राष्ट्रीय
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 22 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में बनने वाले पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय भी मिशन शक्ति की मंशा के अनुसार नारी सशक्तिरण का जरिया बनेंगे। सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि हर पंचायत भवन में एक बैंक सखी और हर सामुदायिक शौचालय में सफाई के लिए एक महिला सफाईकर्मी - केयर टेकर होगी।
इसे हर माह 6,000 रुपये का मानदेय भी मिलेगा। प्रदेश में कुल 58,079 ग्राम पंचायतें हैं। सरकार का लक्ष्य कुल 56,960 सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का है। 18,847 बन चुके हैं। 35,058 दो माह में पूरे हो जाएंगे। इस तरह इनकी संख्या के अनुसार स्थानीय स्तर पर बहू-बेटियों को रोजगार मिलने से वो आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
यही नहीं इनसे स्थानीय स्तर पर रोजगार के और अवसर भी उपलब्ध होंगे। मसलन सरकार पंचायत भवनों को मिनी ग्राम सचिवालयों के रूप में विकसित करना चाहती है। ऑप्टिकल फाइवर और हाई स्पीड इंनटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़े इन केंद्रों में गांव के विकास से जुड़े सभी विभागों के ग्रामीण स्तर के अधिकारी - प्रधान, लेखपाल, सचिव, रोजगार सेवक, एनएनएम, आशा, पंचायत सदस्य तय समय पर बैठेंगे। तहसील की बजाय यहीं पर लोगों को जाति, आय, जन्म-मृत्यु, पेंशन समेत सभी प्रमाणपत्र उपलब्ध होंगे। इसमें भी कम से कम चार से पांच लोगों को रोजगार मिलेगा।
इसी तरह ग्राम पंचायतों में बन चुके या अगले दो महीने में तैयार होने वाले 56,960 सामुदायिक शौचालयों में वहां की स्वयंसेवी सहायता समूह से जुड़ी किसी एक महिला को सफाई कर्मी - केयर टेकर के रूप में रोजगार तो मिलेगा ही प्लंबर और बिजली का काम करने वालों को भी समय-समय पर काम मिलेगा। सरकार ने पहले ही प्रति शौचालय प्रति माह 500 रुपये का व्यय इस मद में रखा है। यही नहीं शौचालयों की सफाई के लिए रोजमर्रा की जरूरत के सामान, जैसे झाड़ू, ब्रश, वाइपर, स्पंज, बाल्टी, मग, पोछा, साबुन, हार्पिक, ब्रश, वाशिंग पाउडर, एअर फ्रेशनर, ग्लब्स और मास्क के कारोबार में भी वृद्धि होगी। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना के अभूतपूर्व संकट में इससे भी उत्पादन से लेकर विपणन तक के हर स्तर पर कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा। सरकार ने साफ-सफाई के मद में प्रति छह माह प्रति शौचालय 1200 रुपये और साबुन, हार्पिक आदि सामानों के लिए हर माह हर शौचालय 1000 रुपये के बजट का प्रावधान किया है।
अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज सिंह का कहना है कि सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन बनने से 58,079 गरीब महिलाओं को डायरेक्ट रोजगार मिलेगा। 6000 रुपए ग्रामीण महिला को मिलना उसकी जिंदगी सवांरने में बहुत बड़ी सहायता होगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर| हाथरस आए विभिन्न नागरिक समाज संगठनों की एक टीम ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई 'संस्थागत खामियां' बताईं गईं हैं। ये वो खामियां हैं जिसके कारण 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की जांच में समझौता हुआ है। नागरिक समाज संगठनों के निकाय नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट की एक टीम ने बुलगड़ी गांव का दौरा किया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडे और आरटीआई कार्यकर्ता, लेखक मणि माला ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, "हमारी फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पाया कि जांच ठीक से नहीं की गई थी। एफआईआर दर्ज करने के बाद के 24 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसके बावजूद, किसी ने भी यौन उत्पीड़न के एंगल से जांच नहीं की। मेडिकल परीक्षण लड़की की मृत्यु के बाद किया गया, जाहिर है इतनी देरी से किए गए परीक्षण में दुष्कर्म साबित नहीं हो सका।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित परिवार के बयानों में कोई विरोधाभास नहीं था। इसमें आगे कहा गया, "पीड़ित को अस्पताल लाया गया लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस को सूचित नहीं किया और न किसी पुलिसकर्मी या अधिकारी ने परिवार के सदस्यों के अनुसार जांच की थी। जबकि ऐसा होना जरूरी था। लड़की के मौत से पहले दिए गए बयान बताते हैं कि उसे पिछले छह महीनों से आरोपी पुरुषों द्वारा परेशान किया जा रहा था। उसे पहले भी एक बार खेत के पास खींचा गया था लेकिन तब वह बच गई थी। हालांकि, परिवार ने संदीप और लड़की के बीच संबंध की खबरों को नकार दिया।"
रिपोर्ट में कहा गया है, "सफदरजंग अस्पताल में जब पीड़िता ने दम तोड़ा, तो बाहर बैठे परिवार के सदस्यों को पुलिस ने सूचना दी। परिवार को मामले में लूप में नहीं रखा गया। बाद में पुलिस उनकी सहमति या राय लिए बिना ही शव को दाह संस्कार के लिए ले गई।"
कुल मिलाकर रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि इस मुद्दे को दबाने का प्रयास किया गया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर| लखनऊ में वायु प्रदूषण का स्तर वायु गुणवत्ता सूचकांक पर 300 का आंकड़ा पार कर गया है, जिससे यह देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। अक्टूबर में पहली बार लखनऊ में 328 का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) था, जो बुधवार को 'बहुत प्रदूषित' श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 300 से अधिक एक्यूआई वाले सात शहरों की सूची जारी की है। इनमें से तीन उत्तर प्रदेश में हैं। लखनऊ के अलावा, अन्य दो मेरठ और बागपत हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 96 फ्लाईओवर निमार्णाधीन हैं और त्योहारी सीजन के कारण वाहनों की आवाजाही अपने चरम पर है। वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए अभी का मौसम अनुकूल है।
चूंकि तापमान नीचे जा रहा है, हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पदार्थ) निलंबित हो जाते हैं और हवा की कम गति धूल को फैलाती नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जाएगी, स्थिति और खराब हो सकती है और लोगों को सांस की बीमारी होने की संभावना बढ़ेगी, खासकर कोरोनावायरस महामारी के दौरान। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर | बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तेजस्वी यादव लगातार सीएम नीतीश कुमार के हमलों का तीखा जवाब दे रहे हैं। तेजस्वी के 10 लाख रोजगार देने के वादे पर नीतीश के हमले का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर झूठा वादा करना होता तो करोड़ों का वादा करते।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में तेजस्वी ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार ने कुछ नहीं किया है। नीतीश कुमार एक कारखाना नहीं लगवा सके। दस लाख नौकरी देने का हमने झूठा वादा नहीं किया है। अगर वादा करना होता तो करोड़ों का वादा करते। बिहार में 4.5 लाख सरकारी पद खाली हैं। अगर हम सत्ता में आए तो इन खाली पदों पर नियुक्तियां होंगी।
इससे पहले बुधवार को रोहतास के दिनारा में एक चुनावी सभा के दौरान तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब थक गए हैं, उनसे बिहार संभल नहीं रहा है। उन्होंने खुद को ठेठ बिहारी बताते हुए एक बार मौका देने की अपील की। तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बिना भेदभाव के काम करेगी और सबको साथ लेकर चलेगी। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन सत्ता में आई तो पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने के निर्णय लिया जाएगा।"
सभा के दौरान तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनते ही नियोजित शिक्षकों की समान काम के बदले समान वेतन की काफी पुरानी मांग पूरी की जाएगी और साथ ही सभी टोला सेवक, विकास मित्र, आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदियों की सेवा स्थायी की जाएगी। बिहार के अधिकांश विभागों में सरकारी पद रिक्त हैं, उन्हें तत्काल भरने की कार्रवाई की जाएगी। (navjivan)
मसौढ़ी (बिहार), 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता से वादा किया है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वे 10 लाख नौकरियां देंगे। उनका यह वादा विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की चुनावी रैलियों में भीड़ खींचने में कामयाब रही। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और महागठबंधन की आकर्षक पेशकश अब तक रैली में तेजस्वी को सुनने के लिए लोगों को अपनी ओर खींचने में सफल रही है।
राजद उम्मीदवार के प्रचार के लिए तेजस्वी बुधवार को मसौढ़ी में रैली कर रहे थे। इस दौरान लोगों भारी भीड़ देखी गई। एक समय ऐसा भी आया जब पुलिस के लिए भी स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही थी, क्योंकि लोग बैरिकेड्स को आगे बढ़ा रहे थे और तय सीमा को पार कर रहे थे।
वहीं तेजस्वी ने जब पुलिसकर्मियों से कहा कि वे लोगों को मंच पर आने की अनुमति दें, जहां से वह भाषण दे रहे हैं, यह सुनने के बाद कुछ लोगों ने बैरिकेड भी तोड़ दिए।
पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित मसौढ़ी के मूल निवासी राहुल शर्मा ने कहा, "सरकारी क्षेत्र में 10 लाख नौकरियों की घोषणा से बिहार के आम लोगों में बड़ी उम्मीदें पैदा हुई हैं। इसलिए, समाज के सभी वर्गों के लोग उन्हें (तेजस्वी) देखने और उनका भाषण सुनने के लिए रैली स्थलों पर एकत्र हो रहे हैं।"
एक अन्य निवासी रमेश सागर ने कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ काम करने वाले विरोधी लहर को लेकर कोई संदेह नहीं है, क्योंकि वह कुछ प्रमुख मुद्दों जैसे कि मुद्रास्फीति, नौकरियों का सृजन, प्रवासन, आदि का ध्यान रखने में असमर्थ रहे हैं। उनकी कुछ त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण गरीब और गरीब हो गए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "दूसरी ओर लालू प्रसाद जैसे राजनेता हैं, जो अपने समाजवादी तरीकों और समानता की वकालत करने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए लोग उनके विकल्प के तौर पर उनके बेटे तेजस्वी यादव को देख रहे हैं।"
सागर ने कहा, "स्थिति 2014 के संसदीय चुनाव के समान है, जहां देश के लोग परिवर्तन की तलाश कर रहे हैं। आशा करते हैं कि तेजस्वी अपने वादों को पूरा करें और वह 'जुमलेबाज' न बने।"
एक अन्य मसौढ़ी निवासी रोशन पासवान ने कहा कि बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार की नेतृत्व के तौर-तरीकों में विश्वास खो दिया है।
उन्होंने कहा, "उन्होंने भाजपा का विरोध करके वोट एकत्र किया था, लेकिन बाद में अपने निहित स्वार्थों के लिए उसी पार्टी के साथ हाथ मिलाया। उन्होंने जनादेश को अलग रखा था। बिहार के लोग इन घटनाओं से अवगत हैं, बिहार के लोगों के लिए वह (नीतीश) अब भरोसेमंद व्यक्ति नहीं हैं।"
महागठबंधन के संकल्प पत्र में किसानों की ऋण माफी, नए कृषि बिलों को लागू न करना, प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं, जिला मुख्यालय से परीक्षा केंद्रों के छात्रों के लिए नि:शुल्क यात्रा सहित 25 बिंदु हैं।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गुरुवार को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करते हुए कहा कि देश के विकास के लिए वह जिस कर्मठता के साथ अपना योगदान दे रहे हैं, उसके सभी साक्षी हैं।
श्री शाह आज 56 वर्ष के हो गए। वह 2014 से 2020 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। उनकी अगुवाई में पार्टी ने 2019 का आम चुनाव लड़ा और शानदार विजय हासिल की। वह 2019 के चुनाव में स्वयं गुजरात में गांधीनगर से चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे।
श्री मोदी ने श्री शाह को जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा, “ श्री अमित शाह जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। देश के विकास के लिए वह जिस कर्मठता और उत्कृष्टता के साथ अपना योगदान दे रहे हैं, उसके सभी साक्षी हैं। भाजपा को मजबूत बनाने में भी उनका योगदान बहुत अहम है। मैं देश की सेवा में जुटे रहने के लिये उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।”
पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरा जोर लगाए हुए बीजेपी को चुनावों से पहले राज्य में बड़ा झटका लगा है। दार्जिलिंग में बड़ी ताकत माने जाने वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने 11 साल बाद एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। साल 2017 से अंडरग्राउड चल रहे मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर एनडीए का साथ छोड़ने का ऐलान कर दिया।
बिमल गुरुंग ने कोलकाता के एक होटल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके संगठन ने एनडीए से बाहर होने का फैसला किया है। उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अपने वादे पूरे करने में नाकाम रही है। गुरुंग ने कहा कि मोदी सरकार पहाड़ी क्षेत्र का स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है। साथ ही बीजेपी सरकार ने 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित करने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है।
गुरुंग ने कहा कि हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसलिए आज एनडीए छोड़ रहे हैं। साथ ही उन्होंने 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया। 150 से अधिक मामलों में 3 साल से फरार चल रहे गुरुंग ने कहा कि अगर मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं। गुरुंग पर सभी मामले गोरखा आंदोलन को लेकर दर्ज हैं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरंग की अच्छी पकड़ है। बिमल गुरुंग के समर्थन से ही बीजेपी कई सालों से दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है। इससे पहले 2016 के बंगाल चुनाव में मोर्चा ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे तीनों सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में इस बार गुरुंग के ममता बनर्जी के साथ आने से बीजेपी को इसे इलाके में बड़ा झटका लग सकता है। (navjivan)
20 अक्तूबर को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में तीन नए कृषि विधेयकों को पारित किया गया. ये कृषि विधेयक हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए हैं.
इसके साथ ही विधानसभा ने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी क़ानून को खारिज कर दिया है. हालांकि उन्हें इसे क़ानून बनाने के लिए राज्य के राज्यपाल के अलावा देश के राष्ट्रपति की सहमति लेनी पड़ेगी.
केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए जिन तीन नए कृषि क़ानूनों को खारिज किया गया है वे हैं- कृषि उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) क़ानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर क़रार क़ानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) क़ानून, 2020.
पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इन क़ानूनों को लेकर क़रीब एक महीने से किसानों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा है.
विरोध करने वाले किसानों और उनके संगठनों का कहना है कि नए क़ानून के तहत कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा.
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के शासन वाले प्रदेश सरकारों से यह कहा था कि वो केंद्र सरकार के कृषि क़ानून को निष्प्रभावी करने वाले क़ानून को लाने की संभावना पर विचार करें.
उन्होंने इसके लिए अनुच्छेद 254 (2) का इस्तेमाल करने की बात कही थी. ये अनुच्छेद समवर्ती सूची में शामिल विषयों से जुड़ा हुआ है.
भारतीय संविधान में ये स्पष्ट किया गया है कि संघ और राज्यों को किन-किन विषयों पर क़ानून बनाने का अधिकार है.
संविधान में इसके लिए तीन सूचियां हैं. एक संघ सूची (वे विषय जिन पर केंद्र सरकार को क़ानून बनाने का एकाधिकार है), राज्य सूची (वे विषय जिन पर राज्य सरकारें क़ानून बना सकती हैं) और समवर्ती सूची (वह सूची जिन पर राज्य और केंद्र सरकारें दोनों क़ानून बना सकती हैं).
संविधान के अनुच्छेद 254 (2) में स्पष्ट रूप से लिखा है
• राज्य विधानसभा की ओर से समवर्ती सूची में शामिल विषयों के संबंध में क़ानून बनाया जाता है जो कि संसद द्वारा बनाए गए पहले के क़ानून के प्रावधानों, या उस विषय के संबंध में मौजूदा क़ानून के ख़िलाफ़ हैं.
• राज्य विधानसभा में बनाया गया क़ानून राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया गया हो और उस पर राष्ट्रपति अपनी सहमति दे दे, ऐसी स्थिति में केंद्रीय क़ानूनी अप्रभावी होगा और राज्य का क़ानून प्रभावी होगा.
लेकिन इस अनुच्छेद के साथ शर्त ये है कि राज्य सरकारों को इन अधिनियमों के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति चाहिए होती है. इसके साथ ही अगर राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति दे देते हैं तो भी केंद्रीय क़ानून सिर्फ़ उसी राज्य में प्रभावी नहीं होगा. ऐसे में प्रत्येक राज्य को अपना क़ानून बनाकर राष्ट्रपति की स्वीकृति लेनी होगी.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में इस बात का उल्लेख भी किया कि कृषि राज्य का विषय है लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नज़रअंदाज किया है.
पंजाब सरकार की ओर से विधानसभा में पारित कराए गए विधेयकों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि कृषि, कृषि बाज़ार और ज़मीन प्राथमिक तौर पर राज्य के विषय हैं.
तीनों विधेयकों में पंजाब सरकार ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के क़ानून में मौजूद प्रावधानों को "पंजाब कृषि उपज बाज़ार अधिनियम, 1961 के तहत किसानों और खेतिहर-मजदूरों के हित और उनके जीविकोपार्जन को बचाने के लिए" बदल दिया गया है.
पंजाब विधानसभा में जो तीन नए विधेयक पारित किए गए हैं उनके नाम हैं- कृषि उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन बिल 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020 और किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020.
क्या कहा गया है इन तीन संशोधित विधेयकों में?
कृषि उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन बिल 2020 - इस विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को अपने क़ानून में पूरी तरह से निष्प्रभावी बनाती है इसलिए जो ख़रीदार गेहूँ या धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं ख़रीदेगा उसे सज़ा दी जाएगी.
यह विधेयक राज्य में एपीएमसी अधिनियम 2016 को लेकर यथास्थिति बहाल करने की बात करता है.
बिल में यह भी कहा गया है कि इस मामले में केंद्र सरकार के क़ानून का उल्लंघन करनेवालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी.
आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020 - इस बिल में खपतकारों को अनाज की जमाखोरी और कालाबजारी से बचाने का प्रावधान है. यह बिल पंजाब सरकार को विशेष हालात में कृषि उपज के उत्पादन, वितरण, आपूर्ति और भंडारण का विशेष अधिकार देता है ताकि किसानों और खेत-मजदूरों की रोजी-रोटी सुरक्षित की जा सके.
विधेयक में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि उत्पादन, आपूर्ति और वितरण भी राज्य के विषय हैं लेकिन केंद्र सरकार ने जो क़ानून बनाया है उसमें व्यापारियों को ज़रूरी चीज़ों की असीमिति जमाखोरी की शक्ति प्रदान की गई है.
किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020 - यह बिल राज्य के किसानों को अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बेचने पर मजबूर होने से बचाता है.
इसमें कहा गया है कि गेहूँ और धान की बिक्री तभी वैध मानी जाएगी जब केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर या उससे अधिक पर उसकी बिक्री हो रही हो.
अगर कोई कंपनी, व्यक्ति और कॉरपोरेट हाउस किसी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर फ़सल बेचने को मजबूर करता पाया गया तो उसे तीन साल से कम की सज़ा नहीं होगी. (bbc)
बाराबंकी, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी के प्रभारी और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने यूपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। कहा कि उत्तर प्रदेश में जाति देखकर न्याय मिलता है। कहा कि पूरी सरकार एक जाति को बचाने के लिए खड़ी हो जाती है। संजय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार ने दलित समाज के मन में यह भय पैदा कर दिया है कि भाजपा एक दलित विरोधी पार्टी है। यही कारण है कि वाल्मीकि समाज को त्याग दिया। जब लोग मजबूरी में धर्म का त्याग कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। आदित्यनाथ इस समय बिहार में हैं, वहां क्या बता रहे होंगे कि यूपी में अपराधियों पर जाति पूछकर कार्रवाई की जाती है। बिहार में बता रहे हैं कि यूपी भयमुक्त और महिलाएं सशक्त हैं, लेकिन यहां महिलाओं पर अत्याचार और अपराध बढ़ रहे हैं। अनुसूचित जाति के लोगों की हत्याएं की जा रही है।
संजय ने कहा कि यूपी के हाथरस और बाराबंकी के कांडों में भी अपराधियों को बचाया जा रहा था। बेटियों के शव परिवारजन भी नहीं सौंपे जा रहे हैं। संजय सिंह ने कहा कि बाराबंकी, हाथरस, फतेहपुर, लखीमपुर, गोंडा में बेटियों पर जो अत्याचार हुए हैं, उसको देखते हुए मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। योगी अपने आप को रामभक्त बता रहे हैं और इलाज के उपकरण को भी महंगे दाम पर खरीद करवा भ्रष्टाचार में लिप्त है। इसी जांच एसआईटी से कराकर रफादफा करा दिया गया, इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। हाथरस में चिकित्सकों ने पत्रकारों को सच्चाई बता दी तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। यह यूपी सरकार है, जहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
किसान बिल जो लाया गया, उसमें पूंजीपतियों का लाभ होगा। मनमाने ढंग से किसानों का अनाज खरीदकर डंप करेंगे और महंगे दामों पर बेचेंगे। इस तरह की सरकार से अब जनता परेशान हो चुकी है।
पटना, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को राजद सहित अन्य विपक्ष के 10 लाख लोगों को नौकरी देने के वादे को ढपोरशंखी बताते हुए कहा कि वास्तव में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दिया जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि करीब 1,11,189 करोड़ रुपये होती है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा, "जब विपक्ष वेतन पर ही बजट का अधिकांश भाग खर्च करेगा, तो फिर पेंशन, छात्रवृत्ति, साइकिल, पोशाक, मध्याह्न् भोजन, कृषि अनुदान, फसल सहायता, पुल-पुलिया, सड़क, बिजली आदि तमाम योजनाओं के लिए पैसे कहां से आएंगे?"
उन्होंने आंकड़ों के द्वारा तर्क देते हुए कहा कि वर्तमान में बजट का आकार 2,11,761 करोड़ का है, अगर वेतन में ही 1 लाख 11 हजार करोड़ रुपये खर्च होगा तो फिर ब्याज, पुराने कर्ज के भुगतान सहित अन्य 1,28,979 करोड़ के प्रतिबद्ध व्यय के लिए राशि कहां से आएगी?
मोदी ने कहा कि विपक्ष के झूठे वायदों के अनुसार, अगर 1.25 लाख चिकित्सक और 2.50 लाख पारा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति होती है तो वेतन पर 22,270.95 करोड़ रुपये खर्च होगा। 2.50 लाख शिक्षकों व 50 हजार कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति पर वेतन मद में 20,352.66 करोड़, 95 हजार पुलिस की बहाली पर 3604.22 करोड़, इंजीनियर (जेई) के 75 हजार पदों की बहाली पर 5,780.43 करोड़ व दो लाख अनुसेवकों की नियुक्ति पर वेतन मद में सालाना 6,406.80 करोड़ रुपये यानी कुल 58,415.06 करोड़ का खर्च आएगा।
उन्होंने कहा कि दरअसल झांसा देकर वोट लेने के मकसद से विपक्ष मतदाताओं से ऐसा वायदा कर रहा है, जिसे वह कभी पूरा ही नहीं कर पाएगा।
छपरा, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 28 अक्इूबर को होने वाले मतदान को लेकर अब चुनावी प्रचार में तेजी आ गई है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक के नेता चुनावी मैदान में अपने-अपने प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बुधवार को सारण के परसा विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के मंच पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पुत्रवधू ऐश्वर्या राय भी अपने पिता चंद्रिका राय के साथ उपस्थित रहीं। इस क्रम में उन्होंने नीतीश के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया।
लालू के पुत्र तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, "मैं आप सभी से अपील करने आई हूं कि आप अपना वोट देकर मेरे पिताजी को विजयी बनाएं और नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाएं। यह परसा विधानसभा क्षेत्र के मान सम्मान की बात है।"
उन्होंने राजनीति में भी आने के संकेत देते हुए कहा, "मैं कुछ ही समय बाद आप लोगों के बीच आऊंगी।"
इधर, बिहार के मुख्यमंत्री ने भी तेजप्रताप यादव और ऐश्वर्या के दांपत्य जीवन में आई कटुता को लेकर कहा कि जो भी हुआ, वह अच्छा नहीं है।
नीतीश ने कहा, "एक पढ़ी लिखी महिला से इस तरह व्यवहार हुआ। प्रकृति ने इस कृत्य के लिए लिए कोई न कोई व्यवस्था की ही होगी। शादी में हमलोग गए थे लेकिन उसके बाद जो हुआ, वह किसी को अच्छा नहीं लगा।"
उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों का अभी समझ में नहीं आ रहा है। इस दौरान सभा में हंगामा करने वालों पर नीतीश कुमार भड़क भी गए। नीतीश ने अपने संबोधन में किए गए विकास भी चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि परसा विधानसभा क्षेत्र से चंद्रिका राय जदयू के उम्मीदवार हैं। वे यहां से राजद के टिकट पर पिछला चुनाव जीते थे। ऐश्वर्या राय की शादी लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से हुई थी। बाद में तेजप्रताप ने पटना की एक अदालत में तलाक की अर्जी दी है। चंद्रिका राय बाद में जदयू का दामन थाम लिया।
चेन्नई, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)| त्योहारों के मौसम को देखते हुए व राज्य की आर्थिक सुधार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने बुधवार को तमिलनाडु में लॉकडाउन प्रतिबंधों में और ढील देने की घोषणा की। यहां जारी एक बयान में पलानीस्वामी ने कहा कि 22 अक्टूबर से रात 10 बजे तक नॉन कंटेनमेंट जोन में स्थित सभी दुकानें, होटल, रेस्तरां, चाय स्टाल और अन्य बिजनेस परिसर खुले रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोनावायरस से बचाव के लिए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
मुंबई, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र सीआईडी ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर के साथ हुई सनसनीखेज मॉब लींचिंग मामले में 208 नए अभियुक्तों को नामित किया है और इनमें से 50 को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने यहां बुधवार को कहा कि 16 अप्रैल को हुई लींचिंग के मामले में यह कार्रवाई की गई है। उनके वकील अमृत अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "इस मामले में 11 किशोर आरोपियों के साथ ही कुल 366 अभियुक्त हैं, जिनमें से आज गिरफ्तार किए गए 50 अन्य लोगों को गुरुवार को दहानू कोर्ट में पेश किया जाएगा।"
इस मामले में 366 कुल 11 किशोर आरोपियों सहित 366 को अब तक गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि गिरफ्तार किए गए 50 अन्य लोगों को गुरुवार को दहानू कोर्ट में पेश किया जाएगा।
इनमें से 62 आरोपियों की जमानत याचिका पर गुरुवार को ठाणे सत्र न्यायालय में विशेष सत्र न्यायाधीश पी. पी. जाधव की ओर से सुनवाई की जाएगी।
एक अधिकारी ने कहा कि संयोग से 366 अभियुक्तों में से अब तक 28 वयस्क और नौ किशोर को डिफॉल्ट जमानत पर रिहा किया गया है, क्योंकि सीआईजी आरोप पत्र (चार्जशीट) में सबूतों की कमी के कारण अपराध में उनकी सटीक भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो सकी।
उल्लेखनीय है कि पालघर के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल को जून अखाड़ा के दो साधुओं और उनके वाहन चालक की भीड़ ने बच्चा चोर होने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ में करीब एक हजार लोग शामिल थे।
सरकार ने पालघर जिला पुलिस प्रमुख गौरव सिंह को भी अवकाश पर भेज दिया था।
मुंबई, 21 अक्टूबर| अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने बिहार चुनाव से पहले लोगों के लिए एक रूचिकर वीडियो बनाया है। त्रिपाठी बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा, "बूथों को मतदान से एक दिन पहले और मतदान के दिन समय-समय पर सैनिटाइज किया जाएगा। मतदान केंद्रों के प्रवेश द्वारों पर थर्मल स्कैनर लगा होगा। मतदान केंद्रों में प्रवेश और बाहर करने पर साबून, पानी और हैंड सैनिटाइजर मुहैया कराया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए केंद्र पर सर्किल बनाए गए हैं। ईवीएम का बटन को दबाने के लिए ग्लव्स दिया जाएगा। बूथ पर मास्क पहनना अनिवार्य होगा और कई सारी तैयारियां की जाएंगी, जिससे लोग बेखौफ होकर मतदान कर सकें। अब यह नागरिकों के तौर पर हमपर है कि हम अपनी जिम्मेदारी निभाएं और बुद्धिमानी पूर्वक अपना नेता चुनें।"
वर्कफ्रंट की बात करें तो, त्रिपाठी जल्द ही वेब सीरीज मिर्जापुर-2 में दिखने वाले हैं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर | पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अपील को ध्यान में रखते हुए 30 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने बुधवार को 5 नवंबर तक मालगाड़ियों के चलने की अनुमति देने का फैसला किया है। इस दौरान राज्य में यात्री ट्रेन सेवाएं बहाल नहीं हो सकेंगी। हालांकि, भाजपा नेताओं, कॉर्पोरेट घरानों और टोल प्लाजा के खिलाफ उनका धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। किसान संगठन आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए चार नवंबर को बैठक करेंगे।
यह निर्णय 30 किसानों के निकायों की ओर से बुधवार को यहां की गई एक बैठक में लिया गया। इससे एक दिन पहले पंजाब विधानसभा ने सर्वसम्मति से तीन विधेयकों को पारित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कथित 'काले' कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से खारिज कर दिया।
भारतीय किसान यूनियन (राजोवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजोवाल ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि राज्य सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों ने केंद्रीय कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को मजबूत किया है।
राजोवाल ने आईएएनएस से कहा, "यह (विधेयकों का पारित होना) हमारी लड़ाई में बड़ी उपलब्धि है।"
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मालगाड़ियों को चलने की अनुमति देने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने राज्यभर में अपना आंदोलन वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार के खिलाफ हमारा विरोध जारी रहेगा।"
विधेयकों के पारित होने पर, राजोवाल ने कहा कि यह पहली बार है कि केंद्रीय कानूनों को नकारने के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया गया।
बता दें कि मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में किसान लगातार विरोध कर रहे हैं। वहीं पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार इसके खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया है।
पंजाब विधानसभा ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किया है। विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों के बीच यह प्रस्ताव पारित किया गया।
हालांकि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के विधेयक सदन से अनुपस्थित रहे।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर | पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को किसान संगठनों की ओर से मालगाड़ियों की आवाजाही की अनुमति देने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और इसके पुनरुद्धार के हित में है। मुख्यमंत्री ने किसान यूनियनों को उनकी अपील पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि किसानों ने इस कदम से पंजाब के लोगों के लिए अपना प्यार और चिंता व्यक्त की है, क्योंकि राज्य को कोयले की बहुत ज्यादा जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग नाकाबंदी के कारण कोयले की कमी के चलते बिजली के गुल हो जाने के बाद परेशानियों का सामना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूनियनों का निर्णय उनके लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया था।
सिंह ने यहां एक बयान में कहा कि किसान संगठनों ने इस फैसले के साथ यह भी सुनिश्चित किया है कि उद्योगों को अब और नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और वे पुनरुद्धार के मार्ग पर लौटेंगे।
किसानों के 'रेल रोको' अभियान ने उद्योगों को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया था।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि मालगाड़ियों के अवागमन से राज्य को अपनी गंभीर रूप से कम हो चुकी यूरिया आपूर्ति को फिर से बहाल करने में मदद मिलेगी।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों ने राज्य को नीचा नहीं दिखाया और वह व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी सरकार उन्हें कभी निराश न करे।
उन्होंने केंद्र की ओर से लाए गए कथित काले कानूनों के संबंध में एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। सिंह ने किसानों की आजीविका और उनके सामान्य जीवन की रक्षा करने के लिए इन कानूनों के विरोध करते रहने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारी यूनियनों से यात्री ट्रेनों की बहाली की भी अपील की, क्योंकि इससे त्योहारी सीजन में राज्य में आने-जाने वाले लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, "पंजाब के लोग अपने परिवारों के साथ त्योहार मनाने के लिए घर वापस आना चाहते हैं।" उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे पंजाबियों के हित में भी यात्री गाड़ियों की आवाजाही की भी अनुमति दें।(आईएएनएस)
अमरावती, 21 अक्टूबर | मौसम विभाग ने बुधवार को उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापत्तनम जिलों और यनम में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया है। इसके अलावा रायलसीमा में अनंतपुर और कुरनूल सहित पूर्वी गोदावरी जिले में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान लगाया गया है।
मौसम विभाग ने गुरुवार को भी आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों, यनम और रायलसीमा में अलग-अलग स्थानों पर बादलों की गर्जना और बिजली कड़कने का अनुमान लगाया है।
हालांकि, गुरुवार के बाद अगले तीन दिनों तक बारिश का कोई अनुमान नहीं है।
इस बीच, बंगाल की खाड़ी के बीच और उसके आसपास के इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभवाना जताई गई है। इसके अलावा अब भारत के पूर्वी तट पर समुद्र के पश्चिम मध्य भाग पर एक अच्छी तरह से चिह्न्ति निम्न दबाव क्षेत्र बन गया है।
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "अगले 24 घंटों के दौरान इसके उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है। उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने के बाद अगले 48 घंटों के दौरान यह ओडिशा तट पर बंगाल के उत्तर-पश्चिम की खाड़ी में पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तटों की ओर बढ़ेगा।"
इसी तरह, पूर्वी पश्चिम गर्त अब प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर में लगभग 15 डिग्री उत्तर में चलता है, और बंगाल के पश्चिम की खाड़ी और इसके पड़ोस में अच्छी तरह से कम दबाव वाले क्षेत्र से जुड़ा एक चक्रवाती परिसंचरण है।
पश्चिम गोदावरी जिले के भीमावरम और इसके आसपास के क्षेत्रों में बुधवार को बादल छाए रहे। हालांकि इस दौरान बारिश नहीं हुई। (आईएएनएस)
नयी दिल्ली 21 अक्टूबर (वार्ता) केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली में मानव हस्तक्षेप कम से कम करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
श्री पुरी यहां भूमि प्रबंधन के पाेर्टल “ ई. धरती” का लोकार्पण करते हुए कहा कि ऐसे तकनीक तलाशने और इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाना चाहिए जिसमें मानव हस्तक्षेप की कम से कम गुंजाइश हो। तकनीक की बहुत शक्ति है और साफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को देखते हुए कोई कारण नहीं है कि देश को इसका लाभ नहीं मिल सके। इस अवसर पर मंत्रालय में सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। ई. धरती पोर्टल के जरिए भूमि संबंधी प्रमाणपत्र प्राप्त हो सकेंगे। इसमें भूखंड विशेष के संबंध में समस्त जानकारियां मौजूद होंगी। इसकी कीमत मात्र एक हजार रुपए होगी। प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन हो सकेगा। केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर कुछ लोगों को भूमि प्रमाण पत्र भी जारी किये।
पणजी, 21 अक्टूबर | निर्दलीय विधायक प्रसाद गांवकर ने बुधवार को गोवा में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को दिया समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। उनका यह फैसला मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और राज्य में भाजपा नेतृत्व के साथ कथित आईआईटी-गोवा परिसर की स्थापना से जुड़े भूमि सौदे को लेकर हुई कहासुनी के बाद आया है। हालांकि समर्थन वापस लेने पर राज्य सरकार को बहुत कम प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उनके पास पहले से ही 40 सदस्यीय विधानसभा में 27 भाजपा विधायक और एक अन्य निर्दलीय विधायक का समर्थन है। वहीं नेशनल कांग्रेस पार्टी के विधायक ने सावंत के नेतृत्व वाली सरकार को सशर्त समर्थन देने की पेशकश की है।
पणजी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गांवकर ने कहा कि उनकी कथित भूमि सौदों पर सावंत और गोवा भाजपा के महासचिव दामोदर नाइक की टिप्पणियों से वह बहुत मायूस हुए हैं। यह बहस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गोवा परिसर को उनके संगेम विधानसभा क्षेत्र में स्थानांतरित किए जाने करने के प्रयासों को लेकर हुई।
गांवकर ने कहा, "मैं इस सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए गोवा के राज्यपाल को एक पत्र पेश कर रहा हूं। मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं ने जमीन के सौदों पर मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं। वे मेरे निर्वाचन क्षेत्र में किए गए भूमि सौदों की जांच कर सकते हैं।"
वहीं सोमवार को गांवकर ने सरकार से आग्रह किया था कि उत्तरी गोवा के सत्तारी उपजिले के मेलाउलिम गांव के निवासियों के विरोध के बीच उनके निर्वाचन क्षेत्र में आईआईटी परिसर स्थापित करने पर विचार किया जाए। (आईएएनएस)
जयपुर, 21 अक्टूबर | ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) की प्रोग्राम हेड रेशमा खान भारत में प्रगतिशील महिलाओं की आवाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो निडर और बुद्धिमान हैं, हाजिरजवाब, विनोदी हैं फिर भी संवेदनशील हैं और जिनका मकसद माता-पिता के सिखाए मूल्यों का अनुसरण करते हुए प्रगति और तरक्की की सीढ़ी चढ़ना है।
रेशमा ने अपनी डिक्शन, आवाज, स्पष्ट पंक्चुएशन, धार प्रवाह बोलन के साथ ब्रॉडकास्टिंग में एक छाप छोड़ी है।
पिछले 33 वर्षो में, उन्होंने कई बड़ी हस्तियों का साक्षात्कार लिया है और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों के जीवन को करीब से देखा है और विभिन्न दृष्टिकोणों से उनकी जीवन शैली के बारे में बात की है।
हालांकि, उनके दिल को एक बात जो चुभती है, वो है महिलाओं को बुर्का और हिजाब पहने हुए देखना, यहां तक कि चिलचिलाती गर्मी में भी।
उन्होंने कहा, "अगर मैं एक दिन के लिए प्रधानमंत्री बनती, तो देश में महिलाओं के लिए बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध लगा देती।"
रेशमा ने आगे कहा, "सवाई माधोपुर में अपनी पोस्टिंग के दौरान, मैं बुर्का पहने महिलाओं को चिलचिलाती गर्मी में चार बच्चों और अपने पति के साथ सड़कों पर से गुजरते देखती थी।"
उन्होंने कहा, "यह देखना बहुत खराब लगता था, क्योंकि उनका बेशर्म पति उनके साथ फिजूल के एक दंभ के साथ चलते थे। मैं हमेशा सोचती थी कि क्या मैं इन महिलाओं के लिए बुर्का पर प्रतिबंध लगा सकती हूं।"
रेशमा खान अजमेर में एक उदारवादी और प्रगतिशील सोच वाले परिवार में पली-बढ़ी हैं। इस परिवार में कोई लैंगिक पक्षपात नहीं था और हर किसी को मानवता के सिद्धांतों का पालन करते हुए एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाया जाता था।
कॉन्वेंट शिक्षित रेशमा, जो बाद में आकाशवाणी से जुड़ गईं, ने कहा, "आज, ऐसा लगता है कि हम सोशल टैबू पर वापस जा रहे हैं- लड़कियों और लड़कों के बारे में बहुत ज्यादा बात कर रहे हैं। यहां जेंडर के बारे में बहुत ज्यादा बात की जा रही है। इसके अलावा, जाति भी एक मुद्दा है, जो आरक्षण को लेकर एक हॉट टॉपिक बन गया है।"
उन्होंने कहा, "1992 में मंडल आयोग मुद्दे पर हंगामा मचने तक--हमने जाति और धर्म के मामले में कभी नहीं जाना कि कौन क्या है, लेकिन अब यह जगजाहिर है, जो अच्छा नहीं है।"
रेशमा ने कहा, "वास्तव में, मैं अपनी दो बेटियों को अच्छा इंसान बनना सिखा रहा हूं। कुछ साल पहले जातिगत पूर्वाग्रह भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच और वेज और नॉन-वेज अंतर तक सीमित था। हालांकि, अब यह विभाजन बड़ा है।"
रेशमा सवाल करती हैं कि मुस्लिम भाइयों का अध्ययन उसी तरह क्यों नहीं हो सकता, जैसे अन्य सभी जातियों और धर्मो के लोगों का होता है और आगे बढ़ते हैं। वे मदरसों के चंगुल से बाहर क्यों नहीं आ रहे।
उन्होंने कहा कि उनकी परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई है, जहां वह निजर और आत्मविश्वासी बनी हैं।
अपनी उदार परवरिश पर बात करते हुए रेशमा ने कहा, "एक मुस्लिम परिवार से होने के बावजूद, मेरी दादी ने कभी परदा नहीं किया और वह मेरे दादा के साथ शिकार के लिए जाती थीं और तैराकी में अच्छी थीं। साहसी और प्रगतिशील विचारधारा के साथ, उन्होंने अपने सभी 10 बच्चों की परवरिश गुणों, मूल्यों और सिद्धांतों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए की थी कि वे गर्व के साथ अपना जीवन जिएं और सफलता हासिल करें। मेरी मां एनसीसी कैडेट और घुड़सवार भी थीं।"
उन्होंने कहा, "पांच-छह दशक पहले 10 के बीच मेरी सभी छह चाची स्नातक और पोस्ट-ग्रेजुएट थीं। परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, मेरे परिवार के सदस्यों ने मुझे सबसे अच्छी शिक्षा दी।"
रेशमा ने कहा, "मेरे पिता एक अधिकारी एक अद्भुत वक्ता थे और उन्होंने हमें समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और अच्छी पुस्तकों को पढ़ने के लिए जोर दिया।"
रेशमा कहती हैं, "कम उम्र में, मैं एक बहुत पढ़ी-लिखी लड़की बन गई और इन सभी गुणों ने मुझे जो कुछ भी चाहिए था, उसे प्राप्त करने में मदद की - ऑल इंडिया रेडियो में मैं आगामी फरवरी में 33 साल पूरे करूंगी।"
रेशमा के पति एक आईएएस अधिकारी हैं, जो झुंझुनू के जिला कलेक्टर के रूप में सेवारत हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति ने हमेशा उनका सपोर्ट किया है।
उनकी बड़ी बेटी किरोड़ीमल कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रही हैं और विभिन्न प्रोजेक्ट पर अपने स्कूल के दिनों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी की यात्रा की है। छोटी बेटी सेंट जेवियर्स में पढ़ती हैं।
रेशमा ने कहा, "मैं चाहती हूं कि मेरी बेटियों को वही एनर्जी और माहौल मिले जो जो हमें बचपन में दिया गया था।"
हालांकि, उनकी दोनों बेटियों का मानना है कि हिजाब और बुर्का पहनना या नहीं पहनना एक महिला का अपना फैसला होना चाहिए।(आईएएनएस)
इटानगर, 21 अक्टूबर | दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में बुधवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने एक मुठभेड़ में असम राइफल्स के जवान की हत्या कर दी और एक अन्य गोली लगने से घायल हो गया। तिरप जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि यह घटना तब हुई, जब असम राइफल्स के एक काफिले पर खोंसा लाजु रोड के सनीलाम तिराहे के पास संदिग्ध आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। यह इलाका म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है।
अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, "मुठभेड़ में, अर्ध-सैनिक बल के एक जवान की मौत हो गई, जबकि एक अन्य गोली लगने से घायल हो गया।"
ऐसा माना जा रहा है कि ये उग्रवादी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-इसाक-मुईवाह(एनएससीएन-आईएम) से जुड़े हुए हैं। उग्रवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया गया है।
घटना की विस्तृत जानकारी की प्रतिक्षा है।
अभी तक यह पता नहीं चला है कि उग्रवादी हमले के दौरान असम राइफल्स के कितने जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे।(आईएएनएस)
भोपाल 21 अक्टूबर | मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसान, रोजगार, महंगाई से बड़ा मुद्दा 'आइटम' बन गया है। इस शब्द का उपयोग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चौतरफा घिर गए हैं। भाजपा तो हमलावर है ही, साथ ही पार्टी के नेता भी उनसे किनारा कर रहे हैं।
कमलनाथ ने पिछले दिनों डबरा विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा की उम्मीदवार इमरती देवी का नाम लिए बगैर 'आइटम' कहा था। उसके बाद से उन पर लगातार हमले हो रहे हैं, कमलनाथ ने अपने बयान पर खेद व्यक्त कर दिया है, मगर माफी मांगने को तैयार नहीं हैं।
कमल नाथ ने राहुल गांधी के बयान पर कहा था कि उन्हें जैसा समझाया गया होगा उसी के आधार पर अपनी बात कही होगी। इस पर तंज सकते हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कमलनाथ, क्या राहुल गांधी इतने नासमझ हैं कि उनको समझाने की जरूरत पड़ती है? क्या आप भी राहुल गांधी को वही समझते हैं जो सारा हिन्दुस्तान समझता है?
वहीं राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमल नाथ के बयान को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताया और कहा, "कमल नाथ ने डबरा से भाजपा की उम्मीदवार और सरकार की मंत्री इमरती देवी जो दलित वर्ग से हैं, उन पर जो टिप्पणी की, जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वह उनके चरित्र और नीयत को दर्शाता है। जनता उन्हंे इसका जवाब देगी।"
अब तो कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने कमल नाथ के माफी न मांगने पर सवाल उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबियों में गिने जाने वाले मानक अग्रवाल का कहना है कि, "राहुल गांधी का बयान आने के बाद कमल नाथ को माफी मांग लेना चाहिए थी। अभी भी समय है कि वे माफी मांग लें।"
राजनीति के जानकारों का मानना है कि हर चुनाव में जनता से जुड़े मुद्दों की अपेक्षा अन्य मुद्दों की चर्चा ज्यादा होती है, मगर ऐसा पहली बार हो रहा है जब कांग्रेस नेता कमल नाथ विवादों में घिरे हों, इतना ही नहीं कांग्रेस ही उनके साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है। राहुल गांधी के किनारा करने से राज्य का कोई भी बड़ा नेता उनके साथ नहीं है। वर्तमान में कमल नाथ पूरी तरह घिरते और अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। इससे इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि विधानसभा के उप-चुनाव के बाद राज्य की कांग्रेस की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 21 अक्टूबर | लखनऊ में जिला स्वास्थ्य विभाग ने 3 ऐसे व्यक्तियों की कोविड रिपोर्ट जारी की है, जिनमें से 2 अमेरिका में है और तीसरे की मौत कई साल पहले हो चुकी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) संजय भटनागर ने कहा कि मामले में जांच के बाद एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया और दूसरे को मंगलवार को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
खबरों के मुताबिक, एक बैंक एग्जिक्यूटिव आश्रय जायसवाल का 6 अक्टूबर को कोविड परीक्षण पॉजिटिव आया था। दो दिन बाद टीम राजाजीपुरम इलाके उसके घर गई और उसकी पत्नी और दो बच्चों के नमूने लिए। टीम ने रिपोर्ट देखने के लिए आश्रय को पोर्टल का एक लिंक दिया। जब आश्रय ने अगले दिन पोर्टल खोला तो वह अपने पते पर 5 अन्य लोगों की रिपोर्ट देखकर चौंक गया।
आश्रय ने बताया, "मेरे बेटे का परीक्षण पॉजिटिव और पत्नी-बेटी का निगेटिव आया। हालांकि, 5 अन्य नामों में से 3 मेरे मकान मालिक के परिवार के हैं, जिनमें से मकान मालिक और उनकी पत्नी वर्तमान में अमेरिका में हैं और तीसरी रिपोर्ट मकान मालिक के पिता की है, जिनका कुछ साल पहले निधन हो चुका है। इसके अलावा जिन 2 लोगों की रिपोर्ट हैं, उन्हें मैं नहीं जानता।"
जाहिर है, टीम ने बिना नमूने लिए नेमप्लेट से मकान मालिक के नाम लिखे और उनकी फर्जी रिपोर्ट बना दी। आश्रय ने इसकी सूचना तुरंत कोविड हेल्पलाइन पर दी, जहां से मेरे परिवार का फिर से परीक्षण कराने की बात कही गई। साथ ही टीम के कर्मचारी ने माफी मांगी।(आईएएनएस)
नयी दिल्ली 21 अक्टूबर (वार्ता) सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत वर्ष 2020..21 में जम्मू कश्मीर में सेब की खरीद करने का निर्णय किया है। यह खरीद पिछले साल की शर्तो पर ही की जायेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुयी केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) राज्य एजेंसियों के सहयोग से सेब की खरीद करेगा । किसानों को उनके बैंक खातों में सेब मूल्य का हस्तान्तरण किया जायेगा। करीब 12 लाख टन सेब की खरीद इस योजना के तहत किया जा सकता है ।
सरकार ने नेफेड को 2500 करोड़ रुपये के गारंटी कोष का उपयोग करने की अनुमति दे दी है । यदि कोई नुकसान होता है तो केन्द्र और केन्द्र शासित प्रदेश आधी आधी राशि का वहन करेगा। स्थानीय प्रशासन मंडियों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायेगा और खरीद प्रणाली की लगातार निगरानी की जायेगी ।
मुंबई, 21 अक्टूबर| चार वर्षो तक राजनीतिक अज्ञातवास झेल रहे वरिष्ठ भाजपा नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी केवल देवेंद्र फडणवीस की वजह से छोड़ रहे हैं। खडसे शुक्रवार को राज्य की महा विकास अघाड़ी सरकार में सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि उनपर तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा विपक्षी नेता फडणवीस ने वह आरोप लगाए, जो अभी तक साबित नहीं हुए हैं।
खडसे ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कहा, "मुझे और मेरे परिवार को चार वर्षो तक नीचा दिखाया गया। मैंने राज्य में पार्टी बनाने के लिए 40 वर्षो तक काफी मेहनत की और इसका सिला मुझे इसरूप में मिला।"
खडसे को जून 2016 में भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से फडणवीस की अगुवाई वाली कैबिनेट को छोड़ना पड़ा था। उसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
खडसे ने कहा कि पद छोड़ने के बाद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या कांग्रेस किसी ने भी मेरे खिलाफ जांच की मांग नहीं की। इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें नीचा दिखाया।
खडसे ने कहा, "कई एजेंसियों ने मेरे खिलाफ जांच की, लेकिन कुछ भी बाहर नहीं आया। फिर एक महिला ने मुझपर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया, जिसपर फडणवीस का कहना था कि मेरे खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए..यह मेरे खिलाफ की गई निचले स्तर की राजनीति थी।"
खडसे(68) राज्य में भाजपा के उन कद्दावर नेताओं में से एक थे, जिनके पास जमीनी स्तर पर व्यापक समर्थन हासिल था। उनकी बहू रक्षा निखिल खडसे ने रावेर संसदीय सीट से भाजपा के सांसद के रूप में दो बार(2014-2019) चुनाव जीता।
खडसे के इस कदम का स्वागत करते हुए शिवसेना के नेता किशोर तिवारी ने कहा, "खडसे काफी लोकप्रिय ओबीसी नेता हैं। उनका पार्टी छोड़ना भाजपा और फडणवीस को काफी भारी पड़ेगा।" (आईएएनएस)