भी अनुराग के समर्थन में पोस्ट लिखा है। आरती ने अपने इस पोस्ट में कहा है कि दुनिया में लूजर और बेवकूफ लोग भरे पड़े हैं जो हर उस आवाज के खून के प्यासे हो जाते हैं जो सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिस करता है।
आरती ने इंस्टाग्राम पर अनुराग के ट्वीट्स शेयर किए और लिखा-मैं अनुराग की पहली पत्नी हूं। तुम एक रॉकस्टार हो अनुराग कश्यप। तुम महिलाओं का सशक्तिकरण करते रहो और ऐसे ही महिलाओं के लिए सेफ स्पेस बनाते रहो। दुनिया में किसी तरह की ईमानदारी नहीं बची है। दुनिया में बेवकूफ और लूजर लोग भरे पड़े हैं जिनमें रत्ती भर भी दिमाग नहीं है और ये हर उस आवाज के खून के प्यासे हो जाते हैं जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है।
अगर लोग जितनी एनर्जी हेट में खर्च करते हैं, उस एनर्जी का सदुपयोग करने लगें तो ये दुनिया बहुत बेहतर हो सकती है। ये बेहद चीप स्टंट है। पहले तो मुझे ये सुनकर काफी गुस्सा आया फिर मुझे जोर से हंसी आई क्योंकि ये पूरी तरह से झूठा और फ्रेम्ड लग रहा है। सॉरी अनुराग कि तुम्हें इस दौर से गुजरना पड़ रहा है। ये उनका स्तर है। तुम हमेशा ऊंचा उठा कर चलते रहो और अपनी आवाज उठाते रहो। हम तुमसे बेहद प्यार करते हैं।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही मोदी सरकार ने कृषक उत्पादों की बिक्री के लिए राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून के तहत संचालित मंडियों के अलावा एक वैकल्पिक चैनल मुहैया करने के लिए नया कानून बनाया है। नये कानून में गेहूं, चावल या अन्य मोटा अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल, शाक-सब्जी, फल, मेवा, मसाले, गन्ना और कुक्कुट, सूअर, बकरी, मछली और डेरी उत्पाद सहित ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनका नैसर्गिक या प्रसंस्कृत रूप में मानव उपभोग करता है, उनको कृषक उत्पाद कहा गया है।
वहीं, व्यापार क्षेत्र के तहत फार्म गेट, कारखाना परिसर, भांडागार, कोष्ठागार या साइलो, शीतगार यानी कोल्ड स्टोरेज और कोई अन्य ढांचा या स्थान समेत कोई ऐसा क्षेत्र या स्थान या क्षेत्र आते हैं जहां से देश में कृषक उपज का व्यापार किया जा सके। लेकिन इसके अंतर्गत राज्यों के एपीएमसी कानून के तहत गठित बाजार समितियों द्वारा संचालित मंडियां या बाजार यार्ड का परिसर शामिल नहीं है। इसके अलावा लाइसेंसधारक द्वारा व्यवस्थित निजी बाजार यार्ड, प्राइवेट बाजार उप यार्ड, प्रत्यक्ष विपणन संग्रहण केन्द्र और प्राइवेट कृषक उपभोक्ता बाजार यार्ड या परिसर भी शामिल नहीं होगा।
नये कानून में 'व्यापारी' से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में या किसी राज्य के भीतर या दोनों में खुद या एक से अधिक लोगों के लिए थोक व्यापार, खुदरा व्यापार, अंतिम उपयोग, मूल्यवर्धन, प्रसंस्करण, विनिर्माण, निर्यात, उपभोग या इसी प्रकार के अन्य मकसद से खरीद करता है।
कृषक उपज के व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन और सरलीकरण, विधेयक 2020 को संसद की मंजूरी मिल चुकी है। अब राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा और कोरोना काल में पांच जून को लाए गए कृषक उपज के व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन और सरलीकरण, अध्यादेश 2020 की जगह लेगा।
इस कानून के प्रावधानों के अनुसार, किसी किसान या व्यापारी या इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और लेन-देन करने वाले प्लेटफार्म को, किसी व्यापार क्षेत्र में कृषक उपज में अंतर्राज्यीय या राज्य के भीतर व्यापार करने की आजादी होगी ।
मगर, किसान उत्पादक संगठनों या कृषि सहकारी सोसाइटी के सिवा कोई भी व्यापारी आय-कर अधिनियम, 1961 के तहत पैन कार्ड या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी दस्तावेज के बगैर किसी व्यापार क्षेत्र में किसी कृषक या किसी अन्य व्यापारी के साथ अनुसूचित कृषक उत्पादों का अन्तर्राज्यीय व्यापार या राज्य के भीतर व्यापार नहीं कर सकेगा।
अगर जनहित में आवश्यक हो तो केंद्र सरकार किसी व्यापार क्षेत्र में किसी व्यापारी के लिए इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रणाली, व्यापारिक लेन-देन के तरीके और अनुसूचित कृषक उपज के भुगतान की पद्धति का निर्धारण कर सकती है।
कानून में किसानों के उत्पादों की खरीद के दिन या अधिकतम तीन दिनों के भीतर कीमतों का भुगतान करने का प्रावधान है। तीन दिनों के भीतर भुगतान करने की सूरत में रसीद पर भुगतान बकाया के साथ किसान को रसीद उसी दिन दी जाएगी।
हालांकि केंद्र सरकार किसान उत्पादक संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी द्वारा भुगतान की अलग प्रक्रिया बना सकती है।
पैनकार्ड धारक या केंद्र द्वारा अधिसूचित ऐसे ही दस्तावेज रखने वाला कोई व्यक्ति (किसी व्यष्टि से भिन्न) कोई कृषक निमार्ता संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी, किसी व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के अंतर्राज्यीय या राज्य के भीतर व्यापार को सुगम बनाने के लिए कोई इलेक्ट्रॉनिक व्यापार व लेन-देन प्लेटफार्म स्थापित व उसका संचालन कर सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत आने वाले व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
अयोध्या, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| बाबरी मस्जिद के बदले में धनीपुर में बन रही मस्जिद मक्का के काबा शरीफ की तरह चौकोर आकार की हो सकती है। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा, "धनीपुर गांव में 15 हजार वर्ग फीट की एक मस्जिद का निर्माण किया जाएगा। इसका साइज बाबरी मस्जिद के बराबर होगा लेकिन आकार में यह अन्य मस्जिदों से पूरी तरह अलग हो सकती है। वास्तुकार एस.एम. अख्तर द्वारा दिए गए संकेत के मुताबिक यह मक्का के काबा शरीफ की तरह चौकोर हो सकती है।"
उन्होंने कहा कि इस संबंध में आर्*टेक्ट को पूरी छूट दी गई है।
हुसैन ने आगे कहा, "मस्जिद का नाम ना तो बाबरी मस्जिद होगा और ना ही किसी भी सम्राट या बादशाह के नाम पर होगा। मेरी निजी राय है कि इसे धनीपुर मस्जिद कहा जाना चाहिए।"
उन्होंने यह भी बताया कि ट्रस्ट अपना पोर्टल बना रहा है ताकि लोग मस्जिद और संग्रहालय, अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के लिए दान कर सकें। ये सभी सुविधाएं परिसर के अंदर बनाई जाएंगी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक विद्वानों द्वारा लिखे गए आर्टिकल भी पोर्टल पर दिखेंगे।
उन्होंने कहा कि पोर्टल का कुछ काम बाकी है और इसी कारण अभी दान की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया है। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के निर्देश पर मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या के धनीपुर गांव में पांच एकड़ का भूखंड दिया है।
मेरठ, 21 सितंबर (आईएएनएस)। मेरठ के लालकुर्ती क्षेत्र में किराए के मकान से 200 किलोग्राम भांग, 30 किलोग्राम गांजा और चार किलो हैश की एक बड़ी खेप बरामद की गई है। यह जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी। पुलिस के अनुसार, मौके से चार मजदूरों को गिरफ्तार किया गया है। जब्त किए गए ड्रग्स मेरठ और अन्य पड़ोसी जिलों में खुदरा वितरण के लिए थीं।
मकान से छोटी मात्रा में ड्रग्स को रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जिप-लॉक प्लास्टिक बैग, 50 किलोग्राम से अधिक पैकेजिंग सामग्री और आठ पोर्टेबल वजन मापने वाली मशीनें भी बरामद की गईं।
मेरठ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इराज रजा ने कहा, "स्थानीय ड्रग रिंग के पीछे के दो प्रमुख व्यक्ति सत्येंद्र सिंह और राजू चौहान फरार हैं और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है।"
आनंद सिंह
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ एम्स का मेडिकल बोर्ड मंगलवार को एक बैठक करेगा। सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में एजेंसी और मुंबई गईं सीएफएसएल की टीमों की जांच से निकले निष्कर्षों के आधार पर आगे के कदम को लेकर फैसला किया जाएगा।
सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, एम्स की फॉरेंसिक टीम एजेंसी के विशेष जांच दल (एसआईटी) की टीम के सदस्यों से दक्षिण दिल्ली के लोधी रोड इलाके में उनके मुख्यालय में मुलाकात करेगी। इस दौरान सभी रिपोर्ट का अध्ययन करके यह जांच की जाएगी कि क्या अभिनेता की मृत्यु के मामले में कोई गड़बड़ी हुई थी।
6 अगस्त से सुशांत की मौत के मामले की जांच कर रही सीबीआई पहले भी ऑटोप्सी की रिपोर्ट के अध्ययन में एम्स की फॉरेंसिंक टीम की मदद ले चुकी है। यह रिपार्ट कूपर अस्पताल द्वारा दी गई थी।
डॉ. सुधीर गुप्ता की अगुवाई में एम्स की फोरेंसिक टीम ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया है और टीम ने सुशांत के बांद्रा फ्लैट का भी दौरा किया था। इस दौरान पूरा क्राइम सीन फिर से क्रिएट किया गया था।
एम्स की टीम को सुशांत की बहन मीतू सिंह, दिवंगत अभिनेता के फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठानी और निजी कर्मचारी दीपेश सावंत, नीरज सिंह और केशव बच्चन ने भी मदद की थी।
पता चला है कि एम्स का मेडिकल बोर्ड सीबीआई को राय देगा जो बिना किसी संदेह के पूरी तरह से 'निर्णायक' होगी। हालांकि इससे पहले बोर्ड एजेंसी द्वारा निकाले गए निष्कर्षों का पूरा अध्ययन करेगा।
बता दें कि सुशांत की रहस्यमयी मौत की जांच सीबीआई के अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| विपक्ष ने सोमवार को अपने सदस्यों के निलंबन के बाद हंगामा कर महज एक घंटे के भीतर राज्यसभा की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया। उच्च सदन को पहले सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। जब कार्यवाही शुरू हुई तो निलंबित हुए विपक्षी सांसदों ने सदन से बाहर जाने से मना कर दिया और नारेबाजी करने लगे जिसके कारण इसे सुबह 10.36 बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दिया गया।
हंगामा थमता नहीं देखकर सदन की कार्यवाही को 10.38 बजे आधे घंटे के लिए फिर स्थगित कर दिया गया। अब सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।
विपक्ष के सदस्यों द्वारा हंगामा जारी रखने के बीच भुवनेश्वर कलिता ने नए सिरे से सदन की कार्यवाही शुरू की।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही आठ सांसदों को निलंबित कर दिया। ये सासंद तृणमूल, कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी के हैं। इन पर रविवार को संसद में हंगामा करने और राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप है।
इस प्रस्ताव को संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने आगे बढ़ाया और सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा, नासिर हुसैन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और के.के. रागेश और माकपा के ई. करीम को निलंबित कर दिया।
राज्यसभा में ध्वनि मत से प्रस्ताव मंजूर किए जाने के बाद सदस्यों ने नारेबाजी की।
इससे पहले, सभापति नायडू ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है और 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'निंदनीय' है। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
नायडू ने उप सभापति का बचाव किया और कहा कि उपसभापति ने नियम का पालन किया है।
ठाणे (महाराष्ट्र), 21 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई से करीब 60 किलोमीटर दूर उत्तर में बसे पावरलूम शहर भिवंडी में सोमवार तड़के तीन मंजिला इमारत के ढहने से 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। वहीं दो दर्जन से अधिक लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। मारे गए लोगों में चार बच्चे शामिल हैं। घायलों को कल्याण, डोंबिवली, कल्वा और ठाणे के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। एक शिशु सहित 25 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। वहीं इस दुर्घटना में 12 लोगों को चोटें आई हैं।
पटेल कम्पाउंड में स्थित 40 साल पुराने जिलानी बिल्डिंग की हालत जीर्ण शीर्ण थी। सोमवार सुबह करीब 3.45 बजे अचानक वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। घटना के दौरान सभी पीड़ित नींद में थे।
स्थानीय लोगों ने कहा कि इमारत खराब हालत में थी और भिवंडी-निजामपुर नगर निगम द्वारा उसे नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन उसकी लोगों ने अनदेखी की।
शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित इमारत में लीकेज और सीपेज की भी समस्याएं थीं, जिससे इमारत का ढांचा कमजोर हुआ होगा।
ठाणे पुलिस की टीमें, बीएनएमसी और पड़ोसी शहरों की फायर ब्रिगेड इकाइयां और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल घटना स्थल पर पहुंच गए और राहत व बचाव कार्य जारी है।
सुबह 9 बजे तक करीब 25 लोगों को बचा लिया गया था, जबकि अन्य दो दर्जन लोगों के अभी भी मलबे के नीचे फंसे होने की आशंका है।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| देश में 24 घंटे में कोरोनावायरस के 86,961 नए मामले और 1,130 नई मौतें दर्ज हुई हैं। इसके साथ ही सोमवार को देश में कोरोना मामलों का आंकड़ा 55 लाख के करीब पहुंच गया। वहीं अब तक 87,882 लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। वर्तमान में देश में 10,03,299 सक्रिय मामले हैं और कुल 43,96,399 लोग ठीक हो चुके हैं।
भारत कोरोनावायरस मामलों की संख्या में केवल अमेरिका से पीछे है। साथ ही यह इस बीमारी को मात देकर ठीक होने वाले रोगियों की संख्या में यह अमेरिका से आगे है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में रिकवरी दर 79.68 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.61 प्रतिशत है।
सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में 12,08,642 मामले और 32,671 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। इसके बाद सूची में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने रविवार को 7,31,534 सैंपल टेस्ट किए, जिसके बाद परीक्षणों की कुल संख्या 64,392,594 हो गई है।
दुनिया में अमेरिका 67,99,044 मामले और 1,99,474 मौतों के साथ सबसे अधिक प्रभावित देश है। वहीं दुनिया में कुल मामलों की संख्या 30,9,18,269 और मृत्यु संख्या 9,59,332 हो चुकी है।
मामलों की संख्या में अमेरिका और भारत के बाद ब्राजील (45,44,629), रूस (10,98,958), पेरू (7,62,865), कोलम्बिया (7,58,398), मैक्सिको (6,97,663), दक्षिण अफ्रीका (6,61,211), स्पेन (6,40,040), अर्जेंटीना (6,31,365), फ्रांस (4,67,614), चिली (4,46,274), ईरान (4,22,140), यूके (3,96,744), बांग्लादेश (3,48,918), सऊदी अरब (3,29,754) और इराक (3,19,035) हैं।
हापुड़ (उप्र), 21 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हापुड़ में जबरन वसूली करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह लोगों को पैसे नहीं देने पर दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसा देने की धमकी देकर ब्लैकमैल करता था। पुलिस ने कहा कि एक पुरुष और एक महिला संगीता (जिसे गुड्डी के नाम से भी जाना जाता है) को एक पीड़ित की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया है। दो संदिग्ध तानिया और हरकेश फरार हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, हाल ही में एक शख्स ने फेसबुक पर 'माही राणा' नाम की महिला से दोस्ती की। कुछ दिनों तक ऑनलाइन चैट करने के बाद, दोनों 15 सितंबर को महिला द्वारा चुने गए स्थान पर मिलने के लिए सहमत हुए।
बताई गई जगह पहुंचने पर, शख्स को एहसास हुआ कि यह एक जाल था। दो महिलाओं सहित चार लोग उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। गिरोह ने दुष्कर्म के झूठे मामले में नहीं फंसाने के लिए शख्स से 5 लाख रुपये की मांग की।
उसने घबराकर 1 लाख रुपये नकद, एक सोने की चेन और एक अंगूठी दे दी। हालांकि, जबरन वसूली बंद नहीं हुई।
आखिरकार, उसने पुलिस से संपर्क किया और गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आगे की जानकारी का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि एक बड़ा गिरोह शामिल है और हम फिलहाल इस बारे में विस्तार से जानकारी बाहर नहीं आने देना चाहते हैं।"
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| कृषि विधेयकों को लेकर राज्यसभा में रविवार को मचे हंगामे के बाद सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रियेन समेत आठ सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया। जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उनमें डेरेक के अलावा, राजीव सातव, संजय सिंह, रिपुन बोरा, डोला सेन, नासिर हुसैन, के.के. रागेश के नाम शामिल हैं।
बता दें कि रविवार को कृ षि से जुड़े विधेयकों पर बहस के दौरान राज्यसभा में कुछ सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया था। हंगामे के बीच ही कृषि से जुड़े दो विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिए गए।
श्रीनगर, 21 सितंबर (आईएएनएस)| जम्मू और कश्मीर में सोमवार से कक्षा 9वीं से 12 वीं के स्कूल फिर से खुल रहे हैं लेकिन छात्रों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अभिभावकों की होगी। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने ऐसा तरीका अपनाया है जिसमें बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी माता-पिता पर डाल दी गई है।
इसके तहत निदेशालय अभिभावकों से जो लिखित अनुमति ले रहा है, उसमें लिखा गया है कि "मैं जिम्मेदारी लेता हूं कि मैं कोविड-19 संक्रमण की किसी भी घटना के लिए स्कूल में किसी को भी दोषी नहीं ठहराऊंगा।" यह स्वीकृति उन सभी अभिभावकों को हस्ताक्षर करके देनी होगी जो कक्षा 9वीं से 12 वीं के बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।
इन निर्देशों में यह भी कहा गया है कि माता-पिता फेस मास्क, सैनिटाइजर देने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेंगे की बच्चे बेल्ट, अंगूठी, घड़ी आदि न पहनें।
5 अगस्त, 2019 को राज्य में अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद भी शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए थे। इन्हें इस साल मार्च में फिर से खोलने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए स्कूल बंद करने पड़े।
केन्द्रशासित प्रदेश में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या के बाद भी स्कूलों को फिर से खोलने के निर्णय की खासी आलोचना हो रही है।
यहां आम धारणा है कि महामारी को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से हिचक रहे हैं।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| तेल विपणन कंपनियों ने डीजल के दाम में सोमवार को लगातार पांचवें दिन कटौती की जबकि पेट्रोल के भाव में लगातार तीसरे दिन स्थिरता बनी रही। उधर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़त के साथ कारोबार चल रहा था। डीजल के दाम में दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में 15 पैसे जबकि चेन्नई में 14 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है, जबकि पेट्रोल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
देश की राजधानी दिल्ली में लगातार पांच दिनों में डीजल 1.13 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो गया है।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में डीजल का भाव घटकर क्रमश: 71.43 रुपये, 74.94 रुपये, 77.87 रुपये और 76.85 रुपये प्रति लीटर पर आ गया है। जबकि चारों महानगरों में पेट्रोल का दाम क्रमश: 81.14 रुपये, 82.67 रुपये, 87.82 रुपये और 84.21 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर बना हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटर कांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड के नवंबर डिलीवरी अनुबंध में सोमवार को पिछले सत्र के मुकाबले 0.16 फीसदी की तेजी के साथ 43.22 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।
वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) के नवंबर डिलीवरी वायदा अनुबंध में पिछले सत्र के मुकाबले 0.15 फीसदी की तेजी के साथ 41.38 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।
लखनऊ, 21 सितम्बर (आईएएनएस)| गोरखपुर के डॉ. कफील खान ने योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया है। खान को हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत लगे आरोपों के बाद जेल से रिहा किया गया है और अब वो जयपुर में रह रहे हैं। खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएसआरसी) को एक पत्र लिखकर "भारत में अंतर्राष्ट्रीय मानव सुरक्षा मानकों के व्यापक उल्लंघन और असहमति की आवाज को दबाने के लिए एनएसए और यूएपीए जैसे सख्त कानूनों के दुरुपयोग किए जाने की बात कही है"।
अपने पत्र में खान ने संयुक्त राष्ट्र के इस निकाय को "शांतिपूर्ण तरीके से सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने" वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए भारत सरकार से आग्रह करने के मसले पर धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि सरकार ने "उनकी अपील नहीं सुनी"।
खान ने लिखा, "मानव अधिकार के रक्षकों के खिलाफ पुलिस शक्तियों का उपयोग करते हुए आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं। इससे भारत का गरीब और हाशिए पर रहने वाला समुदाय प्रभावित होगा।"
बता दें कि 26 जून को संयुक्त राष्ट्र के निकाय ने कफील खान और शर्जील इमाम समेत अन्य लोगों पर लगाए गए 11 मामलों का उल्लेख करते हुए भारत सरकार को लिखा था, "मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप, जिनमें से कई गिरफ्तारी के दौरान यातना और दुर्व्यवहार करने के हैं"।
जेल में बिताए दिनों के बारे में खान ने लिखा, "मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कई दिनों तक भोजन-पानी से भी वंचित रखा गया और क्षमता से अधिक कैदियों वाली मथुरा जेल में 7 महीने की कैद के दौरान मुझसे अमानवीय व्यवहार किया गया। सौभाग्य से, हाई कोर्ट ने मुझ पर लगाए गए एनएसए और 3 एक्सटेंशन को खारिज कर दिया।"
इसके अलावा खान ने अपने पत्र में 10 अगस्त, 2017 को गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की जान जाने के मामले का भी उल्लेख किया।
उच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल, 2018 के अपने आदेश में कहा था कि "उसके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला और वह ऑक्सीजन की टेंडर प्रक्रिया में भी शामिल नहीं था"।
हालांकि खान अपनी नौकरी से अब भी निलंबित हैं।
लखनऊ। यूपी में समूह ख और ग की सरकारी नौकरियों में 5 साल संविदा पर रखे जाने के योगी सरकार के प्रस्ताव का चौतरफा विरोध हो रहा है। प्रतियोगी छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध से घिरी यूपी की योगी सरकार अब बैकफुट पर आ गई है। सरकार न सिर्फ इससे मुकर गई है, बल्कि यह भी साफ़ कर दिया है कि सरकारी नौकरियों में नये नियम लागू किये जाने का कभी कोई फैसला ही नहीं हुआ।
सरकार की तरफ से सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि 5 साल तक संविदा पर रखे जाने की बात पूरी तरह गलत और अफवाह है। सरकार ने न तो इस तरह का कोई फैसला लिया है और न ही भविष्य में ऐसा करने का फिलहाल कोई विचार है। उन्होंने 50 साल की उम्र में सरकारी कर्मचारियों को रिटायर किये जाने की चर्चाओं को भी कोरी अफवाह करार दिया है। उनके मुताबिक़ संविदा पर नौकरी शुरू कराए जाने और 50 साल में रिटायर किये जाने की बातें विपक्षियों की साजिश है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह अफवाह फैलाकर युवाओं को गुमराह कर रहा है। अपने गृह नगर प्रयागराज में एक कार्यक्रम में केशव मौर्य ने कहा कि उनकी सरकार ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को नौकरी व रोज़गार के दूसरे साधन मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है। अलग-अलग विभागों में किन्ही वजहों से रुकी हुई भर्तियों को जल्द शुरू कराया जाएगा।
बता दें कि दोनों ही फैसलों को लेकर योगी सरकार की काफी किरकिरी हुई है। संविदा पर भर्ती के फैसले को लेकर प्रयागराज व वाराणसी सहित राज्यभर में युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर विरोध जताया था। इसके अलावा युवा ताली थाली बजाकर भी योगी सरकार के फैसलों का विरोध कर चुके हैं। 17 सितंबर को पीएम मोदी का जन्मदिन है इस दिन को विरोध स्वरूप देशव्यापी तौर पर राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के रूप में मनाया गया था। (sabrangindia)
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडर एक बार फिर सोमवार को मोल्दो में बैठक करेंगे, जिसमें सीमा विवाद पर, खास तौर से पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील इलाके पर चर्चा होगी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बार की बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वें कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे। दो मेजर जनरल अभिजीत बापट और पदम शेखावत भी उनके साथ बैठक में हिस्सा लेंगे।
भोपाल, 21 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की गर्माहट बढ़ने के साथ बयानों में तल्खी आने लगी है। जुबानी जंग इतनी तेज हो चली है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर खुली बहस को भी तैयार हैं। मुख्यमंत्री शिवराज ने पूर्ववर्ती सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, "मंदसौर जिले में पिछले साल बाढ़ से भारी तबाही हुई थी। मैंने मुख्यमंत्री कमल नाथ से कहा कि आप भी देख लीजिए कितना नुकसान हुआ है। वो नहीं आए और बोले हम तो बंगले में बैठे-बैठे ही देख लेते हैं। मंदसौर में ही राहुल गांधी ने ये घोषणा की थी कि 10 दिनों में किसानों का हर प्रकार का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ करेंगे। लेकिन जब सरकार बन गई, तो कर्जमाफी में कई शर्ते लगा दीं। रंग-बिरंगे फॉर्म भरवाने लगे। कटऑफ की तारीख बदल दी। कांग्रेस की सरकार ने किसानों को धोखा दिया। कमल नाथ कहीं भी बहस कर लें, क्योंकि किसानों को कर्जमाफी के झूठे प्रमाणपत्र बांटे, बैंकों को पैसा नहीं दिया।"
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ग्वालियर में कहा था कि राज्य में 26 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा था, "किसान कर्जमाफी पर शिवराज से कहीं भी बहस के लिए तैयार मैं तैयार हूं। एक-एक किसान का फोन नंबर और नाम भी उनके सामने रखूंगा।"
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| पूर्वोत्तर के राज्यों के कुछ हिस्सों में जाने के लिए जरूरी इनर लाइन परमिट(आईएलपी) को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्र सरकार ने रविवार को यह बात स्पष्ट कर दी। केंद्र सरकार ने लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में बताया है कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड के हिस्सों में लागू इनर लाइन परमिट को हटाने की कोई तैयारी नहीं है। सरकार के जवाब से साफ है कि इन राज्यों के संबंधित हिस्सों में जाने के लिए भारतीयों को भी इनर लाइन परमिट लेना जरूरी रहेगा।
दरअसल, आंध्र प्रदेश के लोकसभा सांसद तालारी रंगैय्या ने रविवार को गृहमंत्री से एक अतारांकित सवाल में पूछा था कि क्या सरकार इनर-लाइन परमिट को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है? पूर्वोत्तर भारत के राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता के पीछे क्या कारण हैं? सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि आजादी के 74 साल बाद भी इनर लाइन परमिट(बंगाल पूर्वी सीमान्त विनियमन अधिनियम 1873 का विस्तार) को न हटाने के क्या कारण हैं?
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस सवाल का रविवार को लिखित में जवाब देते हुए बताया कि इनर लाइन परमिट(आईएलपी) सिस्टम को खत्म करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। वर्ष 1873 में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन के साथ आईएलपी सिस्टम अस्तित्व में आया। यह अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के कुछ हिस्सों में अस्तित्व में है।
उन्होंने बताया कि जनजातियों की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने और जनजातीय भूमि पर उनके स्वामित्व की रक्षा करने और संसाधनों को बचाने के लिए इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू की गई थी।
क्या है इनर लाइन परमिट?
इनर लाइन परमिट को एक प्रकार से वीजा ऑन अराइवल कह सकते हैं। देश में आज भी कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां भारतीयों को भी जाने के लिए अनुमति लेनी होती है। इसी अनुमति को इनर लाइन परमिट कहते हैं। यह एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज होता है। पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कुछ हिस्सों में आज भी यह व्यवस्था चली आ रही है। कोई भारतीय बगैर अनुमति लिए इन राज्यों में इनर लाइन परमिट वाले हिस्से में नहीं घुस सकता। इस व्यवस्था को वन नेशन, वन पीपुल की भावना के खिलाफ माना जाता है। पिछले साल जब मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तब से इनर लाइन परमिट के भविष्य पर भी बहस छिड़ी थी। हालांकि, उस समय भी गृहमंत्रालय ने साफ किया था कि नागालैंड आदि राज्यों से इनर लाइन परमिट हटाने की कोई योजना नहीं है।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| असम में जांच के बाद 86 हजार से अधिक लोग विदेशी घोषित हुए हैं। वहीं राज्य में 83 हजार से अधिक मामले संदिग्ध वोटर्स के सामने आए हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार ने रविवार को लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में दी है। केंद्र सरकार ने डिटेंशन सेंटर और उसमे डिटेन लोगों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध न होने की बात कही। सरकार का कहना है कि राज्य सरकारों की ओर से घुसपैठियों के लिए बनाए गए डिटेंशन सेंटर का ब्यौरा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद प्रो. सौगत रॉय ने रविवार को गृह मंत्री से एक तारांकित सवाल में पूछा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में कितने लोग राज्यवार विदेशी घोषित किए गए हैं। देश में कितने डिटेंशन सेंटर स्थापित किए गए हैं और वहां कितने लोग डिटेन हैं।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सवाल का लिखित जवाब देते हुए बताया कि वर्तमान में केवल असम में फॉरेन ट्रिब्यूनल कार्य कर रहे हैं। असम सरकार ने बताया है कि फॉरेन ट्रिब्यूनल में राज्य में संदिग्ध वोटरों के 83008 मामले लंबित हैं। वहीं वर्ष 2015 से 30 जून 2020 तक असम में 86756 लोग विदेशी घोषित किए गए हैं।
गृह राज्य मंत्री ने बताया, "वर्ष 2005 की एक रिट पर उच्चतम न्यायालय की ओर से 28 फरवरी 2012 को दिए आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने 7 मार्च 2012 को राज्य सरकारों को डिटेंशन सेंटर को लेकर निर्देश दिए थे। राज्य सरकारों की ओर से डिटेंशन सेंटर उन अवैध घुसपैठियों और विदेशी नागरिकों को मूल देश में वापस भेजने तक डिटेन करने के लिए स्थापित किए जाते हैं, जिन्होंने सजा पूरी कर ली है। गृह राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारों की ओर से स्थापित डिटेंशन सेंटर और इसमें डिटेन(निरुद्ध) व्यक्तियों के ब्यौरे केंद्रीय स्तर पर नहीं रखे जाते।"
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| देश में पशुओं को भी आधार नंबर देने का कार्य तेजी से चल रहा है। सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए भेड़, बकरी और सुअर को भी 'पशु आधार' देना शुरू किया है। जिससे अब देश में 53.5 करोड़ पशुओं को 12 अंकों का आधार कार्ड मिलेगा। सरकार का कहना है कि इससे कई तरह के लाभ होंगे। पशुओं और रोगों की पहचान सुनिश्चित होगी। 53.5 करोड़ पशुओं का आधार नंबर बन जाने के बाद भारत के पास पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस होगा। इस डेटाबेस में पशुओं की नस्ल, दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान टीकाकरण और पोषण से जुड़ी जानकारियां होंगी। दरअसल, लोकसभा सांसद विनोद कुमार सोनकर, भोला सिंह, संगीता कुमारी सिंह देव, सुकांत मजूमदार, जयंत कुमार राय, राजा अमरेश्वर नाईक ने लोकसभा में रविवार को एक अतारांकित सवाल कर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री से पूछा था कि क्या सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ परामर्श कर पशुओं को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(यूआईडी) देने काम काम शुरू किया है। इसके लिए क्या सरकार ने ने पशु संजीवनी योजना आरंभ की है?
इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना प्रणाली विकसित की है। पशुओं को मिलने वाले 12 अंकों के विशिष्ट पहचान संख्या(यूआइडी) का उपयोग राष्ट्रीय डेटाबेस में हो रहा है।
मंत्री ने बताया कि भारत सरकार पशुओं के वैज्ञानिक प्रजनन, रोगों के फैलाव को रोकने, दुग्ध उत्पादों का व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(पशु आधार) का उपयोग कर दुधारु गोवंशों और भैसों की पहचान कर रही है।
इसे पशु संजीवनी घटक स्कीम के तहत लागू किया जा रहा है, जिसे अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत शामिल किया गया। मंत्री ने बताया कि पशु आधार की सुविधा अब भेड़, बकरी और सुअर को भी जोड़ा जा रहा है। इस प्रकार 53.5 करोड़ पशुओं को आधार नंबर दिया जा रहा है। सितंबर 2019 में शुरू हुए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आधार नंबर से पशुओं की पहचान करना आसान हो गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक पशु के कान पर एक 12-अंकों के यूआईडी वाला थर्मोप्लास्टिकपॉलीयूरेथेन टैग लगाया जाता है।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| सरकार ने रविवार को सदन में विपक्ष के जबरदस्त हंगामे के बाद अपने शीर्ष छह मंत्रियों को आगे कर दिया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्यसभा के उपसभापति के प्रति सदस्यों के व्यवहार न सिर्फ 'खराब' थे बल्कि 'शर्मनाक' भी थे। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक हरिवंश सिंह के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सवाल है, यह राज्यसभा के सभापित वेंकैया नायडू का विशेषाधिकार है।
राजनाथ सिंह ने बिना किसी का नाम लिए कहा, "जहां तक मैं जानता हूं, ऐसा राज्यसभा और लोकसभा के इतिहास में कभी नहीं हुआ। राज्यसभा में होने वाली यह बहुत बड़ी घटना है। अफवाहों के आधार पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश की गई है। जो हुआ वह सदन की गरिमा के खिलाफ था।"
राज्यसभा में रविवार को काफी हो-हंगामा देखने को मिला। टीएमसी के डेरेक ओ'ब्रायन सभापति के समीप आ गए और काला कानून बताकर दस्तावेजों को फाड़ दिया। उन्हें यह भी कहते सुना गया कि 'आप ऐसा नहीं कर सकते।' आप के सासंद संजय सिंह को भी वेल में देखा गया।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष के व्यवहार को हिसक बताया। उन्होंने कहा कि सभापित के बार-बार कहने पर भी वे अपने सीट पर वापस नहीं गए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वह खुद एक किसान हैं और न ही एमएसपी और न ही एपीएमसी समाप्त होने जा रहा है।
प्रेस कांफ्रेंस में सिंह और नकवी के अलावा, प्रकाश जावड़कर, थावरचंद गहलोत, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी मौजूद थे।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली के सबसे बड़े पुतला बाजार में रावण ने इस बार दस्तक नहीं दी है। टैगोर गार्डन से सटे तितारपुर बाजार में पुतला कारोबारियों में मायूसी नजर आ रही है। हर साल इस बाजार में इस समय रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाया करते थे। तितारपुर में इन दिनों सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे। लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है।
कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि पिछले साल पटाखों पर रोक लगने के चलते कई जगह रावण दहन नहीं हुआ था। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा था।
प्रधानमंत्री द्वारा राममंदिर के लिए भूमिपूजन किए जाने के बाद पुतला कारोबारियों में उम्मीद जागी थी कि इस बार दशहरा का त्योहार भव्य तरीके से आयोजित होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल न हो सका।
दिल्ली के तितारपुर में हर साल दशहरे से पहले बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा से कारीगर आकर दिन-रात पुतला बनाने में जुट जाते थे।
कारोबारियों के अनुसार, दिल्ली में करीब हजारों की संख्या में हर साल रावण का पुतला फूंका जाता रहा है, लेकिन इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है। इस कारण सभी कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
तितारपुर में रावण बनाने वाले 45 वर्षीय पवन 12 वर्ष की उम्र से रावण का पुतला बनाते चले आ रहे हैं। वह 5 फुट से लेकर 60 फूट का रावण हर साल बनाते आए हैं। यही नहीं, उनके द्वारा बनाया गया रावण ऑस्ट्रेलिया तक भेजा गया है। हर साल पवन 50 से अधिक रावण बनाते हैं, जिन्हें देशभर के विभिन्न जगहों पर दहन करने के लिए लोग ले जाया करते हैं।
पवन ने आईएएनएस को बताया, "मेरे पास हर साल अब तक कई जगहों से रावण बनाने के लिए ऑर्डर आ जाया करते थे। लेकिन इस वर्ष अब तक एक भी फोन नहीं आया। कोरोना के चलते हमारे काम बिल्कुल ठप हो गए। हम हर साल दशहरे पर ही पूरे साल की कमाई करते थे। लेकिन इस वर्ष ऐसा बिल्कुल नहीं हो सका।"
उन्होंने बताया, "मेरा पूरा परिवार इसी काम को करता रहा है, हम सभी इसी सीजन का इंतजार करते हैं। लेकिन इस बार हम सभी घरों पर बैठने को मजबूर हैं। हमें डर है कि पूरे वर्ष का खर्चा कैसे निकलेगा और हम अपना जीवन कैसे बिताएंगे।"
पवन ने आगे कहा, "पिछले साल पटाखे पर बैन होने का हमारे व्यापार पर असर पड़ा, और उसका कर्जा मैं आज तक चुका रहा हूं। इस साल मुझे ज्यादा उम्मीद थी, क्योंकि राम जन्मभूमि का पूजन भी हुआ, जिस वजह से हमें लगा था कि दशहरा भव्य तरीके से मनाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं दिख रहा है।"
राम गोपाल भी रावण का पुतला बनाते हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, "हिमाचल प्रदेश, मुरादाबाद, बरेली, हरियाणा, एमपी, राजस्थान से हर साल लेबर और कारीगर यहां आकर रावण बनाया करते थे। लेकिन इस बार सभी अपने-अपने राज्य में ही मौजूद हैं।"
उन्होंने बताया, "हमें इसके अलावा कोई और काम नहीं आता, न ही हम इसके अलावा कोई और काम कर सकते हैं। इस वक्त के सीजन का हम बेसब्री से इंतजार करते हैं, इसीसे हमारे परिवार का गुजर- बसर होता है। हम केंद्र सरकार से उम्मीद करते हैं कि हमारे बारे में कुछ सोचेगी।"
हालांकि दिल्ली में हर साल सबसे ज्यादा रावण दहन किए जाते हैं। लेकिन कोरोना वायरस के चलते यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि सरकार दशहरे पर रावण दहन करने की इजाजत देगी या नहीं।
नयी दिल्ली,20 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं चूकते हैं और रविवार को उन्होंने किसान संबंधी विधेयकों को लेकर हमला बोलते हुए कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम' बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।
कांग्रेस कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को लेकर हमलावर बनी हुई है। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुके हैं और इन्हें आज राज्यसभा में पेश किया गया है।
वायनाड से सांसद कांग्रेस नेता ने आज ट्वीट कर कहा," मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी)किसान मार्केट ख़त्म होने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी) कैसे मिलेगा और एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं? मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम' बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।"
मिश्रा आशा
वार्ता
चंडीगढ़, 20 सितंबर (आईएएनएस)| शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि विधेयकों को पुनर्विचार के लिए संसद में वापस भेजा जाए।
बादल ने एक बयान में कहा, "कृपया किसानों, 'किसान मजदूरों', 'आढ़तियों' (एजेंटों), मजदूरों और दलितों के साथ खड़े हों।"
उन्होंने कहा, "कृपया उनकी ओर से सरकार के इस रुख पर हस्तक्षेप करें, अन्यथा वे हमें कभी माफ नहीं करेंगे।"
बादल ने आगे कहा कि अन्नदाता या किसानों को भूखा न रहने दें और न ही सड़कों पर न सोने दें।
बादल की पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक है और सत्तारूढ़ राजग का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि दोनों विधेयकों का पारित होना देश के लाखों लोगों के लिए और लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ है आम सहमति, न कि बहुसंख्यक उत्पीड़न।
तीन में से दो कृषि विधेयक रविवार को राज्यसभा द्वारा पारित कर दिए गए, ये विधेयक कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 हैं। इन्हें इस सप्ताह की शुरुआत में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
नरेंद्र मोदी सरकार में पार्टी की एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल कृषि विधेयक का विरोध जताने के लिए 17 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं।
--आईएएनएस